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13 / 11 / 81 क अयत वाणी. Avyakt Murli Project/10. Yog...1981/11/13  · 13 / 11 / 81...

Date post: 07-Nov-2020
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━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ 13 / 11 / 81 क अयत वाणी पर आधारत योग अन साइलस क शित का आधार पर परखने और नणय शित का अन ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ अपने शांत वधम िथत होने का अन भव _ आमा अशरर होकर बैठ जाती शांत के सागर अपने शव पता को याद रह शांत गहन अन कर रह पह जाती अंतम खता एक फा _ एकांतवासी बन एक के अंत खो जा रह कसी भी कार कोई आवाज नह संकप भी हलचल नहं मन को गहन शांत अन हो रह है _ आमा से शाती का कं पन नकल रह है वाय मंडल फै ल रह है वाय मंडल को भी शांत बना रहे शांत शितशाल करण का एक औरा मेरे चार तरफ बन गया है बाहर आवाज का भाव भी अब झे भावत नह कर रहा है ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ अपने मन का कनेशन शांत के सागर परमामा के साथ जोड़ती _ मन से पह जाती शांत धाम शांत के सागर अपने शव पता परमामा के पास शांत के बह शितशाल वायेशन इस शांत धाम फै ल रह है झे असीम शांत से भरप कर रहे असीम शांत का अन भव कर रह _ आमा पह जाती अपने शांत दाता मीठे शव बाबा के पास सवशितय शितशाल करण नकल रह इन शितशाल करण के नीचे बैठकर वयं को सवशितय से भरप कर रह ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ अब आमा लौट आती वापस साकार नया _ अपने साकार ामण तन वराजमान हो जाती वयं को शांत से भरप अन भव कर रह अपने शांत वधम िथत होकर शांत के लए भटक रह आमाओं को भटकने से ड़ा रह _ अपने लाइट के फ़रता वप को धारण कर रह कप जड़ जाकर बैठ जाती शांत के सागर अपने यारे शव बाबा को आवान करती परमधाम से बाबा शितशाल करण सीधी फ़रते पर पड़ने लगी से नकल कर कपव टाल टालय और पे - पे तक पह कर सव आमाओं पी को
Transcript
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    13 / 11 / 81 क� अ�य�त वाणी पर आधा�रत योग अनभु�ूत साइल�स क� शि�त का आधार पर परखने और �नण�य शि�त का अनभु�ूत ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ अपने शांत �वधम� म� ि�थत होने का अनभुव

    ➳ _ ➳ म� आ�मा अशर�र� होकर बठै जाती हँू

    → शां�त के सागर अपने �शव �पता को याद रह� हँू

    ◆ शां�त क� गहन अनभु�ूत कर रह� हँू

    ● पहंुच जाती हँू अतंमु�खता एक गुफा म�

    ➳ _ ➳ एकांतवासी बन एक के अतं म� खो जा रह� हँू

    → �कसी भी �कार क� कोई आवाज नह�

    → संक�प� क� भी हलचल नह� ं

    ◆ मन को गहन शां�त क� अनभु�ूत हो रह� है

    ➳ _ ➳ मझु आ�मा से शा�ती का �कंपन �नकल रह� है

    → वायमुंडल म� फैल रह� है

    → वायमुंडल को भी शांत बना रहे ह�

    ◆ शां�त क� शि�तशाल� �करण� का एक औरा मेरे चार� तरफ बन गया है

    ● बाहर क� �थलू आवाज� का �भाव भी अब मझु े�भा�वत नह� कर रहा है

    ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    ➢➢ म� अपने मन ब�ु�ध का कने�शन शां�त के सागर परमा�मा के साथ जोड़ती हँू

    ➳ _ ➳ मन ब�ु�ध से पहंुच जाती हँू शां�त धाम

    → शां�त के सागर अपने �शव �पता परमा�मा के पास

    ◆ शां�त के बहुत ह� शि�तशाल� वाय�ेशन इस शां�त धाम म� फैल रह� है

    ● मझु ेअसीम शां�त से भरपरू कर रहे ह�

    ● म� असीम शां�त का अनभुव कर रह� हँू

    ➳ _ ➳ म� आ�मा पहंुच जाती हंू अपने शां�त दाता मीठे �शव बाबा के पास

    → सव�शि�तय� क� शि�तशाल� �करण� �नकल रह� ह�

    ◆ इन शि�तशाल� �करण� के नीचे बठैकर

    ● म� �वयं को सव�शि�तय� से भरपरू कर रह� हँू

    ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    ➢➢ अब म� आ�मा लौट आती हँू वा�पस साकार� द�ुनया म�

    ➳ _ ➳ अपने साकार� �ा�मण तन म� �वराजमान हो जाती हँू

    → म� �वयं को शां�त से भरपरू अनभुव कर रह� हँू

    ◆ अपने शांत �वधम� म� ि�थत होकर

    ● शां�त के �लए भटक रह� आ�माओ ंको भटकने से छुड़ा रह� हँू

    ➳ _ ➳ म� अपने लाइट के फ़�र�ता �व�प को धारण कर रह� हँू 

    → क�प व�ृ क� जड़� म� जाकर बठै जाती हँू 

    ◆ शां�त के सागर अपने �यारे �शव बाबा को आ�वान करती हँू

    → परमधाम से बाबा क� शि�तशाल� �करण�  

    → सीधी मझु फ़�र�त ेपर पड़ने लगी ह�

    → मझु से �नकल कर  

    ◆ क�पव�ृ क� टाल टा�लय�  

    ◆ और प�े-प�े तक पहंुच कर  

    ◆ सव� आ�माओ ं�पी प�� को   

  • ● शां�त का अनभुव करा रह� है

    ➳ _ ➳ अब क�पव�ृ क� सभी आ�माएं  

    → �वयं को शां�त, शि�त और सव� गुण� से  

    → संप�न अनभुव कर रह� ह�

    ➳ _ ➳ अब म� फ़�र�ता बापदादा के साथ क�बाइंड हो कर...   

    → �व�व �लोब पर आ जाती हँू 

    ◆ बाबा से शां�त क� शि�तशाल� �करण� ले कर...  

    ● �व�व क� सभी अशांत और दःुखी आ�माओ ंम� �वा�हत कर रहा हँू 

    ➳ _ ➳ सभी मन�ुय आ�माएं गहन शां�त का आनंद ले रह� है

    → अब म� उ�ह� उनका और परमा�मा का वा�त�वक प�रचय देकर... 

    → अपने शांत �वधम� म� ि�थत रहने...   

    → और स�ची शां�त पाने का... 

    ◆ सहज रा�ता बता रहा हँू

    ● स�य रा�ता जानकर सभी आ�माएं �स�न�च� म�ुा म� �दखाई दे रह� है

    ➳ _ ➳ म� शा�त �व�प आ�मा हँू

    ➳ _ ➳ म� एकांतवासी हँू�  

    ➳ _ ➳ सदा एका� रहती हँू 

    → मझु े�वशषे दो शि�तयाँ सदा �ा�त हो रह� ह� 

    ◆ परखने क� शि�त

    ◆ और �नण�य करने क� शि�त

    ● अब ये शि�तयाँ �ा�त होने के कारण रोयल �पी माया को दरू से ह� भगा रह� हँू  

    ● मेरा प�रवत�न ती�ग�त से हो रह� है ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ 


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