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Aughad (Hindi Edition)

Date post: 15-Mar-2022
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औघड़(उप यास)

औघड़

नीलो पल मणाल

ISBN 978-93-87464-50-6

काशक ह द-य म201 बी पॉकट ए मयर वहार फ़स-2 द ली-110091मो- 9873734046 9968755908

कला- नदशन वज एस वज

पहला स करण 2019

copy नीलो पल मणाल

Aughad(A novel by Nilotpal Mrinal)

Published ByHind Yugm201 B Pocket A Mayur Vihar Phase 2 Delhi-110091Mob 9873734046 9968755908Email sampadakhindyugmcomWebsite wwwhindyugmcom

First Edition 2019

मन कोई उप यास नह लखा ह मन अपन मार जान कजमानत लखी ह आप चाह कसी भी धारा क ह कसी भीवाद क वाद ह कसी भी समदाय स ह कसी भी वग स ह कसी भी जा त क ह hellip म जानता आप मझ छोड़ग नह और मन भी परी को शश क ह कसी को न छोड ध यवादजय हो

औघड़

1

गम जा चक थी ठड अपना लाव-ल कर ल आई थी भोर क चार बज थ रात क स ाटका एक टकड़ा अभी भी बचा आ था ह क -ह क शीतल हवा चल रही थी

मरारी साव एक घयाई रग क पतली डल वाली भगलप रया चादर ओढ़ अपनी चायकान पर प च चका था कान या थी एक टाट क झोपड़ी थी उसी म माट का एक

च हा था और उसस लगा एक लकड़ी का ब सा दोन तरफ एक-एक बच रखी ई थीमरारी साव क चाय क कान गाव क बस टड वाल म य चौराह पर ही थीगाव म लोग अ सर सरज स पहल जग जाया करत उसम भी सबस पहल भोर मरारी

साव क चाय कान पर ही होती 5 बज सबह स ही गाव क रा त सवा रय का आना-जानाश हो जाता गाव स होकर गजरन वाली गा ड़य क सवा रय क लए मरारी क कानक मट ट क कतरी वाल असली ध क बनी चाय सबह-सबह क एक आदत-सी बन गईथी यही कारण था क मरारी तड़क कान खोलन प च जाता

जब तक गाव क लोग सो-उठकर सय दव क दशन करत तब तक मरारी ठ क-ठाकल मीदशन कर चका होता था रोज क तरह आत ही मरारी न ब स का ताला खोल बतननकाला हाला क लकड़ी का वो ब सा इतनी जगह स टटा आ था क बना ताला खोलभी बतन नकाला जा सकता था पर ताला एक भरोसा दता ह और य गाव का ही माहौल थाक भल द मक न ब स क लकड़ी खा ली थी ल कन एक जग खा रह छोट स ताल कभरोस क लाज आज तक कायम थी न आज तक मरारी का ताला टटा न भरोसा और नएक च मच तक चोरी आ होता भी कस गाव क भल स लकर उच क तक सब क लएसबह मीठ करन का इतजाम मरारी ही तो करता था जस दन मरारी क कान न खलकछ लफए तो सबह स ही ताड़ी पीन नकल जात वो तो मरारी क म त चाय थी जसनउ ह अपनी ओर ख च रखा था वना सबह उठकर चाय पीन का रवाज अब गाव स भी धीर-धीर जाता रहा था

मरारी नकाल ए बतन को बगल क सरकारी चापाकल पर ल जा मट ट स रगड़करधोन लगा चार ओर पसर भोर क सा वक मौन क बीच बतन पर मट ट क रगड़ क घरड़-घरड़ क आवाज मानो गाव अपन आगन म सबह का सगीत बजा रहा हो कछ मनट बतनधोन क बाद मरारी च हा जलान क लए बोरी स कोयल क कछ बड़ टकड़ नकाल अपनीछोट हथौड़ी स उस तोड़न लगा ठक-ठक क आवाज अभी गजी ही थी क बगल क आमवाल पड़ स च ड़य का एक झड फड़फड़ाकर उड़ा मानो इन च ड़य को रोज मरारी कठक-ठक सन जगन क आदत हो गई हो ज द -ज द कोयला तोड़ उस च ह म डाल

मा चस मारी और च ह क पास बठ बास का पखा ह कन लगा चद मनट बाद धए काफटबाल-सा गोला उठा अब च हा जल चका था इसक बाद वह दौड़कर एक बा ट पानीभर लाया अब तक कोयला जलकर लाल हो चका था अब मरारी न च ह पर भगोनाचढ़ाया और ध गरम करन लगा च ह क सरी आच पर मट ट क कतरी चढ़ा द जसमध लबालब भरा था

तभी उस कोई आहट सनाई द ldquoकौन ज ग दाrdquo मरारी न च ह स नकल रह धए स मच मचाए आख को मलत ए

पछाldquoहा मद और क आवगा एतना भोरrdquo कान म घसत ही बा ट म मग डालत ए

जगद श यादव न कहाजगद श यादव गाव प छया टोला स थ उ यही कोई 52-53 साल ठ क-ठाक खती

थी छोट -मोट ठकदारी करत कभी-कभार ट-भट ठा लगान का भी काम करत एक टर खरीद रखा था बक स लोन लकर उस कराय पर चलात थ य वशी ख तहर होन क

बाद भी घर म गाय-भस नह पाल थ कहत थ ldquoगाय र खए तऽ दखना भी पड़ता ह सवाकरना होता ह सानी-पानी भी दना होता ह समय पर तब न ध खाइएगा हमस नहसभलगा अकल गाय-भस बच दए इस लए तोrdquo

जगद श यादव न गाय भस भल बच दया हो पर ध और चाय क आदत थोड़ गईथी रोज मरारी क कान पर सबह-सबह आना और दो-तीन घट क बठक म तीन-चारकप चाय पीना दनचया बन गई थी

ldquoचलो पलाओ एक कप आज कोय आया नह काrdquo जगद श यादव न बच कोगमछ स प छत ए कहा और बठ गए

ldquoपाच मनट क जाइए ज ग दा तनी खौला दत ह धवा को अभी तरत चढ़ाए हrdquoमरारी न च ह म लगातार पखा ह कत ए कहा

ldquoठ क ह तब तक तनी खनी खला दोrdquo जगद श यादव न जब स खनी क ड बयानकाल मरारी क तरफ बढ़ात ए कहा यह इसी दश क गाव वाली चाय क कान म हीसभव था क जब तक चाय बन तब तक चाय बनान वाला आपक लए खनी भी बनाकरपरोसता था मरारी ड बया स खनी-चना नकाल बड़ ज मदारीपवक रगड़ जा रहा था औरजगद श यादव एकटक रगड़ खाती हथ लय को दखत त लीन बठ थ भागती-कदती

नया क बीच एकदम फसत और शा त का ऐसा य कवल गाव ही रच सकता थाldquoली जए द खए बजनाथ भया आ गएrdquo मरारी न जगद श यादव को खनी दकर

हथली पर पानी लत ए कहाldquoका मरारी का हाल और जगद श दा तो हमस पहल प च गए आजrdquo बजनाथ

मडल न बच पर बठत ए कहाldquoअर आओ बठो बजनाथ हा का कर रात न द आता नह सोत ह तऽ लगा रहता ह

ज द बहान हो तऽ नकल घर म बाल-ब चा हो या हमरी जनानी सब तऽ ऊ ट भी दखनम लग रहत ह कसस ब तयाइएगा घर मrdquo जगद श यादव न बड़ सन वर म कहा

ldquoएकदम यही हाल सब घर का ह दन भर सब ट भी म घसल रहता ह जब स सालाई डस ए टना आया ह तब स जान ली जए चौबीस घटा कछ-ना-कछ दत रहता ह ट भयापर सनमा क तऽ इ जत नह रहा अब जब द खए त ब एगो सनमा द रहा ह दन-रातहमरा लड़कवा दनभर घसल रहता ह ट भए म एक दन तो ल तयाए चोट टा को न पढ़नान लखना साला धरमदर बनगा जस सनमा दख कrdquo बजनाथ मडल न एक सास मकहानी घर-घर क बया कर द थी

ldquoतम भी कनकसन ल लया डस का हा तीस-चालीस पया लगता ह काह नलोगrdquo बजनाथ मडल गाव क प छया टोला स ही था लबा शरीर गहरा सावला रग हड डीपर काम भर का मास यही बनावट थी बजनाथ क थोड़ी-सी खती थी स जी उपजाताथा और शहर बच आता छोट-मोट तर पर मवशी बचन का काम भी करता था बकरीपालना-बचना प तनी काम था उसका

इतन म बन चक चाय छानत ए मरारी भी चचा म कदा ldquoअर सनमा छो ड़एसी रयल दख ह कतना गदा दखाता ह एक ठो प त क तीन ठो प नी तऽ एक प नी क ठो मरद मन या स या दखा रहा ह ई लोग घर समाज बगाड़ रहा ह ई सबrdquo

मरारी न अपन इस साथक वचन क साथ ही चचा को एक नया फलक दान कर दयाथा

चाय पर चचा दश को कतनी साथक दशा द सकती ह यह यहा आकर दखा औरसमझा जा सकता था रदशन और उसक समाज पर भाव क इस समीनार का स चलही रहा था क म जद स अजान क आवाज आई ldquoअ लाह अकबरhellipअशहदो अमोह रसल लाहhelliprdquo

ldquoली जए अजान हो गया बरागी पडी जी क आन का हो गया टाइमrdquo मरारी न चायका कप बढ़ात ए कहा असल म बरागी पडी जी गाव क ही म दर म पजारी थ म दर कठ क पीछ ही कछ री पर म जद भी थी गाव म म दर-म जद म ब त री नह होती

अजान क आवाज अ लाह तक जान स पहल म दर क दवी-दवाता को मल जातीथी बरागी पडी जी को वष स अजान क आवाज सनकर उठन क आदत थी यही उनकाद नक अलाम था अजान सन उठन क बाद बरागी पडी जी झट नहात-धोत और फर शखऔर घट क व न स परा वातारवरण ऊजामय हो जाता यह व न म जद तक भी जातीयह एक गाव को ही नसीब हो सकता था जहा ई र-अ लाह दोन एक- सर क बड़ म ससन लत थ

पडी जी का परा नाम बरागी पाडय था और गाव क म दर म ही तीन पीढ़ स रह रहथ इनक प रवार म प नी और एक 21-22 वष का लड़का चदन पाडय भी था बरागी पडीजी दखन म गोर म यम कद-काठ क और पडनमा पट वाल थ सर क बाल जतन भी थ

सफद हो चक थपडी जी पजा-पाठ कर धोती-कता पहन कध पर गमछा डाल रोज क तरह जब तक

चाय क कान पर प च तब तक वहा कई तरह क मद द पर बहस स माहौल अपनीसामा जक सोद द यता क चरम को छ चका था इसी बीच वहा गाव क म जद टोला वाललड डन मया भी प च चक थ

ldquo णाम बाबा णाम आइए आप ही का इतजार हो रहा थाrdquo पडीजी को दखत हीजगद श यादव न अ भवादन कया

ldquoब ठए पडीजी बनात ह पशल वाला इलायची द कrdquo मरारी न कटोर स भगोन मध डालत ए कहा

बरागी पडी जी अभी बच पर बठ ही थ क अचानक बच क नीच स जोर क आवाजआई पडी जी लगभग चीखत ए उछल कर बगल बठ ए बजनाथ मडल क गदन परलटक गए बजनाथ मडल को सबह-सबह बना मतलब गोद लन का सौभा य ा त होगया जस लत ही वह अकबका गया था

ldquoअर का आ हाय र बापrdquo बजनाथ पडी जी को सभालत ए जोर स बोलाldquoहा हा अर ददा कछ नह ई मो तया पर पाव पड़ गया महराज पडीजी काrdquo मरारी

न भगोन म चीनी डालत ए कहा जहा परा दौर-जमाना पहचान क सकट स जझता-लड़तादखाई दता था वह यह गाव ही था जहा आम क भी मोती हीरा शरा क नाम स जानजात थ कई लोग तो उन क क वहार और दनचया तक स प र चत होत थ कौनक ा कतन बज म दर क अहात म बठगा और कौन अ पताल क आग पाए पर मत दगातक भी बता दत थ

मरारी फर हसत ए बोला ldquoआज तऽ जतरा बन गया इसका भोर-भोर पडी जी सएतना भारी आशीवाद पा लया डायर ट माथा पर लात धर क याण कर दए बरागी पडीजीrdquo

मरारी न सही ही कहा था क जब लगभग 90 कलो क आदमी का पाव एक मरमराएस क क गदन पर पड़ जाए तो उस ह का आशीवाद नह कह सकत मो तया सड़क पारजा खड़ा हो म झाड़ रहा था शायद अ या शत मल इस आशीवाद को फ ल कर रहाथा उसन दो-तीन बार टाग पटका एक-दो बार सर को झाड़ा और फर पनः चाय कान कपास आ खड़ा हो गया इधर बरागी पडी जी क छाती अभी तक धड़क रही थी धीर-धीर वसामा य होन क यास म थ हाथ म चाय क कप लए पहला घट पए तब आवाजनकली

ldquoबताइए भरवबाबा क कपा क हए क काटा नह नय तऽ एक कप चाय क फर मअभी चौदह ठो सई लना पड़ताrdquo

मरारी साव बरागी पडी जी स चाय क पस नह लता था उसका मानना था क बड़भा य स तो एक ा ण को भोर-भोर चाय पलान का मौका मलता ह इसस बड़ा प य

या होगा भला हा दन भर म एक कानदार को कान पर ही बठ-बठ पस क साथ प यकमान का भी मौका मल जाए तो इसस अ छा या होता पर दन एक भी कप क गनतीनह छोड़न वाला और दादा क पए गए उधार चाय को पोत तक स वसल कर लन वालामरारी वष स बरागी पडी जी को सबह क चाय बड़ी ा स नःश क पलाता था यहीउसक जीवन का अ जत प य था उसक पास हसाब वाली दो बही थी एक जसम वोउधार चाय पीन वाल क हसाब रखता था और सरी उसक मन म होती थी जसम वो पडीजी को पलाए गए चाय क प य का जमा हसाब रखता था जसक भरोस ही मरारी कोयक न था क ऊपर जान क बाद यही प य उस वग म कट ठा-दो कट ठा जमीन दला हीदगा

इधर पडी जी भी मरारी को प य कमान का कोई मौका गवान नह दत थ चाह आधीतफान चल या बजली गर पर बरागी पडी जी एक भी सबह अनप थत नह होत थकभी-कभार खद मरारी नह आता कान खोलन पर पडी जी ज र उसक कान पर आतऔर बच पर बठत यह सोचकर क या पता दर-सबर मरारी प य कमान आ ही जाए

चाय कान पर बत कड़ी जारी थी सब अपनी-अपनी च क घ टन क साथ ही एकनई चचा उतार दत गलास म अब दन भी साफ होन लगा था कान पर और भी ाहकक भीड़ आन लगी थी तभी एक बस ठ क मरारी साव क कान क सामन आ क औरउसस एक करीब 30-31 वष का सावला-सा यवक कध पर बड़ा-सा बग दोन हाथ मसटकस लए उतरा एकबारगी इतन सामान स लद आदमी को बस स उतरता दख सबकनजर उस पर पड़ी वह यवक बस स उतर सामान कध स उतार कान स ठ क दस कदमर खड़ा हो गया और जब स पस नकाल उसम कछ टटोलन लगा इधर पर चाय कान क

नजर उस पर थी गाव उतर कसी भी नय आदमी को य लोग इतनी नजर गड़ाकर दखत कसाधारण कलज का आदमी तो लजाकर मर जाए यह मडली एक तरह स गाव घसन वालक लए ार पर लगी क नग मशीन क तरह थी या मजाल कोई भी चीज उन लोग कसामन स बना उनक जाच क गजर जाए सड़क स क पर लद गाय-बकरी भीगजरती तो उसक न ल पर चचा कर यह लोग बात -ही-बात म उसका ध तक नकाललत थ अब तक उस यवक क चचा श हो गई थी

ldquoकौन ह कसक यहा का ह ई आदमीrdquo बजनाथ न ऊपरी जब स खनी नकालतए कहा

ldquoलोकल तो नह बझाता ह कसी घर का दामाद-ऊमाद ह याrdquo जगद श यादव नअपन अनभव स कहा तभी उस यवक क नजर भी एक बार चाय कान क तरफ गई परफर झट उसन अपनी आख हटा ल शायद उस भी अदाजा हो गया था क परी कान कनजर इधर ही ह इतन म उस कछ याद आया उसन अपन एक बग का ऊपरी चन खोलउसम स एक भरी ई पॉलीथीन नकाली जसम एक ड का पकट और कछ आध बचब कट क पकट थ यवक न उसका रपर नकाल उस पास बठ क क तरफ बढ़ा दयाक न लपककर ड पर मह मारा और आख मद खान लगा उधर हर सीन पर चाय कान

पर बठ लोग क कमर-सी नजर लगी ई थीldquoअर हई द खए मो तया का क मत भोर-भोर पावरोट पा लया और ब कट भीrdquo

लड डन मया खल खलात ए बोलldquoहम बोल थ न आज पडी जी का आशीवाद मला ह तऽ जतरा बनब करगा मो तया

काrdquo मरारी भी उछलकर बोला सब हसन लगवह यवक कध पर बग डाल सटकस उठा गाव क परब तरफ नकल गया इधर सब

पडी जी क नाम पर एक-एक कप और चाय दन को बोल चक थ पडी जी मद-मदम करात कभी मो तया को दखत तो कभी अपन परम क मती लात को जीवन भरसौभा य क बाट जोहत पडी जी का मन कर रहा था क कसी दन सबह-सबह उठ खदअपन ही गदन पर यह लात रख द त काल उ ह न बच पर बठ ही अपना दा हना लातउठाया और उस अपन खाली हाथ पर रख न जान दर तक या सोचत रह हाथ म लात कायह य वडबना गढ़ रहा था क चतन बन रहा था समझना क ठन था थोड़ा

2

दन चढ़ चका था गाव क एकमा च क सक डॉ बाल अपनी ड पसरी खोल खद हीझाड लगा रह थ हाला क उ ह न कपाउ डर क प म एक लड़क को रखा था पर उसकआन और जान का कोई तय समय नही था लड़का मनमौजी था कभी आता कभी नह भीआता इस कारण अ सर डॉ साहब को खद ही ड पसरी क सफाई और प छा लगान काकाम करना पड़ता था डॉ बाल बगल क गाव मनहरा क रहन वाल थ पर मलखानपर कबड़ी आबाद दख ड पसरी यहा खोलना ठ क समझा था उनका अदाजा था क यहा

यादा मरीज मल पान क सभावना रहगी वस मलखानपर म एक बना डॉ टर वालााथ मक वा थ क सरकार ारा था पत था डॉ बाल न मलखानपर बीच बाजार म ही

एक कमरा कराय पर ल न सग होम क श ल दन म कोई कसर नह छोड़ी थी कमर कबाहर एक ट न का बोड बनवा उस पर lsquoडॉ बाल घोषrsquo लखवाया था और उसक नीचअ जी म कछ ड ी टाइप भी लखवा रखा था एक बड़ा-सा लाल रग का लस च भीसफद गोल म बनवा रखा था कमर क अदर बीचो-बीच एक हरा पदा डाल उस दो भाग मबाट दया था पहल भाग म खद क टबल कस लगाई थी सर भाग म अदर क ओर एकपतली-सी चौक डाल द थी जस पर लटाकर वो मरीज का पट भ ककर मज दखत थऔर जीभ पर टाच मारकर बीमारी का पता लगान क ईमानदारी भरी को शश करत थ हरपद क पास ही द वार पर एक पो टर चपकाया था जसम एक गोल-मटोल बालक का चथा और उसक नीच लखा आ था lsquoक या शा त रख अदर ऑ शन चल रहा हrsquo यहपो टर पढ़ अ सर दहात क कई ज ास मरीज डॉ साहब स नजर बचा पदा हटा अदरझाकन क को शश कया करत थ क आ खर य ऑपरशन होता कस ह काश य लभम डकल लीला दखन का सौभा य मल जाए पर हर बार चौक खाली ही मलती एकाधमरीज कभी लट भी तो फर उ ह उठन क ज रत नह पड़ी व उठ गए थ बदल म भारीहजाना दकर कसी तरह अपनी जान बचाई थी डॉ बाल न उसक बाद स सावधान डॉबाल कवल चलत- फरत मरीज का ही इलाज करत थ लटन वाल को तरत हाथ जोड़आ दकर शहर रफर कर दत थ वस डॉ बाल न कब कहा स म डकल क पढ़ाई क

और कब डॉ टर बन यह वस ही अ ात था जस डॉ राज साद जी का द वार स चनानकाल खनी बना खात ए ए जाम दन का क सा लाल बहा र शा ी जी का उफनतीनद पार कल जान का क सा ई रचद व ासागर जी का ट लाइट म पढ़न काक सा य सब घटनाए कसी न दखी नह पर चलन म थ और मान ली गई थ उसी तरहडॉ बाल को डॉ टर मान लया जा चका था डॉ बाल अभी झाड मार लाइफबॉय साबनस हाथ धो गदन म आला पहन बठ ही थ क एक हीरो-ह डा बाइक आकर खड़ी हो गई और

जोर-जोर स हॉन बजन लगा डॉ बाल हड़बड़ा उठldquo या बात ह भाईrdquoldquoअर ज द च लए सर उठाइए अपना बग धान जी क घर चलना ह हाट अटक

आया हrdquo बाइक सवार न बाइक टाट रखत ए ही ज द -ज द कहाहाट अटक यह सन एक बार तो जस लगा डॉ बाल को ही हाट अटक आ गया ह

गाव क सबस भावी घर क बीमारी का बलावा आ गया था कछ ऊच-नीच हो गया तोयह सोच हाथ-पाव काप रह थ डॉ बाल क ज द -ज द बग लया अपना सबह-सबहड पसरी खलत ही मरीज का आ जाना य तो कसी भी डॉ टर क लए खशी क बात होतीह पर ऐस घर स और इतनी बड़ी बीमारी आ धमकगी इलाज करवान और इतनी कयामतभरी बोहनी क बार म सोचा भी न था डॉ बाल न सद खासी बखार तक तो ठ क था परसबह-सबह हाट अटक को सभालना अपन डॉ टरी जीवन म पहली बार म डकल कइ तहान को फस करन जा रह थ डॉ बाल वो भी बना म डकल क कताब का मह दखअभी असल म मह तो डॉ बाल का दखन लायक था माथ पर पसीना लए सखत कठ सबगल क कानवाल स जरा ड पसरी पर यान दन को बोल गोद म बग धर व बाइक परबठ गए व इतन तनाव म थ क अभी तक यह भी नह पछा था क अटक आया कस ह

अभी बाइक पर बठ ही थ क सामन स जगद श यादव आत दख पड़ डॉ टर साहबको दखत ही टोक दया ldquoअर डागडर साब कहा एकदम सबर-सबरrdquo

डॉ बाल क बदल बाइक चालक न कहा ldquoअर प षो म बाब को हाट अटक आयाह वह जा रह हrdquo

सनत ही जगद श यादव जस बाइक क सामन आ खड़ ए एकदम हड़बड़ात एपछा ldquo या हाय भगवान कल तो ठ क थ अर हा हा च लए ज द भगवान ठ क करसब एज भी तो हो गया ह उनकाrdquo

प षो म सह मलखानपर क सबस तबदार ह ती थ इनक पता पव म गाव कधान थ और य खद भी दो बार धान रह चक थ अब इनका बटा फकन सह वरासत को

सभाल ए था जमाना बदलन पर खती-बाड़ी थोड़ी कम हो गई और जमीन का कई ह साभोग- वलास म बक भी चका था तबा पहल क तरह तो नह था पर अभी भी धाकठ क-ठाक ही थी इसका कारण यह भी था क प षो म सह क दादा तीन भाई थ इसकारण इनक अपन बड़ खानदान का परा कनबा इसी गाव म साथ ही बसा था जसमआस-पास क 6-7 घर थ इन घर को मलाकर कम-स-कम 10-12 हट ठ-कट ठ जवानप षो म सह क भतीज और पोत क प म हमशा एक आवाज पर लाठ लकर खड़ होजात थ सामती दौर गजर जान क बाद भी भारतीय लोकत म उस प रवार क अह मयतकभी कम नह होनी थी जसक पास लोग भी थ और लाठ भी जब तक लोकत था तबतक प षो म सह क जस बड़ घर ब त छोट कभी नह होन वाल थ

जगद श यादव प षो म बाब क हाट अटक क खबर सन रोमा चत हो रह थ या

भयकर खी इस महीन अतर को पकड़ना म कल था असल म बड़ आदमी का जीवनऔर मरण दोन दखन लायक होता ह सदा आम जन को आक षत करता ह जगद शयादव प षो म बाब का वभवशाली जीवन दख चक थ आज इतन बड़ आदमी क हाटअटक को भी इतन नजद क स दखन का मौका व छोड़ना नह चाहत थ कतनी बड़ी बातहोती क व अपन पोत-पो तय तक को सनात यह ऐ तहा सक क सा अर प षो म बाबहमार आख क आग चल दए थ र ब चो हमारा तऽ हाथ धर लए थ और बोल थldquoजगद श अब जात ह घर-प रवार को जोगना दखनाrdquo

यह सबकछ एक झटक म सोचत-सोचत डॉ बाल को आग खसका उछलकरबाइक म पीछ बठ चक थ जगद श यादव

ldquoज द चलाओ भाई पीड म चलोrdquo जगद श यादव न घोड़ा हाकन वाल अदाज मबाइक चलान वाल स कहा तज चलती बाइक म सवार बाइक चलान वाल और जगद शयादव क बीच दब स बठ डॉ बाल खद एक मरीज क भा त दख रह थ उनक दय कउथल-पथल कवल वही जान रह थ उनका चहरा बता रहा था जस कसी बकर को बाधहलाल करन ल जाया जा रहा हो बाइक क प षो म सह क दरवाज पर कत ही जगद शयादव उछलकर नीच उतर और फर डॉ टर बाल का बग पकड़ उ ह हाथ का सहारा दनीच उतारा पता नह कस जगद श यादव डॉ बाल क बदन क कपन को महसस करचक थ शायद तभी हाथ का सहारा द दया था प षो म सह घर क बाहरी बरामद स सटकमर म ही रख ए थ अदर घसत ही डॉ बाल न दखा क प षो म बाब लट कर पपीताखा रह ह कट सब क कटोरी भी सरहान धरी ई थी प षो म बाब को आराम सफलाहार करता दख डॉ बाल को थोड़ी राहत महसस ई भल कभी म डकल ककताब न पढ़ हो पर कलक ा म कई डॉ टर क यहा झाड ई- डटॉल लगात इतनीडॉ टरी तो आ ही गई थी क हाट अटक का मरीज आराम स लटकर पपीता तो नहखाएगा फर भी डॉ साब परी तरह न त हो जाना चाहत थ

ldquo णाम प षो म बाब या आ आपको ठ क तो ह आपrdquo डॉ टर बाल न शभ-शभ बोला

ldquoअर आइए डागडर साहब द खए न थोड़ा छाती म पन हो गया था अभी सास लनम थोड़ा-थोड़ा खाता हrdquo प षो म बाब न पतीत का आ खरी टकड़ा मह म डालत एहाल सनाया

ldquoअ छा कए न ठ क हो जाएगा स ट खा ही रह ह आप बजोड़ चीज हह थ क लएrdquo डॉ बाल न कट सब क कटोरी क तरफ दखत ए कहा

अब तक डॉ बाल को यक न हो चका था क इनको चाह जो बीमारी हो पर हाटअटक तो नह था और न ही मरीज को जान का खतरा डॉ बाल न यह सोचत-सोचतसामन रखा पानी का गलास उठाया और गट-गट कर खद पी गए थोड़ी राहत महसस ईतो उ ह कलक ा म अपन मा लक जसक यहा सफाई टॉफ क प म 8 साल तक कामकया था उन डॉ टर का कहा एक स वा य याद आया ldquoमरीज को दवा बचाती ह

डॉ टर को उसका आ म व ास बचाता हrdquo आज डॉ बाल न अपन जीवन का सम तआ म व ास नचोड़ जमा कया और अब बड़ गभीर अदाज म आला नकाल उसप षो म बाब क छाती पर धर दया

ldquoजरा जोर-जोर स सास ली जए अदर ख चए और छो ड़एrdquo डॉ साहब न मझ एअदाज म कहा

ldquoडागडर बाब दद करता ह मीठा-मीठा छाती मrdquo प षो म बाब न लबी-लबी सासलत ए कहा

ldquo द खए अटक तो था पर एकदम टाइम पर बला लए आप लोग हमको घबराइएनह अटक रोक दग एक ठो टबलट मrdquo डॉ बाल न बग स एक टबलट नकालत एकहा

ldquoइसको तरत खाइए 15 मनट म राहत मलगाrdquoअब तक कमर म कई लोग जमा हो चक थ लड डन मया भी साइ कल लए प च

चक थ साथ म बजनाथ मडल भीldquoसर कौन टबलट दएrdquo लड डन मया न ज ासावश पछ दयाldquoगस और पन का म स था गस क कारण लॉक हो गया था छाती का पाइप

उसका एयर बाहर करना ज री ह न जी इसी म न बड़ा-बड़ा डा टर मस कर जाता ह ऊदन लगगा सीध हाट अटक का दवाई और इसी म रोगी का जान चला जाता ह हम तो यहीन यान दए च लए अब कोय खतरा नह हrdquo डॉ बाल न एक सफल च क सक क

लवर म कहा असल म तीन साल पहल ऐसी ही कसी टबलट क दए जान स लड डनमया क एकमा बगम अ लाह को यारी हो चक थ सो आज फर उसी हाथ स टबलटदया जाता दख लड डन मया स रहा न गया था और पछ दया था

पर अभी परा कमरा डॉ बाल क च क सक य चम कार स अ भभत था सबकएक ही चचा डागडर बाब बचा लए आज प षो म बाब को यमराज क मह स ख चलाए ऐसा डॉ टर ह गाव म तो सम झए सौभा य ह हम लोग का

तब तक भर लट ब कट दालमोट और मठाई आ चका था डॉ बाल क लए डॉबाल अदर-ही-अदर म करा रह थ आज कछ तो भा य न और कछ उनक आ म व ास नबाजी पलट द थी प षो म सह क प फकन सह न मार खशी क सौ क दो नय नोट डॉबाल क हाथ म रखत ए कहा

ldquoय ली जए डागडर साहब पहला बार फ स द रह ह कसी डागडर को अपन आरपर काह क आप जान बचा लए बाब जी काrdquo

डॉ बाल न नोट ऊपर क जब म रखत ए ह क म कराहट क साथ कहा ldquoअरफ स या आशीवाद ह आपका यही समझ रख ल रह हrdquo

डॉ बाल क लए सच म मल ए नोट फ स नह ब क उनक डॉ टरी का माणप थ उ ह अपनी डॉ टरी का स का गाव-जवार म जमन क खशी थी

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मौसम बदलन लगा था सबह क धप अब ज री लगन लगी थी डॉ बाल क दवा औरआ दोन क काम कर जान क बाद प षो म सह क त बयत भी अब ठ क हो चली थी

वस भी गस का गोला कतन दन रहता पट म प षो म सह घर क खली छत पर कसलए इ मनान स बठ र डयो सन रह थ तभी हाथ म मोबाइल लए फकन सह भी छत परप चा इस समय तक मोबाइल गाव क इ का- का लोग क पास ही था उसम भी गाव मपहला मोबाइल फकन सह क पास ही आया था अ सर नटवक क द कत होन क कारणफकन सह अपन म जल घर क छत पर जा नटवक धरान क को शश कया करताफकन सह जब अपन छत पर टहल-टहल मोबाइल पर जोर-जोर स बात करता तो रसचार

ा त का यह मोहक य र- र तक खत म काम कर रह लोग अपनी कदाल छोड़एकटक दखत

फकन सह क आय यही कोई 40-42 साल क रही होगी प षो म सह कवरासत का भार अब इसी क कध पर था उसन इस लायक अपना कधा बनान म अथकलगन क साथ महनत भी क थी बचपन स ही कसरत करना परकस खाना और भरपरसोना उसक दनचया रही उसन बचपन स लकर जवानी तक म जरा भी समय पढ़ाई-लखाई या कला-सगीत इ या द अन पादक और अ न त प रणाम दन वाल काय म नहगवाया जहा भी समय दया तरत कछ पाया वो खलता भी था तो कट कबड डी जसफजल क खल नह ब क जआ खलता था जसम तरत कछ अ जत कया जा सकअजन करन क यह लत उ बढ़न क साथ बढ़ती गई उसन बना ड ी सब अ जत कएरखा था बना दरोगा बन लोग को र सी स बधवा दता था बना जज बन फसला सनाताथा बना कल टर बन साहब कहाता था पछली बार धानी का चनाव लड़ा पर चनाव मधाधली क शकायत हो जान पर चनाव रद द हो गया था और उस अब आन वाल चनाव काइतजार था

साल भर पहल गाव क बाहर ढाब पर दा पीत व उसक बाहरी गाव क कछलड़क स बहस हो गई थी जसपर उन मनबढ लड़क न फकन सह क तब क परवाहकए बगर उस पर दस-बीस लात-घस बरसा दए थ इस घटना क बाद सह प रवार कह सयत का ाफ थोड़ा गर गया था लोग कहन लग थ अब नया जमाना आ गया परानाफटानी और ठसक नह बदा त करता ह नया ल डा लोग तब स फकन सह थोड़ा फक-फककर ही कदम रखता था

फकन सह छत पर एक कोन स सर कोन नटवक खोजत टहल रहा था क अचानकउसक नजर घर क पीछ वाल द वार पर पड़ी उसन दखा एक आदमी अपना सर गोत

द वार स सट पशाब कर रहा ह यह दख चहरा तमतमा गया फकन सह का वह जोर सच लाया

ldquoकौन ह र बट चोद साला हमर द वाल पर मतता ह रrdquo मतन को तो एक भारतीयचीन क द वार पर भी मत द पर मलखानपर गाव म प षो म सह-फकन सह कखानदानी द वार पर मत दना बड़ी बात थी

फकन सह को च लाता दख प षो म सह भी कस स उठ खड़ हो छत क र लगस झाक फकन सह न ग स म आख लाल कए इधर-उधर दो-चार कदम चल वह सामनपड़ी लकड़ी का एक टकड़ा उठाया और नीच पशाब कर रह आदमी पर जोर स फककरमारा लकड़ी का टकड़ा उस आदमी क ठ क बगल म गरा यह वो दौर था जब सामतवादका नशाना चकन लगा था अब कसी ठाकर साहब क हाथ स चली लाठ ठ क नशान परनह भी लगन लगी थी लाठ क जमीन पर गरत ही पशाब करता आदमी अकबकाकर पटसभाल बगल हटा और छत क तरफ सर उठाए लगभग चढ़ात ए बोला

ldquoका फकन बाब अर स दय आपक परख कतना गरीब ग आ क डायर ट कपार परमत पर कोई उ फ नह कया हम साला पछवाड़ क द वाल पर मत दए तऽ वरासत ढहनलगा आपका गजब करत ह आप मा लकrdquo

ldquoअर साला हरामी तम ह र बर चया तम ढाहगा भरो सह परषो म सह कवरासत को र साला ठहरो नीच आत ह तऽ बतात हrdquo इतना कह फकन सह सी ढ़य कओर उतरन को बढ़ा

तब तक गोली क तरह बरची क एक और आवाज टनटनात ए कान म गई फकनसह क

ldquoआप नीच आ गए ह आपको पत नह ह तऽ हम का करrdquo इतना बोल बरची लबी-लबी डग भर तीन खत फलाग लगा वहा स नकल चका था

बरची कमार मलखानपर गाव का 33-34 बरस का नौजवान था इ तहास स बीएपास कर एमए क पढ़ाई कर ही रहा था क एक हादसा आ और जदगी भर क लएउसका कलम पकड़ना असभव हो गया हादसा भी ऐसा मलखानपर और बगल क कटहरागाव क बीच कट मच म झगड़ क दौरान प लस कस हो गया दबग क परवी थी सोप लस उठा ल गई वहा रात हाजत म खब पीटा एक लाठ दा हन हाथ क कलाई पर लगीऔर तजनी और अगठ क ह डडया बाहर आ ग सरकारी नौकरी क चाहत म कईसरकारी फॉम डाल चका था बरची पर झठ कस और कलम न उठा पान क सदम म पहलतो एक मनोरोगी क तरह घर क एक कमर म बद रहा और जब साल भर बाद बाहर नकलातो जस वो बरची था ही नह कलम छट और उसक जगह चलम आ गई बाय हाथ सचलम उठाकर उस दा हन हाथ का सहारा द सारा अ जत ान को धए म उड़ान लगा वोपढ़ाई- लखाई छोड़ दन भर घमत गाजा-ताड़ी पीना और अपन अधर सपन को कोसना-ग रयाना यही दनचया बन गई उसक लोग उस गजड़ी थथर और पागल कहत कभी-कभी कड़वी जबान क कारण पट भी जाता था अ सर लोग उस लतखोर बोल छोड़ दत

आज तो फकन सह न ही सीध दख लया था अपनी द वार पर पशाब करत एजबान स आग उगल हवा क तरह उड़ नकला था बरची मतन क बाद उधर फकन सहको आग क लपट क तरह सीढ़ स नीच उतरता दख प षो म सह तजी स चलत एगरज

ldquoए फकन खबरदार जो मारपीट कया तो छोड़ो उस गजड़ी को को एकदम नहजाओग उस नीच क पीछrdquo

उ और अनभव न प षो म सह को ोध पीना सखा दया था जब क फकन सहक तो अभी कछ और ही पीन क उ थी

ldquoबाब जी तऽ कपार पर मतवाए और हम लोगrdquo फकन सह न पीछ क तरफ मड़झ लात ए कहा

ldquoकपार पर मता ह या द वार पर न मता हrdquo प षो म सह एकदम नजद कआकर बोल

ldquoबाह बाह र दमाग आपका मन कपार पर मतवान का इतजार कर घर बठक हमजब मत दगा तब बोलग और लड़गrdquo फकन सह न मट ठ पीसत ए कहा

ldquoसनो जरा ठडा दमाग स काम कया करो समझ ऐस गम दखान और उ धयान सराजनी त नह होता ह अभी मारोग बर चया को तऽ माहौल बगड़गा ज दए पचायतचनाव आन वाला ह थोड़ा बदा त कर लो फर दख तो लग उस दोगला कोrdquo बाप नराजनी त क सध खलाड़ी क तरह प को समझात ए कहा

ldquoद खए भाड़ म जाए पोल ट स साला हम हजड़ा बन क नह करग राजनी तआपको पता ह ई बर चया का मतना इसम टोटली पोल ट स ह य कोई करवा रहा हचक नह करग तो मन और बढ़गा इन हरा मय काrdquo फकन सह न सीढ़ पर स खड़-खड़कहा

ldquoअ छा तम जाओ पानी पीओ और शात हो जाओ हम पता करत ह न दस जतामार क भी या बगाड़ लोग उस लतखोर काrdquo यह कहत ए प षो म बाब सी ढ़य सनीच उतर आए तब स खद को सी ढ़य पर ही रोक फकन सह भी पीछ-पीछ सी ढ़य ससनसनाता आ नीच आ गया

राजपत का खन ज द गम नह होता और गम हो गया तो ज द ठढा नह होताबचपन स ही फकन सह घर म अपन बाप-दादा स राजपत का यह वशष र व ान पढ़ताआया था प षो म सह इस लए ज द गम नह होत थ और फकन सह ज द ठढा नहहोता था नीच उतर फकन सह बरामद म रखी कस पर बठ गया

ldquoमा लक चाय लात हrdquo लटक भडारी क धीमी आ ाकारी आवाज आई लटकभडारी प षो म सह क घर का वष पराना वफादार था इसक बाप-दादा नाई का कामकरत थ पर लटक न परपरा स व ोह करत ए उ तरा-कची छोड़ धान जी क घर थ रया-बतन कप- लास उठान का काम पकड़ लया था वो दन भर घर क काम दखता और शाम

होत ही जब फकन सह क मज लस जमती तब काच क गलास सजाता पानी म रगघोलता और जाम बनाता इन सब काय म उसन गजब क व श ता हा सल कर ली थीपानी म दा क कतनी मा ा कतना असर बनाएगी इस काम को वो इतनी गभीरता सअजाम दता जस वो कोई नोबल पर कार वजता रसायनशा ी हो और मानवता कक याण क लए पो लयो या रबीज का कोई नया ट का तयार कर रहा हो उस पता होता थाक फकन बाब कतन पग क बाद बठ रहग और कतन क बाद उलट जाएग कई मह वपणमौक पर जब फकन सह का शाम या रात को कसी जगह उप थत होना आव यक होजाता था तब वो ब कल ह का असरकारी आपातकालीन लाइट पग भी बनान कास ह त था फकन सह को लटक क पग-रसायन ान पर उतना ही भरोसा और गव थाजतना इसरो को अपन व ा नक क ान पर होता ह

लटक क इ ह अ त र यो यता न उस टोल क अ य नाइय क अप ा यादाबड़ा थान दला दया था सीध फकन सह क दल म जगह बना ली थी परा टोला उसफकन बाब का पीए कहता और लटक इस पद क आभा स लहालोट हो जाता और गौरव सभारी होकर कभी-कभी बन पए भी ख टया पर घोलट जाता फकन सह क पीए होन मजो नशा था वो भला दा म कहा टोला म उसक कह का वजन था फकन सह कमज लस म दरोगा बीडीओ सब आत-बठत थ लटक सबको गलास म अपन हाथ का नरपरोसता था मामली सगत थोड़ थी इस तरह नाइय क उ तर स कई गणा यादा उसनअपन हाथ को धारदार बना लया था जसस वो पग बनाता

फकन सह न अनमन ढग स चाय ल आन का इशारा कयाldquoका र का बव था ह साझ काrdquo फकन सह न चाय क पहली सड़क क साथ

कहाldquoजी दसी मगा वा त बोल दए ह माधो कोrdquo लटक न कहाldquoऔर बोतल रrdquo फकन सह न कप रखत ए पछाldquoजी ऊ ामसवक शभ जी ल क आएग आज एक ठो काम भी था उनको बीडीओ

साहब सrdquo लटक न रात का इतजाम प का करत ए कहाअभी-अभी भयकर गम ए और ज द ठढा नह होन वाल ठाकर फकन सह क

खौलत खन को कल करन क ज मदारी लटक क थी जसक व था म वो लग गया था

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बरची म काड करक अपन रोज क साथी लखन लोहार क झोपड़ी वाली कान क तरफनकल गया था लखन लोहार गाव क एकदम उ ट छोर पर अपनी फस क झोपड़ी मलोहारी का छोटा-मोटा काम करता था हल बनाना क चया-हसआ बनाना चाक-कची मधार तज करना यही सब उसक काम थ कभी-कभार कसी इ दरा आवास वाल बनत घर मढलाई का छड़ बाधन का भी छटपट काम मल जाता था बरची परा गाव बौखन क बादअ सर उसक झोपड़ी म बठता एक तरफ लखन लोहार क भट ठ जलती रहती औरसरी तरफ गाजा सलगता रहता बरची अ सर बठ क पटत ए लोह और उस तपती ई

भट ठ को एकटक दखता जब कभी उसक आच कम होती तो खद भी कोयला डाल दताऔर पखा ह क क उस तज कर दता कभी-कभी तो जलती भट ठ स गम कोयल नकालहथली पर रख लता लखन यह दख कहता ldquoअर बरची दा जादा चढ़ गया ह का हाथजर जाएगा महराजrdquo

इस पर बरची म कराकर गम कोयल को वापस भट ठ म डालत ए कहता ldquoबटालखन लोहार पागल नह ह हम ब सनो जलन और तपन म अतर होता ह हम चलगनह rdquo

बरची क ऐसी बात लखन क सर क ऊपर स नकल जात पर लखन बरची क इ जत करता था और उसक समझ न आन वाली बात भी इतन

यान स सनता और समझन क को शश करता जस क बना दात का आदमी मसड़ ससपाड़ी तोड़न क को शश कर रहा हो बरची क त उसक स मान का सबस बड़ा कारणयह था क एक बीए पास आदमी एक अनपढ़ लोहार क साथ गाजा पीता था लखन कलए इसस अ छा जमीनी और चलमनी उदार साथी कौन होता भला

स ची सामा जक समरसता तो ह तान क गाव म ही दखती थी जहा एक हीचलम स परा गाव गाजा पी लता था यहा धआ उड़ात द वान क बीच कभी न जा त कद वार होती थी न ही वषाण का जजाल एक लबी टान और फक स सब खतरा धआ-धआहो जाता था जात-पात छआ-छत बीमा रया तो होश क बात थ बसध मतवाला गाववग होता था गाजा पीत व लखन क झोपड़ी गाव क सामा जक समरसता क लए एक

समतामलक तीथ थली जसी थी जहा राह स गजरत प डत बरागी पाडय भी साइ कल सउतरकर भोलनाथ का जयकारा लगा अपन सामा जक समरसता क कत क एक-दोचलमटान आ त दत थ

भारत क लगभग गाव म जात-पात छआ-छत क रहन क बावजद भी ऐसी दो-चार

झोप ड़या मल ही जाती थ जो रामरा य क आदश क पना का खला य जयम थ यहा सभी जा त-पा त क लोग लाख आपसी बर क बावजद आपस म हसी- ठठोली करतदख जात थ काश य होश म भी ऐस होत तो सच म रामराज आया होता

रोज क तरह लखन लोहा पीटकर ह सया बना रहा था क तभी हाफता आ बरचीप चा झोपड़ी पर

ldquoअर बरची दा बड़ा हाफ रह ह का बात ह कछ कए काrdquo लखन न हथौड़ा रखतए पछा

बरची हसत ए सामन पड़ी छोट बास क म चया पर बठत ए बोला ldquoआज फरमत दए फकन सह क द वाल परrdquo

लखन तरत बोला ldquoअर दादा का करत रहत ह मतन स या होगाrdquoबरची न सामन फट चटाई क पास पड़ी खनी क ड बी उठाई और उसम स खनी

नकाल बनान लगा कछ ण क बाद खनी को हथ लय क बीच रगड़त ए बोलाldquoदखो लखन पशाब म नमक होता ह समझ नमक होता ह अगर रोज कसी द वाल

पर मतो तो धीर-धीर उसम खोल कर उस गरा दता हrdquoलखन क आख अब थर हो बरची क चहर पर टक गई कान कवल बरची को सन

रह थ चलती हवा क साय-साय भी नह बरची अभी कसी समाजशा क ोफसर कभा त बोल जा रहा था और लखन कसी रसायनशा क शर व ाथ क भा त बनापलक झपक सन रहा था

तभी उसक मह स नकला ldquoद वाल गरा आए का दादाrdquoबरची बोला ldquoभक भोसड़ी क एक-दो दन म थोड़ गरगा ब रोज लगना होगाrdquoलखन क ज ासा फर उछली ldquoस कएगा गरान म बरची दाrdquoबरची रगड़ चक खनी को मह म डालत ए बोलाldquoदखन म का जाता ह रोज करग एक न एक दन तो गरब करगा न तम भी साथ द

दो तो ज द गरा दगrdquo लखन तो जस पता नह कस समा ध को ा त कर चका था कईस सग म बड़-बड़ साध-सत को भी सन चका था लखन पर पशाब पर ऐसी नमल ानवाली बात न सनी थी कभी

बरची इस तरह लखन को मह बाए अचरज म बठा दख हसा और उस दोन हाथ सजोर स झकझोरत ए बोला ldquoहा हा हा का आ ब लखना अर होश म आओ अब चलोसाथ दोग नrdquo

इतना सनना था क लखन यान स उछलकर बोल पड़ा ldquoए बरची दा ई महान कामआप ही कर ली जए हमको मत जान बो लए हम बाल-ब चा वाल गरीब आदमी हपकड़ा गए तऽ पलाऽ जाएगrdquo

दोन जोर स हस

ldquoजरा पानी पलाओ हमको अब ब त दौड़ ह आजrdquo बरची न गमझ स माथा प छतए कहा

लखन अपनी बोरी स उठा और घड़ स लोटा भर पानी नकाल बरची क तरफबढ़ाया बरची न लोटा उठाया एक सास म आधा लोटा पानी गटक गया लोटा रखत हीबरची न फर बोलना श कया

ldquoअ छा लो पानी स याद आया हम फकन सह क आग वाला नल स ही पानी पीपछवाड़ कर दत हrdquo बोलत ठहाका मार उछल पड़ा बरची लखन भी जोर स हसा औरबोला ldquoई तऽ गलत बात ह बरची दा आप उसी का पानी पी उसी पर कर दत ह ई तऽनमकहरामी हो जाएगा दादाrdquo

ldquoअब झाट नमकहरामी होगा लखन बाब परा गाव क सब चापानल खराब ह एक भीनह बनवाया फकन सह ऊपर स अपन आर पर दो ठो नल गड़वा लया ह पीएचडीवभाग स बोलकर आधा गाव फकन सह क आर स पानी लता ह नचलका टोला सदन भर ब -बट जाती ह पानी लान तऽ कभी बठ क ताड़गा तऽ कभी कछो टोक बोलदगा ई सब नय दखता ह तमलोग कोrdquo

पर लखन भी आज अपनी सारी ज ासा शात ही कर लना चाहता था शायद झट सबोला

ldquoल कन पानी तो ह फकन सह का न ऊ ऊहो न द पानी लन तऽ पानी बन मर जाएआधा गावrdquo इतना बोल उसन जलती भट ठ म एक लोह का टकड़ा गम करन को डालाइधर जस बरची गम होकर धधक गया आख लाल हो ग अचनाक वो अपनी बास कम चया लकर लखन क और करीब सट गया और बोलना श कया

ldquo कसका पानी कसी क बाप का पानी ह का पानी तो धरती क नीच ह और सबकाह अर ऊ तऽ हमार ह स का पानी अपना चापाकल लगा नकाल रहा ह और हमार घर कब -बट लाइन लगल ह उसक आर पर साला क सनमा दखता ह ऊ आर पर चाहतो सारा चापानल बनवा दता गाव का पर नह करता ह कोई बात नह हम तो जो करसकत ह करब करग न मत दत ह साल क द वार परrdquo बोल क एक लबी सास ली बरचीन

ldquoबाप र एतना दमाग नह ह बरची दा हमर पासrdquo लखन न भट ठ ह कत ए कहाबरची भी अब मड बदलना चाहता था उसन जब स चलम नकाला और बगल म

रख लोट स पानी ल उस धोया एक गजड़ी अपन चलम को ऐस धो-प छ और लाल कपड़स लपटकर रखता था जस वो कोई चलता- फरता भरव जी का म दर हो

ldquoसनो छोड़ो अब बकचोद बट नकालोrdquo बरची न कत स चलम प छत ए कहाबट का अथ गाज स था अ सर गाव म लोग गाजा को बट सजीवनी या साद जसप ब र और म हमामयी स ा स ही वभ षत कर उस बड़ी प व ता और प न तकता सलत-दत थ लखन भट ठ छोड़ उठा और कोन पर रखी बा ट स पानी ल अपना पर-हाथ

धोया फर गमझ स प छ वापस अपनी बोरी पर आया और बोरी क नीच स एक प ड़यानकाल बरची क तरफ बढ़ाया उसन जस ा स हाथ-पाव धो-प छ दा हन हाथ मप ड़या ल उस बाए हाथ स पश कर बढ़ाया इतनी ा और प व ता स क ब त-स लोगशायद दवता क सझा-बाती भी न करत ह ग

बरची न प ड़या खोल बट को हथली पर लया और उस थोड़ा साफ करन और चननबनन लगा उसक यह त मयता दख चावल स ककड़ चनती कशल गहणी भी लजा जातीतभी लखन न आ खरकर फर एक सवाल दाग दया ldquoअ छा एक ठो ला ट बात पछबरची दाrdquo

ldquoला ट काह जतना पछना ह पछो हम मर थोड़ रह ह अभीrdquo बरची न हथली मबट मसलत ए कहा

लखन बोला ldquoई बताइए य फकन सह क द वाल गरान स या होगा इसका काफायदाrdquo

ldquoभक ब साला भकलोल हा इसस दश का धानम ी थोड़ बदल जाएगा दश थोड़बदल जाएगा बrdquo बरची न हसत ए कहा

लखन तरत बोला ldquoवही तो का फायदा दवाल गरन स ई पागलपती का याफायदाrdquo

अबक लखन न असल म चलम स पहल बरची को सलगा दया था बरची न मनटभर कछ नह कहा गाज को चलम म भरा मा चस मारा और एक लबी फक मारी फरसरी फक स प हल जोर स जय भोलनाथ का एक झोपड़ीभद जयकारा लगाया अगर बस

घट बजा द जाती तो लगता ही नह क दो गजड़ी गाजा पी रह ह लगता कलाश पवत परसा ात शकर जी नद क सग सबह का ना ता कर रह ह

दो-तीन फक लन क बाद परी झोपड़ी द धए स भर गई थी एकदम आग नकधआ अब चलम लखन क तरफ बढ़ा दया बरची न और म चया स उतर बोर पर पसरकरबठ गया

ldquoहा तो का पछ थ लखन कमार का फायदा दवाल गरान स तो सनो द वार गरादन स गाव क भखी बकरी को धान जी क गाडन का हरा घास मल जाएगा खान आमऔर अम द का हरा प ा मल जाएगा खान द वाल गर जान स लगना महतो क भखलभस को पआल मल जाएगा खान जो फकन सह क हाता म पड़ल सड़ता रहता हचमरटोली क म नया और चदवा जसी छोटक ब चया क बला और गदा का फल मलजाएगा बाल म लगान क लए फाटल पट पकड़ ग ली डडा खलत ब च को आधी म दौड़क चनन क लए आम मल जाएगा मीठा एकदम गछप क आम द वार गर जान स जसहम सबक ब -बट को फकन अपन आर दखता टोकता ह हम सब भी इनक घर दखपाएग चाची को णाम करग भौजी को णाम कर पाएग अब एतना कछ हो जाएगा एकद वाल गरन स ई का कम ह ब और तम कहत हो या होगा द वाल गरन सrdquo

लखन न कछ ब त यादा न समझत ए भी हा म सर हलाया और ऐसा जताया कजस उस सब बात समझ म आ गई ह और वो सहमत भी ह

सबह स ग प करत-करत कब पहर भी ढल गई और शाम आन को हो गई पता भीनह चला गाव म अ सर पहर बीतत ए शोर नह मचाता सबह स शाम इठलात ए होजाती ह आज बरची क दशनशा वाल म वशष वचन क च कर म लखन पहर काभोजन भी करना भल गया था आज दोन फलाहार म रह गए कवल बट लकर

ldquoअर कतना बज गया र लखनrdquo बरची अचानक बोलाldquoली जए साढ़ तीन बजन लगा कस बज गया होrdquo लखन पीछ बास पर टगी घड़ी

दख बोलाldquoहाय र तम हमर फर म खाना भी नय खा पायाrdquo बरची म चया स उछलता आ

बोलाldquoआज एतना चीज खला दए आप का का समझा क भख एकदम बझाया ही

नह rdquo लखन बा ट म लोटा डालत ए बोलादोन को भख का यान ही न रहा था असल म पीठ पर दन भर क काम का बोझ

और महनत क चाबक पड़न स उपजी भख पट पर जोर दती ह दद दती ह इस लए मज रछटत ही रोट क तरफ दौड़ता ह यहा तो पड़त हथौड़ और गम भट ठ क ध क स पल-पलपशाब और द वार क बहान वचार क चगारी फट रही थी पट बरची क जलत म त कक आग शात बठा था सारी हलचल दमाग म थी पट म एक गड़गडी भी नह उठ आजबरची व ान बौ भ क नागसन क तरह बोलता और लखन यनानी राजा मनादर कभा त सन जा रहा था लखन क झोपड़ी म तो आज जस नया म लदपाह रचा जा रहा था

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समय खत जात बल क तरह चला जा रहा था कसी को ढोत ए तो कसी को जोतत एगाव म जदगी एक गाय थी और सघष उसका चारा इसक अलावा चारा भी या था एकबात थी क भल स वधाए चाह कम या मद ग त स प ची थ गाव म पर क त न अपनीओर स इतन मन स गाव को सजाया था क शहर क लाख ब या और रोप गए क मसजावट पाक कभी उसका मकाबला नह कर सकत थ

मलखानपर स हत पर इलाक म अभी बसत चढ़ ही रहा था और फगनाहट क आहटआन लगी थी आम क बौर इ क तरह गमक रह थ पलाश क लाल नारगी फल अपनाशा मयाना तानन क तयारी म थ कोयल न क क-क क व वध भारती गाना श करदया था गाव क परब म एक कचनार का पड़ था जब जब परवईया बहती परब स चलीहवा गाव क प म-उ र-द ण तीन कोन क पोर-पोर गमका दती

एक ऐस ही गमकउआ मौसम म गाव का गणशी महतो अपनी साय कल स चल जारहा था सीध लखन क झ पड़ी क पास क उसक साय कल

ldquoआइए गणशी चचा आप ही का कदाल बना रह थ खरपी तो तयार कर दएrdquoलखन न गणशी महतो को दखत ही कहा

ldquoअर हा ऐ लखन तनी आज साझ तक द दो बटा अलआ कोड़ना ह कल भोर सrdquoगणशी महतो गाव क ही नचलका टोला म रहन वाला कसान आदमी था उ यही

कोई 60 बरस क करीब सटन को थी लगभग 6-7 बीघ क खती थी महनती आदमी थाखद स खती कर जदगी क गाड़ी कसी तरह ख च ल रहा था खती स इतना हो जाता थाक दो टाइम एक स जी क साथ भात-रोट आराम स खा सक और पव योहार मचमचमआ कता क साथ नई धोती पहन मला घमन जा सक बड़ी उ म आ एक 20-22वष का बटा था नाम रो हत महतो उसको भी अभी इटर तक पढ़ा चका था गणशी महतोआग क पढ़ाई करना या न करना बट पर ही छोड़ रखा था

इस बार आल क फसल अ छ ई थी गणशी महतो कछ सहयोगी मज र खोजननकला था जो सबह आल कोड़न म उसक मदद कर सक

बट रो हत क खती-बाड़ी या घर क काम म हाथ बटान क इ छा कभी रही नह औरन गणशी महतो न उस इसम घसीटन क जबरद ती क

एक अकला बटा था और वो भी जवानी क सीढ़ चढ़ता नौजवान लड़का इस दश मचाह अमीर का बटा हो या चाह कसान-मज र का पर इकलौता होन का जो व श बोधहोता ह वो सब म समान होता ह उसक सार नाज-नखर का औसत समान होता ह फसल

व स यादा वश व क फ म गणशी महत जसा कसान पता भी बट को इकलौतहोन क आनद भाव स साराबोर हो वो सब कछ करन क छट द दता ह जो शायद उसकऔकात स बाहर का भी हो रो हत क रहन-सहन क शली गणशी महतो क क पना सआग क थी डजाइनदार ज स पर चाइनीज कॉलर क शट और सफद जता पहन रो हतको हरदम टप-टॉप अदाज म दख गणशी अ सर खत म गमछ स पसीना प छ रो हत मअपना चमचमाता फशन भरा भ व य दख मन-ही-मन बड़ा सकन पाता था

अपन दादा-बाप क ही परपरा स खती कर ठ न भर क धोती म जदगी नकाल दनवाल गणशी महतो क लए बट क तन प ज स तक का सफर एक बार तो दन बदलन कासतोष द ही दता था रो हत अपन मजाज म गणशी क खती-बाड़ी क वरासत का व ोहीथा उसक टोल क अ य हमउ जहा खत म बाप सग हल जोत रह होत वो गाव क सपघर क हमउ सा थय सग कसी लाइन होटल वाल ढाब पर दाल तड़का और मछली परकरकरी रोट तोड़ रहा होता पछल 4 साल स इटर पास कर आग क पढ़ाई का लान बनारहा था और इसी गभीर योजना पर वमश हत रोज सबह 10 बज नकलता और रात को10 बज घर प चता दन भर अपन दो त क बाइक पर पीछ बठ सर पर टोपी लगा जबवो गाव क क ची सड़क पर धल उड़ात गाना गात नकलता तो कोई भी दखन वालाआसानी स कह सकता था क भारत नया म सबस खशहाल कसान वाला दश ह जीवनभर हल चला कसी तरह जीवन का हल नकाल घर चलान वाल गणशी का बटा लगभग हरतरह क बाइक पर सफर कर चका था जो गाव क अ य शोहद लड़क न अपन-अपन बापस पसा वसल खरीद रखा था हाला क रो हत अभी खद बाइक चलाना नह जानता था परसीखन क बल इ छा थी कई बार दो त स कहा पर शायद उस नह पता था क बड़ घरक लड़क अपनी लगाम छोट क हाथ नह स पत उस हमशा पीछ बठना ही नसीब था अबतक

गणशी महतो जब अपन बट रो हत को गाव क अ य सप लाडल क सगत म उठता-बठता दखता तो उस लगता क आ खर उसन अपन भ व य को इस खत क कादो-क चड़ सनकाल प क जमीन पर खड़ा कर ही दया जहा बाइक ह ढाबा ह बड़ घर म आना-जानाह रो हत का कछ तो ऐस लड़क स भी सबध था जन लड़क को उनक बाप क रसख ककारण गणशी महतो ही णाम करता था और व लड़क गणशी महतो को महतो कहपकारत कछ ऐस भी थोड़ ग तशील बालक थ जो दो त क पता होन क कारण गणशीको चाचा बलात थ पर बाद म उ ह न अपन बचपन क नादानी सधार ली

पर चाह जो हो इन लड़क क साथ अपन य रो हत को बराबरी म बठता खातापीता दख गणशी अपना वतमान और भ व य दोन साथक समझता

उधर गणशी महतो बगल क दहात स आल कोड़न को दो आदमी जगाड़ कर वापसी मलखन क पास स खरपी-कदाल लए वापस घर आ गया था रो हत का एक दो त उसबाइक स छोड़न आया था बाइक ाट ही थी और दो त बोल जा रहा था

ldquoआज ठ क नह कया द प त हार साथ साला एतना ब जती जरा-सा बात क

लए हम तो नय बरदा त करत यारrdquoरो हत न हाथ बाइक क हडल पर धर कहा ldquoअ छा दखना न हम भी बता दग उसको

अपना औकात हम भी असली कम हrdquoगणशी दोन क बात सनकर भी अनसनी कर अदर चला गया वो जानता था बड़

सगत म छोट -मोट बात तो होती रहती होगी और फर उसका बटा भी तो इतन बड़-बड़सबध नभाता ह ऐस म मझ जस छोट आदमी क बीच म घसन का कोई मतलब नह

तब तक बाहर स बाइक क फर स नकलन क आवाज आई और रो हत घर क अदरआकर खाट पर बठ गया था

ldquoका बात ह कौन टशन ह काrdquo गणशी न कदाल म बत क लकड़ी डालत एपछा

ldquoकोय टशन नय ह टशन का रहगा ई कछ लोग बड़ा होन का घमड दखाता हहमको छो ड़ए न हम दख लग ऐ माय खाना लगाओrdquo

रो हत न ख टया पर बठ-बठ जता उतार क फकत ए कहामह स खाना श द नकला ही था क मा थ रया लए दौड़ी रो हत क ओर थाली म

पड़ी ठढ रोट छत ही रो हत का मड गम हो गयाldquoका ठढा रोट द दती हो साला का खाए खाना ई घर मrdquoमा न हसत ए कहा ldquoअब बहा कर लो जनानी आएगी वही खला दगी गरम-गरम

बना कrdquoयह सनत गणशी महतो न भी हसत ए एक सर म कहा ldquoएकदम ठ क बोल उमर हो

गया अब ज मदारी लन का गह थ जीवन टाइम पर ठ क लगता भी हrdquoरो हत यह सब सनन क लए घर नह आया था वो बगल वाली कोठरी म घस चौक

पर लग अपन ब तर पर लट गया पीछ-पीछ मा रोट गम कर ल आई रो हत न चपचापबना कसी ना-नकर क खा लया और वापस लट गया

तड़क सबह उठ गणशी महतो कदाल खरपी ल आल कोड़न खत क तरफ नकलगया वहा पहल स दोन आदमी भी प च चक थ बड़ी म कल स बगल दहात क अपनसाढ क लड़क को समझा-बझाकर लाया था गणशी महतो असल म काम यादा था औरअगर ज द आल नकाल मडी प चा दता तो अभी नय आल क अ छ दाम मल जातमज र तो मलन स रह और रो हत खत आता नह ऐस म अपन सबध म स ही मान-मनहार कर आदमी जगाड़ करना पड़ा था गणशी महतो को बदल म गणशी को भी उनकफसल बोआई क समय मदद करन जाना तय आ था गणशी अपन साढ क दोन लड़कक साथ आल नकालन म भड़ गया गणशी न आज जाना था म कल म अपन नह साढ क ब च काम आत ह खत म काम करत करीब दो-तीन घट बीत चक थ सबह कासरज अब धीर-धीर गम हो चला था क तभी गणशी क नजर र स खत क तरफ आतरो हत पर पड़ी

ldquoअर वाह आज तऽ रो हत भी आ गया खतrdquo गणशी न खरपी मढ़ पर रखत एपानी क बा ट क तरफ जात ए कहा

ldquoआएगा काह नह अब बड़ा हो गया ह ज मदारी समझ आन लगता ह ई उमर मrdquoगणशी क साढ क लड़क न आल बोरी म भरत ए कहा

तब तक रो हत खत क कनार प च चका था वो अब आल भरी एक बोरी पर बठगया और मह स नाखन कतरन लगा गणशी न उसक बठत ही पछा ldquoअर का आ तम प च गए आल कोड़न बाह चलो ज द समटा जाएगा तब तो कामrdquo

रो हत ह क -सी म कराहट क साथ तरत बोरी स उठा और गणशी क करीब आकबोला ldquoबाब जी एक ठो बात बोलना था आपसrdquo

ldquoहा बोलो नrdquo गणशी न गमझ स मह प छत ए कहाldquoद खए इ जत का सबाल ह और इ जत स यादा ह क काम का बात ह इसस

आपको भी फायदा होगाrdquoldquoका इ जत का फायदा रात स तम मह फलइल ह कछ बोलवो तऽ करोrdquoइस बार रो हत एक झटक स बोला ldquoजी उ हमको मोटरसाय कल खरीदना हrdquo

गणशी महतो आल क बोरी सर उठाए कनार कर रहा था पर यह सनत वह बोरी हाथ सछट गई

ldquoका मोटरसाय कल का रो हत का ज रत ह इसका अभीrdquo गणशी रो हत कतरफ दखकर बोला

ldquoद खए बाब ई खरीदना होगा साला कल सपरन भगत का लड़का दपआ बीचबाजार ब जत कर दया बीस आदमी क सामन बोला औकात ह तऽ अपना मोटरसाय कलखरीद क चलाव ई बार आल बच क पहला काम जा क मोटर साय कल खरीदना हrdquoरो हत हाथ म दो-तीन नय आल उठात ए बोला

ldquoअर बटा अब जरा-जरा-सा बात पर मोटरसाय कल खरीदना ठ क ह काrdquo गणशीमहतो न सब समझत ए भी समझात ए कहा तब तक गणशी क साढ क दोन लड़क भीपास आ गए

ldquoका कर ठ क रहगा का मोटरसाय कल लनाrdquo गणशी न जनमत वाल अदाज मउनस पछा

ldquoद खए मौसा आज क टाइम म एक ठो गाड़ी तऽ घर म होना ही चा हए आन-जानका मरजसी म ब त ज रत पड़ता ह गाड़ी काrdquo एक लड़क न रो हत क प म बना फ सलए वक ल क तरह जोरदार वकालत म कहा अब रो हत को मौसर भाइय का साथ मलगया था

ldquoवही तो घर क खा तर ही जोर द रह ह खरीदन का फसल भी मडी ल जाना हो तऽमोटरसाय कल स आराम स चल जाएगा तीन पाकट आल या सरस आराम स जाता हमोटर साय कल परrdquo रो हत न बाइक क घरल और क ष सबधी व भ उपयोग पर काश

डालत ए कहाldquoठ क ह अब हम का बोल एक तऽ इ जत वाला बात आ सरा क जब सब कह

रहा ह क एतना ज री चीज ह तऽ ठ क ह खरीद लना ई आल नकलन दो इसको बचखरीद लना और का बोलगrdquo गणशी न कदाल उठात ए कहा

इतना सनत ही रो हत क चहर पर खशी क लहर हलोर मार उस लाल कर गई उसनमन-ही-मन सपरन भगत क लड़क को परा त कर दया था वो मट ठ भ च नाच रहा थामन-ही-मन

मार खशी क हाथ म दो नय आल उठा उस उछालकर कच करता पदल जब फलागमार खत स नकला तो लगा जस फल और काट फ म म अजय दवगन बाइक स टटकरता नकला ह गणशी महतो हाथ म कदाल लए एकटक उस खत स र जाता दख रहाथा गणशी नणय नह ल पा रहा था क वो अभी या कर बट क इ जत और मन कलाज रख लन क खशी मनाए या कमान स पहल तय हो गए खच पर कलस गणशी नबना कसी न कष पर प च पानी भरी बा ट क पास रख लोट स भर लोटा पानी पयाऔर खत म वापस काम पर लग गया वो कदाल क चोट क साथ अब मोटरसाय कल कोड़क नकाल रहा था

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रोज क सबह क तरह मरारी क चाय कान पर जगद श यादव बजनाथ और बरागी पडीजी एक ही अखबार क अलग-अलग प लए दश- नया क खबर को अपन-अपन वरम पढ़ जा रह थ गाव म अ सर ऐस लोग मल जात जो अखबार को जोर-जोर स बोलकरपढ़त इस लाउड पीकरी स वर पाठ क पीछ उनका एक सामा जक दा य वबोध होता कबाक लोग को बना अखबार पढ़ अ धक-स-अ धक जानकारी मल जाए

ldquoली जए प ढ़ए समाचार नकली ध पकड़न वाला मशीन बन गया हrdquo जगद शयादव न लगभग सबको जाग क करत ए ऊच वर म कहा

ध-दही स सब धत एकदम घरल समाचार को सनत सभी जगद श यादव क तरफदखन लग

ldquoकस पकड़ता हrdquo बजनाथ न लगी उठा पर को बच पर ऊपर समटत ए पछासार लोग मशीन क बार म आग क कहानी जानन को उ सक थजगद श यादव न लगभग मनट भर बड़ यान स बदबदात ए समाचार को पढ़ा और

गभीर हो बोलldquoइसम ऐसा स टम लगाया ह क मशीन को भर बा ट ध म डबा द जए और फर

चक कर ली जए अगर मलावट आ तो लाल ब ी जल जाएगा और ध असली आ तोहरा ब ी मन एक बद भी पानी आ तऽ खटाक लाल ब ी जल जाएगाrdquo

इतना सनना था क मरारी क दोन कान खड़ हो गएउस यह समाचार उसक नजता का हनन जसा लगा था

य क अभी थोड़ी दर पहल ही तो उसन अपन बहद नजी ण म खशी-खशी तीनलीटर ध म दो लीटर पानी फटा था यह बात अलग थी क उसी अधपानी र ध को वोजब मट ट क कतर म घट खौलाता तो उसक स धी खशब सौ फ सद वाल असली ध परभारी पड़ती थी अब उस लग रहा था क उसका यह खास नर ऐसी ही कोई मशीन पकड़न ल एक दन

तब तक लड डन मया भी प च चक थ उसन एक कन खया म कान क साथ मरारीको दखा

मरारी न मह घमा अपनी आख चाय क खौलत पतील क तरफ कर लीतभी खनी का ड बा नकाल बरागी पडी जी न उ सकता क चरम को छत ए पछा

ldquoदाम कतना ह इसकाrdquo

यह सवाल पछत व पडी जी जस गभीरता स सनी रगड़ रह और दख रह थ क लगरहा था अगर दाम ठ क-ठाक रज म रहा तो पडी जी अभी क अभी यह मशीन खरीद नआए

ldquoअ छा य लोहा का ह क अ म नयम काrdquo बजनाथ न मशीन क तकनीक बनावटस सब धत सवाल पछा

ldquo15 हजार दाम ह इसका लोहा कस होगा मद ध म लोहा घसगा तो फट न जाएगाजी ध फोटो दया ह द खए न सब लोग भाई हमको तो अ म नयम भी नह कोनोमजबत फाइबर बझाता हrdquo जगद श यादव न एक अनभवी धातकम वशष क तरहबताया

इन सब चचा क बीच मरारी चपचाप अपन ाहक को चाय दए जा रहा था बीच-बीच म लककर अखबार म उस मशीन क फोटो दख लन क को शश भी कर ल रहा था

आज ऐसा पहली बार था क जब वो अपनी कान पर हो रही चचा म शा मल नहथा वो तो मन-ही-मन बस यह सोच रहा था क कह गलती स भी य मशीन कोई गाव म नल आए साला साला सब लाक हमर ही भगोना म डबो दग मशीनवा को

मरारी इसी अक पनीय भय स मरझाया चाय बच रहा था एक ऐसा भय जसकासभव होना असभव था पर भय तभी तक ही तो भय ह जब तक क कट न हो जाए जब

कट हो ही गया तो फर भय कसा फर तो सामना करना होता ह व सग प क पछ और लबी ई जा रही थी क तभी गणशी वहा साय कल लए प चा

गमझ स पसीना प छ सबको राम राम कयाldquoका गणशी दादा आल कोड़ा गयाrdquo दखत ही बजनाथ न पछाldquoहा बजनाथ आल तऽ मोटा-मोट कोड़ लए बड़ा खटनी हो जाता ह अकल ई

कसानी पार नह लगन वाला अब अब तऽ न जन मज र मलता ह न ही स ता खाद बीजसाढ क लड़का को पकड़ क लाए तब जा क आल नकाल कोड़ कrdquo गणशी न ऊघतीआवाज म कहा

ldquoअर त हरा लड़कवा भी तो हrdquo बरागी पडी जी न साथक सवाल दागाldquoआजकल क लईका-ब चा खत म जाना चाहता ह का पडी जी हम भी बोल क

छोड़ो भाई पढ़ा- लखा क काह आल कोड़वाए खत म हम तो चाहत ह पढ़- लख कहछोटा-मोटा भी नौकरी पकड़ ल तो ई कसानी स जान छट अब कसानी म कछ रखा नहह पडी जी ऊपर स हमर लड़कवा का सगत भी एतना हाय-फाय हो गया ह क अब उससकदाल-खरपी छअल भी नह जाता हrdquo गणशी न दा तान-ए- कसानी और क सा-ए-बटासनात ए कहा

इतना सनत ही बरागी पडी जी का भी बरा य फट पड़ा जसldquoहा ठ क कह गणशी नया जग का लड़का पराना काम नह करना चाहता ह भाई

हमारा लड़का भी बोला क पजा-पाठ का धधा नह होगा हमस बताइए ा ण क स कार

को धधा कहता ह हम भी बोल क जाओ साला जब ल हम ह धम-कम नभा दत हलड़का को जो सरा काम-पानी दखना होगा दखगा इतना जजमानी कोई नह सभालनवाला जाएगा य सब का करग कपार पीट कrdquo बरागी पडी जी न भी अपना दद साझाकरत ए कहा

ldquoचाय पीना ह का गणशी दाrdquo जगद श यादव न अपनी ओर स धीमी आवाज मपछा

गणशी तक शायद आवाज नह ही प ची थीएक लबी सास लए गणशी अब अपन आन क योजन पर बोला ldquoअर स नए न सब

लोग हम एक सलाह लन आए ह आप लोग स हो ई हमारा लड़कवा जद कर दया ह एकठो मोटरसाय कल वा त अब ई बताइए कौन कपनी क गाड़ी ठ क रहगाrdquo

ldquoबड़ा तगड़ा आल आ ह अबक गणशी चाचा कrdquo बड़ी दर बाद हसत ए बोलतादखा मरारी

गणशी पहल तो जरा-सा झपा और फर हसत ए बोलाldquoअर नह मरारी उ कल लड डआ क बड़ा बज ी कर दया सकदरपर क कछ

लड़का सब सपरन भगत क लड़कवा ह कोई उह कह दया क अपना गाड़ी खरीदन काऔकात नह ह तऽ सर क मोटरसाय कल पर काह चढ़त हो सरा कऽ गाड़ी प फटानी नकरो यही सब उ टा-प टा खब बोला ह अब एतना भी बज ी कोई सहगा हो खाना-पीनासब छोड़ल ह घर म लड़कवा हमार हम बोल चलो खरीद लो भाई पसा साला इजत स बढ़क थोड़ ह गाड़ी भी घर- आर क काम ही तऽ आएगाrdquo

ldquoओ हो तो ई बात ह एकदम एकदम खरी दए साला काम ताम छो ड़ए साला जबइ नह रहगा तऽ पसा जमा करक का होगा चाचा जान ली जए फसल एक बार खराबहो जाए तऽ अगल साल फर उग आएगा ल कन इ जत एक बार खराब हो गया तऽ बारानह ठ क होता हrdquo मरारी न जोरदार समथन कर इ जत क मह व को जस आ ामकअदाज म सनाया क गणशी महतो क खली मट ठ बध गई

दन भर गाव म इ जत क एक श द सनन को तरस जान वाल गणशी को सभी नमल आज इ जत क मोटरसाय कल पर चढ़ा दया था मरारी क च ह स नकल कोयल कधए क आख म जान क बाद भी गणशी न पलक नह झपकाया उसक आख म अबइ जत बचान का मशन था उस अपन नणय पर भतर-भीतर भयकर फ होन लगा थाअदर खशी थी और बाहर चहर पर मोटरसाय कल खरीदन क गभीरता

वहा बठ सभी लोग न इस मद द प अपना खला समथन द गणशी क मोटरसाय कलखरीदन क नणय को एकदम सप कर दया बरागी पडी जी न तो परा इ जत पराणबाचत ए बकायदा कई धा मक सग कह क कस कल क मयादा और स मान हत कतनदवता और महाप ष न भी सब कछ दाव पर लगा दए थ कतन याग और ब लदानकए यहा तो गणशी का काम बड़ स त म नपट जाना था

कवल एक साल क आल क फसल क ही तो बात थीइस महगाई क जमान म भी मा तीस-चालीस हजार म कल क मयादा बच जाए और

या चा हए एक आम आदमी को अब गणशी बट स यादा उतावला हो चका थाldquoय बताइए आप लोग क कौन गाड़ी ल स ता म ब ढ़या बताइएrdquo गणशी न अधीर

होकर पछाldquoबजाज ली जए बजोड़ अभरज हrdquo बजनाथ न तपाक स कहाldquoअर भ क एकदम नह गाड़ी साल भर म झनझना जाएगा खटहरा हो जाएगाrdquo

मरारी न बतायाldquoआख मद क हीरो ह डा ली जए आप जब चा हए बच द जए पौन दाम म बकगा

रसल भल ब त ह हीरो ह डा काrdquo ब त दर स खनी रगड़ रह लड डन मया न खनी गणशीक तरफ बढ़ात ए कहा

लगभग सभी का जोर इस बात पर यादा था क कौन-सी कपनी क गाड़ी लन कबाद उस बाद म बचन पर दाम ठ क-ठाक मल जाएगा असल म गाव क दश भारत ममानसन भारतीय क ष क साथ जआ ह यह बात ऐस ही नह कही जाती यहा कब कसवष का मानसन कसान को मोटरसाय कल खरीदवा द और कस बार खरीदा आ बकवाद कोई नह जानता शायद इस बात क एक वाभा वक समझदारी गाव क कसान मज र या छोट-मोट कामगार क दमाग म वतः घसी ई थी

कल- मलाकर हीरो ह डा क सीडी डॉन बाइक का खरीदना तय कर दया गया यहमत सवस म त स पा रत कर दया गया क ज द-स-ज द बाइक खरीद सकदरपर जासपरन भगत को खबर कर जवाब द ही दया जाए सपरन भगत क व नदा ताव कोस ल ट करन क लए सबक लए गणशी क तरफ स चाय का ऑडर दया गया

सभी अभी चाय क कप पकड़ ही थ क घर-घर करती एक काली राज तमोटरसाय कल ठ क कान क सामन खड़ी ई

जगद श यादव न अदब स उठकर णाम कया बाक लोग न भी अ भवादन कयायह कामता साद थ हाई कल म इ तहास क श क थ अभी भी गाव क समाज म

श क क लए एक वशष स मान का भाव बचा-खचा था उसम भी कामता बाब तो पढ़-लख श क म थ अ सर लोग चचा करत डबल एमए कए ह

इसस पहल बस हाल ही म सकदरपर क ाइमरी कल स धाना यापक क पद सरटायर ए च भषण बाब क बार म ही कहा-सना जाता था क डबल एमए ह

गाव-दहात म अ सर ठ क-ठाक पढ़ और नातक नातको र कर लए आदमी कसाथ डबल तो अपन-आप ही जड़ जाता था

यह लोग एक बार एमए करन क बाद फर सरी बार एमए य करत थ यह रह यकोई न जान पाया था न कोई पछता था उनस यह भी एक सयोग ही था क ऐस अ धकतरव तजन बस कल स लकर जला कायालय म करानी तक क ही पद पर पाए जात थ

ऐस लोग को अ जी का भी थोड़ा इ म होता था यह लोग अ जी भल न बोल पाएपर अ जी ामर पर पकड़ का इनको भयकर आ म व ास होता था और यही बात इनकोगाव-समाज म वशष थान दला दन क लए काफ थी

जट टस पा ट टस और यचर टस का इ तमाल कर ासलशन बनान क इनकपकड़ उतनी ही मजबत होती थी जतनी गद को पन करान म अ नल कबल क

इन सब यो यता स लस कामता बाब कई वषय क ाता थ भल एक हाई कल मश क ह पर दश- नया क तमाम खबर म च रखना और पढ़ना उनक आदत म थाएक प और एक प ी क पता कामता साद न अपन ब च क श ा पर खास यान दयाथा

पढ़ाई- लखाई क त इसी सजगता का नतीजा था क उनका बटा शखरराजनी तशा म एमए करत ए द ली क एक स मा नत व व ालय म पढ़ रहा थाऔर बट व ा बनारस क कसी व व ालय म

ldquo णाम सर आइए ब ठए बड़ा ज द नकल दए ह कहा का जतरा हrdquo जगद शयादव न खड़-खड़ ही पछा

ldquoअर णाम णाम ब ठए सब अर का बताए यादव जी उधर कछ दन वाइफ कइलाज क लए द ली चल गए थ इधर साला जला श ा अ धकारी घस गया कल औरअपसट मार दया हमारा कायवाही क लए भी लख दया अब वही खबर भजवाया हक आ क साहब स मल सब क लयर कर ली जए ज द नह तो बाद म बात बढ़ा तोयादा खचा हो जाएगा नौकरी का तीन-चार साल बचा ह नह चाहत ह क कोनो दाग लग

ला ट-ला ट मrdquo कामता बाब बच पर बठत ए बोलldquoआपका रकाड बदाग रहा ह सर खद अ धकारी कया होगा का डबल एम वस ई

जला श ा अ धकारी भला आदमी ह सर जसा क हम सन ह पसा भी जनवीन ही लताह तग नह करता ह एक-दो मा टर साब तो 6 महीना अपसट मार क भी मल थ इनसबचारा क लयर कर दया नह कया तगrdquo जगद श यादव न एक भल अ धकारी कपरोपकार का क सा सनात ए कहा

ldquoहा अब भाई फस ह तो दना ही होगा चाह अ धकारी जसा हो खर और का हालहो गणशी लाल इटर तऽ पास कर गया न बटाrdquo कामता बाब न गणशी क तरफ दखत

ए इ जत और बाइक क चचा स इतर अपन मजाज का सवाल पछाldquoहा मा टर साब आप सब क आशीवाद स इटर कर लया पछल ह साल बार म

कया ल कन कर लया अभी तऽ उसी का चचा हो रहा था एक मोटरसाय कल खरीदनका जद कर दया ह उसी खा तर थोड़ा जानकारी क लए आए थ यहाrdquo गणशी न अपनल य और योजना पर स बना हल-डल कहा

ldquoवाह च का लग गया त हर भी बटा को आय हा दखत ह हरदम घमता रहता हकछ हीरो लड़का लोग क साथ ई सब तो ठ क ह गणशी लाल ल कन पढ़ा- लखा लो बटा

को बड़ा म कल स तो आज कोई कसान मज र गरीब-ग आ का लड़का पढ़ लख पारहा ह अगर कछ पजी ह तो पढ़ाई म लगा दो एक बार लगाओग तो जीवन भर लाभपाओग श ा स यादा म यवान कोई फसल नह ह गणशीrdquo इतना कहत ए कामताबाब अपनी मोटरसाय कल तक प च चक थ सबन तब तक चाय पी ली थी गणशी कगलास म चाय आधी बची रह गई थी वो एकटक मोटरसाय कल स जात कामता बाब कोदख रहा था उनक ओझल होत उसन बची ठडी चाय एक बार म गटक और खाली कपबच क नीच रख अपनी साइ कल ली और चपचाप नकल गया श ा सबस म यवानफसल ह यह अभी-अभी जाना था गणशी न ल कन अब करता भी या बचारा एक हीजमीन थी और उसम वो मोटरसाय कल बो चका था

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शाम खत स काम नपटा गणशी महतो आज ज द ही घर प च चका था बरामद परकदाल-खरपी रख बा ट स पानी ल पहल मह हाथ धोया तब तक प नी रमनी दवी कोआवाज लगा चाय बनान को बोल दया

ldquoका बात ह अभी तक रो हत नय आया ह का घरrdquo गणशी न अदर घसत इधर-उधरदखत ए कहा

ldquoनय उसका अभी टाइम कहा आ ह नौ बज स प हल क हया घसा ह घरrdquo प नीन चाय छानत ए कहा

ldquoअ छा कोई बात नह ऊ उसका मोटरसाय कल खरीद दग गाव म भी सबस पछसब बोला खरीद दन म ही ठ क ह माल-दाना ढोन म काम आएगा आजकल ब त ज रीह घर म एक ठो गाड़ी रहनाrdquo गणशी न अदर आगन क मोख पर बठत ए कहा

गणशी न मोटरसाय कल खरीदन क पीछ अपनी इ जत और मयादा वाला कारणप नी को नह बताया बताता भी भला कस पछल दो साल स इ जत क खा तर ही तोप नी न घर म शौचालय बनवा दन को कहा था पर आज तक गणशी स यह हो न सका

रमनी दवी न कई बार कहा था क रात- बरात हरदम बाहर जाना पड़ता ह सबह खतजाओ तो लाज लगता ह कल क दन घर म ब आएगी तऽ ऊहो का ऐस ही खत जाएगीकाम भर क खान-पीन का फसल हो ही जाता ह या घर म एक ठो लट रग म नह बनसकता गरीब और कसान घर क औरत का इ जत-पानी नह ह का एक दन रात कोबलसर क पतोह को -चार लफआ मोटरसाय कल क लाइट मार रहा था बचारी कस इ जत ढक भागी काह नह बनवा दत ह घर म लट रग म खाली साड़ी स मह ढक सइ जत बनता ह का जब बाक सब कछ उघार हो

गणशी कई बार यह सब सन चका था और इसी बात पर कई बार रमनी न गम तावाउठाकर आगन म फका भी था सो गणशी न इस बात का यान रखा था क मोटरसाय कलक पीछ जो इ जत वाली बात ह वो छपी ही रह वना हाथ म मली गम चाय कह दह परगरी न मल

गणशी न चाय पीकर गलास नीच रखा ही था क दरवाज पर कसी मोटरसाय कलक आवाज सनाई द

ldquoरो हत आ गयाrdquo गणशी न आर क तरफ दखत ए कहाआज रो हत साढ़ सात बज ही घर प च चका था भला आज उसका या मन लगता

बाहर घमन म आज तो वो इतनी उ सकता स घर घसा था जस कोई म क का परी ाथ

अपन प रणाम जानन क लए कल म घसता हldquoक था मोटरसा कल परrdquo गणशी न पछाldquoमदन भया थ मदन बाबा बीचवा टोला वालrdquo रो हत न जता उतारकर चौक क

नीच फकत ए कहाldquoमदन बाबा क जगदा बाबा क लड़का ऊ तऽ तम स ब त सी नयर ह र उसस

कसा दो ती त हाराrdquo गणशी न महीन म कान म त आ य स पछाldquoहा ऊ जगदबा लाइन होटल म मदन बाबा भी आत-बठत ह साथ खाना-पीना भी

होता ह वह स हो गया ह दो तीrdquo रो हत न शट उतार खट पर टागत ए कहाldquoजगदबा लाइन होटल ऊ गाव क परब वाला का अर ऊहा तऽ फकन बाब उठत-

बठत हrdquo गणशी क मह स नकलाldquoहा फकन चाचा तऽ रोज आत ह वहा ऊ लोग का तऽ इसपसल बठक बना ह

पछवाड़ म वहा अलग स टबल-कस लगा आ ह वह खात-पीत ह अपना ऊ लोग हमलोग स कोई मतलब नह हम लोग तऽ बाहर बठ अपना मगा-ऊगा खाए और नकल एकदन तऽ हमको पछ भी फकन चाचा का रो हत का हाल ह र हम बोल दए एकदम ठ क हचाचा एक दन तऽ डायर ट हमको बलाए और मोटरसाय कल क चाभी द बोल जाओचौक पर स हमरा नाम बोल क एक ठो बोतल लत आओ हम जब बोल क चाचा हममोटरसाय कल चलान जानब नह करत ह तऽ हसन लगrdquo

रो हत न इस तरह परा जगदबा पाठ करक सना दया था गणशी कोइतन म रमनी दवी स रहा न गया वो च ह स रोट सकत वह स बोली ldquoतम दा

लाक दता ह र लोग को करमज आ साला पीता-खाता ह का रrdquoयह सनत ही गणशी बचाव म कदाldquoअर चप रहो ई काह पएगा अब फकन बाब बोल दए तऽ का करगा ई बचारा

उसम वस भी सह प रवार सबस बोलाबाजी करता ह या सबको नह टोकता ह फकनबाब आज तक हम लोग सामन खड़ा हो बात नह कए उ तऽ रो हत क उठना-बठना हपढ़ाई- लखाई ह क ई सब दख क बोल भी दए दा लान नह तो उसक पास आदमी काकमी ह का बोतल लान क लएrdquo

जगदबा लाइन होटल क सारी कहानी सन गणशी को अपन रो हत पर सा ातजगदबा का आशीवाद मला तीत हो रहा था मदन बाबा जस उ चकलीन म पान सलकर फकन बाब जस दबग स रो हत क हलमल न गणशी को अहसास करा दया था कनया जमाना रो हत जस नौजवान का ही ह जो खत न जाकर लाइन होटल जाता ह रो हतइतनी ज द सामा जक सोपान क सीढ़ चढ़ जाएगा यह गणशी न नह सोचा था

मदन बाबा अपन स घर छोड़न आ रह ह फकन सह दा मगवा रह ह एक छोट-मोट कसान क बट को और या चा हए धीर-धीर लड़का अब तो आग ही बढ़गा न गणशीको आज आ म ला न भी ई क उसी क वजह स बट क र तार थोड़ी धीमी ह अगर

समय स मोटरसाय कल खरीद द होती तो लड़का और तजी स आग बढ़ता या पता कलको फकन सह को भी अपनी मोटरसाय कल पर बठाकर घमाए गणशी न कछ ही मनटम मन-ही-मन म अपन प हत दा -मगा-मोटरसाय कल समत एक मनोहरी भ व य काच ख च डाला था आगन म बठ-बठ

रमनी दवी न जब उसक सामन खान क थाली रखी तब जाकर यान टटा गणशी काउधर चौक पर रो हत अपन खान क थाली लए बठ गया था

अब बारी सबस मह वपण बात करन क थी गणशी महतो न पहला नवाला मह मडालत ही रो हत स पछा ldquoतब कब लना ह मोटरसा कलrdquo

रो हत तो यही अमतवाणी सनन को बचन था तभी सldquoआल आज प च गया मडी या दाम मल गयाrdquo रो हत न एकदम ज मदार प

क भा त एक साथ दो ज मदारी भर सवाल पछ गणशी सldquoऊ सब छोड़ो ऊ पसा आन म ह ता भर दर होगा हमर खाता म ह

काम भर पसा तम जाक कल ही खरीद लाओ अभी पसा ह खरीद लो दर करोग तऽ फरसर काम म न ओझरा जाएrdquo गणशी न उस सारी ज मदारी स म करत ए कहा

रो हत तो यह सनत जस रोट हवा म लहराकर मह म डालन वाल मड म आ गया थाldquoठ क ह बाब जी आप बोलत ह तो कल ही जा क ल लत ह चता एकदम मत

क रए हम आज बोल क भी आए थ सबको क कल स परस तक म औकात दखा दगसपरन भगत क बटा कोrdquo रो हत न पता को चता स म दत ए कहा

ldquoसनो हीरो ह डा क लना ह सब वही बतायाrdquo गणशी न अ तम नवाला मह मडालत ए कहा

ldquoहा उसी का लग इसपलडर आता ह एक इसका फर बचन पर भी अ छा दाम मलजाता हrdquo रो हत न अपनी ावसा यक समझदारी क त आ त करत ए कहा

ldquoहा वही वही तमको तऽ सब पता ही ह वस एक बार खरीदा चीज बचना थोड़ हमदन बाबा को भी साथ ल लना भोर हम जा क बोल आएग मदन बाबा सrdquo गणशी नखान पर स उठत ए कहा

खाना खा बाप-बट दोन सोन चल गए आज दोन अपन-अपन सपन क नया मखोन सोन जा रह थ चौक पर सोया रो हत जहा बाइक उड़ात ए मलखानपर ससकदरपर बाजार क सर पर था वह ख टया पर लट गणशी महतो पड़-पड़ अपन बकखात का नबर याद करन क को शश म था वह यह भी याद करन क को शश कर रहा थाक मोटरसाय कल खरीद लन क बाद कतना पसा बच जाएगा खात म या कछ बचगा हीनह गणशी महतो न द म था सपन म रह-रह बक खाता आता और जाता जदगी वाबम भी हसाब कर रही थी

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सबह करीब सात बजत गणशी महतो अपनी साइ कल उठा जगदानद म सर क घर प चचका था जगदानद म सर गाव क बीचवा टोला क रहन वाल थ ई र क अनकपा सइनको दो र न क ा त ई थी बड़ा बटा वनोद नोएडा म कह जॉब करता था और छोटामदन गाव म ही मदन बाबा क प म घर-समाज क सवा म लगा था परानी खती-बाड़ी भीथी खद स चवालय म बड़ा बाब स रटायर ए थ गाव म खब स मान था इनका रोजसबह अपन बरामद म बठ नौकरी क दन का रोमाचक क सा सनात तो सनन वाल दो कपचाय पीन तक उनक हर क स पर उछल-उछल वाह करत व बतात क कस बड़-बड़ऑ फसर क फाइल भी उनक टबल पर पानी मागती यह क सा तो वो लगभग रोज सनातक कस एक बार सन 1992 म उ ह न रा य क सबस बा बली म ी क फाइल भी रोक लीथी च क सनन वाल को चाय मलन क गारट थी इस लए आज तक कसी न उनस यजायज सवाल नह पछा था क आ खर वो ऐस कौन स महाबली क पद पर थ जहा हर

भावशाली नता-म ी और आला ऑ फसर उनस पनाह मागत थ कसी न यह जाननाज री नह समझा क स चवालय का करानी कस यग म इतना श शाली रह चका हजतना अ ज जमान म गवनर जनरल

गणशी न प चत ही दखा जगदानद म सर अपनी चौड़ी-सी चौक पर बठ खल बदनपर सरस का तल घस रह थ पट क बीच बीच सफद जनऊ जो अब भर रग का हो गयाथा वषवत रखा क तरह पट को दो भाग म बाट रहा था और उसक नीच क कोर म एकबड़ी-सी लोह क चाबी बधी ई थी चाबी क आय कह स भी जगदानद म सर क आयस कम नह लग रही थी चाबी का वहत आकार बता रहा था क वो म सर जी क कसीप तनी ब स क चाबी थी पर उस पर पड़ गए पील दाग स यह भी साफ दख रहा था कपरानी चीज पर अब धीर-धीर जग लगन लगी थी चाह वो चाबी हो या प तनी परपरा चाहकछ भी हो पर जगदानद म सर न जान कई दशक स यह चाबी जनऊ स बाध लटकाए रखथ कई बार सोत व यह चाबी पट म पीठ म चभ भी जाती थी पर उ ह न इस जनऊ सनह खोला असल म यह बस जनऊ और चाबी भर क बात थोड़ थी यह तो परपरा कडोर स बधी वरासत लटक ई थी

इधर गणशी न करीब जाकर पहल जगदानद म सर को दोन हाथ जोड़ लगभग डढ़फ ट गदन को नीच झकाकर णाम कया जगदानद म सर आज भी वहा पहल स बठबजनाथ मडल और उसक सग आए एक और र तदार को अपना सरकारी कारनामा सनारह थ गणशी क णाम पर उ ह न एक नजर उसक तरफ दखा और उस हाथ स बठन काइशारा कर अपन रौ म चाल रह जगदानद म सर अब यादा स ता क साथ क सा

सनान क मड म आ गए य क ोता वग म गणशी क वश क साथ ही स या बढ़कर तीनप च गई थी पछल घट भर स जगदानद म सर कसी मद द पर सनाए जा रह थ उसीसदभ म कसी बात पर बजनाथ मडल बोला

ldquoआजकल खाली खती पानी और जम दारी स जदगी नह चलता जगदा बाबा ऊजमाना चला गया जब आधा कलो सतआ खा क दन भर खट लत थrdquo

ldquoअर हा एकदम हमार ही घर दखो न ऊ तऽ हमारा सरकारी नौकरी था फर वनोदाइवट म पकड़ लया तऽ जाक अभी भी डाउन नह ए ह ओतनाrdquo जगदानद म सर न

ढहती जम दारी को ाइवट सहारा दत ए कहाldquoल कन एक बात ह जगदा बाबा ई आर हमशा अ -ध स भरा रहा हrdquo गणशी न

अपनी उप थ त याद दलान क लहाज स कहाldquoअर अब तऽ तनी कम हो गया ह थोड़ा खत-बाड़ी भी बच दए नोएडा म फलट

खरीदना था वनोद को कछ पसा दए खत क हटा क आ खर का होगा यहा पड़ल जमीनका एक जमाना था ई साला परा हाता ग चना और सरस स भरल रहता था खद गणशीस ही पछो न एकर तऽ बाप भी हमार यहा काम कया ह ईह का खा क मरा बचाराबढ़वाrdquo गणशी न म करात ए अपन पता क इ तहास पर सहम त म सर हलायाबजनाथ मडल अभी सर सरी तरफ घमाए कछ दख रहा था क तभी जगदा बाबा नइ तहास का एक और प ा पलटा

ldquoअर ई बजनथवा का बाप भी हमर यहा का गाय-बल दखना चारा-पानी दना सबसन मडल ही तऽ करता था बड़ा सीधा आदमी था बचारा तोर बाप र बजनाथ

आजकल वही काम करन का 100 पया रोज मागता ह मज र पर सन को जो दद जए सतोष करता था पाच-पाच कलो धान म भी खश था बचारा बड़ा सरल आदमीथाrdquo जगदानद म सर न इ तहास क पता हरोडोटस क तरह हर प खोल क रख दए थहाल यह था क अभी सामन स जो भी गजरता तय था क उसक भी बाप को यह इ तहासम अपन यहा काम कया आ बता दत बजनाथ मडल तो यह सोच रहा था धर र सालाकस म त म नकल थ घर स

आपस म अ सर गाव म इस तरह क बात चलती रहती थ पर आज का मामलार तदार क सग रहत हो गया था तो थोड़ा लजा गया था बजनाथ कहा तो वो अपनर तदार क सामन जगदानद म सर को अपन खास भाई-बध जसा बता उनक यहा ल गयाथा और यहा तो जगदानद म सर न मा लक-नौकर का गौरवशाली इ तहास बाच बजनाथ कवतमान को पानी-पानी कर दया था असल म उसक र तदार को स चवालय म कसीछोट-मोट काम हत कछ जानकारी चा हए थी इस लए बजनाथ उस जगदानद बाबा क यहाल गया था पछल एक घट स जगदानद बाबा लगातार अपन कारनाम और अनभव सनातजा रह थ अभी तक बजनाथ और उसका र तदार अपनी बात नह रख पाए थ जसकलए व गए थ अपनी ओर स जगदानद बाबा न उनको मनट भर का भी गप नह दयाजसम व अपनी बात बता भी सक और न खद उनक आन का योजन ही पछा बगल म

गणशी महतो क चकमक बठा था चपचाप दोन को या पता था क आज जगदा बाबाइन दोन क बाप-दादा का उ ार करक छोड़ग अचानक बजनाथ को लगा क अब जगदाबाबा बाप स आग बढ़ दादा क इ तहास पर काश न डालन लग जाए उसन झट स खनीक ड बी नकाली और चचा का मह जगदानद बाबा क तरफ मोड़त ए पछा ldquoअ छाजगदा बाबा आजकल मदन बाबा का या हाल ह नौकरी-चाकरी क चास ल रह ह कनह rdquo

ldquoमदन अपना मगन ह बीए कर लया ह ऊ भी दशनशा जसन हाड वषय समन हमको नह लगता ह क इलाका म कोई होगा ई सबज ट स बीए कया आ बारटट कपट शन म भी बठ गया ह बाभन का ब चा ह सो ई जमाना म आसानी स तऽ न हएमलगा न नौकरी ऐतना जात-पात घोटाला और ऊपर स आर ण द कत ह थोड़ाल कन ई जान लो बजनाथ मदना म दमाग क कमी नह ह बस थोड़ा थर हो जाए तऽएतना बाधा म भी बाजी मार दगाrdquo जगदानद बाबा न पहल क अप ा कम होत उ साह कसाथ कहा

ऐसा होना वाभा वक भी था य क आदमी को जो आनद अपन गौरवशालीइ तहास को सनान म आता ह वो मजा वतमान का सघष बतान म तो नह ही आता हजगदा बाबा जब तक अपन परान खती-बाड़ी बाप-दादा और अपन कारनाम का क सासना रह थ तब तक ब त तज था उनक वाणी म ल कन अब बात जब आज पर हो रही थीतो आवाज थोड़ी म म-सी हो गई थी उनक

जगदानद बाबा क मह स टट कपट शन श द सन बजनाथ को कछ याद आया उसनदमाग पर ह का-सा जोर दया और उसक मह स नकला ldquoऐ जगदा बाबा आप सन ह कनह सन क डोमा गाव का कोई ह रजन का लका ह अबक बीडीओ बना ह अब सबजात पढ़न लगा ह ल कन महनत करगा तऽ डोम चमार हो या ठाकर बाभन सब बराबरहो रहा ह अब नौकरी-चाकरी का आर सबक खा तर खल गया ह ह क नह जगदाबाबाrdquo

जगदानद म सर यह सन पहल तो मनट भर चप रह सरस तल क कटोरी म तजनीउगली डबोया और सर ऊपर करक नाक म चार-पाच बद टपकाया फर जोर क छ क कसाथ धोती क कोर स मह प छा और एक ह क -सी अटक ई म कान क साथ कहा ldquoऐबजनाथ एक बात बोल कोई बीडीओ बन जाए चाह कल टर नौकरी तऽ पा लगाल कन स कार स कार कहा स पाएगा जी ऊ आज भी हम लोग क पास ही ह समझअर लाख नौकरी कर ली जए ल कन स कार नह तऽ समझो आदमी कछ नह और यह भीजान लो क स कार कोनो कॉलज या कल म नह मलता ह न इसको आर ण स पा लगाकोई ई सब खानदानी चीज होता ह मद ई जनऊ दख रह हो न इसको खाली सतली औरधागा नय समझना बाब एक-एक धागा म एक-एक ठो बद गथा आ हrdquo

गणशी बजनाथ और उसक र तदार क नजर अपन आप जगदा बाबा क भर पील होचक जनऊ पर जा टक थ इन तीन न कभी वद को आख स दखा नह था आज सीध

जनऊ म गथा आ जान उस दखना चाह रह थ पर उनको कछ दखा नह उनको शायदसमझ आ गया था क इतनी महीन बनावट दखन क लए जस द क ज रत होतीह वो साधारण लोग क पास कहा स होगी

इधर जस समय जगदा बाबा स कार पर अपन वचन का धागा खोल जा रह थ ठ कउसी समय उनक चारद वारी क ठ क बाहर एक आदमी खड़ होकर सब लपट जा रहा थालगभग प ह-बीस मनट स वो आदमी ओट ल सब कछ सन जा रहा था जगदा बाबा नअपनी बात ख म ही क थी क बाहर स एक जोर क आवाज आई ldquoअर बाबा णाम अहोबाबा जरा हनमान जी क चबतरा पर स अपना स कार को उठा लाइए एतना भर गया हक ओभर लो कर रहा ह वहा स कार मदन बाबा जदाबादrdquo

बात परी कहत-कहत बोलन वाला आदमी वहा स कछ र नकल भी चका था यहआवाज सनत ही सभी हड़बड़ाकर द वार क तरफ मड़ जगदा बाबा न चौक पर खड़ होचारद वारी क बाहर क तरफ दखा तो बोलन वाल को पहचान गए वस आवाज स भीसबन उस पहचान ही लया था

ldquoअर साला चोट टा क ा साला बर चया र साला गजड़ी पागल हमरा स कार दखगातम र एतना औकात हो गया र हरमजादा सालाrdquo बोलत-बोलत जगदा बाबा का शरीर

ोध स हल रहा थाह ठ स दबी खनी बाहर आ गई थी चौक स उतर उ ह न बरामद पर ही खट पर टगी

कमीज उतारी और उस पहन चारद वारी स बाहर आए साथ म गणशी और बजनाथ औरउसक र तदार भी हो लए

हनमान जी क चबतर पर प च दखा क वहा मदन म सर बरगद पड़ क नीच लढ़कपड़ ह मह स लार गर रहा ह और उ ट हो चक ह उठकर चला नह जा रहा था पर इतनीआख खली थी क सामन खड़ लोग को पहचाना जा सक मदन बाबा क साथ दो औरनवयवक भी थ जो हर सप काय म और कोस म मदन बाबा क अन य सहयोगी थ परजगदा बाबा को हनहनाता आ आता दख वहा स सरक लए थ

मदन बाबा क हालत दख गणशी चबतर पर रखी बा ट मग लकर बगल क चापानलस पानी लान दौड़ा मदन बाबा पर दो-तीन मग पानी डालन क बाद वो थोड़ ग त कअव था को पकड़न लायक हो चल बजनाथ न मदन बाबा क शट पर लगी उ ट को पानीस साफ कया उ ह पकड़कर अब चलन खा तर खड़ा कया गया इन सब क दौरान इतनीदर जगदानद म सर एकदम चप सफ चार कदम र खड़ एकटक बट को दख जा रह थहाथ म गमछा चाबक क तरह लटक रहा था चहरा था तमतमाया आ और दात क पीसनक रगड़ वाली आवाज आ रही थी

ldquoकोय चता क बात नह ह ऊ खाली पट ताड़ी पर गाजा लन स हो गया ह थोड़ा-साब ढ़या-ब ढ़या स बरदास नह होता ह क बो-क बोrdquo बजनाथ न मदन को खड़ा करत एअपन अनभव क हवाल स कहा

तब तक गणशी भी एक तरफ का हाथ थाम मदन बाबा को ल आग बढ़न लगाजगदानद म सर न अपनी जगह स ही खड़ कवल गदन घमाई ldquoहाय र कल कपत सबनाश कर दया र बताइए साला कौन कहगा ई बाभन का ब चा ह बताइए ई जगदानदम सर का औलाद का स कार ह सब माट म मला दए साहब जस घर म लहसन-पयाज नह चढ़ता था पचास बरस पहल ऊहा लड़का दा -गाजा पी क उलट रहा हrdquoजगदानद म सर एकदम बफर पड़ थ उनस अबक रहा न गया अचानक पीछ स दौड़करगए और गमछ का कोड़ा बना तीन-चार बार मदन क गदन पीठ और सर पर द माराकपार पर कोड़ा पड़त ही मदन बाबा को ह का होश आया मदन बाबा चबतर पर अपनाछटा आ गमछा ल आन क लए बड़बड़ान लगा ldquoऐ बाब जी जरा हमरा गमछा लली जएगाrdquo बजनाथ क र तदार न मदन का गमछा उठाया और इधर बजनाथ न जगदानदम सर को पकड़कर थोड़ा शात कराया

ldquoशात जगदा बाबा शात अर होता ह थोड़ा-सा पीना-खाना गाव म भला कौन नहखाता-पीता ह अर थोड़ा कम और थोड़ा बसी यही नrdquo

बजनाथ न वह चबतर क पास ही जगदानद म सर को हाथ जोड़ समझात ए कहाldquoबस यही तो बात ह साला ई गाव का स कार ही ख म हो चका ह यहा सोना भी

पीतल होई जाए मन बताइए साला जगदा म सर का लड़का ई हाल बनाएगा सोच भीनह सकत ह सब साला गाव क राड़-चहाड़ का काम ह सगत म ल जाकर बगाड़ दयासबस बड़ हरामी तऽ ऊ बर चया ह ऊ साथ पलाया होगा और दखो उलट हमर आर जाहम को खबर सनाता हrdquo जगदा बाब न गमछा चबतर पर पटकत ए कहा

अभी थोड़ मनट पहल जब जगदा बाबा मदन को स टा स पीट ग रया रह थ उस वएक सहज बाप बोल रहा था अभी जब वो अपन बट क बगड़न का मल गाव क भटकस कार म खोजन लग थ तो असल म अभी बाप क प म सजग कल र क बोल रहा थाजनका मानना होता ह क उनक उ च स कारी कल-खानदान खद नह बगड़त ब क वतो कसी गाव समाज क सग ठत षड़य स बगाड़ जात ह जसा क आज जगदानदम सर बता रह थ जगदानदा म सर एक तरफ स गाव क सभी ात-अ ात गज ड़य कानाम ल उस जबानी ग रया-ग रया सलटाय जा रह थ इसी दौरान दवगत हो चक कछपरातन पय कड़ और गज ड़य का नाम ल उ ह भी गाली भरी ाज ल दए जा रह थजो उस हनमान जी क चबतर वाल गाजा पट ट क थापना करन वाल श आती सद य मस थ

हनमान जी का चबतरा उ र भारत क लगभग सभी गाव म सामा यतः दख ही जाताथा अ सर गाव क लोग यहा ताश-लडो खलत नजर आ जात थ हनमान जी कध पर गदालए चपचाप अपन सामन यह खल होता दखत बीच-बीच म चबतर पर बठ लोग आपस महसी-मजाक गाली-गलौज करत जस हनमान जी को इ नोर ही करना होता आदमी कबीच रहन म इतना तो दवता को भी सहना ही पड़ता गाव क लोग भी ऐस वाल हनमान जीस कछ खास नह मागत थ यहा आज तक क कसी व ाथ को आईएएस

आईआईट या च क सक बनन खा तर मनौती मागत नह दखा गया था न ही कसीखया को प ा त क लए असल म इतन ावहा रक सोच वाल भ भारत क गाव म

ही पाए जा सकत थ जनका मानना था क जब हम हनमान जी को दन भर म एक बताशाभी नह दत तो बदल म बचार स माग ही या

ऐस हनमान उपयोग म बस तभी आत जब कभी ताश खलत लोग प क हरा-फरीक सबध म आरोप लगन पर खद को पाक-साफ बतात ए हनमान जी क कसम खात

गणशी और बजनाथ अब तक मदन बाबा को घर तक प चा चक थ अदर आगनवाल बरामद क बछ चौक पर मदन बाबा को सलाया गया जगदा बाबा थोड़ा भारीकदम स चलत ए पीछ स आए

ldquoअर इसको न ब-पानी द जए नहा-धोआ क तब क हए सो जावगाrdquo जगदा बाबा नअदर घसत ही प नी को आवाज लगात ए कहा जगदा बाबा क प नी बड़ इ मनान सगलास भर न ब पानी लाई और मदन को ह का झकझोड़त ए गलास थमाया उनकहाव-भाव को दख लग रहा था क वो मदन को अ सर ऐस न ब पानी दन क अ य त थ जगदानद म सर भी मदन बाबा क कारनाम स इतन अनजान न थ पर च क आज य साराकाड ठ क उनक सनाए स कारी वचन क बाद हो गया था और वो भी एकदम बीच चबतरापर सार गाव समाज क सामन ही तो ऐस म थोड़ा यादा असहज हो जाना वाभा वक था

अदर मदन को एक नजर दखन क बाद वो गणशी और बजनाथ को ल बाहर नकलआए अब उनको यह याल आया क गणशी और बजनाथ को ज द छोड़ दना चा हए

य क अभी तक उनक अ जत स कार का अ छा-खासा चार- सार हो चका था उ ह नबाहर बरामद पर पहल खड़-खड़ ही कहा ldquoअ छा छोड़ो पीन-खान का बात आज स तऽसधर ही न जाएगा आज इसको एहसास हो गया ह क गलत रा ता पकड़ लए थ आखनह दख मदन का समझ गया ह क अब ई सब चीज को हाथ भी नह लगाना हrdquo

गणशी और बजनाथ न सहम त म सर हलात ए एक वर म कहा ldquoठ क बोलठ क बोल बाबाrdquo

एक तो अभी-अभी आहत आ बाप और चौक प उ टा सपत ऐस म गणशी औरबजनाथ न त काल इस मद द प चप रहना ही ठ क समझा और सब कछ समझत ए भी यहनह समझाया क अभी तक उ ह न जतन भी पीन वाल को दखा था उनका पीना उनक

नया छोड़न क साथ ही छटत दखा थाआज खद बजनाथ जगदा बाबा क च कर म लट हो गया थाजगदानद म सर बात करत-करत चारद वारी क दरवाज तक आ गए गणशी और

बजनाथ तो अब तक शायद यह भल चक थ क वो आ खर यहा आए ही य थतभी जगदा बाबा न खद ही कहा ldquoअर तमलोग जान लगा जी ई तो बताओ क

आया काह था कोई काम था या हमसrdquoldquoहा जगदा बाबा भोर स अभी यारह बज गया बोलत-बोलत लगा क अब बोल अब

बोल ल कन ऊ बीच म मदन बाबा वालाhelliprdquo बजनाथ न अभी आधा ही कहा थाldquoअर छोड़ो न फालत क बात काम का था बताओrdquo जगदा बाबा न ह क खीज क

साथ कहाldquoजी ई हमारा बड़का साला ह इनका स चवालय म काम फसा ह आप पराना आदमी

रह ह वहा क बड़ा धाक था भी आपका वहा तनी आप कछ मदद करवा दत तऽ बड़ाकरपा हो जाता बाबाrdquo बजनाथ न चार घट म पहली बार दात नकाल जबरद ती क कामनकालन हसी क साथ कहा

ldquoदखो बजनाथ वस नाम तऽ हमारा आज भी ह स चवालय म ल कन द कत य हक अब सारा पराना आदमी का बदली हो गया ह वहा स नयका-नयका टाफ सब पसा काभखल होगा ाचार का बोलबाला हो गया ह जानत ही हो बड़ा-बड़ा परवी का भीमतलब हो गया ह क पसा द जए तऽ काम हो मन ऊ हमरा वाला टाइम नह रहाrdquo जगदाबाबा न काख खजलात ए अपन समय क स चवालय वाल वण यग को याद करत एकहा

यह सनत ही बजनाथ न अपन र तदार क तरफ दखा और र तदार न बजनाथ कतरफ दोन अब तक शायद अपनी आख स एक- सर स कह चक थ क अब काम जाएभाड़ म भगवान क लए अब कम-स-कम यहा स चल बजनाथ न जगदा बाबा को बहदझ लाई-सी हसी क साथ णाम कया और उनक मह स बदल म बना कछ सन दरवाज सबाहर नकल आया

पीछ-पीछ बना णाम कए उसका र तदार भी नकला न त प स इस वतज-तज कदम स चल रहा बजनाथ मन-ही-मन जगदा बाबा को बछट गाली द रहा था

इधर उन दोन क चल जान क बाद जगदा बाबा न गणशी क तरफ दखाldquoत हारा या काम था जी गणशी बड़ा भोर-भोर आए थ तमrdquo जगदा बाबा न पीठ

खजलात ए कहाजब कोई आदमी दह हाथ या कोई भी ऊपर-नीच का अग- वशष खजलात ए कोई

बात पछ या कह तो यह समझ लना चा हए क वो आदमी उस बात म कतई च नह लरहा न सनना चाह रहा ह और ज द-स-ज द उस टालना चाहता ह य क अभी वह कवलनोचनी का आनद लना चाहता होता ह और वो चाह रहा होता ह क सामन वाला आदमीजाए यहा स

गणशी महतो भला इन सब इशार को या जान उसन बड़ आराम स कहा ldquoहम तऽमदन बाबा स ही भट करन आए थ ऊ एक मोटरसाय कल लना था तो सोच बटा को मदनबाबा क साथ ही भज दग मदन बाबा रहग तो एगो गार जयन हो जाएगा मोटरसाय कलखरीदन मrdquo गणशी न मदन बाबा क वतमान दशा को ब कल ही बीच न लात ए बड़ीवन ता और भोलपन स कहा

ldquoबाह र गणशी मोटर साइ कल लगा बाह तब द खए तो दन बदलना इसको न

कहता ह तोर बाप पदल चल क मर गया आय तम साय कल क पडल मारत मरत रहताह तोर बटा मोटरसाय कल चढ़गा कोयरी-कम खती बाड़ी क रा त खब उ त कर रहा हहा अपन स खत म महनत भी तो करत हो हम लोग क जसन मज र भरोस नह ह न तोरसब क खतीrdquo जगदा बाबा न गणशी क खानदानी स यता का वकास म बतात एकहा

ldquoअर जगदा बाबा सब आप लोग क आशीवाद ह ई बार आल ठ क-ठाक आ हबटा भी पढ़न- लखन जाता ह बाहर-भीतर हमको भी ज रत पड़ता ह धान-ग ढोन मसो सोच एक ठो ल लत हrdquo गणशी न झपत ए कहा

ldquoअर तऽ जब ल रहा ह तऽ ब ढ़या म रत म लो अभी पचक चल रहा ह इसम मतलो अगला म हना लो ब ढ़या दन म लोग तऽ सामान खब अ छा चलगाrdquo जगदा बाबा नअ छ म त का लाभ बतात ए कहा गणशी उनस ही कोई अ छा म त बता दन को बोलसाय कल उठा नकल आया हाला क जगदा बाबा न यह नह बताया क मदन का ज मभादो मास क क ण प अ मी जस महाशभ म त म आ था

कभी-कभी शभ म त का माल भी गड़बड़ा जाता ह

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बशाख का महीना था सबह क छह बज रह ह ग प षो म बाब घर क बाहर ही अपनचौड़ बरामद पर कस लगाए अखबार पढ़ रह थ तभी सामन स कसी क आन क आहटसनाई द उ ह न चहर क सामन स अखबार हटाकर दखा तो एक 25-26 वष क आय कासावला-सा लड़का हाथ म कछ लए आया था

ldquoका ह जी कसक यहा स आए होrdquo प षो म बाब न दखत ही पछालड़क न आत ही प षो म बाब क पहल दोन पाव छए और फर हाथ म लाए काड

को प षो म बाब को थमायाप षो म बाब न एक हाथ स काड ल उस बना दख ही पछा ldquo कसक घर शाद ह

रrdquoldquoजी बाब हमरा नाम परमोद दास ह बाप का नाम फचन दास नीच वाला ह रजन

टोला स आए ह आपक यहा तऽ खब कमाए ह पीछ वाला द वाल खड़ा करन म नो बापबटा तऽ खट थrdquo लड़क न अपना प रचय दया

ldquoहा तो कसका बहा ह त हारा ह याrdquo प षो म बाब न हाथ म लए काड कोनीच कस क पाय क पास रखत ए पछा

ldquo बहा नह ह बाब उ काली म दर क उद घाटन ह हमर टोला नया म दर बना ह उसीका नम ण काड ह बाबrdquo मोद दास न हाथ जोड़ कहा

ldquoकाली म दर कौन म दर क बनवाया जी कस मद कब बन गया म दरrdquoप षो म बाब च कत-च कत एक साथ चार-पाच सवाल पछत ए बोल

ldquoजी प बतर दास बनवाया ह हमर बड़का बाब का लड़का चार-पाच महीन प हलतऽ आया ह कमा क आसाम सrdquo मोद न थर अव था म ही खड़-खड़ कहा

ldquoठ क ठ क ह जाओ वाह म दर बन गया इतना ज द कछ पत न चला ठ क हचलो जाओ ठ क हrdquo प षो म बाब न पहल ह का-सा भभककर फर बझत ए मन सकहा

मोद दास एक पॉली थन म काड लकर पर गाव म नम ण बाटन नकला था वहास नकल वो अगल-बगल क घर म भी गया उसक नकलत ही प षो म बाब न लटक कोआवाज लगाई ldquoअर लटक जरा एक लोटा पानी ल आओ रrdquo

लटक आवाज सनत पानी लकर दौड़ाldquoलाओ जरा डाल पर प पानी साला भोर-भोर कौन-कौन ओहrdquo यह बोल प षो म

बाब कछ-कछ बदबदान लग व या बदबदा रह थ इस बना सन भी आसानी स समझा जा

सकता था लटक न उनक पाव पखार उ ह पनः तजमयी कर दयातभी अपनी बाइक लए जगद श यादव वहा प चldquoपरनाम प षो म बाबrdquo जगद श न बाइक स उतरत ए कहाldquoपरनाम का हो जगद श का हालrdquo प षो म बाब न अखबार समटत ए कहाldquoआपक करपा ह मा लक जरा फकन बाब स मलन आए थ ई दारोगा बड़ा तग

कए ए ह बार-बार टर पकड़ ल रहा ह अब फकन बाब स तय करवा जो भी उ चतहोगा एक ठो महीना बाध द ई फर आराम स काम हो तबrdquo जगद श यादव न धध औरउस पर दरोगा क अ याचार क स प म ा या करत ए बताया

ldquoअ छा अर दरोगा पासवान तऽ ब ढ़या आदमी ह भाई ठ क ह फकन सट कर दगाअभी तऽ बीडीओ साब क साथ गया ह शकरपर झलआ वाला प लया क साइट पर वहत न जाच का फोरमलट करन गए ह भाई डीएम आ गया ह नया तरत पसा मागता ह नहतो जाच क आदश साझ को आओ हो जाएगा काम यह पाट ह दरोगा बीडीओ साबसब रहगrdquo प षो म बाब न अपनी धोती सरकाकर जाघ खजलात ए कहा

प षो म बाब वह रख पानी क पाइप स गमल म पानी दन लगldquoअर फकन बाब का काम तऽ एक न बर चल रहा ह लोकल प थर बचन वाला क भी

क याण हो जाता ह फकन बाब क कारण हम उसी म तऽ प थर-बो डर स लाई कर रह थपर दरोगा साला सनब नह कया बोलता ह क सम चा पहाड़ तोड़ क बच दए और हमाराह सा गायब जब क एक-एक पसा का हसाब कर क दए अब उनको रट हतना हाईचा हए क सब कमाई उ ह को द द या सबको खाना कमाना ह मा लक एक उ चतहसाब स सट कर दrdquo जगद श यादव न बताया

ldquoअर दरोगा जी को पता नह होगा फकन को कान म द दो बात फर तोड़ो न भाईआराम स प थर अभी चार प लया उसी रा त बनना ह ब त प थर स लाई का ज रतपड़गाrdquo प षो म बाब बोल

ldquoठ क ह मा लक अब कल आएग आज जरा एक काम स बाहर भी जाना हrdquoजगद श यादव न समझदारी क साथ कहा य क उ ह अदाजा था क अगर मामला आजदरोगा क सामन ही डील आ तो आज क मह फल का सारा खचा उ ह क कपार पड़सकता था

ldquoअ छा जी एक बात बताओ जगद श क ई ह रजन टोला म इधर हाल म कौनो म दरबना ह काrdquo प षो म बाब न गमला स चत ए पछा सनत ही जगद श यादव ग त कसाथ उठ खड़ ए और प षो म बाब क एकदम नजद क आ गए जहा व गमल म पानी दरह थ नजद क आत ही प षो म बाब न पानी वाला पाइप जगद श यादव को पकड़ा दयाऔर सामन कस पर जा बठ अब गमल म पानी जगद श यादव द रह थ जसक बार मउ ह न अभी ण भर पहल तक सोचा भी नह था

ldquoअर या बोल मा लक या बताए एक स डढ़ महीना म बनकर तयार 14 दन बाद

उद घाटन रखा ह सब घर काड गया ह ल कन द खए कौन जाता ह ह रजन टोला का बातह वस दवी-दवता का बात ह ल कन जात भी तऽ दखना होता ह न धरम बचाइए क नपजा पाठ भी होगाrdquo इतना बोलत-बोलत बोलन म अपना पजामा भगा लया था जगद शयादव न जदगी भर खत म पटवन करन का आदती आदमी जब गमल म पानी दन जसा

ला सक काय कर तो उसक हाथ म वसा सतलन और ला ल य आना तो म कल ही थाजसा क इस ला सक काय को करन वाल भ ज टल लोग क हाथ म होता था खत मपानी दन म महनत चा हए गमल म पानी दना हो तो नजाकत वाला अदाज चा हए य कजरा-सी मोट बौछार पड़ जान स कोमल पौध क जड़ हल सकती ह

ldquoय बताओ कौन बनवाया र म दर सन कौनो हरजन लड़का ह कहा स ई अचानकस कतना कमा क ल आया मदrdquo प षो म बाब न बड़ कौतहल स पछा

ldquoली जए दख तऽ हमको भी आसचर आ पहल फर जान गए आपको याद हमा लक आज स बाईस-तईस बरस प हल आपक ट भट ठा म एक लबर जल क मर गयाथाrdquo जगद श यादव न इ तहास क गाठ खोली

ldquoहा हा जत दास नाम था उसकाrdquo प षो म बाब क मह स नकलाldquoहा एकदम सही तऽ फर याद ह न क कस उसक औरत मआवजा का हगामा क

यहा आर पर और पव वधायक जनारधन साद क भाय भनसर नता क बहकावा म आआप पर कस भी करन को तयार हो गई फर अगर उसक और तया भी अपन मरद जतदास क पास न गई होती तऽ आपक जसा महाप ष क भी जल का कलक लगा ही दती ऊबदमासीनrdquo जगद श यादव न भ ग पजाम को घटन तक मोड़त ए कहा

ldquoअर ऊ तऽ बड़का ए सीडट था समझो जदगी का बड़ा सभाल थ तम लोग ऊमामला म उतना बड़ा काम बना समाज क सहयोग क सभव नह था य बात तो ह भाईतम लोग तऽ त भय क वफादार हो अ छा तऽ ई बताओ उसका म दर स का लनाrdquoप षो म बाब न एक दबी सास ली और कहा प षो म बाब न अभी-अभी परानी यादक का लख को अपन सफद कत पर साफ महसस कया था

ldquoअर लऽ उसी स तऽ लना ह य म दर उसी का लड़का बनवाया ह प बतर दास नामह उसका इसको इसका चाचा आसाम ल क भाग गया था सात-आठ ब रस क होगा तब ईलड़का अब मोटा-मोट बीस-बाईस बरस पर लौट क आया ह उसी क घर पर आग एकटटल चबतरा था काली माय का उसी पर बड़का म दर बनवा दया हrdquo जगद श यादव नएक जाससी उप यासकार क तरह म दर नमाण क रह य को परत-दर-परत क त मखोला

ldquoओहो अर साला तो ई जत आ का ही बटा ह अर तऽ ढर कमा क ल आया हइसका मतलबrdquo प षो म सह न एक बना बात क हसी क साथ कहा

बाईस साल परान ट-भट ठ क आग अभी अचानक जल उठ थी और उसक साथ हीदो-दो लाश का धआ भी भर रहा था प षो म सह क याद म बखयाली म ही ब त र

तक सोच जा रह थ प षो म सहतभी जगद श यादव न आग बोलना श कया ldquoपसा तऽ खब लाया ही ह मा लक

कौनो गलत काम करता होगा न बर का पसा ह तब न उड़ा रहा ह यहा चदा- चट ठा भीखब दता ह ऊपर स ई हरामी बर चया वह बठा रहता ह दन-रात वही तऽ सनका कम दर बनवाया और य उद घाटन और भोज सब उसी का दमाग ह पता नह का राजनी तकर रहा ह साला कहता ह ह रजन सबको क तमलोग यनाइट रहो कोयरी टोला को भीभड़काता ह यनाइट होन क लए रोज बीस ब चा ल क पढ़ान बठ जाता ह जस पढ़ा ककल टर बना दगाrdquo जगद श यादव न एक मझ ए वफादार क तरह हर ज री बात कहद

ldquoअर कल टर नह अपन जसा गजड़ी पागल बनाएगाrdquo प षो म बाब न य हीकहा

ldquoऔर द खए न 14 दन पहल काड बाट रहा म दर का य य क खब चचा होगाव-इलाका म ब त बड़ा राजनी त खलता ह ई बर चयाrdquo जगद श यादव न एक अनछएपहल को दबाकर कचोटत ए कहा

ldquoअर चार दन का फटानी ह पसा खतम होत धरती पर आ जाएगा ऐसा ब त दख हहम राड़ लोग ह साला समय पर सब लाइन म खड़ा रहगा चता न करोrdquo प षो म बाबन आग क नय त खद लख उस स या पत करत ए कहा

तभी एक क ा दौड़ता आ आया और अकबकाता आ प षो म बाब क धोती मजा घसा वहा घसत क ा यादा अकबका गया डर क उसन सर बाहर नकालाप षो म बाब च लात ए उछल दखा तो दो लड़क क को ढला मार दौड़ा रह थ

ldquoअर काह दौड़ा रहा ह रrdquo जगद श यादव न ताव म पछा प षो म बाब तो कछबोलन क जगह हाफ रह थ चौक पकड़

ldquoचाचा ई म दर म घस चबतरा चाट रहा था तब न मार क भगाएrdquo लड़क न फरएक ढला फकत ए कहा

प षो म बाब क ही मह ल म एक अध न मत म दर था जसका पण नमाण दशकस न हो पाया था गाव क कई तापी लोग इसी मह ल म रहत थ प षो म बाब न अपनदरवाज पर पचायती कर न जान कतन टट घर जोड़न का काम कया था पर उसी मोह लका एक टटा-फटा म दर आज तक जड़न-बनन क आस म था

असल म जहा खद पच परम र वास करत ह वहा प थर क परम र ऐस ही उप तहो ही जात ह

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जगद श यादव प षो म सह क घर स वापस लौट ही रह थ क रा त म एक सफद बलरोदखत ही उस हाथ द कवाया बलरो क कत ही आग क सीट क खड़क का कालाशीशा नीच उतरा

ldquoका हाल जादव जी कहा दौड़ा रह ह हीरो ह डाrdquo खड़क स सर नकाल फकनसह न पछा

ldquoअर परणाम परणाम फकन बाब बस आप ही क पास गए थ पता चला आप हइयनह हrdquo

जगद श यादव न बाइक स कदकर उतरत ए कहाldquoहा जरा साइट पर गए थ शाम क पाट भी ह बीडीओ साहब और पारस बाब दरोगा

का आइए शाम म आजकल आपका टर माल काह नह ढो रहा साइट पर नह जारहा हrdquo फकन सह न गटखा चबात ए कहा

ldquoअर फकन बाब यही वा त तऽ खोज रह थ ई दरोगा पारस बाब पता नह हम परकाह खफा ह ल-द क हमर गाड़ी पकड़ लत ह जब क हम कभी मनाही नह कए ह सवाकरन सrdquo जगद श यादव न दद सनाया

ldquoद खए कमाई बढ़ तऽ सवा भी बढ़ाइए दरोगा जी का भी तऽ घर-प रवार ह जी ऊकोन दान म नह न छोड़ दग अपना अ धकार को जतना उनका नयम स बनता ह उतनाकर द जए जो जन वन ह ऊ तो क रए हम पहल ही आप लोग सब टर वाल का ब तकम पर सट करा दए ह पर सन ह क इधर आप और भी काम पकड़ ह बाबतपर का परापहाड़ तोड़ कह और स लाई कर दए आप ई सच बात ह काrdquo फकन सह न गटखाथकन क बाद कहा

ldquoहा फकन बाब ऊ थोड़ा अब का बताए साला गलती हो गया थोड़ा पसा ऊ ठ क-ठाक द दया और हमको तभी बड़ा ज रत था तऽ बस वहीhellip बाक बहारी सह क लड़काडगा सह क स लाय कर दए थ गलती हो गया फकन बाब अब छो ड़ए माफ करद जए हम और भी स ता म स लाय करग आपको बस एक मौका और द द जएrdquoजगद श यादव न हसत घ घयात लजात ए कहा

ldquoपसा का ज रत तऽ दरोगा जी क भी ह जादव जी तऽ अब द जए न उनको सालाआप लोग जदगी भर ब ठएगा हमर आर पर कछ ऊच-नीच ज रत पड़ तो दौ ड़एगाहमर आर पर और जा क धधा क रएगा बाक बहारी सह क साथ एक आप ही हो शयारह बाक नया च तया ह या ला ट वार नग द दत ह सधर जाइएrdquo फकन सह न गटख

का नया पकट फाड़त ए कहाldquoसधर जाइए नह सधर गए हम कल स माल प चात ह आपक साइट पहल स भी

कम दर परrdquo जगद श यादव न गल स गमछ उतारत ए कहाldquoच लए ठ क ह जाइए आज शाम ही को बोल दग दरोगा जी को स नए पारस बाब

ललका पानी क भयकर शौक न ह जाइए शाम क बव था म लग जाइए च लए आज सख र आपकाrdquo फकन सह न यह कहन क बाद एक बौछारी थक पचकत ए ाईवर

को गाड़ी बढ़ान का इशारा कयाउड़ थक म स गटख का कछ कण जगद श यादव क मह गाल पर भी आ सटा उस

प छन को एक ण जगद श यादव का हाथ उठा पर फकन सह क स मान म त काल उसप छा नह

जगद श यादव न कछ र तक धल उड़ाती गाड़ी को एकटक दखा तभी उनक नजरचापानल पर पड़ी तजी स झटककर चापानल क पास गए और वह पास म ही खल रहकछ ब च म स एक को आवाज दकर बला चापानल चलान को कहा लगभग दस मनटतक पानी चलवा जगद श यादव मह धोत रह गाल मह पर लगा गटखा तो धल गया था परइतन दर स लगातार पानी मारन पर भी वो घनहापन नह धल पा रहा था आदमी पानी सतन क गदगी तो धो लता ह पर पानी स मन क एहसास कहा धल पात ह इतन म पानीचला रह ब च न जोर स चापानल का ह डल पटका और वापस खलन भाग गया शायद उसभी बमतलब हो रह पानी क बबाद का अदाजा हो गया हो जगद श यादव न गमझ स महप छा और अपनी बाइक टाट कर वहा स नकल गए

रा त म और भी कछ काम करत- नपटात घर प चत दोपहर क खान का समय होचका था प नी न दखत ही खाना लगान को पछा अनमन ढग स हा बोल वो लगी बदलचौक पर बठ गए शाम को फकन सह क पाट म पीन क व था क ज मदारी न आजखान क इ छा मार द थी जस-तस खाना नपटा जगद श यादव सीध लटन चल गएथोड़ी दर वह सामन द वाल पर टगी घड़ी को दखत रह और फर न जान कब आख लगगई

जगद श यादव जब उठ तब उ ह न दखा क घड़ी म शाम क पाच बज गए थ कबतीन घट सो लया पता भी न चला ज द -ज द उठकर पट पहनी और खट पर टगी शटडाली वह आगन म प नी बतन माज रही थी

ldquoआज हमारा खाना मत बनाना रात मrdquo जगद श यादव न गल म गमछा लत एकहा

ldquoकाह कह भोज ह का कहा जाइएगा रात कrdquo प नी न बना जगद श यादव कतरफ दख ही बोला

ldquoहा फकन सह क यहा पाट ह सब रहगा वहा दरोगवा भी आवगा तऽ उसी मफकन सह बड़ा जोर डाला क आप भी आइए हम कह च लए आत हrdquo

जगद श यादव न बना नजर मलाए कहा और बाहर नकल बाइक टाट करन लगघर स नकल जगद श यादव सबस पहल बाजार प च वहा बज चौर सया क कान

पर पान खाया तभी उनक नजर डॉ बाल पर गई जो अकल ड प सरी म बठ एकपॉ ल थन स चीनी क मीठ गोली नकाल उस छोट -छोट शी शय म भरन म त थ डॉसाहब क इस तता का खालीपन दख जगद श यादव पान चबात वह प च गए

ldquo या डागडर साब परणाम या कर रह हrdquo जगद श यादव न कस ख च बठतए कहा

ldquoअर आइए जगद श जी थोड़ा-सा दवा को भर रह थ शीशी म आज टाफ नह हइस लए खद कर रह ह दन म इतना भीड़ हो जाता ह पसट का क दवा कम पड़ जाताहrdquo डॉ बाल न अपनी डॉ टरमयी ग रमा क लाज रखत ए कहा

ldquoएकदम ठ क कर रह ह कोय भी काम छोटा नह होता ह डागडर साब और आपकोतऽ हम दख ह क हमशा आप अपना काम खद करत ह कय बार आपको झाड भी मारतदख ह ड पनसरी म आदमी को ऐसा ही होना चा हए आपको डागडर होन का जरा भीघमड नह हrdquo जगद श यादव न पान म थोड़ी चहल घलात ए कहा

ldquoहा द खए हमको अपना काम खद करना अ छा लगता ह और य हम सीख ह लालबहा र शा ी जी स वो अपना कपड़ा खद धोत थrdquo डॉ बाल न बड़ी गभीरता स कहा

ldquoअर बाप लाल बहा र शा ी जी तऽ एक न बर आदमी थ अब आज क टाइम मकहा पाइएगा वसा लोग तभी का खान-पान का भी असर था डागडर साब एक स एकआदमी आ ह उस टाइम सभाष चद बोस आईएएस का नौकरी छोड़ दए लात मारदए ऊ सब गजब आदमी था डागडर साब अजी अपन गाधी जी क ही दख ली जए नबचपन स वही एक धोती प हन जदगी गजार दएrdquo जगद श यादव न इ तहास क गम होचक प खोलत ए कहा

ldquo कए जरा चाय ल आत ह एक एक कपrdquo डॉ बाल न चचा को और गम करनक योजना स कहा

ldquoअर कए न यह स बोल दत ह प चा दगा यही सब थोड़ा-थोड़ा काम क लएकम-स-कम एक टाफ तऽ चा हए ही ह क नह rdquo जगद श यादव न पान थक चाय पीनक तयारी क साथ कहा

ldquoहा जगद श जी रख तो ह ही अब वो एतना यादा छट ट मार दता ह क याबताए जवान लड़का ह थोड़ा बात भी कम सनता ह कसी का यह का तो लोकल लड़काह जीत साह नाम हrdquo डॉ बाल न दराज स पाच का नोट नकालत ए कहा

ldquoअर ली जए आपन लड़का ही रखा ह एतना बड़ हरामी को अजी वो ब नया काब चा ह सर आपको बच क खा जाएगा काशी साह का बटा ह ऊ आपका या सनगापसा लन टाइम कपार पर चढ़ जाता होगा आप बगाली आदमी नह स कएगा ब नया काब चा स अर महराज कोन ह रजन या कोयरी क लड़का क रख लत तऽ तनी डाट-डपट

क काम भी करात पसा भी कम लता ई लोग और काम भी जतना मन ओतना कराइएrdquoजगद श यादव न पान क पीक नगलत ए कहा

ldquoअर जगद श जी हमको जात-पात स या लन का और दन का ह डाकटर का धमतो बोलता ह क बस मानष का सवा करो चाह तो कोई भी जा त हो हम ह म लमब नया सब स एक फ स लत ह एक बह वयर करत ह टाफ चाह ब नया हो या कोई अदरजात हो कोई फरक नह हमकोrdquo

डॉ बाल न डॉ टर होन क सपण न तक गण का बखान करत ए कहाldquoओहो आप बझ नह मरा बात जात-पात तो हम भी नह मानत ह सब ऊच-नीच

सबको मल क रहना चा हए कोय जात छोटा नह जादव या राजपत स कम ह याइस लए जात-पात तो एकदम गलत बात ह हम तो बस आपको हर जात का एक जातीयगण बताए बाक आपको अपना उसी हसाब स सोच- वचार कर काम करना होता हब नया का गण ह क काम कम करगा और नफा जादा खोजगा हम लोग जादव लोगइ जत क लए जान द सकत ह ह रजन लोग कतना भी आग बढ़ जाए ल कन प डतठाकर जादव या बगाली स दब क ही रहगा उसका नचर ह सर इसम जात और छआछतका बात नह हम खद इसका ब त बड़ा वरोधी हrdquo

ldquoअर नह जगद श भाई अब बड़ा द कत ह कोई कसी स दबन नह चाहता हऔर आप बोलत ह ह रजन का लड़का टॉफ रख लो बाप र उसको जरा-सा डाट दग तोकब ह रजन ए ट म जल करवा दगा पता नह उन लोग का तो यादा मन बढ़ा हrdquo डॉबाल न आख गोल-गोल घमात ए कहा

ldquoहा सही बोल दश म या जात-पात ख म होगा यहा कानन ही एतना जात-पातकरक बना ह द खए न सतयग म प डत राजपत का मौज था और क लयग म य ह रजनआ दवासी को इतना छट ह साला सबस खराब तऽ हम लोग ओबीसी का ही हाल हछो ड़ए हम लोग को या मतलब जात-पात सrdquo जगद श यादव न टबल पर रखी शी शयको दखत ए कहा

अब जस एक चाय पीन क बात पर यह चचा श ई थी उसका यान आत ही दोनन जातीय चचा पर वराम लगा दया वस भी भारत म अ सर लोग इसी तरह स अपनीजीभ स बोल जात-पात ख म करत और चप होत ही अपनी सोच और वहार म उस सदाबहाल रखत थ यहा भी अभी-अभी जात-पात का भद ख म कर डॉ बाल चाय लान चलगए थ और जगद श यादव वह कस पर बठ जात-पात स बना कोई मतलब रख मन-ही-मन ओबीसी समदाय क खराब हालात पर सोचत ए खनी मल रह थ बातचीत क दौरानदोन स जतना हो सका जात-पात को उतना मटान क भरसक को शश क अब च कजगद श यादव को भी फकन सह क घर शाम क पाट क इतजाम क लए नकलना थासो वो अब ज द स एक कप चाय पी वहा स नकल लना चाहत थ तब तक डॉ बालदोन हाथ म एक-एक हाफ कप चाय वाली गलास लए आ गए जगद श यादव न झटकस स उठ डॉ साब क हाथ स एक गलास पकड़ा ठ क उसी ण जगद श यादव को

याल आया क य न थोड़ा अपन वा य पर चचा कर ल डॉ साब स वस भी जान-पहचान क खाली बठ यो तष को उसी क चाय पी हाथ बढ़ा क रखा दखान क औरप र चत कसी खाली बठ डॉ टर को दख झट हाथ बढ़ा नाड़ी दखान क परानी परपरा रहीथी जगद श यादव न भी इस जारी रखत ए सबस पहल चाय सड़का और गलास वापसटबल पर रखत ए बोला ldquoअ छा डागडर बाब इधर हमारा बलड पशर गड़बड़ाया ह याबड़ा ज द थकान हो जाता ह काम-धाम म मन नह लगता ह कभी-कभी तऽ खब पसीनाछोड़ता ह और कभी-कभी हाथ-पाव ठडा हो जाता ह कभी लगता ह क छाती म कछ घसगया ह और कभी-कभी लगगा कोई पीठ म मार रहा ह पन होता ह सरrdquo

जगद श यादव न म डकल साइस को एक नया कस टडी दत ए कहाldquoह म परहज स र हए परहज सबस बड़ा इलाज ह जगद श जी आप जो समटम

बता रह ह य तो बड़ा कम दखन मलता ह म डकल म लाइए जरा नाड़ी दखाइएrdquo डॉबाल न डॉ टर का प धारण करत ए कहा

इस व माहौल एकदम गभीर हो चला था जगद श यादव क शरीर क वाभा वकग तशीलता भी कछ पल क लए ठहर-सी गई थी डॉ टर तो डॉ टर ही होता ह चाह वो डॉबाल ही य न ह जगद श यादव क हाथ क नाड़ी पकड़ डॉ बाल बड़ गौर स द वालपर टगी घड़ी दख रह थ और उतन ही गौर स जगद श यादव डॉ बाल क चहर को साफलग रहा था क आज भारतीय च क सा प त को कछ नया मलन वाला था य क जसतरह क सम या जगद श यादव न बताई थी वो सनना शायद ब त कम डॉ टर क नसीबरहा होगा लड शर क सम या स श होकर कसी मरीज क छाती म कसी का घसाहोना और फर पीठ पर ऐसा लगना जस कोई मार-पीट कर रहा हो इस तरह क म डकलसम या वाल मरीज स दश नया क डॉ टर भी शायद ही ब होत ह ग ऐस मरीजगाव-दहात म अ सर झाड़-फक वाल ओझा-गणी और मौल वय क पास इलाज करात मलजात थ पर आज इस बीमारी का सामना सीध च क सा व ान स हो गया था अब तोनजर इस पर टक थ क या डॉ बाल इसका समाधान नकाल आज भारतीय च क साप त को एक नयी खोज स नवाज पाएग

अब डॉ साब जगद श यादव को अपन ऑपरशन वाली ऊची चौक पर लटा उसकपीठ पर टाच मार दख रह थ जगद श यादव पट क बल पड़ हाथ म अपना कता पकड़पसीन स नहा चक थ बात-ही-बात म इतन गभीर म डकल जाच स गजरना होगा सोचा भीनह था जगद श यादव न डॉ बाल इस व ट ल का एक छोटा-सा कोई रॉड लए उसजगद श यादव क पीठ पर ह का-ह का ठ क रह थ इसी बीच पड़-पड़ ही जगद श यादवन कछ बोलना चाहा पर डॉ बाल न उस तरत चप हो जान का इशारा कया हर पद सढका एक कमरा उसका भी एक सकरा-सा कोना घ प अधरा उसम लटा आ मरीज औरहाथ म टाच लए उस अधर म बीमारी खोजता आ डॉ टर अभी य कछ ऐसा लग रहाथा जस एक ता क अधरी गफा म उस त को खोज रहा हो जो जगद श यादव क पीठ परलात मारा करता था तभी डॉ बाल न आग जा जगद श यादव क मह पर टाच मारी

जगद श यादव का मह इस व मह लग ही नह रहा था जाच क आच स जस झलस-सागया था जगद श यादव असल म तनाव म थ क इतन गहन जाच क बाद पता नह कौन-सी बड़ी बीमारी का पता चल गया हो मा कछ ही मनट म उ ह न पछल जीवन क जएहर एक दन क दनचया का मरण कर लया था और सोच रह थ क कहा कौन-सी गलतीहो गई हो उ ह सबस यादा चता कछ साल पहल क गई एक वशष गलती क हो रहीथी वो सोच रह थ क काश उस दन उस ठकदार क च कर म न पड़ रात चपचाप घर हीआ जाता तो य हाल न होता या पता उसी रात क सजा मली हो कोई भयकर बीमारी तोनह हो गया जगद श यादव पसीन स नहाए लगातार सोच जा रह थ जीवन भर साध जसाबताया एक रात क गलती या कर द उसी को न भगतना पड़ जाए वो यह याद करजस काप गए थ क उसका वो ठकदार- म पछल साल ही कसी बीमारी क कारण चलबसा था

तभी अचानक टाच बद कर जोर क झटक स डॉ बाल न हरा पदा हटाया ऐसाडा टर सब कछ जान लन क बाद करत थ पद क हटत ही थोड़ी-सी रोशनी और थोड़ऑ सीजन दोन न उस कोन म वश कया जहा अभी उठकर जगद श यादव लबी-लबीसास ल रह थ पदा हट जान क बाद बाजार क सड़क स ही डॉ बाल क ऑपरशन चौकको साफ दखा जा सकता था उस पर शट उतार बठ जगद श यादव भी प दख रह थडॉ बाल चौक क पास स नकल अपनी कस पर आ बठ जगद श यादव भी चौक सउतर शट हाथ म ही लए बाहर नकल डॉ साहब क बगल वाली कस क पास खड़ हो गएअसल म वहा एक छोटा-सा टबल पखा रखा आ था जगद श यादव वह खड़ा हो अपनापसीना सखा लना चाह रह थ

ldquo या डागडर बाब कोई वशष टशन ह या कोई बड़ा द कत ह या सालाअ छा आ क सयोग स आज आपक पास आ गएrdquo जगद श यादव न खड़ी अव था म हीपछा

ldquoद खए जगद श जी बीमारी कोई छोटा-बड़ा नह होता ह नसीब बड़ा या छोटा हआदमी का कतना लोग बड़ा-बड़ा बीमारी क बाद भी जदा ह और कतना लोग एकछोटा-सा फसी क चलत मर जाता हrdquo डॉ बाल न तप ए तप वी क अदाज म कहा

ldquoजी डागडर साब तऽ हमारा या ह बड़ा बीमारी क नसीबrdquo जगद श यादव नउसी अव था म खड़-खड़ ही पछा

ldquoघबरान का काम नह ह आप शट पहन क बठ जाइए आराम स द खए बीमारी तोगभीर ह ल कन क ोल हो जाएगा आपका बलड शर कभी ऊपर भाग जाता ह तो कभीनीच भाग जाता ह आपको इसको बीच म लाना होगा इसक लए एक दन नमक खबखाइय और एक दन खब मीठा खाइए और दा तो एकदम छना नह हrdquo डॉ बाल नबीमारी क जड़ हलात ए कहा

ldquoजी डागडर साब एकदम खान-पान का नयम बाध लत ह दा तो हम बस कभी-कभार ही पीत ह नशा का कोई आदत कभी नह रहा हमकोrdquo जगद श यादव न शट क

बटन लगात ए कहाldquoद खए दा ओकजनली पीन म हज नह ह द कत रोज पीन स ह च लए

आपको कछ दवा भी द दत ह हो मयोपथी स ही ठ क कर दग आपको अभी महीना भरका खराक द दत हrdquo डॉ बाल न टबल पर सजी चीनी गोली क शीशी म स तीन शी शयाउठात ए कहा

अभी डॉ बाल शी शय को लफाफ म डाल ही रह थ क उनका सहयोगी जीत प चगया जीत को दखत ही डॉ बाल पहल तो थोड़ा झ लाए ल कन फर थोड़ा सय मत होत

ए बोल ldquo या जीत य या समय ह आन का दन भर म चार घटा भी तो ड यट दो जबदखो तब गायब रहत हो यहा मरीज सभालना होता ह इसी लए न रख ह तमको समझक नह rdquo

ldquoहम तो टाइम पर ही आ जात ह सर मरीज भी आए तब न इधर थोड़ा घर म टशनह उसी म रहना पड़ता ह यहा मरीज तऽ आप भी सभाल ली जएगा घर हमको अकलादखना पड़ता ह सर बाबजी प ह दन खा तर थोड़ा बाहर गए ह अब घर दख कड पसरी दख आपका वो तो हम ही ह जो इतना कम पसा म भी आ जात हrdquo जीत न भरमह गटखा लए बड़ आराम स कहा

ldquoठ क ह ठ क ह जाओ जरा एक बा ट पानी तो ला क रख दो मरीज आता ह तोपीन का पानी तक नह होता हrdquo डॉ बाल न चढ़कर कहा

ldquoला दत ह जरा मनट थरा तो लन द जए पानी तो आप अपन भी ला सकत थओह ई सब काम क लए भी मरा असरा दखत ह कसा डा टर ह आप सरrdquo जीत नबधड़क हो कहा

ldquoबाप र या बोली चाली ह बो लए ई टाफ का बोली ह मा लक स ऐस बात करताह कोईrdquo जगद श यादव न बदबदात ए धीर स कहा

पर जीत कान का प का था और अपन मजाज का टढ़ा उसन जगद श यादव कबात सन और समझकर भी ऐसा जताया क जस कछ समझा नह कछ सना नह

तभी उसक नजर डॉ बाल स मली और अगल ही पल उसन जगद श यादव कतरफ दखत ए बोला ldquoअर जगद श चाचा को णाम बीमार ह याrdquo

ldquoहा हा थोड़ा सी रयस द कत हो गया ह जगद श जी को दवा दए ह बलड सरका ॉ लम ह सास और छाती म द कत ह इ क शन न बढ़ जाए हो मयोपथी चलाए हदखत ह या होता हrdquo डॉ बाल न कहा

यह सनत तो जीत लगभग च ला उठा ldquo या सर जगद श चाचा हमार घर-गाव कह आप हो मयोपथी द क र स काह ल रह ह हो मयोपथी स ब त दन लग जाएगा और

या पता ठ क हो भी नह और आप हमशा बलड सर स होन वाला हर बड़ा बीमारी मइज शन दत ह इनको हो मयोपथी द दए अर सौ पचास पया हाथ का मल ह सरउसका चता न क रए अ जी दवाई और इज सन द जए सरrdquo जीत न अपन चाचा क

लए भयकर चता म कहा यह सन डॉ बाल सर को हलात ए एकदम-स गभीर होउठ इधर जगद श यादव भी एक बार डॉ बाल को दख तो एक बार जीत को उनकोअभी यह समझ नह आ रहा था क वो जीत क बात को चहलबाजी समझ या एकअनभवी और कत बोध स भर म डकल क पाउडर क ज मदारी भरी सजगता समझजसन डॉ टर को उसक खास वशषता याद दलवा उस इज शन क याद दला द होजसस उनक बीमारी को जाना था

जगद श यादव अभी इसी उधड़बन म ही थ क डॉ बाल न जीत क तरफ दखत एकहा ldquoअर जीत बात तो तम ठ क कह रह हो दना तो चा हए ही इनको इज सन ल कनजहा तक हमको याद आया क वो इज सन था नह पास और लोकल म उतना महगा औरअसली इज सन मलना भी म कल ह इस लए नह दए जगद श जी कोrdquo

ldquo या बात कर रह ह सर य द खए यह तो हम रख थ एक ड बा ऊ चरसी गाव कउस मरीज वा त मरजसी क लएrdquo जीत न तरत सामन क छोट आलमारी स एक इज सनका ड बा नकालत ए कहा

ldquoआहा ली जए मल गया बाह या सयोग ह वाह बटा जीत जीत एकदम जाग कलड़का ह म डकल का जो जानकारी इस उमर म ह इसको ई बड़का-बड़का म नह अ छा कतना दाम ह डागडर साब इसकाrdquo जगद श यादव न लगभग चहककर कदत एएक सास म यह सब कह-पछ लया था

जगद श यादव को तो जस लगा क उजड़ पहाड़ म भी हरी सजीवनी बट मल गईहो

जगद श यादव अभी अपन मन को जीत क लए कवल अ छा सोचन दना चाहत थव मन-ही-मन सोच रह थmdashभल ब नया का ब चा ह पर ह साला तज इसका अनभव ककारण ही हमारा इलाज तो हो जाएगा अब ठ क स नह तो पता नह हो मयोपथी स याहोता मरा

ldquoआप न चाचा दाम और पसा का छो ड़ए और चपचाप पहल आइए ल टए चौक परच लए पजामा सरकाइए बाह म दद करगा इस लए च ड़ म दना होगाrdquo जीत इतना कहत-कहत जगद श यादव को धकल चौक म लटा चका था

ldquoऐ जीत ल कन फर ऊ बढ़वा का या करोग फर अगर आ गया तोrdquo डॉ बाल नएक और मरीज क लए च तत होत ए पछा

ldquoसर यहा मरा चाचा मर रह ह और आपको बढ़वा का चता ह उसका हम ला क दगइज सन आप इनको द जए पहल ज द गोड़ पकड़त ह आपकाrdquo जीत न भावकअपील क डॉ बाल स

अपील परी होन स पहल ही डॉ बाल सई म दवा डाल उसक न क को खड़ा कर दो-चार बद नकाल सी रज क हवा चक कर चक थ जीत न तरत सरक पजाम को थोड़ा औरसरकात ए एक नयत जगह पर ई म ट लकर घसा और अगल ही ण डॉ बाल न

अपन यश वी हाथ स उस थान पर सई भ क जगद श यादव क नस म दवा उतार दयाथा यादव जी उ ट पड़ थोड़ा-सा चीख उ ह लगा जस महाभारत क मदान स भटका कोईनक ला तीर पछवाड़ आ गड़ा हो

ldquoचाचा तनी 5 मनट च र पर ई को रगड़त र हए जादा पावर का एट बाय टक सईथा इस लए थोड़ा दद करगा पाच मनट म ठ क हो जाएगाrdquo जीत न बाहर पानी स हाथधोत कहा

पाच मनट बाद जगद श यादव पजामा क डोर बाधत पद क बाहर वाल बच पर बठउनक एक तरफ स उठकर टढ़ अदाज म बठन स साफ समझा जा सकता था क उनक सईवाल थान का दद अभी गया नह था जगद श यादव को अभी फकन सह क यहा पाट मजाना था सो वो दद को ल थोड़ा च तत ए क वहा कस बठगा फर अगल ही पल सोचाकौन-सा वहा बठना ह वहा दरोगा बीडीओ और फकन सह जसा बड़ा आदमी लोगरहगा उनक सामन तऽ खड़ ही रहना ह

जगद श यादव अभी यही सब सोचत ए सामन टगी घड़ी क तरफ भी दख रह थतभी जीत न कलकलटर नकाल उस डॉ बाल क तरफ बढ़ाया

इधर जगद श यादव न भी अपनी दा हनी जब म हाथ डाल अदाजन टटोल क तीननोट नकाल तीन सौ-सौ क नोट नकल आए थ हाला क उ ह न नकाला पचास का नोटसमझकर था कलकलटर ट प-ट प करत एक नजर डॉ बाल न जगद श यादव क तरफदखा और उसक बाद सामन रखी अपनी डॉ टरी वाली रसीद पर फ स क रा श लख उसकलम स गोल कर जगद श यादव क तरफ बढ़ा दया

ldquoच लए य ली जए जगद श जी फ स तो ब त हो गया ल कन आपक लए तो छोड़नाहोगा ही न आपका आ टोटल तीन सौ पतीस पया ल कन आप हमको द जए सफ दोसौ साठ पया इसम एक पया भी नह कमाना ह हमको आपका रोग ठ क हो जाए बसइसी स मतलब ह हमको और भगवान स आ मागत ह आपक लएrdquo डॉ बाल न घनघोरआ मीयता और बपर छट दन क साथ कहा

जगद श यादव क पास बताए गए फ स को दन और डॉ टर बाल क द आ लन कअलावा चारा ही या था जगद श यादव अब तरत नकलना चाहत थ

एक कप चाय और कछ मनट क ग प क च कर म जतना होना था उतना हो चकाथा जगद श यादव न झट स हाथ म रख तीन नोट डॉ बाल क तरफ बढ़ाए डॉ बालन पस ल अपना दराज खोला और उसम स चार दस का नोट नकाल जगद श यादव कतरफ लौटाया जगद श यादव बच पस लत उठ खड़ ए एक झटक म खड़-खड़ नम कारकया और बाहर आ गए पीछ स डॉ बाल भी उठ खड़ हो आए और आग स वा य परयान दन और दा न पीन क याद दलात ए पनः अदर आ अपनी कस पर बठ गए

अदर जीत गलास स पानी पी रहा था गलास रखत बोला ldquo या सर च लए द जएज द हमारा पचास पया बो लए एक घटा म ही ऐसा दो मरीज आपको मल जाए तो का

दन- दन भर माला जपना बठ क सर परा दो सौ कमाए क नह अभीrdquoयह सन डॉ बाल जोर स हस और पचास का एक नोट दराज स नकाल जीत को

थमायाldquoलो भाई जीत बात तो सही बोल तम तब न त हरा नखरा सह क भी तमको रख

हrdquoफर डॉ बाल न जीत क बार म जगद श यादव ारा कही सारी बात भी जीत को

बताई दोन आपस म खब हस और जीत बीच-बीच म जगद श यादव को गाली भी दयाldquoहा हा साला जादव जी बोलत ह ब नया का ब चा ह हम हमारा तऽ काम ह काम

कम नफा यादा तऽ ली जए वही कर क दखा दए याद रहगा कोई ब नया का ब चा सभट आ थाrdquo कहत ए जीत फर जोर स हसा डॉ बाल भी लगातार हस रह थ हसनावा य क लए लाभदायक होता ह

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शाम ढलन को थी जगद श यादव बड़ी तजी स बाइक उड़ात फकन सह क घर प चबाइक स उतरकर उ ह न सामन बठ प षो म सह को हाथ जोड़ णाम कया तभी अदरस फकन सह बाहर आया

ldquoका जादब जी एतना दर करन स काम चलगा आपको ज द बलाए थ न सबबब था हो गया हrdquo फकन सह न सामन रखी एक कस ख चत ए पछा

ldquoएकदम फकन बाब माल ल लए ह ड गी म ह गाड़ी क थोड़ा बीमारी स परशानह वही इलाज म फस गए थ इस लए जरा लट हो गया नह तो चार बज ही हा जर होतहमrdquo जगद श यादव अभी बीमार दखन जसी कराह का थोड़ा अश लए बोल

ldquoपहल यहा का इलाज करवा ली जए आज ठ क स दरोगा टर धर क थाना म सड़ादगा तऽ फर इसका इलाज म कल ह बीमारी स तऽ बाद म पहल थाना दौड़त-दौड़त मरजाइएगाrdquo फकन सह न अपना मोबाइल नकालत ए कहा

ldquoअर आपक रहत कस मर जाएग फकन बाब कसका औकात ह जो हाथ डाल दगाआपक आदमी पर जब आपका कपा ह तो कोई फ कर नह हrdquo जगद श यादव न ऊपरीजब स खनी का ड बा नकालत ए कहा

जगद श यादव को पता था क दा का नशा तो दो-चार घट म चढ़कर उतर भीजाएगा ल कन अगर कायद स च मच बन चापलसी का घोल तयार कर चरणवदन का घटपला दया जाए तो यह नशा साल तक रहगा जगद श यादव न बात -बात म वही जामपलाया फकन सह को

जगद श यादव अभी लगातर अपन चहर प एक छछड़ी-सी सम पत हसी बनाए ए थऔर रह-रहकर बना कसी औजार क फकन सह क शान म जतन कसीद गढ़ सकत थगढ़ रह थ जीभ स गढ़ कसीद औजार क काम पर भारी पड़ जात ह कभी-कभी

फकन सह न जगद श यादव को सामन रख बच पर बठन का इशारा कया तब तकप षो म बाब अदर जा चक थ उ भर चापलस क फौज पाल चक प षो म सह कलए फकन सह क शान म जगद श यादव ारा लगाए जा रह भारी-भरकम जयकार काकोई मतलब नह था व इस तरह क कपर स होन वाली आरती क माया खब समझत थ

ल कन फकन सह तो प षो म सह क वरासत को सभाल अभी नया-नया पचपरम र बना था एकदम नया दवता था अपन खानदानी दवमडल का सो उस अपनी

शसा म होन वाली पजा-आरती सब खब भाती थी ऊपर स जगद श यादव तो वहा कपरान पडा थ ज ह पता था क कसको कब कतना या भोग चढ़ाना ह

जगद श यादव अ छ तरह जानत थ क फकन सह जस खानदानी आदमी का मनलाल-पील बोतल स नह उसक शान म कही बात स मोहा जाता ह

ldquoएक बात बोल फकन बाब बरा तऽ न मा नएगाrdquo जगद श यादव बोलldquoअर बो लए मद याrdquo फकन सह न कहाldquoनह फकन बाब आप चाह तऽ चार जता मार ली जएगा ल कन ई बात आज हम

कह क रहगrdquo जगद श यादव न रोमाच बढ़ाकर कहाldquoअर जादब जी अब क हए भीrdquo फकन सह न एक मखमली झझलाहट क साथ

कहाldquoफकन बाब हम परा इलाका और समाज घमत ह दस तरह क लोग स बात होता

रहता ह लोग का एक ही बात कहना ह क इस खानदान म फकन सह जसा आदमी सराकोई न आ मन जान ली जए पचायती प षो म बाब भी करत आए ह सदा स ल कनजो खशी और सतोष लोग को आपस मलता ह वो बड़का मा लक स नह क लयर बता दरह ह हम आपको चाह जो लग आपकोrdquo जगद श यादव न हाथ हलात आख-मह सब सभाव-भ गमा बनात ए कहा

ldquoहट मद बाबजी का अलग इ जत ह जादब जी पराना जलवा हrdquo फकन सह नजगद श यादव स सहमत होत ए भी टोका

ldquoबस य आप बोल एक नबर सही बात उनका पराना जलवा ह हम उनक इ जत मकमी का कोई बात ही नह बोल रह ह आज भी उनक आग सर नह उठता ह हम लोग काहम तऽ बोल रह ह क आज क जमाना क अनसार जो बात-बवहार और जो वचार होनाचा हए वो आप म ह आपका एक अलग परभाव ह जनता पर दसरथ क तऽ चार बटा थन ल कन राम जी क एगो अलग बात था क नह आप वही ह इस खानदान का आपकदादा जमान स दख रह ह तब बोल रह हrdquo जगद श यादव न अचानक स चमचई का नयारा ीय रकॉड था पत करत ए कहा

फकन सह को तो इस व जस मलखानपर अयो या-सा दखन लगा था जसला टक क कस पर वो बठा था वो अचानक उस राज सहासन-सा फ ल दन लगा था

एक ऐसा राज सहासन जो बना लका वजय क झझट बगर ही मल गया था उसका मनकर रहा था क उसक हाथ स कोई मोबाइल छ न ल और कध पर तीर धनष टाग द सामनसड़क स आ जा रह ामीण सब उस अयो यावासी और सामन बच पर बठ जगद श यादवपजाम म ही भ हनमान दखन लग थ

फकन सह म फर आग कछ और सनन क उ सकता अदर स लात मार रही थी वोचाहता था क जब राम बना ही दया ह जादब जी न तो आग क कहानी म या पता सीताजी का वय बर और लका वजय भी करा ही द

ldquoऔर या- या बोलता ह प लकrdquo फकन न कस पर पसरत ए म कयाकर पछाldquoपरस का बात बतात ह आपको मलखानपर छो ड़ए सकदरपर इग लसपर

पीपरा डोमा च कया म लोग बोल रहा था क फकन बाब को वधायक लड़ना चा हएएकतरफा जीत मलगा का लटपटाए ह ऊ खाली मलखानपर क परधानी क फर मrdquoजगद श यादव न अपन ही परान रकॉड को व त करत ए कहा

जगद श यादव न आज अपना सव उड़ल दया थाकछ लोग च मच होत ह पर जगद श यादव क आज का चापलस व व तार लत ए

कलछल जतना वराट हो चका था एक कलछल म बीस स अ धक च मच-चमचा गरी आसकती ह

जगद श यादव अपना म समम द चक थ अब बाक तो दरोगा क आन क बाद पताचलना था क उनका जा चला क नह

तभी दो बाइक दरवाज पर आकर क ामसवक शभ जी और उनक साथ तीनछोट-मोट ठकदार थ जो बीडीओ साहब क अगआई क लए वतः आए थ इधर अदर सतभी लटक और काशी साह भी बाहर आए जो पछल घट भर स पछवाड़ म मगा-मछलीक र सपी तयार करन म लग थ दरवाज पर अब गहमा-गहमी बढ़ गई थी लटक नक सया सजा बीच म दो टबल रख दया था साथ खड़ लोग उसक मदद कर रह थ काशीसाह को दख जगद श यादव तो उछल-स गए थ अभी कछ दर पहल तो बट जीत न बतायाथा क वो बाहर ह फर यहा कस

इतना दखत कछ ही मनट म तो अब कई बात पर दमाग जा रहा था जगद श यादवका अचानक पीछ पड़ी सई क चभन को एक बार पनः महसस कया जगद श यादव न

ल कन मन म चल रही सारी उथल-पथल क बाद भी अभी चप रहना ही उ चतसमझा

काशी साह दोपहर स ही दशी मगा का जगाड़ कर उस छ लन-काटन म लग गया थाकाशी साह जगल स लकड़ी काट बचन का काम करता था ऐस म आज दरोगा जी

क सवा म उप थत रहना उसका मल कत बनता था उसक साथ दो और ल कड़कट टभी लग थ

मलखानपर गाव क पीछ क बला-पहाड़ी को साफ कर एकदम नगा कर दया था इनतीन क तकड़ी न काशी साह तो हमशा सनाता भी रहता था क कस कन- कन बड़अ धका रय क बट-ब टय क शा दय म दए पलग सोफ और अ य फन चर क लकड़ीक लए असली शीशम और सखआ का पड़ काट-काट प चाया था उसन हाल ही म दरोगापारसनाथ क पलग क लए लकड़ी द थी उसन

तीन बड़-बड़ सखआ क पड़ काट गराए थ उस दन काशी साह न पर मौक पर हीदरोगा पारसनाथ न धर लया था अत म नए पलग पर सतान का वादा कर लकड़ी छड़वाईकानन क लब हाथ स काशी साह न तब फर लकड़ी प लस क नगरानी म मडी प ची

य क पारसनाथ नह चाहत थ क डबल बनन वाला पलग कसी और प लस वाल स शयरकरना पड़

इसी क बाद अपन सबस अ छ बढ़ई स पलग बनवा भजा काशी साह न उसी म सएक सपाही घर क लए ब च क पढ़न खा तर टबल बनवा गया था

खर दरोगा पारसनाथ क थान वाल आवास म बछ उस पलग क न काशी दखनलायक थी जस पड़ पर कभी सकड़ च ड़य का घर था उनक सरीली चचआहट थीआज उसी पड़ स बन पलग पर दरोगा जी साड़ क तरह घोलट-घोलट खराट लत थ

इधर अब पाट क सभी तया रया परी हो चक थ फकन सह वह दरवाज पर टहललगातार मोबाइल ट प रहा था नटवक आ-जा रहा था

ldquoह लोhellip ह लो सर कहा तक प च हा हा फकन सह बोल रह ह ह लोhellip ह लोऔर कतना दर सरrdquo इतना कहत नटवक फर चला गया

गाव म मोबाइल तो अब धीर-धीर कई हाथ म आन लगा था पर नटवक कसी- कसीजगह ही आता कई बार तो एक स अ धक लोग एक ही जगह इकट ठ हो जात मोबाइललगान क लए एक- सर क बात तीसर को षत हो जाती थ च ल-प म

यह वकास का अपना शाट कट आगमन था जहा मोबाइल था नटवक नह डसएट ना था बजली नह पानी क टक थी पर पानी क आप त नह

ldquoसर ली जए न हमरा फोन म टावर पकड़ रहा ह इसस लगाए याrdquo ामसवकशभ जी न एक भारी भरकम मोबाइल नकालत ए कहा

ldquoअर रहन द जए आन वाला होगा सब अर लटकआ सब तयार करो ज द औरएक चौक नकालो बाहर ई सब पाट का खाना-पीना टबल म होगा र इतना गलासबोतल रहगा खाना-पीना भी हrdquo फकन सह क इतना कहत ही एक सफद टाटा समोसामन स आती दखाई पड़ी

ldquoली जए साहब आइए गए बाप र गजब अदाज ह फकन बाब आपका मान गएआपकोrdquo ामसवक शभ जी न एक ऊटपटाग हसी क साथ बमतलब क बात कही

ldquoदरोगा बाब लट करग याrdquo जगद श यादव न अपन मतलब का सवाल बदबदायाइधर समो स उतर बीडीओ साब भी कस पर बठ ही थ क जगद श यादव क आ मा

क पकार पर एकदम तभी ही थान क जीप घरघराती ई दरवाज पर आ क ldquoआइए आइए सर ली जए दोन लोग एकदम साथ ही आ गए ए जादब जी जरा

कस ख चए न इधर पारस बाब क लए आप भी इधर आइए न सर इधर पखा का हवाआ रहा ह ए शभ जी जरा दौड़ क भीतर क एक और टबल फन ल क आइए तो लगाइएबीडीओ साब परrdquo फकन सह न अपनी लगी समटत ए चौकस मजबान क तरह कहा

बीडीओ ह र काश मडल न दरोगा पारसनाथ भ को दखत ही हाथ मलाकरअ भवादन कया ldquoद खए एकदम ऑन टाइम प च ह पारसनाथ जीrdquo बीडीओ ह र काशमडल न एकदम चट ल अदाज म कहा

ldquoअर बीडीओ साब प लस तो लट स आन क लए बदनाम ह अब कह -कह तोप चना ही होगा ना टाइम पर महाराज प लस क साख का सवाल ह ऐसा मौका पर भी

टाइम स न प च तो कस बात का प लस या जी ऐ तम लोग भी बताओ ठ क बोल कनह rdquo दरोगा पारसनाथ न बाक खड़ लोग क तरफ भी सर घमाकर कहा पर माहौल मठहाका गजा सबन दरोगा पारसनाथ क इस बात पर अजीब-सी हसी चहर पर लए समवतवर म lsquoसही बात सर सही बातrsquo कहा

जगद श यादव तो बा कय क क जान क बाद तक भी सर हला रह थ उ ह न तयकर रखा था क दरोगा कछ न भी बोल तब भी उसक स मान म उसक अनकही बात म भीहम सर हलाना ह मह फल सज चक थी रा य सरकार ारा चा रत एव सा रत ययवा य lsquo शासन आपक ारrsquo का अद भत नजारा इस व सा ात दखा जा सकता था

चौक पर गलास सजा लटक भडारी अदर ज स बफ लन चला गया काशी साहभनी ई मछली का लट सजा चक थ लटक भडारी न जगद श यादव को अपनी आख सइशारा कया जगद श यादव दौड़कर मोटरसाय कल क ड गी स ज री सामान नकाललटक को द आए अभी मछली का एक-एक टकड़ा ही मह म डाला गया था क लटक नअपन शट क दोन बाह चढ़ा ल अब पाट का सबस मह वपण दौर श होन वाला थालटक भडारी क हाथ का नर गलास म उतरन वाला था ामसवक शभ जी एक बड़ सथाल म चना और मगफली भ जया म याज टमाटर मला चटकदार चखना लए आए औरबीच चौक पर लाकर रख दए वहा उप थत हर एक अपना यथासभव योगदान दरहा था मह फल क रौनक बनाए रखन म एक भी ऐसा नह था जो वहा बना कसीवजह क लगा हो सबक उप थत होन का कछ न कछ मतलब था बमतलब वहा कछ भीनह था न दा न मगा न जत ए लोग

ldquoहमारा थोड़ा ह का ही बनवाइएगा फकन जी रात को डीएसपी साहब क यहा एकमी टग म जाना ह जान जाएग क दा पी क आया ह तो फर बोतल लकर जाना होगाबड़ा गजब नयम बनाए ह डीएसपी साहब जो दा पीक ड यट पर मलगा उसको जमानाम डबल दा दना होगा अब द खए इस डर स वभाग म ब त क ोल ह हम लोग पीत हतो बचक ही पीत हrdquo दरोगा पारसनाथ न चखना उठात ए कहा

ldquoबताइए या दमाग भड़ाए ह डीएसपी साहब ऐस थोड़ अ धकारी बना ह उ सबआदमी दमाग ह तब न चला रह ह शासन को परा जला दखना पड़ता ह उनकोrdquoफकन सह न भरी गलास बढ़ात ए कहा

ldquoअर हम तो उनक साथ एक बार इल शन ड यट म काम कए ह खान-पीन काएकदम दलदार आदमी ह डीएसपी साहब कोई घमड नह सपाही क साथ भी पी लगारोड कनार ताड़ी भी पी लगा ऐसा नह ह क कोई तामझाम चा हए उनको माई डयरआदमी ह एकदमrdquo बीडीओ ह र काश न डीएसपी क उदारता और साद जीवन ससब धत स मरण सनात ए कहा

वहा उप थत सभी लोग अभी जल क डीएसपी साहब क प लस शासन को च त-त रखन क उनक अपन मौ लक डबल दा लाओ मॉडल क भ र-भ र शसा कर रह

थ सब का मानना था क ऐस 2-4 अ धकारी और आ जाए तो जला का प लस शासन

रा य म सबस टॉप पर आ जाए जगद श यादव न तो पर रा य म यही नयम लाग करन कजोरदार वकालत करत ए लपककर मग क टाग वाली कटोरी दरोगा पारसनाथ क सामनरख द पारसनाथ न कटोरी बीडीओ ह र काश क तरफ सरका द बीडीओ साहब एकहाथ म गलास पकड़ बड़ त लीन होकर लात खान लग

ldquoएक लात और द सरrdquo ाम सवक शभ जी न उचककर पछाldquoहा लाओ न जी 2-4 ठो और ल आओ अhellipतम लोग मगा का टाग को लात बोलता

ह र साला बकचोद करता हrdquo बीडीओ ह र काश न म ती म लड़खड़ाती जबान सकहा

सभी न जोरदार ठहाका लगाया सवाय ामसवक शभ जी कलगभग घट भर का समय बीत चका था अभी तक कोई मतलब क बात श नह

ई थी दरोगा पारसनाथ जान को पट म ब ट बाधन लग थ उ ह न आवाज लगा ज दअपन सपा हय और ाइवर को खाना खाकर तयार होन को कहा ठ क इसी ण जगद शयादव न बचन स फकन सह क ओर दखा चौक पर रखी जगद श यादव क ारालाई गई तीन बोतल खाली हो चक थ अभी चौथी बोतल ामसवक शभ जी क लाई ईखली ई थी

क तभी फकन सह न मह खोला ldquoअ छा पारस बाब ई हमारा एक आदमी हजगद श जादव इसका टर चलता ह कभी-कभार प थर ढोन मrdquo

ल कन दरोगा पारसनाथ न बीच म ही टोकत ए कहा ldquoओ य जादव जी को न अरइसको तो हम जानत ही ह बड़ा हो शयार आदमी ह आप भी सावधान र हएगाrdquo

ldquoनह जर ऐसा कोई गलती हो गया हो तो माफ क रएगा कभी बात नह उठाए हआपका वह आपका सपाही झठ बोला था आपस क हम पसा दन स मना कए ह उअलग स पसा माग रहा थाrdquo जगद श यादव न बना कछ सोच-समझ जो मन म आया बोलडाला

ldquoजरा द खए दख इनका हो शयारी सपाही को भी झठा बोल द रहा हrdquo दरोगापारसनाथ न भ चढ़ाकर कहा

ldquoअर आप ब त बकर-बकर काह कर रह ह जादव जी जो आ सो सधार कर अबस ठ क स काम क रए न आप सपाही और शासन पर अगली उठा द जएगा चलजाइएगा भीतर एक दन यही रवया रहा तोrdquo फकन सह न मामला सभालत ए कहा

ldquoजी गलती हो गया फकन बाबrdquo जगद श यादव न हाथ जोड़ कहाldquoए सनो भाई अब फकन जी का परवी ह तो एक मौका दत ह फर स इस बार सधार

कर ली जए अपना लन-दन म अर हम लोग तो खद साला चाहत ह क प लक का सवाकर ल कन आप लोग को भी तो याल रखना चा हए प लस शासन का ताली एक हाथस थोड़ बजगा जादव जीrdquo दरोगा पारसनाथ न मड बदलत ए कहा

ldquoएकदम एक सौ पसट सही बात ह अर शासन आपस कोई भीख थोड़ी माग रहा ह

जी इनका जो अ धकार बनता ह वह द द जए और आराम स अपना काम क रए कौन हफर रोकन-टोकन वालाrdquo फकन सह न लगभग मामला फाइनल करन का इशारा दत एकहा

ldquoस नए जादव जी आप एक काम क रएगा थाना म जाकर एक सपाही होगा भोलासह उसस मल लना और उसी स अपना लन-दन का बात कर लना आप लोग पाच ठो हप थर वाला गाड़ी सब एक साथ मलकर बात कर लना काम कोई भी नयम स क रए तोठ क रहता ह एक प म तीन सौ पया कमात ह आप लोग अब उसी हसाब स जोउ चत होगा भोला सह बता दगाrdquo दरोगा पारसनाथ न पनः ब ट टाइट करत ए कहा

ldquoहा य सही ह अर जादव जी मोबाइल ह न आपकोrdquo फकन सह न पछाldquoहा पछला महीन ही तऽ लए ह घर रखत ह कह टाबर नह पकड़ता हrdquo जगद श

यादव न अब लगभग चन क सास लत ए कहाldquoसब पकड़गा टावर नह तो अपना पकड़ ली जएगा आप दरोगा जी क नबर रख

ली जए और अपना नबर जाकर भोला सह को लखा द जए जब भी कोई सवा-पानीहोगा तरत क रएगा अर सवा करक द खए उतना स 10 गना यादा कमा ली जएगा चतामत क रए जाइए तो ड़ए पहाड़ ब फकर होकरrdquo फकन सह न दरोगा जी क तरफ सलगभग शासनादश नकालत ए कहा

ldquoच लए भाई हम अब नकलत ह जादव जी का मटर सलट गया काशी का भी बोलदए ह लोकल सपाही को लकड़ी कटवा क थाना ए रया क बाहर तक प चवा दगा आगका गारट नह य क एसपी साहब कड़ा आए ह उनक हाथ पकड़ा जान पर लबा मालदना होगा च लए हमको ज द नकलना ह बीडीओ साहब अभी एनजोय करग आधा राततकrdquo कहत-कहत दरोगा पारसनाथ अपनी जीप तक प च गए उसक पीछ-पीछ फकनसह जगद श यादव काशी साह भी दरोगा को जीप तक छोड़न आए हाला क प लसऔर इन लोग का सबध तो ऐसा था क न यह दरोगा को छोड़ सकत थ न दरोगा इन सबकोछोड़ता था कभी दरोगा पारसनाथ को भाव-भीनी वदाई द फकन सह और बाक लोगपनः मह फल क ओर लौट बीडीओ ह र काश अब तक कस स उठ चौक पर पालथीमार बठ चक थ यह कसी भी पीन वाल स जन क यानाव था म ा होती ह जसम अबपीन वाल को इस बात का यान नह होता क उसन कतना पी लया ह और अभी औरकतना पएगा इस अव था म वाइज बस साक स एक ही वन नवदन करता रहता हldquoआप दत जाए हम लत जाएrdquo बीडीओ ह र काश इसी स वा य को दसी वजन मबदबदाए जा रह थ

ldquoफकन जी आप ढारत जाए हम मारत जाए द गटागट द गटागटrdquoपय पदाथ म दा सबस समाजवाद और समतामलक च र का होता था शायद

यही कारण ह क दा हमशा स मा सवा दय समाजवा दय म सबस य पय रहा थायही एक ऐसा पय था जस पीन क बाद आदमी का दमाग चाह जतना आसमान उड़ परशरीर अ सर जमीन स जड़ा जमीन पर लटा आ मलता था जमीनी क था दा दा

बड़ और छोट का फक मटा दता थाअब बीडीओ ह र काश अपन शट का ऊपरी दो बटन खोल पट का ब ट ढ ला कर

चौक पर लगभग व ण भगवान वाली परम आराम आसन म ा म लट चक थ वह सामनकस पर बठ चौक पर हाथ रखकर फकन सह भी पसर गया था ामसवक शभ जी भीअब याराना अदाज म चौक पर ही चकमक बठ गए थ अभी उनम कौन बीडीओ ह औरकौन मामली ठकदार या ामसवक यह अतर मट चका था शभ ाम सवक समत 2-3आए बहद मामली बचौ लए भी अब सीध बीडीओ साहब स गलास चयस कर पी रह थ

शासन और आम जनता क बीच सबध का इतना भीषण मानवीय प दख गाव कावातावरण भी भाव व ल हो उठा था लग रहा था कह गरज क साथ छ ट न पड़न लगजाए भादो स पहल ही

दा पयन व ान कहता ह क दा पीत व आदमी और दा क सबध म तीनअव थाए आती ह पहली जब आदमी दा को पीता ह सरी जब दा आदमी को पीनलगती ह तीसरी और आखरी अव था जब दा आदमी को पी चक होती ह

बीडीओ ह र काश अभी सरी और तीसरी अव था क बीच म ही कह थ इसम भीएकदम सट क तौर पर वह कहा थ यह पणतया प हो बताना म कल था थोड़ा बीडीओह र काश का मन अब म इल ॉन क भा त घम रहा था कहा जाएगा या सोचगाऔर या कर दगा कछ नह पता तभी अचानक स ह र काश झटक स उठ पनः बठ गए

ldquoअर यार फकन सह जी भाई एक बात बताइए हो य मध लता दवी ह या कोईआपक गाव क rdquo बीडीओ ह र काश न हाथ म गलास उठाए ही पछा

ldquoहा सर ह तो यही नीच टोला म घर ह उसका आगनबाड़ी म काम करती हrdquoफकन सह न पर चौक स वापस समटत ए कहा

ldquoओ अ छा आप ही क गाव क ह हमको बोला एक आदमी हम बोल क फकनसह स पछ काह ना लrdquo बीडीओ ह र काश न एक लबी सास लत ए अपन सामन कदात स मछली का काटा ख चत ए कहा

ldquoकाह सर कोई बात आ काrdquo फकन सह न अपनी उठाई गलास को चौक पररखत ए पछा

ldquoनह नह कोनो बात तो नह आ ह ल कन यह बताइए क या हसाब- कताब हइसका कसा ह इसका रकॉड हम दखत ह जब द खए तब हमार चबर म घस जाती हमन बना पछ साला कई बार मना भी कए ल कन मानब नह करती ह हम तो सालासाध आदमी अब लडीस ह आप कछ कह भी नह सकतrdquo बीडीओ ह र काश नएकदम आज क साध वाल मन स कहा इतना सनत ही दरोगा पारसनाथ क जान क बाद सही एकदम न य स बठ जगद श यादव क शरीर म अचानक फत का सचार आ वहकछ कहना चाह रह थ इस चचा म ह सा लन को मन लपलपा-सा रहा था उनका इधरबीडीओ ह र काश म कराहट जसी कछ छछड़ी-सी हलक हसी लए एक-एक कर वहा

बठ हर आदमी क तरफ नजर घमा-घमा दख रह थ पील काल दात क बीच बड़ी दर सबार-बार काटा ख चन का यास करत हकलात बीडीओ ह र काश क आख म एकअजीब-सा गाढ़ा पानी उतर आया था जो न य ही आख का पानी तो नह ही था कम-स-कम ह र काश क लाल हो चक सवाली आख उ र खोज रही थ

जगद श यादव सरककर एकदम स आग आत ए बोलldquoएकदम सही पकड़ ह आप सर ब त चाल लड़क ह मधआ थोड़ा-सा इटर तक पढ़

या ली ह बाप र ब त कानन ब तयाती ह हमारी वाइफ का होना था इसक जगह परआगनबाड़ी म ल कन पता नह का-का करक अपना नाम चढ़वा ली ढर त रया च र र हइसकाrdquo

ldquo कतना एज ह उसका आप लड़क बोल रह ह शाद हो गया ह ना शायदrdquoबीडीओ ह र काश न ग णत क क ा क ज ास छा क तरह उछलकर सवाल पछा

ldquoअर सर एजवा थोड़ यादा ह यही 26-27 साल होगा और का बहा हो गया हल कन इसका वभाव ऐसा ह क प त बचारा कम ही आता ह कतना बार ल जाना चाहासाथ म ल कन जाती ही नह ह इतना आजाद तब फर नह मलगा न चबर म कसघसगी फर जब मन तब अर इसका सब कहानी हमस प छए ना सर एक-एक हाल जानतह इसका हम जात क धो बन ह कसका या साफ कर दगी कोई ठकाना नह ह सरrdquoजगद श यादव न हाथ म भनी मछली का एक टकड़ा पकड़-पकड़ कहा

यह सब सन बीडीओ ह र काश न एक बार फर फकन सह क तरफ दखा औरकाली-पीली दात चयार हसत ए कहा

ldquoअर वाह जादव जी तो परा ज मप ी ही जानत ह मध लता का काम का आदमीरखत ह आप फकन जी बाहrdquo

बीडीओ ह र काश न सामन एक खाली रखी गलास म दा डाली पानी मलायाऔर उस अपन हाथ स उठा जगद श यादव क तरफ बढ़ाया जगद श यादव तो एकदम सअच भत स हो गए थ बना एक पल गवाए तरत पहल बीडीओ क हाथ स गलास लयाऔर फर तब गलास स हत हाथ जोड़ बोल

ldquoमाफ चाहग सर जर हम दा छोड़ दए ह डॉ टर एकदम आज स मना कर दयाह पहल तो पीत ही थ सरrdquo

ldquoहट मरद साला हमारा बात काट दोग जी तमको बझा रहा ह क नह यादव जीअर बीडीओ साहब खद पीन बोल रहा ह और तम ना-नकर कर रह हो जीrdquo बीडीओसाहब न बात को दल पर लत ए कहा

जगद श यादव अब गलास पकड़ सोचनीय अव था म पड़ गए उनका मन समाधानखोज रहा था तभी याद आया डॉ टर न कहा था क ओकजनली तो पी सकत ह जगद शयादव क दल स आवाज आई

lsquoफकन सह का ार बीडीओ साहब का साथ अ जी दा मछली और मगा और

ऊपर स खद एक कत न पदा धकारी ारा नवदन व प दा पीन को कहना भलाइसस भी बड़ा कोई ओकजन होता ह या पी लता डॉ टर और बीडीओ साहब दोन कबात रह जाएगाrsquo

इतना बस मन म आया ही था क परा गलास एक घट म गटक लया जगद श यादवन पछल कई घट क यास न उ ह वस भी अदर स तयार ही रखा था इस मौक क लएऊपर स एक स मा नत राजप त पदा धकारी क हाथ स पग लत ए जगद श यादव कोऐसा महसस आ जस कसी व व ालय क कसी द ात समारोह म महाम हम कहाथ मानद उपा ध ा त कर रह ह

ldquoवाह यह आ ना बात ली जए और ली जए साला दा कह डायर ट छोड़ा जाताह कौन बकलड डागडर बोल दया जी एकबारगी छोड़ दो दा दा का नयम ह कधीर-धीर छो ड़ए हम लोग भी साइस पढ़ ह डॉ टर ही पढ़ा ह या खालीrdquo बीडीओसाहब न एक सी नयर डॉ टर क तरह बताया लोग उनक म डकल क इस ग त ान कोदख दग थ लोग मन-ही-मन सोच भी रह थ क एक ऑ फसर बनन क लए कतना कछपढ़ना पड़ता ह शराब छड़ान को लकर जो ावहा रक ान बीडीओ साहब न दया था वहभारतीय परपरा म सबस भावी और लोक य तरीका था यहा पीन वाल म लगभग 90फ सद लोग इसी तरह दा छोड़न क या म लग पी रह थ और इस या स दाक लत छट भी जाती थी ल कन कवल उ ह क जो नया छोड़ चक होत

अब खाना परोसा जा चका था बीडीओ साहब न गल तक पी रखा था इस लए अबखाना म कल ही था फकन सह क लगातार आ ह पर मास का एकाध टकड़ा हाथ मलए बीडीओ साहब पीत ए अब गल स ऊपर तक प चन वाल थ पी तो सब न रखी थील कन सब न अपन काम भर का होश बचाए रखा था सवाय बीडीओ ह र काश कबीडीओ साहब अब फना होन क हाल म थ क फकन सह घर क अदर गया और एकफाइल म रख कछ कागजात लता आया

ldquoजरा-सा ली जए बलवा सबको क लयर कर ही द जए सरrdquo फकन सह न कागजबढ़ात ए कहा

ldquoअर लाइए महाराज कतना साइन चा हए लावा सब क लयर कर दत ह हमअभी तरत अभीrdquo बीडीओ ह र काश न हलत हाथ स द तखत करत ए लड़खड़ातीआवाज म कहा

यह दखना था क ामसवक शभ जी न भी अपन साथ आए दोन ठकदार को इशाराकया और उनस एक कागज ल उस भी बीडीओ क तरफ बढ़ाया

ldquoसर थोड़ा इस पर भी कपा कर द जएrdquo शभ जी न कहाभला इस अव था म भी बीडीओ साहब कपा न करत तो कब करत ऐस ही कछ

मौक पर तो शासन जनता क लए कछ भी कर गजरती ह बोतल गटक-गटक मन औरतन झम-झम म त कलदर हो चका था उनका ामसवक शभ जी क बल पर द तखत

करत ही कलम हाथ स छट कर गर गई बीडीओ साहब क इस तरह स जन- जनमह वपण योजन को लकर इस महाय का आयोजन कया गया था वह सब परा आजगद श यादव क दरोगा जी स अवध प थर ढलाई हत स टग हो गई फकन सह न बनाकाम कए बल क रसीद पर द तखत करा लए शभ जी न भी बना कआ और पोखराखोद ही नरगा क मज री क भगतान का फज बल नकलवा लया था अब य क म तवसजन क बारी थी यानी अब बीडीओ साहब को वदा करन क वला आ गई थी वहजस तरह चौक पर बसध उलट गए थ फकन सह का तनाव बढ़ता जा रहा था वहचाहता था क अब यह मजमा ख म हो बीडीओ ह र काश चलन क हालत म नह थबीडीओ साहब को जगद श और शभ न कध पर उठाया पीछ स फकन सह और काशीसाह न हाथ और टाग पकड़ा इस तरह भ न भगवान को लाद क टाटा समो म चढ़ादया टाटा समो म बीडीओ साहब का सबस पसद दा गीत उनका ाइवर लगाकर इतजारकर रहा था समो म बीडीओ साहब क रखात ही उसन गीत का वॉ यम तज कर दयाldquoलोग कहत ह म शराबी तमन भी शायद यही सोच लया हो हो हो हो लोग कहतहhelliprdquo

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गणशी महतो क घर रो हत न तहलका मचा रखा था घर का आधा सामान उलट-पलट कआगन म छतरा दया था मा रमणी दवी लगातार गा लया बक थक-हारकर बरामद बठ मगई थी गणशी महतो एक कोन म खड़ा हो वह स रो हत को समझान का भरसक यासकर रहा था

ldquoअर बटा अभी ठ क म त नह ह भ ा चल रहा ह 15 दन बाद ल लना इतनाइतना पसा लगाएग तो थोड़ा दन जतरा तो दखक खरीदो नाrdquo

ldquoसाला आप लोग को कछ बझाता ह हमारा कतना ब जती होगा हम सबको बोलदए क कल तक मोटरसाय कल खरीद सकदरपर बाजार को र द आएग और आपको भ ासझ रहा ह आप तो उ ब नया का ब चा स भी यादा ब जती करवा द जएगा हमाराrdquoरो हत झ ला कर बोला

ldquoअर तो नया को दखान क च कर म साला हम अपना 40000 पानी म बहा दबना कोई जतरा-पतरा दख खरीद ल एक बार ऐस ही ल लए थ पचक म एक प पग सटसाला आज तक ठ क स नह चला खराब हो गया और हमको फकना पड़ा अबमोटरसाय कल म भी वही हाल कर याrdquo गणशी न थोड़ा त ख होत ए कहा

ldquoआप तो बाबजी एकदम दहाती का दहाती ही रह जाइएगा ई बाभन प डत ही दखताह बठकर जतरा-पतरा खद ही मदन बाबा क मोटरसाय कल हरदम खटहरा रहता ह उ तऽपतरा दख खरीद ह ग ना तब काह खराब होता ह बर-बर हम साला मोटरसाय कल पतरादख कर खरीद और ऊ सपरन भगत का लड़का हमरा ब जती कोई पतरा दखक कया था

याrdquo रो हत को कसी भी क मत पर ज द स ज द मोटरसाय कल चा हए थावह मोटरसाय कल क लए इतना ही बचन था जतना राजकमार वर व म

च काता क लए वह अभी तलवार नकालकर सब कछ तहस-नहस कर दन क मड म थाऔर उसी मशा स छ ज स रजाई उतार उसम पानी डाल दया था ख टया का दो पायातोड़कर उस आगन म उ टा दया था

बड़ी म कल स मान-मनौ वल कर गणशी महतो न अपन इकलौत चराग को लाड़-लार का तल द समझाया और रो हत अत म इस शत पर माना क चलो ldquoजस 40000

वस ही कछ पसा और सही ल कन अब तम शात हो जाओ और खाना पीना खाओ ठ क हमोबाइलो खरीद लनाrdquo गणशी महतो न ख टया को खड़ा करत ए कहा

गणशी बचारा अपनी ख टया खद ही खड़ी कर रहा था एक तो मोटरसाय कल काखचा ऊपर स ठ एकलौत बट को मनान क लए मोबाइल क भी शत माननी पड़ी उस

यही वह समय था जब एकदम स दश म सचार सवा क रलायस काल का आगमन आअभी तक मोबाइल गाव-क ब म प च तो गया था पर असली ा त तो तब ई जब अबानीक रलायस कपनी न स त मोबाइल सट बाजार म उतार उस रलायस स रलायस कनटवक पर बात करना एकदम म त कर दया अचानक स अब मोबाइल गाव क धान सलकर चरवाह तक क हाथ म दखा जान लगा था सफ एक बार पसा चका दन पर मलीइस म त बातचीत क सवा न एक तरह स सामा जक ा त ही ला द थी न जान सवादऔर सपक क कतन आयाम खोल दए इस म त सवा न गाव म लड़क का झड मोबाइललकर बठ जाता और य ही कसी अनजान नबर पर कॉल लगा दता तब तक लगातार कईनबर को लगाया जाता जब तक क कसी म हला या यवती को फोन न लग जाए उधर सम हलाए या यवती भी बड़ चाव स इस साकार हो चक सचार ा त का ह सा बन वद-पराण या म तय क काल म दबकर रह गई इन ना रय क आवाज को मोबाइल ा त कएक कॉल न अब खोल दया था घघट म मह छपा जब कोई नारी चपक स फोन परबतकही करती दख जाती तो समझ जाना होता था क यह रलायस का कोई खोजी कॉलह जसन अपन-अपन मतलब का वाता पाटनर खोज लया ह ऐस लोग बना बात एक-सर को बना जान भी ब तयात और रलायस म त सवा क अव ध समा त होत ही ऐस

सबध उसी सवा क साथ ख म हो जात इस दौर म गाव-दहात न पहली बार न जान कतननव ड जटल यगल को पदा कया जो अब कल स नकलती लड़ कय स घट इतजार कबाद बड़ खतर उठा जमान स नजर बचा फककर द गई चट ठ म अपन दल क बात नहकरत ब क अब यह एक बार ह मत कर सीध मोबाइल नबर पछ लत और फर कन टगइ डया का यार रलायस ट रलायस परवान चढ़ता जाता यही वह दौर था जब अनजानऔर अच क म ही चौखट क अदर रसोई क अदर और चारद वारी क अदर वाली नारी यालड़क क जबान खलन लगी थी वह साड़ी या ओढ़नी का आड़ लए अपन कान स फोनलगाए बड़ आजाद याली क साथ हसना बोलना और ब तयाना सीखन लगी थीमलखानपर म तो एक घटना ऐसी भी घट थी जसम प छया टोला क एक 45 बरस कम हला रोज अकल म फोन पर कसी स ब तयाती थी एक दन कसी बात पर म हला उसफोन करन वाल स नाराज हो गई और अपन प त को यह बता दया क एक आदमी मझरोज फोन कर गदा-गदा ब तयाता ह तग करता ह ब त पता करन पर यह मालम आ कवह फोन बगल क चरसी गाव स आता था और फोन करन वाला मा 13 बरस का एकलड़का था इतन दन तक इन दोन म या- या अ छा-गदा ब तयाया था यह कवल वदोन और रलायस ही जान रलायस न ऐस कई रोचक जो ड़या मला रखी थी गाव-दहातम मलखानपर गाव जस दश क कतन गाव न अभी तक कवल मोटोरोला और नो कयाकपनी क बड़-बड़ आकार वाल भारी-भरकम मोबाइल सट और BSNL क लभ सम काडऔर उसस भी लभ नटवक ही दखा था ल कन अब अचानक स कवल 500 म मोबाइलसट उतार रलायस न कमाल कर दया था यह बात द गर थी क उसका नटवक अभी-अभी व तार ही पा रहा था और उसक सवाए भी एक खास अव ध क लए ही थी

इसी लहर म मोबाइल खरीद चक लटक भडारी क तो दनचया ही जस बदल गई थीवह सबह उठ अपनी ख टया ार पर नकालता और बठ मोबाइल पर कछ-कछ बटनट पता रहता बीच-बीच म कॉल लगाकर हलो-हलो भी बोलता जब वह जोर स हलो-हलोबोलता तभी अचानक स नाई टोला क कई जवान और ब च सब उसक ओर दखन लगतवह कहा फोन लगाता और कसको हलो कहता यह हमशा रह य ही बना रहा लटक जबशौच क लए मदान जाता तो अब एक हाथ क जगह उसक दोन हाथ भर रहत

उस दन सबह-सबह पानी का ड बा लकर नकला था अपन घर स लगभग 40 मीटरक री वाल खत म बठन स पहल उसन खत क मढ़ पर खड़ हो इधर-उधर दखा उससामन एक टट ई ट का आधा टकड़ा दखाई दया उसन उस उठा अपन बठन क सामनमढ़ पर रखा और मोबाइल उस ट पर रख फर इ मीनान स करन बठ गया कछ ही मनट

ए थ क उस कछ आवाज सनाई पड़ी वह एक झटक म हड़बड़ाकर उठा और लगी कोउठाए मोबाइल क तरफ लपका दखा तो आवाज उसस नह आ रही थी छ भडारी अपनखत म घसी भस को भगा रहा था असल म लटक न जब स मोबाइल लया था तब स कोईभी इधर-उधर क आती-जाती आवाज पर वह च क जाता और उस लगता उसक हीमोबाइल क घट बजी ह

गाव क लोग आपस म भला फोन पर या ही बात करत गाव क एक कोन स जराजोर स कही गई अ छ -बरी खबर मनट म गाव क सर कोन प च जाती हाला क अबगाव भी इस मायन म बड़ा होन लगा था अब एक अगर बलाए तो सरा इतनी भी आसानीस नह सन लता था एक- सर को सनाई पड़न वाली आवाज ीण पड़ती जा रही थ भीड़-भाड़ वाल कोलाहल करत शहर क तरह गाव क भी कान क पद मोट होत जा रह थआज तक भी गाव म कसी भी घर म होत शाद याह या अ य काय म हत नाई क ारानम ण भजवान क परपरा कमोबश जदा थी पर उसी परपरा क अग लटक भडारी कहाथ म आज मोबाइल को दख अब यह अदाजा लगाया जा सकता था क आन वाल कछसाल म गाव अपनी एक और वशषता खो ही दगा अब सवाद और नवता क लए नाई कआव यकता का होना न होना ए छक था गाव क ब म जहा फोन कप नय क नटवकठ क थ वहा नम ण का काम अब फोन कर दता था हाला क सचार क इन तकनीक नकछ काम ब कल आसान तो कर दया था पर तकनीक को अभी भी सामा जक मा यतानह मली थी पछल साल ही जगदानद म सर क छोट बट क जनऊ क आयोजन म उनकखद अपन बहनोई और साढ नह आए य क उ ह न घर जाकर काड स नम ण दन कबजाय फोन पर नम ण द दया था साढ न फोन पर ही कह दया था क अगर इतनायादा एडवास हो गए ह आप लोग तो अब हमस र ता ख म ही सम झए लगात र हए

अपना मोबाइल गाव-क ब म जीवन क ब नयाद स वधाए भल ही कतनी भी धीमी ग तस प च रही ह ल कन परपरा म बदलाव क ग त अपन र तार म थी पान-सपारी लकरहर घर नवता दन क परपरा तो नई पीढ़ न दखा भी नह थी हाला क अब भी कछ बड़सामा जक आधार रखन वाल प रवार ारा कभी-कभार सपारी स नवता भजवान क

परपरा का भी पालन कया जाता था इसस एक तो अ धक मा ा म काड छपवान म होनवाल खच क बचत हो जाती और साथ साथ परानी परपरा और वरासत को जीवत बनाएरखन का फोकट म यश भी मल जाता खद फकन सह क शाद म प षो म सह न सारनम ण पान सपारी भज क दलवाए थ उस समय लटक तो कम उ का रहा होगा औरइसक बाप तज भडारी को पर इलाक म योता बाटन का ज मा मला था प षो म सहक इस काम क खब सराहना ई थी लोग कहत थ च लए प षो म बाब फर स परानीपरपरा को जलाए उसको बचान का काम कए हाला क तभी गाव क ही जगदा बाबाऔर कछ अ य लोग का दब जबान स यह अदाजा था क इस हो शयारी भर नणय स कम-स-कम तीन स चार हजार पया सीध बचत कर लए ह ग प षो म बाब

लटक इधर अपन घर क दरवाज प च चका था खाली ड ब को घर क सामन वालबास क झरमट म फक कए पर हाथ-पाव धोन लगा सबह क ठडी हवा गम होन चली थीपरब दशा स म दर क लाउड पीकर स लगातार हनमान जी का भजन सनाई द रहा था 9बजन को थ आज लटक को काफ दर हो चक थी अपनी ड यट पर जान म मन-ही-मनसोच रहा था आज बड़ी गाली सनना पड़गा फकन बाब स साथ ही मलकाइन स जी लानबोली थ ऊपर स आज फकन बाब का दाढ़ भी बनाना था ज द -ज द हाथ-पाव धोउसन फलपट शट पहना और अपनी कची उ तर को एक मटमल हो चक तौ लए म लपटाऔर फकन सह क घर क ओर चल पड़ा अभी अपनी गली स नकल म दर क पीछ वालरा त पर प चा ही था क म दर क हात स कछ जोर-जोर क आवाज आन लग लटक नअपन कदम रोक यान स सनन लगा उस लगा कोई च ला रहा ह

बीच-बीच म बरागी प डत जी क पहचानी ई आवाज भी सनाई पड़ रही थी लटकको लगा प का कछ तो गड़बड़ ह य न पता करता चल फकन बाब को सनान क लएकछ तो मजदार मल जाएगा जसस इस दरी क लए गाली सननी नह पड़गी उसन म दरप चन का जो सबस शाट रा ता हो सकता था वही पकड़ा खत टपन म उसक फलपट मथोड़ा क चड़ भी लग गया था वह म दर क तरफ लगभग दौड़त ए जा रहा था अब तोलाउड पीकर स आती हनमान चालीसा क आवाज भी बद हो गई थी और म दर क हात सआती आवाज और साफ सनाई पड़न लगी थी अभी वह म दर क म य ार पर प चा हीथा क एक जोरदार तरीक स फक गई च पल उसक कपार पर आकर लगी वहहड़बड़ाकर कापत ए नीच क ओर झका पर च पल नशान पर लग चका था पहली बारकसी इसान को म दर प चत ऐसा साद मला था लटक त ध था क आ खर आया और वह अपन कपार आज या लखवाकर चला ह अब या फकन सह को यही

सनाएगा क म दर क ार खड़ा होत ही च पल खाकर आ रहा मा दो स चार पल म हीउसन यह सब सोच अभी खद को सभाला ही था क अदर स बरागी प डत जी बाहर आए

ldquoअर बाप र बाप का बताए र लटक परशान हो गए ह र एक घटा स ह भगवानrdquoबरागी प डत जी न हाथ स जनऊ पकड़ ए ही कहा

ldquoअर आ या ह बाबा य तो बताइए साला अभी खड़ा ए ह और सीध च पल मह

पर आकर लगा ह हमको तो हाट अटक आ जाता एकदम स अनचो क म कोई इस तरहआप पर कछ चलाकर मार द तो बचगा हो बाबा कोईrdquo लटक न अभी भी भयकर अचरजम हलत ए कपकपात दय स कहा

ldquoअर बाप र पछो मत सब सामान फक दया ह र भीतर चदनवा क भत पकड़लया ह मरद वही चलाया च पल भी हम का जान क तमको आकर लग गया भोर 400बज टहलन नकला था और अभी 830 बज वापस आया ह जब स आया ह तब स गाली-गलौज उ टा-सीधा बकबक कर रहा ह कोई होश नह ह कसी को नह पहचान रहा हrdquoबरागी प डत जी न पसीना प छत ए कहा

ldquoअर भगवान तब ना बताइए हम तो बाबा आवाज सन ह और बना दतवन कएबना खल-पील दौड़ ह क या आ म दर म अभी का हाल ह आपक आग कसा भतबाबा म दर म औकात ह कोई भत उ पात कर आइए न भीतर दखत ह चदन बाबा कोrdquoलटक म दर म वश क लए आग बढ़ा

ldquoअर अर को को मरद अभी वहा उसको थोड़ा शात कए ह म स धप पजाकरक रख ह और तम बना नहाए जस-तस घस रहा ह मन च पल लगा कपार पर मगरसकत नह समझ आ रहा तमकोrdquo

सनत ही लटक का तो माथा जोर स ठनका जस नया म शायद पहली बार कसीआदमी को अपन च पल खान का इतना प कारण इतनी ज द पता चल गया था और वहइसस हजार फ सद सहमत भी था लटक को याद आया क उसन शौच स आन क बादनहाया तो था नह ऊपर स पर म कादो-क चड़ लए सीध म दर घस रहा था भला हो भतका क बस च पल स ही मारा नह तो न जान या- या अनथ और करता मर साथ लटकयह सब खड़ा सोच भी रहा था और उस कसी भी क मत पर चदन बाबा को लाइव भतखलीकरत ए दखना भी था उसक ज ासा बढ़ती जा रही थी क कसका भत ह या चाहताह या लन आया ह या लकर अब छोड़गा आग भत का फर या लान ह कहारहता ह उसन हसाब लगाया क ऐस कई सवाल का जवाब पान क लए झट स पास कही चापानल पर जा एक बा ट पानी डाल लना ब त महगा सौदा नह ह उसन यही कयाउसन आव दखा न ताव और चापाकल पर रखी बा ट म पानी नकाला और दह पर डाललया हाला क उसको अब भी इसका परा होश था क उसका मोबाइल न भीग जाए सोउसन मोबाइल को अपन तौ लए म डाल कनार रख दया था पानी डाल अब काम भरप व हो बरागी प डत जी क साथ अदर घसा अदर चदन एक चौक पर लटा आ थाथका आ लग रहा था आख अधखली थ सरहान एक मट ठा अगरब ी जलाकर रखदया गया था और उसक माता पर क तरफ बठ लगातार सदरकाड का पाठ कर रही थीलटक को लगा चदन बाबा को थोड़ा नजद क स दख तभी उस अचानक यान आया औरउसन तौ लए स कची नकाल उस हाथ म रखा और फर धीर स चदन बाबा क सरहानबढ़ा असल म गाव म ऐसी मा यता थी क लोह स भत परहज करत थ इसी स को यानम रखत ए उसन सर ा क लहाज स लोह क कची हाथ म दबाकर रख ली थी

लटक न चदन क ठ क कान क पास खड़ होकर धीर स कहा ldquoबाबा चदन बाबाहमको पहचान बाबा चदन बाबा द खए ना हम लटक भडारीrdquo

चदन न अधखली आख स उस दखा पर कहा कछ नह लटक का कची भाव दखागया था शायद

लटक न बरागी प डत जी क तरफ दखत ए पछा ldquo कसी को पहचान रहा ह कनह ससलस तो नह ह अ छा कोई बीमारी-उमारी तो नह था न बाबा इनको पहलrdquo

लटक भडारी न अभी इतना कहा ही था क जोर क आवाज गजी ldquoहा र भोसड़ीवाला लटकआ भा ग साला दलाल दलाली करक खाता ह र धान क वार पर सालाहमारा सस दखाता ह र असतरा छाप दलाल भाग साल नह तो खन पएग त हारा रसाला हम बीमारी पसट ह र त हारा खन पएग हटाओ इसको भगाओ इसकोrdquo चदनदात कट कटात ए च लान लगा

लटक को तो जस काठ मार गया बना सीमट और बाल क ही वह अपन जगह जामहो गया था माथ पर पसीना कसी टट बाध स पानी क तरह हद-हद बह रहा था कलजामई क दोपहर काल वशाखी वाली आधी म हलत आम क टकोल क तरह हल रहा थाचदन क फर उ होत ही बरागी प डत जी न तरत सामन थाली म रख दो लाल फल उठाएऔर उस कछ म बदबदात ए चदन क माथ पर रख दया इधर माताजी सदरकाड कजगह हनमान चालीसा का जोर स पाठ करन लग जब चदन उ होता हनमान चालीसा कापाठ होता और उसक शा त क ण म सदरकाड का ऐस ही व ा नक म स पाठ करवापछल घट भर स कसी तरह चदन पर लटक भत को नय ण म रखा गया था पर असलीद कत तो यह थी क अभी तक भत न छोड़ा नह था चदन को

ldquoतम साला अपन भी मरगा और यहा हमारा भी स यानाश करवा दगा र अर जब हमबोल क भत पकड़ा ह तो तम ब त व ा नक बनता ह बीमारी तो नह ह हम आख दखतपढ़ लए क भत क लपट म आ गया ह लड़का और तम हो शयारी ब तयात हो हमार आगऔर उ ट भत क ही सामन डा टरी पल रह होrdquo बरागी प डत जी न लटक को लगभगडाटत ए कहा

लटक को अपनी इस जानलवा गलती का एहसास हो चका था वह बरागी जी क परपर लढ़क गया आख म डर और प ाताप क आस आन-आन को थ

ldquoमाई क रया बाबा माफ क रए जानता ह भगवान हम मन स साफ होक बोल थ ईहमार जीवन का ला ट गलती था बाबा अर हा प का भत ह बाबा कोई कछ भी बोल हमबोल रह ह आपको ना प का भत ह और यह कौन ह यह भी समझ आ रहा ह हमकोrdquoलटक न जस अब सब कछ समझ लत ए कहा उसका लहजा बता रहा था क वह कछबड़ा स य और ब कल ठोस बात बतान वाला था जस पर अभी तक कसी क भी नजरनह गई थी

ldquoअर मद भत तो ह ही ल कन ता जब इस बात का हो रहा ह हमको क अभी तक

भागा कस नह ह 40 बरस हो गया हमको भत को रगड़त-पटकत ल कन ऐसा ज बर भतनह दख जो इतना दर हम स मकाबला कर ल म दर का हाता ह इतना प व थान इतनापावर का म द रह ह ऊपर स बगल म हनमान जी का तमा ह और तब भी भाग नह रहाह हमको असली चता यह हो रहा ह लटकrdquo बरागी प डत जी न भत स 40 वष यमठभड़ म अपन एकतरफा जीत का गौरवशाली इ तहास बतात ए गव और चता क मल-जल गव च तत वर म कहा

लटक हाथ जोड़ आख को एकटक बरागी प डत जी पर टकाए जमीन पर बठा अभीचपचाप यह सब सन रहा था

ldquoअ छा तम या बोल रह थ क तमको समझ आ गया का समझ आ गयाrdquo प डतजी न लटक को झकझोरत ए पछा

ldquoनह नह कछ नह बाबाrdquo लटक न एकदम श य भाव स कहा सच तो यह था कअब वह कछ भी सभलकर ही बोलना चाहता था उस मन-ही-मन डर यह लग रहा था कफर कछ अटपटा बोल भत या भगवान दोन म स कसी क च कर म न पड़ जाए

उसस तो अब न वहा कत बन रहा था न भागतldquoअर बोलो ना अभी तो थोड़ा दर पहल बोल थ तम क समझ आ गया फट पलट

मार गए फर हो शयारी ना करो कछ उ ीस-बीस आ तो भगतना फरrdquo बरागी प डतजी न आख लाल कर क कहा

ldquoअ छा बाबा स नए यहा स ह टए जरा आइए इधर तऽ बताएrdquo लटक बरागी प डतजी को चदन क चौक क पास स हटा बगल बरामद क पार ठ क हनमान जी क तमा कसामन ल आया असल म अबक कछ भी बतान स पहल वह एक सर त थान धर लनाचाहता था

ldquoहा चलो अब बताओrdquo बरागी प डत जी न घनघोर अधीरता स पछाldquoबाबा ऐसा हो सकता ह या क आपक सामन कोनो भत टक जाए अर बाबा यह

मामला ही सरा हrdquo लटक न एकदम धीमी आवाज स कहाldquoअर तक या ह र का पागल हो गया बटा हमाराrdquo बरागी प डत जी न जोर स

लगभग चीखत ए कहाldquoअर धीर बो लए ना आप काह हमारा ाण लन पर तल गए ह बाबा अर बाबा हम

तो कह रह ह क 1000 परसट भत ही पकड़ा ह चदन बाबा को ल कन ई भत ह भत हही नह महराज यह मसलमान ह मसलमान भत तब ना इतना उ पात मचा रहा हमसलमानी भत को या कर लगा आपका जतर-मतरrdquo लटक भडारी न यह बता जस

ाड क उ प का रह य खोलकर रख दया होबरागी प डत जी क माथ पर जस कसी न जोर हथौड़ा मारा हो लटक न तो प डत

जी क म त क का जस ताला ही खोल दया थाldquoओ हो हो हो एकदम सही बोला र तम बटा अर यह तो हम सोचब नह कए थ

तब ना हमारा एक स एक म सब बकार होल जा रहा था बताइए मसलमानी भत भलाया सनगा मानस का चौपाई और हनमान जी का चालीसाrdquo बरागी प डत जी न पाव

पटकत ए कहाldquoऔर आपको पता ह यह कौन ह कसका भत ह यह अलमवा मया क दाद ह

वही ब ढ़या जो 3 साल पहल मरी थीrdquo लटक न अभी भी दब गल स ही कहाldquoयह कस जाना तमrdquo बरागी प डत जी न मह बाए ए पछाldquoजानग कस नह अब आपस या छपाना हम पसा कौड़ी ल अलमवा क दाद का

नाम कटवा क असलम मया क मा का नाम चढ़वा दए थ इ दरा आवास क लए उसकबाद हम व ा पशन म भी इसका नाम हटवा सर का करवा दए थ ब ढ़या का बोली-चालीइतना खराब था क प छए मत हमको एकदम यही बात गा रयायी थी जो चदन बाबा बोलअभी बोली थी क खन पी जाएग र धान क दलाल हम तो गाली सनत समझ गए ईअलमवा क ही दाद हrdquo लटक न एक ही सास म 3 साल पहल का भतहा इ तहास खोलदया था

ldquoहर हर महादव बताइए यह बात ह तब तो एकदम क लयर हो ही गया क वही हअलमवा का दाद ही ह मगर साला चदन पर कहा स लटक गईrdquo बरागी प डत जी न खनीक ड बी नकालत ए पछा

ldquoली जए अर बाबा पचायत भवन क सामन वाला इमली गाछ पर तो रहती ह यहब ढ़या वह डरा ह इसका और पचायत भवन भला कौन नह जाता ह ह का छायादखकर कभी कसी पर भी लटक सकती हrdquo लटक न भतनी क आवास का थायी पताबतात ए कहा

असल म आलम मया क दाद अपन लए इ दरा आवास व ा पशन और वधवापशन जसी योजना म अपना नाम चढ़ान क लए और उसका उ चत लाभ लन क लएकई महीन पचायत भवन स लकर खड कायालय तक का च कर काटती रही थी एक तोउ का बोझ था ऊपर स उस गरीब ब ढ़या का एक पोत क अलावा कोई नह था इस नयाम पोता आलम भी गाव क ही एक दज याली मया क यहा काम करता था और दन भरक 40 पय पाता था ऐस म उसक दाद को लगता था क सरकारी योजना का ही कछलाभ मल जाए पर बचौ लए और दलाल क जाल क कारण हर बार इसका नाम कटजाता और इसक जगह कसी गर वा जब लाभक का नाम चढ़ जाता एक दन मई क लचलती पहरी म पचायत भवन जान क रा त म वह यास स बहोश ई और जब तक लोगउस उठा अ पताल ल जान क सोचत उसन दम तोड़ दया था तभी स लोग बना कसीसशय यह जानत थ क इस बढ़ाप म जीत जी अपन वा जब हक क लए रोज पचायत भवनम भटक अपनी अधरी हसरत क साथ मर जान वाली आलम क दाद का भत प कापचायत भवन क आसपास ही कह रहता ह

ब ढ़या क लाश को घट पचायत भवन क ठ क सामन इमली वाल पड़ क नीच हीलाकर रखा गया था फर बीडीओ और ाम सवक आए तब बड़ी जरह क बाद पचायत

कोष स उसक अ तम स कार हत 300 पय क राहत रा श पोत आलम को द गई थी तबस इसी इमली पड़ को ब ढ़या का थाई आवास मान लया गया था

चदन बाबा पर लटक भत का सारा क सा खल चका थाldquoहा हा इमली गाछ पर तो ह ही अर वहा कम-स-कम चार स पाच भत ह मन हम

तो बता रह जतना आख स दख ह बाक और होगा तो अलग कम आदमी थोड़ मरा ह जीवहा दौड़त-दौड़तrdquo बरागी प डत जी न भत क भत-गणना करत ए बताया

ldquoअब उपाय सो चए बाबा ज द क रए कछ हम भी फस गए ह बाबा यहा आकरअर कोई मौलवी पक ड़ए रामायण स नह भागगा करान पढ़ना होगा इसक आगrdquoबोलत-बोलत लगभग रोन को हो गया था लटक भडारी

बचारा लटक ह ला सन मजा लन आया था पर या पता था क इस तरह क सजामलगी इतनी दर का शोरगल सन आसपास क कछ और लोग भी म दर प च चक थ इनमएक तो सधो क हार था और एक चपत था जो सनार का काम करता था एक और आदमीमोहन साव भी था जसक मठाई क छोट -सी कान थी वह सब बना कछ बोल बसहाथ जोड़ चदन क चौक क पास खड़ थ चदन क माताजी न उन लोग को स प म साराव ात सना दया था सधो को तो यह भी लग रहा था क हो सकता ह भरव दवता आए होचदन पर य क म दर क ठ क पीछ वाल कए क पास भरव जी का पडा था जहा वष सनयम स पजन करना छट गया था लोग म दर तो जात पर उस पड पर जल-फल चढ़ानाकम हो गया था कई बार कआ पर नहात-धोत उस पड पर साबन-तल म स वाला पानीका छ टा भी पड़ जाता था इन सब कारण स ही शायद सधो को लगा था क हो सकता हभरव जी क पत हो गए ह

तभी लटक और बरागी प डत जी बरामद क इस पार चदन क चौक क पास वापसआए उन दोन को तो असली भत का पता चल ही गया था बरागी प डत जी न भरव जीवाल सभावना पर यान भी नह दया बस सर हला दया बरागी प डत जी बरामद स सटअपन कमर म गए और एक परानी-सी डायरी लकर बाहर आए वह ताख स अपना च माउठाया और उस पहन डायरी क प पलटन लग

ldquoय अजी लटक इसी म लख थ एक नबर सकदरपर क एक मौलबी का ह अ छाझाड़त ह हाथ साफ ह एकदम उसी को बलात हrdquo बरागी प डत जी न प पलटत एकहा

ldquoहा आप नबर खोज कर द जए ना मोबाइल तो ह ही हमार पास अभी तरत लगातह नबर यहा टावर भी पकड़ रहा ह सम झए भगवान का कपा ही ह हरदम नह पकड़ताह टावरrdquo लटक न अपन मोबाइल को जा क छड़ी मा फक नकालत ए कहा जबसमोबाइल खरीदा था आज पहली बार उसका स चा उपयोग होन जा रहा था वह भी इतनपनीत काय म सीध म दर स उद घाटन होना था लटक क आउटगोइग कॉल का

ldquoयह दखो न जरा ई नबर मोबाइल का ह या लडलाइन का ह स ानब बीस अ अ

ब ीस छह नौ और फर सात नौ यही लगाओ जरा यही नबर हrdquoबरागी प डत जी न डायरी क बीच क ही कसी प म मडी गोत ए ही कहालटक झटक स डायरी क तरफ लपका और लख नबर को डायल करन लगाldquoअर यह तो मोबाइल नबर ह बाबा BSNL का नबर ह द खए लगता ह क नह rdquo

लटक न टलीकॉम क नया क अ छ जानकार क तरह कहाldquoहा हा मोबाइल का ह मौलवी साहब क भतीजा का ह उसको बोलो तो बात करा

दगाrdquo प डत जी न च मा उतारत ए कहालटक लगातार नबर डायल कए जा रहा था वह नबर लगात व कभी आग बढ़ता

कभी चार कदम बाहर नकलता वहा मौजद सारी नगाह लटक क तरफ टक ई थ लटक क जदगी म यह पहला मौका था जब इतनी सारी आख उस उ मीद स दख रही थ नटवक पकड़ान क म म लटक कदम-दर-कदम चलत म दर क बाहर चला गया लगभग2 मनट क बाद ब त तजी स अदर आया

ldquoहा बात हो गया ह 5 मनट क अदर मौलवी साहब का फोन आ जाएगा उनकाभतीजा फोन उठाया था उसको बोल ह तरत बात करवाइए यही नबर पर ब त ज री हबरागी बाबा मलखानपर वाल बात करगrdquo लटक न उ साहपवक बताया

ldquoली जए बात हो गया आजकल मोबाइल जसा चीज स सब कछ कतना आसान होगया ह 1 मनट म सकदरपर म बात हो गया इसको कहत ह व ान का चम कार अ छाभारत म यह मोबाइल आज स नह आया ह ाचीन काल स ह य तो वदशी लोग आयाप हल तक सब आया फर अ ज आया सब आकर सब कछ लट लया और ब त ान-व ान को न कर दया नह तो मोबाइल स टम तो महाभारत काल स ह भारत म तब यइस प म नह था सजय धतरा को परा महाभारत का य क म गए बना घरबठकर सना और दखा दए य मोबाइल सवा का ही न प था आजकल जसको यलड़का लोग इटरनट- सटरनट बोलत रहता ह ई सब महाभारत काल स ह क हए तब औरभी यादा श शाली प म था यह स टमrdquo बरागी प डत जी न मोबाइल क सबस

ाचीनतम सा य पर एक सारग भत लास लत ए कहाइ ह सब बात क बीच तभी मोबाइल क घट बजीलटक तो जस हवा म उछल गया था मोबाइल को बजता दख पहली बार कोई फोन

आया था और वो भी इतना ज री फोनएक मौलवी का फोन एक प डत क लए आज क समय म इतना गगा-जमनी

तहजीबी कॉल शायद ही रलायस क कसी अ य फोन को नसीब होमोबाइल क रगटोन भी उस दौर क हट फ म lsquoकहो ना यार हrsquo क ऐस जन य गान

क थी क सभी रगटोन सनन म खो गए थ आध मनट भर क लएतभी फर सरी बार रग बजा इस बार लटक का पनः यान रगटोन पर गया

रगटोन बज रहा था ldquoएक पल का जीना फर तो ह जाना टनग टनग टनग टनगrdquo

एकबारगी दह सहर गया लटक भडारी का तरत मन म वचार आया यह गाना कोईअलग स नल तो नह कर रहा साला अब या अनथ बाक ह होना अभी कसा गानाबज गया मोबाइल म उसक दमाग म यही बात चल रही थी क बरागी प डत जी च लाएldquoअर फोन तो उठाओrdquo

ldquoहलो हा मौलवी साहब अर जी हा ली जए ब त मरजसी ह प डत जी स बातक रएrdquo यह कहत ए लटक न लपक हाथ बढ़ा प डत जी क तरफ मोबाइल बढ़ाया

तभी अचानक उसन फोन पीछ ख च लया तरत सामन रख लोट स पानी ल उसमोबाइल पर छ टा और तब वापस बरागी प डत जी क हाथ म दया असल म उस अचानक

याल आ गया था क वह मोबाइल को साथ म मदान लकर गया था और इस लए उसन उसपानी स श कर लया और तब प डत जी को थमाया लटक अब कोई भी चक नह करनाचाहता था वह अब र ी भर भी आ था और प व ता स नह खलना चाहता था बरागीप डत जी न फोन थामत ही उस बाए कान पर लगाया और दोन हाथ स नीच स सहारा दगदन बाय ओर झका बड़ी तज आवाज म अब तक क घट सारी घटनाए मौलवी साहब कोसनान लग

आवाज इतनी ऊची थी क अगर मोबाइल हटा भी लया जाता तो भी सकदरपर तकऐस ही सनाई पड़ सकती थी गाव म अ सर ऐस कई लोग दख जात जो मोबाइल पर बातकरत व अपनी आवाज सामा य स कई गनी ऊची कर लत इ ह मोबाइल क टावर स

यादा अपन थोथा क पावर पर भरोसा होताldquoहा लो हा ऐ लटक काटो काटो काटो फोन हो गया ह बात आधा घटा क अदर

प च रह ह मौलवी साहब अभी वह जमआ ब ती म ह कह भत झाड़न गए ह हम बोलक तल का दाम हम द दग आप कसी का मोटरसाय कल पकड़ क आ जाइए तो उसकाभतीजा का ही मोटरसाय कल ह उसी म दना होगा तल च लए बस ज द आ जाए औरभत भाग सालाrdquo बरागी प डत जी न मोबाइल लटक को वापस दत ए कहा मोबाइल दनक बाद बचन प डत जी क मन म एक भारी धा मक ऊहापोह जारी थी उ ह न मौलवी कोबला तो लया था पर मन म सकोच भी हो रहा था इसी उलझन म व बजरगबली क म तक सामन गए और आख बदकर हाथ जोड़ बोलन लग ldquoह बजरगबली ई पाप माफक रएगा हम कछ जानबझकर नह कर रह ह आप स नह आ तब मोलवी को बला रहह मसलमानी भत ह इस लए सनगा नह भल-चक माफ क रएगा बाबाrdquo

अब बरागी प डत जी थोड़ा ह का महसस कर रह थldquo कतना तल लगा आप कतना बोल दएrdquo लटक न बना पलक झपक यह तलीय

पछाldquoअभी थोड़ क लयर कए एक लीटर लगा और कतना लगाrdquo बरागी प डत जी न

कहाldquo1 लीटर आपको कछ समझ म आता ह क नह बाबा यहा स 10 कलोमीटर पर

ह जमआ ब ती और आप 1 लीटर तल द द जएगा मन नया का सबस हो शयार यहीमौलवी आ ह या आना-जाना जोड़ ली जए तब भी बाबा आधा लीटर भी यादा होजाएगा ल कन च लए एक फोन पर आ रहा ह आधा लीटर द द जएगा इसम भी उसकोआधा तल बचगा चाह कोई भी मोटरसाय कल होगा 70 स कम का माइलज नह होगाrdquoलटक न आकड़ स हत एक मा णक बजट य पीच दया

वहा उप थत सभी जन लटक क इस आ थक व षण मता स दग थ बरागीप डत जी को तो लटक म अभी कबर क खजान क मनजर क द छटा तक दख गई थीसोच रह थ क कतना हसाब- कताब का प का ह तब न फकन सह का इतना खासआदमी ह सभी लोग अब तल क धार म बह गए थ तल पर चचा होन लगी थी एक नयान दलाया क इसी तरह जाग कता क अभाव म आधा लीटर आधा लीटर करक हम

तल बबाद करत गए और आज तल भारत को अरब स मगवाना होता ह अम रका क आगभी झकना पड़ता ह

सर न चता क क तल मगाना मजबरी ह य क भारत म गाड़ी तो खब बनाल कन तल का कमी ह अगर तल नह रहा तो सारा गाड़ी और मशीन बकार हो जाएगाइस हालत म और भी यादा नकसान हो जाएगा इस लए भल तल महगा मलता ह ल कनखरीदना पड़ता ह

बीच म ही इस सच का भी पदाफाश आ क यही मजबरी का फायदा उठाकर वदशीभारत स तल का दाम बढ़ा कर लता ह इसक पीछ सबस बड़ा हाथ पा क तान का ह

एक न यह बताया क अम रका म प ोल 1 पइया लीटर ह वहा लोग बा ट सप ोल लत ह

कल मलाकर आधा लीटर तल बचा लन क जो रा ीय बहस लटक न छड़ी थी अबवह अतरा ीय तल सकट पर एक साथक स मनार का प धारण कर चक थी यहा ऐस-ऐस त य खल रह थ जस नया पहली बार जानन वाली थी

पर म दर म अब प ोल डीजल क गध तर रही थी वातावरण तल-तल हो गया थाइसी बीच चदन एक बार और उ आ और उसन उठकर चपत सनार क पछवाड़ पर एकलात मार दया और कहा ldquoसब तल लन जाओग तम सब र भोसड़ीवालाrdquo

कसी तरह उस फर शात करक लटाया गया सभी बठ बस ी स मौलवी साहब काइतजार कर रह थ तभी एक मोटरसाय कल क कन क आवाज आई लटक दौड़करबाहर दखन गया और दन स भीतर भी आ गया

ldquoमौलवी साहब आ गए ह साथ म हरमजादा बर चया भी हrdquo लटक न उ साह म भीअफसोस म स कर मह बचकात ए कहा

ldquoआय बर चया ऊ मौलवी साहब क साथ कस साला एक न एक आफत आ हीजाता ह खर छोड़ो उसको पहल भत झड़वाओ ज द rdquo बरागी प डत जी न म दर कदरवाज क तरफ बढ़त ए कहा

तब तक मौलवी साहब म दर ार तक प च चक थ लगभग 5 फट 5 इच क लबाईसफद कत पर एक हाथ क चौड़ाई वाला पजामा सफद नरानी लबी दाढ़ और पर कपड़ सआती इ क खशब क साथ सकदरपर क म जद टोला क रहन वाल मौलवी शक ल मयान जस ही म दर क अदर पाव रखा भारत क गगा-जमना स क त का वो य पदा आजस दख हर भारतवासी गव कर सकता था जो कमाल मलजल कर जीन क को शश मनाकाम ह -मसलमान एक- सर स करीब आकर कभी नह कर पात उस एक भत न करदखाया था इस दश को ऐस भत का आभारी होना चा हए

एक प डत न म दर क ार पर अ भवादन करत ए एक मौलवी का वागत कया थाभारत कभी-कभी ही इतना सदर दखता था यह य ठ क उसी तरह ऐ तहा सक बन पड़ाथा जस वत ता स ाम क दौरान वामी ानद का जामा म जद म वागत कर उ हबोलन बलाया गया था

मौलवी साहब क साथ उनका भतीजा और साथ म बना कसी अ भवादन बरचीस हत सभी अदर घस

अब तक ब त लोग जमा हो चक थ चदन वाली चौक को चार तरफ स सब न घररखा था लटक दौड़कर मौलवी साहब क लए म दर म रखी एकमा कस ल आयामौलवी साहब कस पर बठ आख बद कर कछ बदबदान लग इधर बरची भी मोहन सावऔर चपत को ठल चदन क सरहान खड़ा हो गया था तभी लटक को दख तरत बरची कमह स नकला ldquoअर लटक भाई अर भया तमको फकन सह लाठ लकर खोज रहा ह औरतम यहा डी लग द रहा हrdquo

ldquoअर अर ऐ साल बर चया साल होश म बात करो जबान तोड़ दग अगर हम स ऐसबात कया तो और साल फकन बाब का नाम इ जत स लो नह तो ठ क नह होगाrdquoलटक न आग बढ़त ए कहा इतन गभीर और तनाव भर माहौल क बीच इन दोन कनोक-झ क स बरागी प डत जी बफर पड़

व तमतमात ए बोल ldquoचप साला एकदम चप रहो बर चया तम हमारा यहा बटाका जान खतर म पड़ा ह और तम लोग झाड़-फक क बीच ह ला कर चदन का जान लनआए हो जरा भी शम नह हrdquo इतना बोलत-बोलत गला भर आया था बरागी प डत जीका आ खर बाप तो बाप होता ह

ldquoइसको बलाया कौन यहा आया कसrdquo लटक न कहाldquoहम लकर आए ह हमारा दो त ह भाईrdquo मौलवी साहब का भतीजा स क बोलाldquoआप कस फस गए महाराज इसक च कर मrdquo मोहन साव धीर स बोलाldquoभाई जान हमार लड़क को बना पसा लए 7 महीना ट यशन पढ़ाया य आदमी

साइ कल स जाता था सकदरपर और पढ़ाकर आता था ई बार का फल हमारा लड़काआराम स म क इ तहान पार कया इस दफ आप लोग पता नह या समझ कतना कछबोल रह हrdquo स क न बोला

यह सनत ही मोहन साव न मह घमा लया इसी बीच मौलवी साहब न आख खोलथोड़ कड़ भाव स कहा ldquoभाई थोड़ा खामोशी र खए आप लोगrdquo

सभी एकदम चप हो गए बरागी प डत जी ह क कदम स उठ और बरची क बाहपकड़ उस कनार लाए

ldquoहम त हारा हाथ जोड़त ह बरची दखो दखो जरा भी इधर-उधर हो गया तब ाणचला जाएगा हमार लड़क का उसका जान मत लो तम बाहर चल जाओ थोड़ा दरrdquoबरागी प डत जी क आख भर आई थी बोलत-बोलत

बरची न अभी बरागी प डत जी क आख म पानी क साथ कछ और भी या दखलया था वह चपचाप म दर क बाहर नकल स क क मोटरसाय कल पर जाकर बठगया अदर चदन का भत पनः जागत हो चका था मौलवी न जस ही कछ पढ़कर उसकसर पर हाथ रख उसक चहर पर फक मारा चदन च लाकर उठा

ldquoभ क र साला वाह मौलवी साहब पान म 364 नबर जदा खाए ह सीध हमार महपर थक दो ना बrdquo चदन न जोर स झ लाकर कहा चौक स सट लोग र हट गए मौलवीसाहब न अबक एक गलास पानी मागा उसम कलमा पढ़ चदन को पीन क लए दयाचदन गलास को पकड़ हसन लगा

ldquoहा हा दलबहार गटखा खाए ह मौलवी साहब हमको रजनीगधा चा हए तलसीअसली वाला पौचrdquo चदन न एक अजीब-सी भयकर हसी क साथ कहा

मौलवी साहब न माथ पर आए पसीन को बहन स पहल ही प छ ह क स कहा ldquoपानीपी लो बटा ताबीज का पानी ह पी लो बटा चदनrdquo

ldquoही ही ही ही हा वाह र मौलबी बकचोद समझ ह हमको आपका फकलका जठापानी पी ल हट फको र ई पानी पा क तान भजो इसको भजो ई मौलवी को पा क तानखन पएग पानी नह rdquo चदन न च लात ए कहा और गलास को हवा म उछाल फकदया चपत सनार का सर टकरान स बचा

ldquoल माग रहा ह लडrdquo बीच म स कसी क एक धीमी-सी आवाज आईमौलवी साहब भी कहा हार मानन वाल थ उ ह न कस स खड़ हो एक गलास पानी

और मगाया पर इस बार बना कछ पढ़ उसको खद पी गए पसीन स वह भ ग गए थउनका भी पहली बार इतन जद द भत स पाला पड़ा था प डत-म ला दोन इस भत कपरफॉमस क सामन फल हो चक थ मौलवी साहब कलमा पढ़ उस छत तो चदन जोर-जोरस हसता ldquoहा हा हा गदगद करत ह हो मौलवी साब च तया समझा ह हमकोrdquo

मौलवी साहब न कछ पल सोचन क बाद एक लबा काला धागा लान को कहा प डतजी स यह सनत ही चदन क अदर का भत बोलन लगा ldquoहा हा हा ला दो ल डस भत हहम बलाउज सएगा ई हमारा का मौलवी साहब पट कोट भी बना द जए हा हा हाrdquo

यह सनत ही दो आदमी तो जस च क स गए एक तो खद मौलवी साहब सरा उनकाभतीजा स क असल म कवल यही दोन जानत थ क अभी 3 महीन पहल ही मौलवी

साहब न घर म ही अपना एक छोटा-सा रोजगार श कया था जसम वो घर स ही सलाईका काम करत थ और वह खासकर म हला क व सीन क वशष काम क लए जानजात थ स क अपन पास आए पट कोट या साड़ी म फॉल लगान जस काम अपन चाचामौलवी शक ल मया स ही करवा कर दता था मौलवी साहब अभी अदर-ही-अदर खदा सबस पनाह माग रह थ काला धागा लन क बाद उस जस ही मौलवी साहब न चदन क पावस सटा सर क तरफ नापन को लगाया चदन न धागा छ न उस मौलवी साहब क गल मलपट दया और दाढ़ ख चन लगा मोहन चपत सधो न कसी तरह उ ह छड़वाया लटकतो थर-थर काप रहा था

ldquoलटकउआ भडारी साला त ह न बलाया मौलवी को म दर म कलमा पढ़वा दया रत हारा खन पी क रहग हमrdquo चदन न लटक को दखकर कहा

लटक बना कछ टोक थोड़ा पीछ बाय ओर हट बजरग बली क तमा क पास सासरोक खड़ा हो गया बरागी प डत जी इधर बसध ए जा रह थ भ तया कारनाम स हलमौलवी साहब सीध उठकर म दर क बाहर आ गए वो तो हनमान जी पर भरोसा भी नहकर सकत थ क व मौलवी को बचाएग भी क नह

चदन क भ तया ख चा-ख ची म उनक कत का एक बटन टट गया थापीछ स मोहन साव न वह बटन धीर स मौलवी साहब को पकड़ाया मौलवी साहब न

उस धीर स कत क जब म डाल लया मौलवी साहब न एक बार कत पर हाथ फर दखा कऔर बटन तो नह टट ह

ldquoद खए मामला थोड़ा म कलात भरा ह शतानी ह ह यह अ लाह चाहगा तोइसस ज म छड़वा क रहग असल म यह ज नह ह ज ात ह और मरा ज पर हाथसाफ ह इस लए थोड़ा परशान कर रहा य शतान थोड़ा हम कल अपन उ ताद स मलकरआत ह आज कसी तरह क ोल म र खए उसको कल अगर नह ठ क आ तो इसकोअजमल तफानी क मजार पर ल जाएगrdquo इतना बोल मौलवी साहब बना कछ सनमोटरसाय कल पर बठ और स क को मोटरसाय कल टाट कर नकलन का इशारा कया

बरागी प डत जी स हत सब-क-सब वह खड़-खड़ जाती मोटरसाय कल क धल दखरह थ स क ब त तज ग त स मोटरसाय कल उड़ाए ल जा रहा था शायद पीछ स मौलवीसाहब उगली स रकच स क का ए सलटर दबाए ए थ तभी बरची न हाथ म ली खनीको रगड़ मह म डाला और म दर क तरफ जान लगा

ldquoकहा जा रहा ह तमrdquo बरागी बाबा गरजकर बोलldquoचदन बाबा क भत को सलाम करन साला इस भत को तो रा ीय एकता का

पर कार मलना चा हए ह -म लम प डत-म ला म दर-म जद सबको मला दयाएक जसा काड कया सबक साथrdquo बोलकर बरची हसन लगा

बात तो बरची न हसन क ही क थी ल कन अब वहा माहौल ऐसा था क कोई कसहसता चदन अभी तक बकबक कर रहा था और होश म नह आ रहा था बरागी प डत जी

क अदर का बाप वह थककर बठ गया उ ह न अबक बरची स कछ नह कहा म दर कअदर स चदन क माता क रोन क आवाज आन लगी बरची अब बना कछ दख-सन सीधम दर क अदर गया चदन का पट दबान लगा अचानक चदन आह करक उठा और उ टकरन लगा उसक मा हाथ म कलजा लए दौड़ी

ldquoचाची आप चता ना क रए हमको भी 5 मनट द द जए आप एक ठो न ब औरचाक लाइए एक बा ट पानी भी लाइए ज द rdquo बरची न चदन का सर अपनी गोद मलए ए कहा तभी बाहर स सधो क हार अदर आ गया चदन क मा न बरची को न बऔर चाक दया अभी चदन क मा और खड़ सधो क मन म ज ासा यह थी क जस न बकटगा या उसम स लाल रग का खन नकलगा भत- पशाच क कस म न ब का मह व

कट म बॉल क तरह होता ह दोन गौर स न ब कटता दखन लग बरची न न ब क दोटकड़ कर उस चदन क मह म नचोड़ दया इधर बाहर सब बरागी प डत जी को पकड़सा वना द रह थ सब कह रह थ धय र खए प डत जी कह बाहर ल जाया जाएगा तभीसामन स आलम आता दखाई पड़ा उस बाजार म कसी न बता दया था क उसक दादक भत न तहलका मचा दया ह म दर म आई ह वह खद दाद क मौत क बाद अपनीदाद क भत स आज तक मल नह पाया था आज आधा गाव उसस मल चका थाइस लए उस जब यह सब पता चला तो दौड़ा आ रहा था मन म दाद क त ग सा था औरशकायत भी थी क पोत स पहल आध गाव स मल ली ठ क तभी अचानक चदन क मादौड़त ए म दर क बाहर आई

ldquoऐ जी चदनवा क होश हो गया ह ब तया रहा ह ब ढ़या स उतर गया जी भतबरची झाड़ा सौ बरस जए ई पगला बर चयाrdquo एकदम स गदगद वर म बोल फर दौड़अदर को गई चदन क मा बाहर स सब हड़बड़ाकर उठ और चदन क पास प च बरागीप डत जी न घसत ही चदन को गल लगा लया अभी-अभी भतो नवत हो नह स पता कगल लग चदन न धीर स कहा ldquoमाफ कर द जए बाबजी ब त गाली-गलौज कर दए थहम शायदrdquo

ldquoअर तम थोड़ कए उ तो ब ढ़या क भत का न काम था उसका स कार खराब थालटक बताया न क उसका बोली-चाली खराब था त हारा या गलती जय भोलनाथ ठ कहो गया तमrdquo बरागी प डत चहकत ए बोल इधर अभी-अभी दाद क भत स मलन कदली तम ा लए प चा बचारा आलम तो मन-मसोसकर रह गया क हम आए और दादचली गई फर बना मल अभी 2 घटा स आराम स थी यहा

ldquoबाह बटा बरची अर बटा कस झाड़ बाबrdquo बरागी प डत जी न एहसान तल दबीजबान स पछा

ldquoकछ नह कया दो न ब लगा एक बा ट पानीrdquo चौक पर बठ ए बरची न खड़होत ए कहा

ldquoमगर भत कस उतार तम सब हार गया और तम उतार दए कोनो स -उ कएका कोनो साध ता क का सगत पकड़ याrdquo बरागी प डत जी न सबस बड़ा सवाल दाग

दया था और जवाब उसस भी वशाल और धमाकदार ठ का बरची नldquoअर जब भत चढ़ा ही हमार साथ था तो उतारगा कौन अर हो बाबा भोर-भोर गाजा

टान क फर तरत ऊपर स गोला भाग खा ली जएगा तऽ उतरन म टाइम तो लगता ही हचदन बाबा तऽ एकबारगी चार गोला ताड़ी सग नगल गए थ पट दबा क उलट करवाएफर न ब चटवाए और पानी मार कपार पर उतर गया भतrdquo बरची बोलत ए म दर क ारतक आ चका था

बरागी बाबा बस दोन हाथ स कछ टटोल रह थ चौक क नीच जत रख ए थ एकजता उठाकर एक हाथ स अपनी धोती पकड़ कसकर सीधा बरची क तरफ चलाया

ldquoसाला पापी भर ट नीच हरामी बबाद कर दया हमारा कल को साला भत झाड़ताहrdquo बरागी प डत जी क माथ स अभी वालामखी फट रहा था बरची वहा स फर हो गयाथा सरी ओर वाल खत म लटक भडारी भी दौड़ जा रहा था उसन भी पलक झपकतखतरा भाप ही लया था

ldquoऔर कहा ह कमीना साला भडारी साला लटकआ सा ला नउआ हमर पर अ तराचला रहा था र भोर स दमाग म भर क रख दया साला म लम भत ह लडीस भत हअलमवा क दाद ह मौलबी क घसवा दया सा ला म दर म सब भर ट करवा दया क ासाला या- या ताल करवा दयाrdquo प डत जी न इधर-उधर लटक को खोजत ए कहाउस खोजत ए एक बार हनमान जी क म त क पीछ भी झाका अब बारी चदन बाबा कभत क थी बरागी प डत जी न अपन परान घस जत का सरा वाला पीस उठाया और उसबना कसी गनती क सर हाथ कपार पट पीठ जहा भी उ चत-अन चत नशाना लग जारहा था बरसाना श कया चदन चीखत- च लात कभी मा क ओर दौड़ता तो कभीजमीन पर लोटता और पडी जी क पर पकड़ता बरागी प डत लगातार जता गराए जा रहथ असली भत तो अब उतारा जा रहा था चदन का

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जगद श यादव और बजनाथ मडल दोन साथ म पदल ही अपन खत क तरफ जा रह थउनक खत का रा ता गाव क परब ह रजन टोला स होकर गजरता था दोन आपस मब तयात चल जा रह थ क पीछ स एक आवाज सनाई द ldquoचाचा णामrdquo

दोन च क भला इस टोल म उनको अपना कौन-सा भतीजा मल गया पीछ मड़करदखा तो हाफ पट पर ट शट डाल एक नौजवान हाथ जोड़ उनक ओर आ रहा था

ldquoचाचा णाम हम प ब र दास ह चाचा पहचान क नह हमकोrdquo उसन म करातए कहा

ldquoअर णाम णाम हा भाई पहचान य नह एकदम पहचान गए ह तम ल कनबाजार कभीए-कभार जात हो इस लए भट मलाकात नह हो पाता हrdquo जगद श यादव नखद को सहज करत ए कहा

ldquoजी चाचा बाजार एकदम कम जात ह चाचा आप दोन को म दर उद घाटन का काडमल गया होगा ल कन हम सोच क एक बार चाचा लोग को अपन स हाथ जोड़ वनती करल तो ठ क रहगा परस ह उद घाटन काड हम 15 दन पहल ही भजवा दए थ क कोईछट-घट तो उनको दखकर फर नवता कर सक ज र आइएगा चाचा आप लोग काआशीवाद क बना नह होगा हमारा जग सफलrdquo प ब र न हाथ जोड़ म ा म ही कहा

ldquoहा हा आएग ज र आएग का बजनाथ आना तो ह हीrdquo जगद श यादव न बजनाथक सहम त समत कहा

ldquoयह सामन म दर बना ह आइए न चाचा चाय पीकर जाइएगाrdquo प ब र न वननवदन कया

ldquoअर नह -नह बाब अब परस ही आत ह अभी लहसन याज खाए ह अभी म दरनह जा सकत एक बार परस उद घाटन म दखा जाएगा म दर भीrdquo बजनाथ मडल नकहा

ldquoहा और पहल म दर म माथा टक लग तभी चाय पया जाएगाrdquo जगद श यादव नगहर आ या मक तरीक स चाय का काय म टालत ए कहा

ldquoअ छा भाई प ब र म दर तो बड़ा अ छा बनवा लए अब घर भी बनवा लो भाईबाप-दादा का नशानी ह त हारा बाबजी जत दास हम लोग का बड़ा नजद क था भाईrdquoबजनाथ मडल न चलत-चलत म त क सलाह द और शायद कछ सनन क ज ासा भीथी उसक अदर

ldquoहा चाचा बनवा लग बस महीना क आ खरी म काम लगवा रह ह घर पर टोला का

मन था क पहल म दर बनना ज री ह सो इसी को परा कए पहलrdquo प ब र न बनालाग-लपट क आगामी काय म बता दया प व र क आगामी योजना न त काल दोन कावतमान खट स कर दया कहा तो बजनाथ न उसक टट खपरल वाल घर क हालत परचटक ली थी और बदल म पता चला अब ज द यहा प का मकान भी बनन ही वाला हजगद श यादव तो अब यह सोच खद को समझान क को शश म थ क घर बनाएगा तो टशायद मझस खरीद हाला क म दर नमाण क लए सारा ट प ब र न कह सर गाव समगाया था यह बात बजनाथ मडल न यान दला जगद श यादव का बचा-खचा मड भीखराब कर दया बजनाथ मडल तो इधर यह सोच खनी जोर-जोर स रगड़ रहा था कसाला हम 3 साल स फकन बाब क गाड़ क पीछ लग ए ह इ दरा आवास क लए और यहाजत चमार का लड़का ब डग ठोक द रहा ह

दोन अब तज कदम स चल थोड़ी र नकल आए थ चहर पर कसी आफत स बचनकलन जस भाव थ दोन धमवीर आपस म लगातार ब तयात भी जा रह थ

ldquoसाला हम तो कह आज गया जात धम सब इतना इ जत स बोल रहा था क लगाकह चाय पीना ना पड़ जाए सालाrdquo जगद श यादव न आख नचात ए कहा

ldquoसही बोल ज ग दा हम तो इस लए दख ना कस घर बनान क तरफ बात ही मोड़दएrdquo बजनाथ मडल अपनी बात-मोड़न मता पर इतरात ए बोला

ldquoअब दखो क कौन-कौन आता ह इसक म दर क उद घाटन म साला परा गाव मदया ह योता ब त खचा-पानी कर रहा ह यह भी एक लाज का ही बात ह बजनाथ कआज तक फकन बाब भी टोला का म दर नह बन पाया और यहा एक ह रजन का लड़कादखो म दर बना दया और परा गाव भोज भी खलान जा रहा ह वाह र कलयगrdquo जगद शयादव न बबाद हो रह यग पर चता कट करत ए कहा

ldquoअर छो ड़ए म दर-फ दर ज ग दा वहा प ब र दास क ार पर ख टया पर दखकौन सोया आ था हम तो दख आ य खा गए ह दादाrdquo बजनाथ न मह बा कर कहा

ldquoनह दख हम यान नह दए कौन थाrdquo जगद श यादव बोलldquoअर ली जए अर बरागी प डत क लड़कवा था चदनवा साला बताइए कस त कया

ल मल छ क जसा उ टा आ था कौन कहगा क बाभन का लड़का ह जात धम सबख म कर लया ह साला ई छ ड़ाrdquo बजनाथ न ा ण व क ास पर बना खनी खाए हीथकत ए कहा

ldquoबोलो ह भगवान बरागी प डत जी को पता ह क नह बताओ जब प डत बाभनका लड़का ऐसा अधम हो जाएगा साला सरा लोग बचारा या बचाएगा धम ह रजन कघर खाता-पीता-सतता ह अब या बचा ह ऐसा आदमी का कस बात का प डत सालाइ ह सब क पाप क कारण तऽ कलयग म इतना वनाश हो रहा ह बजनाथ जब ठाकर-बाभन अपना धम का नाश कर लया तो या बचा इसी को तो घोर कलयग कहत हबजनाथrdquo जगद श यादव न घोर कलयग क प रभाषा का साराश बताया

ldquoचदनवा ह ही पापी बरागी प डत जी क हाथ स नकल गया ह और असली बात तोकछ और ह जसक चलत दनभर वह पड़ा रहता ह बाद म बताएग आपको कभीrdquoबजनाथ न घोर कलयग का आधा ता का लक कारण ही बतात ए कहा

ldquoका हाथ स नकलगा साला हमारा बटा अगर इस तरह चमार क घर खा-पी ल औरार पर ख टया पर सत जाए तो साल को घर स नकाल द या गोड़-हाथ तोड़ क घर बठा द

हम लोग तो य वशी ह मजाल ह क कोई चमार क हाथ का छआ खा ल या चाय तक पील च लए जात-पात नह करना चा हए ल कन धम भी तो कोई चीज ह हम बाहर कभीजात-पात नह करत होटल म खात ह पाट म खात ह कोई द कत थोड़ ह ल कन यहनह करत क कसी ह रजन क घर घसकर रह और खाए साला लाज भी नह प डत जीक बटा कोrdquo जगद श यादव न जात-पात को गलत मानत ए ही कहा

ldquoहा प का बात बोल अब हम ही को द खए तली ह जात का ल कन इतना भी गयागजरा नह ह क कसी ह रजन घर जाकर खा-पी ल हमार ार पर ऊ लोग आता ह अगरबहा-शाद म तो खलात- पलात ह मगर आप क हएगा क उन लोग क घर जान तोएकदम नह जात ह जात-पात छआछत का बात नह ह ल कन समाज का मरजाद औरनयम भी तो कोई चीज हrdquo बजनाथ न भी अपना तल व छलकात ए कहा

ldquoऔर या सही बोल दखो अब कह बरागी प डत जी का पतो न बन जाए कोईह रजन का लड़क एक ऐसा काड हो चका ह इसी गाव म बाप र फर हो गया तऽ अबक बार प डत जी का बनास ही लखा जाएगा ल ण ठ क नह लग रहा हमकोrdquoजगद श यादव ह क हसी क साथ बोल

भारत म छआछत क बीमारी क सबस बड़ी वशषता यही रही थी क यह बीमारीबस कसी खास एक जा त या वग ारा पो षत नह कसी एक जात क बपौती नह थी

यहा हर जा त क नीच एक जा त थी भारत म सबस ऊपर क जा त तो खोजी सकतीथी पर सबस नचली जा त खोजना अभी तक बाक था

यहा हर जा त क लए कोई न कोई जा त अछत थीतली क लए ह रजन अछत था यादव क लए तली अछत था य क लए दोन

अछत थ ा ण क लए तो सब अछत थ मानव का मनो व ान बताता ह क वह पश सआनद पाता ह ल कन कसी को न छन का आनद भारतीय जा त व था क अपनीमौ लक रसो प थी अछत रस सबस नमल रस था यह कसी-न- कसी प म सबकोआनद दता था हर चीज को छकर चखकर दखन क ज ास पीढ़ न भी इस ाचीनभारतीय अछत रस क वाह को लगातार बनाए रखा था टच न क जीवनशली वालीपीढ़ जब जात-पात क नाम पर टच करन स परहज कर रही होती तो सारी ग तशीलताऔर आध नकता एक छलावा लगन लगती

इधर दन गजरन क साथ ही प ब र क यहा तयारी जोर-शोर स चलन लगी आयोजनका लगभग परा भार बरची न ही उठा रखा था उसक साथ ह रजन टोला क कई नौजवान

एक पर पर खड़ थ चदन पाड भी बरची क साथ लगा आ था प ब र दास को इन दोनक प म अ छ म और सहयोगी मल गए थ म दर म पजन एव अन ान क लए आस-पास क गाव स कसी अ छ प डत का मलना म कल हो रहा था इलाक क सबस गणीऔर नामी प डत आचाय ी सरय झा स जन जी न मनचाहा द णा दन क पशकश कबावजद भी पजा करान स मना कर दया था उ ह न बरची को लगभग डाटत ए कहा थाldquoतम पसा दकर हमार ा ण व को नह खरीद सकत हम पस क लालच म धम नह नकर दगrdquo

इस पर बरची न खट स पछ लया था ldquoकभी बना पसा लए भी कह पजा करबाएह या प डत जी सठ-सा कार क यहा तो जो सबस यादा पसा दता ह दशहरा- दवालीका मन पजा उसी का करात ह ई कसा धम ह जो पसा लकर सठ क लए शख फक सकताह ल कन ह रजन क लए नह rdquo

यह सनत ही प डत सरय झा स जन न अपन लकड़ी का खड़ाऊ बरची क कपार परद मारा था सयोग अ छा था क सर फटा नह जब प ब र दास न पाव पकड़कर माफमागी तब जाकर कसी तरह स बाबा शात ए थ प डत सरय क छोट बट न पजा घर सगगाजल ला उनका दोन पाव पखारा तब जाकर प डत सरय झा स जन पनः प व यो न मरीसट ए प डत ी स जन धम क कड़ पालनकता थ धम का पालन य करत क धम सकमाया तो धम ही खात धम ही पीत थ रोट खात तो उस पर श घी स पहल lsquo ी रामrsquoलख दत घर क सामन वाली चापाकल क गध य ह क पीली लोहरइन पानी पीत तोउसम पहल एक तलसी प ा डाल दत जसस क उसम तरत ब ट रया का पाप धल जाएऔर वह हा न न प चा सक ऐस धमा मा क आ मा को ठस प चा उस दन बरची औरप ब र न अनजान म धम य छड़ दया था भा य अ छा था बरची का क इस दवासरस ाम म बना ब त यादा चोट खाए नकल आया था उस दन क बाद स ही सबस बड़ीसम या यह हो गई थी क अब भला प डत कहा स लाया जाए ऐस समय म वह चदन हीथा जसन अपन फफर बड़ भाई को समझा-बझाकर इस आयोजन क लए तयार कर लयाथा चदन का यह फफरा भाई प डत न यानद चौब काशी स कमकाड का श कोस करचका था इस तरह चदन न एक बड़ी सम या का समाधान कर दया था प ब र क लएइस कारण प ब र का मन चदन क लए अगाध ा स भरा आ था चदन क दन सलकर शाम प ब र क यहा ही कटत चाय पानी ना ता चलता रहता

बरची क प ब र स मलाकात भी एक सयोग ही थी प ब र म दर नमाण क दौरानही ढलाई क छड़ बधवान को लखन लोहार स सपक करन गया था जहा बठ बरची सउसक बातचीत होन लगी और बात -बात म बरची प ब र का साथी बन गया था फर तोबरची न म दर नमाण का सारा काम अपनी नगरानी म करवाया था मज र कम पड़न परखद मज री तक क थी बरची क साथ ही चदन पाड भी वहा आन-जान लगा था चदनधीर-धीर बरची क बना भी वहा जान लगा था अभी तो पछल 2 दन स वह डटा पड़ा थाम दर उद घाटन क व था क लए चदन अभी ख टया पर लटा अखबार म खल प पर

आख धसाए कसी वदशी म हला ट नस खलाड़ी क त वीर दख रहा था क तभी प ब रक नई मोटरसाय कल लए बरची प चा उसन चदन को साथ लया और भोज क लएराशन क साम ी क ल ट लखान रसोइया गलाबो जी महाराज क पास नकल गया

उद घाटन क तयारी जोर-शोर स चल रही थी

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मरारी क चाय कान पर मलखानपर गाव क परी क बनट ही बठ ई थी कल ही प ब रदास क यहा म दर का उद घाटन होना था कौन-कौन आयोजन म जाएगा और कौन नहजाएगाmdashइ ह सब बात पर लगातार मथन जारी था सब एक- सर क मन क थाह ल रहथ जगद श यादव कसी ज री बलाव पर थाना जा रह थ पर यहा चचा का मह व यादादखकर पछल 1 घट स यही जम ए थ बजनाथ भी नकला तो था बकरी को बगल कगाव जतवारपर ह टया म बचन ल जान क लए पर अब वह जाना भल चका था वो जसबच पर बठा उसी क पौआ म बकरी क र सी बाध अब सीध चचा म शरीक हो गया था

बीच-बीच म बकरी उसक लगी ख च लती तो बजनाथ बना उसक तरफ दख उसकमह पर लात मार दता और लगी छड़ाता वह तो अभी बाय हथली म खनी लए उस दा हनहाथ क तजनी स रगड़त ए लगातार वहा बठ लोग क मह क तरफ दख रहा था वहचाहता था क इस अ त सवदनशील मद द को पहल सन-समझ ल तभी कछ कह

ldquoनवता तो घर-घर जाकर दया ह और ब त इ जत पानी क साथ हाथ जोड़करबलाया ह प ब र अब द खए कौन जाए कौन नह जाए ई अलग बात हrdquo मरारी नखौलत ध म चटक भर चाय प ी छड़कत ए कहा

ldquoहा भाई दखो ना जी परा गाव आज प ब र दास का नाम जान गया एक बार म हरघर का आर दख लया ई 4 दन का आया आदमी दमाग तो लगाया बजोड़ ल कनच लए धम-कम का मामला ह इस लए भया णाम करत ह हम काह बोलग जसको जानाह जाए भयाrdquo जगद श यादव जस कसी छप ए एजड का पदाफाश करत ए एक मझ

ए राजनी त क तरह कटनी तक लवर म बोलजगद श यादव क ऐसी भाषा को सबस यादा बजनाथ ही समझता था उसन पहल

तब स रगड़ा रही खनी को मह म फाका और तब वतमान चचा म पहली बार लपककर महखोला

ldquoसब बात तो बझ गए ल कन ई दमाग या लगाया हmdashई बात जरा खलकर बताइएन दादाrdquo खली बात को परा खोलकर बजनाथ न अपना काम करत ए कहा

ldquoअर खोलना या ह मरद सब ख ल ह दख नह 15 दन पहल ही सब घर म काडबाट दया काह काह क आप हम क रए चचा प ब र दास का साला बड़का-बड़कानगर सठ चपचाप धम करता ह यहा इतना तामझाम का या मतलब बताइए या कामभाई म दर का उद घाटन म काड छपवान का क लयर परा पॉ ल ट स ह इसम ई टोटलदमाग बर चया का ह धम क नाम पर एक ह रजन को चमका क दखा रहा ह सबको हम

नह जानत क उ प ब र दास ब त अ छा आदमी ह क खराब ह ल कन यह ज र बोलगक बर चया उसको ल लया ह अपना गयर मrdquo जगद श यादव न म दर उद घाटन पर अबतक का सबस सनसनीखज बयान दया

ldquoभा क जगद श दा आप तो एकदम ब त र तक का बात सोच लत ह आजकलसमय बदल गया ह सब चीज म काड छपता ह दादा लोग छोट-सा मठाई कान खोलताह तो उसम म भी काड छपवाकर बाटता ह अर नया पसा कमाकर आया ह तो कोई भीकरगा थोड़ा खचा-पानी अपना-अपना शौक होता ह प ब र का कपड़ा-ल ा दखत हकतना हसाब स रहता ह एकदम कतना बार आ चका ह चाय पीन इहा भी बोली-बहबारतऽ ठ क ह उसकाrdquo मरारी न खद सीधी-सीधी समझी बात को सीध-सीध श द म कहदया

ldquoओ तो यहा भी उठन-बठन लगा ह प ब रrdquo जगद श यादव न झ लाई-सी हसी कसाथ पछा

ldquoअर नह दादा कभी-कभार चाय पीन आता ह यहाrdquo मरारी न जलत च ह म कोयलक कछ टकड़ डालत ए कहा

ldquoतम बस चाय बचो मरारी ई पोल ट स और राजनी त तम नह समझोग जगद श दाठ क तो बोल रह ह अर ह तो ह साला मसलमान क घर भी नवता द दया ह इसकाका मतलब तम ही बताओrdquo बजनाथ मडल न कड़ मजाज स कहा

इस पर मरारी न भगोन म छननी पटक कछ कहना ही चाहा था क बड़ी दर स चपबठा लड डन मया उछल पड़ा ldquoऐसा मत बोलो बजनाथ ह - मया का बात कहा स घसादए यहा तो सब का सब क घर दावत चलता ह जसका जसस चलता बनता ह उसकोदावत दता ही ह सब हमको कतना मसलमान ऐसा भी ह जो नह बलाता ह और तमकोकतना ह नह बलाता हrdquo लड डन मया एकदम स उबल पड़ा था जस बजनाथ भीभला चप रहन को नह बठा था

ldquoहम भी कोनो साद - बहा और घर का फ शन पर नह बोल रह लड डन मयाधा मक काम क बार म बोल रह ह म दर का पजा म मया का या काम ह कोय बता दहमकोrdquo बजनाथ न एक स च ह दय स कहा

ldquoअर सनो बजनाथ पीर बाबा का मजार पर गाव का उस मला लगा न चार तरफ कब ती का मसलमान आया था न जी उसम बताओ क मलखानपर का ह घर म दावतनह दया या उस कमट अर खाली हम अपन हाथ स 30 स यादा ह क घर काडदकर आए ह चदा का रसीद भी काट सबका और सनो मला का फ ता कौन काटाबताओ याद ह तमको याद कर लो फकन बाब काट थrdquo लड डन मया न उस मला कऐ तहा सक आयोजन का एक धम नरप अश सनात ए कहा

बजनाथ अब चप बठ गया था उसको वस भी असली चढ़ तो वा तव म मरारी स थीएक तो यह जानकर क प ब र दास भी अब यहा आन-जान लगा ह इसस थोड़ा और

खीज गया था यह खीज तो जगद श यादव म थोड़ी और यादा थी पर असली ग सा तोबजनाथ को इस लए था क 2 दन पहल ही मरारी न बजनाथ स पछल चाय क उधारी कातगादा कर दया था ह क -फ क बहस म मरारी न यह भी कह दया था क जतना चकादन का भरोसा हो आदमी को उतना ही उधार लना चा हए यह बात बजनाथ को गहरी गड़गई थी आज इतनी दर म एक भी कप चाय नह पी थी बजनाथ न जगद श यादव कतरफ स चाय चलन क बावजद भी उसन कप को हाथ नह लगाया था

गाव दहात का एक आदमी अपन वा भमान क खा तर एक कप चाय क अलावा औरछोड़ भी या सकता था क मत न उसक पास छोड़न और यागन को और छोड़ ही यारखा था मरारी न खद भी एक बार चाय उसक तरफ बढ़ाई तो यह बोलकर बजनाथ न मनाकर दया क घर स अभी तरत कवल ध क चाय पीकर नकला ह

ldquoअ छा छोड़ो ना यह सब ह - मया या श कर दए तम सब अर यहा मटर ह कह रजन क घर कौन जाएगा मरारी स प छए क खाली इ जत स बला दन पर जात-पानीसब ख म करन चल दना चा हए का प ब र घर खा एकदम प ब र ही हो जाए का औरअसली मसलमान भी या चल जाएगा कसी चमार क यहा करीम मया दज का कामकरता ह ना बाजार म उसको कल पछ हम वह बोला क जगद श भया पठान ह हमचमार क घर पानी भी हराम ह हमार लएrdquo जगद श यादव न lsquo ह -म लम एक ह सालrsquoटाइप नारा बलद करत ए कहा

ldquoकरीम मया तऽ ठ क बोला य लोग भाई पठान ह हम लोग ठहर कसी तरह खान-कमान वाला क लाल कछ लोग करशी ह मीट बचन वाला पठान लोग तो करशी पसमदाऔर हम लोग को भी छोड़ दता ह दावत-पानी म ल कन जब कोई दगा-फसाद हो जाए तोफतवा होगा क सब मसलमान एक ह चलो मल क लड़ो साला बताइए कसी एकमसलमान क लड़ाई म सब का जाना या ज री ह ह म साला ठ क ह सब जात काअपना अपना हसाब ह एक ह क चलत सब ह नह पसाता ह जादब को जादबदखता ह राजपत को राजपत दखता ह और बाभन-ब नया को उसका अपना जात हमरइहा तो अ लाह क नाम पर सब मसलमान को भ ड़या-धसान करा दता ह हमरा बरादरीइस लए ई सबका तो बात ही मत क रए जगद श दा हाथ जोड़त हrdquo लड डन मया न दोनहाथ जोड़ दद- बरादरी सनात ए कहा

उसक बात स साफ था क मसलमानी समाज अपनी आत रक सामा जक व थाम आपसी जा तगत भदभाव और छआछत तो करता था पर सकट क समय व सब कवलमसलमान हो जात थ जो लड डन को अजीब ही लगता था लड डन न जोर दकर कहा थाक जब मसलमान को भी जातीय छआछत करना ही ह तो फर एकदम ह क तरहईमानदारी स कर जसम कसी भी हाल म जातीय बटवारा कायम ही रह ऐसा न हो कखान-पान म र रखो और मार-दग म साथ बला लो

उसन साफ-साफ अपना दखा आ अनभव बताया क लाख दगा हो जाए ल कन हम कोई ह रजन को बचान जादब को नह कदत द खएगा न कोनो ह रजन क ब ती वाला

दगा म कोई पडी-ठाकर दौड़ रहा होता ह आग बझान मसलमान का या तऽ जादव स दगाहोता ह या पडी स होता ह या राजपत स होता ह या ह रजन स होता ह भाई ह स नहहोता ह दगा

लड डन इसी तरह ह क तरह हर मद द पर जातीयता क कठोर पालन का प धरथा

आज मरारी क चाय कान पर ह जा त व था क गौरव-गान को एक मसलमानन तान दकर राम-रहीम क ऐ तहा सक परपरा को और मजबत कर दया था तमाम पराणऔर म तया जस एक हो करान क साथ एकाकार हो जान को थ लड डन आज हमसलमान नह था आज उसक मख स एक श भारतीय हो रहा था जो जातीय

व था क हजार वष परानी भारतीय परपरा को गव स उगल रहा थासब लड डन क तरफ दख रह थ तभी जगद श यादव बोल ldquoबात तो इसका एक

नबर सही ह ठ क बोल रहा ह ईrdquoहाला क लड डन अब खद समझ नह पा रहा था क उसन या बोला इतन दर तक

और लोग न उस या समझाबात इसी तरह बना बात चलती रही इसी बीच सफद शट पर नीली लगी डाल मोहन

साव भी वहा प च गया उसक आत ही एकबारगी सबक नजर उसी पर गईldquoका हो मोहन कहा स आ रह होrdquo जगद श यादव न लगभग सही अदाजा लगात

ए ही टोकाldquoअर जगद श दा यही गए थ जरा प ब र दास क यहा पनीर ध और खोआ का

ऑडर था वही माल प चान गए थ ब ढ़या आदमी ह साला मन माल दए और समचाहसाब करक पसा पकड़ा दया फटाक एक पया उधारी नह यहा तऽ गाव क बड़कारहीस क घर भी माल द जए तऽ पसा लन म च पल खया जाता हrdquo गाव क अ य बड़लोग स प ब र का तलना मक अ ययन करत ए उसक व पर एक क मती रायरखत ए बच पर बठा

ldquoसो कसा बब था ह हो मोहन दाrdquo अबक सनत ही बचन बजनाथ न लपककरपछा

ldquoबजोड़ बजोड़ पछब मत करो बजनाथ सम चा खाना श घी म बन रहा ह तलखाली तरकारी म डलाएगा लहसन- पयाज मना हrdquo मोहन न आख दखा हाल आखबड़ी-बड़ी और गोल कर सनाया

ldquoत खाना तो उसक घर पर ही बनगा न कारीगर कहा का ह कौन जात हrdquoजगद श यादव न अभी तक का सबस ज री तकनीक सवाल पछा

ldquoघर स कोई मतलब नह रखा ह खान-पान का समचा गाव को नवता दया ह ऐसागलती काह करगा सारा काम म दर क हाता म होगा जतवारपर वाला गलाबो महराज कोबलाया ह खाना बनान इलाका का नामी कारीगर ह मारबाड़ी बासा का कारीगर ह श

बसनव भोजन बनाता हrdquo मोहन न सारी शका का लगभग समाधान करत ए कहाldquoबो लए ई भी एगो आसचर ह क गलाबो महराज कस तयार हो गया जी इसक यहा

खाना बनानrdquo जगद श यादव च तत वर म बोलldquoपसा द जए तऽ सब तयार हो जाता ह जगद श दा पसा कछो करा सकता हrdquo

बजनाथ न जगद श यादव क ज ासा को त काल शात कर उनक मन को एक सहारा दतए कहा

ldquoअर सनो ऐसा भी नय होता ह इसका मतलब क हम भी पसा म बक गए सालबजनाथ कछ भी बकर-बकर बोल दत हो अर जा क दखो न पहल उसका साफ-सफाईसब काम सध तरीका स कर रहा ह सब कछ म दर स हो रहा ह दवी-दवता का काम हकौन ना बोलगा जी त हर यहा बठ क भाषण पलन स या होगा उसका बब था तऽ जाक दख आओ गाव म इतना खच कोई कया ह आज तक पजा पाठ म सध घी का पड़ीकोई खलाया ह क बोrdquo मोहन साव न उखड़त ए बड़ ख अदाज म कहा

कछ पल क लए सभी चप हो गए थ बजनाथ न इसी बीच अपनी बधी बकरी क महपर एक जोरदार लात मारा जो अब भी लगातार उसक लगी ख च रही थी बकरी जोर सममाई-भभाई उसक म-म और भ-भ म जस बजनाथ ही हो रहा था

जगद श यादव ऊपर वाल जब स खनी नकाल उस मलन लग मरारी इसी बीच दोअ य आए ाहक को चाय द रहा था

ldquoहमको तो लगता ह कल सब जाएगा प ब र दास क यहाrdquo लड डन मया न मनटभर पहल क च पी को तोड़त ए कहा

ldquoहा हा द खए सध घी म पड़ी छनात लड डन मया तयार हो गए ह जान क लएrdquoब त दर स चप मरारी न खल खलात ए चटक ली

ldquoऐसा भी बात नह ह मद मरारी समाज म कोई बलाएगा तो जाना पड़ब करता हrdquoलड डन मया न अब अपना नणय प ही कर दया

ldquoछो ड़ए चप र हए आप लड डन मया हम तो बलाए थ आपको काली पजा कासाद खान पाठा का ब ल दए थ आप तऽ तब बहाना बना दए बना जबह कया तऽ

खाइएगा नह काह क धरम चला जाएगा यहा सध घी का नाम सन महा मा गाधी बन रहह जाइए न कल मजा मा रए पड़ी तरकारी रसग ला काrdquo मरारी न हसत-हसत ही थोड़ीत खी स कहा और अपना बकाया सामा जक हसाब परा चकता कर लया लड डन मयास

यह सन लड डन मया मार शम क आब-जमजम ए जा रहा था मरारी क बात परबस म करा भर दया और जगद श यादव क तरफ मह कर बठ गया आ खर करता भी

या बचारा जब मन क चोरी पकड़ी जाती ह तो आदमी या तो रो दता ह या हस दता हलड डन मया क लए यहा दात चयार क हस दना ही ठ क था ऐसी बात प भला रोनाकसा

ldquoतब बजनाथ तम जाएगा क नह अब प ब र क यहाrdquo मोहन साव न मज लकरपछा

ldquoहमारा अकल का बात थोड़ ह सब जाएगा तऽ हम एकदम जाएग जगद श दादा सभी प छय जसा तय क रए सबलोग हमको वस भी जात-पात स कभी लना-दना नह रहाहrdquo बजनाथ न एक सफ सत क भा त कहा

ठ क तभी एक बार फर बकरी न उसक लगी ख ची और बजनाथ न बना उधर दखही सट क अदाजा लगात ए पनः एक जोरदार लात उसक मह पर मारा मरारी क चायकान पर चल रह इस महान सामा जक बठक क असली क मत तो इसी नरीह बकरी न

चकाई थी वो भी बार-बार सीध मह पर लात झली थी फर भी जब जब बजनाथ कोईमह वपण व दता इसन सीध उसक लगी ख चना छोड़ा नह था

श घी क गमक न बातचीत स नकल तनाव वाल गम हवा को अब थोड़ा शीतल करदया था इस महगाई क जमान म श घी क बात न सबक दय को काम भर तो पघलाही दया था

बजनाथ न जान-आन क नणय का सारा मामला भल जगद श यादव क म थ डालदया था ल कन उसका मन तो कर रहा था क आज क आज अभी ही चला जाए प ब र कयहा और पड़ी छनवा खा आए

पर बचारा करता या इतना आग बढ़ पहल ही इतना उ टा-सीधा बोल चका था कअब खद पहल करन म थोड़ा लजा रहा था

दशी घी क चचा स बजनाथ को याल आया क कस उसन कशोराव था स ही दशी-दा का नय मत तीन टाइम सवन कर अपना लीवर खराब कर लया था तल मसाला अबपचता नह था और डॉ टर न अगड़म-बगड़म खान स एकदम मना कर दया था कहशाद - याह क भोज-भात म जाता भी तो मजबान का दल रखन क लए मास का मसालापानी स धोकर खा लता था पर छोड़ता नह था आदमी होन क यही तो शत ह कसी भीतरह सलट दो छोड़ो नह आदमी का यही वाभाव तो उस आदमी बनाए रखता ह वनाजस आदमी क पास आ मसयम सतोष और याग क व त आ जाए वो तो फर दवताबन जाएगा आदमी थोड़ रहगा आ खर बजनाथ और ब म बस इतना ही तो फक थावना थ तो दोन आदमी ही एक अपन सयम याग और ब लदान स महा मा ब बन गयाऔर बाक नया बजनाथ क तरह आदमी ही रह गई

पट और लीवर क मारा-मारी क च कर म बजनाथ को ठ क स मन भर पड़ी खाएपाच बरस स ऊपर हो गए थ डालड म छनी पड़ी पचती नह थी इस लए म कल स हीछता था य तो भला हो उसक ठ क-ठाक गरीबी का क घर म कभी जम क भरपर तल-मसाला खाना ही नसीब नह होता था भात पर साग और हर भपाय स जी स दन कट रहथ वना भरा-परा मसालदार जीवन होता तो कब का नकल लया होता

ल कन दशी घी क बार म परख स सनता आया था क दशी घी न सान नह करता

ह उ ट कई बीमारी ख म कर दता ह दशी घीइस लए परख क इस कह को परखन और जीवन म पहली मतबा दशी घी क पड़ी

चखन क हत ढ़ न य कर उसन मन-ही-मन प ब र दास क घर क ओर ठोस कदमउठान का साह सक नणय लगभग ल लया था

घी तो वस जगद श यादव क मन भी गमका था पर व भी जताए तो जताए कस उससभी बड़ी चता उनको य हो रही थी क कह ऐसा न हो क सब लोग प ब र क यहा चलजाए और वही न छट जाए ऐस म तो एकदम अलग-थलग न पड़ जाए समाज म पर सीध-सीध अपनी इ छा भी तो नह बता पा रह थ उनक मन म यह मथन जारी था क कौनजाएगा और कौन नह जाएगा वहा क इतजाम का जसा वणन मोहन साव न कया थाउसस तो लग रहा था क गाव क लोग ज र जाएग जगद श यादव अभी कछ बोलन कऊहापोह म ही थ क सफद धोती कता पर लाल गमझा डाल बरागी पडी जी भी प च गए

पडी जी को दखत ही बजनाथ लपककर धीर स जगद श यादव क कान म बोलाldquoली जए इनको तऽ सब पत होगा ोगराम का इनक लड़का तऽ ह उहा रग मा टरrdquo

भत पशाच तक क हवा-बतास पकड़ लन वाल पडी जी क लए बजनाथ क यहचगली पकड़ लना ब त वाभा वक था जस आदमी का कान म ग म दन का ही पशाहो वो सामन वाल क ारा कान म कह बात का अदाजा तो बड़ी आसानी स लगा ही सकताथा बरागी पडी जी न कनखी स ही बजनाथ क शरारत दख ली थी और उनक कान म कछश द प भी सनाई पड़ गए थ

ldquoआइए णाम पडी जी ब ठए अभी तरत चढ़ाए ह ध खौला क बनात ह चायएकदम इसपसलrdquo मरारी न पडी जी को दखत ही बच पर बठन का इशारा करत ए कहा

ldquo णाम णाम खश रहो र मरारी परा आ सरवाद ह तमको एक त ह तऽ हआ सरवाद लन लायक बाक क जबरद ती दना पड़ता ह और का बात ह आज बड़ा दरतक बठक चल रहा हrdquo बरागी पडी जी न सबको एक नजर दखत ए कहा

ldquoतब बाबा गाव म तऽ कल बड़का धरम-करम होन जा रहा ह काली म दर खल रहाह आप जा रह ह क नह आ सरवाद दनrdquo बजनाथ न ही आख दबात ए ह क म कमारकर पछ दया पर उस पता नह था क बाबा वापस बदल म डक मारग

ldquoअर बजनाथ लो हम त ह को तो खोज रह थ कल साझ स ही अर अपना बटा कोक ोल काह नह करत हो भाई अभी तरह-चौदह साल क ह और इतना सगरट पीता ह कबड़का-बड़का क रकोड तोड़ दगा बताओ कल म दर क पछवाड़ म तीन-चार ठो चमटोलीक बत सग बठ क फक रहा था हम डाट क भगाएrdquo बरागी पडी जी न स च शभ चतकक भा त बजनाथ क बट क त भारी चता म डब वर म कहा

ldquoहमरा बटा कब दख आपrdquo बजनाथ क अदर का बाप छलककर बोला था जसldquoदखत तऽ रोज ह कल म दर क पछवाड़ म दख लए तऽ डाट आजकल का ब चा

कसी बजग का भल भी तऽ नह दता ह डाट तऽ ही ही कर क चल दयाrdquo बरागी पडी जी

न मरारी क हाथ स चाय लत-लत कहाldquoऐसा शकायत फ ट सन रह ह बाबा ऊ भी आपही क मह स ऐसा क पलन कोई

नह कया आजतकrdquo बजनाथ न अपन बट क त भयकर भरोस क साथ कहाldquoलो अर कोई काह करगा क पलन कसको मतलब ह आजकल कसी स सब तऽ

चाहता ह क सर का ब चा और भी बगड़ जाए अर ऊ तऽ तम जस सर क बाल-ब चाका खबर रखत हो वसा सब कहा रखता ह एतना भला आदमी कतना ह गाव म तऽ हमभी सोच क कम-स-कम त हर भी बटा का खोज खबर तमको प चा दrdquo बरागी पडी जी नचाय क पहली घट नगलत ही अपना स चत ोध उगलत ए कहा

ldquoका क रएगा बाबा आजकल का जमाना ही उ टा हो गया ह या हमारा और याआपका कसी का लड़का हाथ म नह बाप बस मा रए-पीट न सकता ह साल का च र रथोड़ बदल सकता ह जो कपार म लखा क आया ह वही होगाrdquo बजनाथ न जस एकअसली भारतीय बाप क नय त का सच बयान कर दया

बजनाथ यह कहकर एकदम स शात पड़ गया था ड बी स खनी नकाल उस हथलीपर रख चहर पर बना कोई भाव लए धीम-धीम रगड़न लगा

बरागी पडी जी न तब तक चाय पी कप बच क नीच सरका दया था चहर परबजनाथ को एक बाप होन का अथ समझा दन का सतोष था

ldquoद खए बरा मत मा नएगा बाबा तऽ एक बात तो हम कहग ल कन माफ क रएगाअगर ज रयो बरा लग त बात ई ह क भल कसी का बटा हाथ स नकल जाए ल कन ऐसाभी नह होना चा हए क समाज स नकल जाए आपको चदन बाबा को थोड़ा क ोल करनाचा हए पडी जी हो क इस तरह स चमरटोली म रच-बस जाना ठ क नह कल दन तबसमाज म या बच जाएगा फर जब प डत-बाभन का लड़का ऐसा करगा तऽ हम लोग काबाल-ब चा तऽ फर पछब मत क रएrdquo जगद श यादव न बजनाथ क म छत होन क बादमोचा सभालत ए कहा

ldquoल अर अब जो हाथ स नकल गया ऊ समाज क खा तर या कगा जसकासमाज स चलता ह उसको फकर होता ह समाज का हमर बटा का हम चलात ह उसकोका फकर समाज का ल कन हमारा समाज ही चलाता ह दाना-पानी तऽ दखो हमको पराफकर रहता ह समाज का एक-एक बात सनत ह समाज का हम जस दन बठ जाएगह रजन टोला म उसी दन समाज हमर जगह पर सरा पजारी रख लगा म दर म हमकोभगा दगा इस लए हमको परा चता ह समाज का बटा का छोड़ो न उसको न पजा-पाठका काम आता ह न उसका मन ही ह ई सब करान का कह जाता भी नह ह जजमानी मसब अकल हमको दखना होता हrdquo बरागी पडी जी न एक बार नीच और फर आकाश कओर मह करक कहा

ldquoगजब ान द दए आप बाबा मन आपको डर नह लगता या समाज स बटा तऽआपका ही ह उसका करनी भी तऽ आपको भरना होगा बटा को सभालन क जगह उ ट

सह द रह ह ई गलत चीज ह बाबा माफ क रएगाrdquo जगद श यादव न थोड़ी खजआहट कसाथ कहा

ldquoअर बड़ा आया समाज का डर कोय लाठ ल क डराएगा का डर लगता ह पट सलाठ स नह समाज रोट बद कर दगा सबस बड़ा डर यही ह जगद श इसी स डरत हबस तऽ उसक लए हम तऽ भर ही रह ह न सब अपमान और बज ी और जब ल ई पटऔर भख ह तब ल ई डर रहब करगा इसम कहा मत हrdquo बरागी पडी जी न गमझा कधपर डालत ए कहा गोरा चहरा भीतर क तमतमाहट स थोड़ा बगनी-सा हो गया था परपट का मारा आपा न खोए तो हो शयार पडी जी बवकफ नह ही थ

ldquoभ क बाबा आप तऽ गसा गए एकदम स अर आप ा ण दवता ह आपको कौनलाठ मारगा ऊपर वाला क लाठ स फर बचगा का जो भी ई पाप करगा और पट तऽसबका भगवान चला रहा ह बाबा कोई कसी क भरोस नह rdquo जगद श यादव माहौल कोतरत ह का करन क को शश करत ए बोल

व मन म तो अब यह सोच रह थ क कलयग म भल प डत का आशीवाद लग न लगसना ह साल का शाप लग जाता ह जगद श यादव न य भी सन रखा था क बरागी पडीजीभ क काल ह जो बोल द ऊ लग जाता ह बरा बोल तो गारट होता ह भला जगद शयादव गलती स भी यह गलती य करत इस लए तरत तवर बदल कोमल नमल हो गएथ या पता कछ बरा नकल जाए पडी जी क मह स बना द णा वस भी अ छानकलता ही य

ाचीन काल म तो ा ण का जलवा था कमडल स जल छ ट दन भर स आग लगाऔर बझा दत थ

अब यह मडल कमीशन क बाद का दश था 21व सद का दश कमडल पहल जसाकाम ही नह करता था ल-द अब काली जीभ का ही सहारा था जसन ा ण व क जलवको थोड़ा ब त बचाए रखा था कछ मा यताए काल ा ण को लकर सावधान रहन क भी

च लत थ ऐस ा ण कभी गोर होन वाली म का उपयोग नह करत थ इस तरहमला-जलाकर प डताई अब भी काम भर हड़का-फड़का लन वाला जॉब माना जाता रहाथा समाज म जल अ त स र अब भी धा मक टोटका क चलबल ह थयार थ जसकाकवल ा ण ही नह ब क कोई भी जा त इ तमाल करती थी तो लोग डरत थ ा ण सइतर इसका उपयोग सभी नचली जा तय म धड़ ल स होता था जसम डायन-जो गन कानाम ल हड़कप मचान क एक फली-फली परपरा थी

ldquoनह भाई जगद श जब भोला बाबा क कपार पर लोग मार क ना रयल फोड़ द रहातऽ हमर जस बाबा क कपार पर लाठ काह नह मारगा लोग और ई भी जान लो सबकापट भगवान दखत ह ग ल कन पजारी का तऽ जजमान दखता ह बाब जो जजमान दगाउसी म चलना ह हमरा तोrdquo जस बरागी पडी जी म कोई भौ तकवाद चतक बोल गया था

ldquoअर अब आपक आग हम या बोलग बाबा बस यही चाहत ह क आप लोग कब चा का स कार दख क हम लोग का बाल ब चा भी एक-दो ठो अ छा चीज सीख लगा

इस लए आपको टोक दए चदन बाबा का बात उठाकर बाक माफ क रएगाrdquo जगद शयादव न स कार दन का सपण लोड बचार प डत जी क माथ दत ए खद ह का होत एकहा

इधर अकल एक पजा वाली साजी और आरती वाली थाली घमा जदगी चला रहापजारी अपन माथ यह बोझ भला य लता ल कन स दय स स कार दन का टडर जसवग क ह स हो उसस समाज आज भी इतना उ मीद तो करता ही था

ल कन बरागी पडी जी उनस अलग थldquoउधार क स कार पर अपना ब चा को मत पालो-पोसो जगद श याज चकात मर

जाओग जीवन भर ई जो दान-द णा दत- फरत हो यही न याज ह अर अपना स कारदो ब चा को हमार जस पजारी क भरोस कौन-सा स कार मलगा जसको खद साझ करोट का चता रहता हrdquo बरागी पडी जी न बना कोई आध नक दशन और सा ह य पढ़बड़ी गढ़ और ईमानदार बात कह द थी हाला क इसका भान न खद उनको ही था न वहामौजद अ य कसी को कभी-कभी ऐस ही चाय कान पर बतकही करता आम आदमीखनी रगड़त-रगड़त अपन समय का असाधारण स य बोल जाता था जस अनजान म अभी-अभी बरागी पडी बोल गए थ

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रात क लगभग नौ बज ह ग र कह बादल गड़गड़ा रह थ प छया क जोर स काल बादलइधर ही चल आ रह थ आसपास कह वषा हो चक थी इस लए बीच-बीच म थोड़ी-सीठडी हवा भी छकर नकल जा रही थी

य घट दो घट प आती-जाती रहन वाली सरकारी बजली पछल तीन घट स लगातारगायब थी गाव क ग लय म घ प अधरा था बीच-बीच म कभी आसमानी बजली कड़कजाती तो कभी कोई जगन चमक जा रहा था गली म

कामता साद हाथ म टॉच लए पदल ही गली स नकल रह थ सामन कसी क आनक आहट पर उ ह न सीध उसक चहर पर टॉच मारा

ldquoकौन जीrdquo कामता बाब क मह स नकलाldquo णाम सर हम हrdquo सामन वाल न आख मच मचात ए ह क आवाज म म करात

ए कहाldquoओ अर तम ह जी इतना रात इधर कहा जा रहा हrdquo कामता बाब न खड़ होकर ऐस

ही पछ दयाldquoजरा नीच टोला जा रह थ सोच इधर स चल जाए उधर खत तरफ स रात को

द कत होता ह आधी-पानी भी आ रहा ह सरrdquo उसन आराम स बतायाldquoअ छा अ छा तब जी या करत हो आजकल पढ़ाई छोड़ा और जीवन एकदम

बबाद कर लया तम पता नह का हो गया त हर दमाग कोrdquo कामता बाब खड़ हो य हीबोलत गए

ldquo या कर सर अब जो होना ह होगा पढ़ाई कौनो शौक स थोड़ छोड़ सब तऽ जानतही ह आपrdquo उसन बझी आवाज म कहा

ldquoऐसा भी कोई बात नह था पढ़ सकता था फर स तम खर अब थोड़ा ढग स जीनासीखो पीना-खाना कम कर दो बढ़ मा का तो सोचो एक दन हमस कह क रो रही थीइस लए इतना टोक-बोल दए तमकोrdquo कामता बाब न इतना कहा और टॉच जलाया

ldquoहा सर आप ठ क बोलत ह सधार करग सरrdquo उसन धीम स कहाldquoचलो चलत ह बटा आ रहा ह द ली स शखर को तऽ तम जानत ही हो नrdquo

कामता बाब अब चलत-चलत बोलldquoहा हा सर अर हम लोग साथ खब कट भी खल ह कतना साल हो गया ल कन

च लए न सर हम भी भट कर लग तब जाएगrdquo इतना बोल वो भी कामता बाब क साथ बसटड क तरफ जान लगा

ldquoलो चलो तब चलो म लए लना साल भर बाद आ रहा ह अ छा ही ह ब ढ़यापढ़ाई- लखाई क लए इतना याग तो करना ही होगा वस भी उसको घर-गाव स ब तलगाव नह ह यहा गाव म ह भी या ब ढ़या ब च स उसको इस लए हॉ टल म डाल दएबाहर रहन म कभी कोई द कत नह आ उसको हा बस अपना म मी स थोड़ा मोह हउसको बोलता भी रहता ह क पापा आप गाव म र हएगा और हम तऽ जहा नौकरी करगवह साथ म ल जाएग म मी को हम तऽ भाई गाव म ही ठ क ह अब बढ़ापा आ रहा हजड़ को छोड़ कहा जाएग मदrdquo कामता बाब एकदम चहकत मन स बोल जा रह थ सालभर पर बटा आ रहा था बाप का मन बार-बार उड़-उड़ खद ही बट तक प च जा रहा थारलव टशन स उतर बस पकड़ क तीन घट लगत थ मलखानपर प चन म टशन परउतरत ही शखर न पीसीओ स फोन कर घर म बता दया था हाला क अभी पछल ही महीनअपना मोबाइल फोन खरीद लया था शखर न द ली म

शखर न लगभग छह बज बस पकड़ी थी और अब प चन ही वाला थाइधर अभी बस टड पर प च बम कल दस मनट ही ए थ क सामन स सड़क पर

एक आती ई गाड़ी क ब ी दखाई द कामता बाब लस कर बोल ldquoलो आ गया जवाहररोडवजrdquo

नजद क आत ही गाड़ी बना क गजर गई कोई सरी बस थी कामता बाब खड़-खड़ टकटक लगाए उसी तरफ दखन लग जधर स बस को आना था बस टड सना पड़ाथा समय काफ हो चला था कामता बाब बार-बार घड़ी भी दख रह थ तभी जोर स हॉनबजाती रतन रोडवज तजी स बस टड पर आई कामता बाब झटक स उछलत ए पीछ कओर हट बट क राह तकत-तकत एकदम सड़क क नजद क कनार तक आ गए थ बसक कत ही व दरवाज क तरफ लपकत ए दौड़ दरवाजा खलत पहल एक सवारी उतरीऔर उसक पीछ पीठ पर बड़ा-सा काला बग टाग और हाथ म एक और छोटा-सा बग लएशखर उतरा तईस-चौबीस वष का नौजवान गोरा रग म यम कद छरहरा शरीर आख पपतली म का च मा लगाए शखर बना ड ी जाच भी पढ़ा- लखा दख रहा था ब तखट-मरकर बचाए अपन जीवन क जमा-पजी बट म नवश करन वाल हर भारतीय पता कलए पहली सत यही होती थी क ब चा चाह जो बसी-कम कर पर दखना चा हए पढ़ा-लखा लोक म लक का अपना अलग महा य होता लक क कारण ही यहा ापारी बाबाकहलाता भोगी योगी माना जाता गाव स शहर जस-तस भी जाया जा सकता था पर शहरस गाव आदमी तयारी क साथ तयार होकर आता शखर भी टप-टॉप ज टलबॉय लग रहाथा उसक उतरत ही कामता बाब न उसक पीठ स बग उतारा पीठ ह का होत ही शखर नआधा स आधा कम यानी वाटर झकत पहल पता का ठ ना छ णाम कया और वापसबस क तरफ लपका

ldquoओक थ स ो नाइस ट मीट य वल सी सन ो बाय ब बायrdquo शखर न खलन जारही बस क करीब जा तजी स कहा

ldquoकौन ह बस मrdquo शखर क चद कदम चलकर वापस आत कामता बाब न पछा

ldquoवो एक लड़का था बातचीत होन लगा तो उसी न सीट दकर बठाया था बगल म नहतो खड़-खड़ आना होता तीन घटाrdquo शखर न कहा

तभी बस क सरी ओर स कछ ह ला-ग ला सनाई दया कामता बाब बग धर दौड़पीछ-पीछ शखर भी

ldquoअब साला हाथ छोड़गा तम र यही गाड़ दग अभीrdquo बस का ाइवर खड़क सगदन नकाल च ला कर बोल रहा था उसका एक पर लच और सरा ए सलटर पर थाग ग क जोरदार आवाज म ाइवर का ग सा इजन स नकल रहा था साइल सर स कालाधआ का गबार फक रहा था

ldquoसाला अभी खाली हाथ छोड़ ह अभी अगर एक इच भी बस सट जाता न तऽ गदनउतार लत त हारा दा पी क बस चलाता ह ब दखता नह ह सामन खड़ा आदमीrdquo नीचस वो मट ठ बाध तमतमाए बोल जा रहा था

पीछ स काल धए को छाटत-झाड़त आए कामता बाब न उस पकड़ा और कनार लआए तभी बस ाईवर न जोर-जोर स हान बजाया कछ सवारी लोग नजद क स मजा लनबस स नीच उतर आए थ सब तजी स दौड़कर बस म चढ़ एक पशाब करन को चला गयापसजर काय म को आधा-अधरा ही छोड़ चलत-चलत अपनी पट क जप लगाता आदौड़कर चढ़ा बस ग गाती ई नकल गई बस ाइवर क लए य सब च ला- च ली उनक

ट न का ह सा थाइधर कामता बाब उस शात करा रह थldquoअर शात शा त रहो न अब ऊ ाइवर ह उसक या मह लगना या ज रत उन

सबस लड़- भड़ जात होrdquo कामता बाब न कहाldquoनह सर दख न आप कतना ब दा था आप एकदम स बच गए ग ड़या एकद म

स आ क सटा दया था हरामीrdquo उसन जोर-जोर स सास लत ए कहाशखर को तो कछ समझ ही नह आया था कछ नह समझ पा रहा था क या आ

कब आldquoइसको पहचान क नह बटा तमrdquo कामता बाब न शखर स पछाशखर ण भर चप रहा रात का अधरा था सो चहरा टटोलन म पल भर लग गयाldquoहा हा अर कस नह पहचानग बरची जी ह नrdquo शखर न पता क ओर दखकर

कहाldquoहा हा द खए तऽ पहचान ही लए तरत शखर भाई हमको लग रहा ह क मोटा-मोट

हम लोग सात-आठ बरस पर मल रह ह बीच म आत भी ह ग तऽ भट नह ही आ थाखब कट खल ह साथ याद ह क नह rdquo बरची न अधर म ही वष पहल क कछ यादटटोलत हसत ए कहा

ldquoहा बरची जी सब याद ह इधर घर अब कम ही आत ह आत भी ह तऽ कसी सभट नह हो पाता ह अ छा अभी गरम य हो रह थ ाइवर परrdquo शखर न पछा

इस पर कामता बाब कछ बोलन ही वाल थ क बरची पहल बोल पड़ा ldquoअर ऊ सालाब दा ाइवर अभी एकदम ग ड़या धड़धड़ा क इधर घसा दया था बच गए आपक पापासटा दया था साला वही चढ़ क साल को एक ही फट तऽ दए थ अभी क समचा नशाउतर गया उसका दा काrdquo बरची जोर-जोर स बता रहा था

ldquoशराब पी क ाइव माय गॉड कतना इलीगल ह यrdquo शखर न एकदम एक वदशीपयटक क भा त च कत ए वासी टाइल म कहा कोई भारतीय इस बात पर भलाच कगा ही य

ldquoअ छा छोड़ो अब दर हो रहा ह जाओ तमको भी कह जाना था न बरची ढर रातहो गया चलो चल इसका म मी आर खड़ी होगीrdquo कामता बाब न दो-चार कदम बढ़त एकहा

ldquoहा सर च लए न हमको द जए बग घर तक छोड़ आए अधरा भी ह तीन घटा सलाइन नह हrdquo बरची यह कहत ए बग लन क लए बढ़ा

ldquoअर नह टाच ह चल जाएग दखो पानी भी बदाबाद होन लगा जाओ नकलोतम हम लोग भी झटक क चल जात हrdquo इतना बोल कामता बाब तजी स चलत ए आगबढ़न लग शखर भी पीछ-पीछ हो लया था

ldquoअ छा तब ठ क ह हा पानी भी तज होन लगा सर अ छा णाम सर अ छा शखरभाई फर भट होगाrdquo इतना बोल बरची ऊपर टोला का रा ता छोड़ अब वापस खत क हीरा त तजी स चलत ए नकलन लगा बदाबाद अब ब त तज हो गई थी कामता बाबऔर शखर भी लगभग दौड़त ए घर क तरफ जा रह थ

घर क दरवाज पर लालटन जलाकर शखर क मा क याणी दवी अदर रसोई म च हपर खीर चढ़ान गई थी

ldquoयहा लाइट का कडीसन खराब ह या बताइए इ क सव सद का भारत आज भीलालटन यग म जी रहा ह पापा ऊपर स य क पट ल ट गवम ट ल-दकर हर चीज का

ाइवटाईजशन कए जा रही ह बच डालग य पजीप त दश कोrdquo शखर न घर क दहरी परप चत ही पहल दश क ज री सवाल रख फर अपना पाव रखा घर क अदर कामता बाबन एक नजर अपन प क तरफ दखत ए उसक भीतर बाहर क छलबला रह रा ीय-अतररा ीय ान क बचनी को दखा और म कराकर बस इतना कहा ldquoअ छा इतना दनपर आए हो थोड़ा दन सरकार स बना सवाल पछ बना स ा स लड़ हम लोग क साथ

म स बता लो फर तो जीवन भर दश सवा ह ही और आज ई बजली कटन म पजीवादक हाथ नह ह आधी-पानी म कटा ह आ जाएगा थोड़ा दर मrdquo कामता बाब न य बातहसत-हसत ही कही थ

शखर तब तक मा क पाव छ खड़ा आ था मा न उस गल लगा पहल उसका माथाचमा और तौ लया स फर उसका सर प छन लगी बदाबाद म बाल भीग गए थ शखर ककामता बाब भी टगनी स गमझा ल अपना सर प छ रह थ

ldquoचलो ज द स ई कपड़वा बदलो और प हल खाना खान बठो ज द फर बाद मकरत रहना नो बाप-बटा मल क दश- बदश क चता हमको तऽ न कबो इनका बातसमझ म आया न त हरा भगवान जान कतना ऊचा पढ़ाई पढ़ लए तम जो त हर माई कोही नह समझ आता हrdquo मा क याणी दवी न भी हसत ए कहा और रसोई क तरफ चलीग खाना नकालन क तयारी क लए

क याणी दवी घरल म हला थी भारत म घरल म हला उन अ छ म हला को कहतथ जो कसी क घर म पदा होती थ कसी क घर म पलती थ फर कसी क घर चलीजाती थ घर म रहती थ और घर म मर जाती थ इधर कामता बाब दश- नया कघटना म च रखन वाल आदमी थ जो अखबार और ट वी-र डयो स हरदम अप-ट-डटरहत थ उनका गाव म कह यादा उठना-बठना था नह सो इन वषय पर गपशप या चचाका कम ही मौका मलता था कभी-कभार घर म ही प नी क याणी दवी को बना पछ हीकई जानकारी दत रहत थ और प नी प त क हर दए ान को जीवन का उपहार मान घरलकाम म त बस हा म सर हलाती रहती घर म एक बट थी पर उस भी पता कराजनी तक-सामा जक चचा म च होती नह थी इटर करन क बाद उसका भी दा खलाबाहर ही नातक क लए हो गया था सो घर पर अब अ सर बस दोन ही ाणी होत थऐस म जब कभी शखर घर आता तो कामता बाब जी भर हर मद द पर ब तयात बात -ही-बात म अखबारी खबर स इतर कई बार कामता बाब क जीवन का ावहा रक ान शखरक मोट -मोट कताब स हा सल ान पर इतना हावी हो जाता क शखर झझला भीजाता

क याणी दवी न पता-प क लए खाना परोसा और खद वह सामन बठ गईldquoम मी तम भी अपना खाना लगाओ न साथ ही म खात ह न सबलोगrdquo शखर न

खान पर बठत ही कहाldquoनह हम बाद म खाएग खाओ न हमस अभी नय खाया जाएगा बाद म खान का

आदत हrdquo मा न गम पड़ी थाली म डालत ए कहाldquo या आदत ह य म मी इसी आदत को तो बदलना ह य जो स दय स म हला

को रसोई और आगन म कद रखा ह हम सबन इसी बधन को तो तोड़ना ह हमको तो शमआता ह कभी-कभी क इतना पढ़- लख क भी हमार फ मली म भी नारी क त इस सोचस पी ड़त ह हम य या जो म हला खाना बना रही ह वही बाद म खाएगी य प षवादमान सकता बदलनी होगी हम दस इस ट मच सॉरीrdquo शखर न परा खाना परोस जान सपहल ही थाली म प षवाद स ा क व बगल फक दया था बगल म बठ पता कामता

साद हाथ म गम पड़ी का एक टकड़ा लए उस फक रह थ शखर को इस अदाज म सनफक भीतर चली गई क याणी दवी भी बट क य सब बात सन पहल तो थोड़ा-साअकचकाई और फर स जी लान रसोई क तरफ चली गई

ldquoअर बाप र बाप ए शखर बटा कोय कद नह कया ह हमको आ खर पापा कमा कलात ह दन भर म मर-खट क तऽ या हम घर भी नह सभाल एक आदमी बाहर दख रहा

ह तऽ एक आदमी हम भीतर दखत ह घर क तम एतना दन पर आए हो तऽ गरम-गरमछान क न खलाएग एक बर छान क जमा कर रख द ठडा हो भसी हो जाएगा पड़ीब ढ़या लगगा ठडा इस लए न प हल खला द फर हम खाएग तम तऽ का-का बोलनलगrdquo क याणी दवी न रसोई स स जी लात ए कहा

इस बीच कामता बाब एकदम काठ बन बठ थ एक नजर शखर क तरफ दखा औरफर प नी क ओर मन-ही-मन कछ सकड क लए तो कलजा हल गया था उनका उनकोअचानक लगा क जस कसी न स दय स होत आ रह नारी-शोषण का सारा दोष पटककरउनक माथ पर साट दया हो एक पल तो अपन प ष होन क अहसास भर स सहर गए थकामता बाब अभी वहा मौजद घर म व अकल प ष थ य क शखर तो बटा था जमीनपर बठ भीतर-ही-भीतर धस जा रह थ सामन रखी दाल क कटोरी म उ ह अपना चहरादखा उ ह लगा कसी प षवाद स ा क सचालक का र चहरा दख रह ह तभी हाथ सपड़ी का टकड़ा थाली म गरा कामता बाब को लगा जस वो अपनी नजर म गर गए अगलदो-चार ण बाद खद को सभालत ए थाली स पनः टकड़ा उठाया और उस झट स मह मडाला तब जा क कछ नॉमल ए हाला क पहली बार ऐसा आ था जब खाया आनवाला उ ह उतना वा द नह लगा था जतना अ सर क याणी दवी क हाथ का बना उ हलगता था

इधर शखर अभी भी लगातार पड़ी-स जी खीर पता माता घर क द वार ऊपरलटका आ पखा सबको सवा लया नजर स दख जा रहा था जस वो सब स यह जवाबमाग रहा हो क यह शोषण आ खर कब तक

उसक धम नय का ल खीर म उतर आया था उस खीर का रग लाल नजर आ रहाथा ल का वग नारी म क लए हलोर मार रहा था उसका मन पट क भख स पहलइस पतस ा शोषणवाद परानी परपरा को मटा दना चाहता था थाली म रखी पड़ी मन कभीतर चल रह इस गम चतन क बीच रखी-रखी ठडी हो रही थी

कामता बाब अपन प क भीतर उठ रह बदलाव क बवडर चतना और लग रह व ोहक आग क ताप को महसस कर चक थ य क वो एकदम सटकर ही बठ थ

उ ह त ण खयाल आया क ज द पानी नह छ टा गया तो अदर-ही-अदर ल डाजलकर खाक न हो जाय करा त राख न हो जाय क ोल करना होगा

ldquoऐसा ह प हल खा-पी लो शा त स दन भर का भखल-थकल होओग खा लोआराम स और य जो सामन तमको नारी दख रही ह न ई खाली बस नारी नह ह बटा ईहमारी प नी ह और त हारी मा भी जसका बटा साल भर बाद घर आया ह और इस लएमार खशी और लार क दौड़-दौड़ कद-कद पड़ी छान रही ह इसका कलजा कहता ह कपहल बटा को भरपट खला ल तब हम खाए तम नह होत हो तो साथ ही खात ह हमदोन अब जस औरत जस मा का मन बटा को पहल खलाकर तब खान पर ही त तहोता ह तो उसको ा त करक काह बदल रह हो नारी स उसक इ छा और सत भी पछोबटाrdquo कामता बाब न बना यादा त ख ए भी थोड़ खपन स कहा

ldquoअछा ओह छो ड़ए न अपना भाषण चलो चलो हम भी खात ह न साथ अर बटाजठा हाथ फर रसोई नह घसना चा हए न इसी बा त नह खा रह थrdquo क याणी दवी न प तपर थोड़ा झड़कत ए और बट पर लार छड़कत ए कहा कामता बाब त ण ही चपहो गए और पड़ी पर तजनी रख अगठ और म यमा स कौर तोड़न लग पता जब भी तावक तरह गम होन को होता मा उस पर ठड पानी क छ ट क तरह पड़ ही जाती मा काजोर हो तो बटा अ सर ठड ताव पर ही अपन जद और मनमानी क रोट सक जाता

फलहाल बट का दल रखन क लए क याणी दवी न ज द स एक थाली म खानानकाला और वह साथ बठ खान लगी मा न अपनी थाली स एक नवाला उठा शखर कमह म डाला शखर ह का-सा म कराया और खान लगा

इधर कामता बाब को भी अपनी त खी का अहसास हो गया था इतन दन पर तो बटका आना आ था और पहली ही रात इतन खपन स बात करन क बाद उनको भी भलाकस न द आनी थी रात को

ldquoअर भाई हम भी बस बोल रह थ सखा थोड़ रह थ खद ही समझदार ह य इतनीबड़ य नभर सट म पढ़ता ह बात तो सब ठ क ही कहता ह द खए आ खर साथ म खाए नआप अइसह न धीर-धीर समाज बदलता हrdquo कहकर कामता बाब न म करात ए अपनीगलती का प ाताप कया अपनी थाली स एक रसग ला उठाकर शखर क थाली म रखाशखर न भी म करात ए उस तरत उठा मह म भर लया

असल म कामता बाब क लए शखर का वभाव कोई नया तो था नह व कहत भी थldquoअ सर यादातर आदमी अपनी जवानी क दौर म समाजवाद नारीवाद या मा सवाद मस कछ-न-कछ ज र होता ह और एक दौर क बाद वो न त प स इनम स कछ भी नहहोता ह सफ कमाता-खाता आदमी होता हrdquo

सचमच जीवन का ाकरण कछ ऐसा ही होता ह जब परी जोश-जवानी वशषण कसाथ जीन वाल क ह स एक समय कवल या रह जाती ह कॉमरड रहा यवा स चवालयम करानी बन लाइट क पस स पान कचर सहयोगपण वातावरण म सफलतापवक फाइलनपटा रहा होता ह और यवा अव था का घनघोर रा वाद रहा आदमी चायनीज झालर काहोलसलर बनकर दशी मन स वदशी म ा अ जत कर रहा होता ह

कामता बाब खद जवानी का एक दौर ऐसा जी चक थ जब उ ह न जपी का आदोलनदखा था हर व नया पलट दन क बदल दन क ऊजा अदर स ठलमठल करती थी

आदोलन क उवर जमीन स नकला एक यवा आज मा टर साब क प म बसरटायर होन क गनती गन रहा था अपनी शाद म चमचम रग वाला नाप स सवा नबरयादा का कोट पट पहनन क बाद ा त का चोला कब-कहा उतार फका उ ह ठ क स याद

भी नह अबकामता बाब न अपन बट को श स ही बड़ सजग होकर पाला था गाव म रह बगड़

न जाए इस बहद उ चत डर क कारण उस बचपन स हॉ टल भजा था वहा इस बात क

गारट थी क उस अब कोई सरा नह बगाड़ पायगा लड़का खद ही ज मदार बनगाआ म नभर होगा

दसव तक जात-जात शखर न मकाम पाना श भी कर दया था रात स लकर सबहको मॉ नग शो म दखी जान वाली सभी तरह क फ म दख ली थी यारहव म कचटकल सनन का शौक न बना और बारहव तक प चत-प चत तो अपनी क होतीरचना मकता स वय ाइवट मड नजी क चटकल बनान लगा था बचपन स ही मास-मछली स र रहन वाल घर स आए ब च इस आपस म नॉनवज बोल हसत-ठठात थ

लड़क क कल म पढ़ा होन क कारण लड़ कय स ससग न क ही बराबर थामायापरी नाम क कछ प का न जतना प रचय करवाया था बस उतना ही जानता थावो लड़ कय को उनम भी सब अ भन या ही थ त कय क नीच स एक बार कमीकाटकर नाम क अ भन ी भी बरामद ई थी lsquoहमrsquo फ म म अ मताभ ब चन क साथlsquoच मा च मा द दrsquo गा रही यह अदाकारा शखर क मन म ऐस बस गई थी क मायापरीमगजीन म उस दखत ही लड स काट नकाल लया था अपन लए इसी म म तज धारस उसक ऊगली कट गई थी और खन नकलन लगा था शखर न वो खन कमी काटकरक माग म भर दया था खन भरी माग वाली वो त वीर वष थी शखर क पास

पर नातक क लए द ली आन क बाद उसक जीवन म इ लड क औ ो गक ा तक तरह बदलाव आया

उसन खद म ऐसा बदलाव महसस कया जसा महा मा गाधी न द ण अ का जाकरकया था द ली म ही पढ़ाई क दौरान वो वामपथ मा सवाद समाजवाद और नारीवादजस श दाव लय क वा त वक अथ स प र चत आ वो च क वामपथ क सबस बड़ गढ़क प म पहचान जान वाल कपस का छा था तो वाभा वक तौर पर छा सगठन क भीसपक म आया और तब उसन महसस कया क अभी तो आजाद होना बाक ह यह उसनजाना क आजाद होकर जीना या ह उसन धीर-धीर आजाद होन क या पकड़ीश आत सगरट पीन स ई यानी आरभ ही धआ-धआ कर दया था शखर न

पहली बार जब शराब चखी तो पर न तक बल क साथ मा स का नाम लकर दागटकना सार जमान क गम और जहर को पी खद को बाबा भोलनाथ का नीलकठ लवरदन जसा परमाथ फ ल दता था उसन अपन सा थय को दखा क कस दन-रात समाजउसक गरीबी और शोषण क व सम या का हल खोजत ा तकारी साथी गाज क धएस चतन-मथन नकालत रहत ह उसन पहली बार यह गाज का यह लोक हत-प औरसामा जक सरोकार दखा था उस यह तो मट ट क चलम माओ स तग क ब क क नलीलगी जसक रा त ा त को आना था

उस अबडकर याद आए उ ह न कहा था क स वधान अ छा या बरा नह यह उसचलान वाल पर नभर करगा

आज तक सगरट गाजा और दा को लखर ल च बगड़ल का आइटम समझनवाल शखर को अनभ त ई क असल म य काम क चीज गाव म तो अ सर गलत लोग क

हाथ दखता आया था आज सही पढ़- लख व तजन क हाथ म वही सगरट जलतीमशाल लगती थी यह फफड़ा नह पजीवाद को जलाएगी एक दन दा - कडनी नह क पट ल ट को खाएगी

यह उसन दखा क लड़क-लड़ कय म कोई भद नह शाम 3 बज क बाद ग सकल क छट ट स घर जाती छा ा का झड नकल जान क बाद लड़क दखन को तरस

जान वाली आख न यहा रात क बारह बज लड़ कय को लड़क का हाथ पकड़ गोरखपाडय क जनगीत गाता दख जाना क बाक नया को अभी कतना बदलना ह जहालड़ कया शाम स पहल चौखट क भीतर जमा कर द जाती ह और जहा दन क उजाल मभी लड़ कय स हाथ नह ब क नजर तक मलाना अपराध ह

द ली म रहत-रहत अब वो ाक तक प स नारीवाद हो चका थाएक समय लड़ कय पर भद द जो स बना हसन वाला शखर अब इतना घनघोर

भयकर नारीवाद हो चका था क वो मगा खाता था मग नह कोई ध हता तो उसकाखन खौलता वो सवाल खड़ करता बल य नह दता ध गाय का शोषण य मादा ही

य ही जाएजत व ान शखर क इस व ोही ा तकारी सवाल पर न र हो जाता मह छपा

लता करनाल क अनसधान क म नवीनतम योग कर रह अतररा ीय व ा नक ध कसवाल पर ल जत हो पानी-पानी हो जात

महानगर म दो कार का नारीवाद चलन म था एक तो हर नारी म मा बहन दखनाऔर सरा क चाह मा बहन या कोई हो सबम नारी दखना

शखर च क गाव क प भ म स था सो हर नारी म मा बहन दख-सनकर आया थाइस लए यहा उसन सरा वाला कार ही ीफर कया

शखर क बम कल कछ प ष म थ इसक आस-पास म हला लड़ कय कासमह ही नह ब क अ छ -खासी स या का सघ था जसम कई लड़ कया और म हलाएथ

शखर उनक साथ उठता-बठता अठखली करता इ डया गट क पाक म बड मटनखलन चला आता और जब पाच-सात मनट खलत-खलत थककर चर हो जाता तोबतक लफ हो लग नप भाव स कसी भी म हला साथी क गोद म सर रख लट जाताउनक ट फन स पराठा शयर करता आ नटखट मन स उ लत हो थोथना पर न छलहसी लए उनक गाल पर अचार घस दता कभी लपककर चोट ख च दता तो कभीउलझी चोट पनः सलझा उस नरगाठ कर स जत करन हत करीन स गथ भी दता

इतन न ल त और न कपट भाव स बाल ड़ा तो उसन कभी बचपन क दो त कसाथ भी नह क जतनी नारीवाद को आ मसात करन क बाद वो यहा कया करता था इसतरह शखर नारी-प ष क बीच हर भद मटा दन क लए जो कछ भी सभव यास करसकता था वो कर रहा था शखर अपन क पस म म हला हत चलता फरता ख-बाटन

सटर था मी स मनमटाव स लकर घर म शाद क दबाव जसी हर सम या सनता और खबाटता म हला क मद द को लकर वो इतना सवदनशील हो चका था क वो कोई भीसम या सन सम या सनान वाली लड़ कय स यादा बचन हो जाता था वो दो लोग कसम या को लकर रात भर बचन हो जगन वाला अकला तीसरा था दश म जब कसम या वाल दोन लोग सो रह होत थ शा त स कई बार कई लड़ कया अपनी सम या बताभल जाती थ नॉमल हो जाती थ तो शखर उ ह उनका ख याद दलाकर तब पनः उनसउनका ख बाटता क पस म शखर lsquoशखर एक स गनीrsquo क नाम स मश र था

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ldquoकाली माई क होअता पजनवा पजनी चरनवा न होrdquo भोजपरी म बज रह इनभजन क साथ आई आज क सबह म एक अलग-सा तज था गाव क द ण-पव कोन सआ रही लाऊड पीकर क आवाज मलखानपर क चौक और बाजार तक प च रही थीमाना जाता था क म दर-म जद क लाउड पीकर क आवाज वा तव म अनत री परऊपर बठ ई र-अ लाह तक चली जाती ह इस मामल म धा मक थल म लगा साउडस टम व ान क हद स बाहर का आइटम था

सबह पाच बज स ही लगातार माता क भजन हनमान चालीसा इ या द बज रह थफल वॉ यम स टन-टन कर रह वातावरण म आस-पास क पड़ क पछ आज समय सपहल ही घ सला छोड़ जा चक थ

बरची शायद पहली दफा इतन सवर नहा-धो इस तरह साफ-सथर कपड़ पहन म दरागण क तरफ नकल चका था गहर ल रग क सती फलपट पर पीला कता डाल बरची

आज एकदम व णव कायकता लग रहा थारा त म हाथ म लोटा ल खत जा रह जगदा म सर क चचर भाई बदरी म सर क बगल

स जब बरची गजरा तो मटमली धोती पसीन स सनी सडो गजी बच ए बखर बाल होठम खनी दबाए बदरी म सर आज बरची क आग मानो ल छ दख रह थ उ ह न एक नजरअचानक पलटकर बरची को जाता दखा फर पहचानन क बाद नजर घमा लया मन-ही-मन बरची क अ ाक तक व छता प भनर-भनर lsquoअर सा ला बर चय ही हrsquo बदबदातआग चल दए

इधर चदन न भी भोर-भोर उठ कए पर भर-भर बा ट नान कर सफद पजाम परपॉ ल टर म स स क का गो डन कलर वाला कता पहन लया था जो इसस पहल उसनइस कवल अपन तीन बरस पहल ए उपनयन स कार क दन ही पहना था तयार हो म दरक सभी दवी-दवता क पाव छए बजरग बली जी क बाह छई (मजबत बॉडी हत)

णाम कर ट का लगाया और प ब र क यहा जान क लए सामन चौक क नीच च पलखोजन लगा बरागी पडी जी भी जग ही चक थ अपन ब तर पर म छरदानी क भीतर सही उनक नजर चदन पर पड़ी बरागी पडी जी क लए यह सभवतः पहला मौका था जबचदन को वा तव म सवर-सवर नहा-धोकर म तक पर चदन लगाए दखा था वना इधर-उधरघसकर चदन बना गमक बकार ही जा रहा था बरागी पडी जी का मन इस समय अनजानम ही प ब र का आभारी महसस कर रहा था य क जो काम प डत-परख क स कार नकरा सक वो य प ब र क म ता न दखवा दया था

मन-ही-मन सोच रह थ चदन तो घसकर ही सग धत होता ह या पता इस रगड़-घसजदगी क बाद इस स म त आ ही जाए इस व म दर क अपन वाल दवी-दवता कोछोड़ पडी जी का मन प ब र वाल म दर क मा काली को नमन अ पत कर रहा थाथा पत होन स पहल ही मा काली क पास पहली अज बरागी पडी जी न डाल द थी ldquoमा

हमर पत को ब - बबक दनाrdquoबरागी पडी जी यही कामना करत-करत ब तर स उतर खनी क ड बी खोलत ए

टहलत-टहलत म दर ागण स बाहर आ गए तभी चदन तज कदम चलत ए म दर क पीछवाल रा त स नकला

पडी जी न उस जात ए दखाldquoअर ऐ सनो चदन कहा इधर आओ प ब र क म दर जा रहा का काली म दरrdquo

पडी जी न पीछ स जोर स टोकायह आवाज कान म जात ही चदन का कलजा धक स कर गया अगल ही ण मन

बोला lsquoल साला जसका डर था हो गया बाब जी का प डताई जग गया हमको इनकजगन स पहल नकल जाना था आ अब कचकच ई रोकग ह रजन टोला मत जाओकए ई चतरा खराब हमराrsquo

चदन इतना सब कछ सोचत ए वह ठहर खड़ा हो गया था पीछ मड़कर बस पताक ओर चहर पर खीझ और वनती क मलजल भाव लए दखन लगा

मन म चल रहा था ldquoआज इनको समझा ली जए भगवान बाप क स म त द द जएभगवानrdquo

यह पहला मौका था जब अपन कसी ाइवट मटर म उसन भगवान को ह त प करनको कहा था एकदम द वार फ म क वजय क तरह पहली बार वनती कर रहा थाभगवान स वना आज तक न बाप क फ क न म दर क भगवान क ताड़ी म आमगा पलकर भी म दर आ शा त स सो जाता था

उसक हा दक इ छा थी क आज अ छ काम म जा रहा सो बना कसी बाधा कजाए वना जाना तो उस था ही

ldquoअर तऽ वहा खड़-खड़ थोथना का दख रहा ह बला रह ह न कतना बज स हकाय म पजा काrdquo पडी जी न तज व न म पछा

ldquoसबर सात बज स श होना ह लट हो रहा ह हमको जान द जए न बाबजी पजा-पाठ का ही तऽ चीज ह बस गोड़ लग क चल आएग म दर सrdquo चदन न नजद क आत एएकदम मरमराए वर म याचनापवक कहा

ldquoपागल हो गया ह का र तमको रोक कौन रहा हrdquo बरागी पडी जी न नजद क आतए कहा

ldquoनह ऊ ऊ आप टोक तऽ लगा कhelliprdquo चदन न थोड़ राहत वाल भाव स अभी आधाही वा य कहा

ldquoओह साल परबानमान लगा रह थ आज तक कोय अनमान सही आ ह त हराजीवन म क बो तऽ सही सोचा करो हम बोल रह ह क जा रह हो तो बाड़ी स लाल अड़ लफल तोड़ लो ताजा वाला माई का पजा म लाल फल चढ़ना चा हए आजकल पसा वालापजा म खाली बासी गदा चढ़ाता ह लोग जाओ न अब मह का दखा रहा हrdquo यह बोलकरबरागी पडी जी म दर क अदर आ गए

चदन लगभग चहकता आ दौड़कर बाड़ी क तरफ गया और फल तोड़ वह पड़ परलटक रही पडी जी क साजी म उ ह सजा प ब र दास क घर क तरफ नकल गया

प ब र दास क यहा आज वातावरण ही अलग था जस सबह का सय ह रजनटोला मसात घोड़ का रथ लकर उतरा हो और अपन ऊजामयी काश स कण-कण द त कर दरहा हो टोल क कई म हलाए नहा-तयार हो प च चक थ कोई चबतरा धो रही थी तोकोई पजन-साम ी सजान म लगी थी

चदन वहा प चत ही सबस पहल प ब र क घर क तरफ गया और दो-तीन मनटइधर-उधर दखन बाद सीध म दर क अहात क ओर बढ़ा उस दखत ही आज क अन ान कआचाय प न यानद न आवाज लगाई

ldquoओ हो चदन बाब अर मद तम जजमान हो क साला तम ही गायब हो कतना दरकर दए आन म मामा का माथा गरम था याrdquo

ldquoभया णाम नह भया बाबजी क तऽ पता नह दमाग गड़बड़ा गया ह शायद ऊतऽ एकदम खश थ ऊ तऽ पजा क लए लाल फल भज ह पता नह भगवान उनका दमागका कर दए ह आज बड़का ता क ह आप आप ही तऽ मतर नह न मार दएrdquo चदन नजोरदार ठहाका मार गदन इधर-उधर घमात ए कहा

ldquoभ क ब तम तऽ भाई क नाम प टसन हो हमको गाली सनवाओग बरागी मामा सअर बाह पहल लाल फल दो खाली गदा चमली ला क भर दया ह यहा लाल फल चढ़ताह माई को मामा को जानकारी तऽ ह ही न जीrdquo प न यानद न खल मन स चदन क हाथस फल क साजी लत ए कहा वो जौ पर कलश रख उसम आम क प पान सपाड़ीइ या द व थत करन लग चदन भी साथ दन लगा

ldquoऔर कोई द कत तो नह ह न न या भया बब था ठ क ह नrdquo चदन न बलपसजात ए पछा

ldquoनह नह बब था तऽ एक न बर ह भाई रात को भी भोजन सारा श घी म ही थाबस जरा सतन म थोड़ा क हो गया म छर ब त ह मदrdquo प न यानद न अपना भभ रा

आ लाल-बगनी मह दखात ए कहाldquoअर म छर कस हम तऽ म छर वाला अगरब ी द क गए थrdquo चदन न जनऊ क

गाठ खोलत ए कहाldquoहा ऊ जलाया तो था हम बतबा दए उसका धआ नकसान करता ह एक

म छरदानी बब था करा दना वही ठ क रहगा दखना साफ-सथरा हो नया ही खरीद

लनाrdquo प न यानद गाल खजआत ए बोलldquoबय भया आप भी या बोलत ह धआ या नकसान करगा एतना गाजा फक दए

या उखाड़ा धआ च लए म छरदानी आ जाएगाrdquo चदन न हर फ को पनः धआ मउड़ात ए कहा

ldquoअर चदन ऐज म तमस बड़ा ह तमस यादा ही पए ह ग हम गाजा उसका बातअलग ह वो जड़ी-बट ह भाई मछरवा वाला म क मकल होता ह मद सनत ह हा न करताहrdquo प न यानद न वद क पास अगरब ी जलात ए कहा

अब सब लोग भी प च चक थ प ब र दास जजमान क गद द पर बठा प न यानदन पर व दक व ध- वधान क साथ पजन कराना ारभ कया लाउड पीकर स म ो चारणक वर चार ओर गज रह थ य - य घटा बीतता गया और लोग जमा हो गए टोला तोलगभग परा ही आ गया था बस एक घर छोड़कर यह घर जतन दास का था जतन दासका कहना था क जस जमीन पर म दर बना ह वो हमर प रवार का ह जस बाद म प ब रक दादा न मर दादा को पला- खलाकर बहकाकर हड़प लया

सरी ओर प ब र इस अपनी प तनी जमीन बताताइधर म त क ाण त ा होत दोपहर होन लगी थी इसी बीच बरची चदन को लक

शाम क भोज क तयारी म लग गया था दोन अभी बगल क पडाल म कस डाल बठ थजहा भोज का खाना बन रहा था

ldquoह रजन टोला छोड़ क और कोई लोग आ नह रहा चदन बाबा हमार टोला स भीबस दो औरत को दख हम ऊ भी बस परनाम करक चली गय साला खाना-पीना बबादतो नह न हो जाएगाrdquo बरची थोड़ी-सी चता करत ए कस पर बठ पीछ क ओर पीठ लजा दोन हाथ ऊपर कर अगड़ाई लता आ बोला

ldquoभय आप बकार टसन लत ह सब आएगा भोज क न टाइम आएगा और नह तोटोला म लोग कम ह का सा ला खाएगा भरदम और याrdquo चदन न न त भाव स कहा

ldquoआप नह समझत ह बाबा गाव म ब त पोल ट स ह कसी को बदा त थोड़ हो रहाह य सब ब त लोग साला जल क क रया हो गया हrdquo बरची न गाव का मजाज बतात

ए कहाldquoअर बरची भया यही तो दखन आएगा क चल क दख या ताम-झाम ह प ब र

दास क यहाrdquo चदन न अपन कम उ क थोड़ स स चत और सी मत अनभव स कहाउधर गाव आया शखर सबह-सबह जब उठकर घर क बाहर वाल बरामद क ताख पर

रात को ही अपनी छपा क रखी पान पराग-तलसी जदा लन गया तो उसी ताख पर उस एककछ दन पराना नम ण प दखा खोलकर दखा तो प ब र दास क म दर उद घाटन काआम ण प था

उसन तभी ही मा स इसक बार म पछा मा न प ब र क म दर क बार म जो भी पताथा बता दया

अब तो उस काड को हाथ म पकड़ शखर क पोर-पोर म एक तरग सी दौड़ गई थीजस मन म ा त क गीत बजन लग अपन-आप लब पर सयकात पाठ lsquo नरालाrsquo कक वता lsquoतोड़ो कारा तोड़ोrsquo बदबद करन लगी उसक आत रक खशी का ठकाना न थाजस वो बाहर मा क सामन द शत नह कर रहा था खशी इतनी जस प सी का ढ कन

च करन पर स ो कार क लॉटरी लग गई होकोई सम पत मा सवाद सवण लड़का अपन गाव आए और उस कसी द लत क यहा

जान-खान का अवसर मल जाए इसस बड़ी ा त त काल या हो सकती थी इतनी कमउ कम समय और सी मत ससाधन म हाला क व व ालय म लखप त घर स आएअपन कई द लत सा थय क साथ एक ही थाली म चकन त री बटर नान खा शखर न कईबार जा तवाद को तोड़ द लत को सश बनाया था ल कन उन द लत सा थय न इसकयोगदान को कभी तव जो ही नह द व खद को द लत मानत तब न शखर क इन कदमको ा तकारी मानत

समाज म समानता क स ात क लए सघष करत ए हमशा बराबर-बराबर मा ा मदा पी सवण होन का नाजायज लाभ लत ए कभी एक पग यादा नह गटका फर भीब त यादा डट इस मलता नह था वहा इस याग का लड़क उ ट इसी को हड़काकररखत शखर उनम एक वाभा वक द लत दखता था जब क व लड़क नय बन चक भारत कपढ़- लख सश यवा थ न क शखर क मन म बन डजाइन वाल द लत

असल म उसक य दो त शखर क अप ा कई गणा यादा सम प रवार स थ औरइस तरह शखर का जातपात और छआछत क व खड़ा होना उसक राजनी तकसामा जक दाश नक चतना क साथ-साथ शाम को दा -मगा क घनघोर आव यकता भीथी

शखर अगर जात-पात सोचता तो अपन खच पर कतन दन मा सवाद को ढो पातानवश भी तो था वचारधारा म ऐस फोकट म वचारक बनना सभव हो तो कोई भी न बनजाता पजीवाद क वरोध का मड बनाना हो तो उसम पजी लगाना होता था शखर को एकखया चक अधड़ मा सवाद न बड़ी ावहा रक बात समझाई थी ldquoएक अधमला खाद -कता पजामा प हन झोला ल बीड़ी पीत ए अरब -खरब वाल पजीप तय को ग रयान-भगान क लए आपक भीतर कछ तो असरकारी तरल पदाथ होना ही चा हए नह तो नल चई का आ म व ास आएगा न थथरई का तकrdquo

खर यह सब द ली क बात थ आज गाव म पहली बार शखर को अपन सपन क मॉडल द लत यानी ह रजन टोला म

थत गाव क योर द लत क यहा जान का मौका मल रहा था उसन तभी सोच लया थाकछ भी हो शाम को प ब र क यहा प चना ह हर बाधा को तोड़कर भी

शाम होत भी कहा दर लगी म दर म म त थापना का पनीत काय म स प हो चकाथा अब रात को भोज क साथ आठ पहर तक अखड क तन का भी आयोजन था

य - य सरज ढल रहा था लोग अधर म टॉच ल भोज खान जटन लग लड डन मयाभी प च तो गया था ल कन ट यबलाइट क रोशनी स थोड़ा हटकर खड़ा था जसस चहराप न दख वो एकटक प ब र स नजर मला लन क काफ दर स मश कत कर रहा

था अधर म हो नह पा रहा था बरची का परम म लखन लोहार भी प च चका था औरआत ही भोज खलान का मोचा पकड़ लया था भोज क लए पहल तो टबल-कस क

व था थी पर जब प न यानद न समझाया ldquo साद पी द भोजन को प ब र भ मपर बठ क हण करना ही शभ होता ह शा म प लखा ह क भ - भ उ सव मउपयोग कए गए टट वाल टबल-कस म मासाहार का भी सवन कया जा चका होता हअतः उसप साद को हण करना पाप का भागी बनाता हrdquo

इसक बाद तो मनट म सारा टबल-कस हटा चबतर क नीच कछ ही री पर दरीबछा जमीन पर ही खलान क व था क गई प न यानद न इसी टबल-कस क सगस जड़ कछ स कत क ोक भी बताए इसक बाद तो असर यह आ क प ब र बरचीसमत जन लोग न भी टबल कस छआ था व सब झट नान करक आए और तब भोजक बा ट पकड़ी

शाम गहरी हो रात बन रही थी खाना- खलाना आरभ हो चका था बरची क नजरइस पर लगी थी क गाव स कौन-कौन लोग आ रह ह पहली पात खला लन क बाद बरचीपसीना प छ बगल म पड़ी ख टया पर बठ खनी रगड़न लगा प ब र थोड़ा आग सड़क परबढ़ वह खड़ा हो हर आन वाल को हाथ जोड़ णाम करता और खान क पात तकप चाता बरची क साथ चदन भी बठ गया था और बात करन लग दोन नजर ल कनसड़क क ही तरफ थी दोन क

ldquoअ छा एक बात दख प ब र का ल ण एकदम नता वाला ह कतना म स हाथजोड़ रहा ह मन टोला वाला लोग को भीrdquo बरची न खल खलाती-सी हसी क साथ चदनस कहा

ldquoहा सही बोल बरची दा आज तक कोई ह रजन टोला क आदमी को परनाम करकतो भोज नह ही खलाया था बजोड़ काम तो आ ही ह ईrdquo चदन न भी हसकर कहा

तभी एक बाइक सामन सड़क स धीम ग त स गजरी उस पर बठा सवार गौर स इधरम दर और भोज क तरफ दख जा रहा था तभी बरची क नजर उस पर पड़ी

ldquoअर अर हई द खए जगद श जादब का लड़कवा कदनवा ह या बाप दखन भजाहोगा क दख क आओ कौन-कौन गया ह तब सोचगा आन काrdquo बरची न गम पड़ी कड लया लए आग बढ़त ए बोला

ldquoहम भी इसको तभी स पाच-छह बार राउड मारत दखrdquo चदन न भी अपनी स मअवलोकन मता क हवाल स कहा

खान क सरी पात बठ चक थी अब बाहर खड़ लड डन मया स रहा न गया लबीडग मार आ खरकार उजाल म आ गया प ब र न दखत ही णाम कया और बगल रखी

कस पर बठन का इशारा कया य क नयी पात खान बठ चक थी लड डन लगभगप ब र को ठलत ए आग बढ़ा और चलती ई बीच पात म जा बठा भाई इतजार क भीहद होती ह पट अब वो सीमा लाघ चक थी बरची न तरत प ा गलास लगा गम पड़ीचलाई लड डन मया को

ठ क इसी दौरान म दर स र ह रजन टोला जान क म य रा त पर लगभग आध घटस एक और बचन ाल म दर आन को आतर टहल रहा था

यह बजनाथ था दो-तीन बार तो वह म जल क करीब तक भी प च गया पर कसीसगी को न दख हच कचाकर वापस हो आया कोई रा त म उस दख पछता तो बता दताखत जा रहा इस समय रात को खत य वा जब सवाल उसस कसी न पलट कर नहपछा य क उस मलन वाल सब जानत थ क कहा जाना ह इस लड डन मया क तरहयह भी चाहता था क करीब जाकर कसी तरह बरची या प ब र स नजर मल जाए ऐसाहो जाता तो उस वहा खान का एक ता का लक कारण मल जाता उसन फर कहानी तयाररखी थी ldquo या करत खत जा रह थ क प ब र लया दख दौड़ क आ हाथ जोड़न लगाचाचा-चाचा बोल क पर गरन लगा बचारा मना नह कर सक कलजा कड़ा कर खा लएएक ठो पड़ी मन रखन क लए उसकाrdquo

ल कन य ता कक और मा मक कारण अभी उसक मन म ही थ मौका ही नह मलरहा था कोई दख ही नह रहा था उसक तरफ भगवान भी नह श घी क गमक सखचा चला आया यह अधीर हो रहा खवया अब उड़कर पात म बठ जान क सोच रहा थाएक बार मन म बदबदाया भी ldquoह भगवान काह ई जात-पात बनाएrdquo

सच म श घी क तासीर का जवाब नह कतना कछ पघला दती हइस समय अधर म टहल रह बजनाथ क मह पर कोई भी टॉच मारकर दखता तो उस

पर साफ लखा था ldquoमह ह बताबrdquoतभी मन क च कार कसी न सन ली शायद अचानक स एक बाइक क लाइट उसक

चहर पर पड़ी और सवार न बाइक रोक द यह शखर थाldquoअर नम त या आ चाचा कोई ॉ लम ह या यहा य खड़ ह कह छोड़ द

याrdquo शखर न बाइक रोकत ही पछाldquoओ अ छा अर शखर बटा बाह आप हमको पहचान लए मन खश हो गयाrdquo

बजनाथ न पहल तो अचकचाकर फर सामा य होत ए पछाldquoअर या बात बोल रह हो आप अकल जी कस नह पहचानगा हम गरीब

पछड़ आ दवासी म हला क लए ही तो लड़ना ह अगर तब भी न पहचान तो इतना हाईलवल पर पढ़न- लखन का या फायदाrdquo शखर न उस अपन पाठ य म का मल ह साऔर उस पढ़न क साथकता बतात ए कहा

ldquoएकदम एकदम शखर बटा अर आपक बाबजी भी ब ान आदमी ह उनका लड़काबीस तऽ होगा हीrdquo बजनाथ न बना शखर क बात समझ ए ही कहा हाला क मन म यह

ज र सोचा क उसक मामला म य अ दबासी म हला लोग काह घस गयाउसन यह भी सोचा क य कौन-सी पढ़ाई ह जसम अ दबासी म हला गरीब को

पहचानन सखाया जाता ह जब क हम लोग तऽ बना पढ़ ई सबको पहचान लत हयह सब सोचत ए भी उसका यान अभी असली मद द प ही फोकस थाldquoआप इधर कहा जा रह ह शखर बटाrdquo बजनाथ न बड़ी मठास भरी उदासी स पछाldquoहम तो इधर कोई प ब र दास जी ह उनक यहा ही नम ण ह डनर को जा रह

हrdquoldquo याrdquo बजनाथ क मह स जस भ क स नकला यह श द आख कसी उ का पड

क तरह चमक उस अधर म उसक बाछ मा नह खल ब क भीतर मन परस ही ज मबछड़ जसा कदन लगा था

ldquoअर हा हा एकदम नडर हो क च लए नम ण दया ह तो कसी स डरना याच लए न आप कहत ह तऽ हम भी चलत ह खत जा रह थ ल कन च लए अब आपक साथचलत ह च लए नडर एकदमrdquo मार खशी स पागल आ यही व च बात बोल बजनाथबना शखर क कछ हा-ना का इतजार कए लपककर बाइक क पीछ बठ भी चका था वोअचानक इतनी तजी स झकझोरका बठा क इसक लए पहल स नह तयार शखर स बाइकअसत लत हो गई और बाय ओर झक गई शखर न कसी तरह अपनी टाग को अड़ाकरगरन स बचाया खद को

ldquoअभी नया-नया सीख ह मोटरसाय कल लगता ह बलस करन धीर-धीर हीस खएगा कोई बात नह सीख जाइएगाrdquo बजनाथ न भी अपनी घट ट क फसी फलपटको साइलसर क पास स ख चकर कहा और अब दोन हाथ स पीछ वाल लोह क क रयरको कसकर पकड़ खद को सर त तरीक स सीट पर सट कर लया

शखर का तो यह सन मन भ ा गया था लगभग पहल तो उसका इस बात न दमागअमल का दही कर दया था क यह डनर क बात म नडर होना कसी स नह डरना कहास घसड़ दया ह बजनाथ न सरी उस दही म नमक डाल उसका नमक न ल सी इस बातन कर दया क जब बजनाथ न द ली जस महानगर म बाइक राइ डग करन वाल अनभवीयश वी पायलट को नौ सखआ समझ लया था

शखर स रहा नह गया चलती बाइक म ही धीर स बोला ldquoय तरीका नह ह स टगका थोड़ा-सा मनस आन ही चा हए कॉमन मन को भी ऐस ही थोड़ गाव पछड़ा ह सफइ ा कचर डवलप करन स या होगा एट ल ट सपल मनस तो चा हए न लोग मrdquo

ldquoहा सही बात ह ह मत तऽ करना ही होगा खाली म दर बना क श घी म भोजनकरान स नह होगा अभी ब त कछ करना होगा गोबरमट को भी एकदम ऐस ही नडर होक ब ढ़ए न सब ठ क हो जाएगा बटाrdquo बजनाथ न चलती बाइक म हवा क साय-साय कसाथ कहा

शखर एक बार पनः चकराया बजनाथ क बात पर फर उस नडर का माजरा नह

समझ आया इस बार तो असल म कछ नह समझ म आया असल बात तो यह थी कदोन को एक- सर क कोई बात अभी तक नह समझ म आई थी बजनाथ तो बस म जलतक प चन भर सवाद का पल बचाए रख ए था और टोह-टोहकर जो भी मन म आ रहाथा बोल द रहा था

मनट भर बाद जस ही शखर क बाइक प ब र क दरवाज प ची क बरची क नजरपड़ गई वो पगत म स जी चला रहा था स जी क बा ट कसी सर को पकड़ा वोदौड़कर शखर क तरफ आया शखर बाइक खड़ी कर आग बढ़ा पीछ-पीछ बजनाथ भी

ldquoअर आइए आइए शखर जी आप आ क तो सम झए ब त बड़ा उपकार कए हकसम सrdquo बरची न आत ही शखर को लगभग गल लगात ए कहा

ldquoब त डर रह थ ई हम बोल अर नडर होकर च लए कौन कछ बोलगा दख लगब त अ छा लड़का ह ईrdquo बजनाथ न बरची क तरफ दख कहा और बड़ी गौरवपणम कान क साथ भोज वाली पगत क तरफ दखन लगा

ldquoअर सट अप हद ह यार तभी स मझ पागल करक रखा ह इस आदमी न यारमतलब एकदम लटरली बास करना जस कहत ह न वो कर रखा ह मझ या बार-बारनडर- नडर लगाए जा रह हो आप तब स मन कहा था डनर करन जा रहा भाई डनरकसी स डर नह रहा कोई यार अकल मझ अब तो ब श दो आप जाओ खाना खाओrdquoशखर एकदम स भड़क-सा गया था उसन बजनाथ पर लगभग चीखत ए कहा

बजनाथ क सट ट - पट ट गम थी तरत वहा स हट भोज क तरफ सरक आयाबरची आ य म था क आ या ह

ldquoअर बजनाथ दा आप जाइए भोजन क रए पहल लगता ह कछ गलतफहमी आहोगा शखर जी क लए पानी लाओ कोई भाईrdquo बरची न मामला शात करात ए कहा

शखर अब कल हो चका था उसन सारी बात बताई दोन जोर स हसन भी लग बातपरी कर

ldquoऔर हा एक बात बरची जी य उपकार क बात मत क हए नम ण मलगा तोआएग ही य तो मरा फज ह म तो द लत और सवण का अतर मानता ही नह यही माइडसट तो चज करना ह सोसाइट काrdquo शखर न जातपात क चचा उठा जातपात समा तकरन क दशा म आज का अपना पहला बयान द दया था

ldquoसही बात अर आप तो पढ़- लख इटल चअल आदमी ह गाव क मख म ह य सबछआछत पराना लोग म ह ई जड़ ब नया पीढ़ थोड़ मानता ह य सब द खए न अपनाचदन पाडय प डत होकर भी कभी नह मानता कोई भी छआछत कोrdquo बरची न शखर कइस पनीत आगमन को सहयोग दत ए कहा

हाला क शखर को एक अ य सवण प डत लड़क का उसस पहल ही आ यहाछआछत उ मलन क मह फल लट लना अखर गया था उस लगा था उसका प चनाइ तहास बनन वाला ह ल कन वो दो नबर पर था और ब त स ब त इ तहास हरान का ही

य ल सकता था टॉप पर चदन का बज हो गया थाशखर न मन-ही-मन सोचा lsquo जस ग तशील सोच को वक सत करन क लए बड़

व व ालय का माहौल चा हए होता ह अ जी म लखी मोट -मोट कताब और उसककोटशन रटन पड़त ह बड़-बड़ स मनार अटड करन पड़त ह पाश और फज क क वताएगानी पड़ती ह उस समझ को गाव का एक अनपढ़ लड़का कस वक सत कर गयाrsquo

फर उसन सोचा lsquoय लड़का भावकता म बह आया होगा मरा तो वचा रक आधार हमरा वाला टकाऊ हrsquo

ldquoआइए न शखर जी इधर ब ठए आप पहल तरत लगवात ह भोजन आपकाrdquoबरची न कहा

ldquoय प ब र जी कौन ह जरा उनस तो मलवाइए मझrdquo शखर न कस पर बठत एकहा

ldquoहा हा अर द खए हम तो भल ही गए थ अर हो चदन बाबा जरा उधर स प ब रको भ जए तो इधर महराजrdquo बरची न खाना चला रह चदन क तरफ इशारा कर जोर सकहा चदन स इशारा पात ही प ब र तरत बरची क तरफ आया

ldquoयही ह प ब र दास बजोड़ काम कया ह गाव म ई या भ म दर बनवायाइतना धम-कम म खचा कर रहा ह और अर प व र भाई इनको पहचानत हो शखर भाईजी ह अपन मा टर साहब कामता बाब क लड़क सौभा य ह मद त हर यहा आ गए दखोब ढ़या स अलग स टबल धोआ क लगाओ इनका इनको नीच जमीन पर या बठाओगrdquoबरची न दोन का एक- सर स प रचय करात ए अलग स खान क व था करन कोकहा

ldquoनो नो ब कल नह गलत ह य म अलग नह बठगा लीज म भी आम लोग कही तरह नीच ही खाऊगाrdquo इस तरह शखर न अपन खास होन क अ त व को बना नकारअपन लए हो रही खास व था को ना कह दया था होता भी यही था ऊच लोग अ सरस वधा और ज रत क हसाब स नीच आ नीच वाल क साथ नीच बठ इ तहास रच दतऔर इ तहास दज कर पनः यथावत अपनी ऊची अव था को चल जात व उ ह ऊचाई परआकर साथ नह बठन दत इस ही शायद ा त कहा जाता होगा जसक साकार होन कबाट अभी स यता को ब त समय तक जोहनी थी

ऊच हमशा अपनी क णा मानवता उदारता क ामक बादल छोड़ उस धध म यहस य छपा लता था क ऊच लाख कसी छोट सग नीच बठ जाए ल कन जब तक ऊच-नीचआ त व म रहग तब तक यह व था भी रहगी और यह अ छ वाल ऊच लोग बार-बारइस व था को गाली दकर इ तहास म दज होत रहग

ldquoअब आप जसा बो लए शखर जी ई तो ब त बड़ा सोच ह आपका सब कोई ऐसासोचन लग समाज म तो सब महा मा गाधी ही हो जाए फर और गाव म राम-रा य ही आजाएrdquo बरची न थोड़ गभीर वर म कहा

शखर उसस यादा गभीर हो गया मन म ही सोचा lsquoअभी थोड़ी दर पहल एकआइटम क परफॉम स म तो चदन प डत न डट खा लया और अब जो ग तशीलता और

ान मझ आदरणीय मा स क मोट कताब न दए उसका यश गाधी खा गएrsquoअसल म गाधी का नाम इस दश म हर धारा पर भारी था जहा भी छआछत हसा

जातपात तानाशाही और मशीनीकरण क वरोध क कोई आवाज उठती गाधी वहा बनाआ ान भी चतना म वतः कट हो जात यह इस दश पर गाधी का चला व छ धवल जाही था जस गाधी न अपन कम स बाधा था यह दश जब भी कह द लत उ थान ामवरा य उसक उ त क सवाल उठाता अ धकतर उ र गाधी क ही हवाल स आत

शखर कस पर बठ अब अपनी मोबाइल दख रहा था बाक लोग शखर को दख रहथ

तभी मरारी और मोहन साव भी प च गए उनको दखकर बजनाथ न आवाज लगाअपनी ओर बलाया सभी खा रही पगत उठन का इतजार कर रह थ तभी चदन न आवाजलगाई ldquoच लए नया पात ब ठए मरारी भया बजनाथ चाचा आइए भाई सब लोगrdquo

ldquoच लए तब खाना खा ली जए आप भी नया बच बठ रहा हrdquo प ब र न बड़ीवन ता स शखर स कहा

ldquoनह नह स नए ना प ब र जी म अभी बठगा थोड़ी दर बाद खाऊगा इतनीज द या हrdquo शखर न मा सान दत मन स कहा

ldquoहा हा वाह ठ क ह शखर जी च लए तब यह बच खला लत ह तब तकrdquo बरचीन कहा और भोज क पगत क तरफ चला गया

शखर अभी इस अवसर को यादा-स- यादा जीना चाहता था पर जीवन छआछतऔर असमानता स लड़न का दावा करन वाल कद दावर नता या समाजस वय को भीजीवन म दो-चार बार ही तो द लत क घर खाना खान का अवसर मलता था शखर को तोअपन जीवन क श आत म ही ऐसा मह वपण पड़ाव ा त हो गया था वह भी बना कोईचनाव लड़ बना कसी वाथ क अपन इस परमाथ परफॉमस पर अभी शखर का मन खदको ही बार-बार शाबाशी दन का कर रहा था अगर आज कदरत न पट क जगह पीठ आगबनाई होती तो शखर उस शाबाशी म ठोक-ठोककर लाल कर दता

सब लोग खाना खान म लग थ इधर और आ रह लोग पहल म दर जा प डतन यानद स तलक लगवात और साद भी लत शखर कछ ही र कस पर बठा तब स हीसारा माहौल दख रहा था

म दर क चबतर पर अखड क तन चल रहा था बीच-बीच म प डत न यानद कछस कत क ोक पढ़ रह थ

शख घट क व न रह रहकर बजती तभी इतनी दर स बठा शखर कस स उठा औरम दर क सर छोर यानी प ब र क घर क तरफ टहलता आ चला आया वह अब थोड़ाअसहज-सा हो रहा था उसक अदर थोड़ी बचनी उठन लगी थी उसन तभी स हाथ म लए

मोबाइल म कोई नबर डायल करना श कयाldquoहा हलो हलो हा काम प भया म शखर कमार बोल रहा rdquo शखर न क तन क

आ रही आवाज पर आख मच मचात ए खीज क साथ मोबाइल कान म सटाकर कहाकाम प मखज वदमान प म बगाल का रहन वाला था व व ालय म शखर का

सी नयर था और ऑल इ डया टडट एसो सएशन का स य सद य भी थाldquoहलो हा हाउ आर य ओ बोलो शखर कसा ह तम तम तो घर गया ह ना सायदrdquo

उधर स काम प न कहाldquoहा काम प भया घर पर ही आपस एक बात शयर करना था बड़ा क यज

एक मटर पर थोड़ा मागदशन क रएrdquo शखर न वह टहलत ए कहाldquoम सब करगा कत तम पहल यह भया बोलना बद करो डयर अर यार तम लोग

यपी- बहार का सामती सोच को कब डीमो लस करगा हर आदमी को अ ज-अनज बनानका य फडा छोड़ो यार वी आर इ वल ह सब नॉट बड़ा या छोटा शखर अपना बह वयरको डमो टक करो इतना दन हो गया तमको सगठन म कब सधार करगा तम लड़कालड़क का भी फक नह करो बोथ आर मन बीइगrdquo काम प न एक सजग कॉमरड कभा त शखर का ाथ मक मागदशन करत ए कहा

ldquoसॉरी कॉमरड काम प आई एम रयली सॉरी हा हम लोग को इस सामतीश ाचार स म पाना होगा य भी साला असमानता का जड़ ह मन अभी और भी कईलोग को भया और चाचा सबो धत कया ह अब श मदा ऐसी गलती नह होगीकॉमरडrdquo शखर न अपनी गलती का प ाताप करत ए जीभ काटा और परपराती जीभ सही इधर स कहा

ldquoओक गड हा अब बोलो या ॉ लम था त हाराrdquo कॉमरड काम प न उधर सपछा

ldquoकॉमरड काम प द खए म अभी अपन गाव क एक द लत क घर आया खानाखानrdquo शखर न अभी इतना ही कहा था

ldquoवाव नाइस सो गड हा तो फरrdquo काम प न चहककर पछाldquoकॉमरड अब द कत यह ह क यहा इसक घर पर एक म दर का इनॉगरशन ह

उसम भारी कमकाड हो रहा ह पजा-पाठ प डत दान-द णा क तन और म का जापमतलब जो भी नॉनसस हो सकता ह वह यहा हो रहा ह धम क नाम पर एक द लत कोसरआम लटा जा रहा ह अब मर साथ द कत य ह क अगर म यहा बठा र तो य धा मकपाखड को समथन दना हो जाएगा और अगर इसका बॉयकाट कर चला जाऊ तो य एकद लत का अपमान हो जाएगा यहा जस तरह का धा मक वातावरण ह ना कॉमरड कआप इन नकल ए लमट स क कॉकस को दख भ च क रह जाओग मर गाव का एकप डत लड़का तो इसम सबस यादा ए टव ह अब आप मझ य बताओ क म या टपल आप लोग सी नयर हो और यादा पढ़ा ह ल ट आइ डयाज को बताओ क ऐस

सचएसन म हमारी आइ डयोलॉजी का या कदम होना चा हए एनी सजसन ोम दासक पटलrdquo शखर न एक ही सास म तब स दबा सब कछ काम प क तरफ झ क दया

कॉमरड काम प बड़ धय स करत ए एक-एक बात बड़ी बारीक स सन रहाथा जस कसी मधमह-दमा-ग ठया वणी क शकार रोगी क दनचया हो मयोपथ काडॉ टर सनता ह

ldquoओक ओक कल डअर पहल यह बताओ उस द लत क आ थक कडीशन कसाहrdquo काम प न आध नक बगाल क कसी चतक क मा फक गभीरता स पछा

ldquoएकदम ठ क लग रहा ह कॉमरड म दर बनवाया ह और सन रहा यहा क साराखाना श घी म बनवाया ह एनी व आई एम नॉट क फम इस घी वाली बात प य क मनअभी खाया नह ह खाना पर अगर इतना ह तो ओ बयसली आ थक हालात तो ठ क हीहrdquo शखर न एक नजर आयोजन थल क ओर दखत ए कहा

ldquoओक दट इज द पॉइट दखो शखर यह ठ क बात ह क धम का पाखड का औरइसक पीछ का ा णवाद का हमको वरोध करना ह पर यहा यह भी सोचना होगा कपहल हमको धम पर जो एक खास वग का मोनोपोली ह उसको तोड़ना होगा इसक लएज री ह क द लत पछड़ा भी उसम अपना भागीदारी को मजबत कर दखो त हारा गाव मएक द लत म दर बनवाया ह यह कतना बड़ा ध का ह ा णवाद कोrdquo कॉमरड काम पन उधर स कहा

ldquoल कन कॉमरड इसम धम कहा कमजोर होगा धम और उसका पाखड तो रह हीगया बस उसक सार म ा ण क साथ-साथ द लत क भी ह सदारी हो गई यही न यतो फर धम क कवल मा लकाना हक क लड़ाई और उसक बटवार का मामला आ नाइसस ा णवाद कहा ख म आ वह तो रहगा ही चाह द लत क ही हाथ म य न होrdquoशखर न बड़ी बचनी स सवाल दागा

ldquoअर ो तम तो बस एक बात पकड़ क बठ गए हो धम धम अर बस यही थोड़ हहमार आइ डयोलॉजी म तम नए-नए मा सवाद बन ल ड म यही द कत ह परा दासक पटल का सलबस पकड़ क बठ जात हो हम और भी तो चीज दखना होता ह अब मानलो चलो द लत पजा-पाठ कर रहा ह तो या य मा स क च कर म द लत का भी वरोधकर दोग या अर हम लोग को ब त ए गल स दखना होता ह य इ डया का सोसाइट हशखर यहा मा स म अपना मसाला भी डालना होता ह समझाrdquo कॉमरड न थोड़ी कड़ाईस कहा

ldquoबट म अभी यादा डाइवट नह हो सकता अपन आइ डयोलॉजी स आप मझ सहीएडवाइस दो कछrdquo शखर श वाम मन स बोला

ldquoअर बाबा हम तमको वही बता रहा डाइवट नह करता यह एक ोसस ह शखरधीर-धीर होगा धम ही ा णवाद का ह थयार ह अगर मन को ख म करना ह सबसपहल उसका ह थयार छ नो फर उसको न कर दगा हम लोग अब तो क लयर बझा तम

धम जस नकल हड स बाहर आएगा तो धम फॉलो करना ईजी हो जाएगा उसका डरखतम हो जाएगा और तब लोग इस मान या ना मान कोई फक नह पड़गा इस तरह एकटाइम आएगा जब य फ नश हो जाएगाrdquo कॉमरड काम प न धम को रोपत ए अपनानजी धम उखाड़ मॉडल तत करत ए कहा ऐसा लगा जस कसी सद क नता न अपनाभाषण समा त कया हो शखर क कान म जस ताली बजी काम प क बात न त कालउसक ज ासा क ताप को थोड़ा म म कर दया था

ldquoकामरड छो ड़ए अब मरा दमाग अभी लोड नह ल पा रहा अभी मझ यहा याकरना ह यह बताइए या म इस कमकाड को सपोट क rdquo शखर न अपन मन कउलझन स चड़ चड़ाकर पछा

ldquoनह तमको कमकाड को सपोट नह करना ह नवर कॉमरड त ह उस द लत कोसपोट करना ह जो धम क म ा णवाद मोनोपोली और उसक वच व को तोड़ रहा हतम उसक साथ रहो कसी धा मक याकलाप स र रहो तलक चदन ना लगाओ बनानहाए म दर घस जाओ अगर मीट- चकन उपल ध हो तो खा क म दर जाओ यह सबकरक हम उनक पाखड को चलज कर सकत ह एड आई होप तम ज र कर लोगrdquoकॉमरड काम प न अपन मागदशन का आ खरी माग दखा दया शखर को

ldquoहा यह आ ना एक ज वन टप ठ क ह कामरड अब मरा उलझन समा त होगया नहाता तो म कम ही आज भी बना नहाए ही आया मासाहार मर घर पर बनतानह ह और आज गाव म म दर क पजा क कारण एक-दो जगह जहा मास मल सकता थावो कान भी बद ही ह गी खर म ऑलरडी याज-लहसन खाकर आया तो यह तोमकअप हो जाएगा ओक थ स कॉमरडrdquo शखर न बड़ खशी मन स कहा

ldquoओक गो अहड ब ट ऑफ लक कॉमरड शखर चलो बायrdquo यह कह काम प न हीउधर स फोन काटा

कसी भी वचारधारा क सार क सदभ म यह BSNL और हच कपनी क नटवक परई आज तक क सबस दाश नक साथक बातचीत थी भारत म जस अगर कपनी वाल को

आभास होता तो फोन टप कर रख लत आन वाली पीढ़ क मागदशन क लएइधर सब खाकर उठ चक थ सो बरची और प ब र शखर को खोज रह थ उ ह लगा

क कह बना खाए न चला जाए बजनाथ भी हाथ धोकर शखर को दखन लगा इधर-उधरldquoअर ऊ तऽ ए कर दमाग क ह थोड़ा इस लए आ गया यहा आ गया यही ब त

बड़ा बात ह भ महार घर का लड़का ह यहा खाएगा जीrdquo बजनाथ न ह क वर म बगलखड़ लड डन मया क कान म कहा

ठ क तभी सबको च काता आ नाक म बगनी रग का माल बाध शखर वहा आयाउस इस तरह दखत ही बरची दौड़ाldquoअर या आ शखर भाई मह पर या आ कहा चल गए थ आपआपको खोज रह थ हम लोगrdquo बरची न अकबकाकर पछा

ldquoकछ नह म उठकर साइड चला गया था यहा काफ धआ हो रहा था हवन का मझद कत होती ह सास लन म इस लए मह पर माल बाध लया हrdquo शखर न माल बाधनका वचा रक कारण छपात ए वा य सबधी व ा नक कारण बताया

इतना सनना था क वह पर खड़ प डत न यानद जोर स बोल पड़ ldquoसनो सनो ऐचदन जरा हवन कड म जल डालकर शात कर दो आदमी क ाण स बड़ा धम थोड़ हआप ब ठए भाई जी बद करवात ह धआrdquo

चदन न आदश पात ही दौड़कर हवन कड क अ न शात कर द कछ ही मनट मवातावरण धआ र हत हो गया शखर न नाक स माल हटाया इस व वह महसस कररहा था क जस उसन अपनी हो शयारी स ा णवाद क जलती ढबरी बझवा द हो मन-ही-मन ऐस म करा रहा था जस तीय व य म जापान पर बम गरा कर अम रकाम करा रहा था अब शखर चलकर म दर क चबतर पर गया प डत न यानद दौड़कर उसतलक लगान म त क पास स ट का लान गए शखर न इशार स मना कर दया प न यानदहरान हो उस दखन लग फर शखर म त क सामन गया मा काली को दखा मा काली भीशखर को दख रही थ वहा मा काली को बना णाम कए वो वापस ग बर सह क भा तचबतर पर टहलन लगा बस हाथ म ब ट वाला कोड़ा नह था अभी शखर को ऐसा लगरहा था जस वह चबतर पर नह ब क ा णवाद क छाती पर टहल रहा ह

और यह सतोष उसक चहर पर दख भी रहा था इधर चबतर क नीच अब लोग जमाहो उस एकटक दख जा रह थ उसक हर ग त व ध पर अब लोग क नजर बरबस ही चलीजा रही थी सब एक ही बात सोच रह थ आ खर य लड़का नया स चाहता या ह कसकस कर रहा ह ई

ठ क उसी व प डत न यानद क एक सहयोगी प डत पाव पटकत ए हाथ म खनीमलत ए आए और तमतमाकर बोल ldquo या मजाक कर रह ह आप लोग तमाशा बना कररख दए ह धम कम को अपन जो करना ह क रए हमको काह भागी बना रह ह इस पापम पजा का हवन कड कह बझाया भी जाता ह या इस तरह सrdquo उनको इस तरहउछलता दख प डत न यानद आ गए

ldquoअर झा जी पजा ख म हो गया था पजा क बीच म नह बझाए ह हवन कड औरववकानद बोल ह क मानव सवा सबस बड़ा धम ह भाई साहब का तबीयत बगड़ रहा थाइस लए बझा दए यह पाप नह हrdquo प डत न यानद न म यम वर म ही कहा

ldquoवाह जी आपका ववकानद मन पजा व दक व ध स होगा और नयम ववकानदका चलगा आप लोग नया-नया आचाय बन गए ह और धम-कम को मजाक समझ लए हखाली स कत का ोक पढ़न स नह होगा न यानद जी मन को भी साफ र खए शभ-अशभ का भी याल र खए साला हम इस लए छोटा जात क यहा नह जात ह पजाकरानrdquo बोलत-बोलत प डत सरश कात झा एकदम आग बबला हो गए थ

ldquoद खए झा जी म य प डत हम ह आपको या लगता ह हम नह पढ़ या वद औरपराण और छोटा-बड़ा जात या बक रह ह आपको जबरद ती लाया ह या यहा कोईrdquo

प डत न यानद का चहरा भी अब लाल हो चका था बोलत व ldquoकपार पढ़ ह आप पाड ब कब स आचाय होन लगा जी म थला क परपरा स

हम कौन वद म ह क पजा का हवन कड म पानी डाल दना चा हए आप न असर काकाम कया आज थड कलास ा ण ह आपrdquo प डत सरश कात न दात कटकटात एकहा

ldquoअर चप र हए लालची आदमी मोटा द णा दख फट स आन तयार हो गए औरअब छोटा जात दखन लग अर झा जी याद र खए आदमी स घणा कर भगवान को भीखश नह कर पाइएगा शम क रए सरश कात जीrdquo प डत न यानद न गमछा जमीन परपटकत ए कहा

अब माहौल एकदम तनावपण हो गया थावहा मौजद लोग कछ बोल नह पा रह थसब आपस म ही बदबदा रह थकछ को प डत न यानद क बात सही लगी तो कछ को लगा क प डत सरश कात

ठ क बोल रह ह बरची और चदन प डत न यानद को पकड़ शात करा रह थ उधरप ब र दास प डत सरश कात को हाथ जोड़ मना रहा था बरची भी दात पीसकर बदा तकर गया था प डत सरश कात क छोट जात वाली बात को य क इस मौक पर एक प डतको उसका कछ भी कहना उसक और प ब र क लए ठ क न होता और यह सार गाव कोअपना मन बनान वाली बात हो जाती य क खद ह रजन टोला म भी अ धकतर लोगप डत सरश कात क ही धा मक ा या क प म थ इन सबक बीच शखर चपचाप महबाए खड़ा था उस समझ ही नह आ रहा था क दो कट टर मनवा दय क आपसी झगड़ कबीच एक सम पत वामपथी यवा को या बोलना चा हए असल म ऐसी भी कभी नौबत आसकती ह इसक लए उसका वामपथ तयार ही नह था न तो इस मटर पर कभी कोई भाषणसना था न कोई ा त-गीत अथवा नारा जस यहा लगा द शखर न अभी बस यही सोचा कजब दो मन लड़ तो चपचाप रहकर मजा लना चा हए उसन समझदारी क इसी स ातपर अमल करत ए अपना बवाली माल जब म डाला और चपचाप खड़ा झगड़ का उतार-चढ़ाव दखता रहा वह अदर-ही-अदर अब आ त हो चला था क यह ा णवाद एक दनअपन ही अत वरोध का शकार हो ख म हो जाएगा इस अपनी ही वसग तया मारडालगी य लोग आपस म ही लड़कर मर जाएग अभी दो प डत का झगड़ा दख उसन यहभ व यवाणी कर द थी मन-ही-मन म

दोन प डत को शात करान क बाद बरची स हत तीन-चार लोग अब शखर क ओरआए

ldquoअब आप खाना खा ली जए शखर भाईrdquo सब न एक साथ हाथ जोड़ समवत वर मकहा

शखर न तरत सर हलात ए कहा ldquoच लए पर द खए हम उधर प ब र जी क घर

क तरफ खाएग वह द द जए हमकोrdquo यह कह शखर प ब र क घर क बरामद क तरफबढ़ा

ldquoलाओ भया प ा और गलास लगाओ ज द ई जहा बोल वह खला दो भाईrdquoवह खड़ बजनाथ न कहा

दो-तीन लोग न झटपट लगकर शखर को खाना खलायाखाकर हाथ माल स प छ शखर अब वापस जान को अपनी बाइक क पास आ गया

था बजनाथ भी धीम कदम स वह करीब आ गया उस लगा अब साथ ही आया तोसाथ ही चला जाऊ घर तक मोटरसाय कल स ही तभी बरची प ब र और चदन भीउसक पास आ गए शखर को छोड़न

ldquoब त अ छा लगा शखर जी क आप आए ब त खशी आ हमकोrdquo प ब र नहाथ जोड़कर ध यवाद ा पत करत ए कहा

ldquoहा हमको भी अ छा लगा पर वह जात-पात का बात जो उठा वह हमको बरा लगाप ब र जी आप म दर तो बना लए पर धम क पाखड और कमकाड स र रहना प डतक शोषण स बचनाrdquo यह कहत ए शखर न बाइक टाट क

ldquoएकदम सब बात का यान रखा जाएगा सही बोल आप ठ क ह फर भट होगाrdquoबरची न हाथ जोड़ लगभग ठलकर वदा करन क अदाज म कहा

ldquoहा चलत ह एक बात आपको कहना था बजनाथ जी क हम आपको तभी चाचाकह दए थ यह ब कल सामती मान सकता ह आपका अपना पहचान बजनाथ क प मह हम आपको बजनाथ जी ही कहग अब सrdquo कहकर अपनी मोटरसाय कल बढ़ा दशखर न बाक सब लोग वहा खड़ रह गए कछ पल बजनाथ भी छट गया था

ldquoकौन कोस पढ़ता ह हो ई द ली म साला का का बोलता ह हमको तो इसका 100म 97 बात समझ ही नह आया रा ता म भी हमको या- या बोला पता नह उलट हमपर गरमा गया तभीrdquo बजनाथ न घट 2 घट का जमा उद गार कर दया

ldquoब त पढ़कर दमाग पर जोर तो नह पड़ गया ह इनकrdquo यह आवाज गणशी महतोक थी जो पछल आध घट स सब कछ चपचाप दख रहा था

ldquo बर चया स भी बड़ा पागल बझाता हrdquo मोहन न चलत-चलत हसकर कहा गाव नअपन सर पागल क घोषणा कर द थी

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मलखानपर क आज क सबह भी अपन-आप बड़ी सा वक हो गई थी लाख कलयग आएपर पछल दन कए गए धम-कम का अगल कम-स-कम चौबीस घट तो भाव रहता ही हउसी भाव का नतीजा था क आज हर धम -ककम क मह मा काली क म दर क ही चचाथी

त दन सबह सबस पहल मरारी क कान पर हा जरी दन वाल जगद श यादव आजवहा न जाकर सीध प षो म बाब क ार प च गए थ वहा पहल स बदरी म सर औरअ य दो-चार लोग बठ ए थ बाहर बरामद म बठ सब चाय क च क लत ए प षो मबाब क बाहर नकलन का इतजार कर रह थ प षो म बाब श होन बाथ म गए थगाव-क ब म अ सर बड़ लोग दरवाज पर कछ लोग को पहल बठा लत और फर अदरबाथ म म श होन चल जात इस बीच और कोई आ जाए तो उनक चल को यह बतानम गव का अनभव होता क ब ठए मा लक अभी ल ग गए ह आप उस इतजार कक पना क जए क जसम कोई आदमी ऐसी जगह गया ह और आप वहा स उसक आनक ती ा कर रह ह लगभग यही कछ प ह-बीस मनट क बाद प षो म बाब पट परहाथ फरत बाहर बरामद म आए जहा बठक जमी ई थी

ldquoसाला रात भर सोन नह दया ह न द नह आया और क जयत हो गया बाप रइतना ह ला-ग ला कया ह ह रजन टोला म सब नया मया जादा याज खाता ह सालालगता था म दर नह कभ क मला का उद घाटन कया हrdquo कहत ए प षो म बाब कसपर बठ

ldquoओह ठ क बोल मा लक प छए मत सबस बड़ा हरामीपती दख क नह आपबड़का-बड़का लो ड पीकर इस टोला और मन बाजार क मह तरफ कर क लगा दया थागाव म कोई नह सत सका ई ह ला मrdquo जगद श यादव न बड़ी बात बताई

ldquo या करोग जगद श कलजग ह भाई अब तो ह रजन भगवान को नहलाएगा औरा ण पर लोग क चड़ फकगrdquo हो चक यग पर बड़ एक और उदाहरण दत ए बड़गा मक लहज म बदरी म सर बोल बोलत व बदरी म सर क भौह कसी द

क चपड़ी नतक क भा त नाची थ बदरी म सर जगदानद म सर क चचर भाई थ उनक दो प र नाकर और भाकर

म सर थ इनका प रवार इलाक म अपनी सौ य मीठ बोली क लए क यात था कहाजाता था क कभी ऐसा भी आ य हो सकता ह क जलबी तीखी हो जाए परत इन बाप-बट क जबान कभी मीठ स कड़वी नह होन वाली लोग को चह मारन क दवा पी

उ टया करना मजर था पर इन बाप-बट क मीठ बोली क गोली का शकार होना नह अपन खास घातक वाक-कौशल स अपनी मीठ बोली का ऐसा न तर चभोत क सामनवाल का कलजा छलनी हो जाता बदरी म सर आज काफ दन बाद प षो म बाब कदरवाज आए थ कारण प ब र क म दर क बहान शायद धम-कम पर चचा करना रहा हो

ldquoसब दखावा ह बदरी बाबा पसा स धम को राड़-चहाड़ सब नचा रहा हrdquo सबह सतीन शीशम का पड़ काटकर बच आए काशी साह न भी अपनी चता क

भोर-भोर बठ चक इस धम-सधार स मलन क अ य ता करन वाल प षो म बाबअभी कस पर बठ दोन टाग सामन करक टबल पर पसार अखबार दख रह थ बीच-बीचम अ य लोग धम क चता म अपना मत कए जा रह थ सामन ही टबल क पास नीचजमीन पर चकमक पोजीशन म काशी साह बठा था और प षो म बाब क दा हनी टागब कल काशी क नाक क आस-पास थी उतनी पास क अभी काशी उनक तापी पाव कतलव क सारी भा यशाली रखाए गन सकता था तभी अखबार का एक प ा पलटतप षो म बाब उछल स गए और लगभग भनभनाए आवाज म बोल

ldquoलो यही होना बाक रह गया था यह द खए यज नकला ह म दर उद घाटन काप ढ़ए मलखानपर म आ भ काली म दर का नमाण गाव क ही समाजसवी प ब रदास न बनवाया काली म दर बताइए साला अखबार का या तर हो गया ह कसी भीऐरा-गरा का समाचार छाप दता हrdquo

सभी लोग लपककर समाचार प को दखन लग खबर क साथ एक छोट -सी त वीरभी लगी थी जसम प ब र बरची चदन और कछ म हलाए म दर क आग कलश लएखड़ी थ

ldquoली जए अर पसा द क आप ल डा नाच का भी खबर छपवा सकत ह म डया ब तलोकता क हो गया ह अब सवसलभ ह म ा होना चा हए बसrdquo बदरी म सर न कोमलवर म कहा

ldquoई छो ड़ए पहल सो चए क प ब र दास कब स मलखानपर का समाजसवी हो गयाह दख रह ह मा लक फोटो कतना साफ खचवाया ह सम चा इलाका तऽ जनवा दया कई लोग ह नया समाजसवक कतना खराब पोल ट स खल रहा ह दख रह ह नrdquo जगद शयादव न फोटो शट क रगामी प रणाम पर काश डालत ए कहा

जगद श यादव क यह कहन क बाद माहौल अचानक शात हो गया प षो म बाबथोड़ा गभीर म ा म कछ सोचन लग तभी फकन सह भी सोकर उठ चका था और मह म

श डाल बाहर नकला उसक बाहर आत ही लटक भडारी अखबार लए उसक तरफदौड़ा और उस खबर दखाई फकन सह न अपना श लटक क हाथ म द अखबार कोदखा और फर तरत श वापस ल दात पर रगड़न लगा तभी प षो म सह क आवाज समाहौल क च पी टट

ldquoफकन य बताओ क कौन भजता ह यहा का लोकल खबर अखबार म ऊ आनद

सह ही ह ना प कारrdquoldquoहा वही ह प कार तो ऊ ब त ज वन ह भला आदमी ह हमशा पछकर ही खबर

छापता ह दा मगा लत भी रहता ह पता नह कस द दया बना हमस पछ खबरrdquoफकन सह न बठकर भर लोटा पानी स क ला करत-करत कहा फर खाली लोटा लटकको पकड़ा लगी स हाथ प छ खड़ हो फकन न कमर म कसी लगी स बधी मोबाइल कोनकाला और सीध फोन लगाया

ldquoहलो हा या हाल आनद जी आनद म कोई कमी तो नह ह नrdquo फकन सह नतभी पाव पर चढ़-गजर रही एक च ट को सर पाव स मसलत ए कहा

ldquoआप क रहत तो आनद ही आनद ह फकन बाब आदश क रए कस याद कएrdquoउधर स प कार आनद सह न आनदपवक तरीक स ही कहा

ldquoहम या आदश दग हो पावर तो आपक हाथ म ह आनद जी रात भर ममलखानपर म नया समाजसवी ज मा दए आप महाराज अपन ही जात- बरादर पर वारक रएगा अब चमटोली म नता बनान लग आप या गलती हो गया हमस कछ कमी रहगया या सवा मrdquo फकन न ग स और नरमी घोलकर ख स सब कछ कह ही दया

ldquoओ हो हो अर फकन बाब म दर वाला खबर बोल रह ह या अर मा लक इतनानाराज काह हो रह ह अर हम तो सोच आपक गाव का ही खबर ह ऊपर स धम-कम का हतो छाप दए अब हम या जान क आपका एट पाट ह साला सब दन का तो ऊ पगलवाबर चया आया था दौ सौ द क गया था ल कन बात पसा का नह ह पहल आप ह तबपसा असली राजपत ह हम भी आग स न त र हएrdquo आनद सह न सारी बात बतात

ए बात ख म करत ए कहाldquoहा हा भाई आप पर भरोसा ह तब न फोन कया ह आपको आग स कोई भी खबर

हो गाव का तो बता क ही ए शन लया क जए ब त राजनी त होन लगा ह गाव म वस यनया-नया कल का ल डा ह हमस या एट करगा ल कन अखबार म आएगा तो मन तोबढ़गा ही ना ई छोटा जात का धन बढ़ जाए ल कन मन नह बढ़न दना चा हए इस लएथोड़ा याल र खए अ छा स नए आज मछली मराएगा तालाब स आपको भजवात हब ढ़या वाला रो ताजा एकदम च लए फोन रखत हrdquo कहकर फकन सह न फोन काटाऔर लटक को फोन चाज म लगान को द दया प षो म बाब फकन क फोन रखन का हीइतजार कर रह थ

ldquo या बोला आनद सहrdquo प षो म सह न पछाldquoबोला क बाय म टक छप गया सोचा गाव का ही सावज नक खबर ह तो छाप दत

ह टाइट कर दए ह अब नह करगा गलतीrdquo फकन सह न मह म गटखा डालत ए कहाldquoअब तो जो करना ह कर ही दया समाजसवी बना दया प ब रा को साला ई सब

कोई प कार ह इसको गाव का खबर और चमटोली क खबर म अतर नह बझाया कसा-कसा आदमी पाल क रख हो तम कस करोग पोल ट सrdquo प षो म बाब न चड़ चड़ वर

म कहा फकन सह तो बाप स भी यादा चड़ चड़ा गया यह ताना सनकरउसन पाव पटकत ए कहा ldquoअब बोल तो दए उसको क सधार कर लगा और हम

इसी च तया प कार क भरोस पोल ट स कर रह ह या आप भी गजब बात बोल दत हकभी-कभीrdquo झ लात ए इतना बोल अदर चला गया फकन सह पर प षो म बाब अभीशात नह ए थ राजनी त क सार रक च और दाव-पच म ही जदगी गजार अब उ कइस पड़ाव तक आए थ उ ह अखबार म साधारण-सी दखन वाली खबर उतनी सामा यऔर साधारण कतई नह लगी थी जतनी फकन सह या कसी अ य को लगी थीप षो म बाब अपनी कस स उठ और जगद श यादव क तरफ दखत ए बोल ldquoकौन-कौन गया था वहा रात म या- या आ बताओ तो जराrdquo

ldquoहम तो नह गए थ मा लक कए बजनाथ को बलात ह वही गया थाrdquo यह बोलजगद श यादव न लटक को जाकर बजनाथ को बला ल आन का इशारा कया लटक नजगद श यादव स ही उ ह क मोटरसाय कल क चाबी ली और लगभग 10 मनट मबजनाथ को घर स उठा लाया घर स प षो म सह क दरवाज तक आन म ही लगभग दो-चार सौ तरह क आशका स थर-थर करता बजनाथ पसीन स नहा गया था रा त म उसलटक न बताया क ब त सी रयस मटर ह उसी क खा तर बलाए ह मा लक लटक गाव मकसी भी दरवाज पर वारट क तरह जाता उसक जान का मतलब ही था क फकन अथवाप षो म सह क अदालत म आपक खलाफ कोई मकदमा ह और आपको हा जर होनाह प षो म सह क आर प चत ही बजनाथ न सबस पहल तजी स चलकर सामन वालचापानल स पानी पया और तब कसी तरह मड़ी सीधा कर सबको बठा दखा

ldquoका र बजनाथ कल रात का पड़ी नह पचा ह या अभी तक ब त पानी पी रहहोrdquo प षो म सह न थोड़ी कड़क आवाज म पछा

ldquoनय मा लक त न बड़ा गम लग रहा हrdquo पानी स तर कठ क बावजद बजनाथ नसखत गल स कहा

ldquoतो तम कल गया था म दर चाल करन समाजसवक प ब र क यहा का का आहमको भी बताओ भई जराrdquo प षो म सह न लहजा कड़ा रखत ए ही पछा

ldquoअर का बताए मा लक हम काह जाएग वहा हम तो खत जा रह थ तभी रा त मकामता बाब क लड़का शखर मल गया वही जद करक बठा लया गाड़ी पर बोलन लगाचाचा हम अकल नह जाएग आप भी च लएrdquo बजनाथ न अपना सच बताया

ldquoकामता जी का लड़का तो द ली म अ ययन करता ह ना अ ययन हो गया काग कल स वापस आ गया काrdquo बदरी म सर न अपनी वशष शली म जहर उगला

ldquoअर बदरी बाबा पता नह कौन अ ययन पढ़ता ह वहा या स या बकता ह हमतो उसका एक भी बात नह समझ कल इस लए जब बोला चलन को तो चपचाप बठकरचल गएrdquo बजनाथ न शखर क वशषता बतात ए अपन जान का व ा नक कारण भीपनः हराया

ldquoकतना भीड़ था गाव का कौन-कौन आदमी थाrdquo प षो म सह न पछाldquoभय आदमी एक भी नह था मा लक सब छोटा जात क भीड़ था भला घर स बस

एक वही शखर कह ली जए उहो पगल ह एक हमको ल गया था पकड़कर बाक बरागीप डत जी का लड़का था तो ऊ तो ह रजन ही हो गया ह मोहन साव था उसका तऽ धधा हमठाई का यादा म एक मर रया गया था बस यही सब टाइप का आदमी था लड डन तऽमया ही ह ऊ गया था अगल-बगल क गाव का भी ल कन ह रजन पासी लोग ब त आयाथा एक-दो घर धोबी कोइरी भी दखrdquo बजनाथ न परी जा त जनगणना क आधार परसारी उप थ त का यौरा द दया

ठ क उसी व नहा-धोकर तयार हो माथ पर चदन ट का लगाए र नाकर म वहाप चा बदरी म सर बट को दखत ही धोती समट कस स खड़ हो गए

ldquoक हए नान- यान कर कधर जान क तयारी ह र नाकर जीrdquo बदरी म सर न पस अपन वाभा वक या मक लहज म पछा

ldquoजी बाबजी गणशी महतो आया था अभी बलान उसको मोटरसाय कल खरीदना हकहा थोड़ा चलकर ब ढ़या स खरीदवा दत जी मदन भया को बोला था ल कन वह कहचल दए बचारा को झप लस दकर जाकर हम ही सभाल दत ह थोड़ा बचारा को जरा एकसौ पया ह या पास म द द जए ना एक तो फॉम भी डालना ह रलव का साथ म डालतआएग अलग स जाना नह होगा बकार उसक लए अलग स खचा होगा फरrdquo र नाकर नमड़ी नीच कर भयकर स कारी अदाज म कहा

ldquoओह समाज सवा म जा रह ह मदन झप लस द दया और ई स चा वनोबा भावह ई जाएग दश क लए इनक न जान स कपनी गणशी को नकली मोटरसाय कल द दगाय सघ क बता दत ह असली-नकली मोटरसाय कल इस लए इनको ल जा रहा ह गणशीसवा दश का और खचा हमस चा हए ऊपर स रलव का फॉम भरन का बहाना र नाकरबाब इस पढ़ाई- लखाई म रलव म नौकरी का वाब छो ड़ए झालमड़ी बचन का सो चएज द rdquo बदरी म सर न एक झ क म ताना मारत ए सबक सामन ही पानी उतार दया बटका

र नाकर सर को झकाए दात पीसता आ सब चपचाप सनता रहा बाप न सरआमआध मोह ल क सामन झालमड़ी बचन का रोजगार थमा दया था जो ब त बरा लगा थार नाकर को अब इतना कछ बोलन क बाद बदरी म सर न कत क जब म हाथ डाला औरबड़ महीन अदाज स टटोल एक पचास और एक बीस का नोट नकाला और र नाकर कहाथ म द दया र नाकर न उस भारी बइ जती क माहौल म भी खद को सभालत ए परहोशो-हवास म पहल नोट को दखा क फट तो नह ह न फर गना और धीम स बोलाldquoबीस और द द जए ना बाब जीrdquo

असल म दोन बाप-बट अपन-अपन फन क मा हर थ अत म दो गाली और दकर बन जब स एक दस का नोट नकालकर फर दया र नाकर को पस लकर र नाकर वहा सझटक स नकला

र नाकर स कत स नातक थम वष कर चका था और आग हो नह पा रहा थामास-म दरा और पान-गटखा स र र नाकर स चा छा था स कत वषय का चहर सगोरा-नारा और लबी ना सका का वामी ऑटोम टक च र वान और स कारी लगता थाअभी पछल ही साल वह कोइरी टोला क एक लड़क को ल कोलकाता भाग गया थालड़क तो 7 दन म लौट आई थी र नाकर महीन बाद लौटा था उसक दो महीन बाद हीउसी लड़क क शाद म सार भोज-भात का ज मा सभाला लया था उसन म क खा तरइतनी सम पत फजीहत का इ तहास रच वो आसपास क असफल मय का रोल मॉडलबन गया था फर उसक कछ महीन बाद कॉलज स ही सकदरपर क एक दज उ मानमया क बट को सनमा दखान ल गया था हद तो तब हो गई जब वह सनमा हॉल म उसलड़क का हाथ पकड़ जोर-जोर स स कत म गाना गान लगा था lsquoवद त व नपरः म यमम यम वद त व वलयम म यम म यमrsquo

इस तरह जब उसन इ लाम क हाथ म हाथ डालकर व दक गीत गान श कए तोवहा हड़कप मच गया ह -म लम बवाल तो होत-होत बच गया पर यह ज र आ कफ म दखन आए दशक को फ म का एक भी गाना याद न रहा और सबक जबान परर नाकर क स कत गीत ही तरत रह ब त म कल स यह मामला रफा-दफा आ था कईदन तक दज उ मान मया कान बद कर कची लकर र नाकर को ढढ़त रह ब त दनतक सकदरपर और मलखानपर गाव क बीच तनातनी रही थी इस कार र नाकर हरजा त और धम म म कर हमशा एक समायो जत स क त का प धर रहा जो अभी वतमानम प छया टोला म सदल यादव क यहा बट को स कत पढ़ान जा रहा था और बदल मट यशन क फ स नह ल रहा था स कत क सार हत उसक इस यास क चचा सर गावम भी होती थी इस तरह र नाकर का जीवन म-र नाकर थ हो गया था जसम उसक कई

म क रोमाचक आ यान भर ए थर नाकर क पस लकर चल जान क बाद बदरी म सर बड़ी दर तक उसको लकर कछ-

कछ बकत रहप षो म बाब न पछ भी दया ldquoयह आपका छोटा बटा था ना र नाकर नाम ह ना

यही न लड़क बाजी वाला काडhelliprdquoldquoहा यही ह र न हमार खानदान का प षो म बाब यह हमारा सब ग त करा कर ही

मानगा बरोजगार बठा ह फॉम डाल-डालकर ऊपर स इसका म कहानी तो परा नयाजानता ही हrdquo बदरी म सर न माथ पर हाथ धर इस बार थोड़ा टटत वर म कहा

ldquo बहा-शाद करा कर खटा म बा धए इसको सधर जाएगा बहा कर बटवारा करद जए फर अपन जब औरत पालना होगा तऽ अकल आएगा काम खोजगा दौड़ कrdquoप षो म बाब न अपन अनभव स भावी उपाय बतात ए कहा

ldquoह ही या जो बाटग सारा जमीन तो चाचा हड़प गए जगदा भया धान भर रह हकोठरी म ल कन भगवान सजा भी द रहा ह उनको उनका बटा मदन तो और भी गया-गजरा नकल गया न दा -ताड़ी म डबा रहता ह खर बहा तऽ पहल बड़का लड़कवा क

कर ल फर इसका दखत हrdquo बदरी म सर इतना बोल वहा स उठ घर क लए चलन लगसबन उनक मनोदशा का याल रखत ए टोका भी नह

उनक जात बस जगद श यादव क मह स नकला ldquoबाभनो का पराना स कार ख महो गया ह मा लक बताइए इतन अ छ प रवार का लड़का का या हाल हो गयाrdquo

इस पर बजनाथ लपककर बोला ldquoएकदम ठ क बात सबस बड़ा कलक तऽ बरागीप डत क लड़का चदनवा हrdquo

ldquoहा थ त तो सच म ब त खराब ह यही ना घनघोर कलयग ह जी ह रजन धमकरक दखा रहा ह और यह प डत का ब चा उसको करक समय ब त बदल गया हपता नह कसा बनास हो रहा ह नया काrdquo प षो म बाब राजा जनक क भा त यगधमपर चता करत ए बड़ गभीर वर म बोल

भारत क गाव और क ब म कसी भी द लत- पछड़ का नौकरी कर लना पसा कमालना सखपवक जी लना और कसी उ च वग य प रवार का कगाल हो जाना बरोजगारी स

त होना घनघोर कलयग का सबस च लत सकतक थ भारतीय समाज म द लत-सखऔर सवण- ख सचकाक स कलयग को माप लन क यह मापन कौशल मता उनपराता वक भ-व ा नक और खगोल व ा नक को चनौती थी जो अभी तक प वी क उनाप रह थ

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उस दन शखर सबह-सबह बाइक स गाव मण पर नकला था इस बार लबी छट टपर आया था गाव

महानगरीय व व ालय क कोस क मोट -मोट कताब और भारी-भरकम ल चरम वह जब-जब भारतीय ा य जीवन क दशा और दशा पर कछ पढ़ता-सनता तो उसअपना ही यह अनदखा गाव हमशा याद आता और ख चता शखर हर बार तय करता कइस बार गाव जाएगा तो अ छ स गाव और उसका समाज दख-समझकर आएगा ल कनगाव स ही नकलकर गए छा क पास शायद ही कभी इतना समय रहा था क व गाव कहोन क बावजद भी गाव को पढ़ पात यह एक ऐसा पाठ य म था जसका अ ययन कसीव व ालय क क ा म बठकर कर पाना बमानी था इसक लए गाव क ग लय चौपाल खत क पगड डय और नद क कनार स सटना पड़ता वहा क समाजशा काह सा होना होता य द कोई एक या ी क तरह गाव को दखता तो वह गाव का समाजउतन स भी कम समझ पाता जतना मग थनीज न भारतीय समाज को समझा था शखरइस बार मग थनीज स तो यादा घमन-समझन का मड बनाकर आया ही था शखर अभीबाइक क धीमी-धीमी चाल स गाव क उलट छोर स बाहर नकल रहा था क नथन स कोईब त ही जानी-पहचानी सगध टकराई उसन बाइक और भी धीमी क शखर को अबजाकर भोर क असली ताजगी का अहसास आ उसन दखा सड़क कनार कछ री परम आ का एक बड़ा-सा पड़ था और उसक अगल-बगल क खत म धान क फसल पीलापनलए लहरा रही थी शखर न अपनी बाइक उसी ओर बढ़ा द वह उसी दशा स आ रहीसगध क तरफ खचा चला जा रहा था ठ क वस ही जस कसी भतहा फ म का नायकर परानी हवली स आ रही पायल और घघ क आवाज क तरफ खचा चला जाता ह

शखर अभी बढ़ा ही था क उस सामन लखन लोहार क झ पड़ी दख गई जहा ट न वालादरवाजा खला होन क कारण बरची और प ब र र स ही बठ दख गए शखर को इधर हीआता दख बरची क नजर भी उस पर गई बरची झट लकड़ी क पीढ़ स उठ खड़ा आबरची न इशारा कया और लखन और प ब र न सामन रख सारी आप जनक व तए जसचलम बीड़ी और गाज क प ड़या झटपट छपाकर बोरी क नीच रख दया व शहर म रहतहाई-फाई पढ़ाई- लखाई करन वाल एक बहद स य व ाथ क सामन यह सब कट करश मदा नह होना चाहत थ लखन न गमछा झोलकर उड़ रह धए को हटाकर वातावरणथोड़ा गध-र हत करन का भी यास कया शखर अब तक झोपड़ी तक आ गया था कतही उसन एक ताजी हसी स सबका अ भवादन कया

ldquoआइए आइए शखर भाई या बात बड़ा सवर-सवर लगता ह सर-सपाटा पर

नकल ह हा हा हाrdquo बरची न आग बढ़त ए कहाldquoहा बरची जी बस कछ खास नह थोड़ा हवा खान नकल थ गाव काrdquo शखर न

बाइक स उतरत ए कहाldquoआइए ब ठए न शखर बाब गरीब का क टया ह कस भी नह ह आइए यहा ब ठए

आपrdquo लखन न अपनी गमछ स लकड़ी क टल क धल साफ करत ए कहाldquoअर भाई गरीब का क टया मत क हए जीवन का असली रस तो यह ह तभी तो

खच चल आए ह और मर जस आदमी कस पर नह बठत म जमीन स जड़ा आदमी और जमीन पर उठता-बठता rdquo शखर ब त जमीनी बात बोलत ए पास बछ बोर पर बठगया अब शखर को नीच बठा दख प ब र न भी अपनी लकड़ी वाली टल पीछ सरका द सभी लोग नीच बोर पर बराबर म बठ गए

ldquoवाह तो आप लोग का उठना-बठना यहा रगलर होता ह शायदrdquo शखर न पावपसार पछा

ldquoहा बस यह बठत ह लखन भाई क पास और गाव म कहा बठन शखर जी यहबठ हम लोग आपस म सख- ख ब तया लत ह थोड़ाrdquo प ब र न चहर पर ह क -सीम कराहट क साथ कहा शखर अब सर घमाकर लखन क झोपड़ी क अदर चार ओरदखन लगा सामन ही धीमी आच पर जल रही छोट -सी आग क एक भट ट थी वह लोहक बनी कछ खरपी क चया हसली रखी ई थी कछ लोह क टकड़ इधर-उधर बखर पड़थ शखर इन सब चीज को दख तो रहा था पर वह शायद कछ और दख रहा था और इधरबरची लखन और प ब र लगातार शखर को दख रह थ और साथ ही यह भी दख रह थक दखत-दखत शखर कह कछ और दख न ल

ldquoअ छा यहा कछ मल कर रहा था मॉक - मॉक यानी धआ टाइपrdquo शखर न दबउ साह स पछा

ldquoकछ नह नद क पीछ मशान ह न कल रात प ब र क टोला म सदना क दादमरी ह वही जल रही होगी वही धआइन महक रहा हrdquo बरची न एक झटक म नए गधक खोज करत ए शखर को बताया शखर को इस कार क गध और धए का तो कछआइ डया ही नह था

अभी-अभी जस धए को द जान शखर न उस अपन अदर ख चा था ण भर मलगा जस कलज और फफड़ क बीच सदना क दाद लाठ टक चल रही हो मन एकदमभतहा हो गया था

ldquoभ क यार या बात करत ह हम या लाश और गाजा क धआ म फक नह जानतह या बरची भाई या मजाक कर रह ह आपrdquo शखर न हसत ए सहज होन कको शश क साथ कहा शखर क इस याराना अदाज पर सभी ठहाका मार हस पड़

ldquoहा हा हा तब तो आप समझ ही लए शखर भाईrdquo बरची न हसत-हसत कहाldquoहा हा हा का कर शखर बाब गाव-दहात म लोग पीब करत ह हम लोग भी कभी-

कभार मार लत हrdquo लखन न हसत-हसत साफ-साफ कह दयाldquoआपको दख तो छपा दए आपक सामन ठ क नह लगता ह शखर जीrdquo प ब र न

भी लजा क कहाldquoगलत बात एकदम गलत बात इसम छपाना या ह भाई नका लए यार हमको भी

चखाइए थोड़ाrdquo शखर न मन क बात कहीइतन म तो लखन चलम बोर क नीच स नकाल चका था बरची न प ड़या बढ़ा

लखन को रगड़न क लए दया शखर न लपककर प ड़या अपन हाथ ल लयाldquoअर महाराज आप छोड़ द जए शखर भाई गाजा मत हाथ लगाइए नह तो आपक

बाबजी जान गए तो हमको लात-जता कर दगrdquo बरची न शखर स कहाldquoअर खाक लात-जता जानग तब न हम पीत ह भाई आप य टशन ल रह ह अर

यार हम तो इसी का गध सघ आए जब स गाव म ह तब स नसीब नह आ इतना दन होगया लाइए हम रगड़कर भरत ह एक बार मरा भी फ न शग दख ली जएrdquo शखर इतनाबोल जोर स हसा सामन तीन हरत स शखर को दख रह थ हस अब भी कवल शखर रहाथा बाक तीन का चहरा तो अभी इस ण ऐसा हो गया था जस कसी न धोख स अचारचटाकर नशा उतार दया हो गाज का

ल कन अगल ही पल एक नया साथी मह फल को मल जान क खशी म तीन कचहर ताज धतर क फल क तरह खल उठ

ldquoआप सच म पी जएगा मतलब आप स च म पीत हrdquo बरची न फाइनली पछाldquoपीत नह ह भरदम पीत ह पलाइए अब बाक गप होता रहगाrdquo शखर न एक

सम पत गजड़ी वाली बचनी स कहा इतना बोल तो शखर पालथी मारकर बठ गया औरगाज क प य को महीन करक काटन लगा उतन ही समपण भाव स जस गाधीजी सतकाटन बठ ह दोन का ल य भी तो एक ही था रा का क याण भल माग अलग-अलगथ

अब चलम लन-दन का दौर श आ लखन क क टया धआ-धआ होन लगीलखन न पीछ पलटकर रखा र डयो चाल कर दया र डयो पर अ मताभ ब चन परफ माया गाना बज रहा था lsquoजहा चार यार मल जाएrsquo

अब माहौल जम गया था शखर का अपन घरल मदान पर यह पहला दशन था वहअ धक-स-अ धक रन बना दना चाह रहा था शखर न एक जोर का कश लगाया औरचलम लखन क तरफ बढ़ाया लखन न चलम बना टान बरची क तरफ बढ़ा दया औरखद थोड़ा सरककर अब ठ क शखर क सामन आ गया

ldquoबाप र बाप हर हर महादव आप तो हम लोग का ग नकल हो शखर बाबबरची दा तो बीए पास ही ह ल कन आप तो ए म पास ह महाराजrdquo लखन न हचक लहाथ जोड़त ए कहा

ldquoनचरली नचरली लखन जी हम तो एमए कर पीएचडी कर रह ह तो आग तो हो ही

गया नrdquo शखर न ठहाका लगाकर कहाldquoठ क ह नाच अली या अली तो अ छा ह पर एक बात बोल शखर बाबrdquo लखन न

लड़खड़ाती जबान स पछाldquoअर ब कल बो लएrdquo शखर न चलम को उलटकर उसक राख झाड़त ए कहाldquoअर चप चपचाप बठो अब तमrdquo बरची न लखन को बीच म टोकत ए कहा

असल म थोड़ी दर पहल ही सबह-सबह लखन न ताड़ी पी ली थी और अब गाज क म णका असर कपार चढ़न लगा था इसका अदाजा उसक रोज क हम- चलम साथी बरची कोहो गया था इस लए वह डर रहा था क लखन नश म कह कछ उ टा-सीधा न बोल द

ldquo या बरची दा साला गरीब को कोई बोलन ही नह दता ह एक आप सनत थआज आप भी रोक रह हrdquo लखन न लड़खड़ाती जबान स ही कहा

ldquoअर बो लए बो लए लखन जी बरची जी बोलन द जए ना बचार कोrdquo शखर नगरीब क साथ खड़ा होत ए कहा

ldquoतब यह आ न एक नबर का आदमी शखर बाब ह यrdquo लखन न झमकर कहाldquoअर साल लखना अब बात बोलो अपना पागलपती मत करोrdquo बरची न थोड़ा

कड़क होकर कहाldquoशखर बाब द खए हम लोग तो अनपढ़ लोग ह गरीब मज र ह थोड़ा-सा बरची दा

बीए पास ह ल कन ई भी पढ़ क कछ उखाड़ पाए नह तो हम लोग तो गरीबी और मजबरीम गाजा-बीड़ी पीत ह मन बहला लत ह थोड़ा ल कन मा लक आप इतना पढ़- लख ककाह पीत ह आपक बाबजी इतना व ान आदमी ह उनका लड़का गाजा पएगा तो ईठ क ह शखर बाबrdquo लखन न एक सर म जो मन म आया वह बोल दया

बरची न ग स म माथा पकड़ लया प ब र भी थोड़ा असहज हो गया था उन दोनको लग गया था क लखन न गड़बड़ कर द शखर को ब त बरा लगा होगा ल कन शखरम करात ए बड़ सहज भाव स लखन को सन रहा था

ldquoकर ट ब कल सही बोल ह आप लखन भाई हा गाजा-बीड़ी गरीब पीता हसम झए जरा बात को म चाहता तो द ली म अ जी दा पीक मौज-म ती ड को-डासकर सकता था ल कन नह हमन गरीब और मज र क साथ उठना-बठना चना और नाहमको गरीब स परहज ह ना उनक गाजा स हम हर कश म उनक साथ ह उ ह लगनाचा हए क हम भी उनक जस ह कोई व श नह हम हम भी आम आदमी ह लखन जीrdquoशखर न गाजा सवन क जनवाद योरी क थापना करत ए कहा

लखन तो जस बत हो गया था अभी इतना-सा ही सनकर आख म आस तर आएबरची को लगा क भट ट स नकल रह धए क कारण आया ह ल कन यह तो अदर सनकल आ रह ज बात क आस थ एक पढ़- लख स च कॉमरड क हाथ म चलम ल गरीबक सग खड़ हो जान क खशी म एक गरीब क आख स छलक ा क आस थ य दनभरअपनी झोपड़ी म आग क भट ट म लोहा गरम कर उस पीटत अपना तन और फफड़ा

जलात आदमी क पास दो व क रोट खा तर करत सघष क बाद ा जसी चीज बच हीकतनी जाती थी फर भी जतनी थी लखन न अदर स खखोर कर जमा कया और हाथजोड़कर बोला ldquoआप महापस ह शखर बाब महापस हrdquo इतना बोल डबडबा गया बचारा

ldquoनो नो लखन भाई ट म नह व लोग ह ज ह हम फॉलो कर आज इस नया कोबदलन नकल ह आप लोग को लगता ह क गाजा-बीड़ी बस हम लोग ही पीत ह अर इस

नया क तमाम ा तका रय न पया और गरीब -मज र क हक म धआ उड़ा-उड़ाआसमान रग दया साथी मा स न गाजा पया च वरा न पया फदल का ो न पयासाथीhelliprdquo शखर एकदम जोश म बोल जा रहा था

ldquoजी फकन बाब भी फकन बाब भीhelliprdquo लखन न ल ट म एक नाम और जोड़त एकहा

यह सनत शखर तो चकरा गया था जस उस समझ ना आया क इस पर या बोलइतन क मती ल चर क बाद प रणाम म फकन सह नकला था

ldquoचप साल पगलट अर यहा व ड लवल का महान नता सबका नाम बता रह ह शखरजी और तम साल बीच म फकन सह को पल रह हो अब मा सवाद ह शखर बाब समझसाल लखनाrdquo बरची न भड़कत ए कहा

ldquoअर ऊ तऽ ह ह ग ई मासबाद ल कन सन ली जए आदमी भी अ छा ह ईrdquo लखनन अच क म अजब ही बात कह द थी

ldquoलखना तो आपका द वाना हो गया ह शखर जी आपको एकदम अपना नता मानलया हrdquo बरची न ठहाका लगात ए कहा

ldquoअर हम या नता ह ग भाई नता तो आप लोग क बीच स होना चा हए जो आपकलए लड़ सक सामतवाद ताकत क खलाफ एकजट हो जाइए जब जएट होकर गाजापी रह ह तो खाली नठ ल गाजा पीन स काम नह चलगा इसका सही उपयोग भी तोक रए बरची जीrdquo शखर बड़ भोल अदाज म बोल जा रहा था

ldquoबात तो सही बोल रह ह शखर बाब आपrdquo बड़ी दर स चप प ब र बोलाldquoभोर स जगत रोट क जगाड़ म साझ तक थक जान वाल हम जस लोग ा त नह

करत शखर जी ा त आप लोग ही कर सकत ह हम लोग तो बस पीछ-पीछ नारा लगानवाला लोग हrdquo बरची न खनी रगड़त ए कहा

ldquoअ छा ई मासबाद या ह बरची दाrdquo तभी स वही अटक लखन न पछाldquoहा हा ली जए इसको या बताए इतना डीप आइ डयोलॉजी ह यह समझान म

टाइम लगगा भाईrdquo शखर न लखन क ज ासा को ज रत स यादा गभीरता स लत एकहा

ldquoअर छो ड़ए ई गजड़ी को साला हम बीए पास करक तो समझ नह पाए ई सातवाफल लोहार या समझगा इतना बड़ा-बड़ा बातrdquo बरची न रगड़ी खनी मह म डालत एकहा

ldquoल कन आप तो पढ़ ही ह ग ना यह सबrdquo शखर न गदन बरची क तरफ करकपछा

ldquoपढ़ तो सब थ सब भला गए हा इतना याद ह क एक हमारा दो त था ला टउसको जब हम पछत क काह पीता ह र गाजा वह बताता था क इसस आख लाल होजाता ह और हम बना वचार बताए झडा दखाए लोग को बता दत ह क हम लाल सलामवाला ह हा हा हाrdquo बोलकर बरची जोर स हसा

लखन और प ब र भी हस हाला क व बमतलब ही हस थ शखर गभीर हो गया थाldquoउफ बवकफ था आपका दो त मख न ही लटवाया हम च लए चलत ह अब ब त

दर हो गया गाव खोजन नकल थ और गाव तो गाव म ही बस नकलत ही मल गया अबहम जब तक रहग यहा आत-जात रहगrdquo शखर खड़ा हो बोला उसक साथ ही बाक तीनभी खड़ ए ही थ क बाहर कसी क आन क आहट सनाई द

ldquoअर यह तो मध का माय ह या बात आ कए दखत ह हमrdquo बोलत ए बरचीझोपड़ी स बाहर आया मध क मा बरची को ही खोजत वहा भी चली आई थी बाहर कछमनट बरची और मध क मा क बीच बात होती रही बीच-बीच म मध क मा आख स गरआस को अपन अचरा क कोर स प छ रही थी

ldquoकौन ह य लडी या आ होगाrdquo शखर न झोपड़ी क अदर ही खड़ लखन स पछाldquoअर बचारी को सौ तरह का ख ह बट स झगड़ा आ होगा या फर दामाद आया

होगा तो झझट आ होगा वस साल-दो-साल स दख भी नह ह हम इसक दामाद कोrdquoलखन न अदाजन कहा

भीतर तीन यही सब बात कर ही रह थ क लगभग पाच मनट क बाद मध क मावापस चली गई और बरची अदर आ गया

ldquo या आ भाई बरची जीrdquo सबस पहल शखर न पछाldquoशखर जी या बताए साला एक काड हो गया हrdquo बरची न कहाldquo याrdquo सब क मह स नकलाldquoगाव क ही एक म हला ह आगनबाड़ी म काम करती ह उसक साथ बीडीओ साला

छड़खानी कर दयाrdquo बरची न शखर क तरफ दखत ए कहाldquoमध क साथrdquo लखन क मह स नकलाldquoहा कल ही बीडीओ मध को बोला था क आज ज द आ जाना ज री काम ह य

भोर सत उठ क वह चली गई सीध सरकारी आवास पर बलाया था साला वह छड़खानीश कर दया पता नह या- या आ ह कह रही ह जहर खा लगrdquo बरची न अभी-अभी उसक मा स सनी बात बताई

ldquoअर एक मनट भी नह कना ह बो लए एकदम एफआईआर कर यह तोस सअल हरासमट का मामला ह नौकरी जाएगी साल बीडीओ क आप म हला को थानाभ जएrdquo शखर न जोर दकर कहा

ldquoहा पहल जाकर पछत ह मध स क या आ ह थाना जाएगी तब ना सब तो थानाम मला ही रहता ह पदा धकारी का मामला ह शखर जीrdquo यह बोलत ए बरची बाहरआया और प ब र क बाइक ल सीध मध क घर नकल गया

मध क घर क सामन एक साइ कल खड़ी थी बरची न साइ कल पहचान लया थाबाइक खड़ी कर वह अदर गया जहा ख टया पर काशी साह बठा आ था सामन एक तरफनीच मध क मा गाल पर हाथ रख बठ ई थी और सरी तरफ वह जमीन पर एक पाए सपीठ टकाए माथ पर हाथ धर ऊपर क ओर सर कए मध बठ ई थी काशी साह शायददोन को कछ समझा रहा था मध क मा उसक बात गौर स सन भी रही थी पर मध उसकओर दख भी नह रही थी वह तो काठ बनी सख आख स एकटक आकाश का सनापनताकत जा रही थी

बरची क अदर घसत ही मध क मा न उस बठन क लए सामन रखा लकड़ी का पीढ़ासरकाया मध भी ब त दर बाद थोड़ी हरकत म आई उसन एक नजर बरची क ओर दखाऔर फर सर नीच कर जमीन क ओर दखन लगी काशी साह न बरची को दखकर भीअनदखा कर दया

ldquoतम दोन सोच लो ज द भौजी ब स काम लो मध हमारा भी बट जसी ही हफालत का च कर म पड़ क इसको बबाद होन नह दग न मामला ख म करन म ही फायदाहrdquo काशी साह न सर हला- हला दोन हाथ का इशारा कर मा-बट स कहा

ldquo या मामला ख म मन यह कोई बड़ा बात नह जो भी आ होन द बट काइ जत कोई बात नह rdquo बरची न लाल ई आख म तरत ए पानी को सभालत ए कहा

ldquoअर तम तो बीच म एकदम नह पड़ो बरची इस मटर म एक श द ना बोलो सालत हारा तो कछ होगा नह ह ही या जो बगड़गा त हारा इस बचारी मा-बट का इ जतनीलाम करवा दोग तम अपना राजनी त मrdquo काशी साह न तमतमात ए कहा

ldquoसाह जी लाज-शम सब बच दए ह या आप लकड़ी काट-काट उसक साथ अपनईमान का जड़ भी काटकर बच दए अर यहा कसका दलाली करन आए ह फकन सहभजा ह ना मामला सलटान बीडीओ क तरफ सrdquo बरची न सही नशाना लगात ए कहा

ldquoअर साल बर चया जबान सभाल लो अपना हा फकन बाब भज ह तो याबीडीओ साहब स लड़ पाएगा ई-मा-बट अर वह तो फकन बाब ह जो जान बचा द रह हइन दोन का नह तो उ ट लकम लग का कस बनाकर बीडीओ जल भजवा दगा मध कोतम साल या जानोगrdquo काशी साह न दात कटकटाकर कहा

इतना सनना था क मध क मा क आख स झर-झर धार बहन लगी उसक हाथ खद-ब-खद जड़ जा रह थ यह दख बना भी क सामन कौन खड़ा ह

मध अभी तक चप बठ पड़ी थीldquoवाह जी साह जी साला रप का को शश कया वह बीडीओ ह र काश मडल और

जल जाएगी उ ट मध साला अधा ह या समाज और काननrdquo बरची न मट ठ तान

कसमसात ए कहाldquoए फालत बात ना बको रप-टप कछ नह आ ह अर जरा-सा गलती आ ह

बीडीओ साहब स तो भाई कोनो म थोड़ बोल रह ह बात ख म करन सीध तो 10हजार दन बोल ही दए ह अब या कर बचारा जरा-सी गलती पर इतना पसा द तो रहा हयह भी नह दगा तो या उखाड़ लोग उन लोग काrdquo काशी साह न जीभ चबलात ए कहा

ldquoओहो जरा-सी गलती यही जरा-सा गलती आपक बट -बहन क साथ हो जाता तो10 हजार लकर मामला सलटा दत या साह जीrdquo बरची न कटार-सी म कान क साथकहा

ldquoअर हरामी साला दोगला का ज मा तमको जदा नह छोड़ग साला तम हमार बट -बहन तक जाएगा र साला हमारी बट को इसक साथ एक तराज म तौलगा र त हारा जानल लग र हरामीrdquo यह बोल काशी सीध बरची क ओर लपका काशी का खन खौल उठाथा त र म भना मास सबको अ छा लगता ह ल कन अपन बदन पर चगारी क एकत ली गर जाए तो आदमी तल मला ही जाता ह काशी न बरची क कॉलर पकड़ पीछक ओर धकला बरची न परी ताकत लगा काशी को भी ठला और वह ख टया पर जा गरपड़ा मध अब जमीन स उठ कनार खड़ी हो गई थी मध क मा दोन क बीच हाथ जोड़खड़ी हो गई वह बरची स चप हो जान क वनती करन लगी

बरची तज-तज सास लए तमतमाया खड़ा था काशी ख टया स उठ जाघ पर हाथपीट लगातार गाली दए जा रहा था इतन म बाहर बाइक खड़ी होन क आवाज आई अदरप ब र शखर और चदन आए यह लोग तो ब त दर लखन क झोपड़ी म बठ बरची काइतजार कर रह थ पर जब उनस रहा न गया तो वह भी सीध मध क घर आ गए थ र त मइ ह चदन दख गया तो प ब र न उस भी साथ ल लया था

ldquoआओ ना ब परा गग बलाया ह र तम सब साल जट हो जब फकन बाब का सनाआएगा ना तब फाट जाएगा पछवाड़ा सबकाrdquo काशी साह उन लोग को आता दखत हीजोर स बोला

ldquoचप बदतमीज आदमी या बक रह ह आप तमीज स बात क रए एक म हला कसाथ गलत आ ह हम लोग उसका साथ दन आए ह समझ आप यह या बक-बक कररह ह सना और गगrdquo शखर न और यादा जोर स कहा

ldquoऐ आप मत प ड़ए इस सबम शखर कमार आपको पहचान रह ह हम कामता बाबक लड़का ह ना आप अपना इ जत का याल र खए या इस नीच मामला म पड़ हपसा का मटर ह 10 हजार म मामला सलटान बोल रह ह इन लोग को और पसा चा हएपसा बढ़ा दग तो मटर ख म हो जाएगा बर चया अपना माल बनान क लए ही लगा आह इस मामल म आप काह फस रह ह ई गदा धधा म यहा इसक जसा लोग क साथ रोजहोता ह ऐसा घटना यह कोई पहला घटना नह ह बीडीओ साहब क साथ साध आदमी हबचारा उनस ब त म हला लोग पसा ठगा ह उनको फसाकर 10 मटर तो हम ही सलटाए हबचारा का पसा दकरrdquo काशी साह न शखर को दखत ए भयकर बहयाई स कहा

ldquoचप अर चप साला ब त आ र तब स सन-सन मर रह ह एक जरा दया नहआया र आपको आदमी ह क जानवर ह आप साला आपको चाचा बोलत थ हमrdquo तब सबत बनी खड़ी मध जस कसी भारी प थर क चोट स टटकर बखरकर चीख पड़ी थीआख म कब स ठहर ए पानी का बाध अब टट गया था वह उस दोन हाथ स प छ जारही थी

ldquo लीज चप हो जाइए मध जी यह लोग या जान एक ी या- या झलती हrdquoशखर न ब कल म यम वर म कहा और सर झका खड़ा रहा

ldquoनह हम तो बोलग ही फर स सनो काशी साह इसको हम चाचा बोलत ह ब च सऔर ई आदमी बोलता ह क गलती आ ह छोटा-सा हम धधा करत ह और हम पसा लनाचाहत ह अर काशी साह सनो वह हरामी हमको ज री काम क नाम पर घर बलायापोषाहार का फाइल और रसीद लकर फर सीध अपन पलग वाला म म ल गया बोलाआगनबाड़ी म घोटाला आ ह इस मामल म सब फसगा तमको ल कन हम बचा लग हमत हारा ख जानत ह मध तम चता ना करो हमस मलत रहो पसा-कौड़ी और सब कछमलगा आओ ना इधर आओ इतना बोल कर हरामी छाती पर हाथ धर दया पीठ औरकमर पकड़ कर सता दया हम ध कया क लात मार कर भाग तो खद ह ला करन लगा कदखो भोर-भोर आ गई ह हमको दह का लालच दकर पसा मागन अपन टाफ को वहजमा कर लया सब हमको ग रयान लगrdquo बोलत-बोलत मध जमीन पर गर पड़ी अबएक जोर क दहाड़ मध क अदर स फटकर नकली वहा खड़ हर आदमी क अदर काआदमी एक बार काप गया था यह रोदन सन सबह स दस बार वह अपनी सारी आप बीतीअलग-अलग हर उन लोग को सना चक थी जो उस दलासा क नाम पर उसका हाल सननआत और एक बार ऐसी कहानी लकर चल जात जस चौक-चौराह पर बार-बार कई लोगको सना सक खद काशी साह वह बठ तीसरी बार यह सब कछ सन रहा था

एक ी जब अपन पर ए इस हवानी हमल क कहानी दोहराती ह तो वह बसकहानी नह दोहराती ह ब क बार-बार उसी पीड़ा उसी हवा नयत स गजरती ह सननवाल क नजर उस बार-बार वही सब कछ एहसास करा दती ह इस बार मध शायदइस लए फटकर रो पड़ी थी य क खड़ हर श स क नजर धरती म गड़ी ई थ सवायकाशी साह क

ldquoसब हमको भया च र हीन बोल क भगाया हो हमको सब च र हीन बोलकर भगायाहो भया बताइए हम च र हीन ह भया बताइए ना बरची दा बताइए ना चदन बाबाआप लोग कोई तो बताइए हम जहर खा लग माई माई हमको जहर द दो अब कहा महदखा पाएग समचा बोलाक-आ फस हमको कलटा कह रहा ह मार दो हमको कोईrdquoकभी छाती पीट और कभी हाथ को धरती पर पटककर जब मध यह सब बोल रही थी तोवहा खड़ लोग मानो जमीन म दफन हो रह थ शम और पीड़ा स जमीन पर बस काशी साहही खड़ा था जो सीना खोलकर मामल को सलझान आया था

मा न मध को बाह स जकड़ लया था अभी वो उसक सर स लग सबक रही थी

बरची यह सब दख कनार हट गया था कसस दखा जाता यह सबldquoअब एक सकड भी दर मत क रए सीध प लस म जाइए अब एफआईआर क रए

पहल सीध बला कार का कस ह कोट म हला क गवाही सनता ह वह बीडीओ औरफकन सह का नह सनगा बरची जी थाना जाइए सो चए मतrdquo शखर न पाव पटकत एकहा

ldquoहम तो कहत ह क बीडीओ मडल को ही पकड़कर कट दत ह भ सड़ी वाल कोबचान जो आएगा उसको भी मार दग गडासा जो होगा सो दख लगrdquo बरची न ोध ममट ठ भ चकर कहा

ldquoनह कल होश स काम ली जए हम स टम क सड़ाध को ख म करना ह इसघ टया अ धकारी का स टम म होना ठ क नह इस कानन सजा दकर हटाएगा आईबलीव इन का टट यशन ट ऑन लॉ यक न क रए और ह मत र खए जाइए थानालीजrdquo शखर न ब त जोर दकर कहा

ldquoवहा कछ नह होगा शखर जी दख रह ह ना इस फकन सह क दलाल को ई काशीसाह अभी जाकर सब उगलगा वहा और तरत थाना मनज हो जाएगाrdquo बरची न लाल-लालधधकती नगाह स काशी क तरफ दखत ए कहा

ldquoअर साला भोसड़ी वाला हरामी दलाल बोलगा हमकोhelliprdquo काशी एक बार फरबरची क ओर कदा अभी दोन क बीच एक दो थ पड़ चल ही थ क सबन ख चकर दोनको अलग कया काशी साह अब घर स बाहर दरवाज पर आ गया था

ldquoजाइए ना साह जी काह पलान का काम कर रह ह अभी -चार ल पड़ मार भीदगा सब और प ब र दास स ह रजन ए ट का कस भी करवा दगा आप पर चल जाइएगातलहडपर चपचाप चल जाइए बचा आ इ जत समट कrdquo काशी क पीछ-पीछ आएचदन बाबा न कहा

ldquoसाल तम लोग क कपार पर काल नाच रहा ह सब ठलाओग सालो यहा कोठाखोल हो तम लोग आए हो माल को बचानrdquo साइ कल पर बठ जात-जात भी अपनी गदजबान क काल छ ट छ टता ही गया काशी साह उसक जात ही शखर मध प ब र औरबरची को ल बाहर आया बरची न कहा क वह अकल ही मध को लकर थाना जाएगा नहतो दरोगा कह यादा आदमी दख इस गाव क राजनी त स न जोड़ द बरची न अगल हीपल बाइक क चाबी डाली और टाट कर मध को पीछ बठाया तजी स पहला गयरलगाया और झटक स ोध म बाइक उछालत ए थान क तरफ नकला शखर नम कराकर हाथ हला वदा कया उस लगा जस माओ स तग क ब क क नली स नकली

ई ा त वाली गोली अपन ल य क ओर जा रही ह

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बरची थान क करीब प चन वाला था रा त भर कई तरह क आशका -उलझन न मनको हलाए रखा था वह थान जान को लकर ब त यादा तयार नह था ऊपर स ऐसमामल म जसम खड क सबस बड़ पदा धकारी क शकायत का मामला हो बरची कपीछ बठ मध भी कछ समझ नह पा रही थी क कस या बोलगी थान म

बरची तभी बाइक रोककर पहल थान क सामन वाली चाय कान पर गया और लोटाभर पानी पया उसका मन अभी भी वापस लौट जान को कर रहा था वह सोच जा रहाथा दरोगा तो रोज बीडीओ साहब क साथ खाता-पीता ह सबक बठक वह फकन सह कयहा होती ह काह सनगा भला दरोगा पर शखर न जद कर जस तरह हौसला और वचारद भज दया था क उस आना पड़ा था वचारधारा और उसक वचारक डायर ट ा तकहा करत थ वह तो बस रत करत थ आज शखर न वही काम कया था बरची को

रत कर दया था शखर न तो अपन वचार का लाल धन द रॉकट छोड़ दया था अब वोकहा घस कहा फट रॉकट का भा य जान बचारा भारतीय याय व था पर परी आ थाक साथ आज तक पढ़ स वधान क बार म हर क याणकारी वशषता पर मन-ही-मन भरोसाकरत ए बरची अब थान क अदर प च गया पीछ-पीछ ओढ़नी स आधा मह ढक मध चलरही थी अदर घसत ही थान क बरामद पर बठ एक सपाही क नजर दोन पर गई उसनएक भयकर भरपर नजर स बरची को कम मध को यादा दखा

ldquo या बात ह जी लड़क -सड़क भगान का मामला ह याrdquo सपाही न ऊचीआवाज म पछा आवाज सनत बरची और मध वह खड़ हो गए मध अपना चहरा अबथोड़ा और ढकन लगी उसन बाए हाथ को ऊपर कर धीर स अपनी ओढ़नी को सरका महपर कर लया

ldquo या ह बताओ भी या बात हrdquo सपाही न फर पछाldquoदरोगा बाब स भट करना हrdquo बरची न ह क आवाज म कहाldquoअर तऽ डायर ट दरोग बाब स मल लोग जी कोनो ोसस भी तऽ होता ह कानन

का पहल बताओ या काड हrdquo सपाही न काननी या क श आत करत ए पछाldquo सपाही जी द खए छड़खानी और बला कार क को शश का मामला ह हम लोग

को दरोगा जी स मलना हrdquo बरची न वह खड़ कहाldquoओह रप आ ह कसका यही लड़क काrdquo सपाही न मध क तरफ बरी तरह

घरत ए कहा बरची इधर-उधर ताकन लगा और मध अपनी गदन नीच कए मानो खदको जमीन म गाड़ खड़ी थी

ldquoभट कस होगा दरोगा जी स करवा द जए न जराrdquo बरची लगातार एक ही बातपछ जा रहा था

ldquoअर तो इसम दरोगा साहब या करग तम पहल वहा मशी बाब क पास जाओमामला सही होगा तऽ कस फाइल होगा पहल वहा भट करो मशी बाब सrdquo सपाही नबाहर बरामद पर कस टबल लगाए बठ एक वद धारी क ओर सकत करत ए कहा दसकदम चल बरची उस टबल क सामन खड़ा आ ही था क मशी बाब न उस कछ इशाराकया सामन एक पानी भरी बा ट रखी थी

ldquoजरा बा ट उठा भीतर प चा दो तो बाबrdquo मशी बाब न बरची स कहा अब लाठऔर कलम दोन क म णकाचन योग स लस भारतीय प लस न आम जनता क मन म अपनलए इतना स मानजनक थान तो बना ही लया था क कोई भी वद धारी कसी भीअनजान आदमी को झोला बा ट बोरा उठान का आदश द ही द तो सामन वाला आदमी नचाहकर भी उस आदश का पालन कर ही दता था ऐसा कर दन वाला अ छा और स चानाग रक होता क नह यह कहना तो म कल था पर वह समझदार नाग रक ज र होताबरची न भी समझदारी दखात ए बा ट को चपचाप उठाया और उस सामन क कमर मरखन ल गया अदर उसन दखा परा कमरा धए क गबार स भरा आ था जस अभी-अभीबाबा भरव का नाम ल चलम स ही कोई स हवन कया गया हो बरची न सामन दखाएक चौक पर अपना मल रग खो चक मली सी चादर बछ ई ह एक लबा-चौड़ा औरबडौल त द का आकार लया नग-धड़ग आदमी कवल नील रग क एक लगोट पहन उस परलटा आ था उसक पीठ पर एक लघ आकार का सपाही खाक वद पहन बठा आ थाऔर एक कटोर स हाथ म तल लकर रीढ़ क हड डी पर लगातार रगड़ जा रहा था लटा

आ आदमी ह-हह क भारी घरघराती आवाज नकाल रहा था वो बा ट रख बाहरवापस मशी क पास आ गया

ldquoहा अब बताओ या आ ह बाब कौन ह ई लडीस साथ मrdquo मशी न बना बरचीक तरफ दख ही कहा

ldquoसर म हला क साथ छड़खानी और रप का यास आ ह वही कस करन आए हrdquoबरची न कहा

ldquoआय रप अ छा इसक साथ आ ह या जी कौन कर दया इधर आओ खदस बताओगी तब ना जानग जो जो आ सब बताओ उसी हसाब स न कस होगाrdquo मशीन मध क तरफ दख उस गदन हला बलात ए कहा

बस कछ ही कदम र खड़ी मध अब थोड़ी नजद क आ बरची क ठ क बगल जाखड़ी हो गई

ldquoसर बचारी या बोलगी कतना बार बोलगी अपना लटा इ जत क बार म हम सरल खत म आवदन द रह ह एफआईआर दज कर इस मामल म कारवाई करना होगा सरम हला उ पीड़न का मामला हrdquo बरची न थोड़ जोश म मखर होकर कहा

ldquoवाह र हो शयार बहा र मन हम साला त हार कहन पर रप का कस दज कर ल जोपी ड़ता ह उसका बयान हम सनग क नह ऐस तो कोई भी लखकर द दगा और कसकरवा दगा कसी पर इसक साथ कछ आ ह तो बताए न सब जगह बोली और प लसक सामन सती-सा व ी बन रही ह जहा आ काड वहा लाज नह लगा अब यहा थाना मलजान स होगा ज द बताओ कौन कया गलत काम दवर पड़ोसी या कोई घर-प रवारका आदमी ब त साला गर गया ह भाई तम लोग का गाव-दहात का समाज सालाrdquoवद धारी मशी न एक साथ म बरची और मध दोन पर भड़कत ए कहा

ldquoसर इसका नाम मधलता दवी ह यह आगनबाड़ी मhelliprdquo अभी वा य परा भी नहआ था बरची का

ldquoअर साला तम थोड़ा चप रहो न लबर-लबर काह करत हो इतना त हार साथ आह रप जसक साथ आ ह उसको काह नह बोलन दता हrdquo मशी न बीच म गरजत एटोका

अभी बरची मध क ओर दख रहा था मध न भी एक नजर बरची को दखा और फरचहर पर ढका पट टा एक झटक म हटा अब मशी क ओर दखन लगी तब स उसी पट टम सहमी- सकड़ी मध क लए अब एक-एक पल वहा पहाड़ होता जा रहा था मशी क एक-एक श द पहाड़ स गर रह प थर क चोट स लगत उसन अब मन-ही-मन खद को थोड़ाकठोर कया

ldquoसर मधलता नाम ह घर मलखानपर हम आगनबाड़ी स वका ह आज भोर काघटना ह हमको काम क बहान अपन आवास पर बलाकर बीडीओ साहब ह र काश मडलरप का को शश कए हrdquo मध न एक सास म कह दया

ldquoकौन बीडीओ साहब अर मडल बाब पगला गई हो याrdquo मशी जस आ य सउछलकर बोला

ldquoहा सर वही कए ह एफआईआर करना हrdquo मध न एक ही भाव म खड़ रहत एपनः कहा

ldquoमाथा ठ क ह ना तम दोन का मालम ह ना या बोल रह हो बीडीओ कह रपकरता ह जी त हार कहन पर एक ऑ फसर पर एफआईआर लख द सनो तम लोग

को दरोगा बाब ही समझग तम लोग का बातrdquo इतना बोल वद धारी मशी अपनी कस सउठा और सामन कछ र बठ दो सपा हय क पास गया उनस कछ बात क और वापसआ कस पर बठ गया

ldquoदरोगा साहब स ही भट करा द जए न सर ज द जरा रपोट लखवा दतrdquo बरचीन मशी क कस पर बठत ही उसस कहा

ldquoअर तम ब त क बयाट बनता ह र दरोगा त हर लए भोर स बठ जाए या ऑ फसम कह न क दरोगा साहब नहाकर आ रह ह अपना नौकर बझता ह प लक दरोगा कोrdquoवद धारी मशी बड़-बड़ बोल जा रहा था

ldquoछो ड़ए न दरोगा जी स ही सब बात बोलग अभी यहा रहन द जए बरची दाrdquoमशी का खा वहार दख मध न एकदम धीमी आवाज म बरची स कहा

ldquoजाओ हटो यहा सामन स वहा चबतरा क पास बठो दरोगा साहब आएग तो हमबला लग तमको चलो हटो हटो यहा कपार पर सrdquo मशी न लगभग डपटत ए कहा

मशी को बवजह भड़का दख दोन पीछ हट और बगल वाल चबतर क पास जाकर बठगए जहा थान म वत ता और गणत दवस क दन झडा फहराया जाता था चबतरा तीनरग स रगा आ था

ldquoहम कह रह थ क थाना प लस का कोई फायदा नह ल कन उ शखर कहा स आगया और ठल क भज दया अर वह सब शहर म पढ़न वाला लड़का ह द ली का प लसऔर मी डया दखा ह या जान गाव का हाल हम लोग साला यहा अब झल थाना म पतानह कौन नया दरोगा पारसनाथ आया ह कछ महीना पहल हीrdquo बरची न ब त दर स मनम दबी कई बात म स कछ बात झ लाकर कही मध चपचाप बठ सन रही थी अभी एकबार फर वद धारी मशी अपनी कस स उठ सामन वाल कमर क अदर गया बरची औरमध लगातार उधर ही दख रह थ तभी ठ क वद पहन दरोगा पारसनाथ मोबाइल परब तयात ए कमर स बाहर नकल पीछ-पीछ हाथ म खनी रगड़त मशी भी था दरोगापारसनाथ सीध अपन कायालय वाल क म जा बठ दरोगा क भीतर घसत ही मशी न हाथस इशारा कर बरची और मध को बलाया

ldquoसाला यही गडा अभी भीतर पीठ रगड़वा रहा था सपाही सrdquo बरची न चबतर सउठत-उठत कहा

दोन अब दरोगा जी क क म खड़ थldquoहा जी बताओ या मटर ह ज द स बताओ दो-चार लाइन मrdquo दरोगा पारसनाथ

न अपनी भारी आवाज म कहाldquoसर बीडीओ साहब न इसक साथ छड़खानी कया ह यह मधलता दवी आगनबाड़ी

स वका ह बीडीओ साब इसको अपन आवास पर बलाकर रप का यास कएrdquo बरची नअपनी ओर स ठ क ढग स ही बात रखन क को शश क

ldquoऑ फस टाइम तो दस बज क बाद होता ह ई या करन चली गई सवर-सवर याइटर ट था इसकाrdquo दरोगा पारसनाथ न गभीर म ा बनाकर सीबीआई ऑ फसर वालदा य व का अ त र भार लत ए पछा

ldquoसर वही तो इसको काम का बहाना बना बीडीओ साहब बला लए थrdquo बरची नसीधी बात बताई

ldquoतम जरा चप खड़ा रहो लड़क को बोलन दो हम दो बज रात को बलाएगआएगीrdquo दरोगा न कड़क आवाज म कहा

ldquoसाहब बलाए तो जाना पड़ा वहा जोर-जबरद ती करन लग पलग पर हमको लटातक दए हम तो ध का दकर बाहर भागrdquo कहत-कहत गल तक भर आई मध

ldquoहमको बवकफ समझी हो बीडीओ साहब को हम भी दख ह इतना हट टा-कट टाआदमी पकड़गा तो तम छड़ा पाओगी जी अब बताओ हमार जसा आदमी अभी तमकोपकड़कर पलग पर पटक द तो मजाल ह क तम ध का द भाग जाओगी प लस को काहगमराह करत हो तम लोगrdquo दरोगा पारसनाथ बोलकर एक घनाई हसी लए थोड़ा गदनऔर कधा उचकाकर हल

मशी तो दरोगा जी क इस तकश पर अभी तक ख -ख कर दात नकाल ए थाldquoसर जो सच ह वही बता रह हrdquo बरची न हाथ जोड़त ए कहाldquoचप साल त हारा नाम या ह रrdquo दरोगा न जोर स पछाldquo बरची कमारrdquo बरची न इतना ही कहा इस बारldquoसाल दलीप कमार बरची कमार दख ली जए मशीजी फ म का हीरो हrdquo दरोगा

न अजीब मह बनाकर कहाldquoहा हा हा आप सर गजब-गजब बोलत ह ल कन एकदम बजोड़ सब बातrdquo इस दो

कौड़ी क बात पर अपनी ओर स लाख क सलामी द अपनी ड यट नभात ए मशी नकहा

ldquoअ छा यह बताओ कौन हो तम लड़क काrdquo दरोगा पारसनाथ न फर जोर सपछा

ldquoसर हम इनको लकर आए हrdquo जवाब मध न दयाldquoतम अभी चप रहो एकदम हा जी बरची कमार बताओ तम कौन हो लड़क का

साल खाली गलत-सलत धधा करता हrdquo दरोगा पारसनाथ बोलत-बोलत अब मामला मोड़नको ही थ

ldquoअर सर हम इसक गाव स ह तो साथ आ गए इसम या गलत-सलत ह सरrdquoबरची थोड़ा-सा हताश हो बोला

ldquoपर गाव म तम ही मला इसको मलखानपर का मामला ह ना इतन भल-भल लोगभी ह वहा पर साला कोई नह आया मदद क लए काह आएगा गलत चीज म फॉ सकस म कौन आएगाrdquo अभी-क-अभी दरोगा पारसनाथ न अपनी ओर स कस पर बठ-बठही जाच या परी कर कस को झठा बता अपनी रपोट लगभग सना द थी

ldquoसर रप का को शश आ ह कस ल ली जएrdquo बरची न हाथ जोड़कर कहाldquoबोलगा तम यादा क रप आ ह कराए अभी इसका म डकलrdquo दरोगा पारसनाथ

जी अपनी चव ी छाप प ल सया तकशा स बार-बार बगल खड़ मशी जी का दल जीत लरह थ जस दल को एक मशी थान म दरोगा क सामन हारन क लए ही नौकरी करता था

ldquoसर म डकल या होगा जब रप आ नह को शश आ हrdquo इसका तो कस बनताह नrdquo बरची बोला

ldquoवही तो र जब रप आ ही नह तऽ कस कसा साल अभी हम तमको ही भीतरकरग तम दोन एक शरीफ और सीधा ऑ फसर को लकमल करक पसा ठना चाहता ह

ई धधा खब चल रहा ह आजकल नया प बनाए हो तम लोगrdquo दरोगा न बशम स कहाldquoसर यह गलत बात मत बो लए ठ क बात नह यrdquo बरची क मह स नकलाअगल ही पल दरोगा पारसनाथ अपनी कस पर नह थ एक जोर का थ पड़ सीध

बरची क दा हन गाल पर आ लगा थाldquoहरामजादा सा ला लड़क का दलाली करता ह और मह चलाता ह हमार आग

अभी बना द कस त हर ऊपरrdquo दरोगा पारसनाथ न ोध म गरजत ए कहाजस हलवाई मन मता बक मठाई बना दता था और क हार घड़ा वस ही दरोगा अगर

चाह ल तो कसी पर भी कोई भी कस बना सकता था थान म वह कसी को भी पकासकता था छान सकता था भज सकता था

ldquoसर ऐसा मत बो लए सर सर हम सही ह सर सरhelliprdquo मध हाथ जोड़करगड़ गड़ान लगी

बरची तो इतना कछ सनत ही सब कछ समझ चका था दरोगा न काशी साह वालीबात ही तो हरा द थी

ldquoअ याय हो रहा ह सर पी ड़ता को आप सन ही नह रह हrdquo बरची मह स फर बोलगया

ldquo या बोला पी ड़ता ब त कानन भी पढ़ा ह तम र साल दलाल धधा करत हो औरपसा लन क लए झठा कस भी करवात हो और बोलत हो पी ड़ताrdquo दरोगा पारसनाथ नशम को तलाज ल दत ए कहा

उनक पास इसक अलावा कोई वक प भी नह था ल जा को सग रख ऐस दा य वनभाए भी तो नह जा सकत थ स वधान क शपथ खाकर काम करना और कसी काखाकर काम करना दोन म अतर तो होता ही ह

ldquoएकदम फालत बात इतना गलत मत बो लए सरrdquo बरची क मह स फर नकल हीगया या करता मह म जबान थी चल जा रही थी

ldquoइस भोसड़ी वाल को इतना मारग क जबान ख च लग इसका साला ब त बोलताह फकन बाब ठ क ही बताए थ ब त हारामी ह सालाrdquo इतना बोल वही टबल क पासरखी लाठ उठा दरोगा पारसनाथ न ताबड़तोड़ बरची पर बरसाना श कया

ldquoअर बाप र बाप नह हो सरhellip नह नह हो बाबhellip बाप र अर नह hellip गलत ह यहगलत हो रहा ह सर एकदम गलत सरrdquo बरची चीख रहा था

ldquoनह सर जर नह पर पकड़त ह सर छोड़ द जए इसको सर हम लोग जात हछोड़ द जएrdquo मध बोलकर सामन खड़ पारसनाथ क पर पर गर पड़ी दरोगा न उसझकझोर कर कनार कया

ldquoहटो हटो पर स पर धरन स या होगा ई साला दा बाज हमस जबान लड़ाएगाकहता ह हम गलत कर रह ह साला प लस कभी गलत करता ह जीrdquo दरोगा पारसनाथ नसही कहा प लस सच म कभी गलत नह करती थी वो जो करती वही सही हो जाता

दरोगा पारसनाथ क वद अब कत क पसीन स भीग गई थी लाठ मारन क बाद भीपारसनाथ क सास अभी भी ोध म तज-तज चल रही थ मशी न आग बढ़ पानी कागलास दया दरोगा पारसनाथ न पानी पया और अब थोड़ा शात हो वापस कस पर बठ

ldquoत हारा तो भा य खराब ह मध नाम ह ना हा तो या पहाड़ टट गया था जो इसहरामी क च कर म अपना ठ क-ठाक जदगी खराब करन आ गयी अपना इ जत ख मकरन पर तली हो अभी मान लो क झठ चाह सच ल कन ह ला हो जाए क तम दोनमलकर धधा चलाती हो लकम लग का तो कहा स बचोगी तम मी डया म नाम फोटोचला जाएगा अखबार म जाएगा फर कहा मह दखाओगी काह पड़ी ई च कर मrdquoदरोगा पारसनाथ न अपनी सपण बशम क हवाल स कहा

ldquoनह सर हम तो ऐस बबाद हो जाएगrdquo मध न घटन पर बठ ए ही कहा बरची वहीनीच जमीन पर पड़ा कराह रहा था

ldquoअजी तम अभी प त स अलग रहती हो न हमको सब पता चल गया ह प लस सकछ छपता नह ह कतना ब ढ़या तो तमको बीडीओ साहब का सहारा मल गया था कोईजोर-जबरद ती का नौबत आना ही नह चा हए इसम या चला जाता त हारा अर जबबीडीओ का ही तम पर हाथ रहता तो फर या था प त भी छोड़ दया ह जब क जवान होअभी ऐस ही काटोगी जदगी इस हरामी क साथ बस रात न कटता होगा दन थोड़ हक नह rdquo दरोगा पारसनाथ न नीचता का उ चतम तमान गढ़त ए कहा दरोगापारसनाथ क जबान स टपक गदगी का तजाब बहता आ सीध कलज म जा गरा थाजलकर खाक हो चक थी मध ला ठय को झल जमीन पर पड़ बरची पर भी जस कड़कक बजली गरी उसन दात को पीसत ए दोन हाथ स कान दबा लए थ अपन दरोगापारसनाथ न जो कहा था एक आदमी इसस बरा और कह नह सकता था और एक औरतअपन लए इसस बरा और सन नह सकती थी पर यग क वडबना थी आज दोन एकसाथ ही घ टत हो गया था मध जमीन स लड़खड़ाती ई उठ जस कोई परकट च ड़यानद म डबत ए कनार पर पज मारती ऊपर आन का यास करती ह मध स अब खड़ानह आ जा रहा था एक प ष एक ी को लाछन क तीर स बध क जतना छलनी करसकता था मध उतना हो चक थी

ldquoआप कतना घ टया आदमी ह दरोगा जीrdquo तब स दद म नीच जमीन पर पड़ बरचीक मह स आ खर नकल ही गया अब तो दरोगा पारसनाथ जस कसी कहर क तरह टटपड़ा बरची पर उसन लाठ उठाई और सीध बरची क मह म ठस दया लात स उसकछाती पर मारन लगा दरोगा को ड यट पर दख मशी भी फज नभात ए साथ दन लगाउसन बरची पर सामन स छाती और चहर पर तीन-चार लात बरसाए बरची क आख कनीच क नस नीली हो जस फटन को हो गई थी मह स कछ बोल नह पा रहा था गल सबस ग -ग क फसी ई आवाज आ रही थी पीड़ा स कराहती आख जस उछलकर बाहरआ जान को थ मध यह सब दख जोर-जोर स दहाड़ मारकर रोन लगी एक अजीब-सीच कार तभी कछ सपाही और भी आ गए बरची अब बीच म पड़ा था और चार तरफ स

प लस वाल बना कछ दख लात-घस बरसाए जा रह थ मध च लात ए वहा स दौड़ थानक बाहर नकल आई अभी दौड़त ए सड़क पर आई ही थी क सामन क चाय कान परही गणशी का बटा रो हत अपन दो त क साथ खड़ा दख गया मध को दखत ही रो हतसड़क पार कर मध क पास आया

ldquoअर मध द द आप यहा थाना म या आrdquo रो हत न पछा मध बदहवास हो चकथी उसन झर-झर-झर बहती आख स रो हत को कसी तरह ज द -ज द म सारी बातबताई अदर स लगातार बरची क चीखन क आवाज बाहर सड़क तक आ रही थी मध नरो हत स वनती क क वह ज द जाकर प ब र और शखर को बला ल रो हत न मध कोल जाकर चाय कान पर बठाया और अपन दो त स थोड़ी दर बाद मलन को बोल कसीनपण धनधारी क धनष स छट तीर क तरह बाइक स नकला कछ ही दन म रो हतबाइक चलाना सीख गया था आज उस पहली बार महसस आ था क उसका बाइक सीखहोना कसी ज री काम म आ गया उसन अपन दा य वबोध क सपण एहसास कोए सलटर वाली दा हनी हडल पर डाल दया था जसस बाइक क र तार कसी यान कसमातर ती गामी हो गई थी बस कछ ही मनट म रो हत प ब र दास क घर पर थाझटपट उसन उस साथ लया और सीध दोन शखर क पास प च यह भी शायद एक सयोगही था क आज पहली बार प ब र दास शखर क घर गया था और शखर क पता कामताबाब कसी काम स घर स बाहर थ शखर बाहर वाल बरामद पर ही कस लगाकर बठा आथा वह रो हत न ज द -ज द मध क ारा कही सारी बात बताई रो हत वस शखर सकछ यादा प र चत था नह बस हाई कल म कामता बाब स पढ़ चका था और शखर कोदखा था ही बचपन स सारी बात सनन क बाद शखर बहद तनाव म आ चका था वह थोड़ाअकबकात ए घर क अदर गया और चाज म लगा मोबाइल लकर बाहर आया प ब रऔर रो हत को वह खड़ा छोड़ वह मोबाइल ल थोड़ा कनार हटा और कह कछ बात करनलगा पाच मनट क बाद उसन फर सरी बार कह और फोन लगाकर बात क प ब रऔर रो हत बस उस दख रह थ रो हत ज द चलन को कह रहा था प ब र स य क वोमध का हाल आख स दखकर आया था

ldquoच लए चलत ह थाना अबrdquo शखर न फोन अपनी जब म डालत ए कहा शखर नअपनी बाइक नकाली और दरवाज पर स ही अपनी मा को आवाज द बाहर का गट लगालन को कहा अब तीन तज ग त स थान क ओर नकल इधर तब स मध चाय कान परअपना चहरा ढक बठ ई थी बीच म एक बार चाय वाल न चाय भी पछा था पर उसन मनाकर दया था उस चाय वाल क लए तो यह य रोज का था थान क सामन क चायकान थी वहा रोज न जान कतन हसत-रोत लोग थान स आकर अपनी बात कया करत

चाय वाल न इतनी दर म चाय क अलावा कछ पछा भी नह था शायद उसका वष वहाचाय भजन का अनभव सब समझता था क एक थान आई ी स उसका हाल या पछनाउसक साथ या आ य पछना

तब स एकटक राह ताक रही मध को जस व लोग वापस आत दखाई दए वह बच स

उठ दौड़कर सड़क कनार आग आ खड़ी हो गई रो हत और शखर न जोरदार क क साथअपनी-अपनी बाइक रोक मध तो जस शखर को दखत ही बलख कर रो पड़ी

ldquoसब करम परा हो गया थाना म शखर जी आप जाइए बस बरची दा को बचाली जए ब त मारा ह ब त मारा हrdquo मध न बलखत ए कहा

ldquoघबराइए नह हम दखत ह न अभी छड़ाकर आत ह कस भी फाइल होगाrdquo शखरन पता नह कस भरोस पर भरोसा दकर कहा

शखर अब वह बाइक खड़ी कर सबक साथ थान क अदर प चा रो हत भी उन लोगक सग अदर आ गया था सामन ही बठ मशी क नजर उन पर गई

ldquoयहा प लस टशन क इचाज कौन ह जरा बात करना ह उनसrdquo शखर न मशी कोदखत ही कहा

ldquo या बात करना ह आप एसपी साहब ह या जला क इतना बात हो गया अभीपट नह भरा हrdquo मशी न मध क साथ आन पर शखर स कहा इसक पहल क मशी कछऔर कहता मध न शखर को दरोगा का क दखाया वह सामन हाजत म बरची जमीनपर बसध पड़ा था जस ही प ब र क नजर उस पर पड़ी वह दौड़ क हाजत क पास गयाऔर बरची को पीछ स आवाज द अदर बरची घटन को मोड़ पीठ आग कर गदन गाथलटा आ था आवाज सन दद स कराहत ए बस थोड़ा-सा पलटकर एक बार भरी आखस प ब र को दखा पर मह स कछ नह बोला प ब र क भी आख भर आई थ शखर नभी बस एक नगाह अदर पड़ बरची पर डाली और तमतमात अदाज म दात कटकटात एदरोगा क क म घसा अदर पारसनाथ वद क ऊपरी तीन बटन खोल मज पर लात धरसगरट पी रह थ

ldquoनम कार मरा नाम शखर कमार हrdquo शखर न घसत ही कहाldquoहा बोलो तबrdquo दरोगा पारसनाथ न उसी अव था म मह स धआ फकत ए कहाldquoयह या तरीका ह प लस का बना कसी चाज क कसी को मारपीट कर आप

हाजत म डाल दए ह यह तो लटरली मन राइट का हनन ह फडामटल राइट स कोछ नना ह यहrdquo शखर न कानन को कानन ही समझन क भोल जोश म कहा

ldquoअर वाह आप कौन ह भाई जय काश नारायण हो क जवाहरलाल नह अभीतमको भी ठल द हाजत म बहस करोग हमस ई पहला बार मार क भीतर कए ह याकसी को जो तम हमको मन का राइट और फडामटल सखा रहा ह दश म और मननह ह या यही एक बचा ह गलत करगा तो प लस मारगी नह या अपराधी कोrdquoदरोगा पारसनाथ न मज स लात नीच कर लगभग उछलत ए कहा

ldquoद खए सर मझ बहस नह करना ह वह करन नह आए ह एक लड़क क साथगलत आ ह आपको कस दज करना था तो आप उ ट हम ही तग कर रह हrdquo शखर नफर काननी बात कर द थी

ldquoलड़क नह च र हीन लड़क बात को सही-सही बोलना सीखो और अदर हाजत

म अपराधी ह जो धधा करवाता ह समझ तम य था फडामटली राइट काम ऐसा आदमीको हाजत म नह तो या कपार पर रखग चढ़ाकर चलो नकल बाहर बाहर नकलो सालयहा घस जात ह बकती करनrdquo दरोगा पारसनाथ न कस स उठ शखर को लगभगध कयात ए कहा शखर तो ह का-ब का रहा गया था तरत उसक माथ स पसीना चलनलगा उस अपन साथ इस तरह क वहार क होन क क पना ही नह थी वह थोड़ानवस हो गया था अचानक स दरोगा ारा इस तरह ध का द बाहर करन स सामन बाहरमध खड़ी थी शखर उसस नजर भी नह मला पा रहा था आ खर सारा कया-कराया उसीका तो था शखर न ही तो थान भजा था तभी प ब र एक सपाही क साथ उधर आयाउसन शखर क कध पर हाथ रखा और उस एक धधला-सा दलासा द उस सपाही क साथदरोगा क क म गया

ldquoसर य प ब र दास ह सर गरीब आदमी ह वह लड़का जो भीतर ह इसका भाई हयह प ब र सर बता रहा ह क जा त का शड यल का ट म ह अब हम लोग सब ए क हसर तो यह बोला क साहब थोड़ा कपा कर दत तो तनी अपन जात- बरादरी का ह प होजाता सरrdquo सपाही न बड़ी वन ता और भावकता स वजातीय दरोगा पारसनाथ कसामन जातीय हत क बात रखी दरोगा पारसनाथ परी बात शात हो यान स सनत रह

ldquoअभी कतना दन स प लस म हो छन दास कब बन सपाहीrdquo दरोगा पारसनाथ नबड़ी शा त स पछा

ldquoयही अबक भादो बरस आ ह सरrdquo सपाही न बड़ सरल भाव स कहाldquoहा बस यही बात ह अभी प लस गरी सीख नह हो तम स वधान पढ़ हो कभी

जात-पात करत हो प लस हो क अर छन दास प लस का लाठ कह जात दखता ह जीजसका तल पीता ह उसक लए चलता ह और अभी ई भरपट गद नया तक टक फल हइसको कहो बाद म क बो आए और औकात हो तो सबस यादा तल पला क दखा द यहीलाठ फकन सह क पछवाड़ा म नह क च दए तो पारसनाथ भ पासबान नाम नह मरायहा ईमानदारी का काम चलता ह जात-पात साला प डत-ठाकर क काम ह वही लोगकरता ह अब जाओ इसको लकर आग स ई गलती मत क रएगा छन दास जीrdquo दरोगापारसनाथ म जा त उ मलन का प ल सया डडा हलात ए कहा बोलत-बोलत आवाजऊची होती गई थी पारसनाथ क

ldquoजी हा सर ल कन हम लोग गरीब ह सर उतना तो कभी नह द सकग कछ कपाकर द जए सरrdquo अबक प ब र बोला

प ब र अभी जतनी बबसी चहर पर लए जस असहाय अव था म दरोगा क तसमपण का भाव लए वहा खड़ा था इतन म तो कलयग म हनमान जी कट हो जात थ परदरोगा पारसनाथ न प ब र क बात पर कोई यान ही नह दया एक भी नजर उसकतरफ दखा तक नह

ldquoछन दास जी आप जाइए इसको बाहर लकर ठ क न और ऊ ल डा इसका कोईभाई-फाई नह ह ऊ श हरामी ह नता बनता ह उसको पोल ट स करना ह धान क

घर क पछवाड़ मत क करा त करता ह ई दोगला सब पता ह हमको च लए जाइए अबठ क ह आग स कभी यह जात-पात घसखोरी को बढ़ावा दन वाला काम लकर हमार पासएकदम मत आना अपन सौ-पचास पकड़त हो तो दरोगा को भी सपाही बना दए हो याअपना खाओ-कमाओ ल कन आग स इस वहार म कछ सधार करो सीध पाट को लकरआना चा हए या आपकोrdquo दरोगा पारसनाथ न सपाही छन दास को वभागीय न तकश ा दत ए एक दरोगा और सपाही क अलग-अलग टडड पर भी काश डालत एकहा

छन सपाही न तो इतना सना ही था क lsquoअब ऐसा नह होगा सरrsquo बोल अपना दायापर जमीन पर पटका और कमाडो टाइल म जय हद बोल तजी स व ीय घमाव स पीछ मड़क स बाहर आ गया ldquoए भाई हम या कर त हार सामन ही तो बोल साला इतना दखोभाई ई दरोगा साहब ह वसल वाला आदमी कम वसलब नह करत ह सौ-पचास लकरघनान का काम ही नह करत ह और सब ऐरा-गरा स पसा पकड़त भी नह ह पानी वालाआदमी ह ई भाईrdquo सपाही छन दास न अपन उ च मानकधारी दरोगा क शान म तारीफ कवभागीय सरकारी पल बाधत ए कहा

ldquoई एससी नह ह याrdquo प ब र न पर सदह स पछाldquoपागल हो या पासबान लखत ह ओबीसी या बाभन लखता ह का पासबानrdquo

सपाही न प ब र का सदह र करत ए कहाldquoसर कोई उपाय क रए न थाना म या सभव नह ह लोग ह या करक छट जाता ह

यहा तो हम लोग का कछ गलती भी नह ह उ टा हम लोग तो कस करन आए हrdquo प ब रन सर पकड़त ए कहा

ldquoहा वही तो हम भी कह रह ह क अगर ह या का मामला होता तब तक कोई द कतही नह था जी 20 हजार दक एफआईआर एतना इतना कमजोर करवा दत क कोट मखड़-खड़ बल मल जाता अब साला कोई मटर हो तब तऽ दरोगा जी भी पसा पकड़ आपलोग कछ कए ही नह ह आप लोग को तो पर-हाथ पकड़कर ही काम कराना होगा औरजो आपका वरोधी पाट कछ कया ह तो वह पसा पकड़ा दया होगा तो उसका काम होरहा हrdquo छन दास न प ल सया कायशली क एक अनोख फॉमल का बखान करत ए कहा

ldquoसर आपको पसा भी दए हम कछ तो उपाय क रए हम लोग कस नह करग बसबरची भाई को छड़वा द जएrdquo प ब र न नय त चड़ चड़पन क साथ कहा

ldquoअर तम तो गजब चढ़ रह हो भाई पसा द दए हो तो इसका या मतलब एकवद धारी का ईमान खरीद लोग इतना स ता नह ह प लस का वद सनो पसा लए तोसामन ही त हार लए दरोगा जी को बोल भी हम अपना काम का दाम लए एक पसानाजायज लए या घसखोरी नह चलता ह इस थान म दन वाला का ा होता ह भाईयह लो सौ पए वापस तम अपन जात का हो इस लए आधा पसा लौटा रह ह आग स मतआनाrdquo सपाही छन दास न उदारता क नई मसाल कायम करत ए जा तगत सल म 50

तशत क बपर छट दत ए कहा प ब र न हाथ बढ़ाकर सौ पए ल लया और ब त

ख होकर वापस हाजत म बद बरची क ओर जान लगा इसी बीच शखर अपना मोबाइललकर दो-तीन दफ वह टहलकर कह बात कर चका था एक कोन म रो हत भी मध कसाथ बस खड़ा था

ldquoठह रए हम पाच मनट म आत हrdquo यही बोलत ए शखर बरामद स पनः दरोगा कक क ओर गया और इस बार बना कसी स पछ सीध अदर घसा

ldquo या र फर आ गया दखगा तम अभीrdquo दरोगा पारसनाथ न उस दखत ही डाटतए कहा

ldquoआपको एसपी साहब का फोन आया होगाrdquo अभी शखर न पर आ म व ास कसाथ कहा

ldquoआय या पगला गया तम या दमाग करक हो गया का रrdquo दरोगा पारसनाथ नशखर क बात पर हसत ए कहा

ldquoह सए मत कए हम फोन लगात ह बात क रए आपrdquo शखर न अपना मोबाइलजब स नकालत ए कहा

ldquoऐ सनो कौन एसपी कौन हो भाई तम कहा क एसपी को लगा रह ह भाई आपrdquoदरोगा पारसनाथ इस बार थोड़ा अचकचाकर नरमी स बोल थ तब तक तो शखर फोनडायल कर उस पीकर म लगा चका था

ldquoहलो हा नम त भया जी म थाना इचाज को द रहा फोनrdquo शखर न कहाldquoहा उस फोन दोrdquo उधर स आवाज आईशखर न तरत पीकर ऑफ कर दरोगा क तरफ फोन बढ़ा दया इतना सनना था क

दरोगा पारसनाथ न लपककर फोन अपन हाथ म ल लया और दा हन गाल म सटाकरलगातार यही बोलता रहा

ldquoजय हद सर जी हा हा जी सर जी एकदम जी हा करता हा जाच क साथएकदम सर सर जय हदrdquo दरोगा पारसनाथ क तरफ स इतन ही श द नकल थ उधर सकही जा रही बात क जवाब म करीब दो मनट क बात क बाद दरोगा पारसनाथ न फोनकाट शखर को दया

ldquoई ली जए फोन बठ जाइए खड़ा काह हrdquo दरोगा पारसनाथ न शखर को सामन ककस पर बठन का इशारा करत ए कहा अभी क अभी दरोगा पारसनाथ क वहार म

ण भर म यगातकारी प रवतन आ गया था बफ डली दा क पग जस कसर मलाई यमीठ गनगनी ध क गलास म बदल गई थी असल म शखर जहा द ली म पढ़ता था वहाउसका म पाटनर अ ण कशवाहा था जसक भया म य दश म आईपीएस थ तब सशखर उ ह स सपक कर रहा था व अ सर अपन भाई क कमर भी आत थ द ली या ा कदौरान इसी कारण उस भी भाई समान ही नह दत थ दरोगा पारसनाथ को जब फोन परमालम आ क उधर स आईपीस बीएन कशवाहा बोल रह ह तो उसका सर अब बदल चकाथा

ldquoहा शखर जी साहब बोल क आप उनक भाई ह द खए आप लोग जसा इ जतदारआदमी इतना घ टया काम म इतना बड़ा अफसर स फोन कराता ह तो इसम आपका हीइ जत खराब होता ह सो चए एक अपराधी क लए साहब को फोन करना पड़ाrdquo दरोगापारसनाथ न मझ ए थाना य क प म ब त ही क टल अदाज म कहा

ldquoअब आप अपना काम क रए और बरची को छो ड़ए पहल और कस ली जए उसबीडीओ क खलाफrdquo शखर न दो टक कहा

ldquoकोई नयम-कानन भी तो ह भाई साब कानन स ऊपर तऽ रा प त भी नह हली जए न भाई हम बरची को छोड़ दत ह ल कन कस तो परा मामला स यता का जाचकरक ही करग ना एसपी साहब का कॉल आया ह तो उनका भी तो त ा का सवाल हकल अगर गलत कस हो गया तो बात मी डया म भी चला जाएगा न इसस तो इ जत आपही लोग का न खराब होगा हमको या ह हम तो बोल दग क फलाना एसपी साहब काआदश था शखर जी परबी अ छ काम क लए करवाना चा हए पढ़ा- लखा आदमी हआप आप तो सम झए चाय पी जएगाrdquo इतना बोलत-बोलत दरोगा पारसनाथ अपन कस नकल कमर क तरफ जान लग

ldquoऐ छन जरा सबको चाय पलावाओ जी और ऐ मशी जी उसको जरा हाजत सनका लए तो उसको भी द जए चाय पीनrdquo चलत-चलत दरोगा न कहा साथ म शखर भीबाहर आ गया था प ब र क चहर पर अब एक ह क -सी हसी तरी जस एक कड़ाही रतपर एक च मच पानी गरा हो

ldquoटशन नह ली जए सब ठ क हो गया ह बरची को छोड़ दया ह अब बस FIR दजकराना ह फर चलत ह यहा सrdquo शखर न यक न स कहा मध और रो हत भी अबनजद क आ गए थ मध का चहरा अभी भी सखा आ था पर अब वह थोड़ी शात दख रहीथी तभी थान प रसर म एक बाइक अदर आई यह प कार आनद सह था प ब र नदखत ही उस णाम कया तभी बरची भी लगड़ाता आ उधर नकल कर आया

ldquo या आ जी या- या कर दए या मामला ह जल जान का नौबत आ गयाया करत रहत हो तम यारrdquo आनद सह न बरची को दखत ही कहा और सामन वाल

कमर म चला गया यही कोई दस मनट क बाद प कार और थानदार दोन साथ-साथ बाहरआए

ldquoबताइए सर या मामला ह खबर भजना होगा न मी डया म लोग बाहर बातचीतकर रहा ह क बीडीओ साब को रप म फसा क पसा का माग हो रहा ह स चाई या हrdquoआनद सह न अपन प कार होन का प रचय दत ए कहा

यह सनत बरची तो जस लगड़ात टाग पर लहराकर खड़ा हो गया ऐस क जस कोईकटा आ पड़ फर स उठ खड़ा हो गया हो

ldquo या उ टा-प टा खबर बना रह ह आनद जी अर मध क साथ छड़खानी आ हहम लोग कस करन आए ह यह बनाइए न खबर हमको पीटा ह थाना म यह खबर बनाइए

नrdquo बरची न ोध म कहाldquoअर भाई मर तमको पीटा अब यह भी खबर ह अखबार क लायक कहा नह

पटात हो तम बताइए अब यह सब भी लख अखबार म अखबार का तर इतना नह गराह भाई अभीrdquo आनद कमार न अखबार का असली तर दखात ए कहा

ldquoच लए तो कस का तो ल खएगा नrdquo बरची न दात पीसकर कहाldquoहा हा वो तो लखग ही सबका टटमट लग झठ-सच कस थोड़ लख दग शात

रहो थोड़ाrdquo प कार आनद सह न अपनी जब स च मा नकालत ए कहा यह सब अभीचल ही रहा था क तजी क साथ एक और बाइक थाना प रसर क अदर घसी यह काशीसाह था जो सग म मध क मा को लत आया था यह अ या शत आगमन दख मध बरचीस हत सभी लोग च क पड़ मध का तो कलजा ध क कर गया था मध क मा दौड़त एपहल मध क पास गई और उसका हाथ पकड़ लगभग लपट गई दोन क नयन भ ग ए थअभी

ldquoहा तो मध आप ह आपका एक फोटो ख चना होगा और आपका बयान ल रह हक हए या- या आ था ऐसा नह क सफ बीडीओ का बयान लग दरोगा जी का भीलग द खए मरा प का रता म प पात नह होता हrdquo आनद सह न अपनी श एवअसली प का रता का बना ट वी चार करत ए कहा उसन ठ क ही कहा था प का रतातो अब प पात क दौर स आग जा गभपात और ब पात क दौर म वश कर चक थीकौन-सा सच कब गरा दया जाए और कौन-सा झठ कसक सर गरा दया जाए कोईभरोसा नह था इस दौर क प का रता का

ldquoजो भी आपक साथ आ ह उसको बना लजाए क लयर बो लए अखबार मजाएगा कछ भी नह छपाइए सब खोल क बताइएrdquo आनद सह न मध क तरफ दखत

ए कहाldquoअर छो ड़ए हम लोग को अपन घर क बट -ब का इ जत सबस यारा ह कल

अखबार म फोटो जाएगा नाम जाएगा फर कहा क रह जाएगी बचारी बट हमारीबीडीओ का या आज ह कल ासफर होकर चला जाएगा समाज म तो जीवन भर काबदनामी हमारी लड़क का होगा कोई खबर नह द जए मी डया म हम हाथ जोड़त हआनद बाब द खए यह आपक भी इलाक क ब ची ह थोड़ा हसाब स काम क रएrdquoकाशी साह अचानक स बोलत-बोलत कद गया था बीच म

ldquoहा खबर तो छाप दग जो भी सच ह पर बदनामी तो हो ही जाएगा बो लए तो छोड़द ल कन कस होगा तो छापना ही पड़गा हम इतना गलत नह कर सकत ह फर तोपी ड़ता क लए लखना ही होगाrdquo आनद सह न एक स च प कार क भाषा कही

ldquoनह नह पर पकड़त ह आप सब लोग का ऐ बरची बटा शखर बाब हमको छोड़द जए हमको नह करना ह कस हम गरीब अकली बढ़ मा-बट का इ जत सभालग ककस सभालगrdquo मध क मा न रोत ए कहा

ldquoअर नह माताजी कस होन द जए सजा मलगा उस बीडीओ कोrdquo शखर न पासआकर कहा

ldquoनह नह शखर जी अब जान द जए दख लए ना क सजा कसको मल रहा हदह पर जो अ याचार होता ह नारी क वह घाव तो भर जाता ह कछ दन म ल कन मन काघाव नह भरता ह जदगी भर हमार छाती पर जो खर च मारा ह ऊ तऽ मट जाएगा ल कनजो कलक का दाग लगा ह ना हमार च र पर वह कभी मटगा या कल लोग सब कछभल जाएगा याद बस यही रह जाएगा क लड़क च र हीन ह और वस भी दन भर मपता नह कतना बार मरा रप आ ह आप लोग को नह दखाया होगा शायद एक ी सप छए ना शखर बाबrdquo मध अपनी मा को सीन स लगाए शखर क तरफ दखकर बोल रहीथी

मध सही ही कह रही थी एक ी क दह क साथ बला कार एक बार होता ह मगरउसक चतना म वो बला कार बार-बार होता ह यह एक ऐसा मामला ह जसम आप दोषीको तो सजा द सकत ह ल कन पी ड़ता को याय नह द सकत आ मा क छलनी हो जानको कोई सा वना र फ नह कर सकता मध का इस तरह स अचानक कस करन स इनकारकरता दख शखर नराश हो गया वह झ लाकर आख बद कर पाव पटकन लगा बरची नअभी एकदम खामोशी क साथ एक भारी नजर स गजरत ए एक बार काशी साह क ओरदखा और फर प कार आनद सह क ओर

ldquo फर तब ज द बोलो अब कस करोगी या समझौता कर लोगी अ छा रहगा मामलाभी ख म और इ जत-पानी भी बचा रहगा नह तो हमारा तो काम ह भाई सच को सचलखना दोन प का जो सच ह लख दग बाक त हारा जो डसीजन ह ज द बोलोrdquoआनद सह न मध क हौसल पर आखरी वार करत ए कहा

ldquoनह करना ह भाई बीडीओ साहब स गलती हो गया था वह माफ माग लए हमध क मा को माता जी बोल कर स मान दया ह वो आदमी मध को भी तो आगनबाड़ी मकाम करना ह यही बचारी का रोजी-रोट ह सबको मलकर रहना ह नह पड़ना हअदालत क च कर म कसी भी पोल ट स म नह पड़ना ह सर क बहकाव म नहआना ह लाइए कागज मध बट कागज पर लखकर दगी क कछ नह आ था जससक कल कोई फसा न सक कसी उ टा-सीधा पच मrdquo मध क बोलन स पहल ही काशीसाह न आ खरी बात बोलकर फसला कर दया था बरची स हत प ब र शखर सबकाखन खौलन लगा था तभी बरची खद को नय त करत ए बोला

ldquoठ क ह जसा मध का मज कस मत करो लो मध लखकर द दो जो भी लखवातह साह जीrdquo बरची न दात कट कटाकर कहा

असल म बरची क मध को साथ ल थाना नकलन क बाद ही सारा जाल बछ चकाथा काशी साह न जस ही जाकर फकन सह को बरची क थाना जान क बात बताई तभीही फकन सह न दरोगा पारसनाथ को फोन कर दया था बीडीओ को तरत फोन कर गावभी बला लया था ल कन इसी बीच जब दरोगा पारसनाथ न शखर क आईपीएस स फोन

करवान क बात बताई और अपन लए थोड़ा द कत बताया तो फकन सह न तरतप कार आनद सह को थाना भज इ जत जान का अखबारी दबाव बनाया इस तरह सफकन सह न एक सम पत समाजसवी क तरह अदालत क मामल को घर म ही सलटाकरप लस और अदालत दोन का समय और उसक साख बचा ली थी दरोगा पारसनाथ नज द -ज द एक साद कागज पर मध स द तखत लए और सबक सामन उसी मशी न तरतपरी घटना को एक गलतफहमी का अजाम बतात ए एक सलहनामा लखकर रख लयाअसल म दरोगा पारसनाथ न ऐसा इस लए भी कया क बाद म एसपी साहब का फोन आभी जाए तो खद आरोप लगान वाली का ही समझौता प दखा सक करीब दस मनट कऔपचा रकता क बाद सब थान स नकलन को ए काशी तो झट स मध और उसक माको बठा बाइक टाट कर बना कसी को टोक नकल गया पीछ बठ मध बस शखरबरची और प ब र को दख जा रही थी बरची को प ब र न सहारा द शखर क बाइक परबठाया रो हत भी अपनी बाइक टाट कर बाहर नकल आया ऐसा लग रहा था जसकसी खात सनमा का कोई शो टटा हो जहा सनमा दखन वाल ही सनमा क पा थबरची क लए तो आज का दन एक सद क तरह लबा और भारी बीता था उधर दरोगापारसनाथ न सपाही छन दास स प कार आनद सह क लए कछ ठडा-गरम लान कोकहा दरोगा और प कार कसी ज री बात पर ठहाका मार हस रह थ हसी बाहर तकसनाई द रही थी थानदार प कार बला कार तीन क व नया मलकर एकाकार हो गईथी एक ही यय स बन यह तीन श द अभी कतन जड़ स लगन लग थ एक- सर स

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काशी साह मध और उसक मा को ठ क उसक घर क सामन छोड़ चला गया जात-जातआग अब सब कछ भल जान क नसीहत भी दता गया उसक जात ही मा-बट दोनदरवाजा खोल अदर ग मध न तरत पलटकर वापस अदर स दरवाजा लगाया और मा कोलकर सामन बछ खाट पर बठ गई

ldquoयह बताओ पहल क या आ हमार जान क बाद कौन आया था घर परrdquo ब तदर स यह सब जानन को बचन मध न मा क बाह पकड़कर पछा

ldquo कवाड़ लगा ह ना ठ क सrdquo मा न कछ बतान स पहल दरवाजा फर स दखन कोकहा

ldquoहा दख नह लगाए न बोलो न या आ थाrdquo मध न अधीर होकर पछाldquoतम लोग क जान क थोड़ दर बाद आर पर गाड़ी आकर खड़ा आ कवाड़ी खोल

तो दख फकन सह का गाड़ी था बीडीओ साब भी था साथ म ई काशी जगद श यादवबदरी म सर और दो लोग और थ सब कोई घर म घस गया हमारा तो परान सख गया थाबट घर म आत सीध हमार हाथ पर 10 हजार का गड डी धरकर फकन सह बोला कपसा र खए और मामला तरत ख म होना चा हए जब रप होव नह कया ह तो काह बढ़ारह ह बात को बीडीओ साहब हाथ जोड़ रह ह इसका मान रख ली जए नह तो कलसमाज म जो-जो ह ला होगा वह बदा त नह कर पाइएगा मध का आगनबाड़ी वालानौकरी भी जाएगा वह तो अलगrdquo कहत-कहत एक बार फर बट स लपट गई मा

ldquoऔर बदरी म सर का कह रह थrdquo मध न बना हल बस मा को एकटक दखत एपछा

ldquoऊ यही क इ जत को झापो मध का ससराल वाला जान जाएगा तो जदगी भरक लए छोड़ दगा उसका मरद कोनो राजनी त म ना पड़ो सीध पसा लकर शा त समरजाद बचाओ घर-प रवार काrdquo मा याद कर-करक सारी बात सना रही थी

ldquoकोई धमकाया भी या तमकोrdquo मध न मा क आख क कोर स टपक रह आस कबद को उग लय स प छत ए पछा

ldquoलो अर तऽ ई सब का था काशी साह तऽ सीध बोला क गाव म थाना-प लस भीहर बात म फकन बाब स सलाह लकर तब काम करता ह जान लो फकन बाब का फसलाहो गया तो फर आग कह सनवाई नह होता ह फसला मान लो नह तो बझत रहनाफरrdquo मध क मा न वो सब याद कर हहरत ए कहा मध क मा क दोन हाथ मध कहथ लय म थ फलहाल मध उस जोर स पकड़ ए थी खाट पर अभी बठ दोन मा-बट

जस नयादारी क काला सागर क बीच कसी डबत टाप पर बठ हो एक- सर का हाथपकड़ एक- सर को डबन स बचात ए

ldquoपसा कहा हrdquo कछ मनट चप रहन क बाद मध न चहर पर बना कोई भाव लाएपछा

ldquoवही भीतर वाला कोठरी म ताखा पर धर गए थ वह पड़ल ह क छए ऊ पसाछ rdquo मध क मा न उचट मन स कहा

ldquoउसको ब ढ़या स रखना ब सा म हमार इ जत का दाम मला ह 10 हजार हक मत हमार इ जत का जसका जतन का भी इ जत हो बचा क तऽ रखना ही चा हएन कल बक म रख दग इ जत साथ लकर चल म खतर ही था मा कोई भी लट लतारा ता मrdquo बोलत-बोलत मध खाट पर स उठ

ldquoकहा जा रही हो अभीrdquo मा न मध को आगन स पार दरवाज क तरफ जाता दखपछा

ldquoआत ह जरा बरची दा को दखकर ब त मारा ह प लस थाना म ब त चोट लगा हबचारा कोrdquo बोलकर मध न दरवाजा खोला ही था तभी मा दौड़कर दरवाज क सामन खड़ीहो गई

ldquoमाथा खराब ह का बट पर पकड़त ह उसक यहा तो अभी मत ही जाओ कहकोई दख लगा तो फर ब त तरह का बात फल जाएगा परा गाव बरची पर लगा ह फकनसह क नजर म चढ़ल ह ऊrdquo मा न मध का दा हना हाथ ख चत ए कहा

ldquoहा तो हमार-त हार ही चलत ही न चढ़ा नजर म थाना हमार लए गया मार खायाऔर हम एक बार दख कर भी ना आए हमको जान दो अब जो भी होगा दख लग अबजो आ ह इसस यादा होगा भी याrdquo मध न मा स ह क स हाथ छड़ात ए कहा और माको समझा-बझा घर स नकल आई

कभी-कभी वक पहीनता ही आदमी को साहसी बना दती ह मध क पास अब खोनको था ही या सो डरन का वक प ही समा त हो चका था मध तज-तज कदम सबरची क घर क तरफ बढ़ जा रही थी अब उस अपन उठ कदम पर कोई झझक नह कोई डर नह था रा त म उस पर बजनाथ मडल क नजर पड़ गई जो सयोग स उधर स हीसामन स आ रहा था मध उसस नजर मल जान पर र ी भर भी असहज नह ई कछऔर कदम चलकर अब वह बरची क घर प च चक थी घर म घसत ही दखा सामन एकख टया पर बरची लाल रग क हाफ पट और काली गजी पहन लटा आ ह उसक मा पावम तल मा लश कर रही थी मध को दखत बरची न ख टया स उठना चाहा पर पीठ कख टया स ऊपर उठत ही मह स एक आह नकली और कराह कर वो पनः वापस लट गया

ldquoलट र हए बरची दा ब त दद कर रहा नrdquo मध न उस दखत ही एकदम स उसउठन स कन का इशारा करत ए कहा

ldquoआओ आओ मध अर दद का या ह जदगी भर रहना ह कहो या- या धमका

कर गया था फकन सह घर परrdquo बरची न उसस सामन बठत ही पहला सवाल यही पछाइसस पहल क मध कछ कहती बरची क मा न मध क मा का भी हाल पछ लया उससमध न सारी बात बताई जो-जो आ था बरची ख टया पर लटा सनता रहा अब हाथपकड़कर मा न उस ख टया पर सीधा कर बठाया रीढ़ क हड डी पर थोड़ी चोट थी पीठपर काल च वाल नशान उभर आए थ मा लगातार तल म लहसन पकाकर धीमी हाथ सउस पर मा लश कर रही थी बीच-बीच म मा क आख स ढरक क कोई गम बद बरची कपीठ पर गरती ख और दद स कलप रहा मा का मन जब गम कतरा बन बदन पर गरतातो सीन पर जस फफोल पड़ जा रह थ बरची क वह बठ मध बीच-बीच म उसक मा कोदलासा दती

ldquoयही प लस का मार पड़कर इसका एक बार जदगी बबाद आ बट इतना मारा कहाथ खराब कर दया पढ़ाई- लखाई छट गया इसका ई दखो न फर इतना मार दया ह ईअभागा को अबक कछ हो गया इसको तो हम तो मर जाएग बट rdquo बरची क मा नकपकपात ह ठ स न जान कतनी बबसी स कहा

यह बात बट को न जान कतना पता थी पर यह र ता ही कछ ऐसा था क अ सरजब बट-ब टय को कछ होता तो मर मा जाती थी बरची खाट पर लट दद म भी लगातारम करात ए ही मा क ओर दख रहा था उसक इसी म कराहट न ही तो शायद इस हाल मभी उसक बढ़ मा को जलाए रखा था वरना शरीर तो वस दस बीमा रय का डरा बन गयाथा एक तो दवा-दा क ज रत ही परी नह हो पाती थी सर जब कभी कोई दवा हो भीतो वह असर करन स ही रही बट क जदगी ही ब ढ़या क लाठ थी जस टक-टक वो कछकदम चल पा रही थी

साझ क धप अब आगन स वदा ल चक थी मा उठकर रसोई क तरफ जान लगीबरची न मध क ही बहान थोड़ी चाय पीन क इ छा भी बता द थी मा को

ldquoहमको माफ कर द जए दादा हमार कारण हो गया ई सबrdquo मध न मा क उठकरजात ही बरची स कहा असल म यही कहन ही तो आई थी मध थान म बरची को पड़ीएक-एक लाठ क चीख तब स मध क अदर भी चोट बन घम रही थी वह इस अपराधबोधस जल रही थी क मरा तो जो होना था वह हो गया यह आदमी मर कारण इतन म कल मफस गया कह कछ हो जाता तो इसक मा का या होता ऐस कई वचार बड़ी दर स मधक भीतर घमड़-घमड़कर उस बचन कर रह थ एक अकली मा का दद उसस बहतर औरकौन जानता भला खद भी तो बना बाप क साय क मा क आचल क छाव तल जवान ईथी

ldquoअर छोड़ो यह सब बात अब हमारा मार खाना भी भला कौन-सा बड़ा बात ह अरयह तो चलता रहता ह असली बात हम बोल मधrdquo बरची न मध क ला नबोध का भानहोत ही बात को मामली और रोजमरा क घटना बतात ए कहा ल कन साथ ही एकसवाल भी पछ लया था

ldquoहा बो लए नrdquo मध न कहा

ldquoयही क अगर तम कस कर दती न तो मजा आ जाता साला गजब सयोग बठ गयाथा क भा य स एसपी का परबी भी भड़ गया था ब त ब ढ़या मौका था मध प काबीडीओ को भीतर जाना ही था फकन सह को भी औकात पता चल जाता हम इतनालात खा ही लए थ तो फर सोचना या था हम तो तभी त हार मा का हाल दख चप रहल कन तमको कर दना था कसrdquo बरची न अपन मन का घाव दखात ए दल क बातकह द

ldquoनह बरची दा आप दख न कस सब हमारा च र को लकर तमाशा बनान लगा वहलोग तो पसा दकर कस ख म कर ही दता और साथ म हमारा रहल-सहल जो भी ह ऊ सबअखबार म छाप और समाज म बोल-बोलकर नीलाम कर दता ल कन हमको इसका भीफ नह था हा बस मा क चलत ही हम भी छोड़ दए माई यह सब दख कर बदा त नहकर पातीrdquo एक अकली मा क बट क साहस न बड़ी बबसी स अपन टटन क दा ता कही

ldquoहा ठ क ही कहती हो चलो जो भी आ अब तम उसको भल जाओ और वापसजदगी को ह मत स जयो मध अब तो सही यही होगा क य चचा ही ख म हो जाएबीडीओ का भी ब त बदनामी ना हो जाए इस लए वह लोग भी बात को दाबगा ही कम-स-कम त हार ससराल तक बात ना जाए तो अ छा ही ह नाrdquo बरची न न चाहत ए भीसमझत ए मध को भी समझात ए कहा

ldquoहा बरची दाrdquo मध भी जस सब समझकर बोलीldquoमध हम तो कहग ससराल म ही जाकर रहो य नह चली जाती हो प त स इतना

भी या नाराज होना तम कहो तो हम खद जाकर मनाकर ल आत ह उसको अगर वहाससराल म कोई द कत हो तो कह और रहो ल कन प त क साथ रहो हम तो यहीकहगrdquo बरची न ब त दर बाद पीठ थोड़ा सीधा कर हलत ए कहा

ldquoएक बात बताए बरची दाrdquo मध न भ ग आई नजर स कहाldquoहा बोलोrdquo बरची बोलाldquoप त हमको छोड़ दया हrdquo मध न बहन को आए आख को प छत ए कहाldquoछोड़ दया अर ऐस-कस छोड़ दगा भाई तम चलो न हमार साथ को दो-चार दन

म हम जरा ब ढ़या हो जाए फर चलत ह बात करग समझाएग-बझाएग उसको सब ठ कहो जाएगा छोड़ना इतना आसान ह याrdquo बरची न पर समटत ए कहा

ldquoजो सोच ल उसक लए ब त आसान ह हमर लए तो आज भी म कल ही रह गयासब कछ खर जान द जए कह न छोड़ दया और स नएगा कछrdquo मध न अबक थोड़ावर बढ़ाकर कहा

ldquoऔर या एक बार बात तो करन दो अपन हसबड स हमको इतना ज द भी आशामत छोड़ो मधrdquo बरची न बड़ी उ मीद क वर म कहा उसन र ी भर भी नह सोचा था जोअब मध बोलन जा रही थी

ldquoवह सरा याह कर लया एक बटा भी ह दो साल का अब छो ड़ए रहन द जए ई

सबrdquo यह बोल मध इधर-उधर दखन लगी थी आख क नमी जस सख चक थी आखम कछ नह था न कसी क छट जान का अफसोस न कसी क छोड़ जान का मलालबरची यह सन नःश द-सा था ल कन अगल ही पल कछ दखकर हरान रह गया एकदमस च क गया था अवाक बरची बस आधा मनट भर चप रहा होगा

ldquoमध अर मध तो फर यह माग म स र जो ह त हारhelliprdquo इतना ही बोल क गयाथा बरची

यह सन एक अजीब-सी घटन भरी हसी तरी मध क चहर पर ldquoसमाज का का लखमह म लगान स अ छा ह माग म झठ का स र लगानाrdquo

बरची अदर स हल गया था यह सन तब स कछ कह ही तो नह पा रहा था एकऔरत घर क चौखट तो लाघ लती ह ल कन समाज क सड़ी मान सकता क क ठत नालकहा टाप पाती ह यह जो कदम-कदम पर समाज उसक राह म नयम नजर और कायदक खजर गाड़ बठा ह उसस कहा पार पाती ह ी आध नक यग म यह सच था क यन कमान का अवसर तो पा लया ल कन बदल म उ ह च र गवान क शत को भीवीकारना पड़ा यहा घर क दहरी टपत औरत आजाद नह बहया हो जाती थी मध जसी

न जान कतनी ऐसी या ह जो बाहर जा पसीना बहाती थ खन जलाती थ कमाकर घरचलाती थ और बदल म समाज स चाल औरत का माणप पाती थ हजार वष कस क त ान व ान क अपनी कई काश मील वाली गौरवशाली या ा पर लहालोट होइतरान वाला यह दश-समाज अपनी मान सक या ा म बस चद कदम ही चल पाया था

ldquoओह मध मझ नह पता था य सबrdquo बरची न इस बार सर झकाकर धीर स कहाldquo बरची दा एक तो घर स बाहर नकलना मतलब ही छनाल हो जाना ह औरत क

लए ऊपर स सब जान जात क मद छोड़ दया ह और सरा शाद कर लया ह तो पतानह या- या बोलकर कब का मार दए होत सब हमकोrdquo मध न धत गल स कहा

ldquoजान दो मध समाज होता ही कौन ह त हार जसी औरत का जो त हारा ह ही नह उसका चता य करना भाड़ म जाए समाज आज चौखट लाघी हो न ह मत करो औरकल यह समाज का गदा नाला भी टाप जाओrdquo बरची न ब त दर बाद नजर मलाकर कछकहा था

ldquoअब तो सब लाघ ही जाना ह नया न भी कछ छोड़ा थोड़ ह जानत ह आपबीडीओ रप का को शश नह कया थाrdquo यह बोल तो मध न जस बजली का झटका ददया था बरची को

ldquo या बोल रही हो इतना बड़ा झठ यह सब फर या था ह भगवान तम झठ-मठमhelliprdquo बरची एकदम स अकबका गया था बोलत-बोलत

ldquoहा बीडीओ को शश नह कया रप कर दया था हमाराrdquo मध क इतना बोलत जोरस चीखा बरची एक झटक म ख टया स उठ खड़ा आ मध बोलत ही दोन हाथ स चहराढक फटकर रोन लगी थी बरची क पर का अगठा ोध म इस व आगन क मट ट कोड़

रहा था भची ई मट ठ बाध गदन क नस का उभार फड़फड़ा रहा था आख म जसकोई गम भट ट जल रही थी तभी उस लगा क माथा स हो गया ह वो अब सर पकड़करखड़ा था कतना कछ सह लती ह एक औरत इतना जहर चपचाप पी गई मध ओहइतनी पीड़ा इतना दद हम खाक समझ पाएग औरत को बरची एक बार भी नजर सीधीकर मध को नह दख पा रहा था

तभी फर मध क आवाज गई कान म ldquoसब कछ करन क बाद हमको घटा भर वहबद रखा हरामी वह स हमार सामन फकन सह को फोन लगाकर बताया क गलती होगया ह ल कन जस भी हो सलट ली जए फकन हमको फोन दलवाकर बोला घर प चनस पहल त हर माई को हाट अटक आ जाएगा अगर जरा भी ह ला क तो कोठा कालड़क बना द जाओगी अगर सब जान गए तो चप रहना इसी म भलाई ह हम फर माईको कछ नह बताए पता नह जान जाती तो सच म लाज और चता स मर जाती ल कनहम घर आकर बदा त न कर सक और माई को बोल क जहर खा लग बस इसी बात परआपको बला लाई फर आप लोग का ह मत स हम थाना चल गए ल कन जब आपकोमारन लगा और हम दौड़कर बाहर आए तभी ही ऊ दलाल लटक भडारी वहा हमको धमकागया और बताया सब घर पर प च गया ह और सबको बता दग क त हारा सबध पहल सथा बीडीओ स इस लए चपचाप घर चल जाओ कस कया तो रडी बना दग भगतना फरमा-बट बस हम या करतrdquo बोलत-बोलत झटक स चलकर दरवाज क ओर जान लगीमध

बरची म भी अब शायद कछ और सनन का साहस न रह गया था वह जाता दखतारहा मध को उस सहसा महसस आ क पीछ रीढ़ क हड डी म दद ह उसन दखा क वोखाट स उठ खड़ा आ ह अगल ही पल ध म स खाट पर बठ गया एकदम शात कोईहरकत नह लट गया खाट पर आख ऊपर थ और आसमान छाती पर गरता तीत होरहा था एक ी अपन अदर पवत पहाड़ सब कछ दबाकर रख लती ह कतनी गहरीहोती ह ी प ष क अह क ऊपरी परत पर भी ह क खर च लग जाए तो तल मलाउठता ह पौ ष पर ी ख सताप ोभ अनादर सब अदर दफन कर खड़ी रहती ह

ी और धरती दोन एक-सी ह दोन गभधार या ह तभी तो माता ह अदर पीतलसोना बा द पानी सब रख ह दोन नया का भार ढोन को अ भश त

कतनी वडबना ह क जस ी क कोख स स यता का ज म होता ह स यतान उसी को हमशा मयादा और स क त क बोतल म बद करक रखा जब मन आ शराब कतरह पया जब मन आ गलद त क तरह सजाया और जब भी ो धत आ तो बोतलपटककर तोड़ दया फट बोतल स नकली य न जमीन पर बन पानी मछली क तरहतड़प-तड़पकर दम तोड़ा और स यताए अट टाहास करती रह यह नया जस दन सअ त व म आई ठ क उसी दन प ष न अपन लए lsquoहमार अ धकार य हrsquo क घोषणा करद और ना रय क लए lsquoत हार कायद य हrsquo का नणय सना दया

बरची अब भी ख टया पर पड़ा आ था अदर का आवग अब शात हो चला था

सखत होठ पर पपड़ी-सी पड़ गई थी बीच म एक बार मा न आकर मध क लए पछा मधचली गई थी थोड़ी दर म मा न रसोई स आ फर तबीयत का हाल पछा बरची न हाथ सठ क का इशारा कर बस ह का-सा म करा दया जब भी मा ब त बचन होती उस यहीम कराहट द सकन द दता था यह दन को भरपर था इसक अलावा कछ था भी नह कईघट बीत गए थ रात अपना चादर डाल चक थी अभी रात क लगभग 10 बज थ बरचीन मा क ब त जद करन पर उठकर दो रोट खा ली थी और अदर बरामद स सट कमर मचौक पर जाकर लट गया था ठ क तभी घर क पीछ बास क झरमट स झर स प छया हवाटकराई और बगल क आम वाल पड़ स कछ प ऊपर खपरल पर गर यह सब मलअपना धन और राग तयार ही कर रह थ क कह र स आती सारगी क आवाज बरची ककान म पड़ी पहल तो उस पर यान नह गया ल कन जब आवाज लगातार आन लगी तोबरची न करवट बदलकर बड़ यान स उस आती आवाज पर अपन कान टका दए उधरस कछ गान क आवाज आन लगी ldquoचल साधो कोई दश यहा का सरज डबा जाएयहाक न दया यासी हयहा घनघोर उदासी हयहा क दन भी जल जलयहा क भोर भीबासी हमन यहा स ऊबा जाएrdquo गीत क बोल न बरची को झकझोर कर ख चना श करदया वह उठकर बठ गया था गान वाला गीत को दोहरा रहा था आवाज अब कान सउतर दय को कलबलान लगी बरची न सरहान हाथ टटोल टॉच उठाया और चौक कनीच दख पर स ख च अपनी च पल पहनी वो जस ही बाहर आया मा अचानक स आहटसन बरामद म आ गई

ldquo या आ तबीयत खराब लग रहा या बटाrdquo थोड़ी घबराई आवाज म बोलीldquoनह सब ठ क ह मा यह सारगी पर गीत सन रही हो बड़ा अ छा लग रहा ह कहा

बज रहा ह कौन हrdquo बरची न आगन म नकलकर इधर-उधर कान कर आवाज टोहत एकहा

ldquoआवाज तो परब स आ रहा ह कलवा म ह कोई का वह स आ रहा ह शायदrdquo मान एकदम सही अदाजा लगात ए कहा था गाव-दहात क बड़-बजग का दशा- ान ब तसट क होता था व भोर और साझ का तारा दख दशा बतान वाली और हवा क सनसनाहटछ वाय क बहाव क दशा बतान वाली पीढ़ थी वो पीढ़ आज क नई पीढ़ क जसी दशाबोध स अनजान पीढ़ नह थी व सरज क करण का ताप मापकर दन का समय बतादत इसी मलखानपर गाव म ब त साल पहल एक पणा नाम का न हीन बढ़ा था जोभ ाटन कर खाता था उसस अ सर घड़ी पहन नए लड़क समय पछत और अपनी घड़ीस मलात समय सट क मल जान पर वह बड़ा आ य करत और उसक इस करामात परखश होकर कटोरी म कछ स का डाल जात एक बना आख वाला अपन समय मसमय को समय बता रहा था

बरची न सामन रगनी पर टगी चादर ली और उस ओढ़ बाहर जान लगाldquoइतना रात कहा जाओग दह म इतना दद ह ल कन फर भी नह मानत हो अपना

आग हमको तो पागल ब ढ़या समझत होrdquo मा न बड़ी झझलाहट स कहा और अदर खाट

पर लटन चली गईldquoअर माई तरत आ जाएग दद पर तो मलहम लगान जा रह ह दखो कतना ब ढ़या

नगण गा रहा हrdquo इतना बोलत-बोलत बरची घर स नकल दरवाजा बाहर स ही बद करकल क तरफ चल पड़ा कल क हात म घसत ही सामन चौड़ बरामद पर एक ढबरी

जली दखाई द बगल म चार-छह ट लगाकर बना आ एक अ थाई च हा जल रहा थाजस पर एक पतीला चढ़ा आ था वह बगल म कस रया रग का चादर ओढ़ एक साधसारगी पर मगन हो गीत गा रहा था झ गर जगन मढक च सब चप थ शायद और ऐसालग रहा था क जस सब उस धनी रमाए साध क धन सन रह ह चप होकर बरची नबरामद क चार सीढ़ एक ही फलाग म टप साध को णाम कया और ldquoवाह-वाह याबात ह बाबाrdquo बोलकर वही सामन जमीन पर बठ गया साध न बस एक बार नजर उठाकरउस दखा और म कराकर आख स इशार म उसका अ भवादन वीकार कर लया था साधलगातार गाए जा रहा था

ldquoसाध सका जो साध लया अब बचा ह आधा दनयह पल भी अब काट ल पगलअगरी पर गन- गनकौन कर यहा सरज क रखवाली ररात ब त ह काली आन वाली रrdquo

ldquo या बात अहा गाइए बाबा एकदम ऐसा लग रहा ह आप इसी गाव क लए गा रहह यहा का सरज या डबा जाए यही नrdquo बरची न पर मगन हो आख बद कर सरहला- हला दोन हाथ स ह क ताली दत ए कहा साध मद-मद म कराता गाता रहा

लगभग पाच मनट बाद गीत ख म होत ही साध न सारगी कनार रख सीध पछाldquoकौन हो बटा इतनी रात यहा या कर रह होrdquo यह सन बरची जस अकचका गया थायह सवाल तो असल म उसक दमाग म आना चा हए था

ldquoहा हा हा अर महाराज उ ट आप हम स पछ रह ह क हम कौन हमार ही गाव महमी स व न गजब ह आप भी बाबाrdquo बरची न हसकर कहा

ldquoअ छा बटा आज स पहल कभी इतनी रात म इस कल क तरफ आत थrdquo साध नचहर पर एक गभीर-सी म कान लए पछा

ldquoनह बाबा इधर कौन आएगा आधी रात को इतना सनसान म भत नाचता ह इधररात म कोई आए भलाrdquo बरची न वही सामन बठ कहा

ldquoबस यही बात समझो बटा नया क जस भी सनसान कोन को जसन भी आबादकया ह उस बसाया ह वह कोना उसका ह मन त हार गाव क इस अधर कोन को ढबरीजलाकर रोशन कया यहा च हा जला इस घर बनाया ह इस लए आज रात य मरी जागीरह और तम मर यहा आए ए अ त थ होrdquo साध न बड़ी सरलता स कहा बरची तो बनापलक झपकाए साध को दख रहा था हर बात पर कछ-न-कछ उ टा-सीधा बोल ही दनवाला बरची एकदम शात बठा था जस आज खद उसक अदर स कोई आवाज आ रही थीकभी-कभी कछ चपचाप सन भी लना चा हए

ldquoहा बात तो आप गजब ता कक बोल बाबाrdquo बरची न होठ पर बरबस पसर गई

म कराहट क साथ कहाldquoतो चलो अ त थ को कछ भोग हण करना चा हए न खचड़ी ह रा का साद

हण करोगrdquo साध न अब च ह पर चढ़ा पतीला उतारत ए कहाldquoबाबा साद तो आज दन भर खाए ह अब आप द जएगा तो वह भी खा लग

साद को ना नह करना चा हएrdquo बरची न हसत ए कहा साध न शायद बरची क कहकथन क जना को महसस कर लया था ज ासावश पछ भी लया दनभर साद काअथ च क साध अपन पहल श द स ही इतना स मोही सवाद रच रहा था क बरची उसकसामन कछ ही मनट म वस ही खल गया था जस कसी दज क आग धाग क रील खलजाती ह कछ और मनट म बरची न स प म थान म अपन साथ ए मारपीट क बात साधको बता द थी तब तक बात करत-करत ही साध न एक थाली म बरची को खचड़ी परोसद थी अभी पछल घट ही बना खाए सोन जा रहा बरची यहा तो थाली चाट खचड़ी खारहा था घर पर खाना और कह कसी क मजबानी म खाना म अतर तो होता ही ह घर कथाली म जीवन परोसा जाता ह महमान क थाली म मजबान म परोसता ह जीवन म मज री होता ह इस लए पट चाह भरा भी हो मन भी भरा हो पर कसी क नह स परोसीथाली खा ही लनी चा हए खाकर बरची न हाथ धो अपन ओढ़ चादर स हाथ प छा औरपनः पलथी मार बठ गया हमशा चलम सग बठक वाला एक पागल आज स सग म बठगया था

ldquoअ छा कहा स आए ह आप बाबाrdquo बरची न बड़ी ज ासा स पछाldquoवह स जहा स तम आए हो जहा स सब आए हrdquo साध न गल स बड़ी ा क

माला उतार उस बगल म रख भगवा झोल म डालत ए कहा बरची जवाब सन ऐस सहजरहा जस वह ऐस ही उ र क अप ा कर रहा था

ldquoबाबा जाना कहा ह यहा स आपकोrdquo बरची न फर एक सवाल पछाldquoयह तो बटा अपन कम पर हrdquo साध न ह क तरती म कराहट क साथ कहा

जवाब अब भी उसी अदाज म था और बरची पर रोमा चत मड म साध को सन भी रहा थाअसल म बरची तो मन-ही-मन य सोचन लगा

lsquoसाला यही सब उटपटाग बकती कर तो आदमी बाबा बन जाता ह साला ई कमवा तोहम भी कर लत ह ल कन दह पर भगवा नह तो दाद और बात क बदल लात मल जाता हलोग पागल बझता ह हमको साला दश स और फस स चलता हrsquo

ldquoअहो महाराज आ खर कोई तो ठकाना होगा आपकाrdquo बरची भी खब मज म पछरहा था साध उसस यादा आनद म था

ldquoबटा उसी ठकान को खोजना ही तो म ह हर मन य क जीवन या ा का यही तोअ तम यय ह जस दन ठकाना मल गया समझो मो मल गया हम सब ब ठकानभटक रह ह यही तो जजाल ह ससार का लग रहो मल जाए तो राम जी क कपाrdquo साधन बरची क आख म ताकत ए कहा

ldquoबाबा हमार कपार पर तो खाली ख लखल ह ई तो हम जान ही रह ल कन जराआप हमारा हाथ दखकर बताइए तो इसम या लखा ह या भ व य ह हमाराrdquo बरची नमौज म साध क दाश नकता को अब बाबा गरी क ओर ख चकर लान जसा हाथ बढ़ात एकहा

ldquoबटा न कपार का लखा न हाथ का लखा होता वही ह जो राम का लखाrdquo साध नहसत ए कहा

ldquoभ क महराज आप हाथ दखना जानत ह क नह डायर ट बताइए न बाबा बातको घमा फरा द रह ह आपrdquo बरची न सामन हथली पसार हसत ए कहा

अबक साध थोड़ा गभीर हो गया था उसक चहर पर आई अचानक शा त औरगभीरता दख बरची भी तरत स थोड़ा शात हो गया था अभी र गाव म कह समवत वरम कई क क भकन क आवाज आ रही थ रात गहरी होती जा रही थी लगभग परागाव न द म था बरची तो न द स जागकर आया था साध न एक लबी सास ली और बोला

ldquoम हाथ दखकर भी या बताऊगा बस भा य ही न आदमी का भ व य तो उसकाकम दखकर बताया जाता ह म तो अभी बस आध घट पहल मला तमस म भला याजान क त हार कम कस हrdquo साध न बड़ी शा त स कहा

ldquoल कन बाबा भा य भी तो कोई चीज ह जब भा य ही नह होगा तो खाली कम करकया होगाrdquo बरची क मह स अनायास नकला

ldquoनह बटा भा य तो बस क चा माल ह कम ही उस पकान वाला धन ह मान लोत हार घर म चावल ह ल कन अगर उस च ह पर चढ़ा बनाया नह तो बोरी म रख-रखचावल म एक दन घन लग जाएगा भा य वही चावल ह अगर कम का च हा जला क नबनाओ तो कतना भी भा य हो उसम घन लग जाएगाrdquo यह बोल बड़ी सरलता स साध नकम का मम समझा दया था बरची को

ldquoवही तो हम भी बोल रह बाबा क जो भा यहीन ह वह या बनाए उसक पास तोचावल ह ही नह धन बकार ही न जाएगा जल कrdquo बरची न भरसक ब ढ़या सवाल पछाथा अबक

ldquo जसक पास चावल नह वह पहल चावल कमाए फर बनाए भा यहीन अपनाभा य कमा सकता ह अपन कम स ही भा यहीन को कोई चता नह करनी चा हए दशातो बस कमहीन का होता हrdquo साध न एकदम शात च स उ र दया

ldquoसमझ गया जसक भा य म कछ नह होता सब कछ उसक हाथ म होता हrdquoबरची न शायद इस बार सवाल नह पछा था य गजब का जीवन स नकल गया था उसकमह स

ldquoहा एकदम हा हा हा चलो असली ान पा लए तम अब रा व ाम कया जाएया और भी कछ ज ासा ह त हारीrdquo साध न एक कबल चटाई पर बछात ए कहा

ldquoएक ला ट बात बाबा यानी क अभागा का कोई भगवान नह होता उस उसका

फकर नह करना चा हए नrdquo बरची न एकदम स ोही दाश नकता वाला सवाल पछा थाजो ई र क भी प पात क छोर को पकड़ता तीत हो रहा था पर साध इस सवाल पर भीशात दखता मद-मद म कराता रहा

ldquoनह बटा त हारी ज ासा सही ह सो इस भी जान ही लो आज अभागा तो ई रका भजा गया वो भरोसमद ाणी ह जस ई र इस व ास क साथ भजता ह क इस कछभी खरात दकर मत भजो य सब कछ खद हा सल कर लगा अपन परा म सrdquo साध नएक बार बरामद स ही बाहर आसमान क तरफ दखत ए कहा

ldquoब त भयकर बात बताए आप समझ तो लए ही हमrdquo बरची सच म हत भ होबोला था इस बार

ldquoजान लो बटा भा यशाली ई र क दया का पा ह और अभागा म काrdquo साध नएक म ही दया जस बरची को

ldquoब त ानी ह आपहो बाबाrdquo बरची न बना पलक झपकाए कहाldquoतमम भी आ म व ास कम नह ह यान रखना ल कन हमारी एक बात

आ म व ास वो धन ह जो ानी म हो तो वन ता बढ़ाता ह और मख म हो तो अहकारrdquoसाध न अपन झोल म हाथ डाल कछ टटोलत ए कहा

ldquoचलो अब व ाम कया जाएrdquo पनः साध न एक ह क -सी आवाज म कहाldquoजीवन म व ाम कहा बाबा हम सो जाएग तो भी सास चलता रहगाrdquo बरची न

चला होकर ग क भाव स कहा बरची क मह स यह नकलत ही दोन ठहाका मार हसनलग

ldquoवाह बटा इतनी ज द बाबाई सीख गए तज आदमी हो अब थोड़ा-थोड़ा दखनलगा ह त हारा भ व यrdquo साध न हसत-हसत ही कहा

ldquoजी जात-जात अब आखरी बात बाबा या कम करन वाल सभी आदमी को प काभा य मल ही जाता ह या सब सफल हो ही जाता ह बस इतना जान जाए तो जाए हमभी शा त स सतनrdquo तब स बठ बरची न खड़ होत-होत कहा साध तब तक जमीन परब तर लगा चका था

ldquoबटा सय सबक लए उगता ह न फर भी कछ ही को रा ता दखता ह और कछलोग रोशनी क बावजद अधर म भटकत ह जानत हो य य क सय क रोशनी म नगरगाव घर-इमारत सड़क सब दखता ह ल कन जीवन का माग नह दखता ह जीवन कामाग अदर क रोशनी स दखता ह अपन अदर मशाल जलाओ और उसी उजाल म जीवनका रा ता दखो और चल पड़ो घोर अधर को इसान अपन अदर क उजाल स हरता हrdquoएक ही सास म इतना कछ बोल साध अब ब तर पर लट गया था बरची खड़-खड़ अपनभीतर जस कसी तरग का वाह महसस कर रहा था वह अब चलन को बरामद स नीचउतरा

ldquoबाबा आपका बोली-चाली बात- वहार आपका भाषा स लगता ह आप इधर क

नह ह खर चाह जधर क ह इधर आत र हएगा तो भट होता रहगाrdquo इतना बोल बरचीदो कदम आग बढ़ा

ldquoतम यहा रह तो ज र मलग फर त ह भी तो अपनी या ा पर जाना ह यहा थोड़ीबठ रहोगrdquo साध न दह पर एक पतला कबल डालत ए कहा

ldquoएक बात कह दत ह इतना ान ह आपक पास आप साध तो नह ह बाबा साधहोकर इतना व ान यह भी एक आ य बात ह भगवान जान आप कौन हrdquo बरची यहबोल जान को दो-तीन कदम बढ़ चका था

ldquoइस कहत ह घनघोर कलयग ान होन क कारण साध को साध मानना सदहा पदलग रहा ह इसस क ठन समय या होगा जगत क लएrdquo साध जोर स हसत ए बोला

ldquoअ छा बाबा चलत हrdquo कहत-कहत बरची कल क सामन वाली पगडडी पर नकलगया

ldquoआशीवाद ह तमको चलत ही रहना कना नह rdquo पीछ स साध क आवाज आईऐस ही कसी ससयोग स भटा गए एक साध सग स सग स उठ आया बरची जब तक

घर प चा रात क करीब डढ़ बज रह थ उसन धीर स दरवाजा खोला तो दखा सामनबरामद क पास धीमी लालटन जलाए वह चौक पर मा बठ-बठ ऊघ रही थी दरवाज कखलन क ह क आवाज होत ही अचकचाकर उठ खड़ी ई

ldquoअभी तक तम जगी ही हो माrdquo बरची न मा क पास जाकर कहाldquoतो या करत तम इतना रात तक बाहर हो दखो सब कछ तो हम खो ही दए बटा

एक बस त हारा डर लगा रहता ह ऐस रात- बरात मत नकलो बटाrdquo मा न बरची क पीठपर हाथ फरत ए कहा

ldquoसब कछ तऽ खो ही द हो न बस अब एक डर बचा ह इसको भी काह रखी हो बचाक इसको भी खो दो न र माईrdquo इतना बोलकर बरची हसता आ अपन कमर क ओरचला गया मा न म य दरवाजा लगाया लालटन उठाकर बरची क चौक क पास रख वहभी खद सोन चली गई रात कतनी भी अधरी हो पर एक मा अपन ब च क पास रोशनी काएक टकड़ा रख ही जाती ह

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आज सबह होत ही शखर क घर तो ा त मची ई थी पता कामता बाब च क कल दररात घर आए इस लए उ ह रात को तो कछ पता नह चला पर सबह जब वह टहलन नकलतभी कछ लोग न उनस थान वाली घटना क चचा कर द सबन अपन-अपन तरीक स बातबताई कछ न शखर को उसक उस साह सक काम क लए सलाम कया अ धकतर लोगन जवान बट को गलत सगत म जान स रोकन क ज रत बतात ए उस नय त कर रखनक म यवान सलाह ही द कामता बाब सबह-सबह तन म ताजा ऑ सीजन लन नकल थल कन अब मन म जहरीला काबन डाइऑ साइड लकर आध रा त स ही वापस घर लौटनलग रही-सही कसर घर घसन स 20-30 कदम पहल मल काशी साह न शखर क लखनलोहार क यहा बठ गाजा पीन क कथा क स सग ा या करक परी कर द थी अब तोकामता बाब का परा माथा जस लोबल वॉ मग क ताप स जलन लगा था ोध स जलतीआख अब बस शखर को खोज रही थ जीभ स तजाबी बा रश होन ही वाली थी कामताबाब क मन म यह बात यादा चल रही थी क बात सफ इतनी-सी नह ह क बटा बगड़गया ह कह साला फकन सह न बगड़ गया हो या प षो म बाब स बात न बगड़ जाएलड़क न अपन दो पस क ान क जोश म सब बगाड़ दया व यही सब सोचत-सोचत घरक बरामद पर प च ही थ क दखा सामन शखर हाथ म बाइक क चाबी लए नकल रहाथा

ldquoवाह-वाह कहा चल ा त क लास जा रह हो मशाल जलान प ड़या रगड़ कसड़ चक व था को फकनrdquo पता न य म नह सीध-सीध ग रयात ए पछा पताक तवर दख शखर समझ ही गया था क सबकछ पता चल गया ह शायद काड स लकरकाडो रक मल ोत जड़ी-बट क बार म भी फर भी लड़क न खद को थोड़ा सभालाऔर धय स खड़ा रहा

ldquoकछ नह पापा बस ऐस ही जराhelliprdquo शखर न धीम-स आधा वा य ही परा कया थाअभी

ldquoकछ नह अब कछ बाक भी ह या गाजा अफ म ताड़ी बीड़ी दा परा कोसतो पढ़ क घ ट-फक लए तम मा सवाद और समाजवाद का यही सब पढ़न गए थ नाद लीrdquo कामता बाब गरजकर बोल

ldquoकौन बोला आपको झठ ह यह सब बकार का बना सर-पर का बात सना दयाकोई आपकोrdquo शखर बाहर बरामद स पर पटकता अदर जात ए बोला अभी थोड़ाअसहज तो हो ही गया था शखर ल कन अदर क बक ा त न आवाज द ldquoझल लोसाथी य तो होना ही होता ह साथी कतन दन छपती ह प रवतन क आग और चलम

इस खलास स नपटो साथी डर क आग जीत ह पहली पटखनी परातन स कार को तब नफर ज मी सरकार कोrdquo

बाप क ोध स डरन क बावजद शखर अपन मन क भीतर चल रह इ ह स सथोड़ा-ब त बल पा रहा था अभी ल कन पता लगातार जारी थ

ldquoअ छा परा गाव झठा बस तम एक स चा उस आवारा- बगड़ल बर चया क साथतम थाना गए झठ ह उ मधआ जसी चाल लड़क को तम भज दए कस करन खद थानाजा एसपी स फोन करवाए अपन ही गाव-समाज म झगड़ा मोलन क लए य सब झठ हयह सब या ह सब झठrdquo

ldquoपापा अ छा यह बात ह वही तो सीध-सीधा क हए ना क यह सब करन क कारणहमको बदनाम करन क लए सब झठा बात फला रहा ह क हम गाजा-ताड़ी पीत ह लखनक यहा बठकर एक लड़क क साथ रप का को शश आ ह और या इस पर नह बोलनाचा हएrdquo शखर अबक टकत ए थोड़ा ठहरकर कहा

ldquoअर चोट टा तमको पता था ना क बीडीओ सा हब क साथ फकन सह भी खड़ा हफर या ज रत ह इसम पड़न काrdquo कामता बाब न जोर स कहा

ldquoतो फकन सह को भी तो नह ना खड़ा होना चा हए गलत क साथ अब गलत कसाथ खड़ा होकर गलती तो फकन सह कए ह हमारा या गलती हrdquo शखर भी हर बातका जवाब दए जा रहा था

ldquoवाह र वाह मन फकन सह को या करना चा हए वो तमस पछकर कर काह इतनादमाग चढ़ा आ ह त हारा जरा कताब और कोटशन स बाहर नकलो और नया कासच भी पढ़ो फकन सह जसा लोग ही रोज वधायक-सासद बन नया चलाता ह औरत हर जसा एम-पीएचडी व ान मोटा च मा प हन उसक पीछ फाइल ढोता ह नया रटा-रटाया दशन और वचार नह होता ह ब त-कछ सीखना ह अभी तमको तम कह रह होरप का को शश आ तो लड़क न खद या कया दख लड़क न कया कस पसा लकरचप हो गई ना यही ह नया सब चाल ह काह पड़ ए हो इसमrdquo कामता बाब का वरबोलत-बोलत ऊचा हो गया था इतना ह ला-ग ला सन क याणी दवी पजाघर स नकलकरदौड़ी आ प नी को आता दख कामता बाब न उसक कछ बोलन स पहल ही चप रहन काइशारा कर दया प त का पारा चढ़ा दख मा न बट क तरफ दखा शखर भी वह डटा खड़ाथा मा न उस हट जान का इशारा कया पर शखर सामन ही खड़ा रहा उसक मन म तोअपना स य चल रहा था मन कछ गलत कया ही नह तो फर य पीछ हटना नया सआग जान का जोश लए यवा पीढ़ बस बाप क सामन पीछ नह हटन को ही तो अपनाहा सल समझकर अ सर पीछ छट जाती ह

ldquoआप तो बीच म बो लएगा ही नह आज समझा द रह ह इस गाव म ब त कायद सइ जत बनाकर रह ह हम यह नालायक सब लटान पर तला आ हrdquo कामता बाब न प नीक तरफ दखत ए हदायती वर म कहा

ldquoइ जत बनाकर नह बचा क रह रह ह आप पापाrdquo शखर न एक गरज री सचबोल तफान को योता द दया था

शखर न जान-अनजान यह कह अनथ ही कर दया था कामता बाब आगबबला होगए एक-दो पल इधर-उधर हाथ-पर नचाकर दखा और झटक स झक पर स च पल नकालचला दया प पर अचानक चली च पल छाती पर लगी बट क शखर दो कदम पीछ हटगया था अब वह पता दो कदम आग बढ़

ldquoइतना जबान चलन लगा बताइए साला स कारहीन सब तमीज भल गया गजड़ीकह का इतना ब-कहल बशम हो गए हो बाप को डरपोक बोलत होrdquo कामता बाब ोधस कापत ए बोल रह थ

ldquoचप भी रहो तम बाप स मह लगा रह हो तब स सही म या पढ़ल- लखल सबपानी काह कर रह हो हटो चलो तमrdquo मा हाथ पकड़कर बोली और ख चती ई कनार लगई शखर को

मा अ सर ऐस हाल म खद गम कबल बन ब च को ढक पता क बरसत आग कगोल स बचा ही ल जाती कामता बाब अब तमतमात ए दरवाज स बाहर नकल और घरक बाहर रखी कस पर जा बठ बट न शायद मन क तह उघाड़ द थी व मन-ही-मन खदस इस बात क काट माग रह थ क lsquoइ जत बनान और इ जत बचान म फक होता हrsquo

प नी क याणी दवी पानी का गलास लए आ कामता बाब न बना प नी क तरफदख पानी का गलास उठाकर पया और रख दया तभी एक फट साइलसर क ककशआवाज वाली कोई बाइक चारद वारी क बाहर आकर खड़ी ई यह लटक भडारी थाकामता बाब भी मन म यह सोच ही रह थ क अभी तक बलावा नह आया प षो म सहका

ldquoपरनाम मा टर साहब तनी मा लक याद कए ह आपको अभीए भट कर ली जएrdquoलटक न बना अदर आए बाइक स ही बठ-बठ गदन उचकाकर झाककर कहा गाव म सबजानत थ क नया का मा लक भल कोई हो और जहा भी हो ल कन लटक का मा लकएक ही हmdashप षो म बाब

लटक जब भी प षो म या फकन सह क यहा पशी हत कार दन कसी क भी ारजाता तो गाव क अ धकाश कमजोर-गरीब लोग लटक क बलाहट नो टस को हाईकोट ाराजारी समन जतना स मान दत थ और नधा रत समय स पव ही प षो म सह क दरबार महा जर हो जात थ

ldquoहा ठ क ह ठ क ह मद चलो आत हrdquo सबह स ही मजाज झड कर बठ कामताबाब न थोड़ी झ लाहट क साथ जवाब दया लटक को कामता साद क झ लाहट थोड़ीदल पर लग गई उस लगा कामता बाब न त को उ चत स मान नह दया

ldquoअ छा या ठ क ह या नह वह तो वहा चलकर पता लगगाrdquo यही बदबदाताआ लटक वहा स बाइक टाट कर नकला तजी स आवाज इतनी धीमी थी क कामता

बाब न यह वा य तो प सना नह पर जात ए लटक क तवर दख उसक चढ़ समझ गएऔर उ ह न भी मन-ही-मन चार-पाच मौ लक गा लया लटक क लए पढ़ द लटक क

आबी अदाज न यह भी जता ही दया था क अभी प षो म सह क आर माहौल कसाहोगा इसी बाबत थोड़ा सोचत वह कस स उठ घर क भीतर गए और कछ मनट बाद सीधप षो म सह क घर क तरफ चल दए उनका घर उसी मोह ल म सर छोर पर दो-तीनसौ मीटर क री पर था कछ मनट पदल चलन क बाद वहा प च तो दखा पहल स हीवहा बदरी म सर काशी साह जगद श यादव प ब र दास क पड़ोसी जतन दास समतकई लोग जमा थ परा दरबार सजा आ था कामता साद क नजद क प चत हीप षो म सह न टोका ldquoआइए मा टर साहब अर लटक जरा कस दो एक कामता जीको या हाल-चाल ह मा टर साहबrdquo

ldquo णाम प बाब सब कपा ह भगवान का ठ क ह सबrdquo कामता साद न कहा यहजानत ए भी क सब ठ क नह ह

ldquoऔर बाल-ब च आनद म ह ना लड़का का पढ़ाई- लखाई ठ क चल रहा ह ना कहकपट शन दया क नह नौकरी का उ तो हो ही गया होगाrdquo कामता साद अभी कसपर बठ ही थ क बदरी म सर न एक साथ इतन शभ चतक य सवाल पछ आज क सभाका वषय वश करा दया था बदरी म सर न ब त कायद स असली मद दा उठा दया

तभी काशी साह दात नपोरकर बोला ldquoअभी तो ब त दन स यह गाव म ह सर कालड़का बड़ा मलनसार सभाव का ह ऊच-नीच सबस घल- मल जाता हrdquo

कामता साद उसका तज तो समझ ही गए थ यह सनकर अदर स कसमसात एदख यहा तक क व भी इतजार ही कर रह थ इन हमल का मन-ही-मन यह सब सननको तयार होकर आए थ

मन म सर क बात कम बट का कया आ यादा चभ रहा थासोच रह थ lsquoबट न या समय दखाया आज भरी सभा म ोपद हो गया सालाrsquoldquoअ छा अ छा गाव आया ह पढ़ाई परा हो गया या बटा का आय कामता जीrdquo

प षो म सह न मासम-सा दखता सवाल कया दरअसल सब सबकछ जानत ही थldquoहा बस अभी एमए का परी ा दकर कछ दन घर आया ह भज दग अब दो-चार

दन म ही भज दगrdquo कामता साद न इस नकली सवाल को छोड़त ए इसक पीछ क नहपछ गए असली सवाल का उ र दत ए कहा

अब उ र द दन क बाद आयाldquoहा द खए मा टर साहब य तो आपका सौभा य ह क गाव स अपन बाल-ब च को

नकालकर पढ़ा रह ह फर काह उ टा यहा का गदगी म फसा रह ह अर चार दन घरआया ह तो ब ढ़या स खाए- पए और फर जाए अपना अ ययन म जट यहा गाव म रहकरगलत सगत म पड़ रहा ह आपको पता होगा ही कल या- या आ ह पता ह ना बनासोच-समझ काम करगा तो कभी भी बड़ा च कर म पड़ जाएगा फर हम भी नह सभाल

पाएग हमको तो ब बास ही नह आ क मा टर साब का लड़का कस इतना घ टया सगतमrdquo प षो म बाब न खब समझात और ह का हड़कात ए सब कह दया

ldquoअर नह -नह मा टर साहब का लड़का ह भोला सो बहकाव म आ गया राड़-चहाड़ क ऊ तऽ नया लड़का ह गा जयन को यान रखना चा हए हम लोग तो गाव मरहकर भी आज तक अपन लड़क को ई मख नीच और मल छ सबस अलग रख यहा तकक हमारा भतीजा मदन अगर थोड़ा-ब त खाता-पीता भी ह तो ठाकर-बाभन क अपनस कल म ही लता ह चमरटोली तो नह जाता ह ऊ भी लाख पी-खा ल ल कन जात कास कार तो नह खोया आज तकrdquo बदरी म सर न को कल वर म कहा उ ह न शखर परतो जो कहना था कहा ही साथ-साथ मौका मलत अपन बड़ भाई क बट क भी कह क लली थी जनस उनका वष स प तनी जमीन का झगड़ा चल रहा था

ldquoहमन उसको डाटा ह ब त तरह क बात समझाए गलती तो कर ही दया ह सधारभी हो जाएगा हम बोल रह ह ना अब इस बात को यह ख म कया जाए प बाबrdquoसबक ारा फजीहत झल रह कामता बाब न अदर स चढ़त ए बड़ी वन ता स कहा

ldquoजरा क ोल क रए मा टर साहब यादा पढ़ाई भी ठ क नह सबको गाव कापोल ट स म पड़ना अ छा बात नह ह पोल ट स-वोल ट स हमको ही दखन द जएआपका बटा ना होता तो आज इसका भी वही हाल होता जो बर चया का आ ह थाना मऔर ई एसपी-उसपी का परवी स कछ नह होता ह थाना का हीरो दरोगा होता ह और हमदरोगा अपन जब म रखत ह इतना तो आप समझ ही रह ह गrdquo तब स बगल म दहरी परचकमक बठ दात पर उगली स गल रगड़ रह फकन सह न कामता साद क कस क बगलम पीक फकन क बाद कहा

ldquoहम सब समझ रह ह फकन जी तभी तो शखर को समझाए ही पहली बार कगलती म या कया जाए हम खद बर चया को दरवाज पर चढ़न नह दत ह य तो कोईप ब र दास ह म दर जो बनाया ह वह उसी क यहा चला गया था तब स पता नह कसजान-पहचान बढ़ा लया वह स दोन अब न त र हए नह होगा यह सबrdquo कामता

साद न ल क घट पीत ए भी बना कड़वाहट क साथ कहाldquoच लए अ छा ह ज द सधार आ जाए तो कम-स-कम जात-समाज का याल भी

सखाइए सब कछ डगरी और पढ़ाई नह ह स कार कताब पढ़न स नह आएगा यहसब घर-प रवार स सीखता ह आदमी लड़का-लड़क को द ली-ब ब छोड़न स नह होगासफ उस पर थोड़ा नजर भी र खएrdquo कामता बाब क सामन ही लगातार चार बार म कफल हो पढ़ाई छोड़न वाला नॉन म क फकन सह एक श क को अ तम ान द उठकरघर क अदर चला गया उसक भीतर जात ही कामता साद भी अपनी कस स उठ

ldquoबठ जाइए चाय पीकर जाइएrdquo प षो म बाब न आदशा मक वर म स कार करतए कहा

कामता साद न हाथ जोड़ चाय पीन स मना कया और जान क आ ा मागी कामतासाद खब चीनी डालकर चाय पीन क आदती थ आज तो चाय मीठ लगनी नह थी

इस लए पीना बकार था वह अब बना एक ण भी ठहर वहा स झटककर नकल चलत-चलत पीठ पीछ हसी क आवाज सनाई द पर कामता साद न पलटकर नह दखा लब-लब डग भर तजी स घर क तरफ जा रह थ कछ ही मनट क रा त म उ ह प ह सालपहल क एक बात याद आई जब उनको कल क सहयोगी श क न गाव स नकल बगलक शहर म मकान खरीदन क सलाह द थी ल कन कामता बाब न गाव नह छोड़ा था तबयह रह गए आज पता नह उ ह अपन उस नणय पर पछतावा हो रहा था मन म चल रहाथा lsquoबाल-ब च को तो नकाल दए पढ़न ल कन या फायदा जब शाख-प ा नकल गयाऔर जड़ यह रह गया साला हमको जड़ ही उखाड़ दना था गाव स आज घन न लगतापड़ म गाव म रहना भगत लए आ खरrsquo

कहा तो दश क आ थक राजनी तक नी तया गाव को खाली कर नगर को ठस-ठसमहानगर बना रही थ और यहा गाव क एक स म पचायत न एक मा टर क मन कोपला यत कर दया था परी ा म ामीण पलायन पर लख लखन वाल कशा ब क छाइस भी पलायन क म य कारण म शायद ही रख कभी शहर म अकलपन का दश झलतागाव का भरा-परा अपना समाज याद करता परदसी कामता बाब स बहस करता तो हारजाता आज

एक बझा आ भारी मन लए कामता साद अब अपन दरवाज प च चक थ प नीवह खड़ी इतजार ही कर रही थी शायद उनका

ldquoऔर कतना दन रहगा ा तकारी द ली नह जाना ह या वहा भी तो ज रतहोगा इसका भज द जए अब इसकोrdquo घर म कदम रखत ही पहला वा य यही नकलाकामता बाब क मह स प नी सामन ही खड़ी थी

ldquoअ छा अब दमाग ठडा भी क रए एक बार क गलती पर कतना बार बो लएगादो-चार दन म चला जाएगा अब यादा मत बो लए उसको भोर स ब त हो गयाrdquoकामता बाब क मन स बपरवाह प नी न लगभग नदश दत ए कहा

ldquoहम तो चप ही ह लोग बोल रहा ह उसको कस चप कराए जाकर द खए ना वहासाला सब म क फल जट क हमको ान द रहा था उसम भी चता चचा-फचा का नह हसबस बड़ा डर यह लगता ह क गाव क गदा राजनी त म मारपीट ना हो जाए प बतरवाऔर बर चया का तऽ लात खाना तय ह फकन सह क दबगई को कौन नह जानता हबीस बापत तो घर म ही ह लठत अब शखर को कौन समझाए इनको तो वचारधारा कालड़ाई लड़ना ह जब क जमीन पर वचार नह लाठ -भाला चलता हrdquo कामता बाब जोर सबोलना श कर आवाज धीर-धीर कम कर सामन क तरफ रखी बा ट म स पानी लन चलगए

इधर शखर तब स चपचाप अपन कमर म लटा आ था कामता बाब तब तक नहा-धोकर वापस बाहर बरामद म बठन गए घर का माहौल अब थोड़ा शात आ लग रहा थामा शखर को कसी तरह मनाकर ना ता करा आई थ शखर ना ता कर वापस फर कमरम लट गया था कामता बाब न ना ता बाहर बरामद पर ही बठ कर लया था शखर जब स

आया था शायद आज पहली बार बाप-बट न अलग-अलग खाया था कामता बाब नम कल स एक पराठा खाकर थाली म हाथ धो लया था आज दनभर कह नकल भीनह थ कामता बाब यह जानत ही थ क आज गाव भर म उनक ही चचा जधर- तधरनकल रही होगी आज सबह प षो म सह क ार पर जो कछ आ वह बार-बार उ हकचोट रहा था ल कन फर भी मन को यह कहकर समझा-बझा लत क यह तो हमारास मान ही था क ब त कछ नह बगड़ा गाव का कोई सरा घर का लड़का होता औरऐसा कया होता तो फकन सह छोड़ता थोड़ कामता बाब का मन यह बात समझकर भीकतई समझना नह चाहता था क फकन सह न उनका छोड़ा ही या था

उस समाज म ऐस कई कामता बाब थ ज ह न जीवन को इस दशन स जया ककसी बात पर न अड़ो कसी पचड़ म न पड़ो कसी क लए ना लड़ो ऐस लोग हमशा सस य कहलाए स य लोग को सश करण हमशा एक हसक या लगी और शायदइस लए उ ह न न इसक को शश क न ही कभी सश होन का दावा कया उ ह न सरक सश करण को भी हमशा अराजक ही माना स य लोग न सनक क लड़ाई और हकक लड़ाई क बीच म कभी कोई फक समझना ज री नह समझा भारत म वस भी म यमवग क रीढ़ हमशा लचीली रही थी वह आदमी को खड़ा करती थी और समय एवप र थ त क साप झकन लटन लोट जान क लए भी स वधाजनक रहती थी रीढ़ कलोच क इसी अव था को लज लजापन कहत ह जो ठोस व और गस स अलग एक औरअव था ह और भारतीय म यवग इसी अव था म पाया जान वाला त व था यह बचकरचलन को जीवन का अनशासन मानता था और कसी भी तरह बच रहन को ही जीवन कउपल ध

दोपहर का सरज उतरकर अब साझ क ओर जा रहा था सझा बाती स घट पहल हीप नी क याणी दवी चाय लकर आ

ldquo या बात ह भोर स बताए भी नह कछ प षो म सह क ार पर का-का आrdquoप नी न चाय का कप बढ़ात ए पछा

ldquoहोना या था बस यही क हमारा ही बात था जो इ जत रह गया प षो म बाबगा जयन जसा समझाए क लड़का का भ व य को द खए गाव का गदगी स र र खएअ छा ही बात तो बोलrdquo कामता बाब न चाय क पहली सड़क क साथ धीम वर म कहा

ldquoफकना या बोल रहा थाrdquo सबह स सब जानन को आतर मन का एक और सवालआया

ldquoफकन सह तो ब त इ जत कया सीध बोला क आपक जसा व ान का बटा नहहोता तो बता दत ऊ तो खर मा नए क आपका बटा था और य बात बझाता ह हमार बटको उसक बाप का यह इ जत ह आज भी समाज म ल कन ब दा हमको कहता ह कइ जत बनाकर नह बचाकर जी रह ह हम आप ही बताइए इसस यादा कसका इ जतकरता ह फकन सह दा पीकर कसी को भी पीट सकता ह ल कन या मजाल क एकभी श द ऊचा होकर बोला हो हमस स कार ह खानदानी वह तो भाव डालता ही हrdquo

कामता बाब सामन सड़क स गजर रह बक रय क झड क तरफ दखत अपनी बात कह रहथ

ldquoहा ठ क बात ह वस शखर दोपहर म ही टकट का व था करवाया ह परस चलाजाएगा अब दन शा त स रहन द जएगा उसको कछ बोलन का ज रत नह ह खदसब बात समझ गया ह हमको बोला भी क गलती हो गया म मीrdquo प नी क याणी दवी नबट क गलती क जमानत करात ए कहा

ldquoठ क ह हम नह बोलग भाई कछ ल कन उसको थोड़ा समझाइए क पढ़ाई करलया ह अब नौकरी होन पर यान लगाए और बाप का बनाया इ जत को न डबाएrdquoकामता बाब न चीनी मट ट क खाली हो चक कप को हाथ म झलात ए कहा

ldquoहम खब समझा दए ह यह भी बोल दए ह क अभी बाप क जतना इ जत-स मानपान म उ लगगा तमको पहल उतना पा लो तब मह लगाना गलती मान लया हrdquo प नीन कहा तो लगा जस सबह ए ज म पर भर पहरी परपरान क बाद साझ कसी न ठडामलहम घसा हो सबह स पहली बार अब जाकर ह क -सी म कराहट तरी थी कामता बाबक चहर पर असल म प नी क जबान म कामता बाब का ही मन बोला था अभी अबथोड़ा अ छा महसस कर रह थ मा टर साहब ऐसा लगा जस सबह स खोई ई कोई ताकतधीर स वापस बदन म आ गई हो बाप का मन पनः बाप जसा महसस करक कस स उठाप नी क साथ ही चलत कामता बाब शखर क कमर म प च कामता बाब न दखा शखर यही ब तर पर बठा अपन नो कया मोबाइल म साप वाला गम खल रहा ह पता को दखत हीशखर न मोबाइल त कए क तरफ रखा और सीधा हो बठ गया

ldquoखाना-पीना कया क नह ठ क सrdquo पता न कध पर हाथ धर पछाldquoहा खा लएrdquo शखर न धीम-स कहाldquoदखो बटा हम तो जो भी समझात ह ना वह अपन अनभव स हा सल बात कहत ह

तमको एक जमान म हम भी त हार जसा ा त कया करत थ एक उ म ही ई सब ठ कलगता ह जदगी का जीवनधारा कोई भी कताब क वचारधारा स अलग होता हrdquo एकपका आ बाप गम नस वाल जवान बट को शीतलता स समझाकर बोला

ldquoहम अपन आइ डयोलॉजी को ऑन ट स फॉलो करना चाहत ह पापा मझ मर थॉटऔर मा सवाद पर भरोसा ह कछ गलत नह क गा परशान मत आ क रएrdquo शखरवय मा स स भी यादा तब ता क साथ बोला

कामता बाब प का यह भयकर आ म व ास दख अबक झ लाए नह थोड़ाम कराए और ब तर स खड़ हो पनः शखर क कध पर हाथ रख बोल ldquoहमको तम पर औरत हर थॉट पर परा भरोसा ह बटा ल कन नया पर नह ह ऊ ऐस ा तका रय को एकसमय जोकर या पागल समझती ह सो थोड़ा ावहा रक बनोrdquo

ldquoवो लोग नकली लोग ह पापा जो ऐसा हो गए मन अपनी आइ डयोलॉजी को जयाह पापा उस रोज जीता आज भीrdquo शखर न पलग स नीच खड़ होकर मट ठ बाधकर

कहा पता इस बार त नक और म कराएldquoबटा सनो हर ा तकारी-मा सवाद बट क पीछ एक ठ क-ठाक पजीवाद बाप

होता ह जसक भज पस पर फटानी और ा त चलता ह जस दन य महीना का भजापसा बद हो जाएगा न उसी दन ा त का तब ज रत और अभाव क आधी म उड़जाएगा एक उ म जब चार रोट क लए कमाना पड़गा ना तब समझ आएगा क हरवचारधारा कस दाल क कटोरी म घलकर दम तोड़ दती ह अभी रोट -दाल का चता नह हन इस लए दश का चता वहन कर लत हो जब रोट आएगा न सम या बन क तब दश कचता का बोझ उतर जाएगा पीठ पर गह थ का बोझा लादन क बाद जगह कहा बचता हक उस पर सरा कोई बोझा रखा जायrdquo इतना कह पता कमर स नकल आए थ शखरवह खड़ा रहा उसन ब तर स फोन उठाया और एक नबर डायल कया

ldquoहलो हा ह लो कॉमरड सलामrdquoldquo या हाल साथीrdquo उधर स आवाज आईldquoएक बात बस बता द जए कॉमरड यह साला मा सवाद सबकछ बताया मगर

भारतीय बाप को कस हडल कर नह बता सका या हमको बताइए कॉमरड हलोहलोrdquo फोन कट चका था कॉमरड शायद जवाब खोज रहा था

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समय ऐस ही बीता जा रहा था गाव म तो सख- ख भी ऊघत ए आत ह परबा बह याप छया हवा को भी बहकर नकल जान क ज द नह होती सबह गाव क कसी टोलस नकलकर मदान क तरफ घास चरन जाती बक रय और शाम को चारा चरकर वापसजगल स घर लौटती गाय क अ हड़ चाल आपको बता दगी क यहा जीवन क अ धकतमग तसीमा कतनी होगी गाव म कछ दन बीतन म ब त दन लग जात ह गाव म मोबाइलनटवक और डश एट ना तो आ गया था पर अभी गाव इटरनट क पीड पर सवार नह

आ था गाव र शा बलगाड़ी साइ कल और मोटरसाय कल स ही चल रहा था अभीउसक चाल म गगल का सच इजन लगना शष था इस कारण चाय-पान कान क बठकम चौपाल क बतकही म हर मनट आ रह नए-नए समाचार का कबाड़ जमा नह होताथा आसपास घट परानी घटनाए भी महीन साल चचा का वषय रहत गाव म अब भीहाल-समाचार का ही चलन था यज का नह

आज मरारी क चाय कान बद थी वह अपन सात वष क बट को लकर डॉ टर कोदखान शहर गया आ था पछल तीन साल स बट क लीवर सबधी बीमारी को लकर वहअ सर डॉ टर क पास जाता था उसक जीवन म बट क यह बीमारी बड़ क का कारणथी अब तक लाख स भी ऊपर खच कर चका था मरारी हमशा बोलता भी रहता था सालाहम अपन लए कहा कमात ह न ही अपन बाल-ब चा क लए हम तो डॉ टर क लएकमा रह ह जो कमाना ह सब समटकर उसी को दना होता ह

मरारी क चाय कान बद होन क कारण आज सबह क मज लस सड़क क उस पारएक सरी कान पर जमी थी उस कान पर बठन क व था नह थी जगद श यादव नसबक लए हाफ-हाफ चाय ऑडर क

सब चाय क गलास उठाए और वह कान क सामन गोला बना खड़ होकर ग प करनलग जगद श यादव न पहली घट क साथ ही महीनभर पराना क सा पनः याद कर उठालया

ldquo बर चया और मध का काड भी गजब आ था थान म बचारा बीडीओ सन रह हक ासफर करा लया अपनाrdquo

ldquoवह मध वाला कस म गलती ल कन बीडीओ का ही था जगद श दा गाव क इ जतक लए फकन बाब को मध का प लना था उसम बकार बर चया को भी उतना पीटा-मारा दरोगाrdquo बजनाथ न एकदम स कहा उसक यह कहत ही जगद श यादव गम कप सह ठ लगा बठ थ अचानक स बजनाथ क तरफ दखन म उ ह न कम-स-कम बजनाथ स

इस बात क उ मीद नह क थीldquoल कन सन क बर चया और मध का कछ च कर था शायद उह च कर म तो गया

था साथ म ई थाना और लात खाकर आया फकन बाब तो सारा बात बताए सबको अपनआर परrdquo लड डन मया न गम चाय क एक जोरदार सड़क क बाद कहा

ldquoएकदम गलत बात ह लड डन मया दादा बोलती ह मध बर चया को या फालतबात उठात ह आप कसी पर बना जान मत बो लए फकन बाब को गलत जानकारी हइसका मतलबrdquo बजनाथ न कड़ स लड डन मया को टोका

ldquoहम बस सन ह वही बोलrdquo लड डन मया क मह स नकलाldquoसन तऽ हम भी ह क आप गाय काटत ह घर म चमड़ा बचत ह उसका प क तान

स पसा आता ह आपको बो लए या बात हrdquo बजनाथ न लहरकर कहाldquoभ क अ ला कसम यार झठ बात एकदम छोड़ो भाई हमको नह मतलब का

सही का गलतrdquo लड डन मया न इस अ या शत मनगढ़त हमल स हड़बड़ाकर झट सबकफट पकड़ लया

ldquoदख समझ आ गया न सना आ बात का मतलबrdquo बजनाथ न अबकखल खलाकर कहा

जगद श यादव अभी तक बस लगातार बजनाथ को ही दख जा रह थ बजनाथ भीजगद श यादव को दख ह का म क मार द रहा था असल म अपन बरस -बरस क बठकम जगद श यादव न पहली बार कसी बात पर बजनाथ को फकन सह क कोई गलतीनकालत दखा था

ldquo या बात ह र बजनाथ त हारा तबीयत तो ठ क ह ना या बोल रह हो आज अलर-बलर गाजा उसी क साथ तो श नह कर दए न तमrdquo जगद श यादव न कट ली म कानक साथ पछा

ldquo कसक साथrdquo बजनाथ क मह स बरबस नकलाldquoअर बर चया सगrdquo जगद श यादव न कहाldquoअर दादा जब तक आप ह सरा का ज रत नह ह हमको आप क रहत आज तक

कोई कमी नह आ हrdquo बजनाथ न जगद श यादव क शान म कहा जगद श यादव नसनत ही पहल तरत अगल-बगल और पीछ तीन दशा म दखा क कसी न उनक यहयशक त सनी तो नह

ldquoअर चप साला डायर ट ही सब बात काह बोलन लगत हो सड़क पर यार यहबताओ ना क या बात ह आज पहली बार बर चया को सही बता रह हो तम मदrdquo ह काझपकर फर मल पर आत ए बोल जगद श यादव

ldquo बर चया को सही नह बता रह ह हम तो बस सही को सही बता रह ह और अगरआपक साथ बठकर ब ढ़या स दशी माल का एक-दो स टा टान दए तो गलत को गलत भीबतान लगग होश म त नक डर लगता ह दादा आप तो सब जानब करत ह होश म भला

कौन सच बोलन का ह मत करगाrdquo बजनाथ न चाय क आ खरी घट म ठहाका मलात एकहा

ldquoमतलब त हरा तो आज हम बात ही कछ नह समझ पा रह हrdquo जगद श यादव नहाथ म गलास धर ए ही पछा इस पर बजनाथ मह घमाकर म करा भर दया

ldquoच लए अब नकला जाए ब त दर हो भी गया खड़-खड़ ब तयातrdquo जगद श यादवन मह फल क शमा बझात ए कहा उनक कहत ही लड डन मया न बगल ही खड़ी अपनीसाइ कल का ताला खोला बजनाथ को जगद श यादव न अपनी बाइक पर बठाया औरवहा स अपन घर क ओर नकल आए

ldquoहमको हमर घर पर उतार द जए ना जगद श दा हमको कहा लकर जा रह हrdquoबजनाथ न चलती बाइक पर पीछ ट ल वाल क रयर को दोन हाथ स कस क पकड़ एकहा

ldquoअर चलो न मद बड़ा हड़बड़ करत हो घर जान का पहल परा बात खोल क बताओतम ऊ मध और बर चया वाला तब जान दगrdquo इतना कह जगद श यादव न हनमान जी कचबतर क पास बाइक रोक द बाइक कत ही बजनाथ लगी समटकर नीच उतरा जगद शयादव उतरकर चबतर पर पालथी मार जा बठ और सामन चकमक क म ा बना बजनाथभी बठ गया जगद श यादव न अपनी पट क जब टटोली और उसम स एक मरझाई-सीछोट सगरट नकाली ऊपर क जब म मा चस थी

ldquoलो ई पीयो और फटाफट भीतर का धआ बाहर करो बताओ या मटर ह बीडीओऔर मधआ का या फर हrdquo जगद श यादव न सगरट जलाकर बजनाथ क ओर बढ़ात

ए कहाldquoफर या होगा कोई फर नह ह सब हरामीपती बीडीओ का ही ह मध क साथ

गलत काम कया अपना गाव सम झए तो साला एकदम बपानी हो गया ह गाव का लडीसको कोई बाहरी अफसर छड़खानी कर दया और हम लोग क मह स बकार तक नहनकला एक श द नह बोला कोईrdquo बजनाथ न पहला कश लकर सगरट को अगठ औरतजनी क बीच म धर ए कहा

ldquoहा बात तो ठ क बोल तम ल कन यह भी तो दखना होगा क गाव क लड़क -लडीसका चाल-च र कसा हrdquo जगद श यादव न सामा जक चतन चताय भयकर ता कक

त या द ldquoहो तो आपको लगता ह क मधवा का च र खराब ह ऊ खलाड़ी लड़क हrdquo

बजनाथ म इस बार सगरट का धआ छोड़त ए थोड़ा त खी म खासत ए कहाldquoहा तो साला काह नह लगगा जा क असली बात फकन बाब को पछो काशी साह

को पछो बदरी बाबा स ही जाकर पछ लो सब या गलत बोलगा और मध का मरद तबउसको काह छोड़ गया यह सब सोचन वाला बात ह क नह फर इसका बरची सहलमल दखत हो इसक खा तर थाना म लात खा लया वाह र मजनrdquo जगद श यादव न

अपन अदर क सारी सामा जक चतना उगलत ए कहाldquo छः- छः जगद श दा महाराज आप तो ऐसा मत बो लए दादा स नए दादा हमको

भी यही सब लगता था ल कन हम भी ब त-कछ पता कए तब जान क कौन कसाआदमी ह और थाना तो ई लोग कामता बाब क पगलवा बटा शखर जो द ली म पढ़त-पढ़त पगला गया उसी क सनका दन पर गया था छो ड़ए ई सब बात ब त पोल ट स हइसम भी बाक फकन बाब का अलग बात ह ऊ जो भी बोलगा भाई उसको क गलतबोलगा चाह बदरी बाबा हो या काशी साह चाह हम या आप भी महाराज तऽ इसपसोचना बकार हrdquo बजनाथ न लगभग जल चक सगरट को जगद श यादव क तरफ बढ़ात

ए कहाldquoऐसा भी बात नह ह अ छा छोड़ो न ई बताओ क या पता कए हो कामता बाब

क लड़कवा कछ पोल ट स खला ह या साला दखन म ही हमको बड़का शा तर लगताह अभी महीना- महीना पहल शायद एक दन दख थ उसको चौक पर अब तो शायदगया द लीrdquo जगद श यादव न कहानी म एक नए पा क भ मका को था पत करत एकहा

ldquoनह हमको यह सब नह पता क कौन या पोल ट स खला हा ल कन बाप र ऊलड़का जानत ह मा टर साहब क कोख म पता नह कौन पागल ज मा ह हो हरदम नारी-नारी लडीस-लडीस करत रहता ह या तो बोलता ह क कौन तो नारी का लड़ाई होगा हमलोग लड़ग औरत को मद स छड़ाना ह मद का बात नह सनना ह नारी को यही सबअड-बड बकर-बकर करत रहता ह पता नह कौन नारी को पकड़ दख लया ह एक दनकह रहा था क गाव म हम लोग अपनी औरत को घर म कद करक रख ह कहता थाऔरत को गलाम बनाकर रख रह ह हम आप मन साला लोग क घर-प रवार तोड़न वालाजहर फला रहा खलआम हर ब तया म लडीस-लडीस ही करत रहता ह एकरा अप कोईचता ही नह कसा मद ह बताइए मरारी क माय तऽ बोली क हमर पतो क कछोसमझाए आया तऽ मार झाड गोड़ तोड़ दगrdquo बजनाथ न मन-ही-मन शखर का चहरा यादकरत ए बताया

ldquoसाला ई कौन ल डसाहा पढ़ाई ह र भाईrdquo जगद श यादव भी अचरज म बोलldquoपता नह दादा बरची ही बोला क शखर नारीवाद लड़का ह अब आप ही बताइए

क साला मा टर साब इतना पढ़ाए- लखाए द ली भजकर पढ़- लखकर नौकरी नहखोजन का तऽ नरवाद बन हrdquo अबक बजनाथ न अपनी ओर स कामता बाब क अभागचहर क क पना करत ए कहा

ldquoहा ल कन ई सा ला कोनो बीमारी होगा यार बजनाथ नह तऽ इस तरह कोई जसहो क लडीस क लए काह एकदम झ का जाएगा ई स लता ह बदशी माल फक रहा हद ली क सगत मrdquo जगद श यादव इ मीनान स चबतर पर लटत ए बोल

बजरगबली चबतर पर जगद श यादव और बजनाथ मडल नारीवाद क वमश को नयाकयामती आयाम दत-दत दो सगरट फक चक थ इस वमश क सा ी वय हनमान जी थ

जो सामन खड़ थ और उनक म त क पर क पास ही लखा आ था ldquoकपया ल डज कोम त नह छना हrdquo ऐस प व थल पर नारीवाद क ताजा वमश न एक नया अथ हण करलया था आग क चचा को अब बीड़ी क भरोस चलना था जसका जगाड़ वहा स गजर रहगणशी महतो को हकाकर जगद श यादव न कर लया था गणशी न मनटभर हाल-चालपछा और जब स मट ठाभर वाली बीड़ी क बडल स छह बीड़ी नकालकर द द औरसाइ कल म पडल मारता खत क तरफ चलता बना इधर दोन अब पर-हाथ पसार और भीआराम स लट चक थ जगद श यादव न कपार क नीच गमझी रख लट ए पल-दो पलआख बद करक कछ सोचा और फर म करान लग

ldquo या आ जगद श दादा मन-मन म कया या रह हrdquo बजनाथ न उचककर पनःउठकर बठत ए जगद श यादव क म क का गहरा राज पछा

ldquoऐस ही बस एक बात समझ म आया ह मन म दखत हो न कामता बाब कमभीतरघ ा ह का ऊ मह स मीठ ह खाली भतर पोल ट स क लाल मचा ठसल ह उसकई ह जात क भ महार और फकन सह राजपत मन-मन तो दोन जात म टसल रहब करताह हम तो श स दख ह बर नया टट म तऽ एक जमाना खब गोली चला राजपत-भ महार क बीच ई अपर का ट लोग का साला अपना लड़ाई चलत रहता ह तम दखत होन क बरागी पडी भी न क बो फकन सह क बड़ाई करगा न क बो कामता मा टर का औरन ही कामता मा टर कभी भी फकन सह का अ छाई बोलगा अब डायर ट तो कामतामा टर का औकात ह नह क फकन सह को कह भी नीचा दखा सक उ ह को नीचादखान म अपना बटा को द ली पढ़न भज दया दख कर सक अब वही लड़का मौकामलत ही बचारी एक गरीब का लड़क को ह थयार बनाकर थाना प लस का खल खलवादया भाई अब ई सब जानता ही ह क अगर बीडीओ को जल होता तो फकन सह का भीतबा तो डाउन होता हीrdquo जगद श यादव न एकदम ज गा जासस वाल अदाज म कहा

ldquoह म हो भी सकता ह भाई ऊ लड़का साला लडीस को ह थयार या कछो बनासकता ह र बाप यही तो खाली करता ही ह उrdquo बजनाथ न जगद श यादव को ब त यानस सनन क बाद आख खोलकर कहा

ldquoहा ल कन हम लोग को यही बड़बक नह करना ह हम लोग को यह नह सोचना हक हम यादव ह तो तमस बड़ा ह और तम तली हो तो हमस छोटा हो य सब पराना मा यताको साइड रखना होगा अब तब ई अपर का ट स लड़ सकोग बजनाथrdquo महावीर जी कचबतर पर एक नए समतामलक पथ क थापना करत ए जगद श यादव न कहा इतनीदर स चल रही बातचीत म पहली बार बजनाथ का इस बात पर यान गया क चबतर कसमान ऊचाई पर साथ-साथ बठ रहन क बाद भी उसका थान जगद श यादव स छोटा ह

य क वह तली था ल कन उसन खद को छोटा माना नह य क अभी-अभी जगद शयादव न ऐसा सोचन स मना कया था और छोट को हमशा बड़ क बात माननी चा हएइस ही तो अ छ स कार कहत ह जा हर ह स कारवान समाज म बड़-छोट का फक औरउनका यह लहाज तो रहना ही चा हए तब स बीड़ी- सगरट सग मोटा-मोट यही म यवान

श ा हण कर अब बजनाथ जान क लए खड़ा आ उस अब जाकर याद आया क घरपर बगल क गाव ह दया स कछ लोग गाय खरीदन आन वाल थ उसक यहा

ldquoहम चलत ह अब दादा ाहक आया होगा ार पर माल-जाल बचना ह चतकबरीगया बच रह हrdquo बजनाथ न चबतर स उतरत ए कहा

ldquoअर तम भी साला बजनाथ कतना गाय बचकर खाओग पाप का ढर जमा कर रहाह तमrdquo जगद श यादव न भी चबतर स नीच आ हसत ए कहा

ldquoगाय बचकर खा रह ह ईमान बचकर तो नह कौन पाप बड़ा ह जगद श दाrdquoबजनाथ न बोलकर गमछा सर पर बाध लया

ldquoईमान बचन वाला तऽ बचा रहगा ल कन गाय बचन वाला नरक जाएगा र बजनाथrdquoजगद श यादव न जोर स हसत ए कहा

ldquoअर तो हम तो खती- कसानी खा तर और धा मबशी बचत ह महराज कोनोचमड़ा बयपारी को थोड़ बचत ह गाय काटन क लए और हमार पास ह ही कतना माल-जाल अब पजी और मबशी नो तऽ चोर ल गया पछला चोरी मrdquo बजनाथ न बनाम कराए य ही कहा

ldquoअर हा याद आया सन तमको तो बड़का फरा लगा कतना का नकसान आ होगामोटा-मोट rdquo जगद श यादव न सनी-सनाई बबाद क आकड़ को क फम करन लएगभीरता स पछा

ldquoदादा मोटा-मोट या सम झए टोटल बबाद हो गए थ तीन नया चकचक धागाय और गा भन भस सात बकरी एकदम अगना स हाककर ल गया चोरrdquo

ldquoओह कौन था चोर लोगrdquo जगद श यादव न वाभा वक ज ासा स पछाldquoमन दखत तऽ ल जान दत गजब बात ह हम का जान क चोर था महराजrdquo

बजनाथ न मडी हला क कहाldquoसाला गाव का ही होगा या तो चमरौट का लड़का लोग होगा या फर म जद टोला

वाला लखरा सबrdquo जगद श यादव न अपन मन क बात स अदाजा लगाकर चोर का पतादया

ldquoपता नह कौन था हम तो मझला साला क बहा म ससराल गए थ बस एक राततक घर खाली छोड़ थ आए तो खाली ही मला सालाrdquo बजनाथ न बीती ई कसक कसाथ कहा

ldquoबड़का घाटा लग गया होगा तमको भाई बजनाथrdquo जगद श यादव न अब जा कक फम होत ए रोमाचक अफसोस क साथ कहा

ldquoपरा पजी खतम था याम जी मोद स कजा लन गए तो साला याज ही इतना लताह क नह पार लगता हमस फर फकन बाब क आग-पीछ भी कए एक ठो ख सी काट कमास बच आधा और आधा फकन सह को खला दए ल कन कछ मदद माग तो बोलपसा अगला महीना लना अभी बल फसल ह लॉक मrdquo बजनाथ न ह क आवाज म

कहाldquo फर कस बब था कए कछ अर हमको कहत तम कछ तो मदद कर ही दत हमrdquo

जगद श यादव न टल चक सम या पर राहत क साथ कहाldquoभगवान क कपा स काम हो गया नह तो आपस तो सोच ही थ कहन काrdquo

बजनाथ न कज लन क अपनी पछली योजना को बतात ए कहा जगद श यादव कोबजनाथ क इस भयकर योजना क क सल हो जान का डम कल सकन मला ल कनआ खर उनक ह स म यह राहत कसक कारण आई ह यह जानन क उ सकता बढ़ गई

ldquoकौन सभाला त हारा कामrdquo जगद श यादव न पछ ही दयाldquo व ास क रएगाrdquo बजनाथ न थोड़ी-सी म कराहट क साथ कहाldquoअर बोलो ना कौनrdquo जगद श यादव न झझआकर पछाrdquoldquoचोरी क ठ क दन बाद ही हम खत स आ रह थ रा ता म बर चया मल गया

हमको टोक दया हम सोच क ज र ई साला चोरी क बार म कछ जानता होगा यहीच कर म हम तनी क क ब तयान लग वह भी सब ब तया बड़ा खोद-खोद क पछन लगाइसी गपशप म हम अपना खराब हालत भी बता दए दादा आख म लोर आ गया हमरrdquoबजनाथ कहत-कहत शायद अब भी थोड़ा भावक-सा हो गया था जगद श यादव न बड़ीसहानभ त स उसक कध पर अपना दा हना हाथ रखा धीर स

ldquoओहो तब तो ख सनकर हरामी मजा लया होगा हम तो समझ ही गए थ क ऊभी होगा चोरी म तम भी उसको इतना ब ढ़या स जानत हो फर भी या ज रत था उसकसामन ख रोन काrdquo जगद श यादव न व सारी बाक बात खद ही अपन स ही समझत एकह डाल जो अभी बजनाथ न बताई भी नह थ

ldquoहा इतना ब ढ़या स नह ना जानत थ हम हम तो छो ड़ए कोई नह जानता ह आपभी नह rdquo

ldquoगाय काटता ह या ई साला धरम नाशक ह ही जलाल मया का साथ पकड़ाहोगा उसी का ह चमड़ा का धधा तब ना गाव-दहात स इतना गाय का चोरी बढ़ गया हइसका सकदरपर म भी खब बठक ह आजकल चम ड़या प ह ई सबकाrdquo जगद शयादव क अदर क गाय माता न रभात ए आ ोश म कहा

ldquoअर गाय काटता नह हमारा नाक कटन स बचाया ना रयल ऊपर स कड़ा औरभीतर स पानी होता ह दादा आप तो इतना उ टा-प टा सोचकर बठ ह क अब हम याबोल आगrdquo बजनाथ न हाथ चमकात ए कहा

ldquoमतलबrdquo जगद श यादव अबक च क कम और झप यादाldquoअर वही जवान जबरद ती हाथ धर क प ब र क पास ल गया हम ना-ना करत रह

नह माना कहा काका जसा ह आप आपको पसा का ज रत ह ना हम दलवात ह नाहम भी साला हालत स मजबर चल दए उसक बाद तो प छए मत प ब र तो और सोनाआदमी ह दादा बना याज पसा दया आज तक कसी को कहा भी नह क हमको कजा

दया ह कोई एहसान नह जताया बताइए अब आप कसा आदमी ह यह लोगrdquo बजनाथन जगद श यादव स एकदम सटत ए कहा

ldquoभाई अब त हारा मदद कया ह त हार लए तो ब ढ़या ही आदमी समझोrdquoजगद श यादव न धीमी आवाज म थक ए धावक क तरह कहा जसक मन का घोड़ा नजान कहा-कहा स दौड़कर वापस आ अभी थर खड़ा हो गया था

ldquoखाली हमार लए नह मरारी जो अपना बटा को ल इलाज करान गया ना उसम भीकछ पसा मदद कया ह प ब रrdquo बजनाथ न एक और नई बात बताई

ldquoबाप र ई तो चमरौट म राजा कण आ बसा ह भाई लो चलो अब चला जाए ब तलट तक फालत बठ गए आज ज द जाना ह हमको प ब र तऽ पानी का पसा कमाकरलाया ह लटाएगा ही या चता ह उसकोrdquo जगद श यादव मह बचकाकर बोल और सीधबाइक पर जा बठ चाबी लगात कक मार बाइक टाट कर द

वो बजनाथ को छोड़ नकल ही जात ल कन तब तक म तद खड़ा बजनाथ कदकरपीछ बठ चका था जगद श यादव न दना-दन गयर बदलत ए बाइक को र तार धरा द

ldquoतनी घर तक छोड़ द जए न हमको दादाrdquo बजनाथ न जोर क लगी क स उछलतए फ रयाद वर म पीछ स जगद श यादव क कान क पास मह ल जा कहा

ldquoहमको जरा ज री काम स जाना ह उतरो उतना अदर त हार गली तक नहजाएग यही मन रोड पर छोड़ दत ह जगद श यादव तब तक क बाइक पनः बढ़ा चकथ बजनाथ हड़बड़ाकर कदत ए उतरा उतरकर पगडडी धर चलत ए उसन शट कऊपरी जब स खनी नकाली और उस रगड़त ए मन-ही-मन बार-बार राजा कण क छ वको याद करन लगा उसन शायद कभी महाभारत धारावा हक क दौर म इस दखा था पर वयाद धधली-सी हो गई थ वो राजा कण का चहरा याद करन क को शश कर रहा था परउस बार-बार प ब र का ही चहरा दख जाता जान-अनजान ऐस ही तो छ वया गढ़ जातीह आज अच क म ही जगद श यादव बजनाथ क मन म नया कण छाप गए थ

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आज एकदम सबर-सबर बदरी म सर दह पर बस धोती-गमछा लपट प षो म बाब कदरवाज प च गए थ माथ स सरस तल रसकर कनपट पर आ रहा था गल म मोबाइललटका आ था जसका फ ता उनक गल क ा माला क धाग स लटपटाया आ थाबदरी म सर क गल म अभी वद और व ान दोन लझबझाकर गथ-स गए थ दरवाज परप च बदरी म सर दोन हाथ लगा ा क धाग स मोबाइल का फ ता छड़ान लग कमरक धोती म आज का अखबार ख सा आ था मनटभर क मश कत क बाद उ ह न गदनस मोबाइल नकाला और एक हाथ म अखबार ल प षो म बाब क दरवाज पर आवाज दनलग आवाज सनकर लटक भडारी नकलकर आया जो पीछ गमल म पानी द रहा था

ldquo या जी कहा ह प षो म बाबrdquo बदरी म सर न उस दखत ही पछाldquo णाम बाबा बाबा मा लक तऽ सतल ह अभीrdquo लटक न प षो म बाब का करट

टटस अपडट कयाldquoकब तक सतल रहग अब जगन समय हो गया उठाओ उठाओ मरद उनकोrdquo

बदरी म सर न ल णा म कहा पर लटक को बात सीधी अ भधा म ही समझ आई थी वहबदरी म सर क तरफ कस सरकाकर अदर प षो म बाब को दखन गया बदरी म सरधोती को ह का ऊपर ख च दोन पाव कस पर चढ़ा समटकर बठ गए अब अखबारकमरबद स नकाल हाथ म लए ए थ एक हाथ स मोबाइल पर कछ दख रह थ नपर कछ नीली-हरी ब ी जलती और बझती असल म इस दौर म सामा य स वधा वालसाधारण मोबाइल पर गाव-क ब म आदमी दनभर या तो साप वाला गम खलता था याटप- टप- टप- टप कर नटवक जाच करता रहता था बदरी म सर अभी शायद यही कर रहथ तभी लटक अदर स अपन मा लक क सचना लकर आया

ldquoमा लक जग गए हrdquo यह बोलकर लटक सामन पौध म पानी दन लगाldquoऐ ई मोबाइल काह नह लगता ह जी प षो म बाब का नबर सही फट ह न हमार

पासrdquo बदरी म सर न एक नजर मोबाइल और सरी नजर लटक पर डालत ए कहाldquoअर बाबा टावर नह होगा मा लक तो सतल थ नबर कस लगगाrdquo लटक न

टलीकॉम वशष क भा त बताया गाव-दहात म अ सर नटवक को गाव क भावशालीआदमी क सग ही सतना-उठना होता था जसा क अभी लटक न बताया

ldquoभ क मरद टाबर तऽ पकड़ ही रहा ह यह दखो तीन ठो खट ट दखा रहा ह फोनबद होगा प षो म बाब काrdquo बदरी म सर न ब त व ा नक अदाजा लगाया

ldquoफो स खट ट ह आपका टाबर पकड़गा तो द खए हमार जसा हरा ब ी जलगा

आटोम टकrdquo लटक न जब स अपना फोन नकालकर दखात ए कहा गाव म मोबाइलऔर नटवक को लकर इस तरह क गप कड़ी चलती रहती थी इ ह रोजाना क मौ लकमाथाप ची का कमाल था क बना क यटर पढ़-पढ़ाए ही भारत क गाव-गाव म एक जबरातकनीक वशष पीढ़ पदा हो गई जो आग चलकर ड जटल इ डया वाली ा त काआधार बनन वाली थी

तभी प षो म बाब लगी कस गमछ स मह-हाथ प छत अदर स बाहर बरामद मआए

लटक न कदकर कस लगाईldquoपरणाम परणाम प षो म बाब ब त दर सत आज अब स तए मत जगन का

समय आ गयाrdquo बदरी म सर न दखत ही कस पर स पाव नीच कर हाथ जोड़त एजोरदार अ भवादन क साथ कहा

ldquoअर नह म सर जी हम तो सय दय स पहल उठ जा रह ह आजकल बड़ा ब ढ़यासाधना ट भी पर एक रामदव बाबा आता ह योग करता ह बड़ा अ छा चीज हकपालभा त अनलोम- वलोम हम तो वही सब कर लत ह आधा घटा बड़ा श रहता हमाइडrdquo प षो म सह न कस पर आराम स बठत ए कहा

ldquoली जए आप ट भी पर योग दख रह ह यह कौनो रामदव बाबा का लाया आ चीजथोड़ ह प षो म बाब अर यह तो लाख बरस स ाचीन टाइम क काल स हमार पवजकरत आ रह ह आज भी उ ह लोग का कया आ यह असर ह क हम लोग योग नह भीकर पात ह तब भी फट-फाट ह एकदमrdquo बदरी म सर न योग क इ तहास उसकआ व कार और त ापन म अपन पवज क योगदान और उन पवज क कए योग कावा य पर आज तक पड़न वाल थायी चरयगीन असर जो लोबल वॉ मग स भी पराना

था आय म इन सबको रखा कत करत ए कहा मगल का जमा खजाना ख म हो गयाउनक हीर-जवरात पता नह कहा गए कसन उ ह बच खाया कौन लटकर ल गया ल कनबदरी म सर क पवज ारा जमा योग का असर स दय स आज तक उनक पदा होतीन ल पर था बदरी म सर न आज सबर-सबर जीव व ान को इतनी बड़ी चनौती द द थीक जीव बनान वाल ा का यान अगर कभी भी भग आ होगा तो वह आज बदरी बाबाको ही सनकर आ होगा प षो म सह को तो लगा उनक पवज कम न रह जाए उ ह नभी तड़ाक स कहा ldquoअर भाई हमारा तो परा पवज ही पहलवान था यो ा था कसी सनह दबा कभी आज तक भी दख ली जए पवज क कए का असर तो रहता ही हrdquo

बगल म खड़ा लटक मन-ही-मन अपन पवज को कोस रहा था lsquoसाल कछ ब ढ़याकरक नह गए कची चलावत रह जदगीभर तब न आज हमारा ई हाल ह राजपत-बाभनका पवज ही मामला तगड़ा सट करक चला गया तब न सख भोग रहा ई लोगrsquo यहीसोचत-सोचत बचारा भीतर स चाय लान चला गया अगल मनट चाय आ गई

ldquoअर योग करक तरत चाय नह पीना चा हए जाओ पानी लाओ हमार खा तर घरक औरत को भी कछ पता तो होता नह ह ओहrdquo प षो म सह न कप लत ए लटक

स कहाldquoअब योग छो ड़ए और कसरत का तयारी क जएrdquo बदरी म सर इतन म म क

मारकर कहत-कहत गम चाय क दो घट मार भी चक थldquoकौन बात का कसरत महाराजrdquo प षो म सह न पर स लगी ऊपर समटत ए

पछाldquoअखबार दख आज काrdquo बदरी म सर न सग लाए अखबार का प ा खोलत ए

दखायाldquoली जए अर जर पचायत चनाव का तारीख घो षत हो गया हrdquo बदरी म सर न

कग यज सना द थी यह सनत ही प षो म सह कस स उठकर थोड़ा आग आए औरबदरी म सर क हाथ स अखबार लया

अखबार लत ही बाए-दाए एक नजर दखा और आवाज लगाई ldquoअर लटकआ ऐलटकrdquo

इतना सनना था क तब तक तो लटक उनका च मा ल अदर स आ चका था यहउसक दनचया ही थी क जस ही प षो म बाब क हाथ कोई भी कागज-प र या अखबारदखता तो दौड़कर पहल च मा ल आता और तब तक वह बगल म खड़ा रहता जब तक कप षो म बाब हाथ लए कागज या अखबार को पढ़ च मा वापस उसक हाथ म न रख दप षो म बाब अभी बड़ यान स अखबार म छपी खबर पढ़न लग बगल खड़ा लटक भीगदन लबी कर झाकन लगा खबर सबक लए ज री और उ सा हत करन वाली थी परगाव-पचायत क खा तर ब त मह वपण समाचार लकर आया था आज का अखबार भारतएक सश लोकत था और चनाव लोकत का सबस बड़ा महापव यह बात य ही नहकही जाती थी चनाव एक उ सव था एक योहार थाmdashभारत क गाव इसक सबस बड़उदाहरण थ उसम भी खास करक पचायत चनाव नए अमीर-परान गरीब छोटा-बड़ाशोषक-शो षत पीड़क-पी ड़त म हला-प ष ककर- बलाई सब म एक साथ-सा उ साहहोता चनाव को लकर म दर-म जद म चौपाल नय मत हो जाती चाय कान पानकान पर भीड़ बढ़ जाती हर लोकत म वोट क प म अपन क मती होन क

एहसास स भर जाता और अपना अ धकतम म य तय करक रखन लगता लड़क अपनीबाइक झाड़-प छकर तयार कर लत राजनी तक चतना स भर य यवा बाइक क टकसखाकर सीट पर बठ या शय क राह तकन लगत सभी जा तय क एक- सर सलाभदायक री बन जाती और अपनी जा त क बीच आपसी बध व क भावना बढ़ जातीइसम सभी जा तय क लोग अपना-अपना एक ठ क-ठाक सयाना सरदार खोजकर तयारकर लत जो वोट खरीद- ब क मडी म उनक ओर स लन-दन क मह वपण भ मकानभा सक गाव का गाव और उसका समाज छोट-छोट जातीय कबील म बटकर चनावीउ सवध मता म बड़ हष और हो शयारी क साथ भाग लन को तयार हो जाता राजनी तकचतना क लहाज स दश क महानगर इन गाव क मकाबल कह नह ठहरत थ राजनी त नइस म क क गाव को पता नह या दया ल कन इन गाव न राजनी त को यह ब त ठोस

भरोसा दया क चाह हम हर बार भल ठग जाए पर हर नए चनाव को हम गाव पनः नईउ मीद स दखग और नई म य दर पर सलटग और शायद इसी भरोस का तो फलसफा थाक भारत म लोकत आज भी न त होकर रहता लोग अपना सबकछ लटाकर भीलोकत को बचाए ए थ लोग न इस लवल क कबानी द थी इस दश क लोकत कोबचाए रखन क लए कबानी का लवल आज तक मटन था

ldquoडट बड़ा ज द द दया ह चनाव का अगल महीन क आ खरी म ही हrdquoldquoअर डट का या ह अगल महीन को हो चाह आज ही हो जाए चनाव का रज टवा

तऽ तय ही न ह अबक न वरोध बजता फकन सहrdquo बदरी म सर न चनाव प रणाम परशत- तशत जीत वाला सबस तज ए जट पोल द दया था

ldquoऐसा भी नह ह म सर जी इल शन कोई भी आसान नह समझना चा हएrdquoप षो म सह न दोन पाव कस स नीच लटकाकर हलात ए कहा

ldquoप षो म बाब पछला चनाव भल जाइए अबक माहौल सरा ह कोई वरोधीनह फकन बाब का ताप भी बढ़ा ह इतना दन म बना धान बन भी तो पचायत का हरकाम कया ह य आदमीrdquo बदरी म सर न जीत का रा ता साफ करत ए कहा

ldquoराजनी त म जो न त हो जाता ह वह चत हो जाता ह या माहौल ह यह तो आजस पता चलगा अभी तो चनाव का डट आया ही हrdquo प षो म सह न ह क म कराहट कसाथ कहा

मलखानपर पचायत का प रसीमन इस कार था क मलखानपर स महज दोकलोमीटर क री पर नद क उस पार थत सकदरपर गाव भी उसी पचायत म आताथा इस तरह स य दो म य गाव थ पचायत क और इन दोन गाव क बीच भी कछ छतर

ए टोल थ जहा नामभर क आबाद थी सकदरपर म म लम आबाद थोड़ी यादा थीऔर ह कम तथा मलखानपर म ह यादा थ और म लम गनती क कछ घर दोन गावक बीच लबालब नद होन क बावजद जब-जब चनाव आता गाव म आग लग ही जाती थीमलखानपर पचायत म जब-जब भी मकाबला होता तो इ ह दोन गाव क उ मीदवार कबीच सीध तौर पर होता था पछल दो दशक स सकदरपर स कोई म लम उ मीदवार हीखड़ा होता और मलखानपर स एकमा उ मीदवार प षो म सह क खानदान स इनमबाजी अ धकतर प षो म सह क ही हाथ लगी थी पछल चनाव म मकाबला काट का थाऔर सकदरपर क उ मीदवार असलम मया न मलखानपर क कछ ह वोट पर भीसधमारी कर द थी ऐसा लग रहा था क प षो म सह क बट फकन सह क हार न होजाए ऐसी हालत म मलखानपर स लकर सकदरपर तक क बथ पर दोन तरफ स जमकरतमाशा आ कह -कह मारपीट भी ई असलम मया न नजद क ट कर म हाथ आईजीत को नकला दख चनाव म धाधली क शकायत रा य नवाचन आयोग स कर द इसबाबत कछ सबत भी पश कर दए नतीजा यह आ क इस मौक पर फकन सह कानवाचन रद द कर यहा चनाव आगामी कसी तारीख तक नल बत कर दया गया तब सलगभग दो साल क बाद यह मौका आया था जब रा य क कई छट और र सीट पर

पचायत चनाव होन थ इधर असलम मया क पछल साल ही दयाघात स मौत हो चकथी और उसका बटा सालभर पहल ही गाव छोड़ मबई कमान चला गया था इस बारसकदरपर स कसी कड़ उ मीदवार क सभावना त काल नह दख रही थी

पचायत चनाव म राजनी तक दल क च कम नह होती थी चनाव नदलीय प तपर लड़ जान क बाद भी हर उ मीदवार क पीछ कोई-न-कोई दल ज र अ य प सखड़ा रहता था असलम मया परान क य न ट रह थ जब क प षो म सह का खानदानदादा जमान स हसाबी रहा था दल का चयन काल और प र थ त क हसाब स करता थावतमान म अगर दलीय राजनी त क लहाज स दखत तो मलखानपर पचायत भतरामपरवधानसभा क अतगत आती थी यहा स नवतमान वधायक सतदर स यवाद थइ ह न अपन वप ी भवन र साद भावक को हराया था फकन सह वतमान वधायकका ही समथक था वस भी आदमी का भ व य वतमान क ही साथ रहन म होता ह

इधर अखबार पढ़ प षो म सह क दरवाज कछ और लोग सबह टहलत-घमत आचक थ अब तक तीन बार चाय क दौर चल चक थ लटक सबक खाली कप समट ही रहाथा क तभी धल उड़ाती सफद बोलरो आकर खड़ी हो गई फकन सह आ गया था वहादरवाज पर बठ खड़ सभी लोग चहक उठ फकन सह को दखकर फकन सह अब कवलएक भावशाली ढ ठ ठकदार और गाव का अघो षत नाजायज म खया नह था ब कसवधा नक तौर पर धानी क पद का एक जायज उ मीदवार होन वाला था

ldquoआइए आइए हो-हो हा-हा आहा आइए मन तऽ कर रहा ह क अभीए मालापहना दrdquo बदरी म सर अवध उ साह स भर बोल

ldquoपहल इनको असली बात तो बताइएrdquo पड़ोस क ब ल न म कराकर खनी बनात एटोका

ldquoअर हमको पता ह भाई सब पता ह हम ही को पता नह रहगा सबस पहल फोनघस गया हमार मोबाइल पर इल शन का डट बड़ा कम ह यह यान र खए सब लोगrdquoफकन सह न गाड़ी स उतरत ही क डड टयाना मड म गभीर कमान सभालत ए कहा

ldquoआदश क रए ना धआ उड़ा दग बस दस दन म हीrdquo ह का बच जवान ब ल नखनी मह म डाल हाथ झाड़त ए कहा उधर अब गाव क चौक पर भी चनावी चचा न लहकपकड़ ली थी मरारी चाय कान पर जगद श यादव जोर-जोर स अखबार पढ़ रह थ औरबाक बठ सब चाय हाथ म धर यान स सन रह थ तभी जगद श यादव को अपनी रखीचाय का याल आया तो उ ह न अचानक अखबार मोड़कर रखा और चाय का गलासउठाया अखबार रखत ही वह सामन खड़ एक आदमी न उस उठाया और थोड़ा कनारखड़ हो पढ़न लगा तीन लोग उसक पीछ भी खड़ हो लए कामभर क चीज जगद शयादव न ऊच वर म पढ़ सबको लगभग बता ही द थ अब तो आज स चनावी दगल कचचा का शभारभ होना था जस पर चनाव चलना था

ldquoइस बार बथ कड़ती खब होगा जरा भी धाधली म कल ह इस बार बथ लटनाअसभव कर दगा शासन य क पछला बार यही सबका शकायत स चनाव रद द आ

था सो इस बार टाइट कर दगाrdquoजगद श यादव न लोकत क पव पर सभा वत कड़ पहर होन क आशका स च तत

होत ए कहा उनक चता स लग रहा था क इस पव को खलकर मनान दन म शासनबाधा डाल जनता क हष लास म कमी कर सकता ह एक आजाद म क म जब मन तबबथ म घसकर जतना मन उतना वोट दकर आन क ही आजाद न हो तो कस बात कफर आजाद और या पीटना फर लोकत का झठा डका नए वोटर बन यवा का जोशदखत बनता था य क नाम पर दनादन प ष ारा वोट दकर कई य ारा प ष कभी नाम पर वोट डालकर यहा चनाव लोकत म लग क आधार पर भदभाव क लए कोईजगह नह छोड़ता कई मतदाता तो दशक पहल वग जा चक लोग क नाम पर भी मत दआत भारत म लोकत क जड़ नीच कतनी गहरी थ यह तो पता नह पर ऊपर इसकशाखा वग तक को ज र पश करती थी ल कन सबको अब चता होन लगी क अगर

व था चाक-चौबद और कड़ी रही तो फर चनाव का मतलब ही या रह जाएगाldquo लक कमाडो भर दगा तो चनाव बकार ही सम झए फरrdquo बजनाथ न एक नराश

मतदाता क प म कहाldquoअर कमाडो कौनो ऊपर वग स आता ह या ऊ भी तो आदमी ही ह उसको

चनाव क ड यट स मतलब होता ह कोई जीता कोई हारा उसको या मतलब ह रात कोदसी मगा और भात खाएगा तो पर दन सब सहयोग दता ह मसीनगन साइड रख क सततऽ जाता ह बचारा हा तीन ठो ब ढ़या ख टया जगाड़ कर द द जए बस हम एक हजारचनाव दख ह कोनो नया बात ह या ई कड़ा सर ाrdquo वह चाय पी रह एक बजग न

व था पर भरोसा जतात ए अपना हजारी अनभव सनाया वह शायद कसी बस सउतरा आ या ी था

ldquoहा-हा ठ क बोल रह ह ई ठ क बोल रह ह ईrdquo चार-पाच आवाज एक साथ मलकरगज

ldquoवस भी चाह कड़ाई हो या ढ ला छोड़ जनता का मन फकन सह क साथ रहगा तोकमाडो का कर लगा अब कौन ह मकाबला म असलम मया भी गजर ही गया जो तनी-मनी ट कर दता भी थाrdquo अभी कछ ही मनट पहल टहलत ए वहा चाय पीन प च डॉ टरबाल न एकदम ता कक बात रख द थी उनक बात म दम था डॉ टर बाल क सामनही तो असलम मया जगत स खसत ए थ इस तरह अपनी तफानी गदबाजी स एक औरवकट ल फकन सह क लए मदान खाली करा दन का यश भी डॉ टर बाल क ही डॉ टरीखात म था

ldquoइतना भी आसान मत सम झए आप मसलमानी पोल ट स का हाल डोकडर बाबहमस यादा कौन जानगा जी हमार कौम को हमार कौम का क डडट इस मतबा भीआएगा ही सकदरपर स हवा आ चका ह हमकोrdquo लड डन मया न म कयात ए कौमीराजनी त पर अपनी जबरद त पकड़ का हवाला दया

ldquoहवा का बात हवा क जसा ही होता ह कोई ठोस जानकारी हो तो बताओ मदrdquo

जगद श यादव न ग प म गभीर त व फटत ए कहाldquoहवा म नह बोल रह ह हम सबकछ तय हो गया हrdquo लड डन मया न चहर पर

गभीर भाव लाकर कहा अबक ldquoनाम बताओ न क डडट काrdquo डॉ टर बाल न झड़ककर कहा य सनत ही लड डन

पलभर शात हो गए मन तो आया क नए क डडट को डॉ टर साब ठ क होन का दवा न दआए तब तो फकन सह सच म न वरोध ही हो जाएगा इस बार वस भी आ थक प सकमजोर आस-पास क म लम समाज क अ धकतर मरीज डॉ टर बाल क पास ही आतथ और इ ह क माफत ज त ड पच हो जात थ सो लड डन क शका एक वाभा वक

या ही थीldquoहा तो बता दो न नाम इसम या छपाना चनाव या लका-छपा क लड़गाrdquo तब

स चप बरागी प डत जी न जोर स कहाldquoअनवर मयाhellip यही खड़ा हो रहा ह इस बार लखकर रख ली जए इसका दो

लड़का अलीगढ़ म मौलवी ह माल-पानी का चता नह ह यही क डडट ह सकदरपर मrdquoलड डन मया न रह य स पदा हटा उ मीदवार क घोषणा कर द

ldquoलड डन मया हम इ लड का नह ह मसलमान होन का मतलब यह नह ह क सबबात तम ही जानोग अर ई अनवर मया दवबद वाला ह ना यह तो मा तीन घर सयादवबद मसलमान ह सकदरपर म इसको साला तम लोग स ी सब वोट दगा जी कभीअनवर मया को 20 वोट स यादा आ जाए तो कहना झाट पता ह तमको मसलमानीपोल ट स अभी अभी और गो त खाओ सग ब त कम जान हो तम मसलमानी समाजकोrdquo जगद श यादव बोलत-बोलत जस तनतना गए थ

ldquoअर आप तो गम हो गए हमको का लना शया-स ी स हम तो फकन बाब क वोटरह जगद श भाई जब असलम मया मरा रलशन म था तब भी उसको वोट नह दए हमअपना गाव-टोला पहल दखत ह हमrdquo लड डन मया न कछ सोचत ही तरत अपनी कौमीराजनी तक वशष ता क नया स घर वापसी करत ए कहा उस शायद थान औरहालात दोन का यान हो आया था

इसी तरह उ मीदवारी क चचा जीत-हार क अनमान क चचा क साथ दो-चार दनगजर गए थ भतरामपर वधानसभा क नवतमान वधायक सतदर स यवाद इसी बीचलगातार तीन स चार बार फकन सह क घर आ चक थ फकन सह का चनावी माहौल बनचका था उधर वधायक म हार भवन र साद भावक भी लगातार सकदरपर का दौराकर रह थ पचायत चनाव क बहान सतदर स यवाद और भवन र साद क बीच भी

त ा क लड़ाई थी भवन र साद भावक कसी भी क मत पर फकन सह को हरासतदर स यवाद का कद छाटना चाहत थ इस लए तो वह ताबड़तोड़ दौरा कर सकदरपरस कोई याशी खोज रह थ फकन सह क खलाफ य क मलखानपर म तो कसी

याशी का मलना असभव ही था इधर वधायक सतदर स यवाद न तो फकन सह कोजीत क माला पहन लन क गारट भी द द थी वधायक का वा त वक नाम स य कशरी

था पर स यवाद नाम उ ह जनता स नहवश मला था जस व लभ भाई पटल कोबारदोली क म हला न सरदार नाम दया था असल म आ यह था क एक बार भाषणदत व स य कशरी न खल मच स यह वीकार कर लया था क वह कछ भी कर ल परमह स झठ नकल ही जाता ह कई बार चाहा क सच बोल पर झठ क आदत नह जातीअपन च र क बार म इस तरह साफ मन स खलआम ईमानदारीपवक स य बोलन ककारण इनका नाम स यवाद पड़ गया

इसी कार सर नता भवन र साद क साथ भावक लगन क भी एक भावककहानी थी एक बार व कह कसी भोज क दौरान अपन दो सा थय सग दा -मगा डकारतगए करीब घटभर खान क बाद जब उ ह न और मगा लान को कहा तो उ ह बताया गया कव लोग अब तक तीन मगा-म गय का एक भरा-परा प रवार खा चक ह अब घर म कोईनह बचा यह सन नता भवन र साद क मदभरी आख स आस गरन लग वह भावकहो खान क प ल पर ही सर रख रोन लग आख म भात घस गया और आख क कोर मतल-मसाला लटपटा गया वह और रोन लग तब स जनता उनक कोमल दय क कारणउ ह भावक बलान लगी दश क धन-धा य क छो ड़ए जनता ध य ह

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शाम ढलन को थी बरची य तो प ब र क बाइक स ही चलता था आजकल पर आजसबह अपनी साइ कल लकर ही सकदरपर नकला था और अब सरज डबन क साथ लौटरहा था घर न जाकर सीध लखन क झोपड़ी क ही तरफ चला गया वहा पहल स हीप ब र और गणशी महतो बठ ए थ

ldquoबाप र आज कहा लटक गए थ बरची जी इतना दर स आएrdquo दखत ही प ब र नपछा

ldquoदर नह ज द आ गए समझो भाई इल शन का माहौल तो सकदरपर म लगताह दन- दन भर वही चचा चल रहा ह हम भी उसी म बठ गए नताजी भवन र बाब भीभटा गए बठा क हमको मलखानपर का हाल पछन लग हम तो कह दए क अबकप लए फकन सह को हम लोग साथ हrdquo बरची न साइ कल स उतरत ही इतना कह दयातब जाकर बोर पर बठा

ldquoभन र बाब स आप हमको मलवाए थ ना वही लाल टोपी वाला नता जी नाrdquoप ब र न पछा

ldquoहा-हा तमको तो तीन-चार बार भट कराए ह ब ढ़या आदमी ह कम बईमान ह वसअब तक मौका भी नह मला ह जीतगा तब ना दखा जाएगा जात-पात का राजनी त थोड़ापदा म करत ह कसान-मज र क नाम पर ही खल करत ह यह ठ क ह दोगला भीसतदर स यवाद स कम ह अ छा च क बचारा आज तक वधायक बना नह सो वादानह नभान का भी लम नह बनता ह साल पर एक और बात ह ल कन साल म श सपाट एक ही पकड़ा रहा स यब दया क जसन साल-साल दल नह बदलता हrdquo बरची नअपन य नता क त अपनी सद भावना को श द दत ए कहा

ldquoहा आदमी ठ क ह एक बार परखड कारयालय म हमारा काम करा दया थावधायक खाली बड़ा लोग क आरी जाता ह भाईrdquo लखन न भट ठ म आग सलगात एकहा

ldquoका सरफरी ह सकदरपर म कौन हो रहा ह खड़ा वहा सrdquo गणशी न बरची कतरफ थोड़ा-सा सरकत ए पछा

ldquoलग ह भवन र बाब कसी को खोजकर खड़ा करन म चनाव म माल-पानी भी तोलगता ह गणशी दा सकदरपर म मया बचारा कमाए क चनाव लड़ जो पसा वाला थावह सब मना कर दया काह क हार गया तो माल भी जाएगा और राजनी त भी ऐस मम कल तो ह ही उ मीदवार खोजनाrdquo बरची न गणशी क तरफ दखत ए कहा

ldquoअर ज री ही या ह क कोई मसलमान हो वरोधी म कोई सरा नह हो सकता हयाrdquo लखन न बवजह ही एक जायज-सा सवाल पछा

ldquoदखो उन लोग का एकम त वोट हो जाता ह ना बाक कसको ह म ह एक साथइतना वोट फकन सह को छोड़ क मसलमान कम-स-कम मसलमान को वोट द दता ह जटक और फर कोई सरा आदमी फकन सह क खलाफ ह मत ही तो नह करता हमलखानपर म तो खड़ा होता नह कोई और सकदरपर म म लम ही वोटर यादा हइस लए घमा- फराकर मसलमान उ मीदवार ही आ जाता ह खलाफ म ऊपर स असलममया तो प का क य न ट था भाई उसको कोई ह -मसलमान क फक स नह दखता थाभवन र साद का खास था असलम मया इस लए भी वही खड़ा होता थाrdquo बरची नलखन को समझात ए कहा

ldquoजात-पात तो हम भी नह मानत ह ल कन हम तो कभी सकदरपर क मया को वोटना द भया फकन बाब घर क बगल म ह कोई मौका-कमौका पर यही काम आएग आज

धान ह कल क जान वधायक भी बन गाव का तऽ क याण ही होगा का द कत हइनको वोट दन म ह क नह rdquo गणशी न खलआम अपना मत गरात ए कहा

यह सनत बाक सब म करा दए गणशी न जात-धम स पर बड़ खल मन सथानीयता को वरीयता द अपनी बात रख द थी बरची न सामन रखा पानी का मग गटकन

क बाद कहना श कयाldquo कतना दन तक हथजोड़ी क रएगा फकन सह का हो गणशी काका गाव का आधा

खत तऽ बीस बापत मल क लाठ क दम पर दखल कर लया कतना घर म घस इ जतपानी भी ल गया उसका खानदान ल कन अभी तक दरबार नह छटा ह आप लोग स घरक बगल म भ ड़या ह खन पी रहा गाव का ई नह दख रहा आपकोrdquo बरची न जब सएक प ड़या नकालत ए एकदम झझलाहट वाल वर म उलाहना दत ए कहा

बरची को सन गणशी महतो न चहर पर बना कोई भाव लए बस इतना-सा कहाldquoगरीब आदमी ह न बाब कोई भी च ला लगा हम पर तम भी काह छोड़ो ह क

नह र लखनrdquo यह बोल अजीब-सी नरीहता लए म करा दया गणशी महतोयह सन बरची क पास जोर स कछ कहन क कोई गजाइश नह बची थी वह तो अब

और जोर स गरज उठाldquoई साला गरीब गरीब गरीब गरीब या बना इ जत-मयादा क पदा होता ह गरीब

को रीढ़ का हड डी नह दया ह या भगवान साला गरीब क कपार पर लखा होता ह याक जाओ बड़कन का दलाली करना काह हमारा खन जला रह ह आप गणशी दा आपकोफकन सह क ार पर ही मराना ह तो मराइए अबक चनाव म मलखानपर का फ टपरसट वोट उसका वरोधी पाट को जाएगा दख ली जएगाrdquo बरची न एकदम स खअदाज म जरा जोर स ही कहा गणशी महतो चपचाप इ मीनान स बठा ऊपर-नीच करगदन हला रहा था धीर-धीर एक ह क -सी म कान लए गणशी न फर एक बात कह द

ldquoक बो दख हो गरीब को आन बान सान दखात ई सब बड़घरवा को ही शोभा दताह बरचीrdquo यह सनत ही चहर प खापन लए बरची चड़ चड़ायी-सी हसी हस पड़ा

ldquoवाह हो गणशी काका आप भल गए अपना आन-बान कस अपना बटा क सान कखा तर आल बचकर पचा लकर और या- या जगाड़ कर मोटरसाय कल खरीद आप

या ध ा सठ थ बटा को बताए क बाद म आपको ग क रोपनी वा त कजा लना पड़ाउसको आप बताए क जो आपको मआवजा का पसा मला था फसल बीमा वाला वह सबआप मोटरसाय कल म लगा दए ह कसका सान दखान म खरीद औकात स यादा कासामान ह कह रह ह क गरीब को सान नह होता हrdquo बरची इतना एक ही बार म बोलअब शात हो गया उस शायद बोलत-बोलत ही महसस हो गया था क कछ ज री बातबकार म ही बोल गया गणशी महतो बना कछ जवाब म बोल मह इधर-उधर कर थोड़ापीछ हट गया था गम भट ठ क पास स चहर पर तब भी ध क लग रही थी उसन अचानकस ही खड़ होकर गमछ स मह प छा प ब र न तभी झट स उठ गणशी महतो का हाथपकड़ लया

ldquoअर ब ठए काका गसा क कहा जा रह ह भ क अर बरची भाई का तो रोज काबोलना-हसना ह ऐसा ऐ गोसा यए मत हाथ जोड़त ह बठ जाइए काकाrdquo प ब र न हाथपकड़ उस अपनी ओर ख चत ए कहा तभी बरची न हसत ए ही भरी जा चक चलमको गणशी क तरफ बढ़ात ए कहा

ldquoएक स टा जोर स पी लऽ बढ़ऊ शान और बढ़ जाएगा तबrdquo यह सनत सब ठहाकामारकर हस पड़ चलम क एक टान क साथ ही माहौल अब ह का हो गया था बाहर साझक बाद अब ह का-ह का अधरा छा चका था तभी झोपड़ी क बाहर एक बाइक क खड़होन क आवाज सनाई द झट लखन न उचककर दखा पर पहचान नह पाया

ldquoकौन हrdquo प ब र ह क आवाज म बदबदायाldquoपता नह चनाव ह अभी अभी तो ब त तरह क लोग झोपड़ी फस खत-ख लहान

घमत-बौखत मलगाrdquo बरची न मौज म हसत ए कहाldquo बरची ऐ बरची बरची ह या यहा ऐ बरचीrdquo बाहर स आवाज आई आवाज

जानी-पहचानी लगी सबको बरची ही बोर स उठ बाहर नकलाldquoअर ध बजनाथ दा महाराज आप ह ली जए जगद श काका भी ह साथ फकन

सह क पास बाधकर ल च लएगा या हा-हा-हाrdquo बरची न बट क चढ़ म ती क साथहसत ए कहा

ldquoअर लो हम लोग पागल ह या हम लोग काह बाधग भाई तमकोrdquo बजनाथ न भीहसत ए ही कहा

जगद श यादव अब भी बना एक भी श द बोल चपचाप बाइक पर बठ ए थldquoहम सोच क चनाव आन वाला ह तो उसम कछ गलती तो नह ना कर दए हम

अभी तो गलती करन का टाइम श ही आ ह अभी कए नह हrdquo बरची न चहल क

अदाज म कहाldquoऊ त हारा मन ह बाब हम लोग को राजनी त स या लना अपना एक ठो भोट ह

कसी को द दना ह अर पोल ट स छोड़ो हम लोग को तमस काम ह ज री जरा इधरआओ साइडrdquo बजनाथ न पणतः गर-राजनी तक मन और मह बनाकर कहा बजनाथबरची क कध पर हाथ धर चार-पाच कदम चलत ए उस कनार ल आया और लगभग दोमनट क कछ बातचीत ई दोन म बजनाथ अभी अपनी बात कह ही रहा था क बरचीआधा ही सन वहा स झटकत ए चलकर अब जगद श यादव क तरफ आ गया

ldquoअर या जगद श काका आप डायर ट भी बोल दत हमस इसम कौन-सा बड़ा बातहrdquo बरची न हाथ जोड़ तज आवाज म कहा बजनाथ न भी कछ कदम चलकर बरची ककध पर फर हाथ धरा जगद श यादव बस थोड़ा-सा म कराकर अब भी चप ही थ

ldquoआइए ना प ब र यह बठा ह उसस बात कर लत हrdquo बरची झोपड़ी क तरफबढ़त ए बोला

ldquoअर ना ना बरची यहा लखना ह और भी कोई होगा भीतर सबक सामन ठ कनह लगता ह ई सब बात करना थोड़ा समझो बाबrdquo बजनाथ न धीम स कहा

ldquoघर पर ही आत ह प ब र क दखना बरची कसी स चचा मत करना थोड़ा य सबका अ छा नह लगता हrdquo जगद श यादव तब स अभी पहली बार बोल थ

ldquoअर हा हा एकदम काका न त र हए ना च लए प ब र क घर पर ही वहलकर आत ह हम अभी तरत प ब र कोrdquo यह बोल बरची अदर घसा और लगभग दसमनट क बाद प ब र को ज री काम बोल वहा स उठा बाहर लकर आया अपनीसाइ कल वह द वार स सटाकर खड़ी छोड़ द प ब र क साथ बाइक पर बठ उसक घरआ गया बजनाथ और जगद श यादव वहा पहल स ही बाइक लए खड़ थ प ब र बाइकस उतरत ही दौड़कर सबस पहल अदर स कस लन गया

ldquoब ठए ब ठए न चाचा आप लोग खड़ा काह थrdquo प ब र न झटपट कस लगात एकहा

ldquoहा-हा बस थोड़ा हवा खा रह थ सड़क पर खड़ा हो कrdquo बजनाथ न कस पर बठतए कहा जगद श यादव भी बठ चक थ बरची भी एक कस ख चकर बठ ही रहा था क

उस कछ याद आयाldquoऐ प ब र तम जरा बात कर लो हम आत ह दस मनट म जरा पच क यहा स

कछ काम हrdquo बरची य बोल वहा स ठ क दा हनी सड़क क पार पच दास क घर क तरफनकल गया

ldquoचाय बनवात ह चाचा कछ खाकर भी जाइएगा जगद श चाचा तो पहली बार आएह म दर उद घाटन म भी नह आए थ कए चाय-ना ता लकर आत हrdquo प ब र न बड़साफ मन स कहा

ldquoनह -नह सनो ना बटा ना ता-पानी एकदम छोड़ दो अभी साझ को ही भात खाए

ह बस चाय पला दो ब त मन ह तो या जगद श दा चाय पी लत हrdquo बजनाथ न बोलतए जगद श यादव क तरफ दखा

बजनाथ अभी जगद श यादव क धा मक-सामा जक वधा समझ ही रहा था ऊपरस म दर उद घाटन वाल भोज म न आन क याद दला अनजान ही प ब र न जगद श यादवको भीतर-ही-भीतर पानी-पानी तो कर ही दया था प ब र चाय क इतजाम म भीतर गयाथा

ldquoबजनाथ साल ज द ब तया क पसा लकर चलो भाई तम साला ई चाय-ना ता मकाह फसा रहा ह हमको अब चाय तो पीना ही होगा नrdquo जगद श यादव न दब गल सख सयात ए कहा

ldquoअब कजा लन आए ह तो इतना तो बदा त करना ही होगा ना जगद श दा ना ता मतक रए चाय-पानी तो सहन कर ली जए नीलकठ क जसा बसपान कर ली जए सो चएमत नह तो उसको बरा लगगा काम नकालना ह तो इतना जहर तो पीना पड़गाrdquoबजनाथ न जगद श यादव क चाय म वष लवर का छड़काव करत ए उ ह भोलनाथ कआस-पास खड़ा करत ए कहा

ldquoठ क ह ठ क ह चाय पी लत ह सनो ज द चलन का को शश करो तम जो नकराओ फकन सह जाना तो अलग पलगाrdquo जगद श यादव लगातार फसर-फसर उकताएवर म बोल रह थ

ldquoअर आप य वशी ह क ण सबरी का जठा बर खा लए थ आप बना जठा चाय-ना ता म ही अकबका रह हrdquo बजनाथ न जगद श यादव का वा त वक धम याद दलाया

ldquoएकदम मरख हो का ऊ राम थ क ण नह rdquo जगद श यादव न धम सधार करत एकहा

ldquoअ छा ठ क ह न राम खा सकत ह तो क ण काह नह rdquo बजनाथ न जगद श यादवक सामन ऐ तहा सक मौका रखत ए कहा तब तक सामन दरवाज स प ब र एक बड़ी-सी गोल थाली म एक तरफ चाय और सरी तरफ ब कट रख बाहर आया जगद श यादवन एक नजर मह बचकात ए बजनाथ क तरफ दखा

ldquoली जए चाचा चाय पया जाए पहलrdquo प ब र न चाय का कप बढ़ात ए कहाबजनाथ अभी दो-चार घट ही पी पाया था क जगद श यादव हलाहल क तरह परा कप एकही सास म आख बद कर बस घ ट गए वस भी खद स कमतर क घर कज मागन आयाआदमी ब त-कछ घ ट रहा होता ह भीतर-ही-भीतर जगद श यादव क चाय ख म करत हीप ब र न लपककर खाली कप अपन हाथ म ल लया उसन जगद श यादव को पानी दउनक हाथ धलाए इ क सव सद क कछ भी करक प छ लन वाल समय म भी भारतीयगाव म ायः चाय पीकर भी हाथ धोन क परपरा थी वस चाय पीन स हाथ जठा होन काकोई कारण ही नह बनता जब तक क आदमी कप म उगली बोर-बोर कर न चाट जा हरह प व ता कई बार बाहरी व छता स इतर भीतरी पाखड या बीमारी का भी प धर लती

ह रोचक त य यह था क यही लोग जब कभी-कभार गाव म कसी तरीय ववाह भोज म10 पय क कपट वाली व नला आइस म खात थ तो उसक बाद हाथ पट या धोती यालगी म प छ लत थ अब तक बजनाथ भी चाय पी हाथ म पानी ल श हो चका थाप ब र अब दोन हाथ जोड़ जगद श यादव क आग खड़ा हो गया

ldquoआदश क रए चाचा कतना पसा का ज रत ह आप हमको सीध बता दत हमघर पर जाकर प चा दतrdquo प ब र न परी वन ता क साथ हाथ जोड़ ही कहा

ldquoअर नह भाई प ब र हाथ मत जोड़ो भाई त हारा यह ब त बड़ा मदद ह जो तमज रत पर हमको कजा द रह हो ब त एहसान रहगाrdquo जगद श यादव न प ब र क जोड़हाथ को खोलत ए कहा और कस स उठकर खड़ हो गए

ldquoएहसान और कजा का बात मत बो लए आपका अ धकार ह इतना चाचा हमारपास जतना औकात ह हम हमशा खड़ा ह जी अभी कतना ज रत हrdquo प ब र नवापस जगद श यादव को कस पर बठात ए कहा एक पल तो अब जगद श यादव कोभी मन म लगा क हा सा ला एक ही बार म मदद को कजा और फर एहसान तक नीचनह ल जाना था लन-दन तऽ चलता रहता ह जीवन म हम कजा थोड़ ल रह ह

ल कन मन यह भी खब समझता था क था तो आ खर कजा हीldquoप ब र अभी हमको आठ हजार एकदम अजट म चा हए और जो भी याज का

माकट रट होगा जो फकन बाब को दत ह उसस यादा ही दग तम मौका पर सभाल होइस लए त हारा परसट यादा का तो हक भी बनता हrdquo जगद श यादव न सदा कजा लनक अ य त एक रगलर कजखोर क तरह सबकछ साफ करत ए कहा

ldquoआय याज चाचा कर दए ना छोटा बात हम कोई बड़का सठ-सा कार ह जोयाज लग चाचा अर हम जात स भल छोटा ह चाचा ल कन काम छोटा नह करत हम

आपक काम आए ई तो हमारा सौभा य ह हम याज लगrdquo प ब र न अपन हाथ जोड़करकहा और दोन को दखन लगा

जगद श यादव न अपन जीवन म कई कजदाता दख थ पर यहा तो यादव जी आजएकदम नए अनभव स गजर रह थ सा कार जब कज दता तो वह उस पर याज बाद मपहल इ जत लता यहा तो कजा दन वाला उ ट स मान भी द रहा था और याज भी नहल रहा था

जगद श यादव न उठकर प ब र दास क दोन बाह पकड़ फर दा हन हाथ स पीठथपथपाकर कहा ldquoब त भला आदमी हो प ब र इतना अ छा इसान आजकल मलनाम कल ह कसी भी जात मrdquo जगद श यादव न अबक बार एहसान क एहसास कोभटकन तक नह दया था जहन म एकदम गा जयन जसा बोल इस बार

ldquoचाचा आप लोग पाच मनट ब ठए हमार पास तो घर पर पाच हजार ही ह हमलकर आत ह बगल म वनोद क घर स तरत आत हrdquo कहकर प ब र तजी स नकलाउसक नकलत ही बजनाथ उचककर जगद श यादव क कान म सटा

ldquoदख रह ह कजा लकर कजा द रहा ह आजकल ऐसा आदमी कहा मलता ह ससारमrdquo बजनाथ न प ब र को वल त होती जा त क प म चह नत करत ए कहा

ldquoअर प ब र पसा पाता होगा वनोदवा स इह बहान फसल पसा तो नकाल लगावनोदवा स इसस तो समचा टोला लन-दन करता ह याज भी लता ह अब तमस हमसनह लया आदमी-आदमी दखकर भी तो काम करना पड़ता ह जीrdquo यह कह एक हीझटक म अभी-अभी बजनाथ ारा लभ बताई गई घटना को जगद श यादव न सामा य करदया साथ ही बात-ही-बात म यह मह वपण बात भी ब त कायद स साफ कर द क कजपर याज न लन क पीछ प ब र क भलमनसाहत नह ब क जगद श यादव क अपनीव श जातीय सामा जक अव था ह अब च क कज दलान बजनाथ ही लाया था इस लएउसका नाम भी उस याज छट वशष ल ट म उ ह न जोड़ दया यादव जी का यह कथनसन बजनाथ हा या ना कछ भी नह कह सका उसन खद को ब त टटोला तो उस बसइतना महसस आ क अदर कछ अ छा ही लग रहा था यह कथन सनकर अभी दोन मखसर-पसर जारी ही थी क प ब र वापस आ गया आत ही अपनी जब स नोट का एकबडल नकालत ए प ब र उस गनन लगा यह ली जए चाचा आठ हजार ह सयोगकतना अ छा था क वनोद क पास पसा था घर म अ छा और कछ सवा हो तो आदशक रएगा चाचाrdquo प ब र न नोट जगद श यादव क हाथ म थमात ए कहा

ldquoअर ज र प ब र असल म आज अचानक ऐसा ज रत पड़ गया क अभी न बकजा सकत ह ना और कछ उपाय इस लए पसा रहत भी तमस मागना पड़ा अब या बोलचलो तम सभाल दएrdquo जगद श यादव बार-बार कजा दन वाल को आभार नह ब कशाबाशी द रह थ प ब र भी उस उसी प म लन को तयार ही था

ldquoअर हमारा सौभा य ह क आपको रात को पसा का ज रत पड़ा और आप हमारार तऽ आए इह बहाना आर तर गया हमरा बाक चाचा यह तो हम भी जानत ही ह क

आपक लए 10-20 हजार खा तर सौ ार खला ह आपको इतना थोड़ा पसा खा तरसोचना थोड़ पड़ता हrdquo प ब र न अपन अहोभा य को स ल ट करत ए कहा

ldquoबस बस यही बात था रात को अब कहा जात बजनाथ पकड़ क ल आया कप ब र क पास च लए हम बोल चलो ऊ तऽ अपना ही लड़का ह ब त-ब त अ छा कामकर रह हो तम ऐस ही भला आदमी क तरह रहना जीना चा हए सबको कोई भी जात होल कन उसम सधार तऽ हो ही सकता ह ह क नह तम म ह रजन वाला कोई गन नह हइतना अ छा बबहार ह त हरा इसको बनाए रखनाrdquo जगद श यादव न यह कहत ए नोटक गड डी मोड़ बड़ अ धकार भाव स उस एक नजर दखा और अपनी जब म रख लयाइसक तरत बाद उ ह न बजनाथ क ओर दखा जो इस बात का एकमा गवाह था क कसजगद श यादव सबह स लगभग दस जगह कज मागन गए और नराश लौट आए थ जबथक-हार साझ को बाझ मग क तरह थोथना लटकाए बठ गए तब बजनाथ को कसी तरहमना-समझा तयार कर अब प ब र क पास आ खरी उ मीद स आए थ

ldquoअ छा चलत ह प ब र पसा अभी तरत जाकर थाना म दना ह हद हरामी दरोगा ह

टर पकड़ लया ह लकड़ी-लोड स हत उसी खा तर पसा लना पड़ा चलो चलत ह एकह ता म द दग चता मत करनाrdquo यह बोलकर जगद श यादव मह म गमझी लपट अपनीबाइक पर जा बठ थ प ब र हाथ जोड़ णाम कर उ ह वदा करन चार कदम साथ बढ़आया आदमी तो हालात क आग अ सर झक ही जाता ह ल कन उसक अदर भी कोई तोरहता ह जो ठा आ रहता ह जगद श यादव क भीतर का आदमी अब भी उसी प म हीथा जो जबरन जबान पर चढ़ कछ-कछ बोल जा रहा था वह भला यह कस पचा सकता थाक एक य वशी कसी ह रजन स कज मागकर लौट रहा ह अब जगद श यादव न नह उनक भीतर क आदमी न बाइक टाट क अब वह सच म महसस कर रहा था हा ीरामसच म सबरी क जठ बर खाकर बाइक स नकल चक ह प ब र जाती ई बाइक क लालवाली बकलाइट दख रहा था क बरची वहा प चा

ldquo बरची जी कहा लगा दए इतना दर आपrdquo प ब र न पछाldquoअर का बताए पच बठा लया था चनाव पर बात होन लगा और -चार लोग बठ

गया था आ क इन लोग को भनसर नता भी मल थ सारा बात बताएग तमको खरकतना पसा मागा जगद श यादव हम तो जानबझ क हट गए क हमार सामन लजाएगाबचाराrdquo बरची न दरवाज पर ही खड़-खड़ कहा

ldquoआठ हजार बनोद स ल क दए घर म था नह नगदrdquo प ब र न बतायाldquoआठ हजार हा दरोगा बास कया ह जादब जी को फकन सह परवी भी करता ह

और पाट स माल दलाकर उसम स अपना कमीसन भी लता ह और ई बकचोद लोग कोफर भी उसका आग-पीछ करन म मजा आता ह जान दो सा ला मख सबकोrdquo बरची नकहा

ldquoहा हा अभी दरोगा क ही पास गए उ लोग यही बोलकर तो गए क दरोगवा को दनाह पसाrdquo प ब र न बताया

ldquoदरोगा क पास झाट जाएगा डाइर ट ई फकन सह क पास गया होगा माल वहजमा होता ह थाना बसली का सबह दरोगा जी आ क कल सन बटोर क ल जाएग यहीस टम हrdquo बरची न थान क काम करन क या व ध समझात ए कहा

ldquoय तो ब त गलत ह फरrdquo प ब र न कहाldquoअर बाह तम तो फटाक समझ गए मद हा-हा-हा-हा अर कछ गलत नह सब

सही ह जब आज तक कोई माई का लाल पदा ही नह आ जो इस गलत बोल सक तोफर गलत कस बात का सब सही होगा तभी तो सब चप ह हम तम सब चप परा गावचप चप ही रहो भाई सब सही हrdquo हसत-हसत बोलता आ बरची अत म थोड़ा गभीर होचका था

ldquoअभी घर जाइएगा याrdquo प ब र न घड़ी दखत ए पछाldquoजाएग पहल तमस कछ ज री बात करना ह इधर आओ बठो जराrdquo बरची न

कस ख चत ए कहा

इधर जगद श यादव और बजनाथ दोन बस टड पर क थ पान खान क लएजगद श यादव न ज रत क मजबरी म प ब र स कज तो ल लया ल कन यह बात गाव मकसी को पता न चल इस बात को लकर मन-ही-मन च तत थ थोड़ा ब त घमा- फराकरइसक चचा बजनाथ स भी कर ही रह थ उनक चता पर चतन करत-करत बजनाथ नअब तक दो ख ली पान कचर लए थ और दो ख ली घर क लए बधवा लए थ बजनाथन पान खा लाल-लाल ए मह स कसम खा अपनी ओर स तो न त कर दया था क कहभी कछ नह कहगा यादव जी को सबस यादा तनाव बरची को लकर था क कब कहा

या बक द कोई ठकाना नह ldquo बर चया अब इतना भी पागल नह ह अब प ब र क साथ रह क पसा खान-

कमान लगा ह तऽ सोभाव भी बदला ह उसका चता मत क रए बड़ भाई कह नह बकगाऊ एक ठो सगरट पया जाए याrdquo बजनाथ न मा एक सगरट क बदल जगद श यादवको न त करत ए कहा भारतीय गाव म सकट म फस कसी भी म -प र चत क साथखड़ होन वाल को चाय पान सगरट क कमी नह होती सकट त साथी उसकोअपन साथ बन रहन क लए इन चीज क सवन क खली छट द दता ह बजनाथ अभी उसीछट का भरपर लाभ ल रहा था बात करत-करत उसन दो पाउच तरगा छाप गटका खालया था और जगद श और कानदार को दखा दो पाउच तरगा तोड़ जब म भी रख लयाथा दोन अभी वह कान पर खड़ ब तया ही रह थ क सामन स एक काल रग क बोलरोगाड़ी तजी स ह रजन टोला वाल रा त म घसी

ldquo कसका गाड़ी ह कौन होगाrdquo गाड़ी दखत ही सबस पहल जगद श यादव क मह सनकला

ldquoना वधायक जी का ह ना ही भवन र साद का लगता ह उसको तो पराना सटरकार ह एक सकड हड कोनो बाहरी गाड़ी बझाता ह होगा कोई नातदारी चमरटोली काआजकल तो सब कोई भाड़ा पर बोलरो चलन लगा ह अब जमाना गया जब साइ कल सससराल जाता था परा चमरटोलीrdquo बजनाथ न बदलत जमान क सग बदल रही चमरटोलीपर गभीरता स काश डालत ए कहा

ldquoअर सधीर धोबी का गाड़ी ह सकदरपर वाल काrdquo पीछ स कान पर बठ पान वालच चौर सया न कहा

ldquoसधीर का इतना पसा कहा स आया भाई बोलरो खरीदा हrdquo जगद श यादव न पानघ टत ए कहा

ldquoली जए भवन र नता का एक नबर चला ह उसका बटा रलव का काम चल रहा हना उसी म लोहा बचकर प थर बच क डीजल बचकर लाख कमाया भवन र नता मज रक नाम पर नतागीरी कर जमीन अ ध हण म कसान क तरफ स खड़ा होकर खब दलालीखाया उसम सधीर धोबी का बटा भी परा माल बनाया भवन र नता क पीछ लग कrdquo च चौर सया न परा इ तहास खोलकर रख दया था उसक काल बोलरो का

ldquoअर बाप र अहो मनोज रजक जो लड़का रहता ह भवन र साद क सग ऊ सधीर

धोबी का लड़का ह ई तो हम जानत ही नह थrdquo जगद श यादव न मह म कचर क रखपरान पान म ऊपर स सपारी का टकड़ा मागकर डालत ए कहा

ldquoतमको इतना कस पता ह ल कन हम नह जानत थ इतना खलrdquo बजनाथ न अपनीकम प च क अफसोस क साथ पछा

ldquoअर हमारा खद का जमीन गया ह रलव म उसी का मआवजा मला था तीन लाखपसा दलान और ठ क-ठाक भाव लगवान क नाम पर पहल तो वधायक जी ल लए 30-40 हजार फर हम मनोज को ही पकड़ नता क पास गए पसा नकलवा दया भनसरनता ल कन उसक लए मागन लग स र हजार फर करत-करत पचास हजार म आबात बोल दो लाख स ऊपर मलना म कल ह ल कन परवी कर साढ़ तीन लाख लगवादया दाम काम आ आधा पसा बदरबाट आ एक लाख मोटा-मोट छटाया हमराअढ़ाई लाख मला हमको हम सोच जान दो साला बाल-ब चा आग जमीन पर रल क पटरीतो बछल दख लगा धान-ग तऽ गया जदगीभर काrdquo च पान म क था लगात-लगातअपना दद बताता गया

ldquo या करोग भाई त हारा तो खती का जमीन था समय का अ तऽ हो जाता थाअब जो मला सतोष करो जमीन तो सरकार लब करता अ छा ह क जो द रख लनाचा हए नह तो दोगला परसासन ई भी न दrdquo जगद श यादव न पान ख म हो चक सख महस भ म अ ध हण का नयम समझात ए कहा

ldquoहा जगद श दा ब त उपजाऊ टाल का जमीन था सालाना खान का हो जाता थाअब अढ़ाई लाख म गया खती का जमीन रल दौड़गा वही दखगrdquo च न धीमी होतीआवाज म कहा और चप हो गया तीन अभी चपचाप थ थोड़ी दर म भल चक थ क कोईकाली बोलरो कहा जा रही थी सब क याल म अभी लहलहात धान क खत क बीचो-बीच रल दौड़ रही थी च चौर सया मड़ स र खड़ा अपनी फसल को र दाता आ दखरहा था जन खत म कभी गाय-भस घस जान पर दौड़ा दता था वकास न उसम रल घसाद थी इस कोई कस खदड़ नकाल

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एक-एक दन नकलता जा रहा था चनावी ताप बढ़न लगा था नामाकन क त थ आचक थी आज तीसरा दन था नामाकन का सबह स ही प षो म बाब क दरवाज परहलचल थी शभ म त दखकर आज ही नामाकन करन जाना तय आ था फकन सहसबह ही नहा-धोआ सफद पाजामा-कता पहन सबस पहल गाव क म दर हो आया था इधरतीन दन म इस बात पर भी नजर रखी गई थी क कोई और याशी तो नह उतर रहा नचनाव म जब दख लया गया क इस बार तो कसी वप ी उ मीदवार क कोई सभावनाही नह ह तो इसी बात पर प रणाम को लगभग घो षत करत ए बदरी म सर न म दर कशव लग म लपट नाग क गल स माला नकाल फकन सह क गल म जीत क माला डालद थी बजनाथ गणशी रतन दास और काशी साह चार मल एकबारगी फकन सह कोकध पर उठा घमान भी लग अचानक फकन सह न डाटकर उ ह शात कराया और कदकरकध स उतरा उस इस बात का ोध सबस यादा था क झक-झक सफद कत को चार नदबोच क सबह-सबह ही द गया दया था हाला क डाट सनन क बाद भी कसी क उ साहम कोई कमी नह आई थी सब जोश म थ दरवाज पर नामाकन को जान खा तर लोगधीर-धीर लगातार जमा हो रह थ भोर स ही उठकर बाइक वाल समथक का भी जटानकया जा रहा था प षो म सह का मानना था क भल हमार वप म अभी कोई याशीनह पर अपनी ताकत दखान म कोई कमी नह करनी ह उनका कहना था क आग अबकोई याशी नामाकन क ह मत न कर पाए और अ य तर क बड़ नता को भी हमारीताकत का पता चल इस लए पर जन-बल क साथ चलना ह नामाकन हत रली क श ल मजान क तयारी थी मलखानपर क हर घर म नवता भजा गया था चलन क लएसकदरपर स भी आदमी लाए गए थ लगभग सभी उ वग और जा त समह क भागीदारीस न त करन हत एक ट म ग ठत क गई थी जस प षो म सह खद दख रह थ सबहस ही कामता साद म सर जस लोग को खद प षो म बाब न फोन कर बला लया थाय लोग एक कोन म कस पर चपचाप बठ थ बीच-बीच म चाय आ जाती और उस पी यलोग पनः चपचाप बठ टकर-टकर बस ताकत ए तयारी का नजारा दख रह थ दगबरम सर जी क लए ार क चौक पर बठ वचन दना तो ठ क था पर इस उ म इस कड़ीधप म बाइक पर चढ़ रली म जाना न त ही क ठन था वह पछल आध घट स धीम-धीमवर म कामता बाब स चनाव म फजलखच और रली वगरह पर रोक क प म कानन लान

क चचा कर रह थ बीच-बीच म कामता बाब भी चनावी सधार क प म दात पीस-पीसकर समथन कर रह थ पर और कछ नह कर पा रह थ बचार अपनी इ छा न होन कबाद भी लोकत क पव म उ ह उ साहपवक भाग लना पड़ रहा था भाग भी तो नह सकत

थ उनक ठ क वह बगल म बजनाथ क टोला का दलबर मडल भी बठा था लगभग 70वष क अव था का वह बढ़ा आदमी बीमारी स ख टया पर गरन क बाद आज लगभग डढ़साल बाद उठाकर घर स बाहर लाया गया था शरीर काप रहा था उसका और हाथ म लाठथी क वह कसी तरह कस पर टका आ था अपनी जा त का सबस उ दराज हो शयारपव वोट मनजर होन क कारण उसक मह ा दखत ए फकन सह न खद उसक घर जाउस हड़कात ए आन का नवता दया था फकन सह क लाल-लाल आख का स नलदख दलबर ख टया स उठ अपन पोत क साइ कल पर बठ सबह ही आ गया था दलबरमडल जब ठ क-ठाक उ म था तब उसन ब त कम पस लकर भी मा एक-दो पौवा लकरभी दो पीस टाग खाकर भी लोकत क लए न जान कतन मत का बध कया था पवम अ सर ऐन मौक पर प षो म सह क खलाफ पलट भी मार दता था सरी तरफ समाल मलन पर इसी बाबत सावधानी क तौर पर उस भी रली म साथ रखना तय कया थाफकन सह न य प अब उठकर खद भी वोट दन क अव था म नह था दलबर मडलल कन बढ़ऊ बचारा कर या अ छा लोकत मरत दम तक अपन स च सवक का पीछानह छोड़ता इधर यवा क बाइक रली को सभालकर नत व दन का ज मा मदन बाबाऔर रो हत क जोशीली जोड़ी को स पा गया था गणशी महतो तो सबह स ही जमा थाअपन मोच पर और अपनी आख क सामन इतनी ज द अपन प को इतनी बड़ीज मदारी सभालता दख बीच-बीच म भावक भी हो जा रहा था जब-जब फकन सहरो हत क कध पर हाथ रख उसक बाइक ट म क बार म जायजा लत ए उसस कछब तयाता तो यह दख गव और खशी स आख डबडबा जात गणशी क वो कोन म जाधोती क कोर स आख क लोर प छ आता गणशी का दय समझ चका था बट कोमोटरसाय कल पर ही चढ़ आग जाना ह वो जा भी रहा था फकन सह न रो हत कोयवा क पान-मसाला रसद क लए अलग स सौ पया द दया था जसम सकदरपर कयवा बाइकस भी शा मल थ रो हत न एक पया भी अ य गरज री मद म खच कए बनासार पस का तरगा दलबहार गटका खरीद अपनी ट म को मसाला ऊजा स लस कर दयाथा सार यवा मह म गटका भकोस बाइक पर बठ बस चलन क इशार का इतजार कर रहथ मदन बाबा तरल ऊजा लकर कपार पर गमछ का मरठा बाध खनी रटा रह थ र बठदगबर म सर अपन प मदन मोहन को दख न हस पा रह थ न दन ही कर पा रह थह रजन टोला स रतन दास भी दो-चार नौजवान क साथ खड़ा था सभी प चीस पयानकद जब म डालन और ना ता-पानी क अलग स व था तय होन पर आए थ रली कचलन म लट होन पर व नौजवान बार-बार वापस चल जान क धमक द रह थ रतन दासस कह रह थ

ldquoहम लोग को और भी तऽ काम ह रतन प चीस पया म दनभर थोड़ खड़ा रहगबगारी यहा तम तो -तीन घटा बोल क लाए थ यहा तऽ दनभर का च कर बझा रहाभायrdquo

यह सनकर जब फकन सह क चचर भाई अगद सह न पीछ स उ ह म स एक

नौजवान क पीठ पर जोर स धौल मारकर हाल पछा ldquoका बात ह र चल रहा ह नrdquo पीछस पड़ी इस जोरदार थपक पर पलट नौजवान क साथ फर तो सभी हसकर रली म जानको तयार कहत दखन लग

दन अब उठान पर था जटान करत तयार होत 1100 बज चक थ तभी अदर सकत क बाह समट फकन सह अपनी गाड़ी क पास आकर जोर स लटक को बलान लगालटक वह बगल म कछ बाइक म तल डाल रहा था जो सबह ही प ोल पप स कछ बड़-बड़ ड ब म मगा लया गया था

ldquoअर लडीस लोग कहा ह उसका गाड़ी बलाओ ज द चलो लट ना करो अबrdquoफकन सह न अचानक ही म हला भागीदारी क याद आत ही लटक स कहा

ldquoबस पाच म नट म गाड़ी ार पर लग रहा ह मा लक परा टपो भरा गया हrdquo लटकन भागीदारी स न त करत ए कहा असल म म हला मोचा क ज मदारी लटक भडारीक ही प नी शीला दवी को स पी गई थी शीला एक तजतरार यवा नत व का नाम थी वहनाई टोल क टोला ी ही थी शाद क मा चार साल क अदर ही उसन अपन ा तकारीकटहा वभाव झ टा पकड़ म हला सग क ती कर लन क ब हचक वशष ता मद कोग रयाकर पानी-पानी कर दन क ब मसाल मता और नत नई मौ लक गा लय करच यता क प म एक व श पहचान बना ली थी पचायत क अ य म हलाए उसस सात-आठ हाथ क री पर ही पोखर म कपड़ा-ल ा धोया करती थ शीला चनाव म बढ़-चढ़करह सा ल रही थी वह अपन अभी तक क 27-28 साल क जीवन म बस दो ही लोग सभा वत ई थी एक तो lsquoमोहराrsquo फ म दखन क बाद अ य कमार स सरा आबी और

फटानी दख लन क बाद फकन सह स फकन भी अपनी इस जबराट फन का वशषयाल रखता था आज भी शीला को अलग स 300 पय और टपो म पया त तल

भरवाकर द दया गया था लटक अभी उधर रा ता ताक ही रहा था क शीला क टपोफटफट करती ई आ प ची टपो म अ धकतर नाई टोला क ही म हलाए ठसी ई थ अब सब चलन को तयार थ प षो म सह अपनी बोलरो म आग बठ चक थ सार बजगइसी गाड़ी म थ फकन सह न एक सरी गाड़ी अपन लए मगवा ली थी तभी प षो मसह न फकन सह को इशारा कर अपनी ओर बलाया

ldquoयह ह रजन टोला स सबको बला लएrdquo प षो म सह न पछाldquoहा जसको आना था सब आ ही गया ह भीड़ ब त हो गया ह अब चलत हrdquo

फकन सह न चार तरफ दखत ए कहाldquoअर प ब र दसवा को काह नह बला लएrdquo प षो म सह न फर पछाldquoउसक यहा चार बार आदमी भज घर पर नह ह कह गया हrdquo फकन सह न

कहाldquoएक बार और दखवा लो ई सब ठ क बात नह बर चया भी नह दख रहा या

कर रह हो तम भनसर नता का राजनी त को रोकोrdquo प षो म सह न ह क झ लाहट म

पनः कहाldquoभट आप भी गजब करत ह बाबजी कबो-कबो अर यह साला झाटभर का ह रजन

प ब र दास को पचास बार जाएग बलान या हमको भोट नह दगा या चार दन म नताहो गया ह या और अब बर चया भी इपोटट हो गया ह गाव म कसी को ज रत सयादा मत द जए तव जो अब च लएrdquo फकन सह न भी झ लाकर कहा और पाव

पटकत ए अपनी गाड़ी म आ बठन लगाldquoछो ड़ए अब प षो म बाब चला जाए ज ा पर ग सा मत होइए परा गाव तऽ ह

ही साथrdquo गाड़ी म सग बठ बदरी म सर न कहा इधर पान पराग क प ड़या खोल मसालामह म डाल जोर स गाड़ी का दरवाजा लगात ही फकन न सबको चलन का इशारा कयास नल पात ही रो हत न मोचा खोला और आग खड़ी बाइक ट म न फकन सह जदाबादका जोरदार नारा लगाया पलभर म ही टाट हो सारी गा ड़या बौरात ए साड़ क तरफउछाल मार हनहनाकर आग बढ़न लग साइलसर क रा त नकल काल धए स अचानकधए का गबार-सा दखन लगा गली म जदाबाद क नार लगन लग अभी का फला नकलाही था क अचानक फकन सह क गाड़ी म क लगा जस घर क सामन गाड़ी क थीवहा और जोर-जोर स दरवाज पर नारा लगन लगा गाड़ी स जगद श यादव कदकर उतरऔर घर का दरवाजा ठोकन लग आवाज सनत ही अदर स दरवाजा खला सामन खड़जगद श यादव कनार हट गए अब दरवाज को सीध फकन सह दख रहा था

ldquoका र तमको पसल नवता चा हए खबर भजवाए थ न हम क गाव-घर का चनावह इसम चलना ह तमको साल पागलचोद कम-स-कम गाव का तो इ जत रखा करोहरदम पोल ट स सोचत हो सालrdquo फकन सह न पान परागी वर म एक-एक श द चबात

ए कहाldquoभ क फकन दादा हम तो अभी आए ही ह पपरा स कब मना कए ह हम गाव

क इ जत का बात ह तो एकदम चलना चा हए च लए चलत हrdquo बरची न दरवाज पर सही खड़-खड़ कहा

ldquoअर चलो ब साल साला भोर-भोर मार लता ह गाजा च लए ब ठए जादव जी अरतम रो हत क साथ बठ जाओ मोटर साइ कल परrdquo फकन सह न पीछ खड़ रो हत को वहाआग बला बरची को साथ लन को कहा

बरची न कछ नह बोला उसन दरवाज को सटाया और सीध तरत ही रो हत क पीछबाइक पर जा बठा उसक बठत ही रो हत न बाइक को गयर लगा एक श त लफए कभा त उछालकर बढ़ाया एक बार फर स का फला चल नकला रो हत क बाइक पर बठाबरची कसकर पीछ क रयर पकड़ था सीडी डॉन हीरो ह डा बाइक स भी कोई पायलट इसतरह लह रया कट लगा सकता ह यह बरची न रो हत स उ मीद नह क थी कछ दर चलनक बाद बरची न धीर-धीर स कान क पास जा रो हत स बातचीत श क तज हवा म बातकम ही सनाई पड़ रही थ

ldquoका र बाब पढ़ाई- लखाई छोड़ दए या फकन सह आयोग म बहाली ल लए हो

या तमको हमशा जगदबा लाइन होटल म दखत ह टडली मारतrdquo बरची न रो हत ाराबाइक क कलाबाजी स दहल अपन दल को सभालत ए पछा

ldquo कतना पढ़ग हो बरची भया ब त पढ़- लख लए नौकरी-वोकरी लगता ह नहगरीब का होटल म तो ड लोग रहता ह तो उसी म साथ रहत ह फकन चाचा क भी साथउठना-बठना तो लगा ही रहता ह या चाहत ह आप क अपन बाप क जसा हम भी खत मजाकर कादो माट करrdquo रो हत न बाइक क र तार कम कर त खी स कहा और फर ग तबढ़ा द

ldquoओ तमको पता ह क तम गरीब हो गरीब आदमी साला कादो माट छोड़करमोटरसाय कल स फकन सह का रली जाता ह र और त हारा कौन सरकारी परी ा कगया ह र गरीबी क कारण अभी तक एक भी फॉम डाल हो बrdquo बरची न इस बार कायदस लत ए पछा

ldquoअर भया आप भी या बात कर रह ह मोटरसाय कल आजकल कसक पास नहह य तो साधारण चीज ह सबक लए आज क समय मrdquo रो हत न गरीबी रखा क ब कलनई सीमा नधा रत करत ए कहा

ldquoवाह र बाब मतलब गरीब क लड़का मोटरसाय कल जसा साधारण चीज खरीदसकता ह ल कन कताब खरीदकर पढ़न कॉलज जान और फाम भरन का भारी द कतह इतना तक कहा स सीखा र फकन सह क साथ उठ-बठकर अर तमको पता भी हक बाप त हारा कहा-कहा स पसा जमा कर त हार खा तर मोटरसाय कल खरीद दयावही बाप अगर कजा लकर तमको पढ़ा- लखा दता तो आज एक उ मीद होता तम यहारली म लह रया कट नह मार रह हो तम अर अर आग गड ढा ह जरा बचाकर चलो ऐ-ऐअरrdquo बरची क बोलत-बोलत तो यह सब सन अदर स कढ़ चक रो हत न दखत ए भीबाइक सामन क गड ढ म कदाकर पार क बरची फकात-फकात बचा बोलत-बोलतबरची न गणशी क लए कज और बड़ी म कल स चार साल पर मल फसल बीमा वालमआवज क पस भी बट क शौक क लए मोटरसाय कल म लगा दन वाली बात बता द थीयह सब सन मड खराब हो चका था रो हत का उसका मन कर रहा था क अभी क अभीबरची को बाइक स उतार द पहली बार उस बाइक क सीट चभ रही थी दय म कछकचोट रहा था अचानक स मन म पलभर क लए बाप का चहरा और खत क मड़ दखाईद अदर स कछ भारी महसस करन लगा रो हत

ldquoअब छो ड़ए बस चपचाप च लए भया आप भी तो पढ़ न खब या कए बताइएनौकरी लगा हमको ान द रह ह बसrdquo रो हत न मन-ही-मन कछ और सोचत ए भी इधरबरची स इतना तो कह ही दया था

ldquoहमार तो कपार म ककर मता था तम भी मतवाओग हम तो हर हाल म कम-स-कम बीए कर लए बाक हमार साथ या आ यह अपन बाब जी स पछना तम काहबबाद हो रह हो दखो बाब ब त महनत-प र म स त हारा बाप त हार लए सबकछ करताह इस लए तमको समझाए क पढ़- लख लो ल कन अगर हमारा बात खराब लगा हो तो

हाथ जोड़त ह बाब फकन सह क पछवाड़ म घस जाओ हम काह रोकगrdquo अबक बारबरची न भी चढ़त ए आ खर बन छल बास क तरह नक ला समापन कया इतन मरो हत न अक मात ही क लगाया

ldquoआ गया च लए उत रए ान ल लए हमrdquo बोलकर रो हत न बाइक बद कर चाबीख ची

सब खड कायालय प च चक थ अचानक वहा प ची रली न हलचल मचा द थीफकन सह जदाबाद क नार लग रह थ चनाव का तर थोड़ ही छोटा-बड़ा होता ह

याशी का नवश माहौल तय करता ह फकन सह न तामझाम का दशन कर धानी कनामाकन को ही वधायक क नामाकन का तर द दया था हाला क यह भी अकारण नहथा प षो म सह क नजर अब अगली योजना पर तो थी ही

अब नवाचन अ धकारी क कायालय क सामन भीड़ जमा हो गई फकन सह अपनपता बदरी म सर कामता साद जगद श यादव दलबर मडल दगबर म सर रतन दासक साथ एक सवजातीय समह बना कायालय क अदर घसा अदर ठ क तभी नामाकनअ धकारी एक याशी का नामाकन ल रह थ अ धकारी न इन लोग को हाथ स कछ पल

कन का इशारा कया फकन सह समत सभी लोग न जब उस याशी को दखा तो दगरह गए

ldquoह यह कस आ गया महाराज आ खर फर करन आ ही गया नौमनसन हद आदमीह ई चटrdquo सबस पहल बदरी म सर च क क बोल

यह गाव क ही जटाय श ला थ सबको दखत ही जटाय श ला न म कराकर सबकासाम हक अ भवादन कया जवाब म कोई भी नह म कराया बस एक कामता सादजरा-सा म क ही थ क सबको नह म कराया दख उ ह न भी झट स अपनी म कराहटवापस ल ली सभी आपस म बदबदा रह थ अपन पीछ हो रही खसर-पसर को दखप षो म सह पीछ मड़ थोड़ी झझलाहट क साथ बोल

ldquoअर भाई अपना नामाकन का काम हो जान द जए न पहल बाक चीज बाद मब तयाइएगा न आप लोगrdquo

इसी बीच नामाकन परा कर जटाय श ला अपन कागज-प र समट सग आए दो लोगक साथ लगातार म करात ए कनार स बाहर नकल गए उनक साथ क दो लोग को कोईनह पहचान पाया अब फकन सह क नामाकन क बारी थी फकन सह क गदन स ऊपरतक गद क मालाए भरी ई थ कायालय घसत-घसत भी शीला न अपन हाथ स बनाईएक और लाल अड़ ल फल क माला गल म डाल द थी फकन सह न अपन हाथ सकागजात नामाकन अ धकारी क ओर बढ़ाए अ धकारी न फकन सह स गल क कछमाला उतार लन को कहा जसस वह फोटो स उसका चहरा मलान करन क या परीकर सक उसक बाद नामाकन क सारी औपचा रकताए परी कर सभी बाहर आए बाहरआत ही सबस शात प षो म सह हरकत म आए

ldquoअर दखो जरा ऊ जटाय श ला कहा गए जरा खोजकर लाओ मलवाओ भाईहमकोrdquo प षो म सह न सामन खड़ काशी और जगद श यादव स कहा यह सनत हीएक साथ तीन-चार लोग हरकत म आए सभी चार तरफ नजर दौड़ान लग इतन म थोड़ाहटकर खड़ बरची क नजर सामन झोपड़ीनमा एक चाय कान पर पड़ गई जहा बच परबठ जटाय श ला ग त प स अपन दोन सा थय सग ब तया रह थ उ ह दखत ए बरचीचपचाप ही कान क तरफ बढ़ा और कसी का उधर यान नह गया था

ldquoजटाय बाबा बाबा आपको हमार धान जी बला रह ह पहल वाल और होन वालनो धान लोगrdquo बरची न दात चहारकर कहा

ldquoहा-हा-हा का हाल बरची कमार का जी तम भी साथ हो गया फकन सह कएकमा वप अब हम ही रह गए हrdquo जटाय बाबा न भी हसत ए कहा

ldquoअर आप तो लोकत का रीढ़ ह बाबा साला आप नह ह तो स ा छट टा साड़ होजाए आप पर नाज ह मलखानपर कोrdquo बरची न पनः दात चहार ही कहा

ldquoहा-हा मौज ल रह हो बटा खद धान क सवक बन गएrdquo जटाय बाबा भी मजाकही कए जा रह थ

ldquoअ छा बाबा य दोन कौन ह साथ मrdquo बरची न उ सकतावश पछाldquoसब बाहरी समथक ह चनाव म आ गए ह सवा भाव स रत हो हम तो भाई

बाहर-भीतर एक-सा सबध रख ह बाबrdquo जटाय बाबा न ह का-ह का गभीर होत ए कहाldquoअर एकदम सही बात आप पचायत लवल स ऊपर का चीज ह बाबा आप जटाय

ह कौनो कौवा-मना थोड़ हrdquo बरची भी गभीरता म पीछ न रहत ए कहाजटाय श ला मलखानपर क ही नवासी थ उनक बार म कवदती थी क उ ह न

वकालत क पढ़ाई क थी वस य दश उनक पास एक दशक पराना कालाकोट होनक भी प करत थ कई लोग का दावा था क उ ह न जटाय बाबा को कई बार कोटप रसर म भी दखा था शहर म जटाय बाबा या करक कमात-खात थ यह एक रह य थापर उनक स इस बात को लकर थी क अपनी 50 वष क आय म उ ह न जतन भीजस भी तर क चनाव दख वो सब लड़ अब तक वह चार वधानसभा सात पचायतचनाव नौ गा पजा कमट क अ य का और आठ बार बाजार स म त का चनाव लड़ चकथ हाला क कसी भी चनाव म जीत और जटाय दोन न कभी एक- सर का चहरा दखनापसद नह कया उ ह गहरा जानन वाल तो यह भी बतात क अपन हाई कल क टाइम मउ ह न लास मॉ नटर का भी चनाव लड़ा था जसम मा छह वोट स हार थ अपन जीवनम व वध कार क लगातार लगभग 28 चनाव हारकर उ ह न लगातार 17 हार वालमोह मद गोरी को ब त पीछ छोड़ नतन इ तहास रचा था lsquo गरत ह शहसवार ही मदान-जगमrsquo वाल शायर न इनको इतनी बार गरता दख ससार स अपनी शायरी वापस माग ली थीअपन जीवन म बस एक पछल वधानसभा का चनाव नह लड़ पाए य क जस दन यहनामाकन को जा रह थ उसी सबह जमीन क आपसी ववाद म इनक छोट भाई न लाठ

मारकर टाग तोड़ द थी खद पर हमल को उ ह न लोकत म म य वप पर हमलाबताया था इसक वरोध म उ ह न एक दन का बाजार बद भी बलाया था बद क कारणयह खद उस दन दरवाजा लगा कमर म बद रह इस तरह एक सफल बद का यश भी उनकखात म था भाषण कला म वीण थ वचारधारा क नाम पर ज रत क हसाब स सबकसहयोगी थ कसी स ष नह था जसका जस दन ना ता कया उसक लए बोल दत थगाव क लगभग सभी चाय कान पर इतना यादा उधार हो चका था क अब मलखानपरम चौक-चौराह पर कम ही दखत थ कान पर बठ जटाय बाबा अभी बरची स ब तया हीरह थ क वहा हन-हन करता आ काशी प चा

ldquoअर आपको तभी स प षो म बाब खोज रह ह च लए महाराज आइए ज द rdquoआत ही उसन तपाक स कहा

ldquoअर चलो ना इतना हड़बड़ी काह ह भाई हा-हा का जी बरची इस बार हालतखराब ह या फकन जी का जटाय को पकड़ना म कल ह अबक एकतरफा ना होजाएrdquo जटाय बाबा न बच स उठत-उठत कत क बाह समटत ए कहा

ldquoआधी ह अबक आपक नाम का आधी आज ही दख ली जए ना आप शर क जसाअकल ही नोमनसन करन आए और उधर फकन सह सबको बटोर क आया ह झड म हमलोग तो गीदड़ गाव उठकर आ गए हrdquo बरची न जटाय क क पना को और ल चई उड़ानदत ए कहा

ldquoहा च लए ना आपको माला पहनाकर वजता घो षत करन ही बला रह ह वहाrdquoकाशी साह न चढ़त ए दात कटकटाकर कहा इधर तब स फकन सह पता पर बड़बड़ारहा था

ldquo या ज रत ह ल चा जटा श ला को पछन बलान काrdquo फकन सह पता स बोलरहा था

ldquoराजनी त म कोई भी दाव ह का ना समझो इस बार कोई चक नह चा हए यहजटाय नता भवन र साद का मोहरा भी तो हो सकता ह नह तो या पता कल होजाएrdquo प षो म बाब न जब स इलायची क ड बी नकालत ए कहा

ldquoअर उसको भोट ही कतना आता ह बाब जी या आप भी एकदम साला च कातासी रयल बना दए ह चनाव कोrdquo फकन सह पाव पटकता आ बोला फकन न अपनीओर स ठ क ही कहा था आज तक जटाय श ला को कसी भी चनाव म दस स कम वोटआए न प ह स यादा उनक य दस-बारह वोटर कौन थ इसका पता आज तक न चलपाया था इन वोटर का रह य रावण क लका वाली गफा स यादा गहरा था

जटाय श ला धीम-धीम गभीर चाल म चलत ए एक गभीर याशी क प मश ाचार मलाकात क लहाज स प षो म सह क सामन प च चक थ

ldquoजटाय बाबा तब नामाकन कर दए एकदम ब ढ़या बात हrdquo उनक आत हीप षो म सह न औपचा रक श आत क

ldquoआपका नह ह यही तो व थ लोकत क नशानी ह क एक याशी सरयाशी को शभकामना द रहा हrdquo जटाय श ला एकदम भाव व ल लवर म बोल

ldquoअकल आए थ या नोमनसन मrdquo प षो म बाब न फर पछाldquoहा श स ही हमारा यही तरीका रहा ह समथक और वोटर हमारा म बठा ह

उन लोग को लात ही नह ह हम जनता क खन-पसीन और ट स क पस को हम भोटखरीदन म और रली म खच का श स वरोधी रह ह चनाव म फजलखच पर रोक लगइसक लए कई बार रा प त जी को प भी लखा ह मरा चनाव कफायती होता हrdquoजटाय श ला न अपन चनाव सधार यास को रखा कत करत ए कहा

ldquoवोट भी कफायती ही लात हrdquo वहा जमा भीड़ म स कसी क आवाज आई यहसनत ही लोग हस पड़ प षो म बाब न हाथ उठा सबको शात होन का इशारा कयालोग क आपसी बातचीत जारी थी जटाय श ला अब भी गभीर खड़ थ अब बदरीम सर थोड़ा आग आए

ldquoजटाय भाई आप छोटा भाई ह एक बात कहना हrdquo बदरी म सर बोलldquoअर एकदम आप आदश करrdquo जटाय पख फड़फड़ाकर बोलldquoआदश नह ा ण आप भी वजातीय ह इसी अ धकार स एक बात कह रहा

rdquo बदरी म सर न सहोदरी भाव स कहाldquoनह -नह यह आप गलत बोल गए बदरी भया जा तवाद सक ण मान सकता क

साथ मझस तो वातालाप मत क रए द खए मरी लोक यता सभी जा त म ह म सम वयक राजनी त करता नातको र व ध सकाय स धम नरप ता पहला यय ह मराह -म लम भी साथ ल क चलता rdquo जटाय श ला क भीतर स जस श ला न नह भारतक स वधान न बोला

ldquoअर भाई जा तवाद हम भी नह ह दस जा त म हमारा भी जजमनका चलता हपरखा जमान स हम तो म और नहवश बोलrdquo बदरी म सर न अपन वचार प करत

ए कहाldquoसाला आप लोग तब स श हद म महाभारत चला क या बकचोद ब तया रह ह

सीध-सीध बात को क हए ना जो कहना ह तब स नह और म पल जा रह ह सा लाआप लोग पढ़ा- लखा सम या ह महाराजrdquo फकन सह एकदम स फटत ए जोर सच लाकर बोला

ldquoहा-हा बस वही कह ही रह ह हा बात यह था जटाय भाई क हम लोग परा गाव-समाज चाहत ह क धान का चनाव एकदम न वरोध हो हम सब लोग को एकतादखलात ए पचायत चनाव सप करना ह आपस परा मलखानपर सहयोग चाहता हआप अपना उ चत नणय क रए कछrdquo बदरी म सर न एक सास म अपनी बात कह द फकन क डाट को बना दल पर लए ही

ldquoमतलब हम बठ जाएrdquo जटाय श ला तरत समझत ए बोल

ldquoनह -नह आपको साथ दना ह सहयोग ह यह आपका आपका बड़ पन रहगाभाईrdquo बदरी म सर म ी घोलकर बोल

अब समची भीड़ क नजर जटाय श ला क जवाब पर थी कछ लोग फकन सह कोकसमसाता भी दख रह थ पीछ दो लोग ब तया रह थ द खए जटाय मानता ह क आजपख नोचवाता ह अपना एक बदबदा रहा था फकन सह क हाथ आज कटा न जाए ईबबवा इन सब शका -आशका स अनजान जटाय श ला न ब त गभीर भाव म खड़आख मद दो पल गदन हलाई और फर बदरी म सर क तरफ दखन लग

ldquoबदरी भया इस तरह न वरोध चना जाना यह तो तानाशाही को बढ़ावा दना होजाएगा यह तो राजत को वापस लाना हो जाएगा एक तरह स म यकाल क तरफलौटना हो जाएगाrdquo जटाय श ला न लोकत पर मडरात खतर को भापत ए कहा इतनासनत तो फकन सह का चहरा लाल-पीला होन लगा प षो म बाब ल कन धय स खड़ थ

ldquoअब साला ए सस हो गया ह और चढ़ाइए इन सबको कपारrdquo फकन सह पता कओर दखत ए तल मलाकर बोला

ldquoअर जटाय बाबा महाराज आपको भोटव कतना आता ह भाई भाई दस-बारहभोट का ही न बात हrdquo इस बार जगद श यादव आग आकर बोल खड़ी भीड़ आग-पीछठला-ठली कर रही थी कोई जटाय श ला क तरफ ध का द रहा था कोई हसी- ठठोलीकर रहा था फकन का पारा गम हो चका था

ldquoऐ जटाय बाबा आप पाच भोट स रोक ली जएगा हमरा तानाशाही कतना बड़ा नताह आप हो साला तब स बदा त कर रह हrdquo फकन सह इस बार जटाय श ला क सीनपर हाथ धर धकलत ए बोला यह ए शन सीन दखत ही कछ लड़बाज नौजवान पीछस सीट बजान लग जस कसी मसाला मवी क श टग चल रही हो हालात को इस तरहहोता दख प षो म सह न आग बढ़ फकन सह को पीछ ख चा

ldquoअर अर या कर रह हो दमाग ह क नह तम चनाव लड़ रह हो और इस तरहपहलवानी करोग ख लम-ख ला इस तरह बचार ा ण पर हाथ उठाना चा हए या कसी

य कोrdquo प षो म सह न सध अदाज म डपटत ए कहाldquoहा ऐ फकन बाब ऐ महराज छो ड़ए अर नरीह ा ण ह बचारा अर बठ जाएगा

बठ जाएगा ग सा मत क रए बात स बाहर नह जाएगाrdquo बदरी म सर न एक ा ण कसपण नरीहता को अपन चहर पर लात ए कहा बदरी म सर हाथ पकड़ जटाय श ल कोकनार ल गए फकन सह लगातार गाली दए जा रहा था जटाय बाबा अब अदर स काप-स गए थ इतनी ज द फकन सह बरस जाएगा सोचा नह था उ ह न जटाय श ला अबसहम तो थ पर एक बार ह मत कर पनः आग आए

ldquoद खए अब ऐस अपश द बोलन स होगा या फकन जी य तो स कार नह हआपका आप लोग उ च कल क ह य बात याद र खए अर भाई म स बात क रए नाली जए हमारा तोड़ द जए तब हाथ-पर पछला चनाव म भाई तोड़ दया था हम सोचग

इस बार भी छोटा भाई तोड़ दया ली जए हा जर हrdquo जटाय श ला न इमोशनल उड़ानली

ldquoअर छो ड़ए ई सब बात आवश म बोल गया फकन टाग-हाथ काह तोड़गा आपकाभाई जसा ह आप उसका अब शात होइए श ला जीrdquo प षो म सह न दोन कध परहाथ रख जटाय श ला को धरत ए कहा

ldquoअर आप फालत म ही ना बात बढ़ा रह थ बाबा फ ट म मान जाना थाrdquo जगद शयादव बोल

अभी कई लोग जटाय श ला को घर खड़ थ कोई मह दाब हस रहा था कोई श लाजी को रकच रहा था कोई कह रहा था पहल ही साला बठ जाना चा हए था इसको अबजटाय श ला स रहा ना गया

ldquoअर बठ जाना चा हए था बठ जाना चा हए था या तब स बोल जा रह ह सब लोगअर अभी तो घटा भी तो नह आ ह साला हमको खड़ा ए और सब आप लोग सबमारपीट पर उता ह भाई अर या एक दन का भी हक नह हमको खड़ा रहन का ईकौन बात ह मद लो ठ क ह बठा दो ल कन साला थोड़ा-सा तो इ जत रख दो भाई यामजाक बना दए ह मराrdquo जटाय श ला अब तक क सबस यादा आवग म लगभग रोत एच लाकर बोल

ldquoएकदम अ छा सही बात सही बात एकदम अब मजाज को शात क रए औरचाण य बन क च ग त होन का आशीवाद द जए फकन बाब को इ तहास हरा द जएबसrdquo बदरी म सर एकदम लग पड़ बोल एक सकट म फसा ा ण जवाब दकर नह आशीवाद दकर ही जान बचाता ह अगर जटाय श ला आशीवाद न दत तो उ ट फकन सकछ लन क नौबत आ जाती ल कन जटाय पछल दजन चनाव क अनभवी तो थ हीउनस इतनी भी ज द मदान छड़वाना आसान न था

ldquoद खए बदरी भया हमारा कछ नह अभी बठा द जए ल कन हम ह जनता कयाशी उनक आशा उनका उ मीद ऐस म एक बार अपन समथक स पछकर बता दता

कल उ ह न ब त उ मीद स खड़ा कया हrdquo जटाय चहर पर अतलनीय गभीरता काभाव लए बोल

ldquoअर तो कौन समथक वही दस-बारह लोग न तो अभी ही पछकर बता द जएrdquoबदरी म सर न तड़ कहा

ldquoअर तरत कस पहल पता भी तो लगाना होगा न क व सम पत लोग कौन-कौन हमतदान तो ग त होता ह ना बदरी भया समथक हमार सार ग त ह यही लोकत का बयटह भयाrdquo जटाय अब थोड़ा म कया क बोल

ldquoऐ एक बात ई ग तरोगी लोग का पता चल जाए ना तो जरा हमको भी बताद जएगा जरा इन भोसड़ीवाल को हम लोग भी तऽ पहचान तो ल क ऐसा कौन दस ठोनमना ह गाव म परा गाव को दखन का मन होगा या जी सब लोगhelliprdquo फकन सह न

अचानक स बीच म गरा कर कहा बीस-प चीस लोग न हो-हो कर समथन म ह ला कयाइस बार सब हस पड़ सबको हसता दख जटाय भी रोत ए हस दए

ldquoह-ह फकन जी भी बड़ा ज द ो धत हो जात ह जन त न ध को थोड़ा वशालदयी होना चा हए साहबrdquo जटाय बड़ सभल-सभलकर फर बोल

ldquo दखाए हरदय अपनाrdquo फकन सह नकफ ली हसी क साथ सीना नकालत एबोला

ldquoछाती नह दय दखाइए अब द खए अगर हम चाण य बनन का वचार कर रह हतो आप भी च ग त क जसा बड़ पन वाला वहार र खए थोड़ा हम आपक बात स बाहरनह ह फकन जीrdquo जटाय न अबक साफ-साफ कहा इतना सनना था क बदरी म सर नजटाय को गल लगाया पर जटाय अनमन थोड़ पीछ हट वो अब भी वप ी उ मीदवार थकस गल मल लत बना कसी नणय क

तय आ क कल तक जटाय अपना नणय दग अब सब वापस होन को नकलनलग सभी आए लोग फटाफट अपन-अपन वाहन क ओर दौड़ फकन सह भी अपनीगाड़ी टाट करवा नकलन लगा बरची दौड़कर नकल रह म हला वाल टपो म लटकाजो अब खाली हो चका था म हलाए तो गाव स अपन-अपन मायक और उन सग-सब धयक घर जान क लए ही टपो स चली आई थ जो वह आस-पास रहत थ इस तरह कलमलाकर सब लोग नकलन लग पर जटाय श ला वह खड़ थ उनको भी घर जाना थाकोई साधन था नह साथ आए दोन यवक तो कब क अपनी बाइक स जा चक थ इतन मजटाय दौड़कर प षो म सह क गाड़ी क तरफ गए

ldquoचलना ह काrdquo शीशा उतारकर प षो म बाब न पछा जटाय क मड़ी हलात हीझट स गाड़ी का पछला दरवाजा खला और जटाय पछली सीट पर गोड़-हाथ समटकरएडज ट हो गए लोकत का सजग हरी और चनाव म न बठन वाला याशी बोलरो मबठ चका था

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सबह का सरज रोमाच लकर आया था जटाय श ला सर दन अचानक स गायब हो गएथ और प षो म बाब क उ मीद पर खतर क बादल मडरान लग थ यह सदह प हो गयाथा क जटाय क पीछ कोई तो राजनी त ह जटाय श ला पर तीन दन गायब रहन क बादआज सबह-सबह प षो म सह क दरवाज प च थ आज ब त-कछ उनक नणय परटका था वह अगर आज अपना नामाकन वापस लन क घोषणा कर दत तो फकन सहका धान बनना लगभग तय हो जाता य क आज नामाकन करन क अ तम त थ थीऔर अब तक फकन क व उनक सवा कसी और न नामाकन नह कया था इधर तीनदन तक जटाय श ला का कोई अता-पता न होन क कारण प षो म सह क खम म चताबढ़ गई थी क कह जटाय श ला क पीछ नता भवन र साद तो नह लग यह चता अबजटाय श ला क वहा प च जान क बाद भी बरकरार थी जटाय बाबा क वहा प चत हीआसपास स कछ और लोग दरवाज पर प च गए हर आदमी उ ह अपन-अपन तरीक सटटोल सबस पहल पता कर लन क तयो गता म लगा था क जटाय बाबा बठग क नह जटाय श ला बस म करा-म कराकर स पस बढ़ा द रह थ जटाय बाबा क दरवाज परबठन क खबर मलत ही फकन सह लगी कस घर स बाहर नकला

ldquo या बाबा मरा-भला गए थ या हम लोग तो चता म थ क कह कछ हो तो नहगया आपकोrdquo पछल तीन दन स उ ह ही खोज रह फकन सह न कढ़त ए दात पीसकरमन सयत भरा अ भवादन कया

ldquoहा-हा नह -नह जी अभी काह मरग जब तक आपका साथ ह मरग कसrdquo जटायश ला न बना आहत ए कहा

ldquoअर भाई डर लग रहा था क कह कोई मार द गायब कर द और नाम हमारा लगा दसाला काह क उस दन हम ही ना आपको गाली-फाली द दए थ थोड़ा अब राजनी त मतो वरोधी कछ भी करवा सकता ह आपका मडर करवा दगा और हमको फसा दगा यहीसब टशन हो रहा थाrdquo फकन सह न एक रोमाचक सभावना का ज करत ए कहा यहसन एक पल तो हसमख जटाय श ला गम-स हो गए सामन खड़ लटक स पानी लान काअनरोधी इशारा कया उनको मारकर भी य प - वप क लोग आपस म राजनी त करसकत ह यह तो सोचा ही नह था उ ह न राजनी त तो सदा स र पीती आई ह लाखजीव का खन पीकर फली-फली ह एक ठो चील-कौआ जटाय का पख नोच दना कौनबड़का बात ह यह सोचत ही कपकपी-सी लगी उ ह अदर-ही-अदर ओह राजनी तर पपास हो चक ह सावधान रहना होगा अभी जटाय मन-ही-मन यही सोच रह थ तबतक लटक लोटा म पानी लए आया जटाय श ला न एक ही बार म परा लोटा गटक सखत

कठ और झनझना रह बदन को तर कया तभी अदर स प षो म सह भी नकल जटायश ला न कस स उठ करब अ भवादन कया प षो म सह न भी हाथ जोड़न जसीथोड़ी-ब त आक त बना अ भवादन का कसी तरह स मानपवक टाइप ही जवाब दयातभी प षो म सह न वह सामन चौक पर बठ अगद को दौड़कर बदरी म सर को बलालान को कहा अगद सह ज वक प स एक वशालकाय ाणी था और भारतीयपा रवा रक व था क हसाब स प षो म सह का भतीजा था य सब प रवार पड़ोस मही रहत थ अगद का भरा-परा शरीर सह प रवार क सपदा था बना म त क भी मानवआराम स खा-पीकर जीवन जी सकता ह अगद इसका व सनीय उदाहरण था अपन बड़चाचा का आदश पात ही अगद दौड़त ए ही बदरी म सर को बलान गया रा त म उसदौड़ता दख लोग समझ ल रह थ क घर स कसी न दौड़त ही जान को कहा होगा लगभगदस मनट क बाद बदरी म सर उधर स धोती-गजी पर ही लगड़ात ए फचक- फचककरचलत ए आए रात को गोहाल म इनक बछड़ न अपन ह स का ध गारता दख कदकरइनका पाव थर दया था उसी कारण दद स लगड़ा रह थ

बदरी म सर न आत ही लपककर कहा ldquo या भाई जटाय अर भाई इस तरह गायबआ जाता ह या भाड़ म जाए चनाव भाई पहल जीवन चा हए आपका आपका मरा

मह हमस तो नह दखा जाएगा इस उ म ई आघात नह सहन होगा जटाय भाई हम लोगसोच क कछ अनहोनी हो गया ह भगवानrdquo आत ही अ भवादन का इतना अशभ स करणशायद ही सना था कसी न जटाय न सनत ही अपन चहर को दा हन हाथ स छकर टोहा वजदा थ अब कल मलाकर जटाय बाबा न इतना तो समझ ही लया था क इन तीन दनम कसी न उनक लए कसी राजनी तक दाव पर चचा भी नह क ह ब क यहा तो सालासबको अदाजा हो रहा था क जटाय मरा- बला गया कह इसी बीच एक बार जटाय बाबान दोन हाथ स माथ का पसीना प छा

ldquoतो बताइए ज द या डसीजन आ आपका ब ठएगा इ जत स क लड़बक रएगा हमसrdquo फकन सह न फफकारत ए पछा

ldquoअर नह डसीजन का होना ह हो गया ह तब ना आए ह बचार काह लड़ग भाईआपस आप स लड़न का मतलब खाली आप ही थोड़ ह इसका मतलब ह परा गाव-समाजका अपमान करत ए एक-एक घर स लड़ना य काम जटाय जी या कोई भी भलाआदमी नह करगाrdquo बदरी म सर न अपन बलाए जान क उपयो गता स करत एकहा

ldquoहा द खए हमार समथक लोग का तो दबाव ब त ह क हम फाइट कर ल कन हमखद चाहत ह क सवस म त स धान चना जाए और गाव का वकास हो आपस म मबढ़ इस लए दो ही रा ता ह या तो गाव क वकास क लए हम बठ जाए और फकन बाबन वरोध चना जाए या फर फकन बाब बठ जाए और हमार साथ कदम स कदम मलाएrdquoजटाय बाबा न अभी अपन चर- ती त अनमोल वचार रख ही थ क बदरी म सर तोभ च क रह गए और फकन सह दात पीस मट ठ बाध अपनी कस स उठन लगा उसक

दहभाषा स साफ था क अगल कछ मनट म वो जटाय जी क पख छड़ाएगा प षो मसह भी धोती समट बचनी म कस स उठ एक ही पल म वहा बदल चक माहौल को जटायन त काल भाप लया और फर सरा ण बीतन स पहल ही तो फटाक स आग कहाldquoल कन द खए द खए हम गाव क साम हक हत क लए अपना वचार रख रह ह कhelliprdquo

तब तक फकन सह का हाथ जटाय जी क गदन स ब भर पर ही थाldquoजाइए हम चाण य बनना मजर कएrdquo गदन पकड़ म आन स पहल ही जटाय

श ला न नणय क घोषणा कर द घोषणा होत ही बदरी म सर तो जस उछल पड़ जोर-जोर स ताली पीटन लग उनक दखा-दखी अगद भी ताली बजान लगा फकन सह ककसकर बधी मट ठ थोड़ी ढ ली पड़ी एक लबी सास उसन भी ज र ली प षो म बाब नभी आख बद करक एक बार गहरी सास ली

ldquoली जए तब आप अभी अपन हाथ स च ग त को माला पहनाइए वाह अर वाह होभगवान भाई कोई जाकर कह द जए जला शासन स मलखानपर पचायत का चनाव होगया रज ट दख ल इहा आ कrdquo बदरी म सर स ता क हद तोड़त ए बोल

ldquoअ छा यह सब होता रहगा जटाय बाबा को पहल स मानपवक ग द णा दनद जएrdquo प षो म सह न सकन भरी म कान क साथ कहा प षो म सह न फकन सहस पसा दन को कहा फकन सह पाच मनट म अदर स पसा लकर आया

ldquoऐ फकन जी स नए ना जरा तीन हजार और बढ़ा क कर द जए न ब त द कतह थोड़ाrdquo जटाय बाबा न ऐन मौक पर मद द क ज री बात कही

ldquoअब नाटक ना क रए बाबजी स नोमनसन क आत व गाड़ी म जतना फाइनलआ था वह द रह हrdquo फकन सह न तय रा श क बात दोहराई

ldquoअर महाराज अब इतना भी कजसी ना क रए फकन जी च ग त ए ह तो राजाजसा दल भी र खए द खए हम यादा नह माग रह जतना हम इस चनाव म खच कएह वही मलधन मल रहा ह बस एक पया का नफा नह ल रह ह हम तो ग त प ससालभर पहल स झ क ए थ इसम खद को उसी म जो खच आ ह वही तो मल रहा हबसrdquo जटाय बाबा न अपन अ भयान पर ए जायज खच क बार म बताया

ldquoहो गया अब छोड़ो द दो न अर हा सात हजार म तय आ था ल कन द दो भाईदस हजार चनाव म इसक बाद कोई खच भी तो नह अब न वरोध ए य भी तो दखोऔर पसा गरीब ा ण ही ना खाएगा बचारा चलो द दोrdquo प षो म बाब न बड़ दय काप रचय दत ए कण क दानवीरता का लवर लत ए कहा

ldquoच लए द दत ह वधानसभा चनाव म -तीन हजार म बठत ह यहा दस वोट कादस हजार ल लएrdquo फकन सह बाक क तीन हजार लान को उठत ए बोला

ldquoलोकत म एक-एक वोट क मती होता ह और आपको एक हजार म एक भोट ब तमहगा लग रहा ह फकन बाब जनमत का इतना तो अपमान मत क रए अब आपजन त न ध होन वाल हrdquo जटाय बाबा न मत क म य और लोकत क ग रमा का यान

दलात ए कहा हाला क यह सनन क खा तर फकन वहा मौजद नह था वह पसा लानअदर जा चका था पसा लकर वापस आत ए उसन पस प षो म सह को दए

ldquoप षो म बाब क हाथ स द णा हण करवाइए च लएrdquo बदरी म सर न शभ हाथक तारीफ म कहा और इस तरह स मा दस हजार म एक चाण य बन-बनाकर तयार होगया था लोकत क न कारखान म महगाई क जमान म इतना स ता तो ट वी- ज नहआ सकता कायद का यहा चाण य खड़ा था बनकर न य ही बड़ी राजनी तक सफलताथी यह प षो म सह क लए अदर खड़क स झाक रही फकन सह क मा न अपन बटको धान बनता दख खशी म गठ स पस नकाल अगद को बला मठाई लान कह दयाइधर पस जब म रखत ही जटाय श ला चलन को तयार थ इस चनाव म जतन क जीतमल सकती थी जीत लया था बचार न व बरामद स उतरन ही लग थ क सबन लड डखाकर ही जाइएगा बोलकर बठा लया

ldquoह बाब सनो ना तब यह हमार लए दो पीस लालमोहन ल लना तब अब रोक लएह सब तो मन रखना होगा न पट का द कत रहता ह बसन छब नह करत ह लालरसग ला ल लना बाब वह ठ क रहगा खा लग कसी तरहrdquo जटाय पी नवचाण य नपट पर हाथ फर दस हजार क भगतान म दो गलाबजामन जोड़त ए कहा बाजार जान कोनकला अगद य सनत ही खड़ा हो गया और अपन बड़ भाई फकन सह बड़ चाचाप षो म सह क तरफ दखन लगा वह उनका इशारा चाहता था क रसग ला लाना ह कनह फकन सह अभी कछ कहना ही चाहता था क प षो म सह न दा हना हाथ उठात

ए कहाldquoअ छा जाओ ल लना दो पीस लालमोहन भीrdquo दरवाज पर अब धीर-धीर कछ और

लोग और इकट ठा होन लग लटक भडारी न वह खड़-खड़ अपन मोबाइल स कछ औरसमथक को फोन कर न वरोध नवाचन क खबर अपन हसाब स जतना हो सकावायरल कर द थी खद फकन सह को भी कछ फोन आन लग इधर अगद बड़ी तजी समठाई लकर लौट आया लटक मठाई ल अदर गया और उस थाली म डालकर ल आयाएक छोट -सी लट म जटाय बाबा क लए रसग ला अलग स था सबन थाली स एक-एकलड ड उठाया बदरी म सर न भी दो लड ड उठाकर अगद क तरफ बढ़ाए और उस एककागज म लपटकर द दन को कहा असल म अभी उ ह न नान नह कया था अतः घर पनान एव पजा-पाठ करन क बाद खात जटाय बाबा न तो लट सामन रखत ही एक

रसग ला मह म डाल लया इधर प षो म सह न भी लड ड का एक टकड़ा मह म डालाही था क तब ही जोर-जोर स एक साथ कई बाइक क हॉन क आवाज सनाई द एक साथ25-30 बाइक धल उड़ाती सामन स नकलन लग

ldquoअर कौन ह र ई सबrdquo प षो म सह न लड ड का आधा टकड़ा नगलत ए औरआधा सामन वापस थाली म रखत ए पछा

ldquoसब तो सकदरपर का आदमी लोग लग रहा हrdquo फकन सह यह बोलकर अगल हीपल कस स उठा

ldquoओहो हो ही गया खला साला पापी बना पाप कए मानगा नह कलयग म यहीतो ई या और वक त का भावना बल ह कौन कब और कहा घात लगाकर बठा ह कछपता नह चलता हrdquo बदरी म सर न ज द -ज द कलयग क मल च र क स प म

ा या क और झट धोती म ढक गए लड ड को हाथ म लया अभी इसस पहल क कसीको कछ और समझ म आए जटाय श ला न सामन रखा सरा लालमोहन झटक म मह मडाल लया

प षो म सह क दरवाज तो अचानक जस सामन स कसी न खट स बधी जोड़ी गायऔर जोड़ा भस खोल लया हो ऐसा माहौल बन गया था कसी को कछ प समझ नहआ रहा था

ldquoनॉमनसन खा तर जा रहा ह नाrdquo बदरी म सर एक बार फर उचककर बोलldquoनह भवन र साद का बरात जा रहा ह जाइएगा याrdquo ोध म बल बलाए ए

फकन सह न चढ़त ए कहाldquoअर शात हो क पहल य भी तो दखो साला क खड़ा कौन हो रहा ह कसका रली

ह कौन ह क डडटrdquo प षो म सह न सरकती ई लगी को कसकर बाधत ए कहातभी चार-पाच बाइक का एक और झड सामन स गजरा इस बार सार क सार चहर जान

ए थldquoहय-हय उ द खए बर चया और बरागी प डत का लड़का ओह भगवानrdquo बदरी

म सर क मह स नकलाldquoकौन-कौन ह और दखो दखो तो जराrdquo प षो म सह ोध म अबक तमतमाकर

लटक स बोलldquoचमरौट का ह लड़का पहचान हमrdquo लटक न सड़क पर कदकर पीछ स दखत

ए कहा फकन सह च ला उठाldquoसाला ई चार-पाच ल डा ब त का बल बनता ह बाधकर चमड़ा छ लना होगा इन

सबकाrdquoफकन सह का ग सा वाभा वक था य क ऐसा पहली बार आ था जब गाव स

कोई खलआम सकदरपर क याशी सग गया थाldquoअपना गाव-घर छोड़ सकदरपर का क डडट क साथ जा रहा ह यह तो क लयर

दश ोही का ही काम कया हrdquo जब अगद क मह स यह नकला तो कसी को यक न नहआ

ldquoखड़ा कौन ह पहल य नाम तो पता करोrdquo अब एकदम अधीर हो रह फकन सह नपनः च लाकर कहा तभी साइ कल स जोर-जोर क पडल मारत ए काशी साह पसीन सनहाए वहा प चा

ldquoमा लक दख क नह रली अनथ हो गया ह एकदमrdquo काशी न हाफत ए कहाldquoत हारा मोटरसाय कल का आ रrdquo प षो म सह न उस साइ कल स आता दख

अलग ही बात पछ द ल कन बात इतनी अलग थी नह ldquoअर वही तो मा लक साला लकड़ी काटन म हमारा एक पाटनर ह वही मागकर ल

गया मोटरसाय कल और चला गया ह ई वाल रली म दख ह ग आप अभी हमरामोटरसा य कलवा हमको नह पता था दोगला ई खा तर माग रहा ह धधा-पानी बद सालाहरामी स अब एकदम सब बद उससrdquo हदस गए काशी न सव थम अपना प सनाया

ldquoकौन खड़ा हो गया र सकदरपर सrdquo प षो म सह न ोध म पछाldquo सकदरपर स अर यही तो अनथ ह क डडट मलखानपर स ह मा लकrdquo काशी न

अ या शत खबर सनाईldquo या पगला गया ह या रrdquo प षो म सह क मह स नकला मौजद कसी भी को यक न न आldquoत झाट कथा बाच रह हो तब स क ह बताओ नrdquo फकन सह काशी पर च लाकर

बोलाldquoऊ लड़का वही म दर नमाण वाला साला ऊ चमरौट वाला लड़कवा नता जो

बनता ह प ब र दासrdquo उसन जोर क आवाज म कहाldquoजत आ का बटा अर ऊ चमरटोली सhellipअर मनhelliprdquo एकबारगी प षो म सह क

मह स नकलाldquoहा मा लक वही तो व ास नह हो रहा अभी तक हमकोrdquo काशी न भी हद स

अ धक आ य बटोरत ए कहाldquoबताइए यह दन भी दखना था हो बदरी जी चमरटोली स धानी का क डडट सोच

नह थ क बोrdquo प षो म सह न एक झझलाई-सी हसी क साथ कहा और आख मदकरकछ सोचन क म ा म दखन लग फकन सह भख शर क तरह फफा रहा था उसक महस लगातार गा लया नकल रही थ एकदम नबाध चल रह न वरोध वजय रथ क आगकोई गाव का ही वरोधी इस कदर बड़ा प थर लाकर रख दगा क पना ही नह क थीफकन खम न

ldquoसाल को बलात ह पहल और बर चया को काट तो दग साला छोटा-सा फोड़ा परयान नह दन क कारण कसर हो गया इसका इलाज ब त पहल कर दना था हमको यही

न पदा कया ह नता हमार खलाफ और इस कडीडट साल चमरा को तो हम गाव छड़वादगrdquo फकन सह बना क बोल रहा था प षो म सह अलग दशा म सोच बचन हो रहथ

ldquoसनो बटा कह रह ह ना क समय बदल चका ह चनाव को चनाव क तरह समझ कलड़ो अब कसको बलाओग और मार-पीट करोग य सब एक जमान म होता था हम यनह कह रह क नह होता था तब लोग म स कार था य राड़ -चहाड़ का मन नह बढ़ा थातब अब जो चनाव लड़न जा रहा ह वह त हार बलान पर त हार दरवाज पर आ जाएगा

या कसी को मार-पीटकर नह उठा- बठा सकत भाई तम आज क टाइम म और उसक

पीछ भनसर साद का पोल ट स भी ह आज झगड़ा करोग तो कल उ टा-सीधा काड मफसा दगा दख रह हो ना गाव म ही वरोधी खड़ा हो गया राज गया राजनी त करना होगाअब राजनी त समझrdquo प षो म सह न ोध पीड़ा और सयम क बीच सतलन साधत

ए कहाldquoअहो बताइए एक हम ह जो गाव क एकता क लए पचायत क वकास क लए

अपना परा राजनी तक क रयर का याग कर चनाव म बठ गए जब क जनता का परा दबावथा क जटाय बाबा लड़ब क रए हम बोल नह हम छोटा भाई फकन जी को आग बढ़ातह और एक तरफ यह साला मनबढ़ लोग ह जो गाव का इ जत डबा वरोध म चनाव लड़रहा ह चमरौट म भी चाण य और अलग च ग त लाच हो गया बो लए सालाrdquo जटायश ला ब त दर बाद अपन पख खोलत ए बोल

ldquoआप एकदम चप र हए चप खड़ा रहो एकदम साला झाटभर तो भोट ह गनकरदस पीस और भोसड़ी क पाच दन स कपार खाए जा रह ह साला असली वरोधी तो गयानामाकन करन और हम लोग लग रह आप जस ब चोद को बठान मrdquo फकन सह नसीध-सीध उगली दखाकर जटाय श ला स जोर स कहा यह सनत ही जटाय श ला कादा हना हाथ ऑटोम टक मोड म ऊपरी जब क तरफ गया जहा उ ह न पस रख थ अभीउनक मन म य भयकर अनथकारी वचार आ रहा था क कह दया आ पसा छ न न लफकन सह यही सोच खद क आ मा स चप रहन क पकार करन लग खद को ही अदरस ग रया रह थ क इतना बोलता काह साला म अभी चप रहकर नकल काह नह ल रहायहा स अभी छ न लगा पसा तऽ या उखाड़ लगा म इतना च तयापा काह करन लगता म कौन मझ रत करता ह र बाप ई सब बकती क लए ओह सा ला म यहीआ मसा ा कार कर जटाय श ला कस स उठ और बरामद स नीच वाल सीढ़ क तरफसरकन लग धीर-धीर

ldquoउधर वरोधी जाल बछा दया ह और चनाव लड़न पर आ गया और तम अपन भीलोग को नह सभाल पा रह जटाय जी अपन आदमी ह समझ नह आ रहा तमको थोड़ातो शा त स काम लोrdquo प षो म सह न फकन स जरा त खी म कहा

ldquoअर लटकआ बाइक नकालो रrdquo फकन सह न कहाldquoअभी बाइक लकर कहा जाओगrdquo प षो म सह न तरत पछाldquoअर हम नह जा रह ह कह बरागी प डत जी को बलवा रह ह जरा अपना आदमी

लोग को तो सभालना होगा नाrdquo फकन न लाल ई आख को घमात ए कहाldquoहा हा यह सब दखना होगा बताइए बरागी पाड का लड़का जा रहा ह चमारटोली

क सग अर स कार कहा गया भाई कस बात का फर ा ण बरागी पडी स य सवालतो होना ही चा हए आज हम लोग परा ा ण समाज भी तो कल कत आ न इस ककमस एकदम बलवाइए उनको पछन म या द कत हrdquo बदरी म सर न स कार और धमको सकट म पड़ता दख इस मद द पर जोरदार समथन और घनघोर चता करत एकहा

ldquo चता का तो बात ह ही या बोल हम अब एक आप भी ा ण ह जटाय जी हऔर एक साला बरागी पडी का स कार दख ली जए या परब रस दए बटा को इतनापतन नह होना चा हए धम-स कार काrdquo प षो म सह न पतनशील प डत क भ व यपर गहरी चता क

लटक बड़ी तजी स बाइक लकर म दर क ओर नकल चका था इधर बठ ए सभीलोग उन लोग क नाम च त करन लग जो प ब र दास क नामाकन म गए थ साथ हीउनक भी पहचान क जान लगी जो फकन सह क नामाकन म नह गए थ य क अब यहपड़ताल भी ज री हो गई थी कह ऐस लोग फकन सह क भीतरी वरोधी तो नह दर सवहा प च लड डन मया न अभी-अभी सचना द क मध भी कछ म हला क सग प ब रक नामाकन म गई ह तभी पवन वग स गया लटक बरागी प डत जी को बाइक पर लटकाएलता आया बरागी प डत जी नग बदन पर धोती पहन बस एक लाल गमछा डाल ए थबदन क एक ह स पर सरस का तल रगड़ा आ था सरा ह सा सखा आ था जसअ त- त अव था म वह दख रह थ उसस साफ तीत हो रहा था क प डत जी कोबलाकर नह उठाकर लाया गया था

ldquoआइए बरागी बाबा अर एक कस तो दो र बाबा कोrdquo सबस पहल प षो म सह नकहा काशी साह न उठकर एक ला टक कस आग बढ़ाई बगल स

ldquoजी णाम परषो म बाब कोई खास बात ह या लटक तो एकदम दौड़ा-दौड़ी करल आया अभी दहात स एक बहा करा कर लौट ही थ नहाए भी नह थ आध दह मक आ तल लगाए थ क ई प च गयाrdquo प डत जी न आत ही कहा

ldquoपहल आराम स बठ ली जए चाय-पानी प जएगाrdquo प षो म सह न कस पर बठए ही पाव चढ़ाकर पछा

ldquoजी नह पहल नहाना ह जाकर तब चाय-पानी करग बताइए ना या आrdquoबरागी प डत जी न बढ़ती उ सकता और बचनी म पछा

ldquoअर प डत जी आप परो हत ह गाव का हमार नौमनसन क दन कहा थ आए नहआपrdquo फकन सह न कड़ भाव म वन ता स पछा

ldquoअर तो हमको कहा पता फकन बाब उस दन तो हम सगवा गाव एक ा म चलगए थ आप बतात तो वहा छोड़ यह आ जात यह तो घर का बात थाrdquo बरागी प डत जीन उ मीद स यादा भयकर अपनापन दखात ए कहा प षो म सह भी अपन घर क

त पडी जी क इस अगाध ा स म छत होत-होत बच कसी को पता नह था कप डत जी इस तरह ा म ा फट दग

ldquoयहा सबकछ हो गया परा या च लए सब कशल-मगल स नपट गया नाrdquo बरागीपनः बोल

ldquo नपट नह गया ह अभी तो श ही आ ह प डत जी आप लगता ह धम-कम मइतना लीन हो गए ह क न समाज का समाचार यान रहता होगा न अपन प रवार काrdquo

प षो म सह न त काल टढ़ अदाज म ही कहाldquoधम-कम का करग यह तो धधा-पानी ह हम लोग का प षो म बाब चार रोट इसी

स आता ह इस लए लग रहत ह प रवार भी तो इसी स तो चलता हrdquo बरागी प डत जी धमको आट म सानकर रोट बनात ए बोल कतना सच कह दया था अच क म ही हर कोईभगवान दखन क लए ही धा मक नह होता प रवार दखन क लए भी धा मक होना पड़सकता ह

ldquoआजकल लड़का या कर रहा ह आपका उसका हाल जानत ह क नह rdquoप षो म सह अब असली बात पर आत ए बोल

ldquoउसका हाल तो परा गाव जानता ह प षो म बाब कसस छपा हrdquo प डत जी नकपार पर हाथ फरत ए कहा

ldquoहाथ स नकल रहा ह पकड़ म नह ह आपकrdquo प षो म सह न कहाldquoएक हाथ स फल बलप पोथी प ा झोला पकड़ रहत ह और एक हाथ दान-

द णा म दनभर फलल रहता ह बताइए कौन हाथ स लड़का पकड़rdquo बरागी प डत नएकदम फ कड़ी भाव म कहा

ldquoअपन लड़का क बार कछ पता भी ह आपकोrdquo इस बार बगल स फकन सहगरजा

ldquoअर फकन बाब बाप ह हम उसक हमको या नह पता ह ताड़ी-गाजा लकरचमटोली म भात खाकर ख टया पर पड़ल रहता ह सब पता ह हम अपन भा य पर रो कथक गएrdquo बरागी पडी जी न श य भाव स कहा

ldquoअभी और रोइएगा अगर क ोल नह कए उसको तोrdquo फकन सह न कड़ स कहाldquoअब का कयाrdquo बरागी प डत जी इस बार थोड़ा असहज होकर बोलldquoबटा हाथ स नकल जाए तो बड़ा बात नह समाज स नकलन वाला काम ना कर ई

यान रखा क रएrdquo काशी साह न कहाldquoजो हाथ स ही नकल गया ऊ समाज स कगा साह जी का बात करत ह मदrdquo

बरागी पडी जी न एक बझी ई हसी क साथ कहा इस बीच बदरी म सर सफ आख मदतो कभी आख तररकर चपचाप सब सन रह थ व एक श द नह बोल रह थ बरागी प डतस उनको लग रहा था इस आदमी न धम ल लया हमारी जा त का गौरव ल लया इसस

या ब तयानाldquoस नए अब घर म दर और समाज सबस नकलन का नौबत ला द रहा ह आपका

बटा बाक तो आपक धम-जात का नाश कया ह कर ल कन इस बार तो बात हद सयादा बढ़ गया हrdquo प षो म सह अब गम होकर बोल बरागी प डत जी अब अचानक सच तत ए

ldquo या कर दया प षो म बाब ह राम अब कौन पाप कर दया कह ककरो लकhelliprdquo बरागी कापत ह ठ स बोल

ldquoउसस भी बड़ा काड कया ह आज तक जो कया च लए कया अब राजनी त मउतर गया ह राजनी त म प ब र दास क साथ गया ह नौमनसन म बताइए कछ समझरह ह फकन बाब का वरोध सोच थ आप क इतना बगड़ जाएगा लड़काrdquo काशी साहन मन य क बगड़न क अ तम अव था बतात ए कहा

ldquoनह hellipअhellipअhellipनह ऐसा नह कया होगा फकन बाब का वरोध इतना भी पागलथोड़ ह ऊ और साला प ब र दास काह चनाव लड़ रहा हो भाई पगला गया ह याrdquoबरागी प डत चहर पर आशका और भय दोन लए ए बोल

ldquoप डत का बटा ह और चमरौट का झडा ढोन लगा ह आ खरी हो का रहा ह ईसधार कर ली जए ज द rdquo प षो म सह न चतावनी क वर म कहा

ldquoप षो म बाब कसम स हमको नह पता क ऐसा कर दया सधार तो खर हम अबउसको नह पाएग ल कन हा बाधकर रखग भर चनाव तकrdquo बरागी प डत जी न चतावनीको समझत ए ही कहा

ldquoसधा रए सधा रए उसको ब त गलत मसज गया ह समाज मrdquo फकन सह नकड़क आवाज म कहा

ldquoफकन बाब आप लोग स झठ नह बोलग हम रहत ह म दर म वहा शव लगबजरगबली और काली माई का म त समत 21 ठो दवी-दवता ह जब ऊ सब मल इसअभागा को नह सधार पाए तो हम या सधारग फकन बाबrdquo बरागी प डत जी न अपनीअ तम पीड़ा कह द

ldquoतो ठ क ह फर हम सधार दग अब जब हमार ही हाथ लखा ह उसका सधरना तोकर ही दत ह उसको ठ कrdquo फकन सह न मट ठ बाध दात पीसकर कहा

ldquoजी जी बस-बस फकन बाब अब बस आप ही स उ मीद ह सधार द जए सालचोट टा को ब त उपकार होगा हम पर जीवनभर म पजा-पाठ कराएगrdquo बरागी प डतजी न हाथ जोड़ कहना श कर दया था न जान य प षो म सह को प डत जी कबातचीत का परा अदाज ठ क नह लगा था पर वह इतना जानत थ क म दर का पजारीचमटोली क साथ नह खड़ा होगा रही बात लड़क क बहकन क तो थोड़ा चमकान-धमकान पर लाइन पर आ ही जाएगा

ldquoठ क ह ल कन जान ली जए क म दर म रहत ए भी कोई अधम का काम हो यहपर गाव को बदा त नह होगा अगर अछत जा त म ही हल-मल रखन का मन हो तो बताद जएगा म दर खाली करवा लग हम लोग फर बटा को क हएगा क खब पोल ट स करऔर पतो भी मन का खोज ल पसद क टोला मrdquo प षो म सह न अपन हसाब सआ खरी धमक द ही द थी बरागी प डत जी क मह म अब आवाज अटकन लगीअचानक स जस कठ सख गया था प डत जी का प षो म सह क तरफ स इतन कड़सदश क आशका तो वहा मौजद कसी भी को नह थी प षो म सह क तवर दखबदरी म सर को बड़ा शीतल एहसास मला जटाय श ला तो शात ही थ बरागी प डत जी

वा तव म डर गए थ पहली बार इतन च तत ए थ और सोच रह थ क बट न बड़ सकट मडाल ही दया आ खर प षो म सह राजनी त क मझ खलाड़ी क भा त खल थ उ ह नप डत बरागी पाड क बहान लगभग-लगभग सबको यह सकत द दया था क चनाव म वहजरा भी छट नह दन वाल भारतीय समाज म ा ण को गाय समान माना गया थामामला साफ था क अगर प षो म सह चनाव म गाय क चमड़ी छ लन को तयार ह तोबाक भस बकरी भड़ खरगोश लोमड़ी को फर या छोड़ग

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मलखानपर म आज शाम गहमा-गहमी बढ़ चक थी प ब र दास नामाकन कर लौट आयाथा और उसक दरवाज भी अ छ -खासी चहल-पहल हो रही थी फकन सह क भज गए दोखास ग तचर भी समथक क प म वहा घसकर लगातार सारी ग त व धय पर नजर रख

ए थ व हर आन-जान वाल पर नजर रखन और प ब र दास क सभी चनावी योजनाको सनन वहा सट ए थ फकन सह क तरफ स यह मह वपण दा य व चपत सनार औरसधो क हार को स पा गया था य दोन एक तरफ ऊपरी ह ठ क नीच खनी तथा सरीतरफ मह म पान दबाए इतनी गभीरता स प ब र दास क ठ क बगल कस लगा बठ थ जसमोसाद क जासस सो वयत सघ का भद जानन बठ ह चपत सनार लगातार फकन सह कोगाली द अपना भरोसा जमा चका था उसन नामाकन म न जा पान का अफसोस जा हरकया ल कन अब पर चनाव ार नह छोड़गा वाली ण व त भी जारी कर द चपत कलए यह काम बड़ा आनददायक और रोमाचकारी ही था एक तो बठ-बठ प ब र दास काचाय-ना ता कर ल रहा था सरा फकन सह को जी-भर खलआम गाली द पा रहा था औरकतन सकन और मज क बात थी क ऐसा वह फकन सह क ही आदश पर कर रहा थाइस लए उस फर कसी भी बात क कोई चता ही नह थी प ब र और बरची दोन हरानऔर उ सा हत थ क चलो आज पहल ही दन सोनार पट ट का भी समथन मल गया हसधो क हार शात बस चपत क हर कटनी त चाल म अपनी मक सहम त क साथ बठा

आ थाldquoब त तगड़ा काम कए हो प ब र ब त ज री था एक आदमी को उठना अब

समय खाली राजपत-बाभन और पसा वाला का थोड़ ह और भी तो लोग ह सबको तोमौका मलना चा हएrdquo चपत न लोकत म सबक भागीदारी क प म भर मह पान कचरत

ए कहाldquoहमको नह बरची जी को बो लए उ ह क चलत उठन पाए ह आज सबका साथ

मल रहा ह आप सबका भरोसा हrdquo प ब र न बरची क त आभार और नह कटकरत ए कहा

ldquoओ अर ओह वाह मन बरची का दमाग ह ई वाह ब त-ब त ब ढ़या बरचीभाय अर ई काम तो पहल ही होना था ल कन कोई साला था ही नह जो पसा-कौड़ी भीलगा सक चनाव म वरोधी तो हम श स ह फकन सह का दख रह हो चनाव मखलआम तम लोग क साथ हrdquo चपत न पहला पान समा त करत ए सर पान क तलबक साथ बारी-बारी स प ब र और बरची क तरफ दखत ए कहा इसी बीच सधो क हारहौल स उठा और वहा स नकलन लगा उस उठकर जाता दखत ही चपत सनार न

लपककर उसका हाथ धराldquoअर कए न काका आप भी कतना हड़बड़ करत ह जरा ह मत द जए न

कडीडट को आप र हएगा तो एक गा जयन मलगा इसको कहा भाग रह ह तरतrdquo उठतए सधो को चपत न जबरन ख च पनः कस पर बठात ए कहा

ldquoअर हम तो ह ही एक बहा का माल दना ह आदमी आया होगा त न जान दोrdquoसधो न ह क झझलाहट स कहा

ldquoअर छो ड़ए आप भी का खाली मट ट का पसा बनात रहत ह अर जरा ब चा लोगका हौसला बढ़ाइएrdquo फर चपत न ठठाकर हसत ए कहा असल म चपत समझ चका थाक वो यहा स नकलत ही उसस पहल ही जाकर सारी सचना फकन सह को द हीरो बनजाएगा इस लए वह उस बठाए रखना चाह रहा था

ldquoअर मट ट का पसा नह बनात ह चपत मट ट को आकार दता ह क हार वहीमट ट स भगवान आदमी बनात ह और हम लोग आदमी खा तर बनात ह सोचो क हार कोकतना बड़ा आशीवाद दया ह भगवान गढ़न का काम दया ह तोड़न का नह मट ट हीसब ह सबकछ मट ट ह सोना-चाद धनबल सब एक दन मट ट मलना ह हमको तमकोसबको मट ट होना ह एक दन जब सबकछ मट ट म मल जाता ह उसी माट को फर सआकार द दता ह क हार तमको मामली काम बझाता ह ईrdquo सधो क हार न अपनी परपराम पीढ़ -दर-पीढ़ परख स सन माट क बोल कह जो साधारण मह स नकल असाधारणबोल थ

ldquoहा-हा एकदम ठ क बात ऐ चलो इनको चाय पलाओ भाई प ब र थोड़ा एक पानमगवा दो भाई काका को इनस कछ सीखो तब ना लड़ोग भाई चनावrdquo चपत न हसत एकहा और अब खद ही कस स उठा

ldquoअब तम कहा चलाrdquo सधो क हार न उसक फल पट का कोर पकड़कर बठत एकहा

ldquoअर पट छो ड़ए अर फाट जाएगा छो ड़ए न दस मनट म आत ह आप चायपी जए ना तब तकrdquo चपत न झटक स पट छड़ात ए कहा

ldquoअर नह चाय ढर आ नह पीएग को हम चलगrdquo यह बोलकर सधो भी उठाआ खरकार हा ना करत दोन वहा स एक साथ ही नकल चपत और सधो क नकलत हीबरची थोड़ा कस ल प ब र क नकट आ बठा

चपत का तो पशा ही ऐसा था क वह जहा रहता वहा सदह आशका और अनहोनीखद रहती और सावधानी रखनी पड़ती थी गाव-दहात म धान ग चना और सरस कफसल ही सोना थ उनक इसी सोना पदा करन वाली कसानी को सभालन वालीम हला न कभी बताकर तो कभी छपाकर यही सोना बच अपन लए कछ चाद खरीदस दय स बचाया था सजना-सवरना अमीर-गरीब या काल-गोर का नह इसान कावाभा वक गण ह मन या जान अमीरी-गरीबी मन सजन को करता ह न जान कतनी

म हला न अपना पट काटकर गल का चाद वाला हार बनवा रखा था दहात म पर काबछआ नाक क नथनी कान क बाली गढ़वा रख थ व जब सावल बदन पर चाद काचमचम हार पाव म सफद बछआ और पायल पहन खत क मड़ स चलती आत तो लगता

क त न गहराती सरमई साझ क कमर म च मा बाध दया हो चपत सनार इ ह कचादनी लटन का काम करता था गाव दहात घम-घमकर उनक गहन साफ करक चमका दनक नाम पर उस पर हाथ साफ कर दना उसक बाए हाथ का खल था कई बार पकड़ा जाताऔर पटाता भी था जल भी जाता था पर धधा कभी मदा न आ उसका उसक इसी वक कारण उसक लए फकन सह सदा ज री और उपयोगी रहा था वहा पसा जमा कर वहकई बार थान स छटा था खद फकन सह क गल क शोभा बढ़ाती सोन क सकड़ी उसनकोलकाता क कसी सठ क उड़ाई थी जस महज कछ पए लकर उसन अपन म दाताफकन सह को उपहार म द दया था हाल ही म दारोगा पारसनाथ को भी उसन एक

सलट उपहार म द थी ऐस म बरची तो चपत पर ब त यक न करन क मड म नह हीथा कस सटाकर उसन यही बात प ब र को बताई

ldquoअब चनाव लड़ रह ह तो थोड़ा-सा भरोसा तो करना ही होगा सब पर सबको मनही नह समझना होगा हो सकता ह चपक सच म वरोधी हो गया हो फकन सह काrdquoप ब र न बड़ी गभीरता स कहा

ldquoहा-हा र यार प ब र तम तो एक ही दन म असली नता हो गए भाई गजब ब तब ढ़या हा चलो थोड़ा भरोसा कर लत ह ल कन यहा कसी का भरोसा नह rdquo बरची नखल खलात वर म कहा

ldquoहा-हा अर नता या हम ह ग और कसी का भरोसा ना हो आपका तो भरोसा हनाrdquo प ब र न भी हसत ए कहा दरवाज पर बठ लोग क लए एक बार और चाय आगई सबन चाय पी और आग क चनाव चार क खाक पर वचार होन लगा ह रजन टोलाक आठ-दस नवयवक एकदम म तद हा जर थ सकदरपर क कोई यादा चता नह थी

य क चनाव लड़न क मल रणा ही वह स मली थी भवन र साद भावक का असलीआशीवाद भी ा त ही था मह वपण रणनी त मलखानपर म यादा स यादा वोट पान कलए बननी थी

सकदरपर को तो अब बस वोट करना था चनाव लड़ना तो मलखानपर को था गावक सभी जा तय और उनक स या क ल ट सकदरपर क खबर मया न उपल ध करा दथी जो एक जमान म मह म असलम मया क चनाव एजट आ करत थ सब मलकरइसी ल ट म कलम स नशान लगान म लग थ क कौन-सी जा त का कौन-सा वोटरअपना हो सकता ह उधर फकन सह क दरवाज भी यही सब चल रहा था अभी रात कलगभग आठ बज थ बरची प ब र क घर स पदल ही नकला हवा म अब शीतलताघलन लगी थी बरची न पहल घर पर जाकर एक पतली-सी चादर पीठ पर ल ली तबबजली नह थी परा गाव अपनी वाभा वक च पी म था कसी- कसी घर स बतन-बासनटकरान क कछ आवाज आ रही थ बरची खत क मड़ स हो गली क रा त नकल रहा

था कछ कदम और बढ़ा तो सामन दलबर मडल खासता हपसता लाठ टक खखार थकनक लए अपन घर स बाहर दहरी पर नकला था बरची न उस दख परी चादर ओढ़ अपनको ढका बा आख क कोन स उस दखा और बना गदन इधर-उधर कए सीधा चलतारहा छाती पर हाथ रख तीन-चार बार जोर स खासन क बाद दलबर मडल वह दरवाज परही ककर बठ गया बरची न पीछ मड़कर कछ भी नह दखा ठ क वहा स पाच-सात घरबाद जाकर का और दरवाज क कडी खटखटान लगा दरवाजा खलत ही बरची तजी सभीतर घसा

ldquoअर या बात आ रात को यहाrdquo बजनाथ न उस दखत ही थोड़ा-सा च ककरपछा

ldquoकछ नह अकबका काह रह ह आशीबाद द जए अब पता ह क नह प ब रनौमनसन कर दया ह बजनाथ दाrdquo बरची न चादर उतार हाथ म लत ए कहा

ldquoहा सब लोग जान गया ह भोर ही पता चल गया था क जा रहा ह यही सब म कौनउसका म त मार दया चनाव म खड़ा होन कौन बोल दया उसको पता ह क नह कतनाबड़ा गलती कया हrdquo बजनाथ न बफरत ए अपनी त या द

ldquoगजब बात कर रह ह आप गलती या कर दया परा लोग मलकर खड़ा कयापरा सकदरपर मलखानपर का भी तो लोग ह साथ आपस अब आशीवाद मागन आए हऔर आप या- या बोल रह हrdquo बरची न थोड़ पन वर म कहा

ldquo या तम भोट मागन आया हrdquo बजनाथ न जोर स नकल रह वर को कसी तरहदबात ए कहा

ldquo जस दन आपको कोई मदद नह कया था गाव म उस दन यही प ब र आपकोकाम आया था आप स भी भोट मागना ही होगा या अर साथ द जए साथ खलकरद जए भोट तऽ दब क रएगाrdquo बरची न भारी बात कह द थी बरची क मह स यह सनतही कलस क मट ठ भ चकर रह गया बजनाथ अगल ही पल परा शरीर ढ ला छोड़ वहचौक पर बठ गया मड़ी हलाकर बरची को भी बठन का इशारा कया सामन ही लोट मपानी रखा था उठाकर उस गटककर पी गया अब एक लबी सास छोड़त बजनाथ न बरचीक तरफ दखा

ldquoअर हा हम तो भला ही गए थ भाई तम ठ क याद दला दया क हम तो कजा खाएह प ब र दास का सच बात ह अब तो भोट दना ही होगा ह ना इतना ज द एहसानजता दया मद ठ क ह जसा महाजन का आदशrdquo बजनाथ न गदन जमीन क तरफ सऊपर करत ए कहा

ldquoआप यही तो गलत समझ लए ह बात को हम एहसान जतान नह आए ह हम तोकह रह ह क आफत म वह आपका मदद कया आज आप उसका मदद कर द जए हाथजोड़कर वनती ही तो करन आए हrdquo बरची न दोन कर जोड़ भावक होत ए कहाबजनाथ छटपटात मन स बचन हो चौक स उठ खड़ा आ

ldquoतो ई आफत बलाया क जानबझ क आफत बलान का या काम था एक तो तमलोग जानबझकर ई बखड़ा म कद हो और सग-सग हमरा भी ब ल लन का मन हrdquo प ब रन झ ला क कहा

ldquoचनाव लड़ना आफत ह फकन का ई अ धकार और प ब र खा तर आफतrdquoबरची भी खड़ होकर बोला

ldquoफकन सह स मनी सभाल पाओग अर अपन बबाद हो गए हो हमको भी लटादो काह हमार जसा गरीब को पीस रह हो इसम प ब र भी बबाद हो जाएगा ई राजनी तमrdquo बजनाथ न सीध-सीध कहा

ldquoस नए बजनाथ दादा फकन सह कोई बाघ नह ह जो खा जाएगा ब त लोग हहमार साथ सबको नगल नह गया फकन सह तो जटाय श ला जसा दस भोट वाला झडबाम कडीडट को भी पसा दकर बठाया काह नह मारकर बठा दया शासन भी तो कोईचीज ह स टम स बड़ा कछ नह चनाव लड़न का अ धकार सबको ह कोई नह रोकसकता पचायत कसी क बाप का बपौती नह ह आप अपना आ मा स पछना क जीत-जी मदा बन क रहना ह या एक बार जदा हो क पचायत का इ तहास बदलन म साथ दनाह प ब र चनाव जीत रहा ह पता कर ली जएगा भोर उठकरrdquo बरची न जोरदार तरीकस कहकर चादर ओढ़ और दरवाज क तरफ बढ़ा

ldquoयही सासन न त हारा थाना म मार क हाथ-गोड़ बचका दया थाrdquo बजनाथ न यक लहज म कहा

ldquoहा तब हम अकल थ अब भोटर ह साथ म अबक बथ पर समचा घमड औरतबा बचका दग फकन सह काrdquo बरची न पलटकर कहा

ldquoलबा-लबा बोल लो अभी अभी जान नह हो राजनी त को सनो हम अपना भोट ददग प ब र को ह ला मत करना कह और चनाव भर ना घर आना ना ही भट करनाहमसrdquo बजनाथ न आ मा क पकार पर जतना सभव हो सका कह दया त कालबातचीत सन बजनाथ क प नी भी आगन म नकल आई थी बजनाथ न लगभग डाटत एउस जान को कहा इधर तब तक बरची भी बना कछ और बोल जा चका था बजनाथ नलपककर बाहर दखा गली म कोई नह था अदर आया और खट पर टगी गजी पहनी औरप नी को आवाज लगाई ldquoकवाड़ी बद कर लो भीतर स हम जरा आत ह थोड़ा दर मrdquo

यहा सवर का सरज नकलन क साथ ही फकन सह का स नह नम ण बजनाथ कदरवाज पर था टोल क ही एक लड़क न दौड़कर बताया क फकन बाब बलाए ह तरतबजनाथ सनत ही दौड़ा लगी भी गली म आकर कस पाया सीध पहल जगद श यादव कपास गया और उ ह साथ ल फकन दरबार प चा यहा पहल स ही राजग बदरी म सररतन दास काशी साह जी क अलावा बगल गाव क ही बोगो पहलवान स हत कई लोग जमाथ बजनाथ क मन अपनी कछ नजी शका थी जो शायद सही भी थी वह उस ही सोचअदर स तनाव म था मन-ही-मन बरची को कोस रहा था उस यह चता खाए जा रही थी

क कह प ब र को भोट दन वाली बात तो पता नह चल गई lsquoसाला स च म द वार कोकान होता ह या ह भगवान हमको काह नह लौका कान द वार वालाrsquo यही सबक वचार आ रह थ मन म उसक इ ह सब स च अनभव क कारण इस दश म यह मा यता

बल थी क सीमट ट और मट ट क बीच कह -न-कह द वार क कान ज र होत ह यकान राज म ी द वार बनात व ग त प स बना दता या बाद म वय उग आत इस परवा तशा गहन रह य रख ए था फकन सह क दरवाज पर प चत ही बजनाथ दह मकमजोरी और झनझनी महसस करन लगा

ldquoका बजनाथ कस होगा चनाव कछ सलाह तो दो र तमको तऽ ब त अनभव हभाईrdquo दखत ही प षो म सह न म करात ए कहा

ldquoजीतना ह मा लक और या करना ह वनाश लखल ह प ब र दसवा का म तभर ट आ ह उसकाrdquo बजनाथ न बना क कहा और वह कस क बगल म जमीन परबठ गया

ldquoतो कस जीतग भोट आएगा नrdquo अबक फकन सह न पछा थाldquoसब अपना ही तो ह उसको कौन दगा भोटrdquo बजनाथ अबक सकपकाकर बोलाldquoसाल ब त ी-फोर हो गए हो तम लोग अर ऐ बजनाथ दखो अब ई मामला हो रहा

ह गभीर साल तम लोग को अकल तो ह नह बड़ा हल-मल रखत हो न चमरौट स कलरात को आया था ना प ब र दास त हार घर अब का चनाव चार करोग उसकाrdquoप षो म सह न झड़कत ए तीख वर म कहा

ldquo क रया खात ह मा लक बटा का क रया नह आया प ब र हमार घर झठ खबरह हम जदगीभर आपका सवा कए ह अ छा-गलत कछो सोच ह या बसबास तऽर खएrdquo बजनाथ लगभग रोन-रोन पर था बोलत ए

ldquoदखो र अबही काटकर फक दग जो भी हमको धोखा दया तो गद दारी बदा त नहकरग चाह कोई हो सब कोई सन ली जए या तो इधर र हए या चमटोली पकड़ ली जएहम सबको चार दन म औकात बता दग अब यह पचायत फकन सह का ताडव दखगाrdquoग स स आगबबला आ फकन सह आग बरसात ए बोला

ldquoहा इस बार तो सब करम परा होकर रहगा भाईrdquo प षो म सह न वही बात एकवा य म एकदम शा त भाव स हराई

ldquoयादव जी आपका भी कन शन ह का चमरा स बताइए-बताइए अब कछ भीझोल मत र खए यहा कछ नह छपता ह सब पता चल ही जाता हrdquo फकन सह नजगद श यादव क तरफ दखत ए कहा

ldquoकोई कन शन नह फकन बाब य वशी ह हम जात-धम दकर जीवन जीना हीबकार उस दो पसा का ल डा क साथ रहग हम हमारा दमाग खराब ह अर बस कभी-कभार दखा-दखी आ ह ऊ भी ए क गाव ह इस लए एक बार हमारा टर भाड़ा लयाथा और पसा दन म ला दया तब घर पर जाकर लना पड़ा इतन ह उससrdquo जगद श

यादव न बचन हसी क साथ कहाldquoअब थोड़ा ज री काम कर लया जाए प षो म बाबrdquo बदरी म सर पान चबात

ए बोलldquoहा वही कर रह ह सनो तम दोन बजनाथ और जगद श सब पता चल ही गया ह

क प ब र दसवा को ई बर चया सटाया भनसर नता स फर यही लोग सनका क खड़ाकया ह तम लोग जाकर प ब र स बात करो और समझाओ क अभी तीन दन ह नामवापसी का जतना पसा लन का हो लकर बठ जाए नह तो बर चया का तो कछ नहजाना ह इसका जदगी बबाद होगा बाप क पास जाएगा ई भी अबक धानी तो नहजान दग हम साला बात चनाव का नह इ जत का ह ह मत कस कर दया र हमारखलाफ ऐस खड़ा होन का साला मर क जाएग तो या मह दखाएग ऊपर अपन पवजको यही क एक चमार स हारकर आए ह ई तो नह होन दग अपना जीत-जीrdquo प षो मसह पवज क आन-बान क लए शपथ लत ए कभी न हार वजता क भा त कारत एबोल थ

ldquoआप न त र हए एक मनट म बठगा और मा लक एक मोटा-मोट पसा बता दततो उसी हसाब स मनज कर आत उसकोrdquo जगद श यादव ठ क-ठाक आ म व ास मबोल

ldquoअर जो लगा प चीस-तीस हजार चालीस लगा और या बस बठाओ उसकोअगर बर चया भी कछ पसा माग तो उसको भी द दो कछ बाद म वसल लग हरामी सअभी बस मनज करक आओ पहल भनसर नता का राजनी त सलटा जाय फर ई दोन काचब नकालगrdquo प षो म सह एकदम तीख वर म बोल

अभी बजनाथ को थोड़ा ठ क महसस हो ही रहा था क तभी उसका बटा वहासाइ कल स हाफता आया

ldquoबाब घर स बकरी चोरी हो गयाrdquo बट न बतायाldquoहाय र फर अर रात 1200 बज तऽ था ही कब हो गया फर चोरी हो गया ओह

भगवान गरीब क ही मार पड़ता ह हरदमrdquo बजनाथ न सर पकड़कर कहाldquoभोर-भोर कोई ल गया होगा जाओ ना इतना मत चता करो हम ह ना पता

करवात ह बस ईमानदारी स चनाव को परा करो पहलrdquo फकन सह न कहत ए ह क -सी म कराहट स सब बता दया था इतना सनत ही बट को घर भज बजनाथ जगद श यादवस पहल ही बाइक क पास जाकर खड़ा हो गया अब वो ज द-स-ज द प ब र दास कोसमझा-बझाकर यहा खबर कर दना चाहता था उस बाक बक रया भी तो बचानी थ

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बजनाथ और जगद श यादव क प ब र क साथ नामाकन वापसी सबधी बठा-बठ वाताअसफल रही थी प ब र तो यह ताव सनत ही बदक गया था उस दन बातचीत कदौरान चदन पाड वहा मौजद था और उसन तो बजनाथ मडल को दलाल बोलकर कॉलर भीपकड़ ली थी कसी तरह जगद श यादव और प ब र दास न बीच-बचाव कया था दोनम ठ क-ठाक गाली-गलौज भी हो ही गई थी बजनाथ न अपनी कॉलर को फकन सह ककॉलर बता चदन को सजा भगतन क धमक भी द द थी ठ क उसी दन शाम म ह रजनटोला घसत ही रा त म रतन दास और उसक कछ सा थय न चदन स हाथापाई कर उस परटोल म गलत नीयत स घमन का लाछन लगा दया था सार मलकर बाद म बरागी प डतजी क पास भी चल गए और बीच बाजार म चीख-चीखकर उनक बट पर च र हीनता काआरोप लगान लग बरागी प डत जी कसी तरह नजर झका म दर आए और अब दो दन सघर स बाहर नह नकल थ इधर चदन इस परी घटना स इतना आहत और श मदा हो गयाथा क गाव छोड़ अपन फफर भाई प डत न यानद क यहा चला गया था बरची न हाला कउस समझा-बझाकर रोकन क को शश क थी पर चदन इतनी बइ जती क बाद अबप ब र क दरवाज चढ़न और घर म पता स नजर मलान का न तक बल ही नह बटोर पारहा था और उस कछ दन बाहर ही रहना उ चत लगा मन तो उसका यह चनाव म अटकाथा पर राजनी त क खल म वह राजनी त स ही र फक दया गया था अभी-अभी लखन कयहा बठ सा थय म यही सब चचा चल रही थी वहा दो लोग सकदरपर क भी थ

ldquoदख ली जए आप लोग फकन सह का पछवाड़ा फट गया ह हम लोग को खरीदनआदमी भजा था यह बात परा पचायत को पता चलना चा हए क कस भकच हर बनाकरभज दया प ब र और चदन उसक आदमी कोrdquo सबक सामन बरची न जोर स कहा

ldquoल कन जो क हए बरची दा चदन बाबा क साथ गलत आrdquo लखन न उदास मनस कहा

ldquoअर यह तो होना ही था फकन सह क आदमी का गमान तोड़ दया चदन पाड अबयह बात बदा त होता या फकन सह को करवा दया राजनी त अपना गलाम लोग कोभजकर साला कसी क बहन-बट का नाम घसीटकर राजनी त कर रहा ह फकन सहइसी लए तो उस कसाई क कोख म भगवान बट नह दए करन दो इसस यादा कर भी

या सकता हrdquo बरची न ध कनी स नकल रह धए को पीत ए कहाldquoचदन बाबा को रहना चा हए था जब हम बोल रह ह क कोई बात नह सोचना ह तो

काह टशन ल रहा ह चदन बाबाrdquo प ब र न सहज भाव स कहा

ldquoबला लग एक-दो दन उसका भी बचार का मन शात हो जान दो दखत ह ना ककस- कस को परशान करक रोकगा फकनrdquo बरची न आख मलत ए कहा इसी बीचबाहर बाइक क आवाज आई और जो उतरकर अदर आया उस दखकर एक साथबरची प ब र और लखन च क पड़

ldquoअर महाराज जदाबाद शखर जी आपrdquo बरची न खलत ए पछाldquoहा हा द खए हम भी आ गए अर भाई पहली बार मलखानपर इज म कग ह

इतना ज चज हो रहा ह सोसायट क सो सयो पॉली टकल सना रयो का और यह सबhellipऑल वदाउट मी यह कस होन दत हम आ गए हम भीrdquo शखर न बनत ए इ तहास मअपनी भागीदारी स न त करत ए कहा लखन न उसक बात नह समझन पर भी हस कगदन हलाई यह सोचकर क द ली स आया ह कछ अ छा ही बोला होगा प ब र भीअ त र हष म था अचानक स धानी क चनाव को नशनल लवल का इतना बड़ा बौ कआधार मल जाएगा यह सोचा ही नह था उन लोग न

ldquoच लए भगवान का कपा ह क आप भी आ गए ह मत मलगा हम लोग कोrdquoप ब र न अपन ह स क खशी क

ldquoओह माय गॉड हाट ए जोक हर चीज म भगवान ला दत ह आप लोग मरा आनाभी धम स जोड़ दए म भगवान क कहन स नह आया सा थयो म अपन कछ पसनलकाम स आया ल कन अब चनाव म आपको जताकर ही वापस होना हrdquo शखर न हसत

ए अपन आन का कारण बताया और बड़ी व ा नक भाव-भ गमा बनात ए प ब र कभगवान को कोई खास मह व दन स इकार कर दया मोट -मोट भारी कताब स वदशीदाश नक क पाठ और कोटशन कठ थ ान स लस अभी वह एक ताजा-ताजा ना तक

आ था जस अपन सलबस को कवर करन क लए यह सब पढ़ना पड़ा था कॉलज मभारत म कोई भी आदमी ना तक-आ तक इस लए भी हो जाता था य क उसन इससजड़ी कोई कताब पढ़ ई होती एक ठ क-ठाक ह भी स पटक का हद अनवाद पढ़यहा आराम स कछ दन खद को बौ धम का थलभ कह फर लता था जो क जन थइस ही भारत म कॉ फडस कहत थ यह आ म व ास स अलग चीज थी भारत वस भीहर मामल म ब -वरायट वाला दश था यहा एक ही राशन काड म आ तक-ना तक दोनसाथ-साथ होत साथ अनाज उठात और सग म खात ना तक बटा मगलवार को मगा खाई र को चनौती दता और आ तक मा उसी मगल का त रख उसी ई र स उसक स म तक कामना करती भारत का ई र दोन तरफ स खलता सम वयवाद था ना तक कोयक न दलाता क वह नह ह आ तक को भरोसा दता क वह ह भारत म कछ साध-सतभयकर भरोस स बतात क उ ह न ई र को दखा था और कछ लपट स करत क हमनतो खब दा -मगा खा-पीकर उस ललकारा वह होता तो आता नह या

शखर अब एक छोट -सी बास क म चया ख चकर बठ चका था भारत म हर पढ़ा-लखा यवा जो बचपन क क ा म पछवाड़ पर अपनी चट ट कटवा लन क बाद भी उससहपाठ छा को कभी चनौती नह दता था वह भी जवानी क एक दौर म भगवान क

अ त व को ज र ललकार दता इसक पीछ एक ठोस ावहा रक कारण भी था क आजतक ऐसी चनौती क बदल कसी भगवान ारा गदा या शल स कसी मानव क ठकाई का

माण नह मला था इस लए यह वाली ललकार सफ होती और अदर सपरमन होन काभाव भी द जाती शखर अभी उसी दौर म था

ldquoआप धम-कम नह मानत ह या शखर बाब बाप रrdquo लखन न ध कनी म लकड़ीखोर आग भभकात ए पछा

ldquoधम अफ म ह लखन भाई अफ म इस छोड़ना बहतर हrdquo शखर न परमाण पटकदया

ldquoतब तऽ और मजा दगा ह नrdquo लखन उस पर परमाणरोधी गोबर लीपता आ बोलाldquoयार अर अफ म ह नशा ह बीमारी ह धम अफ म का नशा समझ कछrdquo शखर

पनः गोबर प छता आ बोला लखन अब चप हो गया एकदम उसन बस ब त सकचातए दा ओर द वार पर टग हनमान जी व कमा जी को एक बार कन खय स दखा और

ध कनी म हवा दन लगा दोन दवता भी लखन को दखत तीत हो रह थ त वीर मअ सर ऐसा ही होता आदमी को यक न होता क भगवान भी उनको दख रह ह बस यहीतो कारण था क लखन जस लोग अब भी ई र और धम पर अ डग व ास लए थ इधरबरची भी जस आज मज क मड म ही था वह अपनी बोरी सरकाकर शखर क थोड़ करीबआ गया और अब जब स प ड़या नकाल उस रगड़न लगा शखर न भी ज द ही सलगानका इशारा कया सकदरपर वाला एक यवक चलम साफ कर रहा था

ldquoशखर जी हा हम भी जब पहला दफ पढ़ तो बड़ा तगड़ा बात लगा य मा स वालाडायलोग फर बाद म हमको एक बात समझ म नह आया क च लए मा स बोलता ह कधम अफ म ह धम को छोड़ दो इस पर मा सवाद लोग धम को छोड़ दया पर सालाअफ म काह नह छोड़ता हrdquo बरची न चहर पर म ती वाली हसी लए पछा शखर यहसन णभर म कराया और फर इधर-उधर बगल झाकन लगा हमशा सवाल पछन औरखड़ा करन का अ यास रहा था उस उ र दन का अनभव कम ही रहा था उसको यवाश य का मा सवाद तो सवाल पछन क लए रत करता था उ ट उसस कोई सवालपछ यह तो बताया ही नह था कसी सी नयर छा नता न सगठन म पर आ खर कछ तोकहना ही था अब क बदल

ldquoद खए य तो बब नयाद सवाल ह आपका ज ट क डग आई थक सो मा स परसवाल क लए पहल उसको ठ क स प ढ़ए कसी भी फलॉ फ को एट फलॉ फ सका टए न कोई एट थयोरी लाइए बड़ फलॉ फर को कोट क रए तब न कछ जवाब rdquoशखर न सवाल क वा लट को ही न न बता सर स खा रज करत ए कहा स र गाव-दहात क कसी झोपड़ी म चार गवार क बीच बोरा-चट ट पर पसरकर गाजा पीत ए भीशखर न अपना बौ क लवल मटन रखा था और कसी उ च तरीय सवाल पर ही कोई हाईलवल उ र दन का आका ी था

ldquoहम कोई भी सवाल कताब पढ़कर नह आसपास जीवन का अनभव पढ़कर उठात

ह शखर जी नया क सार दशन भी तो उसी जीवन क अनभव स नकल ह आदमीमामली हो सकता ह पर उसका अनभव नह बस कसी न उस पकड़ क दशन गढ़ दयाऔर अ धकतर न उस जाया कर दया ठ क जस हम-आप मट ट र दत रहत ह परम तकार उसी स म त बना दता हrdquo बरची न कहत-कहत हथली म रगड़ता माल एकदममहीन कर दया था शखर मद-मद म कराता आ अभी उसी हथली को दख रहा था

ldquoअ छा यह सब ठ क ह ल कन कछ बक भी ज र प ढ़ए बना बक पढ़ चीज ब तयादा टकती नह आप समझदार आदमी ह थोड़ा पढ़- लख ह कछ बक पढ़ ली जए तो

ठोस हो जाइएगाrdquo शखर न बना बरची स नजर मलाए उस सलाह दत ए कहाldquoहा-हा आदमी बक स कहा वो तो समय क हथौड़ा स चोट खा ठोस होता ह शखर

बाब जब कोई आम आदमी गाव क धान स दश का स ा स या मा स स या कसी सभी सवाल पछगा तो उसक पहल बक थोड़ पढ़गा आपको या लगता ह लोकत म हरआदमी सवाल पछन स पहल दस कताब पढ़ तब अपना पछ तब तो इस दश मजतनी पचायत ह उतन व व ालय भी तो होन चा हए शखर बाब नह तो बस आपकजस कछ ही लोग रह जाएग जो सवाल पछ आप लोग क कपार पर तो बड़का लोड बढ़जाएगा महराज हा-हाrdquo बरची न जमकर कहा अभी शखर इस पर कछ कहता क ब तदर स चपचाप रदशन क इस ान दशन काय म को सन रहा सकदरपर स आया एकआदमी उठकर खड़ा हो बफर पड़ा

ldquoअर या आप लोग तब स इतना बड़ा-बड़ा बना काम का बात कर रह ह बरचीभाई चनाव का तो सो चए या समचा गाजा इतना बड़ा-बड़ा ान का बात सनन म खतमकर द जएगा क कछ पलान बनगा भोट का खाली गाजा पीन थोड़ आए ह हम लोगrdquoएक चनाव सम पत यवा बोल उठा बोलन क साथ ही उसन खड़-खड़ बरची क हाथ सचलम लया और पहला कश लगाकर आज क हवन का आगाज भी कर दया ऐस लोगपीन नह आत ब क फटाफट पी भी लत थ

ldquoहा कछ बात हो अब आग का योजना परrdquo प ब र भी याशी क प म गभीरहोकर बोला

ldquoहा-हा प ब र भी टशन म ह सब योजना ह मद चता ना क रए आप लोग सबबतात ह भन र बाब स भी जरा भट करना ह कलrdquo बरची न खलकर हसत ए कहाऔर धीर-धीर अ तम वा य तक गभीर हो गया

ldquoद खए अब चनाव म जब खड़ा ही हो गए ह तो सी रयस होकर लड़ना होगा अबपसा-कौड़ी इ जत जान सब दाव पर हrdquo प ब र काम स भी कम हसी क साथ ज रीबात बोला

ldquoटशन मत लो यार लड़ग और जीतग भी लख लो कह टाप परrdquo बरची न कहतए चलम उठाई और जोर का कश ल धआ ऊपर छत क ओर मह करक छोड़ा

ldquoकल सबर प च जाइए आप लोग सकदरपर वह हम लोग भन र बाब को

बठाकर रखग कछ गर-म लम को भी सपक करना ह अब मसलमान वोट तो दगा ही हमलोग कोrdquo इतना बोल दोन यवक गमछ का मरठा सर पर बाध खड़ ए

ldquoअर स नए भाई लोग सकदरपर म एक फ मली का वोट हमार तरफ स लखली जए वनोद सह जी का वोट हम लोग को मलगा कल सपक करा गा आप लोगकोrdquo शखर न अपन मह स धआ छोड़त ए कहा

ldquoउसको जानत ह आप ऊ दगा भोट ऊ राजपत ह भाई साहब फकन सह को हीदगा हम जानत ह उस घर कोrdquo सकदरपर वाला यवक नकलत- नकलत ठहरकर बोला

ldquoचीप बात ना क रए हर आदमी को जा तवाद कह दन का ड चल गया ह यार वलोग प क क य न ट रह ह उनका बटा सबोध सह कोलकाता म सीए क पढ़ाई कर रहाह ही इज माय ड प का मा सवाद ह कोलकाता म स य भी ह सबोध व लोगज र वोट दग अब राजनी त स जात-पात ख म हो रहा ह चज को फ ल क रए मरभाईrdquo शखर चलम को कनार पटकत ए थोड़ जोर स बोला सामन वाला आदमीसमझदार क साथ-साथ सयमी भी था शायद

ldquoअ छा भाई जी गलती हो गया हम नह समझ पाए ह ग हम चलत ह चज कफ लग क रए हम लोग का कछ चज होगा तो बताएगrdquo इतना बोल वह यवक बाहरनकल आया उसक साथ आए साथी न भी नम त बोल वदा ली प ब र थोड़ा उ सा हतथा अपनी मज का समाचार सनकर ल कन बरची थोड़ा-ब त वनोद सह स प र चत थाहाला क वह उसक बट को तो चहर स पहचानता ही नह था तो सीध उस पर कछ कहना भीउ चत नह समझ रहा था

ldquoएक बात बताइए शखर बाब मान ली जए आप कटर ह और आप वसीम अकरमऔर शन वान का शसक ह ल कन जब खलन का टाइम आएगा तो या ऑ लया यापा क तान स खलन लग जाइएगाrdquo बरची न ठडी चलम म पनः आग भरत ए कहा

ldquoनह भाई फन होना अलग बात ह औ बयसली इ डया क तरफ स खलगrdquo शखर नमहबाए कहा

ldquoबस यही बता रहा क कोई चाह कतना भी मा स माओ सतग आबडकर गाधीया तलसीदास का फन बन जाए ल कन जब खलन का नौबत आएगा न आदमी जात ही कतरफ स खलगा राजनी त का खल यही ह शखर बाब आइए वचारधारा- फचारधारा कनाम पर ई मा रए स टा और फक क धआ उड़ा द जएrdquo बरची न सलगती ई चलमशखर क तरफ बढ़ात ए कहा

ldquoमतलब तो फर हम पर भी शक ह आपकोrdquo शखर न बात को अपन भोल उ साहीदल प लत ए कहा

ldquo या बोलत ह आप आप पर तो कोई शक ही नह ह आप पढ़- लख आदमी हआप कोई अ छा ही रा ता नका लएगा हमको यही उ मीद ह आपस आप कोई सबोधसह या वनोद सह थोड़ हrdquo बरची न दबी म कान क साथ बड़ सहज वर म कहा

ldquoआपको अब चनाव म ब त कछ सभालना ह चनाव तक द ली नह जाना ह कलस चार म रहना ह आपक बोलन-कहन स लोग पर भाव पड़गा शखर जी आप ानीआदमी हrdquo प ब र न अपन टार चारक क घोषणा करत ए कहा सब न सहम त मसर हलाए शखर न भी इस ज मदारी क मलत ही चहर स तरत छछड़ गजड़ी वालीबपरवाह क परत हटाई और गभीर हो सबको दखन लगा

दखत-दखत नामाकन वापसी का आ खरी दन भी आ गया था जटाय श ला न तोपहल ही दन जाकर नाम वापस ल लया था यह खबर दन जब वह फकन सह क यहा गएतो कसी न सनना भी ज री नह समझा प षो म सह न घर क अदर स ही खबरभजवा द क कह दो अभी जाए और कल स फकन क चनाव चार म लग जाए जाकरसो न जाए

जगद श यादव और बजनाथ मडल दोन आज सबह स ही मड़ी गोत प षो म सहक दरवाज बठ ए थ बाक और भी कई लोग बठ थ प ब र न फकन ारा दए सार

लोभन और ताव ठकरा दए थ और आज एक बार फर सबह-सबह भी जगद श यादवलखन लोहार क झोपड़ी स बरची को समझान म थक-हारकर लौट आए थ जस शोल मजय-वी स नराश हो साबा क नत व म ग बर क आदमी लौट आए ह पाव पर पावचढ़ाए उसी शखला म आज फकन सह मशः सबक लास ल रहा था इस व माहौलतनावपण था गाव क स ात लोग म कामता बाब और जगदा बाब भी का लया क तरहबरामद पर थोड़ ऊच म कस लगा चपचाप बठ थ फकन सह कभी भी पलटकर उनसकोई सवा लया सझाव माग सकता था उ ह जवाब दन को तयार ही बठ रहना था

ldquoप बतरवा तो ब त क बयाट नकला हो ब त ठन ह बाप तो इसका खद जलगया था बटा का गाठ जलाना होगा लगता हrdquo वह खड़ बोगा पहलवान न हाथ म खनीरटत और हथली पर ताली दत ए कहा बोगा पहलवान फकन का खास आदमी था जोवशषतः चनाव म व वध उपयोग मसलन हड़कान धमकान और बथ मनजमट करन कखा तर बलवाया गया था बोगा बगल क ही घोघट ट गाव का था

ldquoखाली प ब र का नह सबका मन बढ़ा ह साला भोर अपन झोपड़ी पर लखनालोहार भी मह लगान लगा कहता ह क फकन सह सीध चनाव म काह ना फ रया लता हबठा-बठ का काह बात बोलता हrdquo बजनाथ न बड़ भर वर म सनाया

ldquoपरा प ही जहर मडली बना आ ह सबको उ चत इलाज दना होगा धीर-धीर रोगफल रहा हrdquo बदरी म सर न म यम-म यम ग त स गदन को गोलाकार पथ पर घमात एकहा फकन सह इस पर कछ बोला नह उसन बस एक नजर बोगा पहलवान क ओरदखा और आख-मह तरर बठा रहा तभी अदर स हाथ म ताज कट पपीत क लट लए उसच मच स सतलन साध उठा-उठा खात ए प षो म सह बाहर नकल

ldquo या बात आ सब थोथना काह लटकाए बठ हrdquo प षो म सह न पपीत का एकपका आ टकड़ा मह म भरत ए पछा

ldquoवह प ब र दास मान ही नह रहा ह सब जतन तऽ कर दख लए पसा कौड़ी कछ

भी नह सना साला बर चया क भाव म ह उसक बात स बाहर जाता ही नह हrdquoजगद श यादव मरझाए ए वर म बोल

ldquoहा ई तो हम जानत ही थ क नह बठगा आसानी स ऊ अ छा अब बर चया भीभाव रखन लगा और कछ दखना बाक ह का जीवन म सही म समय बदल गया ह

हमको भी बदलना ही होगाrdquo प षो म सह न बचा पपीता लट म छोड़ उस जमीन पररखत ए कहा

ldquoआ खर कब बदलग आज तो ला ट दन था नाम वापसी काrdquo फकन सह नजलत-झझलात ए धीर स ही कहा पर धीर स कही य बात प षो म सह क सीध कलजपर लग गई थी प षो म सह न एक बार वह बरामद क द वार पर टगी अपनी व णमवरासत क त वीर क तरफ दखा जनम उनक दादा लाडो सह क ब क लए घोड़ परबठ त वीर बनी थी उसक बाद उनक पता भरो सह क मछ पर ताव दती एक हाथ मतलवार लए त वीर थी प षो म सह क नजर अब तरत बट फकन क तरफ गई

ldquoदखो दख रह हो यहा तक लड़ क ही प च ह आज तक ऐस ही नह परखा-जमाना स बना क रख ह होगा फर ताडव ल कन गाव म हम शा त स समाधान चाहत हअब गाव सोच ल वह या चाहता हrdquo प षो म सह अतीत और भ व य क बीच कहकछ टटोलत ए बड़बड़ाए

ldquoआप माथा ठडा क रए प षो म बाब अर कतना औकात ह भाई चार ठो आवारालड़क का सब सरडर करगा आप बकार म इतना गभीर चता मत क रएrdquo बदरी म सरन प षो म सह क कस स सटकर उ ह ठडा एहसास दत ए कहा

ldquoल कन दन-ब- दन तऽ मन बढ़ जा रहा ह बाबाrdquo जगद श यादव न म यम होती लौको श घी दत ए कहा

ldquoद खए खत म खड़ा ग ा लाठ होता ह पड़गा तो रीढ़ तोड़ दगा ल कन वही ग ाजब खत स कटकर ठला पर लगता ह बाजार म तो मशीन स परा जाता ह प ब रा अभीखत म खड़ा ग ा ह उसको पहल खत स काटना होगा तब बकगा प ब र दासrdquoप षो म सह क बदन म परख का ज स य होन लगा था

ldquoऔर मा लक ऊ लखना का झोपड़ी बा द का करखाना ह वहा हसआ-खरपी नह यही सब बम बनता ह समचा पोल ट स का जड़ वही अड डा हrdquo बजनाथ कलसत एएकदम फट पड़ा था प षो म सह बना कछ और बोल अब कस स खड़ ए और बोगापहलवान को अपन पीछ आन का इशारा कर अदर चल गए अब चनाव तो लड़ना ही थापहल स भी यादा म तद स आज भी फकन सह कई लोग क साथ सकदरपर क घर-घरजाकर जनसपक करन नकला इधर प ब र दास क तरफ स बरची न सबह ही मध कोकछ म हला सा थय क साथ मलखानपर क कछ टोल म म हला स सपक करन काज मा द दया था अभी चनाव च का आना बाक था इस लए याशी बना पो टर-बनरही घर-घर जा अपन-अपन लए समथन जटा रह थ शाम तक जब फकन सह वापस घरलौट आया था उसी समय सरी तरफ बरची और प ब र दोन सकदरपर म प च लोग

स मलजल रह थ इसी म म पता चला क आज दन म फकन सह वनोद सह क घरबठ और खाना खाया बटा सबोध सह तो फकन सह क नॉ मनशन म भी गया था और वहपशल इसी वा त कोलकाता स आया ही था अब चनाव क दन वोट डालन आएगाबरची न यह बात तरत वह स फोन कर शखर को बता भी द थी शखर तो यहामलखानपर म भयकर प स स य हो गया था और बना कसी क बोल ही व रणा समध क साथ लग म हला क बीच ताबड़तोड़ चनाव चार म उतर गया था गाव-टोला मकई ब ए म हलाए प ष या जवान लड़क को दख साड़ी स घघट कर लती थ इस परशखर कई जगह ककर घघट था क अत क लए अनत उपदश दन लगता शखर जबखड़ा हो उ ह टोकता-समझाता तो कई तो लजा क घर घस जात कई न तो लगातर उसकभारी-भरकम भाषण स उकताकर सर स साड़ी झटककर घघट हटा भी दया और हाथजोड़ उसस चल जान का नवदन भी कया कई औरत आपस म खसर-पसर भी कर रहीथ कतना बहया ह ई मा टर साहब क लड़का एकरा ब -बट क घघट स या मनी हर माई

एक अधड़ उ क अ मा न तो हसत ए शखर स कहा ldquoहम दखग क मा टरा यनक पतो कतना बना घघट रहगी गाव म तोर बहा हो जाय मा टराइन ब क जस पटप हन घमल द खए क मरब अब रामजीrdquo

दर साझ सरज डबन क बाद जब बरची और प ब र वापस लौटकर लखन क यहाबठ थ तो दखा शखर तब तक वहा नह प चा था फोन भी ऑफ आ रहा था उसका ब तपता लगान पर वह मध क घर चाय पीता आ पाया गया नौजवान शखर आज अनक घघटउतारत-उतारत थक गया था अभी जब बरची उस लन को मध क घर प चा तो उस वशखर ख टए पर बठकर मध क बढ़ मा को नारी अ धकार क बार म सचत करन मत लीन था बरची न उस जस ही बलाकर अपनी बाइक पर बठाया तो तब स न जान या-

या मन म दबाए उस ब ढ़या क मह स यह नकला ldquoऔर तनी पहल आ जात बटा ई ब तही दर स बचारा अकल यहा बठ थ ल जात बचारा कोrdquo

बरची न हसत ए बना कछ बोल बाइक बढ़ाई बाइक क जात ही बढ़ न मध कोआवाज लगाई ldquoकवाड़ लगा दो बट ड़का लगा दना क अब कोई आए नाrdquo इतना बोलएक लबी सास ल ऐस स ता क ख टया पर गर पड़ी वह बचारी बढ़ जस सर स कोई

वटलभर का बोझ उतरा हो अभी-अभी दहज अ ध नयम स लकर म हला आर ण बलजसी कतनी बात बढ़ न आज तक जनस सब धत न श द सन थ न कोई अथ जानती थीउ ह पछल दो घट स सनना कपार पर वटलभर धान क बोरी रखन जसा ही तो था तीनकप चाय अब तक पी चका था वहा शखर बचारी बढ़ मध को अकल ब तयान छोड़नानह चाहती थी नतीजन यह कहर झलना पड़ा था बचारी को

इधर शखर न लखन क यहा बठक म आज क दन का परा चनाव चार योरा दयायह भी बताया क आज कस तरह उसन गाव क म हला म घघट था क उ मलन हत

ा तकारी अ भयान चला दया था

ldquoलडीस लोग को भोट क बार म भी बताए न शखर जीrdquo बरची न शखर को घघट मओझराया दख पछा

ldquoहा-हा वह तो मध जी बता ही रही थ हम थोड़ा जाग क भी करत जा रह थम हला को पदा खाली चहरा नह ढकता ह ब क वह वत सोच और नारी क अपनीआजाद पर भी पदा होता ह पदा था का अत होगा तो नारी वाभा वक तौर पर चतनशीलहोगी राजनी तक जाग कता आएगी अपना वत नणय ल पाएगी वत सोच रखगीबथ पर जाएगी मतदान करगी तभी तो लोकत का वकास होगा एक वत जनमत कानमाण होगा म हला क बीचrdquo शखर न मतदान या और वत नारी क बीच टग पदको फाड़त ए बताया और साथ ही उसक महती उद द य स भी घघट उठा

बरची न तो शखर क इस मराथन अ भयान का क सा-काड सनत आख म च ल लखन बचारा हमशा क तरह महबाए बस सन रहा था शखर को प ब र तो मन-ही-मनअपन टोला क आसपास क म हला क त वीर याद कर रहा था क कतनी बना घघटक रहती ह वह उसी हसाब स अपन वोट गन रहा था बचारा

ldquoपदा था का अत तो एक-दो साल समय ल सकता ह शखर जी अभी थोड़ा चनावम भोट नकाल लया जाय फर लगत हम लोग भी उसम आपक साथ या ठ क नrdquoबरची न हसत ए ही शखर स कहा

इस तरह और भी कई चनावी बात होती रह पीत-ब तयात रात क लगभग 1000बज गए थ बाहर बादल क ह क गड़गड़ाहट सनाई द रही थी लखन न उठकर बाहरझाका तो ह का पानी का झटासा चहर पर लगा बाहर हवाए पड़ को झकझोर रही थ बा रश हवा दखत ही मह फल भग कर सभी अपन-अपन घर को नकलन लग वस परीरात तज बा रश तो नह ई ल कन ह क फहार क साथ बीच-बीच म तज हवाए चलती रहीथ

सबह सरज ठ क स नकला भी नह था क लखन क घर क सामन आठ-दस लोगखड़ थ लखन वह जमीन पर चकमक सर पर हाथ धर बठा था घर का एक-एक सामानजा चका था बतन स लकर काम करन वाल औजार तक सब पर हाथ साफ हो चका थालखन क प नी छाती पीटत ए दरवाज क चौखट पर बठ ई थी दोन छोट ब च मा कपीठ पकड़ पीछ खड़ थ गाव क लोग अदर घर म जाकर मआयना कर आ रह थ और चोरीकरन वाल क मता एव उसक द ता पर अपनी-अपनी मौ लक ट प णया द रह थ

ldquoकल रात मौसम ही चोरी का बझा रहा था झसी मार रहा था और हवा भी उतन तजचल रहा थाrdquo कई चोरी दख चक एक अनभवी बजग न कहा तब पता चला क भारतएकमा ऐसा दश ह जहा ी म वषा शीत बसत क अलावा चोरी का भी एक मौसम होताह

ldquoएक सामान नह छोड़ा ह सब खखोर क ल गया सालाrdquo एक और आदमी न पर घरका सव करक बताया खबर बरची तक जस ही प ची वह प ब र को लकर दौड़ता आआया

ldquoबबाद हो गए बरची दा जदगी का सब जमा पजी ल गयाrdquo तब स शात बठालखन दौड़कर बरची स लपट गया

ldquoसाला कौन खजाना मला इसक घर चोर सबकोrdquo प ब र न ग स म कहाldquoखजाना खा तर चोरी होता तब ना कौन जान चोर को या चराक शा त मला ह

सब पता लग जाएगा ऐ तम धीरज धरो लखन दखो एकदम नरभसाओ नह अभी त हाराहाथ का नर और महनत ह ना उसको कौन चरा लगा साला चता ना करो हम लोग भीह ना त हार साथrdquo बरची न खत मन स सीन स लग लखन क पीठ पर हाथ रख ए उसढाढ़स दत ए कहा

ठ क तभी ही चपत सनार भी साइ कल लए प चाldquoअ याय ह ई परा घर समट लया हरामी चोर सब इतना अमीर क घर छोड़ यही

गरीब क घर घसना था ओह भगवान कछ यादा मला नह होगा ल कन गरीब तो मरगया होrdquo चपत तो आत ही बना कोई सव कए और परी चचा सन ही सारा योरा बोलगया नकसान का

ldquoचोरी नह ह हा अ याय ही ह चपत भाईrdquo बरची न कड़ अदाज म टढ़ दखत एकहा

ldquoगाव म चनाव ह अब पता चलगा फकन सह गरीब को कतना दखता ह अगरस चा जनसवक ह तो बचारा लखन का मदद कर आकर या ठ क बोल रह ह क नहहमrdquo चपत न मौजद लोग क तरफ नजर घमात ए एक अलग ही बात बोल द थी

ldquoगरीब का ख अपना होता ह उसम कोई ह सा-बटवारा नह होता ह चपत दाrdquoलखन न भर गल स कहा

ldquoवही तो आज औकात दखना ह हमको फकन सह का अगर ह धान कहलान काशौक तो मदद कर गरीब को मान जाएगा गाव क हा एक असली स चा नता ह फकनसहrdquo चपत न फकन सह क मोह ल क तरफ मह कर उस स च काम और प य क लएललकारा बरची को पहल तो कछ मनट समझ ही नह आया चपत का यह नया पतराल कन जब चपत क कह क अथ को पकड़न क को शश क तो मन भ ा-सा गया

ldquo या मतलब ह कहन का लखना फकन सह स भीख मागगा उसका मदद स च हाजलगा इसका और इसको भीख द ऊ गाव का परोपकारी स ाट अशोक बन जाए फर इसमहान कदम का वागत हो फकन को सब मल भोट द एक आप ही जानत ह राजनी त

या हम कोदो बनत ह या हम जएट इस लए ए या क आपक जसा आदमी हमकोपढ़ा जाएrdquo बरची न ग स म जोर स बोलत ए चपत को उघाड़ क रख दया

ldquoलऽ अर इसम भी राजनी त खोज लए और हमको म ख भी बोल दए अर याभाई बरची तमको हर चीज म भोट और धानी ही दखता ह र मद अर तम लखन कदो त हो क मन बाप र धानी का मजा लन क लए इतना वाथ मत हो जाओबरची अर आज ई कगाल हो चका बचारा लखन को अगर कछ पसा का मदद हो जाए

और इस ख म काम सभल जाए तो तमको या द कत ल कन इतना बड़ा ख म भीचनाव और वोट का राजनी त दख रह हो कसा दो त तब छः- छः र मदrdquo चपत नअसली चाल चलत ए कहा

ldquoलखन तम या फकन सह का दया आ एहसान लोग दो तrdquo बरची न ब तभरोस क वर म पछा था लखन स

ldquoअर इसको नह लन बोल रह तो फर तम लोग य नह मदद कर दत हो अपनदो त का खाली झठा गमान दखान स नह होगा नाrdquo चपत न भी जोर स कहा

अभी माहौल गहमागहमी म ही था क तभी सामन स प कार आनद सह और काशीसाह भी एक बाइक पर प च ही गए

ldquoब त ख आ ह चोरी का खबर सनकर फकन बाब को लखन तम एकदम चताना करो तमको फकन बाब बलाए ह जो भी मदद होगा करगrdquo काशी न बाइक स उतरतही कहा फकन सह क इस ताव क प चत ही वहा खड़ गाव क लोग म फकन सह कचचा श हो गई कछ लोग तो यह माजरा समझ कनार आ खसर-पसर करन लग तो कछलोग वह खल मन स फकन सह क वशाल दय क चचा करन लग

ldquoचपत का तो मह चप हो गया अब ली जए फकन सह तो तयार ह बचारा क मददबा तrdquo एक बजग न जमा लोग क बीच कहा चपत तो मन-ही-मन अपनी पीठ ठ क रहाथा

ldquoनह जाएगा वहा लखन हम लोग करग इसका मददrdquo बरची न बना दर कए आगआकर कहा

ldquoअर तम काह हर बात म टाग अड़ाता ह जी एक गरीब क घर चोरी आ ह एकसमाजसवी उसका मदद करना चाहता ह इसम त हारा या जा रहा हrdquo प कार आनदसह न उस डाटत ए कहा

ldquoखाली राजनी त करता ह साला बचारा लखन क झोपड़ी म दन-रात अड डाजमाकर इसको चोर-उच का क नजर म चढ़ा दया चोर सोचा होगा क माल ह यहा तब नदन रात गाजा दा चखना चल रहा ह झोपड़ी म यही धोखा म घस गयाrdquo काशी साह नकड़व वर म कहा

ldquoआ गए दलाली करन अर आप ही लोग तो करवाए ह चोरी साला सब सट हद खए कस-कस सब प च गया तरत दया दखानrdquo यह बोल बरची काशी क तरफलपका

उसक अचानक बढ़न स काशी अपनी लगी म थोड़ा लझबझाया तब तक तो बरची नएक ध का द दया था काशी अकबका क दो कदम पीछ गया और झटक स आग आउसन बरची क गदन पकड़ी बरची न भी काशी क शट क कॉलर पकड़ी और लात चलाद इतन म तो आनद सह न दो कदम बढ़ सनसनाता आ एक परजोर थ पड़ मारा बरचीक गाल पर थ पड़ पड़त ही बरची सर पकड़कर बठ गया झ ाटदार थ पड़ स सर घम

गया था उसका लखन न दौड़कर बरची को सभाला ह ला-ग ला होन लगा काशी साहबछट गा लया दन लगा एक न काशी को ख चकर शात कराना चाहा कछ लोग आनदसह स ठडा होन क वन अपील करन लग इसी बीच चपत तजी स प ब र का हाथपकड़ उस ख च सामन वाल पीपल पड़ क पीछ ल गया

ldquoप ब र भाई तम बबाद हो जाओग ई बरची का मखता म हम लोग हार जाएगअर अगर फकन सह स पसा ल ही लगा लखन तो या द कत भोट तो तम ही को दगाना आ खर तम कतना खच करोग भाई बर चया को तो कछ दना नह होता ह पसा तोत हारा जा रहा ह हर जगह और ताव दखाता ह बरची फकन सह स चनाब लड़ना ह नउसस मनी थोड़ करना ह ल कन बर चया तो इसको एकदम य बना दया ह भाईइसक घमड म त हारा एक का दस खच भी हो रहा हrdquo चपत ज द -ज द म समझाता

आ बोला उसन प ब र को यह नक सलाह द अपना लया काम सप कया और फरभीड़ क तरफ आ गया प ब र यह सन बना कछ बोल तजी स चल पहल अभी तकजमीन म बठ बरची क पास आया और उस हाथ स सहारा दकर खड़ा करक काशी साहक तरफ दखन लगा

ldquoआप लोग मारपीट करक या दखाना चाहत ह मारपीट करक डरान आए हrdquoप ब र न कहा

ldquoमारपीट और बदतमीजी तो य बर चया कर रहा ह तम इस क च कर म बरापसाओग बाब अभी हम कल खबर बनाकर नकाल द क यहा गाजा-दा बाट रहा ह

याशी क सल हो जाएगा त हारा दावदारी अर चनाव लड़ना ह तो गत मनी काहलत हो फकन सह एक समाजसवक ह कसी गरीब का मदद करना चाहता ह तो कोईकस रोक लगा भाई तम भी कछ करना चाहत हो तो करो तम भी बताओ कतना मददकरोग लखन का खबर बनात ह कल त हारा भी इसम या द कत ल कन ई सा लाचोट टाhelliprdquo आनद सह न मह म पान डालत ए कहा

ldquoदस हजार दगा लखन को प ब र दास लखन को और कसी का मदद नह चा हएफकन सह का मदद ठकरा दया लखन जाइए छा पए खबरrdquo बरची न पनः आवाज मदम लात ए कहा

ldquoअ छा अ छा तो तम द रहा ह पसा औकात ह कछ दन काrdquo आनद सह न आखदखात ए पछा

ldquo या प ब र दना ह ही ना यार अपना लखन का बात ह पछना और सोचना याह और ऐ लखन तम भी बोल दो इनको साफ-साफ क फकन सह स एक कौड़ी नहलनाrdquo बरची न एक बार प ब र और एक बार लखन क ओर दखत ए एकदम तन वरम कहा प ब र इस व एकदम शात खड़ा था बरची अब भी लगातार उसक ही ओरदख रहा था लखन भी थर खड़ा था कछ पल क लए अचानक स अभी एकदम च पीआ गई थी वहा कछ दर बरची इस च पी पर चढ़ रहा था एक प और तय बात कोकहन म हो रही दर स बरची चड़ चड़ा रहा था मन-ही-मन

तभी प ब र क आवाज स च पी टट ldquoहम द रह ह पसा आप लोग लखन स पछली जए क कसस लगा पसाrdquo

ldquoअर का प ब र भाई हम तो साला पगला जाएग पता नह चोरी क बाद भी कौनबपत आएगा कपार पर हम सबक हाथ जोड़ रह ह हमको अभी कसी का पसा नहचा हए बस हमार साथ आप लोग ह न वही ब त ह कमाना-खाना ह फर कमा लगrdquoलखन न लगभग बलखत जसा कहा था वो अब हाथ जोड़ वहा जमा लोग स जान कोकहन लगा थोड़ी दर म मजमा धीर-धीर घटन लगा प कार आनद सह भी घटना कोअजाम द घटना का समाचार ल वापस लौट गया था सबक जान क बाद भी प ब र औरबरची वह ही थ

ldquoआपको थोड़ा ठडा दमाग स काम करना चा हए चनाव भरrdquo प ब र न पहली बारथोड़ा-सा त ख होकर कहा था पर बरची को शायद प ब र का ऐस कहना या शत हीलगा था एक याशी का तनाव बरची बखबी समझ रहा था

ldquoठडा दमाग कर ही समझ पाए न प ब र क चोरी आ नह ह ब क करवाया गयाह ऊपर स आ गया ऊ लोग खला खलन इस लए तो ग सा आ गया थोड़ाrdquo बरची न वहचौखट क पास बठत ए कहा

ldquoइस बात म ब त दम नह ह बरची जी चोरी करवा क उ टा मदद काह करगाफकन सह आप पसा तो लन दत लखन को पसा ल लता कोनो भोट थोड़ द रहा थाउसकोrdquo प ब र न अपन हसाब स बात समझत ए कहा

ldquoपागल हो या यार अर वो मदद करक लखन को अपना दखा हम लोग कामनोबल तोड़ रहा ह परा पचायत को दखाएगा क द खए वरोधी का भी मदद कयाफकन सह इतना बड़ा दवता ह इ लखना का तो दो त हो क भी कोई कछ नह कया

या करगा सर का ई लोग यही बात फलाएगा समझ और चोरी करवाकर हम लोग काआदमी म डर जो पदा कया वह तो कर ही दया अलग सrdquo बरची न उकतात ए बताया

ldquoह म हो सकता ह अब इस पर या बोल हम आप हमस यादा दख ह गाव कोऔर राजनी त को यहा हम तो बस आपको यान दला रह थ बरची जी क खचा-पानी मथोड़ा हसाब स चलना होगा सकदरपर म कल ही हम लोग एक जगह नौ हजार द कआए थोड़ा हमारा भी एक सीमा ह टकसाल नह ह दादा और या बोल बस थोड़ाहसाब सrdquo प ब र पहली दफ पसा-कौड़ी और खच पर यान दलात ए साफ-साफबोला था बरची को न जान या समझ आया

ldquoलखन को मदद करोग क नह इसको पसा दोग क नह बना लाग-लपट कबोलोrdquo बरची न भी एकदम सीध पछ दया था

ldquoगजब बात कर रह ह इसको कस नह दग हम लखन का नह सरा खच पर बोलरह ह आग स थोड़ा याल र खएगा खचा क ोल करना होगा और कछ नह बोल रह हहमrdquo प ब र न भी बना एक पल लए उ र दया

ब त दर बाद बरची मन स म कराया था अब प ब र भी हसकर बगल म बठ गयाबरची क लखन घर क भीतर प नी स कछ ब तया रहा था बाहर आया तो दोन दो त कोहसता दख आख क आस प छ ह ठ पर म कराहट ल वो भी बठ गया उनक साथ

कछ दर बाद लखन क घर स लौट उस दन प ब र दनभर गाव म ही रहा था आजबरची ही अकला चला गया था सकदरपर कछ लोग क पास मलन-जलन

सर दन लखन क ही झोपड़ी म बठा सबह का अखबार पलट रहा था बरचीldquoसमाजसवी फकन सह न द चोरी पी ड़त गरीब को प ह हजार पए क मददrdquoबरची अखबार पटककर दात पीस रहा था लखन बगल म ही बठा था अखबार म

कसी गरीब को मदद करन क खबर प कार को मदद करन पर छपती थी आनद सह नदो हजार लकर प ह हजार क खबर छाप द थी

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दोपहर का समय रहा होगा तज धप स झलसी बक रया आम गाछ क नीच जमीन पर लटम मया रही थ प ब र सर पर सफद गमछा बाध बाइक स लखन क यहा प चा लखनबगल क खत स सट बास क झरमट स तीन-चार बास काट ल आया था और उ ह फाड़करअपन घर क पीछ वाल दरवाज क लए टाट बना रहा था जस चोर तोड़ गए थ हाथ मक हाड़ी लए गमछा पहन नग बदन पसीन स नहाया लखन प ब र को दखत ही कट बासका टकड़ा कनार हटा क हाड़ी रख सामन प ब र क बाइक क पास ही आ गया

ldquoराम-राम प ब र दा इतना धप म इधर कहा अभी आज कधरो चनाव चार मनह नकल ह याrdquo लखन न गमछ क कोर स मह-हाथ का पसीना प छत ए पछा

ldquoअर भाई आप ही क पास आए ह ऐ लखन भाई य ली जए अभी तीन हजार बाकदग हम आपको धीर-धीर अभी थोड़ा द कत ह चनाव का टशन और खचा जान ही रह हसब आपrdquo प ब र न जब स पसा नकालत ए कहा

ldquoकौन बात का पसाrdquo लखन न भरसक च कत ए कहाldquoअर वही भाई कल जो बरची बोला था दस हजार पया आपका मदद क लएrdquo

प ब र न भी बना च क नह कहाldquoअर प ब र जी वह तो बस बरची दा बोल दए फकन सह को जवाब दन क लए

अर आप लोग का साथ ह यही ब त ह पसा-कौड़ी नह चा हए प ब र जी वस भीबरची दा एक हजार दकर गए ह उसी स राशन-पानी आ जाएगा फर तो कमाना चाल होही जाएगाrdquo लखन न प ब र क हाथ पर अपनपन स हाथ रखत ए कहा

ldquoअर अब बोल दए ह तो रख ली जए भाई और आज अखबार दख फकन सहका खबर छप गया ह प ह हजार वाला अब जब छप ही गया ह तो म काह नाम होउसका जाकर पसा माग ली जए फकन सह स आपका हक बनता ह लखन जी उस पसापरrdquo प ब र न पसा अब भी मट ठ म रख ही कहा

ldquoनह हो प ब र जी प ह हजार क लए बरची दा क भरोसा का खन ही कर दकतना शम का बात होगा क हम जा क उसक ार पसा माग और यहा बठ आप लोग कसाथ गाजा पएrdquo लखन पता नह कस न तकता म उलझ कह रहा था

ldquoपॉ ल ट स सी खए महाराज अर पसा ल ली जए न वोट तो आपका फ स ही हहमार लए हाथ आया पसा काह छोड़ना और बरची भाई को भी थोड़ा समझाइए कराजनी त म जद नह दमाग लगाना पड़ता हrdquo बड़ी ती ग त स राजनी त सीख रहप ब र न कहा

ldquoनह प ब र भाई हमको ना पोल ट स सीखना ह ना इसम पड़ना ह हम गरीबकमजोर बाल-ब चादार आदमी ह नह सकग कौनो फरा म पड़न आज पसा पकड़ लएफकन सह का तो भोट भी उसी को दना होगा और यह हमस होगा नह भोट आप ही कोदग हम चाह कछ भी हो जाएrdquo लखन न हाथ जोड़कर कहा और वापस गमछ क कोर सफर एक बार अपना चहरा प छा

एक कमजोर क पास भी मजबत ईमान तो हो ही सकता ह लखन न शायद यहीबताया था अभी न कोई आ थक सहारा था न ही कटब क लाठ जो कसी सकट म फसनपर भाज सक पर लोह क काम म जतना कटा-छटा लोह का टकड़ा बचता था उस शायदजमा करक रीढ़ क हड डी म डाल रख लया था लखन न तमाम आशका मजबरी औरकमजोरी क बावजद लखन का वोट अब भी प ब र क साथ था अभी दोन क बातचीतचल ही रही थी क सामन धल उड़ती ई नजर आई चार-छह बाइक क साथ एक कालीबोलरो गाड़ी आती दखाई द जो आकर लखन क दरवाज पर खड़ी ई गाड़ी का दरवाजाखोल सबस पहल नता भवन र साद उतर साथ-साथ पीछ स बरची कदा नीच

ldquoअर इतना फोन लगाए फोन काह नह लग रहा था प ब रrdquo बरची न उतरत हीप ब र क पास जाकर पछा

ldquoआप ही जा नए बरची जी आजकल टावर गड़बड़ हो रहा ह शायदrdquo प ब र नह क म कान क साथ कहा

भवन र साद को दखत ही लखन कछ बठन को लान क लए दौड़ा प ब र न आगआ हाथ जोड़ णाम कया भवन र साद न लखन को वापस बलाया और बताया कफर कभी आकर बठग अभी तरत नकलना ह इस लए खड़-खड़ ही बात कर लग नताभवन र साद न लखन क घर ई चोरी क लए अफसोस जताकर जनसवाद कऔपचा रक श आत क उसक बाद प ब र क तरफ दखकर उसका हाल-चाल जाननलग

ldquoहमको तो जस बरची बताया क लखन क घर चोरी आ ह आपको चलना होगातरत नकल हम द खए यह क ठन समय ह और इस व सबको एकजट रहना ह हरबाधा क बावजद मलखानपर का इ तहास बदलन वाला ह और पहली बार कोई द लत

धान मलगा मलखानपर को इसक लए हम बरची को शाबाशी दना चाहत ह जसकसोच और महनत स आज प ब र जसा यवा क डडट खड़ा आ ह और जीतगा भीrdquo नताभवन र साद न बना माइक और मच क ही अपनी इस मनी सभा को सबो धत करत एकहा

ldquoआपका आशीवाद ह सब नता जीrdquo प ब र न सधी ई ा क साथ कहाldquoहमारा कछ नह ह बाब ई बात तो सबस पहल बरची रखा हमार सामन हमन कहा

क एकदम आग बढ़ो हम साथ ह बाक अब तम लोग का यास रग ला रहा ह एकदमईमानदारी स लग जाना ह जनता का सवा म इ तहास रच दो ब त कम को ऐसा मौकामलता हrdquo भवन र साद न फर दोहराया उ च तरीय वचारधारा क नता होन क

ज मदारी स लबरज व इ तहास स नीच क बात कम ही कर रह थldquoआपका हाथ ह हमार ऊपर तो फर चता नह ह नताजी इ तहास बनगाrdquo प ब र

न फल डट म स कछ अश बाटत ए कहाldquo जसक साथ ऐसा-ऐसा ईमानदार साथी और कायकता ह उसको हमार हाथ का

ज रत नह परा सकदरपर को समझाकर आज तयार करन का जो जा सब लोगमलकर कया ह हम तो हरान ह वहा स एकम त वोट मलगा तमकोrdquo भवन र साद नबरची क पीठ पर हाथ रखत ए वहा मौजद सभी लोग क तरफ दखत ए कहा

ldquoनताजी जरा लखन क लए कछ मदद मल जाता सरकारी उसका भला हो जाताrdquoबरची न अपनी मल बात कही जसक लए वो भवन र नता को यहा लकर आया था

ldquoहा हम यास करत ह क इसको जला राहत कोष स कछ रा श मल जाए या कोनोयोजना म नाम घसवाकर कछ पसा का उपाय कर दत ह अब हम चलत ह फकन सह कखलाफ खड़ा होन का साहस दखाकर ही तम लोग आधा चनाव जीत लए हो अब द वालको मत क गरान का ज रत नह ह का जी बरची कमार हा-हा-हाhelliprdquo इतना बोलकरभवन र साद न जोर का ठहाका लगाया

बरची क सग खड़ लोग भी म करान लग बरची न अपन म काड वाल ा तस काक सा सबको सना ही रखा था लगभग पाच मनट और रहन क बाद नता भवन र सादवहा स अपन लोग क सग वदा ए गाव स वापस होन क म म वह फकन सह क घरक सामन वाल रा त स नकल घर क ठ क सामन स गजरत व भन र नता कन खय सउसका दरवाजा दख जा रह थ काली बोलरो दखत ही उधर स भी सार लोग उनकनकलती ई गाड़ी ही दख रह थ नता भवन र साद तो यही दखान गए ही थ उधर सनकलत ए ही उनक नजर अचानक स वहा फकन क ार पर बठ कामता साद औरकल इ प टर पर एक साथ पड़ी थी नता जी न मनटभर कछ सोचा और तरत मोबाइलनकालकर यह बात बरची को बताई बरची अभी वह लखन क घर स कछ र हटप ब र स ही बात कर रहा था प ब र न दखा क बरची को नता भवन र साद का फोनआया बरची न फोन पर इधर स इतना ही कहा ldquoओ एक वकट और भी गरा दया फकनसह चता नह ह नताजी ई तो हम मानकर ही चल रह थ असली फाइट तो होना ह वोटक दन उस दन उसका वकट गरगाrdquo फोन रख बरची कछ पल चप रहा औरम कराया प ब र न कौतहल स पछा

ldquo या आ कौन वकट गरा या मतलबrdquoldquoअर कछ नह आ एक आदमी था नताजी का जो आजकल वरोधी क साथ घमता

ह तम ई सब चता छोड़ो और हमको जरा कल दो हजार द दना सनारपट ट और कोइरीटोला म कछ लड़का लोग को सट कए ह वही सबको थोड़ा तल-मसाला का माल दना हrdquoबरची न ज द -ज द कहा और प ब र स घर चलन का इशारा कया प ब र मगर अभीवह खड़ा था

ldquoदो हजार बरची जी खच पर थोड़ा क ोल करना होगा खाली पसा स ही चनावजीतना था तो फायदा या खड़ा होकरrdquo प ब र न थोड़ी अखरन क साथ कहा

ldquoअर यार तो तमको या पता नह ह क चनाव म इतना तो होता ही ह फकन सहलाख पया फकन खा तर रडी ह हम लोग तो इतना नाममा का इतना कम खच करकही उसको पानी पला दए ह थोड़ा पसस रखो यारrdquo बरची न उकताहट क लहज मकहा

ldquoवह ठ क ह बरची जी ल कन जीत गए तो या खाली हमको जीत मलगा ई लड़ाईतो हम सबका ह तो थोड़ा खच-पानी भी तो बाटकर करना चा हए समचा लोड हम पर आगया हrdquo प ब र न उचट भाव स कहा

ldquoअजब बात कर रह हो यार तम अर हमार कपार का लोड नह दख रहा तमकोऔर अगर पसा होता हमार पास तो वो भी खच करतrdquo बरची हरत स दखता आ बोला

ldquoलखन को दन म तो आ गया पसा तो थोड़ा इधर चनाव म भी तो मदद करद जएrdquo प ब र न चभत अदाज म कहा

ldquoचप रहो चप हो जाओ अब अर जानत भी हो कछ सन लो अब त हार चनाव मअभी तक घर का पाच हजार का फसल बच चक ह हम यह सकदरपर का सब भोटत हारा या मरा थोथना दखकर नह बना ह सबको कछ-न-कछ दना पड़ा ह जतना मराऔकात था कए और बाक पसा तमस लए लखन को पसा अपन मा स मागकर दएब ढ़या क पास रखा था छह महीना का कछ बचाया आ पसा भाई प ब र हमारा यहीऔकात था कए जतना थाrdquo जोर-जोर स बोलता बरची बोलत-बोलत चप हो गया था

ldquoहा तो धानी का लाभ भी तो ली जएगा कछ खचा हो गया तो कोई नाजायज नहह बरची जीrdquo प ब र न हसाब- कताब क साथ कहा यह सनत ही बरगी तो जस उबलपड़ा

ldquoऐ ऐ प ब र अब चप हो जाओ भाई एकदम चप या तब स बक रह हो हमकोझाट ना लना ह त हार परधानी स हमको दो कौड़ी का समझ हो या अगर बकना नाचाह तो नद कनार पानी पीत पड़ प थर को हीरा-जवाहरात भी अपना औकात दखा नहखरीद सकता हम साथी ह त हारा परधानी म ह सदार नह फकन सह का गमान तोड़नाथा पचायत का न शा बदलना था ई साला दन-रात हाथ जोड़कर जी-हजरी करक पीढ़ -दर-पीढ़ कमर झकाकर चलन वाल गाव को रीढ़ पर खड़ा करना चाहत थ इसी लए तमकोचनाव लड़न बोल य क तम पर भरोसा था इस लए त हार जसा दो त का हाथ धर पहलखद खड़ा ए फर तमको चनाव म खड़ा कए आज आधा स अ धक लोग त हार साथखड़ा ह अब यही सब कल फकन क खलाफ खड़ा होगा कल ऐस ही परा गाव-पचायतअपन भरोस खड़ा होगा समझ प ब र दास जीrdquo बरची न भावकता म भी खद कोसभाल बना आख को नम कए गरजकर कहा

प ब र नजर झकाए खड़ा था बरची न ही खद आग बढ़कर उस कध स टकाया

आ खर प ब र कोई राजनी त का त का नह अजन का तीर था बरची क लएldquoसनो फालत बात पर यान मत दो फकन क अहकार क व अब चनाव जीतो

बस समझ राजनी त म रहना ह राजनी त म फसना नह हrdquo इतना कहकर बरची न उसबाइक टाट करन को कहा प ब र न एक नजर उठाकर बरची को दखा अगल मनटप ब र फर स सहज हो म करान लगा बातचीत को खा होता दख दोन न समझदारीदखाई और इस बात को वह छोड़ कछ और इधर-उधर क बात करत ए घर आ गएप ब र बरची को उसक घर छोड़ अपन घर को चला गया

दोन घर तो चल आए थ ल कन अभी अपन आगन म खाट पर लटा बरची प ब रक थोड़ अजीब स बदल वहार को लकर सोच रहा था और उधर प ब र भी अपनदरवाज पर कस नकाल बरची क थोड़ी त ख ई जबान को लकर बचन-सा मन-ही-मनब त तरह क इधर-उधर क बात सोचत ए बठा था चपचाप बीच म बहन चपा न चायको पछा तो उसन मना कर दया

शाम ढल दर हो चक थी आज गाव म हाट का दन था आसपास क दहात क लोगभी सौदा-पानी खरीद उसी रा त लौट रह थ सकदरपर क दो लोग भी राशन-स जीखरीदकर वापस घर जा रह थ तभी दरवाज पर प ब र को अकला य ही दख व लोग भीवहा आ बठ और कछ दर चनाव पर चचा होन लगी बात-बात म ही चचा नकली कचनाव म मकाबला ब त कड़ा ह और जो पसा यादा फकगा उसक उ मीद यादा ह यहभी बात नकली क आजकल कसी भी वोट क गारट नह हो सकता ह पसा दकरसकदरपर म भी फकन सह यादा वोट ल आए और पसा खच कर प ब र दासमलखानपर म ही बढ़त ल ल इसी तरह क गपशप क बाद एक-एक चाय पी व दोन चलगए और अब प ब र भी अदर जा खाना खान क सोच रहा था रात क 830 बजन को थतभी एक बाइक क सीधी रोशनी प ब र दास क चहर पर पड़ी वह आख मच मचाता

आ कस स उठा तब तक बाइक उसी क ार खड़ी हो गई थी एक को तो वह दखत हीपहचान गया था

ldquoअर जगद श चाचा आपrdquo प ब र न दो कदम आग बढ़कर कहाldquoहा भाई और कौन रहगा और कसको मतलब ह त हारा अ छा-बरा स हमको ह

इस लए त हर ना-ना कहन पर भी आना पड़ता ह बाबrdquo जगद श यादव न सर स हलमटउतारत ए कहा

ldquoअर ऐसा या बात ह चचा हम आपका मान हरदम रख ह आइए ब ठए न साथम कौन हrdquo प ब र न ह क वर म ही पछा

ldquoहम ह गाव म हम दोन को छोड़कर कोई नह ह तमको बचान वाला जान लो यहबात सब तमको डबान म लगा हrdquo बजनाथ न मह म ढका गमछा हटात ए कहा

ldquoअ छा सनो चलो भीतर बठ ार पर नह बठना ह कोई दख-सन लगा मदrdquoजगद श यादव प ब र स भी पहल घर क अदर घसत ए बोल प ब र को एकाएक कछ

समझ ही नह आ रहा था अचानक आज इन दोन का उसका इतना अपना हो जाना औरकल तक दहरी तक छन स परहज करन वाल जगद श यादव क लए अचानक स आजप ब र का परा घर प व हो जाना जहा आज जगद श यादव ही सबस पहल धड़धड़ात

ए घस गए थldquoबात या ह चाचा या आ अब कौन नया बवाल आrdquo प ब र न जगद श

यादव क पीछ खड़-खड़ पछाldquoबठो पहल वाह इतना सबकछ खद ही बलाए हो बवाल और हम स पछ रह हो

परा गाव को मन बनाकर बठ हो तमrdquo जगद श यादव वह चौक पर बठत ए बोलउ ह क बगल अब बजनाथ भी बठ चका था प ब र वह सामन नीच एक पीढ़ा ल बठगया अदर आगन म बतन धो रही चपा सबको भीतर बठा दख बगल वाल कमर म चलीगई

ldquoई चनाव जान का बलाय बन गया ह महाभारत होगा और क क मरगा भलाएगा पतानह rdquo बजनाथ मडल न अपना सर पकड़कर कहा

ldquoओ ई बात ह चाचा बाक जो बात हो क हए आप लोग का बात स बाहर नह हहम ल कन चनाव छोड़न मत बो लएगा चनाव तो हम लड़ग चाह जो होrdquo प ब र नलगभग प श द म कह दया था

ldquoहम तमको काह रोकग चनाव लड़न स ल कन तम लड़ो तब नाrdquo जगद श यादव नअजीब ही बात कह द थी

ldquoमतलब तो कौन लड़ रहा हrdquo प ब र न ख मन स च कत ए पछldquo बर चया लड़ रहा ह तम कहा ह इस चनाव म परा पचायत घम लो नाम तो उसी

का ह परा सकदरपर म भी उसी का चचा तम तो बस कठपतली हो मदrdquo जगद श यादवन सई चभो दन जसा कह दया था प ब र तो अभी मह ही दख रहा था जगद श यादवका तभी गदन सरी तरफ मड़ी

ldquoअजब बड़बक बन हो तम पसा त हारा काम त हारा ह मत त हारा जात का भोटत हारा और ताकत त हारा ल कन नाम और फटानी उस ल चा बर चया का वाह रपोल ट स कतना बड़ा झप लस द दया तमको अब भी तमको नह बझा रहाrdquo बजनाथन उचककर गदन हलात ए कहा प ब र एकदम शात बठा बस सन रहा था अभी तकवो जो भी सन रहा था इसम उसक लए एकदम नया जसा कछ नह था वह महसस कररहा था क शायद कछ ऐस ही सवाल तो उसक अतमन को कछ दन स मथ ही रह थजगद श यादव और बजनाथ का बोलना जारी था

ldquoजरा सोचो प ब र भवन र नता भी कसका पीठ ठ क रहा ह उसक नजर म भीहीरो कौन ह तम नह हो बर चया ह हमको तो आज का भी बात पता चला लखन क घरवाला वहा भी भवन र नता सबक सामन बर चया का वाहवाही कया तम तो यहापरधानी का सोच रह हो और वहा बर चया बड़का नता बनन का रा ता बना लया भाई

ख का बात ह क त हार जसा भला आदमी का कधा पर चढ़कर ब क चला रहा हrdquoजगद श यादव न भयकर आ मक होत ए अपनपन क भाव स अफसोस जताया

ldquoमन शख क दखकर घ घवा भी बजन सोचता ह दनभर गाजा पी क गाव म लात-जता खात फरन वाला पगला बर चया आज प ब र को मोहरा बनाकर नता हो गया यहीउसको तनी-मनी जीन सखाया इसी क चलत कपड़ा-ल ा पहन क मोटरसाय कल घमनलगा साला मोबाइल चलाता ह हमको तो व ास नह होता ह क इतना बड़ा भीतर कालोमड़ी था साला बो लए ई प ब र जसा नया-नया गाव आया भला लड़का को लपटलया अपना राजनी त मrdquo बजनाथ न जगद श यादव क तरफ मह कर अपना सव अफसोस उड़ल दया था चौक पर

अब इसस यादा अफसोसनाक थोथना बनाना उसक अ भनय मता स बाहर कबात थी उसन अपना ब ट द दया था प ब र बना पलक झपकाए अब भी शा त स बठाबस सब सन जा रहा था वह अभी सफ उन दोन चहर क भाव पढ़न क को शश कर रहाथा

ldquoतमको ही नह बर चया अपना राजनी त म ब त को बबाद करगा लखना कोलटवा दया ब त ज द मरारी पर भी ब जड़ गरगा दखना न उसको अभी दखबर चया क ार पर खड़ा चनाव का राजनी त ब तया रहा था फकन सह जसा भलाआदमी को मजबर कर दया ह ई क कछ काड हो ही जाए उसक हाथrdquo जगद श यादवचौक पर अब पालथी मारकर बठत ए बोल

ldquoफकन सह भला आदमी ह चाचाrdquo तब स चप प ब र न अब च पी तोड़ीldquoइतना बड़ा काड कर दए न तम बना कोई लनी-दनी डाइर ट उसक खलाफ म

चनाव लड़ गए न तम कछ बोला तमको चाह लता तो ब त कछ तो कर ही सकता थात हारा म दर बना उसम कछ टाग अड़ाया चाहता तो कछ भी बवाल नह करवा दता

या ऊ चाह लया तो आज तक खद का अपना मोह ला का म दर नह बनन दया यह हउसका ताकत ल कन तमको नह रोका उसक शराफत का ही तऽ फायदा उठाया बर चयासाला तम तो नया आदमी थ तमको या पता तम चल क दख तो लत एक बार बनाजान-समझ या बझाएगा जीrdquo

जगद श यादव न एकदम ग णतीय व ध स एक-एक स हल करत ए फकन सहक शराफत को स करत ए कहा प ब र इस बहद व ा नक ा या स ब त असहमतनह हो पा रहा था ल कन अभी ब त सार सवाल थ मन म ब त-कछ घल रहा था मन म

ldquoकछ बात ठ क ही बोल रह ह आप लोग हम खाली मनजर जसा पसा नकालकरदत ह समचा डील तऽ वही करता ह हम खद सोच रह क या कर रह ह हमrdquo प ब र नएकदम धीम वर म बना कसी स नजर मलाए कहा वह भीतर-भीतर असल म या सोचरहा था कहना म कल था

ldquoत हारा ब त नह बगड़ा ह अब भी अभी चलत ह फकन बाब क पास ऊ लोग

बचारा त हारा इतना इ जत कर रहा ह दख तो लो चलकर अर मल-जलकर साथ कामकरो नाrdquo जगद श यादव न सबस पहली बात को अब आ खरी म कह दया था

ldquoद खए चाचा हमको साला राजनी त म पड़ना ही नह था कमा-खा रह ह आराम सपता नह कहा स कपार पर ई टशन आ गया ल कन एक बात जब सोचत ह ना तब मनफर चनाव लड़न क लए तयार हो जाता ह इस लए छो ड़ए लड़न ही द जए एक बारrdquoप ब र हलकर वह टका रहा

ldquoअ छा हम समझ गए बर चया त हारा मन म ई जहर भर दया क त हारा माय-बाप को भट ठा म जलाकर प षो म सह मार दया अर पगला एकदम झठ बात ह झठहम गवाह ह सारा घटना का त हारा बाप क साथ हादसा आ और बचारा जलकर मरगया तोर चाचा खबर दया क सदमा स त हारा माई भी नह बची तम तो ब चा था अबत हारा चचवा को यही भवन र नता और कछ वरोधी लोग सनकाकर प षो म सह सपसा ठन खा तर तयार कया झठा कहानी बनाकर चला दया त हर गरीब चाचा कोलालच हो गया और ऊ ई कहानी को बोलन लगा यही पसचाताप म उहो बढ़ा मर गयाबचारा पराना राजनी त ह इस सब म मत पड़ो अगर ऐसा नदयी होता प षो म बाब तोआज न तम जदा होत न बर चया बर चया तऽ खद इतना प ोल मतता ह न उसको काहनह मार दया प षो म सह या एक भला प रवार को गलत नजर स दख रह होrdquoजगद श यादव सारी घटना क स च गवाह क तरह बोल सच भी था क वह सचमच सारीघटना क च मद द गवाह थ ही पर वा तव म प ब र उतना ही जान रहा था जतनाजगद श यादव न उस बताया था

ldquoहमको तो ब त लोग बोला क प षो म सह बड़का ह यारा रहा ह अपन जमानमrdquo प ब र न धीर स कहा

ldquoह भगवान ह राम एकदम गलत बात अर आदमी छोड़ो एक ठो ख टा पपरी नहचीप क मार ह ग च पल स ऊ आर पर बठ म छर भभोरता रहता ह ल कन आज तकहाथ स नह पीस ह ग एक ठो म छर भी सो चए जो जीव उसका खन पी रहा ह ऊआदमी उसको तो मारता नह ह आदमी को या मारगा फकन बाब तो कसी को -चारलात मा रयो दत ह एक बार हम को मार दए थ सात-आठ साल पहल याद ह ना होजगद श दा ल कन प षो म बाब गाय ह प ब र गायrdquo

बजनाथ न इस कथन स जगद श यादव को अच भत कर दया था जगद श यादव कोबजनाथ स इतन शानदार दशन क कम ही उ मीद थी प षो म सह को बजनाथ नजस तरह अ हसा क मामल म अगल जन तीथकर क मा यता क करीब प चा दया थाउसस वह जगद श यादव क चापलस व यो यता को बीट करक ब त आग नकल चकाथा दोन न प षो म सह क काल इ तहास को नल जता क मली चादर स इतन कायदस ढक दया था क अब प ब र क लए दखन को कछ वशष बचा नह था ठ क तभीएक आ खरी सवाल आया प ब र क तरफ स

ldquoअ छा चाचा हम तो मान ली जए क अगर सब समझ भी गए ल कन या बरची

मानगा उसको कस समझाएrdquo प ब र न कछ अलग भाव स पछाldquoबाब तमको अभी तक उसी का चता ह अर वह काह मानगा उसका तो लान ही

न चौपट हो जाएगा तम बस चलो ना फकन क पास बरची को बाद म समझा-बझा दगपसा-कौड़ी लगा दा -गाजा लगा तऽ लाइन पर आ जाएगा उसका सारा हकड़ी तो त हारभरोस ह तम जहा हट क वह साला अकल कर ही या लगा अब चलो वहा लट नकरोrdquo जगद श यादव चौक स उठत ए बोल उनक उठत ही बजनाथ भी खड़ा हो गया

ldquoएकदम ज द प ब र बाब चलकर आख स खद ही दख लो क कसा भला प रवारहrdquo बजनाथ न अपनी पारी का अ तम शॉट लगाया

ldquoअभी इतना रात को अभी भट होगा उनस थोड़ा हमको भी समय द जए सोचनका सवर चलत हrdquo प ब र न सकोची मन स कहा

ldquoअर अभी चलो भाई सवर का फर छोड़ो तम उनक ार चल जाओग तो रात को200 बज मलग यही तो हम कह रह ह क अपना इ जत भी तो जाकर दखो वहाकतना यादा मलगा मान-स मानrdquo जगद श यादव दरवाज क तरफ बढ़त ए बोल

ldquoआदमी शात ह ना प षो म सह हम अकल जाए क कोई भाई लोग को ल लसाथ मrdquo प ब र न मन बनान क म म पछा

ldquoपागल हो या अकल कहा हो हम लोग ह ना जी और अभी ाइवट बात होगाकसी को बताना नह ह और आदमी साध ह प षो म सह साध भी इतना साध नहहोता ह एक बार तो आर पर आया एक साध को फकन सह चार थ पड़ द दया था ढरसाध बन रहा था प षो म बाब क आगrdquo जगद श यादव प षो म सह क साधता परटॉच मारत ए दरवाज क बाहर तक आ गए

प ब र न साधता क यह क ण गाथा सनत ही बहन स पानी माग भर लोटा पानीपया पहल

ldquoआप लोग का बात पर बस चल क मल लत ह एक बार चनाव म नह बठगrdquoअ डग प ब र चलन को तयार होकर बोला

ldquoठ क ह बस मल लो एक बारrdquo जगद श यादव बोलइतना सन प ब र न सामन टगनी स गमछा ख च उस मह पर लपटा और बहन स

दरवाजा बद कर लन बोल दोन क बीच बाइक पर बठ गया हमशा मोटरसाय कल चलानवाला पहली बार बीच म था दो पाटन क बीच म दबा कसी तरह साबत बचा आ थाप ब र दास

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अपन घर स लगभग पाच-सात मनट क बाद अब प ब र उन दोन क साथ प षो म सहक दरवाज प च चका था करीब-करीब यारह बजन को थ रात का स ाटा गाव पर चादरडाल था बजली थी नह सो बरामद स सट कमर म इमरजसी लाइट जल रही थी अदरप षो म बाब पलग पर लट थ वह राजग बदरी बाबा कस पर पर चढ़ाए बठ थजगद श यादव न मोबाइल पर मस कॉल दकर प ब र को ल आन का सकत द ही दयाथा प ब र क मन म जो सबस बड़ी ज ासा थी क वा तव म वो जतना भी प षो मसह क बार म जानता था उन सबका ोत बरची या टोल-मोह ल क अ य लोग ही थइस लए अब आग कछ भी नणय स पहल वो इसी बहान कम-स-कम एक बार उन लोग समलकर उ ह समझ लना भी चाहता था पर मन-ही-मन ऊहापोह जारी थी उसन महससकया क पर काप रह थ दमाग अपना सहारा द उस थर कर रहा था बाइक स उतरसबस पहल जगद श यादव न कमर म वश कया पीछ-पीछ दो कदम चलकर बजनाथऔर प ब र ठ क कमर क वश ार पर थ

ldquoअर जगद श आओ आ गएrdquo सामन पलग पर लट प षो म बाब न कमर क नीचलगी म हाथ घसा खजआत ए कहा

ldquoजी ई प ब र आया ह बड़ा मन था इसका क एक बार भट हो जाए आपस हमकह क अ भए चलो आ गया ह भीतर बला ल क हए तऽ जी काrdquo जगद श यादव नप ब र क त त का आदश मागत ए कहा

ldquoअर हा भाई बलाओ-बलाओ हम तो हरदम बोल ह क गाव का लड़का-ब चा सभट होना चा हएrdquo प षो म सह न त कया ख चकर कध क नीच लत ए कहा इतन मप ब र दोन हाथ जोड़ णाम क म ा बनाकर अदर आ चका था सामन बठ बदरी म सरन हसत ए खश रहो का चलताऊ आशीवाद दया और दा हन हाथ स इशारा कर कस परबठन का सकत कया बदरी बाबा भी अभी बाए हाथ स कोई अग वशष ही खजला रह थइसस पहल क प ब र क तशरीफ अभी कस क पटरी को छती प षो म बाब कआवाज कान म गई

ldquoअर इधर आओ पलग पर बठो भाई आओ सामन बठो तब ना बात हो आराम सअपना ही घर बझोrdquo

प ब र झक कमर को सीधा कर लजात-सकचात सकोची भाव स पलग क सर छोरपर प षो म सह क पर क तरफ गोड़थारी म एक कोन म अपना प भाग कसी तरहसटाकर लटकन जसा बठ गया आ खरकार कस पर अभी-अभी बठत-बठत रह गया

प ब र स दय क बनाई व था क अन प ही अब सही जगह पर बठ गया थाहाला क यह थान उस प षो म सह न नहवश दया था प षो म सह अपन दोन परहला रह थ और प ब र उन पर स इतन करीब बठा था क अगर उनक पर म कोईबछआ होता तो प ब र डक स बस इच भर क ही री पर होता ल कन भारतीय परपराम मद चाह कतना भी जहरीला हो पर म बछआ म हला को ही पहनना बताया गयाथा

ldquoबाब आराम स बठ जाओ इस घर म ऊच-नीच मत सोचोrdquo बदरी बाबा न यान सउतरी बात पर सबका यान दलात ए उसी पर यान न दन का उपदश दत ए कहा

ldquoअर ई ऊच-नीच कभी नह मान ह हम आदमी को सबस बोलना-ब तयाना चा हएसब आदमी अपना जा त क अनसार कम करता ह इसम कोई गलत बात भी नह ह अबअगर चमार चमड़ा का काम छोड़ दगा तो या उसको कोई बाभन-ठाकर कर पाएगाइस लए छोटा-स-छोटा जात का भी अपना एक भल ह अपना ज री थान ह समाज मसबका थोड़ा-ब त इ जत होना ही चा हए महाराजrdquo प षो म बाब न अपन वशाल

दय क अनकपा स सभी को थोड़ा-थोड़ा याय बाटत ए कहा य सन वहा बठ सभीलोग क चहर और हाव-भाव दख लग रहा था क सभी प षो म सह क इस बात परगभीर प स सहमत थ

ldquoसही बोल रह ह आप ऐस भी जात-पात को कोनो आदमी थोड़ बनाया ह इसको तोभगवान बनाया ह वही भजा ह जसको जो कम करन हम लोग कर रह ह भगवानजसको जो काम दए होत ह उसका आदर तो होना ही चा हएrdquo बदरी म सर न प षो मसह क बात म अपनी मल ा या जोड़ उस और सरल एव प कर दया था मन यअपनी हर सा जश म भगवान को शा मल कर लता ह मन य चालाक ही नह ब तश शाली भी ह बदरी बाबा न जात-पात छआछत यह सब स जत करन का ठ करा

ापवक भगवान क कपार पर फोड़ दया था और सामन कलडर म लटक व ण भगवानशषनाग पर लट ल मी जी स पाव दबवात ए म करा रह थ दवता एक श द न बोल

ldquoअ छा ई सब छो ड़ए हा तम बताओ प ब र या हाल ह त हारा तम बाहर सकमा-धमाकर आए बड़ा अ छा बात ह सनकर मन खश होता ह क जत दास का लड़काइतना बनाया अपना महनत पर वाह ब त अ छा बात हrdquo प षो म सह न एक बनाबात क बात कही

प ब र न उ र म बस ह क -सी हसी क साथ हाथ को जोड़ जसी म ा म ह काहलाया और फर हाथ खोलकर चपचाप यथावत बठा रहा

ldquoवही सबकछ तो ठ क ह बस यहा लोकल पोल ट स का च कर म इसको फसा कसब चनाव लड़ा दया ई आदमी कछ समझ ही नह पाया यहा का गदा राजनी त कोrdquoजगद श यादव न पहल स ल खत मल पटकथा का वाचन ारभ कया

ldquoहट भ क राजनी त और चनाव का बात छोड़ो भाई अर चनाव तो सबको लड़नका अ धकार ह ई नया लड़का इसम ई बचारा का गलती का ह हम जानत ह सब क

कौन-कौन इसको बबाद करन वा त आग म झ क दया इसको चनाव नह लड़वाया ह सबइसको सीध हमस लड़न भड़ा दया ह और र स सब मजा ल रहा ह अभी बचारा चाहमरा जाए या कटा जाए उन सबको या मतलबrdquo प षो म सह न अपन तरीक स अपनीबात कह द थी

ldquoकौन-कौन क वही बर चया का चाल ह अर हम तो सन ह क बड़का नता बननका वाब दखन लगा ह ऊ बताइए ई भोला लड़का क चलतrdquo बदरी म सर न धारावा हकबढ़ात ए कहा

ldquoनह -नह खाली बर चया नह भनसर नता का मन खल ह एक तीर स दो नशानामारा ह सोचा हमको हरा दगा और एक गलाम धान भी बना लगाrdquo यह बोलत एप षो म सह पलग पर उठ बठ

ldquoहम गलामी नह करन वाल कसी का इतना भी बकार नह ह भनसर नतागलतफहमी म ह फरrdquo प ब र दास जस अपन आप बोल गया प षो म सह न तालाबक गहराई नापन को ही तो एक छोटा-सा प थर फका था प ब र क तवर न अबप षो म सह क दमाग को यह सकत द दया था क इसस कस नपटना ह

ldquoठ क बात ह ल कन त हार जसा हो शयार आदमी इस जाल म फसा कस मदतमको नह समझ आया क हम धानी म कोनो पसा और ठ कदारी क लए नह लड़त हब क इ जत का बात था इस लए लड़rdquo अभी तक बड़ कोमल भाव स वाता कर रहप षो म सह अब थोड़ कड़ होन क तयारी क साथ बोल

प ब र अभी चपचाप बस सबको दख रहा थाldquoअर धानी म या ह आज भी बना धानी आपक भाव म कौन कमी ह यह तो

मन ललकार कर दया ह इस लए लड़ना पड़ा नह तो ऐसा चनाव खब दख ह आपrdquoबदरी म सर न भी धार पकड़कर कहना श कया

ldquoसर हम भी इ जत क ही लालच म लड़ ह चनाव ऐसा बात नह ह क हमको भीधानी स धन कमाना ह पसा-कौड़ी महनत-पसीना स ठ क-ठाक कमाए ह और आग भी

कमा ही लगrdquo प ब र न पलग स खड़ होकर कहा प षो म सह न उस एक कड़ी नजरस दखा और खद भी पलग स उतर

ldquoअ छा पहल चपचाप बठो शा त सrdquo जगद श यादव न आग कछ भी हो जान कसभावना स पहल ही कहा प ब र न भी तरत माहौल को भापा और कस पर बठ गया

ldquoतो इ जत बना एक गरा आ ल चा क फर म जो भी इ जत आज मल रहा हवह भी चला जाएगा और पसा तो तम पाच-दस लाख लाए होग यहा जमीदारी का अगाधसप ह तब भी धन-बल का गमान नह करत पसा जोगत ह प षो म बाब नह तो पाचलाख तो ऐस ही बहा द ई चनाव म तम तो नया लड़का ह नया पसा ह जरा दमाग स कामलो सोचो क चनाव म हार जाओग तब पसा और इ जत दोन जाएगा क नह rdquo बदरीम सर आख चमका क बोल

ldquoहम तो समझ तज लड़का होगा यह तो खाली जोश म बात कर रहा ह बताइएइसको इ जत का मतलब पता ह अर बर चया क साथ रहकर मलगा इ जतrdquo प षो मसह एक चड़ चड़ी-सी हसी क साथ बोल

सब शायद अभी तक प ब र को समझन म चक ही रह थ वा त वकता तो यही थीक प ब र न चनाव लड़न स लकर अभी प षो म सह क दरवाज आन तक का नणयअपनी समझ और सझबझ स लया था वो इस बात क फ कम ही करता था क लोग

या कहत ह वो दखता क प र थ तया या कहती ह बा यकाल म असम भागा एकमासम दशक बाद ऐस ही लाख कमाकर नह लौटा था कछ तो खास बात रही ही होगीउसम आज भी भल प षो म सह क दरवाज अ धकाश समय वो चप रहा पर जब भीबोला उसन अपन तवर बनाए रख थ

ldquoहम जोश म कहा ह सर ऐसा होता तो आपक पास आत ही काह हम तो बस यहसोच रह ह क ठ क ह मान लए बरची या भनसर नता हमको मोहरा बनाया ल कन अगरहम बठ गए या चनाव म आपको समथन द दए तो हमारा तो भारी बइ जती हो ही जाएगाना सर ऊपर स साला हम पानी क जसा पसा बहा दए ह अभी बदरी बाबा जी ठ क हीबोल पसा-कौड़ी को भी जोगना चा हए ऐस बहान स तो कबर का खजाना भी ख म होजाएगाrdquo प ब र न एकदम बदल ए अदाज म कहा

ldquoयही अकल पहल आ जाता तो कतना ठ क रहताrdquo बदरी म सर च ककर बोलमौजद सब लोग थोड़ा-थोड़ा म करा दए सवाय प षो म सह क

ldquoअब हम या कर खद समझ नह पा रह ह मजबरी म लड़ना होगा चनावrdquoप ब र उलझन म बोला शायद

ldquo दमाग खराब ह का प ब र इतना समझाया-बझाया गया और फर तम वह घसरहा ह आग मrdquo जगद श यादव बल बलाकर बोल उठ

ldquoअर नह -नह जगद श यह ठ क कह रहा ह लड़न दो इसको नया पसा ह नयाखन ह अब ई पसा ही नकालकर लड़ चनाव अब चनाव को बना दग हम बाजार औरबाजार म खड़ा रहगा हमारा लठत दखत ह कौन हमार आग खरीदता ह वोट को एक-एकवोट लात स जता स या पसा स खरीद लोrdquo प षो म सह न लाल ई आख स दखत एतमतमाकर कहा

ldquoसर आप तो ग सा हो गए ह हम पसा म कहा सकग आपसrdquo प ब र न अचानकबदली ई टोन म कहा

ldquoत लाठ म सकोगrdquo प षो म सह न आख तररकर पछाldquo या सर हम चनाव लड़ रह थ सर लाठ -पसा स लड़ना नह ह हमकोrdquo प ब र न

उतरी ई धीमी आवाज म कहाldquoऔर हार गए तब तब का होगा सोच हो उस बात को भीrdquo जगद श यादव न सट क

कहा

ldquoहम फस गए ह चाचा आप लोग गा जयन ह और आप लोग ही कोई रा तानका लए बरची को भी समझाइए कोई प षो म सर जी हम पर बकार गसा रह हहमारा सम या को नह समझ रह हrdquo प ब र न शायद वा तव म बचनी म कहा

ldquoहम ग सा नह हो रह ह त हारा बवकफ पर अफसोस हो रहा ह दखो अगरतमको सच म नता बनना ह और आग राजनी त करना ह तो हमारा बात सनो और जोडसीजन लना ह ल लो दखो वधायक हमारा ह बीडीओ हमारा ह अभी भी बना धानबन भी फकन ही ठकदारी करता ह तमको फकन क साथ लगा दग कछ पसा भीकमाओग और नाम भी अभी तमको पचास हजार द रह ह जो अपना गा जयन समझकररख लो आग भ व य म फकन वधायक लड़ब करगा तब मलखानपर का धान तम हीहोगा न वरोध अब भी तम ही दखना-सनना सब अर एक ही बर म इसस यादा याचाहत हो राजनी त म चनाव लड़ क या पा लोगmdash हसाब लगा लोrdquo प षो म सह नसाफ-साफ बात रख द थी

ldquoएकदम बजोड़ स ध ह इसस सदर कछ हो ही नह सकता इसक भ व य क लए यकोई जटाय श ला थोड़ ह का बल लड़का ह भ व य का धान तो ह हीrdquo बदरी म सर नअब पता नह कस मन स कहा वर थोड़ा बझा आ था और उ साह पव स कम ही था

प ब र अब ल कन गभीर था उसका मन इस ताव को लगातार मथ रहा था फरय भी मन म आ रहा था क बरची समझ और मान तब तो नणय यहा भी अटका आथा

ldquoऔर आ खरी बात त हारा इ जत चनाव म खड़ा होन स बनगा क प षो म सहक साथ बराबरी म उसक ार पर बठन स यह सोच लना तब डसीजन लनाrdquo इतना बोलप षो म वापस त कया गदन क नीच डाल पलग पर लट गए

ldquoसब बात ठ क ह सर ल कन अब बठन का डट ख म हो गया ह कस मनज करगथोड़ा हमारा भी मान-स मान रह जाएrdquo प ब र लगातार उलझन म ही बोल रहा था

ldquoपहल तय करो क तम बठोग या गारट क घर जाकर त हारा जोश जग जाएअगर तयार हो जाओ तो कल-परस एक बठक गाव म बलाकर गाव एकता क नाम परफकन को समथन का घोषणा कर दना कह दना क कछ बाहरी लोग गाव को तोड़नाचाहता ह हम सब नह टटग हम सब एक ह तमको वही फकन माला पहना दगा त हारामान-इ जत बन जाएगा उसक बाद तम भर चनाव घर बठो फर फकन क साथ रहना भाईजसा अब इसस ब ढ़या या होगा जाओ अब और ज द फसला लोrdquo प षो म सह नसारी योजना का य ख चत ए प प स बता दया था

ldquoठ क ह सर हम एक बार वचार कर लत ह च लए जगद श चाचा हमको जराप चा द जए घरrdquo प ब र सबको एक साथ णाम करक कमर स बाहर नकलत एबोला

जगद श यादव भी प ब र क पीछ उठ और उनक पीछ तब स गगा पड़ा बजनाथ भी

उठा तीन बाइक पर सवार एldquo कसी क खा तर इतना कछ दत आज तक नह दख थ प षोतम सह को तम

क मत का साड़ हो धान बनन स बड़ा चीज मल रहा ह तमको मौका मत छोड़ना बाबबोल क जा रह हrdquo जगद श यादव न घर छोड़कर चलत-चलत कहा

जगद श यादव अपन जए अनभव का सच ही कह रह थ वा तव म मलखानपर मऐसा कभी नह आ था क ह रजन टोला क कसी जवान को सह खानदान का कोईवा रस सावज नक तौर पर माला पहनाता

प ब र कछ दर वह अपन घर क ार पर खड़ा रहा फर उसन दरवाजा खटखटायाबहन चपा उठकर आई दरवाजा खोल चपचाप वापस सोन चली गई चदन क साथ नामआन पर उसी दन प ब र न पीट दया था उस उसी दन स बस गमसम-सी उठती और घरका काम नपटाकर बना कसी स कछ बोल सो जाती थी

बाद म बरची को तो यह भी पता चला था क खद प ब र न भी बरागी प डत जी सचदन क शकायत क थी इसी बात को लकर तो चदन इतना अकबका गया था और तबही वह गाव स बाहर चला गया था यह सब जानन क बाद भी बरची न न प ब र स इस परचचा क थी न कसी और ही स पर बरची को प ब र का यह वहार बरा ज र लगा थाऔर तब स ही दोन क बीच थोड़ी त खी आ गई थी बातचीत म प ब र को भी यहमहसस हो गया था क यह बात बरची को पता चल गई ह पर उस तो उ ट बरची स हीमन-ही-मन शकायत हो गई थी क बरची तो चदन को बकसर ही कह रहा ह और इसराजनी त का षड य बता रहा ह इस मरी बहन क इ जत क चता ही नह चदन बाबाका इ जत क बार म सोच रहा

प षो म सह क दरवाज स लौटन क बाद अभी प ब र क अदर उलझन का तफानचल रहा था घर क भीतर आकर वो कछ मनट आगन म बठा थोड़ी दर म कमर पर गयाचौक क नीच थाली म खाना रखा था खान का जी नह कया सीध चौक पर लट गयासोन क को शश कर रहा था पर न द आख स मील र थी

वह ब तर पर लटा तो था पर हर करवट क साथ भ व य का नणय टटोल रहा थाब त बचनी भरी रात थी आज उसक लए ल कन ऐसी पहली रात नह थी पहल भीअतीत म ऐसी कई रात दखी थ प ब र न

आज सबह उठत ही फसला लना था उस कछ समझ नह आ रहा था क या नणयकर उसक अदर कई प ब र एक- सर स उलझ रह थ कछ दर य ही लट रहन क बादउसन उठकर घड़ स पानी नकाला और अपन मह पर मारा वापस गमछ स मह प छकरचौक पर बठ गया सरहान म रखी खनी क ड बी नकाली और हथली म धीर-धीर रगड़त

ए नफा-नकसान का ग णत करन लगा मन म पहला हसाब लगाया अगर जीत गया तोधानी मलगा फकन सह जसा आदमी स मनी मलगा शायद आग चलकर बरची स

भी चनौती मलगा उस लगा यह तो ब त बरा नह ह

पर अब तरत दमाग न स क का सरा पहल पलटाया चनाव जीत जाऊगा

लगभग आध घट मन-ही-मन सार जोड़-तोड़ करक भी जीत क गारट नह पा रहा थाप ब र

अब मन म आन लगा हार गया तो पसा जाएगा फकन सह क मनी तो मलगी हीभनसर नता भी साथ छोड़ दगा लोकल म अपना धधा-पानी भी गड़बड़ होगा फकन सह ककारण बरची भी हरदम साथ लटका रहगा भत क तरह और इस कारण और भी मनबनत रहग समाज म यह मन म आत ही मह क खनी को चौक स बठ-बठ ही जोर स थकाप ब र न माथ पर पसीना था शायद अधर म खनी-चना का अनपात गड़बड़ कर रगड़लया था उसन पनः चौक स उतर घड़ स पानी ल वह क ला करन लगा पाच मनट कबाद मन थोड़ा थर लगा तो वापस ब तर पर लट गया

अब उसका यान आज प षो म सह क दए ताव पर जा रहा था मन बार-बारकह रहा था ठ क ही तो ह महज सालभर पहल गाव आकर सीध इतना कछ मल रहा हयह कम ह या

पर सफ इतन-स तक स ही ब त ठोस फसल तक नह प च पा रहा था प ब र वहम त क क परत को और करदन लगा कभी दल पर हाथ रखकर कछ खोजता तो कभीदोन हाथ सर पर रखकर करवट लता सामन जल रही ढबरी क धीर-धीर म म हो रहीरोशनी म वो ज द स ज द कछ ढढ़ लना चाह रहा था अपन लए मन एक तक उठाता औरसर को पटक दता

ठ क तभी मन म एक और वचार तरता आ कनार लगाldquoहम या थ साला इसी गाव स अनाथ होकर नौ-दस बरस क उमर न भाग थ आज

लखप त बनकर आए जस दरवाजा पर मरा बाप जत दास दहरी पर नीच बठता था उसीघर म प षो म सह क पलग पर बठकर आए ह कल स वह कस पर बठग कौनह रजन का आ आज तक ई औकात इस गाव म इनका तो नता हम रहग ही ना अब कलआग भी बढ़ग सच म साला धान बन अपन ख टया पर बठन स अ छा ह उसका बड़काआर पर दो त बन बराबरी म बठना फकन ब त धोखा करगा तो फर हमार बाप क मडर

का कस भी तो ह साला ज रत पर इसको खोल क हड़काएग नrdquo प ब र अब अपनफसल पर प चन ही वाला था

उस अक मात फर बरची का याल आयाइस बार मन न भरोस स कहा ldquoसाला को दग पसा और समझाएग थोड़ा कड़ा स

मान जाएगा इतना बड़ा भी हीरो थोड़ ह साला हमस बड़ा राजनी त खलन जानता हयाrdquo यह सब गणा-ग णत करत-करत न जान कब आख लग गई प ब र क

इधर सबह बरची आज दर तक सोया आ था सरज चढ़कर आगन आन को थावह एक कौआ खाट क पौआ पर बठकर काव-काव कर रहा था

ldquoओह अर दह पर कौआ-मना बठ रहा ह कतना बसध सोत होrdquo मा क इसआवाज पर करवट बदली बरची न

ldquoअर लो जाग गए ह मात कतना बज गया ओह कतना ब ढ़या सपना दख रह थऔर तम बीच म जगा द rdquo बरची न भोर क ताजा म कान क साथ लट-लट ही कहा

ldquoहा खाली सपना दखो कछ करना-धरना भी ह क नह rdquo मा न मलमली-सी कढ़नक वर म कहा

ldquoअर इतना लबा जदगी ह कर लग न मा कछ पहल सपना तऽ दखन दो ब तदन स साला सब बद कर दए थ दखना अब दख रह ह तो परा भी होगाrdquo

बरची न दोन हाथ उठाकर उ मीद भरी जोर क अगड़ाई लत ए कहा और खाट सउठकर लगी समटता आ खड़ा आ ठ क तभी त कए क नीच स घट क आवाज आईबरची न त कया हटाकर मोबाइल उठाया ldquoहलो हलो हा बॉस बताइएrdquo

ldquoहलो सब ब कल ठ क बरची जी आप बताइए चनाव का तयारी ठ क ह नाrdquoशखर न उधर स कहा

ldquoहा-हा ठ क ह सब महाराज लखन क घर चोरी हो गया ह आप आए नह rdquoबरची न यानवश पछ दया

ldquoअर हम दो दन स बाहर ह वही तो बतान आपको फोन कर रह थ बरची जी हमचनाव म नह रह पाएग हमको कछ ज री काम आ गया ह य नव सट म पपर जमाकरन जाना होगा एकदम अजट ह ब त अफसोस हो रहा ह ओह कतना मजा आ रहाथा चनाव मrdquo शखर न अचानक स द ली या ा क बार म बताया

ldquoओ ओ होhellip हा जी अफसोस तो हमको भी हो रहा ह ल कन च लए खशी काबात ह क आप एक अ छा रा ता नकाल लए कोई बात नह आप पढ़न- लखन परयान द जए पढ़- लखकर हम लोग को रत क रए डायर ट रहन का या ज रत ह हक नह rdquo बरची न हसत-हसत सब कह दया

ldquoनह भाई हम तो एकदम जमीन पर रय लट क साथ चज क लए लड़न वाल हवह तो बस ज री पपर ह इस लए थोड़ाhellip ऐसा मत समझ लना आप क मझ कसी स डरलगता हrdquo शखर न भी शायद सब समझत ए ही कहा

ldquoनह महाराज आप कामरड ह आप लोग नयाभर क पजीवाद स लड़ रह ह यहस र-अ सी बीघा वाला फकन स या ड रएगा आप और आपका वचार तो लड़ ही रहा हना यहा हम लोग ह ही उसक लए आप जाइए अ छ स पपर ल खए फर घघट वालाआदोलन को क रएगा आकर वापस च लए शभ या ा ह लोrdquo बरची न वा य परा करकजवाब सनना चाहा तब तक फोन कट चका था दो-तीन बार फर भी बरची न हलो-हलोक आवाज द उधर स ट-ट क आवाज आ रही थी बरची न हसत ए अपन मोबाइल कोदखा और उस वापस खाट पर उछाल दया

ldquoए माई सनो ना आज खीर खान का मन कर रहा ह र आज बना दो ना माrdquo बरची

लोटा-बा ट उठाकर कए क तरफ जात ए बोलाldquoएह बनवाकर बबाद करता ह खाली खाता-पीता ह नह बस बनवाकर भला जाना

ह अब अभी नह साझ बनाएग रात समय स आ जाना एतना उपकार कर दना ब ढ़यापरrdquo मा न नह स झड़कत ए कहा

बरची हसता आ खत क तरफ नकल गया वापस आ कए पर अभी दातौन ही कररहा था क उसन पीछ खत क रा त रतन दास को अपनी ओर आत दखा उस दख बरचीएक बार तो च क ही गया था ल कन कछ ही मनट म रतन न जो-जो बात उस बता उससतो च कत पर च कता जा रहा था बरची

ldquoभाग साला तम खाली राजनी त ब तया रहा हrdquo बरची न दातौन फकत ए कहाldquo बरची भाई हम गलत नह बोल रह ह झठ बात नकला तो एक बाप का औलाद

नह हमrdquo रतन न ऊपर खल दो बटन क पास छाती ठोककर कहाबरची न ज द -ज द दो-तीन बा ट पानी दह पर डाला और गमछा पहनकर अपन

आगन आ गया वही टगनी पर स ख च कपड़ पहन और झटपट बना कछ खाए घर सहड़बड़ाकर नकला बाहर आ सामन पीपल वाल पड़ स हटकर जहा नटवक आ रहा थालगातार कह कॉल लगान लगा उधर स फोन बद आ रहा था बरची क ाकलता औरचता दोन बढ़ गई थ

रतन दास को आज जगत ही जब पता चला क फकन सह न उसक और प ब र कबीच प तनी जमीन क झगड़ म प ब र को उसक दाव वाली जमीन पर क जा करन कहदया ह तो वह आगबबला हो गया था उस थोड़ पता था क एक ही दन म प ब र उससयादा काम का हो जाएगा फकन सह क लए इसी बौखलाहट म उसन सबह-सबह जाबरची को प ब र और प षो म सह क मलन क बात बता द थी

यह सनकर भी बरची को यक न तो नह ही आ पर अब वह ज द-स-ज द प ब रस मलकर उड़ी अफवाह को शात कर दना चाहता था फोन नह लगन पर वह पदल हीदौड़ता प ब र क घर गया दरवाज पर ही चपा मल गई उसन पछन पर बताया कप ब र भया रात एक बज आए थ और फर भोर पाच बज ही कह नकल ह

बरची वहा स पलटकर नकला फर मोबाइल लगान लगा तभी पीछ स दौड़कर चपान पकारा

ldquoभया ऊ चदन बाबा ठ क ह ना उस दन ब त मारपीट आ था या उसक साथकब आएगा वा पस चदनrdquo चपा न ब त सकचात ए गदन नीच कए धीर स पछा

ldquoअर बाब सब ठ क ह कोई मारपीट नह आ था चदन बस काम स गया ह अपनबआ क यहा आ जाएगा ज द तम झट ठो चता न करो समझी पगलीrdquo बरची न ह कहसी क सग कहा

ldquoहमको काह का चता होगा उसका हा हमार स नाम जोड़ क लोग उसको ब जतकर दए यही सोच खराब तऽ लगगा ही न बरची भया आ खर प ब र भया का दो त ही

तो था चदन बाबा आर पर आ क बठता-उठता था ई कोई गलती ह याrdquo बोलकर चपाझटककर अदर चली गई

बरची न इस पर कछ न कहा कछ पल खड़ा रहा और इसक बाद बरची झटककरतजी स पदल चलत ए घर आया उसन अपनी साइ कल नकाली और लखन क यहाप चा प ब र वहा भी नह था अब वहा स भी नकलकर ट भट ठ क तरफ बढ़ा ही थाक जब म घट बजी

ldquoअर हलो हलो अर भाई कहा ह तम भोर स यार यहा साला रतना या- या सबकोझठ फला रहा ह कछ पता भी ह तमकोrdquo बरची न कॉल उठात ही थोड़ा जोर स हीभड़कत ए कहा

ldquoआप अकबक मत क रए तो पहल बरची जी शात होकर बात क रए या पहाड़टट गया हrdquo प ब र न बना वच लत ए कहा

ldquoअर हद बात ह अर भाई रतना सबको बता रहा ह क तम फकन सह क घर गएथ तमस बात हो गया चनाव छोड़न काrdquo बरची न रतन क कह को बताया

ldquoशात शात होइए आप इतना काह गरम रहत ह आप हरदम रतना का तऽ खलबगड़ गया इस लए पगला क दौड़ब करगा इधर-स-उधर हा ल कन ऊ झठ थोड़ बोल रहाह सही बात ह गाव क हत म सबको मलकर ही रहना चा हए उ बाहरी नता भन र कचाल म नह फसना ह हम लोग को ऊ हम लोग का इ तमाल कर रहा ह अपना राजनी तक लएrdquo प ब र न उधर स कहा

जस कोई बा द का गोला घसा था अभी बरची क कान म शरीर क अदर जसव फोट-सा आ बरची क

ldquo या ऐ प ब र हट मजाक मत करो यार या बोल रह होrdquo एकदम अटक -सीधीमी आवाज नकली बरची क

ldquoकोई मजाक नह ह मजाक तो हमार साथ हो रहा ह साला बमतलब सरा काराजनी त म मोहरा बन गए हार गए तऽ पसा भी जाएगा और जदगीभर का मनी भीआधा गाव स कसा दो त ह आप जो ई सब नह सोचrdquo प ब र न ग स म कहा उधर स

ldquoओ हो ह भगवान अर प ब र यार तम पागल हो गया ह या र सा ला यादागाजा मार लया ह या साला कछ-स-कछ बोल जा रहा ह तमrdquo बरची न जोर स कहा

कनपट क नस तन गई थ एक मट ठ ोध म बद थी मन हो रहा था मोबाइल मघस क पकड़ ल प ब र को और सारी बात पछ

ldquoसा ला कमीनापती कर रह हो यार प ब र तमrdquo बरची जस रो दया था इस बारबोलकर

ldquoऐ तमीज स ब तया यए जरा हमस गाली हमको भी दना आता ह हम इ जत कररह ह तऽ माथा पर म तए मत अर आप या भगत सह बझत ह अपन आपको याद कत ह भाई आपको फकन बाब स अब भी समझा रह ह आपको दस हजार दलवा

रह ह चपचाप पसा ल घर जाकर सत जाइए बाक हम दख लग ठ क न अब जरा ठडादमाग क रए अपना ह लोrdquo प ब र न एक सास म कहा बरची क लए प ब र क महस यह सनना अ व सनीय था वो प ब र को रग-रग स जानता था वो जानता था कप ब र ऐसा नह कर सकता क फकन सह क हाथ बक जाए कछ गड़बड़ी क आशकाबलवती होन लगी उस लगा कछ तो द कत म पड़ गया ह प ब र और यह मजबरी मऐस बोल रहा ह बरची क ऐसा सोचन क पीछ एक ठोस कारण भी था जो उस आज हीथोड़ी दर पहल मला था इस लए वो प ब र म ए इस प रवतन को लकर ग स स यादाच तत हो रहा था यह सब सोचकर बरची फोन पर बना अपना आपा खोए धय स बातकरन क को शश म था

ldquoभाई प ब र तम कसा बात बोलन लग हमको नह ब बास हो रहा तम सचबताओ क या बात ह अर फकन सह का बाप त हार मा-बाप को जलाया था ई बातकस भल सकत हो तम उस हरामी स कस मल सकत हो तम हम गोड़ पड़त ह त हार

या बात ह बताओrdquo बरची न एकदम छटपटात मन स कहाldquoचप र हए आप तो का चाहत ह आप क हमको भी जला द कोईrdquo प ब र न

चीखत ए कहाldquo कसका मा ध पलाया ह जो हमर रहत तमको जला दगा हम तो समझ ही रह थ

क तमको कोई धमका दया ह प ब र तम कहा हो ज द बताओ पहल हम आत हफकन सह का गदन दाब दग एकदम डरना नह तम अर वो जमाना गया जब आग मभज दता था ई लोग कसी क माय-बाप कोrdquo बरची न ोध म जोर स कहा

ldquoआप पगलाना छोड़ द जए अब कोई नह धमका रहा हमको या सबत ह कप षो म सह जलाए हमर माय को खाली झठ बोलकर गाव को भड़काना काम रह गयाह आपका या अर सधर जाइए आप मद अब भी समय हrdquo प ब र न झझलात वर मजोर स कहा

इतना बोलकर का ही था क अब प ब र का मोबाइल उसक हाथ म था ही नह बगल म ही खड़ फकन सह न झपटकर मोबाइल लया और अपन कान पर लगाया

ldquoअर भोसड़ीवाल लगा साल कौन कसको जलाया र यही सब पर उतर आया हतम बीस साल का पराना झठ फला क जहर डाल रहा ह समाज म तम भनसर नता कादलाल बना ह र हरामी कसी को तो नह जलाए ह ल कन तमको भजग ट भट ठा मतमको दखत ह हमrdquo फकन सह ग स म जोर-जोर स बोला ोध म आग-सा लहक रहाथा वो मोबाइल कट चका था तब तक फकन सह क मह स लगातार गाली नकल रहीथी उसन लगभग फकत ए प ब र को मोबाइल वापस दया

एकदम स तभी फर मोबाइल क घट बजी इस पर फकन सह च लायाldquo र जा क ब तयाओ इसस तमको लगता ह न ई समझ जाएगा दख लए या

समझा ई ई हमार बाप क माथा मडर कस खोलगा भोसड़ीवाला बताओ त हारा मा-बाप

का झठा कहानी बना क तमको मोहरा बना रहा इसको सलट लग हम चनाव हो जाएबसrdquo

प ब र एकदम चप था अभी तभी फर घट बजी अबक चार कदम हटकर फोनउठात ही वह च लाया

ldquoअर सबको बबाद करक मा नएगा या सा ला सा ला आपक पगलट स आप भीभग तएगा और हम भी मरग सालाrdquo

ldquoशात शात प ब र हम सारा बात ही समझ गए हमको को तो शका था ही हमया जान क तमको फकन फसाकर रखा ह हम तो हरामी का आवाज सनत ही फोन काट

दए तब न साला हम सोच क तम कस उ टा-सीधा बोल जा रहा ह हम तो समझ ही गएक तमको लकमल कर रहा ह ई कमीना साला ज लाद हमको सब पता चल गया हकशन को पसा द क फकन सह झठ फलवा रहा ह त हर बार म हमको कशन दाससनाया न हम भगाए साल को तम चता न करो कसी तरह नकलो वहा स फर दखतह फकन सह कोrdquo बरची न सारा माजरा लगभग समझत ए ही कहा

ldquoकौन मला कशन दास सनरी गाव वाला ई कहा मला आसाम स आ गया हयाrdquo प ब र एकदम स च क क बोला उधर स

ldquoहा वही ब त पहल आया ह गाव ल कन बोला क प ब र को तो आज ही जानक मलखानपर का ह फर त हार बार म ब तयान लगा साला झट ठा हम तो तब ही तोजान क तमको फकन सह लकमल कर रहा हrdquo

प ब र यह सनत-सनत अभी फकन सह स थोड़ी और र आ गया था मोबाइल कानम लगाए

ldquoअभी कहा ह कशनrdquo प ब र न ाकल हो पछाldquoवापस जा रहा था आसाम बस टड पर मला था यही तो अ छा आ क हरामी

फकन स माल लया और चल भी दया गाव स अब आसामrdquo बरची न राहत क साथकहा

ldquoओह साल को पकड़ क पीटन का मन कर रहा ह मरा खर स नए अब आप सबबात समझ गए ह न क हम कस च कर म पड़ ह हमको ऐसा फसाया ह क या बताएबरची जी द खए अभी तो हम फकन स र हटकर ब तया रह ह हरामी दख रहा ह इधरहीrdquo प ब र का वर एकदम बदल गया था

ldquoहम तो श स ही जान गए थ अब खाली य बताओ ज द स क या आ त हारसाथ आग तब कोई उपाय कर फकन पगला चका ह हार क डर स कछ भी करन तयारह कमीनाrdquo

ldquo बरची जी जगद श और बजनाथ ला क फसा दया हमको एक बार तो मल लएइन सबका टोह लन खा तर ब त लालच दया ल कन हम बना कछ बोल घर चल आएरातभर सोच इसी बीच आज सबह फर पाच बज घर स उठाया ह और जान मारन का

धमक बहन क लए भी धमक दया और ऊपर स ई कशन को खोज लया जो हमारसाथ आसाम म रहता था कछ दन उसी को पसा द कछ स कछ फलवा रहा जो आप जानही गए ई तो अ छा ह क आप ही जान ह और कशन चला गया वापस आसाम ल कनफकन तो यही बात बोलकर हमको लकमल कर रहा ह क अगर चनाव म नह बठ तोसबक बीच झठ फला दगा हम जीत-जी मर रह ह इसक चगल म बरची जी कछ क रएअबrdquo इस बार प ब र अटक-अटककर बोलता आ रो दया था जस

ldquoनह कछ भी हो जाए चनाव म नह सरडर करना ह उसको झठ फलान दो नइसस झाट न कछ बगड़ना ह कशन भी जब ह ही नह तो ब वास कौन करगा फकन कबात पर हम कशन का मोबाइल नबर ल लए ह उसको समझा दग बाद म और तम वहास फटाक नकलो हम भनशर नता को फोन करक बलात ह धमक क खलाफएफआईआर करवाएग और प षो म सह क खलाफ त हार माई वाला मडर कस भीखलवाएग चता न करो भीतर जाएगा दोन बाप-बटाrdquo बरची न दो त को परा भरोसादत ए कहा

ldquo बरची जी हम जो भी बदतमीजी कए ह आपस उसको माफ कर द जएगा ईफकन सह हमको जस-जस बोल रहा था वही करना पड़ रहा थाrdquo प ब र न आस होप ा ाप म कहा आवाज म भारीपन आ गया था गल क भर जान क कारण

ldquoहट पगला माफ कसा हम तो जानत ही थ क कछ गड़बड़ ह अब बस भट करोहमस ज द फकन को पट ट पढ़ा क नकलो ज द rdquo बरची न कहा

अब बरची अपन म स मलन को अधीर हो रहा था सारी परशानी और तनाव कबाद भी इस बात को लकर सकन म था क प ब र क असली मजबरी पता चल गई अबउसका सारा यान इस सम या स नकलन म लगा था उसन त काल मोबाइल नकालकरकह कोई नबर मलाया इधर प ब र क माथ पर पसीना था आख डबडबा क लाल थ अदर स घटन भी थी चहर पर डर का भाव और अभी तक भी बरची जस साथी क होनका भरोसा भी

प ब र मोबाइल जब म रख वह चपचाप खड़ा अभी अपन हालात को लकर एकदमगहन चतन म था तभी पीछ स कसी न कध पर हाथ धरा प ब र पलटा तो य चहर परअजीब-सी शा तर हसी लए फकन सह था दह सहर गई थी प ब र क अचानक पीछस ए इस पश स

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सबह क साढ़ पाच-पौन छह बज रह ह ग लखन क प नी बा ट म पानी ल गोबर सानकरघर क दहरी लीप रही थी सामन दो-चार लोग तज-तज कदम स ठ क उसक ही घर कपीछ वाली गली स होकर नकल रह थ

करीब दस मनट बाद तीन-चार लोग और नकलसब आपस म कछ बदबदात ब तयात जा रह थ ठ क उसी समय लखन आख मलता

ज हाई लता आ बाहर आयाldquoपता नह का बात ह द खए न ढर लोग पछवाड़ स उधर जा रहा ह नद क तरफrdquo

प नी न लखन स य ही कहाldquoहा हम भी उह खसर-पसर सन तऽ उठ इधर गली म बास का ट टया लगा दग एक

बनाकर तब आदमी आना-जाना छोड़गा इधर स रोज का रा ता बना लया ह सबrdquo लखनन बा ट म लोटा डालत ए कहा

ldquoहा सबको इह र ता सझता ह सबको भोर-भोर टहलना जाना होता ह तो हमर गलीपकड़कर जाता ह समचा पालक और ध नया रोपल धाग-दाब क चल जाता ह अधा सबrdquoप नी न चड़ चड़ाए वर म झाड पटकत ए कहा लखन उसक हा म हा कहकर लोट सपानी चहर पर मार अब गमझ स मह प छ रहा था तभी बगल स गणशी महतो आतादखाई पड़ा

ldquoअर या आ ह हो काका आज ढर लोग सब भोर नद काह जा रहा हrdquo लखन नदहरी स उतरकर पछा

ldquoअर चलो-चलो तमको नह पता या अर एक लहास पड़ल ह वहा अब अपन मराह क कोई मारकर फक दया ह पता नह मड़ी बाल म गथल ह पता नह कौन हrdquoगणशी न झटक स चलत-चलत ही कहा

ldquoह भगवान कहा का ह बाहरी आदमी ह या च लए दखत हrdquo बोलत-बोलतलखन भी सग हो लया नद कनार भीड़ लगी ई थी लाश को अब नकालकर कनार लआया गया था लखन तजी स लपककर भीड़ क ठ क पीछ था क एक आदमी न कहा

ldquoर ली जए लखन आइए तो गयाrdquoldquoक ह काकाrdquo लखन झटक म काप गया बोलत एldquoगाजा-दा ल लया इसका जीवनrdquo एक बजग न कहा तब तक तो लखन लाश पर

जा गरा था छाती पीटकर लगा दहाड़ मारन नद का कल-कल वर उस दयभद दहाड़को सन कपसन लगा था जस

ldquoनह हो दादा बरची दादा हो नह हो कस हो गया दादा कहा चल गए दादाकाह ऐसा कए हो दादा ऐ भगवान आय हो भगवान होrdquo लखन का दन आसमान कछाती छलनी कर रहा था

पीछ भीड़ म कोई बदबदाया ldquoनशा म ही डब गया होगा रात को नह बझाया होगाrdquoयह सनत ही लखन क बहती ई आख म जस कोई लाल लावा फटा उसन एक

नजर पीछ पलटकर दखा और फर शव क गाल पर हाथ रखकर रोन लगाldquoनशा म मरा अर इसस यादा होश म कोई नह था गाव म आय आप लोग बोल

रह ह क डब क मर गया बरची दा को आज तक नशा म हलत नह दख थ हम साला ऐबरची दा द खए ना या- या बोल रहा ह सब उ ठए ना दादा सबको बताइए ना आपनशा म नह थ दादाrdquo सीन पर सर पटककर बोलन लगा लखन

बरची क लाश म ऊपर स शरीर पर कह स कोई खर च नह दख रही थी लोगअपन-अपन हसाब स मौत क कारण का अदाजा लगा रह थ तीन-चार लोग न श म हीनश को कारण बता दया तो बाक भी उसी दशा म अपनी-अपनी कहन लग गावभर मह ला हो गया था अब तक नद क पार सकदरपर स भी लोग दौड़ आ रह थ गाव म अबभी जदगी अपना म य रखती थी और उसका खोना आज भी सबस बड़ा नकसान था

गाव का जवान लड़का मरा था अभी पछल दन पचायत म सबस मलन-जलनवाला सबस स य आदमी था बरची हड़कप मचा था मलखानपर म प ब र बदहवासगोली क र तार स बाइक उड़ाता प चा उस दखत ही लोग न रा ता दया शव तक जानका लखन बरची क माथ क पास बठा था उसक सर पर अब भी म का नह बाल मउगली फर रहा था जस दो त थककर सोया आ ह और अभी उठ जाएगा अचानक लखनक उगली न बरची क सर पर कछ फटा-कटा सा महसस कया लखन सर पकड़कर फररोन लगा प ब र चपचाप त ध-सा शव को दख रहा था पीछ स बजनाथ और गणशीकधा छ क ढाढ़स द रह थ सबस य बरची ही तो था प ब र क लए हर सख- ख कासाथी चनाव का सारथी सबकछ तो था

अब तक शव को एकटक दख जा रहा था प ब र भावनाए घनीभत होन म थोड़ासमय ल रही थ शायद करीब पाच मनट क बाद अचानक ही फट क बरसन लगा प ब र

ldquo या बरची जी हमको अकल छोड़कर चल गए आप ही तो खड़ा कए हमकोसमाज म अर चनाव म आपक बना अब का करग हम सब ख म हो गया कस हो गयासब कस हो गया बरची जी ई अनथ कस हो गयाrdquo प ब र अब बरची क शव पर गरक बोल जा रहा था

ldquoयह चनाव सब ल लया प ब र जी रज ट ब त बबाद वाला नकला चनाव काजद गए ख म हो गया हो हमार दो त काrdquo लखन न प ब र क तरफ म त क तरहताकत ए बस जबान स कहा

ldquoउ ठए लखन भाई काक को सभालना होगा बचारी तो बचगी भी नह ई दखकरrdquo

प ब र न भीगी आख स कहा बरची क मा को पता चल चका था र खत क मड़ परवह ब ढ़या सबको आती दखाई द थी कलजा काठ हो गया सबका उस आता दख मा नहाथ म एक बड़ा-सा कटोरा ल रखा था जसम ऊपर तक खीर भरी ई थी

ldquoह हमर बटा को खीर खाना ह खीर बनान बोला था बाब हमारा बाब खीर खाएगाबाब खीर खाएगा न ऐ भीड़ हटाइए न सब बटा हमरा खीर खाएगा एतना भीड़ म कसखाएगा ऐ बरची र बटा दखो न हम आ गए खीर ल कrdquo

र स ही बढ़ लगातार यही बड़बड़ात आ रही थी पीछ-पीछ गाव क दो और यक साथ मध चली आ रही थी ब त रोका-पकड़ा था उन लोग न पर कटोरा भरकर दौड़पड़ी थी बढ़ बरची क शव क पास प चत ही बढ़ हसन लगी और सर सहलाकर बोलनलगी

ldquoही-ही सतल ह अभी तक पगला काल भी दर तक सतल था पगला लखन जगाओना इसको रात स खीर बनाकर बठ ह इसका यही आदत खराब ह हरदम बनवा लता हऔर आता नह ह खान इसको खीर खला दो ना बटाrdquo

यह य दखना काल क रता को नल ज होकर ताडव करत दखना था पाषाणदय भी फटकर आख स पानी गरा रहा था बरची क मा अब शव को झकझोरन लगी

च मच स खीर लकर मह म डालन लगीldquoऐ लखन दखो न हमस ग सा गया ह र हमर गलती था दन म खीर बोला था नह

बनाए हम दन म बनात तो बचारा खा लता न ग सा हो क सो गया तम जगाकर खलादो ना बाब तमरा दो त ह बात सन लगा उठाओ न इसको उठाओ न आय हो बटा बटाहो दादाrdquo मा खीर का कटोरा सीन पर रख अब शव स लपटकर चीखन लगी थी

ldquoमत करो काक मत करो ऐस काक मत बोलो कछ हम मर जाएग काक हमकोमार दो काक काक मरा दो त मर गया ना काक बरची दा मर गया ह काक rdquo लखनपागल क तरह दहाड़ मारकर रोत ए बोला

वधाता भी पता नह कस इतनी ासद रचता ह दवता अगर दवता ह तो वह इतनान र कस ह या म य इतनी आवारा ह या मरण इतना बगड़ल ह जो दवता क हाथनह दव क भी नह सनता या दवता अपन दवता नह होन का माण द रह थ अगरयही स य ह तो स य कड़वा होता ह ल कन उस इतना र तो नह होना चा हए

वहा जमा भीड़ म ग आ व पहन एक साध बड़ी दर स झाक रहा था उसननजद क स शव को दखा तो सहसा च क गया

बना कसी क तरफ दख वह बोल उठाldquoअर यह तो वही ह भ धन का प का समय का पाबद हम ही दर स आए नह

मल पाए औघड़ था का नह र माता काह रोती हो अर औघड़ था ई य मरा नह हचल दया ह ई तो पजड़ा ह मात पछ तोड़कर उड़ गया काह रोती हो बजान दह परमाथा पटक तमको या क मात जय राम जय रामrdquo एक-दो लोग साध को ऐसा बोलत

दख कनार ल आए उस दमाग स ढ ला ही जान थोड़ी दर चप हो जान को समझान लगसाध ल कन बोलता रहाldquoअर बध हम प र चत ह इसस महीन पहल जब म यरा म त हारा गाव मरघट क

तरह चप और बदहोश सोया था और चार तरफ मदाही स ाटा था तब यही एक अघोर थाजो अधर म भी रोशनी खोजता हमस मलन आ गया था उस कलमही अधरी रात म भीकह कोन म र जलती ई एक म म-सी ढबरी क पास मट ठ भर उजाला खोजत एकोई औघड़ ही आ सकता हrdquo लगातार इतना बोलकर साध खद कनार जा अपना झोला-सारगी रख बठ गया

तभी एक साथ दो-तीन गा ड़य क आवाज सनाई द गाड़ी स उतरकर कम सहऔर प षो म सह वहा प च ठ क पीछ बाइक पर जगद श यादव और काशी साह थएक टर पर सकदरपर स कछ लोग आए थ सबक चहर पर शोक था म य पर ख

करन क अलावा और कोई वक प होता भी नह हldquoकोई भी हो कसी नौजवान का असमय मर जाना खद ह ब त खद ह अब

ज द अ तम स कार करना होगा बढ़ मा क आग इतना दर लास रखना ठ क नह rdquo आतही प षो म सह न समझदारी भर ख स कहा

ldquoहा बचारी बढ़ को सभा लए कोई लाश क पास बठाना ठ क नह हटा ली जएवहा स कस बदा त करगी बचारी बरची का इस तरह जाना ब त ख आ कसा भीथा ल कन गाव का ही तो थाrdquo कम सह न भी शोक जतान का दा य व नभात ए कहा

ठ क तभी दारोगा पारसनाथ क जीप घरघराती ई वहा घसीldquoअर पारस बाब आप आपको कस पता चलाrdquo फकन सह न दारोगा को जीप स

उतरता दखत ही कहाldquoली जए अर प लस ह महाराज कोनो बराती थोड़ ह जो योता मलन पर आएग

चोरी ह या बला कार ई सब तो सघकर प चना पड़ता ह हम लोग को ककर तो सालाझठ फमस ह सघन म हम लोग क आग ककर या सघगा और जस दन ई सघन काश खतम आ प लस का उस दन स भखल मरगा प लस साशन हा-हा-हाrdquo दारोगापारसनाथ न ठहाका लगाकर कहा नद क कनार पड़ शव क सामन छाई मातमी च पी कबीच यह ठहाका बड़ा फहड़ और रा सी था

दारोगा पारसनाथ न आत ही अपनी ड यट का म तद स पालन श कर दयाldquoका ह मडर ह क ए सीडट ह या ससाइड ह च लए ह टए सब लोग लाश क

पास स हटो हटो पीछ सबrdquo पारसनाथ न शव क पास जाकर कहाldquoबीमारी होगा शरीर स कमजोर श स था पीता भी ब हसाब था ओह काश हम

लोग बचा पात बचारा कोrdquo प षो म सह न काम भर का ख पनः जताया और म य काअ ात कारण ात कर बता भी दया

ldquoमडर ह मडर आ ह कोई बीमारी नह था इसको अब तो दा -गाजा भी छोड़न

लगा था बरची दा मडर ह मा लक काह नह समझ रह ह आप लोगrdquo तब स शात बठालखन अचानक स फर च ला- च लाकर बोलन लगा

ldquoअ छा वह तो पता चल जाएगा चलो बॉडी का पचनामा करो ज द पो टमाटम मजाएगाrdquo दारोगा पारसनाथ न अपन सपाही स कहा

तभी प षो म सह क माथ पर थोड़ा-सा बल पड़ता दखाई दया सामन शव सलपट बढ़ मा लगभग बहोश पड़ी ई थी शव को पो टमाटम क लए उठान को दोसपाही हरकत म आन लग तभी प षो म सह न फकन को कछ इशारा कया सकतमलत ही फकन सह चार कदम चल दारोगा पारसनाथ क नकट आया और हाथ पकड़करकछ र चल उ ह कनार ल आया दोन न सात-आठ मनट बात क होगी

वापस दारोगा पारसनाथ बट पटकत ए गभीर चहरा लए शव क पास आकर खड़ होगए

ldquoह म मन नशा ब त करता था या सब लोग जसा क बता रह ह दन-रात वालाहसाब था इसका या यही नाrdquo पारसनाथ न जनता-जनादन का मत जानना चाहा थाभीड़ स हा ह यए ह जसी आई कई आवाज न अनमोदन कया

ldquoसर सर मडर आ ह कोई नशा का बात नह ह आइए न आइए द खए न माथापर चोट ह द खए ना खन लगा ह अ भयोrdquo लखन फर जोर स फफककर बोला

ldquoचप यार तम साथ गाजा पीता था तम या रrdquo पारसनाथ न चड़ चड़ाए वर मकहा

ldquoसबस करीबी यही तो था बचारा इसी क झोपड़ी म जद गए गजरा बरची काrdquoभीड़ स कसी स कहा

ldquoओ तब न सबस जादा सदमा लगा ह इसको दमाग पर जोर पड़ गया होगासोभा वक बात ह ठह रए इसको शा त स समझाना न होगा जी अर बाब ई नशा म आयानद कनार खा-पीकर गर गया प थर पर गरा कपार म चोट लगा न हमरज हो गयामर गया इसम मडर कहा हrdquo दारोगा पारसनाथ न लखन क एकदम पास जा झकत एउसक कध पर हाथ रख कहा

दारोगा पारसनाथ न अपन हसाब स म य का असली कारण लगभग बता दया थाअब कोई सशय ही नह रहा कसी क लए भारत म कोई आदमी मरगा कस यह योजनाबनान का ज मा भल यमराज क पास ह ल कन कोई आदमी मरा कस यह बतान काअ धकार प लस क पास होता ह यमराज न भल ही आदमी को जस तरह भी मारा हो परयहा मा य वही होता जो दारोगा क रपोट म लखा हो कानन यमराज को नह दारोगा कलखी ट को मा यता दता था दारोगा रोड ए सीडट क मौत को खजर क पड़ सगरकर मौत लख द तो नीच अदालत स लकर ऊपर च ग त तक को वही लखना पड़ताथा ल कन वहा खड़ कछ ामीण भी अब लखन क बार-बार कहन पर थोड़ा सोचन लगऔर पो टमाटम करवा लन को कहन लग

अब प षो म सह स रहा न गयाldquoपारस बाब इस बढ़ मा को द खए एक तो जवान बटा मर गया अब या लाश का

भी ग त कर क द इसको या बचारी को बटा का लाश भी काट-पीटकर मल हवा नयतहो जाएगा ई दरोगा साहब या ब ढ़या ई सब बरदा त कर पाएगी अर दया क रए पारसबाब हाथ जोड़त ह हम बढ़ मा पर दया कर आपrdquo कहत-कहत आख भीग गप षो म बाब क

अब यह सन तो नम ही भी रो दता दारोगा का भी तो दल होता ही ह हर समयसबकछ प थर थोड़ होता ह पारसनाथ पसीज गए कलजा पघलकर व स भी यादापतला हो गया था बाक ामीण भी भावक हो चक थ

ldquoआधा घटा म दाह स कार करक हटाइए सब अब ई ददनाक माहौल दखा नहजाएगा हमस अपना बीस साल का नौकरी म ब त कम ही दख ह इतना दद बाला सीन ऐबढ़ को सभा लए भाई आप लोगrdquo दारोगा पारसनाथ भर गल स बोल

यह सनत ही वहा खड़ी भीड़ आपस म दारोगा क इस मानवता क चचा करन लगीप लस क इसा नयत पर भी लोग आह-वाह करन लग सपाही-दारोगा क साय तक सभागत गाव को पारसनाथ न प लस का वह मानवीय चहरा दखा दया था जो ामीण नस दय म कभी नह दखा था

तरत लक ड़या लान क ज मदारी लकड़कट टा काशी साह पर थी समाज क लए वोहमशा दौड़न को तयार ही था तरत एक टर ल वो वह स तीन सौ मीटर क री परबास क झरमट क पास गया वह स आनन-फानन म ज द -ज द लक ड़या लाकर चतासजाई गई शव को चता पर रख अब अ न दन क बारी थी

प ब र अपन धम नभान को खड़ा था एक बार लखन नकलकर आग आया ल कनउसन प ब र क साथ बरची को वापस जीवन जीत ए दखा था इस लए प ब र का हकबनता था दो त को वदाई दन का प ब र न ही तो साल स अवसाद म डब नकारा हो चकबरची को वापस जदगी द थी प ब र चता क पास खड़ होकर फट-फटकर रोन लगाहाथ म अ न थी

ldquoहम एक बात कहना चाहत ह सबस अब तो हमारा दो त नह रहा इसी क कारणआज समाज म चनाव म हर जगह खड़ा ए अब कछ नह चा हए हमको आग लगचनाव म एक बात और आज हम प षो म बाब का भी बड़ा दल दख लए य लोगहमको भी घर बला क समझाए इ जत दए हम बकार म लड़न चल दए अपन ही भाईफकन भया स यही बात हम बरची जी को भी बताना चाहत थ बरची जी को इनसमलवान खा तर खोज ही रह थ क ई अनथ ह भगवान अब हम चाहत ह सारा मन काभद ख म कर गाव म एकता हो इसी म बरची जी क आ मा को भी शा त मलगा हमारादो त बरची आ खर गाव का भला ही तो चाहता था आज दो त क चता क सामन कसमखाता क कोई चनाव नह लड़ना हमको अब बरची जी होhelliprdquo प ब र न रोत-रोत कहाऔर वही थोड़ी र हटकर बसध बठ गया लोग न उस सभाला और उठाकर फर चता क

पास ल आए प ब र न कापत हाथ स मखा न द दो त कोचता म आग पकड़त ही लोकत म उसका वप बरची क साथ साथ ध-ध कर

जलन लगा परा गाव मशान म एक साथ खड़ा था मशान म ही चता क भ म स फकनसह का राज तलक हो चका था

द लत चतना सामतवाद स ा क माला म गथ चक थी जस वीर फकन न धारण करलया था

चमटोली वह रह गई प ब र दास आग नकल आया था ठाकर साब क साथ कसक बराबरी पर

कमजोर और द लत क लड़ाई चता प जल रही थी कमजोर का नता मजबत होकरनकला था यही तो थी सामा जक याय क लड़ाई पहल अगआ आग जाएगा समाजभारी वशाल चीज ह धीर-धीर बढ़गा ठ क वस ही जस आजाद क इन स र साल मबढ़ रहा था प ब र क र तार एक नता क र तार थी दब-कचल पछड़ जन क उतनीभारी आका ा और उ मीद को साथ लादकर तजी स कौन दौड़ सकता ह भला प ब र नत काल य बोझा उतार दया उ मीद और सघष क गठरी शव क सग भ म ई जा रही थी

फकन सह न चता क सामन खड़ दो त क मौत स शोकाकल प ब र को पीछ ससहानभ त भरा पश द उसक कध को छआ प ब र पलटकर फफकता आ फकन कसीन स लपट गया राजनी त कतनी नमल ह छआछत ऐस ही धो दती ह राजनी तकतनी धारदार ह एक 56 इच क ठकराई फौलाद सीन म भी इतना छद कर दती ह कएक द लत बड़ म स उसम घस सक भल टोला समाज वाल द लत वह खड़ ह दहरी कनीच च पल खोल क राजनी त वाला दहरी स ऊपर दल तक प च गया

अब भी लोकत जदाबाद य न कह हम

घट-दो घट क ही बाद नद अब अकली थी उसक कनार थी धीर-धीर राख हो रहीएक पागल क अधजली चता और वह एक छोट-स प थर पर बठा आ एक औरमतवाला

तब स दनभर वह बठा साध अब नद म नान कर सारगी ल पनः प थर पर बठ गयाथा पता नह उसक अतमन क तार सारगी क तार स मल या गान लग एक अजब-सीधन बजान लगा साध और गान लगा

यही नद क तीर र साधो यही नद क तीरहमन दखा बहता नीर दखा बहता नीरभरा कटोरा जगत का यागा चल गया म त फक रर साध यही नद क तीरएक घनघोरअधर को चीर नकला भोर अघोरफाक मट ट पा गया म बन ह ला बन शोरजोऔघड़ को बाधन पाए ऐसी ना कोई जजीरर साधhellip

चता क आग अब ठडी हो चक थी साध न सारगी रख थोड़ी-सी राख हाथ सखखोरकर बटोरी और उस नद म वा हत कया

रात आ खर बरची क साथ या आ थाmdashयह काली कहानी उसी राख क साथ बहचक थी बरची प ब र स बात करक फर शाम तक लखन क पास बठा रहा था वहा सकरीब 700 बज वह सकदरपर को नकलन वाला था भवन र नता स मलन क लएअभी वह रा त म ही था क प ब र का फोन आया प ब र न उस बताया क फकन कोहम पर शक हो गया ह इस लए रात को मलत ह उसक बाद ही भवन र नता स हम दोनमलन चलग

बरची यह सनकर भवन र नता क पास नह गया वह सकदरपर म ही कसी औरक घर पर बठकर समय काटता चनाव क चचा करन लगा

रात क ठ क नौ बज प ब र न उस फोन कर नद क कनार बलाया था फोन का हीइतजार कर रहा बरची साढ़ नौ बज क आसपास नद क पास प चा ल कन वहा प चतही उसन दखा क अधर म सात-आठ लोग खड़ थ बरची को समझत दर न लगी वह जोरस गाली दकर उ ट पाव भागन को मड़ा अभी दौड़ा ही था क पाव गड ढ म लगा और वहगर पड़ा पीछ स दौड़कर बोगा पहलवान न पट पर लात मारी और दो लोग न हाथ-परपकड़कर घसीटना श कया इतन म सामन फकन आ गया था उसन छह-सात घस महपर मार बरची गाली दए जा रहा था बरची न एक बार गदन घमाकर फकन सह सपछा

ldquoप ब र कहा ह साल फकन सह याद रखना प ब रवा तमस बड़ा हरामी हrdquoयह सनकर फकन सह बरची का गला दबान लगा फकन सह न कहा ldquoजान मार

दग त हारा र हरामी सधरगा क नह तम सधर जाओ भोसड़ीवालrdquoतभी पीछ स आवाज आई ldquoआप इसको सधारन बलाए ह अर सम या को ख म

क रए फकन बाब नह तो रोज लकमल करगा आपको हमार ही माय का मडर वाला मटरउठाकर तब हम भी या करग भवन र नता कस खलवा दगा तो जीवनभर का जतरहगा दखत या ह आप ख म क रए रोज का झझट कसर ह सालाrdquo

तीन लोग बरची को पकड़ ए थ और उसक गदन पर फकन सह क पकड़ कसीजा रही थी फकन सह भी पसीन स नहा चका था तभी कसी तरह ग -ग करत एबरची न फस गल स कहा

ldquoतम यही ह र गद दार बतात ह सबको त हारा असली प कशना सही हीhelliprdquoइतना ही कहा था अभी बरची न क एक जोर क आवाज क साथ कछ उसक सर सटकराया पीछ प ब र हाथ झाड़ रहा था प थर का बड़ा-सा टकड़ा ठ क बरची क आगपड़ा था फकन सह न महसस कया क बरची का तरोध ढ ला पड़ रहा ह फकन सहन झट गदन स हाथ हटाया बरची लढ़ककर जमीन छ चका था फकन सह न तो उसकहाथ-पाव तोड़कर घर बठा दन क योजना बनाकर बलवाया था उस प ब र क ारा यहातो अनहोनी हो गई थी सब पीछ हट और एक बार तो घबरा ही गए सफ एक आदमीप ब र था जो ब कल थर था और सहज भी प ब र क लए यह पहला मौका नह थाजब सामन कोई लाश पड़ी हो और वो शट क बाह मोड़कर हाथ झाड़ता खड़ा हो वो तो

आज भी इसक लए तयार होकर ही आया थाअसम क सोनारी शहर क प लस को पछल डढ़ साल स रजीत सह नाम क फज

पहचान प वाल अपराधी क खोज थी जो अपन ढाबा मा लक क ह या करक तरह लाखपए और कछ सोन-चाद क जवर उसक घर स ल भागा था वो रजीत सह कछ महीन

प लस स भागकर ग आ चोला पहन कामा या म दर क पास साध क सग भी रहा थावह कसी ता क स उसन सना था क म दर नमाण स ह या का पाप कट जाता ह बरचीअसम जात कशन स बस टड पर सयोगवश मल गया था और उसस यही कहानी जानगया था प ब र दास का यह सच जानन वाला एक आदमी कशन दास असम जा चका थाऔर सरा बरची इस नया स ही सबह उसक लाश मली थी नद कनार अगर गलतीस भी बरची तनातनी म प ब र का आपरा धक इ तहास गाव-पचायत क सामन खोल दतातो उसका बना-बनाया जीवन तबाह हो जाता उसन सालभर म जो भी गाव म हा सलकया था वो तो लटता ही वह जल भी जाता यह भान होत ही प ब र न तय कर लया थाक जदगी म इतन कम-ककम कर म कल स पाई चीज य ही नह जान दगा बरची को हीवदा कर दगा

प ब र न बड़ी चालाक स इस घटना को फकन सह क उप थ त म ही अजामदया जसस अगर कभी बाद म उसका राज खल भी जाए तो वह फकन सह को भीबरची क ह या म शा मल होन का डर दखा उस ढाल बनाकर साथ रख सक त काल भीइसी भय क कारण ही तो बाप-बट न खद लगकर ज द स दाह स कार करवाया था उनकोडर था क अगर नता भवन र प च गया तो फर बखड़ा खड़ा करगा और पो टमाटम कमाग करगा ही

इधर परा मामला ज द नपटान क लए पर पचास हजार लए थ दारोगा पारसनाथन तब कह जाकर दय पघला था उनका इतन कम पए म प लस अगर मानवीय होजाए तो ब त महगा सौदा भी नह था

इधर आज क रात मलखानपर म कई घर म वा तव म च हा भी नह जला गाव कछोर पर सयार आ- आ कर रह थ गली म क क रोन क आवाज रात को खौफनाकबना रही थी

रात को ही पता चला क बरची क मा भी बट क पास चली गई हआज स तीस-ब ीस साल पहल एक अकली जवान मा गोद म एक ब चा लए गाव

आई थी न जा त का पता था न उसक खानदान का आज भी बना कसी जा त बनाकसी खानदान क दोन मा-बट एक साथ गाव स वदा हो गए थ

13 दन बाद

रात क 1130 बज थ प षो म सह क प नी आगन म कछ सामान लन गई थी तभीउस लगा क हात क पास कछ आक त जसी दखी हो उसन करीब जाकर द वार क पारझाका झाकत ही वह बदहवास उ ट पाव च लाकर दौड़ी घर क लोग तब तक लगभग सोचक थ आवाज सनकर सबस पहल प षो म सह हड़बड़ाकर जाग

ldquoअर या आ अर आ या काह च लाए हrdquo प षो म सह न अपन कमर सबाहर आकर पछा

ldquoअजी बर चया बर चया को दख हम वहा ह वहा खड़ा हrdquo णभर म पसीन सनहा चक डर स थर-थर काप रही प नी माला दवी न बताया

ldquoका दमाग खराब ह या त हारा माrdquo तब तक उठकर आ चका फकन सह अदरक बरामद स बोला बाप-बट न लाठ -टॉच लकर पीछ जाकर दखा

फकन सह लपक क द वार पर चढ़ा और प षो म सह एक ऊचा टल लकर टॉचमारन लग एक जगह टाच जात ही सहर उठ दोन द वार का एक कोना भीगा आ थाफकन सह तो दखत ही द वार स कदकर आगन म आ गया था प षो म सह न कापतकलज को सभालत ए एक बार सीधी रखा म टाच मारी उ ह भी लगा क कोई आदमीकाला कबल ओढ़ र खत क ओर स नकल रहा ह प षो म सह को भी जो दखा उसपर खद भी यक न नह कर पा रह थhellipआ खर कौन था वो आदमी कोई तो था

बाप-बट अदर स हल चक थ पसीन स तरबतर एक- सर का मह दख रह थद वार अब भी खतर म थी

जय हो

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  • 13 दिन बाद

औघड़

नीलो पल मणाल

ISBN 978-93-87464-50-6

काशक ह द-य म201 बी पॉकट ए मयर वहार फ़स-2 द ली-110091मो- 9873734046 9968755908

कला- नदशन वज एस वज

पहला स करण 2019

copy नीलो पल मणाल

Aughad(A novel by Nilotpal Mrinal)

Published ByHind Yugm201 B Pocket A Mayur Vihar Phase 2 Delhi-110091Mob 9873734046 9968755908Email sampadakhindyugmcomWebsite wwwhindyugmcom

First Edition 2019

मन कोई उप यास नह लखा ह मन अपन मार जान कजमानत लखी ह आप चाह कसी भी धारा क ह कसी भीवाद क वाद ह कसी भी समदाय स ह कसी भी वग स ह कसी भी जा त क ह hellip म जानता आप मझ छोड़ग नह और मन भी परी को शश क ह कसी को न छोड ध यवादजय हो

औघड़

1

गम जा चक थी ठड अपना लाव-ल कर ल आई थी भोर क चार बज थ रात क स ाटका एक टकड़ा अभी भी बचा आ था ह क -ह क शीतल हवा चल रही थी

मरारी साव एक घयाई रग क पतली डल वाली भगलप रया चादर ओढ़ अपनी चायकान पर प च चका था कान या थी एक टाट क झोपड़ी थी उसी म माट का एक

च हा था और उसस लगा एक लकड़ी का ब सा दोन तरफ एक-एक बच रखी ई थीमरारी साव क चाय क कान गाव क बस टड वाल म य चौराह पर ही थीगाव म लोग अ सर सरज स पहल जग जाया करत उसम भी सबस पहल भोर मरारी

साव क चाय कान पर ही होती 5 बज सबह स ही गाव क रा त सवा रय का आना-जानाश हो जाता गाव स होकर गजरन वाली गा ड़य क सवा रय क लए मरारी क कानक मट ट क कतरी वाल असली ध क बनी चाय सबह-सबह क एक आदत-सी बन गईथी यही कारण था क मरारी तड़क कान खोलन प च जाता

जब तक गाव क लोग सो-उठकर सय दव क दशन करत तब तक मरारी ठ क-ठाकल मीदशन कर चका होता था रोज क तरह आत ही मरारी न ब स का ताला खोल बतननकाला हाला क लकड़ी का वो ब सा इतनी जगह स टटा आ था क बना ताला खोलभी बतन नकाला जा सकता था पर ताला एक भरोसा दता ह और य गाव का ही माहौल थाक भल द मक न ब स क लकड़ी खा ली थी ल कन एक जग खा रह छोट स ताल कभरोस क लाज आज तक कायम थी न आज तक मरारी का ताला टटा न भरोसा और नएक च मच तक चोरी आ होता भी कस गाव क भल स लकर उच क तक सब क लएसबह मीठ करन का इतजाम मरारी ही तो करता था जस दन मरारी क कान न खलकछ लफए तो सबह स ही ताड़ी पीन नकल जात वो तो मरारी क म त चाय थी जसनउ ह अपनी ओर ख च रखा था वना सबह उठकर चाय पीन का रवाज अब गाव स भी धीर-धीर जाता रहा था

मरारी नकाल ए बतन को बगल क सरकारी चापाकल पर ल जा मट ट स रगड़करधोन लगा चार ओर पसर भोर क सा वक मौन क बीच बतन पर मट ट क रगड़ क घरड़-घरड़ क आवाज मानो गाव अपन आगन म सबह का सगीत बजा रहा हो कछ मनट बतनधोन क बाद मरारी च हा जलान क लए बोरी स कोयल क कछ बड़ टकड़ नकाल अपनीछोट हथौड़ी स उस तोड़न लगा ठक-ठक क आवाज अभी गजी ही थी क बगल क आमवाल पड़ स च ड़य का एक झड फड़फड़ाकर उड़ा मानो इन च ड़य को रोज मरारी कठक-ठक सन जगन क आदत हो गई हो ज द -ज द कोयला तोड़ उस च ह म डाल

मा चस मारी और च ह क पास बठ बास का पखा ह कन लगा चद मनट बाद धए काफटबाल-सा गोला उठा अब च हा जल चका था इसक बाद वह दौड़कर एक बा ट पानीभर लाया अब तक कोयला जलकर लाल हो चका था अब मरारी न च ह पर भगोनाचढ़ाया और ध गरम करन लगा च ह क सरी आच पर मट ट क कतरी चढ़ा द जसमध लबालब भरा था

तभी उस कोई आहट सनाई द ldquoकौन ज ग दाrdquo मरारी न च ह स नकल रह धए स मच मचाए आख को मलत ए

पछाldquoहा मद और क आवगा एतना भोरrdquo कान म घसत ही बा ट म मग डालत ए

जगद श यादव न कहाजगद श यादव गाव प छया टोला स थ उ यही कोई 52-53 साल ठ क-ठाक खती

थी छोट -मोट ठकदारी करत कभी-कभार ट-भट ठा लगान का भी काम करत एक टर खरीद रखा था बक स लोन लकर उस कराय पर चलात थ य वशी ख तहर होन क

बाद भी घर म गाय-भस नह पाल थ कहत थ ldquoगाय र खए तऽ दखना भी पड़ता ह सवाकरना होता ह सानी-पानी भी दना होता ह समय पर तब न ध खाइएगा हमस नहसभलगा अकल गाय-भस बच दए इस लए तोrdquo

जगद श यादव न गाय भस भल बच दया हो पर ध और चाय क आदत थोड़ गईथी रोज मरारी क कान पर सबह-सबह आना और दो-तीन घट क बठक म तीन-चारकप चाय पीना दनचया बन गई थी

ldquoचलो पलाओ एक कप आज कोय आया नह काrdquo जगद श यादव न बच कोगमछ स प छत ए कहा और बठ गए

ldquoपाच मनट क जाइए ज ग दा तनी खौला दत ह धवा को अभी तरत चढ़ाए हrdquoमरारी न च ह म लगातार पखा ह कत ए कहा

ldquoठ क ह तब तक तनी खनी खला दोrdquo जगद श यादव न जब स खनी क ड बयानकाल मरारी क तरफ बढ़ात ए कहा यह इसी दश क गाव वाली चाय क कान म हीसभव था क जब तक चाय बन तब तक चाय बनान वाला आपक लए खनी भी बनाकरपरोसता था मरारी ड बया स खनी-चना नकाल बड़ ज मदारीपवक रगड़ जा रहा था औरजगद श यादव एकटक रगड़ खाती हथ लय को दखत त लीन बठ थ भागती-कदती

नया क बीच एकदम फसत और शा त का ऐसा य कवल गाव ही रच सकता थाldquoली जए द खए बजनाथ भया आ गएrdquo मरारी न जगद श यादव को खनी दकर

हथली पर पानी लत ए कहाldquoका मरारी का हाल और जगद श दा तो हमस पहल प च गए आजrdquo बजनाथ

मडल न बच पर बठत ए कहाldquoअर आओ बठो बजनाथ हा का कर रात न द आता नह सोत ह तऽ लगा रहता ह

ज द बहान हो तऽ नकल घर म बाल-ब चा हो या हमरी जनानी सब तऽ ऊ ट भी दखनम लग रहत ह कसस ब तयाइएगा घर मrdquo जगद श यादव न बड़ सन वर म कहा

ldquoएकदम यही हाल सब घर का ह दन भर सब ट भी म घसल रहता ह जब स सालाई डस ए टना आया ह तब स जान ली जए चौबीस घटा कछ-ना-कछ दत रहता ह ट भयापर सनमा क तऽ इ जत नह रहा अब जब द खए त ब एगो सनमा द रहा ह दन-रातहमरा लड़कवा दनभर घसल रहता ह ट भए म एक दन तो ल तयाए चोट टा को न पढ़नान लखना साला धरमदर बनगा जस सनमा दख कrdquo बजनाथ मडल न एक सास मकहानी घर-घर क बया कर द थी

ldquoतम भी कनकसन ल लया डस का हा तीस-चालीस पया लगता ह काह नलोगrdquo बजनाथ मडल गाव क प छया टोला स ही था लबा शरीर गहरा सावला रग हड डीपर काम भर का मास यही बनावट थी बजनाथ क थोड़ी-सी खती थी स जी उपजाताथा और शहर बच आता छोट-मोट तर पर मवशी बचन का काम भी करता था बकरीपालना-बचना प तनी काम था उसका

इतन म बन चक चाय छानत ए मरारी भी चचा म कदा ldquoअर सनमा छो ड़एसी रयल दख ह कतना गदा दखाता ह एक ठो प त क तीन ठो प नी तऽ एक प नी क ठो मरद मन या स या दखा रहा ह ई लोग घर समाज बगाड़ रहा ह ई सबrdquo

मरारी न अपन इस साथक वचन क साथ ही चचा को एक नया फलक दान कर दयाथा

चाय पर चचा दश को कतनी साथक दशा द सकती ह यह यहा आकर दखा औरसमझा जा सकता था रदशन और उसक समाज पर भाव क इस समीनार का स चलही रहा था क म जद स अजान क आवाज आई ldquoअ लाह अकबरhellipअशहदो अमोह रसल लाहhelliprdquo

ldquoली जए अजान हो गया बरागी पडी जी क आन का हो गया टाइमrdquo मरारी न चायका कप बढ़ात ए कहा असल म बरागी पडी जी गाव क ही म दर म पजारी थ म दर कठ क पीछ ही कछ री पर म जद भी थी गाव म म दर-म जद म ब त री नह होती

अजान क आवाज अ लाह तक जान स पहल म दर क दवी-दवाता को मल जातीथी बरागी पडी जी को वष स अजान क आवाज सनकर उठन क आदत थी यही उनकाद नक अलाम था अजान सन उठन क बाद बरागी पडी जी झट नहात-धोत और फर शखऔर घट क व न स परा वातारवरण ऊजामय हो जाता यह व न म जद तक भी जातीयह एक गाव को ही नसीब हो सकता था जहा ई र-अ लाह दोन एक- सर क बड़ म ससन लत थ

पडी जी का परा नाम बरागी पाडय था और गाव क म दर म ही तीन पीढ़ स रह रहथ इनक प रवार म प नी और एक 21-22 वष का लड़का चदन पाडय भी था बरागी पडीजी दखन म गोर म यम कद-काठ क और पडनमा पट वाल थ सर क बाल जतन भी थ

सफद हो चक थपडी जी पजा-पाठ कर धोती-कता पहन कध पर गमछा डाल रोज क तरह जब तक

चाय क कान पर प च तब तक वहा कई तरह क मद द पर बहस स माहौल अपनीसामा जक सोद द यता क चरम को छ चका था इसी बीच वहा गाव क म जद टोला वाललड डन मया भी प च चक थ

ldquo णाम बाबा णाम आइए आप ही का इतजार हो रहा थाrdquo पडीजी को दखत हीजगद श यादव न अ भवादन कया

ldquoब ठए पडीजी बनात ह पशल वाला इलायची द कrdquo मरारी न कटोर स भगोन मध डालत ए कहा

बरागी पडी जी अभी बच पर बठ ही थ क अचानक बच क नीच स जोर क आवाजआई पडी जी लगभग चीखत ए उछल कर बगल बठ ए बजनाथ मडल क गदन परलटक गए बजनाथ मडल को सबह-सबह बना मतलब गोद लन का सौभा य ा त होगया जस लत ही वह अकबका गया था

ldquoअर का आ हाय र बापrdquo बजनाथ पडी जी को सभालत ए जोर स बोलाldquoहा हा अर ददा कछ नह ई मो तया पर पाव पड़ गया महराज पडीजी काrdquo मरारी

न भगोन म चीनी डालत ए कहा जहा परा दौर-जमाना पहचान क सकट स जझता-लड़तादखाई दता था वह यह गाव ही था जहा आम क भी मोती हीरा शरा क नाम स जानजात थ कई लोग तो उन क क वहार और दनचया तक स प र चत होत थ कौनक ा कतन बज म दर क अहात म बठगा और कौन अ पताल क आग पाए पर मत दगातक भी बता दत थ

मरारी फर हसत ए बोला ldquoआज तऽ जतरा बन गया इसका भोर-भोर पडी जी सएतना भारी आशीवाद पा लया डायर ट माथा पर लात धर क याण कर दए बरागी पडीजीrdquo

मरारी न सही ही कहा था क जब लगभग 90 कलो क आदमी का पाव एक मरमराएस क क गदन पर पड़ जाए तो उस ह का आशीवाद नह कह सकत मो तया सड़क पारजा खड़ा हो म झाड़ रहा था शायद अ या शत मल इस आशीवाद को फ ल कर रहाथा उसन दो-तीन बार टाग पटका एक-दो बार सर को झाड़ा और फर पनः चाय कान कपास आ खड़ा हो गया इधर बरागी पडी जी क छाती अभी तक धड़क रही थी धीर-धीर वसामा य होन क यास म थ हाथ म चाय क कप लए पहला घट पए तब आवाजनकली

ldquoबताइए भरवबाबा क कपा क हए क काटा नह नय तऽ एक कप चाय क फर मअभी चौदह ठो सई लना पड़ताrdquo

मरारी साव बरागी पडी जी स चाय क पस नह लता था उसका मानना था क बड़भा य स तो एक ा ण को भोर-भोर चाय पलान का मौका मलता ह इसस बड़ा प य

या होगा भला हा दन भर म एक कानदार को कान पर ही बठ-बठ पस क साथ प यकमान का भी मौका मल जाए तो इसस अ छा या होता पर दन एक भी कप क गनतीनह छोड़न वाला और दादा क पए गए उधार चाय को पोत तक स वसल कर लन वालामरारी वष स बरागी पडी जी को सबह क चाय बड़ी ा स नःश क पलाता था यहीउसक जीवन का अ जत प य था उसक पास हसाब वाली दो बही थी एक जसम वोउधार चाय पीन वाल क हसाब रखता था और सरी उसक मन म होती थी जसम वो पडीजी को पलाए गए चाय क प य का जमा हसाब रखता था जसक भरोस ही मरारी कोयक न था क ऊपर जान क बाद यही प य उस वग म कट ठा-दो कट ठा जमीन दला हीदगा

इधर पडी जी भी मरारी को प य कमान का कोई मौका गवान नह दत थ चाह आधीतफान चल या बजली गर पर बरागी पडी जी एक भी सबह अनप थत नह होत थकभी-कभार खद मरारी नह आता कान खोलन पर पडी जी ज र उसक कान पर आतऔर बच पर बठत यह सोचकर क या पता दर-सबर मरारी प य कमान आ ही जाए

चाय कान पर बत कड़ी जारी थी सब अपनी-अपनी च क घ टन क साथ ही एकनई चचा उतार दत गलास म अब दन भी साफ होन लगा था कान पर और भी ाहकक भीड़ आन लगी थी तभी एक बस ठ क मरारी साव क कान क सामन आ क औरउसस एक करीब 30-31 वष का सावला-सा यवक कध पर बड़ा-सा बग दोन हाथ मसटकस लए उतरा एकबारगी इतन सामान स लद आदमी को बस स उतरता दख सबकनजर उस पर पड़ी वह यवक बस स उतर सामान कध स उतार कान स ठ क दस कदमर खड़ा हो गया और जब स पस नकाल उसम कछ टटोलन लगा इधर पर चाय कान क

नजर उस पर थी गाव उतर कसी भी नय आदमी को य लोग इतनी नजर गड़ाकर दखत कसाधारण कलज का आदमी तो लजाकर मर जाए यह मडली एक तरह स गाव घसन वालक लए ार पर लगी क नग मशीन क तरह थी या मजाल कोई भी चीज उन लोग कसामन स बना उनक जाच क गजर जाए सड़क स क पर लद गाय-बकरी भीगजरती तो उसक न ल पर चचा कर यह लोग बात -ही-बात म उसका ध तक नकाललत थ अब तक उस यवक क चचा श हो गई थी

ldquoकौन ह कसक यहा का ह ई आदमीrdquo बजनाथ न ऊपरी जब स खनी नकालतए कहा

ldquoलोकल तो नह बझाता ह कसी घर का दामाद-ऊमाद ह याrdquo जगद श यादव नअपन अनभव स कहा तभी उस यवक क नजर भी एक बार चाय कान क तरफ गई परफर झट उसन अपनी आख हटा ल शायद उस भी अदाजा हो गया था क परी कान कनजर इधर ही ह इतन म उस कछ याद आया उसन अपन एक बग का ऊपरी चन खोलउसम स एक भरी ई पॉलीथीन नकाली जसम एक ड का पकट और कछ आध बचब कट क पकट थ यवक न उसका रपर नकाल उस पास बठ क क तरफ बढ़ा दयाक न लपककर ड पर मह मारा और आख मद खान लगा उधर हर सीन पर चाय कान

पर बठ लोग क कमर-सी नजर लगी ई थीldquoअर हई द खए मो तया का क मत भोर-भोर पावरोट पा लया और ब कट भीrdquo

लड डन मया खल खलात ए बोलldquoहम बोल थ न आज पडी जी का आशीवाद मला ह तऽ जतरा बनब करगा मो तया

काrdquo मरारी भी उछलकर बोला सब हसन लगवह यवक कध पर बग डाल सटकस उठा गाव क परब तरफ नकल गया इधर सब

पडी जी क नाम पर एक-एक कप और चाय दन को बोल चक थ पडी जी मद-मदम करात कभी मो तया को दखत तो कभी अपन परम क मती लात को जीवन भरसौभा य क बाट जोहत पडी जी का मन कर रहा था क कसी दन सबह-सबह उठ खदअपन ही गदन पर यह लात रख द त काल उ ह न बच पर बठ ही अपना दा हना लातउठाया और उस अपन खाली हाथ पर रख न जान दर तक या सोचत रह हाथ म लात कायह य वडबना गढ़ रहा था क चतन बन रहा था समझना क ठन था थोड़ा

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दन चढ़ चका था गाव क एकमा च क सक डॉ बाल अपनी ड पसरी खोल खद हीझाड लगा रह थ हाला क उ ह न कपाउ डर क प म एक लड़क को रखा था पर उसकआन और जान का कोई तय समय नही था लड़का मनमौजी था कभी आता कभी नह भीआता इस कारण अ सर डॉ साहब को खद ही ड पसरी क सफाई और प छा लगान काकाम करना पड़ता था डॉ बाल बगल क गाव मनहरा क रहन वाल थ पर मलखानपर कबड़ी आबाद दख ड पसरी यहा खोलना ठ क समझा था उनका अदाजा था क यहा

यादा मरीज मल पान क सभावना रहगी वस मलखानपर म एक बना डॉ टर वालााथ मक वा थ क सरकार ारा था पत था डॉ बाल न मलखानपर बीच बाजार म ही

एक कमरा कराय पर ल न सग होम क श ल दन म कोई कसर नह छोड़ी थी कमर कबाहर एक ट न का बोड बनवा उस पर lsquoडॉ बाल घोषrsquo लखवाया था और उसक नीचअ जी म कछ ड ी टाइप भी लखवा रखा था एक बड़ा-सा लाल रग का लस च भीसफद गोल म बनवा रखा था कमर क अदर बीचो-बीच एक हरा पदा डाल उस दो भाग मबाट दया था पहल भाग म खद क टबल कस लगाई थी सर भाग म अदर क ओर एकपतली-सी चौक डाल द थी जस पर लटाकर वो मरीज का पट भ ककर मज दखत थऔर जीभ पर टाच मारकर बीमारी का पता लगान क ईमानदारी भरी को शश करत थ हरपद क पास ही द वार पर एक पो टर चपकाया था जसम एक गोल-मटोल बालक का चथा और उसक नीच लखा आ था lsquoक या शा त रख अदर ऑ शन चल रहा हrsquo यहपो टर पढ़ अ सर दहात क कई ज ास मरीज डॉ साहब स नजर बचा पदा हटा अदरझाकन क को शश कया करत थ क आ खर य ऑपरशन होता कस ह काश य लभम डकल लीला दखन का सौभा य मल जाए पर हर बार चौक खाली ही मलती एकाधमरीज कभी लट भी तो फर उ ह उठन क ज रत नह पड़ी व उठ गए थ बदल म भारीहजाना दकर कसी तरह अपनी जान बचाई थी डॉ बाल न उसक बाद स सावधान डॉबाल कवल चलत- फरत मरीज का ही इलाज करत थ लटन वाल को तरत हाथ जोड़आ दकर शहर रफर कर दत थ वस डॉ बाल न कब कहा स म डकल क पढ़ाई क

और कब डॉ टर बन यह वस ही अ ात था जस डॉ राज साद जी का द वार स चनानकाल खनी बना खात ए ए जाम दन का क सा लाल बहा र शा ी जी का उफनतीनद पार कल जान का क सा ई रचद व ासागर जी का ट लाइट म पढ़न काक सा य सब घटनाए कसी न दखी नह पर चलन म थ और मान ली गई थ उसी तरहडॉ बाल को डॉ टर मान लया जा चका था डॉ बाल अभी झाड मार लाइफबॉय साबनस हाथ धो गदन म आला पहन बठ ही थ क एक हीरो-ह डा बाइक आकर खड़ी हो गई और

जोर-जोर स हॉन बजन लगा डॉ बाल हड़बड़ा उठldquo या बात ह भाईrdquoldquoअर ज द च लए सर उठाइए अपना बग धान जी क घर चलना ह हाट अटक

आया हrdquo बाइक सवार न बाइक टाट रखत ए ही ज द -ज द कहाहाट अटक यह सन एक बार तो जस लगा डॉ बाल को ही हाट अटक आ गया ह

गाव क सबस भावी घर क बीमारी का बलावा आ गया था कछ ऊच-नीच हो गया तोयह सोच हाथ-पाव काप रह थ डॉ बाल क ज द -ज द बग लया अपना सबह-सबहड पसरी खलत ही मरीज का आ जाना य तो कसी भी डॉ टर क लए खशी क बात होतीह पर ऐस घर स और इतनी बड़ी बीमारी आ धमकगी इलाज करवान और इतनी कयामतभरी बोहनी क बार म सोचा भी न था डॉ बाल न सद खासी बखार तक तो ठ क था परसबह-सबह हाट अटक को सभालना अपन डॉ टरी जीवन म पहली बार म डकल कइ तहान को फस करन जा रह थ डॉ बाल वो भी बना म डकल क कताब का मह दखअभी असल म मह तो डॉ बाल का दखन लायक था माथ पर पसीना लए सखत कठ सबगल क कानवाल स जरा ड पसरी पर यान दन को बोल गोद म बग धर व बाइक परबठ गए व इतन तनाव म थ क अभी तक यह भी नह पछा था क अटक आया कस ह

अभी बाइक पर बठ ही थ क सामन स जगद श यादव आत दख पड़ डॉ टर साहबको दखत ही टोक दया ldquoअर डागडर साब कहा एकदम सबर-सबरrdquo

डॉ बाल क बदल बाइक चालक न कहा ldquoअर प षो म बाब को हाट अटक आयाह वह जा रह हrdquo

सनत ही जगद श यादव जस बाइक क सामन आ खड़ ए एकदम हड़बड़ात एपछा ldquo या हाय भगवान कल तो ठ क थ अर हा हा च लए ज द भगवान ठ क करसब एज भी तो हो गया ह उनकाrdquo

प षो म सह मलखानपर क सबस तबदार ह ती थ इनक पता पव म गाव कधान थ और य खद भी दो बार धान रह चक थ अब इनका बटा फकन सह वरासत को

सभाल ए था जमाना बदलन पर खती-बाड़ी थोड़ी कम हो गई और जमीन का कई ह साभोग- वलास म बक भी चका था तबा पहल क तरह तो नह था पर अभी भी धाकठ क-ठाक ही थी इसका कारण यह भी था क प षो म सह क दादा तीन भाई थ इसकारण इनक अपन बड़ खानदान का परा कनबा इसी गाव म साथ ही बसा था जसमआस-पास क 6-7 घर थ इन घर को मलाकर कम-स-कम 10-12 हट ठ-कट ठ जवानप षो म सह क भतीज और पोत क प म हमशा एक आवाज पर लाठ लकर खड़ होजात थ सामती दौर गजर जान क बाद भी भारतीय लोकत म उस प रवार क अह मयतकभी कम नह होनी थी जसक पास लोग भी थ और लाठ भी जब तक लोकत था तबतक प षो म सह क जस बड़ घर ब त छोट कभी नह होन वाल थ

जगद श यादव प षो म बाब क हाट अटक क खबर सन रोमा चत हो रह थ या

भयकर खी इस महीन अतर को पकड़ना म कल था असल म बड़ आदमी का जीवनऔर मरण दोन दखन लायक होता ह सदा आम जन को आक षत करता ह जगद शयादव प षो म बाब का वभवशाली जीवन दख चक थ आज इतन बड़ आदमी क हाटअटक को भी इतन नजद क स दखन का मौका व छोड़ना नह चाहत थ कतनी बड़ी बातहोती क व अपन पोत-पो तय तक को सनात यह ऐ तहा सक क सा अर प षो म बाबहमार आख क आग चल दए थ र ब चो हमारा तऽ हाथ धर लए थ और बोल थldquoजगद श अब जात ह घर-प रवार को जोगना दखनाrdquo

यह सबकछ एक झटक म सोचत-सोचत डॉ बाल को आग खसका उछलकरबाइक म पीछ बठ चक थ जगद श यादव

ldquoज द चलाओ भाई पीड म चलोrdquo जगद श यादव न घोड़ा हाकन वाल अदाज मबाइक चलान वाल स कहा तज चलती बाइक म सवार बाइक चलान वाल और जगद शयादव क बीच दब स बठ डॉ बाल खद एक मरीज क भा त दख रह थ उनक दय कउथल-पथल कवल वही जान रह थ उनका चहरा बता रहा था जस कसी बकर को बाधहलाल करन ल जाया जा रहा हो बाइक क प षो म सह क दरवाज पर कत ही जगद शयादव उछलकर नीच उतर और फर डॉ टर बाल का बग पकड़ उ ह हाथ का सहारा दनीच उतारा पता नह कस जगद श यादव डॉ बाल क बदन क कपन को महसस करचक थ शायद तभी हाथ का सहारा द दया था प षो म सह घर क बाहरी बरामद स सटकमर म ही रख ए थ अदर घसत ही डॉ बाल न दखा क प षो म बाब लट कर पपीताखा रह ह कट सब क कटोरी भी सरहान धरी ई थी प षो म बाब को आराम सफलाहार करता दख डॉ बाल को थोड़ी राहत महसस ई भल कभी म डकल ककताब न पढ़ हो पर कलक ा म कई डॉ टर क यहा झाड ई- डटॉल लगात इतनीडॉ टरी तो आ ही गई थी क हाट अटक का मरीज आराम स लटकर पपीता तो नहखाएगा फर भी डॉ साब परी तरह न त हो जाना चाहत थ

ldquo णाम प षो म बाब या आ आपको ठ क तो ह आपrdquo डॉ टर बाल न शभ-शभ बोला

ldquoअर आइए डागडर साहब द खए न थोड़ा छाती म पन हो गया था अभी सास लनम थोड़ा-थोड़ा खाता हrdquo प षो म बाब न पतीत का आ खरी टकड़ा मह म डालत एहाल सनाया

ldquoअ छा कए न ठ क हो जाएगा स ट खा ही रह ह आप बजोड़ चीज हह थ क लएrdquo डॉ बाल न कट सब क कटोरी क तरफ दखत ए कहा

अब तक डॉ बाल को यक न हो चका था क इनको चाह जो बीमारी हो पर हाटअटक तो नह था और न ही मरीज को जान का खतरा डॉ बाल न यह सोचत-सोचतसामन रखा पानी का गलास उठाया और गट-गट कर खद पी गए थोड़ी राहत महसस ईतो उ ह कलक ा म अपन मा लक जसक यहा सफाई टॉफ क प म 8 साल तक कामकया था उन डॉ टर का कहा एक स वा य याद आया ldquoमरीज को दवा बचाती ह

डॉ टर को उसका आ म व ास बचाता हrdquo आज डॉ बाल न अपन जीवन का सम तआ म व ास नचोड़ जमा कया और अब बड़ गभीर अदाज म आला नकाल उसप षो म बाब क छाती पर धर दया

ldquoजरा जोर-जोर स सास ली जए अदर ख चए और छो ड़एrdquo डॉ साहब न मझ एअदाज म कहा

ldquoडागडर बाब दद करता ह मीठा-मीठा छाती मrdquo प षो म बाब न लबी-लबी सासलत ए कहा

ldquo द खए अटक तो था पर एकदम टाइम पर बला लए आप लोग हमको घबराइएनह अटक रोक दग एक ठो टबलट मrdquo डॉ बाल न बग स एक टबलट नकालत एकहा

ldquoइसको तरत खाइए 15 मनट म राहत मलगाrdquoअब तक कमर म कई लोग जमा हो चक थ लड डन मया भी साइ कल लए प च

चक थ साथ म बजनाथ मडल भीldquoसर कौन टबलट दएrdquo लड डन मया न ज ासावश पछ दयाldquoगस और पन का म स था गस क कारण लॉक हो गया था छाती का पाइप

उसका एयर बाहर करना ज री ह न जी इसी म न बड़ा-बड़ा डा टर मस कर जाता ह ऊदन लगगा सीध हाट अटक का दवाई और इसी म रोगी का जान चला जाता ह हम तो यहीन यान दए च लए अब कोय खतरा नह हrdquo डॉ बाल न एक सफल च क सक क

लवर म कहा असल म तीन साल पहल ऐसी ही कसी टबलट क दए जान स लड डनमया क एकमा बगम अ लाह को यारी हो चक थ सो आज फर उसी हाथ स टबलटदया जाता दख लड डन मया स रहा न गया था और पछ दया था

पर अभी परा कमरा डॉ बाल क च क सक य चम कार स अ भभत था सबकएक ही चचा डागडर बाब बचा लए आज प षो म बाब को यमराज क मह स ख चलाए ऐसा डॉ टर ह गाव म तो सम झए सौभा य ह हम लोग का

तब तक भर लट ब कट दालमोट और मठाई आ चका था डॉ बाल क लए डॉबाल अदर-ही-अदर म करा रह थ आज कछ तो भा य न और कछ उनक आ म व ास नबाजी पलट द थी प षो म सह क प फकन सह न मार खशी क सौ क दो नय नोट डॉबाल क हाथ म रखत ए कहा

ldquoय ली जए डागडर साहब पहला बार फ स द रह ह कसी डागडर को अपन आरपर काह क आप जान बचा लए बाब जी काrdquo

डॉ बाल न नोट ऊपर क जब म रखत ए ह क म कराहट क साथ कहा ldquoअरफ स या आशीवाद ह आपका यही समझ रख ल रह हrdquo

डॉ बाल क लए सच म मल ए नोट फ स नह ब क उनक डॉ टरी का माणप थ उ ह अपनी डॉ टरी का स का गाव-जवार म जमन क खशी थी

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मौसम बदलन लगा था सबह क धप अब ज री लगन लगी थी डॉ बाल क दवा औरआ दोन क काम कर जान क बाद प षो म सह क त बयत भी अब ठ क हो चली थी

वस भी गस का गोला कतन दन रहता पट म प षो म सह घर क खली छत पर कसलए इ मनान स बठ र डयो सन रह थ तभी हाथ म मोबाइल लए फकन सह भी छत परप चा इस समय तक मोबाइल गाव क इ का- का लोग क पास ही था उसम भी गाव मपहला मोबाइल फकन सह क पास ही आया था अ सर नटवक क द कत होन क कारणफकन सह अपन म जल घर क छत पर जा नटवक धरान क को शश कया करताफकन सह जब अपन छत पर टहल-टहल मोबाइल पर जोर-जोर स बात करता तो रसचार

ा त का यह मोहक य र- र तक खत म काम कर रह लोग अपनी कदाल छोड़एकटक दखत

फकन सह क आय यही कोई 40-42 साल क रही होगी प षो म सह कवरासत का भार अब इसी क कध पर था उसन इस लायक अपना कधा बनान म अथकलगन क साथ महनत भी क थी बचपन स ही कसरत करना परकस खाना और भरपरसोना उसक दनचया रही उसन बचपन स लकर जवानी तक म जरा भी समय पढ़ाई-लखाई या कला-सगीत इ या द अन पादक और अ न त प रणाम दन वाल काय म नहगवाया जहा भी समय दया तरत कछ पाया वो खलता भी था तो कट कबड डी जसफजल क खल नह ब क जआ खलता था जसम तरत कछ अ जत कया जा सकअजन करन क यह लत उ बढ़न क साथ बढ़ती गई उसन बना ड ी सब अ जत कएरखा था बना दरोगा बन लोग को र सी स बधवा दता था बना जज बन फसला सनाताथा बना कल टर बन साहब कहाता था पछली बार धानी का चनाव लड़ा पर चनाव मधाधली क शकायत हो जान पर चनाव रद द हो गया था और उस अब आन वाल चनाव काइतजार था

साल भर पहल गाव क बाहर ढाब पर दा पीत व उसक बाहरी गाव क कछलड़क स बहस हो गई थी जसपर उन मनबढ लड़क न फकन सह क तब क परवाहकए बगर उस पर दस-बीस लात-घस बरसा दए थ इस घटना क बाद सह प रवार कह सयत का ाफ थोड़ा गर गया था लोग कहन लग थ अब नया जमाना आ गया परानाफटानी और ठसक नह बदा त करता ह नया ल डा लोग तब स फकन सह थोड़ा फक-फककर ही कदम रखता था

फकन सह छत पर एक कोन स सर कोन नटवक खोजत टहल रहा था क अचानकउसक नजर घर क पीछ वाल द वार पर पड़ी उसन दखा एक आदमी अपना सर गोत

द वार स सट पशाब कर रहा ह यह दख चहरा तमतमा गया फकन सह का वह जोर सच लाया

ldquoकौन ह र बट चोद साला हमर द वाल पर मतता ह रrdquo मतन को तो एक भारतीयचीन क द वार पर भी मत द पर मलखानपर गाव म प षो म सह-फकन सह कखानदानी द वार पर मत दना बड़ी बात थी

फकन सह को च लाता दख प षो म सह भी कस स उठ खड़ हो छत क र लगस झाक फकन सह न ग स म आख लाल कए इधर-उधर दो-चार कदम चल वह सामनपड़ी लकड़ी का एक टकड़ा उठाया और नीच पशाब कर रह आदमी पर जोर स फककरमारा लकड़ी का टकड़ा उस आदमी क ठ क बगल म गरा यह वो दौर था जब सामतवादका नशाना चकन लगा था अब कसी ठाकर साहब क हाथ स चली लाठ ठ क नशान परनह भी लगन लगी थी लाठ क जमीन पर गरत ही पशाब करता आदमी अकबकाकर पटसभाल बगल हटा और छत क तरफ सर उठाए लगभग चढ़ात ए बोला

ldquoका फकन बाब अर स दय आपक परख कतना गरीब ग आ क डायर ट कपार परमत पर कोई उ फ नह कया हम साला पछवाड़ क द वाल पर मत दए तऽ वरासत ढहनलगा आपका गजब करत ह आप मा लकrdquo

ldquoअर साला हरामी तम ह र बर चया तम ढाहगा भरो सह परषो म सह कवरासत को र साला ठहरो नीच आत ह तऽ बतात हrdquo इतना कह फकन सह सी ढ़य कओर उतरन को बढ़ा

तब तक गोली क तरह बरची क एक और आवाज टनटनात ए कान म गई फकनसह क

ldquoआप नीच आ गए ह आपको पत नह ह तऽ हम का करrdquo इतना बोल बरची लबी-लबी डग भर तीन खत फलाग लगा वहा स नकल चका था

बरची कमार मलखानपर गाव का 33-34 बरस का नौजवान था इ तहास स बीएपास कर एमए क पढ़ाई कर ही रहा था क एक हादसा आ और जदगी भर क लएउसका कलम पकड़ना असभव हो गया हादसा भी ऐसा मलखानपर और बगल क कटहरागाव क बीच कट मच म झगड़ क दौरान प लस कस हो गया दबग क परवी थी सोप लस उठा ल गई वहा रात हाजत म खब पीटा एक लाठ दा हन हाथ क कलाई पर लगीऔर तजनी और अगठ क ह डडया बाहर आ ग सरकारी नौकरी क चाहत म कईसरकारी फॉम डाल चका था बरची पर झठ कस और कलम न उठा पान क सदम म पहलतो एक मनोरोगी क तरह घर क एक कमर म बद रहा और जब साल भर बाद बाहर नकलातो जस वो बरची था ही नह कलम छट और उसक जगह चलम आ गई बाय हाथ सचलम उठाकर उस दा हन हाथ का सहारा द सारा अ जत ान को धए म उड़ान लगा वोपढ़ाई- लखाई छोड़ दन भर घमत गाजा-ताड़ी पीना और अपन अधर सपन को कोसना-ग रयाना यही दनचया बन गई उसक लोग उस गजड़ी थथर और पागल कहत कभी-कभी कड़वी जबान क कारण पट भी जाता था अ सर लोग उस लतखोर बोल छोड़ दत

आज तो फकन सह न ही सीध दख लया था अपनी द वार पर पशाब करत एजबान स आग उगल हवा क तरह उड़ नकला था बरची मतन क बाद उधर फकन सहको आग क लपट क तरह सीढ़ स नीच उतरता दख प षो म सह तजी स चलत एगरज

ldquoए फकन खबरदार जो मारपीट कया तो छोड़ो उस गजड़ी को को एकदम नहजाओग उस नीच क पीछrdquo

उ और अनभव न प षो म सह को ोध पीना सखा दया था जब क फकन सहक तो अभी कछ और ही पीन क उ थी

ldquoबाब जी तऽ कपार पर मतवाए और हम लोगrdquo फकन सह न पीछ क तरफ मड़झ लात ए कहा

ldquoकपार पर मता ह या द वार पर न मता हrdquo प षो म सह एकदम नजद कआकर बोल

ldquoबाह बाह र दमाग आपका मन कपार पर मतवान का इतजार कर घर बठक हमजब मत दगा तब बोलग और लड़गrdquo फकन सह न मट ठ पीसत ए कहा

ldquoसनो जरा ठडा दमाग स काम कया करो समझ ऐस गम दखान और उ धयान सराजनी त नह होता ह अभी मारोग बर चया को तऽ माहौल बगड़गा ज दए पचायतचनाव आन वाला ह थोड़ा बदा त कर लो फर दख तो लग उस दोगला कोrdquo बाप नराजनी त क सध खलाड़ी क तरह प को समझात ए कहा

ldquoद खए भाड़ म जाए पोल ट स साला हम हजड़ा बन क नह करग राजनी तआपको पता ह ई बर चया का मतना इसम टोटली पोल ट स ह य कोई करवा रहा हचक नह करग तो मन और बढ़गा इन हरा मय काrdquo फकन सह न सीढ़ पर स खड़-खड़कहा

ldquoअ छा तम जाओ पानी पीओ और शात हो जाओ हम पता करत ह न दस जतामार क भी या बगाड़ लोग उस लतखोर काrdquo यह कहत ए प षो म बाब सी ढ़य सनीच उतर आए तब स खद को सी ढ़य पर ही रोक फकन सह भी पीछ-पीछ सी ढ़य ससनसनाता आ नीच आ गया

राजपत का खन ज द गम नह होता और गम हो गया तो ज द ठढा नह होताबचपन स ही फकन सह घर म अपन बाप-दादा स राजपत का यह वशष र व ान पढ़ताआया था प षो म सह इस लए ज द गम नह होत थ और फकन सह ज द ठढा नहहोता था नीच उतर फकन सह बरामद म रखी कस पर बठ गया

ldquoमा लक चाय लात हrdquo लटक भडारी क धीमी आ ाकारी आवाज आई लटकभडारी प षो म सह क घर का वष पराना वफादार था इसक बाप-दादा नाई का कामकरत थ पर लटक न परपरा स व ोह करत ए उ तरा-कची छोड़ धान जी क घर थ रया-बतन कप- लास उठान का काम पकड़ लया था वो दन भर घर क काम दखता और शाम

होत ही जब फकन सह क मज लस जमती तब काच क गलास सजाता पानी म रगघोलता और जाम बनाता इन सब काय म उसन गजब क व श ता हा सल कर ली थीपानी म दा क कतनी मा ा कतना असर बनाएगी इस काम को वो इतनी गभीरता सअजाम दता जस वो कोई नोबल पर कार वजता रसायनशा ी हो और मानवता कक याण क लए पो लयो या रबीज का कोई नया ट का तयार कर रहा हो उस पता होता थाक फकन बाब कतन पग क बाद बठ रहग और कतन क बाद उलट जाएग कई मह वपणमौक पर जब फकन सह का शाम या रात को कसी जगह उप थत होना आव यक होजाता था तब वो ब कल ह का असरकारी आपातकालीन लाइट पग भी बनान कास ह त था फकन सह को लटक क पग-रसायन ान पर उतना ही भरोसा और गव थाजतना इसरो को अपन व ा नक क ान पर होता ह

लटक क इ ह अ त र यो यता न उस टोल क अ य नाइय क अप ा यादाबड़ा थान दला दया था सीध फकन सह क दल म जगह बना ली थी परा टोला उसफकन बाब का पीए कहता और लटक इस पद क आभा स लहालोट हो जाता और गौरव सभारी होकर कभी-कभी बन पए भी ख टया पर घोलट जाता फकन सह क पीए होन मजो नशा था वो भला दा म कहा टोला म उसक कह का वजन था फकन सह कमज लस म दरोगा बीडीओ सब आत-बठत थ लटक सबको गलास म अपन हाथ का नरपरोसता था मामली सगत थोड़ थी इस तरह नाइय क उ तर स कई गणा यादा उसनअपन हाथ को धारदार बना लया था जसस वो पग बनाता

फकन सह न अनमन ढग स चाय ल आन का इशारा कयाldquoका र का बव था ह साझ काrdquo फकन सह न चाय क पहली सड़क क साथ

कहाldquoजी दसी मगा वा त बोल दए ह माधो कोrdquo लटक न कहाldquoऔर बोतल रrdquo फकन सह न कप रखत ए पछाldquoजी ऊ ामसवक शभ जी ल क आएग आज एक ठो काम भी था उनको बीडीओ

साहब सrdquo लटक न रात का इतजाम प का करत ए कहाअभी-अभी भयकर गम ए और ज द ठढा नह होन वाल ठाकर फकन सह क

खौलत खन को कल करन क ज मदारी लटक क थी जसक व था म वो लग गया था

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बरची म काड करक अपन रोज क साथी लखन लोहार क झोपड़ी वाली कान क तरफनकल गया था लखन लोहार गाव क एकदम उ ट छोर पर अपनी फस क झोपड़ी मलोहारी का छोटा-मोटा काम करता था हल बनाना क चया-हसआ बनाना चाक-कची मधार तज करना यही सब उसक काम थ कभी-कभार कसी इ दरा आवास वाल बनत घर मढलाई का छड़ बाधन का भी छटपट काम मल जाता था बरची परा गाव बौखन क बादअ सर उसक झोपड़ी म बठता एक तरफ लखन लोहार क भट ठ जलती रहती औरसरी तरफ गाजा सलगता रहता बरची अ सर बठ क पटत ए लोह और उस तपती ई

भट ठ को एकटक दखता जब कभी उसक आच कम होती तो खद भी कोयला डाल दताऔर पखा ह क क उस तज कर दता कभी-कभी तो जलती भट ठ स गम कोयल नकालहथली पर रख लता लखन यह दख कहता ldquoअर बरची दा जादा चढ़ गया ह का हाथजर जाएगा महराजrdquo

इस पर बरची म कराकर गम कोयल को वापस भट ठ म डालत ए कहता ldquoबटालखन लोहार पागल नह ह हम ब सनो जलन और तपन म अतर होता ह हम चलगनह rdquo

बरची क ऐसी बात लखन क सर क ऊपर स नकल जात पर लखन बरची क इ जत करता था और उसक समझ न आन वाली बात भी इतन

यान स सनता और समझन क को शश करता जस क बना दात का आदमी मसड़ ससपाड़ी तोड़न क को शश कर रहा हो बरची क त उसक स मान का सबस बड़ा कारणयह था क एक बीए पास आदमी एक अनपढ़ लोहार क साथ गाजा पीता था लखन कलए इसस अ छा जमीनी और चलमनी उदार साथी कौन होता भला

स ची सामा जक समरसता तो ह तान क गाव म ही दखती थी जहा एक हीचलम स परा गाव गाजा पी लता था यहा धआ उड़ात द वान क बीच कभी न जा त कद वार होती थी न ही वषाण का जजाल एक लबी टान और फक स सब खतरा धआ-धआहो जाता था जात-पात छआ-छत बीमा रया तो होश क बात थ बसध मतवाला गाववग होता था गाजा पीत व लखन क झोपड़ी गाव क सामा जक समरसता क लए एक

समतामलक तीथ थली जसी थी जहा राह स गजरत प डत बरागी पाडय भी साइ कल सउतरकर भोलनाथ का जयकारा लगा अपन सामा जक समरसता क कत क एक-दोचलमटान आ त दत थ

भारत क लगभग गाव म जात-पात छआ-छत क रहन क बावजद भी ऐसी दो-चार

झोप ड़या मल ही जाती थ जो रामरा य क आदश क पना का खला य जयम थ यहा सभी जा त-पा त क लोग लाख आपसी बर क बावजद आपस म हसी- ठठोली करतदख जात थ काश य होश म भी ऐस होत तो सच म रामराज आया होता

रोज क तरह लखन लोहा पीटकर ह सया बना रहा था क तभी हाफता आ बरचीप चा झोपड़ी पर

ldquoअर बरची दा बड़ा हाफ रह ह का बात ह कछ कए काrdquo लखन न हथौड़ा रखतए पछा

बरची हसत ए सामन पड़ी छोट बास क म चया पर बठत ए बोला ldquoआज फरमत दए फकन सह क द वाल परrdquo

लखन तरत बोला ldquoअर दादा का करत रहत ह मतन स या होगाrdquoबरची न सामन फट चटाई क पास पड़ी खनी क ड बी उठाई और उसम स खनी

नकाल बनान लगा कछ ण क बाद खनी को हथ लय क बीच रगड़त ए बोलाldquoदखो लखन पशाब म नमक होता ह समझ नमक होता ह अगर रोज कसी द वाल

पर मतो तो धीर-धीर उसम खोल कर उस गरा दता हrdquoलखन क आख अब थर हो बरची क चहर पर टक गई कान कवल बरची को सन

रह थ चलती हवा क साय-साय भी नह बरची अभी कसी समाजशा क ोफसर कभा त बोल जा रहा था और लखन कसी रसायनशा क शर व ाथ क भा त बनापलक झपक सन रहा था

तभी उसक मह स नकला ldquoद वाल गरा आए का दादाrdquoबरची बोला ldquoभक भोसड़ी क एक-दो दन म थोड़ गरगा ब रोज लगना होगाrdquoलखन क ज ासा फर उछली ldquoस कएगा गरान म बरची दाrdquoबरची रगड़ चक खनी को मह म डालत ए बोलाldquoदखन म का जाता ह रोज करग एक न एक दन तो गरब करगा न तम भी साथ द

दो तो ज द गरा दगrdquo लखन तो जस पता नह कस समा ध को ा त कर चका था कईस सग म बड़-बड़ साध-सत को भी सन चका था लखन पर पशाब पर ऐसी नमल ानवाली बात न सनी थी कभी

बरची इस तरह लखन को मह बाए अचरज म बठा दख हसा और उस दोन हाथ सजोर स झकझोरत ए बोला ldquoहा हा हा का आ ब लखना अर होश म आओ अब चलोसाथ दोग नrdquo

इतना सनना था क लखन यान स उछलकर बोल पड़ा ldquoए बरची दा ई महान कामआप ही कर ली जए हमको मत जान बो लए हम बाल-ब चा वाल गरीब आदमी हपकड़ा गए तऽ पलाऽ जाएगrdquo

दोन जोर स हस

ldquoजरा पानी पलाओ हमको अब ब त दौड़ ह आजrdquo बरची न गमझ स माथा प छतए कहा

लखन अपनी बोरी स उठा और घड़ स लोटा भर पानी नकाल बरची क तरफबढ़ाया बरची न लोटा उठाया एक सास म आधा लोटा पानी गटक गया लोटा रखत हीबरची न फर बोलना श कया

ldquoअ छा लो पानी स याद आया हम फकन सह क आग वाला नल स ही पानी पीपछवाड़ कर दत हrdquo बोलत ठहाका मार उछल पड़ा बरची लखन भी जोर स हसा औरबोला ldquoई तऽ गलत बात ह बरची दा आप उसी का पानी पी उसी पर कर दत ह ई तऽनमकहरामी हो जाएगा दादाrdquo

ldquoअब झाट नमकहरामी होगा लखन बाब परा गाव क सब चापानल खराब ह एक भीनह बनवाया फकन सह ऊपर स अपन आर पर दो ठो नल गड़वा लया ह पीएचडीवभाग स बोलकर आधा गाव फकन सह क आर स पानी लता ह नचलका टोला सदन भर ब -बट जाती ह पानी लान तऽ कभी बठ क ताड़गा तऽ कभी कछो टोक बोलदगा ई सब नय दखता ह तमलोग कोrdquo

पर लखन भी आज अपनी सारी ज ासा शात ही कर लना चाहता था शायद झट सबोला

ldquoल कन पानी तो ह फकन सह का न ऊ ऊहो न द पानी लन तऽ पानी बन मर जाएआधा गावrdquo इतना बोल उसन जलती भट ठ म एक लोह का टकड़ा गम करन को डालाइधर जस बरची गम होकर धधक गया आख लाल हो ग अचनाक वो अपनी बास कम चया लकर लखन क और करीब सट गया और बोलना श कया

ldquo कसका पानी कसी क बाप का पानी ह का पानी तो धरती क नीच ह और सबकाह अर ऊ तऽ हमार ह स का पानी अपना चापाकल लगा नकाल रहा ह और हमार घर कब -बट लाइन लगल ह उसक आर पर साला क सनमा दखता ह ऊ आर पर चाहतो सारा चापानल बनवा दता गाव का पर नह करता ह कोई बात नह हम तो जो करसकत ह करब करग न मत दत ह साल क द वार परrdquo बोल क एक लबी सास ली बरचीन

ldquoबाप र एतना दमाग नह ह बरची दा हमर पासrdquo लखन न भट ठ ह कत ए कहाबरची भी अब मड बदलना चाहता था उसन जब स चलम नकाला और बगल म

रख लोट स पानी ल उस धोया एक गजड़ी अपन चलम को ऐस धो-प छ और लाल कपड़स लपटकर रखता था जस वो कोई चलता- फरता भरव जी का म दर हो

ldquoसनो छोड़ो अब बकचोद बट नकालोrdquo बरची न कत स चलम प छत ए कहाबट का अथ गाज स था अ सर गाव म लोग गाजा को बट सजीवनी या साद जसप ब र और म हमामयी स ा स ही वभ षत कर उस बड़ी प व ता और प न तकता सलत-दत थ लखन भट ठ छोड़ उठा और कोन पर रखी बा ट स पानी ल अपना पर-हाथ

धोया फर गमझ स प छ वापस अपनी बोरी पर आया और बोरी क नीच स एक प ड़यानकाल बरची क तरफ बढ़ाया उसन जस ा स हाथ-पाव धो-प छ दा हन हाथ मप ड़या ल उस बाए हाथ स पश कर बढ़ाया इतनी ा और प व ता स क ब त-स लोगशायद दवता क सझा-बाती भी न करत ह ग

बरची न प ड़या खोल बट को हथली पर लया और उस थोड़ा साफ करन और चननबनन लगा उसक यह त मयता दख चावल स ककड़ चनती कशल गहणी भी लजा जातीतभी लखन न आ खरकर फर एक सवाल दाग दया ldquoअ छा एक ठो ला ट बात पछबरची दाrdquo

ldquoला ट काह जतना पछना ह पछो हम मर थोड़ रह ह अभीrdquo बरची न हथली मबट मसलत ए कहा

लखन बोला ldquoई बताइए य फकन सह क द वाल गरान स या होगा इसका काफायदाrdquo

ldquoभक ब साला भकलोल हा इसस दश का धानम ी थोड़ बदल जाएगा दश थोड़बदल जाएगा बrdquo बरची न हसत ए कहा

लखन तरत बोला ldquoवही तो का फायदा दवाल गरन स ई पागलपती का याफायदाrdquo

अबक लखन न असल म चलम स पहल बरची को सलगा दया था बरची न मनटभर कछ नह कहा गाज को चलम म भरा मा चस मारा और एक लबी फक मारी फरसरी फक स प हल जोर स जय भोलनाथ का एक झोपड़ीभद जयकारा लगाया अगर बस

घट बजा द जाती तो लगता ही नह क दो गजड़ी गाजा पी रह ह लगता कलाश पवत परसा ात शकर जी नद क सग सबह का ना ता कर रह ह

दो-तीन फक लन क बाद परी झोपड़ी द धए स भर गई थी एकदम आग नकधआ अब चलम लखन क तरफ बढ़ा दया बरची न और म चया स उतर बोर पर पसरकरबठ गया

ldquoहा तो का पछ थ लखन कमार का फायदा दवाल गरान स तो सनो द वार गरादन स गाव क भखी बकरी को धान जी क गाडन का हरा घास मल जाएगा खान आमऔर अम द का हरा प ा मल जाएगा खान द वाल गर जान स लगना महतो क भखलभस को पआल मल जाएगा खान जो फकन सह क हाता म पड़ल सड़ता रहता हचमरटोली क म नया और चदवा जसी छोटक ब चया क बला और गदा का फल मलजाएगा बाल म लगान क लए फाटल पट पकड़ ग ली डडा खलत ब च को आधी म दौड़क चनन क लए आम मल जाएगा मीठा एकदम गछप क आम द वार गर जान स जसहम सबक ब -बट को फकन अपन आर दखता टोकता ह हम सब भी इनक घर दखपाएग चाची को णाम करग भौजी को णाम कर पाएग अब एतना कछ हो जाएगा एकद वाल गरन स ई का कम ह ब और तम कहत हो या होगा द वाल गरन सrdquo

लखन न कछ ब त यादा न समझत ए भी हा म सर हलाया और ऐसा जताया कजस उस सब बात समझ म आ गई ह और वो सहमत भी ह

सबह स ग प करत-करत कब पहर भी ढल गई और शाम आन को हो गई पता भीनह चला गाव म अ सर पहर बीतत ए शोर नह मचाता सबह स शाम इठलात ए होजाती ह आज बरची क दशनशा वाल म वशष वचन क च कर म लखन पहर काभोजन भी करना भल गया था आज दोन फलाहार म रह गए कवल बट लकर

ldquoअर कतना बज गया र लखनrdquo बरची अचानक बोलाldquoली जए साढ़ तीन बजन लगा कस बज गया होrdquo लखन पीछ बास पर टगी घड़ी

दख बोलाldquoहाय र तम हमर फर म खाना भी नय खा पायाrdquo बरची म चया स उछलता आ

बोलाldquoआज एतना चीज खला दए आप का का समझा क भख एकदम बझाया ही

नह rdquo लखन बा ट म लोटा डालत ए बोलादोन को भख का यान ही न रहा था असल म पीठ पर दन भर क काम का बोझ

और महनत क चाबक पड़न स उपजी भख पट पर जोर दती ह दद दती ह इस लए मज रछटत ही रोट क तरफ दौड़ता ह यहा तो पड़त हथौड़ और गम भट ठ क ध क स पल-पलपशाब और द वार क बहान वचार क चगारी फट रही थी पट बरची क जलत म त कक आग शात बठा था सारी हलचल दमाग म थी पट म एक गड़गडी भी नह उठ आजबरची व ान बौ भ क नागसन क तरह बोलता और लखन यनानी राजा मनादर कभा त सन जा रहा था लखन क झोपड़ी म तो आज जस नया म लदपाह रचा जा रहा था

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समय खत जात बल क तरह चला जा रहा था कसी को ढोत ए तो कसी को जोतत एगाव म जदगी एक गाय थी और सघष उसका चारा इसक अलावा चारा भी या था एकबात थी क भल स वधाए चाह कम या मद ग त स प ची थ गाव म पर क त न अपनीओर स इतन मन स गाव को सजाया था क शहर क लाख ब या और रोप गए क मसजावट पाक कभी उसका मकाबला नह कर सकत थ

मलखानपर स हत पर इलाक म अभी बसत चढ़ ही रहा था और फगनाहट क आहटआन लगी थी आम क बौर इ क तरह गमक रह थ पलाश क लाल नारगी फल अपनाशा मयाना तानन क तयारी म थ कोयल न क क-क क व वध भारती गाना श करदया था गाव क परब म एक कचनार का पड़ था जब जब परवईया बहती परब स चलीहवा गाव क प म-उ र-द ण तीन कोन क पोर-पोर गमका दती

एक ऐस ही गमकउआ मौसम म गाव का गणशी महतो अपनी साय कल स चल जारहा था सीध लखन क झ पड़ी क पास क उसक साय कल

ldquoआइए गणशी चचा आप ही का कदाल बना रह थ खरपी तो तयार कर दएrdquoलखन न गणशी महतो को दखत ही कहा

ldquoअर हा ऐ लखन तनी आज साझ तक द दो बटा अलआ कोड़ना ह कल भोर सrdquoगणशी महतो गाव क ही नचलका टोला म रहन वाला कसान आदमी था उ यही

कोई 60 बरस क करीब सटन को थी लगभग 6-7 बीघ क खती थी महनती आदमी थाखद स खती कर जदगी क गाड़ी कसी तरह ख च ल रहा था खती स इतना हो जाता थाक दो टाइम एक स जी क साथ भात-रोट आराम स खा सक और पव योहार मचमचमआ कता क साथ नई धोती पहन मला घमन जा सक बड़ी उ म आ एक 20-22वष का बटा था नाम रो हत महतो उसको भी अभी इटर तक पढ़ा चका था गणशी महतोआग क पढ़ाई करना या न करना बट पर ही छोड़ रखा था

इस बार आल क फसल अ छ ई थी गणशी महतो कछ सहयोगी मज र खोजननकला था जो सबह आल कोड़न म उसक मदद कर सक

बट रो हत क खती-बाड़ी या घर क काम म हाथ बटान क इ छा कभी रही नह औरन गणशी महतो न उस इसम घसीटन क जबरद ती क

एक अकला बटा था और वो भी जवानी क सीढ़ चढ़ता नौजवान लड़का इस दश मचाह अमीर का बटा हो या चाह कसान-मज र का पर इकलौता होन का जो व श बोधहोता ह वो सब म समान होता ह उसक सार नाज-नखर का औसत समान होता ह फसल

व स यादा वश व क फ म गणशी महत जसा कसान पता भी बट को इकलौतहोन क आनद भाव स साराबोर हो वो सब कछ करन क छट द दता ह जो शायद उसकऔकात स बाहर का भी हो रो हत क रहन-सहन क शली गणशी महतो क क पना सआग क थी डजाइनदार ज स पर चाइनीज कॉलर क शट और सफद जता पहन रो हतको हरदम टप-टॉप अदाज म दख गणशी अ सर खत म गमछ स पसीना प छ रो हत मअपना चमचमाता फशन भरा भ व य दख मन-ही-मन बड़ा सकन पाता था

अपन दादा-बाप क ही परपरा स खती कर ठ न भर क धोती म जदगी नकाल दनवाल गणशी महतो क लए बट क तन प ज स तक का सफर एक बार तो दन बदलन कासतोष द ही दता था रो हत अपन मजाज म गणशी क खती-बाड़ी क वरासत का व ोहीथा उसक टोल क अ य हमउ जहा खत म बाप सग हल जोत रह होत वो गाव क सपघर क हमउ सा थय सग कसी लाइन होटल वाल ढाब पर दाल तड़का और मछली परकरकरी रोट तोड़ रहा होता पछल 4 साल स इटर पास कर आग क पढ़ाई का लान बनारहा था और इसी गभीर योजना पर वमश हत रोज सबह 10 बज नकलता और रात को10 बज घर प चता दन भर अपन दो त क बाइक पर पीछ बठ सर पर टोपी लगा जबवो गाव क क ची सड़क पर धल उड़ात गाना गात नकलता तो कोई भी दखन वालाआसानी स कह सकता था क भारत नया म सबस खशहाल कसान वाला दश ह जीवनभर हल चला कसी तरह जीवन का हल नकाल घर चलान वाल गणशी का बटा लगभग हरतरह क बाइक पर सफर कर चका था जो गाव क अ य शोहद लड़क न अपन-अपन बापस पसा वसल खरीद रखा था हाला क रो हत अभी खद बाइक चलाना नह जानता था परसीखन क बल इ छा थी कई बार दो त स कहा पर शायद उस नह पता था क बड़ घरक लड़क अपनी लगाम छोट क हाथ नह स पत उस हमशा पीछ बठना ही नसीब था अबतक

गणशी महतो जब अपन बट रो हत को गाव क अ य सप लाडल क सगत म उठता-बठता दखता तो उस लगता क आ खर उसन अपन भ व य को इस खत क कादो-क चड़ सनकाल प क जमीन पर खड़ा कर ही दया जहा बाइक ह ढाबा ह बड़ घर म आना-जानाह रो हत का कछ तो ऐस लड़क स भी सबध था जन लड़क को उनक बाप क रसख ककारण गणशी महतो ही णाम करता था और व लड़क गणशी महतो को महतो कहपकारत कछ ऐस भी थोड़ ग तशील बालक थ जो दो त क पता होन क कारण गणशीको चाचा बलात थ पर बाद म उ ह न अपन बचपन क नादानी सधार ली

पर चाह जो हो इन लड़क क साथ अपन य रो हत को बराबरी म बठता खातापीता दख गणशी अपना वतमान और भ व य दोन साथक समझता

उधर गणशी महतो बगल क दहात स आल कोड़न को दो आदमी जगाड़ कर वापसी मलखन क पास स खरपी-कदाल लए वापस घर आ गया था रो हत का एक दो त उसबाइक स छोड़न आया था बाइक ाट ही थी और दो त बोल जा रहा था

ldquoआज ठ क नह कया द प त हार साथ साला एतना ब जती जरा-सा बात क

लए हम तो नय बरदा त करत यारrdquoरो हत न हाथ बाइक क हडल पर धर कहा ldquoअ छा दखना न हम भी बता दग उसको

अपना औकात हम भी असली कम हrdquoगणशी दोन क बात सनकर भी अनसनी कर अदर चला गया वो जानता था बड़

सगत म छोट -मोट बात तो होती रहती होगी और फर उसका बटा भी तो इतन बड़-बड़सबध नभाता ह ऐस म मझ जस छोट आदमी क बीच म घसन का कोई मतलब नह

तब तक बाहर स बाइक क फर स नकलन क आवाज आई और रो हत घर क अदरआकर खाट पर बठ गया था

ldquoका बात ह कौन टशन ह काrdquo गणशी न कदाल म बत क लकड़ी डालत एपछा

ldquoकोय टशन नय ह टशन का रहगा ई कछ लोग बड़ा होन का घमड दखाता हहमको छो ड़ए न हम दख लग ऐ माय खाना लगाओrdquo

रो हत न ख टया पर बठ-बठ जता उतार क फकत ए कहामह स खाना श द नकला ही था क मा थ रया लए दौड़ी रो हत क ओर थाली म

पड़ी ठढ रोट छत ही रो हत का मड गम हो गयाldquoका ठढा रोट द दती हो साला का खाए खाना ई घर मrdquoमा न हसत ए कहा ldquoअब बहा कर लो जनानी आएगी वही खला दगी गरम-गरम

बना कrdquoयह सनत गणशी महतो न भी हसत ए एक सर म कहा ldquoएकदम ठ क बोल उमर हो

गया अब ज मदारी लन का गह थ जीवन टाइम पर ठ क लगता भी हrdquoरो हत यह सब सनन क लए घर नह आया था वो बगल वाली कोठरी म घस चौक

पर लग अपन ब तर पर लट गया पीछ-पीछ मा रोट गम कर ल आई रो हत न चपचापबना कसी ना-नकर क खा लया और वापस लट गया

तड़क सबह उठ गणशी महतो कदाल खरपी ल आल कोड़न खत क तरफ नकलगया वहा पहल स दोन आदमी भी प च चक थ बड़ी म कल स बगल दहात क अपनसाढ क लड़क को समझा-बझाकर लाया था गणशी महतो असल म काम यादा था औरअगर ज द आल नकाल मडी प चा दता तो अभी नय आल क अ छ दाम मल जातमज र तो मलन स रह और रो हत खत आता नह ऐस म अपन सबध म स ही मान-मनहार कर आदमी जगाड़ करना पड़ा था गणशी महतो को बदल म गणशी को भी उनकफसल बोआई क समय मदद करन जाना तय आ था गणशी अपन साढ क दोन लड़कक साथ आल नकालन म भड़ गया गणशी न आज जाना था म कल म अपन नह साढ क ब च काम आत ह खत म काम करत करीब दो-तीन घट बीत चक थ सबह कासरज अब धीर-धीर गम हो चला था क तभी गणशी क नजर र स खत क तरफ आतरो हत पर पड़ी

ldquoअर वाह आज तऽ रो हत भी आ गया खतrdquo गणशी न खरपी मढ़ पर रखत एपानी क बा ट क तरफ जात ए कहा

ldquoआएगा काह नह अब बड़ा हो गया ह ज मदारी समझ आन लगता ह ई उमर मrdquoगणशी क साढ क लड़क न आल बोरी म भरत ए कहा

तब तक रो हत खत क कनार प च चका था वो अब आल भरी एक बोरी पर बठगया और मह स नाखन कतरन लगा गणशी न उसक बठत ही पछा ldquoअर का आ तम प च गए आल कोड़न बाह चलो ज द समटा जाएगा तब तो कामrdquo

रो हत ह क -सी म कराहट क साथ तरत बोरी स उठा और गणशी क करीब आकबोला ldquoबाब जी एक ठो बात बोलना था आपसrdquo

ldquoहा बोलो नrdquo गणशी न गमझ स मह प छत ए कहाldquoद खए इ जत का सबाल ह और इ जत स यादा ह क काम का बात ह इसस

आपको भी फायदा होगाrdquoldquoका इ जत का फायदा रात स तम मह फलइल ह कछ बोलवो तऽ करोrdquoइस बार रो हत एक झटक स बोला ldquoजी उ हमको मोटरसाय कल खरीदना हrdquo

गणशी महतो आल क बोरी सर उठाए कनार कर रहा था पर यह सनत वह बोरी हाथ सछट गई

ldquoका मोटरसाय कल का रो हत का ज रत ह इसका अभीrdquo गणशी रो हत कतरफ दखकर बोला

ldquoद खए बाब ई खरीदना होगा साला कल सपरन भगत का लड़का दपआ बीचबाजार ब जत कर दया बीस आदमी क सामन बोला औकात ह तऽ अपना मोटरसाय कलखरीद क चलाव ई बार आल बच क पहला काम जा क मोटर साय कल खरीदना हrdquoरो हत हाथ म दो-तीन नय आल उठात ए बोला

ldquoअर बटा अब जरा-जरा-सा बात पर मोटरसाय कल खरीदना ठ क ह काrdquo गणशीमहतो न सब समझत ए भी समझात ए कहा तब तक गणशी क साढ क दोन लड़क भीपास आ गए

ldquoका कर ठ क रहगा का मोटरसाय कल लनाrdquo गणशी न जनमत वाल अदाज मउनस पछा

ldquoद खए मौसा आज क टाइम म एक ठो गाड़ी तऽ घर म होना ही चा हए आन-जानका मरजसी म ब त ज रत पड़ता ह गाड़ी काrdquo एक लड़क न रो हत क प म बना फ सलए वक ल क तरह जोरदार वकालत म कहा अब रो हत को मौसर भाइय का साथ मलगया था

ldquoवही तो घर क खा तर ही जोर द रह ह खरीदन का फसल भी मडी ल जाना हो तऽमोटरसाय कल स आराम स चल जाएगा तीन पाकट आल या सरस आराम स जाता हमोटर साय कल परrdquo रो हत न बाइक क घरल और क ष सबधी व भ उपयोग पर काश

डालत ए कहाldquoठ क ह अब हम का बोल एक तऽ इ जत वाला बात आ सरा क जब सब कह

रहा ह क एतना ज री चीज ह तऽ ठ क ह खरीद लना ई आल नकलन दो इसको बचखरीद लना और का बोलगrdquo गणशी न कदाल उठात ए कहा

इतना सनत ही रो हत क चहर पर खशी क लहर हलोर मार उस लाल कर गई उसनमन-ही-मन सपरन भगत क लड़क को परा त कर दया था वो मट ठ भ च नाच रहा थामन-ही-मन

मार खशी क हाथ म दो नय आल उठा उस उछालकर कच करता पदल जब फलागमार खत स नकला तो लगा जस फल और काट फ म म अजय दवगन बाइक स टटकरता नकला ह गणशी महतो हाथ म कदाल लए एकटक उस खत स र जाता दख रहाथा गणशी नणय नह ल पा रहा था क वो अभी या कर बट क इ जत और मन कलाज रख लन क खशी मनाए या कमान स पहल तय हो गए खच पर कलस गणशी नबना कसी न कष पर प च पानी भरी बा ट क पास रख लोट स भर लोटा पानी पयाऔर खत म वापस काम पर लग गया वो कदाल क चोट क साथ अब मोटरसाय कल कोड़क नकाल रहा था

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रोज क सबह क तरह मरारी क चाय कान पर जगद श यादव बजनाथ और बरागी पडीजी एक ही अखबार क अलग-अलग प लए दश- नया क खबर को अपन-अपन वरम पढ़ जा रह थ गाव म अ सर ऐस लोग मल जात जो अखबार को जोर-जोर स बोलकरपढ़त इस लाउड पीकरी स वर पाठ क पीछ उनका एक सामा जक दा य वबोध होता कबाक लोग को बना अखबार पढ़ अ धक-स-अ धक जानकारी मल जाए

ldquoली जए प ढ़ए समाचार नकली ध पकड़न वाला मशीन बन गया हrdquo जगद शयादव न लगभग सबको जाग क करत ए ऊच वर म कहा

ध-दही स सब धत एकदम घरल समाचार को सनत सभी जगद श यादव क तरफदखन लग

ldquoकस पकड़ता हrdquo बजनाथ न लगी उठा पर को बच पर ऊपर समटत ए पछासार लोग मशीन क बार म आग क कहानी जानन को उ सक थजगद श यादव न लगभग मनट भर बड़ यान स बदबदात ए समाचार को पढ़ा और

गभीर हो बोलldquoइसम ऐसा स टम लगाया ह क मशीन को भर बा ट ध म डबा द जए और फर

चक कर ली जए अगर मलावट आ तो लाल ब ी जल जाएगा और ध असली आ तोहरा ब ी मन एक बद भी पानी आ तऽ खटाक लाल ब ी जल जाएगाrdquo

इतना सनना था क मरारी क दोन कान खड़ हो गएउस यह समाचार उसक नजता का हनन जसा लगा था

य क अभी थोड़ी दर पहल ही तो उसन अपन बहद नजी ण म खशी-खशी तीनलीटर ध म दो लीटर पानी फटा था यह बात अलग थी क उसी अधपानी र ध को वोजब मट ट क कतर म घट खौलाता तो उसक स धी खशब सौ फ सद वाल असली ध परभारी पड़ती थी अब उस लग रहा था क उसका यह खास नर ऐसी ही कोई मशीन पकड़न ल एक दन

तब तक लड डन मया भी प च चक थ उसन एक कन खया म कान क साथ मरारीको दखा

मरारी न मह घमा अपनी आख चाय क खौलत पतील क तरफ कर लीतभी खनी का ड बा नकाल बरागी पडी जी न उ सकता क चरम को छत ए पछा

ldquoदाम कतना ह इसकाrdquo

यह सवाल पछत व पडी जी जस गभीरता स सनी रगड़ रह और दख रह थ क लगरहा था अगर दाम ठ क-ठाक रज म रहा तो पडी जी अभी क अभी यह मशीन खरीद नआए

ldquoअ छा य लोहा का ह क अ म नयम काrdquo बजनाथ न मशीन क तकनीक बनावटस सब धत सवाल पछा

ldquo15 हजार दाम ह इसका लोहा कस होगा मद ध म लोहा घसगा तो फट न जाएगाजी ध फोटो दया ह द खए न सब लोग भाई हमको तो अ म नयम भी नह कोनोमजबत फाइबर बझाता हrdquo जगद श यादव न एक अनभवी धातकम वशष क तरहबताया

इन सब चचा क बीच मरारी चपचाप अपन ाहक को चाय दए जा रहा था बीच-बीच म लककर अखबार म उस मशीन क फोटो दख लन क को शश भी कर ल रहा था

आज ऐसा पहली बार था क जब वो अपनी कान पर हो रही चचा म शा मल नहथा वो तो मन-ही-मन बस यह सोच रहा था क कह गलती स भी य मशीन कोई गाव म नल आए साला साला सब लाक हमर ही भगोना म डबो दग मशीनवा को

मरारी इसी अक पनीय भय स मरझाया चाय बच रहा था एक ऐसा भय जसकासभव होना असभव था पर भय तभी तक ही तो भय ह जब तक क कट न हो जाए जब

कट हो ही गया तो फर भय कसा फर तो सामना करना होता ह व सग प क पछ और लबी ई जा रही थी क तभी गणशी वहा साय कल लए प चा

गमझ स पसीना प छ सबको राम राम कयाldquoका गणशी दादा आल कोड़ा गयाrdquo दखत ही बजनाथ न पछाldquoहा बजनाथ आल तऽ मोटा-मोट कोड़ लए बड़ा खटनी हो जाता ह अकल ई

कसानी पार नह लगन वाला अब अब तऽ न जन मज र मलता ह न ही स ता खाद बीजसाढ क लड़का को पकड़ क लाए तब जा क आल नकाल कोड़ कrdquo गणशी न ऊघतीआवाज म कहा

ldquoअर त हरा लड़कवा भी तो हrdquo बरागी पडी जी न साथक सवाल दागाldquoआजकल क लईका-ब चा खत म जाना चाहता ह का पडी जी हम भी बोल क

छोड़ो भाई पढ़ा- लखा क काह आल कोड़वाए खत म हम तो चाहत ह पढ़- लख कहछोटा-मोटा भी नौकरी पकड़ ल तो ई कसानी स जान छट अब कसानी म कछ रखा नहह पडी जी ऊपर स हमर लड़कवा का सगत भी एतना हाय-फाय हो गया ह क अब उससकदाल-खरपी छअल भी नह जाता हrdquo गणशी न दा तान-ए- कसानी और क सा-ए-बटासनात ए कहा

इतना सनत ही बरागी पडी जी का भी बरा य फट पड़ा जसldquoहा ठ क कह गणशी नया जग का लड़का पराना काम नह करना चाहता ह भाई

हमारा लड़का भी बोला क पजा-पाठ का धधा नह होगा हमस बताइए ा ण क स कार

को धधा कहता ह हम भी बोल क जाओ साला जब ल हम ह धम-कम नभा दत हलड़का को जो सरा काम-पानी दखना होगा दखगा इतना जजमानी कोई नह सभालनवाला जाएगा य सब का करग कपार पीट कrdquo बरागी पडी जी न भी अपना दद साझाकरत ए कहा

ldquoचाय पीना ह का गणशी दाrdquo जगद श यादव न अपनी ओर स धीमी आवाज मपछा

गणशी तक शायद आवाज नह ही प ची थीएक लबी सास लए गणशी अब अपन आन क योजन पर बोला ldquoअर स नए न सब

लोग हम एक सलाह लन आए ह आप लोग स हो ई हमारा लड़कवा जद कर दया ह एकठो मोटरसाय कल वा त अब ई बताइए कौन कपनी क गाड़ी ठ क रहगाrdquo

ldquoबड़ा तगड़ा आल आ ह अबक गणशी चाचा कrdquo बड़ी दर बाद हसत ए बोलतादखा मरारी

गणशी पहल तो जरा-सा झपा और फर हसत ए बोलाldquoअर नह मरारी उ कल लड डआ क बड़ा बज ी कर दया सकदरपर क कछ

लड़का सब सपरन भगत क लड़कवा ह कोई उह कह दया क अपना गाड़ी खरीदन काऔकात नह ह तऽ सर क मोटरसाय कल पर काह चढ़त हो सरा कऽ गाड़ी प फटानी नकरो यही सब उ टा-प टा खब बोला ह अब एतना भी बज ी कोई सहगा हो खाना-पीनासब छोड़ल ह घर म लड़कवा हमार हम बोल चलो खरीद लो भाई पसा साला इजत स बढ़क थोड़ ह गाड़ी भी घर- आर क काम ही तऽ आएगाrdquo

ldquoओ हो तो ई बात ह एकदम एकदम खरी दए साला काम ताम छो ड़ए साला जबइ नह रहगा तऽ पसा जमा करक का होगा चाचा जान ली जए फसल एक बार खराबहो जाए तऽ अगल साल फर उग आएगा ल कन इ जत एक बार खराब हो गया तऽ बारानह ठ क होता हrdquo मरारी न जोरदार समथन कर इ जत क मह व को जस आ ामकअदाज म सनाया क गणशी महतो क खली मट ठ बध गई

दन भर गाव म इ जत क एक श द सनन को तरस जान वाल गणशी को सभी नमल आज इ जत क मोटरसाय कल पर चढ़ा दया था मरारी क च ह स नकल कोयल कधए क आख म जान क बाद भी गणशी न पलक नह झपकाया उसक आख म अबइ जत बचान का मशन था उस अपन नणय पर भतर-भीतर भयकर फ होन लगा थाअदर खशी थी और बाहर चहर पर मोटरसाय कल खरीदन क गभीरता

वहा बठ सभी लोग न इस मद द प अपना खला समथन द गणशी क मोटरसाय कलखरीदन क नणय को एकदम सप कर दया बरागी पडी जी न तो परा इ जत पराणबाचत ए बकायदा कई धा मक सग कह क कस कल क मयादा और स मान हत कतनदवता और महाप ष न भी सब कछ दाव पर लगा दए थ कतन याग और ब लदानकए यहा तो गणशी का काम बड़ स त म नपट जाना था

कवल एक साल क आल क फसल क ही तो बात थीइस महगाई क जमान म भी मा तीस-चालीस हजार म कल क मयादा बच जाए और

या चा हए एक आम आदमी को अब गणशी बट स यादा उतावला हो चका थाldquoय बताइए आप लोग क कौन गाड़ी ल स ता म ब ढ़या बताइएrdquo गणशी न अधीर

होकर पछाldquoबजाज ली जए बजोड़ अभरज हrdquo बजनाथ न तपाक स कहाldquoअर भ क एकदम नह गाड़ी साल भर म झनझना जाएगा खटहरा हो जाएगाrdquo

मरारी न बतायाldquoआख मद क हीरो ह डा ली जए आप जब चा हए बच द जए पौन दाम म बकगा

रसल भल ब त ह हीरो ह डा काrdquo ब त दर स खनी रगड़ रह लड डन मया न खनी गणशीक तरफ बढ़ात ए कहा

लगभग सभी का जोर इस बात पर यादा था क कौन-सी कपनी क गाड़ी लन कबाद उस बाद म बचन पर दाम ठ क-ठाक मल जाएगा असल म गाव क दश भारत ममानसन भारतीय क ष क साथ जआ ह यह बात ऐस ही नह कही जाती यहा कब कसवष का मानसन कसान को मोटरसाय कल खरीदवा द और कस बार खरीदा आ बकवाद कोई नह जानता शायद इस बात क एक वाभा वक समझदारी गाव क कसान मज र या छोट-मोट कामगार क दमाग म वतः घसी ई थी

कल- मलाकर हीरो ह डा क सीडी डॉन बाइक का खरीदना तय कर दया गया यहमत सवस म त स पा रत कर दया गया क ज द-स-ज द बाइक खरीद सकदरपर जासपरन भगत को खबर कर जवाब द ही दया जाए सपरन भगत क व नदा ताव कोस ल ट करन क लए सबक लए गणशी क तरफ स चाय का ऑडर दया गया

सभी अभी चाय क कप पकड़ ही थ क घर-घर करती एक काली राज तमोटरसाय कल ठ क कान क सामन खड़ी ई

जगद श यादव न अदब स उठकर णाम कया बाक लोग न भी अ भवादन कयायह कामता साद थ हाई कल म इ तहास क श क थ अभी भी गाव क समाज म

श क क लए एक वशष स मान का भाव बचा-खचा था उसम भी कामता बाब तो पढ़-लख श क म थ अ सर लोग चचा करत डबल एमए कए ह

इसस पहल बस हाल ही म सकदरपर क ाइमरी कल स धाना यापक क पद सरटायर ए च भषण बाब क बार म ही कहा-सना जाता था क डबल एमए ह

गाव-दहात म अ सर ठ क-ठाक पढ़ और नातक नातको र कर लए आदमी कसाथ डबल तो अपन-आप ही जड़ जाता था

यह लोग एक बार एमए करन क बाद फर सरी बार एमए य करत थ यह रह यकोई न जान पाया था न कोई पछता था उनस यह भी एक सयोग ही था क ऐस अ धकतरव तजन बस कल स लकर जला कायालय म करानी तक क ही पद पर पाए जात थ

ऐस लोग को अ जी का भी थोड़ा इ म होता था यह लोग अ जी भल न बोल पाएपर अ जी ामर पर पकड़ का इनको भयकर आ म व ास होता था और यही बात इनकोगाव-समाज म वशष थान दला दन क लए काफ थी

जट टस पा ट टस और यचर टस का इ तमाल कर ासलशन बनान क इनकपकड़ उतनी ही मजबत होती थी जतनी गद को पन करान म अ नल कबल क

इन सब यो यता स लस कामता बाब कई वषय क ाता थ भल एक हाई कल मश क ह पर दश- नया क तमाम खबर म च रखना और पढ़ना उनक आदत म थाएक प और एक प ी क पता कामता साद न अपन ब च क श ा पर खास यान दयाथा

पढ़ाई- लखाई क त इसी सजगता का नतीजा था क उनका बटा शखरराजनी तशा म एमए करत ए द ली क एक स मा नत व व ालय म पढ़ रहा थाऔर बट व ा बनारस क कसी व व ालय म

ldquo णाम सर आइए ब ठए बड़ा ज द नकल दए ह कहा का जतरा हrdquo जगद शयादव न खड़-खड़ ही पछा

ldquoअर णाम णाम ब ठए सब अर का बताए यादव जी उधर कछ दन वाइफ कइलाज क लए द ली चल गए थ इधर साला जला श ा अ धकारी घस गया कल औरअपसट मार दया हमारा कायवाही क लए भी लख दया अब वही खबर भजवाया हक आ क साहब स मल सब क लयर कर ली जए ज द नह तो बाद म बात बढ़ा तोयादा खचा हो जाएगा नौकरी का तीन-चार साल बचा ह नह चाहत ह क कोनो दाग लग

ला ट-ला ट मrdquo कामता बाब बच पर बठत ए बोलldquoआपका रकाड बदाग रहा ह सर खद अ धकारी कया होगा का डबल एम वस ई

जला श ा अ धकारी भला आदमी ह सर जसा क हम सन ह पसा भी जनवीन ही लताह तग नह करता ह एक-दो मा टर साब तो 6 महीना अपसट मार क भी मल थ इनसबचारा क लयर कर दया नह कया तगrdquo जगद श यादव न एक भल अ धकारी कपरोपकार का क सा सनात ए कहा

ldquoहा अब भाई फस ह तो दना ही होगा चाह अ धकारी जसा हो खर और का हालहो गणशी लाल इटर तऽ पास कर गया न बटाrdquo कामता बाब न गणशी क तरफ दखत

ए इ जत और बाइक क चचा स इतर अपन मजाज का सवाल पछाldquoहा मा टर साब आप सब क आशीवाद स इटर कर लया पछल ह साल बार म

कया ल कन कर लया अभी तऽ उसी का चचा हो रहा था एक मोटरसाय कल खरीदनका जद कर दया ह उसी खा तर थोड़ा जानकारी क लए आए थ यहाrdquo गणशी न अपनल य और योजना पर स बना हल-डल कहा

ldquoवाह च का लग गया त हर भी बटा को आय हा दखत ह हरदम घमता रहता हकछ हीरो लड़का लोग क साथ ई सब तो ठ क ह गणशी लाल ल कन पढ़ा- लखा लो बटा

को बड़ा म कल स तो आज कोई कसान मज र गरीब-ग आ का लड़का पढ़ लख पारहा ह अगर कछ पजी ह तो पढ़ाई म लगा दो एक बार लगाओग तो जीवन भर लाभपाओग श ा स यादा म यवान कोई फसल नह ह गणशीrdquo इतना कहत ए कामताबाब अपनी मोटरसाय कल तक प च चक थ सबन तब तक चाय पी ली थी गणशी कगलास म चाय आधी बची रह गई थी वो एकटक मोटरसाय कल स जात कामता बाब कोदख रहा था उनक ओझल होत उसन बची ठडी चाय एक बार म गटक और खाली कपबच क नीच रख अपनी साइ कल ली और चपचाप नकल गया श ा सबस म यवानफसल ह यह अभी-अभी जाना था गणशी न ल कन अब करता भी या बचारा एक हीजमीन थी और उसम वो मोटरसाय कल बो चका था

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शाम खत स काम नपटा गणशी महतो आज ज द ही घर प च चका था बरामद परकदाल-खरपी रख बा ट स पानी ल पहल मह हाथ धोया तब तक प नी रमनी दवी कोआवाज लगा चाय बनान को बोल दया

ldquoका बात ह अभी तक रो हत नय आया ह का घरrdquo गणशी न अदर घसत इधर-उधरदखत ए कहा

ldquoनय उसका अभी टाइम कहा आ ह नौ बज स प हल क हया घसा ह घरrdquo प नीन चाय छानत ए कहा

ldquoअ छा कोई बात नह ऊ उसका मोटरसाय कल खरीद दग गाव म भी सबस पछसब बोला खरीद दन म ही ठ क ह माल-दाना ढोन म काम आएगा आजकल ब त ज रीह घर म एक ठो गाड़ी रहनाrdquo गणशी न अदर आगन क मोख पर बठत ए कहा

गणशी न मोटरसाय कल खरीदन क पीछ अपनी इ जत और मयादा वाला कारणप नी को नह बताया बताता भी भला कस पछल दो साल स इ जत क खा तर ही तोप नी न घर म शौचालय बनवा दन को कहा था पर आज तक गणशी स यह हो न सका

रमनी दवी न कई बार कहा था क रात- बरात हरदम बाहर जाना पड़ता ह सबह खतजाओ तो लाज लगता ह कल क दन घर म ब आएगी तऽ ऊहो का ऐस ही खत जाएगीकाम भर क खान-पीन का फसल हो ही जाता ह या घर म एक ठो लट रग म नह बनसकता गरीब और कसान घर क औरत का इ जत-पानी नह ह का एक दन रात कोबलसर क पतोह को -चार लफआ मोटरसाय कल क लाइट मार रहा था बचारी कस इ जत ढक भागी काह नह बनवा दत ह घर म लट रग म खाली साड़ी स मह ढक सइ जत बनता ह का जब बाक सब कछ उघार हो

गणशी कई बार यह सब सन चका था और इसी बात पर कई बार रमनी न गम तावाउठाकर आगन म फका भी था सो गणशी न इस बात का यान रखा था क मोटरसाय कलक पीछ जो इ जत वाली बात ह वो छपी ही रह वना हाथ म मली गम चाय कह दह परगरी न मल

गणशी न चाय पीकर गलास नीच रखा ही था क दरवाज पर कसी मोटरसाय कलक आवाज सनाई द

ldquoरो हत आ गयाrdquo गणशी न आर क तरफ दखत ए कहाआज रो हत साढ़ सात बज ही घर प च चका था भला आज उसका या मन लगता

बाहर घमन म आज तो वो इतनी उ सकता स घर घसा था जस कोई म क का परी ाथ

अपन प रणाम जानन क लए कल म घसता हldquoक था मोटरसा कल परrdquo गणशी न पछाldquoमदन भया थ मदन बाबा बीचवा टोला वालrdquo रो हत न जता उतारकर चौक क

नीच फकत ए कहाldquoमदन बाबा क जगदा बाबा क लड़का ऊ तऽ तम स ब त सी नयर ह र उसस

कसा दो ती त हाराrdquo गणशी न महीन म कान म त आ य स पछाldquoहा ऊ जगदबा लाइन होटल म मदन बाबा भी आत-बठत ह साथ खाना-पीना भी

होता ह वह स हो गया ह दो तीrdquo रो हत न शट उतार खट पर टागत ए कहाldquoजगदबा लाइन होटल ऊ गाव क परब वाला का अर ऊहा तऽ फकन बाब उठत-

बठत हrdquo गणशी क मह स नकलाldquoहा फकन चाचा तऽ रोज आत ह वहा ऊ लोग का तऽ इसपसल बठक बना ह

पछवाड़ म वहा अलग स टबल-कस लगा आ ह वह खात-पीत ह अपना ऊ लोग हमलोग स कोई मतलब नह हम लोग तऽ बाहर बठ अपना मगा-ऊगा खाए और नकल एकदन तऽ हमको पछ भी फकन चाचा का रो हत का हाल ह र हम बोल दए एकदम ठ क हचाचा एक दन तऽ डायर ट हमको बलाए और मोटरसाय कल क चाभी द बोल जाओचौक पर स हमरा नाम बोल क एक ठो बोतल लत आओ हम जब बोल क चाचा हममोटरसाय कल चलान जानब नह करत ह तऽ हसन लगrdquo

रो हत न इस तरह परा जगदबा पाठ करक सना दया था गणशी कोइतन म रमनी दवी स रहा न गया वो च ह स रोट सकत वह स बोली ldquoतम दा

लाक दता ह र लोग को करमज आ साला पीता-खाता ह का रrdquoयह सनत ही गणशी बचाव म कदाldquoअर चप रहो ई काह पएगा अब फकन बाब बोल दए तऽ का करगा ई बचारा

उसम वस भी सह प रवार सबस बोलाबाजी करता ह या सबको नह टोकता ह फकनबाब आज तक हम लोग सामन खड़ा हो बात नह कए उ तऽ रो हत क उठना-बठना हपढ़ाई- लखाई ह क ई सब दख क बोल भी दए दा लान नह तो उसक पास आदमी काकमी ह का बोतल लान क लएrdquo

जगदबा लाइन होटल क सारी कहानी सन गणशी को अपन रो हत पर सा ातजगदबा का आशीवाद मला तीत हो रहा था मदन बाबा जस उ चकलीन म पान सलकर फकन बाब जस दबग स रो हत क हलमल न गणशी को अहसास करा दया था कनया जमाना रो हत जस नौजवान का ही ह जो खत न जाकर लाइन होटल जाता ह रो हतइतनी ज द सामा जक सोपान क सीढ़ चढ़ जाएगा यह गणशी न नह सोचा था

मदन बाबा अपन स घर छोड़न आ रह ह फकन सह दा मगवा रह ह एक छोट-मोट कसान क बट को और या चा हए धीर-धीर लड़का अब तो आग ही बढ़गा न गणशीको आज आ म ला न भी ई क उसी क वजह स बट क र तार थोड़ी धीमी ह अगर

समय स मोटरसाय कल खरीद द होती तो लड़का और तजी स आग बढ़ता या पता कलको फकन सह को भी अपनी मोटरसाय कल पर बठाकर घमाए गणशी न कछ ही मनटम मन-ही-मन म अपन प हत दा -मगा-मोटरसाय कल समत एक मनोहरी भ व य काच ख च डाला था आगन म बठ-बठ

रमनी दवी न जब उसक सामन खान क थाली रखी तब जाकर यान टटा गणशी काउधर चौक पर रो हत अपन खान क थाली लए बठ गया था

अब बारी सबस मह वपण बात करन क थी गणशी महतो न पहला नवाला मह मडालत ही रो हत स पछा ldquoतब कब लना ह मोटरसा कलrdquo

रो हत तो यही अमतवाणी सनन को बचन था तभी सldquoआल आज प च गया मडी या दाम मल गयाrdquo रो हत न एकदम ज मदार प

क भा त एक साथ दो ज मदारी भर सवाल पछ गणशी सldquoऊ सब छोड़ो ऊ पसा आन म ह ता भर दर होगा हमर खाता म ह

काम भर पसा तम जाक कल ही खरीद लाओ अभी पसा ह खरीद लो दर करोग तऽ फरसर काम म न ओझरा जाएrdquo गणशी न उस सारी ज मदारी स म करत ए कहा

रो हत तो यह सनत जस रोट हवा म लहराकर मह म डालन वाल मड म आ गया थाldquoठ क ह बाब जी आप बोलत ह तो कल ही जा क ल लत ह चता एकदम मत

क रए हम आज बोल क भी आए थ सबको क कल स परस तक म औकात दखा दगसपरन भगत क बटा कोrdquo रो हत न पता को चता स म दत ए कहा

ldquoसनो हीरो ह डा क लना ह सब वही बतायाrdquo गणशी न अ तम नवाला मह मडालत ए कहा

ldquoहा उसी का लग इसपलडर आता ह एक इसका फर बचन पर भी अ छा दाम मलजाता हrdquo रो हत न अपनी ावसा यक समझदारी क त आ त करत ए कहा

ldquoहा वही वही तमको तऽ सब पता ही ह वस एक बार खरीदा चीज बचना थोड़ हमदन बाबा को भी साथ ल लना भोर हम जा क बोल आएग मदन बाबा सrdquo गणशी नखान पर स उठत ए कहा

खाना खा बाप-बट दोन सोन चल गए आज दोन अपन-अपन सपन क नया मखोन सोन जा रह थ चौक पर सोया रो हत जहा बाइक उड़ात ए मलखानपर ससकदरपर बाजार क सर पर था वह ख टया पर लट गणशी महतो पड़-पड़ अपन बकखात का नबर याद करन क को शश म था वह यह भी याद करन क को शश कर रहा थाक मोटरसाय कल खरीद लन क बाद कतना पसा बच जाएगा खात म या कछ बचगा हीनह गणशी महतो न द म था सपन म रह-रह बक खाता आता और जाता जदगी वाबम भी हसाब कर रही थी

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सबह करीब सात बजत गणशी महतो अपनी साइ कल उठा जगदानद म सर क घर प चचका था जगदानद म सर गाव क बीचवा टोला क रहन वाल थ ई र क अनकपा सइनको दो र न क ा त ई थी बड़ा बटा वनोद नोएडा म कह जॉब करता था और छोटामदन गाव म ही मदन बाबा क प म घर-समाज क सवा म लगा था परानी खती-बाड़ी भीथी खद स चवालय म बड़ा बाब स रटायर ए थ गाव म खब स मान था इनका रोजसबह अपन बरामद म बठ नौकरी क दन का रोमाचक क सा सनात तो सनन वाल दो कपचाय पीन तक उनक हर क स पर उछल-उछल वाह करत व बतात क कस बड़-बड़ऑ फसर क फाइल भी उनक टबल पर पानी मागती यह क सा तो वो लगभग रोज सनातक कस एक बार सन 1992 म उ ह न रा य क सबस बा बली म ी क फाइल भी रोक लीथी च क सनन वाल को चाय मलन क गारट थी इस लए आज तक कसी न उनस यजायज सवाल नह पछा था क आ खर वो ऐस कौन स महाबली क पद पर थ जहा हर

भावशाली नता-म ी और आला ऑ फसर उनस पनाह मागत थ कसी न यह जाननाज री नह समझा क स चवालय का करानी कस यग म इतना श शाली रह चका हजतना अ ज जमान म गवनर जनरल

गणशी न प चत ही दखा जगदानद म सर अपनी चौड़ी-सी चौक पर बठ खल बदनपर सरस का तल घस रह थ पट क बीच बीच सफद जनऊ जो अब भर रग का हो गयाथा वषवत रखा क तरह पट को दो भाग म बाट रहा था और उसक नीच क कोर म एकबड़ी-सी लोह क चाबी बधी ई थी चाबी क आय कह स भी जगदानद म सर क आयस कम नह लग रही थी चाबी का वहत आकार बता रहा था क वो म सर जी क कसीप तनी ब स क चाबी थी पर उस पर पड़ गए पील दाग स यह भी साफ दख रहा था कपरानी चीज पर अब धीर-धीर जग लगन लगी थी चाह वो चाबी हो या प तनी परपरा चाहकछ भी हो पर जगदानद म सर न जान कई दशक स यह चाबी जनऊ स बाध लटकाए रखथ कई बार सोत व यह चाबी पट म पीठ म चभ भी जाती थी पर उ ह न इस जनऊ सनह खोला असल म यह बस जनऊ और चाबी भर क बात थोड़ थी यह तो परपरा कडोर स बधी वरासत लटक ई थी

इधर गणशी न करीब जाकर पहल जगदानद म सर को दोन हाथ जोड़ लगभग डढ़फ ट गदन को नीच झकाकर णाम कया जगदानद म सर आज भी वहा पहल स बठबजनाथ मडल और उसक सग आए एक और र तदार को अपना सरकारी कारनामा सनारह थ गणशी क णाम पर उ ह न एक नजर उसक तरफ दखा और उस हाथ स बठन काइशारा कर अपन रौ म चाल रह जगदानद म सर अब यादा स ता क साथ क सा

सनान क मड म आ गए य क ोता वग म गणशी क वश क साथ ही स या बढ़कर तीनप च गई थी पछल घट भर स जगदानद म सर कसी मद द पर सनाए जा रह थ उसीसदभ म कसी बात पर बजनाथ मडल बोला

ldquoआजकल खाली खती पानी और जम दारी स जदगी नह चलता जगदा बाबा ऊजमाना चला गया जब आधा कलो सतआ खा क दन भर खट लत थrdquo

ldquoअर हा एकदम हमार ही घर दखो न ऊ तऽ हमारा सरकारी नौकरी था फर वनोदाइवट म पकड़ लया तऽ जाक अभी भी डाउन नह ए ह ओतनाrdquo जगदानद म सर न

ढहती जम दारी को ाइवट सहारा दत ए कहाldquoल कन एक बात ह जगदा बाबा ई आर हमशा अ -ध स भरा रहा हrdquo गणशी न

अपनी उप थ त याद दलान क लहाज स कहाldquoअर अब तऽ तनी कम हो गया ह थोड़ा खत-बाड़ी भी बच दए नोएडा म फलट

खरीदना था वनोद को कछ पसा दए खत क हटा क आ खर का होगा यहा पड़ल जमीनका एक जमाना था ई साला परा हाता ग चना और सरस स भरल रहता था खद गणशीस ही पछो न एकर तऽ बाप भी हमार यहा काम कया ह ईह का खा क मरा बचाराबढ़वाrdquo गणशी न म करात ए अपन पता क इ तहास पर सहम त म सर हलायाबजनाथ मडल अभी सर सरी तरफ घमाए कछ दख रहा था क तभी जगदा बाबा नइ तहास का एक और प ा पलटा

ldquoअर ई बजनथवा का बाप भी हमर यहा का गाय-बल दखना चारा-पानी दना सबसन मडल ही तऽ करता था बड़ा सीधा आदमी था बचारा तोर बाप र बजनाथ

आजकल वही काम करन का 100 पया रोज मागता ह मज र पर सन को जो दद जए सतोष करता था पाच-पाच कलो धान म भी खश था बचारा बड़ा सरल आदमीथाrdquo जगदानद म सर न इ तहास क पता हरोडोटस क तरह हर प खोल क रख दए थहाल यह था क अभी सामन स जो भी गजरता तय था क उसक भी बाप को यह इ तहासम अपन यहा काम कया आ बता दत बजनाथ मडल तो यह सोच रहा था धर र सालाकस म त म नकल थ घर स

आपस म अ सर गाव म इस तरह क बात चलती रहती थ पर आज का मामलार तदार क सग रहत हो गया था तो थोड़ा लजा गया था बजनाथ कहा तो वो अपनर तदार क सामन जगदानद म सर को अपन खास भाई-बध जसा बता उनक यहा ल गयाथा और यहा तो जगदानद म सर न मा लक-नौकर का गौरवशाली इ तहास बाच बजनाथ कवतमान को पानी-पानी कर दया था असल म उसक र तदार को स चवालय म कसीछोट-मोट काम हत कछ जानकारी चा हए थी इस लए बजनाथ उस जगदानद बाबा क यहाल गया था पछल एक घट स जगदानद बाबा लगातार अपन कारनाम और अनभव सनातजा रह थ अभी तक बजनाथ और उसका र तदार अपनी बात नह रख पाए थ जसकलए व गए थ अपनी ओर स जगदानद बाबा न उनको मनट भर का भी गप नह दयाजसम व अपनी बात बता भी सक और न खद उनक आन का योजन ही पछा बगल म

गणशी महतो क चकमक बठा था चपचाप दोन को या पता था क आज जगदा बाबाइन दोन क बाप-दादा का उ ार करक छोड़ग अचानक बजनाथ को लगा क अब जगदाबाबा बाप स आग बढ़ दादा क इ तहास पर काश न डालन लग जाए उसन झट स खनीक ड बी नकाली और चचा का मह जगदानद बाबा क तरफ मोड़त ए पछा ldquoअ छाजगदा बाबा आजकल मदन बाबा का या हाल ह नौकरी-चाकरी क चास ल रह ह कनह rdquo

ldquoमदन अपना मगन ह बीए कर लया ह ऊ भी दशनशा जसन हाड वषय समन हमको नह लगता ह क इलाका म कोई होगा ई सबज ट स बीए कया आ बारटट कपट शन म भी बठ गया ह बाभन का ब चा ह सो ई जमाना म आसानी स तऽ न हएमलगा न नौकरी ऐतना जात-पात घोटाला और ऊपर स आर ण द कत ह थोड़ाल कन ई जान लो बजनाथ मदना म दमाग क कमी नह ह बस थोड़ा थर हो जाए तऽएतना बाधा म भी बाजी मार दगाrdquo जगदानद बाबा न पहल क अप ा कम होत उ साह कसाथ कहा

ऐसा होना वाभा वक भी था य क आदमी को जो आनद अपन गौरवशालीइ तहास को सनान म आता ह वो मजा वतमान का सघष बतान म तो नह ही आता हजगदा बाबा जब तक अपन परान खती-बाड़ी बाप-दादा और अपन कारनाम का क सासना रह थ तब तक ब त तज था उनक वाणी म ल कन अब बात जब आज पर हो रही थीतो आवाज थोड़ी म म-सी हो गई थी उनक

जगदानद बाबा क मह स टट कपट शन श द सन बजनाथ को कछ याद आया उसनदमाग पर ह का-सा जोर दया और उसक मह स नकला ldquoऐ जगदा बाबा आप सन ह कनह सन क डोमा गाव का कोई ह रजन का लका ह अबक बीडीओ बना ह अब सबजात पढ़न लगा ह ल कन महनत करगा तऽ डोम चमार हो या ठाकर बाभन सब बराबरहो रहा ह अब नौकरी-चाकरी का आर सबक खा तर खल गया ह ह क नह जगदाबाबाrdquo

जगदानद म सर यह सन पहल तो मनट भर चप रह सरस तल क कटोरी म तजनीउगली डबोया और सर ऊपर करक नाक म चार-पाच बद टपकाया फर जोर क छ क कसाथ धोती क कोर स मह प छा और एक ह क -सी अटक ई म कान क साथ कहा ldquoऐबजनाथ एक बात बोल कोई बीडीओ बन जाए चाह कल टर नौकरी तऽ पा लगाल कन स कार स कार कहा स पाएगा जी ऊ आज भी हम लोग क पास ही ह समझअर लाख नौकरी कर ली जए ल कन स कार नह तऽ समझो आदमी कछ नह और यह भीजान लो क स कार कोनो कॉलज या कल म नह मलता ह न इसको आर ण स पा लगाकोई ई सब खानदानी चीज होता ह मद ई जनऊ दख रह हो न इसको खाली सतली औरधागा नय समझना बाब एक-एक धागा म एक-एक ठो बद गथा आ हrdquo

गणशी बजनाथ और उसक र तदार क नजर अपन आप जगदा बाबा क भर पील होचक जनऊ पर जा टक थ इन तीन न कभी वद को आख स दखा नह था आज सीध

जनऊ म गथा आ जान उस दखना चाह रह थ पर उनको कछ दखा नह उनको शायदसमझ आ गया था क इतनी महीन बनावट दखन क लए जस द क ज रत होतीह वो साधारण लोग क पास कहा स होगी

इधर जस समय जगदा बाबा स कार पर अपन वचन का धागा खोल जा रह थ ठ कउसी समय उनक चारद वारी क ठ क बाहर एक आदमी खड़ होकर सब लपट जा रहा थालगभग प ह-बीस मनट स वो आदमी ओट ल सब कछ सन जा रहा था जगदा बाबा नअपनी बात ख म ही क थी क बाहर स एक जोर क आवाज आई ldquoअर बाबा णाम अहोबाबा जरा हनमान जी क चबतरा पर स अपना स कार को उठा लाइए एतना भर गया हक ओभर लो कर रहा ह वहा स कार मदन बाबा जदाबादrdquo

बात परी कहत-कहत बोलन वाला आदमी वहा स कछ र नकल भी चका था यहआवाज सनत ही सभी हड़बड़ाकर द वार क तरफ मड़ जगदा बाबा न चौक पर खड़ होचारद वारी क बाहर क तरफ दखा तो बोलन वाल को पहचान गए वस आवाज स भीसबन उस पहचान ही लया था

ldquoअर साला चोट टा क ा साला बर चया र साला गजड़ी पागल हमरा स कार दखगातम र एतना औकात हो गया र हरमजादा सालाrdquo बोलत-बोलत जगदा बाबा का शरीर

ोध स हल रहा थाह ठ स दबी खनी बाहर आ गई थी चौक स उतर उ ह न बरामद पर ही खट पर टगी

कमीज उतारी और उस पहन चारद वारी स बाहर आए साथ म गणशी और बजनाथ औरउसक र तदार भी हो लए

हनमान जी क चबतर पर प च दखा क वहा मदन म सर बरगद पड़ क नीच लढ़कपड़ ह मह स लार गर रहा ह और उ ट हो चक ह उठकर चला नह जा रहा था पर इतनीआख खली थी क सामन खड़ लोग को पहचाना जा सक मदन बाबा क साथ दो औरनवयवक भी थ जो हर सप काय म और कोस म मदन बाबा क अन य सहयोगी थ परजगदा बाबा को हनहनाता आ आता दख वहा स सरक लए थ

मदन बाबा क हालत दख गणशी चबतर पर रखी बा ट मग लकर बगल क चापानलस पानी लान दौड़ा मदन बाबा पर दो-तीन मग पानी डालन क बाद वो थोड़ ग त कअव था को पकड़न लायक हो चल बजनाथ न मदन बाबा क शट पर लगी उ ट को पानीस साफ कया उ ह पकड़कर अब चलन खा तर खड़ा कया गया इन सब क दौरान इतनीदर जगदानद म सर एकदम चप सफ चार कदम र खड़ एकटक बट को दख जा रह थहाथ म गमछा चाबक क तरह लटक रहा था चहरा था तमतमाया आ और दात क पीसनक रगड़ वाली आवाज आ रही थी

ldquoकोय चता क बात नह ह ऊ खाली पट ताड़ी पर गाजा लन स हो गया ह थोड़ा-साब ढ़या-ब ढ़या स बरदास नह होता ह क बो-क बोrdquo बजनाथ न मदन को खड़ा करत एअपन अनभव क हवाल स कहा

तब तक गणशी भी एक तरफ का हाथ थाम मदन बाबा को ल आग बढ़न लगाजगदानद म सर न अपनी जगह स ही खड़ कवल गदन घमाई ldquoहाय र कल कपत सबनाश कर दया र बताइए साला कौन कहगा ई बाभन का ब चा ह बताइए ई जगदानदम सर का औलाद का स कार ह सब माट म मला दए साहब जस घर म लहसन-पयाज नह चढ़ता था पचास बरस पहल ऊहा लड़का दा -गाजा पी क उलट रहा हrdquoजगदानद म सर एकदम बफर पड़ थ उनस अबक रहा न गया अचानक पीछ स दौड़करगए और गमछ का कोड़ा बना तीन-चार बार मदन क गदन पीठ और सर पर द माराकपार पर कोड़ा पड़त ही मदन बाबा को ह का होश आया मदन बाबा चबतर पर अपनाछटा आ गमछा ल आन क लए बड़बड़ान लगा ldquoऐ बाब जी जरा हमरा गमछा लली जएगाrdquo बजनाथ क र तदार न मदन का गमछा उठाया और इधर बजनाथ न जगदानदम सर को पकड़कर थोड़ा शात कराया

ldquoशात जगदा बाबा शात अर होता ह थोड़ा-सा पीना-खाना गाव म भला कौन नहखाता-पीता ह अर थोड़ा कम और थोड़ा बसी यही नrdquo

बजनाथ न वह चबतर क पास ही जगदानद म सर को हाथ जोड़ समझात ए कहाldquoबस यही तो बात ह साला ई गाव का स कार ही ख म हो चका ह यहा सोना भी

पीतल होई जाए मन बताइए साला जगदा म सर का लड़का ई हाल बनाएगा सोच भीनह सकत ह सब साला गाव क राड़-चहाड़ का काम ह सगत म ल जाकर बगाड़ दयासबस बड़ हरामी तऽ ऊ बर चया ह ऊ साथ पलाया होगा और दखो उलट हमर आर जाहम को खबर सनाता हrdquo जगदा बाब न गमछा चबतर पर पटकत ए कहा

अभी थोड़ मनट पहल जब जगदा बाबा मदन को स टा स पीट ग रया रह थ उस वएक सहज बाप बोल रहा था अभी जब वो अपन बट क बगड़न का मल गाव क भटकस कार म खोजन लग थ तो असल म अभी बाप क प म सजग कल र क बोल रहा थाजनका मानना होता ह क उनक उ च स कारी कल-खानदान खद नह बगड़त ब क वतो कसी गाव समाज क सग ठत षड़य स बगाड़ जात ह जसा क आज जगदानदम सर बता रह थ जगदानदा म सर एक तरफ स गाव क सभी ात-अ ात गज ड़य कानाम ल उस जबानी ग रया-ग रया सलटाय जा रह थ इसी दौरान दवगत हो चक कछपरातन पय कड़ और गज ड़य का नाम ल उ ह भी गाली भरी ाज ल दए जा रह थजो उस हनमान जी क चबतर वाल गाजा पट ट क थापना करन वाल श आती सद य मस थ

हनमान जी का चबतरा उ र भारत क लगभग सभी गाव म सामा यतः दख ही जाताथा अ सर गाव क लोग यहा ताश-लडो खलत नजर आ जात थ हनमान जी कध पर गदालए चपचाप अपन सामन यह खल होता दखत बीच-बीच म चबतर पर बठ लोग आपस महसी-मजाक गाली-गलौज करत जस हनमान जी को इ नोर ही करना होता आदमी कबीच रहन म इतना तो दवता को भी सहना ही पड़ता गाव क लोग भी ऐस वाल हनमान जीस कछ खास नह मागत थ यहा आज तक क कसी व ाथ को आईएएस

आईआईट या च क सक बनन खा तर मनौती मागत नह दखा गया था न ही कसीखया को प ा त क लए असल म इतन ावहा रक सोच वाल भ भारत क गाव म

ही पाए जा सकत थ जनका मानना था क जब हम हनमान जी को दन भर म एक बताशाभी नह दत तो बदल म बचार स माग ही या

ऐस हनमान उपयोग म बस तभी आत जब कभी ताश खलत लोग प क हरा-फरीक सबध म आरोप लगन पर खद को पाक-साफ बतात ए हनमान जी क कसम खात

गणशी और बजनाथ अब तक मदन बाबा को घर तक प चा चक थ अदर आगनवाल बरामद क बछ चौक पर मदन बाबा को सलाया गया जगदा बाबा थोड़ा भारीकदम स चलत ए पीछ स आए

ldquoअर इसको न ब-पानी द जए नहा-धोआ क तब क हए सो जावगाrdquo जगदा बाबा नअदर घसत ही प नी को आवाज लगात ए कहा जगदा बाबा क प नी बड़ इ मनान सगलास भर न ब पानी लाई और मदन को ह का झकझोड़त ए गलास थमाया उनकहाव-भाव को दख लग रहा था क वो मदन को अ सर ऐस न ब पानी दन क अ य त थ जगदानद म सर भी मदन बाबा क कारनाम स इतन अनजान न थ पर च क आज य साराकाड ठ क उनक सनाए स कारी वचन क बाद हो गया था और वो भी एकदम बीच चबतरापर सार गाव समाज क सामन ही तो ऐस म थोड़ा यादा असहज हो जाना वाभा वक था

अदर मदन को एक नजर दखन क बाद वो गणशी और बजनाथ को ल बाहर नकलआए अब उनको यह याल आया क गणशी और बजनाथ को ज द छोड़ दना चा हए

य क अभी तक उनक अ जत स कार का अ छा-खासा चार- सार हो चका था उ ह नबाहर बरामद पर पहल खड़-खड़ ही कहा ldquoअ छा छोड़ो पीन-खान का बात आज स तऽसधर ही न जाएगा आज इसको एहसास हो गया ह क गलत रा ता पकड़ लए थ आखनह दख मदन का समझ गया ह क अब ई सब चीज को हाथ भी नह लगाना हrdquo

गणशी और बजनाथ न सहम त म सर हलात ए एक वर म कहा ldquoठ क बोलठ क बोल बाबाrdquo

एक तो अभी-अभी आहत आ बाप और चौक प उ टा सपत ऐस म गणशी औरबजनाथ न त काल इस मद द प चप रहना ही ठ क समझा और सब कछ समझत ए भी यहनह समझाया क अभी तक उ ह न जतन भी पीन वाल को दखा था उनका पीना उनक

नया छोड़न क साथ ही छटत दखा थाआज खद बजनाथ जगदा बाबा क च कर म लट हो गया थाजगदानद म सर बात करत-करत चारद वारी क दरवाज तक आ गए गणशी और

बजनाथ तो अब तक शायद यह भल चक थ क वो आ खर यहा आए ही य थतभी जगदा बाबा न खद ही कहा ldquoअर तमलोग जान लगा जी ई तो बताओ क

आया काह था कोई काम था या हमसrdquoldquoहा जगदा बाबा भोर स अभी यारह बज गया बोलत-बोलत लगा क अब बोल अब

बोल ल कन ऊ बीच म मदन बाबा वालाhelliprdquo बजनाथ न अभी आधा ही कहा थाldquoअर छोड़ो न फालत क बात काम का था बताओrdquo जगदा बाबा न ह क खीज क

साथ कहाldquoजी ई हमारा बड़का साला ह इनका स चवालय म काम फसा ह आप पराना आदमी

रह ह वहा क बड़ा धाक था भी आपका वहा तनी आप कछ मदद करवा दत तऽ बड़ाकरपा हो जाता बाबाrdquo बजनाथ न चार घट म पहली बार दात नकाल जबरद ती क कामनकालन हसी क साथ कहा

ldquoदखो बजनाथ वस नाम तऽ हमारा आज भी ह स चवालय म ल कन द कत य हक अब सारा पराना आदमी का बदली हो गया ह वहा स नयका-नयका टाफ सब पसा काभखल होगा ाचार का बोलबाला हो गया ह जानत ही हो बड़ा-बड़ा परवी का भीमतलब हो गया ह क पसा द जए तऽ काम हो मन ऊ हमरा वाला टाइम नह रहाrdquo जगदाबाबा न काख खजलात ए अपन समय क स चवालय वाल वण यग को याद करत एकहा

यह सनत ही बजनाथ न अपन र तदार क तरफ दखा और र तदार न बजनाथ कतरफ दोन अब तक शायद अपनी आख स एक- सर स कह चक थ क अब काम जाएभाड़ म भगवान क लए अब कम-स-कम यहा स चल बजनाथ न जगदा बाबा को बहदझ लाई-सी हसी क साथ णाम कया और उनक मह स बदल म बना कछ सन दरवाज सबाहर नकल आया

पीछ-पीछ बना णाम कए उसका र तदार भी नकला न त प स इस वतज-तज कदम स चल रहा बजनाथ मन-ही-मन जगदा बाबा को बछट गाली द रहा था

इधर उन दोन क चल जान क बाद जगदा बाबा न गणशी क तरफ दखाldquoत हारा या काम था जी गणशी बड़ा भोर-भोर आए थ तमrdquo जगदा बाबा न पीठ

खजलात ए कहाजब कोई आदमी दह हाथ या कोई भी ऊपर-नीच का अग- वशष खजलात ए कोई

बात पछ या कह तो यह समझ लना चा हए क वो आदमी उस बात म कतई च नह लरहा न सनना चाह रहा ह और ज द-स-ज द उस टालना चाहता ह य क अभी वह कवलनोचनी का आनद लना चाहता होता ह और वो चाह रहा होता ह क सामन वाला आदमीजाए यहा स

गणशी महतो भला इन सब इशार को या जान उसन बड़ आराम स कहा ldquoहम तऽमदन बाबा स ही भट करन आए थ ऊ एक मोटरसाय कल लना था तो सोच बटा को मदनबाबा क साथ ही भज दग मदन बाबा रहग तो एगो गार जयन हो जाएगा मोटरसाय कलखरीदन मrdquo गणशी न मदन बाबा क वतमान दशा को ब कल ही बीच न लात ए बड़ीवन ता और भोलपन स कहा

ldquoबाह र गणशी मोटर साइ कल लगा बाह तब द खए तो दन बदलना इसको न

कहता ह तोर बाप पदल चल क मर गया आय तम साय कल क पडल मारत मरत रहताह तोर बटा मोटरसाय कल चढ़गा कोयरी-कम खती बाड़ी क रा त खब उ त कर रहा हहा अपन स खत म महनत भी तो करत हो हम लोग क जसन मज र भरोस नह ह न तोरसब क खतीrdquo जगदा बाबा न गणशी क खानदानी स यता का वकास म बतात एकहा

ldquoअर जगदा बाबा सब आप लोग क आशीवाद ह ई बार आल ठ क-ठाक आ हबटा भी पढ़न- लखन जाता ह बाहर-भीतर हमको भी ज रत पड़ता ह धान-ग ढोन मसो सोच एक ठो ल लत हrdquo गणशी न झपत ए कहा

ldquoअर तऽ जब ल रहा ह तऽ ब ढ़या म रत म लो अभी पचक चल रहा ह इसम मतलो अगला म हना लो ब ढ़या दन म लोग तऽ सामान खब अ छा चलगाrdquo जगदा बाबा नअ छ म त का लाभ बतात ए कहा गणशी उनस ही कोई अ छा म त बता दन को बोलसाय कल उठा नकल आया हाला क जगदा बाबा न यह नह बताया क मदन का ज मभादो मास क क ण प अ मी जस महाशभ म त म आ था

कभी-कभी शभ म त का माल भी गड़बड़ा जाता ह

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बशाख का महीना था सबह क छह बज रह ह ग प षो म बाब घर क बाहर ही अपनचौड़ बरामद पर कस लगाए अखबार पढ़ रह थ तभी सामन स कसी क आन क आहटसनाई द उ ह न चहर क सामन स अखबार हटाकर दखा तो एक 25-26 वष क आय कासावला-सा लड़का हाथ म कछ लए आया था

ldquoका ह जी कसक यहा स आए होrdquo प षो म बाब न दखत ही पछालड़क न आत ही प षो म बाब क पहल दोन पाव छए और फर हाथ म लाए काड

को प षो म बाब को थमायाप षो म बाब न एक हाथ स काड ल उस बना दख ही पछा ldquo कसक घर शाद ह

रrdquoldquoजी बाब हमरा नाम परमोद दास ह बाप का नाम फचन दास नीच वाला ह रजन

टोला स आए ह आपक यहा तऽ खब कमाए ह पीछ वाला द वाल खड़ा करन म नो बापबटा तऽ खट थrdquo लड़क न अपना प रचय दया

ldquoहा तो कसका बहा ह त हारा ह याrdquo प षो म बाब न हाथ म लए काड कोनीच कस क पाय क पास रखत ए पछा

ldquo बहा नह ह बाब उ काली म दर क उद घाटन ह हमर टोला नया म दर बना ह उसीका नम ण काड ह बाबrdquo मोद दास न हाथ जोड़ कहा

ldquoकाली म दर कौन म दर क बनवाया जी कस मद कब बन गया म दरrdquoप षो म बाब च कत-च कत एक साथ चार-पाच सवाल पछत ए बोल

ldquoजी प बतर दास बनवाया ह हमर बड़का बाब का लड़का चार-पाच महीन प हलतऽ आया ह कमा क आसाम सrdquo मोद न थर अव था म ही खड़-खड़ कहा

ldquoठ क ठ क ह जाओ वाह म दर बन गया इतना ज द कछ पत न चला ठ क हचलो जाओ ठ क हrdquo प षो म बाब न पहल ह का-सा भभककर फर बझत ए मन सकहा

मोद दास एक पॉली थन म काड लकर पर गाव म नम ण बाटन नकला था वहास नकल वो अगल-बगल क घर म भी गया उसक नकलत ही प षो म बाब न लटक कोआवाज लगाई ldquoअर लटक जरा एक लोटा पानी ल आओ रrdquo

लटक आवाज सनत पानी लकर दौड़ाldquoलाओ जरा डाल पर प पानी साला भोर-भोर कौन-कौन ओहrdquo यह बोल प षो म

बाब कछ-कछ बदबदान लग व या बदबदा रह थ इस बना सन भी आसानी स समझा जा

सकता था लटक न उनक पाव पखार उ ह पनः तजमयी कर दयातभी अपनी बाइक लए जगद श यादव वहा प चldquoपरनाम प षो म बाबrdquo जगद श न बाइक स उतरत ए कहाldquoपरनाम का हो जगद श का हालrdquo प षो म बाब न अखबार समटत ए कहाldquoआपक करपा ह मा लक जरा फकन बाब स मलन आए थ ई दारोगा बड़ा तग

कए ए ह बार-बार टर पकड़ ल रहा ह अब फकन बाब स तय करवा जो भी उ चतहोगा एक ठो महीना बाध द ई फर आराम स काम हो तबrdquo जगद श यादव न धध औरउस पर दरोगा क अ याचार क स प म ा या करत ए बताया

ldquoअ छा अर दरोगा पासवान तऽ ब ढ़या आदमी ह भाई ठ क ह फकन सट कर दगाअभी तऽ बीडीओ साब क साथ गया ह शकरपर झलआ वाला प लया क साइट पर वहत न जाच का फोरमलट करन गए ह भाई डीएम आ गया ह नया तरत पसा मागता ह नहतो जाच क आदश साझ को आओ हो जाएगा काम यह पाट ह दरोगा बीडीओ साबसब रहगrdquo प षो म बाब न अपनी धोती सरकाकर जाघ खजलात ए कहा

प षो म बाब वह रख पानी क पाइप स गमल म पानी दन लगldquoअर फकन बाब का काम तऽ एक न बर चल रहा ह लोकल प थर बचन वाला क भी

क याण हो जाता ह फकन बाब क कारण हम उसी म तऽ प थर-बो डर स लाई कर रह थपर दरोगा साला सनब नह कया बोलता ह क सम चा पहाड़ तोड़ क बच दए और हमाराह सा गायब जब क एक-एक पसा का हसाब कर क दए अब उनको रट हतना हाईचा हए क सब कमाई उ ह को द द या सबको खाना कमाना ह मा लक एक उ चतहसाब स सट कर दrdquo जगद श यादव न बताया

ldquoअर दरोगा जी को पता नह होगा फकन को कान म द दो बात फर तोड़ो न भाईआराम स प थर अभी चार प लया उसी रा त बनना ह ब त प थर स लाई का ज रतपड़गाrdquo प षो म बाब बोल

ldquoठ क ह मा लक अब कल आएग आज जरा एक काम स बाहर भी जाना हrdquoजगद श यादव न समझदारी क साथ कहा य क उ ह अदाजा था क अगर मामला आजदरोगा क सामन ही डील आ तो आज क मह फल का सारा खचा उ ह क कपार पड़सकता था

ldquoअ छा जी एक बात बताओ जगद श क ई ह रजन टोला म इधर हाल म कौनो म दरबना ह काrdquo प षो म बाब न गमला स चत ए पछा सनत ही जगद श यादव ग त कसाथ उठ खड़ ए और प षो म बाब क एकदम नजद क आ गए जहा व गमल म पानी दरह थ नजद क आत ही प षो म बाब न पानी वाला पाइप जगद श यादव को पकड़ा दयाऔर सामन कस पर जा बठ अब गमल म पानी जगद श यादव द रह थ जसक बार मउ ह न अभी ण भर पहल तक सोचा भी नह था

ldquoअर या बोल मा लक या बताए एक स डढ़ महीना म बनकर तयार 14 दन बाद

उद घाटन रखा ह सब घर काड गया ह ल कन द खए कौन जाता ह ह रजन टोला का बातह वस दवी-दवता का बात ह ल कन जात भी तऽ दखना होता ह न धरम बचाइए क नपजा पाठ भी होगाrdquo इतना बोलत-बोलत बोलन म अपना पजामा भगा लया था जगद शयादव न जदगी भर खत म पटवन करन का आदती आदमी जब गमल म पानी दन जसा

ला सक काय कर तो उसक हाथ म वसा सतलन और ला ल य आना तो म कल ही थाजसा क इस ला सक काय को करन वाल भ ज टल लोग क हाथ म होता था खत मपानी दन म महनत चा हए गमल म पानी दना हो तो नजाकत वाला अदाज चा हए य कजरा-सी मोट बौछार पड़ जान स कोमल पौध क जड़ हल सकती ह

ldquoय बताओ कौन बनवाया र म दर सन कौनो हरजन लड़का ह कहा स ई अचानकस कतना कमा क ल आया मदrdquo प षो म बाब न बड़ कौतहल स पछा

ldquoली जए दख तऽ हमको भी आसचर आ पहल फर जान गए आपको याद हमा लक आज स बाईस-तईस बरस प हल आपक ट भट ठा म एक लबर जल क मर गयाथाrdquo जगद श यादव न इ तहास क गाठ खोली

ldquoहा हा जत दास नाम था उसकाrdquo प षो म बाब क मह स नकलाldquoहा एकदम सही तऽ फर याद ह न क कस उसक औरत मआवजा का हगामा क

यहा आर पर और पव वधायक जनारधन साद क भाय भनसर नता क बहकावा म आआप पर कस भी करन को तयार हो गई फर अगर उसक और तया भी अपन मरद जतदास क पास न गई होती तऽ आपक जसा महाप ष क भी जल का कलक लगा ही दती ऊबदमासीनrdquo जगद श यादव न भ ग पजाम को घटन तक मोड़त ए कहा

ldquoअर ऊ तऽ बड़का ए सीडट था समझो जदगी का बड़ा सभाल थ तम लोग ऊमामला म उतना बड़ा काम बना समाज क सहयोग क सभव नह था य बात तो ह भाईतम लोग तऽ त भय क वफादार हो अ छा तऽ ई बताओ उसका म दर स का लनाrdquoप षो म बाब न एक दबी सास ली और कहा प षो म बाब न अभी-अभी परानी यादक का लख को अपन सफद कत पर साफ महसस कया था

ldquoअर लऽ उसी स तऽ लना ह य म दर उसी का लड़का बनवाया ह प बतर दास नामह उसका इसको इसका चाचा आसाम ल क भाग गया था सात-आठ ब रस क होगा तब ईलड़का अब मोटा-मोट बीस-बाईस बरस पर लौट क आया ह उसी क घर पर आग एकटटल चबतरा था काली माय का उसी पर बड़का म दर बनवा दया हrdquo जगद श यादव नएक जाससी उप यासकार क तरह म दर नमाण क रह य को परत-दर-परत क त मखोला

ldquoओहो अर साला तो ई जत आ का ही बटा ह अर तऽ ढर कमा क ल आया हइसका मतलबrdquo प षो म सह न एक बना बात क हसी क साथ कहा

बाईस साल परान ट-भट ठ क आग अभी अचानक जल उठ थी और उसक साथ हीदो-दो लाश का धआ भी भर रहा था प षो म सह क याद म बखयाली म ही ब त र

तक सोच जा रह थ प षो म सहतभी जगद श यादव न आग बोलना श कया ldquoपसा तऽ खब लाया ही ह मा लक

कौनो गलत काम करता होगा न बर का पसा ह तब न उड़ा रहा ह यहा चदा- चट ठा भीखब दता ह ऊपर स ई हरामी बर चया वह बठा रहता ह दन-रात वही तऽ सनका कम दर बनवाया और य उद घाटन और भोज सब उसी का दमाग ह पता नह का राजनी तकर रहा ह साला कहता ह ह रजन सबको क तमलोग यनाइट रहो कोयरी टोला को भीभड़काता ह यनाइट होन क लए रोज बीस ब चा ल क पढ़ान बठ जाता ह जस पढ़ा ककल टर बना दगाrdquo जगद श यादव न एक मझ ए वफादार क तरह हर ज री बात कहद

ldquoअर कल टर नह अपन जसा गजड़ी पागल बनाएगाrdquo प षो म बाब न य हीकहा

ldquoऔर द खए न 14 दन पहल काड बाट रहा म दर का य य क खब चचा होगाव-इलाका म ब त बड़ा राजनी त खलता ह ई बर चयाrdquo जगद श यादव न एक अनछएपहल को दबाकर कचोटत ए कहा

ldquoअर चार दन का फटानी ह पसा खतम होत धरती पर आ जाएगा ऐसा ब त दख हहम राड़ लोग ह साला समय पर सब लाइन म खड़ा रहगा चता न करोrdquo प षो म बाबन आग क नय त खद लख उस स या पत करत ए कहा

तभी एक क ा दौड़ता आ आया और अकबकाता आ प षो म बाब क धोती मजा घसा वहा घसत क ा यादा अकबका गया डर क उसन सर बाहर नकालाप षो म बाब च लात ए उछल दखा तो दो लड़क क को ढला मार दौड़ा रह थ

ldquoअर काह दौड़ा रहा ह रrdquo जगद श यादव न ताव म पछा प षो म बाब तो कछबोलन क जगह हाफ रह थ चौक पकड़

ldquoचाचा ई म दर म घस चबतरा चाट रहा था तब न मार क भगाएrdquo लड़क न फरएक ढला फकत ए कहा

प षो म बाब क ही मह ल म एक अध न मत म दर था जसका पण नमाण दशकस न हो पाया था गाव क कई तापी लोग इसी मह ल म रहत थ प षो म बाब न अपनदरवाज पर पचायती कर न जान कतन टट घर जोड़न का काम कया था पर उसी मोह लका एक टटा-फटा म दर आज तक जड़न-बनन क आस म था

असल म जहा खद पच परम र वास करत ह वहा प थर क परम र ऐस ही उप तहो ही जात ह

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जगद श यादव प षो म सह क घर स वापस लौट ही रह थ क रा त म एक सफद बलरोदखत ही उस हाथ द कवाया बलरो क कत ही आग क सीट क खड़क का कालाशीशा नीच उतरा

ldquoका हाल जादव जी कहा दौड़ा रह ह हीरो ह डाrdquo खड़क स सर नकाल फकनसह न पछा

ldquoअर परणाम परणाम फकन बाब बस आप ही क पास गए थ पता चला आप हइयनह हrdquo

जगद श यादव न बाइक स कदकर उतरत ए कहाldquoहा जरा साइट पर गए थ शाम क पाट भी ह बीडीओ साहब और पारस बाब दरोगा

का आइए शाम म आजकल आपका टर माल काह नह ढो रहा साइट पर नह जारहा हrdquo फकन सह न गटखा चबात ए कहा

ldquoअर फकन बाब यही वा त तऽ खोज रह थ ई दरोगा पारस बाब पता नह हम परकाह खफा ह ल-द क हमर गाड़ी पकड़ लत ह जब क हम कभी मनाही नह कए ह सवाकरन सrdquo जगद श यादव न दद सनाया

ldquoद खए कमाई बढ़ तऽ सवा भी बढ़ाइए दरोगा जी का भी तऽ घर-प रवार ह जी ऊकोन दान म नह न छोड़ दग अपना अ धकार को जतना उनका नयम स बनता ह उतनाकर द जए जो जन वन ह ऊ तो क रए हम पहल ही आप लोग सब टर वाल का ब तकम पर सट करा दए ह पर सन ह क इधर आप और भी काम पकड़ ह बाबतपर का परापहाड़ तोड़ कह और स लाई कर दए आप ई सच बात ह काrdquo फकन सह न गटखाथकन क बाद कहा

ldquoहा फकन बाब ऊ थोड़ा अब का बताए साला गलती हो गया थोड़ा पसा ऊ ठ क-ठाक द दया और हमको तभी बड़ा ज रत था तऽ बस वहीhellip बाक बहारी सह क लड़काडगा सह क स लाय कर दए थ गलती हो गया फकन बाब अब छो ड़ए माफ करद जए हम और भी स ता म स लाय करग आपको बस एक मौका और द द जएrdquoजगद श यादव न हसत घ घयात लजात ए कहा

ldquoपसा का ज रत तऽ दरोगा जी क भी ह जादव जी तऽ अब द जए न उनको सालाआप लोग जदगी भर ब ठएगा हमर आर पर कछ ऊच-नीच ज रत पड़ तो दौ ड़एगाहमर आर पर और जा क धधा क रएगा बाक बहारी सह क साथ एक आप ही हो शयारह बाक नया च तया ह या ला ट वार नग द दत ह सधर जाइएrdquo फकन सह न गटख

का नया पकट फाड़त ए कहाldquoसधर जाइए नह सधर गए हम कल स माल प चात ह आपक साइट पहल स भी

कम दर परrdquo जगद श यादव न गल स गमछ उतारत ए कहाldquoच लए ठ क ह जाइए आज शाम ही को बोल दग दरोगा जी को स नए पारस बाब

ललका पानी क भयकर शौक न ह जाइए शाम क बव था म लग जाइए च लए आज सख र आपकाrdquo फकन सह न यह कहन क बाद एक बौछारी थक पचकत ए ाईवर

को गाड़ी बढ़ान का इशारा कयाउड़ थक म स गटख का कछ कण जगद श यादव क मह गाल पर भी आ सटा उस

प छन को एक ण जगद श यादव का हाथ उठा पर फकन सह क स मान म त काल उसप छा नह

जगद श यादव न कछ र तक धल उड़ाती गाड़ी को एकटक दखा तभी उनक नजरचापानल पर पड़ी तजी स झटककर चापानल क पास गए और वह पास म ही खल रहकछ ब च म स एक को आवाज दकर बला चापानल चलान को कहा लगभग दस मनटतक पानी चलवा जगद श यादव मह धोत रह गाल मह पर लगा गटखा तो धल गया था परइतन दर स लगातार पानी मारन पर भी वो घनहापन नह धल पा रहा था आदमी पानी सतन क गदगी तो धो लता ह पर पानी स मन क एहसास कहा धल पात ह इतन म पानीचला रह ब च न जोर स चापानल का ह डल पटका और वापस खलन भाग गया शायद उसभी बमतलब हो रह पानी क बबाद का अदाजा हो गया हो जगद श यादव न गमझ स महप छा और अपनी बाइक टाट कर वहा स नकल गए

रा त म और भी कछ काम करत- नपटात घर प चत दोपहर क खान का समय होचका था प नी न दखत ही खाना लगान को पछा अनमन ढग स हा बोल वो लगी बदलचौक पर बठ गए शाम को फकन सह क पाट म पीन क व था क ज मदारी न आजखान क इ छा मार द थी जस-तस खाना नपटा जगद श यादव सीध लटन चल गएथोड़ी दर वह सामन द वाल पर टगी घड़ी को दखत रह और फर न जान कब आख लगगई

जगद श यादव जब उठ तब उ ह न दखा क घड़ी म शाम क पाच बज गए थ कबतीन घट सो लया पता भी न चला ज द -ज द उठकर पट पहनी और खट पर टगी शटडाली वह आगन म प नी बतन माज रही थी

ldquoआज हमारा खाना मत बनाना रात मrdquo जगद श यादव न गल म गमछा लत एकहा

ldquoकाह कह भोज ह का कहा जाइएगा रात कrdquo प नी न बना जगद श यादव कतरफ दख ही बोला

ldquoहा फकन सह क यहा पाट ह सब रहगा वहा दरोगवा भी आवगा तऽ उसी मफकन सह बड़ा जोर डाला क आप भी आइए हम कह च लए आत हrdquo

जगद श यादव न बना नजर मलाए कहा और बाहर नकल बाइक टाट करन लगघर स नकल जगद श यादव सबस पहल बाजार प च वहा बज चौर सया क कान

पर पान खाया तभी उनक नजर डॉ बाल पर गई जो अकल ड प सरी म बठ एकपॉ ल थन स चीनी क मीठ गोली नकाल उस छोट -छोट शी शय म भरन म त थ डॉसाहब क इस तता का खालीपन दख जगद श यादव पान चबात वह प च गए

ldquo या डागडर साब परणाम या कर रह हrdquo जगद श यादव न कस ख च बठतए कहा

ldquoअर आइए जगद श जी थोड़ा-सा दवा को भर रह थ शीशी म आज टाफ नह हइस लए खद कर रह ह दन म इतना भीड़ हो जाता ह पसट का क दवा कम पड़ जाताहrdquo डॉ बाल न अपनी डॉ टरमयी ग रमा क लाज रखत ए कहा

ldquoएकदम ठ क कर रह ह कोय भी काम छोटा नह होता ह डागडर साब और आपकोतऽ हम दख ह क हमशा आप अपना काम खद करत ह कय बार आपको झाड भी मारतदख ह ड पनसरी म आदमी को ऐसा ही होना चा हए आपको डागडर होन का जरा भीघमड नह हrdquo जगद श यादव न पान म थोड़ी चहल घलात ए कहा

ldquoहा द खए हमको अपना काम खद करना अ छा लगता ह और य हम सीख ह लालबहा र शा ी जी स वो अपना कपड़ा खद धोत थrdquo डॉ बाल न बड़ी गभीरता स कहा

ldquoअर बाप लाल बहा र शा ी जी तऽ एक न बर आदमी थ अब आज क टाइम मकहा पाइएगा वसा लोग तभी का खान-पान का भी असर था डागडर साब एक स एकआदमी आ ह उस टाइम सभाष चद बोस आईएएस का नौकरी छोड़ दए लात मारदए ऊ सब गजब आदमी था डागडर साब अजी अपन गाधी जी क ही दख ली जए नबचपन स वही एक धोती प हन जदगी गजार दएrdquo जगद श यादव न इ तहास क गम होचक प खोलत ए कहा

ldquo कए जरा चाय ल आत ह एक एक कपrdquo डॉ बाल न चचा को और गम करनक योजना स कहा

ldquoअर कए न यह स बोल दत ह प चा दगा यही सब थोड़ा-थोड़ा काम क लएकम-स-कम एक टाफ तऽ चा हए ही ह क नह rdquo जगद श यादव न पान थक चाय पीनक तयारी क साथ कहा

ldquoहा जगद श जी रख तो ह ही अब वो एतना यादा छट ट मार दता ह क याबताए जवान लड़का ह थोड़ा बात भी कम सनता ह कसी का यह का तो लोकल लड़काह जीत साह नाम हrdquo डॉ बाल न दराज स पाच का नोट नकालत ए कहा

ldquoअर ली जए आपन लड़का ही रखा ह एतना बड़ हरामी को अजी वो ब नया काब चा ह सर आपको बच क खा जाएगा काशी साह का बटा ह ऊ आपका या सनगापसा लन टाइम कपार पर चढ़ जाता होगा आप बगाली आदमी नह स कएगा ब नया काब चा स अर महराज कोन ह रजन या कोयरी क लड़का क रख लत तऽ तनी डाट-डपट

क काम भी करात पसा भी कम लता ई लोग और काम भी जतना मन ओतना कराइएrdquoजगद श यादव न पान क पीक नगलत ए कहा

ldquoअर जगद श जी हमको जात-पात स या लन का और दन का ह डाकटर का धमतो बोलता ह क बस मानष का सवा करो चाह तो कोई भी जा त हो हम ह म लमब नया सब स एक फ स लत ह एक बह वयर करत ह टाफ चाह ब नया हो या कोई अदरजात हो कोई फरक नह हमकोrdquo

डॉ बाल न डॉ टर होन क सपण न तक गण का बखान करत ए कहाldquoओहो आप बझ नह मरा बात जात-पात तो हम भी नह मानत ह सब ऊच-नीच

सबको मल क रहना चा हए कोय जात छोटा नह जादव या राजपत स कम ह याइस लए जात-पात तो एकदम गलत बात ह हम तो बस आपको हर जात का एक जातीयगण बताए बाक आपको अपना उसी हसाब स सोच- वचार कर काम करना होता हब नया का गण ह क काम कम करगा और नफा जादा खोजगा हम लोग जादव लोगइ जत क लए जान द सकत ह ह रजन लोग कतना भी आग बढ़ जाए ल कन प डतठाकर जादव या बगाली स दब क ही रहगा उसका नचर ह सर इसम जात और छआछतका बात नह हम खद इसका ब त बड़ा वरोधी हrdquo

ldquoअर नह जगद श भाई अब बड़ा द कत ह कोई कसी स दबन नह चाहता हऔर आप बोलत ह ह रजन का लड़का टॉफ रख लो बाप र उसको जरा-सा डाट दग तोकब ह रजन ए ट म जल करवा दगा पता नह उन लोग का तो यादा मन बढ़ा हrdquo डॉबाल न आख गोल-गोल घमात ए कहा

ldquoहा सही बोल दश म या जात-पात ख म होगा यहा कानन ही एतना जात-पातकरक बना ह द खए न सतयग म प डत राजपत का मौज था और क लयग म य ह रजनआ दवासी को इतना छट ह साला सबस खराब तऽ हम लोग ओबीसी का ही हाल हछो ड़ए हम लोग को या मतलब जात-पात सrdquo जगद श यादव न टबल पर रखी शी शयको दखत ए कहा

अब जस एक चाय पीन क बात पर यह चचा श ई थी उसका यान आत ही दोनन जातीय चचा पर वराम लगा दया वस भी भारत म अ सर लोग इसी तरह स अपनीजीभ स बोल जात-पात ख म करत और चप होत ही अपनी सोच और वहार म उस सदाबहाल रखत थ यहा भी अभी-अभी जात-पात का भद ख म कर डॉ बाल चाय लान चलगए थ और जगद श यादव वह कस पर बठ जात-पात स बना कोई मतलब रख मन-ही-मन ओबीसी समदाय क खराब हालात पर सोचत ए खनी मल रह थ बातचीत क दौरानदोन स जतना हो सका जात-पात को उतना मटान क भरसक को शश क अब च कजगद श यादव को भी फकन सह क घर शाम क पाट क इतजाम क लए नकलना थासो वो अब ज द स एक कप चाय पी वहा स नकल लना चाहत थ तब तक डॉ बालदोन हाथ म एक-एक हाफ कप चाय वाली गलास लए आ गए जगद श यादव न झटकस स उठ डॉ साब क हाथ स एक गलास पकड़ा ठ क उसी ण जगद श यादव को

याल आया क य न थोड़ा अपन वा य पर चचा कर ल डॉ साब स वस भी जान-पहचान क खाली बठ यो तष को उसी क चाय पी हाथ बढ़ा क रखा दखान क औरप र चत कसी खाली बठ डॉ टर को दख झट हाथ बढ़ा नाड़ी दखान क परानी परपरा रहीथी जगद श यादव न भी इस जारी रखत ए सबस पहल चाय सड़का और गलास वापसटबल पर रखत ए बोला ldquoअ छा डागडर बाब इधर हमारा बलड पशर गड़बड़ाया ह याबड़ा ज द थकान हो जाता ह काम-धाम म मन नह लगता ह कभी-कभी तऽ खब पसीनाछोड़ता ह और कभी-कभी हाथ-पाव ठडा हो जाता ह कभी लगता ह क छाती म कछ घसगया ह और कभी-कभी लगगा कोई पीठ म मार रहा ह पन होता ह सरrdquo

जगद श यादव न म डकल साइस को एक नया कस टडी दत ए कहाldquoह म परहज स र हए परहज सबस बड़ा इलाज ह जगद श जी आप जो समटम

बता रह ह य तो बड़ा कम दखन मलता ह म डकल म लाइए जरा नाड़ी दखाइएrdquo डॉबाल न डॉ टर का प धारण करत ए कहा

इस व माहौल एकदम गभीर हो चला था जगद श यादव क शरीर क वाभा वकग तशीलता भी कछ पल क लए ठहर-सी गई थी डॉ टर तो डॉ टर ही होता ह चाह वो डॉबाल ही य न ह जगद श यादव क हाथ क नाड़ी पकड़ डॉ बाल बड़ गौर स द वालपर टगी घड़ी दख रह थ और उतन ही गौर स जगद श यादव डॉ बाल क चहर को साफलग रहा था क आज भारतीय च क सा प त को कछ नया मलन वाला था य क जसतरह क सम या जगद श यादव न बताई थी वो सनना शायद ब त कम डॉ टर क नसीबरहा होगा लड शर क सम या स श होकर कसी मरीज क छाती म कसी का घसाहोना और फर पीठ पर ऐसा लगना जस कोई मार-पीट कर रहा हो इस तरह क म डकलसम या वाल मरीज स दश नया क डॉ टर भी शायद ही ब होत ह ग ऐस मरीजगाव-दहात म अ सर झाड़-फक वाल ओझा-गणी और मौल वय क पास इलाज करात मलजात थ पर आज इस बीमारी का सामना सीध च क सा व ान स हो गया था अब तोनजर इस पर टक थ क या डॉ बाल इसका समाधान नकाल आज भारतीय च क साप त को एक नयी खोज स नवाज पाएग

अब डॉ साब जगद श यादव को अपन ऑपरशन वाली ऊची चौक पर लटा उसकपीठ पर टाच मार दख रह थ जगद श यादव पट क बल पड़ हाथ म अपना कता पकड़पसीन स नहा चक थ बात-ही-बात म इतन गभीर म डकल जाच स गजरना होगा सोचा भीनह था जगद श यादव न डॉ बाल इस व ट ल का एक छोटा-सा कोई रॉड लए उसजगद श यादव क पीठ पर ह का-ह का ठ क रह थ इसी बीच पड़-पड़ ही जगद श यादवन कछ बोलना चाहा पर डॉ बाल न उस तरत चप हो जान का इशारा कया हर पद सढका एक कमरा उसका भी एक सकरा-सा कोना घ प अधरा उसम लटा आ मरीज औरहाथ म टाच लए उस अधर म बीमारी खोजता आ डॉ टर अभी य कछ ऐसा लग रहाथा जस एक ता क अधरी गफा म उस त को खोज रहा हो जो जगद श यादव क पीठ परलात मारा करता था तभी डॉ बाल न आग जा जगद श यादव क मह पर टाच मारी

जगद श यादव का मह इस व मह लग ही नह रहा था जाच क आच स जस झलस-सागया था जगद श यादव असल म तनाव म थ क इतन गहन जाच क बाद पता नह कौन-सी बड़ी बीमारी का पता चल गया हो मा कछ ही मनट म उ ह न पछल जीवन क जएहर एक दन क दनचया का मरण कर लया था और सोच रह थ क कहा कौन-सी गलतीहो गई हो उ ह सबस यादा चता कछ साल पहल क गई एक वशष गलती क हो रहीथी वो सोच रह थ क काश उस दन उस ठकदार क च कर म न पड़ रात चपचाप घर हीआ जाता तो य हाल न होता या पता उसी रात क सजा मली हो कोई भयकर बीमारी तोनह हो गया जगद श यादव पसीन स नहाए लगातार सोच जा रह थ जीवन भर साध जसाबताया एक रात क गलती या कर द उसी को न भगतना पड़ जाए वो यह याद करजस काप गए थ क उसका वो ठकदार- म पछल साल ही कसी बीमारी क कारण चलबसा था

तभी अचानक टाच बद कर जोर क झटक स डॉ बाल न हरा पदा हटाया ऐसाडा टर सब कछ जान लन क बाद करत थ पद क हटत ही थोड़ी-सी रोशनी और थोड़ऑ सीजन दोन न उस कोन म वश कया जहा अभी उठकर जगद श यादव लबी-लबीसास ल रह थ पदा हट जान क बाद बाजार क सड़क स ही डॉ बाल क ऑपरशन चौकको साफ दखा जा सकता था उस पर शट उतार बठ जगद श यादव भी प दख रह थडॉ बाल चौक क पास स नकल अपनी कस पर आ बठ जगद श यादव भी चौक सउतर शट हाथ म ही लए बाहर नकल डॉ साहब क बगल वाली कस क पास खड़ हो गएअसल म वहा एक छोटा-सा टबल पखा रखा आ था जगद श यादव वह खड़ा हो अपनापसीना सखा लना चाह रह थ

ldquo या डागडर बाब कोई वशष टशन ह या कोई बड़ा द कत ह या सालाअ छा आ क सयोग स आज आपक पास आ गएrdquo जगद श यादव न खड़ी अव था म हीपछा

ldquoद खए जगद श जी बीमारी कोई छोटा-बड़ा नह होता ह नसीब बड़ा या छोटा हआदमी का कतना लोग बड़ा-बड़ा बीमारी क बाद भी जदा ह और कतना लोग एकछोटा-सा फसी क चलत मर जाता हrdquo डॉ बाल न तप ए तप वी क अदाज म कहा

ldquoजी डागडर साब तऽ हमारा या ह बड़ा बीमारी क नसीबrdquo जगद श यादव नउसी अव था म खड़-खड़ ही पछा

ldquoघबरान का काम नह ह आप शट पहन क बठ जाइए आराम स द खए बीमारी तोगभीर ह ल कन क ोल हो जाएगा आपका बलड शर कभी ऊपर भाग जाता ह तो कभीनीच भाग जाता ह आपको इसको बीच म लाना होगा इसक लए एक दन नमक खबखाइय और एक दन खब मीठा खाइए और दा तो एकदम छना नह हrdquo डॉ बाल नबीमारी क जड़ हलात ए कहा

ldquoजी डागडर साब एकदम खान-पान का नयम बाध लत ह दा तो हम बस कभी-कभार ही पीत ह नशा का कोई आदत कभी नह रहा हमकोrdquo जगद श यादव न शट क

बटन लगात ए कहाldquoद खए दा ओकजनली पीन म हज नह ह द कत रोज पीन स ह च लए

आपको कछ दवा भी द दत ह हो मयोपथी स ही ठ क कर दग आपको अभी महीना भरका खराक द दत हrdquo डॉ बाल न टबल पर सजी चीनी गोली क शीशी म स तीन शी शयाउठात ए कहा

अभी डॉ बाल शी शय को लफाफ म डाल ही रह थ क उनका सहयोगी जीत प चगया जीत को दखत ही डॉ बाल पहल तो थोड़ा झ लाए ल कन फर थोड़ा सय मत होत

ए बोल ldquo या जीत य या समय ह आन का दन भर म चार घटा भी तो ड यट दो जबदखो तब गायब रहत हो यहा मरीज सभालना होता ह इसी लए न रख ह तमको समझक नह rdquo

ldquoहम तो टाइम पर ही आ जात ह सर मरीज भी आए तब न इधर थोड़ा घर म टशनह उसी म रहना पड़ता ह यहा मरीज तऽ आप भी सभाल ली जएगा घर हमको अकलादखना पड़ता ह सर बाबजी प ह दन खा तर थोड़ा बाहर गए ह अब घर दख कड पसरी दख आपका वो तो हम ही ह जो इतना कम पसा म भी आ जात हrdquo जीत न भरमह गटखा लए बड़ आराम स कहा

ldquoठ क ह ठ क ह जाओ जरा एक बा ट पानी तो ला क रख दो मरीज आता ह तोपीन का पानी तक नह होता हrdquo डॉ बाल न चढ़कर कहा

ldquoला दत ह जरा मनट थरा तो लन द जए पानी तो आप अपन भी ला सकत थओह ई सब काम क लए भी मरा असरा दखत ह कसा डा टर ह आप सरrdquo जीत नबधड़क हो कहा

ldquoबाप र या बोली चाली ह बो लए ई टाफ का बोली ह मा लक स ऐस बात करताह कोईrdquo जगद श यादव न बदबदात ए धीर स कहा

पर जीत कान का प का था और अपन मजाज का टढ़ा उसन जगद श यादव कबात सन और समझकर भी ऐसा जताया क जस कछ समझा नह कछ सना नह

तभी उसक नजर डॉ बाल स मली और अगल ही पल उसन जगद श यादव कतरफ दखत ए बोला ldquoअर जगद श चाचा को णाम बीमार ह याrdquo

ldquoहा हा थोड़ा सी रयस द कत हो गया ह जगद श जी को दवा दए ह बलड सरका ॉ लम ह सास और छाती म द कत ह इ क शन न बढ़ जाए हो मयोपथी चलाए हदखत ह या होता हrdquo डॉ बाल न कहा

यह सनत तो जीत लगभग च ला उठा ldquo या सर जगद श चाचा हमार घर-गाव कह आप हो मयोपथी द क र स काह ल रह ह हो मयोपथी स ब त दन लग जाएगा और

या पता ठ क हो भी नह और आप हमशा बलड सर स होन वाला हर बड़ा बीमारी मइज शन दत ह इनको हो मयोपथी द दए अर सौ पचास पया हाथ का मल ह सरउसका चता न क रए अ जी दवाई और इज सन द जए सरrdquo जीत न अपन चाचा क

लए भयकर चता म कहा यह सन डॉ बाल सर को हलात ए एकदम-स गभीर होउठ इधर जगद श यादव भी एक बार डॉ बाल को दख तो एक बार जीत को उनकोअभी यह समझ नह आ रहा था क वो जीत क बात को चहलबाजी समझ या एकअनभवी और कत बोध स भर म डकल क पाउडर क ज मदारी भरी सजगता समझजसन डॉ टर को उसक खास वशषता याद दलवा उस इज शन क याद दला द होजसस उनक बीमारी को जाना था

जगद श यादव अभी इसी उधड़बन म ही थ क डॉ बाल न जीत क तरफ दखत एकहा ldquoअर जीत बात तो तम ठ क कह रह हो दना तो चा हए ही इनको इज सन ल कनजहा तक हमको याद आया क वो इज सन था नह पास और लोकल म उतना महगा औरअसली इज सन मलना भी म कल ह इस लए नह दए जगद श जी कोrdquo

ldquo या बात कर रह ह सर य द खए यह तो हम रख थ एक ड बा ऊ चरसी गाव कउस मरीज वा त मरजसी क लएrdquo जीत न तरत सामन क छोट आलमारी स एक इज सनका ड बा नकालत ए कहा

ldquoआहा ली जए मल गया बाह या सयोग ह वाह बटा जीत जीत एकदम जाग कलड़का ह म डकल का जो जानकारी इस उमर म ह इसको ई बड़का-बड़का म नह अ छा कतना दाम ह डागडर साब इसकाrdquo जगद श यादव न लगभग चहककर कदत एएक सास म यह सब कह-पछ लया था

जगद श यादव को तो जस लगा क उजड़ पहाड़ म भी हरी सजीवनी बट मल गईहो

जगद श यादव अभी अपन मन को जीत क लए कवल अ छा सोचन दना चाहत थव मन-ही-मन सोच रह थmdashभल ब नया का ब चा ह पर ह साला तज इसका अनभव ककारण ही हमारा इलाज तो हो जाएगा अब ठ क स नह तो पता नह हो मयोपथी स याहोता मरा

ldquoआप न चाचा दाम और पसा का छो ड़ए और चपचाप पहल आइए ल टए चौक परच लए पजामा सरकाइए बाह म दद करगा इस लए च ड़ म दना होगाrdquo जीत इतना कहत-कहत जगद श यादव को धकल चौक म लटा चका था

ldquoऐ जीत ल कन फर ऊ बढ़वा का या करोग फर अगर आ गया तोrdquo डॉ बाल नएक और मरीज क लए च तत होत ए पछा

ldquoसर यहा मरा चाचा मर रह ह और आपको बढ़वा का चता ह उसका हम ला क दगइज सन आप इनको द जए पहल ज द गोड़ पकड़त ह आपकाrdquo जीत न भावकअपील क डॉ बाल स

अपील परी होन स पहल ही डॉ बाल सई म दवा डाल उसक न क को खड़ा कर दो-चार बद नकाल सी रज क हवा चक कर चक थ जीत न तरत सरक पजाम को थोड़ा औरसरकात ए एक नयत जगह पर ई म ट लकर घसा और अगल ही ण डॉ बाल न

अपन यश वी हाथ स उस थान पर सई भ क जगद श यादव क नस म दवा उतार दयाथा यादव जी उ ट पड़ थोड़ा-सा चीख उ ह लगा जस महाभारत क मदान स भटका कोईनक ला तीर पछवाड़ आ गड़ा हो

ldquoचाचा तनी 5 मनट च र पर ई को रगड़त र हए जादा पावर का एट बाय टक सईथा इस लए थोड़ा दद करगा पाच मनट म ठ क हो जाएगाrdquo जीत न बाहर पानी स हाथधोत कहा

पाच मनट बाद जगद श यादव पजामा क डोर बाधत पद क बाहर वाल बच पर बठउनक एक तरफ स उठकर टढ़ अदाज म बठन स साफ समझा जा सकता था क उनक सईवाल थान का दद अभी गया नह था जगद श यादव को अभी फकन सह क यहा पाट मजाना था सो वो दद को ल थोड़ा च तत ए क वहा कस बठगा फर अगल ही पल सोचाकौन-सा वहा बठना ह वहा दरोगा बीडीओ और फकन सह जसा बड़ा आदमी लोगरहगा उनक सामन तऽ खड़ ही रहना ह

जगद श यादव अभी यही सब सोचत ए सामन टगी घड़ी क तरफ भी दख रह थतभी जीत न कलकलटर नकाल उस डॉ बाल क तरफ बढ़ाया

इधर जगद श यादव न भी अपनी दा हनी जब म हाथ डाल अदाजन टटोल क तीननोट नकाल तीन सौ-सौ क नोट नकल आए थ हाला क उ ह न नकाला पचास का नोटसमझकर था कलकलटर ट प-ट प करत एक नजर डॉ बाल न जगद श यादव क तरफदखा और उसक बाद सामन रखी अपनी डॉ टरी वाली रसीद पर फ स क रा श लख उसकलम स गोल कर जगद श यादव क तरफ बढ़ा दया

ldquoच लए य ली जए जगद श जी फ स तो ब त हो गया ल कन आपक लए तो छोड़नाहोगा ही न आपका आ टोटल तीन सौ पतीस पया ल कन आप हमको द जए सफ दोसौ साठ पया इसम एक पया भी नह कमाना ह हमको आपका रोग ठ क हो जाए बसइसी स मतलब ह हमको और भगवान स आ मागत ह आपक लएrdquo डॉ बाल न घनघोरआ मीयता और बपर छट दन क साथ कहा

जगद श यादव क पास बताए गए फ स को दन और डॉ टर बाल क द आ लन कअलावा चारा ही या था जगद श यादव अब तरत नकलना चाहत थ

एक कप चाय और कछ मनट क ग प क च कर म जतना होना था उतना हो चकाथा जगद श यादव न झट स हाथ म रख तीन नोट डॉ बाल क तरफ बढ़ाए डॉ बालन पस ल अपना दराज खोला और उसम स चार दस का नोट नकाल जगद श यादव कतरफ लौटाया जगद श यादव बच पस लत उठ खड़ ए एक झटक म खड़-खड़ नम कारकया और बाहर आ गए पीछ स डॉ बाल भी उठ खड़ हो आए और आग स वा य परयान दन और दा न पीन क याद दलात ए पनः अदर आ अपनी कस पर बठ गए

अदर जीत गलास स पानी पी रहा था गलास रखत बोला ldquo या सर च लए द जएज द हमारा पचास पया बो लए एक घटा म ही ऐसा दो मरीज आपको मल जाए तो का

दन- दन भर माला जपना बठ क सर परा दो सौ कमाए क नह अभीrdquoयह सन डॉ बाल जोर स हस और पचास का एक नोट दराज स नकाल जीत को

थमायाldquoलो भाई जीत बात तो सही बोल तम तब न त हरा नखरा सह क भी तमको रख

हrdquoफर डॉ बाल न जीत क बार म जगद श यादव ारा कही सारी बात भी जीत को

बताई दोन आपस म खब हस और जीत बीच-बीच म जगद श यादव को गाली भी दयाldquoहा हा साला जादव जी बोलत ह ब नया का ब चा ह हम हमारा तऽ काम ह काम

कम नफा यादा तऽ ली जए वही कर क दखा दए याद रहगा कोई ब नया का ब चा सभट आ थाrdquo कहत ए जीत फर जोर स हसा डॉ बाल भी लगातार हस रह थ हसनावा य क लए लाभदायक होता ह

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शाम ढलन को थी जगद श यादव बड़ी तजी स बाइक उड़ात फकन सह क घर प चबाइक स उतरकर उ ह न सामन बठ प षो म सह को हाथ जोड़ णाम कया तभी अदरस फकन सह बाहर आया

ldquoका जादब जी एतना दर करन स काम चलगा आपको ज द बलाए थ न सबबब था हो गया हrdquo फकन सह न सामन रखी एक कस ख चत ए पछा

ldquoएकदम फकन बाब माल ल लए ह ड गी म ह गाड़ी क थोड़ा बीमारी स परशानह वही इलाज म फस गए थ इस लए जरा लट हो गया नह तो चार बज ही हा जर होतहमrdquo जगद श यादव अभी बीमार दखन जसी कराह का थोड़ा अश लए बोल

ldquoपहल यहा का इलाज करवा ली जए आज ठ क स दरोगा टर धर क थाना म सड़ादगा तऽ फर इसका इलाज म कल ह बीमारी स तऽ बाद म पहल थाना दौड़त-दौड़त मरजाइएगाrdquo फकन सह न अपना मोबाइल नकालत ए कहा

ldquoअर आपक रहत कस मर जाएग फकन बाब कसका औकात ह जो हाथ डाल दगाआपक आदमी पर जब आपका कपा ह तो कोई फ कर नह हrdquo जगद श यादव न ऊपरीजब स खनी का ड बा नकालत ए कहा

जगद श यादव को पता था क दा का नशा तो दो-चार घट म चढ़कर उतर भीजाएगा ल कन अगर कायद स च मच बन चापलसी का घोल तयार कर चरणवदन का घटपला दया जाए तो यह नशा साल तक रहगा जगद श यादव न बात -बात म वही जामपलाया फकन सह को

जगद श यादव अभी लगातर अपन चहर प एक छछड़ी-सी सम पत हसी बनाए ए थऔर रह-रहकर बना कसी औजार क फकन सह क शान म जतन कसीद गढ़ सकत थगढ़ रह थ जीभ स गढ़ कसीद औजार क काम पर भारी पड़ जात ह कभी-कभी

फकन सह न जगद श यादव को सामन रख बच पर बठन का इशारा कया तब तकप षो म बाब अदर जा चक थ उ भर चापलस क फौज पाल चक प षो म सह कलए फकन सह क शान म जगद श यादव ारा लगाए जा रह भारी-भरकम जयकार काकोई मतलब नह था व इस तरह क कपर स होन वाली आरती क माया खब समझत थ

ल कन फकन सह तो प षो म सह क वरासत को सभाल अभी नया-नया पचपरम र बना था एकदम नया दवता था अपन खानदानी दवमडल का सो उस अपनी

शसा म होन वाली पजा-आरती सब खब भाती थी ऊपर स जगद श यादव तो वहा कपरान पडा थ ज ह पता था क कसको कब कतना या भोग चढ़ाना ह

जगद श यादव अ छ तरह जानत थ क फकन सह जस खानदानी आदमी का मनलाल-पील बोतल स नह उसक शान म कही बात स मोहा जाता ह

ldquoएक बात बोल फकन बाब बरा तऽ न मा नएगाrdquo जगद श यादव बोलldquoअर बो लए मद याrdquo फकन सह न कहाldquoनह फकन बाब आप चाह तऽ चार जता मार ली जएगा ल कन ई बात आज हम

कह क रहगrdquo जगद श यादव न रोमाच बढ़ाकर कहाldquoअर जादब जी अब क हए भीrdquo फकन सह न एक मखमली झझलाहट क साथ

कहाldquoफकन बाब हम परा इलाका और समाज घमत ह दस तरह क लोग स बात होता

रहता ह लोग का एक ही बात कहना ह क इस खानदान म फकन सह जसा आदमी सराकोई न आ मन जान ली जए पचायती प षो म बाब भी करत आए ह सदा स ल कनजो खशी और सतोष लोग को आपस मलता ह वो बड़का मा लक स नह क लयर बता दरह ह हम आपको चाह जो लग आपकोrdquo जगद श यादव न हाथ हलात आख-मह सब सभाव-भ गमा बनात ए कहा

ldquoहट मद बाबजी का अलग इ जत ह जादब जी पराना जलवा हrdquo फकन सह नजगद श यादव स सहमत होत ए भी टोका

ldquoबस य आप बोल एक नबर सही बात उनका पराना जलवा ह हम उनक इ जत मकमी का कोई बात ही नह बोल रह ह आज भी उनक आग सर नह उठता ह हम लोग काहम तऽ बोल रह ह क आज क जमाना क अनसार जो बात-बवहार और जो वचार होनाचा हए वो आप म ह आपका एक अलग परभाव ह जनता पर दसरथ क तऽ चार बटा थन ल कन राम जी क एगो अलग बात था क नह आप वही ह इस खानदान का आपकदादा जमान स दख रह ह तब बोल रह हrdquo जगद श यादव न अचानक स चमचई का नयारा ीय रकॉड था पत करत ए कहा

फकन सह को तो इस व जस मलखानपर अयो या-सा दखन लगा था जसला टक क कस पर वो बठा था वो अचानक उस राज सहासन-सा फ ल दन लगा था

एक ऐसा राज सहासन जो बना लका वजय क झझट बगर ही मल गया था उसका मनकर रहा था क उसक हाथ स कोई मोबाइल छ न ल और कध पर तीर धनष टाग द सामनसड़क स आ जा रह ामीण सब उस अयो यावासी और सामन बच पर बठ जगद श यादवपजाम म ही भ हनमान दखन लग थ

फकन सह म फर आग कछ और सनन क उ सकता अदर स लात मार रही थी वोचाहता था क जब राम बना ही दया ह जादब जी न तो आग क कहानी म या पता सीताजी का वय बर और लका वजय भी करा ही द

ldquoऔर या- या बोलता ह प लकrdquo फकन न कस पर पसरत ए म कयाकर पछाldquoपरस का बात बतात ह आपको मलखानपर छो ड़ए सकदरपर इग लसपर

पीपरा डोमा च कया म लोग बोल रहा था क फकन बाब को वधायक लड़ना चा हएएकतरफा जीत मलगा का लटपटाए ह ऊ खाली मलखानपर क परधानी क फर मrdquoजगद श यादव न अपन ही परान रकॉड को व त करत ए कहा

जगद श यादव न आज अपना सव उड़ल दया थाकछ लोग च मच होत ह पर जगद श यादव क आज का चापलस व व तार लत ए

कलछल जतना वराट हो चका था एक कलछल म बीस स अ धक च मच-चमचा गरी आसकती ह

जगद श यादव अपना म समम द चक थ अब बाक तो दरोगा क आन क बाद पताचलना था क उनका जा चला क नह

तभी दो बाइक दरवाज पर आकर क ामसवक शभ जी और उनक साथ तीनछोट-मोट ठकदार थ जो बीडीओ साहब क अगआई क लए वतः आए थ इधर अदर सतभी लटक और काशी साह भी बाहर आए जो पछल घट भर स पछवाड़ म मगा-मछलीक र सपी तयार करन म लग थ दरवाज पर अब गहमा-गहमी बढ़ गई थी लटक नक सया सजा बीच म दो टबल रख दया था साथ खड़ लोग उसक मदद कर रह थ काशीसाह को दख जगद श यादव तो उछल-स गए थ अभी कछ दर पहल तो बट जीत न बतायाथा क वो बाहर ह फर यहा कस

इतना दखत कछ ही मनट म तो अब कई बात पर दमाग जा रहा था जगद श यादवका अचानक पीछ पड़ी सई क चभन को एक बार पनः महसस कया जगद श यादव न

ल कन मन म चल रही सारी उथल-पथल क बाद भी अभी चप रहना ही उ चतसमझा

काशी साह दोपहर स ही दशी मगा का जगाड़ कर उस छ लन-काटन म लग गया थाकाशी साह जगल स लकड़ी काट बचन का काम करता था ऐस म आज दरोगा जी

क सवा म उप थत रहना उसका मल कत बनता था उसक साथ दो और ल कड़कट टभी लग थ

मलखानपर गाव क पीछ क बला-पहाड़ी को साफ कर एकदम नगा कर दया था इनतीन क तकड़ी न काशी साह तो हमशा सनाता भी रहता था क कस कन- कन बड़अ धका रय क बट-ब टय क शा दय म दए पलग सोफ और अ य फन चर क लकड़ीक लए असली शीशम और सखआ का पड़ काट-काट प चाया था उसन हाल ही म दरोगापारसनाथ क पलग क लए लकड़ी द थी उसन

तीन बड़-बड़ सखआ क पड़ काट गराए थ उस दन काशी साह न पर मौक पर हीदरोगा पारसनाथ न धर लया था अत म नए पलग पर सतान का वादा कर लकड़ी छड़वाईकानन क लब हाथ स काशी साह न तब फर लकड़ी प लस क नगरानी म मडी प ची

य क पारसनाथ नह चाहत थ क डबल बनन वाला पलग कसी और प लस वाल स शयरकरना पड़

इसी क बाद अपन सबस अ छ बढ़ई स पलग बनवा भजा काशी साह न उसी म सएक सपाही घर क लए ब च क पढ़न खा तर टबल बनवा गया था

खर दरोगा पारसनाथ क थान वाल आवास म बछ उस पलग क न काशी दखनलायक थी जस पड़ पर कभी सकड़ च ड़य का घर था उनक सरीली चचआहट थीआज उसी पड़ स बन पलग पर दरोगा जी साड़ क तरह घोलट-घोलट खराट लत थ

इधर अब पाट क सभी तया रया परी हो चक थ फकन सह वह दरवाज पर टहललगातार मोबाइल ट प रहा था नटवक आ-जा रहा था

ldquoह लोhellip ह लो सर कहा तक प च हा हा फकन सह बोल रह ह ह लोhellip ह लोऔर कतना दर सरrdquo इतना कहत नटवक फर चला गया

गाव म मोबाइल तो अब धीर-धीर कई हाथ म आन लगा था पर नटवक कसी- कसीजगह ही आता कई बार तो एक स अ धक लोग एक ही जगह इकट ठ हो जात मोबाइललगान क लए एक- सर क बात तीसर को षत हो जाती थ च ल-प म

यह वकास का अपना शाट कट आगमन था जहा मोबाइल था नटवक नह डसएट ना था बजली नह पानी क टक थी पर पानी क आप त नह

ldquoसर ली जए न हमरा फोन म टावर पकड़ रहा ह इसस लगाए याrdquo ामसवकशभ जी न एक भारी भरकम मोबाइल नकालत ए कहा

ldquoअर रहन द जए आन वाला होगा सब अर लटकआ सब तयार करो ज द औरएक चौक नकालो बाहर ई सब पाट का खाना-पीना टबल म होगा र इतना गलासबोतल रहगा खाना-पीना भी हrdquo फकन सह क इतना कहत ही एक सफद टाटा समोसामन स आती दखाई पड़ी

ldquoली जए साहब आइए गए बाप र गजब अदाज ह फकन बाब आपका मान गएआपकोrdquo ामसवक शभ जी न एक ऊटपटाग हसी क साथ बमतलब क बात कही

ldquoदरोगा बाब लट करग याrdquo जगद श यादव न अपन मतलब का सवाल बदबदायाइधर समो स उतर बीडीओ साब भी कस पर बठ ही थ क जगद श यादव क आ मा

क पकार पर एकदम तभी ही थान क जीप घरघराती ई दरवाज पर आ क ldquoआइए आइए सर ली जए दोन लोग एकदम साथ ही आ गए ए जादब जी जरा

कस ख चए न इधर पारस बाब क लए आप भी इधर आइए न सर इधर पखा का हवाआ रहा ह ए शभ जी जरा दौड़ क भीतर क एक और टबल फन ल क आइए तो लगाइएबीडीओ साब परrdquo फकन सह न अपनी लगी समटत ए चौकस मजबान क तरह कहा

बीडीओ ह र काश मडल न दरोगा पारसनाथ भ को दखत ही हाथ मलाकरअ भवादन कया ldquoद खए एकदम ऑन टाइम प च ह पारसनाथ जीrdquo बीडीओ ह र काशमडल न एकदम चट ल अदाज म कहा

ldquoअर बीडीओ साब प लस तो लट स आन क लए बदनाम ह अब कह -कह तोप चना ही होगा ना टाइम पर महाराज प लस क साख का सवाल ह ऐसा मौका पर भी

टाइम स न प च तो कस बात का प लस या जी ऐ तम लोग भी बताओ ठ क बोल कनह rdquo दरोगा पारसनाथ न बाक खड़ लोग क तरफ भी सर घमाकर कहा पर माहौल मठहाका गजा सबन दरोगा पारसनाथ क इस बात पर अजीब-सी हसी चहर पर लए समवतवर म lsquoसही बात सर सही बातrsquo कहा

जगद श यादव तो बा कय क क जान क बाद तक भी सर हला रह थ उ ह न तयकर रखा था क दरोगा कछ न भी बोल तब भी उसक स मान म उसक अनकही बात म भीहम सर हलाना ह मह फल सज चक थी रा य सरकार ारा चा रत एव सा रत ययवा य lsquo शासन आपक ारrsquo का अद भत नजारा इस व सा ात दखा जा सकता था

चौक पर गलास सजा लटक भडारी अदर ज स बफ लन चला गया काशी साहभनी ई मछली का लट सजा चक थ लटक भडारी न जगद श यादव को अपनी आख सइशारा कया जगद श यादव दौड़कर मोटरसाय कल क ड गी स ज री सामान नकाललटक को द आए अभी मछली का एक-एक टकड़ा ही मह म डाला गया था क लटक नअपन शट क दोन बाह चढ़ा ल अब पाट का सबस मह वपण दौर श होन वाला थालटक भडारी क हाथ का नर गलास म उतरन वाला था ामसवक शभ जी एक बड़ सथाल म चना और मगफली भ जया म याज टमाटर मला चटकदार चखना लए आए औरबीच चौक पर लाकर रख दए वहा उप थत हर एक अपना यथासभव योगदान दरहा था मह फल क रौनक बनाए रखन म एक भी ऐसा नह था जो वहा बना कसीवजह क लगा हो सबक उप थत होन का कछ न कछ मतलब था बमतलब वहा कछ भीनह था न दा न मगा न जत ए लोग

ldquoहमारा थोड़ा ह का ही बनवाइएगा फकन जी रात को डीएसपी साहब क यहा एकमी टग म जाना ह जान जाएग क दा पी क आया ह तो फर बोतल लकर जाना होगाबड़ा गजब नयम बनाए ह डीएसपी साहब जो दा पीक ड यट पर मलगा उसको जमानाम डबल दा दना होगा अब द खए इस डर स वभाग म ब त क ोल ह हम लोग पीत हतो बचक ही पीत हrdquo दरोगा पारसनाथ न चखना उठात ए कहा

ldquoबताइए या दमाग भड़ाए ह डीएसपी साहब ऐस थोड़ अ धकारी बना ह उ सबआदमी दमाग ह तब न चला रह ह शासन को परा जला दखना पड़ता ह उनकोrdquoफकन सह न भरी गलास बढ़ात ए कहा

ldquoअर हम तो उनक साथ एक बार इल शन ड यट म काम कए ह खान-पीन काएकदम दलदार आदमी ह डीएसपी साहब कोई घमड नह सपाही क साथ भी पी लगारोड कनार ताड़ी भी पी लगा ऐसा नह ह क कोई तामझाम चा हए उनको माई डयरआदमी ह एकदमrdquo बीडीओ ह र काश न डीएसपी क उदारता और साद जीवन ससब धत स मरण सनात ए कहा

वहा उप थत सभी लोग अभी जल क डीएसपी साहब क प लस शासन को च त-त रखन क उनक अपन मौ लक डबल दा लाओ मॉडल क भ र-भ र शसा कर रह

थ सब का मानना था क ऐस 2-4 अ धकारी और आ जाए तो जला का प लस शासन

रा य म सबस टॉप पर आ जाए जगद श यादव न तो पर रा य म यही नयम लाग करन कजोरदार वकालत करत ए लपककर मग क टाग वाली कटोरी दरोगा पारसनाथ क सामनरख द पारसनाथ न कटोरी बीडीओ ह र काश क तरफ सरका द बीडीओ साहब एकहाथ म गलास पकड़ बड़ त लीन होकर लात खान लग

ldquoएक लात और द सरrdquo ाम सवक शभ जी न उचककर पछाldquoहा लाओ न जी 2-4 ठो और ल आओ अhellipतम लोग मगा का टाग को लात बोलता

ह र साला बकचोद करता हrdquo बीडीओ ह र काश न म ती म लड़खड़ाती जबान सकहा

सभी न जोरदार ठहाका लगाया सवाय ामसवक शभ जी कलगभग घट भर का समय बीत चका था अभी तक कोई मतलब क बात श नह

ई थी दरोगा पारसनाथ जान को पट म ब ट बाधन लग थ उ ह न आवाज लगा ज दअपन सपा हय और ाइवर को खाना खाकर तयार होन को कहा ठ क इसी ण जगद शयादव न बचन स फकन सह क ओर दखा चौक पर रखी जगद श यादव क ारालाई गई तीन बोतल खाली हो चक थ अभी चौथी बोतल ामसवक शभ जी क लाई ईखली ई थी

क तभी फकन सह न मह खोला ldquoअ छा पारस बाब ई हमारा एक आदमी हजगद श जादव इसका टर चलता ह कभी-कभार प थर ढोन मrdquo

ल कन दरोगा पारसनाथ न बीच म ही टोकत ए कहा ldquoओ य जादव जी को न अरइसको तो हम जानत ही ह बड़ा हो शयार आदमी ह आप भी सावधान र हएगाrdquo

ldquoनह जर ऐसा कोई गलती हो गया हो तो माफ क रएगा कभी बात नह उठाए हआपका वह आपका सपाही झठ बोला था आपस क हम पसा दन स मना कए ह उअलग स पसा माग रहा थाrdquo जगद श यादव न बना कछ सोच-समझ जो मन म आया बोलडाला

ldquoजरा द खए दख इनका हो शयारी सपाही को भी झठा बोल द रहा हrdquo दरोगापारसनाथ न भ चढ़ाकर कहा

ldquoअर आप ब त बकर-बकर काह कर रह ह जादव जी जो आ सो सधार कर अबस ठ क स काम क रए न आप सपाही और शासन पर अगली उठा द जएगा चलजाइएगा भीतर एक दन यही रवया रहा तोrdquo फकन सह न मामला सभालत ए कहा

ldquoजी गलती हो गया फकन बाबrdquo जगद श यादव न हाथ जोड़ कहाldquoए सनो भाई अब फकन जी का परवी ह तो एक मौका दत ह फर स इस बार सधार

कर ली जए अपना लन-दन म अर हम लोग तो खद साला चाहत ह क प लक का सवाकर ल कन आप लोग को भी तो याल रखना चा हए प लस शासन का ताली एक हाथस थोड़ बजगा जादव जीrdquo दरोगा पारसनाथ न मड बदलत ए कहा

ldquoएकदम एक सौ पसट सही बात ह अर शासन आपस कोई भीख थोड़ी माग रहा ह

जी इनका जो अ धकार बनता ह वह द द जए और आराम स अपना काम क रए कौन हफर रोकन-टोकन वालाrdquo फकन सह न लगभग मामला फाइनल करन का इशारा दत एकहा

ldquoस नए जादव जी आप एक काम क रएगा थाना म जाकर एक सपाही होगा भोलासह उसस मल लना और उसी स अपना लन-दन का बात कर लना आप लोग पाच ठो हप थर वाला गाड़ी सब एक साथ मलकर बात कर लना काम कोई भी नयम स क रए तोठ क रहता ह एक प म तीन सौ पया कमात ह आप लोग अब उसी हसाब स जोउ चत होगा भोला सह बता दगाrdquo दरोगा पारसनाथ न पनः ब ट टाइट करत ए कहा

ldquoहा य सही ह अर जादव जी मोबाइल ह न आपकोrdquo फकन सह न पछाldquoहा पछला महीन ही तऽ लए ह घर रखत ह कह टाबर नह पकड़ता हrdquo जगद श

यादव न अब लगभग चन क सास लत ए कहाldquoसब पकड़गा टावर नह तो अपना पकड़ ली जएगा आप दरोगा जी क नबर रख

ली जए और अपना नबर जाकर भोला सह को लखा द जए जब भी कोई सवा-पानीहोगा तरत क रएगा अर सवा करक द खए उतना स 10 गना यादा कमा ली जएगा चतामत क रए जाइए तो ड़ए पहाड़ ब फकर होकरrdquo फकन सह न दरोगा जी क तरफ सलगभग शासनादश नकालत ए कहा

ldquoच लए भाई हम अब नकलत ह जादव जी का मटर सलट गया काशी का भी बोलदए ह लोकल सपाही को लकड़ी कटवा क थाना ए रया क बाहर तक प चवा दगा आगका गारट नह य क एसपी साहब कड़ा आए ह उनक हाथ पकड़ा जान पर लबा मालदना होगा च लए हमको ज द नकलना ह बीडीओ साहब अभी एनजोय करग आधा राततकrdquo कहत-कहत दरोगा पारसनाथ अपनी जीप तक प च गए उसक पीछ-पीछ फकनसह जगद श यादव काशी साह भी दरोगा को जीप तक छोड़न आए हाला क प लसऔर इन लोग का सबध तो ऐसा था क न यह दरोगा को छोड़ सकत थ न दरोगा इन सबकोछोड़ता था कभी दरोगा पारसनाथ को भाव-भीनी वदाई द फकन सह और बाक लोगपनः मह फल क ओर लौट बीडीओ ह र काश अब तक कस स उठ चौक पर पालथीमार बठ चक थ यह कसी भी पीन वाल स जन क यानाव था म ा होती ह जसम अबपीन वाल को इस बात का यान नह होता क उसन कतना पी लया ह और अभी औरकतना पएगा इस अव था म वाइज बस साक स एक ही वन नवदन करता रहता हldquoआप दत जाए हम लत जाएrdquo बीडीओ ह र काश इसी स वा य को दसी वजन मबदबदाए जा रह थ

ldquoफकन जी आप ढारत जाए हम मारत जाए द गटागट द गटागटrdquoपय पदाथ म दा सबस समाजवाद और समतामलक च र का होता था शायद

यही कारण ह क दा हमशा स मा सवा दय समाजवा दय म सबस य पय रहा थायही एक ऐसा पय था जस पीन क बाद आदमी का दमाग चाह जतना आसमान उड़ परशरीर अ सर जमीन स जड़ा जमीन पर लटा आ मलता था जमीनी क था दा दा

बड़ और छोट का फक मटा दता थाअब बीडीओ ह र काश अपन शट का ऊपरी दो बटन खोल पट का ब ट ढ ला कर

चौक पर लगभग व ण भगवान वाली परम आराम आसन म ा म लट चक थ वह सामनकस पर बठ चौक पर हाथ रखकर फकन सह भी पसर गया था ामसवक शभ जी भीअब याराना अदाज म चौक पर ही चकमक बठ गए थ अभी उनम कौन बीडीओ ह औरकौन मामली ठकदार या ामसवक यह अतर मट चका था शभ ाम सवक समत 2-3आए बहद मामली बचौ लए भी अब सीध बीडीओ साहब स गलास चयस कर पी रह थ

शासन और आम जनता क बीच सबध का इतना भीषण मानवीय प दख गाव कावातावरण भी भाव व ल हो उठा था लग रहा था कह गरज क साथ छ ट न पड़न लगजाए भादो स पहल ही

दा पयन व ान कहता ह क दा पीत व आदमी और दा क सबध म तीनअव थाए आती ह पहली जब आदमी दा को पीता ह सरी जब दा आदमी को पीनलगती ह तीसरी और आखरी अव था जब दा आदमी को पी चक होती ह

बीडीओ ह र काश अभी सरी और तीसरी अव था क बीच म ही कह थ इसम भीएकदम सट क तौर पर वह कहा थ यह पणतया प हो बताना म कल था थोड़ा बीडीओह र काश का मन अब म इल ॉन क भा त घम रहा था कहा जाएगा या सोचगाऔर या कर दगा कछ नह पता तभी अचानक स ह र काश झटक स उठ पनः बठ गए

ldquoअर यार फकन सह जी भाई एक बात बताइए हो य मध लता दवी ह या कोईआपक गाव क rdquo बीडीओ ह र काश न हाथ म गलास उठाए ही पछा

ldquoहा सर ह तो यही नीच टोला म घर ह उसका आगनबाड़ी म काम करती हrdquoफकन सह न पर चौक स वापस समटत ए कहा

ldquoओ अ छा आप ही क गाव क ह हमको बोला एक आदमी हम बोल क फकनसह स पछ काह ना लrdquo बीडीओ ह र काश न एक लबी सास लत ए अपन सामन कदात स मछली का काटा ख चत ए कहा

ldquoकाह सर कोई बात आ काrdquo फकन सह न अपनी उठाई गलास को चौक पररखत ए पछा

ldquoनह नह कोनो बात तो नह आ ह ल कन यह बताइए क या हसाब- कताब हइसका कसा ह इसका रकॉड हम दखत ह जब द खए तब हमार चबर म घस जाती हमन बना पछ साला कई बार मना भी कए ल कन मानब नह करती ह हम तो सालासाध आदमी अब लडीस ह आप कछ कह भी नह सकतrdquo बीडीओ ह र काश नएकदम आज क साध वाल मन स कहा इतना सनत ही दरोगा पारसनाथ क जान क बाद सही एकदम न य स बठ जगद श यादव क शरीर म अचानक फत का सचार आ वहकछ कहना चाह रह थ इस चचा म ह सा लन को मन लपलपा-सा रहा था उनका इधरबीडीओ ह र काश म कराहट जसी कछ छछड़ी-सी हलक हसी लए एक-एक कर वहा

बठ हर आदमी क तरफ नजर घमा-घमा दख रह थ पील काल दात क बीच बड़ी दर सबार-बार काटा ख चन का यास करत हकलात बीडीओ ह र काश क आख म एकअजीब-सा गाढ़ा पानी उतर आया था जो न य ही आख का पानी तो नह ही था कम-स-कम ह र काश क लाल हो चक सवाली आख उ र खोज रही थ

जगद श यादव सरककर एकदम स आग आत ए बोलldquoएकदम सही पकड़ ह आप सर ब त चाल लड़क ह मधआ थोड़ा-सा इटर तक पढ़

या ली ह बाप र ब त कानन ब तयाती ह हमारी वाइफ का होना था इसक जगह परआगनबाड़ी म ल कन पता नह का-का करक अपना नाम चढ़वा ली ढर त रया च र र हइसकाrdquo

ldquo कतना एज ह उसका आप लड़क बोल रह ह शाद हो गया ह ना शायदrdquoबीडीओ ह र काश न ग णत क क ा क ज ास छा क तरह उछलकर सवाल पछा

ldquoअर सर एजवा थोड़ यादा ह यही 26-27 साल होगा और का बहा हो गया हल कन इसका वभाव ऐसा ह क प त बचारा कम ही आता ह कतना बार ल जाना चाहासाथ म ल कन जाती ही नह ह इतना आजाद तब फर नह मलगा न चबर म कसघसगी फर जब मन तब अर इसका सब कहानी हमस प छए ना सर एक-एक हाल जानतह इसका हम जात क धो बन ह कसका या साफ कर दगी कोई ठकाना नह ह सरrdquoजगद श यादव न हाथ म भनी मछली का एक टकड़ा पकड़-पकड़ कहा

यह सब सन बीडीओ ह र काश न एक बार फर फकन सह क तरफ दखा औरकाली-पीली दात चयार हसत ए कहा

ldquoअर वाह जादव जी तो परा ज मप ी ही जानत ह मध लता का काम का आदमीरखत ह आप फकन जी बाहrdquo

बीडीओ ह र काश न सामन एक खाली रखी गलास म दा डाली पानी मलायाऔर उस अपन हाथ स उठा जगद श यादव क तरफ बढ़ाया जगद श यादव तो एकदम सअच भत स हो गए थ बना एक पल गवाए तरत पहल बीडीओ क हाथ स गलास लयाऔर फर तब गलास स हत हाथ जोड़ बोल

ldquoमाफ चाहग सर जर हम दा छोड़ दए ह डॉ टर एकदम आज स मना कर दयाह पहल तो पीत ही थ सरrdquo

ldquoहट मरद साला हमारा बात काट दोग जी तमको बझा रहा ह क नह यादव जीअर बीडीओ साहब खद पीन बोल रहा ह और तम ना-नकर कर रह हो जीrdquo बीडीओसाहब न बात को दल पर लत ए कहा

जगद श यादव अब गलास पकड़ सोचनीय अव था म पड़ गए उनका मन समाधानखोज रहा था तभी याद आया डॉ टर न कहा था क ओकजनली तो पी सकत ह जगद शयादव क दल स आवाज आई

lsquoफकन सह का ार बीडीओ साहब का साथ अ जी दा मछली और मगा और

ऊपर स खद एक कत न पदा धकारी ारा नवदन व प दा पीन को कहना भलाइसस भी बड़ा कोई ओकजन होता ह या पी लता डॉ टर और बीडीओ साहब दोन कबात रह जाएगाrsquo

इतना बस मन म आया ही था क परा गलास एक घट म गटक लया जगद श यादवन पछल कई घट क यास न उ ह वस भी अदर स तयार ही रखा था इस मौक क लएऊपर स एक स मा नत राजप त पदा धकारी क हाथ स पग लत ए जगद श यादव कोऐसा महसस आ जस कसी व व ालय क कसी द ात समारोह म महाम हम कहाथ मानद उपा ध ा त कर रह ह

ldquoवाह यह आ ना बात ली जए और ली जए साला दा कह डायर ट छोड़ा जाताह कौन बकलड डागडर बोल दया जी एकबारगी छोड़ दो दा दा का नयम ह कधीर-धीर छो ड़ए हम लोग भी साइस पढ़ ह डॉ टर ही पढ़ा ह या खालीrdquo बीडीओसाहब न एक सी नयर डॉ टर क तरह बताया लोग उनक म डकल क इस ग त ान कोदख दग थ लोग मन-ही-मन सोच भी रह थ क एक ऑ फसर बनन क लए कतना कछपढ़ना पड़ता ह शराब छड़ान को लकर जो ावहा रक ान बीडीओ साहब न दया था वहभारतीय परपरा म सबस भावी और लोक य तरीका था यहा पीन वाल म लगभग 90फ सद लोग इसी तरह दा छोड़न क या म लग पी रह थ और इस या स दाक लत छट भी जाती थी ल कन कवल उ ह क जो नया छोड़ चक होत

अब खाना परोसा जा चका था बीडीओ साहब न गल तक पी रखा था इस लए अबखाना म कल ही था फकन सह क लगातार आ ह पर मास का एकाध टकड़ा हाथ मलए बीडीओ साहब पीत ए अब गल स ऊपर तक प चन वाल थ पी तो सब न रखी थील कन सब न अपन काम भर का होश बचाए रखा था सवाय बीडीओ ह र काश कबीडीओ साहब अब फना होन क हाल म थ क फकन सह घर क अदर गया और एकफाइल म रख कछ कागजात लता आया

ldquoजरा-सा ली जए बलवा सबको क लयर कर ही द जए सरrdquo फकन सह न कागजबढ़ात ए कहा

ldquoअर लाइए महाराज कतना साइन चा हए लावा सब क लयर कर दत ह हमअभी तरत अभीrdquo बीडीओ ह र काश न हलत हाथ स द तखत करत ए लड़खड़ातीआवाज म कहा

यह दखना था क ामसवक शभ जी न भी अपन साथ आए दोन ठकदार को इशाराकया और उनस एक कागज ल उस भी बीडीओ क तरफ बढ़ाया

ldquoसर थोड़ा इस पर भी कपा कर द जएrdquo शभ जी न कहाभला इस अव था म भी बीडीओ साहब कपा न करत तो कब करत ऐस ही कछ

मौक पर तो शासन जनता क लए कछ भी कर गजरती ह बोतल गटक-गटक मन औरतन झम-झम म त कलदर हो चका था उनका ामसवक शभ जी क बल पर द तखत

करत ही कलम हाथ स छट कर गर गई बीडीओ साहब क इस तरह स जन- जनमह वपण योजन को लकर इस महाय का आयोजन कया गया था वह सब परा आजगद श यादव क दरोगा जी स अवध प थर ढलाई हत स टग हो गई फकन सह न बनाकाम कए बल क रसीद पर द तखत करा लए शभ जी न भी बना कआ और पोखराखोद ही नरगा क मज री क भगतान का फज बल नकलवा लया था अब य क म तवसजन क बारी थी यानी अब बीडीओ साहब को वदा करन क वला आ गई थी वहजस तरह चौक पर बसध उलट गए थ फकन सह का तनाव बढ़ता जा रहा था वहचाहता था क अब यह मजमा ख म हो बीडीओ ह र काश चलन क हालत म नह थबीडीओ साहब को जगद श और शभ न कध पर उठाया पीछ स फकन सह और काशीसाह न हाथ और टाग पकड़ा इस तरह भ न भगवान को लाद क टाटा समो म चढ़ादया टाटा समो म बीडीओ साहब का सबस पसद दा गीत उनका ाइवर लगाकर इतजारकर रहा था समो म बीडीओ साहब क रखात ही उसन गीत का वॉ यम तज कर दयाldquoलोग कहत ह म शराबी तमन भी शायद यही सोच लया हो हो हो हो लोग कहतहhelliprdquo

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गणशी महतो क घर रो हत न तहलका मचा रखा था घर का आधा सामान उलट-पलट कआगन म छतरा दया था मा रमणी दवी लगातार गा लया बक थक-हारकर बरामद बठ मगई थी गणशी महतो एक कोन म खड़ा हो वह स रो हत को समझान का भरसक यासकर रहा था

ldquoअर बटा अभी ठ क म त नह ह भ ा चल रहा ह 15 दन बाद ल लना इतनाइतना पसा लगाएग तो थोड़ा दन जतरा तो दखक खरीदो नाrdquo

ldquoसाला आप लोग को कछ बझाता ह हमारा कतना ब जती होगा हम सबको बोलदए क कल तक मोटरसाय कल खरीद सकदरपर बाजार को र द आएग और आपको भ ासझ रहा ह आप तो उ ब नया का ब चा स भी यादा ब जती करवा द जएगा हमाराrdquoरो हत झ ला कर बोला

ldquoअर तो नया को दखान क च कर म साला हम अपना 40000 पानी म बहा दबना कोई जतरा-पतरा दख खरीद ल एक बार ऐस ही ल लए थ पचक म एक प पग सटसाला आज तक ठ क स नह चला खराब हो गया और हमको फकना पड़ा अबमोटरसाय कल म भी वही हाल कर याrdquo गणशी न थोड़ा त ख होत ए कहा

ldquoआप तो बाबजी एकदम दहाती का दहाती ही रह जाइएगा ई बाभन प डत ही दखताह बठकर जतरा-पतरा खद ही मदन बाबा क मोटरसाय कल हरदम खटहरा रहता ह उ तऽपतरा दख खरीद ह ग ना तब काह खराब होता ह बर-बर हम साला मोटरसाय कल पतरादख कर खरीद और ऊ सपरन भगत का लड़का हमरा ब जती कोई पतरा दखक कया था

याrdquo रो हत को कसी भी क मत पर ज द स ज द मोटरसाय कल चा हए थावह मोटरसाय कल क लए इतना ही बचन था जतना राजकमार वर व म

च काता क लए वह अभी तलवार नकालकर सब कछ तहस-नहस कर दन क मड म थाऔर उसी मशा स छ ज स रजाई उतार उसम पानी डाल दया था ख टया का दो पायातोड़कर उस आगन म उ टा दया था

बड़ी म कल स मान-मनौ वल कर गणशी महतो न अपन इकलौत चराग को लाड़-लार का तल द समझाया और रो हत अत म इस शत पर माना क चलो ldquoजस 40000

वस ही कछ पसा और सही ल कन अब तम शात हो जाओ और खाना पीना खाओ ठ क हमोबाइलो खरीद लनाrdquo गणशी महतो न ख टया को खड़ा करत ए कहा

गणशी बचारा अपनी ख टया खद ही खड़ी कर रहा था एक तो मोटरसाय कल काखचा ऊपर स ठ एकलौत बट को मनान क लए मोबाइल क भी शत माननी पड़ी उस

यही वह समय था जब एकदम स दश म सचार सवा क रलायस काल का आगमन आअभी तक मोबाइल गाव-क ब म प च तो गया था पर असली ा त तो तब ई जब अबानीक रलायस कपनी न स त मोबाइल सट बाजार म उतार उस रलायस स रलायस कनटवक पर बात करना एकदम म त कर दया अचानक स अब मोबाइल गाव क धान सलकर चरवाह तक क हाथ म दखा जान लगा था सफ एक बार पसा चका दन पर मलीइस म त बातचीत क सवा न एक तरह स सामा जक ा त ही ला द थी न जान सवादऔर सपक क कतन आयाम खोल दए इस म त सवा न गाव म लड़क का झड मोबाइललकर बठ जाता और य ही कसी अनजान नबर पर कॉल लगा दता तब तक लगातार कईनबर को लगाया जाता जब तक क कसी म हला या यवती को फोन न लग जाए उधर सम हलाए या यवती भी बड़ चाव स इस साकार हो चक सचार ा त का ह सा बन वद-पराण या म तय क काल म दबकर रह गई इन ना रय क आवाज को मोबाइल ा त कएक कॉल न अब खोल दया था घघट म मह छपा जब कोई नारी चपक स फोन परबतकही करती दख जाती तो समझ जाना होता था क यह रलायस का कोई खोजी कॉलह जसन अपन-अपन मतलब का वाता पाटनर खोज लया ह ऐस लोग बना बात एक-सर को बना जान भी ब तयात और रलायस म त सवा क अव ध समा त होत ही ऐस

सबध उसी सवा क साथ ख म हो जात इस दौर म गाव-दहात न पहली बार न जान कतननव ड जटल यगल को पदा कया जो अब कल स नकलती लड़ कय स घट इतजार कबाद बड़ खतर उठा जमान स नजर बचा फककर द गई चट ठ म अपन दल क बात नहकरत ब क अब यह एक बार ह मत कर सीध मोबाइल नबर पछ लत और फर कन टगइ डया का यार रलायस ट रलायस परवान चढ़ता जाता यही वह दौर था जब अनजानऔर अच क म ही चौखट क अदर रसोई क अदर और चारद वारी क अदर वाली नारी यालड़क क जबान खलन लगी थी वह साड़ी या ओढ़नी का आड़ लए अपन कान स फोनलगाए बड़ आजाद याली क साथ हसना बोलना और ब तयाना सीखन लगी थीमलखानपर म तो एक घटना ऐसी भी घट थी जसम प छया टोला क एक 45 बरस कम हला रोज अकल म फोन पर कसी स ब तयाती थी एक दन कसी बात पर म हला उसफोन करन वाल स नाराज हो गई और अपन प त को यह बता दया क एक आदमी मझरोज फोन कर गदा-गदा ब तयाता ह तग करता ह ब त पता करन पर यह मालम आ कवह फोन बगल क चरसी गाव स आता था और फोन करन वाला मा 13 बरस का एकलड़का था इतन दन तक इन दोन म या- या अ छा-गदा ब तयाया था यह कवल वदोन और रलायस ही जान रलायस न ऐस कई रोचक जो ड़या मला रखी थी गाव-दहातम मलखानपर गाव जस दश क कतन गाव न अभी तक कवल मोटोरोला और नो कयाकपनी क बड़-बड़ आकार वाल भारी-भरकम मोबाइल सट और BSNL क लभ सम काडऔर उसस भी लभ नटवक ही दखा था ल कन अब अचानक स कवल 500 म मोबाइलसट उतार रलायस न कमाल कर दया था यह बात द गर थी क उसका नटवक अभी-अभी व तार ही पा रहा था और उसक सवाए भी एक खास अव ध क लए ही थी

इसी लहर म मोबाइल खरीद चक लटक भडारी क तो दनचया ही जस बदल गई थीवह सबह उठ अपनी ख टया ार पर नकालता और बठ मोबाइल पर कछ-कछ बटनट पता रहता बीच-बीच म कॉल लगाकर हलो-हलो भी बोलता जब वह जोर स हलो-हलोबोलता तभी अचानक स नाई टोला क कई जवान और ब च सब उसक ओर दखन लगतवह कहा फोन लगाता और कसको हलो कहता यह हमशा रह य ही बना रहा लटक जबशौच क लए मदान जाता तो अब एक हाथ क जगह उसक दोन हाथ भर रहत

उस दन सबह-सबह पानी का ड बा लकर नकला था अपन घर स लगभग 40 मीटरक री वाल खत म बठन स पहल उसन खत क मढ़ पर खड़ हो इधर-उधर दखा उससामन एक टट ई ट का आधा टकड़ा दखाई दया उसन उस उठा अपन बठन क सामनमढ़ पर रखा और मोबाइल उस ट पर रख फर इ मीनान स करन बठ गया कछ ही मनट

ए थ क उस कछ आवाज सनाई पड़ी वह एक झटक म हड़बड़ाकर उठा और लगी कोउठाए मोबाइल क तरफ लपका दखा तो आवाज उसस नह आ रही थी छ भडारी अपनखत म घसी भस को भगा रहा था असल म लटक न जब स मोबाइल लया था तब स कोईभी इधर-उधर क आती-जाती आवाज पर वह च क जाता और उस लगता उसक हीमोबाइल क घट बजी ह

गाव क लोग आपस म भला फोन पर या ही बात करत गाव क एक कोन स जराजोर स कही गई अ छ -बरी खबर मनट म गाव क सर कोन प च जाती हाला क अबगाव भी इस मायन म बड़ा होन लगा था अब एक अगर बलाए तो सरा इतनी भी आसानीस नह सन लता था एक- सर को सनाई पड़न वाली आवाज ीण पड़ती जा रही थ भीड़-भाड़ वाल कोलाहल करत शहर क तरह गाव क भी कान क पद मोट होत जा रह थआज तक भी गाव म कसी भी घर म होत शाद याह या अ य काय म हत नाई क ारानम ण भजवान क परपरा कमोबश जदा थी पर उसी परपरा क अग लटक भडारी कहाथ म आज मोबाइल को दख अब यह अदाजा लगाया जा सकता था क आन वाल कछसाल म गाव अपनी एक और वशषता खो ही दगा अब सवाद और नवता क लए नाई कआव यकता का होना न होना ए छक था गाव क ब म जहा फोन कप नय क नटवकठ क थ वहा नम ण का काम अब फोन कर दता था हाला क सचार क इन तकनीक नकछ काम ब कल आसान तो कर दया था पर तकनीक को अभी भी सामा जक मा यतानह मली थी पछल साल ही जगदानद म सर क छोट बट क जनऊ क आयोजन म उनकखद अपन बहनोई और साढ नह आए य क उ ह न घर जाकर काड स नम ण दन कबजाय फोन पर नम ण द दया था साढ न फोन पर ही कह दया था क अगर इतनायादा एडवास हो गए ह आप लोग तो अब हमस र ता ख म ही सम झए लगात र हए

अपना मोबाइल गाव-क ब म जीवन क ब नयाद स वधाए भल ही कतनी भी धीमी ग तस प च रही ह ल कन परपरा म बदलाव क ग त अपन र तार म थी पान-सपारी लकरहर घर नवता दन क परपरा तो नई पीढ़ न दखा भी नह थी हाला क अब भी कछ बड़सामा जक आधार रखन वाल प रवार ारा कभी-कभार सपारी स नवता भजवान क

परपरा का भी पालन कया जाता था इसस एक तो अ धक मा ा म काड छपवान म होनवाल खच क बचत हो जाती और साथ साथ परानी परपरा और वरासत को जीवत बनाएरखन का फोकट म यश भी मल जाता खद फकन सह क शाद म प षो म सह न सारनम ण पान सपारी भज क दलवाए थ उस समय लटक तो कम उ का रहा होगा औरइसक बाप तज भडारी को पर इलाक म योता बाटन का ज मा मला था प षो म सहक इस काम क खब सराहना ई थी लोग कहत थ च लए प षो म बाब फर स परानीपरपरा को जलाए उसको बचान का काम कए हाला क तभी गाव क ही जगदा बाबाऔर कछ अ य लोग का दब जबान स यह अदाजा था क इस हो शयारी भर नणय स कम-स-कम तीन स चार हजार पया सीध बचत कर लए ह ग प षो म बाब

लटक इधर अपन घर क दरवाज प च चका था खाली ड ब को घर क सामन वालबास क झरमट म फक कए पर हाथ-पाव धोन लगा सबह क ठडी हवा गम होन चली थीपरब दशा स म दर क लाउड पीकर स लगातार हनमान जी का भजन सनाई द रहा था 9बजन को थ आज लटक को काफ दर हो चक थी अपनी ड यट पर जान म मन-ही-मनसोच रहा था आज बड़ी गाली सनना पड़गा फकन बाब स साथ ही मलकाइन स जी लानबोली थ ऊपर स आज फकन बाब का दाढ़ भी बनाना था ज द -ज द हाथ-पाव धोउसन फलपट शट पहना और अपनी कची उ तर को एक मटमल हो चक तौ लए म लपटाऔर फकन सह क घर क ओर चल पड़ा अभी अपनी गली स नकल म दर क पीछ वालरा त पर प चा ही था क म दर क हात स कछ जोर-जोर क आवाज आन लग लटक नअपन कदम रोक यान स सनन लगा उस लगा कोई च ला रहा ह

बीच-बीच म बरागी प डत जी क पहचानी ई आवाज भी सनाई पड़ रही थी लटकको लगा प का कछ तो गड़बड़ ह य न पता करता चल फकन बाब को सनान क लएकछ तो मजदार मल जाएगा जसस इस दरी क लए गाली सननी नह पड़गी उसन म दरप चन का जो सबस शाट रा ता हो सकता था वही पकड़ा खत टपन म उसक फलपट मथोड़ा क चड़ भी लग गया था वह म दर क तरफ लगभग दौड़त ए जा रहा था अब तोलाउड पीकर स आती हनमान चालीसा क आवाज भी बद हो गई थी और म दर क हात सआती आवाज और साफ सनाई पड़न लगी थी अभी वह म दर क म य ार पर प चा हीथा क एक जोरदार तरीक स फक गई च पल उसक कपार पर आकर लगी वहहड़बड़ाकर कापत ए नीच क ओर झका पर च पल नशान पर लग चका था पहली बारकसी इसान को म दर प चत ऐसा साद मला था लटक त ध था क आ खर आया और वह अपन कपार आज या लखवाकर चला ह अब या फकन सह को यही

सनाएगा क म दर क ार खड़ा होत ही च पल खाकर आ रहा मा दो स चार पल म हीउसन यह सब सोच अभी खद को सभाला ही था क अदर स बरागी प डत जी बाहर आए

ldquoअर बाप र बाप का बताए र लटक परशान हो गए ह र एक घटा स ह भगवानrdquoबरागी प डत जी न हाथ स जनऊ पकड़ ए ही कहा

ldquoअर आ या ह बाबा य तो बताइए साला अभी खड़ा ए ह और सीध च पल मह

पर आकर लगा ह हमको तो हाट अटक आ जाता एकदम स अनचो क म कोई इस तरहआप पर कछ चलाकर मार द तो बचगा हो बाबा कोईrdquo लटक न अभी भी भयकर अचरजम हलत ए कपकपात दय स कहा

ldquoअर बाप र पछो मत सब सामान फक दया ह र भीतर चदनवा क भत पकड़लया ह मरद वही चलाया च पल भी हम का जान क तमको आकर लग गया भोर 400बज टहलन नकला था और अभी 830 बज वापस आया ह जब स आया ह तब स गाली-गलौज उ टा-सीधा बकबक कर रहा ह कोई होश नह ह कसी को नह पहचान रहा हrdquoबरागी प डत जी न पसीना प छत ए कहा

ldquoअर भगवान तब ना बताइए हम तो बाबा आवाज सन ह और बना दतवन कएबना खल-पील दौड़ ह क या आ म दर म अभी का हाल ह आपक आग कसा भतबाबा म दर म औकात ह कोई भत उ पात कर आइए न भीतर दखत ह चदन बाबा कोrdquoलटक म दर म वश क लए आग बढ़ा

ldquoअर अर को को मरद अभी वहा उसको थोड़ा शात कए ह म स धप पजाकरक रख ह और तम बना नहाए जस-तस घस रहा ह मन च पल लगा कपार पर मगरसकत नह समझ आ रहा तमकोrdquo

सनत ही लटक का तो माथा जोर स ठनका जस नया म शायद पहली बार कसीआदमी को अपन च पल खान का इतना प कारण इतनी ज द पता चल गया था और वहइसस हजार फ सद सहमत भी था लटक को याद आया क उसन शौच स आन क बादनहाया तो था नह ऊपर स पर म कादो-क चड़ लए सीध म दर घस रहा था भला हो भतका क बस च पल स ही मारा नह तो न जान या- या अनथ और करता मर साथ लटकयह सब खड़ा सोच भी रहा था और उस कसी भी क मत पर चदन बाबा को लाइव भतखलीकरत ए दखना भी था उसक ज ासा बढ़ती जा रही थी क कसका भत ह या चाहताह या लन आया ह या लकर अब छोड़गा आग भत का फर या लान ह कहारहता ह उसन हसाब लगाया क ऐस कई सवाल का जवाब पान क लए झट स पास कही चापानल पर जा एक बा ट पानी डाल लना ब त महगा सौदा नह ह उसन यही कयाउसन आव दखा न ताव और चापाकल पर रखी बा ट म पानी नकाला और दह पर डाललया हाला क उसको अब भी इसका परा होश था क उसका मोबाइल न भीग जाए सोउसन मोबाइल को अपन तौ लए म डाल कनार रख दया था पानी डाल अब काम भरप व हो बरागी प डत जी क साथ अदर घसा अदर चदन एक चौक पर लटा आ थाथका आ लग रहा था आख अधखली थ सरहान एक मट ठा अगरब ी जलाकर रखदया गया था और उसक माता पर क तरफ बठ लगातार सदरकाड का पाठ कर रही थीलटक को लगा चदन बाबा को थोड़ा नजद क स दख तभी उस अचानक यान आया औरउसन तौ लए स कची नकाल उस हाथ म रखा और फर धीर स चदन बाबा क सरहानबढ़ा असल म गाव म ऐसी मा यता थी क लोह स भत परहज करत थ इसी स को यानम रखत ए उसन सर ा क लहाज स लोह क कची हाथ म दबाकर रख ली थी

लटक न चदन क ठ क कान क पास खड़ होकर धीर स कहा ldquoबाबा चदन बाबाहमको पहचान बाबा चदन बाबा द खए ना हम लटक भडारीrdquo

चदन न अधखली आख स उस दखा पर कहा कछ नह लटक का कची भाव दखागया था शायद

लटक न बरागी प डत जी क तरफ दखत ए पछा ldquo कसी को पहचान रहा ह कनह ससलस तो नह ह अ छा कोई बीमारी-उमारी तो नह था न बाबा इनको पहलrdquo

लटक भडारी न अभी इतना कहा ही था क जोर क आवाज गजी ldquoहा र भोसड़ीवाला लटकआ भा ग साला दलाल दलाली करक खाता ह र धान क वार पर सालाहमारा सस दखाता ह र असतरा छाप दलाल भाग साल नह तो खन पएग त हारा रसाला हम बीमारी पसट ह र त हारा खन पएग हटाओ इसको भगाओ इसकोrdquo चदनदात कट कटात ए च लान लगा

लटक को तो जस काठ मार गया बना सीमट और बाल क ही वह अपन जगह जामहो गया था माथ पर पसीना कसी टट बाध स पानी क तरह हद-हद बह रहा था कलजामई क दोपहर काल वशाखी वाली आधी म हलत आम क टकोल क तरह हल रहा थाचदन क फर उ होत ही बरागी प डत जी न तरत सामन थाली म रख दो लाल फल उठाएऔर उस कछ म बदबदात ए चदन क माथ पर रख दया इधर माताजी सदरकाड कजगह हनमान चालीसा का जोर स पाठ करन लग जब चदन उ होता हनमान चालीसा कापाठ होता और उसक शा त क ण म सदरकाड का ऐस ही व ा नक म स पाठ करवापछल घट भर स कसी तरह चदन पर लटक भत को नय ण म रखा गया था पर असलीद कत तो यह थी क अभी तक भत न छोड़ा नह था चदन को

ldquoतम साला अपन भी मरगा और यहा हमारा भी स यानाश करवा दगा र अर जब हमबोल क भत पकड़ा ह तो तम ब त व ा नक बनता ह बीमारी तो नह ह हम आख दखतपढ़ लए क भत क लपट म आ गया ह लड़का और तम हो शयारी ब तयात हो हमार आगऔर उ ट भत क ही सामन डा टरी पल रह होrdquo बरागी प डत जी न लटक को लगभगडाटत ए कहा

लटक को अपनी इस जानलवा गलती का एहसास हो चका था वह बरागी जी क परपर लढ़क गया आख म डर और प ाताप क आस आन-आन को थ

ldquoमाई क रया बाबा माफ क रए जानता ह भगवान हम मन स साफ होक बोल थ ईहमार जीवन का ला ट गलती था बाबा अर हा प का भत ह बाबा कोई कछ भी बोल हमबोल रह ह आपको ना प का भत ह और यह कौन ह यह भी समझ आ रहा ह हमकोrdquoलटक न जस अब सब कछ समझ लत ए कहा उसका लहजा बता रहा था क वह कछबड़ा स य और ब कल ठोस बात बतान वाला था जस पर अभी तक कसी क भी नजरनह गई थी

ldquoअर मद भत तो ह ही ल कन ता जब इस बात का हो रहा ह हमको क अभी तक

भागा कस नह ह 40 बरस हो गया हमको भत को रगड़त-पटकत ल कन ऐसा ज बर भतनह दख जो इतना दर हम स मकाबला कर ल म दर का हाता ह इतना प व थान इतनापावर का म द रह ह ऊपर स बगल म हनमान जी का तमा ह और तब भी भाग नह रहाह हमको असली चता यह हो रहा ह लटकrdquo बरागी प डत जी न भत स 40 वष यमठभड़ म अपन एकतरफा जीत का गौरवशाली इ तहास बतात ए गव और चता क मल-जल गव च तत वर म कहा

लटक हाथ जोड़ आख को एकटक बरागी प डत जी पर टकाए जमीन पर बठा अभीचपचाप यह सब सन रहा था

ldquoअ छा तम या बोल रह थ क तमको समझ आ गया का समझ आ गयाrdquo प डतजी न लटक को झकझोरत ए पछा

ldquoनह नह कछ नह बाबाrdquo लटक न एकदम श य भाव स कहा सच तो यह था कअब वह कछ भी सभलकर ही बोलना चाहता था उस मन-ही-मन डर यह लग रहा था कफर कछ अटपटा बोल भत या भगवान दोन म स कसी क च कर म न पड़ जाए

उसस तो अब न वहा कत बन रहा था न भागतldquoअर बोलो ना अभी तो थोड़ा दर पहल बोल थ तम क समझ आ गया फट पलट

मार गए फर हो शयारी ना करो कछ उ ीस-बीस आ तो भगतना फरrdquo बरागी प डतजी न आख लाल कर क कहा

ldquoअ छा बाबा स नए यहा स ह टए जरा आइए इधर तऽ बताएrdquo लटक बरागी प डतजी को चदन क चौक क पास स हटा बगल बरामद क पार ठ क हनमान जी क तमा कसामन ल आया असल म अबक कछ भी बतान स पहल वह एक सर त थान धर लनाचाहता था

ldquoहा चलो अब बताओrdquo बरागी प डत जी न घनघोर अधीरता स पछाldquoबाबा ऐसा हो सकता ह या क आपक सामन कोनो भत टक जाए अर बाबा यह

मामला ही सरा हrdquo लटक न एकदम धीमी आवाज स कहाldquoअर तक या ह र का पागल हो गया बटा हमाराrdquo बरागी प डत जी न जोर स

लगभग चीखत ए कहाldquoअर धीर बो लए ना आप काह हमारा ाण लन पर तल गए ह बाबा अर बाबा हम

तो कह रह ह क 1000 परसट भत ही पकड़ा ह चदन बाबा को ल कन ई भत ह भत हही नह महराज यह मसलमान ह मसलमान भत तब ना इतना उ पात मचा रहा हमसलमानी भत को या कर लगा आपका जतर-मतरrdquo लटक भडारी न यह बता जस

ाड क उ प का रह य खोलकर रख दया होबरागी प डत जी क माथ पर जस कसी न जोर हथौड़ा मारा हो लटक न तो प डत

जी क म त क का जस ताला ही खोल दया थाldquoओ हो हो हो एकदम सही बोला र तम बटा अर यह तो हम सोचब नह कए थ

तब ना हमारा एक स एक म सब बकार होल जा रहा था बताइए मसलमानी भत भलाया सनगा मानस का चौपाई और हनमान जी का चालीसाrdquo बरागी प डत जी न पाव

पटकत ए कहाldquoऔर आपको पता ह यह कौन ह कसका भत ह यह अलमवा मया क दाद ह

वही ब ढ़या जो 3 साल पहल मरी थीrdquo लटक न अभी भी दब गल स ही कहाldquoयह कस जाना तमrdquo बरागी प डत जी न मह बाए ए पछाldquoजानग कस नह अब आपस या छपाना हम पसा कौड़ी ल अलमवा क दाद का

नाम कटवा क असलम मया क मा का नाम चढ़वा दए थ इ दरा आवास क लए उसकबाद हम व ा पशन म भी इसका नाम हटवा सर का करवा दए थ ब ढ़या का बोली-चालीइतना खराब था क प छए मत हमको एकदम यही बात गा रयायी थी जो चदन बाबा बोलअभी बोली थी क खन पी जाएग र धान क दलाल हम तो गाली सनत समझ गए ईअलमवा क ही दाद हrdquo लटक न एक ही सास म 3 साल पहल का भतहा इ तहास खोलदया था

ldquoहर हर महादव बताइए यह बात ह तब तो एकदम क लयर हो ही गया क वही हअलमवा का दाद ही ह मगर साला चदन पर कहा स लटक गईrdquo बरागी प डत जी न खनीक ड बी नकालत ए पछा

ldquoली जए अर बाबा पचायत भवन क सामन वाला इमली गाछ पर तो रहती ह यहब ढ़या वह डरा ह इसका और पचायत भवन भला कौन नह जाता ह ह का छायादखकर कभी कसी पर भी लटक सकती हrdquo लटक न भतनी क आवास का थायी पताबतात ए कहा

असल म आलम मया क दाद अपन लए इ दरा आवास व ा पशन और वधवापशन जसी योजना म अपना नाम चढ़ान क लए और उसका उ चत लाभ लन क लएकई महीन पचायत भवन स लकर खड कायालय तक का च कर काटती रही थी एक तोउ का बोझ था ऊपर स उस गरीब ब ढ़या का एक पोत क अलावा कोई नह था इस नयाम पोता आलम भी गाव क ही एक दज याली मया क यहा काम करता था और दन भरक 40 पय पाता था ऐस म उसक दाद को लगता था क सरकारी योजना का ही कछलाभ मल जाए पर बचौ लए और दलाल क जाल क कारण हर बार इसका नाम कटजाता और इसक जगह कसी गर वा जब लाभक का नाम चढ़ जाता एक दन मई क लचलती पहरी म पचायत भवन जान क रा त म वह यास स बहोश ई और जब तक लोगउस उठा अ पताल ल जान क सोचत उसन दम तोड़ दया था तभी स लोग बना कसीसशय यह जानत थ क इस बढ़ाप म जीत जी अपन वा जब हक क लए रोज पचायत भवनम भटक अपनी अधरी हसरत क साथ मर जान वाली आलम क दाद का भत प कापचायत भवन क आसपास ही कह रहता ह

ब ढ़या क लाश को घट पचायत भवन क ठ क सामन इमली वाल पड़ क नीच हीलाकर रखा गया था फर बीडीओ और ाम सवक आए तब बड़ी जरह क बाद पचायत

कोष स उसक अ तम स कार हत 300 पय क राहत रा श पोत आलम को द गई थी तबस इसी इमली पड़ को ब ढ़या का थाई आवास मान लया गया था

चदन बाबा पर लटक भत का सारा क सा खल चका थाldquoहा हा इमली गाछ पर तो ह ही अर वहा कम-स-कम चार स पाच भत ह मन हम

तो बता रह जतना आख स दख ह बाक और होगा तो अलग कम आदमी थोड़ मरा ह जीवहा दौड़त-दौड़तrdquo बरागी प डत जी न भत क भत-गणना करत ए बताया

ldquoअब उपाय सो चए बाबा ज द क रए कछ हम भी फस गए ह बाबा यहा आकरअर कोई मौलवी पक ड़ए रामायण स नह भागगा करान पढ़ना होगा इसक आगrdquoबोलत-बोलत लगभग रोन को हो गया था लटक भडारी

बचारा लटक ह ला सन मजा लन आया था पर या पता था क इस तरह क सजामलगी इतनी दर का शोरगल सन आसपास क कछ और लोग भी म दर प च चक थ इनमएक तो सधो क हार था और एक चपत था जो सनार का काम करता था एक और आदमीमोहन साव भी था जसक मठाई क छोट -सी कान थी वह सब बना कछ बोल बसहाथ जोड़ चदन क चौक क पास खड़ थ चदन क माताजी न उन लोग को स प म साराव ात सना दया था सधो को तो यह भी लग रहा था क हो सकता ह भरव दवता आए होचदन पर य क म दर क ठ क पीछ वाल कए क पास भरव जी का पडा था जहा वष सनयम स पजन करना छट गया था लोग म दर तो जात पर उस पड पर जल-फल चढ़ानाकम हो गया था कई बार कआ पर नहात-धोत उस पड पर साबन-तल म स वाला पानीका छ टा भी पड़ जाता था इन सब कारण स ही शायद सधो को लगा था क हो सकता हभरव जी क पत हो गए ह

तभी लटक और बरागी प डत जी बरामद क इस पार चदन क चौक क पास वापसआए उन दोन को तो असली भत का पता चल ही गया था बरागी प डत जी न भरव जीवाल सभावना पर यान भी नह दया बस सर हला दया बरागी प डत जी बरामद स सटअपन कमर म गए और एक परानी-सी डायरी लकर बाहर आए वह ताख स अपना च माउठाया और उस पहन डायरी क प पलटन लग

ldquoय अजी लटक इसी म लख थ एक नबर सकदरपर क एक मौलबी का ह अ छाझाड़त ह हाथ साफ ह एकदम उसी को बलात हrdquo बरागी प डत जी न प पलटत एकहा

ldquoहा आप नबर खोज कर द जए ना मोबाइल तो ह ही हमार पास अभी तरत लगातह नबर यहा टावर भी पकड़ रहा ह सम झए भगवान का कपा ही ह हरदम नह पकड़ताह टावरrdquo लटक न अपन मोबाइल को जा क छड़ी मा फक नकालत ए कहा जबसमोबाइल खरीदा था आज पहली बार उसका स चा उपयोग होन जा रहा था वह भी इतनपनीत काय म सीध म दर स उद घाटन होना था लटक क आउटगोइग कॉल का

ldquoयह दखो न जरा ई नबर मोबाइल का ह या लडलाइन का ह स ानब बीस अ अ

ब ीस छह नौ और फर सात नौ यही लगाओ जरा यही नबर हrdquoबरागी प डत जी न डायरी क बीच क ही कसी प म मडी गोत ए ही कहालटक झटक स डायरी क तरफ लपका और लख नबर को डायल करन लगाldquoअर यह तो मोबाइल नबर ह बाबा BSNL का नबर ह द खए लगता ह क नह rdquo

लटक न टलीकॉम क नया क अ छ जानकार क तरह कहाldquoहा हा मोबाइल का ह मौलवी साहब क भतीजा का ह उसको बोलो तो बात करा

दगाrdquo प डत जी न च मा उतारत ए कहालटक लगातार नबर डायल कए जा रहा था वह नबर लगात व कभी आग बढ़ता

कभी चार कदम बाहर नकलता वहा मौजद सारी नगाह लटक क तरफ टक ई थ लटक क जदगी म यह पहला मौका था जब इतनी सारी आख उस उ मीद स दख रही थ नटवक पकड़ान क म म लटक कदम-दर-कदम चलत म दर क बाहर चला गया लगभग2 मनट क बाद ब त तजी स अदर आया

ldquoहा बात हो गया ह 5 मनट क अदर मौलवी साहब का फोन आ जाएगा उनकाभतीजा फोन उठाया था उसको बोल ह तरत बात करवाइए यही नबर पर ब त ज री हबरागी बाबा मलखानपर वाल बात करगrdquo लटक न उ साहपवक बताया

ldquoली जए बात हो गया आजकल मोबाइल जसा चीज स सब कछ कतना आसान होगया ह 1 मनट म सकदरपर म बात हो गया इसको कहत ह व ान का चम कार अ छाभारत म यह मोबाइल आज स नह आया ह ाचीन काल स ह य तो वदशी लोग आयाप हल तक सब आया फर अ ज आया सब आकर सब कछ लट लया और ब त ान-व ान को न कर दया नह तो मोबाइल स टम तो महाभारत काल स ह भारत म तब यइस प म नह था सजय धतरा को परा महाभारत का य क म गए बना घरबठकर सना और दखा दए य मोबाइल सवा का ही न प था आजकल जसको यलड़का लोग इटरनट- सटरनट बोलत रहता ह ई सब महाभारत काल स ह क हए तब औरभी यादा श शाली प म था यह स टमrdquo बरागी प डत जी न मोबाइल क सबस

ाचीनतम सा य पर एक सारग भत लास लत ए कहाइ ह सब बात क बीच तभी मोबाइल क घट बजीलटक तो जस हवा म उछल गया था मोबाइल को बजता दख पहली बार कोई फोन

आया था और वो भी इतना ज री फोनएक मौलवी का फोन एक प डत क लए आज क समय म इतना गगा-जमनी

तहजीबी कॉल शायद ही रलायस क कसी अ य फोन को नसीब होमोबाइल क रगटोन भी उस दौर क हट फ म lsquoकहो ना यार हrsquo क ऐस जन य गान

क थी क सभी रगटोन सनन म खो गए थ आध मनट भर क लएतभी फर सरी बार रग बजा इस बार लटक का पनः यान रगटोन पर गया

रगटोन बज रहा था ldquoएक पल का जीना फर तो ह जाना टनग टनग टनग टनगrdquo

एकबारगी दह सहर गया लटक भडारी का तरत मन म वचार आया यह गाना कोईअलग स नल तो नह कर रहा साला अब या अनथ बाक ह होना अभी कसा गानाबज गया मोबाइल म उसक दमाग म यही बात चल रही थी क बरागी प डत जी च लाएldquoअर फोन तो उठाओrdquo

ldquoहलो हा मौलवी साहब अर जी हा ली जए ब त मरजसी ह प डत जी स बातक रएrdquo यह कहत ए लटक न लपक हाथ बढ़ा प डत जी क तरफ मोबाइल बढ़ाया

तभी अचानक उसन फोन पीछ ख च लया तरत सामन रख लोट स पानी ल उसमोबाइल पर छ टा और तब वापस बरागी प डत जी क हाथ म दया असल म उस अचानक

याल आ गया था क वह मोबाइल को साथ म मदान लकर गया था और इस लए उसन उसपानी स श कर लया और तब प डत जी को थमाया लटक अब कोई भी चक नह करनाचाहता था वह अब र ी भर भी आ था और प व ता स नह खलना चाहता था बरागीप डत जी न फोन थामत ही उस बाए कान पर लगाया और दोन हाथ स नीच स सहारा दगदन बाय ओर झका बड़ी तज आवाज म अब तक क घट सारी घटनाए मौलवी साहब कोसनान लग

आवाज इतनी ऊची थी क अगर मोबाइल हटा भी लया जाता तो भी सकदरपर तकऐस ही सनाई पड़ सकती थी गाव म अ सर ऐस कई लोग दख जात जो मोबाइल पर बातकरत व अपनी आवाज सामा य स कई गनी ऊची कर लत इ ह मोबाइल क टावर स

यादा अपन थोथा क पावर पर भरोसा होताldquoहा लो हा ऐ लटक काटो काटो काटो फोन हो गया ह बात आधा घटा क अदर

प च रह ह मौलवी साहब अभी वह जमआ ब ती म ह कह भत झाड़न गए ह हम बोलक तल का दाम हम द दग आप कसी का मोटरसाय कल पकड़ क आ जाइए तो उसकाभतीजा का ही मोटरसाय कल ह उसी म दना होगा तल च लए बस ज द आ जाए औरभत भाग सालाrdquo बरागी प डत जी न मोबाइल लटक को वापस दत ए कहा मोबाइल दनक बाद बचन प डत जी क मन म एक भारी धा मक ऊहापोह जारी थी उ ह न मौलवी कोबला तो लया था पर मन म सकोच भी हो रहा था इसी उलझन म व बजरगबली क म तक सामन गए और आख बदकर हाथ जोड़ बोलन लग ldquoह बजरगबली ई पाप माफक रएगा हम कछ जानबझकर नह कर रह ह आप स नह आ तब मोलवी को बला रहह मसलमानी भत ह इस लए सनगा नह भल-चक माफ क रएगा बाबाrdquo

अब बरागी प डत जी थोड़ा ह का महसस कर रह थldquo कतना तल लगा आप कतना बोल दएrdquo लटक न बना पलक झपक यह तलीय

पछाldquoअभी थोड़ क लयर कए एक लीटर लगा और कतना लगाrdquo बरागी प डत जी न

कहाldquo1 लीटर आपको कछ समझ म आता ह क नह बाबा यहा स 10 कलोमीटर पर

ह जमआ ब ती और आप 1 लीटर तल द द जएगा मन नया का सबस हो शयार यहीमौलवी आ ह या आना-जाना जोड़ ली जए तब भी बाबा आधा लीटर भी यादा होजाएगा ल कन च लए एक फोन पर आ रहा ह आधा लीटर द द जएगा इसम भी उसकोआधा तल बचगा चाह कोई भी मोटरसाय कल होगा 70 स कम का माइलज नह होगाrdquoलटक न आकड़ स हत एक मा णक बजट य पीच दया

वहा उप थत सभी जन लटक क इस आ थक व षण मता स दग थ बरागीप डत जी को तो लटक म अभी कबर क खजान क मनजर क द छटा तक दख गई थीसोच रह थ क कतना हसाब- कताब का प का ह तब न फकन सह का इतना खासआदमी ह सभी लोग अब तल क धार म बह गए थ तल पर चचा होन लगी थी एक नयान दलाया क इसी तरह जाग कता क अभाव म आधा लीटर आधा लीटर करक हम

तल बबाद करत गए और आज तल भारत को अरब स मगवाना होता ह अम रका क आगभी झकना पड़ता ह

सर न चता क क तल मगाना मजबरी ह य क भारत म गाड़ी तो खब बनाल कन तल का कमी ह अगर तल नह रहा तो सारा गाड़ी और मशीन बकार हो जाएगाइस हालत म और भी यादा नकसान हो जाएगा इस लए भल तल महगा मलता ह ल कनखरीदना पड़ता ह

बीच म ही इस सच का भी पदाफाश आ क यही मजबरी का फायदा उठाकर वदशीभारत स तल का दाम बढ़ा कर लता ह इसक पीछ सबस बड़ा हाथ पा क तान का ह

एक न यह बताया क अम रका म प ोल 1 पइया लीटर ह वहा लोग बा ट सप ोल लत ह

कल मलाकर आधा लीटर तल बचा लन क जो रा ीय बहस लटक न छड़ी थी अबवह अतरा ीय तल सकट पर एक साथक स मनार का प धारण कर चक थी यहा ऐस-ऐस त य खल रह थ जस नया पहली बार जानन वाली थी

पर म दर म अब प ोल डीजल क गध तर रही थी वातावरण तल-तल हो गया थाइसी बीच चदन एक बार और उ आ और उसन उठकर चपत सनार क पछवाड़ पर एकलात मार दया और कहा ldquoसब तल लन जाओग तम सब र भोसड़ीवालाrdquo

कसी तरह उस फर शात करक लटाया गया सभी बठ बस ी स मौलवी साहब काइतजार कर रह थ तभी एक मोटरसाय कल क कन क आवाज आई लटक दौड़करबाहर दखन गया और दन स भीतर भी आ गया

ldquoमौलवी साहब आ गए ह साथ म हरमजादा बर चया भी हrdquo लटक न उ साह म भीअफसोस म स कर मह बचकात ए कहा

ldquoआय बर चया ऊ मौलवी साहब क साथ कस साला एक न एक आफत आ हीजाता ह खर छोड़ो उसको पहल भत झड़वाओ ज द rdquo बरागी प डत जी न म दर कदरवाज क तरफ बढ़त ए कहा

तब तक मौलवी साहब म दर ार तक प च चक थ लगभग 5 फट 5 इच क लबाईसफद कत पर एक हाथ क चौड़ाई वाला पजामा सफद नरानी लबी दाढ़ और पर कपड़ सआती इ क खशब क साथ सकदरपर क म जद टोला क रहन वाल मौलवी शक ल मयान जस ही म दर क अदर पाव रखा भारत क गगा-जमना स क त का वो य पदा आजस दख हर भारतवासी गव कर सकता था जो कमाल मलजल कर जीन क को शश मनाकाम ह -मसलमान एक- सर स करीब आकर कभी नह कर पात उस एक भत न करदखाया था इस दश को ऐस भत का आभारी होना चा हए

एक प डत न म दर क ार पर अ भवादन करत ए एक मौलवी का वागत कया थाभारत कभी-कभी ही इतना सदर दखता था यह य ठ क उसी तरह ऐ तहा सक बन पड़ाथा जस वत ता स ाम क दौरान वामी ानद का जामा म जद म वागत कर उ हबोलन बलाया गया था

मौलवी साहब क साथ उनका भतीजा और साथ म बना कसी अ भवादन बरचीस हत सभी अदर घस

अब तक ब त लोग जमा हो चक थ चदन वाली चौक को चार तरफ स सब न घररखा था लटक दौड़कर मौलवी साहब क लए म दर म रखी एकमा कस ल आयामौलवी साहब कस पर बठ आख बद कर कछ बदबदान लग इधर बरची भी मोहन सावऔर चपत को ठल चदन क सरहान खड़ा हो गया था तभी लटक को दख तरत बरची कमह स नकला ldquoअर लटक भाई अर भया तमको फकन सह लाठ लकर खोज रहा ह औरतम यहा डी लग द रहा हrdquo

ldquoअर अर ऐ साल बर चया साल होश म बात करो जबान तोड़ दग अगर हम स ऐसबात कया तो और साल फकन बाब का नाम इ जत स लो नह तो ठ क नह होगाrdquoलटक न आग बढ़त ए कहा इतन गभीर और तनाव भर माहौल क बीच इन दोन कनोक-झ क स बरागी प डत जी बफर पड़

व तमतमात ए बोल ldquoचप साला एकदम चप रहो बर चया तम हमारा यहा बटाका जान खतर म पड़ा ह और तम लोग झाड़-फक क बीच ह ला कर चदन का जान लनआए हो जरा भी शम नह हrdquo इतना बोलत-बोलत गला भर आया था बरागी प डत जीका आ खर बाप तो बाप होता ह

ldquoइसको बलाया कौन यहा आया कसrdquo लटक न कहाldquoहम लकर आए ह हमारा दो त ह भाईrdquo मौलवी साहब का भतीजा स क बोलाldquoआप कस फस गए महाराज इसक च कर मrdquo मोहन साव धीर स बोलाldquoभाई जान हमार लड़क को बना पसा लए 7 महीना ट यशन पढ़ाया य आदमी

साइ कल स जाता था सकदरपर और पढ़ाकर आता था ई बार का फल हमारा लड़काआराम स म क इ तहान पार कया इस दफ आप लोग पता नह या समझ कतना कछबोल रह हrdquo स क न बोला

यह सनत ही मोहन साव न मह घमा लया इसी बीच मौलवी साहब न आख खोलथोड़ कड़ भाव स कहा ldquoभाई थोड़ा खामोशी र खए आप लोगrdquo

सभी एकदम चप हो गए बरागी प डत जी ह क कदम स उठ और बरची क बाहपकड़ उस कनार लाए

ldquoहम त हारा हाथ जोड़त ह बरची दखो दखो जरा भी इधर-उधर हो गया तब ाणचला जाएगा हमार लड़क का उसका जान मत लो तम बाहर चल जाओ थोड़ा दरrdquoबरागी प डत जी क आख भर आई थी बोलत-बोलत

बरची न अभी बरागी प डत जी क आख म पानी क साथ कछ और भी या दखलया था वह चपचाप म दर क बाहर नकल स क क मोटरसाय कल पर जाकर बठगया अदर चदन का भत पनः जागत हो चका था मौलवी न जस ही कछ पढ़कर उसकसर पर हाथ रख उसक चहर पर फक मारा चदन च लाकर उठा

ldquoभ क र साला वाह मौलवी साहब पान म 364 नबर जदा खाए ह सीध हमार महपर थक दो ना बrdquo चदन न जोर स झ लाकर कहा चौक स सट लोग र हट गए मौलवीसाहब न अबक एक गलास पानी मागा उसम कलमा पढ़ चदन को पीन क लए दयाचदन गलास को पकड़ हसन लगा

ldquoहा हा दलबहार गटखा खाए ह मौलवी साहब हमको रजनीगधा चा हए तलसीअसली वाला पौचrdquo चदन न एक अजीब-सी भयकर हसी क साथ कहा

मौलवी साहब न माथ पर आए पसीन को बहन स पहल ही प छ ह क स कहा ldquoपानीपी लो बटा ताबीज का पानी ह पी लो बटा चदनrdquo

ldquoही ही ही ही हा वाह र मौलबी बकचोद समझ ह हमको आपका फकलका जठापानी पी ल हट फको र ई पानी पा क तान भजो इसको भजो ई मौलवी को पा क तानखन पएग पानी नह rdquo चदन न च लात ए कहा और गलास को हवा म उछाल फकदया चपत सनार का सर टकरान स बचा

ldquoल माग रहा ह लडrdquo बीच म स कसी क एक धीमी-सी आवाज आईमौलवी साहब भी कहा हार मानन वाल थ उ ह न कस स खड़ हो एक गलास पानी

और मगाया पर इस बार बना कछ पढ़ उसको खद पी गए पसीन स वह भ ग गए थउनका भी पहली बार इतन जद द भत स पाला पड़ा था प डत-म ला दोन इस भत कपरफॉमस क सामन फल हो चक थ मौलवी साहब कलमा पढ़ उस छत तो चदन जोर-जोरस हसता ldquoहा हा हा गदगद करत ह हो मौलवी साब च तया समझा ह हमकोrdquo

मौलवी साहब न कछ पल सोचन क बाद एक लबा काला धागा लान को कहा प डतजी स यह सनत ही चदन क अदर का भत बोलन लगा ldquoहा हा हा ला दो ल डस भत हहम बलाउज सएगा ई हमारा का मौलवी साहब पट कोट भी बना द जए हा हा हाrdquo

यह सनत ही दो आदमी तो जस च क स गए एक तो खद मौलवी साहब सरा उनकाभतीजा स क असल म कवल यही दोन जानत थ क अभी 3 महीन पहल ही मौलवी

साहब न घर म ही अपना एक छोटा-सा रोजगार श कया था जसम वो घर स ही सलाईका काम करत थ और वह खासकर म हला क व सीन क वशष काम क लए जानजात थ स क अपन पास आए पट कोट या साड़ी म फॉल लगान जस काम अपन चाचामौलवी शक ल मया स ही करवा कर दता था मौलवी साहब अभी अदर-ही-अदर खदा सबस पनाह माग रह थ काला धागा लन क बाद उस जस ही मौलवी साहब न चदन क पावस सटा सर क तरफ नापन को लगाया चदन न धागा छ न उस मौलवी साहब क गल मलपट दया और दाढ़ ख चन लगा मोहन चपत सधो न कसी तरह उ ह छड़वाया लटकतो थर-थर काप रहा था

ldquoलटकउआ भडारी साला त ह न बलाया मौलवी को म दर म कलमा पढ़वा दया रत हारा खन पी क रहग हमrdquo चदन न लटक को दखकर कहा

लटक बना कछ टोक थोड़ा पीछ बाय ओर हट बजरग बली क तमा क पास सासरोक खड़ा हो गया बरागी प डत जी इधर बसध ए जा रह थ भ तया कारनाम स हलमौलवी साहब सीध उठकर म दर क बाहर आ गए वो तो हनमान जी पर भरोसा भी नहकर सकत थ क व मौलवी को बचाएग भी क नह

चदन क भ तया ख चा-ख ची म उनक कत का एक बटन टट गया थापीछ स मोहन साव न वह बटन धीर स मौलवी साहब को पकड़ाया मौलवी साहब न

उस धीर स कत क जब म डाल लया मौलवी साहब न एक बार कत पर हाथ फर दखा कऔर बटन तो नह टट ह

ldquoद खए मामला थोड़ा म कलात भरा ह शतानी ह ह यह अ लाह चाहगा तोइसस ज म छड़वा क रहग असल म यह ज नह ह ज ात ह और मरा ज पर हाथसाफ ह इस लए थोड़ा परशान कर रहा य शतान थोड़ा हम कल अपन उ ताद स मलकरआत ह आज कसी तरह क ोल म र खए उसको कल अगर नह ठ क आ तो इसकोअजमल तफानी क मजार पर ल जाएगrdquo इतना बोल मौलवी साहब बना कछ सनमोटरसाय कल पर बठ और स क को मोटरसाय कल टाट कर नकलन का इशारा कया

बरागी प डत जी स हत सब-क-सब वह खड़-खड़ जाती मोटरसाय कल क धल दखरह थ स क ब त तज ग त स मोटरसाय कल उड़ाए ल जा रहा था शायद पीछ स मौलवीसाहब उगली स रकच स क का ए सलटर दबाए ए थ तभी बरची न हाथ म ली खनीको रगड़ मह म डाला और म दर क तरफ जान लगा

ldquoकहा जा रहा ह तमrdquo बरागी बाबा गरजकर बोलldquoचदन बाबा क भत को सलाम करन साला इस भत को तो रा ीय एकता का

पर कार मलना चा हए ह -म लम प डत-म ला म दर-म जद सबको मला दयाएक जसा काड कया सबक साथrdquo बोलकर बरची हसन लगा

बात तो बरची न हसन क ही क थी ल कन अब वहा माहौल ऐसा था क कोई कसहसता चदन अभी तक बकबक कर रहा था और होश म नह आ रहा था बरागी प डत जी

क अदर का बाप वह थककर बठ गया उ ह न अबक बरची स कछ नह कहा म दर कअदर स चदन क माता क रोन क आवाज आन लगी बरची अब बना कछ दख-सन सीधम दर क अदर गया चदन का पट दबान लगा अचानक चदन आह करक उठा और उ टकरन लगा उसक मा हाथ म कलजा लए दौड़ी

ldquoचाची आप चता ना क रए हमको भी 5 मनट द द जए आप एक ठो न ब औरचाक लाइए एक बा ट पानी भी लाइए ज द rdquo बरची न चदन का सर अपनी गोद मलए ए कहा तभी बाहर स सधो क हार अदर आ गया चदन क मा न बरची को न बऔर चाक दया अभी चदन क मा और खड़ सधो क मन म ज ासा यह थी क जस न बकटगा या उसम स लाल रग का खन नकलगा भत- पशाच क कस म न ब का मह व

कट म बॉल क तरह होता ह दोन गौर स न ब कटता दखन लग बरची न न ब क दोटकड़ कर उस चदन क मह म नचोड़ दया इधर बाहर सब बरागी प डत जी को पकड़सा वना द रह थ सब कह रह थ धय र खए प डत जी कह बाहर ल जाया जाएगा तभीसामन स आलम आता दखाई पड़ा उस बाजार म कसी न बता दया था क उसक दादक भत न तहलका मचा दया ह म दर म आई ह वह खद दाद क मौत क बाद अपनीदाद क भत स आज तक मल नह पाया था आज आधा गाव उसस मल चका थाइस लए उस जब यह सब पता चला तो दौड़ा आ रहा था मन म दाद क त ग सा था औरशकायत भी थी क पोत स पहल आध गाव स मल ली ठ क तभी अचानक चदन क मादौड़त ए म दर क बाहर आई

ldquoऐ जी चदनवा क होश हो गया ह ब तया रहा ह ब ढ़या स उतर गया जी भतबरची झाड़ा सौ बरस जए ई पगला बर चयाrdquo एकदम स गदगद वर म बोल फर दौड़अदर को गई चदन क मा बाहर स सब हड़बड़ाकर उठ और चदन क पास प च बरागीप डत जी न घसत ही चदन को गल लगा लया अभी-अभी भतो नवत हो नह स पता कगल लग चदन न धीर स कहा ldquoमाफ कर द जए बाबजी ब त गाली-गलौज कर दए थहम शायदrdquo

ldquoअर तम थोड़ कए उ तो ब ढ़या क भत का न काम था उसका स कार खराब थालटक बताया न क उसका बोली-चाली खराब था त हारा या गलती जय भोलनाथ ठ कहो गया तमrdquo बरागी प डत चहकत ए बोल इधर अभी-अभी दाद क भत स मलन कदली तम ा लए प चा बचारा आलम तो मन-मसोसकर रह गया क हम आए और दादचली गई फर बना मल अभी 2 घटा स आराम स थी यहा

ldquoबाह बटा बरची अर बटा कस झाड़ बाबrdquo बरागी प डत जी न एहसान तल दबीजबान स पछा

ldquoकछ नह कया दो न ब लगा एक बा ट पानीrdquo चौक पर बठ ए बरची न खड़होत ए कहा

ldquoमगर भत कस उतार तम सब हार गया और तम उतार दए कोनो स -उ कएका कोनो साध ता क का सगत पकड़ याrdquo बरागी प डत जी न सबस बड़ा सवाल दाग

दया था और जवाब उसस भी वशाल और धमाकदार ठ का बरची नldquoअर जब भत चढ़ा ही हमार साथ था तो उतारगा कौन अर हो बाबा भोर-भोर गाजा

टान क फर तरत ऊपर स गोला भाग खा ली जएगा तऽ उतरन म टाइम तो लगता ही हचदन बाबा तऽ एकबारगी चार गोला ताड़ी सग नगल गए थ पट दबा क उलट करवाएफर न ब चटवाए और पानी मार कपार पर उतर गया भतrdquo बरची बोलत ए म दर क ारतक आ चका था

बरागी बाबा बस दोन हाथ स कछ टटोल रह थ चौक क नीच जत रख ए थ एकजता उठाकर एक हाथ स अपनी धोती पकड़ कसकर सीधा बरची क तरफ चलाया

ldquoसाला पापी भर ट नीच हरामी बबाद कर दया हमारा कल को साला भत झाड़ताहrdquo बरागी प डत जी क माथ स अभी वालामखी फट रहा था बरची वहा स फर हो गयाथा सरी ओर वाल खत म लटक भडारी भी दौड़ जा रहा था उसन भी पलक झपकतखतरा भाप ही लया था

ldquoऔर कहा ह कमीना साला भडारी साला लटकआ सा ला नउआ हमर पर अ तराचला रहा था र भोर स दमाग म भर क रख दया साला म लम भत ह लडीस भत हअलमवा क दाद ह मौलबी क घसवा दया सा ला म दर म सब भर ट करवा दया क ासाला या- या ताल करवा दयाrdquo प डत जी न इधर-उधर लटक को खोजत ए कहाउस खोजत ए एक बार हनमान जी क म त क पीछ भी झाका अब बारी चदन बाबा कभत क थी बरागी प डत जी न अपन परान घस जत का सरा वाला पीस उठाया और उसबना कसी गनती क सर हाथ कपार पट पीठ जहा भी उ चत-अन चत नशाना लग जारहा था बरसाना श कया चदन चीखत- च लात कभी मा क ओर दौड़ता तो कभीजमीन पर लोटता और पडी जी क पर पकड़ता बरागी प डत लगातार जता गराए जा रहथ असली भत तो अब उतारा जा रहा था चदन का

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जगद श यादव और बजनाथ मडल दोन साथ म पदल ही अपन खत क तरफ जा रह थउनक खत का रा ता गाव क परब ह रजन टोला स होकर गजरता था दोन आपस मब तयात चल जा रह थ क पीछ स एक आवाज सनाई द ldquoचाचा णामrdquo

दोन च क भला इस टोल म उनको अपना कौन-सा भतीजा मल गया पीछ मड़करदखा तो हाफ पट पर ट शट डाल एक नौजवान हाथ जोड़ उनक ओर आ रहा था

ldquoचाचा णाम हम प ब र दास ह चाचा पहचान क नह हमकोrdquo उसन म करातए कहा

ldquoअर णाम णाम हा भाई पहचान य नह एकदम पहचान गए ह तम ल कनबाजार कभीए-कभार जात हो इस लए भट मलाकात नह हो पाता हrdquo जगद श यादव नखद को सहज करत ए कहा

ldquoजी चाचा बाजार एकदम कम जात ह चाचा आप दोन को म दर उद घाटन का काडमल गया होगा ल कन हम सोच क एक बार चाचा लोग को अपन स हाथ जोड़ वनती करल तो ठ क रहगा परस ह उद घाटन काड हम 15 दन पहल ही भजवा दए थ क कोईछट-घट तो उनको दखकर फर नवता कर सक ज र आइएगा चाचा आप लोग काआशीवाद क बना नह होगा हमारा जग सफलrdquo प ब र न हाथ जोड़ म ा म ही कहा

ldquoहा हा आएग ज र आएग का बजनाथ आना तो ह हीrdquo जगद श यादव न बजनाथक सहम त समत कहा

ldquoयह सामन म दर बना ह आइए न चाचा चाय पीकर जाइएगाrdquo प ब र न वननवदन कया

ldquoअर नह -नह बाब अब परस ही आत ह अभी लहसन याज खाए ह अभी म दरनह जा सकत एक बार परस उद घाटन म दखा जाएगा म दर भीrdquo बजनाथ मडल नकहा

ldquoहा और पहल म दर म माथा टक लग तभी चाय पया जाएगाrdquo जगद श यादव नगहर आ या मक तरीक स चाय का काय म टालत ए कहा

ldquoअ छा भाई प ब र म दर तो बड़ा अ छा बनवा लए अब घर भी बनवा लो भाईबाप-दादा का नशानी ह त हारा बाबजी जत दास हम लोग का बड़ा नजद क था भाईrdquoबजनाथ मडल न चलत-चलत म त क सलाह द और शायद कछ सनन क ज ासा भीथी उसक अदर

ldquoहा चाचा बनवा लग बस महीना क आ खरी म काम लगवा रह ह घर पर टोला का

मन था क पहल म दर बनना ज री ह सो इसी को परा कए पहलrdquo प ब र न बनालाग-लपट क आगामी काय म बता दया प व र क आगामी योजना न त काल दोन कावतमान खट स कर दया कहा तो बजनाथ न उसक टट खपरल वाल घर क हालत परचटक ली थी और बदल म पता चला अब ज द यहा प का मकान भी बनन ही वाला हजगद श यादव तो अब यह सोच खद को समझान क को शश म थ क घर बनाएगा तो टशायद मझस खरीद हाला क म दर नमाण क लए सारा ट प ब र न कह सर गाव समगाया था यह बात बजनाथ मडल न यान दला जगद श यादव का बचा-खचा मड भीखराब कर दया बजनाथ मडल तो इधर यह सोच खनी जोर-जोर स रगड़ रहा था कसाला हम 3 साल स फकन बाब क गाड़ क पीछ लग ए ह इ दरा आवास क लए और यहाजत चमार का लड़का ब डग ठोक द रहा ह

दोन अब तज कदम स चल थोड़ी र नकल आए थ चहर पर कसी आफत स बचनकलन जस भाव थ दोन धमवीर आपस म लगातार ब तयात भी जा रह थ

ldquoसाला हम तो कह आज गया जात धम सब इतना इ जत स बोल रहा था क लगाकह चाय पीना ना पड़ जाए सालाrdquo जगद श यादव न आख नचात ए कहा

ldquoसही बोल ज ग दा हम तो इस लए दख ना कस घर बनान क तरफ बात ही मोड़दएrdquo बजनाथ मडल अपनी बात-मोड़न मता पर इतरात ए बोला

ldquoअब दखो क कौन-कौन आता ह इसक म दर क उद घाटन म साला परा गाव मदया ह योता ब त खचा-पानी कर रहा ह यह भी एक लाज का ही बात ह बजनाथ कआज तक फकन बाब भी टोला का म दर नह बन पाया और यहा एक ह रजन का लड़कादखो म दर बना दया और परा गाव भोज भी खलान जा रहा ह वाह र कलयगrdquo जगद शयादव न बबाद हो रह यग पर चता कट करत ए कहा

ldquoअर छो ड़ए म दर-फ दर ज ग दा वहा प ब र दास क ार पर ख टया पर दखकौन सोया आ था हम तो दख आ य खा गए ह दादाrdquo बजनाथ न मह बा कर कहा

ldquoनह दख हम यान नह दए कौन थाrdquo जगद श यादव बोलldquoअर ली जए अर बरागी प डत क लड़कवा था चदनवा साला बताइए कस त कया

ल मल छ क जसा उ टा आ था कौन कहगा क बाभन का लड़का ह जात धम सबख म कर लया ह साला ई छ ड़ाrdquo बजनाथ न ा ण व क ास पर बना खनी खाए हीथकत ए कहा

ldquoबोलो ह भगवान बरागी प डत जी को पता ह क नह बताओ जब प डत बाभनका लड़का ऐसा अधम हो जाएगा साला सरा लोग बचारा या बचाएगा धम ह रजन कघर खाता-पीता-सतता ह अब या बचा ह ऐसा आदमी का कस बात का प डत सालाइ ह सब क पाप क कारण तऽ कलयग म इतना वनाश हो रहा ह बजनाथ जब ठाकर-बाभन अपना धम का नाश कर लया तो या बचा इसी को तो घोर कलयग कहत हबजनाथrdquo जगद श यादव न घोर कलयग क प रभाषा का साराश बताया

ldquoचदनवा ह ही पापी बरागी प डत जी क हाथ स नकल गया ह और असली बात तोकछ और ह जसक चलत दनभर वह पड़ा रहता ह बाद म बताएग आपको कभीrdquoबजनाथ न घोर कलयग का आधा ता का लक कारण ही बतात ए कहा

ldquoका हाथ स नकलगा साला हमारा बटा अगर इस तरह चमार क घर खा-पी ल औरार पर ख टया पर सत जाए तो साल को घर स नकाल द या गोड़-हाथ तोड़ क घर बठा द

हम लोग तो य वशी ह मजाल ह क कोई चमार क हाथ का छआ खा ल या चाय तक पील च लए जात-पात नह करना चा हए ल कन धम भी तो कोई चीज ह हम बाहर कभीजात-पात नह करत होटल म खात ह पाट म खात ह कोई द कत थोड़ ह ल कन यहनह करत क कसी ह रजन क घर घसकर रह और खाए साला लाज भी नह प डत जीक बटा कोrdquo जगद श यादव न जात-पात को गलत मानत ए ही कहा

ldquoहा प का बात बोल अब हम ही को द खए तली ह जात का ल कन इतना भी गयागजरा नह ह क कसी ह रजन घर जाकर खा-पी ल हमार ार पर ऊ लोग आता ह अगरबहा-शाद म तो खलात- पलात ह मगर आप क हएगा क उन लोग क घर जान तोएकदम नह जात ह जात-पात छआछत का बात नह ह ल कन समाज का मरजाद औरनयम भी तो कोई चीज हrdquo बजनाथ न भी अपना तल व छलकात ए कहा

ldquoऔर या सही बोल दखो अब कह बरागी प डत जी का पतो न बन जाए कोईह रजन का लड़क एक ऐसा काड हो चका ह इसी गाव म बाप र फर हो गया तऽ अबक बार प डत जी का बनास ही लखा जाएगा ल ण ठ क नह लग रहा हमकोrdquoजगद श यादव ह क हसी क साथ बोल

भारत म छआछत क बीमारी क सबस बड़ी वशषता यही रही थी क यह बीमारीबस कसी खास एक जा त या वग ारा पो षत नह कसी एक जात क बपौती नह थी

यहा हर जा त क नीच एक जा त थी भारत म सबस ऊपर क जा त तो खोजी सकतीथी पर सबस नचली जा त खोजना अभी तक बाक था

यहा हर जा त क लए कोई न कोई जा त अछत थीतली क लए ह रजन अछत था यादव क लए तली अछत था य क लए दोन

अछत थ ा ण क लए तो सब अछत थ मानव का मनो व ान बताता ह क वह पश सआनद पाता ह ल कन कसी को न छन का आनद भारतीय जा त व था क अपनीमौ लक रसो प थी अछत रस सबस नमल रस था यह कसी-न- कसी प म सबकोआनद दता था हर चीज को छकर चखकर दखन क ज ास पीढ़ न भी इस ाचीनभारतीय अछत रस क वाह को लगातार बनाए रखा था टच न क जीवनशली वालीपीढ़ जब जात-पात क नाम पर टच करन स परहज कर रही होती तो सारी ग तशीलताऔर आध नकता एक छलावा लगन लगती

इधर दन गजरन क साथ ही प ब र क यहा तयारी जोर-शोर स चलन लगी आयोजनका लगभग परा भार बरची न ही उठा रखा था उसक साथ ह रजन टोला क कई नौजवान

एक पर पर खड़ थ चदन पाड भी बरची क साथ लगा आ था प ब र दास को इन दोनक प म अ छ म और सहयोगी मल गए थ म दर म पजन एव अन ान क लए आस-पास क गाव स कसी अ छ प डत का मलना म कल हो रहा था इलाक क सबस गणीऔर नामी प डत आचाय ी सरय झा स जन जी न मनचाहा द णा दन क पशकश कबावजद भी पजा करान स मना कर दया था उ ह न बरची को लगभग डाटत ए कहा थाldquoतम पसा दकर हमार ा ण व को नह खरीद सकत हम पस क लालच म धम नह नकर दगrdquo

इस पर बरची न खट स पछ लया था ldquoकभी बना पसा लए भी कह पजा करबाएह या प डत जी सठ-सा कार क यहा तो जो सबस यादा पसा दता ह दशहरा- दवालीका मन पजा उसी का करात ह ई कसा धम ह जो पसा लकर सठ क लए शख फक सकताह ल कन ह रजन क लए नह rdquo

यह सनत ही प डत सरय झा स जन न अपन लकड़ी का खड़ाऊ बरची क कपार परद मारा था सयोग अ छा था क सर फटा नह जब प ब र दास न पाव पकड़कर माफमागी तब जाकर कसी तरह स बाबा शात ए थ प डत सरय क छोट बट न पजा घर सगगाजल ला उनका दोन पाव पखारा तब जाकर प डत सरय झा स जन पनः प व यो न मरीसट ए प डत ी स जन धम क कड़ पालनकता थ धम का पालन य करत क धम सकमाया तो धम ही खात धम ही पीत थ रोट खात तो उस पर श घी स पहल lsquo ी रामrsquoलख दत घर क सामन वाली चापाकल क गध य ह क पीली लोहरइन पानी पीत तोउसम पहल एक तलसी प ा डाल दत जसस क उसम तरत ब ट रया का पाप धल जाएऔर वह हा न न प चा सक ऐस धमा मा क आ मा को ठस प चा उस दन बरची औरप ब र न अनजान म धम य छड़ दया था भा य अ छा था बरची का क इस दवासरस ाम म बना ब त यादा चोट खाए नकल आया था उस दन क बाद स ही सबस बड़ीसम या यह हो गई थी क अब भला प डत कहा स लाया जाए ऐस समय म वह चदन हीथा जसन अपन फफर बड़ भाई को समझा-बझाकर इस आयोजन क लए तयार कर लयाथा चदन का यह फफरा भाई प डत न यानद चौब काशी स कमकाड का श कोस करचका था इस तरह चदन न एक बड़ी सम या का समाधान कर दया था प ब र क लएइस कारण प ब र का मन चदन क लए अगाध ा स भरा आ था चदन क दन सलकर शाम प ब र क यहा ही कटत चाय पानी ना ता चलता रहता

बरची क प ब र स मलाकात भी एक सयोग ही थी प ब र म दर नमाण क दौरानही ढलाई क छड़ बधवान को लखन लोहार स सपक करन गया था जहा बठ बरची सउसक बातचीत होन लगी और बात -बात म बरची प ब र का साथी बन गया था फर तोबरची न म दर नमाण का सारा काम अपनी नगरानी म करवाया था मज र कम पड़न परखद मज री तक क थी बरची क साथ ही चदन पाड भी वहा आन-जान लगा था चदनधीर-धीर बरची क बना भी वहा जान लगा था अभी तो पछल 2 दन स वह डटा पड़ा थाम दर उद घाटन क व था क लए चदन अभी ख टया पर लटा अखबार म खल प पर

आख धसाए कसी वदशी म हला ट नस खलाड़ी क त वीर दख रहा था क तभी प ब रक नई मोटरसाय कल लए बरची प चा उसन चदन को साथ लया और भोज क लएराशन क साम ी क ल ट लखान रसोइया गलाबो जी महाराज क पास नकल गया

उद घाटन क तयारी जोर-शोर स चल रही थी

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मरारी क चाय कान पर मलखानपर गाव क परी क बनट ही बठ ई थी कल ही प ब रदास क यहा म दर का उद घाटन होना था कौन-कौन आयोजन म जाएगा और कौन नहजाएगाmdashइ ह सब बात पर लगातार मथन जारी था सब एक- सर क मन क थाह ल रहथ जगद श यादव कसी ज री बलाव पर थाना जा रह थ पर यहा चचा का मह व यादादखकर पछल 1 घट स यही जम ए थ बजनाथ भी नकला तो था बकरी को बगल कगाव जतवारपर ह टया म बचन ल जान क लए पर अब वह जाना भल चका था वो जसबच पर बठा उसी क पौआ म बकरी क र सी बाध अब सीध चचा म शरीक हो गया था

बीच-बीच म बकरी उसक लगी ख च लती तो बजनाथ बना उसक तरफ दख उसकमह पर लात मार दता और लगी छड़ाता वह तो अभी बाय हथली म खनी लए उस दा हनहाथ क तजनी स रगड़त ए लगातार वहा बठ लोग क मह क तरफ दख रहा था वहचाहता था क इस अ त सवदनशील मद द को पहल सन-समझ ल तभी कछ कह

ldquoनवता तो घर-घर जाकर दया ह और ब त इ जत पानी क साथ हाथ जोड़करबलाया ह प ब र अब द खए कौन जाए कौन नह जाए ई अलग बात हrdquo मरारी नखौलत ध म चटक भर चाय प ी छड़कत ए कहा

ldquoहा भाई दखो ना जी परा गाव आज प ब र दास का नाम जान गया एक बार म हरघर का आर दख लया ई 4 दन का आया आदमी दमाग तो लगाया बजोड़ ल कनच लए धम-कम का मामला ह इस लए भया णाम करत ह हम काह बोलग जसको जानाह जाए भयाrdquo जगद श यादव जस कसी छप ए एजड का पदाफाश करत ए एक मझ

ए राजनी त क तरह कटनी तक लवर म बोलजगद श यादव क ऐसी भाषा को सबस यादा बजनाथ ही समझता था उसन पहल

तब स रगड़ा रही खनी को मह म फाका और तब वतमान चचा म पहली बार लपककर महखोला

ldquoसब बात तो बझ गए ल कन ई दमाग या लगाया हmdashई बात जरा खलकर बताइएन दादाrdquo खली बात को परा खोलकर बजनाथ न अपना काम करत ए कहा

ldquoअर खोलना या ह मरद सब ख ल ह दख नह 15 दन पहल ही सब घर म काडबाट दया काह काह क आप हम क रए चचा प ब र दास का साला बड़का-बड़कानगर सठ चपचाप धम करता ह यहा इतना तामझाम का या मतलब बताइए या कामभाई म दर का उद घाटन म काड छपवान का क लयर परा पॉ ल ट स ह इसम ई टोटलदमाग बर चया का ह धम क नाम पर एक ह रजन को चमका क दखा रहा ह सबको हम

नह जानत क उ प ब र दास ब त अ छा आदमी ह क खराब ह ल कन यह ज र बोलगक बर चया उसको ल लया ह अपना गयर मrdquo जगद श यादव न म दर उद घाटन पर अबतक का सबस सनसनीखज बयान दया

ldquoभा क जगद श दा आप तो एकदम ब त र तक का बात सोच लत ह आजकलसमय बदल गया ह सब चीज म काड छपता ह दादा लोग छोट-सा मठाई कान खोलताह तो उसम म भी काड छपवाकर बाटता ह अर नया पसा कमाकर आया ह तो कोई भीकरगा थोड़ा खचा-पानी अपना-अपना शौक होता ह प ब र का कपड़ा-ल ा दखत हकतना हसाब स रहता ह एकदम कतना बार आ चका ह चाय पीन इहा भी बोली-बहबारतऽ ठ क ह उसकाrdquo मरारी न खद सीधी-सीधी समझी बात को सीध-सीध श द म कहदया

ldquoओ तो यहा भी उठन-बठन लगा ह प ब रrdquo जगद श यादव न झ लाई-सी हसी कसाथ पछा

ldquoअर नह दादा कभी-कभार चाय पीन आता ह यहाrdquo मरारी न जलत च ह म कोयलक कछ टकड़ डालत ए कहा

ldquoतम बस चाय बचो मरारी ई पोल ट स और राजनी त तम नह समझोग जगद श दाठ क तो बोल रह ह अर ह तो ह साला मसलमान क घर भी नवता द दया ह इसकाका मतलब तम ही बताओrdquo बजनाथ मडल न कड़ मजाज स कहा

इस पर मरारी न भगोन म छननी पटक कछ कहना ही चाहा था क बड़ी दर स चपबठा लड डन मया उछल पड़ा ldquoऐसा मत बोलो बजनाथ ह - मया का बात कहा स घसादए यहा तो सब का सब क घर दावत चलता ह जसका जसस चलता बनता ह उसकोदावत दता ही ह सब हमको कतना मसलमान ऐसा भी ह जो नह बलाता ह और तमकोकतना ह नह बलाता हrdquo लड डन मया एकदम स उबल पड़ा था जस बजनाथ भीभला चप रहन को नह बठा था

ldquoहम भी कोनो साद - बहा और घर का फ शन पर नह बोल रह लड डन मयाधा मक काम क बार म बोल रह ह म दर का पजा म मया का या काम ह कोय बता दहमकोrdquo बजनाथ न एक स च ह दय स कहा

ldquoअर सनो बजनाथ पीर बाबा का मजार पर गाव का उस मला लगा न चार तरफ कब ती का मसलमान आया था न जी उसम बताओ क मलखानपर का ह घर म दावतनह दया या उस कमट अर खाली हम अपन हाथ स 30 स यादा ह क घर काडदकर आए ह चदा का रसीद भी काट सबका और सनो मला का फ ता कौन काटाबताओ याद ह तमको याद कर लो फकन बाब काट थrdquo लड डन मया न उस मला कऐ तहा सक आयोजन का एक धम नरप अश सनात ए कहा

बजनाथ अब चप बठ गया था उसको वस भी असली चढ़ तो वा तव म मरारी स थीएक तो यह जानकर क प ब र दास भी अब यहा आन-जान लगा ह इसस थोड़ा और

खीज गया था यह खीज तो जगद श यादव म थोड़ी और यादा थी पर असली ग सा तोबजनाथ को इस लए था क 2 दन पहल ही मरारी न बजनाथ स पछल चाय क उधारी कातगादा कर दया था ह क -फ क बहस म मरारी न यह भी कह दया था क जतना चकादन का भरोसा हो आदमी को उतना ही उधार लना चा हए यह बात बजनाथ को गहरी गड़गई थी आज इतनी दर म एक भी कप चाय नह पी थी बजनाथ न जगद श यादव कतरफ स चाय चलन क बावजद भी उसन कप को हाथ नह लगाया था

गाव दहात का एक आदमी अपन वा भमान क खा तर एक कप चाय क अलावा औरछोड़ भी या सकता था क मत न उसक पास छोड़न और यागन को और छोड़ ही यारखा था मरारी न खद भी एक बार चाय उसक तरफ बढ़ाई तो यह बोलकर बजनाथ न मनाकर दया क घर स अभी तरत कवल ध क चाय पीकर नकला ह

ldquoअ छा छोड़ो ना यह सब ह - मया या श कर दए तम सब अर यहा मटर ह कह रजन क घर कौन जाएगा मरारी स प छए क खाली इ जत स बला दन पर जात-पानीसब ख म करन चल दना चा हए का प ब र घर खा एकदम प ब र ही हो जाए का औरअसली मसलमान भी या चल जाएगा कसी चमार क यहा करीम मया दज का कामकरता ह ना बाजार म उसको कल पछ हम वह बोला क जगद श भया पठान ह हमचमार क घर पानी भी हराम ह हमार लएrdquo जगद श यादव न lsquo ह -म लम एक ह सालrsquoटाइप नारा बलद करत ए कहा

ldquoकरीम मया तऽ ठ क बोला य लोग भाई पठान ह हम लोग ठहर कसी तरह खान-कमान वाला क लाल कछ लोग करशी ह मीट बचन वाला पठान लोग तो करशी पसमदाऔर हम लोग को भी छोड़ दता ह दावत-पानी म ल कन जब कोई दगा-फसाद हो जाए तोफतवा होगा क सब मसलमान एक ह चलो मल क लड़ो साला बताइए कसी एकमसलमान क लड़ाई म सब का जाना या ज री ह ह म साला ठ क ह सब जात काअपना अपना हसाब ह एक ह क चलत सब ह नह पसाता ह जादब को जादबदखता ह राजपत को राजपत दखता ह और बाभन-ब नया को उसका अपना जात हमरइहा तो अ लाह क नाम पर सब मसलमान को भ ड़या-धसान करा दता ह हमरा बरादरीइस लए ई सबका तो बात ही मत क रए जगद श दा हाथ जोड़त हrdquo लड डन मया न दोनहाथ जोड़ दद- बरादरी सनात ए कहा

उसक बात स साफ था क मसलमानी समाज अपनी आत रक सामा जक व थाम आपसी जा तगत भदभाव और छआछत तो करता था पर सकट क समय व सब कवलमसलमान हो जात थ जो लड डन को अजीब ही लगता था लड डन न जोर दकर कहा थाक जब मसलमान को भी जातीय छआछत करना ही ह तो फर एकदम ह क तरहईमानदारी स कर जसम कसी भी हाल म जातीय बटवारा कायम ही रह ऐसा न हो कखान-पान म र रखो और मार-दग म साथ बला लो

उसन साफ-साफ अपना दखा आ अनभव बताया क लाख दगा हो जाए ल कन हम कोई ह रजन को बचान जादब को नह कदत द खएगा न कोनो ह रजन क ब ती वाला

दगा म कोई पडी-ठाकर दौड़ रहा होता ह आग बझान मसलमान का या तऽ जादव स दगाहोता ह या पडी स होता ह या राजपत स होता ह या ह रजन स होता ह भाई ह स नहहोता ह दगा

लड डन इसी तरह ह क तरह हर मद द पर जातीयता क कठोर पालन का प धरथा

आज मरारी क चाय कान पर ह जा त व था क गौरव-गान को एक मसलमानन तान दकर राम-रहीम क ऐ तहा सक परपरा को और मजबत कर दया था तमाम पराणऔर म तया जस एक हो करान क साथ एकाकार हो जान को थ लड डन आज हमसलमान नह था आज उसक मख स एक श भारतीय हो रहा था जो जातीय

व था क हजार वष परानी भारतीय परपरा को गव स उगल रहा थासब लड डन क तरफ दख रह थ तभी जगद श यादव बोल ldquoबात तो इसका एक

नबर सही ह ठ क बोल रहा ह ईrdquoहाला क लड डन अब खद समझ नह पा रहा था क उसन या बोला इतन दर तक

और लोग न उस या समझाबात इसी तरह बना बात चलती रही इसी बीच सफद शट पर नीली लगी डाल मोहन

साव भी वहा प च गया उसक आत ही एकबारगी सबक नजर उसी पर गईldquoका हो मोहन कहा स आ रह होrdquo जगद श यादव न लगभग सही अदाजा लगात

ए ही टोकाldquoअर जगद श दा यही गए थ जरा प ब र दास क यहा पनीर ध और खोआ का

ऑडर था वही माल प चान गए थ ब ढ़या आदमी ह साला मन माल दए और समचाहसाब करक पसा पकड़ा दया फटाक एक पया उधारी नह यहा तऽ गाव क बड़कारहीस क घर भी माल द जए तऽ पसा लन म च पल खया जाता हrdquo गाव क अ य बड़लोग स प ब र का तलना मक अ ययन करत ए उसक व पर एक क मती रायरखत ए बच पर बठा

ldquoसो कसा बब था ह हो मोहन दाrdquo अबक सनत ही बचन बजनाथ न लपककरपछा

ldquoबजोड़ बजोड़ पछब मत करो बजनाथ सम चा खाना श घी म बन रहा ह तलखाली तरकारी म डलाएगा लहसन- पयाज मना हrdquo मोहन न आख दखा हाल आखबड़ी-बड़ी और गोल कर सनाया

ldquoत खाना तो उसक घर पर ही बनगा न कारीगर कहा का ह कौन जात हrdquoजगद श यादव न अभी तक का सबस ज री तकनीक सवाल पछा

ldquoघर स कोई मतलब नह रखा ह खान-पान का समचा गाव को नवता दया ह ऐसागलती काह करगा सारा काम म दर क हाता म होगा जतवारपर वाला गलाबो महराज कोबलाया ह खाना बनान इलाका का नामी कारीगर ह मारबाड़ी बासा का कारीगर ह श

बसनव भोजन बनाता हrdquo मोहन न सारी शका का लगभग समाधान करत ए कहाldquoबो लए ई भी एगो आसचर ह क गलाबो महराज कस तयार हो गया जी इसक यहा

खाना बनानrdquo जगद श यादव च तत वर म बोलldquoपसा द जए तऽ सब तयार हो जाता ह जगद श दा पसा कछो करा सकता हrdquo

बजनाथ न जगद श यादव क ज ासा को त काल शात कर उनक मन को एक सहारा दतए कहा

ldquoअर सनो ऐसा भी नय होता ह इसका मतलब क हम भी पसा म बक गए सालबजनाथ कछ भी बकर-बकर बोल दत हो अर जा क दखो न पहल उसका साफ-सफाईसब काम सध तरीका स कर रहा ह सब कछ म दर स हो रहा ह दवी-दवता का काम हकौन ना बोलगा जी त हर यहा बठ क भाषण पलन स या होगा उसका बब था तऽ जाक दख आओ गाव म इतना खच कोई कया ह आज तक पजा पाठ म सध घी का पड़ीकोई खलाया ह क बोrdquo मोहन साव न उखड़त ए बड़ ख अदाज म कहा

कछ पल क लए सभी चप हो गए थ बजनाथ न इसी बीच अपनी बधी बकरी क महपर एक जोरदार लात मारा जो अब भी लगातार उसक लगी ख च रही थी बकरी जोर सममाई-भभाई उसक म-म और भ-भ म जस बजनाथ ही हो रहा था

जगद श यादव ऊपर वाल जब स खनी नकाल उस मलन लग मरारी इसी बीच दोअ य आए ाहक को चाय द रहा था

ldquoहमको तो लगता ह कल सब जाएगा प ब र दास क यहाrdquo लड डन मया न मनटभर पहल क च पी को तोड़त ए कहा

ldquoहा हा द खए सध घी म पड़ी छनात लड डन मया तयार हो गए ह जान क लएrdquoब त दर स चप मरारी न खल खलात ए चटक ली

ldquoऐसा भी बात नह ह मद मरारी समाज म कोई बलाएगा तो जाना पड़ब करता हrdquoलड डन मया न अब अपना नणय प ही कर दया

ldquoछो ड़ए चप र हए आप लड डन मया हम तो बलाए थ आपको काली पजा कासाद खान पाठा का ब ल दए थ आप तऽ तब बहाना बना दए बना जबह कया तऽ

खाइएगा नह काह क धरम चला जाएगा यहा सध घी का नाम सन महा मा गाधी बन रहह जाइए न कल मजा मा रए पड़ी तरकारी रसग ला काrdquo मरारी न हसत-हसत ही थोड़ीत खी स कहा और अपना बकाया सामा जक हसाब परा चकता कर लया लड डन मयास

यह सन लड डन मया मार शम क आब-जमजम ए जा रहा था मरारी क बात परबस म करा भर दया और जगद श यादव क तरफ मह कर बठ गया आ खर करता भी

या बचारा जब मन क चोरी पकड़ी जाती ह तो आदमी या तो रो दता ह या हस दता हलड डन मया क लए यहा दात चयार क हस दना ही ठ क था ऐसी बात प भला रोनाकसा

ldquoतब बजनाथ तम जाएगा क नह अब प ब र क यहाrdquo मोहन साव न मज लकरपछा

ldquoहमारा अकल का बात थोड़ ह सब जाएगा तऽ हम एकदम जाएग जगद श दादा सभी प छय जसा तय क रए सबलोग हमको वस भी जात-पात स कभी लना-दना नह रहाहrdquo बजनाथ न एक सफ सत क भा त कहा

ठ क तभी एक बार फर बकरी न उसक लगी ख ची और बजनाथ न बना उधर दखही सट क अदाजा लगात ए पनः एक जोरदार लात उसक मह पर मारा मरारी क चायकान पर चल रह इस महान सामा जक बठक क असली क मत तो इसी नरीह बकरी न

चकाई थी वो भी बार-बार सीध मह पर लात झली थी फर भी जब जब बजनाथ कोईमह वपण व दता इसन सीध उसक लगी ख चना छोड़ा नह था

श घी क गमक न बातचीत स नकल तनाव वाल गम हवा को अब थोड़ा शीतल करदया था इस महगाई क जमान म श घी क बात न सबक दय को काम भर तो पघलाही दया था

बजनाथ न जान-आन क नणय का सारा मामला भल जगद श यादव क म थ डालदया था ल कन उसका मन तो कर रहा था क आज क आज अभी ही चला जाए प ब र कयहा और पड़ी छनवा खा आए

पर बचारा करता या इतना आग बढ़ पहल ही इतना उ टा-सीधा बोल चका था कअब खद पहल करन म थोड़ा लजा रहा था

दशी घी क चचा स बजनाथ को याल आया क कस उसन कशोराव था स ही दशी-दा का नय मत तीन टाइम सवन कर अपना लीवर खराब कर लया था तल मसाला अबपचता नह था और डॉ टर न अगड़म-बगड़म खान स एकदम मना कर दया था कहशाद - याह क भोज-भात म जाता भी तो मजबान का दल रखन क लए मास का मसालापानी स धोकर खा लता था पर छोड़ता नह था आदमी होन क यही तो शत ह कसी भीतरह सलट दो छोड़ो नह आदमी का यही वाभाव तो उस आदमी बनाए रखता ह वनाजस आदमी क पास आ मसयम सतोष और याग क व त आ जाए वो तो फर दवताबन जाएगा आदमी थोड़ रहगा आ खर बजनाथ और ब म बस इतना ही तो फक थावना थ तो दोन आदमी ही एक अपन सयम याग और ब लदान स महा मा ब बन गयाऔर बाक नया बजनाथ क तरह आदमी ही रह गई

पट और लीवर क मारा-मारी क च कर म बजनाथ को ठ क स मन भर पड़ी खाएपाच बरस स ऊपर हो गए थ डालड म छनी पड़ी पचती नह थी इस लए म कल स हीछता था य तो भला हो उसक ठ क-ठाक गरीबी का क घर म कभी जम क भरपर तल-मसाला खाना ही नसीब नह होता था भात पर साग और हर भपाय स जी स दन कट रहथ वना भरा-परा मसालदार जीवन होता तो कब का नकल लया होता

ल कन दशी घी क बार म परख स सनता आया था क दशी घी न सान नह करता

ह उ ट कई बीमारी ख म कर दता ह दशी घीइस लए परख क इस कह को परखन और जीवन म पहली मतबा दशी घी क पड़ी

चखन क हत ढ़ न य कर उसन मन-ही-मन प ब र दास क घर क ओर ठोस कदमउठान का साह सक नणय लगभग ल लया था

घी तो वस जगद श यादव क मन भी गमका था पर व भी जताए तो जताए कस उससभी बड़ी चता उनको य हो रही थी क कह ऐसा न हो क सब लोग प ब र क यहा चलजाए और वही न छट जाए ऐस म तो एकदम अलग-थलग न पड़ जाए समाज म पर सीध-सीध अपनी इ छा भी तो नह बता पा रह थ उनक मन म यह मथन जारी था क कौनजाएगा और कौन नह जाएगा वहा क इतजाम का जसा वणन मोहन साव न कया थाउसस तो लग रहा था क गाव क लोग ज र जाएग जगद श यादव अभी कछ बोलन कऊहापोह म ही थ क सफद धोती कता पर लाल गमझा डाल बरागी पडी जी भी प च गए

पडी जी को दखत ही बजनाथ लपककर धीर स जगद श यादव क कान म बोलाldquoली जए इनको तऽ सब पत होगा ोगराम का इनक लड़का तऽ ह उहा रग मा टरrdquo

भत पशाच तक क हवा-बतास पकड़ लन वाल पडी जी क लए बजनाथ क यहचगली पकड़ लना ब त वाभा वक था जस आदमी का कान म ग म दन का ही पशाहो वो सामन वाल क ारा कान म कह बात का अदाजा तो बड़ी आसानी स लगा ही सकताथा बरागी पडी जी न कनखी स ही बजनाथ क शरारत दख ली थी और उनक कान म कछश द प भी सनाई पड़ गए थ

ldquoआइए णाम पडी जी ब ठए अभी तरत चढ़ाए ह ध खौला क बनात ह चायएकदम इसपसलrdquo मरारी न पडी जी को दखत ही बच पर बठन का इशारा करत ए कहा

ldquo णाम णाम खश रहो र मरारी परा आ सरवाद ह तमको एक त ह तऽ हआ सरवाद लन लायक बाक क जबरद ती दना पड़ता ह और का बात ह आज बड़ा दरतक बठक चल रहा हrdquo बरागी पडी जी न सबको एक नजर दखत ए कहा

ldquoतब बाबा गाव म तऽ कल बड़का धरम-करम होन जा रहा ह काली म दर खल रहाह आप जा रह ह क नह आ सरवाद दनrdquo बजनाथ न ही आख दबात ए ह क म कमारकर पछ दया पर उस पता नह था क बाबा वापस बदल म डक मारग

ldquoअर बजनाथ लो हम त ह को तो खोज रह थ कल साझ स ही अर अपना बटा कोक ोल काह नह करत हो भाई अभी तरह-चौदह साल क ह और इतना सगरट पीता ह कबड़का-बड़का क रकोड तोड़ दगा बताओ कल म दर क पछवाड़ म तीन-चार ठो चमटोलीक बत सग बठ क फक रहा था हम डाट क भगाएrdquo बरागी पडी जी न स च शभ चतकक भा त बजनाथ क बट क त भारी चता म डब वर म कहा

ldquoहमरा बटा कब दख आपrdquo बजनाथ क अदर का बाप छलककर बोला था जसldquoदखत तऽ रोज ह कल म दर क पछवाड़ म दख लए तऽ डाट आजकल का ब चा

कसी बजग का भल भी तऽ नह दता ह डाट तऽ ही ही कर क चल दयाrdquo बरागी पडी जी

न मरारी क हाथ स चाय लत-लत कहाldquoऐसा शकायत फ ट सन रह ह बाबा ऊ भी आपही क मह स ऐसा क पलन कोई

नह कया आजतकrdquo बजनाथ न अपन बट क त भयकर भरोस क साथ कहाldquoलो अर कोई काह करगा क पलन कसको मतलब ह आजकल कसी स सब तऽ

चाहता ह क सर का ब चा और भी बगड़ जाए अर ऊ तऽ तम जस सर क बाल-ब चाका खबर रखत हो वसा सब कहा रखता ह एतना भला आदमी कतना ह गाव म तऽ हमभी सोच क कम-स-कम त हर भी बटा का खोज खबर तमको प चा दrdquo बरागी पडी जी नचाय क पहली घट नगलत ही अपना स चत ोध उगलत ए कहा

ldquoका क रएगा बाबा आजकल का जमाना ही उ टा हो गया ह या हमारा और याआपका कसी का लड़का हाथ म नह बाप बस मा रए-पीट न सकता ह साल का च र रथोड़ बदल सकता ह जो कपार म लखा क आया ह वही होगाrdquo बजनाथ न जस एकअसली भारतीय बाप क नय त का सच बयान कर दया

बजनाथ यह कहकर एकदम स शात पड़ गया था ड बी स खनी नकाल उस हथलीपर रख चहर पर बना कोई भाव लए धीम-धीम रगड़न लगा

बरागी पडी जी न तब तक चाय पी कप बच क नीच सरका दया था चहर परबजनाथ को एक बाप होन का अथ समझा दन का सतोष था

ldquoद खए बरा मत मा नएगा बाबा तऽ एक बात तो हम कहग ल कन माफ क रएगाअगर ज रयो बरा लग त बात ई ह क भल कसी का बटा हाथ स नकल जाए ल कन ऐसाभी नह होना चा हए क समाज स नकल जाए आपको चदन बाबा को थोड़ा क ोल करनाचा हए पडी जी हो क इस तरह स चमरटोली म रच-बस जाना ठ क नह कल दन तबसमाज म या बच जाएगा फर जब प डत-बाभन का लड़का ऐसा करगा तऽ हम लोग काबाल-ब चा तऽ फर पछब मत क रएrdquo जगद श यादव न बजनाथ क म छत होन क बादमोचा सभालत ए कहा

ldquoल अर अब जो हाथ स नकल गया ऊ समाज क खा तर या कगा जसकासमाज स चलता ह उसको फकर होता ह समाज का हमर बटा का हम चलात ह उसकोका फकर समाज का ल कन हमारा समाज ही चलाता ह दाना-पानी तऽ दखो हमको पराफकर रहता ह समाज का एक-एक बात सनत ह समाज का हम जस दन बठ जाएगह रजन टोला म उसी दन समाज हमर जगह पर सरा पजारी रख लगा म दर म हमकोभगा दगा इस लए हमको परा चता ह समाज का बटा का छोड़ो न उसको न पजा-पाठका काम आता ह न उसका मन ही ह ई सब करान का कह जाता भी नह ह जजमानी मसब अकल हमको दखना होता हrdquo बरागी पडी जी न एक बार नीच और फर आकाश कओर मह करक कहा

ldquoगजब ान द दए आप बाबा मन आपको डर नह लगता या समाज स बटा तऽआपका ही ह उसका करनी भी तऽ आपको भरना होगा बटा को सभालन क जगह उ ट

सह द रह ह ई गलत चीज ह बाबा माफ क रएगाrdquo जगद श यादव न थोड़ी खजआहट कसाथ कहा

ldquoअर बड़ा आया समाज का डर कोय लाठ ल क डराएगा का डर लगता ह पट सलाठ स नह समाज रोट बद कर दगा सबस बड़ा डर यही ह जगद श इसी स डरत हबस तऽ उसक लए हम तऽ भर ही रह ह न सब अपमान और बज ी और जब ल ई पटऔर भख ह तब ल ई डर रहब करगा इसम कहा मत हrdquo बरागी पडी जी न गमझा कधपर डालत ए कहा गोरा चहरा भीतर क तमतमाहट स थोड़ा बगनी-सा हो गया था परपट का मारा आपा न खोए तो हो शयार पडी जी बवकफ नह ही थ

ldquoभ क बाबा आप तऽ गसा गए एकदम स अर आप ा ण दवता ह आपको कौनलाठ मारगा ऊपर वाला क लाठ स फर बचगा का जो भी ई पाप करगा और पट तऽसबका भगवान चला रहा ह बाबा कोई कसी क भरोस नह rdquo जगद श यादव माहौल कोतरत ह का करन क को शश करत ए बोल

व मन म तो अब यह सोच रह थ क कलयग म भल प डत का आशीवाद लग न लगसना ह साल का शाप लग जाता ह जगद श यादव न य भी सन रखा था क बरागी पडीजीभ क काल ह जो बोल द ऊ लग जाता ह बरा बोल तो गारट होता ह भला जगद शयादव गलती स भी यह गलती य करत इस लए तरत तवर बदल कोमल नमल हो गएथ या पता कछ बरा नकल जाए पडी जी क मह स बना द णा वस भी अ छानकलता ही य

ाचीन काल म तो ा ण का जलवा था कमडल स जल छ ट दन भर स आग लगाऔर बझा दत थ

अब यह मडल कमीशन क बाद का दश था 21व सद का दश कमडल पहल जसाकाम ही नह करता था ल-द अब काली जीभ का ही सहारा था जसन ा ण व क जलवको थोड़ा ब त बचाए रखा था कछ मा यताए काल ा ण को लकर सावधान रहन क भी

च लत थ ऐस ा ण कभी गोर होन वाली म का उपयोग नह करत थ इस तरहमला-जलाकर प डताई अब भी काम भर हड़का-फड़का लन वाला जॉब माना जाता रहाथा समाज म जल अ त स र अब भी धा मक टोटका क चलबल ह थयार थ जसकाकवल ा ण ही नह ब क कोई भी जा त इ तमाल करती थी तो लोग डरत थ ा ण सइतर इसका उपयोग सभी नचली जा तय म धड़ ल स होता था जसम डायन-जो गन कानाम ल हड़कप मचान क एक फली-फली परपरा थी

ldquoनह भाई जगद श जब भोला बाबा क कपार पर लोग मार क ना रयल फोड़ द रहातऽ हमर जस बाबा क कपार पर लाठ काह नह मारगा लोग और ई भी जान लो सबकापट भगवान दखत ह ग ल कन पजारी का तऽ जजमान दखता ह बाब जो जजमान दगाउसी म चलना ह हमरा तोrdquo जस बरागी पडी जी म कोई भौ तकवाद चतक बोल गया था

ldquoअर अब आपक आग हम या बोलग बाबा बस यही चाहत ह क आप लोग कब चा का स कार दख क हम लोग का बाल ब चा भी एक-दो ठो अ छा चीज सीख लगा

इस लए आपको टोक दए चदन बाबा का बात उठाकर बाक माफ क रएगाrdquo जगद शयादव न स कार दन का सपण लोड बचार प डत जी क माथ दत ए खद ह का होत एकहा

इधर अकल एक पजा वाली साजी और आरती वाली थाली घमा जदगी चला रहापजारी अपन माथ यह बोझ भला य लता ल कन स दय स स कार दन का टडर जसवग क ह स हो उसस समाज आज भी इतना उ मीद तो करता ही था

ल कन बरागी पडी जी उनस अलग थldquoउधार क स कार पर अपना ब चा को मत पालो-पोसो जगद श याज चकात मर

जाओग जीवन भर ई जो दान-द णा दत- फरत हो यही न याज ह अर अपना स कारदो ब चा को हमार जस पजारी क भरोस कौन-सा स कार मलगा जसको खद साझ करोट का चता रहता हrdquo बरागी पडी जी न बना कोई आध नक दशन और सा ह य पढ़बड़ी गढ़ और ईमानदार बात कह द थी हाला क इसका भान न खद उनको ही था न वहामौजद अ य कसी को कभी-कभी ऐस ही चाय कान पर बतकही करता आम आदमीखनी रगड़त-रगड़त अपन समय का असाधारण स य बोल जाता था जस अनजान म अभी-अभी बरागी पडी बोल गए थ

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रात क लगभग नौ बज ह ग र कह बादल गड़गड़ा रह थ प छया क जोर स काल बादलइधर ही चल आ रह थ आसपास कह वषा हो चक थी इस लए बीच-बीच म थोड़ी-सीठडी हवा भी छकर नकल जा रही थी

य घट दो घट प आती-जाती रहन वाली सरकारी बजली पछल तीन घट स लगातारगायब थी गाव क ग लय म घ प अधरा था बीच-बीच म कभी आसमानी बजली कड़कजाती तो कभी कोई जगन चमक जा रहा था गली म

कामता साद हाथ म टॉच लए पदल ही गली स नकल रह थ सामन कसी क आनक आहट पर उ ह न सीध उसक चहर पर टॉच मारा

ldquoकौन जीrdquo कामता बाब क मह स नकलाldquo णाम सर हम हrdquo सामन वाल न आख मच मचात ए ह क आवाज म म करात

ए कहाldquoओ अर तम ह जी इतना रात इधर कहा जा रहा हrdquo कामता बाब न खड़ होकर ऐस

ही पछ दयाldquoजरा नीच टोला जा रह थ सोच इधर स चल जाए उधर खत तरफ स रात को

द कत होता ह आधी-पानी भी आ रहा ह सरrdquo उसन आराम स बतायाldquoअ छा अ छा तब जी या करत हो आजकल पढ़ाई छोड़ा और जीवन एकदम

बबाद कर लया तम पता नह का हो गया त हर दमाग कोrdquo कामता बाब खड़ हो य हीबोलत गए

ldquo या कर सर अब जो होना ह होगा पढ़ाई कौनो शौक स थोड़ छोड़ सब तऽ जानतही ह आपrdquo उसन बझी आवाज म कहा

ldquoऐसा भी कोई बात नह था पढ़ सकता था फर स तम खर अब थोड़ा ढग स जीनासीखो पीना-खाना कम कर दो बढ़ मा का तो सोचो एक दन हमस कह क रो रही थीइस लए इतना टोक-बोल दए तमकोrdquo कामता बाब न इतना कहा और टॉच जलाया

ldquoहा सर आप ठ क बोलत ह सधार करग सरrdquo उसन धीम स कहाldquoचलो चलत ह बटा आ रहा ह द ली स शखर को तऽ तम जानत ही हो नrdquo

कामता बाब अब चलत-चलत बोलldquoहा हा सर अर हम लोग साथ खब कट भी खल ह कतना साल हो गया ल कन

च लए न सर हम भी भट कर लग तब जाएगrdquo इतना बोल वो भी कामता बाब क साथ बसटड क तरफ जान लगा

ldquoलो चलो तब चलो म लए लना साल भर बाद आ रहा ह अ छा ही ह ब ढ़यापढ़ाई- लखाई क लए इतना याग तो करना ही होगा वस भी उसको घर-गाव स ब तलगाव नह ह यहा गाव म ह भी या ब ढ़या ब च स उसको इस लए हॉ टल म डाल दएबाहर रहन म कभी कोई द कत नह आ उसको हा बस अपना म मी स थोड़ा मोह हउसको बोलता भी रहता ह क पापा आप गाव म र हएगा और हम तऽ जहा नौकरी करगवह साथ म ल जाएग म मी को हम तऽ भाई गाव म ही ठ क ह अब बढ़ापा आ रहा हजड़ को छोड़ कहा जाएग मदrdquo कामता बाब एकदम चहकत मन स बोल जा रह थ सालभर पर बटा आ रहा था बाप का मन बार-बार उड़-उड़ खद ही बट तक प च जा रहा थारलव टशन स उतर बस पकड़ क तीन घट लगत थ मलखानपर प चन म टशन परउतरत ही शखर न पीसीओ स फोन कर घर म बता दया था हाला क अभी पछल ही महीनअपना मोबाइल फोन खरीद लया था शखर न द ली म

शखर न लगभग छह बज बस पकड़ी थी और अब प चन ही वाला थाइधर अभी बस टड पर प च बम कल दस मनट ही ए थ क सामन स सड़क पर

एक आती ई गाड़ी क ब ी दखाई द कामता बाब लस कर बोल ldquoलो आ गया जवाहररोडवजrdquo

नजद क आत ही गाड़ी बना क गजर गई कोई सरी बस थी कामता बाब खड़-खड़ टकटक लगाए उसी तरफ दखन लग जधर स बस को आना था बस टड सना पड़ाथा समय काफ हो चला था कामता बाब बार-बार घड़ी भी दख रह थ तभी जोर स हॉनबजाती रतन रोडवज तजी स बस टड पर आई कामता बाब झटक स उछलत ए पीछ कओर हट बट क राह तकत-तकत एकदम सड़क क नजद क कनार तक आ गए थ बसक कत ही व दरवाज क तरफ लपकत ए दौड़ दरवाजा खलत पहल एक सवारी उतरीऔर उसक पीछ पीठ पर बड़ा-सा काला बग टाग और हाथ म एक और छोटा-सा बग लएशखर उतरा तईस-चौबीस वष का नौजवान गोरा रग म यम कद छरहरा शरीर आख पपतली म का च मा लगाए शखर बना ड ी जाच भी पढ़ा- लखा दख रहा था ब तखट-मरकर बचाए अपन जीवन क जमा-पजी बट म नवश करन वाल हर भारतीय पता कलए पहली सत यही होती थी क ब चा चाह जो बसी-कम कर पर दखना चा हए पढ़ा-लखा लोक म लक का अपना अलग महा य होता लक क कारण ही यहा ापारी बाबाकहलाता भोगी योगी माना जाता गाव स शहर जस-तस भी जाया जा सकता था पर शहरस गाव आदमी तयारी क साथ तयार होकर आता शखर भी टप-टॉप ज टलबॉय लग रहाथा उसक उतरत ही कामता बाब न उसक पीठ स बग उतारा पीठ ह का होत ही शखर नआधा स आधा कम यानी वाटर झकत पहल पता का ठ ना छ णाम कया और वापसबस क तरफ लपका

ldquoओक थ स ो नाइस ट मीट य वल सी सन ो बाय ब बायrdquo शखर न खलन जारही बस क करीब जा तजी स कहा

ldquoकौन ह बस मrdquo शखर क चद कदम चलकर वापस आत कामता बाब न पछा

ldquoवो एक लड़का था बातचीत होन लगा तो उसी न सीट दकर बठाया था बगल म नहतो खड़-खड़ आना होता तीन घटाrdquo शखर न कहा

तभी बस क सरी ओर स कछ ह ला-ग ला सनाई दया कामता बाब बग धर दौड़पीछ-पीछ शखर भी

ldquoअब साला हाथ छोड़गा तम र यही गाड़ दग अभीrdquo बस का ाइवर खड़क सगदन नकाल च ला कर बोल रहा था उसका एक पर लच और सरा ए सलटर पर थाग ग क जोरदार आवाज म ाइवर का ग सा इजन स नकल रहा था साइल सर स कालाधआ का गबार फक रहा था

ldquoसाला अभी खाली हाथ छोड़ ह अभी अगर एक इच भी बस सट जाता न तऽ गदनउतार लत त हारा दा पी क बस चलाता ह ब दखता नह ह सामन खड़ा आदमीrdquo नीचस वो मट ठ बाध तमतमाए बोल जा रहा था

पीछ स काल धए को छाटत-झाड़त आए कामता बाब न उस पकड़ा और कनार लआए तभी बस ाईवर न जोर-जोर स हान बजाया कछ सवारी लोग नजद क स मजा लनबस स नीच उतर आए थ सब तजी स दौड़कर बस म चढ़ एक पशाब करन को चला गयापसजर काय म को आधा-अधरा ही छोड़ चलत-चलत अपनी पट क जप लगाता आदौड़कर चढ़ा बस ग गाती ई नकल गई बस ाइवर क लए य सब च ला- च ली उनक

ट न का ह सा थाइधर कामता बाब उस शात करा रह थldquoअर शात शा त रहो न अब ऊ ाइवर ह उसक या मह लगना या ज रत उन

सबस लड़- भड़ जात होrdquo कामता बाब न कहाldquoनह सर दख न आप कतना ब दा था आप एकदम स बच गए ग ड़या एकद म

स आ क सटा दया था हरामीrdquo उसन जोर-जोर स सास लत ए कहाशखर को तो कछ समझ ही नह आया था कछ नह समझ पा रहा था क या आ

कब आldquoइसको पहचान क नह बटा तमrdquo कामता बाब न शखर स पछाशखर ण भर चप रहा रात का अधरा था सो चहरा टटोलन म पल भर लग गयाldquoहा हा अर कस नह पहचानग बरची जी ह नrdquo शखर न पता क ओर दखकर

कहाldquoहा हा द खए तऽ पहचान ही लए तरत शखर भाई हमको लग रहा ह क मोटा-मोट

हम लोग सात-आठ बरस पर मल रह ह बीच म आत भी ह ग तऽ भट नह ही आ थाखब कट खल ह साथ याद ह क नह rdquo बरची न अधर म ही वष पहल क कछ यादटटोलत हसत ए कहा

ldquoहा बरची जी सब याद ह इधर घर अब कम ही आत ह आत भी ह तऽ कसी सभट नह हो पाता ह अ छा अभी गरम य हो रह थ ाइवर परrdquo शखर न पछा

इस पर कामता बाब कछ बोलन ही वाल थ क बरची पहल बोल पड़ा ldquoअर ऊ सालाब दा ाइवर अभी एकदम ग ड़या धड़धड़ा क इधर घसा दया था बच गए आपक पापासटा दया था साला वही चढ़ क साल को एक ही फट तऽ दए थ अभी क समचा नशाउतर गया उसका दा काrdquo बरची जोर-जोर स बता रहा था

ldquoशराब पी क ाइव माय गॉड कतना इलीगल ह यrdquo शखर न एकदम एक वदशीपयटक क भा त च कत ए वासी टाइल म कहा कोई भारतीय इस बात पर भलाच कगा ही य

ldquoअ छा छोड़ो अब दर हो रहा ह जाओ तमको भी कह जाना था न बरची ढर रातहो गया चलो चल इसका म मी आर खड़ी होगीrdquo कामता बाब न दो-चार कदम बढ़त एकहा

ldquoहा सर च लए न हमको द जए बग घर तक छोड़ आए अधरा भी ह तीन घटा सलाइन नह हrdquo बरची यह कहत ए बग लन क लए बढ़ा

ldquoअर नह टाच ह चल जाएग दखो पानी भी बदाबाद होन लगा जाओ नकलोतम हम लोग भी झटक क चल जात हrdquo इतना बोल कामता बाब तजी स चलत ए आगबढ़न लग शखर भी पीछ-पीछ हो लया था

ldquoअ छा तब ठ क ह हा पानी भी तज होन लगा सर अ छा णाम सर अ छा शखरभाई फर भट होगाrdquo इतना बोल बरची ऊपर टोला का रा ता छोड़ अब वापस खत क हीरा त तजी स चलत ए नकलन लगा बदाबाद अब ब त तज हो गई थी कामता बाबऔर शखर भी लगभग दौड़त ए घर क तरफ जा रह थ

घर क दरवाज पर लालटन जलाकर शखर क मा क याणी दवी अदर रसोई म च हपर खीर चढ़ान गई थी

ldquoयहा लाइट का कडीसन खराब ह या बताइए इ क सव सद का भारत आज भीलालटन यग म जी रहा ह पापा ऊपर स य क पट ल ट गवम ट ल-दकर हर चीज का

ाइवटाईजशन कए जा रही ह बच डालग य पजीप त दश कोrdquo शखर न घर क दहरी परप चत ही पहल दश क ज री सवाल रख फर अपना पाव रखा घर क अदर कामता बाबन एक नजर अपन प क तरफ दखत ए उसक भीतर बाहर क छलबला रह रा ीय-अतररा ीय ान क बचनी को दखा और म कराकर बस इतना कहा ldquoअ छा इतना दनपर आए हो थोड़ा दन सरकार स बना सवाल पछ बना स ा स लड़ हम लोग क साथ

म स बता लो फर तो जीवन भर दश सवा ह ही और आज ई बजली कटन म पजीवादक हाथ नह ह आधी-पानी म कटा ह आ जाएगा थोड़ा दर मrdquo कामता बाब न य बातहसत-हसत ही कही थ

शखर तब तक मा क पाव छ खड़ा आ था मा न उस गल लगा पहल उसका माथाचमा और तौ लया स फर उसका सर प छन लगी बदाबाद म बाल भीग गए थ शखर ककामता बाब भी टगनी स गमझा ल अपना सर प छ रह थ

ldquoचलो ज द स ई कपड़वा बदलो और प हल खाना खान बठो ज द फर बाद मकरत रहना नो बाप-बटा मल क दश- बदश क चता हमको तऽ न कबो इनका बातसमझ म आया न त हरा भगवान जान कतना ऊचा पढ़ाई पढ़ लए तम जो त हर माई कोही नह समझ आता हrdquo मा क याणी दवी न भी हसत ए कहा और रसोई क तरफ चलीग खाना नकालन क तयारी क लए

क याणी दवी घरल म हला थी भारत म घरल म हला उन अ छ म हला को कहतथ जो कसी क घर म पदा होती थ कसी क घर म पलती थ फर कसी क घर चलीजाती थ घर म रहती थ और घर म मर जाती थ इधर कामता बाब दश- नया कघटना म च रखन वाल आदमी थ जो अखबार और ट वी-र डयो स हरदम अप-ट-डटरहत थ उनका गाव म कह यादा उठना-बठना था नह सो इन वषय पर गपशप या चचाका कम ही मौका मलता था कभी-कभार घर म ही प नी क याणी दवी को बना पछ हीकई जानकारी दत रहत थ और प नी प त क हर दए ान को जीवन का उपहार मान घरलकाम म त बस हा म सर हलाती रहती घर म एक बट थी पर उस भी पता कराजनी तक-सामा जक चचा म च होती नह थी इटर करन क बाद उसका भी दा खलाबाहर ही नातक क लए हो गया था सो घर पर अब अ सर बस दोन ही ाणी होत थऐस म जब कभी शखर घर आता तो कामता बाब जी भर हर मद द पर ब तयात बात -ही-बात म अखबारी खबर स इतर कई बार कामता बाब क जीवन का ावहा रक ान शखरक मोट -मोट कताब स हा सल ान पर इतना हावी हो जाता क शखर झझला भीजाता

क याणी दवी न पता-प क लए खाना परोसा और खद वह सामन बठ गईldquoम मी तम भी अपना खाना लगाओ न साथ ही म खात ह न सबलोगrdquo शखर न

खान पर बठत ही कहाldquoनह हम बाद म खाएग खाओ न हमस अभी नय खाया जाएगा बाद म खान का

आदत हrdquo मा न गम पड़ी थाली म डालत ए कहाldquo या आदत ह य म मी इसी आदत को तो बदलना ह य जो स दय स म हला

को रसोई और आगन म कद रखा ह हम सबन इसी बधन को तो तोड़ना ह हमको तो शमआता ह कभी-कभी क इतना पढ़- लख क भी हमार फ मली म भी नारी क त इस सोचस पी ड़त ह हम य या जो म हला खाना बना रही ह वही बाद म खाएगी य प षवादमान सकता बदलनी होगी हम दस इस ट मच सॉरीrdquo शखर न परा खाना परोस जान सपहल ही थाली म प षवाद स ा क व बगल फक दया था बगल म बठ पता कामता

साद हाथ म गम पड़ी का एक टकड़ा लए उस फक रह थ शखर को इस अदाज म सनफक भीतर चली गई क याणी दवी भी बट क य सब बात सन पहल तो थोड़ा-साअकचकाई और फर स जी लान रसोई क तरफ चली गई

ldquoअर बाप र बाप ए शखर बटा कोय कद नह कया ह हमको आ खर पापा कमा कलात ह दन भर म मर-खट क तऽ या हम घर भी नह सभाल एक आदमी बाहर दख रहा

ह तऽ एक आदमी हम भीतर दखत ह घर क तम एतना दन पर आए हो तऽ गरम-गरमछान क न खलाएग एक बर छान क जमा कर रख द ठडा हो भसी हो जाएगा पड़ीब ढ़या लगगा ठडा इस लए न प हल खला द फर हम खाएग तम तऽ का-का बोलनलगrdquo क याणी दवी न रसोई स स जी लात ए कहा

इस बीच कामता बाब एकदम काठ बन बठ थ एक नजर शखर क तरफ दखा औरफर प नी क ओर मन-ही-मन कछ सकड क लए तो कलजा हल गया था उनका उनकोअचानक लगा क जस कसी न स दय स होत आ रह नारी-शोषण का सारा दोष पटककरउनक माथ पर साट दया हो एक पल तो अपन प ष होन क अहसास भर स सहर गए थकामता बाब अभी वहा मौजद घर म व अकल प ष थ य क शखर तो बटा था जमीनपर बठ भीतर-ही-भीतर धस जा रह थ सामन रखी दाल क कटोरी म उ ह अपना चहरादखा उ ह लगा कसी प षवाद स ा क सचालक का र चहरा दख रह ह तभी हाथ सपड़ी का टकड़ा थाली म गरा कामता बाब को लगा जस वो अपनी नजर म गर गए अगलदो-चार ण बाद खद को सभालत ए थाली स पनः टकड़ा उठाया और उस झट स मह मडाला तब जा क कछ नॉमल ए हाला क पहली बार ऐसा आ था जब खाया आनवाला उ ह उतना वा द नह लगा था जतना अ सर क याणी दवी क हाथ का बना उ हलगता था

इधर शखर अभी भी लगातार पड़ी-स जी खीर पता माता घर क द वार ऊपरलटका आ पखा सबको सवा लया नजर स दख जा रहा था जस वो सब स यह जवाबमाग रहा हो क यह शोषण आ खर कब तक

उसक धम नय का ल खीर म उतर आया था उस खीर का रग लाल नजर आ रहाथा ल का वग नारी म क लए हलोर मार रहा था उसका मन पट क भख स पहलइस पतस ा शोषणवाद परानी परपरा को मटा दना चाहता था थाली म रखी पड़ी मन कभीतर चल रह इस गम चतन क बीच रखी-रखी ठडी हो रही थी

कामता बाब अपन प क भीतर उठ रह बदलाव क बवडर चतना और लग रह व ोहक आग क ताप को महसस कर चक थ य क वो एकदम सटकर ही बठ थ

उ ह त ण खयाल आया क ज द पानी नह छ टा गया तो अदर-ही-अदर ल डाजलकर खाक न हो जाय करा त राख न हो जाय क ोल करना होगा

ldquoऐसा ह प हल खा-पी लो शा त स दन भर का भखल-थकल होओग खा लोआराम स और य जो सामन तमको नारी दख रही ह न ई खाली बस नारी नह ह बटा ईहमारी प नी ह और त हारी मा भी जसका बटा साल भर बाद घर आया ह और इस लएमार खशी और लार क दौड़-दौड़ कद-कद पड़ी छान रही ह इसका कलजा कहता ह कपहल बटा को भरपट खला ल तब हम खाए तम नह होत हो तो साथ ही खात ह हमदोन अब जस औरत जस मा का मन बटा को पहल खलाकर तब खान पर ही त तहोता ह तो उसको ा त करक काह बदल रह हो नारी स उसक इ छा और सत भी पछोबटाrdquo कामता बाब न बना यादा त ख ए भी थोड़ खपन स कहा

ldquoअछा ओह छो ड़ए न अपना भाषण चलो चलो हम भी खात ह न साथ अर बटाजठा हाथ फर रसोई नह घसना चा हए न इसी बा त नह खा रह थrdquo क याणी दवी न प तपर थोड़ा झड़कत ए और बट पर लार छड़कत ए कहा कामता बाब त ण ही चपहो गए और पड़ी पर तजनी रख अगठ और म यमा स कौर तोड़न लग पता जब भी तावक तरह गम होन को होता मा उस पर ठड पानी क छ ट क तरह पड़ ही जाती मा काजोर हो तो बटा अ सर ठड ताव पर ही अपन जद और मनमानी क रोट सक जाता

फलहाल बट का दल रखन क लए क याणी दवी न ज द स एक थाली म खानानकाला और वह साथ बठ खान लगी मा न अपनी थाली स एक नवाला उठा शखर कमह म डाला शखर ह का-सा म कराया और खान लगा

इधर कामता बाब को भी अपनी त खी का अहसास हो गया था इतन दन पर तो बटका आना आ था और पहली ही रात इतन खपन स बात करन क बाद उनको भी भलाकस न द आनी थी रात को

ldquoअर भाई हम भी बस बोल रह थ सखा थोड़ रह थ खद ही समझदार ह य इतनीबड़ य नभर सट म पढ़ता ह बात तो सब ठ क ही कहता ह द खए आ खर साथ म खाए नआप अइसह न धीर-धीर समाज बदलता हrdquo कहकर कामता बाब न म करात ए अपनीगलती का प ाताप कया अपनी थाली स एक रसग ला उठाकर शखर क थाली म रखाशखर न भी म करात ए उस तरत उठा मह म भर लया

असल म कामता बाब क लए शखर का वभाव कोई नया तो था नह व कहत भी थldquoअ सर यादातर आदमी अपनी जवानी क दौर म समाजवाद नारीवाद या मा सवाद मस कछ-न-कछ ज र होता ह और एक दौर क बाद वो न त प स इनम स कछ भी नहहोता ह सफ कमाता-खाता आदमी होता हrdquo

सचमच जीवन का ाकरण कछ ऐसा ही होता ह जब परी जोश-जवानी वशषण कसाथ जीन वाल क ह स एक समय कवल या रह जाती ह कॉमरड रहा यवा स चवालयम करानी बन लाइट क पस स पान कचर सहयोगपण वातावरण म सफलतापवक फाइलनपटा रहा होता ह और यवा अव था का घनघोर रा वाद रहा आदमी चायनीज झालर काहोलसलर बनकर दशी मन स वदशी म ा अ जत कर रहा होता ह

कामता बाब खद जवानी का एक दौर ऐसा जी चक थ जब उ ह न जपी का आदोलनदखा था हर व नया पलट दन क बदल दन क ऊजा अदर स ठलमठल करती थी

आदोलन क उवर जमीन स नकला एक यवा आज मा टर साब क प म बसरटायर होन क गनती गन रहा था अपनी शाद म चमचम रग वाला नाप स सवा नबरयादा का कोट पट पहनन क बाद ा त का चोला कब-कहा उतार फका उ ह ठ क स याद

भी नह अबकामता बाब न अपन बट को श स ही बड़ सजग होकर पाला था गाव म रह बगड़

न जाए इस बहद उ चत डर क कारण उस बचपन स हॉ टल भजा था वहा इस बात क

गारट थी क उस अब कोई सरा नह बगाड़ पायगा लड़का खद ही ज मदार बनगाआ म नभर होगा

दसव तक जात-जात शखर न मकाम पाना श भी कर दया था रात स लकर सबहको मॉ नग शो म दखी जान वाली सभी तरह क फ म दख ली थी यारहव म कचटकल सनन का शौक न बना और बारहव तक प चत-प चत तो अपनी क होतीरचना मकता स वय ाइवट मड नजी क चटकल बनान लगा था बचपन स ही मास-मछली स र रहन वाल घर स आए ब च इस आपस म नॉनवज बोल हसत-ठठात थ

लड़क क कल म पढ़ा होन क कारण लड़ कय स ससग न क ही बराबर थामायापरी नाम क कछ प का न जतना प रचय करवाया था बस उतना ही जानता थावो लड़ कय को उनम भी सब अ भन या ही थ त कय क नीच स एक बार कमीकाटकर नाम क अ भन ी भी बरामद ई थी lsquoहमrsquo फ म म अ मताभ ब चन क साथlsquoच मा च मा द दrsquo गा रही यह अदाकारा शखर क मन म ऐस बस गई थी क मायापरीमगजीन म उस दखत ही लड स काट नकाल लया था अपन लए इसी म म तज धारस उसक ऊगली कट गई थी और खन नकलन लगा था शखर न वो खन कमी काटकरक माग म भर दया था खन भरी माग वाली वो त वीर वष थी शखर क पास

पर नातक क लए द ली आन क बाद उसक जीवन म इ लड क औ ो गक ा तक तरह बदलाव आया

उसन खद म ऐसा बदलाव महसस कया जसा महा मा गाधी न द ण अ का जाकरकया था द ली म ही पढ़ाई क दौरान वो वामपथ मा सवाद समाजवाद और नारीवादजस श दाव लय क वा त वक अथ स प र चत आ वो च क वामपथ क सबस बड़ गढ़क प म पहचान जान वाल कपस का छा था तो वाभा वक तौर पर छा सगठन क भीसपक म आया और तब उसन महसस कया क अभी तो आजाद होना बाक ह यह उसनजाना क आजाद होकर जीना या ह उसन धीर-धीर आजाद होन क या पकड़ीश आत सगरट पीन स ई यानी आरभ ही धआ-धआ कर दया था शखर न

पहली बार जब शराब चखी तो पर न तक बल क साथ मा स का नाम लकर दागटकना सार जमान क गम और जहर को पी खद को बाबा भोलनाथ का नीलकठ लवरदन जसा परमाथ फ ल दता था उसन अपन सा थय को दखा क कस दन-रात समाजउसक गरीबी और शोषण क व सम या का हल खोजत ा तकारी साथी गाज क धएस चतन-मथन नकालत रहत ह उसन पहली बार यह गाज का यह लोक हत-प औरसामा जक सरोकार दखा था उस यह तो मट ट क चलम माओ स तग क ब क क नलीलगी जसक रा त ा त को आना था

उस अबडकर याद आए उ ह न कहा था क स वधान अ छा या बरा नह यह उसचलान वाल पर नभर करगा

आज तक सगरट गाजा और दा को लखर ल च बगड़ल का आइटम समझनवाल शखर को अनभ त ई क असल म य काम क चीज गाव म तो अ सर गलत लोग क

हाथ दखता आया था आज सही पढ़- लख व तजन क हाथ म वही सगरट जलतीमशाल लगती थी यह फफड़ा नह पजीवाद को जलाएगी एक दन दा - कडनी नह क पट ल ट को खाएगी

यह उसन दखा क लड़क-लड़ कय म कोई भद नह शाम 3 बज क बाद ग सकल क छट ट स घर जाती छा ा का झड नकल जान क बाद लड़क दखन को तरस

जान वाली आख न यहा रात क बारह बज लड़ कय को लड़क का हाथ पकड़ गोरखपाडय क जनगीत गाता दख जाना क बाक नया को अभी कतना बदलना ह जहालड़ कया शाम स पहल चौखट क भीतर जमा कर द जाती ह और जहा दन क उजाल मभी लड़ कय स हाथ नह ब क नजर तक मलाना अपराध ह

द ली म रहत-रहत अब वो ाक तक प स नारीवाद हो चका थाएक समय लड़ कय पर भद द जो स बना हसन वाला शखर अब इतना घनघोर

भयकर नारीवाद हो चका था क वो मगा खाता था मग नह कोई ध हता तो उसकाखन खौलता वो सवाल खड़ करता बल य नह दता ध गाय का शोषण य मादा ही

य ही जाएजत व ान शखर क इस व ोही ा तकारी सवाल पर न र हो जाता मह छपा

लता करनाल क अनसधान क म नवीनतम योग कर रह अतररा ीय व ा नक ध कसवाल पर ल जत हो पानी-पानी हो जात

महानगर म दो कार का नारीवाद चलन म था एक तो हर नारी म मा बहन दखनाऔर सरा क चाह मा बहन या कोई हो सबम नारी दखना

शखर च क गाव क प भ म स था सो हर नारी म मा बहन दख-सनकर आया थाइस लए यहा उसन सरा वाला कार ही ीफर कया

शखर क बम कल कछ प ष म थ इसक आस-पास म हला लड़ कय कासमह ही नह ब क अ छ -खासी स या का सघ था जसम कई लड़ कया और म हलाएथ

शखर उनक साथ उठता-बठता अठखली करता इ डया गट क पाक म बड मटनखलन चला आता और जब पाच-सात मनट खलत-खलत थककर चर हो जाता तोबतक लफ हो लग नप भाव स कसी भी म हला साथी क गोद म सर रख लट जाताउनक ट फन स पराठा शयर करता आ नटखट मन स उ लत हो थोथना पर न छलहसी लए उनक गाल पर अचार घस दता कभी लपककर चोट ख च दता तो कभीउलझी चोट पनः सलझा उस नरगाठ कर स जत करन हत करीन स गथ भी दता

इतन न ल त और न कपट भाव स बाल ड़ा तो उसन कभी बचपन क दो त कसाथ भी नह क जतनी नारीवाद को आ मसात करन क बाद वो यहा कया करता था इसतरह शखर नारी-प ष क बीच हर भद मटा दन क लए जो कछ भी सभव यास करसकता था वो कर रहा था शखर अपन क पस म म हला हत चलता फरता ख-बाटन

सटर था मी स मनमटाव स लकर घर म शाद क दबाव जसी हर सम या सनता और खबाटता म हला क मद द को लकर वो इतना सवदनशील हो चका था क वो कोई भीसम या सन सम या सनान वाली लड़ कय स यादा बचन हो जाता था वो दो लोग कसम या को लकर रात भर बचन हो जगन वाला अकला तीसरा था दश म जब कसम या वाल दोन लोग सो रह होत थ शा त स कई बार कई लड़ कया अपनी सम या बताभल जाती थ नॉमल हो जाती थ तो शखर उ ह उनका ख याद दलाकर तब पनः उनसउनका ख बाटता क पस म शखर lsquoशखर एक स गनीrsquo क नाम स मश र था

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ldquoकाली माई क होअता पजनवा पजनी चरनवा न होrdquo भोजपरी म बज रह इनभजन क साथ आई आज क सबह म एक अलग-सा तज था गाव क द ण-पव कोन सआ रही लाऊड पीकर क आवाज मलखानपर क चौक और बाजार तक प च रही थीमाना जाता था क म दर-म जद क लाउड पीकर क आवाज वा तव म अनत री परऊपर बठ ई र-अ लाह तक चली जाती ह इस मामल म धा मक थल म लगा साउडस टम व ान क हद स बाहर का आइटम था

सबह पाच बज स ही लगातार माता क भजन हनमान चालीसा इ या द बज रह थफल वॉ यम स टन-टन कर रह वातावरण म आस-पास क पड़ क पछ आज समय सपहल ही घ सला छोड़ जा चक थ

बरची शायद पहली दफा इतन सवर नहा-धो इस तरह साफ-सथर कपड़ पहन म दरागण क तरफ नकल चका था गहर ल रग क सती फलपट पर पीला कता डाल बरची

आज एकदम व णव कायकता लग रहा थारा त म हाथ म लोटा ल खत जा रह जगदा म सर क चचर भाई बदरी म सर क बगल

स जब बरची गजरा तो मटमली धोती पसीन स सनी सडो गजी बच ए बखर बाल होठम खनी दबाए बदरी म सर आज बरची क आग मानो ल छ दख रह थ उ ह न एक नजरअचानक पलटकर बरची को जाता दखा फर पहचानन क बाद नजर घमा लया मन-ही-मन बरची क अ ाक तक व छता प भनर-भनर lsquoअर सा ला बर चय ही हrsquo बदबदातआग चल दए

इधर चदन न भी भोर-भोर उठ कए पर भर-भर बा ट नान कर सफद पजाम परपॉ ल टर म स स क का गो डन कलर वाला कता पहन लया था जो इसस पहल उसनइस कवल अपन तीन बरस पहल ए उपनयन स कार क दन ही पहना था तयार हो म दरक सभी दवी-दवता क पाव छए बजरग बली जी क बाह छई (मजबत बॉडी हत)

णाम कर ट का लगाया और प ब र क यहा जान क लए सामन चौक क नीच च पलखोजन लगा बरागी पडी जी भी जग ही चक थ अपन ब तर पर म छरदानी क भीतर सही उनक नजर चदन पर पड़ी बरागी पडी जी क लए यह सभवतः पहला मौका था जबचदन को वा तव म सवर-सवर नहा-धोकर म तक पर चदन लगाए दखा था वना इधर-उधरघसकर चदन बना गमक बकार ही जा रहा था बरागी पडी जी का मन इस समय अनजानम ही प ब र का आभारी महसस कर रहा था य क जो काम प डत-परख क स कार नकरा सक वो य प ब र क म ता न दखवा दया था

मन-ही-मन सोच रह थ चदन तो घसकर ही सग धत होता ह या पता इस रगड़-घसजदगी क बाद इस स म त आ ही जाए इस व म दर क अपन वाल दवी-दवता कोछोड़ पडी जी का मन प ब र वाल म दर क मा काली को नमन अ पत कर रहा थाथा पत होन स पहल ही मा काली क पास पहली अज बरागी पडी जी न डाल द थी ldquoमा

हमर पत को ब - बबक दनाrdquoबरागी पडी जी यही कामना करत-करत ब तर स उतर खनी क ड बी खोलत ए

टहलत-टहलत म दर ागण स बाहर आ गए तभी चदन तज कदम चलत ए म दर क पीछवाल रा त स नकला

पडी जी न उस जात ए दखाldquoअर ऐ सनो चदन कहा इधर आओ प ब र क म दर जा रहा का काली म दरrdquo

पडी जी न पीछ स जोर स टोकायह आवाज कान म जात ही चदन का कलजा धक स कर गया अगल ही ण मन

बोला lsquoल साला जसका डर था हो गया बाब जी का प डताई जग गया हमको इनकजगन स पहल नकल जाना था आ अब कचकच ई रोकग ह रजन टोला मत जाओकए ई चतरा खराब हमराrsquo

चदन इतना सब कछ सोचत ए वह ठहर खड़ा हो गया था पीछ मड़कर बस पताक ओर चहर पर खीझ और वनती क मलजल भाव लए दखन लगा

मन म चल रहा था ldquoआज इनको समझा ली जए भगवान बाप क स म त द द जएभगवानrdquo

यह पहला मौका था जब अपन कसी ाइवट मटर म उसन भगवान को ह त प करनको कहा था एकदम द वार फ म क वजय क तरह पहली बार वनती कर रहा थाभगवान स वना आज तक न बाप क फ क न म दर क भगवान क ताड़ी म आमगा पलकर भी म दर आ शा त स सो जाता था

उसक हा दक इ छा थी क आज अ छ काम म जा रहा सो बना कसी बाधा कजाए वना जाना तो उस था ही

ldquoअर तऽ वहा खड़-खड़ थोथना का दख रहा ह बला रह ह न कतना बज स हकाय म पजा काrdquo पडी जी न तज व न म पछा

ldquoसबर सात बज स श होना ह लट हो रहा ह हमको जान द जए न बाबजी पजा-पाठ का ही तऽ चीज ह बस गोड़ लग क चल आएग म दर सrdquo चदन न नजद क आत एएकदम मरमराए वर म याचनापवक कहा

ldquoपागल हो गया ह का र तमको रोक कौन रहा हrdquo बरागी पडी जी न नजद क आतए कहा

ldquoनह ऊ ऊ आप टोक तऽ लगा कhelliprdquo चदन न थोड़ राहत वाल भाव स अभी आधाही वा य कहा

ldquoओह साल परबानमान लगा रह थ आज तक कोय अनमान सही आ ह त हराजीवन म क बो तऽ सही सोचा करो हम बोल रह ह क जा रह हो तो बाड़ी स लाल अड़ लफल तोड़ लो ताजा वाला माई का पजा म लाल फल चढ़ना चा हए आजकल पसा वालापजा म खाली बासी गदा चढ़ाता ह लोग जाओ न अब मह का दखा रहा हrdquo यह बोलकरबरागी पडी जी म दर क अदर आ गए

चदन लगभग चहकता आ दौड़कर बाड़ी क तरफ गया और फल तोड़ वह पड़ परलटक रही पडी जी क साजी म उ ह सजा प ब र दास क घर क तरफ नकल गया

प ब र दास क यहा आज वातावरण ही अलग था जस सबह का सय ह रजनटोला मसात घोड़ का रथ लकर उतरा हो और अपन ऊजामयी काश स कण-कण द त कर दरहा हो टोल क कई म हलाए नहा-तयार हो प च चक थ कोई चबतरा धो रही थी तोकोई पजन-साम ी सजान म लगी थी

चदन वहा प चत ही सबस पहल प ब र क घर क तरफ गया और दो-तीन मनटइधर-उधर दखन बाद सीध म दर क अहात क ओर बढ़ा उस दखत ही आज क अन ान कआचाय प न यानद न आवाज लगाई

ldquoओ हो चदन बाब अर मद तम जजमान हो क साला तम ही गायब हो कतना दरकर दए आन म मामा का माथा गरम था याrdquo

ldquoभया णाम नह भया बाबजी क तऽ पता नह दमाग गड़बड़ा गया ह शायद ऊतऽ एकदम खश थ ऊ तऽ पजा क लए लाल फल भज ह पता नह भगवान उनका दमागका कर दए ह आज बड़का ता क ह आप आप ही तऽ मतर नह न मार दएrdquo चदन नजोरदार ठहाका मार गदन इधर-उधर घमात ए कहा

ldquoभ क ब तम तऽ भाई क नाम प टसन हो हमको गाली सनवाओग बरागी मामा सअर बाह पहल लाल फल दो खाली गदा चमली ला क भर दया ह यहा लाल फल चढ़ताह माई को मामा को जानकारी तऽ ह ही न जीrdquo प न यानद न खल मन स चदन क हाथस फल क साजी लत ए कहा वो जौ पर कलश रख उसम आम क प पान सपाड़ीइ या द व थत करन लग चदन भी साथ दन लगा

ldquoऔर कोई द कत तो नह ह न न या भया बब था ठ क ह नrdquo चदन न बलपसजात ए पछा

ldquoनह नह बब था तऽ एक न बर ह भाई रात को भी भोजन सारा श घी म ही थाबस जरा सतन म थोड़ा क हो गया म छर ब त ह मदrdquo प न यानद न अपना भभ रा

आ लाल-बगनी मह दखात ए कहाldquoअर म छर कस हम तऽ म छर वाला अगरब ी द क गए थrdquo चदन न जनऊ क

गाठ खोलत ए कहाldquoहा ऊ जलाया तो था हम बतबा दए उसका धआ नकसान करता ह एक

म छरदानी बब था करा दना वही ठ क रहगा दखना साफ-सथरा हो नया ही खरीद

लनाrdquo प न यानद गाल खजआत ए बोलldquoबय भया आप भी या बोलत ह धआ या नकसान करगा एतना गाजा फक दए

या उखाड़ा धआ च लए म छरदानी आ जाएगाrdquo चदन न हर फ को पनः धआ मउड़ात ए कहा

ldquoअर चदन ऐज म तमस बड़ा ह तमस यादा ही पए ह ग हम गाजा उसका बातअलग ह वो जड़ी-बट ह भाई मछरवा वाला म क मकल होता ह मद सनत ह हा न करताहrdquo प न यानद न वद क पास अगरब ी जलात ए कहा

अब सब लोग भी प च चक थ प ब र दास जजमान क गद द पर बठा प न यानदन पर व दक व ध- वधान क साथ पजन कराना ारभ कया लाउड पीकर स म ो चारणक वर चार ओर गज रह थ य - य घटा बीतता गया और लोग जमा हो गए टोला तोलगभग परा ही आ गया था बस एक घर छोड़कर यह घर जतन दास का था जतन दासका कहना था क जस जमीन पर म दर बना ह वो हमर प रवार का ह जस बाद म प ब रक दादा न मर दादा को पला- खलाकर बहकाकर हड़प लया

सरी ओर प ब र इस अपनी प तनी जमीन बताताइधर म त क ाण त ा होत दोपहर होन लगी थी इसी बीच बरची चदन को लक

शाम क भोज क तयारी म लग गया था दोन अभी बगल क पडाल म कस डाल बठ थजहा भोज का खाना बन रहा था

ldquoह रजन टोला छोड़ क और कोई लोग आ नह रहा चदन बाबा हमार टोला स भीबस दो औरत को दख हम ऊ भी बस परनाम करक चली गय साला खाना-पीना बबादतो नह न हो जाएगाrdquo बरची थोड़ी-सी चता करत ए कस पर बठ पीछ क ओर पीठ लजा दोन हाथ ऊपर कर अगड़ाई लता आ बोला

ldquoभय आप बकार टसन लत ह सब आएगा भोज क न टाइम आएगा और नह तोटोला म लोग कम ह का सा ला खाएगा भरदम और याrdquo चदन न न त भाव स कहा

ldquoआप नह समझत ह बाबा गाव म ब त पोल ट स ह कसी को बदा त थोड़ हो रहाह य सब ब त लोग साला जल क क रया हो गया हrdquo बरची न गाव का मजाज बतात

ए कहाldquoअर बरची भया यही तो दखन आएगा क चल क दख या ताम-झाम ह प ब र

दास क यहाrdquo चदन न अपन कम उ क थोड़ स स चत और सी मत अनभव स कहाउधर गाव आया शखर सबह-सबह जब उठकर घर क बाहर वाल बरामद क ताख पर

रात को ही अपनी छपा क रखी पान पराग-तलसी जदा लन गया तो उसी ताख पर उस एककछ दन पराना नम ण प दखा खोलकर दखा तो प ब र दास क म दर उद घाटन काआम ण प था

उसन तभी ही मा स इसक बार म पछा मा न प ब र क म दर क बार म जो भी पताथा बता दया

अब तो उस काड को हाथ म पकड़ शखर क पोर-पोर म एक तरग सी दौड़ गई थीजस मन म ा त क गीत बजन लग अपन-आप लब पर सयकात पाठ lsquo नरालाrsquo कक वता lsquoतोड़ो कारा तोड़ोrsquo बदबद करन लगी उसक आत रक खशी का ठकाना न थाजस वो बाहर मा क सामन द शत नह कर रहा था खशी इतनी जस प सी का ढ कन

च करन पर स ो कार क लॉटरी लग गई होकोई सम पत मा सवाद सवण लड़का अपन गाव आए और उस कसी द लत क यहा

जान-खान का अवसर मल जाए इसस बड़ी ा त त काल या हो सकती थी इतनी कमउ कम समय और सी मत ससाधन म हाला क व व ालय म लखप त घर स आएअपन कई द लत सा थय क साथ एक ही थाली म चकन त री बटर नान खा शखर न कईबार जा तवाद को तोड़ द लत को सश बनाया था ल कन उन द लत सा थय न इसकयोगदान को कभी तव जो ही नह द व खद को द लत मानत तब न शखर क इन कदमको ा तकारी मानत

समाज म समानता क स ात क लए सघष करत ए हमशा बराबर-बराबर मा ा मदा पी सवण होन का नाजायज लाभ लत ए कभी एक पग यादा नह गटका फर भीब त यादा डट इस मलता नह था वहा इस याग का लड़क उ ट इसी को हड़काकररखत शखर उनम एक वाभा वक द लत दखता था जब क व लड़क नय बन चक भारत कपढ़- लख सश यवा थ न क शखर क मन म बन डजाइन वाल द लत

असल म उसक य दो त शखर क अप ा कई गणा यादा सम प रवार स थ औरइस तरह शखर का जातपात और छआछत क व खड़ा होना उसक राजनी तकसामा जक दाश नक चतना क साथ-साथ शाम को दा -मगा क घनघोर आव यकता भीथी

शखर अगर जात-पात सोचता तो अपन खच पर कतन दन मा सवाद को ढो पातानवश भी तो था वचारधारा म ऐस फोकट म वचारक बनना सभव हो तो कोई भी न बनजाता पजीवाद क वरोध का मड बनाना हो तो उसम पजी लगाना होता था शखर को एकखया चक अधड़ मा सवाद न बड़ी ावहा रक बात समझाई थी ldquoएक अधमला खाद -कता पजामा प हन झोला ल बीड़ी पीत ए अरब -खरब वाल पजीप तय को ग रयान-भगान क लए आपक भीतर कछ तो असरकारी तरल पदाथ होना ही चा हए नह तो नल चई का आ म व ास आएगा न थथरई का तकrdquo

खर यह सब द ली क बात थ आज गाव म पहली बार शखर को अपन सपन क मॉडल द लत यानी ह रजन टोला म

थत गाव क योर द लत क यहा जान का मौका मल रहा था उसन तभी सोच लया थाकछ भी हो शाम को प ब र क यहा प चना ह हर बाधा को तोड़कर भी

शाम होत भी कहा दर लगी म दर म म त थापना का पनीत काय म स प हो चकाथा अब रात को भोज क साथ आठ पहर तक अखड क तन का भी आयोजन था

य - य सरज ढल रहा था लोग अधर म टॉच ल भोज खान जटन लग लड डन मयाभी प च तो गया था ल कन ट यबलाइट क रोशनी स थोड़ा हटकर खड़ा था जसस चहराप न दख वो एकटक प ब र स नजर मला लन क काफ दर स मश कत कर रहा

था अधर म हो नह पा रहा था बरची का परम म लखन लोहार भी प च चका था औरआत ही भोज खलान का मोचा पकड़ लया था भोज क लए पहल तो टबल-कस क

व था थी पर जब प न यानद न समझाया ldquo साद पी द भोजन को प ब र भ मपर बठ क हण करना ही शभ होता ह शा म प लखा ह क भ - भ उ सव मउपयोग कए गए टट वाल टबल-कस म मासाहार का भी सवन कया जा चका होता हअतः उसप साद को हण करना पाप का भागी बनाता हrdquo

इसक बाद तो मनट म सारा टबल-कस हटा चबतर क नीच कछ ही री पर दरीबछा जमीन पर ही खलान क व था क गई प न यानद न इसी टबल-कस क सगस जड़ कछ स कत क ोक भी बताए इसक बाद तो असर यह आ क प ब र बरचीसमत जन लोग न भी टबल कस छआ था व सब झट नान करक आए और तब भोजक बा ट पकड़ी

शाम गहरी हो रात बन रही थी खाना- खलाना आरभ हो चका था बरची क नजरइस पर लगी थी क गाव स कौन-कौन लोग आ रह ह पहली पात खला लन क बाद बरचीपसीना प छ बगल म पड़ी ख टया पर बठ खनी रगड़न लगा प ब र थोड़ा आग सड़क परबढ़ वह खड़ा हो हर आन वाल को हाथ जोड़ णाम करता और खान क पात तकप चाता बरची क साथ चदन भी बठ गया था और बात करन लग दोन नजर ल कनसड़क क ही तरफ थी दोन क

ldquoअ छा एक बात दख प ब र का ल ण एकदम नता वाला ह कतना म स हाथजोड़ रहा ह मन टोला वाला लोग को भीrdquo बरची न खल खलाती-सी हसी क साथ चदनस कहा

ldquoहा सही बोल बरची दा आज तक कोई ह रजन टोला क आदमी को परनाम करकतो भोज नह ही खलाया था बजोड़ काम तो आ ही ह ईrdquo चदन न भी हसकर कहा

तभी एक बाइक सामन सड़क स धीम ग त स गजरी उस पर बठा सवार गौर स इधरम दर और भोज क तरफ दख जा रहा था तभी बरची क नजर उस पर पड़ी

ldquoअर अर हई द खए जगद श जादब का लड़कवा कदनवा ह या बाप दखन भजाहोगा क दख क आओ कौन-कौन गया ह तब सोचगा आन काrdquo बरची न गम पड़ी कड लया लए आग बढ़त ए बोला

ldquoहम भी इसको तभी स पाच-छह बार राउड मारत दखrdquo चदन न भी अपनी स मअवलोकन मता क हवाल स कहा

खान क सरी पात बठ चक थी अब बाहर खड़ लड डन मया स रहा न गया लबीडग मार आ खरकार उजाल म आ गया प ब र न दखत ही णाम कया और बगल रखी

कस पर बठन का इशारा कया य क नयी पात खान बठ चक थी लड डन लगभगप ब र को ठलत ए आग बढ़ा और चलती ई बीच पात म जा बठा भाई इतजार क भीहद होती ह पट अब वो सीमा लाघ चक थी बरची न तरत प ा गलास लगा गम पड़ीचलाई लड डन मया को

ठ क इसी दौरान म दर स र ह रजन टोला जान क म य रा त पर लगभग आध घटस एक और बचन ाल म दर आन को आतर टहल रहा था

यह बजनाथ था दो-तीन बार तो वह म जल क करीब तक भी प च गया पर कसीसगी को न दख हच कचाकर वापस हो आया कोई रा त म उस दख पछता तो बता दताखत जा रहा इस समय रात को खत य वा जब सवाल उसस कसी न पलट कर नहपछा य क उस मलन वाल सब जानत थ क कहा जाना ह इस लड डन मया क तरहयह भी चाहता था क करीब जाकर कसी तरह बरची या प ब र स नजर मल जाए ऐसाहो जाता तो उस वहा खान का एक ता का लक कारण मल जाता उसन फर कहानी तयाररखी थी ldquo या करत खत जा रह थ क प ब र लया दख दौड़ क आ हाथ जोड़न लगाचाचा-चाचा बोल क पर गरन लगा बचारा मना नह कर सक कलजा कड़ा कर खा लएएक ठो पड़ी मन रखन क लए उसकाrdquo

ल कन य ता कक और मा मक कारण अभी उसक मन म ही थ मौका ही नह मलरहा था कोई दख ही नह रहा था उसक तरफ भगवान भी नह श घी क गमक सखचा चला आया यह अधीर हो रहा खवया अब उड़कर पात म बठ जान क सोच रहा थाएक बार मन म बदबदाया भी ldquoह भगवान काह ई जात-पात बनाएrdquo

सच म श घी क तासीर का जवाब नह कतना कछ पघला दती हइस समय अधर म टहल रह बजनाथ क मह पर कोई भी टॉच मारकर दखता तो उस

पर साफ लखा था ldquoमह ह बताबrdquoतभी मन क च कार कसी न सन ली शायद अचानक स एक बाइक क लाइट उसक

चहर पर पड़ी और सवार न बाइक रोक द यह शखर थाldquoअर नम त या आ चाचा कोई ॉ लम ह या यहा य खड़ ह कह छोड़ द

याrdquo शखर न बाइक रोकत ही पछाldquoओ अ छा अर शखर बटा बाह आप हमको पहचान लए मन खश हो गयाrdquo

बजनाथ न पहल तो अचकचाकर फर सामा य होत ए पछाldquoअर या बात बोल रह हो आप अकल जी कस नह पहचानगा हम गरीब

पछड़ आ दवासी म हला क लए ही तो लड़ना ह अगर तब भी न पहचान तो इतना हाईलवल पर पढ़न- लखन का या फायदाrdquo शखर न उस अपन पाठ य म का मल ह साऔर उस पढ़न क साथकता बतात ए कहा

ldquoएकदम एकदम शखर बटा अर आपक बाबजी भी ब ान आदमी ह उनका लड़काबीस तऽ होगा हीrdquo बजनाथ न बना शखर क बात समझ ए ही कहा हाला क मन म यह

ज र सोचा क उसक मामला म य अ दबासी म हला लोग काह घस गयाउसन यह भी सोचा क य कौन-सी पढ़ाई ह जसम अ दबासी म हला गरीब को

पहचानन सखाया जाता ह जब क हम लोग तऽ बना पढ़ ई सबको पहचान लत हयह सब सोचत ए भी उसका यान अभी असली मद द प ही फोकस थाldquoआप इधर कहा जा रह ह शखर बटाrdquo बजनाथ न बड़ी मठास भरी उदासी स पछाldquoहम तो इधर कोई प ब र दास जी ह उनक यहा ही नम ण ह डनर को जा रह

हrdquoldquo याrdquo बजनाथ क मह स जस भ क स नकला यह श द आख कसी उ का पड

क तरह चमक उस अधर म उसक बाछ मा नह खल ब क भीतर मन परस ही ज मबछड़ जसा कदन लगा था

ldquoअर हा हा एकदम नडर हो क च लए नम ण दया ह तो कसी स डरना याच लए न आप कहत ह तऽ हम भी चलत ह खत जा रह थ ल कन च लए अब आपक साथचलत ह च लए नडर एकदमrdquo मार खशी स पागल आ यही व च बात बोल बजनाथबना शखर क कछ हा-ना का इतजार कए लपककर बाइक क पीछ बठ भी चका था वोअचानक इतनी तजी स झकझोरका बठा क इसक लए पहल स नह तयार शखर स बाइकअसत लत हो गई और बाय ओर झक गई शखर न कसी तरह अपनी टाग को अड़ाकरगरन स बचाया खद को

ldquoअभी नया-नया सीख ह मोटरसाय कल लगता ह बलस करन धीर-धीर हीस खएगा कोई बात नह सीख जाइएगाrdquo बजनाथ न भी अपनी घट ट क फसी फलपटको साइलसर क पास स ख चकर कहा और अब दोन हाथ स पीछ वाल लोह क क रयरको कसकर पकड़ खद को सर त तरीक स सीट पर सट कर लया

शखर का तो यह सन मन भ ा गया था लगभग पहल तो उसका इस बात न दमागअमल का दही कर दया था क यह डनर क बात म नडर होना कसी स नह डरना कहास घसड़ दया ह बजनाथ न सरी उस दही म नमक डाल उसका नमक न ल सी इस बातन कर दया क जब बजनाथ न द ली जस महानगर म बाइक राइ डग करन वाल अनभवीयश वी पायलट को नौ सखआ समझ लया था

शखर स रहा नह गया चलती बाइक म ही धीर स बोला ldquoय तरीका नह ह स टगका थोड़ा-सा मनस आन ही चा हए कॉमन मन को भी ऐस ही थोड़ गाव पछड़ा ह सफइ ा कचर डवलप करन स या होगा एट ल ट सपल मनस तो चा हए न लोग मrdquo

ldquoहा सही बात ह ह मत तऽ करना ही होगा खाली म दर बना क श घी म भोजनकरान स नह होगा अभी ब त कछ करना होगा गोबरमट को भी एकदम ऐस ही नडर होक ब ढ़ए न सब ठ क हो जाएगा बटाrdquo बजनाथ न चलती बाइक म हवा क साय-साय कसाथ कहा

शखर एक बार पनः चकराया बजनाथ क बात पर फर उस नडर का माजरा नह

समझ आया इस बार तो असल म कछ नह समझ म आया असल बात तो यह थी कदोन को एक- सर क कोई बात अभी तक नह समझ म आई थी बजनाथ तो बस म जलतक प चन भर सवाद का पल बचाए रख ए था और टोह-टोहकर जो भी मन म आ रहाथा बोल द रहा था

मनट भर बाद जस ही शखर क बाइक प ब र क दरवाज प ची क बरची क नजरपड़ गई वो पगत म स जी चला रहा था स जी क बा ट कसी सर को पकड़ा वोदौड़कर शखर क तरफ आया शखर बाइक खड़ी कर आग बढ़ा पीछ-पीछ बजनाथ भी

ldquoअर आइए आइए शखर जी आप आ क तो सम झए ब त बड़ा उपकार कए हकसम सrdquo बरची न आत ही शखर को लगभग गल लगात ए कहा

ldquoब त डर रह थ ई हम बोल अर नडर होकर च लए कौन कछ बोलगा दख लगब त अ छा लड़का ह ईrdquo बजनाथ न बरची क तरफ दख कहा और बड़ी गौरवपणम कान क साथ भोज वाली पगत क तरफ दखन लगा

ldquoअर सट अप हद ह यार तभी स मझ पागल करक रखा ह इस आदमी न यारमतलब एकदम लटरली बास करना जस कहत ह न वो कर रखा ह मझ या बार-बारनडर- नडर लगाए जा रह हो आप तब स मन कहा था डनर करन जा रहा भाई डनरकसी स डर नह रहा कोई यार अकल मझ अब तो ब श दो आप जाओ खाना खाओrdquoशखर एकदम स भड़क-सा गया था उसन बजनाथ पर लगभग चीखत ए कहा

बजनाथ क सट ट - पट ट गम थी तरत वहा स हट भोज क तरफ सरक आयाबरची आ य म था क आ या ह

ldquoअर बजनाथ दा आप जाइए भोजन क रए पहल लगता ह कछ गलतफहमी आहोगा शखर जी क लए पानी लाओ कोई भाईrdquo बरची न मामला शात करात ए कहा

शखर अब कल हो चका था उसन सारी बात बताई दोन जोर स हसन भी लग बातपरी कर

ldquoऔर हा एक बात बरची जी य उपकार क बात मत क हए नम ण मलगा तोआएग ही य तो मरा फज ह म तो द लत और सवण का अतर मानता ही नह यही माइडसट तो चज करना ह सोसाइट काrdquo शखर न जातपात क चचा उठा जातपात समा तकरन क दशा म आज का अपना पहला बयान द दया था

ldquoसही बात अर आप तो पढ़- लख इटल चअल आदमी ह गाव क मख म ह य सबछआछत पराना लोग म ह ई जड़ ब नया पीढ़ थोड़ मानता ह य सब द खए न अपनाचदन पाडय प डत होकर भी कभी नह मानता कोई भी छआछत कोrdquo बरची न शखर कइस पनीत आगमन को सहयोग दत ए कहा

हाला क शखर को एक अ य सवण प डत लड़क का उसस पहल ही आ यहाछआछत उ मलन क मह फल लट लना अखर गया था उस लगा था उसका प चनाइ तहास बनन वाला ह ल कन वो दो नबर पर था और ब त स ब त इ तहास हरान का ही

य ल सकता था टॉप पर चदन का बज हो गया थाशखर न मन-ही-मन सोचा lsquo जस ग तशील सोच को वक सत करन क लए बड़

व व ालय का माहौल चा हए होता ह अ जी म लखी मोट -मोट कताब और उसककोटशन रटन पड़त ह बड़-बड़ स मनार अटड करन पड़त ह पाश और फज क क वताएगानी पड़ती ह उस समझ को गाव का एक अनपढ़ लड़का कस वक सत कर गयाrsquo

फर उसन सोचा lsquoय लड़का भावकता म बह आया होगा मरा तो वचा रक आधार हमरा वाला टकाऊ हrsquo

ldquoआइए न शखर जी इधर ब ठए आप पहल तरत लगवात ह भोजन आपकाrdquoबरची न कहा

ldquoय प ब र जी कौन ह जरा उनस तो मलवाइए मझrdquo शखर न कस पर बठत एकहा

ldquoहा हा अर द खए हम तो भल ही गए थ अर हो चदन बाबा जरा उधर स प ब रको भ जए तो इधर महराजrdquo बरची न खाना चला रह चदन क तरफ इशारा कर जोर सकहा चदन स इशारा पात ही प ब र तरत बरची क तरफ आया

ldquoयही ह प ब र दास बजोड़ काम कया ह गाव म ई या भ म दर बनवायाइतना धम-कम म खचा कर रहा ह और अर प व र भाई इनको पहचानत हो शखर भाईजी ह अपन मा टर साहब कामता बाब क लड़क सौभा य ह मद त हर यहा आ गए दखोब ढ़या स अलग स टबल धोआ क लगाओ इनका इनको नीच जमीन पर या बठाओगrdquoबरची न दोन का एक- सर स प रचय करात ए अलग स खान क व था करन कोकहा

ldquoनो नो ब कल नह गलत ह य म अलग नह बठगा लीज म भी आम लोग कही तरह नीच ही खाऊगाrdquo इस तरह शखर न अपन खास होन क अ त व को बना नकारअपन लए हो रही खास व था को ना कह दया था होता भी यही था ऊच लोग अ सरस वधा और ज रत क हसाब स नीच आ नीच वाल क साथ नीच बठ इ तहास रच दतऔर इ तहास दज कर पनः यथावत अपनी ऊची अव था को चल जात व उ ह ऊचाई परआकर साथ नह बठन दत इस ही शायद ा त कहा जाता होगा जसक साकार होन कबाट अभी स यता को ब त समय तक जोहनी थी

ऊच हमशा अपनी क णा मानवता उदारता क ामक बादल छोड़ उस धध म यहस य छपा लता था क ऊच लाख कसी छोट सग नीच बठ जाए ल कन जब तक ऊच-नीचआ त व म रहग तब तक यह व था भी रहगी और यह अ छ वाल ऊच लोग बार-बारइस व था को गाली दकर इ तहास म दज होत रहग

ldquoअब आप जसा बो लए शखर जी ई तो ब त बड़ा सोच ह आपका सब कोई ऐसासोचन लग समाज म तो सब महा मा गाधी ही हो जाए फर और गाव म राम-रा य ही आजाएrdquo बरची न थोड़ गभीर वर म कहा

शखर उसस यादा गभीर हो गया मन म ही सोचा lsquoअभी थोड़ी दर पहल एकआइटम क परफॉम स म तो चदन प डत न डट खा लया और अब जो ग तशीलता और

ान मझ आदरणीय मा स क मोट कताब न दए उसका यश गाधी खा गएrsquoअसल म गाधी का नाम इस दश म हर धारा पर भारी था जहा भी छआछत हसा

जातपात तानाशाही और मशीनीकरण क वरोध क कोई आवाज उठती गाधी वहा बनाआ ान भी चतना म वतः कट हो जात यह इस दश पर गाधी का चला व छ धवल जाही था जस गाधी न अपन कम स बाधा था यह दश जब भी कह द लत उ थान ामवरा य उसक उ त क सवाल उठाता अ धकतर उ र गाधी क ही हवाल स आत

शखर कस पर बठ अब अपनी मोबाइल दख रहा था बाक लोग शखर को दख रहथ

तभी मरारी और मोहन साव भी प च गए उनको दखकर बजनाथ न आवाज लगाअपनी ओर बलाया सभी खा रही पगत उठन का इतजार कर रह थ तभी चदन न आवाजलगाई ldquoच लए नया पात ब ठए मरारी भया बजनाथ चाचा आइए भाई सब लोगrdquo

ldquoच लए तब खाना खा ली जए आप भी नया बच बठ रहा हrdquo प ब र न बड़ीवन ता स शखर स कहा

ldquoनह नह स नए ना प ब र जी म अभी बठगा थोड़ी दर बाद खाऊगा इतनीज द या हrdquo शखर न मा सान दत मन स कहा

ldquoहा हा वाह ठ क ह शखर जी च लए तब यह बच खला लत ह तब तकrdquo बरचीन कहा और भोज क पगत क तरफ चला गया

शखर अभी इस अवसर को यादा-स- यादा जीना चाहता था पर जीवन छआछतऔर असमानता स लड़न का दावा करन वाल कद दावर नता या समाजस वय को भीजीवन म दो-चार बार ही तो द लत क घर खाना खान का अवसर मलता था शखर को तोअपन जीवन क श आत म ही ऐसा मह वपण पड़ाव ा त हो गया था वह भी बना कोईचनाव लड़ बना कसी वाथ क अपन इस परमाथ परफॉमस पर अभी शखर का मन खदको ही बार-बार शाबाशी दन का कर रहा था अगर आज कदरत न पट क जगह पीठ आगबनाई होती तो शखर उस शाबाशी म ठोक-ठोककर लाल कर दता

सब लोग खाना खान म लग थ इधर और आ रह लोग पहल म दर जा प डतन यानद स तलक लगवात और साद भी लत शखर कछ ही र कस पर बठा तब स हीसारा माहौल दख रहा था

म दर क चबतर पर अखड क तन चल रहा था बीच-बीच म प डत न यानद कछस कत क ोक पढ़ रह थ

शख घट क व न रह रहकर बजती तभी इतनी दर स बठा शखर कस स उठा औरम दर क सर छोर यानी प ब र क घर क तरफ टहलता आ चला आया वह अब थोड़ाअसहज-सा हो रहा था उसक अदर थोड़ी बचनी उठन लगी थी उसन तभी स हाथ म लए

मोबाइल म कोई नबर डायल करना श कयाldquoहा हलो हलो हा काम प भया म शखर कमार बोल रहा rdquo शखर न क तन क

आ रही आवाज पर आख मच मचात ए खीज क साथ मोबाइल कान म सटाकर कहाकाम प मखज वदमान प म बगाल का रहन वाला था व व ालय म शखर का

सी नयर था और ऑल इ डया टडट एसो सएशन का स य सद य भी थाldquoहलो हा हाउ आर य ओ बोलो शखर कसा ह तम तम तो घर गया ह ना सायदrdquo

उधर स काम प न कहाldquoहा काम प भया घर पर ही आपस एक बात शयर करना था बड़ा क यज

एक मटर पर थोड़ा मागदशन क रएrdquo शखर न वह टहलत ए कहाldquoम सब करगा कत तम पहल यह भया बोलना बद करो डयर अर यार तम लोग

यपी- बहार का सामती सोच को कब डीमो लस करगा हर आदमी को अ ज-अनज बनानका य फडा छोड़ो यार वी आर इ वल ह सब नॉट बड़ा या छोटा शखर अपना बह वयरको डमो टक करो इतना दन हो गया तमको सगठन म कब सधार करगा तम लड़कालड़क का भी फक नह करो बोथ आर मन बीइगrdquo काम प न एक सजग कॉमरड कभा त शखर का ाथ मक मागदशन करत ए कहा

ldquoसॉरी कॉमरड काम प आई एम रयली सॉरी हा हम लोग को इस सामतीश ाचार स म पाना होगा य भी साला असमानता का जड़ ह मन अभी और भी कईलोग को भया और चाचा सबो धत कया ह अब श मदा ऐसी गलती नह होगीकॉमरडrdquo शखर न अपनी गलती का प ाताप करत ए जीभ काटा और परपराती जीभ सही इधर स कहा

ldquoओक गड हा अब बोलो या ॉ लम था त हाराrdquo कॉमरड काम प न उधर सपछा

ldquoकॉमरड काम प द खए म अभी अपन गाव क एक द लत क घर आया खानाखानrdquo शखर न अभी इतना ही कहा था

ldquoवाव नाइस सो गड हा तो फरrdquo काम प न चहककर पछाldquoकॉमरड अब द कत यह ह क यहा इसक घर पर एक म दर का इनॉगरशन ह

उसम भारी कमकाड हो रहा ह पजा-पाठ प डत दान-द णा क तन और म का जापमतलब जो भी नॉनसस हो सकता ह वह यहा हो रहा ह धम क नाम पर एक द लत कोसरआम लटा जा रहा ह अब मर साथ द कत य ह क अगर म यहा बठा र तो य धा मकपाखड को समथन दना हो जाएगा और अगर इसका बॉयकाट कर चला जाऊ तो य एकद लत का अपमान हो जाएगा यहा जस तरह का धा मक वातावरण ह ना कॉमरड कआप इन नकल ए लमट स क कॉकस को दख भ च क रह जाओग मर गाव का एकप डत लड़का तो इसम सबस यादा ए टव ह अब आप मझ य बताओ क म या टपल आप लोग सी नयर हो और यादा पढ़ा ह ल ट आइ डयाज को बताओ क ऐस

सचएसन म हमारी आइ डयोलॉजी का या कदम होना चा हए एनी सजसन ोम दासक पटलrdquo शखर न एक ही सास म तब स दबा सब कछ काम प क तरफ झ क दया

कॉमरड काम प बड़ धय स करत ए एक-एक बात बड़ी बारीक स सन रहाथा जस कसी मधमह-दमा-ग ठया वणी क शकार रोगी क दनचया हो मयोपथ काडॉ टर सनता ह

ldquoओक ओक कल डअर पहल यह बताओ उस द लत क आ थक कडीशन कसाहrdquo काम प न आध नक बगाल क कसी चतक क मा फक गभीरता स पछा

ldquoएकदम ठ क लग रहा ह कॉमरड म दर बनवाया ह और सन रहा यहा क साराखाना श घी म बनवाया ह एनी व आई एम नॉट क फम इस घी वाली बात प य क मनअभी खाया नह ह खाना पर अगर इतना ह तो ओ बयसली आ थक हालात तो ठ क हीहrdquo शखर न एक नजर आयोजन थल क ओर दखत ए कहा

ldquoओक दट इज द पॉइट दखो शखर यह ठ क बात ह क धम का पाखड का औरइसक पीछ का ा णवाद का हमको वरोध करना ह पर यहा यह भी सोचना होगा कपहल हमको धम पर जो एक खास वग का मोनोपोली ह उसको तोड़ना होगा इसक लएज री ह क द लत पछड़ा भी उसम अपना भागीदारी को मजबत कर दखो त हारा गाव मएक द लत म दर बनवाया ह यह कतना बड़ा ध का ह ा णवाद कोrdquo कॉमरड काम पन उधर स कहा

ldquoल कन कॉमरड इसम धम कहा कमजोर होगा धम और उसका पाखड तो रह हीगया बस उसक सार म ा ण क साथ-साथ द लत क भी ह सदारी हो गई यही न यतो फर धम क कवल मा लकाना हक क लड़ाई और उसक बटवार का मामला आ नाइसस ा णवाद कहा ख म आ वह तो रहगा ही चाह द लत क ही हाथ म य न होrdquoशखर न बड़ी बचनी स सवाल दागा

ldquoअर ो तम तो बस एक बात पकड़ क बठ गए हो धम धम अर बस यही थोड़ हहमार आइ डयोलॉजी म तम नए-नए मा सवाद बन ल ड म यही द कत ह परा दासक पटल का सलबस पकड़ क बठ जात हो हम और भी तो चीज दखना होता ह अब मानलो चलो द लत पजा-पाठ कर रहा ह तो या य मा स क च कर म द लत का भी वरोधकर दोग या अर हम लोग को ब त ए गल स दखना होता ह य इ डया का सोसाइट हशखर यहा मा स म अपना मसाला भी डालना होता ह समझाrdquo कॉमरड न थोड़ी कड़ाईस कहा

ldquoबट म अभी यादा डाइवट नह हो सकता अपन आइ डयोलॉजी स आप मझ सहीएडवाइस दो कछrdquo शखर श वाम मन स बोला

ldquoअर बाबा हम तमको वही बता रहा डाइवट नह करता यह एक ोसस ह शखरधीर-धीर होगा धम ही ा णवाद का ह थयार ह अगर मन को ख म करना ह सबसपहल उसका ह थयार छ नो फर उसको न कर दगा हम लोग अब तो क लयर बझा तम

धम जस नकल हड स बाहर आएगा तो धम फॉलो करना ईजी हो जाएगा उसका डरखतम हो जाएगा और तब लोग इस मान या ना मान कोई फक नह पड़गा इस तरह एकटाइम आएगा जब य फ नश हो जाएगाrdquo कॉमरड काम प न धम को रोपत ए अपनानजी धम उखाड़ मॉडल तत करत ए कहा ऐसा लगा जस कसी सद क नता न अपनाभाषण समा त कया हो शखर क कान म जस ताली बजी काम प क बात न त कालउसक ज ासा क ताप को थोड़ा म म कर दया था

ldquoकामरड छो ड़ए अब मरा दमाग अभी लोड नह ल पा रहा अभी मझ यहा याकरना ह यह बताइए या म इस कमकाड को सपोट क rdquo शखर न अपन मन कउलझन स चड़ चड़ाकर पछा

ldquoनह तमको कमकाड को सपोट नह करना ह नवर कॉमरड त ह उस द लत कोसपोट करना ह जो धम क म ा णवाद मोनोपोली और उसक वच व को तोड़ रहा हतम उसक साथ रहो कसी धा मक याकलाप स र रहो तलक चदन ना लगाओ बनानहाए म दर घस जाओ अगर मीट- चकन उपल ध हो तो खा क म दर जाओ यह सबकरक हम उनक पाखड को चलज कर सकत ह एड आई होप तम ज र कर लोगrdquoकॉमरड काम प न अपन मागदशन का आ खरी माग दखा दया शखर को

ldquoहा यह आ ना एक ज वन टप ठ क ह कामरड अब मरा उलझन समा त होगया नहाता तो म कम ही आज भी बना नहाए ही आया मासाहार मर घर पर बनतानह ह और आज गाव म म दर क पजा क कारण एक-दो जगह जहा मास मल सकता थावो कान भी बद ही ह गी खर म ऑलरडी याज-लहसन खाकर आया तो यह तोमकअप हो जाएगा ओक थ स कॉमरडrdquo शखर न बड़ खशी मन स कहा

ldquoओक गो अहड ब ट ऑफ लक कॉमरड शखर चलो बायrdquo यह कह काम प न हीउधर स फोन काटा

कसी भी वचारधारा क सार क सदभ म यह BSNL और हच कपनी क नटवक परई आज तक क सबस दाश नक साथक बातचीत थी भारत म जस अगर कपनी वाल को

आभास होता तो फोन टप कर रख लत आन वाली पीढ़ क मागदशन क लएइधर सब खाकर उठ चक थ सो बरची और प ब र शखर को खोज रह थ उ ह लगा

क कह बना खाए न चला जाए बजनाथ भी हाथ धोकर शखर को दखन लगा इधर-उधरldquoअर ऊ तऽ ए कर दमाग क ह थोड़ा इस लए आ गया यहा आ गया यही ब त

बड़ा बात ह भ महार घर का लड़का ह यहा खाएगा जीrdquo बजनाथ न ह क वर म बगलखड़ लड डन मया क कान म कहा

ठ क तभी सबको च काता आ नाक म बगनी रग का माल बाध शखर वहा आयाउस इस तरह दखत ही बरची दौड़ाldquoअर या आ शखर भाई मह पर या आ कहा चल गए थ आपआपको खोज रह थ हम लोगrdquo बरची न अकबकाकर पछा

ldquoकछ नह म उठकर साइड चला गया था यहा काफ धआ हो रहा था हवन का मझद कत होती ह सास लन म इस लए मह पर माल बाध लया हrdquo शखर न माल बाधनका वचा रक कारण छपात ए वा य सबधी व ा नक कारण बताया

इतना सनना था क वह पर खड़ प डत न यानद जोर स बोल पड़ ldquoसनो सनो ऐचदन जरा हवन कड म जल डालकर शात कर दो आदमी क ाण स बड़ा धम थोड़ हआप ब ठए भाई जी बद करवात ह धआrdquo

चदन न आदश पात ही दौड़कर हवन कड क अ न शात कर द कछ ही मनट मवातावरण धआ र हत हो गया शखर न नाक स माल हटाया इस व वह महसस कररहा था क जस उसन अपनी हो शयारी स ा णवाद क जलती ढबरी बझवा द हो मन-ही-मन ऐस म करा रहा था जस तीय व य म जापान पर बम गरा कर अम रकाम करा रहा था अब शखर चलकर म दर क चबतर पर गया प डत न यानद दौड़कर उसतलक लगान म त क पास स ट का लान गए शखर न इशार स मना कर दया प न यानदहरान हो उस दखन लग फर शखर म त क सामन गया मा काली को दखा मा काली भीशखर को दख रही थ वहा मा काली को बना णाम कए वो वापस ग बर सह क भा तचबतर पर टहलन लगा बस हाथ म ब ट वाला कोड़ा नह था अभी शखर को ऐसा लगरहा था जस वह चबतर पर नह ब क ा णवाद क छाती पर टहल रहा ह

और यह सतोष उसक चहर पर दख भी रहा था इधर चबतर क नीच अब लोग जमाहो उस एकटक दख जा रह थ उसक हर ग त व ध पर अब लोग क नजर बरबस ही चलीजा रही थी सब एक ही बात सोच रह थ आ खर य लड़का नया स चाहता या ह कसकस कर रहा ह ई

ठ क उसी व प डत न यानद क एक सहयोगी प डत पाव पटकत ए हाथ म खनीमलत ए आए और तमतमाकर बोल ldquo या मजाक कर रह ह आप लोग तमाशा बना कररख दए ह धम कम को अपन जो करना ह क रए हमको काह भागी बना रह ह इस पापम पजा का हवन कड कह बझाया भी जाता ह या इस तरह सrdquo उनको इस तरहउछलता दख प डत न यानद आ गए

ldquoअर झा जी पजा ख म हो गया था पजा क बीच म नह बझाए ह हवन कड औरववकानद बोल ह क मानव सवा सबस बड़ा धम ह भाई साहब का तबीयत बगड़ रहा थाइस लए बझा दए यह पाप नह हrdquo प डत न यानद न म यम वर म ही कहा

ldquoवाह जी आपका ववकानद मन पजा व दक व ध स होगा और नयम ववकानदका चलगा आप लोग नया-नया आचाय बन गए ह और धम-कम को मजाक समझ लए हखाली स कत का ोक पढ़न स नह होगा न यानद जी मन को भी साफ र खए शभ-अशभ का भी याल र खए साला हम इस लए छोटा जात क यहा नह जात ह पजाकरानrdquo बोलत-बोलत प डत सरश कात झा एकदम आग बबला हो गए थ

ldquoद खए झा जी म य प डत हम ह आपको या लगता ह हम नह पढ़ या वद औरपराण और छोटा-बड़ा जात या बक रह ह आपको जबरद ती लाया ह या यहा कोईrdquo

प डत न यानद का चहरा भी अब लाल हो चका था बोलत व ldquoकपार पढ़ ह आप पाड ब कब स आचाय होन लगा जी म थला क परपरा स

हम कौन वद म ह क पजा का हवन कड म पानी डाल दना चा हए आप न असर काकाम कया आज थड कलास ा ण ह आपrdquo प डत सरश कात न दात कटकटात एकहा

ldquoअर चप र हए लालची आदमी मोटा द णा दख फट स आन तयार हो गए औरअब छोटा जात दखन लग अर झा जी याद र खए आदमी स घणा कर भगवान को भीखश नह कर पाइएगा शम क रए सरश कात जीrdquo प डत न यानद न गमछा जमीन परपटकत ए कहा

अब माहौल एकदम तनावपण हो गया थावहा मौजद लोग कछ बोल नह पा रह थसब आपस म ही बदबदा रह थकछ को प डत न यानद क बात सही लगी तो कछ को लगा क प डत सरश कात

ठ क बोल रह ह बरची और चदन प डत न यानद को पकड़ शात करा रह थ उधरप ब र दास प डत सरश कात को हाथ जोड़ मना रहा था बरची भी दात पीसकर बदा तकर गया था प डत सरश कात क छोट जात वाली बात को य क इस मौक पर एक प डतको उसका कछ भी कहना उसक और प ब र क लए ठ क न होता और यह सार गाव कोअपना मन बनान वाली बात हो जाती य क खद ह रजन टोला म भी अ धकतर लोगप डत सरश कात क ही धा मक ा या क प म थ इन सबक बीच शखर चपचाप महबाए खड़ा था उस समझ ही नह आ रहा था क दो कट टर मनवा दय क आपसी झगड़ कबीच एक सम पत वामपथी यवा को या बोलना चा हए असल म ऐसी भी कभी नौबत आसकती ह इसक लए उसका वामपथ तयार ही नह था न तो इस मटर पर कभी कोई भाषणसना था न कोई ा त-गीत अथवा नारा जस यहा लगा द शखर न अभी बस यही सोचा कजब दो मन लड़ तो चपचाप रहकर मजा लना चा हए उसन समझदारी क इसी स ातपर अमल करत ए अपना बवाली माल जब म डाला और चपचाप खड़ा झगड़ का उतार-चढ़ाव दखता रहा वह अदर-ही-अदर अब आ त हो चला था क यह ा णवाद एक दनअपन ही अत वरोध का शकार हो ख म हो जाएगा इस अपनी ही वसग तया मारडालगी य लोग आपस म ही लड़कर मर जाएग अभी दो प डत का झगड़ा दख उसन यहभ व यवाणी कर द थी मन-ही-मन म

दोन प डत को शात करान क बाद बरची स हत तीन-चार लोग अब शखर क ओरआए

ldquoअब आप खाना खा ली जए शखर भाईrdquo सब न एक साथ हाथ जोड़ समवत वर मकहा

शखर न तरत सर हलात ए कहा ldquoच लए पर द खए हम उधर प ब र जी क घर

क तरफ खाएग वह द द जए हमकोrdquo यह कह शखर प ब र क घर क बरामद क तरफबढ़ा

ldquoलाओ भया प ा और गलास लगाओ ज द ई जहा बोल वह खला दो भाईrdquoवह खड़ बजनाथ न कहा

दो-तीन लोग न झटपट लगकर शखर को खाना खलायाखाकर हाथ माल स प छ शखर अब वापस जान को अपनी बाइक क पास आ गया

था बजनाथ भी धीम कदम स वह करीब आ गया उस लगा अब साथ ही आया तोसाथ ही चला जाऊ घर तक मोटरसाय कल स ही तभी बरची प ब र और चदन भीउसक पास आ गए शखर को छोड़न

ldquoब त अ छा लगा शखर जी क आप आए ब त खशी आ हमकोrdquo प ब र नहाथ जोड़कर ध यवाद ा पत करत ए कहा

ldquoहा हमको भी अ छा लगा पर वह जात-पात का बात जो उठा वह हमको बरा लगाप ब र जी आप म दर तो बना लए पर धम क पाखड और कमकाड स र रहना प डतक शोषण स बचनाrdquo यह कहत ए शखर न बाइक टाट क

ldquoएकदम सब बात का यान रखा जाएगा सही बोल आप ठ क ह फर भट होगाrdquoबरची न हाथ जोड़ लगभग ठलकर वदा करन क अदाज म कहा

ldquoहा चलत ह एक बात आपको कहना था बजनाथ जी क हम आपको तभी चाचाकह दए थ यह ब कल सामती मान सकता ह आपका अपना पहचान बजनाथ क प मह हम आपको बजनाथ जी ही कहग अब सrdquo कहकर अपनी मोटरसाय कल बढ़ा दशखर न बाक सब लोग वहा खड़ रह गए कछ पल बजनाथ भी छट गया था

ldquoकौन कोस पढ़ता ह हो ई द ली म साला का का बोलता ह हमको तो इसका 100म 97 बात समझ ही नह आया रा ता म भी हमको या- या बोला पता नह उलट हमपर गरमा गया तभीrdquo बजनाथ न घट 2 घट का जमा उद गार कर दया

ldquoब त पढ़कर दमाग पर जोर तो नह पड़ गया ह इनकrdquo यह आवाज गणशी महतोक थी जो पछल आध घट स सब कछ चपचाप दख रहा था

ldquo बर चया स भी बड़ा पागल बझाता हrdquo मोहन न चलत-चलत हसकर कहा गाव नअपन सर पागल क घोषणा कर द थी

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मलखानपर क आज क सबह भी अपन-आप बड़ी सा वक हो गई थी लाख कलयग आएपर पछल दन कए गए धम-कम का अगल कम-स-कम चौबीस घट तो भाव रहता ही हउसी भाव का नतीजा था क आज हर धम -ककम क मह मा काली क म दर क ही चचाथी

त दन सबह सबस पहल मरारी क कान पर हा जरी दन वाल जगद श यादव आजवहा न जाकर सीध प षो म बाब क ार प च गए थ वहा पहल स बदरी म सर औरअ य दो-चार लोग बठ ए थ बाहर बरामद म बठ सब चाय क च क लत ए प षो मबाब क बाहर नकलन का इतजार कर रह थ प षो म बाब श होन बाथ म गए थगाव-क ब म अ सर बड़ लोग दरवाज पर कछ लोग को पहल बठा लत और फर अदरबाथ म म श होन चल जात इस बीच और कोई आ जाए तो उनक चल को यह बतानम गव का अनभव होता क ब ठए मा लक अभी ल ग गए ह आप उस इतजार कक पना क जए क जसम कोई आदमी ऐसी जगह गया ह और आप वहा स उसक आनक ती ा कर रह ह लगभग यही कछ प ह-बीस मनट क बाद प षो म बाब पट परहाथ फरत बाहर बरामद म आए जहा बठक जमी ई थी

ldquoसाला रात भर सोन नह दया ह न द नह आया और क जयत हो गया बाप रइतना ह ला-ग ला कया ह ह रजन टोला म सब नया मया जादा याज खाता ह सालालगता था म दर नह कभ क मला का उद घाटन कया हrdquo कहत ए प षो म बाब कसपर बठ

ldquoओह ठ क बोल मा लक प छए मत सबस बड़ा हरामीपती दख क नह आपबड़का-बड़का लो ड पीकर इस टोला और मन बाजार क मह तरफ कर क लगा दया थागाव म कोई नह सत सका ई ह ला मrdquo जगद श यादव न बड़ी बात बताई

ldquo या करोग जगद श कलजग ह भाई अब तो ह रजन भगवान को नहलाएगा औरा ण पर लोग क चड़ फकगrdquo हो चक यग पर बड़ एक और उदाहरण दत ए बड़गा मक लहज म बदरी म सर बोल बोलत व बदरी म सर क भौह कसी द

क चपड़ी नतक क भा त नाची थ बदरी म सर जगदानद म सर क चचर भाई थ उनक दो प र नाकर और भाकर

म सर थ इनका प रवार इलाक म अपनी सौ य मीठ बोली क लए क यात था कहाजाता था क कभी ऐसा भी आ य हो सकता ह क जलबी तीखी हो जाए परत इन बाप-बट क जबान कभी मीठ स कड़वी नह होन वाली लोग को चह मारन क दवा पी

उ टया करना मजर था पर इन बाप-बट क मीठ बोली क गोली का शकार होना नह अपन खास घातक वाक-कौशल स अपनी मीठ बोली का ऐसा न तर चभोत क सामनवाल का कलजा छलनी हो जाता बदरी म सर आज काफ दन बाद प षो म बाब कदरवाज आए थ कारण प ब र क म दर क बहान शायद धम-कम पर चचा करना रहा हो

ldquoसब दखावा ह बदरी बाबा पसा स धम को राड़-चहाड़ सब नचा रहा हrdquo सबह सतीन शीशम का पड़ काटकर बच आए काशी साह न भी अपनी चता क

भोर-भोर बठ चक इस धम-सधार स मलन क अ य ता करन वाल प षो म बाबअभी कस पर बठ दोन टाग सामन करक टबल पर पसार अखबार दख रह थ बीच-बीचम अ य लोग धम क चता म अपना मत कए जा रह थ सामन ही टबल क पास नीचजमीन पर चकमक पोजीशन म काशी साह बठा था और प षो म बाब क दा हनी टागब कल काशी क नाक क आस-पास थी उतनी पास क अभी काशी उनक तापी पाव कतलव क सारी भा यशाली रखाए गन सकता था तभी अखबार का एक प ा पलटतप षो म बाब उछल स गए और लगभग भनभनाए आवाज म बोल

ldquoलो यही होना बाक रह गया था यह द खए यज नकला ह म दर उद घाटन काप ढ़ए मलखानपर म आ भ काली म दर का नमाण गाव क ही समाजसवी प ब रदास न बनवाया काली म दर बताइए साला अखबार का या तर हो गया ह कसी भीऐरा-गरा का समाचार छाप दता हrdquo

सभी लोग लपककर समाचार प को दखन लग खबर क साथ एक छोट -सी त वीरभी लगी थी जसम प ब र बरची चदन और कछ म हलाए म दर क आग कलश लएखड़ी थ

ldquoली जए अर पसा द क आप ल डा नाच का भी खबर छपवा सकत ह म डया ब तलोकता क हो गया ह अब सवसलभ ह म ा होना चा हए बसrdquo बदरी म सर न कोमलवर म कहा

ldquoई छो ड़ए पहल सो चए क प ब र दास कब स मलखानपर का समाजसवी हो गयाह दख रह ह मा लक फोटो कतना साफ खचवाया ह सम चा इलाका तऽ जनवा दया कई लोग ह नया समाजसवक कतना खराब पोल ट स खल रहा ह दख रह ह नrdquo जगद शयादव न फोटो शट क रगामी प रणाम पर काश डालत ए कहा

जगद श यादव क यह कहन क बाद माहौल अचानक शात हो गया प षो म बाबथोड़ा गभीर म ा म कछ सोचन लग तभी फकन सह भी सोकर उठ चका था और मह म

श डाल बाहर नकला उसक बाहर आत ही लटक भडारी अखबार लए उसक तरफदौड़ा और उस खबर दखाई फकन सह न अपना श लटक क हाथ म द अखबार कोदखा और फर तरत श वापस ल दात पर रगड़न लगा तभी प षो म सह क आवाज समाहौल क च पी टट

ldquoफकन य बताओ क कौन भजता ह यहा का लोकल खबर अखबार म ऊ आनद

सह ही ह ना प कारrdquoldquoहा वही ह प कार तो ऊ ब त ज वन ह भला आदमी ह हमशा पछकर ही खबर

छापता ह दा मगा लत भी रहता ह पता नह कस द दया बना हमस पछ खबरrdquoफकन सह न बठकर भर लोटा पानी स क ला करत-करत कहा फर खाली लोटा लटकको पकड़ा लगी स हाथ प छ खड़ हो फकन न कमर म कसी लगी स बधी मोबाइल कोनकाला और सीध फोन लगाया

ldquoहलो हा या हाल आनद जी आनद म कोई कमी तो नह ह नrdquo फकन सह नतभी पाव पर चढ़-गजर रही एक च ट को सर पाव स मसलत ए कहा

ldquoआप क रहत तो आनद ही आनद ह फकन बाब आदश क रए कस याद कएrdquoउधर स प कार आनद सह न आनदपवक तरीक स ही कहा

ldquoहम या आदश दग हो पावर तो आपक हाथ म ह आनद जी रात भर ममलखानपर म नया समाजसवी ज मा दए आप महाराज अपन ही जात- बरादर पर वारक रएगा अब चमटोली म नता बनान लग आप या गलती हो गया हमस कछ कमी रहगया या सवा मrdquo फकन न ग स और नरमी घोलकर ख स सब कछ कह ही दया

ldquoओ हो हो अर फकन बाब म दर वाला खबर बोल रह ह या अर मा लक इतनानाराज काह हो रह ह अर हम तो सोच आपक गाव का ही खबर ह ऊपर स धम-कम का हतो छाप दए अब हम या जान क आपका एट पाट ह साला सब दन का तो ऊ पगलवाबर चया आया था दौ सौ द क गया था ल कन बात पसा का नह ह पहल आप ह तबपसा असली राजपत ह हम भी आग स न त र हएrdquo आनद सह न सारी बात बतात

ए बात ख म करत ए कहाldquoहा हा भाई आप पर भरोसा ह तब न फोन कया ह आपको आग स कोई भी खबर

हो गाव का तो बता क ही ए शन लया क जए ब त राजनी त होन लगा ह गाव म वस यनया-नया कल का ल डा ह हमस या एट करगा ल कन अखबार म आएगा तो मन तोबढ़गा ही ना ई छोटा जात का धन बढ़ जाए ल कन मन नह बढ़न दना चा हए इस लएथोड़ा याल र खए अ छा स नए आज मछली मराएगा तालाब स आपको भजवात हब ढ़या वाला रो ताजा एकदम च लए फोन रखत हrdquo कहकर फकन सह न फोन काटाऔर लटक को फोन चाज म लगान को द दया प षो म बाब फकन क फोन रखन का हीइतजार कर रह थ

ldquo या बोला आनद सहrdquo प षो म सह न पछाldquoबोला क बाय म टक छप गया सोचा गाव का ही सावज नक खबर ह तो छाप दत

ह टाइट कर दए ह अब नह करगा गलतीrdquo फकन सह न मह म गटखा डालत ए कहाldquoअब तो जो करना ह कर ही दया समाजसवी बना दया प ब रा को साला ई सब

कोई प कार ह इसको गाव का खबर और चमटोली क खबर म अतर नह बझाया कसा-कसा आदमी पाल क रख हो तम कस करोग पोल ट सrdquo प षो म बाब न चड़ चड़ वर

म कहा फकन सह तो बाप स भी यादा चड़ चड़ा गया यह ताना सनकरउसन पाव पटकत ए कहा ldquoअब बोल तो दए उसको क सधार कर लगा और हम

इसी च तया प कार क भरोस पोल ट स कर रह ह या आप भी गजब बात बोल दत हकभी-कभीrdquo झ लात ए इतना बोल अदर चला गया फकन सह पर प षो म बाब अभीशात नह ए थ राजनी त क सार रक च और दाव-पच म ही जदगी गजार अब उ कइस पड़ाव तक आए थ उ ह अखबार म साधारण-सी दखन वाली खबर उतनी सामा यऔर साधारण कतई नह लगी थी जतनी फकन सह या कसी अ य को लगी थीप षो म बाब अपनी कस स उठ और जगद श यादव क तरफ दखत ए बोल ldquoकौन-कौन गया था वहा रात म या- या आ बताओ तो जराrdquo

ldquoहम तो नह गए थ मा लक कए बजनाथ को बलात ह वही गया थाrdquo यह बोलजगद श यादव न लटक को जाकर बजनाथ को बला ल आन का इशारा कया लटक नजगद श यादव स ही उ ह क मोटरसाय कल क चाबी ली और लगभग 10 मनट मबजनाथ को घर स उठा लाया घर स प षो म सह क दरवाज तक आन म ही लगभग दो-चार सौ तरह क आशका स थर-थर करता बजनाथ पसीन स नहा गया था रा त म उसलटक न बताया क ब त सी रयस मटर ह उसी क खा तर बलाए ह मा लक लटक गाव मकसी भी दरवाज पर वारट क तरह जाता उसक जान का मतलब ही था क फकन अथवाप षो म सह क अदालत म आपक खलाफ कोई मकदमा ह और आपको हा जर होनाह प षो म सह क आर प चत ही बजनाथ न सबस पहल तजी स चलकर सामन वालचापानल स पानी पया और तब कसी तरह मड़ी सीधा कर सबको बठा दखा

ldquoका र बजनाथ कल रात का पड़ी नह पचा ह या अभी तक ब त पानी पी रहहोrdquo प षो म सह न थोड़ी कड़क आवाज म पछा

ldquoनय मा लक त न बड़ा गम लग रहा हrdquo पानी स तर कठ क बावजद बजनाथ नसखत गल स कहा

ldquoतो तम कल गया था म दर चाल करन समाजसवक प ब र क यहा का का आहमको भी बताओ भई जराrdquo प षो म सह न लहजा कड़ा रखत ए ही पछा

ldquoअर का बताए मा लक हम काह जाएग वहा हम तो खत जा रह थ तभी रा त मकामता बाब क लड़का शखर मल गया वही जद करक बठा लया गाड़ी पर बोलन लगाचाचा हम अकल नह जाएग आप भी च लएrdquo बजनाथ न अपना सच बताया

ldquoकामता जी का लड़का तो द ली म अ ययन करता ह ना अ ययन हो गया काग कल स वापस आ गया काrdquo बदरी म सर न अपनी वशष शली म जहर उगला

ldquoअर बदरी बाबा पता नह कौन अ ययन पढ़ता ह वहा या स या बकता ह हमतो उसका एक भी बात नह समझ कल इस लए जब बोला चलन को तो चपचाप बठकरचल गएrdquo बजनाथ न शखर क वशषता बतात ए अपन जान का व ा नक कारण भीपनः हराया

ldquoकतना भीड़ था गाव का कौन-कौन आदमी थाrdquo प षो म सह न पछाldquoभय आदमी एक भी नह था मा लक सब छोटा जात क भीड़ था भला घर स बस

एक वही शखर कह ली जए उहो पगल ह एक हमको ल गया था पकड़कर बाक बरागीप डत जी का लड़का था तो ऊ तो ह रजन ही हो गया ह मोहन साव था उसका तऽ धधा हमठाई का यादा म एक मर रया गया था बस यही सब टाइप का आदमी था लड डन तऽमया ही ह ऊ गया था अगल-बगल क गाव का भी ल कन ह रजन पासी लोग ब त आयाथा एक-दो घर धोबी कोइरी भी दखrdquo बजनाथ न परी जा त जनगणना क आधार परसारी उप थ त का यौरा द दया

ठ क उसी व नहा-धोकर तयार हो माथ पर चदन ट का लगाए र नाकर म वहाप चा बदरी म सर बट को दखत ही धोती समट कस स खड़ हो गए

ldquoक हए नान- यान कर कधर जान क तयारी ह र नाकर जीrdquo बदरी म सर न पस अपन वाभा वक या मक लहज म पछा

ldquoजी बाबजी गणशी महतो आया था अभी बलान उसको मोटरसाय कल खरीदना हकहा थोड़ा चलकर ब ढ़या स खरीदवा दत जी मदन भया को बोला था ल कन वह कहचल दए बचारा को झप लस दकर जाकर हम ही सभाल दत ह थोड़ा बचारा को जरा एकसौ पया ह या पास म द द जए ना एक तो फॉम भी डालना ह रलव का साथ म डालतआएग अलग स जाना नह होगा बकार उसक लए अलग स खचा होगा फरrdquo र नाकर नमड़ी नीच कर भयकर स कारी अदाज म कहा

ldquoओह समाज सवा म जा रह ह मदन झप लस द दया और ई स चा वनोबा भावह ई जाएग दश क लए इनक न जान स कपनी गणशी को नकली मोटरसाय कल द दगाय सघ क बता दत ह असली-नकली मोटरसाय कल इस लए इनको ल जा रहा ह गणशीसवा दश का और खचा हमस चा हए ऊपर स रलव का फॉम भरन का बहाना र नाकरबाब इस पढ़ाई- लखाई म रलव म नौकरी का वाब छो ड़ए झालमड़ी बचन का सो चएज द rdquo बदरी म सर न एक झ क म ताना मारत ए सबक सामन ही पानी उतार दया बटका

र नाकर सर को झकाए दात पीसता आ सब चपचाप सनता रहा बाप न सरआमआध मोह ल क सामन झालमड़ी बचन का रोजगार थमा दया था जो ब त बरा लगा थार नाकर को अब इतना कछ बोलन क बाद बदरी म सर न कत क जब म हाथ डाला औरबड़ महीन अदाज स टटोल एक पचास और एक बीस का नोट नकाला और र नाकर कहाथ म द दया र नाकर न उस भारी बइ जती क माहौल म भी खद को सभालत ए परहोशो-हवास म पहल नोट को दखा क फट तो नह ह न फर गना और धीम स बोलाldquoबीस और द द जए ना बाब जीrdquo

असल म दोन बाप-बट अपन-अपन फन क मा हर थ अत म दो गाली और दकर बन जब स एक दस का नोट नकालकर फर दया र नाकर को पस लकर र नाकर वहा सझटक स नकला

र नाकर स कत स नातक थम वष कर चका था और आग हो नह पा रहा थामास-म दरा और पान-गटखा स र र नाकर स चा छा था स कत वषय का चहर सगोरा-नारा और लबी ना सका का वामी ऑटोम टक च र वान और स कारी लगता थाअभी पछल ही साल वह कोइरी टोला क एक लड़क को ल कोलकाता भाग गया थालड़क तो 7 दन म लौट आई थी र नाकर महीन बाद लौटा था उसक दो महीन बाद हीउसी लड़क क शाद म सार भोज-भात का ज मा सभाला लया था उसन म क खा तरइतनी सम पत फजीहत का इ तहास रच वो आसपास क असफल मय का रोल मॉडलबन गया था फर उसक कछ महीन बाद कॉलज स ही सकदरपर क एक दज उ मानमया क बट को सनमा दखान ल गया था हद तो तब हो गई जब वह सनमा हॉल म उसलड़क का हाथ पकड़ जोर-जोर स स कत म गाना गान लगा था lsquoवद त व नपरः म यमम यम वद त व वलयम म यम म यमrsquo

इस तरह जब उसन इ लाम क हाथ म हाथ डालकर व दक गीत गान श कए तोवहा हड़कप मच गया ह -म लम बवाल तो होत-होत बच गया पर यह ज र आ कफ म दखन आए दशक को फ म का एक भी गाना याद न रहा और सबक जबान परर नाकर क स कत गीत ही तरत रह ब त म कल स यह मामला रफा-दफा आ था कईदन तक दज उ मान मया कान बद कर कची लकर र नाकर को ढढ़त रह ब त दनतक सकदरपर और मलखानपर गाव क बीच तनातनी रही थी इस कार र नाकर हरजा त और धम म म कर हमशा एक समायो जत स क त का प धर रहा जो अभी वतमानम प छया टोला म सदल यादव क यहा बट को स कत पढ़ान जा रहा था और बदल मट यशन क फ स नह ल रहा था स कत क सार हत उसक इस यास क चचा सर गावम भी होती थी इस तरह र नाकर का जीवन म-र नाकर थ हो गया था जसम उसक कई

म क रोमाचक आ यान भर ए थर नाकर क पस लकर चल जान क बाद बदरी म सर बड़ी दर तक उसको लकर कछ-

कछ बकत रहप षो म बाब न पछ भी दया ldquoयह आपका छोटा बटा था ना र नाकर नाम ह ना

यही न लड़क बाजी वाला काडhelliprdquoldquoहा यही ह र न हमार खानदान का प षो म बाब यह हमारा सब ग त करा कर ही

मानगा बरोजगार बठा ह फॉम डाल-डालकर ऊपर स इसका म कहानी तो परा नयाजानता ही हrdquo बदरी म सर न माथ पर हाथ धर इस बार थोड़ा टटत वर म कहा

ldquo बहा-शाद करा कर खटा म बा धए इसको सधर जाएगा बहा कर बटवारा करद जए फर अपन जब औरत पालना होगा तऽ अकल आएगा काम खोजगा दौड़ कrdquoप षो म बाब न अपन अनभव स भावी उपाय बतात ए कहा

ldquoह ही या जो बाटग सारा जमीन तो चाचा हड़प गए जगदा भया धान भर रह हकोठरी म ल कन भगवान सजा भी द रहा ह उनको उनका बटा मदन तो और भी गया-गजरा नकल गया न दा -ताड़ी म डबा रहता ह खर बहा तऽ पहल बड़का लड़कवा क

कर ल फर इसका दखत हrdquo बदरी म सर इतना बोल वहा स उठ घर क लए चलन लगसबन उनक मनोदशा का याल रखत ए टोका भी नह

उनक जात बस जगद श यादव क मह स नकला ldquoबाभनो का पराना स कार ख महो गया ह मा लक बताइए इतन अ छ प रवार का लड़का का या हाल हो गयाrdquo

इस पर बजनाथ लपककर बोला ldquoएकदम ठ क बात सबस बड़ा कलक तऽ बरागीप डत क लड़का चदनवा हrdquo

ldquoहा थ त तो सच म ब त खराब ह यही ना घनघोर कलयग ह जी ह रजन धमकरक दखा रहा ह और यह प डत का ब चा उसको करक समय ब त बदल गया हपता नह कसा बनास हो रहा ह नया काrdquo प षो म बाब राजा जनक क भा त यगधमपर चता करत ए बड़ गभीर वर म बोल

भारत क गाव और क ब म कसी भी द लत- पछड़ का नौकरी कर लना पसा कमालना सखपवक जी लना और कसी उ च वग य प रवार का कगाल हो जाना बरोजगारी स

त होना घनघोर कलयग का सबस च लत सकतक थ भारतीय समाज म द लत-सखऔर सवण- ख सचकाक स कलयग को माप लन क यह मापन कौशल मता उनपराता वक भ-व ा नक और खगोल व ा नक को चनौती थी जो अभी तक प वी क उनाप रह थ

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उस दन शखर सबह-सबह बाइक स गाव मण पर नकला था इस बार लबी छट टपर आया था गाव

महानगरीय व व ालय क कोस क मोट -मोट कताब और भारी-भरकम ल चरम वह जब-जब भारतीय ा य जीवन क दशा और दशा पर कछ पढ़ता-सनता तो उसअपना ही यह अनदखा गाव हमशा याद आता और ख चता शखर हर बार तय करता कइस बार गाव जाएगा तो अ छ स गाव और उसका समाज दख-समझकर आएगा ल कनगाव स ही नकलकर गए छा क पास शायद ही कभी इतना समय रहा था क व गाव कहोन क बावजद भी गाव को पढ़ पात यह एक ऐसा पाठ य म था जसका अ ययन कसीव व ालय क क ा म बठकर कर पाना बमानी था इसक लए गाव क ग लय चौपाल खत क पगड डय और नद क कनार स सटना पड़ता वहा क समाजशा काह सा होना होता य द कोई एक या ी क तरह गाव को दखता तो वह गाव का समाजउतन स भी कम समझ पाता जतना मग थनीज न भारतीय समाज को समझा था शखरइस बार मग थनीज स तो यादा घमन-समझन का मड बनाकर आया ही था शखर अभीबाइक क धीमी-धीमी चाल स गाव क उलट छोर स बाहर नकल रहा था क नथन स कोईब त ही जानी-पहचानी सगध टकराई उसन बाइक और भी धीमी क शखर को अबजाकर भोर क असली ताजगी का अहसास आ उसन दखा सड़क कनार कछ री परम आ का एक बड़ा-सा पड़ था और उसक अगल-बगल क खत म धान क फसल पीलापनलए लहरा रही थी शखर न अपनी बाइक उसी ओर बढ़ा द वह उसी दशा स आ रहीसगध क तरफ खचा चला जा रहा था ठ क वस ही जस कसी भतहा फ म का नायकर परानी हवली स आ रही पायल और घघ क आवाज क तरफ खचा चला जाता ह

शखर अभी बढ़ा ही था क उस सामन लखन लोहार क झ पड़ी दख गई जहा ट न वालादरवाजा खला होन क कारण बरची और प ब र र स ही बठ दख गए शखर को इधर हीआता दख बरची क नजर भी उस पर गई बरची झट लकड़ी क पीढ़ स उठ खड़ा आबरची न इशारा कया और लखन और प ब र न सामन रख सारी आप जनक व तए जसचलम बीड़ी और गाज क प ड़या झटपट छपाकर बोरी क नीच रख दया व शहर म रहतहाई-फाई पढ़ाई- लखाई करन वाल एक बहद स य व ाथ क सामन यह सब कट करश मदा नह होना चाहत थ लखन न गमछा झोलकर उड़ रह धए को हटाकर वातावरणथोड़ा गध-र हत करन का भी यास कया शखर अब तक झोपड़ी तक आ गया था कतही उसन एक ताजी हसी स सबका अ भवादन कया

ldquoआइए आइए शखर भाई या बात बड़ा सवर-सवर लगता ह सर-सपाटा पर

नकल ह हा हा हाrdquo बरची न आग बढ़त ए कहाldquoहा बरची जी बस कछ खास नह थोड़ा हवा खान नकल थ गाव काrdquo शखर न

बाइक स उतरत ए कहाldquoआइए ब ठए न शखर बाब गरीब का क टया ह कस भी नह ह आइए यहा ब ठए

आपrdquo लखन न अपनी गमछ स लकड़ी क टल क धल साफ करत ए कहाldquoअर भाई गरीब का क टया मत क हए जीवन का असली रस तो यह ह तभी तो

खच चल आए ह और मर जस आदमी कस पर नह बठत म जमीन स जड़ा आदमी और जमीन पर उठता-बठता rdquo शखर ब त जमीनी बात बोलत ए पास बछ बोर पर बठगया अब शखर को नीच बठा दख प ब र न भी अपनी लकड़ी वाली टल पीछ सरका द सभी लोग नीच बोर पर बराबर म बठ गए

ldquoवाह तो आप लोग का उठना-बठना यहा रगलर होता ह शायदrdquo शखर न पावपसार पछा

ldquoहा बस यह बठत ह लखन भाई क पास और गाव म कहा बठन शखर जी यहबठ हम लोग आपस म सख- ख ब तया लत ह थोड़ाrdquo प ब र न चहर पर ह क -सीम कराहट क साथ कहा शखर अब सर घमाकर लखन क झोपड़ी क अदर चार ओरदखन लगा सामन ही धीमी आच पर जल रही छोट -सी आग क एक भट ट थी वह लोहक बनी कछ खरपी क चया हसली रखी ई थी कछ लोह क टकड़ इधर-उधर बखर पड़थ शखर इन सब चीज को दख तो रहा था पर वह शायद कछ और दख रहा था और इधरबरची लखन और प ब र लगातार शखर को दख रह थ और साथ ही यह भी दख रह थक दखत-दखत शखर कह कछ और दख न ल

ldquoअ छा यहा कछ मल कर रहा था मॉक - मॉक यानी धआ टाइपrdquo शखर न दबउ साह स पछा

ldquoकछ नह नद क पीछ मशान ह न कल रात प ब र क टोला म सदना क दादमरी ह वही जल रही होगी वही धआइन महक रहा हrdquo बरची न एक झटक म नए गधक खोज करत ए शखर को बताया शखर को इस कार क गध और धए का तो कछआइ डया ही नह था

अभी-अभी जस धए को द जान शखर न उस अपन अदर ख चा था ण भर मलगा जस कलज और फफड़ क बीच सदना क दाद लाठ टक चल रही हो मन एकदमभतहा हो गया था

ldquoभ क यार या बात करत ह हम या लाश और गाजा क धआ म फक नह जानतह या बरची भाई या मजाक कर रह ह आपrdquo शखर न हसत ए सहज होन कको शश क साथ कहा शखर क इस याराना अदाज पर सभी ठहाका मार हस पड़

ldquoहा हा हा तब तो आप समझ ही लए शखर भाईrdquo बरची न हसत-हसत कहाldquoहा हा हा का कर शखर बाब गाव-दहात म लोग पीब करत ह हम लोग भी कभी-

कभार मार लत हrdquo लखन न हसत-हसत साफ-साफ कह दयाldquoआपको दख तो छपा दए आपक सामन ठ क नह लगता ह शखर जीrdquo प ब र न

भी लजा क कहाldquoगलत बात एकदम गलत बात इसम छपाना या ह भाई नका लए यार हमको भी

चखाइए थोड़ाrdquo शखर न मन क बात कहीइतन म तो लखन चलम बोर क नीच स नकाल चका था बरची न प ड़या बढ़ा

लखन को रगड़न क लए दया शखर न लपककर प ड़या अपन हाथ ल लयाldquoअर महाराज आप छोड़ द जए शखर भाई गाजा मत हाथ लगाइए नह तो आपक

बाबजी जान गए तो हमको लात-जता कर दगrdquo बरची न शखर स कहाldquoअर खाक लात-जता जानग तब न हम पीत ह भाई आप य टशन ल रह ह अर

यार हम तो इसी का गध सघ आए जब स गाव म ह तब स नसीब नह आ इतना दन होगया लाइए हम रगड़कर भरत ह एक बार मरा भी फ न शग दख ली जएrdquo शखर इतनाबोल जोर स हसा सामन तीन हरत स शखर को दख रह थ हस अब भी कवल शखर रहाथा बाक तीन का चहरा तो अभी इस ण ऐसा हो गया था जस कसी न धोख स अचारचटाकर नशा उतार दया हो गाज का

ल कन अगल ही पल एक नया साथी मह फल को मल जान क खशी म तीन कचहर ताज धतर क फल क तरह खल उठ

ldquoआप सच म पी जएगा मतलब आप स च म पीत हrdquo बरची न फाइनली पछाldquoपीत नह ह भरदम पीत ह पलाइए अब बाक गप होता रहगाrdquo शखर न एक

सम पत गजड़ी वाली बचनी स कहा इतना बोल तो शखर पालथी मारकर बठ गया औरगाज क प य को महीन करक काटन लगा उतन ही समपण भाव स जस गाधीजी सतकाटन बठ ह दोन का ल य भी तो एक ही था रा का क याण भल माग अलग-अलगथ

अब चलम लन-दन का दौर श आ लखन क क टया धआ-धआ होन लगीलखन न पीछ पलटकर रखा र डयो चाल कर दया र डयो पर अ मताभ ब चन परफ माया गाना बज रहा था lsquoजहा चार यार मल जाएrsquo

अब माहौल जम गया था शखर का अपन घरल मदान पर यह पहला दशन था वहअ धक-स-अ धक रन बना दना चाह रहा था शखर न एक जोर का कश लगाया औरचलम लखन क तरफ बढ़ाया लखन न चलम बना टान बरची क तरफ बढ़ा दया औरखद थोड़ा सरककर अब ठ क शखर क सामन आ गया

ldquoबाप र बाप हर हर महादव आप तो हम लोग का ग नकल हो शखर बाबबरची दा तो बीए पास ही ह ल कन आप तो ए म पास ह महाराजrdquo लखन न हचक लहाथ जोड़त ए कहा

ldquoनचरली नचरली लखन जी हम तो एमए कर पीएचडी कर रह ह तो आग तो हो ही

गया नrdquo शखर न ठहाका लगाकर कहाldquoठ क ह नाच अली या अली तो अ छा ह पर एक बात बोल शखर बाबrdquo लखन न

लड़खड़ाती जबान स पछाldquoअर ब कल बो लएrdquo शखर न चलम को उलटकर उसक राख झाड़त ए कहाldquoअर चप चपचाप बठो अब तमrdquo बरची न लखन को बीच म टोकत ए कहा

असल म थोड़ी दर पहल ही सबह-सबह लखन न ताड़ी पी ली थी और अब गाज क म णका असर कपार चढ़न लगा था इसका अदाजा उसक रोज क हम- चलम साथी बरची कोहो गया था इस लए वह डर रहा था क लखन नश म कह कछ उ टा-सीधा न बोल द

ldquo या बरची दा साला गरीब को कोई बोलन ही नह दता ह एक आप सनत थआज आप भी रोक रह हrdquo लखन न लड़खड़ाती जबान स ही कहा

ldquoअर बो लए बो लए लखन जी बरची जी बोलन द जए ना बचार कोrdquo शखर नगरीब क साथ खड़ा होत ए कहा

ldquoतब यह आ न एक नबर का आदमी शखर बाब ह यrdquo लखन न झमकर कहाldquoअर साल लखना अब बात बोलो अपना पागलपती मत करोrdquo बरची न थोड़ा

कड़क होकर कहाldquoशखर बाब द खए हम लोग तो अनपढ़ लोग ह गरीब मज र ह थोड़ा-सा बरची दा

बीए पास ह ल कन ई भी पढ़ क कछ उखाड़ पाए नह तो हम लोग तो गरीबी और मजबरीम गाजा-बीड़ी पीत ह मन बहला लत ह थोड़ा ल कन मा लक आप इतना पढ़- लख ककाह पीत ह आपक बाबजी इतना व ान आदमी ह उनका लड़का गाजा पएगा तो ईठ क ह शखर बाबrdquo लखन न एक सर म जो मन म आया वह बोल दया

बरची न ग स म माथा पकड़ लया प ब र भी थोड़ा असहज हो गया था उन दोनको लग गया था क लखन न गड़बड़ कर द शखर को ब त बरा लगा होगा ल कन शखरम करात ए बड़ सहज भाव स लखन को सन रहा था

ldquoकर ट ब कल सही बोल ह आप लखन भाई हा गाजा-बीड़ी गरीब पीता हसम झए जरा बात को म चाहता तो द ली म अ जी दा पीक मौज-म ती ड को-डासकर सकता था ल कन नह हमन गरीब और मज र क साथ उठना-बठना चना और नाहमको गरीब स परहज ह ना उनक गाजा स हम हर कश म उनक साथ ह उ ह लगनाचा हए क हम भी उनक जस ह कोई व श नह हम हम भी आम आदमी ह लखन जीrdquoशखर न गाजा सवन क जनवाद योरी क थापना करत ए कहा

लखन तो जस बत हो गया था अभी इतना-सा ही सनकर आख म आस तर आएबरची को लगा क भट ट स नकल रह धए क कारण आया ह ल कन यह तो अदर सनकल आ रह ज बात क आस थ एक पढ़- लख स च कॉमरड क हाथ म चलम ल गरीबक सग खड़ हो जान क खशी म एक गरीब क आख स छलक ा क आस थ य दनभरअपनी झोपड़ी म आग क भट ट म लोहा गरम कर उस पीटत अपना तन और फफड़ा

जलात आदमी क पास दो व क रोट खा तर करत सघष क बाद ा जसी चीज बच हीकतनी जाती थी फर भी जतनी थी लखन न अदर स खखोर कर जमा कया और हाथजोड़कर बोला ldquoआप महापस ह शखर बाब महापस हrdquo इतना बोल डबडबा गया बचारा

ldquoनो नो लखन भाई ट म नह व लोग ह ज ह हम फॉलो कर आज इस नया कोबदलन नकल ह आप लोग को लगता ह क गाजा-बीड़ी बस हम लोग ही पीत ह अर इस

नया क तमाम ा तका रय न पया और गरीब -मज र क हक म धआ उड़ा-उड़ाआसमान रग दया साथी मा स न गाजा पया च वरा न पया फदल का ो न पयासाथीhelliprdquo शखर एकदम जोश म बोल जा रहा था

ldquoजी फकन बाब भी फकन बाब भीhelliprdquo लखन न ल ट म एक नाम और जोड़त एकहा

यह सनत शखर तो चकरा गया था जस उस समझ ना आया क इस पर या बोलइतन क मती ल चर क बाद प रणाम म फकन सह नकला था

ldquoचप साल पगलट अर यहा व ड लवल का महान नता सबका नाम बता रह ह शखरजी और तम साल बीच म फकन सह को पल रह हो अब मा सवाद ह शखर बाब समझसाल लखनाrdquo बरची न भड़कत ए कहा

ldquoअर ऊ तऽ ह ह ग ई मासबाद ल कन सन ली जए आदमी भी अ छा ह ईrdquo लखनन अच क म अजब ही बात कह द थी

ldquoलखना तो आपका द वाना हो गया ह शखर जी आपको एकदम अपना नता मानलया हrdquo बरची न ठहाका लगात ए कहा

ldquoअर हम या नता ह ग भाई नता तो आप लोग क बीच स होना चा हए जो आपकलए लड़ सक सामतवाद ताकत क खलाफ एकजट हो जाइए जब जएट होकर गाजापी रह ह तो खाली नठ ल गाजा पीन स काम नह चलगा इसका सही उपयोग भी तोक रए बरची जीrdquo शखर बड़ भोल अदाज म बोल जा रहा था

ldquoबात तो सही बोल रह ह शखर बाब आपrdquo बड़ी दर स चप प ब र बोलाldquoभोर स जगत रोट क जगाड़ म साझ तक थक जान वाल हम जस लोग ा त नह

करत शखर जी ा त आप लोग ही कर सकत ह हम लोग तो बस पीछ-पीछ नारा लगानवाला लोग हrdquo बरची न खनी रगड़त ए कहा

ldquoअ छा ई मासबाद या ह बरची दाrdquo तभी स वही अटक लखन न पछाldquoहा हा ली जए इसको या बताए इतना डीप आइ डयोलॉजी ह यह समझान म

टाइम लगगा भाईrdquo शखर न लखन क ज ासा को ज रत स यादा गभीरता स लत एकहा

ldquoअर छो ड़ए ई गजड़ी को साला हम बीए पास करक तो समझ नह पाए ई सातवाफल लोहार या समझगा इतना बड़ा-बड़ा बातrdquo बरची न रगड़ी खनी मह म डालत एकहा

ldquoल कन आप तो पढ़ ही ह ग ना यह सबrdquo शखर न गदन बरची क तरफ करकपछा

ldquoपढ़ तो सब थ सब भला गए हा इतना याद ह क एक हमारा दो त था ला टउसको जब हम पछत क काह पीता ह र गाजा वह बताता था क इसस आख लाल होजाता ह और हम बना वचार बताए झडा दखाए लोग को बता दत ह क हम लाल सलामवाला ह हा हा हाrdquo बोलकर बरची जोर स हसा

लखन और प ब र भी हस हाला क व बमतलब ही हस थ शखर गभीर हो गया थाldquoउफ बवकफ था आपका दो त मख न ही लटवाया हम च लए चलत ह अब ब त

दर हो गया गाव खोजन नकल थ और गाव तो गाव म ही बस नकलत ही मल गया अबहम जब तक रहग यहा आत-जात रहगrdquo शखर खड़ा हो बोला उसक साथ ही बाक तीनभी खड़ ए ही थ क बाहर कसी क आन क आहट सनाई द

ldquoअर यह तो मध का माय ह या बात आ कए दखत ह हमrdquo बोलत ए बरचीझोपड़ी स बाहर आया मध क मा बरची को ही खोजत वहा भी चली आई थी बाहर कछमनट बरची और मध क मा क बीच बात होती रही बीच-बीच म मध क मा आख स गरआस को अपन अचरा क कोर स प छ रही थी

ldquoकौन ह य लडी या आ होगाrdquo शखर न झोपड़ी क अदर ही खड़ लखन स पछाldquoअर बचारी को सौ तरह का ख ह बट स झगड़ा आ होगा या फर दामाद आया

होगा तो झझट आ होगा वस साल-दो-साल स दख भी नह ह हम इसक दामाद कोrdquoलखन न अदाजन कहा

भीतर तीन यही सब बात कर ही रह थ क लगभग पाच मनट क बाद मध क मावापस चली गई और बरची अदर आ गया

ldquo या आ भाई बरची जीrdquo सबस पहल शखर न पछाldquoशखर जी या बताए साला एक काड हो गया हrdquo बरची न कहाldquo याrdquo सब क मह स नकलाldquoगाव क ही एक म हला ह आगनबाड़ी म काम करती ह उसक साथ बीडीओ साला

छड़खानी कर दयाrdquo बरची न शखर क तरफ दखत ए कहाldquoमध क साथrdquo लखन क मह स नकलाldquoहा कल ही बीडीओ मध को बोला था क आज ज द आ जाना ज री काम ह य

भोर सत उठ क वह चली गई सीध सरकारी आवास पर बलाया था साला वह छड़खानीश कर दया पता नह या- या आ ह कह रही ह जहर खा लगrdquo बरची न अभी-अभी उसक मा स सनी बात बताई

ldquoअर एक मनट भी नह कना ह बो लए एकदम एफआईआर कर यह तोस सअल हरासमट का मामला ह नौकरी जाएगी साल बीडीओ क आप म हला को थानाभ जएrdquo शखर न जोर दकर कहा

ldquoहा पहल जाकर पछत ह मध स क या आ ह थाना जाएगी तब ना सब तो थानाम मला ही रहता ह पदा धकारी का मामला ह शखर जीrdquo यह बोलत ए बरची बाहरआया और प ब र क बाइक ल सीध मध क घर नकल गया

मध क घर क सामन एक साइ कल खड़ी थी बरची न साइ कल पहचान लया थाबाइक खड़ी कर वह अदर गया जहा ख टया पर काशी साह बठा आ था सामन एक तरफनीच मध क मा गाल पर हाथ रख बठ ई थी और सरी तरफ वह जमीन पर एक पाए सपीठ टकाए माथ पर हाथ धर ऊपर क ओर सर कए मध बठ ई थी काशी साह शायददोन को कछ समझा रहा था मध क मा उसक बात गौर स सन भी रही थी पर मध उसकओर दख भी नह रही थी वह तो काठ बनी सख आख स एकटक आकाश का सनापनताकत जा रही थी

बरची क अदर घसत ही मध क मा न उस बठन क लए सामन रखा लकड़ी का पीढ़ासरकाया मध भी ब त दर बाद थोड़ी हरकत म आई उसन एक नजर बरची क ओर दखाऔर फर सर नीच कर जमीन क ओर दखन लगी काशी साह न बरची को दखकर भीअनदखा कर दया

ldquoतम दोन सोच लो ज द भौजी ब स काम लो मध हमारा भी बट जसी ही हफालत का च कर म पड़ क इसको बबाद होन नह दग न मामला ख म करन म ही फायदाहrdquo काशी साह न सर हला- हला दोन हाथ का इशारा कर मा-बट स कहा

ldquo या मामला ख म मन यह कोई बड़ा बात नह जो भी आ होन द बट काइ जत कोई बात नह rdquo बरची न लाल ई आख म तरत ए पानी को सभालत ए कहा

ldquoअर तम तो बीच म एकदम नह पड़ो बरची इस मटर म एक श द ना बोलो सालत हारा तो कछ होगा नह ह ही या जो बगड़गा त हारा इस बचारी मा-बट का इ जतनीलाम करवा दोग तम अपना राजनी त मrdquo काशी साह न तमतमात ए कहा

ldquoसाह जी लाज-शम सब बच दए ह या आप लकड़ी काट-काट उसक साथ अपनईमान का जड़ भी काटकर बच दए अर यहा कसका दलाली करन आए ह फकन सहभजा ह ना मामला सलटान बीडीओ क तरफ सrdquo बरची न सही नशाना लगात ए कहा

ldquoअर साल बर चया जबान सभाल लो अपना हा फकन बाब भज ह तो याबीडीओ साहब स लड़ पाएगा ई-मा-बट अर वह तो फकन बाब ह जो जान बचा द रह हइन दोन का नह तो उ ट लकम लग का कस बनाकर बीडीओ जल भजवा दगा मध कोतम साल या जानोगrdquo काशी साह न दात कटकटाकर कहा

इतना सनना था क मध क मा क आख स झर-झर धार बहन लगी उसक हाथ खद-ब-खद जड़ जा रह थ यह दख बना भी क सामन कौन खड़ा ह

मध अभी तक चप बठ पड़ी थीldquoवाह जी साह जी साला रप का को शश कया वह बीडीओ ह र काश मडल और

जल जाएगी उ ट मध साला अधा ह या समाज और काननrdquo बरची न मट ठ तान

कसमसात ए कहाldquoए फालत बात ना बको रप-टप कछ नह आ ह अर जरा-सा गलती आ ह

बीडीओ साहब स तो भाई कोनो म थोड़ बोल रह ह बात ख म करन सीध तो 10हजार दन बोल ही दए ह अब या कर बचारा जरा-सी गलती पर इतना पसा द तो रहा हयह भी नह दगा तो या उखाड़ लोग उन लोग काrdquo काशी साह न जीभ चबलात ए कहा

ldquoओहो जरा-सी गलती यही जरा-सा गलती आपक बट -बहन क साथ हो जाता तो10 हजार लकर मामला सलटा दत या साह जीrdquo बरची न कटार-सी म कान क साथकहा

ldquoअर हरामी साला दोगला का ज मा तमको जदा नह छोड़ग साला तम हमार बट -बहन तक जाएगा र साला हमारी बट को इसक साथ एक तराज म तौलगा र त हारा जानल लग र हरामीrdquo यह बोल काशी सीध बरची क ओर लपका काशी का खन खौल उठाथा त र म भना मास सबको अ छा लगता ह ल कन अपन बदन पर चगारी क एकत ली गर जाए तो आदमी तल मला ही जाता ह काशी न बरची क कॉलर पकड़ पीछक ओर धकला बरची न परी ताकत लगा काशी को भी ठला और वह ख टया पर जा गरपड़ा मध अब जमीन स उठ कनार खड़ी हो गई थी मध क मा दोन क बीच हाथ जोड़खड़ी हो गई वह बरची स चप हो जान क वनती करन लगी

बरची तज-तज सास लए तमतमाया खड़ा था काशी ख टया स उठ जाघ पर हाथपीट लगातार गाली दए जा रहा था इतन म बाहर बाइक खड़ी होन क आवाज आई अदरप ब र शखर और चदन आए यह लोग तो ब त दर लखन क झोपड़ी म बठ बरची काइतजार कर रह थ पर जब उनस रहा न गया तो वह भी सीध मध क घर आ गए थ र त मइ ह चदन दख गया तो प ब र न उस भी साथ ल लया था

ldquoआओ ना ब परा गग बलाया ह र तम सब साल जट हो जब फकन बाब का सनाआएगा ना तब फाट जाएगा पछवाड़ा सबकाrdquo काशी साह उन लोग को आता दखत हीजोर स बोला

ldquoचप बदतमीज आदमी या बक रह ह आप तमीज स बात क रए एक म हला कसाथ गलत आ ह हम लोग उसका साथ दन आए ह समझ आप यह या बक-बक कररह ह सना और गगrdquo शखर न और यादा जोर स कहा

ldquoऐ आप मत प ड़ए इस सबम शखर कमार आपको पहचान रह ह हम कामता बाबक लड़का ह ना आप अपना इ जत का याल र खए या इस नीच मामला म पड़ हपसा का मटर ह 10 हजार म मामला सलटान बोल रह ह इन लोग को और पसा चा हएपसा बढ़ा दग तो मटर ख म हो जाएगा बर चया अपना माल बनान क लए ही लगा आह इस मामल म आप काह फस रह ह ई गदा धधा म यहा इसक जसा लोग क साथ रोजहोता ह ऐसा घटना यह कोई पहला घटना नह ह बीडीओ साहब क साथ साध आदमी हबचारा उनस ब त म हला लोग पसा ठगा ह उनको फसाकर 10 मटर तो हम ही सलटाए हबचारा का पसा दकरrdquo काशी साह न शखर को दखत ए भयकर बहयाई स कहा

ldquoचप अर चप साला ब त आ र तब स सन-सन मर रह ह एक जरा दया नहआया र आपको आदमी ह क जानवर ह आप साला आपको चाचा बोलत थ हमrdquo तब सबत बनी खड़ी मध जस कसी भारी प थर क चोट स टटकर बखरकर चीख पड़ी थीआख म कब स ठहर ए पानी का बाध अब टट गया था वह उस दोन हाथ स प छ जारही थी

ldquo लीज चप हो जाइए मध जी यह लोग या जान एक ी या- या झलती हrdquoशखर न ब कल म यम वर म कहा और सर झका खड़ा रहा

ldquoनह हम तो बोलग ही फर स सनो काशी साह इसको हम चाचा बोलत ह ब च सऔर ई आदमी बोलता ह क गलती आ ह छोटा-सा हम धधा करत ह और हम पसा लनाचाहत ह अर काशी साह सनो वह हरामी हमको ज री काम क नाम पर घर बलायापोषाहार का फाइल और रसीद लकर फर सीध अपन पलग वाला म म ल गया बोलाआगनबाड़ी म घोटाला आ ह इस मामल म सब फसगा तमको ल कन हम बचा लग हमत हारा ख जानत ह मध तम चता ना करो हमस मलत रहो पसा-कौड़ी और सब कछमलगा आओ ना इधर आओ इतना बोल कर हरामी छाती पर हाथ धर दया पीठ औरकमर पकड़ कर सता दया हम ध कया क लात मार कर भाग तो खद ह ला करन लगा कदखो भोर-भोर आ गई ह हमको दह का लालच दकर पसा मागन अपन टाफ को वहजमा कर लया सब हमको ग रयान लगrdquo बोलत-बोलत मध जमीन पर गर पड़ी अबएक जोर क दहाड़ मध क अदर स फटकर नकली वहा खड़ हर आदमी क अदर काआदमी एक बार काप गया था यह रोदन सन सबह स दस बार वह अपनी सारी आप बीतीअलग-अलग हर उन लोग को सना चक थी जो उस दलासा क नाम पर उसका हाल सननआत और एक बार ऐसी कहानी लकर चल जात जस चौक-चौराह पर बार-बार कई लोगको सना सक खद काशी साह वह बठ तीसरी बार यह सब कछ सन रहा था

एक ी जब अपन पर ए इस हवानी हमल क कहानी दोहराती ह तो वह बसकहानी नह दोहराती ह ब क बार-बार उसी पीड़ा उसी हवा नयत स गजरती ह सननवाल क नजर उस बार-बार वही सब कछ एहसास करा दती ह इस बार मध शायदइस लए फटकर रो पड़ी थी य क खड़ हर श स क नजर धरती म गड़ी ई थ सवायकाशी साह क

ldquoसब हमको भया च र हीन बोल क भगाया हो हमको सब च र हीन बोलकर भगायाहो भया बताइए हम च र हीन ह भया बताइए ना बरची दा बताइए ना चदन बाबाआप लोग कोई तो बताइए हम जहर खा लग माई माई हमको जहर द दो अब कहा महदखा पाएग समचा बोलाक-आ फस हमको कलटा कह रहा ह मार दो हमको कोईrdquoकभी छाती पीट और कभी हाथ को धरती पर पटककर जब मध यह सब बोल रही थी तोवहा खड़ लोग मानो जमीन म दफन हो रह थ शम और पीड़ा स जमीन पर बस काशी साहही खड़ा था जो सीना खोलकर मामल को सलझान आया था

मा न मध को बाह स जकड़ लया था अभी वो उसक सर स लग सबक रही थी

बरची यह सब दख कनार हट गया था कसस दखा जाता यह सबldquoअब एक सकड भी दर मत क रए सीध प लस म जाइए अब एफआईआर क रए

पहल सीध बला कार का कस ह कोट म हला क गवाही सनता ह वह बीडीओ औरफकन सह का नह सनगा बरची जी थाना जाइए सो चए मतrdquo शखर न पाव पटकत एकहा

ldquoहम तो कहत ह क बीडीओ मडल को ही पकड़कर कट दत ह भ सड़ी वाल कोबचान जो आएगा उसको भी मार दग गडासा जो होगा सो दख लगrdquo बरची न ोध ममट ठ भ चकर कहा

ldquoनह कल होश स काम ली जए हम स टम क सड़ाध को ख म करना ह इसघ टया अ धकारी का स टम म होना ठ क नह इस कानन सजा दकर हटाएगा आईबलीव इन का टट यशन ट ऑन लॉ यक न क रए और ह मत र खए जाइए थानालीजrdquo शखर न ब त जोर दकर कहा

ldquoवहा कछ नह होगा शखर जी दख रह ह ना इस फकन सह क दलाल को ई काशीसाह अभी जाकर सब उगलगा वहा और तरत थाना मनज हो जाएगाrdquo बरची न लाल-लालधधकती नगाह स काशी क तरफ दखत ए कहा

ldquoअर साला भोसड़ी वाला हरामी दलाल बोलगा हमकोhelliprdquo काशी एक बार फरबरची क ओर कदा अभी दोन क बीच एक दो थ पड़ चल ही थ क सबन ख चकर दोनको अलग कया काशी साह अब घर स बाहर दरवाज पर आ गया था

ldquoजाइए ना साह जी काह पलान का काम कर रह ह अभी -चार ल पड़ मार भीदगा सब और प ब र दास स ह रजन ए ट का कस भी करवा दगा आप पर चल जाइएगातलहडपर चपचाप चल जाइए बचा आ इ जत समट कrdquo काशी क पीछ-पीछ आएचदन बाबा न कहा

ldquoसाल तम लोग क कपार पर काल नाच रहा ह सब ठलाओग सालो यहा कोठाखोल हो तम लोग आए हो माल को बचानrdquo साइ कल पर बठ जात-जात भी अपनी गदजबान क काल छ ट छ टता ही गया काशी साह उसक जात ही शखर मध प ब र औरबरची को ल बाहर आया बरची न कहा क वह अकल ही मध को लकर थाना जाएगा नहतो दरोगा कह यादा आदमी दख इस गाव क राजनी त स न जोड़ द बरची न अगल हीपल बाइक क चाबी डाली और टाट कर मध को पीछ बठाया तजी स पहला गयरलगाया और झटक स ोध म बाइक उछालत ए थान क तरफ नकला शखर नम कराकर हाथ हला वदा कया उस लगा जस माओ स तग क ब क क नली स नकली

ई ा त वाली गोली अपन ल य क ओर जा रही ह

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बरची थान क करीब प चन वाला था रा त भर कई तरह क आशका -उलझन न मनको हलाए रखा था वह थान जान को लकर ब त यादा तयार नह था ऊपर स ऐसमामल म जसम खड क सबस बड़ पदा धकारी क शकायत का मामला हो बरची कपीछ बठ मध भी कछ समझ नह पा रही थी क कस या बोलगी थान म

बरची तभी बाइक रोककर पहल थान क सामन वाली चाय कान पर गया और लोटाभर पानी पया उसका मन अभी भी वापस लौट जान को कर रहा था वह सोच जा रहाथा दरोगा तो रोज बीडीओ साहब क साथ खाता-पीता ह सबक बठक वह फकन सह कयहा होती ह काह सनगा भला दरोगा पर शखर न जद कर जस तरह हौसला और वचारद भज दया था क उस आना पड़ा था वचारधारा और उसक वचारक डायर ट ा तकहा करत थ वह तो बस रत करत थ आज शखर न वही काम कया था बरची को

रत कर दया था शखर न तो अपन वचार का लाल धन द रॉकट छोड़ दया था अब वोकहा घस कहा फट रॉकट का भा य जान बचारा भारतीय याय व था पर परी आ थाक साथ आज तक पढ़ स वधान क बार म हर क याणकारी वशषता पर मन-ही-मन भरोसाकरत ए बरची अब थान क अदर प च गया पीछ-पीछ ओढ़नी स आधा मह ढक मध चलरही थी अदर घसत ही थान क बरामद पर बठ एक सपाही क नजर दोन पर गई उसनएक भयकर भरपर नजर स बरची को कम मध को यादा दखा

ldquo या बात ह जी लड़क -सड़क भगान का मामला ह याrdquo सपाही न ऊचीआवाज म पछा आवाज सनत बरची और मध वह खड़ हो गए मध अपना चहरा अबथोड़ा और ढकन लगी उसन बाए हाथ को ऊपर कर धीर स अपनी ओढ़नी को सरका महपर कर लया

ldquo या ह बताओ भी या बात हrdquo सपाही न फर पछाldquoदरोगा बाब स भट करना हrdquo बरची न ह क आवाज म कहाldquoअर तऽ डायर ट दरोग बाब स मल लोग जी कोनो ोसस भी तऽ होता ह कानन

का पहल बताओ या काड हrdquo सपाही न काननी या क श आत करत ए पछाldquo सपाही जी द खए छड़खानी और बला कार क को शश का मामला ह हम लोग

को दरोगा जी स मलना हrdquo बरची न वह खड़ कहाldquoओह रप आ ह कसका यही लड़क काrdquo सपाही न मध क तरफ बरी तरह

घरत ए कहा बरची इधर-उधर ताकन लगा और मध अपनी गदन नीच कए मानो खदको जमीन म गाड़ खड़ी थी

ldquoभट कस होगा दरोगा जी स करवा द जए न जराrdquo बरची लगातार एक ही बातपछ जा रहा था

ldquoअर तो इसम दरोगा साहब या करग तम पहल वहा मशी बाब क पास जाओमामला सही होगा तऽ कस फाइल होगा पहल वहा भट करो मशी बाब सrdquo सपाही नबाहर बरामद पर कस टबल लगाए बठ एक वद धारी क ओर सकत करत ए कहा दसकदम चल बरची उस टबल क सामन खड़ा आ ही था क मशी बाब न उस कछ इशाराकया सामन एक पानी भरी बा ट रखी थी

ldquoजरा बा ट उठा भीतर प चा दो तो बाबrdquo मशी बाब न बरची स कहा अब लाठऔर कलम दोन क म णकाचन योग स लस भारतीय प लस न आम जनता क मन म अपनलए इतना स मानजनक थान तो बना ही लया था क कोई भी वद धारी कसी भीअनजान आदमी को झोला बा ट बोरा उठान का आदश द ही द तो सामन वाला आदमी नचाहकर भी उस आदश का पालन कर ही दता था ऐसा कर दन वाला अ छा और स चानाग रक होता क नह यह कहना तो म कल था पर वह समझदार नाग रक ज र होताबरची न भी समझदारी दखात ए बा ट को चपचाप उठाया और उस सामन क कमर मरखन ल गया अदर उसन दखा परा कमरा धए क गबार स भरा आ था जस अभी-अभीबाबा भरव का नाम ल चलम स ही कोई स हवन कया गया हो बरची न सामन दखाएक चौक पर अपना मल रग खो चक मली सी चादर बछ ई ह एक लबा-चौड़ा औरबडौल त द का आकार लया नग-धड़ग आदमी कवल नील रग क एक लगोट पहन उस परलटा आ था उसक पीठ पर एक लघ आकार का सपाही खाक वद पहन बठा आ थाऔर एक कटोर स हाथ म तल लकर रीढ़ क हड डी पर लगातार रगड़ जा रहा था लटा

आ आदमी ह-हह क भारी घरघराती आवाज नकाल रहा था वो बा ट रख बाहरवापस मशी क पास आ गया

ldquoहा अब बताओ या आ ह बाब कौन ह ई लडीस साथ मrdquo मशी न बना बरचीक तरफ दख ही कहा

ldquoसर म हला क साथ छड़खानी और रप का यास आ ह वही कस करन आए हrdquoबरची न कहा

ldquoआय रप अ छा इसक साथ आ ह या जी कौन कर दया इधर आओ खदस बताओगी तब ना जानग जो जो आ सब बताओ उसी हसाब स न कस होगाrdquo मशीन मध क तरफ दख उस गदन हला बलात ए कहा

बस कछ ही कदम र खड़ी मध अब थोड़ी नजद क आ बरची क ठ क बगल जाखड़ी हो गई

ldquoसर बचारी या बोलगी कतना बार बोलगी अपना लटा इ जत क बार म हम सरल खत म आवदन द रह ह एफआईआर दज कर इस मामल म कारवाई करना होगा सरम हला उ पीड़न का मामला हrdquo बरची न थोड़ जोश म मखर होकर कहा

ldquoवाह र हो शयार बहा र मन हम साला त हार कहन पर रप का कस दज कर ल जोपी ड़ता ह उसका बयान हम सनग क नह ऐस तो कोई भी लखकर द दगा और कसकरवा दगा कसी पर इसक साथ कछ आ ह तो बताए न सब जगह बोली और प लसक सामन सती-सा व ी बन रही ह जहा आ काड वहा लाज नह लगा अब यहा थाना मलजान स होगा ज द बताओ कौन कया गलत काम दवर पड़ोसी या कोई घर-प रवारका आदमी ब त साला गर गया ह भाई तम लोग का गाव-दहात का समाज सालाrdquoवद धारी मशी न एक साथ म बरची और मध दोन पर भड़कत ए कहा

ldquoसर इसका नाम मधलता दवी ह यह आगनबाड़ी मhelliprdquo अभी वा य परा भी नहआ था बरची का

ldquoअर साला तम थोड़ा चप रहो न लबर-लबर काह करत हो इतना त हार साथ आह रप जसक साथ आ ह उसको काह नह बोलन दता हrdquo मशी न बीच म गरजत एटोका

अभी बरची मध क ओर दख रहा था मध न भी एक नजर बरची को दखा और फरचहर पर ढका पट टा एक झटक म हटा अब मशी क ओर दखन लगी तब स उसी पट टम सहमी- सकड़ी मध क लए अब एक-एक पल वहा पहाड़ होता जा रहा था मशी क एक-एक श द पहाड़ स गर रह प थर क चोट स लगत उसन अब मन-ही-मन खद को थोड़ाकठोर कया

ldquoसर मधलता नाम ह घर मलखानपर हम आगनबाड़ी स वका ह आज भोर काघटना ह हमको काम क बहान अपन आवास पर बलाकर बीडीओ साहब ह र काश मडलरप का को शश कए हrdquo मध न एक सास म कह दया

ldquoकौन बीडीओ साहब अर मडल बाब पगला गई हो याrdquo मशी जस आ य सउछलकर बोला

ldquoहा सर वही कए ह एफआईआर करना हrdquo मध न एक ही भाव म खड़ रहत एपनः कहा

ldquoमाथा ठ क ह ना तम दोन का मालम ह ना या बोल रह हो बीडीओ कह रपकरता ह जी त हार कहन पर एक ऑ फसर पर एफआईआर लख द सनो तम लोग

को दरोगा बाब ही समझग तम लोग का बातrdquo इतना बोल वद धारी मशी अपनी कस सउठा और सामन कछ र बठ दो सपा हय क पास गया उनस कछ बात क और वापसआ कस पर बठ गया

ldquoदरोगा साहब स ही भट करा द जए न सर ज द जरा रपोट लखवा दतrdquo बरचीन मशी क कस पर बठत ही उसस कहा

ldquoअर तम ब त क बयाट बनता ह र दरोगा त हर लए भोर स बठ जाए या ऑ फसम कह न क दरोगा साहब नहाकर आ रह ह अपना नौकर बझता ह प लक दरोगा कोrdquoवद धारी मशी बड़-बड़ बोल जा रहा था

ldquoछो ड़ए न दरोगा जी स ही सब बात बोलग अभी यहा रहन द जए बरची दाrdquoमशी का खा वहार दख मध न एकदम धीमी आवाज म बरची स कहा

ldquoजाओ हटो यहा सामन स वहा चबतरा क पास बठो दरोगा साहब आएग तो हमबला लग तमको चलो हटो हटो यहा कपार पर सrdquo मशी न लगभग डपटत ए कहा

मशी को बवजह भड़का दख दोन पीछ हट और बगल वाल चबतर क पास जाकर बठगए जहा थान म वत ता और गणत दवस क दन झडा फहराया जाता था चबतरा तीनरग स रगा आ था

ldquoहम कह रह थ क थाना प लस का कोई फायदा नह ल कन उ शखर कहा स आगया और ठल क भज दया अर वह सब शहर म पढ़न वाला लड़का ह द ली का प लसऔर मी डया दखा ह या जान गाव का हाल हम लोग साला यहा अब झल थाना म पतानह कौन नया दरोगा पारसनाथ आया ह कछ महीना पहल हीrdquo बरची न ब त दर स मनम दबी कई बात म स कछ बात झ लाकर कही मध चपचाप बठ सन रही थी अभी एकबार फर वद धारी मशी अपनी कस स उठ सामन वाल कमर क अदर गया बरची औरमध लगातार उधर ही दख रह थ तभी ठ क वद पहन दरोगा पारसनाथ मोबाइल परब तयात ए कमर स बाहर नकल पीछ-पीछ हाथ म खनी रगड़त मशी भी था दरोगापारसनाथ सीध अपन कायालय वाल क म जा बठ दरोगा क भीतर घसत ही मशी न हाथस इशारा कर बरची और मध को बलाया

ldquoसाला यही गडा अभी भीतर पीठ रगड़वा रहा था सपाही सrdquo बरची न चबतर सउठत-उठत कहा

दोन अब दरोगा जी क क म खड़ थldquoहा जी बताओ या मटर ह ज द स बताओ दो-चार लाइन मrdquo दरोगा पारसनाथ

न अपनी भारी आवाज म कहाldquoसर बीडीओ साहब न इसक साथ छड़खानी कया ह यह मधलता दवी आगनबाड़ी

स वका ह बीडीओ साब इसको अपन आवास पर बलाकर रप का यास कएrdquo बरची नअपनी ओर स ठ क ढग स ही बात रखन क को शश क

ldquoऑ फस टाइम तो दस बज क बाद होता ह ई या करन चली गई सवर-सवर याइटर ट था इसकाrdquo दरोगा पारसनाथ न गभीर म ा बनाकर सीबीआई ऑ फसर वालदा य व का अ त र भार लत ए पछा

ldquoसर वही तो इसको काम का बहाना बना बीडीओ साहब बला लए थrdquo बरची नसीधी बात बताई

ldquoतम जरा चप खड़ा रहो लड़क को बोलन दो हम दो बज रात को बलाएगआएगीrdquo दरोगा न कड़क आवाज म कहा

ldquoसाहब बलाए तो जाना पड़ा वहा जोर-जबरद ती करन लग पलग पर हमको लटातक दए हम तो ध का दकर बाहर भागrdquo कहत-कहत गल तक भर आई मध

ldquoहमको बवकफ समझी हो बीडीओ साहब को हम भी दख ह इतना हट टा-कट टाआदमी पकड़गा तो तम छड़ा पाओगी जी अब बताओ हमार जसा आदमी अभी तमकोपकड़कर पलग पर पटक द तो मजाल ह क तम ध का द भाग जाओगी प लस को काहगमराह करत हो तम लोगrdquo दरोगा पारसनाथ बोलकर एक घनाई हसी लए थोड़ा गदनऔर कधा उचकाकर हल

मशी तो दरोगा जी क इस तकश पर अभी तक ख -ख कर दात नकाल ए थाldquoसर जो सच ह वही बता रह हrdquo बरची न हाथ जोड़त ए कहाldquoचप साल त हारा नाम या ह रrdquo दरोगा न जोर स पछाldquo बरची कमारrdquo बरची न इतना ही कहा इस बारldquoसाल दलीप कमार बरची कमार दख ली जए मशीजी फ म का हीरो हrdquo दरोगा

न अजीब मह बनाकर कहाldquoहा हा हा आप सर गजब-गजब बोलत ह ल कन एकदम बजोड़ सब बातrdquo इस दो

कौड़ी क बात पर अपनी ओर स लाख क सलामी द अपनी ड यट नभात ए मशी नकहा

ldquoअ छा यह बताओ कौन हो तम लड़क काrdquo दरोगा पारसनाथ न फर जोर सपछा

ldquoसर हम इनको लकर आए हrdquo जवाब मध न दयाldquoतम अभी चप रहो एकदम हा जी बरची कमार बताओ तम कौन हो लड़क का

साल खाली गलत-सलत धधा करता हrdquo दरोगा पारसनाथ बोलत-बोलत अब मामला मोड़नको ही थ

ldquoअर सर हम इसक गाव स ह तो साथ आ गए इसम या गलत-सलत ह सरrdquoबरची थोड़ा-सा हताश हो बोला

ldquoपर गाव म तम ही मला इसको मलखानपर का मामला ह ना इतन भल-भल लोगभी ह वहा पर साला कोई नह आया मदद क लए काह आएगा गलत चीज म फॉ सकस म कौन आएगाrdquo अभी-क-अभी दरोगा पारसनाथ न अपनी ओर स कस पर बठ-बठही जाच या परी कर कस को झठा बता अपनी रपोट लगभग सना द थी

ldquoसर रप का को शश आ ह कस ल ली जएrdquo बरची न हाथ जोड़कर कहाldquoबोलगा तम यादा क रप आ ह कराए अभी इसका म डकलrdquo दरोगा पारसनाथ

जी अपनी चव ी छाप प ल सया तकशा स बार-बार बगल खड़ मशी जी का दल जीत लरह थ जस दल को एक मशी थान म दरोगा क सामन हारन क लए ही नौकरी करता था

ldquoसर म डकल या होगा जब रप आ नह को शश आ हrdquo इसका तो कस बनताह नrdquo बरची बोला

ldquoवही तो र जब रप आ ही नह तऽ कस कसा साल अभी हम तमको ही भीतरकरग तम दोन एक शरीफ और सीधा ऑ फसर को लकमल करक पसा ठना चाहता ह

ई धधा खब चल रहा ह आजकल नया प बनाए हो तम लोगrdquo दरोगा न बशम स कहाldquoसर यह गलत बात मत बो लए ठ क बात नह यrdquo बरची क मह स नकलाअगल ही पल दरोगा पारसनाथ अपनी कस पर नह थ एक जोर का थ पड़ सीध

बरची क दा हन गाल पर आ लगा थाldquoहरामजादा सा ला लड़क का दलाली करता ह और मह चलाता ह हमार आग

अभी बना द कस त हर ऊपरrdquo दरोगा पारसनाथ न ोध म गरजत ए कहाजस हलवाई मन मता बक मठाई बना दता था और क हार घड़ा वस ही दरोगा अगर

चाह ल तो कसी पर भी कोई भी कस बना सकता था थान म वह कसी को भी पकासकता था छान सकता था भज सकता था

ldquoसर ऐसा मत बो लए सर सर हम सही ह सर सरhelliprdquo मध हाथ जोड़करगड़ गड़ान लगी

बरची तो इतना कछ सनत ही सब कछ समझ चका था दरोगा न काशी साह वालीबात ही तो हरा द थी

ldquoअ याय हो रहा ह सर पी ड़ता को आप सन ही नह रह हrdquo बरची मह स फर बोलगया

ldquo या बोला पी ड़ता ब त कानन भी पढ़ा ह तम र साल दलाल धधा करत हो औरपसा लन क लए झठा कस भी करवात हो और बोलत हो पी ड़ताrdquo दरोगा पारसनाथ नशम को तलाज ल दत ए कहा

उनक पास इसक अलावा कोई वक प भी नह था ल जा को सग रख ऐस दा य वनभाए भी तो नह जा सकत थ स वधान क शपथ खाकर काम करना और कसी काखाकर काम करना दोन म अतर तो होता ही ह

ldquoएकदम फालत बात इतना गलत मत बो लए सरrdquo बरची क मह स फर नकल हीगया या करता मह म जबान थी चल जा रही थी

ldquoइस भोसड़ी वाल को इतना मारग क जबान ख च लग इसका साला ब त बोलताह फकन बाब ठ क ही बताए थ ब त हारामी ह सालाrdquo इतना बोल वही टबल क पासरखी लाठ उठा दरोगा पारसनाथ न ताबड़तोड़ बरची पर बरसाना श कया

ldquoअर बाप र बाप नह हो सरhellip नह नह हो बाबhellip बाप र अर नह hellip गलत ह यहगलत हो रहा ह सर एकदम गलत सरrdquo बरची चीख रहा था

ldquoनह सर जर नह पर पकड़त ह सर छोड़ द जए इसको सर हम लोग जात हछोड़ द जएrdquo मध बोलकर सामन खड़ पारसनाथ क पर पर गर पड़ी दरोगा न उसझकझोर कर कनार कया

ldquoहटो हटो पर स पर धरन स या होगा ई साला दा बाज हमस जबान लड़ाएगाकहता ह हम गलत कर रह ह साला प लस कभी गलत करता ह जीrdquo दरोगा पारसनाथ नसही कहा प लस सच म कभी गलत नह करती थी वो जो करती वही सही हो जाता

दरोगा पारसनाथ क वद अब कत क पसीन स भीग गई थी लाठ मारन क बाद भीपारसनाथ क सास अभी भी ोध म तज-तज चल रही थ मशी न आग बढ़ पानी कागलास दया दरोगा पारसनाथ न पानी पया और अब थोड़ा शात हो वापस कस पर बठ

ldquoत हारा तो भा य खराब ह मध नाम ह ना हा तो या पहाड़ टट गया था जो इसहरामी क च कर म अपना ठ क-ठाक जदगी खराब करन आ गयी अपना इ जत ख मकरन पर तली हो अभी मान लो क झठ चाह सच ल कन ह ला हो जाए क तम दोनमलकर धधा चलाती हो लकम लग का तो कहा स बचोगी तम मी डया म नाम फोटोचला जाएगा अखबार म जाएगा फर कहा मह दखाओगी काह पड़ी ई च कर मrdquoदरोगा पारसनाथ न अपनी सपण बशम क हवाल स कहा

ldquoनह सर हम तो ऐस बबाद हो जाएगrdquo मध न घटन पर बठ ए ही कहा बरची वहीनीच जमीन पर पड़ा कराह रहा था

ldquoअजी तम अभी प त स अलग रहती हो न हमको सब पता चल गया ह प लस सकछ छपता नह ह कतना ब ढ़या तो तमको बीडीओ साहब का सहारा मल गया था कोईजोर-जबरद ती का नौबत आना ही नह चा हए इसम या चला जाता त हारा अर जबबीडीओ का ही तम पर हाथ रहता तो फर या था प त भी छोड़ दया ह जब क जवान होअभी ऐस ही काटोगी जदगी इस हरामी क साथ बस रात न कटता होगा दन थोड़ हक नह rdquo दरोगा पारसनाथ न नीचता का उ चतम तमान गढ़त ए कहा दरोगापारसनाथ क जबान स टपक गदगी का तजाब बहता आ सीध कलज म जा गरा थाजलकर खाक हो चक थी मध ला ठय को झल जमीन पर पड़ बरची पर भी जस कड़कक बजली गरी उसन दात को पीसत ए दोन हाथ स कान दबा लए थ अपन दरोगापारसनाथ न जो कहा था एक आदमी इसस बरा और कह नह सकता था और एक औरतअपन लए इसस बरा और सन नह सकती थी पर यग क वडबना थी आज दोन एकसाथ ही घ टत हो गया था मध जमीन स लड़खड़ाती ई उठ जस कोई परकट च ड़यानद म डबत ए कनार पर पज मारती ऊपर आन का यास करती ह मध स अब खड़ानह आ जा रहा था एक प ष एक ी को लाछन क तीर स बध क जतना छलनी करसकता था मध उतना हो चक थी

ldquoआप कतना घ टया आदमी ह दरोगा जीrdquo तब स दद म नीच जमीन पर पड़ बरचीक मह स आ खर नकल ही गया अब तो दरोगा पारसनाथ जस कसी कहर क तरह टटपड़ा बरची पर उसन लाठ उठाई और सीध बरची क मह म ठस दया लात स उसकछाती पर मारन लगा दरोगा को ड यट पर दख मशी भी फज नभात ए साथ दन लगाउसन बरची पर सामन स छाती और चहर पर तीन-चार लात बरसाए बरची क आख कनीच क नस नीली हो जस फटन को हो गई थी मह स कछ बोल नह पा रहा था गल सबस ग -ग क फसी ई आवाज आ रही थी पीड़ा स कराहती आख जस उछलकर बाहरआ जान को थ मध यह सब दख जोर-जोर स दहाड़ मारकर रोन लगी एक अजीब-सीच कार तभी कछ सपाही और भी आ गए बरची अब बीच म पड़ा था और चार तरफ स

प लस वाल बना कछ दख लात-घस बरसाए जा रह थ मध च लात ए वहा स दौड़ थानक बाहर नकल आई अभी दौड़त ए सड़क पर आई ही थी क सामन क चाय कान परही गणशी का बटा रो हत अपन दो त क साथ खड़ा दख गया मध को दखत ही रो हतसड़क पार कर मध क पास आया

ldquoअर मध द द आप यहा थाना म या आrdquo रो हत न पछा मध बदहवास हो चकथी उसन झर-झर-झर बहती आख स रो हत को कसी तरह ज द -ज द म सारी बातबताई अदर स लगातार बरची क चीखन क आवाज बाहर सड़क तक आ रही थी मध नरो हत स वनती क क वह ज द जाकर प ब र और शखर को बला ल रो हत न मध कोल जाकर चाय कान पर बठाया और अपन दो त स थोड़ी दर बाद मलन को बोल कसीनपण धनधारी क धनष स छट तीर क तरह बाइक स नकला कछ ही दन म रो हतबाइक चलाना सीख गया था आज उस पहली बार महसस आ था क उसका बाइक सीखहोना कसी ज री काम म आ गया उसन अपन दा य वबोध क सपण एहसास कोए सलटर वाली दा हनी हडल पर डाल दया था जसस बाइक क र तार कसी यान कसमातर ती गामी हो गई थी बस कछ ही मनट म रो हत प ब र दास क घर पर थाझटपट उसन उस साथ लया और सीध दोन शखर क पास प च यह भी शायद एक सयोगही था क आज पहली बार प ब र दास शखर क घर गया था और शखर क पता कामताबाब कसी काम स घर स बाहर थ शखर बाहर वाल बरामद पर ही कस लगाकर बठा आथा वह रो हत न ज द -ज द मध क ारा कही सारी बात बताई रो हत वस शखर सकछ यादा प र चत था नह बस हाई कल म कामता बाब स पढ़ चका था और शखर कोदखा था ही बचपन स सारी बात सनन क बाद शखर बहद तनाव म आ चका था वह थोड़ाअकबकात ए घर क अदर गया और चाज म लगा मोबाइल लकर बाहर आया प ब रऔर रो हत को वह खड़ा छोड़ वह मोबाइल ल थोड़ा कनार हटा और कह कछ बात करनलगा पाच मनट क बाद उसन फर सरी बार कह और फोन लगाकर बात क प ब रऔर रो हत बस उस दख रह थ रो हत ज द चलन को कह रहा था प ब र स य क वोमध का हाल आख स दखकर आया था

ldquoच लए चलत ह थाना अबrdquo शखर न फोन अपनी जब म डालत ए कहा शखर नअपनी बाइक नकाली और दरवाज पर स ही अपनी मा को आवाज द बाहर का गट लगालन को कहा अब तीन तज ग त स थान क ओर नकल इधर तब स मध चाय कान परअपना चहरा ढक बठ ई थी बीच म एक बार चाय वाल न चाय भी पछा था पर उसन मनाकर दया था उस चाय वाल क लए तो यह य रोज का था थान क सामन क चायकान थी वहा रोज न जान कतन हसत-रोत लोग थान स आकर अपनी बात कया करत

चाय वाल न इतनी दर म चाय क अलावा कछ पछा भी नह था शायद उसका वष वहाचाय भजन का अनभव सब समझता था क एक थान आई ी स उसका हाल या पछनाउसक साथ या आ य पछना

तब स एकटक राह ताक रही मध को जस व लोग वापस आत दखाई दए वह बच स

उठ दौड़कर सड़क कनार आग आ खड़ी हो गई रो हत और शखर न जोरदार क क साथअपनी-अपनी बाइक रोक मध तो जस शखर को दखत ही बलख कर रो पड़ी

ldquoसब करम परा हो गया थाना म शखर जी आप जाइए बस बरची दा को बचाली जए ब त मारा ह ब त मारा हrdquo मध न बलखत ए कहा

ldquoघबराइए नह हम दखत ह न अभी छड़ाकर आत ह कस भी फाइल होगाrdquo शखरन पता नह कस भरोस पर भरोसा दकर कहा

शखर अब वह बाइक खड़ी कर सबक साथ थान क अदर प चा रो हत भी उन लोगक सग अदर आ गया था सामन ही बठ मशी क नजर उन पर गई

ldquoयहा प लस टशन क इचाज कौन ह जरा बात करना ह उनसrdquo शखर न मशी कोदखत ही कहा

ldquo या बात करना ह आप एसपी साहब ह या जला क इतना बात हो गया अभीपट नह भरा हrdquo मशी न मध क साथ आन पर शखर स कहा इसक पहल क मशी कछऔर कहता मध न शखर को दरोगा का क दखाया वह सामन हाजत म बरची जमीनपर बसध पड़ा था जस ही प ब र क नजर उस पर पड़ी वह दौड़ क हाजत क पास गयाऔर बरची को पीछ स आवाज द अदर बरची घटन को मोड़ पीठ आग कर गदन गाथलटा आ था आवाज सन दद स कराहत ए बस थोड़ा-सा पलटकर एक बार भरी आखस प ब र को दखा पर मह स कछ नह बोला प ब र क भी आख भर आई थ शखर नभी बस एक नगाह अदर पड़ बरची पर डाली और तमतमात अदाज म दात कटकटात एदरोगा क क म घसा अदर पारसनाथ वद क ऊपरी तीन बटन खोल मज पर लात धरसगरट पी रह थ

ldquoनम कार मरा नाम शखर कमार हrdquo शखर न घसत ही कहाldquoहा बोलो तबrdquo दरोगा पारसनाथ न उसी अव था म मह स धआ फकत ए कहाldquoयह या तरीका ह प लस का बना कसी चाज क कसी को मारपीट कर आप

हाजत म डाल दए ह यह तो लटरली मन राइट का हनन ह फडामटल राइट स कोछ नना ह यहrdquo शखर न कानन को कानन ही समझन क भोल जोश म कहा

ldquoअर वाह आप कौन ह भाई जय काश नारायण हो क जवाहरलाल नह अभीतमको भी ठल द हाजत म बहस करोग हमस ई पहला बार मार क भीतर कए ह याकसी को जो तम हमको मन का राइट और फडामटल सखा रहा ह दश म और मननह ह या यही एक बचा ह गलत करगा तो प लस मारगी नह या अपराधी कोrdquoदरोगा पारसनाथ न मज स लात नीच कर लगभग उछलत ए कहा

ldquoद खए सर मझ बहस नह करना ह वह करन नह आए ह एक लड़क क साथगलत आ ह आपको कस दज करना था तो आप उ ट हम ही तग कर रह हrdquo शखर नफर काननी बात कर द थी

ldquoलड़क नह च र हीन लड़क बात को सही-सही बोलना सीखो और अदर हाजत

म अपराधी ह जो धधा करवाता ह समझ तम य था फडामटली राइट काम ऐसा आदमीको हाजत म नह तो या कपार पर रखग चढ़ाकर चलो नकल बाहर बाहर नकलो सालयहा घस जात ह बकती करनrdquo दरोगा पारसनाथ न कस स उठ शखर को लगभगध कयात ए कहा शखर तो ह का-ब का रहा गया था तरत उसक माथ स पसीना चलनलगा उस अपन साथ इस तरह क वहार क होन क क पना ही नह थी वह थोड़ानवस हो गया था अचानक स दरोगा ारा इस तरह ध का द बाहर करन स सामन बाहरमध खड़ी थी शखर उसस नजर भी नह मला पा रहा था आ खर सारा कया-कराया उसीका तो था शखर न ही तो थान भजा था तभी प ब र एक सपाही क साथ उधर आयाउसन शखर क कध पर हाथ रखा और उस एक धधला-सा दलासा द उस सपाही क साथदरोगा क क म गया

ldquoसर य प ब र दास ह सर गरीब आदमी ह वह लड़का जो भीतर ह इसका भाई हयह प ब र सर बता रहा ह क जा त का शड यल का ट म ह अब हम लोग सब ए क हसर तो यह बोला क साहब थोड़ा कपा कर दत तो तनी अपन जात- बरादरी का ह प होजाता सरrdquo सपाही न बड़ी वन ता और भावकता स वजातीय दरोगा पारसनाथ कसामन जातीय हत क बात रखी दरोगा पारसनाथ परी बात शात हो यान स सनत रह

ldquoअभी कतना दन स प लस म हो छन दास कब बन सपाहीrdquo दरोगा पारसनाथ नबड़ी शा त स पछा

ldquoयही अबक भादो बरस आ ह सरrdquo सपाही न बड़ सरल भाव स कहाldquoहा बस यही बात ह अभी प लस गरी सीख नह हो तम स वधान पढ़ हो कभी

जात-पात करत हो प लस हो क अर छन दास प लस का लाठ कह जात दखता ह जीजसका तल पीता ह उसक लए चलता ह और अभी ई भरपट गद नया तक टक फल हइसको कहो बाद म क बो आए और औकात हो तो सबस यादा तल पला क दखा द यहीलाठ फकन सह क पछवाड़ा म नह क च दए तो पारसनाथ भ पासबान नाम नह मरायहा ईमानदारी का काम चलता ह जात-पात साला प डत-ठाकर क काम ह वही लोगकरता ह अब जाओ इसको लकर आग स ई गलती मत क रएगा छन दास जीrdquo दरोगापारसनाथ म जा त उ मलन का प ल सया डडा हलात ए कहा बोलत-बोलत आवाजऊची होती गई थी पारसनाथ क

ldquoजी हा सर ल कन हम लोग गरीब ह सर उतना तो कभी नह द सकग कछ कपाकर द जए सरrdquo अबक प ब र बोला

प ब र अभी जतनी बबसी चहर पर लए जस असहाय अव था म दरोगा क तसमपण का भाव लए वहा खड़ा था इतन म तो कलयग म हनमान जी कट हो जात थ परदरोगा पारसनाथ न प ब र क बात पर कोई यान ही नह दया एक भी नजर उसकतरफ दखा तक नह

ldquoछन दास जी आप जाइए इसको बाहर लकर ठ क न और ऊ ल डा इसका कोईभाई-फाई नह ह ऊ श हरामी ह नता बनता ह उसको पोल ट स करना ह धान क

घर क पछवाड़ मत क करा त करता ह ई दोगला सब पता ह हमको च लए जाइए अबठ क ह आग स कभी यह जात-पात घसखोरी को बढ़ावा दन वाला काम लकर हमार पासएकदम मत आना अपन सौ-पचास पकड़त हो तो दरोगा को भी सपाही बना दए हो याअपना खाओ-कमाओ ल कन आग स इस वहार म कछ सधार करो सीध पाट को लकरआना चा हए या आपकोrdquo दरोगा पारसनाथ न सपाही छन दास को वभागीय न तकश ा दत ए एक दरोगा और सपाही क अलग-अलग टडड पर भी काश डालत एकहा

छन सपाही न तो इतना सना ही था क lsquoअब ऐसा नह होगा सरrsquo बोल अपना दायापर जमीन पर पटका और कमाडो टाइल म जय हद बोल तजी स व ीय घमाव स पीछ मड़क स बाहर आ गया ldquoए भाई हम या कर त हार सामन ही तो बोल साला इतना दखोभाई ई दरोगा साहब ह वसल वाला आदमी कम वसलब नह करत ह सौ-पचास लकरघनान का काम ही नह करत ह और सब ऐरा-गरा स पसा पकड़त भी नह ह पानी वालाआदमी ह ई भाईrdquo सपाही छन दास न अपन उ च मानकधारी दरोगा क शान म तारीफ कवभागीय सरकारी पल बाधत ए कहा

ldquoई एससी नह ह याrdquo प ब र न पर सदह स पछाldquoपागल हो या पासबान लखत ह ओबीसी या बाभन लखता ह का पासबानrdquo

सपाही न प ब र का सदह र करत ए कहाldquoसर कोई उपाय क रए न थाना म या सभव नह ह लोग ह या करक छट जाता ह

यहा तो हम लोग का कछ गलती भी नह ह उ टा हम लोग तो कस करन आए हrdquo प ब रन सर पकड़त ए कहा

ldquoहा वही तो हम भी कह रह ह क अगर ह या का मामला होता तब तक कोई द कतही नह था जी 20 हजार दक एफआईआर एतना इतना कमजोर करवा दत क कोट मखड़-खड़ बल मल जाता अब साला कोई मटर हो तब तऽ दरोगा जी भी पसा पकड़ आपलोग कछ कए ही नह ह आप लोग को तो पर-हाथ पकड़कर ही काम कराना होगा औरजो आपका वरोधी पाट कछ कया ह तो वह पसा पकड़ा दया होगा तो उसका काम होरहा हrdquo छन दास न प ल सया कायशली क एक अनोख फॉमल का बखान करत ए कहा

ldquoसर आपको पसा भी दए हम कछ तो उपाय क रए हम लोग कस नह करग बसबरची भाई को छड़वा द जएrdquo प ब र न नय त चड़ चड़पन क साथ कहा

ldquoअर तम तो गजब चढ़ रह हो भाई पसा द दए हो तो इसका या मतलब एकवद धारी का ईमान खरीद लोग इतना स ता नह ह प लस का वद सनो पसा लए तोसामन ही त हार लए दरोगा जी को बोल भी हम अपना काम का दाम लए एक पसानाजायज लए या घसखोरी नह चलता ह इस थान म दन वाला का ा होता ह भाईयह लो सौ पए वापस तम अपन जात का हो इस लए आधा पसा लौटा रह ह आग स मतआनाrdquo सपाही छन दास न उदारता क नई मसाल कायम करत ए जा तगत सल म 50

तशत क बपर छट दत ए कहा प ब र न हाथ बढ़ाकर सौ पए ल लया और ब त

ख होकर वापस हाजत म बद बरची क ओर जान लगा इसी बीच शखर अपना मोबाइललकर दो-तीन दफ वह टहलकर कह बात कर चका था एक कोन म रो हत भी मध कसाथ बस खड़ा था

ldquoठह रए हम पाच मनट म आत हrdquo यही बोलत ए शखर बरामद स पनः दरोगा कक क ओर गया और इस बार बना कसी स पछ सीध अदर घसा

ldquo या र फर आ गया दखगा तम अभीrdquo दरोगा पारसनाथ न उस दखत ही डाटतए कहा

ldquoआपको एसपी साहब का फोन आया होगाrdquo अभी शखर न पर आ म व ास कसाथ कहा

ldquoआय या पगला गया तम या दमाग करक हो गया का रrdquo दरोगा पारसनाथ नशखर क बात पर हसत ए कहा

ldquoह सए मत कए हम फोन लगात ह बात क रए आपrdquo शखर न अपना मोबाइलजब स नकालत ए कहा

ldquoऐ सनो कौन एसपी कौन हो भाई तम कहा क एसपी को लगा रह ह भाई आपrdquoदरोगा पारसनाथ इस बार थोड़ा अचकचाकर नरमी स बोल थ तब तक तो शखर फोनडायल कर उस पीकर म लगा चका था

ldquoहलो हा नम त भया जी म थाना इचाज को द रहा फोनrdquo शखर न कहाldquoहा उस फोन दोrdquo उधर स आवाज आईशखर न तरत पीकर ऑफ कर दरोगा क तरफ फोन बढ़ा दया इतना सनना था क

दरोगा पारसनाथ न लपककर फोन अपन हाथ म ल लया और दा हन गाल म सटाकरलगातार यही बोलता रहा

ldquoजय हद सर जी हा हा जी सर जी एकदम जी हा करता हा जाच क साथएकदम सर सर जय हदrdquo दरोगा पारसनाथ क तरफ स इतन ही श द नकल थ उधर सकही जा रही बात क जवाब म करीब दो मनट क बात क बाद दरोगा पारसनाथ न फोनकाट शखर को दया

ldquoई ली जए फोन बठ जाइए खड़ा काह हrdquo दरोगा पारसनाथ न शखर को सामन ककस पर बठन का इशारा करत ए कहा अभी क अभी दरोगा पारसनाथ क वहार म

ण भर म यगातकारी प रवतन आ गया था बफ डली दा क पग जस कसर मलाई यमीठ गनगनी ध क गलास म बदल गई थी असल म शखर जहा द ली म पढ़ता था वहाउसका म पाटनर अ ण कशवाहा था जसक भया म य दश म आईपीएस थ तब सशखर उ ह स सपक कर रहा था व अ सर अपन भाई क कमर भी आत थ द ली या ा कदौरान इसी कारण उस भी भाई समान ही नह दत थ दरोगा पारसनाथ को जब फोन परमालम आ क उधर स आईपीस बीएन कशवाहा बोल रह ह तो उसका सर अब बदल चकाथा

ldquoहा शखर जी साहब बोल क आप उनक भाई ह द खए आप लोग जसा इ जतदारआदमी इतना घ टया काम म इतना बड़ा अफसर स फोन कराता ह तो इसम आपका हीइ जत खराब होता ह सो चए एक अपराधी क लए साहब को फोन करना पड़ाrdquo दरोगापारसनाथ न मझ ए थाना य क प म ब त ही क टल अदाज म कहा

ldquoअब आप अपना काम क रए और बरची को छो ड़ए पहल और कस ली जए उसबीडीओ क खलाफrdquo शखर न दो टक कहा

ldquoकोई नयम-कानन भी तो ह भाई साब कानन स ऊपर तऽ रा प त भी नह हली जए न भाई हम बरची को छोड़ दत ह ल कन कस तो परा मामला स यता का जाचकरक ही करग ना एसपी साहब का कॉल आया ह तो उनका भी तो त ा का सवाल हकल अगर गलत कस हो गया तो बात मी डया म भी चला जाएगा न इसस तो इ जत आपही लोग का न खराब होगा हमको या ह हम तो बोल दग क फलाना एसपी साहब काआदश था शखर जी परबी अ छ काम क लए करवाना चा हए पढ़ा- लखा आदमी हआप आप तो सम झए चाय पी जएगाrdquo इतना बोलत-बोलत दरोगा पारसनाथ अपन कस नकल कमर क तरफ जान लग

ldquoऐ छन जरा सबको चाय पलावाओ जी और ऐ मशी जी उसको जरा हाजत सनका लए तो उसको भी द जए चाय पीनrdquo चलत-चलत दरोगा न कहा साथ म शखर भीबाहर आ गया था प ब र क चहर पर अब एक ह क -सी हसी तरी जस एक कड़ाही रतपर एक च मच पानी गरा हो

ldquoटशन नह ली जए सब ठ क हो गया ह बरची को छोड़ दया ह अब बस FIR दजकराना ह फर चलत ह यहा सrdquo शखर न यक न स कहा मध और रो हत भी अबनजद क आ गए थ मध का चहरा अभी भी सखा आ था पर अब वह थोड़ी शात दख रहीथी तभी थान प रसर म एक बाइक अदर आई यह प कार आनद सह था प ब र नदखत ही उस णाम कया तभी बरची भी लगड़ाता आ उधर नकल कर आया

ldquo या आ जी या- या कर दए या मामला ह जल जान का नौबत आ गयाया करत रहत हो तम यारrdquo आनद सह न बरची को दखत ही कहा और सामन वाल

कमर म चला गया यही कोई दस मनट क बाद प कार और थानदार दोन साथ-साथ बाहरआए

ldquoबताइए सर या मामला ह खबर भजना होगा न मी डया म लोग बाहर बातचीतकर रहा ह क बीडीओ साब को रप म फसा क पसा का माग हो रहा ह स चाई या हrdquoआनद सह न अपन प कार होन का प रचय दत ए कहा

यह सनत बरची तो जस लगड़ात टाग पर लहराकर खड़ा हो गया ऐस क जस कोईकटा आ पड़ फर स उठ खड़ा हो गया हो

ldquo या उ टा-प टा खबर बना रह ह आनद जी अर मध क साथ छड़खानी आ हहम लोग कस करन आए ह यह बनाइए न खबर हमको पीटा ह थाना म यह खबर बनाइए

नrdquo बरची न ोध म कहाldquoअर भाई मर तमको पीटा अब यह भी खबर ह अखबार क लायक कहा नह

पटात हो तम बताइए अब यह सब भी लख अखबार म अखबार का तर इतना नह गराह भाई अभीrdquo आनद कमार न अखबार का असली तर दखात ए कहा

ldquoच लए तो कस का तो ल खएगा नrdquo बरची न दात पीसकर कहाldquoहा हा वो तो लखग ही सबका टटमट लग झठ-सच कस थोड़ लख दग शात

रहो थोड़ाrdquo प कार आनद सह न अपनी जब स च मा नकालत ए कहा यह सब अभीचल ही रहा था क तजी क साथ एक और बाइक थाना प रसर क अदर घसी यह काशीसाह था जो सग म मध क मा को लत आया था यह अ या शत आगमन दख मध बरचीस हत सभी लोग च क पड़ मध का तो कलजा ध क कर गया था मध क मा दौड़त एपहल मध क पास गई और उसका हाथ पकड़ लगभग लपट गई दोन क नयन भ ग ए थअभी

ldquoहा तो मध आप ह आपका एक फोटो ख चना होगा और आपका बयान ल रह हक हए या- या आ था ऐसा नह क सफ बीडीओ का बयान लग दरोगा जी का भीलग द खए मरा प का रता म प पात नह होता हrdquo आनद सह न अपनी श एवअसली प का रता का बना ट वी चार करत ए कहा उसन ठ क ही कहा था प का रतातो अब प पात क दौर स आग जा गभपात और ब पात क दौर म वश कर चक थीकौन-सा सच कब गरा दया जाए और कौन-सा झठ कसक सर गरा दया जाए कोईभरोसा नह था इस दौर क प का रता का

ldquoजो भी आपक साथ आ ह उसको बना लजाए क लयर बो लए अखबार मजाएगा कछ भी नह छपाइए सब खोल क बताइएrdquo आनद सह न मध क तरफ दखत

ए कहाldquoअर छो ड़ए हम लोग को अपन घर क बट -ब का इ जत सबस यारा ह कल

अखबार म फोटो जाएगा नाम जाएगा फर कहा क रह जाएगी बचारी बट हमारीबीडीओ का या आज ह कल ासफर होकर चला जाएगा समाज म तो जीवन भर काबदनामी हमारी लड़क का होगा कोई खबर नह द जए मी डया म हम हाथ जोड़त हआनद बाब द खए यह आपक भी इलाक क ब ची ह थोड़ा हसाब स काम क रएrdquoकाशी साह अचानक स बोलत-बोलत कद गया था बीच म

ldquoहा खबर तो छाप दग जो भी सच ह पर बदनामी तो हो ही जाएगा बो लए तो छोड़द ल कन कस होगा तो छापना ही पड़गा हम इतना गलत नह कर सकत ह फर तोपी ड़ता क लए लखना ही होगाrdquo आनद सह न एक स च प कार क भाषा कही

ldquoनह नह पर पकड़त ह आप सब लोग का ऐ बरची बटा शखर बाब हमको छोड़द जए हमको नह करना ह कस हम गरीब अकली बढ़ मा-बट का इ जत सभालग ककस सभालगrdquo मध क मा न रोत ए कहा

ldquoअर नह माताजी कस होन द जए सजा मलगा उस बीडीओ कोrdquo शखर न पासआकर कहा

ldquoनह नह शखर जी अब जान द जए दख लए ना क सजा कसको मल रहा हदह पर जो अ याचार होता ह नारी क वह घाव तो भर जाता ह कछ दन म ल कन मन काघाव नह भरता ह जदगी भर हमार छाती पर जो खर च मारा ह ऊ तऽ मट जाएगा ल कनजो कलक का दाग लगा ह ना हमार च र पर वह कभी मटगा या कल लोग सब कछभल जाएगा याद बस यही रह जाएगा क लड़क च र हीन ह और वस भी दन भर मपता नह कतना बार मरा रप आ ह आप लोग को नह दखाया होगा शायद एक ी सप छए ना शखर बाबrdquo मध अपनी मा को सीन स लगाए शखर क तरफ दखकर बोल रहीथी

मध सही ही कह रही थी एक ी क दह क साथ बला कार एक बार होता ह मगरउसक चतना म वो बला कार बार-बार होता ह यह एक ऐसा मामला ह जसम आप दोषीको तो सजा द सकत ह ल कन पी ड़ता को याय नह द सकत आ मा क छलनी हो जानको कोई सा वना र फ नह कर सकता मध का इस तरह स अचानक कस करन स इनकारकरता दख शखर नराश हो गया वह झ लाकर आख बद कर पाव पटकन लगा बरची नअभी एकदम खामोशी क साथ एक भारी नजर स गजरत ए एक बार काशी साह क ओरदखा और फर प कार आनद सह क ओर

ldquo फर तब ज द बोलो अब कस करोगी या समझौता कर लोगी अ छा रहगा मामलाभी ख म और इ जत-पानी भी बचा रहगा नह तो हमारा तो काम ह भाई सच को सचलखना दोन प का जो सच ह लख दग बाक त हारा जो डसीजन ह ज द बोलोrdquoआनद सह न मध क हौसल पर आखरी वार करत ए कहा

ldquoनह करना ह भाई बीडीओ साहब स गलती हो गया था वह माफ माग लए हमध क मा को माता जी बोल कर स मान दया ह वो आदमी मध को भी तो आगनबाड़ी मकाम करना ह यही बचारी का रोजी-रोट ह सबको मलकर रहना ह नह पड़ना हअदालत क च कर म कसी भी पोल ट स म नह पड़ना ह सर क बहकाव म नहआना ह लाइए कागज मध बट कागज पर लखकर दगी क कछ नह आ था जससक कल कोई फसा न सक कसी उ टा-सीधा पच मrdquo मध क बोलन स पहल ही काशीसाह न आ खरी बात बोलकर फसला कर दया था बरची स हत प ब र शखर सबकाखन खौलन लगा था तभी बरची खद को नय त करत ए बोला

ldquoठ क ह जसा मध का मज कस मत करो लो मध लखकर द दो जो भी लखवातह साह जीrdquo बरची न दात कट कटाकर कहा

असल म बरची क मध को साथ ल थाना नकलन क बाद ही सारा जाल बछ चकाथा काशी साह न जस ही जाकर फकन सह को बरची क थाना जान क बात बताई तभीही फकन सह न दरोगा पारसनाथ को फोन कर दया था बीडीओ को तरत फोन कर गावभी बला लया था ल कन इसी बीच जब दरोगा पारसनाथ न शखर क आईपीएस स फोन

करवान क बात बताई और अपन लए थोड़ा द कत बताया तो फकन सह न तरतप कार आनद सह को थाना भज इ जत जान का अखबारी दबाव बनाया इस तरह सफकन सह न एक सम पत समाजसवी क तरह अदालत क मामल को घर म ही सलटाकरप लस और अदालत दोन का समय और उसक साख बचा ली थी दरोगा पारसनाथ नज द -ज द एक साद कागज पर मध स द तखत लए और सबक सामन उसी मशी न तरतपरी घटना को एक गलतफहमी का अजाम बतात ए एक सलहनामा लखकर रख लयाअसल म दरोगा पारसनाथ न ऐसा इस लए भी कया क बाद म एसपी साहब का फोन आभी जाए तो खद आरोप लगान वाली का ही समझौता प दखा सक करीब दस मनट कऔपचा रकता क बाद सब थान स नकलन को ए काशी तो झट स मध और उसक माको बठा बाइक टाट कर बना कसी को टोक नकल गया पीछ बठ मध बस शखरबरची और प ब र को दख जा रही थी बरची को प ब र न सहारा द शखर क बाइक परबठाया रो हत भी अपनी बाइक टाट कर बाहर नकल आया ऐसा लग रहा था जसकसी खात सनमा का कोई शो टटा हो जहा सनमा दखन वाल ही सनमा क पा थबरची क लए तो आज का दन एक सद क तरह लबा और भारी बीता था उधर दरोगापारसनाथ न सपाही छन दास स प कार आनद सह क लए कछ ठडा-गरम लान कोकहा दरोगा और प कार कसी ज री बात पर ठहाका मार हस रह थ हसी बाहर तकसनाई द रही थी थानदार प कार बला कार तीन क व नया मलकर एकाकार हो गईथी एक ही यय स बन यह तीन श द अभी कतन जड़ स लगन लग थ एक- सर स

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काशी साह मध और उसक मा को ठ क उसक घर क सामन छोड़ चला गया जात-जातआग अब सब कछ भल जान क नसीहत भी दता गया उसक जात ही मा-बट दोनदरवाजा खोल अदर ग मध न तरत पलटकर वापस अदर स दरवाजा लगाया और मा कोलकर सामन बछ खाट पर बठ गई

ldquoयह बताओ पहल क या आ हमार जान क बाद कौन आया था घर परrdquo ब तदर स यह सब जानन को बचन मध न मा क बाह पकड़कर पछा

ldquo कवाड़ लगा ह ना ठ क सrdquo मा न कछ बतान स पहल दरवाजा फर स दखन कोकहा

ldquoहा दख नह लगाए न बोलो न या आ थाrdquo मध न अधीर होकर पछाldquoतम लोग क जान क थोड़ दर बाद आर पर गाड़ी आकर खड़ा आ कवाड़ी खोल

तो दख फकन सह का गाड़ी था बीडीओ साब भी था साथ म ई काशी जगद श यादवबदरी म सर और दो लोग और थ सब कोई घर म घस गया हमारा तो परान सख गया थाबट घर म आत सीध हमार हाथ पर 10 हजार का गड डी धरकर फकन सह बोला कपसा र खए और मामला तरत ख म होना चा हए जब रप होव नह कया ह तो काह बढ़ारह ह बात को बीडीओ साहब हाथ जोड़ रह ह इसका मान रख ली जए नह तो कलसमाज म जो-जो ह ला होगा वह बदा त नह कर पाइएगा मध का आगनबाड़ी वालानौकरी भी जाएगा वह तो अलगrdquo कहत-कहत एक बार फर बट स लपट गई मा

ldquoऔर बदरी म सर का कह रह थrdquo मध न बना हल बस मा को एकटक दखत एपछा

ldquoऊ यही क इ जत को झापो मध का ससराल वाला जान जाएगा तो जदगी भरक लए छोड़ दगा उसका मरद कोनो राजनी त म ना पड़ो सीध पसा लकर शा त समरजाद बचाओ घर-प रवार काrdquo मा याद कर-करक सारी बात सना रही थी

ldquoकोई धमकाया भी या तमकोrdquo मध न मा क आख क कोर स टपक रह आस कबद को उग लय स प छत ए पछा

ldquoलो अर तऽ ई सब का था काशी साह तऽ सीध बोला क गाव म थाना-प लस भीहर बात म फकन बाब स सलाह लकर तब काम करता ह जान लो फकन बाब का फसलाहो गया तो फर आग कह सनवाई नह होता ह फसला मान लो नह तो बझत रहनाफरrdquo मध क मा न वो सब याद कर हहरत ए कहा मध क मा क दोन हाथ मध कहथ लय म थ फलहाल मध उस जोर स पकड़ ए थी खाट पर अभी बठ दोन मा-बट

जस नयादारी क काला सागर क बीच कसी डबत टाप पर बठ हो एक- सर का हाथपकड़ एक- सर को डबन स बचात ए

ldquoपसा कहा हrdquo कछ मनट चप रहन क बाद मध न चहर पर बना कोई भाव लाएपछा

ldquoवही भीतर वाला कोठरी म ताखा पर धर गए थ वह पड़ल ह क छए ऊ पसाछ rdquo मध क मा न उचट मन स कहा

ldquoउसको ब ढ़या स रखना ब सा म हमार इ जत का दाम मला ह 10 हजार हक मत हमार इ जत का जसका जतन का भी इ जत हो बचा क तऽ रखना ही चा हएन कल बक म रख दग इ जत साथ लकर चल म खतर ही था मा कोई भी लट लतारा ता मrdquo बोलत-बोलत मध खाट पर स उठ

ldquoकहा जा रही हो अभीrdquo मा न मध को आगन स पार दरवाज क तरफ जाता दखपछा

ldquoआत ह जरा बरची दा को दखकर ब त मारा ह प लस थाना म ब त चोट लगा हबचारा कोrdquo बोलकर मध न दरवाजा खोला ही था तभी मा दौड़कर दरवाज क सामन खड़ीहो गई

ldquoमाथा खराब ह का बट पर पकड़त ह उसक यहा तो अभी मत ही जाओ कहकोई दख लगा तो फर ब त तरह का बात फल जाएगा परा गाव बरची पर लगा ह फकनसह क नजर म चढ़ल ह ऊrdquo मा न मध का दा हना हाथ ख चत ए कहा

ldquoहा तो हमार-त हार ही चलत ही न चढ़ा नजर म थाना हमार लए गया मार खायाऔर हम एक बार दख कर भी ना आए हमको जान दो अब जो भी होगा दख लग अबजो आ ह इसस यादा होगा भी याrdquo मध न मा स ह क स हाथ छड़ात ए कहा और माको समझा-बझा घर स नकल आई

कभी-कभी वक पहीनता ही आदमी को साहसी बना दती ह मध क पास अब खोनको था ही या सो डरन का वक प ही समा त हो चका था मध तज-तज कदम सबरची क घर क तरफ बढ़ जा रही थी अब उस अपन उठ कदम पर कोई झझक नह कोई डर नह था रा त म उस पर बजनाथ मडल क नजर पड़ गई जो सयोग स उधर स हीसामन स आ रहा था मध उसस नजर मल जान पर र ी भर भी असहज नह ई कछऔर कदम चलकर अब वह बरची क घर प च चक थी घर म घसत ही दखा सामन एकख टया पर बरची लाल रग क हाफ पट और काली गजी पहन लटा आ ह उसक मा पावम तल मा लश कर रही थी मध को दखत बरची न ख टया स उठना चाहा पर पीठ कख टया स ऊपर उठत ही मह स एक आह नकली और कराह कर वो पनः वापस लट गया

ldquoलट र हए बरची दा ब त दद कर रहा नrdquo मध न उस दखत ही एकदम स उसउठन स कन का इशारा करत ए कहा

ldquoआओ आओ मध अर दद का या ह जदगी भर रहना ह कहो या- या धमका

कर गया था फकन सह घर परrdquo बरची न उसस सामन बठत ही पहला सवाल यही पछाइसस पहल क मध कछ कहती बरची क मा न मध क मा का भी हाल पछ लया उससमध न सारी बात बताई जो-जो आ था बरची ख टया पर लटा सनता रहा अब हाथपकड़कर मा न उस ख टया पर सीधा कर बठाया रीढ़ क हड डी पर थोड़ी चोट थी पीठपर काल च वाल नशान उभर आए थ मा लगातार तल म लहसन पकाकर धीमी हाथ सउस पर मा लश कर रही थी बीच-बीच म मा क आख स ढरक क कोई गम बद बरची कपीठ पर गरती ख और दद स कलप रहा मा का मन जब गम कतरा बन बदन पर गरतातो सीन पर जस फफोल पड़ जा रह थ बरची क वह बठ मध बीच-बीच म उसक मा कोदलासा दती

ldquoयही प लस का मार पड़कर इसका एक बार जदगी बबाद आ बट इतना मारा कहाथ खराब कर दया पढ़ाई- लखाई छट गया इसका ई दखो न फर इतना मार दया ह ईअभागा को अबक कछ हो गया इसको तो हम तो मर जाएग बट rdquo बरची क मा नकपकपात ह ठ स न जान कतनी बबसी स कहा

यह बात बट को न जान कतना पता थी पर यह र ता ही कछ ऐसा था क अ सरजब बट-ब टय को कछ होता तो मर मा जाती थी बरची खाट पर लट दद म भी लगातारम करात ए ही मा क ओर दख रहा था उसक इसी म कराहट न ही तो शायद इस हाल मभी उसक बढ़ मा को जलाए रखा था वरना शरीर तो वस दस बीमा रय का डरा बन गयाथा एक तो दवा-दा क ज रत ही परी नह हो पाती थी सर जब कभी कोई दवा हो भीतो वह असर करन स ही रही बट क जदगी ही ब ढ़या क लाठ थी जस टक-टक वो कछकदम चल पा रही थी

साझ क धप अब आगन स वदा ल चक थी मा उठकर रसोई क तरफ जान लगीबरची न मध क ही बहान थोड़ी चाय पीन क इ छा भी बता द थी मा को

ldquoहमको माफ कर द जए दादा हमार कारण हो गया ई सबrdquo मध न मा क उठकरजात ही बरची स कहा असल म यही कहन ही तो आई थी मध थान म बरची को पड़ीएक-एक लाठ क चीख तब स मध क अदर भी चोट बन घम रही थी वह इस अपराधबोधस जल रही थी क मरा तो जो होना था वह हो गया यह आदमी मर कारण इतन म कल मफस गया कह कछ हो जाता तो इसक मा का या होता ऐस कई वचार बड़ी दर स मधक भीतर घमड़-घमड़कर उस बचन कर रह थ एक अकली मा का दद उसस बहतर औरकौन जानता भला खद भी तो बना बाप क साय क मा क आचल क छाव तल जवान ईथी

ldquoअर छोड़ो यह सब बात अब हमारा मार खाना भी भला कौन-सा बड़ा बात ह अरयह तो चलता रहता ह असली बात हम बोल मधrdquo बरची न मध क ला नबोध का भानहोत ही बात को मामली और रोजमरा क घटना बतात ए कहा ल कन साथ ही एकसवाल भी पछ लया था

ldquoहा बो लए नrdquo मध न कहा

ldquoयही क अगर तम कस कर दती न तो मजा आ जाता साला गजब सयोग बठ गयाथा क भा य स एसपी का परबी भी भड़ गया था ब त ब ढ़या मौका था मध प काबीडीओ को भीतर जाना ही था फकन सह को भी औकात पता चल जाता हम इतनालात खा ही लए थ तो फर सोचना या था हम तो तभी त हार मा का हाल दख चप रहल कन तमको कर दना था कसrdquo बरची न अपन मन का घाव दखात ए दल क बातकह द

ldquoनह बरची दा आप दख न कस सब हमारा च र को लकर तमाशा बनान लगा वहलोग तो पसा दकर कस ख म कर ही दता और साथ म हमारा रहल-सहल जो भी ह ऊ सबअखबार म छाप और समाज म बोल-बोलकर नीलाम कर दता ल कन हमको इसका भीफ नह था हा बस मा क चलत ही हम भी छोड़ दए माई यह सब दख कर बदा त नहकर पातीrdquo एक अकली मा क बट क साहस न बड़ी बबसी स अपन टटन क दा ता कही

ldquoहा ठ क ही कहती हो चलो जो भी आ अब तम उसको भल जाओ और वापसजदगी को ह मत स जयो मध अब तो सही यही होगा क य चचा ही ख म हो जाएबीडीओ का भी ब त बदनामी ना हो जाए इस लए वह लोग भी बात को दाबगा ही कम-स-कम त हार ससराल तक बात ना जाए तो अ छा ही ह नाrdquo बरची न न चाहत ए भीसमझत ए मध को भी समझात ए कहा

ldquoहा बरची दाrdquo मध भी जस सब समझकर बोलीldquoमध हम तो कहग ससराल म ही जाकर रहो य नह चली जाती हो प त स इतना

भी या नाराज होना तम कहो तो हम खद जाकर मनाकर ल आत ह उसको अगर वहाससराल म कोई द कत हो तो कह और रहो ल कन प त क साथ रहो हम तो यहीकहगrdquo बरची न ब त दर बाद पीठ थोड़ा सीधा कर हलत ए कहा

ldquoएक बात बताए बरची दाrdquo मध न भ ग आई नजर स कहाldquoहा बोलोrdquo बरची बोलाldquoप त हमको छोड़ दया हrdquo मध न बहन को आए आख को प छत ए कहाldquoछोड़ दया अर ऐस-कस छोड़ दगा भाई तम चलो न हमार साथ को दो-चार दन

म हम जरा ब ढ़या हो जाए फर चलत ह बात करग समझाएग-बझाएग उसको सब ठ कहो जाएगा छोड़ना इतना आसान ह याrdquo बरची न पर समटत ए कहा

ldquoजो सोच ल उसक लए ब त आसान ह हमर लए तो आज भी म कल ही रह गयासब कछ खर जान द जए कह न छोड़ दया और स नएगा कछrdquo मध न अबक थोड़ावर बढ़ाकर कहा

ldquoऔर या एक बार बात तो करन दो अपन हसबड स हमको इतना ज द भी आशामत छोड़ो मधrdquo बरची न बड़ी उ मीद क वर म कहा उसन र ी भर भी नह सोचा था जोअब मध बोलन जा रही थी

ldquoवह सरा याह कर लया एक बटा भी ह दो साल का अब छो ड़ए रहन द जए ई

सबrdquo यह बोल मध इधर-उधर दखन लगी थी आख क नमी जस सख चक थी आखम कछ नह था न कसी क छट जान का अफसोस न कसी क छोड़ जान का मलालबरची यह सन नःश द-सा था ल कन अगल ही पल कछ दखकर हरान रह गया एकदमस च क गया था अवाक बरची बस आधा मनट भर चप रहा होगा

ldquoमध अर मध तो फर यह माग म स र जो ह त हारhelliprdquo इतना ही बोल क गयाथा बरची

यह सन एक अजीब-सी घटन भरी हसी तरी मध क चहर पर ldquoसमाज का का लखमह म लगान स अ छा ह माग म झठ का स र लगानाrdquo

बरची अदर स हल गया था यह सन तब स कछ कह ही तो नह पा रहा था एकऔरत घर क चौखट तो लाघ लती ह ल कन समाज क सड़ी मान सकता क क ठत नालकहा टाप पाती ह यह जो कदम-कदम पर समाज उसक राह म नयम नजर और कायदक खजर गाड़ बठा ह उसस कहा पार पाती ह ी आध नक यग म यह सच था क यन कमान का अवसर तो पा लया ल कन बदल म उ ह च र गवान क शत को भीवीकारना पड़ा यहा घर क दहरी टपत औरत आजाद नह बहया हो जाती थी मध जसी

न जान कतनी ऐसी या ह जो बाहर जा पसीना बहाती थ खन जलाती थ कमाकर घरचलाती थ और बदल म समाज स चाल औरत का माणप पाती थ हजार वष कस क त ान व ान क अपनी कई काश मील वाली गौरवशाली या ा पर लहालोट होइतरान वाला यह दश-समाज अपनी मान सक या ा म बस चद कदम ही चल पाया था

ldquoओह मध मझ नह पता था य सबrdquo बरची न इस बार सर झकाकर धीर स कहाldquo बरची दा एक तो घर स बाहर नकलना मतलब ही छनाल हो जाना ह औरत क

लए ऊपर स सब जान जात क मद छोड़ दया ह और सरा शाद कर लया ह तो पतानह या- या बोलकर कब का मार दए होत सब हमकोrdquo मध न धत गल स कहा

ldquoजान दो मध समाज होता ही कौन ह त हार जसी औरत का जो त हारा ह ही नह उसका चता य करना भाड़ म जाए समाज आज चौखट लाघी हो न ह मत करो औरकल यह समाज का गदा नाला भी टाप जाओrdquo बरची न ब त दर बाद नजर मलाकर कछकहा था

ldquoअब तो सब लाघ ही जाना ह नया न भी कछ छोड़ा थोड़ ह जानत ह आपबीडीओ रप का को शश नह कया थाrdquo यह बोल तो मध न जस बजली का झटका ददया था बरची को

ldquo या बोल रही हो इतना बड़ा झठ यह सब फर या था ह भगवान तम झठ-मठमhelliprdquo बरची एकदम स अकबका गया था बोलत-बोलत

ldquoहा बीडीओ को शश नह कया रप कर दया था हमाराrdquo मध क इतना बोलत जोरस चीखा बरची एक झटक म ख टया स उठ खड़ा आ मध बोलत ही दोन हाथ स चहराढक फटकर रोन लगी थी बरची क पर का अगठा ोध म इस व आगन क मट ट कोड़

रहा था भची ई मट ठ बाध गदन क नस का उभार फड़फड़ा रहा था आख म जसकोई गम भट ट जल रही थी तभी उस लगा क माथा स हो गया ह वो अब सर पकड़करखड़ा था कतना कछ सह लती ह एक औरत इतना जहर चपचाप पी गई मध ओहइतनी पीड़ा इतना दद हम खाक समझ पाएग औरत को बरची एक बार भी नजर सीधीकर मध को नह दख पा रहा था

तभी फर मध क आवाज गई कान म ldquoसब कछ करन क बाद हमको घटा भर वहबद रखा हरामी वह स हमार सामन फकन सह को फोन लगाकर बताया क गलती होगया ह ल कन जस भी हो सलट ली जए फकन हमको फोन दलवाकर बोला घर प चनस पहल त हर माई को हाट अटक आ जाएगा अगर जरा भी ह ला क तो कोठा कालड़क बना द जाओगी अगर सब जान गए तो चप रहना इसी म भलाई ह हम फर माईको कछ नह बताए पता नह जान जाती तो सच म लाज और चता स मर जाती ल कनहम घर आकर बदा त न कर सक और माई को बोल क जहर खा लग बस इसी बात परआपको बला लाई फर आप लोग का ह मत स हम थाना चल गए ल कन जब आपकोमारन लगा और हम दौड़कर बाहर आए तभी ही ऊ दलाल लटक भडारी वहा हमको धमकागया और बताया सब घर पर प च गया ह और सबको बता दग क त हारा सबध पहल सथा बीडीओ स इस लए चपचाप घर चल जाओ कस कया तो रडी बना दग भगतना फरमा-बट बस हम या करतrdquo बोलत-बोलत झटक स चलकर दरवाज क ओर जान लगीमध

बरची म भी अब शायद कछ और सनन का साहस न रह गया था वह जाता दखतारहा मध को उस सहसा महसस आ क पीछ रीढ़ क हड डी म दद ह उसन दखा क वोखाट स उठ खड़ा आ ह अगल ही पल ध म स खाट पर बठ गया एकदम शात कोईहरकत नह लट गया खाट पर आख ऊपर थ और आसमान छाती पर गरता तीत होरहा था एक ी अपन अदर पवत पहाड़ सब कछ दबाकर रख लती ह कतनी गहरीहोती ह ी प ष क अह क ऊपरी परत पर भी ह क खर च लग जाए तो तल मलाउठता ह पौ ष पर ी ख सताप ोभ अनादर सब अदर दफन कर खड़ी रहती ह

ी और धरती दोन एक-सी ह दोन गभधार या ह तभी तो माता ह अदर पीतलसोना बा द पानी सब रख ह दोन नया का भार ढोन को अ भश त

कतनी वडबना ह क जस ी क कोख स स यता का ज म होता ह स यतान उसी को हमशा मयादा और स क त क बोतल म बद करक रखा जब मन आ शराब कतरह पया जब मन आ गलद त क तरह सजाया और जब भी ो धत आ तो बोतलपटककर तोड़ दया फट बोतल स नकली य न जमीन पर बन पानी मछली क तरहतड़प-तड़पकर दम तोड़ा और स यताए अट टाहास करती रह यह नया जस दन सअ त व म आई ठ क उसी दन प ष न अपन लए lsquoहमार अ धकार य हrsquo क घोषणा करद और ना रय क लए lsquoत हार कायद य हrsquo का नणय सना दया

बरची अब भी ख टया पर पड़ा आ था अदर का आवग अब शात हो चला था

सखत होठ पर पपड़ी-सी पड़ गई थी बीच म एक बार मा न आकर मध क लए पछा मधचली गई थी थोड़ी दर म मा न रसोई स आ फर तबीयत का हाल पछा बरची न हाथ सठ क का इशारा कर बस ह का-सा म करा दया जब भी मा ब त बचन होती उस यहीम कराहट द सकन द दता था यह दन को भरपर था इसक अलावा कछ था भी नह कईघट बीत गए थ रात अपना चादर डाल चक थी अभी रात क लगभग 10 बज थ बरचीन मा क ब त जद करन पर उठकर दो रोट खा ली थी और अदर बरामद स सट कमर मचौक पर जाकर लट गया था ठ क तभी घर क पीछ बास क झरमट स झर स प छया हवाटकराई और बगल क आम वाल पड़ स कछ प ऊपर खपरल पर गर यह सब मलअपना धन और राग तयार ही कर रह थ क कह र स आती सारगी क आवाज बरची ककान म पड़ी पहल तो उस पर यान नह गया ल कन जब आवाज लगातार आन लगी तोबरची न करवट बदलकर बड़ यान स उस आती आवाज पर अपन कान टका दए उधरस कछ गान क आवाज आन लगी ldquoचल साधो कोई दश यहा का सरज डबा जाएयहाक न दया यासी हयहा घनघोर उदासी हयहा क दन भी जल जलयहा क भोर भीबासी हमन यहा स ऊबा जाएrdquo गीत क बोल न बरची को झकझोर कर ख चना श करदया वह उठकर बठ गया था गान वाला गीत को दोहरा रहा था आवाज अब कान सउतर दय को कलबलान लगी बरची न सरहान हाथ टटोल टॉच उठाया और चौक कनीच दख पर स ख च अपनी च पल पहनी वो जस ही बाहर आया मा अचानक स आहटसन बरामद म आ गई

ldquo या आ तबीयत खराब लग रहा या बटाrdquo थोड़ी घबराई आवाज म बोलीldquoनह सब ठ क ह मा यह सारगी पर गीत सन रही हो बड़ा अ छा लग रहा ह कहा

बज रहा ह कौन हrdquo बरची न आगन म नकलकर इधर-उधर कान कर आवाज टोहत एकहा

ldquoआवाज तो परब स आ रहा ह कलवा म ह कोई का वह स आ रहा ह शायदrdquo मान एकदम सही अदाजा लगात ए कहा था गाव-दहात क बड़-बजग का दशा- ान ब तसट क होता था व भोर और साझ का तारा दख दशा बतान वाली और हवा क सनसनाहटछ वाय क बहाव क दशा बतान वाली पीढ़ थी वो पीढ़ आज क नई पीढ़ क जसी दशाबोध स अनजान पीढ़ नह थी व सरज क करण का ताप मापकर दन का समय बतादत इसी मलखानपर गाव म ब त साल पहल एक पणा नाम का न हीन बढ़ा था जोभ ाटन कर खाता था उसस अ सर घड़ी पहन नए लड़क समय पछत और अपनी घड़ीस मलात समय सट क मल जान पर वह बड़ा आ य करत और उसक इस करामात परखश होकर कटोरी म कछ स का डाल जात एक बना आख वाला अपन समय मसमय को समय बता रहा था

बरची न सामन रगनी पर टगी चादर ली और उस ओढ़ बाहर जान लगाldquoइतना रात कहा जाओग दह म इतना दद ह ल कन फर भी नह मानत हो अपना

आग हमको तो पागल ब ढ़या समझत होrdquo मा न बड़ी झझलाहट स कहा और अदर खाट

पर लटन चली गईldquoअर माई तरत आ जाएग दद पर तो मलहम लगान जा रह ह दखो कतना ब ढ़या

नगण गा रहा हrdquo इतना बोलत-बोलत बरची घर स नकल दरवाजा बाहर स ही बद करकल क तरफ चल पड़ा कल क हात म घसत ही सामन चौड़ बरामद पर एक ढबरी

जली दखाई द बगल म चार-छह ट लगाकर बना आ एक अ थाई च हा जल रहा थाजस पर एक पतीला चढ़ा आ था वह बगल म कस रया रग का चादर ओढ़ एक साधसारगी पर मगन हो गीत गा रहा था झ गर जगन मढक च सब चप थ शायद और ऐसालग रहा था क जस सब उस धनी रमाए साध क धन सन रह ह चप होकर बरची नबरामद क चार सीढ़ एक ही फलाग म टप साध को णाम कया और ldquoवाह-वाह याबात ह बाबाrdquo बोलकर वही सामन जमीन पर बठ गया साध न बस एक बार नजर उठाकरउस दखा और म कराकर आख स इशार म उसका अ भवादन वीकार कर लया था साधलगातार गाए जा रहा था

ldquoसाध सका जो साध लया अब बचा ह आधा दनयह पल भी अब काट ल पगलअगरी पर गन- गनकौन कर यहा सरज क रखवाली ररात ब त ह काली आन वाली रrdquo

ldquo या बात अहा गाइए बाबा एकदम ऐसा लग रहा ह आप इसी गाव क लए गा रहह यहा का सरज या डबा जाए यही नrdquo बरची न पर मगन हो आख बद कर सरहला- हला दोन हाथ स ह क ताली दत ए कहा साध मद-मद म कराता गाता रहा

लगभग पाच मनट बाद गीत ख म होत ही साध न सारगी कनार रख सीध पछाldquoकौन हो बटा इतनी रात यहा या कर रह होrdquo यह सन बरची जस अकचका गया थायह सवाल तो असल म उसक दमाग म आना चा हए था

ldquoहा हा हा अर महाराज उ ट आप हम स पछ रह ह क हम कौन हमार ही गाव महमी स व न गजब ह आप भी बाबाrdquo बरची न हसकर कहा

ldquoअ छा बटा आज स पहल कभी इतनी रात म इस कल क तरफ आत थrdquo साध नचहर पर एक गभीर-सी म कान लए पछा

ldquoनह बाबा इधर कौन आएगा आधी रात को इतना सनसान म भत नाचता ह इधररात म कोई आए भलाrdquo बरची न वही सामन बठ कहा

ldquoबस यही बात समझो बटा नया क जस भी सनसान कोन को जसन भी आबादकया ह उस बसाया ह वह कोना उसका ह मन त हार गाव क इस अधर कोन को ढबरीजलाकर रोशन कया यहा च हा जला इस घर बनाया ह इस लए आज रात य मरी जागीरह और तम मर यहा आए ए अ त थ होrdquo साध न बड़ी सरलता स कहा बरची तो बनापलक झपकाए साध को दख रहा था हर बात पर कछ-न-कछ उ टा-सीधा बोल ही दनवाला बरची एकदम शात बठा था जस आज खद उसक अदर स कोई आवाज आ रही थीकभी-कभी कछ चपचाप सन भी लना चा हए

ldquoहा बात तो आप गजब ता कक बोल बाबाrdquo बरची न होठ पर बरबस पसर गई

म कराहट क साथ कहाldquoतो चलो अ त थ को कछ भोग हण करना चा हए न खचड़ी ह रा का साद

हण करोगrdquo साध न अब च ह पर चढ़ा पतीला उतारत ए कहाldquoबाबा साद तो आज दन भर खाए ह अब आप द जएगा तो वह भी खा लग

साद को ना नह करना चा हएrdquo बरची न हसत ए कहा साध न शायद बरची क कहकथन क जना को महसस कर लया था ज ासावश पछ भी लया दनभर साद काअथ च क साध अपन पहल श द स ही इतना स मोही सवाद रच रहा था क बरची उसकसामन कछ ही मनट म वस ही खल गया था जस कसी दज क आग धाग क रील खलजाती ह कछ और मनट म बरची न स प म थान म अपन साथ ए मारपीट क बात साधको बता द थी तब तक बात करत-करत ही साध न एक थाली म बरची को खचड़ी परोसद थी अभी पछल घट ही बना खाए सोन जा रहा बरची यहा तो थाली चाट खचड़ी खारहा था घर पर खाना और कह कसी क मजबानी म खाना म अतर तो होता ही ह घर कथाली म जीवन परोसा जाता ह महमान क थाली म मजबान म परोसता ह जीवन म मज री होता ह इस लए पट चाह भरा भी हो मन भी भरा हो पर कसी क नह स परोसीथाली खा ही लनी चा हए खाकर बरची न हाथ धो अपन ओढ़ चादर स हाथ प छा औरपनः पलथी मार बठ गया हमशा चलम सग बठक वाला एक पागल आज स सग म बठगया था

ldquoअ छा कहा स आए ह आप बाबाrdquo बरची न बड़ी ज ासा स पछाldquoवह स जहा स तम आए हो जहा स सब आए हrdquo साध न गल स बड़ी ा क

माला उतार उस बगल म रख भगवा झोल म डालत ए कहा बरची जवाब सन ऐस सहजरहा जस वह ऐस ही उ र क अप ा कर रहा था

ldquoबाबा जाना कहा ह यहा स आपकोrdquo बरची न फर एक सवाल पछाldquoयह तो बटा अपन कम पर हrdquo साध न ह क तरती म कराहट क साथ कहा

जवाब अब भी उसी अदाज म था और बरची पर रोमा चत मड म साध को सन भी रहा थाअसल म बरची तो मन-ही-मन य सोचन लगा

lsquoसाला यही सब उटपटाग बकती कर तो आदमी बाबा बन जाता ह साला ई कमवा तोहम भी कर लत ह ल कन दह पर भगवा नह तो दाद और बात क बदल लात मल जाता हलोग पागल बझता ह हमको साला दश स और फस स चलता हrsquo

ldquoअहो महाराज आ खर कोई तो ठकाना होगा आपकाrdquo बरची भी खब मज म पछरहा था साध उसस यादा आनद म था

ldquoबटा उसी ठकान को खोजना ही तो म ह हर मन य क जीवन या ा का यही तोअ तम यय ह जस दन ठकाना मल गया समझो मो मल गया हम सब ब ठकानभटक रह ह यही तो जजाल ह ससार का लग रहो मल जाए तो राम जी क कपाrdquo साधन बरची क आख म ताकत ए कहा

ldquoबाबा हमार कपार पर तो खाली ख लखल ह ई तो हम जान ही रह ल कन जराआप हमारा हाथ दखकर बताइए तो इसम या लखा ह या भ व य ह हमाराrdquo बरची नमौज म साध क दाश नकता को अब बाबा गरी क ओर ख चकर लान जसा हाथ बढ़ात एकहा

ldquoबटा न कपार का लखा न हाथ का लखा होता वही ह जो राम का लखाrdquo साध नहसत ए कहा

ldquoभ क महराज आप हाथ दखना जानत ह क नह डायर ट बताइए न बाबा बातको घमा फरा द रह ह आपrdquo बरची न सामन हथली पसार हसत ए कहा

अबक साध थोड़ा गभीर हो गया था उसक चहर पर आई अचानक शा त औरगभीरता दख बरची भी तरत स थोड़ा शात हो गया था अभी र गाव म कह समवत वरम कई क क भकन क आवाज आ रही थ रात गहरी होती जा रही थी लगभग परागाव न द म था बरची तो न द स जागकर आया था साध न एक लबी सास ली और बोला

ldquoम हाथ दखकर भी या बताऊगा बस भा य ही न आदमी का भ व य तो उसकाकम दखकर बताया जाता ह म तो अभी बस आध घट पहल मला तमस म भला याजान क त हार कम कस हrdquo साध न बड़ी शा त स कहा

ldquoल कन बाबा भा य भी तो कोई चीज ह जब भा य ही नह होगा तो खाली कम करकया होगाrdquo बरची क मह स अनायास नकला

ldquoनह बटा भा य तो बस क चा माल ह कम ही उस पकान वाला धन ह मान लोत हार घर म चावल ह ल कन अगर उस च ह पर चढ़ा बनाया नह तो बोरी म रख-रखचावल म एक दन घन लग जाएगा भा य वही चावल ह अगर कम का च हा जला क नबनाओ तो कतना भी भा य हो उसम घन लग जाएगाrdquo यह बोल बड़ी सरलता स साध नकम का मम समझा दया था बरची को

ldquoवही तो हम भी बोल रह बाबा क जो भा यहीन ह वह या बनाए उसक पास तोचावल ह ही नह धन बकार ही न जाएगा जल कrdquo बरची न भरसक ब ढ़या सवाल पछाथा अबक

ldquo जसक पास चावल नह वह पहल चावल कमाए फर बनाए भा यहीन अपनाभा य कमा सकता ह अपन कम स ही भा यहीन को कोई चता नह करनी चा हए दशातो बस कमहीन का होता हrdquo साध न एकदम शात च स उ र दया

ldquoसमझ गया जसक भा य म कछ नह होता सब कछ उसक हाथ म होता हrdquoबरची न शायद इस बार सवाल नह पछा था य गजब का जीवन स नकल गया था उसकमह स

ldquoहा एकदम हा हा हा चलो असली ान पा लए तम अब रा व ाम कया जाएया और भी कछ ज ासा ह त हारीrdquo साध न एक कबल चटाई पर बछात ए कहा

ldquoएक ला ट बात बाबा यानी क अभागा का कोई भगवान नह होता उस उसका

फकर नह करना चा हए नrdquo बरची न एकदम स ोही दाश नकता वाला सवाल पछा थाजो ई र क भी प पात क छोर को पकड़ता तीत हो रहा था पर साध इस सवाल पर भीशात दखता मद-मद म कराता रहा

ldquoनह बटा त हारी ज ासा सही ह सो इस भी जान ही लो आज अभागा तो ई रका भजा गया वो भरोसमद ाणी ह जस ई र इस व ास क साथ भजता ह क इस कछभी खरात दकर मत भजो य सब कछ खद हा सल कर लगा अपन परा म सrdquo साध नएक बार बरामद स ही बाहर आसमान क तरफ दखत ए कहा

ldquoब त भयकर बात बताए आप समझ तो लए ही हमrdquo बरची सच म हत भ होबोला था इस बार

ldquoजान लो बटा भा यशाली ई र क दया का पा ह और अभागा म काrdquo साध नएक म ही दया जस बरची को

ldquoब त ानी ह आपहो बाबाrdquo बरची न बना पलक झपकाए कहाldquoतमम भी आ म व ास कम नह ह यान रखना ल कन हमारी एक बात

आ म व ास वो धन ह जो ानी म हो तो वन ता बढ़ाता ह और मख म हो तो अहकारrdquoसाध न अपन झोल म हाथ डाल कछ टटोलत ए कहा

ldquoचलो अब व ाम कया जाएrdquo पनः साध न एक ह क -सी आवाज म कहाldquoजीवन म व ाम कहा बाबा हम सो जाएग तो भी सास चलता रहगाrdquo बरची न

चला होकर ग क भाव स कहा बरची क मह स यह नकलत ही दोन ठहाका मार हसनलग

ldquoवाह बटा इतनी ज द बाबाई सीख गए तज आदमी हो अब थोड़ा-थोड़ा दखनलगा ह त हारा भ व यrdquo साध न हसत-हसत ही कहा

ldquoजी जात-जात अब आखरी बात बाबा या कम करन वाल सभी आदमी को प काभा य मल ही जाता ह या सब सफल हो ही जाता ह बस इतना जान जाए तो जाए हमभी शा त स सतनrdquo तब स बठ बरची न खड़ होत-होत कहा साध तब तक जमीन परब तर लगा चका था

ldquoबटा सय सबक लए उगता ह न फर भी कछ ही को रा ता दखता ह और कछलोग रोशनी क बावजद अधर म भटकत ह जानत हो य य क सय क रोशनी म नगरगाव घर-इमारत सड़क सब दखता ह ल कन जीवन का माग नह दखता ह जीवन कामाग अदर क रोशनी स दखता ह अपन अदर मशाल जलाओ और उसी उजाल म जीवनका रा ता दखो और चल पड़ो घोर अधर को इसान अपन अदर क उजाल स हरता हrdquoएक ही सास म इतना कछ बोल साध अब ब तर पर लट गया था बरची खड़-खड़ अपनभीतर जस कसी तरग का वाह महसस कर रहा था वह अब चलन को बरामद स नीचउतरा

ldquoबाबा आपका बोली-चाली बात- वहार आपका भाषा स लगता ह आप इधर क

नह ह खर चाह जधर क ह इधर आत र हएगा तो भट होता रहगाrdquo इतना बोल बरचीदो कदम आग बढ़ा

ldquoतम यहा रह तो ज र मलग फर त ह भी तो अपनी या ा पर जाना ह यहा थोड़ीबठ रहोगrdquo साध न दह पर एक पतला कबल डालत ए कहा

ldquoएक बात कह दत ह इतना ान ह आपक पास आप साध तो नह ह बाबा साधहोकर इतना व ान यह भी एक आ य बात ह भगवान जान आप कौन हrdquo बरची यहबोल जान को दो-तीन कदम बढ़ चका था

ldquoइस कहत ह घनघोर कलयग ान होन क कारण साध को साध मानना सदहा पदलग रहा ह इसस क ठन समय या होगा जगत क लएrdquo साध जोर स हसत ए बोला

ldquoअ छा बाबा चलत हrdquo कहत-कहत बरची कल क सामन वाली पगडडी पर नकलगया

ldquoआशीवाद ह तमको चलत ही रहना कना नह rdquo पीछ स साध क आवाज आईऐस ही कसी ससयोग स भटा गए एक साध सग स सग स उठ आया बरची जब तक

घर प चा रात क करीब डढ़ बज रह थ उसन धीर स दरवाजा खोला तो दखा सामनबरामद क पास धीमी लालटन जलाए वह चौक पर मा बठ-बठ ऊघ रही थी दरवाज कखलन क ह क आवाज होत ही अचकचाकर उठ खड़ी ई

ldquoअभी तक तम जगी ही हो माrdquo बरची न मा क पास जाकर कहाldquoतो या करत तम इतना रात तक बाहर हो दखो सब कछ तो हम खो ही दए बटा

एक बस त हारा डर लगा रहता ह ऐस रात- बरात मत नकलो बटाrdquo मा न बरची क पीठपर हाथ फरत ए कहा

ldquoसब कछ तऽ खो ही द हो न बस अब एक डर बचा ह इसको भी काह रखी हो बचाक इसको भी खो दो न र माईrdquo इतना बोलकर बरची हसता आ अपन कमर क ओरचला गया मा न म य दरवाजा लगाया लालटन उठाकर बरची क चौक क पास रख वहभी खद सोन चली गई रात कतनी भी अधरी हो पर एक मा अपन ब च क पास रोशनी काएक टकड़ा रख ही जाती ह

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आज सबह होत ही शखर क घर तो ा त मची ई थी पता कामता बाब च क कल दररात घर आए इस लए उ ह रात को तो कछ पता नह चला पर सबह जब वह टहलन नकलतभी कछ लोग न उनस थान वाली घटना क चचा कर द सबन अपन-अपन तरीक स बातबताई कछ न शखर को उसक उस साह सक काम क लए सलाम कया अ धकतर लोगन जवान बट को गलत सगत म जान स रोकन क ज रत बतात ए उस नय त कर रखनक म यवान सलाह ही द कामता बाब सबह-सबह तन म ताजा ऑ सीजन लन नकल थल कन अब मन म जहरीला काबन डाइऑ साइड लकर आध रा त स ही वापस घर लौटनलग रही-सही कसर घर घसन स 20-30 कदम पहल मल काशी साह न शखर क लखनलोहार क यहा बठ गाजा पीन क कथा क स सग ा या करक परी कर द थी अब तोकामता बाब का परा माथा जस लोबल वॉ मग क ताप स जलन लगा था ोध स जलतीआख अब बस शखर को खोज रही थ जीभ स तजाबी बा रश होन ही वाली थी कामताबाब क मन म यह बात यादा चल रही थी क बात सफ इतनी-सी नह ह क बटा बगड़गया ह कह साला फकन सह न बगड़ गया हो या प षो म बाब स बात न बगड़ जाएलड़क न अपन दो पस क ान क जोश म सब बगाड़ दया व यही सब सोचत-सोचत घरक बरामद पर प च ही थ क दखा सामन शखर हाथ म बाइक क चाबी लए नकल रहाथा

ldquoवाह-वाह कहा चल ा त क लास जा रह हो मशाल जलान प ड़या रगड़ कसड़ चक व था को फकनrdquo पता न य म नह सीध-सीध ग रयात ए पछा पताक तवर दख शखर समझ ही गया था क सबकछ पता चल गया ह शायद काड स लकरकाडो रक मल ोत जड़ी-बट क बार म भी फर भी लड़क न खद को थोड़ा सभालाऔर धय स खड़ा रहा

ldquoकछ नह पापा बस ऐस ही जराhelliprdquo शखर न धीम-स आधा वा य ही परा कया थाअभी

ldquoकछ नह अब कछ बाक भी ह या गाजा अफ म ताड़ी बीड़ी दा परा कोसतो पढ़ क घ ट-फक लए तम मा सवाद और समाजवाद का यही सब पढ़न गए थ नाद लीrdquo कामता बाब गरजकर बोल

ldquoकौन बोला आपको झठ ह यह सब बकार का बना सर-पर का बात सना दयाकोई आपकोrdquo शखर बाहर बरामद स पर पटकता अदर जात ए बोला अभी थोड़ाअसहज तो हो ही गया था शखर ल कन अदर क बक ा त न आवाज द ldquoझल लोसाथी य तो होना ही होता ह साथी कतन दन छपती ह प रवतन क आग और चलम

इस खलास स नपटो साथी डर क आग जीत ह पहली पटखनी परातन स कार को तब नफर ज मी सरकार कोrdquo

बाप क ोध स डरन क बावजद शखर अपन मन क भीतर चल रह इ ह स सथोड़ा-ब त बल पा रहा था अभी ल कन पता लगातार जारी थ

ldquoअ छा परा गाव झठा बस तम एक स चा उस आवारा- बगड़ल बर चया क साथतम थाना गए झठ ह उ मधआ जसी चाल लड़क को तम भज दए कस करन खद थानाजा एसपी स फोन करवाए अपन ही गाव-समाज म झगड़ा मोलन क लए य सब झठ हयह सब या ह सब झठrdquo

ldquoपापा अ छा यह बात ह वही तो सीध-सीधा क हए ना क यह सब करन क कारणहमको बदनाम करन क लए सब झठा बात फला रहा ह क हम गाजा-ताड़ी पीत ह लखनक यहा बठकर एक लड़क क साथ रप का को शश आ ह और या इस पर नह बोलनाचा हएrdquo शखर अबक टकत ए थोड़ा ठहरकर कहा

ldquoअर चोट टा तमको पता था ना क बीडीओ सा हब क साथ फकन सह भी खड़ा हफर या ज रत ह इसम पड़न काrdquo कामता बाब न जोर स कहा

ldquoतो फकन सह को भी तो नह ना खड़ा होना चा हए गलत क साथ अब गलत कसाथ खड़ा होकर गलती तो फकन सह कए ह हमारा या गलती हrdquo शखर भी हर बातका जवाब दए जा रहा था

ldquoवाह र वाह मन फकन सह को या करना चा हए वो तमस पछकर कर काह इतनादमाग चढ़ा आ ह त हारा जरा कताब और कोटशन स बाहर नकलो और नया कासच भी पढ़ो फकन सह जसा लोग ही रोज वधायक-सासद बन नया चलाता ह औरत हर जसा एम-पीएचडी व ान मोटा च मा प हन उसक पीछ फाइल ढोता ह नया रटा-रटाया दशन और वचार नह होता ह ब त-कछ सीखना ह अभी तमको तम कह रह होरप का को शश आ तो लड़क न खद या कया दख लड़क न कया कस पसा लकरचप हो गई ना यही ह नया सब चाल ह काह पड़ ए हो इसमrdquo कामता बाब का वरबोलत-बोलत ऊचा हो गया था इतना ह ला-ग ला सन क याणी दवी पजाघर स नकलकरदौड़ी आ प नी को आता दख कामता बाब न उसक कछ बोलन स पहल ही चप रहन काइशारा कर दया प त का पारा चढ़ा दख मा न बट क तरफ दखा शखर भी वह डटा खड़ाथा मा न उस हट जान का इशारा कया पर शखर सामन ही खड़ा रहा उसक मन म तोअपना स य चल रहा था मन कछ गलत कया ही नह तो फर य पीछ हटना नया सआग जान का जोश लए यवा पीढ़ बस बाप क सामन पीछ नह हटन को ही तो अपनाहा सल समझकर अ सर पीछ छट जाती ह

ldquoआप तो बीच म बो लएगा ही नह आज समझा द रह ह इस गाव म ब त कायद सइ जत बनाकर रह ह हम यह नालायक सब लटान पर तला आ हrdquo कामता बाब न प नीक तरफ दखत ए हदायती वर म कहा

ldquoइ जत बनाकर नह बचा क रह रह ह आप पापाrdquo शखर न एक गरज री सचबोल तफान को योता द दया था

शखर न जान-अनजान यह कह अनथ ही कर दया था कामता बाब आगबबला होगए एक-दो पल इधर-उधर हाथ-पर नचाकर दखा और झटक स झक पर स च पल नकालचला दया प पर अचानक चली च पल छाती पर लगी बट क शखर दो कदम पीछ हटगया था अब वह पता दो कदम आग बढ़

ldquoइतना जबान चलन लगा बताइए साला स कारहीन सब तमीज भल गया गजड़ीकह का इतना ब-कहल बशम हो गए हो बाप को डरपोक बोलत होrdquo कामता बाब ोधस कापत ए बोल रह थ

ldquoचप भी रहो तम बाप स मह लगा रह हो तब स सही म या पढ़ल- लखल सबपानी काह कर रह हो हटो चलो तमrdquo मा हाथ पकड़कर बोली और ख चती ई कनार लगई शखर को

मा अ सर ऐस हाल म खद गम कबल बन ब च को ढक पता क बरसत आग कगोल स बचा ही ल जाती कामता बाब अब तमतमात ए दरवाज स बाहर नकल और घरक बाहर रखी कस पर जा बठ बट न शायद मन क तह उघाड़ द थी व मन-ही-मन खदस इस बात क काट माग रह थ क lsquoइ जत बनान और इ जत बचान म फक होता हrsquo

प नी क याणी दवी पानी का गलास लए आ कामता बाब न बना प नी क तरफदख पानी का गलास उठाकर पया और रख दया तभी एक फट साइलसर क ककशआवाज वाली कोई बाइक चारद वारी क बाहर आकर खड़ी ई यह लटक भडारी थाकामता बाब भी मन म यह सोच ही रह थ क अभी तक बलावा नह आया प षो म सहका

ldquoपरनाम मा टर साहब तनी मा लक याद कए ह आपको अभीए भट कर ली जएrdquoलटक न बना अदर आए बाइक स ही बठ-बठ गदन उचकाकर झाककर कहा गाव म सबजानत थ क नया का मा लक भल कोई हो और जहा भी हो ल कन लटक का मा लकएक ही हmdashप षो म बाब

लटक जब भी प षो म या फकन सह क यहा पशी हत कार दन कसी क भी ारजाता तो गाव क अ धकाश कमजोर-गरीब लोग लटक क बलाहट नो टस को हाईकोट ाराजारी समन जतना स मान दत थ और नधा रत समय स पव ही प षो म सह क दरबार महा जर हो जात थ

ldquoहा ठ क ह ठ क ह मद चलो आत हrdquo सबह स ही मजाज झड कर बठ कामताबाब न थोड़ी झ लाहट क साथ जवाब दया लटक को कामता साद क झ लाहट थोड़ीदल पर लग गई उस लगा कामता बाब न त को उ चत स मान नह दया

ldquoअ छा या ठ क ह या नह वह तो वहा चलकर पता लगगाrdquo यही बदबदाताआ लटक वहा स बाइक टाट कर नकला तजी स आवाज इतनी धीमी थी क कामता

बाब न यह वा य तो प सना नह पर जात ए लटक क तवर दख उसक चढ़ समझ गएऔर उ ह न भी मन-ही-मन चार-पाच मौ लक गा लया लटक क लए पढ़ द लटक क

आबी अदाज न यह भी जता ही दया था क अभी प षो म सह क आर माहौल कसाहोगा इसी बाबत थोड़ा सोचत वह कस स उठ घर क भीतर गए और कछ मनट बाद सीधप षो म सह क घर क तरफ चल दए उनका घर उसी मोह ल म सर छोर पर दो-तीनसौ मीटर क री पर था कछ मनट पदल चलन क बाद वहा प च तो दखा पहल स हीवहा बदरी म सर काशी साह जगद श यादव प ब र दास क पड़ोसी जतन दास समतकई लोग जमा थ परा दरबार सजा आ था कामता साद क नजद क प चत हीप षो म सह न टोका ldquoआइए मा टर साहब अर लटक जरा कस दो एक कामता जीको या हाल-चाल ह मा टर साहबrdquo

ldquo णाम प बाब सब कपा ह भगवान का ठ क ह सबrdquo कामता साद न कहा यहजानत ए भी क सब ठ क नह ह

ldquoऔर बाल-ब च आनद म ह ना लड़का का पढ़ाई- लखाई ठ क चल रहा ह ना कहकपट शन दया क नह नौकरी का उ तो हो ही गया होगाrdquo कामता साद अभी कसपर बठ ही थ क बदरी म सर न एक साथ इतन शभ चतक य सवाल पछ आज क सभाका वषय वश करा दया था बदरी म सर न ब त कायद स असली मद दा उठा दया

तभी काशी साह दात नपोरकर बोला ldquoअभी तो ब त दन स यह गाव म ह सर कालड़का बड़ा मलनसार सभाव का ह ऊच-नीच सबस घल- मल जाता हrdquo

कामता साद उसका तज तो समझ ही गए थ यह सनकर अदर स कसमसात एदख यहा तक क व भी इतजार ही कर रह थ इन हमल का मन-ही-मन यह सब सननको तयार होकर आए थ

मन म सर क बात कम बट का कया आ यादा चभ रहा थासोच रह थ lsquoबट न या समय दखाया आज भरी सभा म ोपद हो गया सालाrsquoldquoअ छा अ छा गाव आया ह पढ़ाई परा हो गया या बटा का आय कामता जीrdquo

प षो म सह न मासम-सा दखता सवाल कया दरअसल सब सबकछ जानत ही थldquoहा बस अभी एमए का परी ा दकर कछ दन घर आया ह भज दग अब दो-चार

दन म ही भज दगrdquo कामता साद न इस नकली सवाल को छोड़त ए इसक पीछ क नहपछ गए असली सवाल का उ र दत ए कहा

अब उ र द दन क बाद आयाldquoहा द खए मा टर साहब य तो आपका सौभा य ह क गाव स अपन बाल-ब च को

नकालकर पढ़ा रह ह फर काह उ टा यहा का गदगी म फसा रह ह अर चार दन घरआया ह तो ब ढ़या स खाए- पए और फर जाए अपना अ ययन म जट यहा गाव म रहकरगलत सगत म पड़ रहा ह आपको पता होगा ही कल या- या आ ह पता ह ना बनासोच-समझ काम करगा तो कभी भी बड़ा च कर म पड़ जाएगा फर हम भी नह सभाल

पाएग हमको तो ब बास ही नह आ क मा टर साब का लड़का कस इतना घ टया सगतमrdquo प षो म बाब न खब समझात और ह का हड़कात ए सब कह दया

ldquoअर नह -नह मा टर साहब का लड़का ह भोला सो बहकाव म आ गया राड़-चहाड़ क ऊ तऽ नया लड़का ह गा जयन को यान रखना चा हए हम लोग तो गाव मरहकर भी आज तक अपन लड़क को ई मख नीच और मल छ सबस अलग रख यहा तकक हमारा भतीजा मदन अगर थोड़ा-ब त खाता-पीता भी ह तो ठाकर-बाभन क अपनस कल म ही लता ह चमरटोली तो नह जाता ह ऊ भी लाख पी-खा ल ल कन जात कास कार तो नह खोया आज तकrdquo बदरी म सर न को कल वर म कहा उ ह न शखर परतो जो कहना था कहा ही साथ-साथ मौका मलत अपन बड़ भाई क बट क भी कह क लली थी जनस उनका वष स प तनी जमीन का झगड़ा चल रहा था

ldquoहमन उसको डाटा ह ब त तरह क बात समझाए गलती तो कर ही दया ह सधारभी हो जाएगा हम बोल रह ह ना अब इस बात को यह ख म कया जाए प बाबrdquoसबक ारा फजीहत झल रह कामता बाब न अदर स चढ़त ए बड़ी वन ता स कहा

ldquoजरा क ोल क रए मा टर साहब यादा पढ़ाई भी ठ क नह सबको गाव कापोल ट स म पड़ना अ छा बात नह ह पोल ट स-वोल ट स हमको ही दखन द जएआपका बटा ना होता तो आज इसका भी वही हाल होता जो बर चया का आ ह थाना मऔर ई एसपी-उसपी का परवी स कछ नह होता ह थाना का हीरो दरोगा होता ह और हमदरोगा अपन जब म रखत ह इतना तो आप समझ ही रह ह गrdquo तब स बगल म दहरी परचकमक बठ दात पर उगली स गल रगड़ रह फकन सह न कामता साद क कस क बगलम पीक फकन क बाद कहा

ldquoहम सब समझ रह ह फकन जी तभी तो शखर को समझाए ही पहली बार कगलती म या कया जाए हम खद बर चया को दरवाज पर चढ़न नह दत ह य तो कोईप ब र दास ह म दर जो बनाया ह वह उसी क यहा चला गया था तब स पता नह कसजान-पहचान बढ़ा लया वह स दोन अब न त र हए नह होगा यह सबrdquo कामता

साद न ल क घट पीत ए भी बना कड़वाहट क साथ कहाldquoच लए अ छा ह ज द सधार आ जाए तो कम-स-कम जात-समाज का याल भी

सखाइए सब कछ डगरी और पढ़ाई नह ह स कार कताब पढ़न स नह आएगा यहसब घर-प रवार स सीखता ह आदमी लड़का-लड़क को द ली-ब ब छोड़न स नह होगासफ उस पर थोड़ा नजर भी र खएrdquo कामता बाब क सामन ही लगातार चार बार म कफल हो पढ़ाई छोड़न वाला नॉन म क फकन सह एक श क को अ तम ान द उठकरघर क अदर चला गया उसक भीतर जात ही कामता साद भी अपनी कस स उठ

ldquoबठ जाइए चाय पीकर जाइएrdquo प षो म बाब न आदशा मक वर म स कार करतए कहा

कामता साद न हाथ जोड़ चाय पीन स मना कया और जान क आ ा मागी कामतासाद खब चीनी डालकर चाय पीन क आदती थ आज तो चाय मीठ लगनी नह थी

इस लए पीना बकार था वह अब बना एक ण भी ठहर वहा स झटककर नकल चलत-चलत पीठ पीछ हसी क आवाज सनाई द पर कामता साद न पलटकर नह दखा लब-लब डग भर तजी स घर क तरफ जा रह थ कछ ही मनट क रा त म उ ह प ह सालपहल क एक बात याद आई जब उनको कल क सहयोगी श क न गाव स नकल बगलक शहर म मकान खरीदन क सलाह द थी ल कन कामता बाब न गाव नह छोड़ा था तबयह रह गए आज पता नह उ ह अपन उस नणय पर पछतावा हो रहा था मन म चल रहाथा lsquoबाल-ब च को तो नकाल दए पढ़न ल कन या फायदा जब शाख-प ा नकल गयाऔर जड़ यह रह गया साला हमको जड़ ही उखाड़ दना था गाव स आज घन न लगतापड़ म गाव म रहना भगत लए आ खरrsquo

कहा तो दश क आ थक राजनी तक नी तया गाव को खाली कर नगर को ठस-ठसमहानगर बना रही थ और यहा गाव क एक स म पचायत न एक मा टर क मन कोपला यत कर दया था परी ा म ामीण पलायन पर लख लखन वाल कशा ब क छाइस भी पलायन क म य कारण म शायद ही रख कभी शहर म अकलपन का दश झलतागाव का भरा-परा अपना समाज याद करता परदसी कामता बाब स बहस करता तो हारजाता आज

एक बझा आ भारी मन लए कामता साद अब अपन दरवाज प च चक थ प नीवह खड़ी इतजार ही कर रही थी शायद उनका

ldquoऔर कतना दन रहगा ा तकारी द ली नह जाना ह या वहा भी तो ज रतहोगा इसका भज द जए अब इसकोrdquo घर म कदम रखत ही पहला वा य यही नकलाकामता बाब क मह स प नी सामन ही खड़ी थी

ldquoअ छा अब दमाग ठडा भी क रए एक बार क गलती पर कतना बार बो लएगादो-चार दन म चला जाएगा अब यादा मत बो लए उसको भोर स ब त हो गयाrdquoकामता बाब क मन स बपरवाह प नी न लगभग नदश दत ए कहा

ldquoहम तो चप ही ह लोग बोल रहा ह उसको कस चप कराए जाकर द खए ना वहासाला सब म क फल जट क हमको ान द रहा था उसम भी चता चचा-फचा का नह हसबस बड़ा डर यह लगता ह क गाव क गदा राजनी त म मारपीट ना हो जाए प बतरवाऔर बर चया का तऽ लात खाना तय ह फकन सह क दबगई को कौन नह जानता हबीस बापत तो घर म ही ह लठत अब शखर को कौन समझाए इनको तो वचारधारा कालड़ाई लड़ना ह जब क जमीन पर वचार नह लाठ -भाला चलता हrdquo कामता बाब जोर सबोलना श कर आवाज धीर-धीर कम कर सामन क तरफ रखी बा ट म स पानी लन चलगए

इधर शखर तब स चपचाप अपन कमर म लटा आ था कामता बाब तब तक नहा-धोकर वापस बाहर बरामद म बठन गए घर का माहौल अब थोड़ा शात आ लग रहा थामा शखर को कसी तरह मनाकर ना ता करा आई थ शखर ना ता कर वापस फर कमरम लट गया था कामता बाब न ना ता बाहर बरामद पर ही बठ कर लया था शखर जब स

आया था शायद आज पहली बार बाप-बट न अलग-अलग खाया था कामता बाब नम कल स एक पराठा खाकर थाली म हाथ धो लया था आज दनभर कह नकल भीनह थ कामता बाब यह जानत ही थ क आज गाव भर म उनक ही चचा जधर- तधरनकल रही होगी आज सबह प षो म सह क ार पर जो कछ आ वह बार-बार उ हकचोट रहा था ल कन फर भी मन को यह कहकर समझा-बझा लत क यह तो हमारास मान ही था क ब त कछ नह बगड़ा गाव का कोई सरा घर का लड़का होता औरऐसा कया होता तो फकन सह छोड़ता थोड़ कामता बाब का मन यह बात समझकर भीकतई समझना नह चाहता था क फकन सह न उनका छोड़ा ही या था

उस समाज म ऐस कई कामता बाब थ ज ह न जीवन को इस दशन स जया ककसी बात पर न अड़ो कसी पचड़ म न पड़ो कसी क लए ना लड़ो ऐस लोग हमशा सस य कहलाए स य लोग को सश करण हमशा एक हसक या लगी और शायदइस लए उ ह न न इसक को शश क न ही कभी सश होन का दावा कया उ ह न सरक सश करण को भी हमशा अराजक ही माना स य लोग न सनक क लड़ाई और हकक लड़ाई क बीच म कभी कोई फक समझना ज री नह समझा भारत म वस भी म यमवग क रीढ़ हमशा लचीली रही थी वह आदमी को खड़ा करती थी और समय एवप र थ त क साप झकन लटन लोट जान क लए भी स वधाजनक रहती थी रीढ़ कलोच क इसी अव था को लज लजापन कहत ह जो ठोस व और गस स अलग एक औरअव था ह और भारतीय म यवग इसी अव था म पाया जान वाला त व था यह बचकरचलन को जीवन का अनशासन मानता था और कसी भी तरह बच रहन को ही जीवन कउपल ध

दोपहर का सरज उतरकर अब साझ क ओर जा रहा था सझा बाती स घट पहल हीप नी क याणी दवी चाय लकर आ

ldquo या बात ह भोर स बताए भी नह कछ प षो म सह क ार पर का-का आrdquoप नी न चाय का कप बढ़ात ए पछा

ldquoहोना या था बस यही क हमारा ही बात था जो इ जत रह गया प षो म बाबगा जयन जसा समझाए क लड़का का भ व य को द खए गाव का गदगी स र र खएअ छा ही बात तो बोलrdquo कामता बाब न चाय क पहली सड़क क साथ धीम वर म कहा

ldquoफकना या बोल रहा थाrdquo सबह स सब जानन को आतर मन का एक और सवालआया

ldquoफकन सह तो ब त इ जत कया सीध बोला क आपक जसा व ान का बटा नहहोता तो बता दत ऊ तो खर मा नए क आपका बटा था और य बात बझाता ह हमार बटको उसक बाप का यह इ जत ह आज भी समाज म ल कन ब दा हमको कहता ह कइ जत बनाकर नह बचाकर जी रह ह हम आप ही बताइए इसस यादा कसका इ जतकरता ह फकन सह दा पीकर कसी को भी पीट सकता ह ल कन या मजाल क एकभी श द ऊचा होकर बोला हो हमस स कार ह खानदानी वह तो भाव डालता ही हrdquo

कामता बाब सामन सड़क स गजर रह बक रय क झड क तरफ दखत अपनी बात कह रहथ

ldquoहा ठ क बात ह वस शखर दोपहर म ही टकट का व था करवाया ह परस चलाजाएगा अब दन शा त स रहन द जएगा उसको कछ बोलन का ज रत नह ह खदसब बात समझ गया ह हमको बोला भी क गलती हो गया म मीrdquo प नी क याणी दवी नबट क गलती क जमानत करात ए कहा

ldquoठ क ह हम नह बोलग भाई कछ ल कन उसको थोड़ा समझाइए क पढ़ाई करलया ह अब नौकरी होन पर यान लगाए और बाप का बनाया इ जत को न डबाएrdquoकामता बाब न चीनी मट ट क खाली हो चक कप को हाथ म झलात ए कहा

ldquoहम खब समझा दए ह यह भी बोल दए ह क अभी बाप क जतना इ जत-स मानपान म उ लगगा तमको पहल उतना पा लो तब मह लगाना गलती मान लया हrdquo प नीन कहा तो लगा जस सबह ए ज म पर भर पहरी परपरान क बाद साझ कसी न ठडामलहम घसा हो सबह स पहली बार अब जाकर ह क -सी म कराहट तरी थी कामता बाबक चहर पर असल म प नी क जबान म कामता बाब का ही मन बोला था अभी अबथोड़ा अ छा महसस कर रह थ मा टर साहब ऐसा लगा जस सबह स खोई ई कोई ताकतधीर स वापस बदन म आ गई हो बाप का मन पनः बाप जसा महसस करक कस स उठाप नी क साथ ही चलत कामता बाब शखर क कमर म प च कामता बाब न दखा शखर यही ब तर पर बठा अपन नो कया मोबाइल म साप वाला गम खल रहा ह पता को दखत हीशखर न मोबाइल त कए क तरफ रखा और सीधा हो बठ गया

ldquoखाना-पीना कया क नह ठ क सrdquo पता न कध पर हाथ धर पछाldquoहा खा लएrdquo शखर न धीम-स कहाldquoदखो बटा हम तो जो भी समझात ह ना वह अपन अनभव स हा सल बात कहत ह

तमको एक जमान म हम भी त हार जसा ा त कया करत थ एक उ म ही ई सब ठ कलगता ह जदगी का जीवनधारा कोई भी कताब क वचारधारा स अलग होता हrdquo एकपका आ बाप गम नस वाल जवान बट को शीतलता स समझाकर बोला

ldquoहम अपन आइ डयोलॉजी को ऑन ट स फॉलो करना चाहत ह पापा मझ मर थॉटऔर मा सवाद पर भरोसा ह कछ गलत नह क गा परशान मत आ क रएrdquo शखरवय मा स स भी यादा तब ता क साथ बोला

कामता बाब प का यह भयकर आ म व ास दख अबक झ लाए नह थोड़ाम कराए और ब तर स खड़ हो पनः शखर क कध पर हाथ रख बोल ldquoहमको तम पर औरत हर थॉट पर परा भरोसा ह बटा ल कन नया पर नह ह ऊ ऐस ा तका रय को एकसमय जोकर या पागल समझती ह सो थोड़ा ावहा रक बनोrdquo

ldquoवो लोग नकली लोग ह पापा जो ऐसा हो गए मन अपनी आइ डयोलॉजी को जयाह पापा उस रोज जीता आज भीrdquo शखर न पलग स नीच खड़ होकर मट ठ बाधकर

कहा पता इस बार त नक और म कराएldquoबटा सनो हर ा तकारी-मा सवाद बट क पीछ एक ठ क-ठाक पजीवाद बाप

होता ह जसक भज पस पर फटानी और ा त चलता ह जस दन य महीना का भजापसा बद हो जाएगा न उसी दन ा त का तब ज रत और अभाव क आधी म उड़जाएगा एक उ म जब चार रोट क लए कमाना पड़गा ना तब समझ आएगा क हरवचारधारा कस दाल क कटोरी म घलकर दम तोड़ दती ह अभी रोट -दाल का चता नह हन इस लए दश का चता वहन कर लत हो जब रोट आएगा न सम या बन क तब दश कचता का बोझ उतर जाएगा पीठ पर गह थ का बोझा लादन क बाद जगह कहा बचता हक उस पर सरा कोई बोझा रखा जायrdquo इतना कह पता कमर स नकल आए थ शखरवह खड़ा रहा उसन ब तर स फोन उठाया और एक नबर डायल कया

ldquoहलो हा ह लो कॉमरड सलामrdquoldquo या हाल साथीrdquo उधर स आवाज आईldquoएक बात बस बता द जए कॉमरड यह साला मा सवाद सबकछ बताया मगर

भारतीय बाप को कस हडल कर नह बता सका या हमको बताइए कॉमरड हलोहलोrdquo फोन कट चका था कॉमरड शायद जवाब खोज रहा था

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समय ऐस ही बीता जा रहा था गाव म तो सख- ख भी ऊघत ए आत ह परबा बह याप छया हवा को भी बहकर नकल जान क ज द नह होती सबह गाव क कसी टोलस नकलकर मदान क तरफ घास चरन जाती बक रय और शाम को चारा चरकर वापसजगल स घर लौटती गाय क अ हड़ चाल आपको बता दगी क यहा जीवन क अ धकतमग तसीमा कतनी होगी गाव म कछ दन बीतन म ब त दन लग जात ह गाव म मोबाइलनटवक और डश एट ना तो आ गया था पर अभी गाव इटरनट क पीड पर सवार नह

आ था गाव र शा बलगाड़ी साइ कल और मोटरसाय कल स ही चल रहा था अभीउसक चाल म गगल का सच इजन लगना शष था इस कारण चाय-पान कान क बठकम चौपाल क बतकही म हर मनट आ रह नए-नए समाचार का कबाड़ जमा नह होताथा आसपास घट परानी घटनाए भी महीन साल चचा का वषय रहत गाव म अब भीहाल-समाचार का ही चलन था यज का नह

आज मरारी क चाय कान बद थी वह अपन सात वष क बट को लकर डॉ टर कोदखान शहर गया आ था पछल तीन साल स बट क लीवर सबधी बीमारी को लकर वहअ सर डॉ टर क पास जाता था उसक जीवन म बट क यह बीमारी बड़ क का कारणथी अब तक लाख स भी ऊपर खच कर चका था मरारी हमशा बोलता भी रहता था सालाहम अपन लए कहा कमात ह न ही अपन बाल-ब चा क लए हम तो डॉ टर क लएकमा रह ह जो कमाना ह सब समटकर उसी को दना होता ह

मरारी क चाय कान बद होन क कारण आज सबह क मज लस सड़क क उस पारएक सरी कान पर जमी थी उस कान पर बठन क व था नह थी जगद श यादव नसबक लए हाफ-हाफ चाय ऑडर क

सब चाय क गलास उठाए और वह कान क सामन गोला बना खड़ होकर ग प करनलग जगद श यादव न पहली घट क साथ ही महीनभर पराना क सा पनः याद कर उठालया

ldquo बर चया और मध का काड भी गजब आ था थान म बचारा बीडीओ सन रह हक ासफर करा लया अपनाrdquo

ldquoवह मध वाला कस म गलती ल कन बीडीओ का ही था जगद श दा गाव क इ जतक लए फकन बाब को मध का प लना था उसम बकार बर चया को भी उतना पीटा-मारा दरोगाrdquo बजनाथ न एकदम स कहा उसक यह कहत ही जगद श यादव गम कप सह ठ लगा बठ थ अचानक स बजनाथ क तरफ दखन म उ ह न कम-स-कम बजनाथ स

इस बात क उ मीद नह क थीldquoल कन सन क बर चया और मध का कछ च कर था शायद उह च कर म तो गया

था साथ म ई थाना और लात खाकर आया फकन बाब तो सारा बात बताए सबको अपनआर परrdquo लड डन मया न गम चाय क एक जोरदार सड़क क बाद कहा

ldquoएकदम गलत बात ह लड डन मया दादा बोलती ह मध बर चया को या फालतबात उठात ह आप कसी पर बना जान मत बो लए फकन बाब को गलत जानकारी हइसका मतलबrdquo बजनाथ न कड़ स लड डन मया को टोका

ldquoहम बस सन ह वही बोलrdquo लड डन मया क मह स नकलाldquoसन तऽ हम भी ह क आप गाय काटत ह घर म चमड़ा बचत ह उसका प क तान

स पसा आता ह आपको बो लए या बात हrdquo बजनाथ न लहरकर कहाldquoभ क अ ला कसम यार झठ बात एकदम छोड़ो भाई हमको नह मतलब का

सही का गलतrdquo लड डन मया न इस अ या शत मनगढ़त हमल स हड़बड़ाकर झट सबकफट पकड़ लया

ldquoदख समझ आ गया न सना आ बात का मतलबrdquo बजनाथ न अबकखल खलाकर कहा

जगद श यादव अभी तक बस लगातार बजनाथ को ही दख जा रह थ बजनाथ भीजगद श यादव को दख ह का म क मार द रहा था असल म अपन बरस -बरस क बठकम जगद श यादव न पहली बार कसी बात पर बजनाथ को फकन सह क कोई गलतीनकालत दखा था

ldquo या बात ह र बजनाथ त हारा तबीयत तो ठ क ह ना या बोल रह हो आज अलर-बलर गाजा उसी क साथ तो श नह कर दए न तमrdquo जगद श यादव न कट ली म कानक साथ पछा

ldquo कसक साथrdquo बजनाथ क मह स बरबस नकलाldquoअर बर चया सगrdquo जगद श यादव न कहाldquoअर दादा जब तक आप ह सरा का ज रत नह ह हमको आप क रहत आज तक

कोई कमी नह आ हrdquo बजनाथ न जगद श यादव क शान म कहा जगद श यादव नसनत ही पहल तरत अगल-बगल और पीछ तीन दशा म दखा क कसी न उनक यहयशक त सनी तो नह

ldquoअर चप साला डायर ट ही सब बात काह बोलन लगत हो सड़क पर यार यहबताओ ना क या बात ह आज पहली बार बर चया को सही बता रह हो तम मदrdquo ह काझपकर फर मल पर आत ए बोल जगद श यादव

ldquo बर चया को सही नह बता रह ह हम तो बस सही को सही बता रह ह और अगरआपक साथ बठकर ब ढ़या स दशी माल का एक-दो स टा टान दए तो गलत को गलत भीबतान लगग होश म त नक डर लगता ह दादा आप तो सब जानब करत ह होश म भला

कौन सच बोलन का ह मत करगाrdquo बजनाथ न चाय क आ खरी घट म ठहाका मलात एकहा

ldquoमतलब त हरा तो आज हम बात ही कछ नह समझ पा रह हrdquo जगद श यादव नहाथ म गलास धर ए ही पछा इस पर बजनाथ मह घमाकर म करा भर दया

ldquoच लए अब नकला जाए ब त दर हो भी गया खड़-खड़ ब तयातrdquo जगद श यादवन मह फल क शमा बझात ए कहा उनक कहत ही लड डन मया न बगल ही खड़ी अपनीसाइ कल का ताला खोला बजनाथ को जगद श यादव न अपनी बाइक पर बठाया औरवहा स अपन घर क ओर नकल आए

ldquoहमको हमर घर पर उतार द जए ना जगद श दा हमको कहा लकर जा रह हrdquoबजनाथ न चलती बाइक पर पीछ ट ल वाल क रयर को दोन हाथ स कस क पकड़ एकहा

ldquoअर चलो न मद बड़ा हड़बड़ करत हो घर जान का पहल परा बात खोल क बताओतम ऊ मध और बर चया वाला तब जान दगrdquo इतना कह जगद श यादव न हनमान जी कचबतर क पास बाइक रोक द बाइक कत ही बजनाथ लगी समटकर नीच उतरा जगद शयादव उतरकर चबतर पर पालथी मार जा बठ और सामन चकमक क म ा बना बजनाथभी बठ गया जगद श यादव न अपनी पट क जब टटोली और उसम स एक मरझाई-सीछोट सगरट नकाली ऊपर क जब म मा चस थी

ldquoलो ई पीयो और फटाफट भीतर का धआ बाहर करो बताओ या मटर ह बीडीओऔर मधआ का या फर हrdquo जगद श यादव न सगरट जलाकर बजनाथ क ओर बढ़ात

ए कहाldquoफर या होगा कोई फर नह ह सब हरामीपती बीडीओ का ही ह मध क साथ

गलत काम कया अपना गाव सम झए तो साला एकदम बपानी हो गया ह गाव का लडीसको कोई बाहरी अफसर छड़खानी कर दया और हम लोग क मह स बकार तक नहनकला एक श द नह बोला कोईrdquo बजनाथ न पहला कश लकर सगरट को अगठ औरतजनी क बीच म धर ए कहा

ldquoहा बात तो ठ क बोल तम ल कन यह भी तो दखना होगा क गाव क लड़क -लडीसका चाल-च र कसा हrdquo जगद श यादव न सामा जक चतन चताय भयकर ता कक

त या द ldquoहो तो आपको लगता ह क मधवा का च र खराब ह ऊ खलाड़ी लड़क हrdquo

बजनाथ म इस बार सगरट का धआ छोड़त ए थोड़ा त खी म खासत ए कहाldquoहा तो साला काह नह लगगा जा क असली बात फकन बाब को पछो काशी साह

को पछो बदरी बाबा स ही जाकर पछ लो सब या गलत बोलगा और मध का मरद तबउसको काह छोड़ गया यह सब सोचन वाला बात ह क नह फर इसका बरची सहलमल दखत हो इसक खा तर थाना म लात खा लया वाह र मजनrdquo जगद श यादव न

अपन अदर क सारी सामा जक चतना उगलत ए कहाldquo छः- छः जगद श दा महाराज आप तो ऐसा मत बो लए दादा स नए दादा हमको

भी यही सब लगता था ल कन हम भी ब त-कछ पता कए तब जान क कौन कसाआदमी ह और थाना तो ई लोग कामता बाब क पगलवा बटा शखर जो द ली म पढ़त-पढ़त पगला गया उसी क सनका दन पर गया था छो ड़ए ई सब बात ब त पोल ट स हइसम भी बाक फकन बाब का अलग बात ह ऊ जो भी बोलगा भाई उसको क गलतबोलगा चाह बदरी बाबा हो या काशी साह चाह हम या आप भी महाराज तऽ इसपसोचना बकार हrdquo बजनाथ न लगभग जल चक सगरट को जगद श यादव क तरफ बढ़ात

ए कहाldquoऐसा भी बात नह ह अ छा छोड़ो न ई बताओ क या पता कए हो कामता बाब

क लड़कवा कछ पोल ट स खला ह या साला दखन म ही हमको बड़का शा तर लगताह अभी महीना- महीना पहल शायद एक दन दख थ उसको चौक पर अब तो शायदगया द लीrdquo जगद श यादव न कहानी म एक नए पा क भ मका को था पत करत एकहा

ldquoनह हमको यह सब नह पता क कौन या पोल ट स खला हा ल कन बाप र ऊलड़का जानत ह मा टर साहब क कोख म पता नह कौन पागल ज मा ह हो हरदम नारी-नारी लडीस-लडीस करत रहता ह या तो बोलता ह क कौन तो नारी का लड़ाई होगा हमलोग लड़ग औरत को मद स छड़ाना ह मद का बात नह सनना ह नारी को यही सबअड-बड बकर-बकर करत रहता ह पता नह कौन नारी को पकड़ दख लया ह एक दनकह रहा था क गाव म हम लोग अपनी औरत को घर म कद करक रख ह कहता थाऔरत को गलाम बनाकर रख रह ह हम आप मन साला लोग क घर-प रवार तोड़न वालाजहर फला रहा खलआम हर ब तया म लडीस-लडीस ही करत रहता ह एकरा अप कोईचता ही नह कसा मद ह बताइए मरारी क माय तऽ बोली क हमर पतो क कछोसमझाए आया तऽ मार झाड गोड़ तोड़ दगrdquo बजनाथ न मन-ही-मन शखर का चहरा यादकरत ए बताया

ldquoसाला ई कौन ल डसाहा पढ़ाई ह र भाईrdquo जगद श यादव भी अचरज म बोलldquoपता नह दादा बरची ही बोला क शखर नारीवाद लड़का ह अब आप ही बताइए

क साला मा टर साब इतना पढ़ाए- लखाए द ली भजकर पढ़- लखकर नौकरी नहखोजन का तऽ नरवाद बन हrdquo अबक बजनाथ न अपनी ओर स कामता बाब क अभागचहर क क पना करत ए कहा

ldquoहा ल कन ई सा ला कोनो बीमारी होगा यार बजनाथ नह तऽ इस तरह कोई जसहो क लडीस क लए काह एकदम झ का जाएगा ई स लता ह बदशी माल फक रहा हद ली क सगत मrdquo जगद श यादव इ मीनान स चबतर पर लटत ए बोल

बजरगबली चबतर पर जगद श यादव और बजनाथ मडल नारीवाद क वमश को नयाकयामती आयाम दत-दत दो सगरट फक चक थ इस वमश क सा ी वय हनमान जी थ

जो सामन खड़ थ और उनक म त क पर क पास ही लखा आ था ldquoकपया ल डज कोम त नह छना हrdquo ऐस प व थल पर नारीवाद क ताजा वमश न एक नया अथ हण करलया था आग क चचा को अब बीड़ी क भरोस चलना था जसका जगाड़ वहा स गजर रहगणशी महतो को हकाकर जगद श यादव न कर लया था गणशी न मनटभर हाल-चालपछा और जब स मट ठाभर वाली बीड़ी क बडल स छह बीड़ी नकालकर द द औरसाइ कल म पडल मारता खत क तरफ चलता बना इधर दोन अब पर-हाथ पसार और भीआराम स लट चक थ जगद श यादव न कपार क नीच गमझी रख लट ए पल-दो पलआख बद करक कछ सोचा और फर म करान लग

ldquo या आ जगद श दादा मन-मन म कया या रह हrdquo बजनाथ न उचककर पनःउठकर बठत ए जगद श यादव क म क का गहरा राज पछा

ldquoऐस ही बस एक बात समझ म आया ह मन म दखत हो न कामता बाब कमभीतरघ ा ह का ऊ मह स मीठ ह खाली भतर पोल ट स क लाल मचा ठसल ह उसकई ह जात क भ महार और फकन सह राजपत मन-मन तो दोन जात म टसल रहब करताह हम तो श स दख ह बर नया टट म तऽ एक जमाना खब गोली चला राजपत-भ महार क बीच ई अपर का ट लोग का साला अपना लड़ाई चलत रहता ह तम दखत होन क बरागी पडी भी न क बो फकन सह क बड़ाई करगा न क बो कामता मा टर का औरन ही कामता मा टर कभी भी फकन सह का अ छाई बोलगा अब डायर ट तो कामतामा टर का औकात ह नह क फकन सह को कह भी नीचा दखा सक उ ह को नीचादखान म अपना बटा को द ली पढ़न भज दया दख कर सक अब वही लड़का मौकामलत ही बचारी एक गरीब का लड़क को ह थयार बनाकर थाना प लस का खल खलवादया भाई अब ई सब जानता ही ह क अगर बीडीओ को जल होता तो फकन सह का भीतबा तो डाउन होता हीrdquo जगद श यादव न एकदम ज गा जासस वाल अदाज म कहा

ldquoह म हो भी सकता ह भाई ऊ लड़का साला लडीस को ह थयार या कछो बनासकता ह र बाप यही तो खाली करता ही ह उrdquo बजनाथ न जगद श यादव को ब त यानस सनन क बाद आख खोलकर कहा

ldquoहा ल कन हम लोग को यही बड़बक नह करना ह हम लोग को यह नह सोचना हक हम यादव ह तो तमस बड़ा ह और तम तली हो तो हमस छोटा हो य सब पराना मा यताको साइड रखना होगा अब तब ई अपर का ट स लड़ सकोग बजनाथrdquo महावीर जी कचबतर पर एक नए समतामलक पथ क थापना करत ए जगद श यादव न कहा इतनीदर स चल रही बातचीत म पहली बार बजनाथ का इस बात पर यान गया क चबतर कसमान ऊचाई पर साथ-साथ बठ रहन क बाद भी उसका थान जगद श यादव स छोटा ह

य क वह तली था ल कन उसन खद को छोटा माना नह य क अभी-अभी जगद शयादव न ऐसा सोचन स मना कया था और छोट को हमशा बड़ क बात माननी चा हएइस ही तो अ छ स कार कहत ह जा हर ह स कारवान समाज म बड़-छोट का फक औरउनका यह लहाज तो रहना ही चा हए तब स बीड़ी- सगरट सग मोटा-मोट यही म यवान

श ा हण कर अब बजनाथ जान क लए खड़ा आ उस अब जाकर याद आया क घरपर बगल क गाव ह दया स कछ लोग गाय खरीदन आन वाल थ उसक यहा

ldquoहम चलत ह अब दादा ाहक आया होगा ार पर माल-जाल बचना ह चतकबरीगया बच रह हrdquo बजनाथ न चबतर स उतरत ए कहा

ldquoअर तम भी साला बजनाथ कतना गाय बचकर खाओग पाप का ढर जमा कर रहाह तमrdquo जगद श यादव न भी चबतर स नीच आ हसत ए कहा

ldquoगाय बचकर खा रह ह ईमान बचकर तो नह कौन पाप बड़ा ह जगद श दाrdquoबजनाथ न बोलकर गमछा सर पर बाध लया

ldquoईमान बचन वाला तऽ बचा रहगा ल कन गाय बचन वाला नरक जाएगा र बजनाथrdquoजगद श यादव न जोर स हसत ए कहा

ldquoअर तो हम तो खती- कसानी खा तर और धा मबशी बचत ह महराज कोनोचमड़ा बयपारी को थोड़ बचत ह गाय काटन क लए और हमार पास ह ही कतना माल-जाल अब पजी और मबशी नो तऽ चोर ल गया पछला चोरी मrdquo बजनाथ न बनाम कराए य ही कहा

ldquoअर हा याद आया सन तमको तो बड़का फरा लगा कतना का नकसान आ होगामोटा-मोट rdquo जगद श यादव न सनी-सनाई बबाद क आकड़ को क फम करन लएगभीरता स पछा

ldquoदादा मोटा-मोट या सम झए टोटल बबाद हो गए थ तीन नया चकचक धागाय और गा भन भस सात बकरी एकदम अगना स हाककर ल गया चोरrdquo

ldquoओह कौन था चोर लोगrdquo जगद श यादव न वाभा वक ज ासा स पछाldquoमन दखत तऽ ल जान दत गजब बात ह हम का जान क चोर था महराजrdquo

बजनाथ न मडी हला क कहाldquoसाला गाव का ही होगा या तो चमरौट का लड़का लोग होगा या फर म जद टोला

वाला लखरा सबrdquo जगद श यादव न अपन मन क बात स अदाजा लगाकर चोर का पतादया

ldquoपता नह कौन था हम तो मझला साला क बहा म ससराल गए थ बस एक राततक घर खाली छोड़ थ आए तो खाली ही मला सालाrdquo बजनाथ न बीती ई कसक कसाथ कहा

ldquoबड़का घाटा लग गया होगा तमको भाई बजनाथrdquo जगद श यादव न अब जा कक फम होत ए रोमाचक अफसोस क साथ कहा

ldquoपरा पजी खतम था याम जी मोद स कजा लन गए तो साला याज ही इतना लताह क नह पार लगता हमस फर फकन बाब क आग-पीछ भी कए एक ठो ख सी काट कमास बच आधा और आधा फकन सह को खला दए ल कन कछ मदद माग तो बोलपसा अगला महीना लना अभी बल फसल ह लॉक मrdquo बजनाथ न ह क आवाज म

कहाldquo फर कस बब था कए कछ अर हमको कहत तम कछ तो मदद कर ही दत हमrdquo

जगद श यादव न टल चक सम या पर राहत क साथ कहाldquoभगवान क कपा स काम हो गया नह तो आपस तो सोच ही थ कहन काrdquo

बजनाथ न कज लन क अपनी पछली योजना को बतात ए कहा जगद श यादव कोबजनाथ क इस भयकर योजना क क सल हो जान का डम कल सकन मला ल कनआ खर उनक ह स म यह राहत कसक कारण आई ह यह जानन क उ सकता बढ़ गई

ldquoकौन सभाला त हारा कामrdquo जगद श यादव न पछ ही दयाldquo व ास क रएगाrdquo बजनाथ न थोड़ी-सी म कराहट क साथ कहाldquoअर बोलो ना कौनrdquo जगद श यादव न झझआकर पछाrdquoldquoचोरी क ठ क दन बाद ही हम खत स आ रह थ रा ता म बर चया मल गया

हमको टोक दया हम सोच क ज र ई साला चोरी क बार म कछ जानता होगा यहीच कर म हम तनी क क ब तयान लग वह भी सब ब तया बड़ा खोद-खोद क पछन लगाइसी गपशप म हम अपना खराब हालत भी बता दए दादा आख म लोर आ गया हमरrdquoबजनाथ कहत-कहत शायद अब भी थोड़ा भावक-सा हो गया था जगद श यादव न बड़ीसहानभ त स उसक कध पर अपना दा हना हाथ रखा धीर स

ldquoओहो तब तो ख सनकर हरामी मजा लया होगा हम तो समझ ही गए थ क ऊभी होगा चोरी म तम भी उसको इतना ब ढ़या स जानत हो फर भी या ज रत था उसकसामन ख रोन काrdquo जगद श यादव न व सारी बाक बात खद ही अपन स ही समझत एकह डाल जो अभी बजनाथ न बताई भी नह थ

ldquoहा इतना ब ढ़या स नह ना जानत थ हम हम तो छो ड़ए कोई नह जानता ह आपभी नह rdquo

ldquoगाय काटता ह या ई साला धरम नाशक ह ही जलाल मया का साथ पकड़ाहोगा उसी का ह चमड़ा का धधा तब ना गाव-दहात स इतना गाय का चोरी बढ़ गया हइसका सकदरपर म भी खब बठक ह आजकल चम ड़या प ह ई सबकाrdquo जगद शयादव क अदर क गाय माता न रभात ए आ ोश म कहा

ldquoअर गाय काटता नह हमारा नाक कटन स बचाया ना रयल ऊपर स कड़ा औरभीतर स पानी होता ह दादा आप तो इतना उ टा-प टा सोचकर बठ ह क अब हम याबोल आगrdquo बजनाथ न हाथ चमकात ए कहा

ldquoमतलबrdquo जगद श यादव अबक च क कम और झप यादाldquoअर वही जवान जबरद ती हाथ धर क प ब र क पास ल गया हम ना-ना करत रह

नह माना कहा काका जसा ह आप आपको पसा का ज रत ह ना हम दलवात ह नाहम भी साला हालत स मजबर चल दए उसक बाद तो प छए मत प ब र तो और सोनाआदमी ह दादा बना याज पसा दया आज तक कसी को कहा भी नह क हमको कजा

दया ह कोई एहसान नह जताया बताइए अब आप कसा आदमी ह यह लोगrdquo बजनाथन जगद श यादव स एकदम सटत ए कहा

ldquoभाई अब त हारा मदद कया ह त हार लए तो ब ढ़या ही आदमी समझोrdquoजगद श यादव न धीमी आवाज म थक ए धावक क तरह कहा जसक मन का घोड़ा नजान कहा-कहा स दौड़कर वापस आ अभी थर खड़ा हो गया था

ldquoखाली हमार लए नह मरारी जो अपना बटा को ल इलाज करान गया ना उसम भीकछ पसा मदद कया ह प ब रrdquo बजनाथ न एक और नई बात बताई

ldquoबाप र ई तो चमरौट म राजा कण आ बसा ह भाई लो चलो अब चला जाए ब तलट तक फालत बठ गए आज ज द जाना ह हमको प ब र तऽ पानी का पसा कमाकरलाया ह लटाएगा ही या चता ह उसकोrdquo जगद श यादव मह बचकाकर बोल और सीधबाइक पर जा बठ चाबी लगात कक मार बाइक टाट कर द

वो बजनाथ को छोड़ नकल ही जात ल कन तब तक म तद खड़ा बजनाथ कदकरपीछ बठ चका था जगद श यादव न दना-दन गयर बदलत ए बाइक को र तार धरा द

ldquoतनी घर तक छोड़ द जए न हमको दादाrdquo बजनाथ न जोर क लगी क स उछलतए फ रयाद वर म पीछ स जगद श यादव क कान क पास मह ल जा कहा

ldquoहमको जरा ज री काम स जाना ह उतरो उतना अदर त हार गली तक नहजाएग यही मन रोड पर छोड़ दत ह जगद श यादव तब तक क बाइक पनः बढ़ा चकथ बजनाथ हड़बड़ाकर कदत ए उतरा उतरकर पगडडी धर चलत ए उसन शट कऊपरी जब स खनी नकाली और उस रगड़त ए मन-ही-मन बार-बार राजा कण क छ वको याद करन लगा उसन शायद कभी महाभारत धारावा हक क दौर म इस दखा था पर वयाद धधली-सी हो गई थ वो राजा कण का चहरा याद करन क को शश कर रहा था परउस बार-बार प ब र का ही चहरा दख जाता जान-अनजान ऐस ही तो छ वया गढ़ जातीह आज अच क म ही जगद श यादव बजनाथ क मन म नया कण छाप गए थ

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आज एकदम सबर-सबर बदरी म सर दह पर बस धोती-गमछा लपट प षो म बाब कदरवाज प च गए थ माथ स सरस तल रसकर कनपट पर आ रहा था गल म मोबाइललटका आ था जसका फ ता उनक गल क ा माला क धाग स लटपटाया आ थाबदरी म सर क गल म अभी वद और व ान दोन लझबझाकर गथ-स गए थ दरवाज परप च बदरी म सर दोन हाथ लगा ा क धाग स मोबाइल का फ ता छड़ान लग कमरक धोती म आज का अखबार ख सा आ था मनटभर क मश कत क बाद उ ह न गदनस मोबाइल नकाला और एक हाथ म अखबार ल प षो म बाब क दरवाज पर आवाज दनलग आवाज सनकर लटक भडारी नकलकर आया जो पीछ गमल म पानी द रहा था

ldquo या जी कहा ह प षो म बाबrdquo बदरी म सर न उस दखत ही पछाldquo णाम बाबा बाबा मा लक तऽ सतल ह अभीrdquo लटक न प षो म बाब का करट

टटस अपडट कयाldquoकब तक सतल रहग अब जगन समय हो गया उठाओ उठाओ मरद उनकोrdquo

बदरी म सर न ल णा म कहा पर लटक को बात सीधी अ भधा म ही समझ आई थी वहबदरी म सर क तरफ कस सरकाकर अदर प षो म बाब को दखन गया बदरी म सरधोती को ह का ऊपर ख च दोन पाव कस पर चढ़ा समटकर बठ गए अब अखबारकमरबद स नकाल हाथ म लए ए थ एक हाथ स मोबाइल पर कछ दख रह थ नपर कछ नीली-हरी ब ी जलती और बझती असल म इस दौर म सामा य स वधा वालसाधारण मोबाइल पर गाव-क ब म आदमी दनभर या तो साप वाला गम खलता था याटप- टप- टप- टप कर नटवक जाच करता रहता था बदरी म सर अभी शायद यही कर रहथ तभी लटक अदर स अपन मा लक क सचना लकर आया

ldquoमा लक जग गए हrdquo यह बोलकर लटक सामन पौध म पानी दन लगाldquoऐ ई मोबाइल काह नह लगता ह जी प षो म बाब का नबर सही फट ह न हमार

पासrdquo बदरी म सर न एक नजर मोबाइल और सरी नजर लटक पर डालत ए कहाldquoअर बाबा टावर नह होगा मा लक तो सतल थ नबर कस लगगाrdquo लटक न

टलीकॉम वशष क भा त बताया गाव-दहात म अ सर नटवक को गाव क भावशालीआदमी क सग ही सतना-उठना होता था जसा क अभी लटक न बताया

ldquoभ क मरद टाबर तऽ पकड़ ही रहा ह यह दखो तीन ठो खट ट दखा रहा ह फोनबद होगा प षो म बाब काrdquo बदरी म सर न ब त व ा नक अदाजा लगाया

ldquoफो स खट ट ह आपका टाबर पकड़गा तो द खए हमार जसा हरा ब ी जलगा

आटोम टकrdquo लटक न जब स अपना फोन नकालकर दखात ए कहा गाव म मोबाइलऔर नटवक को लकर इस तरह क गप कड़ी चलती रहती थी इ ह रोजाना क मौ लकमाथाप ची का कमाल था क बना क यटर पढ़-पढ़ाए ही भारत क गाव-गाव म एक जबरातकनीक वशष पीढ़ पदा हो गई जो आग चलकर ड जटल इ डया वाली ा त काआधार बनन वाली थी

तभी प षो म बाब लगी कस गमछ स मह-हाथ प छत अदर स बाहर बरामद मआए

लटक न कदकर कस लगाईldquoपरणाम परणाम प षो म बाब ब त दर सत आज अब स तए मत जगन का

समय आ गयाrdquo बदरी म सर न दखत ही कस पर स पाव नीच कर हाथ जोड़त एजोरदार अ भवादन क साथ कहा

ldquoअर नह म सर जी हम तो सय दय स पहल उठ जा रह ह आजकल बड़ा ब ढ़यासाधना ट भी पर एक रामदव बाबा आता ह योग करता ह बड़ा अ छा चीज हकपालभा त अनलोम- वलोम हम तो वही सब कर लत ह आधा घटा बड़ा श रहता हमाइडrdquo प षो म सह न कस पर आराम स बठत ए कहा

ldquoली जए आप ट भी पर योग दख रह ह यह कौनो रामदव बाबा का लाया आ चीजथोड़ ह प षो म बाब अर यह तो लाख बरस स ाचीन टाइम क काल स हमार पवजकरत आ रह ह आज भी उ ह लोग का कया आ यह असर ह क हम लोग योग नह भीकर पात ह तब भी फट-फाट ह एकदमrdquo बदरी म सर न योग क इ तहास उसकआ व कार और त ापन म अपन पवज क योगदान और उन पवज क कए योग कावा य पर आज तक पड़न वाल थायी चरयगीन असर जो लोबल वॉ मग स भी पराना

था आय म इन सबको रखा कत करत ए कहा मगल का जमा खजाना ख म हो गयाउनक हीर-जवरात पता नह कहा गए कसन उ ह बच खाया कौन लटकर ल गया ल कनबदरी म सर क पवज ारा जमा योग का असर स दय स आज तक उनक पदा होतीन ल पर था बदरी म सर न आज सबर-सबर जीव व ान को इतनी बड़ी चनौती द द थीक जीव बनान वाल ा का यान अगर कभी भी भग आ होगा तो वह आज बदरी बाबाको ही सनकर आ होगा प षो म सह को तो लगा उनक पवज कम न रह जाए उ ह नभी तड़ाक स कहा ldquoअर भाई हमारा तो परा पवज ही पहलवान था यो ा था कसी सनह दबा कभी आज तक भी दख ली जए पवज क कए का असर तो रहता ही हrdquo

बगल म खड़ा लटक मन-ही-मन अपन पवज को कोस रहा था lsquoसाल कछ ब ढ़याकरक नह गए कची चलावत रह जदगीभर तब न आज हमारा ई हाल ह राजपत-बाभनका पवज ही मामला तगड़ा सट करक चला गया तब न सख भोग रहा ई लोगrsquo यहीसोचत-सोचत बचारा भीतर स चाय लान चला गया अगल मनट चाय आ गई

ldquoअर योग करक तरत चाय नह पीना चा हए जाओ पानी लाओ हमार खा तर घरक औरत को भी कछ पता तो होता नह ह ओहrdquo प षो म सह न कप लत ए लटक

स कहाldquoअब योग छो ड़ए और कसरत का तयारी क जएrdquo बदरी म सर इतन म म क

मारकर कहत-कहत गम चाय क दो घट मार भी चक थldquoकौन बात का कसरत महाराजrdquo प षो म सह न पर स लगी ऊपर समटत ए

पछाldquoअखबार दख आज काrdquo बदरी म सर न सग लाए अखबार का प ा खोलत ए

दखायाldquoली जए अर जर पचायत चनाव का तारीख घो षत हो गया हrdquo बदरी म सर न

कग यज सना द थी यह सनत ही प षो म सह कस स उठकर थोड़ा आग आए औरबदरी म सर क हाथ स अखबार लया

अखबार लत ही बाए-दाए एक नजर दखा और आवाज लगाई ldquoअर लटकआ ऐलटकrdquo

इतना सनना था क तब तक तो लटक उनका च मा ल अदर स आ चका था यहउसक दनचया ही थी क जस ही प षो म बाब क हाथ कोई भी कागज-प र या अखबारदखता तो दौड़कर पहल च मा ल आता और तब तक वह बगल म खड़ा रहता जब तक कप षो म बाब हाथ लए कागज या अखबार को पढ़ च मा वापस उसक हाथ म न रख दप षो म बाब अभी बड़ यान स अखबार म छपी खबर पढ़न लग बगल खड़ा लटक भीगदन लबी कर झाकन लगा खबर सबक लए ज री और उ सा हत करन वाली थी परगाव-पचायत क खा तर ब त मह वपण समाचार लकर आया था आज का अखबार भारतएक सश लोकत था और चनाव लोकत का सबस बड़ा महापव यह बात य ही नहकही जाती थी चनाव एक उ सव था एक योहार थाmdashभारत क गाव इसक सबस बड़उदाहरण थ उसम भी खास करक पचायत चनाव नए अमीर-परान गरीब छोटा-बड़ाशोषक-शो षत पीड़क-पी ड़त म हला-प ष ककर- बलाई सब म एक साथ-सा उ साहहोता चनाव को लकर म दर-म जद म चौपाल नय मत हो जाती चाय कान पानकान पर भीड़ बढ़ जाती हर लोकत म वोट क प म अपन क मती होन क

एहसास स भर जाता और अपना अ धकतम म य तय करक रखन लगता लड़क अपनीबाइक झाड़-प छकर तयार कर लत राजनी तक चतना स भर य यवा बाइक क टकसखाकर सीट पर बठ या शय क राह तकन लगत सभी जा तय क एक- सर सलाभदायक री बन जाती और अपनी जा त क बीच आपसी बध व क भावना बढ़ जातीइसम सभी जा तय क लोग अपना-अपना एक ठ क-ठाक सयाना सरदार खोजकर तयारकर लत जो वोट खरीद- ब क मडी म उनक ओर स लन-दन क मह वपण भ मकानभा सक गाव का गाव और उसका समाज छोट-छोट जातीय कबील म बटकर चनावीउ सवध मता म बड़ हष और हो शयारी क साथ भाग लन को तयार हो जाता राजनी तकचतना क लहाज स दश क महानगर इन गाव क मकाबल कह नह ठहरत थ राजनी त नइस म क क गाव को पता नह या दया ल कन इन गाव न राजनी त को यह ब त ठोस

भरोसा दया क चाह हम हर बार भल ठग जाए पर हर नए चनाव को हम गाव पनः नईउ मीद स दखग और नई म य दर पर सलटग और शायद इसी भरोस का तो फलसफा थाक भारत म लोकत आज भी न त होकर रहता लोग अपना सबकछ लटाकर भीलोकत को बचाए ए थ लोग न इस लवल क कबानी द थी इस दश क लोकत कोबचाए रखन क लए कबानी का लवल आज तक मटन था

ldquoडट बड़ा ज द द दया ह चनाव का अगल महीन क आ खरी म ही हrdquoldquoअर डट का या ह अगल महीन को हो चाह आज ही हो जाए चनाव का रज टवा

तऽ तय ही न ह अबक न वरोध बजता फकन सहrdquo बदरी म सर न चनाव प रणाम परशत- तशत जीत वाला सबस तज ए जट पोल द दया था

ldquoऐसा भी नह ह म सर जी इल शन कोई भी आसान नह समझना चा हएrdquoप षो म सह न दोन पाव कस स नीच लटकाकर हलात ए कहा

ldquoप षो म बाब पछला चनाव भल जाइए अबक माहौल सरा ह कोई वरोधीनह फकन बाब का ताप भी बढ़ा ह इतना दन म बना धान बन भी तो पचायत का हरकाम कया ह य आदमीrdquo बदरी म सर न जीत का रा ता साफ करत ए कहा

ldquoराजनी त म जो न त हो जाता ह वह चत हो जाता ह या माहौल ह यह तो आजस पता चलगा अभी तो चनाव का डट आया ही हrdquo प षो म सह न ह क म कराहट कसाथ कहा

मलखानपर पचायत का प रसीमन इस कार था क मलखानपर स महज दोकलोमीटर क री पर नद क उस पार थत सकदरपर गाव भी उसी पचायत म आताथा इस तरह स य दो म य गाव थ पचायत क और इन दोन गाव क बीच भी कछ छतर

ए टोल थ जहा नामभर क आबाद थी सकदरपर म म लम आबाद थोड़ी यादा थीऔर ह कम तथा मलखानपर म ह यादा थ और म लम गनती क कछ घर दोन गावक बीच लबालब नद होन क बावजद जब-जब चनाव आता गाव म आग लग ही जाती थीमलखानपर पचायत म जब-जब भी मकाबला होता तो इ ह दोन गाव क उ मीदवार कबीच सीध तौर पर होता था पछल दो दशक स सकदरपर स कोई म लम उ मीदवार हीखड़ा होता और मलखानपर स एकमा उ मीदवार प षो म सह क खानदान स इनमबाजी अ धकतर प षो म सह क ही हाथ लगी थी पछल चनाव म मकाबला काट का थाऔर सकदरपर क उ मीदवार असलम मया न मलखानपर क कछ ह वोट पर भीसधमारी कर द थी ऐसा लग रहा था क प षो म सह क बट फकन सह क हार न होजाए ऐसी हालत म मलखानपर स लकर सकदरपर तक क बथ पर दोन तरफ स जमकरतमाशा आ कह -कह मारपीट भी ई असलम मया न नजद क ट कर म हाथ आईजीत को नकला दख चनाव म धाधली क शकायत रा य नवाचन आयोग स कर द इसबाबत कछ सबत भी पश कर दए नतीजा यह आ क इस मौक पर फकन सह कानवाचन रद द कर यहा चनाव आगामी कसी तारीख तक नल बत कर दया गया तब सलगभग दो साल क बाद यह मौका आया था जब रा य क कई छट और र सीट पर

पचायत चनाव होन थ इधर असलम मया क पछल साल ही दयाघात स मौत हो चकथी और उसका बटा सालभर पहल ही गाव छोड़ मबई कमान चला गया था इस बारसकदरपर स कसी कड़ उ मीदवार क सभावना त काल नह दख रही थी

पचायत चनाव म राजनी तक दल क च कम नह होती थी चनाव नदलीय प तपर लड़ जान क बाद भी हर उ मीदवार क पीछ कोई-न-कोई दल ज र अ य प सखड़ा रहता था असलम मया परान क य न ट रह थ जब क प षो म सह का खानदानदादा जमान स हसाबी रहा था दल का चयन काल और प र थ त क हसाब स करता थावतमान म अगर दलीय राजनी त क लहाज स दखत तो मलखानपर पचायत भतरामपरवधानसभा क अतगत आती थी यहा स नवतमान वधायक सतदर स यवाद थइ ह न अपन वप ी भवन र साद भावक को हराया था फकन सह वतमान वधायकका ही समथक था वस भी आदमी का भ व य वतमान क ही साथ रहन म होता ह

इधर अखबार पढ़ प षो म सह क दरवाज कछ और लोग सबह टहलत-घमत आचक थ अब तक तीन बार चाय क दौर चल चक थ लटक सबक खाली कप समट ही रहाथा क तभी धल उड़ाती सफद बोलरो आकर खड़ी हो गई फकन सह आ गया था वहादरवाज पर बठ खड़ सभी लोग चहक उठ फकन सह को दखकर फकन सह अब कवलएक भावशाली ढ ठ ठकदार और गाव का अघो षत नाजायज म खया नह था ब कसवधा नक तौर पर धानी क पद का एक जायज उ मीदवार होन वाला था

ldquoआइए आइए हो-हो हा-हा आहा आइए मन तऽ कर रहा ह क अभीए मालापहना दrdquo बदरी म सर अवध उ साह स भर बोल

ldquoपहल इनको असली बात तो बताइएrdquo पड़ोस क ब ल न म कराकर खनी बनात एटोका

ldquoअर हमको पता ह भाई सब पता ह हम ही को पता नह रहगा सबस पहल फोनघस गया हमार मोबाइल पर इल शन का डट बड़ा कम ह यह यान र खए सब लोगrdquoफकन सह न गाड़ी स उतरत ही क डड टयाना मड म गभीर कमान सभालत ए कहा

ldquoआदश क रए ना धआ उड़ा दग बस दस दन म हीrdquo ह का बच जवान ब ल नखनी मह म डाल हाथ झाड़त ए कहा उधर अब गाव क चौक पर भी चनावी चचा न लहकपकड़ ली थी मरारी चाय कान पर जगद श यादव जोर-जोर स अखबार पढ़ रह थ औरबाक बठ सब चाय हाथ म धर यान स सन रह थ तभी जगद श यादव को अपनी रखीचाय का याल आया तो उ ह न अचानक अखबार मोड़कर रखा और चाय का गलासउठाया अखबार रखत ही वह सामन खड़ एक आदमी न उस उठाया और थोड़ा कनारखड़ हो पढ़न लगा तीन लोग उसक पीछ भी खड़ हो लए कामभर क चीज जगद शयादव न ऊच वर म पढ़ सबको लगभग बता ही द थ अब तो आज स चनावी दगल कचचा का शभारभ होना था जस पर चनाव चलना था

ldquoइस बार बथ कड़ती खब होगा जरा भी धाधली म कल ह इस बार बथ लटनाअसभव कर दगा शासन य क पछला बार यही सबका शकायत स चनाव रद द आ

था सो इस बार टाइट कर दगाrdquoजगद श यादव न लोकत क पव पर सभा वत कड़ पहर होन क आशका स च तत

होत ए कहा उनक चता स लग रहा था क इस पव को खलकर मनान दन म शासनबाधा डाल जनता क हष लास म कमी कर सकता ह एक आजाद म क म जब मन तबबथ म घसकर जतना मन उतना वोट दकर आन क ही आजाद न हो तो कस बात कफर आजाद और या पीटना फर लोकत का झठा डका नए वोटर बन यवा का जोशदखत बनता था य क नाम पर दनादन प ष ारा वोट दकर कई य ारा प ष कभी नाम पर वोट डालकर यहा चनाव लोकत म लग क आधार पर भदभाव क लए कोईजगह नह छोड़ता कई मतदाता तो दशक पहल वग जा चक लोग क नाम पर भी मत दआत भारत म लोकत क जड़ नीच कतनी गहरी थ यह तो पता नह पर ऊपर इसकशाखा वग तक को ज र पश करती थी ल कन सबको अब चता होन लगी क अगर

व था चाक-चौबद और कड़ी रही तो फर चनाव का मतलब ही या रह जाएगाldquo लक कमाडो भर दगा तो चनाव बकार ही सम झए फरrdquo बजनाथ न एक नराश

मतदाता क प म कहाldquoअर कमाडो कौनो ऊपर वग स आता ह या ऊ भी तो आदमी ही ह उसको

चनाव क ड यट स मतलब होता ह कोई जीता कोई हारा उसको या मतलब ह रात कोदसी मगा और भात खाएगा तो पर दन सब सहयोग दता ह मसीनगन साइड रख क सततऽ जाता ह बचारा हा तीन ठो ब ढ़या ख टया जगाड़ कर द द जए बस हम एक हजारचनाव दख ह कोनो नया बात ह या ई कड़ा सर ाrdquo वह चाय पी रह एक बजग न

व था पर भरोसा जतात ए अपना हजारी अनभव सनाया वह शायद कसी बस सउतरा आ या ी था

ldquoहा-हा ठ क बोल रह ह ई ठ क बोल रह ह ईrdquo चार-पाच आवाज एक साथ मलकरगज

ldquoवस भी चाह कड़ाई हो या ढ ला छोड़ जनता का मन फकन सह क साथ रहगा तोकमाडो का कर लगा अब कौन ह मकाबला म असलम मया भी गजर ही गया जो तनी-मनी ट कर दता भी थाrdquo अभी कछ ही मनट पहल टहलत ए वहा चाय पीन प च डॉ टरबाल न एकदम ता कक बात रख द थी उनक बात म दम था डॉ टर बाल क सामनही तो असलम मया जगत स खसत ए थ इस तरह अपनी तफानी गदबाजी स एक औरवकट ल फकन सह क लए मदान खाली करा दन का यश भी डॉ टर बाल क ही डॉ टरीखात म था

ldquoइतना भी आसान मत सम झए आप मसलमानी पोल ट स का हाल डोकडर बाबहमस यादा कौन जानगा जी हमार कौम को हमार कौम का क डडट इस मतबा भीआएगा ही सकदरपर स हवा आ चका ह हमकोrdquo लड डन मया न म कयात ए कौमीराजनी त पर अपनी जबरद त पकड़ का हवाला दया

ldquoहवा का बात हवा क जसा ही होता ह कोई ठोस जानकारी हो तो बताओ मदrdquo

जगद श यादव न ग प म गभीर त व फटत ए कहाldquoहवा म नह बोल रह ह हम सबकछ तय हो गया हrdquo लड डन मया न चहर पर

गभीर भाव लाकर कहा अबक ldquoनाम बताओ न क डडट काrdquo डॉ टर बाल न झड़ककर कहा य सनत ही लड डन

पलभर शात हो गए मन तो आया क नए क डडट को डॉ टर साब ठ क होन का दवा न दआए तब तो फकन सह सच म न वरोध ही हो जाएगा इस बार वस भी आ थक प सकमजोर आस-पास क म लम समाज क अ धकतर मरीज डॉ टर बाल क पास ही आतथ और इ ह क माफत ज त ड पच हो जात थ सो लड डन क शका एक वाभा वक

या ही थीldquoहा तो बता दो न नाम इसम या छपाना चनाव या लका-छपा क लड़गाrdquo तब

स चप बरागी प डत जी न जोर स कहाldquoअनवर मयाhellip यही खड़ा हो रहा ह इस बार लखकर रख ली जए इसका दो

लड़का अलीगढ़ म मौलवी ह माल-पानी का चता नह ह यही क डडट ह सकदरपर मrdquoलड डन मया न रह य स पदा हटा उ मीदवार क घोषणा कर द

ldquoलड डन मया हम इ लड का नह ह मसलमान होन का मतलब यह नह ह क सबबात तम ही जानोग अर ई अनवर मया दवबद वाला ह ना यह तो मा तीन घर सयादवबद मसलमान ह सकदरपर म इसको साला तम लोग स ी सब वोट दगा जी कभीअनवर मया को 20 वोट स यादा आ जाए तो कहना झाट पता ह तमको मसलमानीपोल ट स अभी अभी और गो त खाओ सग ब त कम जान हो तम मसलमानी समाजकोrdquo जगद श यादव बोलत-बोलत जस तनतना गए थ

ldquoअर आप तो गम हो गए हमको का लना शया-स ी स हम तो फकन बाब क वोटरह जगद श भाई जब असलम मया मरा रलशन म था तब भी उसको वोट नह दए हमअपना गाव-टोला पहल दखत ह हमrdquo लड डन मया न कछ सोचत ही तरत अपनी कौमीराजनी तक वशष ता क नया स घर वापसी करत ए कहा उस शायद थान औरहालात दोन का यान हो आया था

इसी तरह उ मीदवारी क चचा जीत-हार क अनमान क चचा क साथ दो-चार दनगजर गए थ भतरामपर वधानसभा क नवतमान वधायक सतदर स यवाद इसी बीचलगातार तीन स चार बार फकन सह क घर आ चक थ फकन सह का चनावी माहौल बनचका था उधर वधायक म हार भवन र साद भावक भी लगातार सकदरपर का दौराकर रह थ पचायत चनाव क बहान सतदर स यवाद और भवन र साद क बीच भी

त ा क लड़ाई थी भवन र साद भावक कसी भी क मत पर फकन सह को हरासतदर स यवाद का कद छाटना चाहत थ इस लए तो वह ताबड़तोड़ दौरा कर सकदरपरस कोई याशी खोज रह थ फकन सह क खलाफ य क मलखानपर म तो कसी

याशी का मलना असभव ही था इधर वधायक सतदर स यवाद न तो फकन सह कोजीत क माला पहन लन क गारट भी द द थी वधायक का वा त वक नाम स य कशरी

था पर स यवाद नाम उ ह जनता स नहवश मला था जस व लभ भाई पटल कोबारदोली क म हला न सरदार नाम दया था असल म आ यह था क एक बार भाषणदत व स य कशरी न खल मच स यह वीकार कर लया था क वह कछ भी कर ल परमह स झठ नकल ही जाता ह कई बार चाहा क सच बोल पर झठ क आदत नह जातीअपन च र क बार म इस तरह साफ मन स खलआम ईमानदारीपवक स य बोलन ककारण इनका नाम स यवाद पड़ गया

इसी कार सर नता भवन र साद क साथ भावक लगन क भी एक भावककहानी थी एक बार व कह कसी भोज क दौरान अपन दो सा थय सग दा -मगा डकारतगए करीब घटभर खान क बाद जब उ ह न और मगा लान को कहा तो उ ह बताया गया कव लोग अब तक तीन मगा-म गय का एक भरा-परा प रवार खा चक ह अब घर म कोईनह बचा यह सन नता भवन र साद क मदभरी आख स आस गरन लग वह भावकहो खान क प ल पर ही सर रख रोन लग आख म भात घस गया और आख क कोर मतल-मसाला लटपटा गया वह और रोन लग तब स जनता उनक कोमल दय क कारणउ ह भावक बलान लगी दश क धन-धा य क छो ड़ए जनता ध य ह

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शाम ढलन को थी बरची य तो प ब र क बाइक स ही चलता था आजकल पर आजसबह अपनी साइ कल लकर ही सकदरपर नकला था और अब सरज डबन क साथ लौटरहा था घर न जाकर सीध लखन क झोपड़ी क ही तरफ चला गया वहा पहल स हीप ब र और गणशी महतो बठ ए थ

ldquoबाप र आज कहा लटक गए थ बरची जी इतना दर स आएrdquo दखत ही प ब र नपछा

ldquoदर नह ज द आ गए समझो भाई इल शन का माहौल तो सकदरपर म लगताह दन- दन भर वही चचा चल रहा ह हम भी उसी म बठ गए नताजी भवन र बाब भीभटा गए बठा क हमको मलखानपर का हाल पछन लग हम तो कह दए क अबकप लए फकन सह को हम लोग साथ हrdquo बरची न साइ कल स उतरत ही इतना कह दयातब जाकर बोर पर बठा

ldquoभन र बाब स आप हमको मलवाए थ ना वही लाल टोपी वाला नता जी नाrdquoप ब र न पछा

ldquoहा-हा तमको तो तीन-चार बार भट कराए ह ब ढ़या आदमी ह कम बईमान ह वसअब तक मौका भी नह मला ह जीतगा तब ना दखा जाएगा जात-पात का राजनी त थोड़ापदा म करत ह कसान-मज र क नाम पर ही खल करत ह यह ठ क ह दोगला भीसतदर स यवाद स कम ह अ छा च क बचारा आज तक वधायक बना नह सो वादानह नभान का भी लम नह बनता ह साल पर एक और बात ह ल कन साल म श सपाट एक ही पकड़ा रहा स यब दया क जसन साल-साल दल नह बदलता हrdquo बरची नअपन य नता क त अपनी सद भावना को श द दत ए कहा

ldquoहा आदमी ठ क ह एक बार परखड कारयालय म हमारा काम करा दया थावधायक खाली बड़ा लोग क आरी जाता ह भाईrdquo लखन न भट ठ म आग सलगात एकहा

ldquoका सरफरी ह सकदरपर म कौन हो रहा ह खड़ा वहा सrdquo गणशी न बरची कतरफ थोड़ा-सा सरकत ए पछा

ldquoलग ह भवन र बाब कसी को खोजकर खड़ा करन म चनाव म माल-पानी भी तोलगता ह गणशी दा सकदरपर म मया बचारा कमाए क चनाव लड़ जो पसा वाला थावह सब मना कर दया काह क हार गया तो माल भी जाएगा और राजनी त भी ऐस मम कल तो ह ही उ मीदवार खोजनाrdquo बरची न गणशी क तरफ दखत ए कहा

ldquoअर ज री ही या ह क कोई मसलमान हो वरोधी म कोई सरा नह हो सकता हयाrdquo लखन न बवजह ही एक जायज-सा सवाल पछा

ldquoदखो उन लोग का एकम त वोट हो जाता ह ना बाक कसको ह म ह एक साथइतना वोट फकन सह को छोड़ क मसलमान कम-स-कम मसलमान को वोट द दता ह जटक और फर कोई सरा आदमी फकन सह क खलाफ ह मत ही तो नह करता हमलखानपर म तो खड़ा होता नह कोई और सकदरपर म म लम ही वोटर यादा हइस लए घमा- फराकर मसलमान उ मीदवार ही आ जाता ह खलाफ म ऊपर स असलममया तो प का क य न ट था भाई उसको कोई ह -मसलमान क फक स नह दखता थाभवन र साद का खास था असलम मया इस लए भी वही खड़ा होता थाrdquo बरची नलखन को समझात ए कहा

ldquoजात-पात तो हम भी नह मानत ह ल कन हम तो कभी सकदरपर क मया को वोटना द भया फकन बाब घर क बगल म ह कोई मौका-कमौका पर यही काम आएग आज

धान ह कल क जान वधायक भी बन गाव का तऽ क याण ही होगा का द कत हइनको वोट दन म ह क नह rdquo गणशी न खलआम अपना मत गरात ए कहा

यह सनत बाक सब म करा दए गणशी न जात-धम स पर बड़ खल मन सथानीयता को वरीयता द अपनी बात रख द थी बरची न सामन रखा पानी का मग गटकन

क बाद कहना श कयाldquo कतना दन तक हथजोड़ी क रएगा फकन सह का हो गणशी काका गाव का आधा

खत तऽ बीस बापत मल क लाठ क दम पर दखल कर लया कतना घर म घस इ जतपानी भी ल गया उसका खानदान ल कन अभी तक दरबार नह छटा ह आप लोग स घरक बगल म भ ड़या ह खन पी रहा गाव का ई नह दख रहा आपकोrdquo बरची न जब सएक प ड़या नकालत ए एकदम झझलाहट वाल वर म उलाहना दत ए कहा

बरची को सन गणशी महतो न चहर पर बना कोई भाव लए बस इतना-सा कहाldquoगरीब आदमी ह न बाब कोई भी च ला लगा हम पर तम भी काह छोड़ो ह क

नह र लखनrdquo यह बोल अजीब-सी नरीहता लए म करा दया गणशी महतोयह सन बरची क पास जोर स कछ कहन क कोई गजाइश नह बची थी वह तो अब

और जोर स गरज उठाldquoई साला गरीब गरीब गरीब गरीब या बना इ जत-मयादा क पदा होता ह गरीब

को रीढ़ का हड डी नह दया ह या भगवान साला गरीब क कपार पर लखा होता ह याक जाओ बड़कन का दलाली करना काह हमारा खन जला रह ह आप गणशी दा आपकोफकन सह क ार पर ही मराना ह तो मराइए अबक चनाव म मलखानपर का फ टपरसट वोट उसका वरोधी पाट को जाएगा दख ली जएगाrdquo बरची न एकदम स खअदाज म जरा जोर स ही कहा गणशी महतो चपचाप इ मीनान स बठा ऊपर-नीच करगदन हला रहा था धीर-धीर एक ह क -सी म कान लए गणशी न फर एक बात कह द

ldquoक बो दख हो गरीब को आन बान सान दखात ई सब बड़घरवा को ही शोभा दताह बरचीrdquo यह सनत ही चहर प खापन लए बरची चड़ चड़ायी-सी हसी हस पड़ा

ldquoवाह हो गणशी काका आप भल गए अपना आन-बान कस अपना बटा क सान कखा तर आल बचकर पचा लकर और या- या जगाड़ कर मोटरसाय कल खरीद आप

या ध ा सठ थ बटा को बताए क बाद म आपको ग क रोपनी वा त कजा लना पड़ाउसको आप बताए क जो आपको मआवजा का पसा मला था फसल बीमा वाला वह सबआप मोटरसाय कल म लगा दए ह कसका सान दखान म खरीद औकात स यादा कासामान ह कह रह ह क गरीब को सान नह होता हrdquo बरची इतना एक ही बार म बोलअब शात हो गया उस शायद बोलत-बोलत ही महसस हो गया था क कछ ज री बातबकार म ही बोल गया गणशी महतो बना कछ जवाब म बोल मह इधर-उधर कर थोड़ापीछ हट गया था गम भट ठ क पास स चहर पर तब भी ध क लग रही थी उसन अचानकस ही खड़ होकर गमछ स मह प छा प ब र न तभी झट स उठ गणशी महतो का हाथपकड़ लया

ldquoअर ब ठए काका गसा क कहा जा रह ह भ क अर बरची भाई का तो रोज काबोलना-हसना ह ऐसा ऐ गोसा यए मत हाथ जोड़त ह बठ जाइए काकाrdquo प ब र न हाथपकड़ उस अपनी ओर ख चत ए कहा तभी बरची न हसत ए ही भरी जा चक चलमको गणशी क तरफ बढ़ात ए कहा

ldquoएक स टा जोर स पी लऽ बढ़ऊ शान और बढ़ जाएगा तबrdquo यह सनत सब ठहाकामारकर हस पड़ चलम क एक टान क साथ ही माहौल अब ह का हो गया था बाहर साझक बाद अब ह का-ह का अधरा छा चका था तभी झोपड़ी क बाहर एक बाइक क खड़होन क आवाज सनाई द झट लखन न उचककर दखा पर पहचान नह पाया

ldquoकौन हrdquo प ब र ह क आवाज म बदबदायाldquoपता नह चनाव ह अभी अभी तो ब त तरह क लोग झोपड़ी फस खत-ख लहान

घमत-बौखत मलगाrdquo बरची न मौज म हसत ए कहाldquo बरची ऐ बरची बरची ह या यहा ऐ बरचीrdquo बाहर स आवाज आई आवाज

जानी-पहचानी लगी सबको बरची ही बोर स उठ बाहर नकलाldquoअर ध बजनाथ दा महाराज आप ह ली जए जगद श काका भी ह साथ फकन

सह क पास बाधकर ल च लएगा या हा-हा-हाrdquo बरची न बट क चढ़ म ती क साथहसत ए कहा

ldquoअर लो हम लोग पागल ह या हम लोग काह बाधग भाई तमकोrdquo बजनाथ न भीहसत ए ही कहा

जगद श यादव अब भी बना एक भी श द बोल चपचाप बाइक पर बठ ए थldquoहम सोच क चनाव आन वाला ह तो उसम कछ गलती तो नह ना कर दए हम

अभी तो गलती करन का टाइम श ही आ ह अभी कए नह हrdquo बरची न चहल क

अदाज म कहाldquoऊ त हारा मन ह बाब हम लोग को राजनी त स या लना अपना एक ठो भोट ह

कसी को द दना ह अर पोल ट स छोड़ो हम लोग को तमस काम ह ज री जरा इधरआओ साइडrdquo बजनाथ न पणतः गर-राजनी तक मन और मह बनाकर कहा बजनाथबरची क कध पर हाथ धर चार-पाच कदम चलत ए उस कनार ल आया और लगभग दोमनट क कछ बातचीत ई दोन म बजनाथ अभी अपनी बात कह ही रहा था क बरचीआधा ही सन वहा स झटकत ए चलकर अब जगद श यादव क तरफ आ गया

ldquoअर या जगद श काका आप डायर ट भी बोल दत हमस इसम कौन-सा बड़ा बातहrdquo बरची न हाथ जोड़ तज आवाज म कहा बजनाथ न भी कछ कदम चलकर बरची ककध पर फर हाथ धरा जगद श यादव बस थोड़ा-सा म कराकर अब भी चप ही थ

ldquoआइए ना प ब र यह बठा ह उसस बात कर लत हrdquo बरची झोपड़ी क तरफबढ़त ए बोला

ldquoअर ना ना बरची यहा लखना ह और भी कोई होगा भीतर सबक सामन ठ कनह लगता ह ई सब बात करना थोड़ा समझो बाबrdquo बजनाथ न धीम स कहा

ldquoघर पर ही आत ह प ब र क दखना बरची कसी स चचा मत करना थोड़ा य सबका अ छा नह लगता हrdquo जगद श यादव तब स अभी पहली बार बोल थ

ldquoअर हा हा एकदम काका न त र हए ना च लए प ब र क घर पर ही वहलकर आत ह हम अभी तरत प ब र कोrdquo यह बोल बरची अदर घसा और लगभग दसमनट क बाद प ब र को ज री काम बोल वहा स उठा बाहर लकर आया अपनीसाइ कल वह द वार स सटाकर खड़ी छोड़ द प ब र क साथ बाइक पर बठ उसक घरआ गया बजनाथ और जगद श यादव वहा पहल स ही बाइक लए खड़ थ प ब र बाइकस उतरत ही दौड़कर सबस पहल अदर स कस लन गया

ldquoब ठए ब ठए न चाचा आप लोग खड़ा काह थrdquo प ब र न झटपट कस लगात एकहा

ldquoहा-हा बस थोड़ा हवा खा रह थ सड़क पर खड़ा हो कrdquo बजनाथ न कस पर बठतए कहा जगद श यादव भी बठ चक थ बरची भी एक कस ख चकर बठ ही रहा था क

उस कछ याद आयाldquoऐ प ब र तम जरा बात कर लो हम आत ह दस मनट म जरा पच क यहा स

कछ काम हrdquo बरची य बोल वहा स ठ क दा हनी सड़क क पार पच दास क घर क तरफनकल गया

ldquoचाय बनवात ह चाचा कछ खाकर भी जाइएगा जगद श चाचा तो पहली बार आएह म दर उद घाटन म भी नह आए थ कए चाय-ना ता लकर आत हrdquo प ब र न बड़साफ मन स कहा

ldquoनह -नह सनो ना बटा ना ता-पानी एकदम छोड़ दो अभी साझ को ही भात खाए

ह बस चाय पला दो ब त मन ह तो या जगद श दा चाय पी लत हrdquo बजनाथ न बोलतए जगद श यादव क तरफ दखा

बजनाथ अभी जगद श यादव क धा मक-सामा जक वधा समझ ही रहा था ऊपरस म दर उद घाटन वाल भोज म न आन क याद दला अनजान ही प ब र न जगद श यादवको भीतर-ही-भीतर पानी-पानी तो कर ही दया था प ब र चाय क इतजाम म भीतर गयाथा

ldquoबजनाथ साल ज द ब तया क पसा लकर चलो भाई तम साला ई चाय-ना ता मकाह फसा रहा ह हमको अब चाय तो पीना ही होगा नrdquo जगद श यादव न दब गल सख सयात ए कहा

ldquoअब कजा लन आए ह तो इतना तो बदा त करना ही होगा ना जगद श दा ना ता मतक रए चाय-पानी तो सहन कर ली जए नीलकठ क जसा बसपान कर ली जए सो चएमत नह तो उसको बरा लगगा काम नकालना ह तो इतना जहर तो पीना पड़गाrdquoबजनाथ न जगद श यादव क चाय म वष लवर का छड़काव करत ए उ ह भोलनाथ कआस-पास खड़ा करत ए कहा

ldquoठ क ह ठ क ह चाय पी लत ह सनो ज द चलन का को शश करो तम जो नकराओ फकन सह जाना तो अलग पलगाrdquo जगद श यादव लगातार फसर-फसर उकताएवर म बोल रह थ

ldquoअर आप य वशी ह क ण सबरी का जठा बर खा लए थ आप बना जठा चाय-ना ता म ही अकबका रह हrdquo बजनाथ न जगद श यादव का वा त वक धम याद दलाया

ldquoएकदम मरख हो का ऊ राम थ क ण नह rdquo जगद श यादव न धम सधार करत एकहा

ldquoअ छा ठ क ह न राम खा सकत ह तो क ण काह नह rdquo बजनाथ न जगद श यादवक सामन ऐ तहा सक मौका रखत ए कहा तब तक सामन दरवाज स प ब र एक बड़ी-सी गोल थाली म एक तरफ चाय और सरी तरफ ब कट रख बाहर आया जगद श यादवन एक नजर मह बचकात ए बजनाथ क तरफ दखा

ldquoली जए चाचा चाय पया जाए पहलrdquo प ब र न चाय का कप बढ़ात ए कहाबजनाथ अभी दो-चार घट ही पी पाया था क जगद श यादव हलाहल क तरह परा कप एकही सास म आख बद कर बस घ ट गए वस भी खद स कमतर क घर कज मागन आयाआदमी ब त-कछ घ ट रहा होता ह भीतर-ही-भीतर जगद श यादव क चाय ख म करत हीप ब र न लपककर खाली कप अपन हाथ म ल लया उसन जगद श यादव को पानी दउनक हाथ धलाए इ क सव सद क कछ भी करक प छ लन वाल समय म भी भारतीयगाव म ायः चाय पीकर भी हाथ धोन क परपरा थी वस चाय पीन स हाथ जठा होन काकोई कारण ही नह बनता जब तक क आदमी कप म उगली बोर-बोर कर न चाट जा हरह प व ता कई बार बाहरी व छता स इतर भीतरी पाखड या बीमारी का भी प धर लती

ह रोचक त य यह था क यही लोग जब कभी-कभार गाव म कसी तरीय ववाह भोज म10 पय क कपट वाली व नला आइस म खात थ तो उसक बाद हाथ पट या धोती यालगी म प छ लत थ अब तक बजनाथ भी चाय पी हाथ म पानी ल श हो चका थाप ब र अब दोन हाथ जोड़ जगद श यादव क आग खड़ा हो गया

ldquoआदश क रए चाचा कतना पसा का ज रत ह आप हमको सीध बता दत हमघर पर जाकर प चा दतrdquo प ब र न परी वन ता क साथ हाथ जोड़ ही कहा

ldquoअर नह भाई प ब र हाथ मत जोड़ो भाई त हारा यह ब त बड़ा मदद ह जो तमज रत पर हमको कजा द रह हो ब त एहसान रहगाrdquo जगद श यादव न प ब र क जोड़हाथ को खोलत ए कहा और कस स उठकर खड़ हो गए

ldquoएहसान और कजा का बात मत बो लए आपका अ धकार ह इतना चाचा हमारपास जतना औकात ह हम हमशा खड़ा ह जी अभी कतना ज रत हrdquo प ब र नवापस जगद श यादव को कस पर बठात ए कहा एक पल तो अब जगद श यादव कोभी मन म लगा क हा सा ला एक ही बार म मदद को कजा और फर एहसान तक नीचनह ल जाना था लन-दन तऽ चलता रहता ह जीवन म हम कजा थोड़ ल रह ह

ल कन मन यह भी खब समझता था क था तो आ खर कजा हीldquoप ब र अभी हमको आठ हजार एकदम अजट म चा हए और जो भी याज का

माकट रट होगा जो फकन बाब को दत ह उसस यादा ही दग तम मौका पर सभाल होइस लए त हारा परसट यादा का तो हक भी बनता हrdquo जगद श यादव न सदा कजा लनक अ य त एक रगलर कजखोर क तरह सबकछ साफ करत ए कहा

ldquoआय याज चाचा कर दए ना छोटा बात हम कोई बड़का सठ-सा कार ह जोयाज लग चाचा अर हम जात स भल छोटा ह चाचा ल कन काम छोटा नह करत हम

आपक काम आए ई तो हमारा सौभा य ह हम याज लगrdquo प ब र न अपन हाथ जोड़करकहा और दोन को दखन लगा

जगद श यादव न अपन जीवन म कई कजदाता दख थ पर यहा तो यादव जी आजएकदम नए अनभव स गजर रह थ सा कार जब कज दता तो वह उस पर याज बाद मपहल इ जत लता यहा तो कजा दन वाला उ ट स मान भी द रहा था और याज भी नहल रहा था

जगद श यादव न उठकर प ब र दास क दोन बाह पकड़ फर दा हन हाथ स पीठथपथपाकर कहा ldquoब त भला आदमी हो प ब र इतना अ छा इसान आजकल मलनाम कल ह कसी भी जात मrdquo जगद श यादव न अबक बार एहसान क एहसास कोभटकन तक नह दया था जहन म एकदम गा जयन जसा बोल इस बार

ldquoचाचा आप लोग पाच मनट ब ठए हमार पास तो घर पर पाच हजार ही ह हमलकर आत ह बगल म वनोद क घर स तरत आत हrdquo कहकर प ब र तजी स नकलाउसक नकलत ही बजनाथ उचककर जगद श यादव क कान म सटा

ldquoदख रह ह कजा लकर कजा द रहा ह आजकल ऐसा आदमी कहा मलता ह ससारमrdquo बजनाथ न प ब र को वल त होती जा त क प म चह नत करत ए कहा

ldquoअर प ब र पसा पाता होगा वनोदवा स इह बहान फसल पसा तो नकाल लगावनोदवा स इसस तो समचा टोला लन-दन करता ह याज भी लता ह अब तमस हमसनह लया आदमी-आदमी दखकर भी तो काम करना पड़ता ह जीrdquo यह कह एक हीझटक म अभी-अभी बजनाथ ारा लभ बताई गई घटना को जगद श यादव न सामा य करदया साथ ही बात-ही-बात म यह मह वपण बात भी ब त कायद स साफ कर द क कजपर याज न लन क पीछ प ब र क भलमनसाहत नह ब क जगद श यादव क अपनीव श जातीय सामा जक अव था ह अब च क कज दलान बजनाथ ही लाया था इस लएउसका नाम भी उस याज छट वशष ल ट म उ ह न जोड़ दया यादव जी का यह कथनसन बजनाथ हा या ना कछ भी नह कह सका उसन खद को ब त टटोला तो उस बसइतना महसस आ क अदर कछ अ छा ही लग रहा था यह कथन सनकर अभी दोन मखसर-पसर जारी ही थी क प ब र वापस आ गया आत ही अपनी जब स नोट का एकबडल नकालत ए प ब र उस गनन लगा यह ली जए चाचा आठ हजार ह सयोगकतना अ छा था क वनोद क पास पसा था घर म अ छा और कछ सवा हो तो आदशक रएगा चाचाrdquo प ब र न नोट जगद श यादव क हाथ म थमात ए कहा

ldquoअर ज र प ब र असल म आज अचानक ऐसा ज रत पड़ गया क अभी न बकजा सकत ह ना और कछ उपाय इस लए पसा रहत भी तमस मागना पड़ा अब या बोलचलो तम सभाल दएrdquo जगद श यादव बार-बार कजा दन वाल को आभार नह ब कशाबाशी द रह थ प ब र भी उस उसी प म लन को तयार ही था

ldquoअर हमारा सौभा य ह क आपको रात को पसा का ज रत पड़ा और आप हमारार तऽ आए इह बहाना आर तर गया हमरा बाक चाचा यह तो हम भी जानत ही ह क

आपक लए 10-20 हजार खा तर सौ ार खला ह आपको इतना थोड़ा पसा खा तरसोचना थोड़ पड़ता हrdquo प ब र न अपन अहोभा य को स ल ट करत ए कहा

ldquoबस बस यही बात था रात को अब कहा जात बजनाथ पकड़ क ल आया कप ब र क पास च लए हम बोल चलो ऊ तऽ अपना ही लड़का ह ब त-ब त अ छा कामकर रह हो तम ऐस ही भला आदमी क तरह रहना जीना चा हए सबको कोई भी जात होल कन उसम सधार तऽ हो ही सकता ह ह क नह तम म ह रजन वाला कोई गन नह हइतना अ छा बबहार ह त हरा इसको बनाए रखनाrdquo जगद श यादव न यह कहत ए नोटक गड डी मोड़ बड़ अ धकार भाव स उस एक नजर दखा और अपनी जब म रख लयाइसक तरत बाद उ ह न बजनाथ क ओर दखा जो इस बात का एकमा गवाह था क कसजगद श यादव सबह स लगभग दस जगह कज मागन गए और नराश लौट आए थ जबथक-हार साझ को बाझ मग क तरह थोथना लटकाए बठ गए तब बजनाथ को कसी तरहमना-समझा तयार कर अब प ब र क पास आ खरी उ मीद स आए थ

ldquoअ छा चलत ह प ब र पसा अभी तरत जाकर थाना म दना ह हद हरामी दरोगा ह

टर पकड़ लया ह लकड़ी-लोड स हत उसी खा तर पसा लना पड़ा चलो चलत ह एकह ता म द दग चता मत करनाrdquo यह बोलकर जगद श यादव मह म गमझी लपट अपनीबाइक पर जा बठ थ प ब र हाथ जोड़ णाम कर उ ह वदा करन चार कदम साथ बढ़आया आदमी तो हालात क आग अ सर झक ही जाता ह ल कन उसक अदर भी कोई तोरहता ह जो ठा आ रहता ह जगद श यादव क भीतर का आदमी अब भी उसी प म हीथा जो जबरन जबान पर चढ़ कछ-कछ बोल जा रहा था वह भला यह कस पचा सकता थाक एक य वशी कसी ह रजन स कज मागकर लौट रहा ह अब जगद श यादव न नह उनक भीतर क आदमी न बाइक टाट क अब वह सच म महसस कर रहा था हा ीरामसच म सबरी क जठ बर खाकर बाइक स नकल चक ह प ब र जाती ई बाइक क लालवाली बकलाइट दख रहा था क बरची वहा प चा

ldquo बरची जी कहा लगा दए इतना दर आपrdquo प ब र न पछाldquoअर का बताए पच बठा लया था चनाव पर बात होन लगा और -चार लोग बठ

गया था आ क इन लोग को भनसर नता भी मल थ सारा बात बताएग तमको खरकतना पसा मागा जगद श यादव हम तो जानबझ क हट गए क हमार सामन लजाएगाबचाराrdquo बरची न दरवाज पर ही खड़-खड़ कहा

ldquoआठ हजार बनोद स ल क दए घर म था नह नगदrdquo प ब र न बतायाldquoआठ हजार हा दरोगा बास कया ह जादब जी को फकन सह परवी भी करता ह

और पाट स माल दलाकर उसम स अपना कमीसन भी लता ह और ई बकचोद लोग कोफर भी उसका आग-पीछ करन म मजा आता ह जान दो सा ला मख सबकोrdquo बरची नकहा

ldquoहा हा अभी दरोगा क ही पास गए उ लोग यही बोलकर तो गए क दरोगवा को दनाह पसाrdquo प ब र न बताया

ldquoदरोगा क पास झाट जाएगा डाइर ट ई फकन सह क पास गया होगा माल वहजमा होता ह थाना बसली का सबह दरोगा जी आ क कल सन बटोर क ल जाएग यहीस टम हrdquo बरची न थान क काम करन क या व ध समझात ए कहा

ldquoय तो ब त गलत ह फरrdquo प ब र न कहाldquoअर बाह तम तो फटाक समझ गए मद हा-हा-हा-हा अर कछ गलत नह सब

सही ह जब आज तक कोई माई का लाल पदा ही नह आ जो इस गलत बोल सक तोफर गलत कस बात का सब सही होगा तभी तो सब चप ह हम तम सब चप परा गावचप चप ही रहो भाई सब सही हrdquo हसत-हसत बोलता आ बरची अत म थोड़ा गभीर होचका था

ldquoअभी घर जाइएगा याrdquo प ब र न घड़ी दखत ए पछाldquoजाएग पहल तमस कछ ज री बात करना ह इधर आओ बठो जराrdquo बरची न

कस ख चत ए कहा

इधर जगद श यादव और बजनाथ दोन बस टड पर क थ पान खान क लएजगद श यादव न ज रत क मजबरी म प ब र स कज तो ल लया ल कन यह बात गाव मकसी को पता न चल इस बात को लकर मन-ही-मन च तत थ थोड़ा ब त घमा- फराकरइसक चचा बजनाथ स भी कर ही रह थ उनक चता पर चतन करत-करत बजनाथ नअब तक दो ख ली पान कचर लए थ और दो ख ली घर क लए बधवा लए थ बजनाथन पान खा लाल-लाल ए मह स कसम खा अपनी ओर स तो न त कर दया था क कहभी कछ नह कहगा यादव जी को सबस यादा तनाव बरची को लकर था क कब कहा

या बक द कोई ठकाना नह ldquo बर चया अब इतना भी पागल नह ह अब प ब र क साथ रह क पसा खान-

कमान लगा ह तऽ सोभाव भी बदला ह उसका चता मत क रए बड़ भाई कह नह बकगाऊ एक ठो सगरट पया जाए याrdquo बजनाथ न मा एक सगरट क बदल जगद श यादवको न त करत ए कहा भारतीय गाव म सकट म फस कसी भी म -प र चत क साथखड़ होन वाल को चाय पान सगरट क कमी नह होती सकट त साथी उसकोअपन साथ बन रहन क लए इन चीज क सवन क खली छट द दता ह बजनाथ अभी उसीछट का भरपर लाभ ल रहा था बात करत-करत उसन दो पाउच तरगा छाप गटका खालया था और जगद श और कानदार को दखा दो पाउच तरगा तोड़ जब म भी रख लयाथा दोन अभी वह कान पर खड़ ब तया ही रह थ क सामन स एक काल रग क बोलरोगाड़ी तजी स ह रजन टोला वाल रा त म घसी

ldquo कसका गाड़ी ह कौन होगाrdquo गाड़ी दखत ही सबस पहल जगद श यादव क मह सनकला

ldquoना वधायक जी का ह ना ही भवन र साद का लगता ह उसको तो पराना सटरकार ह एक सकड हड कोनो बाहरी गाड़ी बझाता ह होगा कोई नातदारी चमरटोली काआजकल तो सब कोई भाड़ा पर बोलरो चलन लगा ह अब जमाना गया जब साइ कल सससराल जाता था परा चमरटोलीrdquo बजनाथ न बदलत जमान क सग बदल रही चमरटोलीपर गभीरता स काश डालत ए कहा

ldquoअर सधीर धोबी का गाड़ी ह सकदरपर वाल काrdquo पीछ स कान पर बठ पान वालच चौर सया न कहा

ldquoसधीर का इतना पसा कहा स आया भाई बोलरो खरीदा हrdquo जगद श यादव न पानघ टत ए कहा

ldquoली जए भवन र नता का एक नबर चला ह उसका बटा रलव का काम चल रहा हना उसी म लोहा बचकर प थर बच क डीजल बचकर लाख कमाया भवन र नता मज रक नाम पर नतागीरी कर जमीन अ ध हण म कसान क तरफ स खड़ा होकर खब दलालीखाया उसम सधीर धोबी का बटा भी परा माल बनाया भवन र नता क पीछ लग कrdquo च चौर सया न परा इ तहास खोलकर रख दया था उसक काल बोलरो का

ldquoअर बाप र अहो मनोज रजक जो लड़का रहता ह भवन र साद क सग ऊ सधीर

धोबी का लड़का ह ई तो हम जानत ही नह थrdquo जगद श यादव न मह म कचर क रखपरान पान म ऊपर स सपारी का टकड़ा मागकर डालत ए कहा

ldquoतमको इतना कस पता ह ल कन हम नह जानत थ इतना खलrdquo बजनाथ न अपनीकम प च क अफसोस क साथ पछा

ldquoअर हमारा खद का जमीन गया ह रलव म उसी का मआवजा मला था तीन लाखपसा दलान और ठ क-ठाक भाव लगवान क नाम पर पहल तो वधायक जी ल लए 30-40 हजार फर हम मनोज को ही पकड़ नता क पास गए पसा नकलवा दया भनसरनता ल कन उसक लए मागन लग स र हजार फर करत-करत पचास हजार म आबात बोल दो लाख स ऊपर मलना म कल ह ल कन परवी कर साढ़ तीन लाख लगवादया दाम काम आ आधा पसा बदरबाट आ एक लाख मोटा-मोट छटाया हमराअढ़ाई लाख मला हमको हम सोच जान दो साला बाल-ब चा आग जमीन पर रल क पटरीतो बछल दख लगा धान-ग तऽ गया जदगीभर काrdquo च पान म क था लगात-लगातअपना दद बताता गया

ldquo या करोग भाई त हारा तो खती का जमीन था समय का अ तऽ हो जाता थाअब जो मला सतोष करो जमीन तो सरकार लब करता अ छा ह क जो द रख लनाचा हए नह तो दोगला परसासन ई भी न दrdquo जगद श यादव न पान ख म हो चक सख महस भ म अ ध हण का नयम समझात ए कहा

ldquoहा जगद श दा ब त उपजाऊ टाल का जमीन था सालाना खान का हो जाता थाअब अढ़ाई लाख म गया खती का जमीन रल दौड़गा वही दखगrdquo च न धीमी होतीआवाज म कहा और चप हो गया तीन अभी चपचाप थ थोड़ी दर म भल चक थ क कोईकाली बोलरो कहा जा रही थी सब क याल म अभी लहलहात धान क खत क बीचो-बीच रल दौड़ रही थी च चौर सया मड़ स र खड़ा अपनी फसल को र दाता आ दखरहा था जन खत म कभी गाय-भस घस जान पर दौड़ा दता था वकास न उसम रल घसाद थी इस कोई कस खदड़ नकाल

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एक-एक दन नकलता जा रहा था चनावी ताप बढ़न लगा था नामाकन क त थ आचक थी आज तीसरा दन था नामाकन का सबह स ही प षो म बाब क दरवाज परहलचल थी शभ म त दखकर आज ही नामाकन करन जाना तय आ था फकन सहसबह ही नहा-धोआ सफद पाजामा-कता पहन सबस पहल गाव क म दर हो आया था इधरतीन दन म इस बात पर भी नजर रखी गई थी क कोई और याशी तो नह उतर रहा नचनाव म जब दख लया गया क इस बार तो कसी वप ी उ मीदवार क कोई सभावनाही नह ह तो इसी बात पर प रणाम को लगभग घो षत करत ए बदरी म सर न म दर कशव लग म लपट नाग क गल स माला नकाल फकन सह क गल म जीत क माला डालद थी बजनाथ गणशी रतन दास और काशी साह चार मल एकबारगी फकन सह कोकध पर उठा घमान भी लग अचानक फकन सह न डाटकर उ ह शात कराया और कदकरकध स उतरा उस इस बात का ोध सबस यादा था क झक-झक सफद कत को चार नदबोच क सबह-सबह ही द गया दया था हाला क डाट सनन क बाद भी कसी क उ साहम कोई कमी नह आई थी सब जोश म थ दरवाज पर नामाकन को जान खा तर लोगधीर-धीर लगातार जमा हो रह थ भोर स ही उठकर बाइक वाल समथक का भी जटानकया जा रहा था प षो म सह का मानना था क भल हमार वप म अभी कोई याशीनह पर अपनी ताकत दखान म कोई कमी नह करनी ह उनका कहना था क आग अबकोई याशी नामाकन क ह मत न कर पाए और अ य तर क बड़ नता को भी हमारीताकत का पता चल इस लए पर जन-बल क साथ चलना ह नामाकन हत रली क श ल मजान क तयारी थी मलखानपर क हर घर म नवता भजा गया था चलन क लएसकदरपर स भी आदमी लाए गए थ लगभग सभी उ वग और जा त समह क भागीदारीस न त करन हत एक ट म ग ठत क गई थी जस प षो म सह खद दख रह थ सबहस ही कामता साद म सर जस लोग को खद प षो म बाब न फोन कर बला लया थाय लोग एक कोन म कस पर चपचाप बठ थ बीच-बीच म चाय आ जाती और उस पी यलोग पनः चपचाप बठ टकर-टकर बस ताकत ए तयारी का नजारा दख रह थ दगबरम सर जी क लए ार क चौक पर बठ वचन दना तो ठ क था पर इस उ म इस कड़ीधप म बाइक पर चढ़ रली म जाना न त ही क ठन था वह पछल आध घट स धीम-धीमवर म कामता बाब स चनाव म फजलखच और रली वगरह पर रोक क प म कानन लान

क चचा कर रह थ बीच-बीच म कामता बाब भी चनावी सधार क प म दात पीस-पीसकर समथन कर रह थ पर और कछ नह कर पा रह थ बचार अपनी इ छा न होन कबाद भी लोकत क पव म उ ह उ साहपवक भाग लना पड़ रहा था भाग भी तो नह सकत

थ उनक ठ क वह बगल म बजनाथ क टोला का दलबर मडल भी बठा था लगभग 70वष क अव था का वह बढ़ा आदमी बीमारी स ख टया पर गरन क बाद आज लगभग डढ़साल बाद उठाकर घर स बाहर लाया गया था शरीर काप रहा था उसका और हाथ म लाठथी क वह कसी तरह कस पर टका आ था अपनी जा त का सबस उ दराज हो शयारपव वोट मनजर होन क कारण उसक मह ा दखत ए फकन सह न खद उसक घर जाउस हड़कात ए आन का नवता दया था फकन सह क लाल-लाल आख का स नलदख दलबर ख टया स उठ अपन पोत क साइ कल पर बठ सबह ही आ गया था दलबरमडल जब ठ क-ठाक उ म था तब उसन ब त कम पस लकर भी मा एक-दो पौवा लकरभी दो पीस टाग खाकर भी लोकत क लए न जान कतन मत का बध कया था पवम अ सर ऐन मौक पर प षो म सह क खलाफ पलट भी मार दता था सरी तरफ समाल मलन पर इसी बाबत सावधानी क तौर पर उस भी रली म साथ रखना तय कया थाफकन सह न य प अब उठकर खद भी वोट दन क अव था म नह था दलबर मडलल कन बढ़ऊ बचारा कर या अ छा लोकत मरत दम तक अपन स च सवक का पीछानह छोड़ता इधर यवा क बाइक रली को सभालकर नत व दन का ज मा मदन बाबाऔर रो हत क जोशीली जोड़ी को स पा गया था गणशी महतो तो सबह स ही जमा थाअपन मोच पर और अपनी आख क सामन इतनी ज द अपन प को इतनी बड़ीज मदारी सभालता दख बीच-बीच म भावक भी हो जा रहा था जब-जब फकन सहरो हत क कध पर हाथ रख उसक बाइक ट म क बार म जायजा लत ए उसस कछब तयाता तो यह दख गव और खशी स आख डबडबा जात गणशी क वो कोन म जाधोती क कोर स आख क लोर प छ आता गणशी का दय समझ चका था बट कोमोटरसाय कल पर ही चढ़ आग जाना ह वो जा भी रहा था फकन सह न रो हत कोयवा क पान-मसाला रसद क लए अलग स सौ पया द दया था जसम सकदरपर कयवा बाइकस भी शा मल थ रो हत न एक पया भी अ य गरज री मद म खच कए बनासार पस का तरगा दलबहार गटका खरीद अपनी ट म को मसाला ऊजा स लस कर दयाथा सार यवा मह म गटका भकोस बाइक पर बठ बस चलन क इशार का इतजार कर रहथ मदन बाबा तरल ऊजा लकर कपार पर गमछ का मरठा बाध खनी रटा रह थ र बठदगबर म सर अपन प मदन मोहन को दख न हस पा रह थ न दन ही कर पा रह थह रजन टोला स रतन दास भी दो-चार नौजवान क साथ खड़ा था सभी प चीस पयानकद जब म डालन और ना ता-पानी क अलग स व था तय होन पर आए थ रली कचलन म लट होन पर व नौजवान बार-बार वापस चल जान क धमक द रह थ रतन दासस कह रह थ

ldquoहम लोग को और भी तऽ काम ह रतन प चीस पया म दनभर थोड़ खड़ा रहगबगारी यहा तम तो -तीन घटा बोल क लाए थ यहा तऽ दनभर का च कर बझा रहाभायrdquo

यह सनकर जब फकन सह क चचर भाई अगद सह न पीछ स उ ह म स एक

नौजवान क पीठ पर जोर स धौल मारकर हाल पछा ldquoका बात ह र चल रहा ह नrdquo पीछस पड़ी इस जोरदार थपक पर पलट नौजवान क साथ फर तो सभी हसकर रली म जानको तयार कहत दखन लग

दन अब उठान पर था जटान करत तयार होत 1100 बज चक थ तभी अदर सकत क बाह समट फकन सह अपनी गाड़ी क पास आकर जोर स लटक को बलान लगालटक वह बगल म कछ बाइक म तल डाल रहा था जो सबह ही प ोल पप स कछ बड़-बड़ ड ब म मगा लया गया था

ldquoअर लडीस लोग कहा ह उसका गाड़ी बलाओ ज द चलो लट ना करो अबrdquoफकन सह न अचानक ही म हला भागीदारी क याद आत ही लटक स कहा

ldquoबस पाच म नट म गाड़ी ार पर लग रहा ह मा लक परा टपो भरा गया हrdquo लटकन भागीदारी स न त करत ए कहा असल म म हला मोचा क ज मदारी लटक भडारीक ही प नी शीला दवी को स पी गई थी शीला एक तजतरार यवा नत व का नाम थी वहनाई टोल क टोला ी ही थी शाद क मा चार साल क अदर ही उसन अपन ा तकारीकटहा वभाव झ टा पकड़ म हला सग क ती कर लन क ब हचक वशष ता मद कोग रयाकर पानी-पानी कर दन क ब मसाल मता और नत नई मौ लक गा लय करच यता क प म एक व श पहचान बना ली थी पचायत क अ य म हलाए उसस सात-आठ हाथ क री पर ही पोखर म कपड़ा-ल ा धोया करती थ शीला चनाव म बढ़-चढ़करह सा ल रही थी वह अपन अभी तक क 27-28 साल क जीवन म बस दो ही लोग सभा वत ई थी एक तो lsquoमोहराrsquo फ म दखन क बाद अ य कमार स सरा आबी और

फटानी दख लन क बाद फकन सह स फकन भी अपनी इस जबराट फन का वशषयाल रखता था आज भी शीला को अलग स 300 पय और टपो म पया त तल

भरवाकर द दया गया था लटक अभी उधर रा ता ताक ही रहा था क शीला क टपोफटफट करती ई आ प ची टपो म अ धकतर नाई टोला क ही म हलाए ठसी ई थ अब सब चलन को तयार थ प षो म सह अपनी बोलरो म आग बठ चक थ सार बजगइसी गाड़ी म थ फकन सह न एक सरी गाड़ी अपन लए मगवा ली थी तभी प षो मसह न फकन सह को इशारा कर अपनी ओर बलाया

ldquoयह ह रजन टोला स सबको बला लएrdquo प षो म सह न पछाldquoहा जसको आना था सब आ ही गया ह भीड़ ब त हो गया ह अब चलत हrdquo

फकन सह न चार तरफ दखत ए कहाldquoअर प ब र दसवा को काह नह बला लएrdquo प षो म सह न फर पछाldquoउसक यहा चार बार आदमी भज घर पर नह ह कह गया हrdquo फकन सह न

कहाldquoएक बार और दखवा लो ई सब ठ क बात नह बर चया भी नह दख रहा या

कर रह हो तम भनसर नता का राजनी त को रोकोrdquo प षो म सह न ह क झ लाहट म

पनः कहाldquoभट आप भी गजब करत ह बाबजी कबो-कबो अर यह साला झाटभर का ह रजन

प ब र दास को पचास बार जाएग बलान या हमको भोट नह दगा या चार दन म नताहो गया ह या और अब बर चया भी इपोटट हो गया ह गाव म कसी को ज रत सयादा मत द जए तव जो अब च लएrdquo फकन सह न भी झ लाकर कहा और पाव

पटकत ए अपनी गाड़ी म आ बठन लगाldquoछो ड़ए अब प षो म बाब चला जाए ज ा पर ग सा मत होइए परा गाव तऽ ह

ही साथrdquo गाड़ी म सग बठ बदरी म सर न कहा इधर पान पराग क प ड़या खोल मसालामह म डाल जोर स गाड़ी का दरवाजा लगात ही फकन न सबको चलन का इशारा कयास नल पात ही रो हत न मोचा खोला और आग खड़ी बाइक ट म न फकन सह जदाबादका जोरदार नारा लगाया पलभर म ही टाट हो सारी गा ड़या बौरात ए साड़ क तरफउछाल मार हनहनाकर आग बढ़न लग साइलसर क रा त नकल काल धए स अचानकधए का गबार-सा दखन लगा गली म जदाबाद क नार लगन लग अभी का फला नकलाही था क अचानक फकन सह क गाड़ी म क लगा जस घर क सामन गाड़ी क थीवहा और जोर-जोर स दरवाज पर नारा लगन लगा गाड़ी स जगद श यादव कदकर उतरऔर घर का दरवाजा ठोकन लग आवाज सनत ही अदर स दरवाजा खला सामन खड़जगद श यादव कनार हट गए अब दरवाज को सीध फकन सह दख रहा था

ldquoका र तमको पसल नवता चा हए खबर भजवाए थ न हम क गाव-घर का चनावह इसम चलना ह तमको साल पागलचोद कम-स-कम गाव का तो इ जत रखा करोहरदम पोल ट स सोचत हो सालrdquo फकन सह न पान परागी वर म एक-एक श द चबात

ए कहाldquoभ क फकन दादा हम तो अभी आए ही ह पपरा स कब मना कए ह हम गाव

क इ जत का बात ह तो एकदम चलना चा हए च लए चलत हrdquo बरची न दरवाज पर सही खड़-खड़ कहा

ldquoअर चलो ब साल साला भोर-भोर मार लता ह गाजा च लए ब ठए जादव जी अरतम रो हत क साथ बठ जाओ मोटर साइ कल परrdquo फकन सह न पीछ खड़ रो हत को वहाआग बला बरची को साथ लन को कहा

बरची न कछ नह बोला उसन दरवाज को सटाया और सीध तरत ही रो हत क पीछबाइक पर जा बठा उसक बठत ही रो हत न बाइक को गयर लगा एक श त लफए कभा त उछालकर बढ़ाया एक बार फर स का फला चल नकला रो हत क बाइक पर बठाबरची कसकर पीछ क रयर पकड़ था सीडी डॉन हीरो ह डा बाइक स भी कोई पायलट इसतरह लह रया कट लगा सकता ह यह बरची न रो हत स उ मीद नह क थी कछ दर चलनक बाद बरची न धीर-धीर स कान क पास जा रो हत स बातचीत श क तज हवा म बातकम ही सनाई पड़ रही थ

ldquoका र बाब पढ़ाई- लखाई छोड़ दए या फकन सह आयोग म बहाली ल लए हो

या तमको हमशा जगदबा लाइन होटल म दखत ह टडली मारतrdquo बरची न रो हत ाराबाइक क कलाबाजी स दहल अपन दल को सभालत ए पछा

ldquo कतना पढ़ग हो बरची भया ब त पढ़- लख लए नौकरी-वोकरी लगता ह नहगरीब का होटल म तो ड लोग रहता ह तो उसी म साथ रहत ह फकन चाचा क भी साथउठना-बठना तो लगा ही रहता ह या चाहत ह आप क अपन बाप क जसा हम भी खत मजाकर कादो माट करrdquo रो हत न बाइक क र तार कम कर त खी स कहा और फर ग तबढ़ा द

ldquoओ तमको पता ह क तम गरीब हो गरीब आदमी साला कादो माट छोड़करमोटरसाय कल स फकन सह का रली जाता ह र और त हारा कौन सरकारी परी ा कगया ह र गरीबी क कारण अभी तक एक भी फॉम डाल हो बrdquo बरची न इस बार कायदस लत ए पछा

ldquoअर भया आप भी या बात कर रह ह मोटरसाय कल आजकल कसक पास नहह य तो साधारण चीज ह सबक लए आज क समय मrdquo रो हत न गरीबी रखा क ब कलनई सीमा नधा रत करत ए कहा

ldquoवाह र बाब मतलब गरीब क लड़का मोटरसाय कल जसा साधारण चीज खरीदसकता ह ल कन कताब खरीदकर पढ़न कॉलज जान और फाम भरन का भारी द कतह इतना तक कहा स सीखा र फकन सह क साथ उठ-बठकर अर तमको पता भी हक बाप त हारा कहा-कहा स पसा जमा कर त हार खा तर मोटरसाय कल खरीद दयावही बाप अगर कजा लकर तमको पढ़ा- लखा दता तो आज एक उ मीद होता तम यहारली म लह रया कट नह मार रह हो तम अर अर आग गड ढा ह जरा बचाकर चलो ऐ-ऐअरrdquo बरची क बोलत-बोलत तो यह सब सन अदर स कढ़ चक रो हत न दखत ए भीबाइक सामन क गड ढ म कदाकर पार क बरची फकात-फकात बचा बोलत-बोलतबरची न गणशी क लए कज और बड़ी म कल स चार साल पर मल फसल बीमा वालमआवज क पस भी बट क शौक क लए मोटरसाय कल म लगा दन वाली बात बता द थीयह सब सन मड खराब हो चका था रो हत का उसका मन कर रहा था क अभी क अभीबरची को बाइक स उतार द पहली बार उस बाइक क सीट चभ रही थी दय म कछकचोट रहा था अचानक स मन म पलभर क लए बाप का चहरा और खत क मड़ दखाईद अदर स कछ भारी महसस करन लगा रो हत

ldquoअब छो ड़ए बस चपचाप च लए भया आप भी तो पढ़ न खब या कए बताइएनौकरी लगा हमको ान द रह ह बसrdquo रो हत न मन-ही-मन कछ और सोचत ए भी इधरबरची स इतना तो कह ही दया था

ldquoहमार तो कपार म ककर मता था तम भी मतवाओग हम तो हर हाल म कम-स-कम बीए कर लए बाक हमार साथ या आ यह अपन बाब जी स पछना तम काहबबाद हो रह हो दखो बाब ब त महनत-प र म स त हारा बाप त हार लए सबकछ करताह इस लए तमको समझाए क पढ़- लख लो ल कन अगर हमारा बात खराब लगा हो तो

हाथ जोड़त ह बाब फकन सह क पछवाड़ म घस जाओ हम काह रोकगrdquo अबक बारबरची न भी चढ़त ए आ खर बन छल बास क तरह नक ला समापन कया इतन मरो हत न अक मात ही क लगाया

ldquoआ गया च लए उत रए ान ल लए हमrdquo बोलकर रो हत न बाइक बद कर चाबीख ची

सब खड कायालय प च चक थ अचानक वहा प ची रली न हलचल मचा द थीफकन सह जदाबाद क नार लग रह थ चनाव का तर थोड़ ही छोटा-बड़ा होता ह

याशी का नवश माहौल तय करता ह फकन सह न तामझाम का दशन कर धानी कनामाकन को ही वधायक क नामाकन का तर द दया था हाला क यह भी अकारण नहथा प षो म सह क नजर अब अगली योजना पर तो थी ही

अब नवाचन अ धकारी क कायालय क सामन भीड़ जमा हो गई फकन सह अपनपता बदरी म सर कामता साद जगद श यादव दलबर मडल दगबर म सर रतन दासक साथ एक सवजातीय समह बना कायालय क अदर घसा अदर ठ क तभी नामाकनअ धकारी एक याशी का नामाकन ल रह थ अ धकारी न इन लोग को हाथ स कछ पल

कन का इशारा कया फकन सह समत सभी लोग न जब उस याशी को दखा तो दगरह गए

ldquoह यह कस आ गया महाराज आ खर फर करन आ ही गया नौमनसन हद आदमीह ई चटrdquo सबस पहल बदरी म सर च क क बोल

यह गाव क ही जटाय श ला थ सबको दखत ही जटाय श ला न म कराकर सबकासाम हक अ भवादन कया जवाब म कोई भी नह म कराया बस एक कामता सादजरा-सा म क ही थ क सबको नह म कराया दख उ ह न भी झट स अपनी म कराहटवापस ल ली सभी आपस म बदबदा रह थ अपन पीछ हो रही खसर-पसर को दखप षो म सह पीछ मड़ थोड़ी झझलाहट क साथ बोल

ldquoअर भाई अपना नामाकन का काम हो जान द जए न पहल बाक चीज बाद मब तयाइएगा न आप लोगrdquo

इसी बीच नामाकन परा कर जटाय श ला अपन कागज-प र समट सग आए दो लोगक साथ लगातार म करात ए कनार स बाहर नकल गए उनक साथ क दो लोग को कोईनह पहचान पाया अब फकन सह क नामाकन क बारी थी फकन सह क गदन स ऊपरतक गद क मालाए भरी ई थ कायालय घसत-घसत भी शीला न अपन हाथ स बनाईएक और लाल अड़ ल फल क माला गल म डाल द थी फकन सह न अपन हाथ सकागजात नामाकन अ धकारी क ओर बढ़ाए अ धकारी न फकन सह स गल क कछमाला उतार लन को कहा जसस वह फोटो स उसका चहरा मलान करन क या परीकर सक उसक बाद नामाकन क सारी औपचा रकताए परी कर सभी बाहर आए बाहरआत ही सबस शात प षो म सह हरकत म आए

ldquoअर दखो जरा ऊ जटाय श ला कहा गए जरा खोजकर लाओ मलवाओ भाईहमकोrdquo प षो म सह न सामन खड़ काशी और जगद श यादव स कहा यह सनत हीएक साथ तीन-चार लोग हरकत म आए सभी चार तरफ नजर दौड़ान लग इतन म थोड़ाहटकर खड़ बरची क नजर सामन झोपड़ीनमा एक चाय कान पर पड़ गई जहा बच परबठ जटाय श ला ग त प स अपन दोन सा थय सग ब तया रह थ उ ह दखत ए बरचीचपचाप ही कान क तरफ बढ़ा और कसी का उधर यान नह गया था

ldquoजटाय बाबा बाबा आपको हमार धान जी बला रह ह पहल वाल और होन वालनो धान लोगrdquo बरची न दात चहारकर कहा

ldquoहा-हा-हा का हाल बरची कमार का जी तम भी साथ हो गया फकन सह कएकमा वप अब हम ही रह गए हrdquo जटाय बाबा न भी हसत ए कहा

ldquoअर आप तो लोकत का रीढ़ ह बाबा साला आप नह ह तो स ा छट टा साड़ होजाए आप पर नाज ह मलखानपर कोrdquo बरची न पनः दात चहार ही कहा

ldquoहा-हा मौज ल रह हो बटा खद धान क सवक बन गएrdquo जटाय बाबा भी मजाकही कए जा रह थ

ldquoअ छा बाबा य दोन कौन ह साथ मrdquo बरची न उ सकतावश पछाldquoसब बाहरी समथक ह चनाव म आ गए ह सवा भाव स रत हो हम तो भाई

बाहर-भीतर एक-सा सबध रख ह बाबrdquo जटाय बाबा न ह का-ह का गभीर होत ए कहाldquoअर एकदम सही बात आप पचायत लवल स ऊपर का चीज ह बाबा आप जटाय

ह कौनो कौवा-मना थोड़ हrdquo बरची भी गभीरता म पीछ न रहत ए कहाजटाय श ला मलखानपर क ही नवासी थ उनक बार म कवदती थी क उ ह न

वकालत क पढ़ाई क थी वस य दश उनक पास एक दशक पराना कालाकोट होनक भी प करत थ कई लोग का दावा था क उ ह न जटाय बाबा को कई बार कोटप रसर म भी दखा था शहर म जटाय बाबा या करक कमात-खात थ यह एक रह य थापर उनक स इस बात को लकर थी क अपनी 50 वष क आय म उ ह न जतन भीजस भी तर क चनाव दख वो सब लड़ अब तक वह चार वधानसभा सात पचायतचनाव नौ गा पजा कमट क अ य का और आठ बार बाजार स म त का चनाव लड़ चकथ हाला क कसी भी चनाव म जीत और जटाय दोन न कभी एक- सर का चहरा दखनापसद नह कया उ ह गहरा जानन वाल तो यह भी बतात क अपन हाई कल क टाइम मउ ह न लास मॉ नटर का भी चनाव लड़ा था जसम मा छह वोट स हार थ अपन जीवनम व वध कार क लगातार लगभग 28 चनाव हारकर उ ह न लगातार 17 हार वालमोह मद गोरी को ब त पीछ छोड़ नतन इ तहास रचा था lsquo गरत ह शहसवार ही मदान-जगमrsquo वाल शायर न इनको इतनी बार गरता दख ससार स अपनी शायरी वापस माग ली थीअपन जीवन म बस एक पछल वधानसभा का चनाव नह लड़ पाए य क जस दन यहनामाकन को जा रह थ उसी सबह जमीन क आपसी ववाद म इनक छोट भाई न लाठ

मारकर टाग तोड़ द थी खद पर हमल को उ ह न लोकत म म य वप पर हमलाबताया था इसक वरोध म उ ह न एक दन का बाजार बद भी बलाया था बद क कारणयह खद उस दन दरवाजा लगा कमर म बद रह इस तरह एक सफल बद का यश भी उनकखात म था भाषण कला म वीण थ वचारधारा क नाम पर ज रत क हसाब स सबकसहयोगी थ कसी स ष नह था जसका जस दन ना ता कया उसक लए बोल दत थगाव क लगभग सभी चाय कान पर इतना यादा उधार हो चका था क अब मलखानपरम चौक-चौराह पर कम ही दखत थ कान पर बठ जटाय बाबा अभी बरची स ब तया हीरह थ क वहा हन-हन करता आ काशी प चा

ldquoअर आपको तभी स प षो म बाब खोज रह ह च लए महाराज आइए ज द rdquoआत ही उसन तपाक स कहा

ldquoअर चलो ना इतना हड़बड़ी काह ह भाई हा-हा का जी बरची इस बार हालतखराब ह या फकन जी का जटाय को पकड़ना म कल ह अबक एकतरफा ना होजाएrdquo जटाय बाबा न बच स उठत-उठत कत क बाह समटत ए कहा

ldquoआधी ह अबक आपक नाम का आधी आज ही दख ली जए ना आप शर क जसाअकल ही नोमनसन करन आए और उधर फकन सह सबको बटोर क आया ह झड म हमलोग तो गीदड़ गाव उठकर आ गए हrdquo बरची न जटाय क क पना को और ल चई उड़ानदत ए कहा

ldquoहा च लए ना आपको माला पहनाकर वजता घो षत करन ही बला रह ह वहाrdquoकाशी साह न चढ़त ए दात कटकटाकर कहा इधर तब स फकन सह पता पर बड़बड़ारहा था

ldquo या ज रत ह ल चा जटा श ला को पछन बलान काrdquo फकन सह पता स बोलरहा था

ldquoराजनी त म कोई भी दाव ह का ना समझो इस बार कोई चक नह चा हए यहजटाय नता भवन र साद का मोहरा भी तो हो सकता ह नह तो या पता कल होजाएrdquo प षो म बाब न जब स इलायची क ड बी नकालत ए कहा

ldquoअर उसको भोट ही कतना आता ह बाब जी या आप भी एकदम साला च कातासी रयल बना दए ह चनाव कोrdquo फकन सह पाव पटकता आ बोला फकन न अपनीओर स ठ क ही कहा था आज तक जटाय श ला को कसी भी चनाव म दस स कम वोटआए न प ह स यादा उनक य दस-बारह वोटर कौन थ इसका पता आज तक न चलपाया था इन वोटर का रह य रावण क लका वाली गफा स यादा गहरा था

जटाय श ला धीम-धीम गभीर चाल म चलत ए एक गभीर याशी क प मश ाचार मलाकात क लहाज स प षो म सह क सामन प च चक थ

ldquoजटाय बाबा तब नामाकन कर दए एकदम ब ढ़या बात हrdquo उनक आत हीप षो म सह न औपचा रक श आत क

ldquoआपका नह ह यही तो व थ लोकत क नशानी ह क एक याशी सरयाशी को शभकामना द रहा हrdquo जटाय श ला एकदम भाव व ल लवर म बोल

ldquoअकल आए थ या नोमनसन मrdquo प षो म बाब न फर पछाldquoहा श स ही हमारा यही तरीका रहा ह समथक और वोटर हमारा म बठा ह

उन लोग को लात ही नह ह हम जनता क खन-पसीन और ट स क पस को हम भोटखरीदन म और रली म खच का श स वरोधी रह ह चनाव म फजलखच पर रोक लगइसक लए कई बार रा प त जी को प भी लखा ह मरा चनाव कफायती होता हrdquoजटाय श ला न अपन चनाव सधार यास को रखा कत करत ए कहा

ldquoवोट भी कफायती ही लात हrdquo वहा जमा भीड़ म स कसी क आवाज आई यहसनत ही लोग हस पड़ प षो म बाब न हाथ उठा सबको शात होन का इशारा कयालोग क आपसी बातचीत जारी थी जटाय श ला अब भी गभीर खड़ थ अब बदरीम सर थोड़ा आग आए

ldquoजटाय भाई आप छोटा भाई ह एक बात कहना हrdquo बदरी म सर बोलldquoअर एकदम आप आदश करrdquo जटाय पख फड़फड़ाकर बोलldquoआदश नह ा ण आप भी वजातीय ह इसी अ धकार स एक बात कह रहा

rdquo बदरी म सर न सहोदरी भाव स कहाldquoनह -नह यह आप गलत बोल गए बदरी भया जा तवाद सक ण मान सकता क

साथ मझस तो वातालाप मत क रए द खए मरी लोक यता सभी जा त म ह म सम वयक राजनी त करता नातको र व ध सकाय स धम नरप ता पहला यय ह मराह -म लम भी साथ ल क चलता rdquo जटाय श ला क भीतर स जस श ला न नह भारतक स वधान न बोला

ldquoअर भाई जा तवाद हम भी नह ह दस जा त म हमारा भी जजमनका चलता हपरखा जमान स हम तो म और नहवश बोलrdquo बदरी म सर न अपन वचार प करत

ए कहाldquoसाला आप लोग तब स श हद म महाभारत चला क या बकचोद ब तया रह ह

सीध-सीध बात को क हए ना जो कहना ह तब स नह और म पल जा रह ह सा लाआप लोग पढ़ा- लखा सम या ह महाराजrdquo फकन सह एकदम स फटत ए जोर सच लाकर बोला

ldquoहा-हा बस वही कह ही रह ह हा बात यह था जटाय भाई क हम लोग परा गाव-समाज चाहत ह क धान का चनाव एकदम न वरोध हो हम सब लोग को एकतादखलात ए पचायत चनाव सप करना ह आपस परा मलखानपर सहयोग चाहता हआप अपना उ चत नणय क रए कछrdquo बदरी म सर न एक सास म अपनी बात कह द फकन क डाट को बना दल पर लए ही

ldquoमतलब हम बठ जाएrdquo जटाय श ला तरत समझत ए बोल

ldquoनह -नह आपको साथ दना ह सहयोग ह यह आपका आपका बड़ पन रहगाभाईrdquo बदरी म सर म ी घोलकर बोल

अब समची भीड़ क नजर जटाय श ला क जवाब पर थी कछ लोग फकन सह कोकसमसाता भी दख रह थ पीछ दो लोग ब तया रह थ द खए जटाय मानता ह क आजपख नोचवाता ह अपना एक बदबदा रहा था फकन सह क हाथ आज कटा न जाए ईबबवा इन सब शका -आशका स अनजान जटाय श ला न ब त गभीर भाव म खड़आख मद दो पल गदन हलाई और फर बदरी म सर क तरफ दखन लग

ldquoबदरी भया इस तरह न वरोध चना जाना यह तो तानाशाही को बढ़ावा दना होजाएगा यह तो राजत को वापस लाना हो जाएगा एक तरह स म यकाल क तरफलौटना हो जाएगाrdquo जटाय श ला न लोकत पर मडरात खतर को भापत ए कहा इतनासनत तो फकन सह का चहरा लाल-पीला होन लगा प षो म बाब ल कन धय स खड़ थ

ldquoअब साला ए सस हो गया ह और चढ़ाइए इन सबको कपारrdquo फकन सह पता कओर दखत ए तल मलाकर बोला

ldquoअर जटाय बाबा महाराज आपको भोटव कतना आता ह भाई भाई दस-बारहभोट का ही न बात हrdquo इस बार जगद श यादव आग आकर बोल खड़ी भीड़ आग-पीछठला-ठली कर रही थी कोई जटाय श ला क तरफ ध का द रहा था कोई हसी- ठठोलीकर रहा था फकन का पारा गम हो चका था

ldquoऐ जटाय बाबा आप पाच भोट स रोक ली जएगा हमरा तानाशाही कतना बड़ा नताह आप हो साला तब स बदा त कर रह हrdquo फकन सह इस बार जटाय श ला क सीनपर हाथ धर धकलत ए बोला यह ए शन सीन दखत ही कछ लड़बाज नौजवान पीछस सीट बजान लग जस कसी मसाला मवी क श टग चल रही हो हालात को इस तरहहोता दख प षो म सह न आग बढ़ फकन सह को पीछ ख चा

ldquoअर अर या कर रह हो दमाग ह क नह तम चनाव लड़ रह हो और इस तरहपहलवानी करोग ख लम-ख ला इस तरह बचार ा ण पर हाथ उठाना चा हए या कसी

य कोrdquo प षो म सह न सध अदाज म डपटत ए कहाldquoहा ऐ फकन बाब ऐ महराज छो ड़ए अर नरीह ा ण ह बचारा अर बठ जाएगा

बठ जाएगा ग सा मत क रए बात स बाहर नह जाएगाrdquo बदरी म सर न एक ा ण कसपण नरीहता को अपन चहर पर लात ए कहा बदरी म सर हाथ पकड़ जटाय श ल कोकनार ल गए फकन सह लगातार गाली दए जा रहा था जटाय बाबा अब अदर स काप-स गए थ इतनी ज द फकन सह बरस जाएगा सोचा नह था उ ह न जटाय श ला अबसहम तो थ पर एक बार ह मत कर पनः आग आए

ldquoद खए अब ऐस अपश द बोलन स होगा या फकन जी य तो स कार नह हआपका आप लोग उ च कल क ह य बात याद र खए अर भाई म स बात क रए नाली जए हमारा तोड़ द जए तब हाथ-पर पछला चनाव म भाई तोड़ दया था हम सोचग

इस बार भी छोटा भाई तोड़ दया ली जए हा जर हrdquo जटाय श ला न इमोशनल उड़ानली

ldquoअर छो ड़ए ई सब बात आवश म बोल गया फकन टाग-हाथ काह तोड़गा आपकाभाई जसा ह आप उसका अब शात होइए श ला जीrdquo प षो म सह न दोन कध परहाथ रख जटाय श ला को धरत ए कहा

ldquoअर आप फालत म ही ना बात बढ़ा रह थ बाबा फ ट म मान जाना थाrdquo जगद शयादव बोल

अभी कई लोग जटाय श ला को घर खड़ थ कोई मह दाब हस रहा था कोई श लाजी को रकच रहा था कोई कह रहा था पहल ही साला बठ जाना चा हए था इसको अबजटाय श ला स रहा ना गया

ldquoअर बठ जाना चा हए था बठ जाना चा हए था या तब स बोल जा रह ह सब लोगअर अभी तो घटा भी तो नह आ ह साला हमको खड़ा ए और सब आप लोग सबमारपीट पर उता ह भाई अर या एक दन का भी हक नह हमको खड़ा रहन का ईकौन बात ह मद लो ठ क ह बठा दो ल कन साला थोड़ा-सा तो इ जत रख दो भाई यामजाक बना दए ह मराrdquo जटाय श ला अब तक क सबस यादा आवग म लगभग रोत एच लाकर बोल

ldquoएकदम अ छा सही बात सही बात एकदम अब मजाज को शात क रए औरचाण य बन क च ग त होन का आशीवाद द जए फकन बाब को इ तहास हरा द जएबसrdquo बदरी म सर एकदम लग पड़ बोल एक सकट म फसा ा ण जवाब दकर नह आशीवाद दकर ही जान बचाता ह अगर जटाय श ला आशीवाद न दत तो उ ट फकन सकछ लन क नौबत आ जाती ल कन जटाय पछल दजन चनाव क अनभवी तो थ हीउनस इतनी भी ज द मदान छड़वाना आसान न था

ldquoद खए बदरी भया हमारा कछ नह अभी बठा द जए ल कन हम ह जनता कयाशी उनक आशा उनका उ मीद ऐस म एक बार अपन समथक स पछकर बता दता

कल उ ह न ब त उ मीद स खड़ा कया हrdquo जटाय चहर पर अतलनीय गभीरता काभाव लए बोल

ldquoअर तो कौन समथक वही दस-बारह लोग न तो अभी ही पछकर बता द जएrdquoबदरी म सर न तड़ कहा

ldquoअर तरत कस पहल पता भी तो लगाना होगा न क व सम पत लोग कौन-कौन हमतदान तो ग त होता ह ना बदरी भया समथक हमार सार ग त ह यही लोकत का बयटह भयाrdquo जटाय अब थोड़ा म कया क बोल

ldquoऐ एक बात ई ग तरोगी लोग का पता चल जाए ना तो जरा हमको भी बताद जएगा जरा इन भोसड़ीवाल को हम लोग भी तऽ पहचान तो ल क ऐसा कौन दस ठोनमना ह गाव म परा गाव को दखन का मन होगा या जी सब लोगhelliprdquo फकन सह न

अचानक स बीच म गरा कर कहा बीस-प चीस लोग न हो-हो कर समथन म ह ला कयाइस बार सब हस पड़ सबको हसता दख जटाय भी रोत ए हस दए

ldquoह-ह फकन जी भी बड़ा ज द ो धत हो जात ह जन त न ध को थोड़ा वशालदयी होना चा हए साहबrdquo जटाय बड़ सभल-सभलकर फर बोल

ldquo दखाए हरदय अपनाrdquo फकन सह नकफ ली हसी क साथ सीना नकालत एबोला

ldquoछाती नह दय दखाइए अब द खए अगर हम चाण य बनन का वचार कर रह हतो आप भी च ग त क जसा बड़ पन वाला वहार र खए थोड़ा हम आपक बात स बाहरनह ह फकन जीrdquo जटाय न अबक साफ-साफ कहा इतना सनना था क बदरी म सर नजटाय को गल लगाया पर जटाय अनमन थोड़ पीछ हट वो अब भी वप ी उ मीदवार थकस गल मल लत बना कसी नणय क

तय आ क कल तक जटाय अपना नणय दग अब सब वापस होन को नकलनलग सभी आए लोग फटाफट अपन-अपन वाहन क ओर दौड़ फकन सह भी अपनीगाड़ी टाट करवा नकलन लगा बरची दौड़कर नकल रह म हला वाल टपो म लटकाजो अब खाली हो चका था म हलाए तो गाव स अपन-अपन मायक और उन सग-सब धयक घर जान क लए ही टपो स चली आई थ जो वह आस-पास रहत थ इस तरह कलमलाकर सब लोग नकलन लग पर जटाय श ला वह खड़ थ उनको भी घर जाना थाकोई साधन था नह साथ आए दोन यवक तो कब क अपनी बाइक स जा चक थ इतन मजटाय दौड़कर प षो म सह क गाड़ी क तरफ गए

ldquoचलना ह काrdquo शीशा उतारकर प षो म बाब न पछा जटाय क मड़ी हलात हीझट स गाड़ी का पछला दरवाजा खला और जटाय पछली सीट पर गोड़-हाथ समटकरएडज ट हो गए लोकत का सजग हरी और चनाव म न बठन वाला याशी बोलरो मबठ चका था

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सबह का सरज रोमाच लकर आया था जटाय श ला सर दन अचानक स गायब हो गएथ और प षो म बाब क उ मीद पर खतर क बादल मडरान लग थ यह सदह प हो गयाथा क जटाय क पीछ कोई तो राजनी त ह जटाय श ला पर तीन दन गायब रहन क बादआज सबह-सबह प षो म सह क दरवाज प च थ आज ब त-कछ उनक नणय परटका था वह अगर आज अपना नामाकन वापस लन क घोषणा कर दत तो फकन सहका धान बनना लगभग तय हो जाता य क आज नामाकन करन क अ तम त थ थीऔर अब तक फकन क व उनक सवा कसी और न नामाकन नह कया था इधर तीनदन तक जटाय श ला का कोई अता-पता न होन क कारण प षो म सह क खम म चताबढ़ गई थी क कह जटाय श ला क पीछ नता भवन र साद तो नह लग यह चता अबजटाय श ला क वहा प च जान क बाद भी बरकरार थी जटाय बाबा क वहा प चत हीआसपास स कछ और लोग दरवाज पर प च गए हर आदमी उ ह अपन-अपन तरीक सटटोल सबस पहल पता कर लन क तयो गता म लगा था क जटाय बाबा बठग क नह जटाय श ला बस म करा-म कराकर स पस बढ़ा द रह थ जटाय बाबा क दरवाज परबठन क खबर मलत ही फकन सह लगी कस घर स बाहर नकला

ldquo या बाबा मरा-भला गए थ या हम लोग तो चता म थ क कह कछ हो तो नहगया आपकोrdquo पछल तीन दन स उ ह ही खोज रह फकन सह न कढ़त ए दात पीसकरमन सयत भरा अ भवादन कया

ldquoहा-हा नह -नह जी अभी काह मरग जब तक आपका साथ ह मरग कसrdquo जटायश ला न बना आहत ए कहा

ldquoअर भाई डर लग रहा था क कह कोई मार द गायब कर द और नाम हमारा लगा दसाला काह क उस दन हम ही ना आपको गाली-फाली द दए थ थोड़ा अब राजनी त मतो वरोधी कछ भी करवा सकता ह आपका मडर करवा दगा और हमको फसा दगा यहीसब टशन हो रहा थाrdquo फकन सह न एक रोमाचक सभावना का ज करत ए कहा यहसन एक पल तो हसमख जटाय श ला गम-स हो गए सामन खड़ लटक स पानी लान काअनरोधी इशारा कया उनको मारकर भी य प - वप क लोग आपस म राजनी त करसकत ह यह तो सोचा ही नह था उ ह न राजनी त तो सदा स र पीती आई ह लाखजीव का खन पीकर फली-फली ह एक ठो चील-कौआ जटाय का पख नोच दना कौनबड़का बात ह यह सोचत ही कपकपी-सी लगी उ ह अदर-ही-अदर ओह राजनी तर पपास हो चक ह सावधान रहना होगा अभी जटाय मन-ही-मन यही सोच रह थ तबतक लटक लोटा म पानी लए आया जटाय श ला न एक ही बार म परा लोटा गटक सखत

कठ और झनझना रह बदन को तर कया तभी अदर स प षो म सह भी नकल जटायश ला न कस स उठ करब अ भवादन कया प षो म सह न भी हाथ जोड़न जसीथोड़ी-ब त आक त बना अ भवादन का कसी तरह स मानपवक टाइप ही जवाब दयातभी प षो म सह न वह सामन चौक पर बठ अगद को दौड़कर बदरी म सर को बलालान को कहा अगद सह ज वक प स एक वशालकाय ाणी था और भारतीयपा रवा रक व था क हसाब स प षो म सह का भतीजा था य सब प रवार पड़ोस मही रहत थ अगद का भरा-परा शरीर सह प रवार क सपदा था बना म त क भी मानवआराम स खा-पीकर जीवन जी सकता ह अगद इसका व सनीय उदाहरण था अपन बड़चाचा का आदश पात ही अगद दौड़त ए ही बदरी म सर को बलान गया रा त म उसदौड़ता दख लोग समझ ल रह थ क घर स कसी न दौड़त ही जान को कहा होगा लगभगदस मनट क बाद बदरी म सर उधर स धोती-गजी पर ही लगड़ात ए फचक- फचककरचलत ए आए रात को गोहाल म इनक बछड़ न अपन ह स का ध गारता दख कदकरइनका पाव थर दया था उसी कारण दद स लगड़ा रह थ

बदरी म सर न आत ही लपककर कहा ldquo या भाई जटाय अर भाई इस तरह गायबआ जाता ह या भाड़ म जाए चनाव भाई पहल जीवन चा हए आपका आपका मरा

मह हमस तो नह दखा जाएगा इस उ म ई आघात नह सहन होगा जटाय भाई हम लोगसोच क कछ अनहोनी हो गया ह भगवानrdquo आत ही अ भवादन का इतना अशभ स करणशायद ही सना था कसी न जटाय न सनत ही अपन चहर को दा हन हाथ स छकर टोहा वजदा थ अब कल मलाकर जटाय बाबा न इतना तो समझ ही लया था क इन तीन दनम कसी न उनक लए कसी राजनी तक दाव पर चचा भी नह क ह ब क यहा तो सालासबको अदाजा हो रहा था क जटाय मरा- बला गया कह इसी बीच एक बार जटाय बाबान दोन हाथ स माथ का पसीना प छा

ldquoतो बताइए ज द या डसीजन आ आपका ब ठएगा इ जत स क लड़बक रएगा हमसrdquo फकन सह न फफकारत ए पछा

ldquoअर नह डसीजन का होना ह हो गया ह तब ना आए ह बचार काह लड़ग भाईआपस आप स लड़न का मतलब खाली आप ही थोड़ ह इसका मतलब ह परा गाव-समाजका अपमान करत ए एक-एक घर स लड़ना य काम जटाय जी या कोई भी भलाआदमी नह करगाrdquo बदरी म सर न अपन बलाए जान क उपयो गता स करत एकहा

ldquoहा द खए हमार समथक लोग का तो दबाव ब त ह क हम फाइट कर ल कन हमखद चाहत ह क सवस म त स धान चना जाए और गाव का वकास हो आपस म मबढ़ इस लए दो ही रा ता ह या तो गाव क वकास क लए हम बठ जाए और फकन बाबन वरोध चना जाए या फर फकन बाब बठ जाए और हमार साथ कदम स कदम मलाएrdquoजटाय बाबा न अभी अपन चर- ती त अनमोल वचार रख ही थ क बदरी म सर तोभ च क रह गए और फकन सह दात पीस मट ठ बाध अपनी कस स उठन लगा उसक

दहभाषा स साफ था क अगल कछ मनट म वो जटाय जी क पख छड़ाएगा प षो मसह भी धोती समट बचनी म कस स उठ एक ही पल म वहा बदल चक माहौल को जटायन त काल भाप लया और फर सरा ण बीतन स पहल ही तो फटाक स आग कहाldquoल कन द खए द खए हम गाव क साम हक हत क लए अपना वचार रख रह ह कhelliprdquo

तब तक फकन सह का हाथ जटाय जी क गदन स ब भर पर ही थाldquoजाइए हम चाण य बनना मजर कएrdquo गदन पकड़ म आन स पहल ही जटाय

श ला न नणय क घोषणा कर द घोषणा होत ही बदरी म सर तो जस उछल पड़ जोर-जोर स ताली पीटन लग उनक दखा-दखी अगद भी ताली बजान लगा फकन सह ककसकर बधी मट ठ थोड़ी ढ ली पड़ी एक लबी सास उसन भी ज र ली प षो म बाब नभी आख बद करक एक बार गहरी सास ली

ldquoली जए तब आप अभी अपन हाथ स च ग त को माला पहनाइए वाह अर वाह होभगवान भाई कोई जाकर कह द जए जला शासन स मलखानपर पचायत का चनाव होगया रज ट दख ल इहा आ कrdquo बदरी म सर स ता क हद तोड़त ए बोल

ldquoअ छा यह सब होता रहगा जटाय बाबा को पहल स मानपवक ग द णा दनद जएrdquo प षो म सह न सकन भरी म कान क साथ कहा प षो म सह न फकन सहस पसा दन को कहा फकन सह पाच मनट म अदर स पसा लकर आया

ldquoऐ फकन जी स नए ना जरा तीन हजार और बढ़ा क कर द जए न ब त द कतह थोड़ाrdquo जटाय बाबा न ऐन मौक पर मद द क ज री बात कही

ldquoअब नाटक ना क रए बाबजी स नोमनसन क आत व गाड़ी म जतना फाइनलआ था वह द रह हrdquo फकन सह न तय रा श क बात दोहराई

ldquoअर महाराज अब इतना भी कजसी ना क रए फकन जी च ग त ए ह तो राजाजसा दल भी र खए द खए हम यादा नह माग रह जतना हम इस चनाव म खच कएह वही मलधन मल रहा ह बस एक पया का नफा नह ल रह ह हम तो ग त प ससालभर पहल स झ क ए थ इसम खद को उसी म जो खच आ ह वही तो मल रहा हबसrdquo जटाय बाबा न अपन अ भयान पर ए जायज खच क बार म बताया

ldquoहो गया अब छोड़ो द दो न अर हा सात हजार म तय आ था ल कन द दो भाईदस हजार चनाव म इसक बाद कोई खच भी तो नह अब न वरोध ए य भी तो दखोऔर पसा गरीब ा ण ही ना खाएगा बचारा चलो द दोrdquo प षो म बाब न बड़ दय काप रचय दत ए कण क दानवीरता का लवर लत ए कहा

ldquoच लए द दत ह वधानसभा चनाव म -तीन हजार म बठत ह यहा दस वोट कादस हजार ल लएrdquo फकन सह बाक क तीन हजार लान को उठत ए बोला

ldquoलोकत म एक-एक वोट क मती होता ह और आपको एक हजार म एक भोट ब तमहगा लग रहा ह फकन बाब जनमत का इतना तो अपमान मत क रए अब आपजन त न ध होन वाल हrdquo जटाय बाबा न मत क म य और लोकत क ग रमा का यान

दलात ए कहा हाला क यह सनन क खा तर फकन वहा मौजद नह था वह पसा लानअदर जा चका था पसा लकर वापस आत ए उसन पस प षो म सह को दए

ldquoप षो म बाब क हाथ स द णा हण करवाइए च लएrdquo बदरी म सर न शभ हाथक तारीफ म कहा और इस तरह स मा दस हजार म एक चाण य बन-बनाकर तयार होगया था लोकत क न कारखान म महगाई क जमान म इतना स ता तो ट वी- ज नहआ सकता कायद का यहा चाण य खड़ा था बनकर न य ही बड़ी राजनी तक सफलताथी यह प षो म सह क लए अदर खड़क स झाक रही फकन सह क मा न अपन बटको धान बनता दख खशी म गठ स पस नकाल अगद को बला मठाई लान कह दयाइधर पस जब म रखत ही जटाय श ला चलन को तयार थ इस चनाव म जतन क जीतमल सकती थी जीत लया था बचार न व बरामद स उतरन ही लग थ क सबन लड डखाकर ही जाइएगा बोलकर बठा लया

ldquoह बाब सनो ना तब यह हमार लए दो पीस लालमोहन ल लना तब अब रोक लएह सब तो मन रखना होगा न पट का द कत रहता ह बसन छब नह करत ह लालरसग ला ल लना बाब वह ठ क रहगा खा लग कसी तरहrdquo जटाय पी नवचाण य नपट पर हाथ फर दस हजार क भगतान म दो गलाबजामन जोड़त ए कहा बाजार जान कोनकला अगद य सनत ही खड़ा हो गया और अपन बड़ भाई फकन सह बड़ चाचाप षो म सह क तरफ दखन लगा वह उनका इशारा चाहता था क रसग ला लाना ह कनह फकन सह अभी कछ कहना ही चाहता था क प षो म सह न दा हना हाथ उठात

ए कहाldquoअ छा जाओ ल लना दो पीस लालमोहन भीrdquo दरवाज पर अब धीर-धीर कछ और

लोग और इकट ठा होन लग लटक भडारी न वह खड़-खड़ अपन मोबाइल स कछ औरसमथक को फोन कर न वरोध नवाचन क खबर अपन हसाब स जतना हो सकावायरल कर द थी खद फकन सह को भी कछ फोन आन लग इधर अगद बड़ी तजी समठाई लकर लौट आया लटक मठाई ल अदर गया और उस थाली म डालकर ल आयाएक छोट -सी लट म जटाय बाबा क लए रसग ला अलग स था सबन थाली स एक-एकलड ड उठाया बदरी म सर न भी दो लड ड उठाकर अगद क तरफ बढ़ाए और उस एककागज म लपटकर द दन को कहा असल म अभी उ ह न नान नह कया था अतः घर पनान एव पजा-पाठ करन क बाद खात जटाय बाबा न तो लट सामन रखत ही एक

रसग ला मह म डाल लया इधर प षो म सह न भी लड ड का एक टकड़ा मह म डालाही था क तब ही जोर-जोर स एक साथ कई बाइक क हॉन क आवाज सनाई द एक साथ25-30 बाइक धल उड़ाती सामन स नकलन लग

ldquoअर कौन ह र ई सबrdquo प षो म सह न लड ड का आधा टकड़ा नगलत ए औरआधा सामन वापस थाली म रखत ए पछा

ldquoसब तो सकदरपर का आदमी लोग लग रहा हrdquo फकन सह यह बोलकर अगल हीपल कस स उठा

ldquoओहो हो ही गया खला साला पापी बना पाप कए मानगा नह कलयग म यहीतो ई या और वक त का भावना बल ह कौन कब और कहा घात लगाकर बठा ह कछपता नह चलता हrdquo बदरी म सर न ज द -ज द कलयग क मल च र क स प म

ा या क और झट धोती म ढक गए लड ड को हाथ म लया अभी इसस पहल क कसीको कछ और समझ म आए जटाय श ला न सामन रखा सरा लालमोहन झटक म मह मडाल लया

प षो म सह क दरवाज तो अचानक जस सामन स कसी न खट स बधी जोड़ी गायऔर जोड़ा भस खोल लया हो ऐसा माहौल बन गया था कसी को कछ प समझ नहआ रहा था

ldquoनॉमनसन खा तर जा रहा ह नाrdquo बदरी म सर एक बार फर उचककर बोलldquoनह भवन र साद का बरात जा रहा ह जाइएगा याrdquo ोध म बल बलाए ए

फकन सह न चढ़त ए कहाldquoअर शात हो क पहल य भी तो दखो साला क खड़ा कौन हो रहा ह कसका रली

ह कौन ह क डडटrdquo प षो म सह न सरकती ई लगी को कसकर बाधत ए कहातभी चार-पाच बाइक का एक और झड सामन स गजरा इस बार सार क सार चहर जान

ए थldquoहय-हय उ द खए बर चया और बरागी प डत का लड़का ओह भगवानrdquo बदरी

म सर क मह स नकलाldquoकौन-कौन ह और दखो दखो तो जराrdquo प षो म सह ोध म अबक तमतमाकर

लटक स बोलldquoचमरौट का ह लड़का पहचान हमrdquo लटक न सड़क पर कदकर पीछ स दखत

ए कहा फकन सह च ला उठाldquoसाला ई चार-पाच ल डा ब त का बल बनता ह बाधकर चमड़ा छ लना होगा इन

सबकाrdquoफकन सह का ग सा वाभा वक था य क ऐसा पहली बार आ था जब गाव स

कोई खलआम सकदरपर क याशी सग गया थाldquoअपना गाव-घर छोड़ सकदरपर का क डडट क साथ जा रहा ह यह तो क लयर

दश ोही का ही काम कया हrdquo जब अगद क मह स यह नकला तो कसी को यक न नहआ

ldquoखड़ा कौन ह पहल य नाम तो पता करोrdquo अब एकदम अधीर हो रह फकन सह नपनः च लाकर कहा तभी साइ कल स जोर-जोर क पडल मारत ए काशी साह पसीन सनहाए वहा प चा

ldquoमा लक दख क नह रली अनथ हो गया ह एकदमrdquo काशी न हाफत ए कहाldquoत हारा मोटरसाय कल का आ रrdquo प षो म सह न उस साइ कल स आता दख

अलग ही बात पछ द ल कन बात इतनी अलग थी नह ldquoअर वही तो मा लक साला लकड़ी काटन म हमारा एक पाटनर ह वही मागकर ल

गया मोटरसाय कल और चला गया ह ई वाल रली म दख ह ग आप अभी हमरामोटरसा य कलवा हमको नह पता था दोगला ई खा तर माग रहा ह धधा-पानी बद सालाहरामी स अब एकदम सब बद उससrdquo हदस गए काशी न सव थम अपना प सनाया

ldquoकौन खड़ा हो गया र सकदरपर सrdquo प षो म सह न ोध म पछाldquo सकदरपर स अर यही तो अनथ ह क डडट मलखानपर स ह मा लकrdquo काशी न

अ या शत खबर सनाईldquo या पगला गया ह या रrdquo प षो म सह क मह स नकला मौजद कसी भी को यक न न आldquoत झाट कथा बाच रह हो तब स क ह बताओ नrdquo फकन सह काशी पर च लाकर

बोलाldquoऊ लड़का वही म दर नमाण वाला साला ऊ चमरौट वाला लड़कवा नता जो

बनता ह प ब र दासrdquo उसन जोर क आवाज म कहाldquoजत आ का बटा अर ऊ चमरटोली सhellipअर मनhelliprdquo एकबारगी प षो म सह क

मह स नकलाldquoहा मा लक वही तो व ास नह हो रहा अभी तक हमकोrdquo काशी न भी हद स

अ धक आ य बटोरत ए कहाldquoबताइए यह दन भी दखना था हो बदरी जी चमरटोली स धानी का क डडट सोच

नह थ क बोrdquo प षो म सह न एक झझलाई-सी हसी क साथ कहा और आख मदकरकछ सोचन क म ा म दखन लग फकन सह भख शर क तरह फफा रहा था उसक महस लगातार गा लया नकल रही थ एकदम नबाध चल रह न वरोध वजय रथ क आगकोई गाव का ही वरोधी इस कदर बड़ा प थर लाकर रख दगा क पना ही नह क थीफकन खम न

ldquoसाल को बलात ह पहल और बर चया को काट तो दग साला छोटा-सा फोड़ा परयान नह दन क कारण कसर हो गया इसका इलाज ब त पहल कर दना था हमको यही

न पदा कया ह नता हमार खलाफ और इस कडीडट साल चमरा को तो हम गाव छड़वादगrdquo फकन सह बना क बोल रहा था प षो म सह अलग दशा म सोच बचन हो रहथ

ldquoसनो बटा कह रह ह ना क समय बदल चका ह चनाव को चनाव क तरह समझ कलड़ो अब कसको बलाओग और मार-पीट करोग य सब एक जमान म होता था हम यनह कह रह क नह होता था तब लोग म स कार था य राड़ -चहाड़ का मन नह बढ़ा थातब अब जो चनाव लड़न जा रहा ह वह त हार बलान पर त हार दरवाज पर आ जाएगा

या कसी को मार-पीटकर नह उठा- बठा सकत भाई तम आज क टाइम म और उसक

पीछ भनसर साद का पोल ट स भी ह आज झगड़ा करोग तो कल उ टा-सीधा काड मफसा दगा दख रह हो ना गाव म ही वरोधी खड़ा हो गया राज गया राजनी त करना होगाअब राजनी त समझrdquo प षो म सह न ोध पीड़ा और सयम क बीच सतलन साधत

ए कहाldquoअहो बताइए एक हम ह जो गाव क एकता क लए पचायत क वकास क लए

अपना परा राजनी तक क रयर का याग कर चनाव म बठ गए जब क जनता का परा दबावथा क जटाय बाबा लड़ब क रए हम बोल नह हम छोटा भाई फकन जी को आग बढ़ातह और एक तरफ यह साला मनबढ़ लोग ह जो गाव का इ जत डबा वरोध म चनाव लड़रहा ह चमरौट म भी चाण य और अलग च ग त लाच हो गया बो लए सालाrdquo जटायश ला ब त दर बाद अपन पख खोलत ए बोल

ldquoआप एकदम चप र हए चप खड़ा रहो एकदम साला झाटभर तो भोट ह गनकरदस पीस और भोसड़ी क पाच दन स कपार खाए जा रह ह साला असली वरोधी तो गयानामाकन करन और हम लोग लग रह आप जस ब चोद को बठान मrdquo फकन सह नसीध-सीध उगली दखाकर जटाय श ला स जोर स कहा यह सनत ही जटाय श ला कादा हना हाथ ऑटोम टक मोड म ऊपरी जब क तरफ गया जहा उ ह न पस रख थ अभीउनक मन म य भयकर अनथकारी वचार आ रहा था क कह दया आ पसा छ न न लफकन सह यही सोच खद क आ मा स चप रहन क पकार करन लग खद को ही अदरस ग रया रह थ क इतना बोलता काह साला म अभी चप रहकर नकल काह नह ल रहायहा स अभी छ न लगा पसा तऽ या उखाड़ लगा म इतना च तयापा काह करन लगता म कौन मझ रत करता ह र बाप ई सब बकती क लए ओह सा ला म यहीआ मसा ा कार कर जटाय श ला कस स उठ और बरामद स नीच वाल सीढ़ क तरफसरकन लग धीर-धीर

ldquoउधर वरोधी जाल बछा दया ह और चनाव लड़न पर आ गया और तम अपन भीलोग को नह सभाल पा रह जटाय जी अपन आदमी ह समझ नह आ रहा तमको थोड़ातो शा त स काम लोrdquo प षो म सह न फकन स जरा त खी म कहा

ldquoअर लटकआ बाइक नकालो रrdquo फकन सह न कहाldquoअभी बाइक लकर कहा जाओगrdquo प षो म सह न तरत पछाldquoअर हम नह जा रह ह कह बरागी प डत जी को बलवा रह ह जरा अपना आदमी

लोग को तो सभालना होगा नाrdquo फकन न लाल ई आख को घमात ए कहाldquoहा हा यह सब दखना होगा बताइए बरागी पाड का लड़का जा रहा ह चमारटोली

क सग अर स कार कहा गया भाई कस बात का फर ा ण बरागी पडी स य सवालतो होना ही चा हए आज हम लोग परा ा ण समाज भी तो कल कत आ न इस ककमस एकदम बलवाइए उनको पछन म या द कत हrdquo बदरी म सर न स कार और धमको सकट म पड़ता दख इस मद द पर जोरदार समथन और घनघोर चता करत एकहा

ldquo चता का तो बात ह ही या बोल हम अब एक आप भी ा ण ह जटाय जी हऔर एक साला बरागी पडी का स कार दख ली जए या परब रस दए बटा को इतनापतन नह होना चा हए धम-स कार काrdquo प षो म सह न पतनशील प डत क भ व यपर गहरी चता क

लटक बड़ी तजी स बाइक लकर म दर क ओर नकल चका था इधर बठ ए सभीलोग उन लोग क नाम च त करन लग जो प ब र दास क नामाकन म गए थ साथ हीउनक भी पहचान क जान लगी जो फकन सह क नामाकन म नह गए थ य क अब यहपड़ताल भी ज री हो गई थी कह ऐस लोग फकन सह क भीतरी वरोधी तो नह दर सवहा प च लड डन मया न अभी-अभी सचना द क मध भी कछ म हला क सग प ब रक नामाकन म गई ह तभी पवन वग स गया लटक बरागी प डत जी को बाइक पर लटकाएलता आया बरागी प डत जी नग बदन पर धोती पहन बस एक लाल गमछा डाल ए थबदन क एक ह स पर सरस का तल रगड़ा आ था सरा ह सा सखा आ था जसअ त- त अव था म वह दख रह थ उसस साफ तीत हो रहा था क प डत जी कोबलाकर नह उठाकर लाया गया था

ldquoआइए बरागी बाबा अर एक कस तो दो र बाबा कोrdquo सबस पहल प षो म सह नकहा काशी साह न उठकर एक ला टक कस आग बढ़ाई बगल स

ldquoजी णाम परषो म बाब कोई खास बात ह या लटक तो एकदम दौड़ा-दौड़ी करल आया अभी दहात स एक बहा करा कर लौट ही थ नहाए भी नह थ आध दह मक आ तल लगाए थ क ई प च गयाrdquo प डत जी न आत ही कहा

ldquoपहल आराम स बठ ली जए चाय-पानी प जएगाrdquo प षो म सह न कस पर बठए ही पाव चढ़ाकर पछा

ldquoजी नह पहल नहाना ह जाकर तब चाय-पानी करग बताइए ना या आrdquoबरागी प डत जी न बढ़ती उ सकता और बचनी म पछा

ldquoअर प डत जी आप परो हत ह गाव का हमार नौमनसन क दन कहा थ आए नहआपrdquo फकन सह न कड़ भाव म वन ता स पछा

ldquoअर तो हमको कहा पता फकन बाब उस दन तो हम सगवा गाव एक ा म चलगए थ आप बतात तो वहा छोड़ यह आ जात यह तो घर का बात थाrdquo बरागी प डत जीन उ मीद स यादा भयकर अपनापन दखात ए कहा प षो म सह भी अपन घर क

त पडी जी क इस अगाध ा स म छत होत-होत बच कसी को पता नह था कप डत जी इस तरह ा म ा फट दग

ldquoयहा सबकछ हो गया परा या च लए सब कशल-मगल स नपट गया नाrdquo बरागीपनः बोल

ldquo नपट नह गया ह अभी तो श ही आ ह प डत जी आप लगता ह धम-कम मइतना लीन हो गए ह क न समाज का समाचार यान रहता होगा न अपन प रवार काrdquo

प षो म सह न त काल टढ़ अदाज म ही कहाldquoधम-कम का करग यह तो धधा-पानी ह हम लोग का प षो म बाब चार रोट इसी

स आता ह इस लए लग रहत ह प रवार भी तो इसी स तो चलता हrdquo बरागी प डत जी धमको आट म सानकर रोट बनात ए बोल कतना सच कह दया था अच क म ही हर कोईभगवान दखन क लए ही धा मक नह होता प रवार दखन क लए भी धा मक होना पड़सकता ह

ldquoआजकल लड़का या कर रहा ह आपका उसका हाल जानत ह क नह rdquoप षो म सह अब असली बात पर आत ए बोल

ldquoउसका हाल तो परा गाव जानता ह प षो म बाब कसस छपा हrdquo प डत जी नकपार पर हाथ फरत ए कहा

ldquoहाथ स नकल रहा ह पकड़ म नह ह आपकrdquo प षो म सह न कहाldquoएक हाथ स फल बलप पोथी प ा झोला पकड़ रहत ह और एक हाथ दान-

द णा म दनभर फलल रहता ह बताइए कौन हाथ स लड़का पकड़rdquo बरागी प डत नएकदम फ कड़ी भाव म कहा

ldquoअपन लड़का क बार कछ पता भी ह आपकोrdquo इस बार बगल स फकन सहगरजा

ldquoअर फकन बाब बाप ह हम उसक हमको या नह पता ह ताड़ी-गाजा लकरचमटोली म भात खाकर ख टया पर पड़ल रहता ह सब पता ह हम अपन भा य पर रो कथक गएrdquo बरागी पडी जी न श य भाव स कहा

ldquoअभी और रोइएगा अगर क ोल नह कए उसको तोrdquo फकन सह न कड़ स कहाldquoअब का कयाrdquo बरागी प डत जी इस बार थोड़ा असहज होकर बोलldquoबटा हाथ स नकल जाए तो बड़ा बात नह समाज स नकलन वाला काम ना कर ई

यान रखा क रएrdquo काशी साह न कहाldquoजो हाथ स ही नकल गया ऊ समाज स कगा साह जी का बात करत ह मदrdquo

बरागी पडी जी न एक बझी ई हसी क साथ कहा इस बीच बदरी म सर सफ आख मदतो कभी आख तररकर चपचाप सब सन रह थ व एक श द नह बोल रह थ बरागी प डतस उनको लग रहा था इस आदमी न धम ल लया हमारी जा त का गौरव ल लया इसस

या ब तयानाldquoस नए अब घर म दर और समाज सबस नकलन का नौबत ला द रहा ह आपका

बटा बाक तो आपक धम-जात का नाश कया ह कर ल कन इस बार तो बात हद सयादा बढ़ गया हrdquo प षो म सह अब गम होकर बोल बरागी प डत जी अब अचानक सच तत ए

ldquo या कर दया प षो म बाब ह राम अब कौन पाप कर दया कह ककरो लकhelliprdquo बरागी कापत ह ठ स बोल

ldquoउसस भी बड़ा काड कया ह आज तक जो कया च लए कया अब राजनी त मउतर गया ह राजनी त म प ब र दास क साथ गया ह नौमनसन म बताइए कछ समझरह ह फकन बाब का वरोध सोच थ आप क इतना बगड़ जाएगा लड़काrdquo काशी साहन मन य क बगड़न क अ तम अव था बतात ए कहा

ldquoनह hellipअhellipअhellipनह ऐसा नह कया होगा फकन बाब का वरोध इतना भी पागलथोड़ ह ऊ और साला प ब र दास काह चनाव लड़ रहा हो भाई पगला गया ह याrdquoबरागी प डत चहर पर आशका और भय दोन लए ए बोल

ldquoप डत का बटा ह और चमरौट का झडा ढोन लगा ह आ खरी हो का रहा ह ईसधार कर ली जए ज द rdquo प षो म सह न चतावनी क वर म कहा

ldquoप षो म बाब कसम स हमको नह पता क ऐसा कर दया सधार तो खर हम अबउसको नह पाएग ल कन हा बाधकर रखग भर चनाव तकrdquo बरागी प डत जी न चतावनीको समझत ए ही कहा

ldquoसधा रए सधा रए उसको ब त गलत मसज गया ह समाज मrdquo फकन सह नकड़क आवाज म कहा

ldquoफकन बाब आप लोग स झठ नह बोलग हम रहत ह म दर म वहा शव लगबजरगबली और काली माई का म त समत 21 ठो दवी-दवता ह जब ऊ सब मल इसअभागा को नह सधार पाए तो हम या सधारग फकन बाबrdquo बरागी प डत जी न अपनीअ तम पीड़ा कह द

ldquoतो ठ क ह फर हम सधार दग अब जब हमार ही हाथ लखा ह उसका सधरना तोकर ही दत ह उसको ठ कrdquo फकन सह न मट ठ बाध दात पीसकर कहा

ldquoजी जी बस-बस फकन बाब अब बस आप ही स उ मीद ह सधार द जए सालचोट टा को ब त उपकार होगा हम पर जीवनभर म पजा-पाठ कराएगrdquo बरागी प डतजी न हाथ जोड़ कहना श कर दया था न जान य प षो म सह को प डत जी कबातचीत का परा अदाज ठ क नह लगा था पर वह इतना जानत थ क म दर का पजारीचमटोली क साथ नह खड़ा होगा रही बात लड़क क बहकन क तो थोड़ा चमकान-धमकान पर लाइन पर आ ही जाएगा

ldquoठ क ह ल कन जान ली जए क म दर म रहत ए भी कोई अधम का काम हो यहपर गाव को बदा त नह होगा अगर अछत जा त म ही हल-मल रखन का मन हो तो बताद जएगा म दर खाली करवा लग हम लोग फर बटा को क हएगा क खब पोल ट स करऔर पतो भी मन का खोज ल पसद क टोला मrdquo प षो म सह न अपन हसाब सआ खरी धमक द ही द थी बरागी प डत जी क मह म अब आवाज अटकन लगीअचानक स जस कठ सख गया था प डत जी का प षो म सह क तरफ स इतन कड़सदश क आशका तो वहा मौजद कसी भी को नह थी प षो म सह क तवर दखबदरी म सर को बड़ा शीतल एहसास मला जटाय श ला तो शात ही थ बरागी प डत जी

वा तव म डर गए थ पहली बार इतन च तत ए थ और सोच रह थ क बट न बड़ सकट मडाल ही दया आ खर प षो म सह राजनी त क मझ खलाड़ी क भा त खल थ उ ह नप डत बरागी पाड क बहान लगभग-लगभग सबको यह सकत द दया था क चनाव म वहजरा भी छट नह दन वाल भारतीय समाज म ा ण को गाय समान माना गया थामामला साफ था क अगर प षो म सह चनाव म गाय क चमड़ी छ लन को तयार ह तोबाक भस बकरी भड़ खरगोश लोमड़ी को फर या छोड़ग

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मलखानपर म आज शाम गहमा-गहमी बढ़ चक थी प ब र दास नामाकन कर लौट आयाथा और उसक दरवाज भी अ छ -खासी चहल-पहल हो रही थी फकन सह क भज गए दोखास ग तचर भी समथक क प म वहा घसकर लगातार सारी ग त व धय पर नजर रख

ए थ व हर आन-जान वाल पर नजर रखन और प ब र दास क सभी चनावी योजनाको सनन वहा सट ए थ फकन सह क तरफ स यह मह वपण दा य व चपत सनार औरसधो क हार को स पा गया था य दोन एक तरफ ऊपरी ह ठ क नीच खनी तथा सरीतरफ मह म पान दबाए इतनी गभीरता स प ब र दास क ठ क बगल कस लगा बठ थ जसमोसाद क जासस सो वयत सघ का भद जानन बठ ह चपत सनार लगातार फकन सह कोगाली द अपना भरोसा जमा चका था उसन नामाकन म न जा पान का अफसोस जा हरकया ल कन अब पर चनाव ार नह छोड़गा वाली ण व त भी जारी कर द चपत कलए यह काम बड़ा आनददायक और रोमाचकारी ही था एक तो बठ-बठ प ब र दास काचाय-ना ता कर ल रहा था सरा फकन सह को जी-भर खलआम गाली द पा रहा था औरकतन सकन और मज क बात थी क ऐसा वह फकन सह क ही आदश पर कर रहा थाइस लए उस फर कसी भी बात क कोई चता ही नह थी प ब र और बरची दोन हरानऔर उ सा हत थ क चलो आज पहल ही दन सोनार पट ट का भी समथन मल गया हसधो क हार शात बस चपत क हर कटनी त चाल म अपनी मक सहम त क साथ बठा

आ थाldquoब त तगड़ा काम कए हो प ब र ब त ज री था एक आदमी को उठना अब

समय खाली राजपत-बाभन और पसा वाला का थोड़ ह और भी तो लोग ह सबको तोमौका मलना चा हएrdquo चपत न लोकत म सबक भागीदारी क प म भर मह पान कचरत

ए कहाldquoहमको नह बरची जी को बो लए उ ह क चलत उठन पाए ह आज सबका साथ

मल रहा ह आप सबका भरोसा हrdquo प ब र न बरची क त आभार और नह कटकरत ए कहा

ldquoओ अर ओह वाह मन बरची का दमाग ह ई वाह ब त-ब त ब ढ़या बरचीभाय अर ई काम तो पहल ही होना था ल कन कोई साला था ही नह जो पसा-कौड़ी भीलगा सक चनाव म वरोधी तो हम श स ह फकन सह का दख रह हो चनाव मखलआम तम लोग क साथ हrdquo चपत न पहला पान समा त करत ए सर पान क तलबक साथ बारी-बारी स प ब र और बरची क तरफ दखत ए कहा इसी बीच सधो क हारहौल स उठा और वहा स नकलन लगा उस उठकर जाता दखत ही चपत सनार न

लपककर उसका हाथ धराldquoअर कए न काका आप भी कतना हड़बड़ करत ह जरा ह मत द जए न

कडीडट को आप र हएगा तो एक गा जयन मलगा इसको कहा भाग रह ह तरतrdquo उठतए सधो को चपत न जबरन ख च पनः कस पर बठात ए कहा

ldquoअर हम तो ह ही एक बहा का माल दना ह आदमी आया होगा त न जान दोrdquoसधो न ह क झझलाहट स कहा

ldquoअर छो ड़ए आप भी का खाली मट ट का पसा बनात रहत ह अर जरा ब चा लोगका हौसला बढ़ाइएrdquo फर चपत न ठठाकर हसत ए कहा असल म चपत समझ चका थाक वो यहा स नकलत ही उसस पहल ही जाकर सारी सचना फकन सह को द हीरो बनजाएगा इस लए वह उस बठाए रखना चाह रहा था

ldquoअर मट ट का पसा नह बनात ह चपत मट ट को आकार दता ह क हार वहीमट ट स भगवान आदमी बनात ह और हम लोग आदमी खा तर बनात ह सोचो क हार कोकतना बड़ा आशीवाद दया ह भगवान गढ़न का काम दया ह तोड़न का नह मट ट हीसब ह सबकछ मट ट ह सोना-चाद धनबल सब एक दन मट ट मलना ह हमको तमकोसबको मट ट होना ह एक दन जब सबकछ मट ट म मल जाता ह उसी माट को फर सआकार द दता ह क हार तमको मामली काम बझाता ह ईrdquo सधो क हार न अपनी परपराम पीढ़ -दर-पीढ़ परख स सन माट क बोल कह जो साधारण मह स नकल असाधारणबोल थ

ldquoहा-हा एकदम ठ क बात ऐ चलो इनको चाय पलाओ भाई प ब र थोड़ा एक पानमगवा दो भाई काका को इनस कछ सीखो तब ना लड़ोग भाई चनावrdquo चपत न हसत एकहा और अब खद ही कस स उठा

ldquoअब तम कहा चलाrdquo सधो क हार न उसक फल पट का कोर पकड़कर बठत एकहा

ldquoअर पट छो ड़ए अर फाट जाएगा छो ड़ए न दस मनट म आत ह आप चायपी जए ना तब तकrdquo चपत न झटक स पट छड़ात ए कहा

ldquoअर नह चाय ढर आ नह पीएग को हम चलगrdquo यह बोलकर सधो भी उठाआ खरकार हा ना करत दोन वहा स एक साथ ही नकल चपत और सधो क नकलत हीबरची थोड़ा कस ल प ब र क नकट आ बठा

चपत का तो पशा ही ऐसा था क वह जहा रहता वहा सदह आशका और अनहोनीखद रहती और सावधानी रखनी पड़ती थी गाव-दहात म धान ग चना और सरस कफसल ही सोना थ उनक इसी सोना पदा करन वाली कसानी को सभालन वालीम हला न कभी बताकर तो कभी छपाकर यही सोना बच अपन लए कछ चाद खरीदस दय स बचाया था सजना-सवरना अमीर-गरीब या काल-गोर का नह इसान कावाभा वक गण ह मन या जान अमीरी-गरीबी मन सजन को करता ह न जान कतनी

म हला न अपना पट काटकर गल का चाद वाला हार बनवा रखा था दहात म पर काबछआ नाक क नथनी कान क बाली गढ़वा रख थ व जब सावल बदन पर चाद काचमचम हार पाव म सफद बछआ और पायल पहन खत क मड़ स चलती आत तो लगता

क त न गहराती सरमई साझ क कमर म च मा बाध दया हो चपत सनार इ ह कचादनी लटन का काम करता था गाव दहात घम-घमकर उनक गहन साफ करक चमका दनक नाम पर उस पर हाथ साफ कर दना उसक बाए हाथ का खल था कई बार पकड़ा जाताऔर पटाता भी था जल भी जाता था पर धधा कभी मदा न आ उसका उसक इसी वक कारण उसक लए फकन सह सदा ज री और उपयोगी रहा था वहा पसा जमा कर वहकई बार थान स छटा था खद फकन सह क गल क शोभा बढ़ाती सोन क सकड़ी उसनकोलकाता क कसी सठ क उड़ाई थी जस महज कछ पए लकर उसन अपन म दाताफकन सह को उपहार म द दया था हाल ही म दारोगा पारसनाथ को भी उसन एक

सलट उपहार म द थी ऐस म बरची तो चपत पर ब त यक न करन क मड म नह हीथा कस सटाकर उसन यही बात प ब र को बताई

ldquoअब चनाव लड़ रह ह तो थोड़ा-सा भरोसा तो करना ही होगा सब पर सबको मनही नह समझना होगा हो सकता ह चपक सच म वरोधी हो गया हो फकन सह काrdquoप ब र न बड़ी गभीरता स कहा

ldquoहा-हा र यार प ब र तम तो एक ही दन म असली नता हो गए भाई गजब ब तब ढ़या हा चलो थोड़ा भरोसा कर लत ह ल कन यहा कसी का भरोसा नह rdquo बरची नखल खलात वर म कहा

ldquoहा-हा अर नता या हम ह ग और कसी का भरोसा ना हो आपका तो भरोसा हनाrdquo प ब र न भी हसत ए कहा दरवाज पर बठ लोग क लए एक बार और चाय आगई सबन चाय पी और आग क चनाव चार क खाक पर वचार होन लगा ह रजन टोलाक आठ-दस नवयवक एकदम म तद हा जर थ सकदरपर क कोई यादा चता नह थी

य क चनाव लड़न क मल रणा ही वह स मली थी भवन र साद भावक का असलीआशीवाद भी ा त ही था मह वपण रणनी त मलखानपर म यादा स यादा वोट पान कलए बननी थी

सकदरपर को तो अब बस वोट करना था चनाव लड़ना तो मलखानपर को था गावक सभी जा तय और उनक स या क ल ट सकदरपर क खबर मया न उपल ध करा दथी जो एक जमान म मह म असलम मया क चनाव एजट आ करत थ सब मलकरइसी ल ट म कलम स नशान लगान म लग थ क कौन-सी जा त का कौन-सा वोटरअपना हो सकता ह उधर फकन सह क दरवाज भी यही सब चल रहा था अभी रात कलगभग आठ बज थ बरची प ब र क घर स पदल ही नकला हवा म अब शीतलताघलन लगी थी बरची न पहल घर पर जाकर एक पतली-सी चादर पीठ पर ल ली तबबजली नह थी परा गाव अपनी वाभा वक च पी म था कसी- कसी घर स बतन-बासनटकरान क कछ आवाज आ रही थ बरची खत क मड़ स हो गली क रा त नकल रहा

था कछ कदम और बढ़ा तो सामन दलबर मडल खासता हपसता लाठ टक खखार थकनक लए अपन घर स बाहर दहरी पर नकला था बरची न उस दख परी चादर ओढ़ अपनको ढका बा आख क कोन स उस दखा और बना गदन इधर-उधर कए सीधा चलतारहा छाती पर हाथ रख तीन-चार बार जोर स खासन क बाद दलबर मडल वह दरवाज परही ककर बठ गया बरची न पीछ मड़कर कछ भी नह दखा ठ क वहा स पाच-सात घरबाद जाकर का और दरवाज क कडी खटखटान लगा दरवाजा खलत ही बरची तजी सभीतर घसा

ldquoअर या बात आ रात को यहाrdquo बजनाथ न उस दखत ही थोड़ा-सा च ककरपछा

ldquoकछ नह अकबका काह रह ह आशीबाद द जए अब पता ह क नह प ब रनौमनसन कर दया ह बजनाथ दाrdquo बरची न चादर उतार हाथ म लत ए कहा

ldquoहा सब लोग जान गया ह भोर ही पता चल गया था क जा रहा ह यही सब म कौनउसका म त मार दया चनाव म खड़ा होन कौन बोल दया उसको पता ह क नह कतनाबड़ा गलती कया हrdquo बजनाथ न बफरत ए अपनी त या द

ldquoगजब बात कर रह ह आप गलती या कर दया परा लोग मलकर खड़ा कयापरा सकदरपर मलखानपर का भी तो लोग ह साथ आपस अब आशीवाद मागन आए हऔर आप या- या बोल रह हrdquo बरची न थोड़ पन वर म कहा

ldquo या तम भोट मागन आया हrdquo बजनाथ न जोर स नकल रह वर को कसी तरहदबात ए कहा

ldquo जस दन आपको कोई मदद नह कया था गाव म उस दन यही प ब र आपकोकाम आया था आप स भी भोट मागना ही होगा या अर साथ द जए साथ खलकरद जए भोट तऽ दब क रएगाrdquo बरची न भारी बात कह द थी बरची क मह स यह सनतही कलस क मट ठ भ चकर रह गया बजनाथ अगल ही पल परा शरीर ढ ला छोड़ वहचौक पर बठ गया मड़ी हलाकर बरची को भी बठन का इशारा कया सामन ही लोट मपानी रखा था उठाकर उस गटककर पी गया अब एक लबी सास छोड़त बजनाथ न बरचीक तरफ दखा

ldquoअर हा हम तो भला ही गए थ भाई तम ठ क याद दला दया क हम तो कजा खाएह प ब र दास का सच बात ह अब तो भोट दना ही होगा ह ना इतना ज द एहसानजता दया मद ठ क ह जसा महाजन का आदशrdquo बजनाथ न गदन जमीन क तरफ सऊपर करत ए कहा

ldquoआप यही तो गलत समझ लए ह बात को हम एहसान जतान नह आए ह हम तोकह रह ह क आफत म वह आपका मदद कया आज आप उसका मदद कर द जए हाथजोड़कर वनती ही तो करन आए हrdquo बरची न दोन कर जोड़ भावक होत ए कहाबजनाथ छटपटात मन स बचन हो चौक स उठ खड़ा आ

ldquoतो ई आफत बलाया क जानबझ क आफत बलान का या काम था एक तो तमलोग जानबझकर ई बखड़ा म कद हो और सग-सग हमरा भी ब ल लन का मन हrdquo प ब रन झ ला क कहा

ldquoचनाव लड़ना आफत ह फकन का ई अ धकार और प ब र खा तर आफतrdquoबरची भी खड़ होकर बोला

ldquoफकन सह स मनी सभाल पाओग अर अपन बबाद हो गए हो हमको भी लटादो काह हमार जसा गरीब को पीस रह हो इसम प ब र भी बबाद हो जाएगा ई राजनी तमrdquo बजनाथ न सीध-सीध कहा

ldquoस नए बजनाथ दादा फकन सह कोई बाघ नह ह जो खा जाएगा ब त लोग हहमार साथ सबको नगल नह गया फकन सह तो जटाय श ला जसा दस भोट वाला झडबाम कडीडट को भी पसा दकर बठाया काह नह मारकर बठा दया शासन भी तो कोईचीज ह स टम स बड़ा कछ नह चनाव लड़न का अ धकार सबको ह कोई नह रोकसकता पचायत कसी क बाप का बपौती नह ह आप अपना आ मा स पछना क जीत-जी मदा बन क रहना ह या एक बार जदा हो क पचायत का इ तहास बदलन म साथ दनाह प ब र चनाव जीत रहा ह पता कर ली जएगा भोर उठकरrdquo बरची न जोरदार तरीकस कहकर चादर ओढ़ और दरवाज क तरफ बढ़ा

ldquoयही सासन न त हारा थाना म मार क हाथ-गोड़ बचका दया थाrdquo बजनाथ न यक लहज म कहा

ldquoहा तब हम अकल थ अब भोटर ह साथ म अबक बथ पर समचा घमड औरतबा बचका दग फकन सह काrdquo बरची न पलटकर कहा

ldquoलबा-लबा बोल लो अभी अभी जान नह हो राजनी त को सनो हम अपना भोट ददग प ब र को ह ला मत करना कह और चनाव भर ना घर आना ना ही भट करनाहमसrdquo बजनाथ न आ मा क पकार पर जतना सभव हो सका कह दया त कालबातचीत सन बजनाथ क प नी भी आगन म नकल आई थी बजनाथ न लगभग डाटत एउस जान को कहा इधर तब तक बरची भी बना कछ और बोल जा चका था बजनाथ नलपककर बाहर दखा गली म कोई नह था अदर आया और खट पर टगी गजी पहनी औरप नी को आवाज लगाई ldquoकवाड़ी बद कर लो भीतर स हम जरा आत ह थोड़ा दर मrdquo

यहा सवर का सरज नकलन क साथ ही फकन सह का स नह नम ण बजनाथ कदरवाज पर था टोल क ही एक लड़क न दौड़कर बताया क फकन बाब बलाए ह तरतबजनाथ सनत ही दौड़ा लगी भी गली म आकर कस पाया सीध पहल जगद श यादव कपास गया और उ ह साथ ल फकन दरबार प चा यहा पहल स ही राजग बदरी म सररतन दास काशी साह जी क अलावा बगल गाव क ही बोगो पहलवान स हत कई लोग जमाथ बजनाथ क मन अपनी कछ नजी शका थी जो शायद सही भी थी वह उस ही सोचअदर स तनाव म था मन-ही-मन बरची को कोस रहा था उस यह चता खाए जा रही थी

क कह प ब र को भोट दन वाली बात तो पता नह चल गई lsquoसाला स च म द वार कोकान होता ह या ह भगवान हमको काह नह लौका कान द वार वालाrsquo यही सबक वचार आ रह थ मन म उसक इ ह सब स च अनभव क कारण इस दश म यह मा यता

बल थी क सीमट ट और मट ट क बीच कह -न-कह द वार क कान ज र होत ह यकान राज म ी द वार बनात व ग त प स बना दता या बाद म वय उग आत इस परवा तशा गहन रह य रख ए था फकन सह क दरवाज पर प चत ही बजनाथ दह मकमजोरी और झनझनी महसस करन लगा

ldquoका बजनाथ कस होगा चनाव कछ सलाह तो दो र तमको तऽ ब त अनभव हभाईrdquo दखत ही प षो म सह न म करात ए कहा

ldquoजीतना ह मा लक और या करना ह वनाश लखल ह प ब र दसवा का म तभर ट आ ह उसकाrdquo बजनाथ न बना क कहा और वह कस क बगल म जमीन परबठ गया

ldquoतो कस जीतग भोट आएगा नrdquo अबक फकन सह न पछा थाldquoसब अपना ही तो ह उसको कौन दगा भोटrdquo बजनाथ अबक सकपकाकर बोलाldquoसाल ब त ी-फोर हो गए हो तम लोग अर ऐ बजनाथ दखो अब ई मामला हो रहा

ह गभीर साल तम लोग को अकल तो ह नह बड़ा हल-मल रखत हो न चमरौट स कलरात को आया था ना प ब र दास त हार घर अब का चनाव चार करोग उसकाrdquoप षो म सह न झड़कत ए तीख वर म कहा

ldquo क रया खात ह मा लक बटा का क रया नह आया प ब र हमार घर झठ खबरह हम जदगीभर आपका सवा कए ह अ छा-गलत कछो सोच ह या बसबास तऽर खएrdquo बजनाथ लगभग रोन-रोन पर था बोलत ए

ldquoदखो र अबही काटकर फक दग जो भी हमको धोखा दया तो गद दारी बदा त नहकरग चाह कोई हो सब कोई सन ली जए या तो इधर र हए या चमटोली पकड़ ली जएहम सबको चार दन म औकात बता दग अब यह पचायत फकन सह का ताडव दखगाrdquoग स स आगबबला आ फकन सह आग बरसात ए बोला

ldquoहा इस बार तो सब करम परा होकर रहगा भाईrdquo प षो म सह न वही बात एकवा य म एकदम शा त भाव स हराई

ldquoयादव जी आपका भी कन शन ह का चमरा स बताइए-बताइए अब कछ भीझोल मत र खए यहा कछ नह छपता ह सब पता चल ही जाता हrdquo फकन सह नजगद श यादव क तरफ दखत ए कहा

ldquoकोई कन शन नह फकन बाब य वशी ह हम जात-धम दकर जीवन जीना हीबकार उस दो पसा का ल डा क साथ रहग हम हमारा दमाग खराब ह अर बस कभी-कभार दखा-दखी आ ह ऊ भी ए क गाव ह इस लए एक बार हमारा टर भाड़ा लयाथा और पसा दन म ला दया तब घर पर जाकर लना पड़ा इतन ह उससrdquo जगद श

यादव न बचन हसी क साथ कहाldquoअब थोड़ा ज री काम कर लया जाए प षो म बाबrdquo बदरी म सर पान चबात

ए बोलldquoहा वही कर रह ह सनो तम दोन बजनाथ और जगद श सब पता चल ही गया ह

क प ब र दसवा को ई बर चया सटाया भनसर नता स फर यही लोग सनका क खड़ाकया ह तम लोग जाकर प ब र स बात करो और समझाओ क अभी तीन दन ह नामवापसी का जतना पसा लन का हो लकर बठ जाए नह तो बर चया का तो कछ नहजाना ह इसका जदगी बबाद होगा बाप क पास जाएगा ई भी अबक धानी तो नहजान दग हम साला बात चनाव का नह इ जत का ह ह मत कस कर दया र हमारखलाफ ऐस खड़ा होन का साला मर क जाएग तो या मह दखाएग ऊपर अपन पवजको यही क एक चमार स हारकर आए ह ई तो नह होन दग अपना जीत-जीrdquo प षो मसह पवज क आन-बान क लए शपथ लत ए कभी न हार वजता क भा त कारत एबोल थ

ldquoआप न त र हए एक मनट म बठगा और मा लक एक मोटा-मोट पसा बता दततो उसी हसाब स मनज कर आत उसकोrdquo जगद श यादव ठ क-ठाक आ म व ास मबोल

ldquoअर जो लगा प चीस-तीस हजार चालीस लगा और या बस बठाओ उसकोअगर बर चया भी कछ पसा माग तो उसको भी द दो कछ बाद म वसल लग हरामी सअभी बस मनज करक आओ पहल भनसर नता का राजनी त सलटा जाय फर ई दोन काचब नकालगrdquo प षो म सह एकदम तीख वर म बोल

अभी बजनाथ को थोड़ा ठ क महसस हो ही रहा था क तभी उसका बटा वहासाइ कल स हाफता आया

ldquoबाब घर स बकरी चोरी हो गयाrdquo बट न बतायाldquoहाय र फर अर रात 1200 बज तऽ था ही कब हो गया फर चोरी हो गया ओह

भगवान गरीब क ही मार पड़ता ह हरदमrdquo बजनाथ न सर पकड़कर कहाldquoभोर-भोर कोई ल गया होगा जाओ ना इतना मत चता करो हम ह ना पता

करवात ह बस ईमानदारी स चनाव को परा करो पहलrdquo फकन सह न कहत ए ह क -सी म कराहट स सब बता दया था इतना सनत ही बट को घर भज बजनाथ जगद श यादवस पहल ही बाइक क पास जाकर खड़ा हो गया अब वो ज द-स-ज द प ब र दास कोसमझा-बझाकर यहा खबर कर दना चाहता था उस बाक बक रया भी तो बचानी थ

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बजनाथ और जगद श यादव क प ब र क साथ नामाकन वापसी सबधी बठा-बठ वाताअसफल रही थी प ब र तो यह ताव सनत ही बदक गया था उस दन बातचीत कदौरान चदन पाड वहा मौजद था और उसन तो बजनाथ मडल को दलाल बोलकर कॉलर भीपकड़ ली थी कसी तरह जगद श यादव और प ब र दास न बीच-बचाव कया था दोनम ठ क-ठाक गाली-गलौज भी हो ही गई थी बजनाथ न अपनी कॉलर को फकन सह ककॉलर बता चदन को सजा भगतन क धमक भी द द थी ठ क उसी दन शाम म ह रजनटोला घसत ही रा त म रतन दास और उसक कछ सा थय न चदन स हाथापाई कर उस परटोल म गलत नीयत स घमन का लाछन लगा दया था सार मलकर बाद म बरागी प डतजी क पास भी चल गए और बीच बाजार म चीख-चीखकर उनक बट पर च र हीनता काआरोप लगान लग बरागी प डत जी कसी तरह नजर झका म दर आए और अब दो दन सघर स बाहर नह नकल थ इधर चदन इस परी घटना स इतना आहत और श मदा हो गयाथा क गाव छोड़ अपन फफर भाई प डत न यानद क यहा चला गया था बरची न हाला कउस समझा-बझाकर रोकन क को शश क थी पर चदन इतनी बइ जती क बाद अबप ब र क दरवाज चढ़न और घर म पता स नजर मलान का न तक बल ही नह बटोर पारहा था और उस कछ दन बाहर ही रहना उ चत लगा मन तो उसका यह चनाव म अटकाथा पर राजनी त क खल म वह राजनी त स ही र फक दया गया था अभी-अभी लखन कयहा बठ सा थय म यही सब चचा चल रही थी वहा दो लोग सकदरपर क भी थ

ldquoदख ली जए आप लोग फकन सह का पछवाड़ा फट गया ह हम लोग को खरीदनआदमी भजा था यह बात परा पचायत को पता चलना चा हए क कस भकच हर बनाकरभज दया प ब र और चदन उसक आदमी कोrdquo सबक सामन बरची न जोर स कहा

ldquoल कन जो क हए बरची दा चदन बाबा क साथ गलत आrdquo लखन न उदास मनस कहा

ldquoअर यह तो होना ही था फकन सह क आदमी का गमान तोड़ दया चदन पाड अबयह बात बदा त होता या फकन सह को करवा दया राजनी त अपना गलाम लोग कोभजकर साला कसी क बहन-बट का नाम घसीटकर राजनी त कर रहा ह फकन सहइसी लए तो उस कसाई क कोख म भगवान बट नह दए करन दो इसस यादा कर भी

या सकता हrdquo बरची न ध कनी स नकल रह धए को पीत ए कहाldquoचदन बाबा को रहना चा हए था जब हम बोल रह ह क कोई बात नह सोचना ह तो

काह टशन ल रहा ह चदन बाबाrdquo प ब र न सहज भाव स कहा

ldquoबला लग एक-दो दन उसका भी बचार का मन शात हो जान दो दखत ह ना ककस- कस को परशान करक रोकगा फकनrdquo बरची न आख मलत ए कहा इसी बीचबाहर बाइक क आवाज आई और जो उतरकर अदर आया उस दखकर एक साथबरची प ब र और लखन च क पड़

ldquoअर महाराज जदाबाद शखर जी आपrdquo बरची न खलत ए पछाldquoहा हा द खए हम भी आ गए अर भाई पहली बार मलखानपर इज म कग ह

इतना ज चज हो रहा ह सोसायट क सो सयो पॉली टकल सना रयो का और यह सबhellipऑल वदाउट मी यह कस होन दत हम आ गए हम भीrdquo शखर न बनत ए इ तहास मअपनी भागीदारी स न त करत ए कहा लखन न उसक बात नह समझन पर भी हस कगदन हलाई यह सोचकर क द ली स आया ह कछ अ छा ही बोला होगा प ब र भीअ त र हष म था अचानक स धानी क चनाव को नशनल लवल का इतना बड़ा बौ कआधार मल जाएगा यह सोचा ही नह था उन लोग न

ldquoच लए भगवान का कपा ह क आप भी आ गए ह मत मलगा हम लोग कोrdquoप ब र न अपन ह स क खशी क

ldquoओह माय गॉड हाट ए जोक हर चीज म भगवान ला दत ह आप लोग मरा आनाभी धम स जोड़ दए म भगवान क कहन स नह आया सा थयो म अपन कछ पसनलकाम स आया ल कन अब चनाव म आपको जताकर ही वापस होना हrdquo शखर न हसत

ए अपन आन का कारण बताया और बड़ी व ा नक भाव-भ गमा बनात ए प ब र कभगवान को कोई खास मह व दन स इकार कर दया मोट -मोट भारी कताब स वदशीदाश नक क पाठ और कोटशन कठ थ ान स लस अभी वह एक ताजा-ताजा ना तक

आ था जस अपन सलबस को कवर करन क लए यह सब पढ़ना पड़ा था कॉलज मभारत म कोई भी आदमी ना तक-आ तक इस लए भी हो जाता था य क उसन इससजड़ी कोई कताब पढ़ ई होती एक ठ क-ठाक ह भी स पटक का हद अनवाद पढ़यहा आराम स कछ दन खद को बौ धम का थलभ कह फर लता था जो क जन थइस ही भारत म कॉ फडस कहत थ यह आ म व ास स अलग चीज थी भारत वस भीहर मामल म ब -वरायट वाला दश था यहा एक ही राशन काड म आ तक-ना तक दोनसाथ-साथ होत साथ अनाज उठात और सग म खात ना तक बटा मगलवार को मगा खाई र को चनौती दता और आ तक मा उसी मगल का त रख उसी ई र स उसक स म तक कामना करती भारत का ई र दोन तरफ स खलता सम वयवाद था ना तक कोयक न दलाता क वह नह ह आ तक को भरोसा दता क वह ह भारत म कछ साध-सतभयकर भरोस स बतात क उ ह न ई र को दखा था और कछ लपट स करत क हमनतो खब दा -मगा खा-पीकर उस ललकारा वह होता तो आता नह या

शखर अब एक छोट -सी बास क म चया ख चकर बठ चका था भारत म हर पढ़ा-लखा यवा जो बचपन क क ा म पछवाड़ पर अपनी चट ट कटवा लन क बाद भी उससहपाठ छा को कभी चनौती नह दता था वह भी जवानी क एक दौर म भगवान क

अ त व को ज र ललकार दता इसक पीछ एक ठोस ावहा रक कारण भी था क आजतक ऐसी चनौती क बदल कसी भगवान ारा गदा या शल स कसी मानव क ठकाई का

माण नह मला था इस लए यह वाली ललकार सफ होती और अदर सपरमन होन काभाव भी द जाती शखर अभी उसी दौर म था

ldquoआप धम-कम नह मानत ह या शखर बाब बाप रrdquo लखन न ध कनी म लकड़ीखोर आग भभकात ए पछा

ldquoधम अफ म ह लखन भाई अफ म इस छोड़ना बहतर हrdquo शखर न परमाण पटकदया

ldquoतब तऽ और मजा दगा ह नrdquo लखन उस पर परमाणरोधी गोबर लीपता आ बोलाldquoयार अर अफ म ह नशा ह बीमारी ह धम अफ म का नशा समझ कछrdquo शखर

पनः गोबर प छता आ बोला लखन अब चप हो गया एकदम उसन बस ब त सकचातए दा ओर द वार पर टग हनमान जी व कमा जी को एक बार कन खय स दखा और

ध कनी म हवा दन लगा दोन दवता भी लखन को दखत तीत हो रह थ त वीर मअ सर ऐसा ही होता आदमी को यक न होता क भगवान भी उनको दख रह ह बस यहीतो कारण था क लखन जस लोग अब भी ई र और धम पर अ डग व ास लए थ इधरबरची भी जस आज मज क मड म ही था वह अपनी बोरी सरकाकर शखर क थोड़ करीबआ गया और अब जब स प ड़या नकाल उस रगड़न लगा शखर न भी ज द ही सलगानका इशारा कया सकदरपर वाला एक यवक चलम साफ कर रहा था

ldquoशखर जी हा हम भी जब पहला दफ पढ़ तो बड़ा तगड़ा बात लगा य मा स वालाडायलोग फर बाद म हमको एक बात समझ म नह आया क च लए मा स बोलता ह कधम अफ म ह धम को छोड़ दो इस पर मा सवाद लोग धम को छोड़ दया पर सालाअफ म काह नह छोड़ता हrdquo बरची न चहर पर म ती वाली हसी लए पछा शखर यहसन णभर म कराया और फर इधर-उधर बगल झाकन लगा हमशा सवाल पछन औरखड़ा करन का अ यास रहा था उस उ र दन का अनभव कम ही रहा था उसको यवाश य का मा सवाद तो सवाल पछन क लए रत करता था उ ट उसस कोई सवालपछ यह तो बताया ही नह था कसी सी नयर छा नता न सगठन म पर आ खर कछ तोकहना ही था अब क बदल

ldquoद खए य तो बब नयाद सवाल ह आपका ज ट क डग आई थक सो मा स परसवाल क लए पहल उसको ठ क स प ढ़ए कसी भी फलॉ फ को एट फलॉ फ सका टए न कोई एट थयोरी लाइए बड़ फलॉ फर को कोट क रए तब न कछ जवाब rdquoशखर न सवाल क वा लट को ही न न बता सर स खा रज करत ए कहा स र गाव-दहात क कसी झोपड़ी म चार गवार क बीच बोरा-चट ट पर पसरकर गाजा पीत ए भीशखर न अपना बौ क लवल मटन रखा था और कसी उ च तरीय सवाल पर ही कोई हाईलवल उ र दन का आका ी था

ldquoहम कोई भी सवाल कताब पढ़कर नह आसपास जीवन का अनभव पढ़कर उठात

ह शखर जी नया क सार दशन भी तो उसी जीवन क अनभव स नकल ह आदमीमामली हो सकता ह पर उसका अनभव नह बस कसी न उस पकड़ क दशन गढ़ दयाऔर अ धकतर न उस जाया कर दया ठ क जस हम-आप मट ट र दत रहत ह परम तकार उसी स म त बना दता हrdquo बरची न कहत-कहत हथली म रगड़ता माल एकदममहीन कर दया था शखर मद-मद म कराता आ अभी उसी हथली को दख रहा था

ldquoअ छा यह सब ठ क ह ल कन कछ बक भी ज र प ढ़ए बना बक पढ़ चीज ब तयादा टकती नह आप समझदार आदमी ह थोड़ा पढ़- लख ह कछ बक पढ़ ली जए तो

ठोस हो जाइएगाrdquo शखर न बना बरची स नजर मलाए उस सलाह दत ए कहाldquoहा-हा आदमी बक स कहा वो तो समय क हथौड़ा स चोट खा ठोस होता ह शखर

बाब जब कोई आम आदमी गाव क धान स दश का स ा स या मा स स या कसी सभी सवाल पछगा तो उसक पहल बक थोड़ पढ़गा आपको या लगता ह लोकत म हरआदमी सवाल पछन स पहल दस कताब पढ़ तब अपना पछ तब तो इस दश मजतनी पचायत ह उतन व व ालय भी तो होन चा हए शखर बाब नह तो बस आपकजस कछ ही लोग रह जाएग जो सवाल पछ आप लोग क कपार पर तो बड़का लोड बढ़जाएगा महराज हा-हाrdquo बरची न जमकर कहा अभी शखर इस पर कछ कहता क ब तदर स चपचाप रदशन क इस ान दशन काय म को सन रहा सकदरपर स आया एकआदमी उठकर खड़ा हो बफर पड़ा

ldquoअर या आप लोग तब स इतना बड़ा-बड़ा बना काम का बात कर रह ह बरचीभाई चनाव का तो सो चए या समचा गाजा इतना बड़ा-बड़ा ान का बात सनन म खतमकर द जएगा क कछ पलान बनगा भोट का खाली गाजा पीन थोड़ आए ह हम लोगrdquoएक चनाव सम पत यवा बोल उठा बोलन क साथ ही उसन खड़-खड़ बरची क हाथ सचलम लया और पहला कश लगाकर आज क हवन का आगाज भी कर दया ऐस लोगपीन नह आत ब क फटाफट पी भी लत थ

ldquoहा कछ बात हो अब आग का योजना परrdquo प ब र भी याशी क प म गभीरहोकर बोला

ldquoहा-हा प ब र भी टशन म ह सब योजना ह मद चता ना क रए आप लोग सबबतात ह भन र बाब स भी जरा भट करना ह कलrdquo बरची न खलकर हसत ए कहाऔर धीर-धीर अ तम वा य तक गभीर हो गया

ldquoद खए अब चनाव म जब खड़ा ही हो गए ह तो सी रयस होकर लड़ना होगा अबपसा-कौड़ी इ जत जान सब दाव पर हrdquo प ब र काम स भी कम हसी क साथ ज रीबात बोला

ldquoटशन मत लो यार लड़ग और जीतग भी लख लो कह टाप परrdquo बरची न कहतए चलम उठाई और जोर का कश ल धआ ऊपर छत क ओर मह करक छोड़ा

ldquoकल सबर प च जाइए आप लोग सकदरपर वह हम लोग भन र बाब को

बठाकर रखग कछ गर-म लम को भी सपक करना ह अब मसलमान वोट तो दगा ही हमलोग कोrdquo इतना बोल दोन यवक गमछ का मरठा सर पर बाध खड़ ए

ldquoअर स नए भाई लोग सकदरपर म एक फ मली का वोट हमार तरफ स लखली जए वनोद सह जी का वोट हम लोग को मलगा कल सपक करा गा आप लोगकोrdquo शखर न अपन मह स धआ छोड़त ए कहा

ldquoउसको जानत ह आप ऊ दगा भोट ऊ राजपत ह भाई साहब फकन सह को हीदगा हम जानत ह उस घर कोrdquo सकदरपर वाला यवक नकलत- नकलत ठहरकर बोला

ldquoचीप बात ना क रए हर आदमी को जा तवाद कह दन का ड चल गया ह यार वलोग प क क य न ट रह ह उनका बटा सबोध सह कोलकाता म सीए क पढ़ाई कर रहाह ही इज माय ड प का मा सवाद ह कोलकाता म स य भी ह सबोध व लोगज र वोट दग अब राजनी त स जात-पात ख म हो रहा ह चज को फ ल क रए मरभाईrdquo शखर चलम को कनार पटकत ए थोड़ जोर स बोला सामन वाला आदमीसमझदार क साथ-साथ सयमी भी था शायद

ldquoअ छा भाई जी गलती हो गया हम नह समझ पाए ह ग हम चलत ह चज कफ लग क रए हम लोग का कछ चज होगा तो बताएगrdquo इतना बोल वह यवक बाहरनकल आया उसक साथ आए साथी न भी नम त बोल वदा ली प ब र थोड़ा उ सा हतथा अपनी मज का समाचार सनकर ल कन बरची थोड़ा-ब त वनोद सह स प र चत थाहाला क वह उसक बट को तो चहर स पहचानता ही नह था तो सीध उस पर कछ कहना भीउ चत नह समझ रहा था

ldquoएक बात बताइए शखर बाब मान ली जए आप कटर ह और आप वसीम अकरमऔर शन वान का शसक ह ल कन जब खलन का टाइम आएगा तो या ऑ लया यापा क तान स खलन लग जाइएगाrdquo बरची न ठडी चलम म पनः आग भरत ए कहा

ldquoनह भाई फन होना अलग बात ह औ बयसली इ डया क तरफ स खलगrdquo शखर नमहबाए कहा

ldquoबस यही बता रहा क कोई चाह कतना भी मा स माओ सतग आबडकर गाधीया तलसीदास का फन बन जाए ल कन जब खलन का नौबत आएगा न आदमी जात ही कतरफ स खलगा राजनी त का खल यही ह शखर बाब आइए वचारधारा- फचारधारा कनाम पर ई मा रए स टा और फक क धआ उड़ा द जएrdquo बरची न सलगती ई चलमशखर क तरफ बढ़ात ए कहा

ldquoमतलब तो फर हम पर भी शक ह आपकोrdquo शखर न बात को अपन भोल उ साहीदल प लत ए कहा

ldquo या बोलत ह आप आप पर तो कोई शक ही नह ह आप पढ़- लख आदमी हआप कोई अ छा ही रा ता नका लएगा हमको यही उ मीद ह आपस आप कोई सबोधसह या वनोद सह थोड़ हrdquo बरची न दबी म कान क साथ बड़ सहज वर म कहा

ldquoआपको अब चनाव म ब त कछ सभालना ह चनाव तक द ली नह जाना ह कलस चार म रहना ह आपक बोलन-कहन स लोग पर भाव पड़गा शखर जी आप ानीआदमी हrdquo प ब र न अपन टार चारक क घोषणा करत ए कहा सब न सहम त मसर हलाए शखर न भी इस ज मदारी क मलत ही चहर स तरत छछड़ गजड़ी वालीबपरवाह क परत हटाई और गभीर हो सबको दखन लगा

दखत-दखत नामाकन वापसी का आ खरी दन भी आ गया था जटाय श ला न तोपहल ही दन जाकर नाम वापस ल लया था यह खबर दन जब वह फकन सह क यहा गएतो कसी न सनना भी ज री नह समझा प षो म सह न घर क अदर स ही खबरभजवा द क कह दो अभी जाए और कल स फकन क चनाव चार म लग जाए जाकरसो न जाए

जगद श यादव और बजनाथ मडल दोन आज सबह स ही मड़ी गोत प षो म सहक दरवाज बठ ए थ बाक और भी कई लोग बठ थ प ब र न फकन ारा दए सार

लोभन और ताव ठकरा दए थ और आज एक बार फर सबह-सबह भी जगद श यादवलखन लोहार क झोपड़ी स बरची को समझान म थक-हारकर लौट आए थ जस शोल मजय-वी स नराश हो साबा क नत व म ग बर क आदमी लौट आए ह पाव पर पावचढ़ाए उसी शखला म आज फकन सह मशः सबक लास ल रहा था इस व माहौलतनावपण था गाव क स ात लोग म कामता बाब और जगदा बाब भी का लया क तरहबरामद पर थोड़ ऊच म कस लगा चपचाप बठ थ फकन सह कभी भी पलटकर उनसकोई सवा लया सझाव माग सकता था उ ह जवाब दन को तयार ही बठ रहना था

ldquoप बतरवा तो ब त क बयाट नकला हो ब त ठन ह बाप तो इसका खद जलगया था बटा का गाठ जलाना होगा लगता हrdquo वह खड़ बोगा पहलवान न हाथ म खनीरटत और हथली पर ताली दत ए कहा बोगा पहलवान फकन का खास आदमी था जोवशषतः चनाव म व वध उपयोग मसलन हड़कान धमकान और बथ मनजमट करन कखा तर बलवाया गया था बोगा बगल क ही घोघट ट गाव का था

ldquoखाली प ब र का नह सबका मन बढ़ा ह साला भोर अपन झोपड़ी पर लखनालोहार भी मह लगान लगा कहता ह क फकन सह सीध चनाव म काह ना फ रया लता हबठा-बठ का काह बात बोलता हrdquo बजनाथ न बड़ भर वर म सनाया

ldquoपरा प ही जहर मडली बना आ ह सबको उ चत इलाज दना होगा धीर-धीर रोगफल रहा हrdquo बदरी म सर न म यम-म यम ग त स गदन को गोलाकार पथ पर घमात एकहा फकन सह इस पर कछ बोला नह उसन बस एक नजर बोगा पहलवान क ओरदखा और आख-मह तरर बठा रहा तभी अदर स हाथ म ताज कट पपीत क लट लए उसच मच स सतलन साध उठा-उठा खात ए प षो म सह बाहर नकल

ldquo या बात आ सब थोथना काह लटकाए बठ हrdquo प षो म सह न पपीत का एकपका आ टकड़ा मह म भरत ए पछा

ldquoवह प ब र दास मान ही नह रहा ह सब जतन तऽ कर दख लए पसा कौड़ी कछ

भी नह सना साला बर चया क भाव म ह उसक बात स बाहर जाता ही नह हrdquoजगद श यादव मरझाए ए वर म बोल

ldquoहा ई तो हम जानत ही थ क नह बठगा आसानी स ऊ अ छा अब बर चया भीभाव रखन लगा और कछ दखना बाक ह का जीवन म सही म समय बदल गया ह

हमको भी बदलना ही होगाrdquo प षो म सह न बचा पपीता लट म छोड़ उस जमीन पररखत ए कहा

ldquoआ खर कब बदलग आज तो ला ट दन था नाम वापसी काrdquo फकन सह नजलत-झझलात ए धीर स ही कहा पर धीर स कही य बात प षो म सह क सीध कलजपर लग गई थी प षो म सह न एक बार वह बरामद क द वार पर टगी अपनी व णमवरासत क त वीर क तरफ दखा जनम उनक दादा लाडो सह क ब क लए घोड़ परबठ त वीर बनी थी उसक बाद उनक पता भरो सह क मछ पर ताव दती एक हाथ मतलवार लए त वीर थी प षो म सह क नजर अब तरत बट फकन क तरफ गई

ldquoदखो दख रह हो यहा तक लड़ क ही प च ह आज तक ऐस ही नह परखा-जमाना स बना क रख ह होगा फर ताडव ल कन गाव म हम शा त स समाधान चाहत हअब गाव सोच ल वह या चाहता हrdquo प षो म सह अतीत और भ व य क बीच कहकछ टटोलत ए बड़बड़ाए

ldquoआप माथा ठडा क रए प षो म बाब अर कतना औकात ह भाई चार ठो आवारालड़क का सब सरडर करगा आप बकार म इतना गभीर चता मत क रएrdquo बदरी म सरन प षो म सह क कस स सटकर उ ह ठडा एहसास दत ए कहा

ldquoल कन दन-ब- दन तऽ मन बढ़ जा रहा ह बाबाrdquo जगद श यादव न म यम होती लौको श घी दत ए कहा

ldquoद खए खत म खड़ा ग ा लाठ होता ह पड़गा तो रीढ़ तोड़ दगा ल कन वही ग ाजब खत स कटकर ठला पर लगता ह बाजार म तो मशीन स परा जाता ह प ब रा अभीखत म खड़ा ग ा ह उसको पहल खत स काटना होगा तब बकगा प ब र दासrdquoप षो म सह क बदन म परख का ज स य होन लगा था

ldquoऔर मा लक ऊ लखना का झोपड़ी बा द का करखाना ह वहा हसआ-खरपी नह यही सब बम बनता ह समचा पोल ट स का जड़ वही अड डा हrdquo बजनाथ कलसत एएकदम फट पड़ा था प षो म सह बना कछ और बोल अब कस स खड़ ए और बोगापहलवान को अपन पीछ आन का इशारा कर अदर चल गए अब चनाव तो लड़ना ही थापहल स भी यादा म तद स आज भी फकन सह कई लोग क साथ सकदरपर क घर-घरजाकर जनसपक करन नकला इधर प ब र दास क तरफ स बरची न सबह ही मध कोकछ म हला सा थय क साथ मलखानपर क कछ टोल म म हला स सपक करन काज मा द दया था अभी चनाव च का आना बाक था इस लए याशी बना पो टर-बनरही घर-घर जा अपन-अपन लए समथन जटा रह थ शाम तक जब फकन सह वापस घरलौट आया था उसी समय सरी तरफ बरची और प ब र दोन सकदरपर म प च लोग

स मलजल रह थ इसी म म पता चला क आज दन म फकन सह वनोद सह क घरबठ और खाना खाया बटा सबोध सह तो फकन सह क नॉ मनशन म भी गया था और वहपशल इसी वा त कोलकाता स आया ही था अब चनाव क दन वोट डालन आएगाबरची न यह बात तरत वह स फोन कर शखर को बता भी द थी शखर तो यहामलखानपर म भयकर प स स य हो गया था और बना कसी क बोल ही व रणा समध क साथ लग म हला क बीच ताबड़तोड़ चनाव चार म उतर गया था गाव-टोला मकई ब ए म हलाए प ष या जवान लड़क को दख साड़ी स घघट कर लती थ इस परशखर कई जगह ककर घघट था क अत क लए अनत उपदश दन लगता शखर जबखड़ा हो उ ह टोकता-समझाता तो कई तो लजा क घर घस जात कई न तो लगातर उसकभारी-भरकम भाषण स उकताकर सर स साड़ी झटककर घघट हटा भी दया और हाथजोड़ उसस चल जान का नवदन भी कया कई औरत आपस म खसर-पसर भी कर रहीथ कतना बहया ह ई मा टर साहब क लड़का एकरा ब -बट क घघट स या मनी हर माई

एक अधड़ उ क अ मा न तो हसत ए शखर स कहा ldquoहम दखग क मा टरा यनक पतो कतना बना घघट रहगी गाव म तोर बहा हो जाय मा टराइन ब क जस पटप हन घमल द खए क मरब अब रामजीrdquo

दर साझ सरज डबन क बाद जब बरची और प ब र वापस लौटकर लखन क यहाबठ थ तो दखा शखर तब तक वहा नह प चा था फोन भी ऑफ आ रहा था उसका ब तपता लगान पर वह मध क घर चाय पीता आ पाया गया नौजवान शखर आज अनक घघटउतारत-उतारत थक गया था अभी जब बरची उस लन को मध क घर प चा तो उस वशखर ख टए पर बठकर मध क बढ़ मा को नारी अ धकार क बार म सचत करन मत लीन था बरची न उस जस ही बलाकर अपनी बाइक पर बठाया तो तब स न जान या-

या मन म दबाए उस ब ढ़या क मह स यह नकला ldquoऔर तनी पहल आ जात बटा ई ब तही दर स बचारा अकल यहा बठ थ ल जात बचारा कोrdquo

बरची न हसत ए बना कछ बोल बाइक बढ़ाई बाइक क जात ही बढ़ न मध कोआवाज लगाई ldquoकवाड़ लगा दो बट ड़का लगा दना क अब कोई आए नाrdquo इतना बोलएक लबी सास ल ऐस स ता क ख टया पर गर पड़ी वह बचारी बढ़ जस सर स कोई

वटलभर का बोझ उतरा हो अभी-अभी दहज अ ध नयम स लकर म हला आर ण बलजसी कतनी बात बढ़ न आज तक जनस सब धत न श द सन थ न कोई अथ जानती थीउ ह पछल दो घट स सनना कपार पर वटलभर धान क बोरी रखन जसा ही तो था तीनकप चाय अब तक पी चका था वहा शखर बचारी बढ़ मध को अकल ब तयान छोड़नानह चाहती थी नतीजन यह कहर झलना पड़ा था बचारी को

इधर शखर न लखन क यहा बठक म आज क दन का परा चनाव चार योरा दयायह भी बताया क आज कस तरह उसन गाव क म हला म घघट था क उ मलन हत

ा तकारी अ भयान चला दया था

ldquoलडीस लोग को भोट क बार म भी बताए न शखर जीrdquo बरची न शखर को घघट मओझराया दख पछा

ldquoहा-हा वह तो मध जी बता ही रही थ हम थोड़ा जाग क भी करत जा रह थम हला को पदा खाली चहरा नह ढकता ह ब क वह वत सोच और नारी क अपनीआजाद पर भी पदा होता ह पदा था का अत होगा तो नारी वाभा वक तौर पर चतनशीलहोगी राजनी तक जाग कता आएगी अपना वत नणय ल पाएगी वत सोच रखगीबथ पर जाएगी मतदान करगी तभी तो लोकत का वकास होगा एक वत जनमत कानमाण होगा म हला क बीचrdquo शखर न मतदान या और वत नारी क बीच टग पदको फाड़त ए बताया और साथ ही उसक महती उद द य स भी घघट उठा

बरची न तो शखर क इस मराथन अ भयान का क सा-काड सनत आख म च ल लखन बचारा हमशा क तरह महबाए बस सन रहा था शखर को प ब र तो मन-ही-मनअपन टोला क आसपास क म हला क त वीर याद कर रहा था क कतनी बना घघटक रहती ह वह उसी हसाब स अपन वोट गन रहा था बचारा

ldquoपदा था का अत तो एक-दो साल समय ल सकता ह शखर जी अभी थोड़ा चनावम भोट नकाल लया जाय फर लगत हम लोग भी उसम आपक साथ या ठ क नrdquoबरची न हसत ए ही शखर स कहा

इस तरह और भी कई चनावी बात होती रह पीत-ब तयात रात क लगभग 1000बज गए थ बाहर बादल क ह क गड़गड़ाहट सनाई द रही थी लखन न उठकर बाहरझाका तो ह का पानी का झटासा चहर पर लगा बाहर हवाए पड़ को झकझोर रही थ बा रश हवा दखत ही मह फल भग कर सभी अपन-अपन घर को नकलन लग वस परीरात तज बा रश तो नह ई ल कन ह क फहार क साथ बीच-बीच म तज हवाए चलती रहीथ

सबह सरज ठ क स नकला भी नह था क लखन क घर क सामन आठ-दस लोगखड़ थ लखन वह जमीन पर चकमक सर पर हाथ धर बठा था घर का एक-एक सामानजा चका था बतन स लकर काम करन वाल औजार तक सब पर हाथ साफ हो चका थालखन क प नी छाती पीटत ए दरवाज क चौखट पर बठ ई थी दोन छोट ब च मा कपीठ पकड़ पीछ खड़ थ गाव क लोग अदर घर म जाकर मआयना कर आ रह थ और चोरीकरन वाल क मता एव उसक द ता पर अपनी-अपनी मौ लक ट प णया द रह थ

ldquoकल रात मौसम ही चोरी का बझा रहा था झसी मार रहा था और हवा भी उतन तजचल रहा थाrdquo कई चोरी दख चक एक अनभवी बजग न कहा तब पता चला क भारतएकमा ऐसा दश ह जहा ी म वषा शीत बसत क अलावा चोरी का भी एक मौसम होताह

ldquoएक सामान नह छोड़ा ह सब खखोर क ल गया सालाrdquo एक और आदमी न पर घरका सव करक बताया खबर बरची तक जस ही प ची वह प ब र को लकर दौड़ता आआया

ldquoबबाद हो गए बरची दा जदगी का सब जमा पजी ल गयाrdquo तब स शात बठालखन दौड़कर बरची स लपट गया

ldquoसाला कौन खजाना मला इसक घर चोर सबकोrdquo प ब र न ग स म कहाldquoखजाना खा तर चोरी होता तब ना कौन जान चोर को या चराक शा त मला ह

सब पता लग जाएगा ऐ तम धीरज धरो लखन दखो एकदम नरभसाओ नह अभी त हाराहाथ का नर और महनत ह ना उसको कौन चरा लगा साला चता ना करो हम लोग भीह ना त हार साथrdquo बरची न खत मन स सीन स लग लखन क पीठ पर हाथ रख ए उसढाढ़स दत ए कहा

ठ क तभी ही चपत सनार भी साइ कल लए प चाldquoअ याय ह ई परा घर समट लया हरामी चोर सब इतना अमीर क घर छोड़ यही

गरीब क घर घसना था ओह भगवान कछ यादा मला नह होगा ल कन गरीब तो मरगया होrdquo चपत तो आत ही बना कोई सव कए और परी चचा सन ही सारा योरा बोलगया नकसान का

ldquoचोरी नह ह हा अ याय ही ह चपत भाईrdquo बरची न कड़ अदाज म टढ़ दखत एकहा

ldquoगाव म चनाव ह अब पता चलगा फकन सह गरीब को कतना दखता ह अगरस चा जनसवक ह तो बचारा लखन का मदद कर आकर या ठ क बोल रह ह क नहहमrdquo चपत न मौजद लोग क तरफ नजर घमात ए एक अलग ही बात बोल द थी

ldquoगरीब का ख अपना होता ह उसम कोई ह सा-बटवारा नह होता ह चपत दाrdquoलखन न भर गल स कहा

ldquoवही तो आज औकात दखना ह हमको फकन सह का अगर ह धान कहलान काशौक तो मदद कर गरीब को मान जाएगा गाव क हा एक असली स चा नता ह फकनसहrdquo चपत न फकन सह क मोह ल क तरफ मह कर उस स च काम और प य क लएललकारा बरची को पहल तो कछ मनट समझ ही नह आया चपत का यह नया पतराल कन जब चपत क कह क अथ को पकड़न क को शश क तो मन भ ा-सा गया

ldquo या मतलब ह कहन का लखना फकन सह स भीख मागगा उसका मदद स च हाजलगा इसका और इसको भीख द ऊ गाव का परोपकारी स ाट अशोक बन जाए फर इसमहान कदम का वागत हो फकन को सब मल भोट द एक आप ही जानत ह राजनी त

या हम कोदो बनत ह या हम जएट इस लए ए या क आपक जसा आदमी हमकोपढ़ा जाएrdquo बरची न ग स म जोर स बोलत ए चपत को उघाड़ क रख दया

ldquoलऽ अर इसम भी राजनी त खोज लए और हमको म ख भी बोल दए अर याभाई बरची तमको हर चीज म भोट और धानी ही दखता ह र मद अर तम लखन कदो त हो क मन बाप र धानी का मजा लन क लए इतना वाथ मत हो जाओबरची अर आज ई कगाल हो चका बचारा लखन को अगर कछ पसा का मदद हो जाए

और इस ख म काम सभल जाए तो तमको या द कत ल कन इतना बड़ा ख म भीचनाव और वोट का राजनी त दख रह हो कसा दो त तब छः- छः र मदrdquo चपत नअसली चाल चलत ए कहा

ldquoलखन तम या फकन सह का दया आ एहसान लोग दो तrdquo बरची न ब तभरोस क वर म पछा था लखन स

ldquoअर इसको नह लन बोल रह तो फर तम लोग य नह मदद कर दत हो अपनदो त का खाली झठा गमान दखान स नह होगा नाrdquo चपत न भी जोर स कहा

अभी माहौल गहमागहमी म ही था क तभी सामन स प कार आनद सह और काशीसाह भी एक बाइक पर प च ही गए

ldquoब त ख आ ह चोरी का खबर सनकर फकन बाब को लखन तम एकदम चताना करो तमको फकन बाब बलाए ह जो भी मदद होगा करगrdquo काशी न बाइक स उतरतही कहा फकन सह क इस ताव क प चत ही वहा खड़ गाव क लोग म फकन सह कचचा श हो गई कछ लोग तो यह माजरा समझ कनार आ खसर-पसर करन लग तो कछलोग वह खल मन स फकन सह क वशाल दय क चचा करन लग

ldquoचपत का तो मह चप हो गया अब ली जए फकन सह तो तयार ह बचारा क मददबा तrdquo एक बजग न जमा लोग क बीच कहा चपत तो मन-ही-मन अपनी पीठ ठ क रहाथा

ldquoनह जाएगा वहा लखन हम लोग करग इसका मददrdquo बरची न बना दर कए आगआकर कहा

ldquoअर तम काह हर बात म टाग अड़ाता ह जी एक गरीब क घर चोरी आ ह एकसमाजसवी उसका मदद करना चाहता ह इसम त हारा या जा रहा हrdquo प कार आनदसह न उस डाटत ए कहा

ldquoखाली राजनी त करता ह साला बचारा लखन क झोपड़ी म दन-रात अड डाजमाकर इसको चोर-उच का क नजर म चढ़ा दया चोर सोचा होगा क माल ह यहा तब नदन रात गाजा दा चखना चल रहा ह झोपड़ी म यही धोखा म घस गयाrdquo काशी साह नकड़व वर म कहा

ldquoआ गए दलाली करन अर आप ही लोग तो करवाए ह चोरी साला सब सट हद खए कस-कस सब प च गया तरत दया दखानrdquo यह बोल बरची काशी क तरफलपका

उसक अचानक बढ़न स काशी अपनी लगी म थोड़ा लझबझाया तब तक तो बरची नएक ध का द दया था काशी अकबका क दो कदम पीछ गया और झटक स आग आउसन बरची क गदन पकड़ी बरची न भी काशी क शट क कॉलर पकड़ी और लात चलाद इतन म तो आनद सह न दो कदम बढ़ सनसनाता आ एक परजोर थ पड़ मारा बरचीक गाल पर थ पड़ पड़त ही बरची सर पकड़कर बठ गया झ ाटदार थ पड़ स सर घम

गया था उसका लखन न दौड़कर बरची को सभाला ह ला-ग ला होन लगा काशी साहबछट गा लया दन लगा एक न काशी को ख चकर शात कराना चाहा कछ लोग आनदसह स ठडा होन क वन अपील करन लग इसी बीच चपत तजी स प ब र का हाथपकड़ उस ख च सामन वाल पीपल पड़ क पीछ ल गया

ldquoप ब र भाई तम बबाद हो जाओग ई बरची का मखता म हम लोग हार जाएगअर अगर फकन सह स पसा ल ही लगा लखन तो या द कत भोट तो तम ही को दगाना आ खर तम कतना खच करोग भाई बर चया को तो कछ दना नह होता ह पसा तोत हारा जा रहा ह हर जगह और ताव दखाता ह बरची फकन सह स चनाब लड़ना ह नउसस मनी थोड़ करना ह ल कन बर चया तो इसको एकदम य बना दया ह भाईइसक घमड म त हारा एक का दस खच भी हो रहा हrdquo चपत ज द -ज द म समझाता

आ बोला उसन प ब र को यह नक सलाह द अपना लया काम सप कया और फरभीड़ क तरफ आ गया प ब र यह सन बना कछ बोल तजी स चल पहल अभी तकजमीन म बठ बरची क पास आया और उस हाथ स सहारा दकर खड़ा करक काशी साहक तरफ दखन लगा

ldquoआप लोग मारपीट करक या दखाना चाहत ह मारपीट करक डरान आए हrdquoप ब र न कहा

ldquoमारपीट और बदतमीजी तो य बर चया कर रहा ह तम इस क च कर म बरापसाओग बाब अभी हम कल खबर बनाकर नकाल द क यहा गाजा-दा बाट रहा ह

याशी क सल हो जाएगा त हारा दावदारी अर चनाव लड़ना ह तो गत मनी काहलत हो फकन सह एक समाजसवक ह कसी गरीब का मदद करना चाहता ह तो कोईकस रोक लगा भाई तम भी कछ करना चाहत हो तो करो तम भी बताओ कतना मददकरोग लखन का खबर बनात ह कल त हारा भी इसम या द कत ल कन ई सा लाचोट टाhelliprdquo आनद सह न मह म पान डालत ए कहा

ldquoदस हजार दगा लखन को प ब र दास लखन को और कसी का मदद नह चा हएफकन सह का मदद ठकरा दया लखन जाइए छा पए खबरrdquo बरची न पनः आवाज मदम लात ए कहा

ldquoअ छा अ छा तो तम द रहा ह पसा औकात ह कछ दन काrdquo आनद सह न आखदखात ए पछा

ldquo या प ब र दना ह ही ना यार अपना लखन का बात ह पछना और सोचना याह और ऐ लखन तम भी बोल दो इनको साफ-साफ क फकन सह स एक कौड़ी नहलनाrdquo बरची न एक बार प ब र और एक बार लखन क ओर दखत ए एकदम तन वरम कहा प ब र इस व एकदम शात खड़ा था बरची अब भी लगातार उसक ही ओरदख रहा था लखन भी थर खड़ा था कछ पल क लए अचानक स अभी एकदम च पीआ गई थी वहा कछ दर बरची इस च पी पर चढ़ रहा था एक प और तय बात कोकहन म हो रही दर स बरची चड़ चड़ा रहा था मन-ही-मन

तभी प ब र क आवाज स च पी टट ldquoहम द रह ह पसा आप लोग लखन स पछली जए क कसस लगा पसाrdquo

ldquoअर का प ब र भाई हम तो साला पगला जाएग पता नह चोरी क बाद भी कौनबपत आएगा कपार पर हम सबक हाथ जोड़ रह ह हमको अभी कसी का पसा नहचा हए बस हमार साथ आप लोग ह न वही ब त ह कमाना-खाना ह फर कमा लगrdquoलखन न लगभग बलखत जसा कहा था वो अब हाथ जोड़ वहा जमा लोग स जान कोकहन लगा थोड़ी दर म मजमा धीर-धीर घटन लगा प कार आनद सह भी घटना कोअजाम द घटना का समाचार ल वापस लौट गया था सबक जान क बाद भी प ब र औरबरची वह ही थ

ldquoआपको थोड़ा ठडा दमाग स काम करना चा हए चनाव भरrdquo प ब र न पहली बारथोड़ा-सा त ख होकर कहा था पर बरची को शायद प ब र का ऐस कहना या शत हीलगा था एक याशी का तनाव बरची बखबी समझ रहा था

ldquoठडा दमाग कर ही समझ पाए न प ब र क चोरी आ नह ह ब क करवाया गयाह ऊपर स आ गया ऊ लोग खला खलन इस लए तो ग सा आ गया थोड़ाrdquo बरची न वहचौखट क पास बठत ए कहा

ldquoइस बात म ब त दम नह ह बरची जी चोरी करवा क उ टा मदद काह करगाफकन सह आप पसा तो लन दत लखन को पसा ल लता कोनो भोट थोड़ द रहा थाउसकोrdquo प ब र न अपन हसाब स बात समझत ए कहा

ldquoपागल हो या यार अर वो मदद करक लखन को अपना दखा हम लोग कामनोबल तोड़ रहा ह परा पचायत को दखाएगा क द खए वरोधी का भी मदद कयाफकन सह इतना बड़ा दवता ह इ लखना का तो दो त हो क भी कोई कछ नह कया

या करगा सर का ई लोग यही बात फलाएगा समझ और चोरी करवाकर हम लोग काआदमी म डर जो पदा कया वह तो कर ही दया अलग सrdquo बरची न उकतात ए बताया

ldquoह म हो सकता ह अब इस पर या बोल हम आप हमस यादा दख ह गाव कोऔर राजनी त को यहा हम तो बस आपको यान दला रह थ बरची जी क खचा-पानी मथोड़ा हसाब स चलना होगा सकदरपर म कल ही हम लोग एक जगह नौ हजार द कआए थोड़ा हमारा भी एक सीमा ह टकसाल नह ह दादा और या बोल बस थोड़ाहसाब सrdquo प ब र पहली दफ पसा-कौड़ी और खच पर यान दलात ए साफ-साफबोला था बरची को न जान या समझ आया

ldquoलखन को मदद करोग क नह इसको पसा दोग क नह बना लाग-लपट कबोलोrdquo बरची न भी एकदम सीध पछ दया था

ldquoगजब बात कर रह ह इसको कस नह दग हम लखन का नह सरा खच पर बोलरह ह आग स थोड़ा याल र खएगा खचा क ोल करना होगा और कछ नह बोल रह हहमrdquo प ब र न भी बना एक पल लए उ र दया

ब त दर बाद बरची मन स म कराया था अब प ब र भी हसकर बगल म बठ गयाबरची क लखन घर क भीतर प नी स कछ ब तया रहा था बाहर आया तो दोन दो त कोहसता दख आख क आस प छ ह ठ पर म कराहट ल वो भी बठ गया उनक साथ

कछ दर बाद लखन क घर स लौट उस दन प ब र दनभर गाव म ही रहा था आजबरची ही अकला चला गया था सकदरपर कछ लोग क पास मलन-जलन

सर दन लखन क ही झोपड़ी म बठा सबह का अखबार पलट रहा था बरचीldquoसमाजसवी फकन सह न द चोरी पी ड़त गरीब को प ह हजार पए क मददrdquoबरची अखबार पटककर दात पीस रहा था लखन बगल म ही बठा था अखबार म

कसी गरीब को मदद करन क खबर प कार को मदद करन पर छपती थी आनद सह नदो हजार लकर प ह हजार क खबर छाप द थी

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दोपहर का समय रहा होगा तज धप स झलसी बक रया आम गाछ क नीच जमीन पर लटम मया रही थ प ब र सर पर सफद गमछा बाध बाइक स लखन क यहा प चा लखनबगल क खत स सट बास क झरमट स तीन-चार बास काट ल आया था और उ ह फाड़करअपन घर क पीछ वाल दरवाज क लए टाट बना रहा था जस चोर तोड़ गए थ हाथ मक हाड़ी लए गमछा पहन नग बदन पसीन स नहाया लखन प ब र को दखत ही कट बासका टकड़ा कनार हटा क हाड़ी रख सामन प ब र क बाइक क पास ही आ गया

ldquoराम-राम प ब र दा इतना धप म इधर कहा अभी आज कधरो चनाव चार मनह नकल ह याrdquo लखन न गमछ क कोर स मह-हाथ का पसीना प छत ए पछा

ldquoअर भाई आप ही क पास आए ह ऐ लखन भाई य ली जए अभी तीन हजार बाकदग हम आपको धीर-धीर अभी थोड़ा द कत ह चनाव का टशन और खचा जान ही रह हसब आपrdquo प ब र न जब स पसा नकालत ए कहा

ldquoकौन बात का पसाrdquo लखन न भरसक च कत ए कहाldquoअर वही भाई कल जो बरची बोला था दस हजार पया आपका मदद क लएrdquo

प ब र न भी बना च क नह कहाldquoअर प ब र जी वह तो बस बरची दा बोल दए फकन सह को जवाब दन क लए

अर आप लोग का साथ ह यही ब त ह पसा-कौड़ी नह चा हए प ब र जी वस भीबरची दा एक हजार दकर गए ह उसी स राशन-पानी आ जाएगा फर तो कमाना चाल होही जाएगाrdquo लखन न प ब र क हाथ पर अपनपन स हाथ रखत ए कहा

ldquoअर अब बोल दए ह तो रख ली जए भाई और आज अखबार दख फकन सहका खबर छप गया ह प ह हजार वाला अब जब छप ही गया ह तो म काह नाम होउसका जाकर पसा माग ली जए फकन सह स आपका हक बनता ह लखन जी उस पसापरrdquo प ब र न पसा अब भी मट ठ म रख ही कहा

ldquoनह हो प ब र जी प ह हजार क लए बरची दा क भरोसा का खन ही कर दकतना शम का बात होगा क हम जा क उसक ार पसा माग और यहा बठ आप लोग कसाथ गाजा पएrdquo लखन पता नह कस न तकता म उलझ कह रहा था

ldquoपॉ ल ट स सी खए महाराज अर पसा ल ली जए न वोट तो आपका फ स ही हहमार लए हाथ आया पसा काह छोड़ना और बरची भाई को भी थोड़ा समझाइए कराजनी त म जद नह दमाग लगाना पड़ता हrdquo बड़ी ती ग त स राजनी त सीख रहप ब र न कहा

ldquoनह प ब र भाई हमको ना पोल ट स सीखना ह ना इसम पड़ना ह हम गरीबकमजोर बाल-ब चादार आदमी ह नह सकग कौनो फरा म पड़न आज पसा पकड़ लएफकन सह का तो भोट भी उसी को दना होगा और यह हमस होगा नह भोट आप ही कोदग हम चाह कछ भी हो जाएrdquo लखन न हाथ जोड़कर कहा और वापस गमछ क कोर सफर एक बार अपना चहरा प छा

एक कमजोर क पास भी मजबत ईमान तो हो ही सकता ह लखन न शायद यहीबताया था अभी न कोई आ थक सहारा था न ही कटब क लाठ जो कसी सकट म फसनपर भाज सक पर लोह क काम म जतना कटा-छटा लोह का टकड़ा बचता था उस शायदजमा करक रीढ़ क हड डी म डाल रख लया था लखन न तमाम आशका मजबरी औरकमजोरी क बावजद लखन का वोट अब भी प ब र क साथ था अभी दोन क बातचीतचल ही रही थी क सामन धल उड़ती ई नजर आई चार-छह बाइक क साथ एक कालीबोलरो गाड़ी आती दखाई द जो आकर लखन क दरवाज पर खड़ी ई गाड़ी का दरवाजाखोल सबस पहल नता भवन र साद उतर साथ-साथ पीछ स बरची कदा नीच

ldquoअर इतना फोन लगाए फोन काह नह लग रहा था प ब रrdquo बरची न उतरत हीप ब र क पास जाकर पछा

ldquoआप ही जा नए बरची जी आजकल टावर गड़बड़ हो रहा ह शायदrdquo प ब र नह क म कान क साथ कहा

भवन र साद को दखत ही लखन कछ बठन को लान क लए दौड़ा प ब र न आगआ हाथ जोड़ णाम कया भवन र साद न लखन को वापस बलाया और बताया कफर कभी आकर बठग अभी तरत नकलना ह इस लए खड़-खड़ ही बात कर लग नताभवन र साद न लखन क घर ई चोरी क लए अफसोस जताकर जनसवाद कऔपचा रक श आत क उसक बाद प ब र क तरफ दखकर उसका हाल-चाल जाननलग

ldquoहमको तो जस बरची बताया क लखन क घर चोरी आ ह आपको चलना होगातरत नकल हम द खए यह क ठन समय ह और इस व सबको एकजट रहना ह हरबाधा क बावजद मलखानपर का इ तहास बदलन वाला ह और पहली बार कोई द लत

धान मलगा मलखानपर को इसक लए हम बरची को शाबाशी दना चाहत ह जसकसोच और महनत स आज प ब र जसा यवा क डडट खड़ा आ ह और जीतगा भीrdquo नताभवन र साद न बना माइक और मच क ही अपनी इस मनी सभा को सबो धत करत एकहा

ldquoआपका आशीवाद ह सब नता जीrdquo प ब र न सधी ई ा क साथ कहाldquoहमारा कछ नह ह बाब ई बात तो सबस पहल बरची रखा हमार सामन हमन कहा

क एकदम आग बढ़ो हम साथ ह बाक अब तम लोग का यास रग ला रहा ह एकदमईमानदारी स लग जाना ह जनता का सवा म इ तहास रच दो ब त कम को ऐसा मौकामलता हrdquo भवन र साद न फर दोहराया उ च तरीय वचारधारा क नता होन क

ज मदारी स लबरज व इ तहास स नीच क बात कम ही कर रह थldquoआपका हाथ ह हमार ऊपर तो फर चता नह ह नताजी इ तहास बनगाrdquo प ब र

न फल डट म स कछ अश बाटत ए कहाldquo जसक साथ ऐसा-ऐसा ईमानदार साथी और कायकता ह उसको हमार हाथ का

ज रत नह परा सकदरपर को समझाकर आज तयार करन का जो जा सब लोगमलकर कया ह हम तो हरान ह वहा स एकम त वोट मलगा तमकोrdquo भवन र साद नबरची क पीठ पर हाथ रखत ए वहा मौजद सभी लोग क तरफ दखत ए कहा

ldquoनताजी जरा लखन क लए कछ मदद मल जाता सरकारी उसका भला हो जाताrdquoबरची न अपनी मल बात कही जसक लए वो भवन र नता को यहा लकर आया था

ldquoहा हम यास करत ह क इसको जला राहत कोष स कछ रा श मल जाए या कोनोयोजना म नाम घसवाकर कछ पसा का उपाय कर दत ह अब हम चलत ह फकन सह कखलाफ खड़ा होन का साहस दखाकर ही तम लोग आधा चनाव जीत लए हो अब द वालको मत क गरान का ज रत नह ह का जी बरची कमार हा-हा-हाhelliprdquo इतना बोलकरभवन र साद न जोर का ठहाका लगाया

बरची क सग खड़ लोग भी म करान लग बरची न अपन म काड वाल ा तस काक सा सबको सना ही रखा था लगभग पाच मनट और रहन क बाद नता भवन र सादवहा स अपन लोग क सग वदा ए गाव स वापस होन क म म वह फकन सह क घरक सामन वाल रा त स नकल घर क ठ क सामन स गजरत व भन र नता कन खय सउसका दरवाजा दख जा रह थ काली बोलरो दखत ही उधर स भी सार लोग उनकनकलती ई गाड़ी ही दख रह थ नता भवन र साद तो यही दखान गए ही थ उधर सनकलत ए ही उनक नजर अचानक स वहा फकन क ार पर बठ कामता साद औरकल इ प टर पर एक साथ पड़ी थी नता जी न मनटभर कछ सोचा और तरत मोबाइलनकालकर यह बात बरची को बताई बरची अभी वह लखन क घर स कछ र हटप ब र स ही बात कर रहा था प ब र न दखा क बरची को नता भवन र साद का फोनआया बरची न फोन पर इधर स इतना ही कहा ldquoओ एक वकट और भी गरा दया फकनसह चता नह ह नताजी ई तो हम मानकर ही चल रह थ असली फाइट तो होना ह वोटक दन उस दन उसका वकट गरगाrdquo फोन रख बरची कछ पल चप रहा औरम कराया प ब र न कौतहल स पछा

ldquo या आ कौन वकट गरा या मतलबrdquoldquoअर कछ नह आ एक आदमी था नताजी का जो आजकल वरोधी क साथ घमता

ह तम ई सब चता छोड़ो और हमको जरा कल दो हजार द दना सनारपट ट और कोइरीटोला म कछ लड़का लोग को सट कए ह वही सबको थोड़ा तल-मसाला का माल दना हrdquoबरची न ज द -ज द कहा और प ब र स घर चलन का इशारा कया प ब र मगर अभीवह खड़ा था

ldquoदो हजार बरची जी खच पर थोड़ा क ोल करना होगा खाली पसा स ही चनावजीतना था तो फायदा या खड़ा होकरrdquo प ब र न थोड़ी अखरन क साथ कहा

ldquoअर यार तो तमको या पता नह ह क चनाव म इतना तो होता ही ह फकन सहलाख पया फकन खा तर रडी ह हम लोग तो इतना नाममा का इतना कम खच करकही उसको पानी पला दए ह थोड़ा पसस रखो यारrdquo बरची न उकताहट क लहज मकहा

ldquoवह ठ क ह बरची जी ल कन जीत गए तो या खाली हमको जीत मलगा ई लड़ाईतो हम सबका ह तो थोड़ा खच-पानी भी तो बाटकर करना चा हए समचा लोड हम पर आगया हrdquo प ब र न उचट भाव स कहा

ldquoअजब बात कर रह हो यार तम अर हमार कपार का लोड नह दख रहा तमकोऔर अगर पसा होता हमार पास तो वो भी खच करतrdquo बरची हरत स दखता आ बोला

ldquoलखन को दन म तो आ गया पसा तो थोड़ा इधर चनाव म भी तो मदद करद जएrdquo प ब र न चभत अदाज म कहा

ldquoचप रहो चप हो जाओ अब अर जानत भी हो कछ सन लो अब त हार चनाव मअभी तक घर का पाच हजार का फसल बच चक ह हम यह सकदरपर का सब भोटत हारा या मरा थोथना दखकर नह बना ह सबको कछ-न-कछ दना पड़ा ह जतना मराऔकात था कए और बाक पसा तमस लए लखन को पसा अपन मा स मागकर दएब ढ़या क पास रखा था छह महीना का कछ बचाया आ पसा भाई प ब र हमारा यहीऔकात था कए जतना थाrdquo जोर-जोर स बोलता बरची बोलत-बोलत चप हो गया था

ldquoहा तो धानी का लाभ भी तो ली जएगा कछ खचा हो गया तो कोई नाजायज नहह बरची जीrdquo प ब र न हसाब- कताब क साथ कहा यह सनत ही बरगी तो जस उबलपड़ा

ldquoऐ ऐ प ब र अब चप हो जाओ भाई एकदम चप या तब स बक रह हो हमकोझाट ना लना ह त हार परधानी स हमको दो कौड़ी का समझ हो या अगर बकना नाचाह तो नद कनार पानी पीत पड़ प थर को हीरा-जवाहरात भी अपना औकात दखा नहखरीद सकता हम साथी ह त हारा परधानी म ह सदार नह फकन सह का गमान तोड़नाथा पचायत का न शा बदलना था ई साला दन-रात हाथ जोड़कर जी-हजरी करक पीढ़ -दर-पीढ़ कमर झकाकर चलन वाल गाव को रीढ़ पर खड़ा करना चाहत थ इसी लए तमकोचनाव लड़न बोल य क तम पर भरोसा था इस लए त हार जसा दो त का हाथ धर पहलखद खड़ा ए फर तमको चनाव म खड़ा कए आज आधा स अ धक लोग त हार साथखड़ा ह अब यही सब कल फकन क खलाफ खड़ा होगा कल ऐस ही परा गाव-पचायतअपन भरोस खड़ा होगा समझ प ब र दास जीrdquo बरची न भावकता म भी खद कोसभाल बना आख को नम कए गरजकर कहा

प ब र नजर झकाए खड़ा था बरची न ही खद आग बढ़कर उस कध स टकाया

आ खर प ब र कोई राजनी त का त का नह अजन का तीर था बरची क लएldquoसनो फालत बात पर यान मत दो फकन क अहकार क व अब चनाव जीतो

बस समझ राजनी त म रहना ह राजनी त म फसना नह हrdquo इतना कहकर बरची न उसबाइक टाट करन को कहा प ब र न एक नजर उठाकर बरची को दखा अगल मनटप ब र फर स सहज हो म करान लगा बातचीत को खा होता दख दोन न समझदारीदखाई और इस बात को वह छोड़ कछ और इधर-उधर क बात करत ए घर आ गएप ब र बरची को उसक घर छोड़ अपन घर को चला गया

दोन घर तो चल आए थ ल कन अभी अपन आगन म खाट पर लटा बरची प ब रक थोड़ अजीब स बदल वहार को लकर सोच रहा था और उधर प ब र भी अपनदरवाज पर कस नकाल बरची क थोड़ी त ख ई जबान को लकर बचन-सा मन-ही-मनब त तरह क इधर-उधर क बात सोचत ए बठा था चपचाप बीच म बहन चपा न चायको पछा तो उसन मना कर दया

शाम ढल दर हो चक थी आज गाव म हाट का दन था आसपास क दहात क लोगभी सौदा-पानी खरीद उसी रा त लौट रह थ सकदरपर क दो लोग भी राशन-स जीखरीदकर वापस घर जा रह थ तभी दरवाज पर प ब र को अकला य ही दख व लोग भीवहा आ बठ और कछ दर चनाव पर चचा होन लगी बात-बात म ही चचा नकली कचनाव म मकाबला ब त कड़ा ह और जो पसा यादा फकगा उसक उ मीद यादा ह यहभी बात नकली क आजकल कसी भी वोट क गारट नह हो सकता ह पसा दकरसकदरपर म भी फकन सह यादा वोट ल आए और पसा खच कर प ब र दासमलखानपर म ही बढ़त ल ल इसी तरह क गपशप क बाद एक-एक चाय पी व दोन चलगए और अब प ब र भी अदर जा खाना खान क सोच रहा था रात क 830 बजन को थतभी एक बाइक क सीधी रोशनी प ब र दास क चहर पर पड़ी वह आख मच मचाता

आ कस स उठा तब तक बाइक उसी क ार खड़ी हो गई थी एक को तो वह दखत हीपहचान गया था

ldquoअर जगद श चाचा आपrdquo प ब र न दो कदम आग बढ़कर कहाldquoहा भाई और कौन रहगा और कसको मतलब ह त हारा अ छा-बरा स हमको ह

इस लए त हर ना-ना कहन पर भी आना पड़ता ह बाबrdquo जगद श यादव न सर स हलमटउतारत ए कहा

ldquoअर ऐसा या बात ह चचा हम आपका मान हरदम रख ह आइए ब ठए न साथम कौन हrdquo प ब र न ह क वर म ही पछा

ldquoहम ह गाव म हम दोन को छोड़कर कोई नह ह तमको बचान वाला जान लो यहबात सब तमको डबान म लगा हrdquo बजनाथ न मह म ढका गमछा हटात ए कहा

ldquoअ छा सनो चलो भीतर बठ ार पर नह बठना ह कोई दख-सन लगा मदrdquoजगद श यादव प ब र स भी पहल घर क अदर घसत ए बोल प ब र को एकाएक कछ

समझ ही नह आ रहा था अचानक आज इन दोन का उसका इतना अपना हो जाना औरकल तक दहरी तक छन स परहज करन वाल जगद श यादव क लए अचानक स आजप ब र का परा घर प व हो जाना जहा आज जगद श यादव ही सबस पहल धड़धड़ात

ए घस गए थldquoबात या ह चाचा या आ अब कौन नया बवाल आrdquo प ब र न जगद श

यादव क पीछ खड़-खड़ पछाldquoबठो पहल वाह इतना सबकछ खद ही बलाए हो बवाल और हम स पछ रह हो

परा गाव को मन बनाकर बठ हो तमrdquo जगद श यादव वह चौक पर बठत ए बोलउ ह क बगल अब बजनाथ भी बठ चका था प ब र वह सामन नीच एक पीढ़ा ल बठगया अदर आगन म बतन धो रही चपा सबको भीतर बठा दख बगल वाल कमर म चलीगई

ldquoई चनाव जान का बलाय बन गया ह महाभारत होगा और क क मरगा भलाएगा पतानह rdquo बजनाथ मडल न अपना सर पकड़कर कहा

ldquoओ ई बात ह चाचा बाक जो बात हो क हए आप लोग का बात स बाहर नह हहम ल कन चनाव छोड़न मत बो लएगा चनाव तो हम लड़ग चाह जो होrdquo प ब र नलगभग प श द म कह दया था

ldquoहम तमको काह रोकग चनाव लड़न स ल कन तम लड़ो तब नाrdquo जगद श यादव नअजीब ही बात कह द थी

ldquoमतलब तो कौन लड़ रहा हrdquo प ब र न ख मन स च कत ए पछldquo बर चया लड़ रहा ह तम कहा ह इस चनाव म परा पचायत घम लो नाम तो उसी

का ह परा सकदरपर म भी उसी का चचा तम तो बस कठपतली हो मदrdquo जगद श यादवन सई चभो दन जसा कह दया था प ब र तो अभी मह ही दख रहा था जगद श यादवका तभी गदन सरी तरफ मड़ी

ldquoअजब बड़बक बन हो तम पसा त हारा काम त हारा ह मत त हारा जात का भोटत हारा और ताकत त हारा ल कन नाम और फटानी उस ल चा बर चया का वाह रपोल ट स कतना बड़ा झप लस द दया तमको अब भी तमको नह बझा रहाrdquo बजनाथन उचककर गदन हलात ए कहा प ब र एकदम शात बठा बस सन रहा था अभी तकवो जो भी सन रहा था इसम उसक लए एकदम नया जसा कछ नह था वह महसस कररहा था क शायद कछ ऐस ही सवाल तो उसक अतमन को कछ दन स मथ ही रह थजगद श यादव और बजनाथ का बोलना जारी था

ldquoजरा सोचो प ब र भवन र नता भी कसका पीठ ठ क रहा ह उसक नजर म भीहीरो कौन ह तम नह हो बर चया ह हमको तो आज का भी बात पता चला लखन क घरवाला वहा भी भवन र नता सबक सामन बर चया का वाहवाही कया तम तो यहापरधानी का सोच रह हो और वहा बर चया बड़का नता बनन का रा ता बना लया भाई

ख का बात ह क त हार जसा भला आदमी का कधा पर चढ़कर ब क चला रहा हrdquoजगद श यादव न भयकर आ मक होत ए अपनपन क भाव स अफसोस जताया

ldquoमन शख क दखकर घ घवा भी बजन सोचता ह दनभर गाजा पी क गाव म लात-जता खात फरन वाला पगला बर चया आज प ब र को मोहरा बनाकर नता हो गया यहीउसको तनी-मनी जीन सखाया इसी क चलत कपड़ा-ल ा पहन क मोटरसाय कल घमनलगा साला मोबाइल चलाता ह हमको तो व ास नह होता ह क इतना बड़ा भीतर कालोमड़ी था साला बो लए ई प ब र जसा नया-नया गाव आया भला लड़का को लपटलया अपना राजनी त मrdquo बजनाथ न जगद श यादव क तरफ मह कर अपना सव अफसोस उड़ल दया था चौक पर

अब इसस यादा अफसोसनाक थोथना बनाना उसक अ भनय मता स बाहर कबात थी उसन अपना ब ट द दया था प ब र बना पलक झपकाए अब भी शा त स बठाबस सब सन जा रहा था वह अभी सफ उन दोन चहर क भाव पढ़न क को शश कर रहाथा

ldquoतमको ही नह बर चया अपना राजनी त म ब त को बबाद करगा लखना कोलटवा दया ब त ज द मरारी पर भी ब जड़ गरगा दखना न उसको अभी दखबर चया क ार पर खड़ा चनाव का राजनी त ब तया रहा था फकन सह जसा भलाआदमी को मजबर कर दया ह ई क कछ काड हो ही जाए उसक हाथrdquo जगद श यादवचौक पर अब पालथी मारकर बठत ए बोल

ldquoफकन सह भला आदमी ह चाचाrdquo तब स चप प ब र न अब च पी तोड़ीldquoइतना बड़ा काड कर दए न तम बना कोई लनी-दनी डाइर ट उसक खलाफ म

चनाव लड़ गए न तम कछ बोला तमको चाह लता तो ब त कछ तो कर ही सकता थात हारा म दर बना उसम कछ टाग अड़ाया चाहता तो कछ भी बवाल नह करवा दता

या ऊ चाह लया तो आज तक खद का अपना मोह ला का म दर नह बनन दया यह हउसका ताकत ल कन तमको नह रोका उसक शराफत का ही तऽ फायदा उठाया बर चयासाला तम तो नया आदमी थ तमको या पता तम चल क दख तो लत एक बार बनाजान-समझ या बझाएगा जीrdquo

जगद श यादव न एकदम ग णतीय व ध स एक-एक स हल करत ए फकन सहक शराफत को स करत ए कहा प ब र इस बहद व ा नक ा या स ब त असहमतनह हो पा रहा था ल कन अभी ब त सार सवाल थ मन म ब त-कछ घल रहा था मन म

ldquoकछ बात ठ क ही बोल रह ह आप लोग हम खाली मनजर जसा पसा नकालकरदत ह समचा डील तऽ वही करता ह हम खद सोच रह क या कर रह ह हमrdquo प ब र नएकदम धीम वर म बना कसी स नजर मलाए कहा वह भीतर-भीतर असल म या सोचरहा था कहना म कल था

ldquoत हारा ब त नह बगड़ा ह अब भी अभी चलत ह फकन बाब क पास ऊ लोग

बचारा त हारा इतना इ जत कर रहा ह दख तो लो चलकर अर मल-जलकर साथ कामकरो नाrdquo जगद श यादव न सबस पहली बात को अब आ खरी म कह दया था

ldquoद खए चाचा हमको साला राजनी त म पड़ना ही नह था कमा-खा रह ह आराम सपता नह कहा स कपार पर ई टशन आ गया ल कन एक बात जब सोचत ह ना तब मनफर चनाव लड़न क लए तयार हो जाता ह इस लए छो ड़ए लड़न ही द जए एक बारrdquoप ब र हलकर वह टका रहा

ldquoअ छा हम समझ गए बर चया त हारा मन म ई जहर भर दया क त हारा माय-बाप को भट ठा म जलाकर प षो म सह मार दया अर पगला एकदम झठ बात ह झठहम गवाह ह सारा घटना का त हारा बाप क साथ हादसा आ और बचारा जलकर मरगया तोर चाचा खबर दया क सदमा स त हारा माई भी नह बची तम तो ब चा था अबत हारा चचवा को यही भवन र नता और कछ वरोधी लोग सनकाकर प षो म सह सपसा ठन खा तर तयार कया झठा कहानी बनाकर चला दया त हर गरीब चाचा कोलालच हो गया और ऊ ई कहानी को बोलन लगा यही पसचाताप म उहो बढ़ा मर गयाबचारा पराना राजनी त ह इस सब म मत पड़ो अगर ऐसा नदयी होता प षो म बाब तोआज न तम जदा होत न बर चया बर चया तऽ खद इतना प ोल मतता ह न उसको काहनह मार दया प षो म सह या एक भला प रवार को गलत नजर स दख रह होrdquoजगद श यादव सारी घटना क स च गवाह क तरह बोल सच भी था क वह सचमच सारीघटना क च मद द गवाह थ ही पर वा तव म प ब र उतना ही जान रहा था जतनाजगद श यादव न उस बताया था

ldquoहमको तो ब त लोग बोला क प षो म सह बड़का ह यारा रहा ह अपन जमानमrdquo प ब र न धीर स कहा

ldquoह भगवान ह राम एकदम गलत बात अर आदमी छोड़ो एक ठो ख टा पपरी नहचीप क मार ह ग च पल स ऊ आर पर बठ म छर भभोरता रहता ह ल कन आज तकहाथ स नह पीस ह ग एक ठो म छर भी सो चए जो जीव उसका खन पी रहा ह ऊआदमी उसको तो मारता नह ह आदमी को या मारगा फकन बाब तो कसी को -चारलात मा रयो दत ह एक बार हम को मार दए थ सात-आठ साल पहल याद ह ना होजगद श दा ल कन प षो म बाब गाय ह प ब र गायrdquo

बजनाथ न इस कथन स जगद श यादव को अच भत कर दया था जगद श यादव कोबजनाथ स इतन शानदार दशन क कम ही उ मीद थी प षो म सह को बजनाथ नजस तरह अ हसा क मामल म अगल जन तीथकर क मा यता क करीब प चा दया थाउसस वह जगद श यादव क चापलस व यो यता को बीट करक ब त आग नकल चकाथा दोन न प षो म सह क काल इ तहास को नल जता क मली चादर स इतन कायदस ढक दया था क अब प ब र क लए दखन को कछ वशष बचा नह था ठ क तभीएक आ खरी सवाल आया प ब र क तरफ स

ldquoअ छा चाचा हम तो मान ली जए क अगर सब समझ भी गए ल कन या बरची

मानगा उसको कस समझाएrdquo प ब र न कछ अलग भाव स पछाldquoबाब तमको अभी तक उसी का चता ह अर वह काह मानगा उसका तो लान ही

न चौपट हो जाएगा तम बस चलो ना फकन क पास बरची को बाद म समझा-बझा दगपसा-कौड़ी लगा दा -गाजा लगा तऽ लाइन पर आ जाएगा उसका सारा हकड़ी तो त हारभरोस ह तम जहा हट क वह साला अकल कर ही या लगा अब चलो वहा लट नकरोrdquo जगद श यादव चौक स उठत ए बोल उनक उठत ही बजनाथ भी खड़ा हो गया

ldquoएकदम ज द प ब र बाब चलकर आख स खद ही दख लो क कसा भला प रवारहrdquo बजनाथ न अपनी पारी का अ तम शॉट लगाया

ldquoअभी इतना रात को अभी भट होगा उनस थोड़ा हमको भी समय द जए सोचनका सवर चलत हrdquo प ब र न सकोची मन स कहा

ldquoअर अभी चलो भाई सवर का फर छोड़ो तम उनक ार चल जाओग तो रात को200 बज मलग यही तो हम कह रह ह क अपना इ जत भी तो जाकर दखो वहाकतना यादा मलगा मान-स मानrdquo जगद श यादव दरवाज क तरफ बढ़त ए बोल

ldquoआदमी शात ह ना प षो म सह हम अकल जाए क कोई भाई लोग को ल लसाथ मrdquo प ब र न मन बनान क म म पछा

ldquoपागल हो या अकल कहा हो हम लोग ह ना जी और अभी ाइवट बात होगाकसी को बताना नह ह और आदमी साध ह प षो म सह साध भी इतना साध नहहोता ह एक बार तो आर पर आया एक साध को फकन सह चार थ पड़ द दया था ढरसाध बन रहा था प षो म बाब क आगrdquo जगद श यादव प षो म सह क साधता परटॉच मारत ए दरवाज क बाहर तक आ गए

प ब र न साधता क यह क ण गाथा सनत ही बहन स पानी माग भर लोटा पानीपया पहल

ldquoआप लोग का बात पर बस चल क मल लत ह एक बार चनाव म नह बठगrdquoअ डग प ब र चलन को तयार होकर बोला

ldquoठ क ह बस मल लो एक बारrdquo जगद श यादव बोलइतना सन प ब र न सामन टगनी स गमछा ख च उस मह पर लपटा और बहन स

दरवाजा बद कर लन बोल दोन क बीच बाइक पर बठ गया हमशा मोटरसाय कल चलानवाला पहली बार बीच म था दो पाटन क बीच म दबा कसी तरह साबत बचा आ थाप ब र दास

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अपन घर स लगभग पाच-सात मनट क बाद अब प ब र उन दोन क साथ प षो म सहक दरवाज प च चका था करीब-करीब यारह बजन को थ रात का स ाटा गाव पर चादरडाल था बजली थी नह सो बरामद स सट कमर म इमरजसी लाइट जल रही थी अदरप षो म बाब पलग पर लट थ वह राजग बदरी बाबा कस पर पर चढ़ाए बठ थजगद श यादव न मोबाइल पर मस कॉल दकर प ब र को ल आन का सकत द ही दयाथा प ब र क मन म जो सबस बड़ी ज ासा थी क वा तव म वो जतना भी प षो मसह क बार म जानता था उन सबका ोत बरची या टोल-मोह ल क अ य लोग ही थइस लए अब आग कछ भी नणय स पहल वो इसी बहान कम-स-कम एक बार उन लोग समलकर उ ह समझ लना भी चाहता था पर मन-ही-मन ऊहापोह जारी थी उसन महससकया क पर काप रह थ दमाग अपना सहारा द उस थर कर रहा था बाइक स उतरसबस पहल जगद श यादव न कमर म वश कया पीछ-पीछ दो कदम चलकर बजनाथऔर प ब र ठ क कमर क वश ार पर थ

ldquoअर जगद श आओ आ गएrdquo सामन पलग पर लट प षो म बाब न कमर क नीचलगी म हाथ घसा खजआत ए कहा

ldquoजी ई प ब र आया ह बड़ा मन था इसका क एक बार भट हो जाए आपस हमकह क अ भए चलो आ गया ह भीतर बला ल क हए तऽ जी काrdquo जगद श यादव नप ब र क त त का आदश मागत ए कहा

ldquoअर हा भाई बलाओ-बलाओ हम तो हरदम बोल ह क गाव का लड़का-ब चा सभट होना चा हएrdquo प षो म सह न त कया ख चकर कध क नीच लत ए कहा इतन मप ब र दोन हाथ जोड़ णाम क म ा बनाकर अदर आ चका था सामन बठ बदरी म सरन हसत ए खश रहो का चलताऊ आशीवाद दया और दा हन हाथ स इशारा कर कस परबठन का सकत कया बदरी बाबा भी अभी बाए हाथ स कोई अग वशष ही खजला रह थइसस पहल क प ब र क तशरीफ अभी कस क पटरी को छती प षो म बाब कआवाज कान म गई

ldquoअर इधर आओ पलग पर बठो भाई आओ सामन बठो तब ना बात हो आराम सअपना ही घर बझोrdquo

प ब र झक कमर को सीधा कर लजात-सकचात सकोची भाव स पलग क सर छोरपर प षो म सह क पर क तरफ गोड़थारी म एक कोन म अपना प भाग कसी तरहसटाकर लटकन जसा बठ गया आ खरकार कस पर अभी-अभी बठत-बठत रह गया

प ब र स दय क बनाई व था क अन प ही अब सही जगह पर बठ गया थाहाला क यह थान उस प षो म सह न नहवश दया था प षो म सह अपन दोन परहला रह थ और प ब र उन पर स इतन करीब बठा था क अगर उनक पर म कोईबछआ होता तो प ब र डक स बस इच भर क ही री पर होता ल कन भारतीय परपराम मद चाह कतना भी जहरीला हो पर म बछआ म हला को ही पहनना बताया गयाथा

ldquoबाब आराम स बठ जाओ इस घर म ऊच-नीच मत सोचोrdquo बदरी बाबा न यान सउतरी बात पर सबका यान दलात ए उसी पर यान न दन का उपदश दत ए कहा

ldquoअर ई ऊच-नीच कभी नह मान ह हम आदमी को सबस बोलना-ब तयाना चा हएसब आदमी अपना जा त क अनसार कम करता ह इसम कोई गलत बात भी नह ह अबअगर चमार चमड़ा का काम छोड़ दगा तो या उसको कोई बाभन-ठाकर कर पाएगाइस लए छोटा-स-छोटा जात का भी अपना एक भल ह अपना ज री थान ह समाज मसबका थोड़ा-ब त इ जत होना ही चा हए महाराजrdquo प षो म बाब न अपन वशाल

दय क अनकपा स सभी को थोड़ा-थोड़ा याय बाटत ए कहा य सन वहा बठ सभीलोग क चहर और हाव-भाव दख लग रहा था क सभी प षो म सह क इस बात परगभीर प स सहमत थ

ldquoसही बोल रह ह आप ऐस भी जात-पात को कोनो आदमी थोड़ बनाया ह इसको तोभगवान बनाया ह वही भजा ह जसको जो कम करन हम लोग कर रह ह भगवानजसको जो काम दए होत ह उसका आदर तो होना ही चा हएrdquo बदरी म सर न प षो मसह क बात म अपनी मल ा या जोड़ उस और सरल एव प कर दया था मन यअपनी हर सा जश म भगवान को शा मल कर लता ह मन य चालाक ही नह ब तश शाली भी ह बदरी बाबा न जात-पात छआछत यह सब स जत करन का ठ करा

ापवक भगवान क कपार पर फोड़ दया था और सामन कलडर म लटक व ण भगवानशषनाग पर लट ल मी जी स पाव दबवात ए म करा रह थ दवता एक श द न बोल

ldquoअ छा ई सब छो ड़ए हा तम बताओ प ब र या हाल ह त हारा तम बाहर सकमा-धमाकर आए बड़ा अ छा बात ह सनकर मन खश होता ह क जत दास का लड़काइतना बनाया अपना महनत पर वाह ब त अ छा बात हrdquo प षो म सह न एक बनाबात क बात कही

प ब र न उ र म बस ह क -सी हसी क साथ हाथ को जोड़ जसी म ा म ह काहलाया और फर हाथ खोलकर चपचाप यथावत बठा रहा

ldquoवही सबकछ तो ठ क ह बस यहा लोकल पोल ट स का च कर म इसको फसा कसब चनाव लड़ा दया ई आदमी कछ समझ ही नह पाया यहा का गदा राजनी त कोrdquoजगद श यादव न पहल स ल खत मल पटकथा का वाचन ारभ कया

ldquoहट भ क राजनी त और चनाव का बात छोड़ो भाई अर चनाव तो सबको लड़नका अ धकार ह ई नया लड़का इसम ई बचारा का गलती का ह हम जानत ह सब क

कौन-कौन इसको बबाद करन वा त आग म झ क दया इसको चनाव नह लड़वाया ह सबइसको सीध हमस लड़न भड़ा दया ह और र स सब मजा ल रहा ह अभी बचारा चाहमरा जाए या कटा जाए उन सबको या मतलबrdquo प षो म सह न अपन तरीक स अपनीबात कह द थी

ldquoकौन-कौन क वही बर चया का चाल ह अर हम तो सन ह क बड़का नता बननका वाब दखन लगा ह ऊ बताइए ई भोला लड़का क चलतrdquo बदरी म सर न धारावा हकबढ़ात ए कहा

ldquoनह -नह खाली बर चया नह भनसर नता का मन खल ह एक तीर स दो नशानामारा ह सोचा हमको हरा दगा और एक गलाम धान भी बना लगाrdquo यह बोलत एप षो म सह पलग पर उठ बठ

ldquoहम गलामी नह करन वाल कसी का इतना भी बकार नह ह भनसर नतागलतफहमी म ह फरrdquo प ब र दास जस अपन आप बोल गया प षो म सह न तालाबक गहराई नापन को ही तो एक छोटा-सा प थर फका था प ब र क तवर न अबप षो म सह क दमाग को यह सकत द दया था क इसस कस नपटना ह

ldquoठ क बात ह ल कन त हार जसा हो शयार आदमी इस जाल म फसा कस मदतमको नह समझ आया क हम धानी म कोनो पसा और ठ कदारी क लए नह लड़त हब क इ जत का बात था इस लए लड़rdquo अभी तक बड़ कोमल भाव स वाता कर रहप षो म सह अब थोड़ कड़ होन क तयारी क साथ बोल

प ब र अभी चपचाप बस सबको दख रहा थाldquoअर धानी म या ह आज भी बना धानी आपक भाव म कौन कमी ह यह तो

मन ललकार कर दया ह इस लए लड़ना पड़ा नह तो ऐसा चनाव खब दख ह आपrdquoबदरी म सर न भी धार पकड़कर कहना श कया

ldquoसर हम भी इ जत क ही लालच म लड़ ह चनाव ऐसा बात नह ह क हमको भीधानी स धन कमाना ह पसा-कौड़ी महनत-पसीना स ठ क-ठाक कमाए ह और आग भी

कमा ही लगrdquo प ब र न पलग स खड़ होकर कहा प षो म सह न उस एक कड़ी नजरस दखा और खद भी पलग स उतर

ldquoअ छा पहल चपचाप बठो शा त सrdquo जगद श यादव न आग कछ भी हो जान कसभावना स पहल ही कहा प ब र न भी तरत माहौल को भापा और कस पर बठ गया

ldquoतो इ जत बना एक गरा आ ल चा क फर म जो भी इ जत आज मल रहा हवह भी चला जाएगा और पसा तो तम पाच-दस लाख लाए होग यहा जमीदारी का अगाधसप ह तब भी धन-बल का गमान नह करत पसा जोगत ह प षो म बाब नह तो पाचलाख तो ऐस ही बहा द ई चनाव म तम तो नया लड़का ह नया पसा ह जरा दमाग स कामलो सोचो क चनाव म हार जाओग तब पसा और इ जत दोन जाएगा क नह rdquo बदरीम सर आख चमका क बोल

ldquoहम तो समझ तज लड़का होगा यह तो खाली जोश म बात कर रहा ह बताइएइसको इ जत का मतलब पता ह अर बर चया क साथ रहकर मलगा इ जतrdquo प षो मसह एक चड़ चड़ी-सी हसी क साथ बोल

सब शायद अभी तक प ब र को समझन म चक ही रह थ वा त वकता तो यही थीक प ब र न चनाव लड़न स लकर अभी प षो म सह क दरवाज आन तक का नणयअपनी समझ और सझबझ स लया था वो इस बात क फ कम ही करता था क लोग

या कहत ह वो दखता क प र थ तया या कहती ह बा यकाल म असम भागा एकमासम दशक बाद ऐस ही लाख कमाकर नह लौटा था कछ तो खास बात रही ही होगीउसम आज भी भल प षो म सह क दरवाज अ धकाश समय वो चप रहा पर जब भीबोला उसन अपन तवर बनाए रख थ

ldquoहम जोश म कहा ह सर ऐसा होता तो आपक पास आत ही काह हम तो बस यहसोच रह ह क ठ क ह मान लए बरची या भनसर नता हमको मोहरा बनाया ल कन अगरहम बठ गए या चनाव म आपको समथन द दए तो हमारा तो भारी बइ जती हो ही जाएगाना सर ऊपर स साला हम पानी क जसा पसा बहा दए ह अभी बदरी बाबा जी ठ क हीबोल पसा-कौड़ी को भी जोगना चा हए ऐस बहान स तो कबर का खजाना भी ख म होजाएगाrdquo प ब र न एकदम बदल ए अदाज म कहा

ldquoयही अकल पहल आ जाता तो कतना ठ क रहताrdquo बदरी म सर च ककर बोलमौजद सब लोग थोड़ा-थोड़ा म करा दए सवाय प षो म सह क

ldquoअब हम या कर खद समझ नह पा रह ह मजबरी म लड़ना होगा चनावrdquoप ब र उलझन म बोला शायद

ldquo दमाग खराब ह का प ब र इतना समझाया-बझाया गया और फर तम वह घसरहा ह आग मrdquo जगद श यादव बल बलाकर बोल उठ

ldquoअर नह -नह जगद श यह ठ क कह रहा ह लड़न दो इसको नया पसा ह नयाखन ह अब ई पसा ही नकालकर लड़ चनाव अब चनाव को बना दग हम बाजार औरबाजार म खड़ा रहगा हमारा लठत दखत ह कौन हमार आग खरीदता ह वोट को एक-एकवोट लात स जता स या पसा स खरीद लोrdquo प षो म सह न लाल ई आख स दखत एतमतमाकर कहा

ldquoसर आप तो ग सा हो गए ह हम पसा म कहा सकग आपसrdquo प ब र न अचानकबदली ई टोन म कहा

ldquoत लाठ म सकोगrdquo प षो म सह न आख तररकर पछाldquo या सर हम चनाव लड़ रह थ सर लाठ -पसा स लड़ना नह ह हमकोrdquo प ब र न

उतरी ई धीमी आवाज म कहाldquoऔर हार गए तब तब का होगा सोच हो उस बात को भीrdquo जगद श यादव न सट क

कहा

ldquoहम फस गए ह चाचा आप लोग गा जयन ह और आप लोग ही कोई रा तानका लए बरची को भी समझाइए कोई प षो म सर जी हम पर बकार गसा रह हहमारा सम या को नह समझ रह हrdquo प ब र न शायद वा तव म बचनी म कहा

ldquoहम ग सा नह हो रह ह त हारा बवकफ पर अफसोस हो रहा ह दखो अगरतमको सच म नता बनना ह और आग राजनी त करना ह तो हमारा बात सनो और जोडसीजन लना ह ल लो दखो वधायक हमारा ह बीडीओ हमारा ह अभी भी बना धानबन भी फकन ही ठकदारी करता ह तमको फकन क साथ लगा दग कछ पसा भीकमाओग और नाम भी अभी तमको पचास हजार द रह ह जो अपना गा जयन समझकररख लो आग भ व य म फकन वधायक लड़ब करगा तब मलखानपर का धान तम हीहोगा न वरोध अब भी तम ही दखना-सनना सब अर एक ही बर म इसस यादा याचाहत हो राजनी त म चनाव लड़ क या पा लोगmdash हसाब लगा लोrdquo प षो म सह नसाफ-साफ बात रख द थी

ldquoएकदम बजोड़ स ध ह इसस सदर कछ हो ही नह सकता इसक भ व य क लए यकोई जटाय श ला थोड़ ह का बल लड़का ह भ व य का धान तो ह हीrdquo बदरी म सर नअब पता नह कस मन स कहा वर थोड़ा बझा आ था और उ साह पव स कम ही था

प ब र अब ल कन गभीर था उसका मन इस ताव को लगातार मथ रहा था फरय भी मन म आ रहा था क बरची समझ और मान तब तो नणय यहा भी अटका आथा

ldquoऔर आ खरी बात त हारा इ जत चनाव म खड़ा होन स बनगा क प षो म सहक साथ बराबरी म उसक ार पर बठन स यह सोच लना तब डसीजन लनाrdquo इतना बोलप षो म वापस त कया गदन क नीच डाल पलग पर लट गए

ldquoसब बात ठ क ह सर ल कन अब बठन का डट ख म हो गया ह कस मनज करगथोड़ा हमारा भी मान-स मान रह जाएrdquo प ब र लगातार उलझन म ही बोल रहा था

ldquoपहल तय करो क तम बठोग या गारट क घर जाकर त हारा जोश जग जाएअगर तयार हो जाओ तो कल-परस एक बठक गाव म बलाकर गाव एकता क नाम परफकन को समथन का घोषणा कर दना कह दना क कछ बाहरी लोग गाव को तोड़नाचाहता ह हम सब नह टटग हम सब एक ह तमको वही फकन माला पहना दगा त हारामान-इ जत बन जाएगा उसक बाद तम भर चनाव घर बठो फर फकन क साथ रहना भाईजसा अब इसस ब ढ़या या होगा जाओ अब और ज द फसला लोrdquo प षो म सह नसारी योजना का य ख चत ए प प स बता दया था

ldquoठ क ह सर हम एक बार वचार कर लत ह च लए जगद श चाचा हमको जराप चा द जए घरrdquo प ब र सबको एक साथ णाम करक कमर स बाहर नकलत एबोला

जगद श यादव भी प ब र क पीछ उठ और उनक पीछ तब स गगा पड़ा बजनाथ भी

उठा तीन बाइक पर सवार एldquo कसी क खा तर इतना कछ दत आज तक नह दख थ प षोतम सह को तम

क मत का साड़ हो धान बनन स बड़ा चीज मल रहा ह तमको मौका मत छोड़ना बाबबोल क जा रह हrdquo जगद श यादव न घर छोड़कर चलत-चलत कहा

जगद श यादव अपन जए अनभव का सच ही कह रह थ वा तव म मलखानपर मऐसा कभी नह आ था क ह रजन टोला क कसी जवान को सह खानदान का कोईवा रस सावज नक तौर पर माला पहनाता

प ब र कछ दर वह अपन घर क ार पर खड़ा रहा फर उसन दरवाजा खटखटायाबहन चपा उठकर आई दरवाजा खोल चपचाप वापस सोन चली गई चदन क साथ नामआन पर उसी दन प ब र न पीट दया था उस उसी दन स बस गमसम-सी उठती और घरका काम नपटाकर बना कसी स कछ बोल सो जाती थी

बाद म बरची को तो यह भी पता चला था क खद प ब र न भी बरागी प डत जी सचदन क शकायत क थी इसी बात को लकर तो चदन इतना अकबका गया था और तबही वह गाव स बाहर चला गया था यह सब जानन क बाद भी बरची न न प ब र स इस परचचा क थी न कसी और ही स पर बरची को प ब र का यह वहार बरा ज र लगा थाऔर तब स ही दोन क बीच थोड़ी त खी आ गई थी बातचीत म प ब र को भी यहमहसस हो गया था क यह बात बरची को पता चल गई ह पर उस तो उ ट बरची स हीमन-ही-मन शकायत हो गई थी क बरची तो चदन को बकसर ही कह रहा ह और इसराजनी त का षड य बता रहा ह इस मरी बहन क इ जत क चता ही नह चदन बाबाका इ जत क बार म सोच रहा

प षो म सह क दरवाज स लौटन क बाद अभी प ब र क अदर उलझन का तफानचल रहा था घर क भीतर आकर वो कछ मनट आगन म बठा थोड़ी दर म कमर पर गयाचौक क नीच थाली म खाना रखा था खान का जी नह कया सीध चौक पर लट गयासोन क को शश कर रहा था पर न द आख स मील र थी

वह ब तर पर लटा तो था पर हर करवट क साथ भ व य का नणय टटोल रहा थाब त बचनी भरी रात थी आज उसक लए ल कन ऐसी पहली रात नह थी पहल भीअतीत म ऐसी कई रात दखी थ प ब र न

आज सबह उठत ही फसला लना था उस कछ समझ नह आ रहा था क या नणयकर उसक अदर कई प ब र एक- सर स उलझ रह थ कछ दर य ही लट रहन क बादउसन उठकर घड़ स पानी नकाला और अपन मह पर मारा वापस गमछ स मह प छकरचौक पर बठ गया सरहान म रखी खनी क ड बी नकाली और हथली म धीर-धीर रगड़त

ए नफा-नकसान का ग णत करन लगा मन म पहला हसाब लगाया अगर जीत गया तोधानी मलगा फकन सह जसा आदमी स मनी मलगा शायद आग चलकर बरची स

भी चनौती मलगा उस लगा यह तो ब त बरा नह ह

पर अब तरत दमाग न स क का सरा पहल पलटाया चनाव जीत जाऊगा

लगभग आध घट मन-ही-मन सार जोड़-तोड़ करक भी जीत क गारट नह पा रहा थाप ब र

अब मन म आन लगा हार गया तो पसा जाएगा फकन सह क मनी तो मलगी हीभनसर नता भी साथ छोड़ दगा लोकल म अपना धधा-पानी भी गड़बड़ होगा फकन सह ककारण बरची भी हरदम साथ लटका रहगा भत क तरह और इस कारण और भी मनबनत रहग समाज म यह मन म आत ही मह क खनी को चौक स बठ-बठ ही जोर स थकाप ब र न माथ पर पसीना था शायद अधर म खनी-चना का अनपात गड़बड़ कर रगड़लया था उसन पनः चौक स उतर घड़ स पानी ल वह क ला करन लगा पाच मनट कबाद मन थोड़ा थर लगा तो वापस ब तर पर लट गया

अब उसका यान आज प षो म सह क दए ताव पर जा रहा था मन बार-बारकह रहा था ठ क ही तो ह महज सालभर पहल गाव आकर सीध इतना कछ मल रहा हयह कम ह या

पर सफ इतन-स तक स ही ब त ठोस फसल तक नह प च पा रहा था प ब र वहम त क क परत को और करदन लगा कभी दल पर हाथ रखकर कछ खोजता तो कभीदोन हाथ सर पर रखकर करवट लता सामन जल रही ढबरी क धीर-धीर म म हो रहीरोशनी म वो ज द स ज द कछ ढढ़ लना चाह रहा था अपन लए मन एक तक उठाता औरसर को पटक दता

ठ क तभी मन म एक और वचार तरता आ कनार लगाldquoहम या थ साला इसी गाव स अनाथ होकर नौ-दस बरस क उमर न भाग थ आज

लखप त बनकर आए जस दरवाजा पर मरा बाप जत दास दहरी पर नीच बठता था उसीघर म प षो म सह क पलग पर बठकर आए ह कल स वह कस पर बठग कौनह रजन का आ आज तक ई औकात इस गाव म इनका तो नता हम रहग ही ना अब कलआग भी बढ़ग सच म साला धान बन अपन ख टया पर बठन स अ छा ह उसका बड़काआर पर दो त बन बराबरी म बठना फकन ब त धोखा करगा तो फर हमार बाप क मडर

का कस भी तो ह साला ज रत पर इसको खोल क हड़काएग नrdquo प ब र अब अपनफसल पर प चन ही वाला था

उस अक मात फर बरची का याल आयाइस बार मन न भरोस स कहा ldquoसाला को दग पसा और समझाएग थोड़ा कड़ा स

मान जाएगा इतना बड़ा भी हीरो थोड़ ह साला हमस बड़ा राजनी त खलन जानता हयाrdquo यह सब गणा-ग णत करत-करत न जान कब आख लग गई प ब र क

इधर सबह बरची आज दर तक सोया आ था सरज चढ़कर आगन आन को थावह एक कौआ खाट क पौआ पर बठकर काव-काव कर रहा था

ldquoओह अर दह पर कौआ-मना बठ रहा ह कतना बसध सोत होrdquo मा क इसआवाज पर करवट बदली बरची न

ldquoअर लो जाग गए ह मात कतना बज गया ओह कतना ब ढ़या सपना दख रह थऔर तम बीच म जगा द rdquo बरची न भोर क ताजा म कान क साथ लट-लट ही कहा

ldquoहा खाली सपना दखो कछ करना-धरना भी ह क नह rdquo मा न मलमली-सी कढ़नक वर म कहा

ldquoअर इतना लबा जदगी ह कर लग न मा कछ पहल सपना तऽ दखन दो ब तदन स साला सब बद कर दए थ दखना अब दख रह ह तो परा भी होगाrdquo

बरची न दोन हाथ उठाकर उ मीद भरी जोर क अगड़ाई लत ए कहा और खाट सउठकर लगी समटता आ खड़ा आ ठ क तभी त कए क नीच स घट क आवाज आईबरची न त कया हटाकर मोबाइल उठाया ldquoहलो हलो हा बॉस बताइएrdquo

ldquoहलो सब ब कल ठ क बरची जी आप बताइए चनाव का तयारी ठ क ह नाrdquoशखर न उधर स कहा

ldquoहा-हा ठ क ह सब महाराज लखन क घर चोरी हो गया ह आप आए नह rdquoबरची न यानवश पछ दया

ldquoअर हम दो दन स बाहर ह वही तो बतान आपको फोन कर रह थ बरची जी हमचनाव म नह रह पाएग हमको कछ ज री काम आ गया ह य नव सट म पपर जमाकरन जाना होगा एकदम अजट ह ब त अफसोस हो रहा ह ओह कतना मजा आ रहाथा चनाव मrdquo शखर न अचानक स द ली या ा क बार म बताया

ldquoओ ओ होhellip हा जी अफसोस तो हमको भी हो रहा ह ल कन च लए खशी काबात ह क आप एक अ छा रा ता नकाल लए कोई बात नह आप पढ़न- लखन परयान द जए पढ़- लखकर हम लोग को रत क रए डायर ट रहन का या ज रत ह हक नह rdquo बरची न हसत-हसत सब कह दया

ldquoनह भाई हम तो एकदम जमीन पर रय लट क साथ चज क लए लड़न वाल हवह तो बस ज री पपर ह इस लए थोड़ाhellip ऐसा मत समझ लना आप क मझ कसी स डरलगता हrdquo शखर न भी शायद सब समझत ए ही कहा

ldquoनह महाराज आप कामरड ह आप लोग नयाभर क पजीवाद स लड़ रह ह यहस र-अ सी बीघा वाला फकन स या ड रएगा आप और आपका वचार तो लड़ ही रहा हना यहा हम लोग ह ही उसक लए आप जाइए अ छ स पपर ल खए फर घघट वालाआदोलन को क रएगा आकर वापस च लए शभ या ा ह लोrdquo बरची न वा य परा करकजवाब सनना चाहा तब तक फोन कट चका था दो-तीन बार फर भी बरची न हलो-हलोक आवाज द उधर स ट-ट क आवाज आ रही थी बरची न हसत ए अपन मोबाइल कोदखा और उस वापस खाट पर उछाल दया

ldquoए माई सनो ना आज खीर खान का मन कर रहा ह र आज बना दो ना माrdquo बरची

लोटा-बा ट उठाकर कए क तरफ जात ए बोलाldquoएह बनवाकर बबाद करता ह खाली खाता-पीता ह नह बस बनवाकर भला जाना

ह अब अभी नह साझ बनाएग रात समय स आ जाना एतना उपकार कर दना ब ढ़यापरrdquo मा न नह स झड़कत ए कहा

बरची हसता आ खत क तरफ नकल गया वापस आ कए पर अभी दातौन ही कररहा था क उसन पीछ खत क रा त रतन दास को अपनी ओर आत दखा उस दख बरचीएक बार तो च क ही गया था ल कन कछ ही मनट म रतन न जो-जो बात उस बता उससतो च कत पर च कता जा रहा था बरची

ldquoभाग साला तम खाली राजनी त ब तया रहा हrdquo बरची न दातौन फकत ए कहाldquo बरची भाई हम गलत नह बोल रह ह झठ बात नकला तो एक बाप का औलाद

नह हमrdquo रतन न ऊपर खल दो बटन क पास छाती ठोककर कहाबरची न ज द -ज द दो-तीन बा ट पानी दह पर डाला और गमछा पहनकर अपन

आगन आ गया वही टगनी पर स ख च कपड़ पहन और झटपट बना कछ खाए घर सहड़बड़ाकर नकला बाहर आ सामन पीपल वाल पड़ स हटकर जहा नटवक आ रहा थालगातार कह कॉल लगान लगा उधर स फोन बद आ रहा था बरची क ाकलता औरचता दोन बढ़ गई थ

रतन दास को आज जगत ही जब पता चला क फकन सह न उसक और प ब र कबीच प तनी जमीन क झगड़ म प ब र को उसक दाव वाली जमीन पर क जा करन कहदया ह तो वह आगबबला हो गया था उस थोड़ पता था क एक ही दन म प ब र उससयादा काम का हो जाएगा फकन सह क लए इसी बौखलाहट म उसन सबह-सबह जाबरची को प ब र और प षो म सह क मलन क बात बता द थी

यह सनकर भी बरची को यक न तो नह ही आ पर अब वह ज द-स-ज द प ब रस मलकर उड़ी अफवाह को शात कर दना चाहता था फोन नह लगन पर वह पदल हीदौड़ता प ब र क घर गया दरवाज पर ही चपा मल गई उसन पछन पर बताया कप ब र भया रात एक बज आए थ और फर भोर पाच बज ही कह नकल ह

बरची वहा स पलटकर नकला फर मोबाइल लगान लगा तभी पीछ स दौड़कर चपान पकारा

ldquoभया ऊ चदन बाबा ठ क ह ना उस दन ब त मारपीट आ था या उसक साथकब आएगा वा पस चदनrdquo चपा न ब त सकचात ए गदन नीच कए धीर स पछा

ldquoअर बाब सब ठ क ह कोई मारपीट नह आ था चदन बस काम स गया ह अपनबआ क यहा आ जाएगा ज द तम झट ठो चता न करो समझी पगलीrdquo बरची न ह कहसी क सग कहा

ldquoहमको काह का चता होगा उसका हा हमार स नाम जोड़ क लोग उसको ब जतकर दए यही सोच खराब तऽ लगगा ही न बरची भया आ खर प ब र भया का दो त ही

तो था चदन बाबा आर पर आ क बठता-उठता था ई कोई गलती ह याrdquo बोलकर चपाझटककर अदर चली गई

बरची न इस पर कछ न कहा कछ पल खड़ा रहा और इसक बाद बरची झटककरतजी स पदल चलत ए घर आया उसन अपनी साइ कल नकाली और लखन क यहाप चा प ब र वहा भी नह था अब वहा स भी नकलकर ट भट ठ क तरफ बढ़ा ही थाक जब म घट बजी

ldquoअर हलो हलो अर भाई कहा ह तम भोर स यार यहा साला रतना या- या सबकोझठ फला रहा ह कछ पता भी ह तमकोrdquo बरची न कॉल उठात ही थोड़ा जोर स हीभड़कत ए कहा

ldquoआप अकबक मत क रए तो पहल बरची जी शात होकर बात क रए या पहाड़टट गया हrdquo प ब र न बना वच लत ए कहा

ldquoअर हद बात ह अर भाई रतना सबको बता रहा ह क तम फकन सह क घर गएथ तमस बात हो गया चनाव छोड़न काrdquo बरची न रतन क कह को बताया

ldquoशात शात होइए आप इतना काह गरम रहत ह आप हरदम रतना का तऽ खलबगड़ गया इस लए पगला क दौड़ब करगा इधर-स-उधर हा ल कन ऊ झठ थोड़ बोल रहाह सही बात ह गाव क हत म सबको मलकर ही रहना चा हए उ बाहरी नता भन र कचाल म नह फसना ह हम लोग को ऊ हम लोग का इ तमाल कर रहा ह अपना राजनी तक लएrdquo प ब र न उधर स कहा

जस कोई बा द का गोला घसा था अभी बरची क कान म शरीर क अदर जसव फोट-सा आ बरची क

ldquo या ऐ प ब र हट मजाक मत करो यार या बोल रह होrdquo एकदम अटक -सीधीमी आवाज नकली बरची क

ldquoकोई मजाक नह ह मजाक तो हमार साथ हो रहा ह साला बमतलब सरा काराजनी त म मोहरा बन गए हार गए तऽ पसा भी जाएगा और जदगीभर का मनी भीआधा गाव स कसा दो त ह आप जो ई सब नह सोचrdquo प ब र न ग स म कहा उधर स

ldquoओ हो ह भगवान अर प ब र यार तम पागल हो गया ह या र सा ला यादागाजा मार लया ह या साला कछ-स-कछ बोल जा रहा ह तमrdquo बरची न जोर स कहा

कनपट क नस तन गई थ एक मट ठ ोध म बद थी मन हो रहा था मोबाइल मघस क पकड़ ल प ब र को और सारी बात पछ

ldquoसा ला कमीनापती कर रह हो यार प ब र तमrdquo बरची जस रो दया था इस बारबोलकर

ldquoऐ तमीज स ब तया यए जरा हमस गाली हमको भी दना आता ह हम इ जत कररह ह तऽ माथा पर म तए मत अर आप या भगत सह बझत ह अपन आपको याद कत ह भाई आपको फकन बाब स अब भी समझा रह ह आपको दस हजार दलवा

रह ह चपचाप पसा ल घर जाकर सत जाइए बाक हम दख लग ठ क न अब जरा ठडादमाग क रए अपना ह लोrdquo प ब र न एक सास म कहा बरची क लए प ब र क महस यह सनना अ व सनीय था वो प ब र को रग-रग स जानता था वो जानता था कप ब र ऐसा नह कर सकता क फकन सह क हाथ बक जाए कछ गड़बड़ी क आशकाबलवती होन लगी उस लगा कछ तो द कत म पड़ गया ह प ब र और यह मजबरी मऐस बोल रहा ह बरची क ऐसा सोचन क पीछ एक ठोस कारण भी था जो उस आज हीथोड़ी दर पहल मला था इस लए वो प ब र म ए इस प रवतन को लकर ग स स यादाच तत हो रहा था यह सब सोचकर बरची फोन पर बना अपना आपा खोए धय स बातकरन क को शश म था

ldquoभाई प ब र तम कसा बात बोलन लग हमको नह ब बास हो रहा तम सचबताओ क या बात ह अर फकन सह का बाप त हार मा-बाप को जलाया था ई बातकस भल सकत हो तम उस हरामी स कस मल सकत हो तम हम गोड़ पड़त ह त हार

या बात ह बताओrdquo बरची न एकदम छटपटात मन स कहाldquoचप र हए आप तो का चाहत ह आप क हमको भी जला द कोईrdquo प ब र न

चीखत ए कहाldquo कसका मा ध पलाया ह जो हमर रहत तमको जला दगा हम तो समझ ही रह थ

क तमको कोई धमका दया ह प ब र तम कहा हो ज द बताओ पहल हम आत हफकन सह का गदन दाब दग एकदम डरना नह तम अर वो जमाना गया जब आग मभज दता था ई लोग कसी क माय-बाप कोrdquo बरची न ोध म जोर स कहा

ldquoआप पगलाना छोड़ द जए अब कोई नह धमका रहा हमको या सबत ह कप षो म सह जलाए हमर माय को खाली झठ बोलकर गाव को भड़काना काम रह गयाह आपका या अर सधर जाइए आप मद अब भी समय हrdquo प ब र न झझलात वर मजोर स कहा

इतना बोलकर का ही था क अब प ब र का मोबाइल उसक हाथ म था ही नह बगल म ही खड़ फकन सह न झपटकर मोबाइल लया और अपन कान पर लगाया

ldquoअर भोसड़ीवाल लगा साल कौन कसको जलाया र यही सब पर उतर आया हतम बीस साल का पराना झठ फला क जहर डाल रहा ह समाज म तम भनसर नता कादलाल बना ह र हरामी कसी को तो नह जलाए ह ल कन तमको भजग ट भट ठा मतमको दखत ह हमrdquo फकन सह ग स म जोर-जोर स बोला ोध म आग-सा लहक रहाथा वो मोबाइल कट चका था तब तक फकन सह क मह स लगातार गाली नकल रहीथी उसन लगभग फकत ए प ब र को मोबाइल वापस दया

एकदम स तभी फर मोबाइल क घट बजी इस पर फकन सह च लायाldquo र जा क ब तयाओ इसस तमको लगता ह न ई समझ जाएगा दख लए या

समझा ई ई हमार बाप क माथा मडर कस खोलगा भोसड़ीवाला बताओ त हारा मा-बाप

का झठा कहानी बना क तमको मोहरा बना रहा इसको सलट लग हम चनाव हो जाएबसrdquo

प ब र एकदम चप था अभी तभी फर घट बजी अबक चार कदम हटकर फोनउठात ही वह च लाया

ldquoअर सबको बबाद करक मा नएगा या सा ला सा ला आपक पगलट स आप भीभग तएगा और हम भी मरग सालाrdquo

ldquoशात शात प ब र हम सारा बात ही समझ गए हमको को तो शका था ही हमया जान क तमको फकन फसाकर रखा ह हम तो हरामी का आवाज सनत ही फोन काट

दए तब न साला हम सोच क तम कस उ टा-सीधा बोल जा रहा ह हम तो समझ ही गएक तमको लकमल कर रहा ह ई कमीना साला ज लाद हमको सब पता चल गया हकशन को पसा द क फकन सह झठ फलवा रहा ह त हर बार म हमको कशन दाससनाया न हम भगाए साल को तम चता न करो कसी तरह नकलो वहा स फर दखतह फकन सह कोrdquo बरची न सारा माजरा लगभग समझत ए ही कहा

ldquoकौन मला कशन दास सनरी गाव वाला ई कहा मला आसाम स आ गया हयाrdquo प ब र एकदम स च क क बोला उधर स

ldquoहा वही ब त पहल आया ह गाव ल कन बोला क प ब र को तो आज ही जानक मलखानपर का ह फर त हार बार म ब तयान लगा साला झट ठा हम तो तब ही तोजान क तमको फकन सह लकमल कर रहा हrdquo

प ब र यह सनत-सनत अभी फकन सह स थोड़ी और र आ गया था मोबाइल कानम लगाए

ldquoअभी कहा ह कशनrdquo प ब र न ाकल हो पछाldquoवापस जा रहा था आसाम बस टड पर मला था यही तो अ छा आ क हरामी

फकन स माल लया और चल भी दया गाव स अब आसामrdquo बरची न राहत क साथकहा

ldquoओह साल को पकड़ क पीटन का मन कर रहा ह मरा खर स नए अब आप सबबात समझ गए ह न क हम कस च कर म पड़ ह हमको ऐसा फसाया ह क या बताएबरची जी द खए अभी तो हम फकन स र हटकर ब तया रह ह हरामी दख रहा ह इधरहीrdquo प ब र का वर एकदम बदल गया था

ldquoहम तो श स ही जान गए थ अब खाली य बताओ ज द स क या आ त हारसाथ आग तब कोई उपाय कर फकन पगला चका ह हार क डर स कछ भी करन तयारह कमीनाrdquo

ldquo बरची जी जगद श और बजनाथ ला क फसा दया हमको एक बार तो मल लएइन सबका टोह लन खा तर ब त लालच दया ल कन हम बना कछ बोल घर चल आएरातभर सोच इसी बीच आज सबह फर पाच बज घर स उठाया ह और जान मारन का

धमक बहन क लए भी धमक दया और ऊपर स ई कशन को खोज लया जो हमारसाथ आसाम म रहता था कछ दन उसी को पसा द कछ स कछ फलवा रहा जो आप जानही गए ई तो अ छा ह क आप ही जान ह और कशन चला गया वापस आसाम ल कनफकन तो यही बात बोलकर हमको लकमल कर रहा ह क अगर चनाव म नह बठ तोसबक बीच झठ फला दगा हम जीत-जी मर रह ह इसक चगल म बरची जी कछ क रएअबrdquo इस बार प ब र अटक-अटककर बोलता आ रो दया था जस

ldquoनह कछ भी हो जाए चनाव म नह सरडर करना ह उसको झठ फलान दो नइसस झाट न कछ बगड़ना ह कशन भी जब ह ही नह तो ब वास कौन करगा फकन कबात पर हम कशन का मोबाइल नबर ल लए ह उसको समझा दग बाद म और तम वहास फटाक नकलो हम भनशर नता को फोन करक बलात ह धमक क खलाफएफआईआर करवाएग और प षो म सह क खलाफ त हार माई वाला मडर कस भीखलवाएग चता न करो भीतर जाएगा दोन बाप-बटाrdquo बरची न दो त को परा भरोसादत ए कहा

ldquo बरची जी हम जो भी बदतमीजी कए ह आपस उसको माफ कर द जएगा ईफकन सह हमको जस-जस बोल रहा था वही करना पड़ रहा थाrdquo प ब र न आस होप ा ाप म कहा आवाज म भारीपन आ गया था गल क भर जान क कारण

ldquoहट पगला माफ कसा हम तो जानत ही थ क कछ गड़बड़ ह अब बस भट करोहमस ज द फकन को पट ट पढ़ा क नकलो ज द rdquo बरची न कहा

अब बरची अपन म स मलन को अधीर हो रहा था सारी परशानी और तनाव कबाद भी इस बात को लकर सकन म था क प ब र क असली मजबरी पता चल गई अबउसका सारा यान इस सम या स नकलन म लगा था उसन त काल मोबाइल नकालकरकह कोई नबर मलाया इधर प ब र क माथ पर पसीना था आख डबडबा क लाल थ अदर स घटन भी थी चहर पर डर का भाव और अभी तक भी बरची जस साथी क होनका भरोसा भी

प ब र मोबाइल जब म रख वह चपचाप खड़ा अभी अपन हालात को लकर एकदमगहन चतन म था तभी पीछ स कसी न कध पर हाथ धरा प ब र पलटा तो य चहर परअजीब-सी शा तर हसी लए फकन सह था दह सहर गई थी प ब र क अचानक पीछस ए इस पश स

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सबह क साढ़ पाच-पौन छह बज रह ह ग लखन क प नी बा ट म पानी ल गोबर सानकरघर क दहरी लीप रही थी सामन दो-चार लोग तज-तज कदम स ठ क उसक ही घर कपीछ वाली गली स होकर नकल रह थ

करीब दस मनट बाद तीन-चार लोग और नकलसब आपस म कछ बदबदात ब तयात जा रह थ ठ क उसी समय लखन आख मलता

ज हाई लता आ बाहर आयाldquoपता नह का बात ह द खए न ढर लोग पछवाड़ स उधर जा रहा ह नद क तरफrdquo

प नी न लखन स य ही कहाldquoहा हम भी उह खसर-पसर सन तऽ उठ इधर गली म बास का ट टया लगा दग एक

बनाकर तब आदमी आना-जाना छोड़गा इधर स रोज का रा ता बना लया ह सबrdquo लखनन बा ट म लोटा डालत ए कहा

ldquoहा सबको इह र ता सझता ह सबको भोर-भोर टहलना जाना होता ह तो हमर गलीपकड़कर जाता ह समचा पालक और ध नया रोपल धाग-दाब क चल जाता ह अधा सबrdquoप नी न चड़ चड़ाए वर म झाड पटकत ए कहा लखन उसक हा म हा कहकर लोट सपानी चहर पर मार अब गमझ स मह प छ रहा था तभी बगल स गणशी महतो आतादखाई पड़ा

ldquoअर या आ ह हो काका आज ढर लोग सब भोर नद काह जा रहा हrdquo लखन नदहरी स उतरकर पछा

ldquoअर चलो-चलो तमको नह पता या अर एक लहास पड़ल ह वहा अब अपन मराह क कोई मारकर फक दया ह पता नह मड़ी बाल म गथल ह पता नह कौन हrdquoगणशी न झटक स चलत-चलत ही कहा

ldquoह भगवान कहा का ह बाहरी आदमी ह या च लए दखत हrdquo बोलत-बोलतलखन भी सग हो लया नद कनार भीड़ लगी ई थी लाश को अब नकालकर कनार लआया गया था लखन तजी स लपककर भीड़ क ठ क पीछ था क एक आदमी न कहा

ldquoर ली जए लखन आइए तो गयाrdquoldquoक ह काकाrdquo लखन झटक म काप गया बोलत एldquoगाजा-दा ल लया इसका जीवनrdquo एक बजग न कहा तब तक तो लखन लाश पर

जा गरा था छाती पीटकर लगा दहाड़ मारन नद का कल-कल वर उस दयभद दहाड़को सन कपसन लगा था जस

ldquoनह हो दादा बरची दादा हो नह हो कस हो गया दादा कहा चल गए दादाकाह ऐसा कए हो दादा ऐ भगवान आय हो भगवान होrdquo लखन का दन आसमान कछाती छलनी कर रहा था

पीछ भीड़ म कोई बदबदाया ldquoनशा म ही डब गया होगा रात को नह बझाया होगाrdquoयह सनत ही लखन क बहती ई आख म जस कोई लाल लावा फटा उसन एक

नजर पीछ पलटकर दखा और फर शव क गाल पर हाथ रखकर रोन लगाldquoनशा म मरा अर इसस यादा होश म कोई नह था गाव म आय आप लोग बोल

रह ह क डब क मर गया बरची दा को आज तक नशा म हलत नह दख थ हम साला ऐबरची दा द खए ना या- या बोल रहा ह सब उ ठए ना दादा सबको बताइए ना आपनशा म नह थ दादाrdquo सीन पर सर पटककर बोलन लगा लखन

बरची क लाश म ऊपर स शरीर पर कह स कोई खर च नह दख रही थी लोगअपन-अपन हसाब स मौत क कारण का अदाजा लगा रह थ तीन-चार लोग न श म हीनश को कारण बता दया तो बाक भी उसी दशा म अपनी-अपनी कहन लग गावभर मह ला हो गया था अब तक नद क पार सकदरपर स भी लोग दौड़ आ रह थ गाव म अबभी जदगी अपना म य रखती थी और उसका खोना आज भी सबस बड़ा नकसान था

गाव का जवान लड़का मरा था अभी पछल दन पचायत म सबस मलन-जलनवाला सबस स य आदमी था बरची हड़कप मचा था मलखानपर म प ब र बदहवासगोली क र तार स बाइक उड़ाता प चा उस दखत ही लोग न रा ता दया शव तक जानका लखन बरची क माथ क पास बठा था उसक सर पर अब भी म का नह बाल मउगली फर रहा था जस दो त थककर सोया आ ह और अभी उठ जाएगा अचानक लखनक उगली न बरची क सर पर कछ फटा-कटा सा महसस कया लखन सर पकड़कर फररोन लगा प ब र चपचाप त ध-सा शव को दख रहा था पीछ स बजनाथ और गणशीकधा छ क ढाढ़स द रह थ सबस य बरची ही तो था प ब र क लए हर सख- ख कासाथी चनाव का सारथी सबकछ तो था

अब तक शव को एकटक दख जा रहा था प ब र भावनाए घनीभत होन म थोड़ासमय ल रही थ शायद करीब पाच मनट क बाद अचानक ही फट क बरसन लगा प ब र

ldquo या बरची जी हमको अकल छोड़कर चल गए आप ही तो खड़ा कए हमकोसमाज म अर चनाव म आपक बना अब का करग हम सब ख म हो गया कस हो गयासब कस हो गया बरची जी ई अनथ कस हो गयाrdquo प ब र अब बरची क शव पर गरक बोल जा रहा था

ldquoयह चनाव सब ल लया प ब र जी रज ट ब त बबाद वाला नकला चनाव काजद गए ख म हो गया हो हमार दो त काrdquo लखन न प ब र क तरफ म त क तरहताकत ए बस जबान स कहा

ldquoउ ठए लखन भाई काक को सभालना होगा बचारी तो बचगी भी नह ई दखकरrdquo

प ब र न भीगी आख स कहा बरची क मा को पता चल चका था र खत क मड़ परवह ब ढ़या सबको आती दखाई द थी कलजा काठ हो गया सबका उस आता दख मा नहाथ म एक बड़ा-सा कटोरा ल रखा था जसम ऊपर तक खीर भरी ई थी

ldquoह हमर बटा को खीर खाना ह खीर बनान बोला था बाब हमारा बाब खीर खाएगाबाब खीर खाएगा न ऐ भीड़ हटाइए न सब बटा हमरा खीर खाएगा एतना भीड़ म कसखाएगा ऐ बरची र बटा दखो न हम आ गए खीर ल कrdquo

र स ही बढ़ लगातार यही बड़बड़ात आ रही थी पीछ-पीछ गाव क दो और यक साथ मध चली आ रही थी ब त रोका-पकड़ा था उन लोग न पर कटोरा भरकर दौड़पड़ी थी बढ़ बरची क शव क पास प चत ही बढ़ हसन लगी और सर सहलाकर बोलनलगी

ldquoही-ही सतल ह अभी तक पगला काल भी दर तक सतल था पगला लखन जगाओना इसको रात स खीर बनाकर बठ ह इसका यही आदत खराब ह हरदम बनवा लता हऔर आता नह ह खान इसको खीर खला दो ना बटाrdquo

यह य दखना काल क रता को नल ज होकर ताडव करत दखना था पाषाणदय भी फटकर आख स पानी गरा रहा था बरची क मा अब शव को झकझोरन लगी

च मच स खीर लकर मह म डालन लगीldquoऐ लखन दखो न हमस ग सा गया ह र हमर गलती था दन म खीर बोला था नह

बनाए हम दन म बनात तो बचारा खा लता न ग सा हो क सो गया तम जगाकर खलादो ना बाब तमरा दो त ह बात सन लगा उठाओ न इसको उठाओ न आय हो बटा बटाहो दादाrdquo मा खीर का कटोरा सीन पर रख अब शव स लपटकर चीखन लगी थी

ldquoमत करो काक मत करो ऐस काक मत बोलो कछ हम मर जाएग काक हमकोमार दो काक काक मरा दो त मर गया ना काक बरची दा मर गया ह काक rdquo लखनपागल क तरह दहाड़ मारकर रोत ए बोला

वधाता भी पता नह कस इतनी ासद रचता ह दवता अगर दवता ह तो वह इतनान र कस ह या म य इतनी आवारा ह या मरण इतना बगड़ल ह जो दवता क हाथनह दव क भी नह सनता या दवता अपन दवता नह होन का माण द रह थ अगरयही स य ह तो स य कड़वा होता ह ल कन उस इतना र तो नह होना चा हए

वहा जमा भीड़ म ग आ व पहन एक साध बड़ी दर स झाक रहा था उसननजद क स शव को दखा तो सहसा च क गया

बना कसी क तरफ दख वह बोल उठाldquoअर यह तो वही ह भ धन का प का समय का पाबद हम ही दर स आए नह

मल पाए औघड़ था का नह र माता काह रोती हो अर औघड़ था ई य मरा नह हचल दया ह ई तो पजड़ा ह मात पछ तोड़कर उड़ गया काह रोती हो बजान दह परमाथा पटक तमको या क मात जय राम जय रामrdquo एक-दो लोग साध को ऐसा बोलत

दख कनार ल आए उस दमाग स ढ ला ही जान थोड़ी दर चप हो जान को समझान लगसाध ल कन बोलता रहाldquoअर बध हम प र चत ह इसस महीन पहल जब म यरा म त हारा गाव मरघट क

तरह चप और बदहोश सोया था और चार तरफ मदाही स ाटा था तब यही एक अघोर थाजो अधर म भी रोशनी खोजता हमस मलन आ गया था उस कलमही अधरी रात म भीकह कोन म र जलती ई एक म म-सी ढबरी क पास मट ठ भर उजाला खोजत एकोई औघड़ ही आ सकता हrdquo लगातार इतना बोलकर साध खद कनार जा अपना झोला-सारगी रख बठ गया

तभी एक साथ दो-तीन गा ड़य क आवाज सनाई द गाड़ी स उतरकर कम सहऔर प षो म सह वहा प च ठ क पीछ बाइक पर जगद श यादव और काशी साह थएक टर पर सकदरपर स कछ लोग आए थ सबक चहर पर शोक था म य पर ख

करन क अलावा और कोई वक प होता भी नह हldquoकोई भी हो कसी नौजवान का असमय मर जाना खद ह ब त खद ह अब

ज द अ तम स कार करना होगा बढ़ मा क आग इतना दर लास रखना ठ क नह rdquo आतही प षो म सह न समझदारी भर ख स कहा

ldquoहा बचारी बढ़ को सभा लए कोई लाश क पास बठाना ठ क नह हटा ली जएवहा स कस बदा त करगी बचारी बरची का इस तरह जाना ब त ख आ कसा भीथा ल कन गाव का ही तो थाrdquo कम सह न भी शोक जतान का दा य व नभात ए कहा

ठ क तभी दारोगा पारसनाथ क जीप घरघराती ई वहा घसीldquoअर पारस बाब आप आपको कस पता चलाrdquo फकन सह न दारोगा को जीप स

उतरता दखत ही कहाldquoली जए अर प लस ह महाराज कोनो बराती थोड़ ह जो योता मलन पर आएग

चोरी ह या बला कार ई सब तो सघकर प चना पड़ता ह हम लोग को ककर तो सालाझठ फमस ह सघन म हम लोग क आग ककर या सघगा और जस दन ई सघन काश खतम आ प लस का उस दन स भखल मरगा प लस साशन हा-हा-हाrdquo दारोगापारसनाथ न ठहाका लगाकर कहा नद क कनार पड़ शव क सामन छाई मातमी च पी कबीच यह ठहाका बड़ा फहड़ और रा सी था

दारोगा पारसनाथ न आत ही अपनी ड यट का म तद स पालन श कर दयाldquoका ह मडर ह क ए सीडट ह या ससाइड ह च लए ह टए सब लोग लाश क

पास स हटो हटो पीछ सबrdquo पारसनाथ न शव क पास जाकर कहाldquoबीमारी होगा शरीर स कमजोर श स था पीता भी ब हसाब था ओह काश हम

लोग बचा पात बचारा कोrdquo प षो म सह न काम भर का ख पनः जताया और म य काअ ात कारण ात कर बता भी दया

ldquoमडर ह मडर आ ह कोई बीमारी नह था इसको अब तो दा -गाजा भी छोड़न

लगा था बरची दा मडर ह मा लक काह नह समझ रह ह आप लोगrdquo तब स शात बठालखन अचानक स फर च ला- च लाकर बोलन लगा

ldquoअ छा वह तो पता चल जाएगा चलो बॉडी का पचनामा करो ज द पो टमाटम मजाएगाrdquo दारोगा पारसनाथ न अपन सपाही स कहा

तभी प षो म सह क माथ पर थोड़ा-सा बल पड़ता दखाई दया सामन शव सलपट बढ़ मा लगभग बहोश पड़ी ई थी शव को पो टमाटम क लए उठान को दोसपाही हरकत म आन लग तभी प षो म सह न फकन को कछ इशारा कया सकतमलत ही फकन सह चार कदम चल दारोगा पारसनाथ क नकट आया और हाथ पकड़करकछ र चल उ ह कनार ल आया दोन न सात-आठ मनट बात क होगी

वापस दारोगा पारसनाथ बट पटकत ए गभीर चहरा लए शव क पास आकर खड़ होगए

ldquoह म मन नशा ब त करता था या सब लोग जसा क बता रह ह दन-रात वालाहसाब था इसका या यही नाrdquo पारसनाथ न जनता-जनादन का मत जानना चाहा थाभीड़ स हा ह यए ह जसी आई कई आवाज न अनमोदन कया

ldquoसर सर मडर आ ह कोई नशा का बात नह ह आइए न आइए द खए न माथापर चोट ह द खए ना खन लगा ह अ भयोrdquo लखन फर जोर स फफककर बोला

ldquoचप यार तम साथ गाजा पीता था तम या रrdquo पारसनाथ न चड़ चड़ाए वर मकहा

ldquoसबस करीबी यही तो था बचारा इसी क झोपड़ी म जद गए गजरा बरची काrdquoभीड़ स कसी स कहा

ldquoओ तब न सबस जादा सदमा लगा ह इसको दमाग पर जोर पड़ गया होगासोभा वक बात ह ठह रए इसको शा त स समझाना न होगा जी अर बाब ई नशा म आयानद कनार खा-पीकर गर गया प थर पर गरा कपार म चोट लगा न हमरज हो गयामर गया इसम मडर कहा हrdquo दारोगा पारसनाथ न लखन क एकदम पास जा झकत एउसक कध पर हाथ रख कहा

दारोगा पारसनाथ न अपन हसाब स म य का असली कारण लगभग बता दया थाअब कोई सशय ही नह रहा कसी क लए भारत म कोई आदमी मरगा कस यह योजनाबनान का ज मा भल यमराज क पास ह ल कन कोई आदमी मरा कस यह बतान काअ धकार प लस क पास होता ह यमराज न भल ही आदमी को जस तरह भी मारा हो परयहा मा य वही होता जो दारोगा क रपोट म लखा हो कानन यमराज को नह दारोगा कलखी ट को मा यता दता था दारोगा रोड ए सीडट क मौत को खजर क पड़ सगरकर मौत लख द तो नीच अदालत स लकर ऊपर च ग त तक को वही लखना पड़ताथा ल कन वहा खड़ कछ ामीण भी अब लखन क बार-बार कहन पर थोड़ा सोचन लगऔर पो टमाटम करवा लन को कहन लग

अब प षो म सह स रहा न गयाldquoपारस बाब इस बढ़ मा को द खए एक तो जवान बटा मर गया अब या लाश का

भी ग त कर क द इसको या बचारी को बटा का लाश भी काट-पीटकर मल हवा नयतहो जाएगा ई दरोगा साहब या ब ढ़या ई सब बरदा त कर पाएगी अर दया क रए पारसबाब हाथ जोड़त ह हम बढ़ मा पर दया कर आपrdquo कहत-कहत आख भीग गप षो म बाब क

अब यह सन तो नम ही भी रो दता दारोगा का भी तो दल होता ही ह हर समयसबकछ प थर थोड़ होता ह पारसनाथ पसीज गए कलजा पघलकर व स भी यादापतला हो गया था बाक ामीण भी भावक हो चक थ

ldquoआधा घटा म दाह स कार करक हटाइए सब अब ई ददनाक माहौल दखा नहजाएगा हमस अपना बीस साल का नौकरी म ब त कम ही दख ह इतना दद बाला सीन ऐबढ़ को सभा लए भाई आप लोगrdquo दारोगा पारसनाथ भर गल स बोल

यह सनत ही वहा खड़ी भीड़ आपस म दारोगा क इस मानवता क चचा करन लगीप लस क इसा नयत पर भी लोग आह-वाह करन लग सपाही-दारोगा क साय तक सभागत गाव को पारसनाथ न प लस का वह मानवीय चहरा दखा दया था जो ामीण नस दय म कभी नह दखा था

तरत लक ड़या लान क ज मदारी लकड़कट टा काशी साह पर थी समाज क लए वोहमशा दौड़न को तयार ही था तरत एक टर ल वो वह स तीन सौ मीटर क री परबास क झरमट क पास गया वह स आनन-फानन म ज द -ज द लक ड़या लाकर चतासजाई गई शव को चता पर रख अब अ न दन क बारी थी

प ब र अपन धम नभान को खड़ा था एक बार लखन नकलकर आग आया ल कनउसन प ब र क साथ बरची को वापस जीवन जीत ए दखा था इस लए प ब र का हकबनता था दो त को वदाई दन का प ब र न ही तो साल स अवसाद म डब नकारा हो चकबरची को वापस जदगी द थी प ब र चता क पास खड़ होकर फट-फटकर रोन लगाहाथ म अ न थी

ldquoहम एक बात कहना चाहत ह सबस अब तो हमारा दो त नह रहा इसी क कारणआज समाज म चनाव म हर जगह खड़ा ए अब कछ नह चा हए हमको आग लगचनाव म एक बात और आज हम प षो म बाब का भी बड़ा दल दख लए य लोगहमको भी घर बला क समझाए इ जत दए हम बकार म लड़न चल दए अपन ही भाईफकन भया स यही बात हम बरची जी को भी बताना चाहत थ बरची जी को इनसमलवान खा तर खोज ही रह थ क ई अनथ ह भगवान अब हम चाहत ह सारा मन काभद ख म कर गाव म एकता हो इसी म बरची जी क आ मा को भी शा त मलगा हमारादो त बरची आ खर गाव का भला ही तो चाहता था आज दो त क चता क सामन कसमखाता क कोई चनाव नह लड़ना हमको अब बरची जी होhelliprdquo प ब र न रोत-रोत कहाऔर वही थोड़ी र हटकर बसध बठ गया लोग न उस सभाला और उठाकर फर चता क

पास ल आए प ब र न कापत हाथ स मखा न द दो त कोचता म आग पकड़त ही लोकत म उसका वप बरची क साथ साथ ध-ध कर

जलन लगा परा गाव मशान म एक साथ खड़ा था मशान म ही चता क भ म स फकनसह का राज तलक हो चका था

द लत चतना सामतवाद स ा क माला म गथ चक थी जस वीर फकन न धारण करलया था

चमटोली वह रह गई प ब र दास आग नकल आया था ठाकर साब क साथ कसक बराबरी पर

कमजोर और द लत क लड़ाई चता प जल रही थी कमजोर का नता मजबत होकरनकला था यही तो थी सामा जक याय क लड़ाई पहल अगआ आग जाएगा समाजभारी वशाल चीज ह धीर-धीर बढ़गा ठ क वस ही जस आजाद क इन स र साल मबढ़ रहा था प ब र क र तार एक नता क र तार थी दब-कचल पछड़ जन क उतनीभारी आका ा और उ मीद को साथ लादकर तजी स कौन दौड़ सकता ह भला प ब र नत काल य बोझा उतार दया उ मीद और सघष क गठरी शव क सग भ म ई जा रही थी

फकन सह न चता क सामन खड़ दो त क मौत स शोकाकल प ब र को पीछ ससहानभ त भरा पश द उसक कध को छआ प ब र पलटकर फफकता आ फकन कसीन स लपट गया राजनी त कतनी नमल ह छआछत ऐस ही धो दती ह राजनी तकतनी धारदार ह एक 56 इच क ठकराई फौलाद सीन म भी इतना छद कर दती ह कएक द लत बड़ म स उसम घस सक भल टोला समाज वाल द लत वह खड़ ह दहरी कनीच च पल खोल क राजनी त वाला दहरी स ऊपर दल तक प च गया

अब भी लोकत जदाबाद य न कह हम

घट-दो घट क ही बाद नद अब अकली थी उसक कनार थी धीर-धीर राख हो रहीएक पागल क अधजली चता और वह एक छोट-स प थर पर बठा आ एक औरमतवाला

तब स दनभर वह बठा साध अब नद म नान कर सारगी ल पनः प थर पर बठ गयाथा पता नह उसक अतमन क तार सारगी क तार स मल या गान लग एक अजब-सीधन बजान लगा साध और गान लगा

यही नद क तीर र साधो यही नद क तीरहमन दखा बहता नीर दखा बहता नीरभरा कटोरा जगत का यागा चल गया म त फक रर साध यही नद क तीरएक घनघोरअधर को चीर नकला भोर अघोरफाक मट ट पा गया म बन ह ला बन शोरजोऔघड़ को बाधन पाए ऐसी ना कोई जजीरर साधhellip

चता क आग अब ठडी हो चक थी साध न सारगी रख थोड़ी-सी राख हाथ सखखोरकर बटोरी और उस नद म वा हत कया

रात आ खर बरची क साथ या आ थाmdashयह काली कहानी उसी राख क साथ बहचक थी बरची प ब र स बात करक फर शाम तक लखन क पास बठा रहा था वहा सकरीब 700 बज वह सकदरपर को नकलन वाला था भवन र नता स मलन क लएअभी वह रा त म ही था क प ब र का फोन आया प ब र न उस बताया क फकन कोहम पर शक हो गया ह इस लए रात को मलत ह उसक बाद ही भवन र नता स हम दोनमलन चलग

बरची यह सनकर भवन र नता क पास नह गया वह सकदरपर म ही कसी औरक घर पर बठकर समय काटता चनाव क चचा करन लगा

रात क ठ क नौ बज प ब र न उस फोन कर नद क कनार बलाया था फोन का हीइतजार कर रहा बरची साढ़ नौ बज क आसपास नद क पास प चा ल कन वहा प चतही उसन दखा क अधर म सात-आठ लोग खड़ थ बरची को समझत दर न लगी वह जोरस गाली दकर उ ट पाव भागन को मड़ा अभी दौड़ा ही था क पाव गड ढ म लगा और वहगर पड़ा पीछ स दौड़कर बोगा पहलवान न पट पर लात मारी और दो लोग न हाथ-परपकड़कर घसीटना श कया इतन म सामन फकन आ गया था उसन छह-सात घस महपर मार बरची गाली दए जा रहा था बरची न एक बार गदन घमाकर फकन सह सपछा

ldquoप ब र कहा ह साल फकन सह याद रखना प ब रवा तमस बड़ा हरामी हrdquoयह सनकर फकन सह बरची का गला दबान लगा फकन सह न कहा ldquoजान मार

दग त हारा र हरामी सधरगा क नह तम सधर जाओ भोसड़ीवालrdquoतभी पीछ स आवाज आई ldquoआप इसको सधारन बलाए ह अर सम या को ख म

क रए फकन बाब नह तो रोज लकमल करगा आपको हमार ही माय का मडर वाला मटरउठाकर तब हम भी या करग भवन र नता कस खलवा दगा तो जीवनभर का जतरहगा दखत या ह आप ख म क रए रोज का झझट कसर ह सालाrdquo

तीन लोग बरची को पकड़ ए थ और उसक गदन पर फकन सह क पकड़ कसीजा रही थी फकन सह भी पसीन स नहा चका था तभी कसी तरह ग -ग करत एबरची न फस गल स कहा

ldquoतम यही ह र गद दार बतात ह सबको त हारा असली प कशना सही हीhelliprdquoइतना ही कहा था अभी बरची न क एक जोर क आवाज क साथ कछ उसक सर सटकराया पीछ प ब र हाथ झाड़ रहा था प थर का बड़ा-सा टकड़ा ठ क बरची क आगपड़ा था फकन सह न महसस कया क बरची का तरोध ढ ला पड़ रहा ह फकन सहन झट गदन स हाथ हटाया बरची लढ़ककर जमीन छ चका था फकन सह न तो उसकहाथ-पाव तोड़कर घर बठा दन क योजना बनाकर बलवाया था उस प ब र क ारा यहातो अनहोनी हो गई थी सब पीछ हट और एक बार तो घबरा ही गए सफ एक आदमीप ब र था जो ब कल थर था और सहज भी प ब र क लए यह पहला मौका नह थाजब सामन कोई लाश पड़ी हो और वो शट क बाह मोड़कर हाथ झाड़ता खड़ा हो वो तो

आज भी इसक लए तयार होकर ही आया थाअसम क सोनारी शहर क प लस को पछल डढ़ साल स रजीत सह नाम क फज

पहचान प वाल अपराधी क खोज थी जो अपन ढाबा मा लक क ह या करक तरह लाखपए और कछ सोन-चाद क जवर उसक घर स ल भागा था वो रजीत सह कछ महीन

प लस स भागकर ग आ चोला पहन कामा या म दर क पास साध क सग भी रहा थावह कसी ता क स उसन सना था क म दर नमाण स ह या का पाप कट जाता ह बरचीअसम जात कशन स बस टड पर सयोगवश मल गया था और उसस यही कहानी जानगया था प ब र दास का यह सच जानन वाला एक आदमी कशन दास असम जा चका थाऔर सरा बरची इस नया स ही सबह उसक लाश मली थी नद कनार अगर गलतीस भी बरची तनातनी म प ब र का आपरा धक इ तहास गाव-पचायत क सामन खोल दतातो उसका बना-बनाया जीवन तबाह हो जाता उसन सालभर म जो भी गाव म हा सलकया था वो तो लटता ही वह जल भी जाता यह भान होत ही प ब र न तय कर लया थाक जदगी म इतन कम-ककम कर म कल स पाई चीज य ही नह जान दगा बरची को हीवदा कर दगा

प ब र न बड़ी चालाक स इस घटना को फकन सह क उप थ त म ही अजामदया जसस अगर कभी बाद म उसका राज खल भी जाए तो वह फकन सह को भीबरची क ह या म शा मल होन का डर दखा उस ढाल बनाकर साथ रख सक त काल भीइसी भय क कारण ही तो बाप-बट न खद लगकर ज द स दाह स कार करवाया था उनकोडर था क अगर नता भवन र प च गया तो फर बखड़ा खड़ा करगा और पो टमाटम कमाग करगा ही

इधर परा मामला ज द नपटान क लए पर पचास हजार लए थ दारोगा पारसनाथन तब कह जाकर दय पघला था उनका इतन कम पए म प लस अगर मानवीय होजाए तो ब त महगा सौदा भी नह था

इधर आज क रात मलखानपर म कई घर म वा तव म च हा भी नह जला गाव कछोर पर सयार आ- आ कर रह थ गली म क क रोन क आवाज रात को खौफनाकबना रही थी

रात को ही पता चला क बरची क मा भी बट क पास चली गई हआज स तीस-ब ीस साल पहल एक अकली जवान मा गोद म एक ब चा लए गाव

आई थी न जा त का पता था न उसक खानदान का आज भी बना कसी जा त बनाकसी खानदान क दोन मा-बट एक साथ गाव स वदा हो गए थ

13 दन बाद

रात क 1130 बज थ प षो म सह क प नी आगन म कछ सामान लन गई थी तभीउस लगा क हात क पास कछ आक त जसी दखी हो उसन करीब जाकर द वार क पारझाका झाकत ही वह बदहवास उ ट पाव च लाकर दौड़ी घर क लोग तब तक लगभग सोचक थ आवाज सनकर सबस पहल प षो म सह हड़बड़ाकर जाग

ldquoअर या आ अर आ या काह च लाए हrdquo प षो म सह न अपन कमर सबाहर आकर पछा

ldquoअजी बर चया बर चया को दख हम वहा ह वहा खड़ा हrdquo णभर म पसीन सनहा चक डर स थर-थर काप रही प नी माला दवी न बताया

ldquoका दमाग खराब ह या त हारा माrdquo तब तक उठकर आ चका फकन सह अदरक बरामद स बोला बाप-बट न लाठ -टॉच लकर पीछ जाकर दखा

फकन सह लपक क द वार पर चढ़ा और प षो म सह एक ऊचा टल लकर टॉचमारन लग एक जगह टाच जात ही सहर उठ दोन द वार का एक कोना भीगा आ थाफकन सह तो दखत ही द वार स कदकर आगन म आ गया था प षो म सह न कापतकलज को सभालत ए एक बार सीधी रखा म टाच मारी उ ह भी लगा क कोई आदमीकाला कबल ओढ़ र खत क ओर स नकल रहा ह प षो म सह को भी जो दखा उसपर खद भी यक न नह कर पा रह थhellipआ खर कौन था वो आदमी कोई तो था

बाप-बट अदर स हल चक थ पसीन स तरबतर एक- सर का मह दख रह थद वार अब भी खतर म थी

जय हो

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