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Date post: 14-Apr-2022
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आसामक मैथल नाटक ( अंकया नाट ) अंकया नाट वप :- मथलांचल सँ दूर भारतक पूवर देशमे जाह नाटकक वकास भेल ओह नाटकक नामकरण ववान लोकन अंकया नाट कएल डॉ० वरंच मार बआ अंकया नाटक संदभ मे लखैत छथ - " जे ययप आसाम मय शंकरदेव तथा अयाय वैणव वारा रचत नाटक अंकया नाट नामे अभहत अछ तथाप एकरा संक तक ' अंक ' चारक नाटक सँ कोनो संबंध नह अछ ायः अंकया ' आंगक ' शदक अछ जे आंगक अभनय सँ संबंधत अछ एह नाटक अंक वभाजन सँ कोनो मतलब नह अछ " अंकया नाट एकांक नाट थक जाहमे थक - थक योजनाक सेहो अवकाश नह छलैक , अथात अंकया नाट संपूण एके बेर होइत छल वैणव धमक चाराथ लखत आंगक अभनय सँ परपूण एकांक नाटक थक , आसामक अंकया नाट 16 शताद मे वैणव धमक चाराथ अंकया नाट रचना कएल गेल एह कारक नाटकक कथावतु मुयतः वणुक अवतार , राम शवक जीवन पर आधारत अछ भागवत हरवंश सँ एह कथा सभ मुय पसँ लेल जाइत छल अंकया नाट आद रचयता भेलाह शंकरदेव जे वैणव धमक सभसँ मुख संतक पमे यात छथ अंकया नाट रचना सँ पूव हनक नाटकय दशन भेल चन यााक नाम सँ चन याा सँ तापय भेल चत पट सँ युत रंगमंच पर याा रतक अभनय जे 15 शताद मे होइत छल चन याा पचात अंकया नाट पमे यथोचत संगीत , कथोपकथन सँ युत भए वकसत भेल अंकया नाट सँ पूव आसाम मे काय शाक जन सामाय मे सवर पाठक परपाट छल एह कारक कायक शंकरदेव वयं सेहो आसामी भाषा मे रचना कएने छलाह कतु पचात नाटक वैणव धमक चारक अपेाक अधक भावपूण साधन बुझ अपनाओल अंकया नाट रचना सँ पूव शंकरदेव बारह वष धर देशक वभन भाग मे याा कएने छलाह , जाह ममे मथला सेहो आएल छलाह एवं एह ठाम अभनत होइत नाटक देख पूण भावत भेल छलाह ओह समय मे चलत अय नाटक यथा - रामलला , रासलला , याा , कथक , गान , भागवत आदसँ तव हण कए वतं अंकया नाट थापना कएलन आसाम मय सेहो कतेको कारक अभनय णाल चलत छलैक यथा देवधानी नाच एवं ओजा पाल एह मय ओजापाल बड़ सध छलैक ओजा , ओझा वा झाक असमी उचारण थक मथलाक ामण मंडल ओह ठाम जाह कारक नाचक अभनय करैत छलाह , सएह भेल ओजापाल आसाम मे मैथल भाषाक चार सार तथा मैथल मे नाटक रचनाक पाछाँ वयापतक गीत सँ आसामक कव पूण भावत भेलाह तथा नक गीतक भाषा सेहो वैणव भजनक लेल उपयुत बुझल गेल शीे चा दससँ ववान सभ नका पाछाँ दौड़लाह नेपाल तथा तबती ववान लोकन सेहो छलाह , कामपक ववान सेहो नह पछु एलाह अनेको साहियक ऐतहासक माण सँ बात पुट होइत अछ जे कामप सँ ववान लोकन मथला अएलाह तथा मैथल भाषा सखलन
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