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CA... · 4 • इस हल्दी की खेती इरोड के कुछ...

Date post: 12-Mar-2020
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दैनिक सामनिकी िपूीएससी आईएएस की तैिारी के लििे

11.03.2019

1. मध् ि प्रदेश: प्राचीि जिजातीि भाषा, गोंडी को जिजातीि जजिों में पढािा जाएगा।

• मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कक गोंडी भाषा को राज्य के जनजातीय बाहुल् य जजलों के प्राथममक मशक्षा पाठ्यक्रम में शाममल ककया जाएगा।

• इस जनजातीय भाषा का दजाा, इस भाषा को बोलने वाले लोगो की संख् या के साथ बहुत तजेी से घट रहा है।

संबंधित जािकारी गोंड जिजानत

• गोंडी या गोंड लोग अनुसूचित जनजातत के रूप में सूिीबद्ध भारत के आददवासी (स्वदेशी लोग) हैं।

• वे मध्य प्रदेश, पूवी महाराष्ट्र (ववदभा), छत्तीसगढ़,

उत्तर प्रदेश, तलेंगाना, आंध्र प्रदेश, बबहार और उडीसा राज्यों में फैले हुए हैं।

िोट: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने तनणाय मलया है कक अंतरााष्ट् रीय वैजववक स् वदेशी व् यजक्त ददवस प्रत् येक वषा 9 अगस्त को मनाया जाएगा। टॉपपक- जी.एस. पेपर 1 – किा एवं संस् कृनत

स्रोत- ए.आई.आर. 2. भारत कूलिगं एक्शि प्िाि (आई.सी.ए.पी.)

• आई.सी.ए.पी. का व्यापक लक्ष्य समाज के मलए पयाावरणीय और सामाजजक-आचथाक लाभों को प्राप् त करत े हुए सभी के मलए स्थायी शीतलन एव ंउष्ट् मीय सुववधा प्रदान करना है।

• यह 20 साल की समय सीमा के साथ ऊजाा दक्षता और बेहतर प्रौद्योचगकी ववकल्पों को बढ़ावा देत ेहुए सभी क्षते्रों में सतत शीतलन के प्रतत एकीकृत दृजष्ट्टकोण प्रदान करता है, इन क्षेत्रों में ठंडक की मांग में कमी, शीतलन संक्रमण को पारस् पररक रूप से शाममल ककया गया है।

• भारत कूमलगं एक्शन में शाममल है:

1. वषा 2037-38 तक इन सभी क्षेत्रों शीतलन की मांग को 20% से 25% तक कम करना

2. वषा 2037-38 तक रेफ्रीजजरेंट की मांग को 25% से 30% तक कम करना

3. वषा 2037-38 तक शीतलन ऊजाा आववयकताओं को 25% से 40% तक कम करना,

4. राष्ट्रीय एस. एंड टी. कायाक्रम के अंतगात अनुसंधान के एक व् यापक क्षेत्र के रूप में "शीतलन एवं संबंचधत क्षेत्रों" की पहिान करना,

5. कौशल भारत ममशन के साथ तालमेल करत ेहुए वषा 2022-23 तक 100,000 सेवा क्षेत्र तकनीमशयनों का प्रमशक्षण और प्रमाणन करना

पिाावरणीि िाभ

• सभी के मलए उष्ट् मीय सुववधा- ई.डब्लल्यू.एस. और एल.आई.जी. आवास के मलए शीतलन का प्रावधान

• स्थायी शीतलन- शीतलन से संबंचधत तनम् न जी.एि.जी. उत्सजान

• ककसानों की आय दोगुनी करना- शीतलन श्ृंखला ढांि ेको बेहतर बनाना- ककसानों को उत्पादों का बेहतर मूल्य देना और उपज का कम अपव्यय करना

• बेहतर आजीववका एवं पयाावरणीय संरक्षण के मलए कुशल कमािारी

• मेक इन इंडडया- एयर-कंडीशतनगं और संबंचधत शीतलन उपकरणों का स् वदेशी ववतनमााण

• वैकजल्पक शीतलन प्रौद्योचगककयों पर अनुसंधान और ववकास को मजबूती प्रदान करना- शीतलन क्षेत्र में नवािार को गतत प्रदान करन ेहेतु

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत-पी.आई.बी. 3. आदशा आचार संहिता • 17वीं लोकसभा के िुनाव 11 अप्रैल से 19 मई

तक पूरे देश में सात िरणों में आयोजजत ककए जाएंगे।

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आदशा आचार संहिता क्िा िै?

• आदशा आिार संदहता, भारत तनवाािन आयोग द्वारा िुनावों के दौरान मुख्य रूप से भाषण,

मतदान ददवस, मतदान कें द्र, िुनाव घोषणापत्र,

जुलूस और सामान्य आिरण के संदभा में राजनीततक दलों और उनके प्रत् यामशयों के आिरण को ववतनयममत करने के मलए जारी ककए गए ददशातनदेशों का एक समूह है।

• इसका उद्देवय स्वतंत्र और तनष्ट्पक्ष िुनाव सुतनजवित करना है।

• आयोग द्वारा िुनाव कायाक्रम की घोषणा करने के तुरंत बाद आदशा आिार संदहता लागू हो जाती है।

• िुनाव आयोग ने ऐसी घोषणा की है कक आदशा आिार संदहता उन राज्यों में तुरंत लाग ूहो जाती है जहां समय से पहले ववधानसभा को भंग कर ददया जाता है।

• िुनावों के पररणाम घोवषत होने तक आिार सदंहता लागू रहती है।

पषृ्ठभूलम

• आयोग ने पहली बार वषा 1971 (5वें िुनाव) में आिार संदहता जारी की थी और इसे समय-समय पर संशोचधत ककया जाता रहा है।

• उक्त कोड में सजन्नदहत मसद्धांतों का पालन करन ेवाले राजनीततक दलों की सवासम्मतत के साथ ही मानदंडो का यह समूह ववकमसत ककया गया है और यह उन्हें अपने पत्र और आत्मा में इसका सम्मान और तनरीक्षण करन ेके मलए भी बाध्य करता है।

कािूिी दजाा • इस संदहता का कोई ववमशष्ट्ट संवधैातनक आधार नहीं है। • एम.सी.सी. कानून द्वारा प्रवतानीय नहीं है। • हालांकक, भारतीय दंड संदहता, 1860, अपराचधक

प्रकक्रया संदहता, 1973 और जन प्रतततनचधत्व अचधतनयम, 1951 जैसे अन्य कानूनों में संगत प्रावधानों को शाममल करने के माध् यम से एम.सी.सी. के तनजवित प्रावधानों को लागू ककया जा सकता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत- द हिदं ू

4. िासा िे पििी बार पराध् वनिक शॉक तरंगो की िवा से िवा में तस् वीरें खींची िैं।

• नासा ने दो पराध् वतनक ववमानों से तनकलने वाली शॉक तरंगों की परस् पर कक्रया की अभूतपूवा तस्वीरें खींिी हैं, गजानाकार ध् वतनक आवाजों (सोतनक बूम) के बबना ध् वतन से तजे गतत से उड सकन ेवाले ववमानों को ववकमसत करन ेमें नासा के इस अनुसंधान का दहस् सा है।

िि तरंगें कब उत्पन्ि िोती िैं?

• जब कोई ववमान समुद्र स् तर पर लगभग 1225 कक.मी./घं. की िाल स ेदेहली सीमा को पार करता है, तो यह अपन ेिारों ओर की हवा पर अपन ेद्वारा डाले गए दबाव स ेतरंगे उत् पन् न करता है।

संबंधित जािकारी सोनिक बूम क्िा िै?

• ध्वतन की गतत से तेज गतत से यात्रा करन ेवाले वायुयानों द्वारा उत् पाददत 'शॉक तरंगों' द्वारा उत् पन् न तजे ध् वतन का सामान् य नाम सोतनक बूम है (ध् वतन की गतत लगभग 332 मी./से. अथवा 1195 कक.मी./घं.)।

• इन गततयों को पराध् वतनक (सुपरसोतनक) गतत कहा जाता है, अत: इस पररघटना को कभी-कभी सुपरसोतनक बूम भी कहा जाता है।

• सोतनक बूम कभी-कभी बहुत जोर आवाज के हो सकत ेहैं। एक वाणणजज्यक पराध् वतनक पररवहन ववमान (एस.एस.टी.) 136 डमेसबल की तीव्रता तक की ध् वतन उत् पन् न कर सकता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- द हिदं ू

5. मरािुर गुड़ और इरोड िल् दी को जी.आई. टैग प्रदाि ककिा गिा िै।

• मरायुर गुड और इरोड हल्दी को भौगोमलक-संकेत रजजस्री से भौगोमलक संकेत (जी.आई. टैग) प्रदान ककया गया है।

इरोड िल्दी • इरोड हल्दी को इसके आकार, रंग, गुणवत्ता और

उबालने के बाद कीटों के प्रतत प्रततरोध के संदभा में इसकी ववमशष्ट्टता के कारण टैग प्रदान ककया गया है।

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• इस हल्दी की खेती इरोड के कुछ जजलों में, कोयम्बटूर के कुछ दहस्सों में और पूरे ततरुपुर (तममलनाडु) में की जाती है और पूरे ततरूपुर (तममलनाड) को इसके मूल स्थान से प्राप्त अद्ववतीय गणुों के मलए पहिाना जाएगा।

• यह गमा नम पररजस्थततयों में 20 डडग्री से 37.9 डडग्री सेजल्सयस तक के तापमान के मध् य 600 से 800 मम.मी. वषाा प्रतत वषा वाले क्षेत्रों में उगाई जाती है।

मरािुर गुड़ • मरायुर गुड, केरल की मरायुर और कंथालुर ग्राम

पंिायतों के क्षेत्रों में बड पैमाने पर उत् पाददत ककया जाता है।

• मरायुर गुड के मलए केरल के इडुक्की जजले में मरायुर गन्ने की गहन खेती के मलए प्रमसद्ध है।

• मरायुर गुड की ववमशष्ट्ट ववशेषताएं उच्ि ममठास के साथ कम नमकीन होना, आयरन की उच्ि और सोडडयम की तनम् न मात्रा होना हैं।

• यह उपज अशुद्चधयों से मुक्त होती है और गन्ने के खेत रासायतनक कीटनाशकों और उवारकों से मुक्त होत ेहैं।

संबंधित जािकारी भौगोलिक संकेत (जी.आई.)

• यह उन उत्पादों पर इस्तमेाल ककया जाने वाला एक संकेत है, जजनमें एक ववमशष्ट्ट भौगोमलक उत्पवत्त और गुण होत ेहैं अथवा मूल स् थान के कारण एक सम् मान होता है।

• जी.आई. के रूप में काया करने के मलए यह चिन् ह अवव य ही एक उत् पाद को ददए गए स् थान से उत् पन् न होने की मान् यता प्रदान करता है।

जी.आई. टैग- टी.आर.आई.पी.एस. समझौत ेकी आवश्िकता • वववव व्यापार संगठन (डब्लल्यू.टी.ओ.) के सदस्य

के रूप में भारत ने उत् पाद भौगोमलक संकेतक (पंजीकरण एवं संरक्षण) अचधतनयम, 1999 को अचधतनयममत ककया था, जो 15 मसतंबर, 2003 से प्रभावी हो गया था।

• दाजामलगं िाय, भौगोमलक सकेंत प्राप् त करन ेवाला पहला भारतीय उत्पाद था।

िाि िी में पुरस्कृत जी.आई टैग

िाम कमोडडटी / िस्तकिा / खाद्ि वस्तु जगि

अलफांसो भोजन कोंकण (महाराष्ट्र, गोवा के पजविमी भारतीय राज्यों

और कनााटक के दक्षक्षण भारतीय राज्य) कदकनाथ चिकन खाद्य (मांस) मध्य प्रदेश

शाही लीिी भोजन बबहार पटोला साडी हस्तमशल्प राजकोट (गुजरात) बोका िौल भोजन असम

कतरनी िावल भोजन बबहार पेथापुर मुद्रण ब्ललाक हस्तमशल्प / कपडा बनाने गुजरात

Tulapanji िावल भोजन बंगाल

पोिमपैल्ली एकट हस्तमशल्प तलेंगाना दगुी स्टोन कावविंग हस्तमशल्प गुंटूर जजले (आंध्र प्रदेश)

Chakshesang शॉल हस्तमशल्प नगालैंड Etikoppaka णखलौने हस्तमशल्प आंध्र प्रदेश

सागंली हल्दी खाद्य - सामग्री महाराष्ट्र

टॉपपक- जी.एस. पेपर 1- किा एवं संस् कृनत

स्रोत- इंडडिि एक् सपे्रस

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6. आधिकाररक गोपिीिता अधिनििम

• वषा 2018 में आए अचधतनयम के अंतगात सबसे हामलया दोषमसद्चध तब हुई जब ददल् ली न् यायालय ने इस् लामाबाद में भारतीय उच् िायोग में काया कर िुकी पूवा राजनातयक माधुरी गुप् ता को ओ.एस.ए. के अंतगात दोषी पाया था।

• गोपनीयता कानून व् यापक रूप से दो पहलुओं से संबंचधत है:

1. जासूसी अथवा गुप् तिर, जो अचधतनयम की धारा 3 में ददया गया है और

2. सरकार की अन्य गुप्त सूिनाओं का खुलासा करना, जो धारा 5 में ददया गया है।

आधिकाररक गोपिीिता अधिनििम

• आचधकाररक गोपनीयता अचधतनयम की जडें बिदटश औपतनवेमशक युग से हैं।

• इसके पूवावती कानून, भारतीय आचधकाररक गोपनीयता अचधतनयम, 1904 को भारत के वायसराय, लॉडा कजान के समय 1899 से 1905

के दौरान अचधतनयममत ककया गया था। • यह 1889 के भारतीय आचधकाररक गोपनीयता

अचधतनयम (अचधतनयम XIV) का एक संशोचधत और अचधक कठोर संस्करण था, यह अचधतनयम उस समय में लाया गया था जब पूरे भारत में कई भाषाओं में बडी संख्या में शजक्तशाली समािार पत्र उभरे थे।

• अचधतनयम का एक मुख्य उद्देवय राष्ट्रवादी प्रकाशनों की आवाज को समाप्त करना था।

• अप्रैल 1923 में, आचधकाररक गोपनीयता अचधतनयम के एक नए संस्करण को अचधसूचित ककया गया था। भारतीय आचधकाररक गोपनीयता अचधतनयम (1923 की अचधतनयम सं. XIX) ने पहले के अचधतनयम का स् थान ले मलया और इसे देश में शासन में ववव वसनीयता और गोपनीयता के सभी मामलों तक बढ़ा ददया गया था।

आर.टी.आई. अधिनििम और ओ.एस.ए. के मध् ि ककसकी प्रिािता िै?

• हमेंशा यह तका ददया गया है कक कानून, सूिना के अचधकार अचधतनयम (आर.टी.आई.), 2005

के साथ सीधे संघषा में है।

• आर.टी.आई. अचधतनयम को ओ.एस.ए. सदहत अन्य कानूनों के प्रावधानों के समक्ष अपनी प्रधानता के मलए प्रदान ककया जाता है।

• यह आर.टी.आई. अचधतनयम को एक महत्वपूणा प्रभाव प्रदान करता है।

• यदद सूिना प्रस्तुत करने के संदभा में ओ.एस.ए. में कोई ववसंगतत है तो यह आर.टी.आई. अचधतनयम द्वारा हटा ददया जाएगा।

• हालांकक, आर.टी.आई. अचधतनयम की धारा 8

और 9 के अंतगात सरकार जानकारी से इनकार कर सकती है।

• प्रभावी रूप से यदद सरकार ने ओ.एस.ए. के अंतगात ककसी दस्तावेज को गुप्त के रूप में वगीकृत ककया है तो उस दस्तावेज को आर.टी.आई. अचधतनयम के दायरे से बाहर रखा जा सकता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत- द हिदं ू

7. क्िाउड सीडडगं: किााटक बादिों का पुि: िाभ उठािे के लिए तैिार िै।

• कनााटक सरकार, आगामी मानसून को प्रभाववत करन ेऔर बाररश के बादलों से जजतना संभव हो उतना पानी पर प्राप् त करने की उम्मीद कर रही है।

संबंधित जािकारी क् िाउड सीडडगं

• क्लाउड सीडडगं अथवा मौसम संशोधन एक कृबत्रम तरीका है, जजसमें बाररश कराने हेतु बादलों में नमी को बढ़ाया जाता है।

• इस प्रकक्रया में, बाररश की बूंदो के समान वषाा करन ेवाली आटीलरी बदंकू अथवा एक ववमान का प्रयोग करत े हुए बादलों पर मसल्वर आयोडाइड, पोटेमशयम आयोडाइड और सूखी बफा (ठोस काबान डाइऑक्साइड) डाली जाती है।

• कुछ शोध करन े के बाद टेबल नमक जैसे हीड्रोस्कोवपक सामचग्रयों का तजेी से उपयोग ककया जा रहा है।

• पानी के प्रबंधक भी क् लाउड सीडडगं को सददायों में अचधक बफा चगराने के कृबत्रम तरीके के रूप में भी इसे देख रहे हैं।

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िोट: कनााटक द्वारा वषााधारी-क्लाउड सीडडगं पररयोजना शुरू की गई थी। टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- द हिदं ू

8. मंत्रिमंडि िे पररवतािकारी गनतशीिता एवं बैटरी भंडारण लमशि को मंजूरी प्रदाि की िै।

• कें द्रीय मंबत्रमंडल ने राष्ट् रीय पररवतानकारी गततशीलता एवं बैटरी भंडारण ममशन को मंजूरी प्रदान की है।

• इस ममशन में स्वच्छ, संबंचधत, साझाकृत, सतत और समग्र गततशीलता पहल को बढ़ावा देन ेके मलए नीतत आयोग के सी.ई.ओ. की अध् यक्षता में एक अतंर-मंत्रालयी संिालन सममतत शाममल होगी।

• यह ममशन इलेजक्रक वाहनों, उनके घटकों और बैटररयों के मलए पररवतानकारी गततशीलता एव ंिरणबद्ध ववतनमााण कायाक्रमों (पी.एम.पी.) हेतु रणनीततयों को अंततम रूप देगा और कायााजन्वत करेगा।

• बड ेस् तर के मॉड्यूल पर गीगा पैमाने पर बैटरी तनमााण को लाग ूकरन ेके मलए एक िरणबद्ध रोडमैप 2019-2020 तक एक प्रारंमभक कें द्र होगा और समूह संयंत्रो को 2019-2020 तक पूरा ककया जाएगा। यह वषा 2021-2022 तक एकीकृत सेल ववतनमााण के बाद ककया जाएगा।

टॉपपक- जी.एस.-2- सरकारी िीनतिां स्रोत- त्रबजिेस िाइि

9. भारत िे सऊदी से रणिीनतक तिे भंडारण में निवेश करि ेके लिए किा िै।

• भारत आपातकालीन कच्ि े तले के भंडार का तनमााण करने के मलए सऊदी अरब से तनवेश िाहता है, जो तले की कीमतों में पररवतान के प्रततरोधी के रूप में काया करेगा और तीसरे सबसे बड ेतले उपभोक् ता के मलए व् यावधनों की अपूतता करेगा।

संबंधित जािकारी रणिीनतक पेट्रोलििम भंडारण (भारत)

• भारतीय रणनीततक पेरोमलयम भंडारण (आई.एस.पी.आर.), रणनीततक कच् ि े तले के 5.33 एम.एम.टी. (मममलयन ममदरक टन) के

कुल आपातकाल ईंधन का भंडारण है, जो 9.53 ददनों की खपत प्रदान करने के मलए पयााप् त है।

• यह भारतीय सामररक पेरोमलयम भडंारण मलममटेड द्वारा अनुरक्षक्षत है।

• सामररक कच्ि े तले का भंडारण मैंगलोर, ववशाखापत्तनम और पादरु (उडुपी, कनााटक) में तीन भूममगत स्थानों पर है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत- द हिदं ू

12.03.2019

1. पपिाका निदेलशत िधििार प्रणािी • डी.आर.डी.ओ. ने राजस्थान में पोखरण रेंज से

वपनाका तनदेमशत हचथयार रॉकेट प्रणाली का सफलतापूवाक परीक्षण ककया है।

संबंधित जािकारी पपिाका

• वपनाका तनदेमशत रॉकेट स्वदेशी रूप से डी.आर.डी.ओ. द्वारा ववकमसत ककया गया है।

• वपनाका रॉकेट का प्रारंमभक संस्करण माका I था, जजसकी सीमा 40 कक.मी. थी। इसका प्रयोग 1999 के कारचगल युद्ध में ककया गया था।

• इसे बाद में वपनाका माका II में ववकमसत ककया गया था, जजसकी सीमा बढ़ाकर 70 से 80

कक.मी. कर दी गई थी। • यह हचथयार प्रणाली, अत्याधुतनक तनदेमशत ककट

से सुसजज्जत है जो एक उन्नत नेववगेशन और तनयंत्रण प्रणाली से ममलकर बनी है।

• इस हचथयार प्रणाली ने उच्ि सटीकता के साथ लक्षक्षत लक्ष्यों को प्रभाववत ककया है और वांतछत सटीकता हामसल की है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – रक्षा स्रोत- पी.आई.बी.

2. डी.आर.डी.ओ. िे जििानि को कम करि ेके लिए

'िड़ाकू दवाओं' का पवकास ककिा िै। • डी.आर.डी.ओ. की चिककत्सा प्रयोगशालाएं-

नामभकीय औषचध एवं सबंद्ध ववज्ञान संस् थान ने लडाकू जनहातन औषचध की श्ृंखला पेश की है।

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• अध्ययन के अनुसार लगभग 90 प्रततशत गंभीर रूप से घायल सुरक्षाकममायों की गंभीर िोटों के कारण कुछ घंटों में मतृ् यु हो जाती है, ये दवाएं उन स् वणणाम घंटों की अवचध को इतना बढ़ा देंगी कक सैतनक को अस् पताल में भती ककया जा सके।

• यदद स् वणणाम घंटों के भीतर प्रभावी प्राथममक चिककत् सा देखभाल प्रदान की गई है तो जीववत रहने और न्यूनतम ववकलांगता होने की संभावना अचधकतम होती है।

• ये दवाएं यह सुतनजवित करेंगी कक सैतनकों को युद्ध क्षेत्रों से बेहतर स्वास््य सेवा के मलए अस् पताल ले जात ेसमय उनका अवांतछत रक्त न बहे।

• इन दवाओं में रक्तस्रावी घाव सीलेंट, सुपर अवशोषक ड्रमेसगं और जललसरीनयुक्त सेलाइन शाममल हैं, ये सभी जंगल और ऊंिाई वाले क्षेत्रों सदहत आतंकवादी हमलों में युद्ध के हालातों में जान बिा सकत ेहैं।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- ए.आई.आर. 3. वैज्ञानिकों िे जि शोिि के लिए कालिख को

एक वरदाि के रूप में पररवनतात कर हदिा िै। • भारतीय वैज्ञातनक एक नई प्रकक्रया के साथ आए

हैं जो कामलख का उपयोग करन ेमें मदद करन ेका वादा करती है जो कक एक प्रमुख वायु प्रदषूक है, यह अत्यचधक जहरीले काबातनक रंगो वाले औद्योचगक किरे के उपिार के मलए कामलख का उपयोग करन ेमें मदद करने का वादा करती है।

• वैज्ञातनकों ने दो तकनीकों का ववकास ककया है: • कामलख को ग्रैफीन नैनोशीट में बदलना • औद्योचगक अपमशष्ट्टों से कक्रस्टल वायलेट,

रोडामाइन बी और मेचथलीन ब्ल लू जैसे काबातनक रंगों को हटाने के मलए नैनोशीटों का उपयोग करना।

संबंधित जािकारी ब् िैक काबाि (कालिख)

• ब्ललैक काबान महीन कणणका द्रव् य का एक घटक है जो कक पी.एम. ≤ 5 माइक्रोन हैं।

• यह जीवावम ईंधन, जैव ईंधन और बायोमास के अधूरे दहन से बनता है और यह मानवजतनत एवं प्राकृततक रूप से उत् पन् न होने वाली कामलख दोनों में उत्सजजात होता है।

• यह अत्यचधक कामसानोजेतनक होने के मलए जाना जाता है।

• ब्ललैक काबान, सूया के प्रकाश को अवशोवषत करके और वातावरण को गमा करके और बफा एव ंदहमपात पर जमकर शुक् लता को कम करके पृ् वी को गमा करता है।

• ब्ललैक काबान वायुमंडल में केवल कुछ ददनों से लेकर हफ्तों तक रहता है, जब कक काबान डाइऑक्साइड (CO2) का वायुमंडलीय जीवनकाल 100 वषों से अचधक है।

िोट: कामलख, अशुद्ध काबान कणों का एक द्रव्यमान है जो हाइड्रोकाबान के अधूरे दहन से उत्पन्न होता है टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पिाावरण

स्रोत- डाउि टू अिा 4. वुड स् िेक

• वपछले 140 वषों से न देखे जाने वाले वुड स् नेक की प्रजाततयों को मेघमलाई वन्यजीव अभयारण्य में वैज्ञातनकों द्वारा ककए गए एक सवेक्षण में पुन: देखा गया है।

• यह प्रजातत, मेघामलाई वनों और पेररयार बाघ ररजवा पररदृवय के मलए स्थातनक हैं।

संबंधित जािकारी मेघमिाई वन्िजीव अभिारण्ि

• मेघामलाई वन्यजीव अभयारण्य तममलनाडु के थेनी जजले के पजविमी घाट में जस्थत है।

• यह पेररयार बाघ ररजवा और सफेद चगलहरी वन्यजीव अभयारण्य के मलए एक उत्कृष्ट्ट अंतरोधी हो सकता है।

• यह दलुाभ महान भारतीय हॉनाबबल का तनवास है।

• यह अभयारण्य लुप्तप्राय वानस् पततक सफेद ववशालकाय चगलहरी का भी तनवास स् थान रहा है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – जैवपवपविता स्रोत- द हिदं ू

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5. भारत, पवश् व का दसूरा सबसे बड़ा िधििार आिातक देश िै।

• मसपरी द्वारा प्रकामशत एक ररपोटा के अनुसार, भारत वषा 2014-18 में पूरे ववव व में प्रमुख हचथयारों का दसूरा सबसे बडा आयातक था और हचथयारों के कुल वैजववक आयात के 9.5% हेतु जजम् मेदार है।

• सऊदी अरब पहले स् थान पर है, जो इस अवचध के दौरान कुल आयात के 12% हेतु जजम् मेदार है।

• रूस, भारत का सबसे बडा आपूतताकताा है इसके बाद अमेररका और इजराइल हैं।

• रूस, वषा 2009-13 में 76 प्रततशत की तुलना में वषा 2014-2018 के मध् य कुल भारतीय आयाततत हचथयारों के 58 प्रततशत हेतु जजम् मेदार है।

• हालांकक, अगले पांि वषों की अवचध में भारतीय आयात में रूसी दहस्सेदारी के तजेी से बढ़ने की संभावना है क्यों कक भारत ने हाल ही में कई बड ेसमझौतों पर हस्ताक्षर ककए हैं और कई बड ेसमझौत ेककए जाने शेष हैं।

• इसमें एस.-400 वायु सुरक्षा प्रणाली, िार स्टील्थ युद्ध-पोत, ए.के.-203 असॉल्ट राइफलें, दसूरी परमाणु हमला करन ेवाली पनडुब्लबी लीज पर है और कामोव -226टी. उपयोचगता हेमलकॉप्टर, एम.आई.-17 हेमलकॉप्टर और कम दरूी की वायु रक्षा प्रणाली शाममल हैं।

• पाककस्तान, कुल वैजववक आयात के 2.7% के साथ 11वें स्थान पर है।

स्टॉकिोम अंतरााष् ट्रीि शांनत अिुसंिाि संस् िाि (लसपरी)

• यह स्वीडन आधाररत एक अंतरााष्ट्रीय संस्थान है, जो युद्ध, आयुध, हचथयार तनयंत्रण और तनरस्त्रीकरण में अनुसंधान हेतु समवपात है।

• यह नीतत तनमााताओं, शोधकतााओं, मीडडया और इच्छुक जनता को खुले स्रोतों के आधार पर डटेा, वववलेषण और मसफाररशें प्रदान करता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – रक्षा स्रोत- इंडडिि एक् सपे्रस

6. भारत, सोिा रखि ेके मामिे में 11वें स् िाि पर िै। • ववव व स् वणा पररषद (डब्ल ल् यू.जी.सी.) के द्वारा पेश की

गई नवीनतम ररपोटा के अनुसार, भारत, जो सोन ेका वववव का सबसे बडा उपभोक्ता है, भारत के पास आंकमलत 607 टन की वतामान स् वाममत् व के साथ 11वा ंसबस ेबडा स् वणा भंडार है।

पवश्व स्वणा पररषद

• वववव स्वणा पररषद, स्वणा उद्योग के मलए बाजार ववकास संगठन है।

• यह सोने के खनन से लेकर तनवेश तक उद्योग के सभी दहस्सों में काम करता है और इसका उद्देवय सोने की मांग को बढ़ाना और बनाए रखना है।

• इन्होंने एस.पी.डी.आर., जी.एल.डी. जैसे ववमभन् न उत् पाद लांि ककए हैं और भारत एवं िीन में सोने के संिय की योजनाएं भी शुरू की है।

• यह अपने सदस्यों को एक जजम्मेदार तरीके से खनन में समथान करन ेमें मदद करता है और संघषा-मुक्त स् वणा मानक ववकमसत करता है।

• इसका मुख्यालय लंदन, यूनाइटेड ककंगडम में जस्थत है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – अिाशास् ि

स्रोत- द हिदं ू

7. डब्ल्िू.एच.ओ. िे फ्िू मिामारी से िड़िे के लिए एक रणिीनत शुरू की िै।

• डब्लल्यू.एि.ओ. ने इन्फ्लूएंजा के खतरे के णखलाफ अगले दशक में पूरे ववव व के लोगों की सुरक्षा के मलए एक रणनीतत बनाना शुरू की है।

• वषा 2030 के माध् यम से वषा 2019 की डब्लल्यू.एि.ओ. की नई रणनीतत का उद्देव य मौसमी इन्फ्लूएंजा को रोकना, जानवरों से मनुष्ट्यों में वायरस के प्रसार को तनयंबत्रत करना और अगली महामारी के मलए तैयार करना है।

• डब्ल ल् यू.एि.ओ. इस रोग के प्रसार को रोकन ेके मलए ववशेष रूप से स्वास््य देखभाल श्ममकों और इन्फ्लूएंजा जदटलताओं के उच्ि जोणखम वाले लोगों के मलए सबसे प्रभावी तरीके के रूप में वावषाक फ्लू के टीके की मसफाररश करता है।

संबंधित जािकारी

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इन्फ्िुएंजा क्िा िै?

• इन्फ्लुएंजा, ववसन तंत्र का एक गंभीर ववषाणुजतनत संक्रमण है जजस ेजीवन के प्रतत खतरनाक संक्रामक रोगों में से एक माना जाता है।

• यह ववषाणु, संक्रममत व्यजक्तयों के साथ सीधे संपका में आने से, दवूषत वस्तुओं (जजसे फोमाइट्स भी कहा जाता है) और ववषाणुजतनत एयरोसोल को व वसन द्वारा ग्रहण करन े से हस् तांररत होता है।

• मानव इन्फ्लएंूजा ववषाणु, एकल-मानक आर.एन.ए. ववषाणु होत ेहैं।

• इन्फ्लूएंजा ववषाणु कणों की सकं्रामकता पी.एि., तापमान और पानी की लवणता के साथ ही साथ पराबैंगनी ववककरण पर तनभार करती है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3- पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- द हिदं ू

8. उन् िनत- राष्ट्रीि ऊजाा दक्षता रणिीनत िोजिा 2031

• बी.ई.ई. ने भारत में ऊजाा दक्षता में तजेी लाने के मलए एक राष्ट्रीय रणनीतत दस्तावेज "उन् नतत" ववकमसत ककया है।

• यह इस प्रकार का पहला अभ् यास है, जो स्पष्ट्ट रूप से राज्य के स्तर तक सबंंचधत मांग क्षेत्रों के मलए ऊजाा दक्षता लक्ष्यों को पूरा कर रहा है।

• यह दस्तावेज, ऊजाा आपूतता-मांग पररदृवयों और ऊजाा दक्षता अवसरों के मध् य एक स्पष्ट्ट संबंध स्थावपत करन े हेतु एक साधारण ढांिे और कायाान्वयन रणनीतत का वणान करता है।

• यह दस्तावेज, ऊजाा दक्षता उपायों के माध्यम से भारत की पयाावरण एवं जलवायु पररवतान शमन कारावाई को संबोचधत करने के मलए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करता है।

संबंधित जािकारी ऊजाा दक्षता ब्िूरो (बी.ई.ई.)

• बी.ई.ई., भारत सरकार के ववद्युत मंत्रालय के अंतगात एक संवैधातनक तनकाय है।

• यह भारतीय अथाव्यवस्था की ऊजाा तीव्रता को कम करन े के प्राथममक उद्देवय के साथ ववकासशील नीततयों और रणनीततयों में सहायता करता है।

• बी.ई.ई., ऊजाा संरक्षण अचधतनयम 2001 के अंतगात इसे सौंपे गए कायों को पूरा करन े के मलए मौजूदा संसाधनों और बतुनयादी ढांिों की पहिान और उनका उपयोग करन े के मलए नाममत उपभोक्ताओं, नाममत संस् थाओं और अन्य संगठनों के साथ समन्वय करता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 –मित् वपूणा संस् िाि

स्रोत-पी.आई.बी. 9. सामाजजक संस्िाि एव ं लिगं सूचकांक

(एस.आई.जी.आई.) ररपोटा 2019

• ओ.ई.सी.डी. ववकासात् मक कें द्रो के सामाजजक संस् थान एवं मलगं सूिकांक (एस.आई.जी.आई.), 180 देशों में सामाजजक संस्थानों (औपिाररक और अनौपिाररक कानूनों, सामाजजक मानदंडों और प्रथाओं) में मदहलाओं के णखलाफ भेदभाव का एक क्रॉस-कंरी मापक है।

• एस.आई.जी.आई. के िौथे संस्करण (2019) में नीि े ददए गए वगीकरण में शाममल 120 अथाव्यवस्थाओं को स् थान प्रदान ककया गया है। शेष 60 देशों को एक या एक से अचधक संकेतकों के मलए अपयााप् त डटेा के कारण स् थान नहीं प्रदान ककया जा सका है।

• यह 2019 की वैजववक ररपोटा मदहलाओं और उनके पररवार, उनकी शारीररक अखंडता, उत्पादक और ववत्तीय संसाधनों तक और उनके नागररक अचधकारों तक पहुुँि के संबंध में एस.आई.जी.आई. के मुख्य पररणामों और मसफाररशों का अवलोकन प्रदान करती है।

• इस सूिकांक में जस्वट्जरलैंड ने शीषा स् थान प्राप् त ककया है।

13.03.2019

1. आई.टी.िू., भारत में अपिा पििा िवाचार कें द्र खोििे जा रिी िै।

• संयुक्त राष्ट्र की दरूसंिार ससं्था आई.टी.यू. ने दक्षक्षण एमशयाई देशों की प्रौद्योचगककयों को और प्रौद्योचगककयों के मलए मानकों में उभरती हुई अथाव्यवस्थाओं को शाममल करन ेके मलए भारत में अपना पहला नवािार कें द्र स्थावपत करन ेकी योजना बना रही है।

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• नवािार कें द्र की स् थापना से भारतीय प्रौद्योचगकी फमों को वैजववक मानकों का दहस्सा बनने का अवसर प्रदान करन ेकी आशा है, जो ववकमसत देशों की कंपतनयों से बड ेपमैाने पर प्रभाववत हुए हैं और वैजववक स्तर पर दरूसंिार व्यवसायों पर इनका काफी प्रभाव पड रहा है।

संबंधित जािकारी अंतरााष्ट्रीि दरूसचंार संघ

• यह संयुक्त राष्ट्र की सभी 15 ववमशष्ट् ट संस् थाओं में से सबसे पुरानी है, जो सूिना और संिार प्रौद्योचगककयों से संबंचधत है।

• आई.टी.यू. अपनी स्थापना के बाद से एक अंतरसरकारी सावाजतनक-तनजी भागीदारी संगठन है।

• यह संिार नेटवका में अंतरााष्ट्रीय कनेजक्टववटी की सुववधा प्रदान करता है, यह वैजववक रेडडयो स्पेक्रम और उपग्रह कक्षाओं का आवंटन करता है, ऐसे तकनीकी मानकों को ववकमसत करता है जो यह सुतनजवित करत े हैं कक नेटवका और प्रौद्योचगकी मूल रूप से अंतर संबद्ध हैं और पूरे ववव व में समुदायों को सेवा प्रदान करन े हेतु आई.सी.टी. तक पहंुि में सुधार करन ेका प्रयास करता है।

• यह जजनेवा, जस्वट्जरलैंड में जस्थत है। • यह संयुक्त राष्ट्र ववकास समहू का सदस्य भी

है और पूरे ववव व में इसके 12 क्षेत्रीय और स् थानीय कायाालय हैं।

• भारत को वषा 2019 से 2022 तक अगले 4

वषों के मलए आई.टी.यू. पररषद के सदस्य के रूप में िुना गया है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 - मित्वपूणा संस्िाि

स्रोत- द हिदं ू

2. अधिकतम प्रभापवत प्रजानतिों के संदभा में देशों के मध् ि भारत को 16वां स् िाि प्राप् त िुआ िै।

अध्ििि की मुख्ि पवशेषताएं

• अध्ययन में पाया गया है कक पृ् वी के भूभाग के 84% दहस्से पर प्रजाततयों पर मानव प्रभाव पडता है।

• अचधकतम प्रभाववत प्रजाततयों (125) वाले देशों में मलेमशया पहले स्थान पर है।

• भारत को ऐसे मानव प्रभावों में 16वां स्थान प्राप् त हुआ है, भारत में औसतन 35 प्रजाततयां प्रभाववत हैं।

• भारत में जस्थत पजविमी घाट, दहमालय और उत्तर-पूवा सदहत दक्षक्षण पूवा एमशयाई उष्ट्णकदटबंधीय वन भी लुप् तप्राय प्रजाततयों का 'हॉटस्पॉट' हैं।

• अध्ययन से ज्ञात होता है कक भारत में सडकें और फसलें व्यापक हैं और ऐसी गततववचधयों के मलए तनवास स्थान का रूपांतरण मुख्य खतरा हो सकता है।

सम्बंधित जािकारी िॉट स्पॉट

• हॉट स्पॉट, पृ् वी के पौधों और पशु जीवन का सबसे समदृ्ध और सबसे अचधक खतरनाक संग्रह हैं।

• इनमें अचधकतम संख्या में स्थातनक प्रजाततयां हैं।

• एक हॉट स् पॉट के रूप में अहाता प्राप्त करन ेके मलए एक क्षेत्र को दो कठोर मानदंडों को पूरा करना होगा:

1. प्रजातीय स् थातनकता: इस क्षेत्र में स् थातनक प्रजाततयों के रूप में संवहनी पौधों की कम से कम 1500 प्रजाततयाुँ होनी िादहए (ववव व के कुल से 5% अचधक) और

2. खतरे का स् तर: इस क्षेत्र के वास्तववक तनवास स् थानों के कम से कम 70% तनवास स् थान समाप् त हो िुके हों।

• प्रत्येक जैव ववववधता हॉट स् पॉट तजेी से मसकुडत ेहुए पाररजस्थततक तंत्र में जीववत रहने के मलए संघषा करन ेवाले असाधारण स् थातनक पौधें और जीव-जंतु के एक उल्लेखनीय िहमांड का प्रतततनचधत्व करता है।

भारतीि जैव पवपविता िॉट स्पॉट

• भारत में 4 जैव ववववधता हॉट स्पॉट मौजूद हैं। वो हैं:

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(a) पूवी दहमालयी [अरुणािल प्रदेश, भूटान, पूवी नेपाल] (b) भारत-बमाा और [पूवािंिल पहाड डयां, अराकान योमा, पूवी बांललादेश] (c) पजविमी घाट और श्ीलंका (d) सुन्दालैंड: तनकोबार द्वीप समूह (और इंडोनेमशया, मलेमशया, मसगंापुर, िुनेई, कफलीपींस) शाममल हैं।

िोट: • कूल-स्पॉट, ववव व के अंततम शरणस् थान हैं, जहां

कई लुप् तप्राय प्रजाततयां आज भी उपजस्थत हैं। • कूल-स्पॉट, सुरक्षा का पररणाम हो सकत े है

अथवा उपजस्थत आवास के कारण हो सकता है। टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 - जैव पवपविता स्रोत- द हिदं ू

3. कें द्र, ओ.ए.एि.पी.-II के लिए बोिी िगािे वािों की समि सीमा को बढा रिा िै।

संबंधित जािकारी ओपेि एकिएज िाइसेंलसगं िीनत (ओ.ए.एि.पी.)

• ओ.ए.एल.पी. एक कंपनी को सरकार द्वारा कराए जाने वाले औपिाररक बोली दौर की प्रतीक्षा ककए बबना स् वयं अन्वेषण ब्ललॉकों का ियन करन ेका ववकल्प प्रदान करता है।

• ओ.ए.एल.पी. के अंतगात, हाइड्रोकाबान का पता लगाने के मलए इच्छुक एक बोलीदाता ककसी भी नए ब्ल लॉक का अन् वेषण करने के मलए सरकार को आवेदन कर सकता है जो पहले से अन् वेषण के अंतगात शाममल न ककया गया हो।

• सरकार उसकी रूचियों की जांि करेगी और यदद वह पुरस्कार के मलए उपयुक्त है तो सरकार आववयक पयाावरणीय और अन्य मंजूररया ंप्राप्त करन े के बाद प्रततस्पधी बोमलयों के मलए उसे बुलाएगी।

• ओ.ए.एल.पी. को िाइड्रोकाबाि अन् वेषण एवं िाइसेंसीकरण िीनत (िेल् प) नामक अन्वेषण क्षेत्र में नए राजकोषीय शासन के दहस्से के रूप में पेश ककया गया था।

• यह उपलब्लध भौगोमलक क्षेत्र के तजे सवेक्षण और कवरेज को सक्षम करेगा जजसमें तले और गैस की खोज की क्षमता है।

• ओ.ए.एल.पी. के सफल कायाान्वयन के मलए भू-वैज्ञातनक डटेा पर राष्ट्रीय डटेा भंडार के तनमााण की आववयकता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत- द हिदं ू

4. भारतीि सुंदरवि 'अंतरााष्ट्रीि मित्ता की आद्रभूलम' बि गिा िै।

• भारतीय सुंदरवन को हाल ही में रामसर सम् मेलन के अंतगात 'अंतरााष्ट् रीय महत् ता की आद्रभूमम' का दजाा ददया गया था।

िि कैसे िोग्ि िा?

• भारतीय सुंदरबन ने अंतरााष्ट्रीय महत्ता की आद्रभूमम के दजे के मलए आववयक नौ मानदंडों में से िार को पूरा ककया है। वे हैं:

1. दलुाभ प्रजाततयों और लुप् तप्राय पाररजस्थततक समुदायों की उपजस्थतत

2. जैववक ववववधता 3. महत्वपूणा और प्रतततनचध मछली 4. मछली के अंड ेदेने हेतु मैदान और प्रवासीय मागा

िि मित्वपूणा क्िों िै?

• अंतरााष्ट्रीय महत् ता आद्रभूमम सम् मेलन को रामसर सम् मेलन के रूप में जाना जाता है, यह संरक्षण को बढ़ावा देने और आद्रभूमम के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देने वाला एक अंतरााष्ट् रीय समझौता है।

• यह एकल पाररजस्थततकी तंत्र पर ध्यान कें दद्रत करन ेवाली एकमात्र वैजववक सचंध है।

• यह सम् मेलन वषा 1971 में ईरानी शहर रामसर में अपनाया गया और वषा 1975 में लागू ककया गया था।

संबंधित जािकारी सुंदरबि

• भारतीय सुंदरवन, यूनेस्को की वववव धरोहर स्थल और रॉयल बंगाल टाइगर का तनवास स् थान भी है।

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• यह बडी संख् या में “दलुाभ और वैजववक स् तर पर लुप् तप्राय प्रजाततयों” का तनवास है, जैसे कक

1. गंभीर रूप से लुप्तप्राय उत्तरी नदी का टेरावपन

2. लुप्तप्राय इरावदी डॉजल्फन

3. लुप् तप्राय कफमशगं बबल्ली • सुंदरवन में भारत और बांललादेश में बंगाल की

खाडी के मुहाने पर गंगा और िहमपुत्र के डले्टा में सैकडों द्वीपों और नददयों, सहायक नददयों और खाड डयों के एक नेटवका से ममलकर बना है।

• भारतीय सुंदरवन, देश के कुल सदाबहार वन क्षेत्र के 60% से अचधक भाग का तनमााण करता है।

• िि भारत में 27वा ंरामसर स् िि िै और देश में सबसे बड़ी संरक्षक्षत आद्राभूलम िै।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पिाावरण

स्रोत- इंडडिि एक् सपे्रस

5. जीि िेरेपी वैज्ञानिक लसकि कोलशकाओं के लिए

'इिाज' खोजि ेके काफी िजदीक िैं। संबंधित जािकारी लसकि-सेि (िाि रूधिर कोलशकाएं) रोग (एस.सी.डी.)

• यह रक्त ववकारों का एक समूह है जो सामान् यत: ककसी व्यजक्त के माता-वपता से प्राप् त होता है।

• सबसे सामान् य प्रकार को मसकल कोमशका रक् ताल् पता (एस.सी.ए.) के रूप में जाना जाता है।

• यह लाल रक्त कोमशकाओं में पाए जाने वाले ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन हीमोललोबबन (हीमोललोबबन एस) में ववकृतत का पररणाम है।

• यह तनजवित पररजस्थततयों के अंतगात कठोर, मसकल जैसी आकृतत के समान हो जाती है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- डी.डी. न् िूज

6. पवकासशीि देश रसाििों के सबसे बड़ ेउपिोगकतााओं के रूप में उभर रिे िैं।

• दसूरी वैजववक रसायन आउटलुक ररपोटा के अनुसार, वषा 2030 तक दतुनया भर में रासायतनक उत्पादन दोगुना हो जाएगा।

• रासायतनक उद्योग ववव व का दसूरा सबसे बडा ववतनमााण क्षेत्र है।

• वतामान में, दतुनया में 2.3 बबमलयन टन रसायनों का उत्पादन करन ेकी क्षमता है।

• वववव स्वास््य संगठन (डब्लल्यू.एि.ओ.) के अनुसार, वषा 2016 में रसायनों से संबंचधत बीमाररयों के कारण 1.6 मममलयन लोगों की जान िली गई थी।

• वषा 2018 तक, 120 से अचधक देशों ने वैजववक रासायतनक वगीकरण एवं लेबमलगं सामंजस् य प्रणाली को लागू नहीं ककया है।

पषृ्ठभूलम

• पहली वैजववक रसायन आउटलुक ररपोटा (जी.सी.ओ.-I) वषा 2013 में जारी की गई थी।

• तब से सहमत लक्ष्य को प्राप् त करन े के मलए रसायनों के उपयोग को कम करन े के बजाय इसका उपयोग बढ़ता ही जा रहा है।

संबंधित जािकारी • वषा 2015 में ववव व ने सतत ववकास लक्ष्यों

(एस.डी.जी.) को अपनाया था, इनमें से 17 लक्ष्य रसायनों और इसके अपमशष्ट्ट प्रबंधन से संबंचधत हैं।

• एस.डी.जी. लक्ष्य 12.4 शासनादेश करता है कक,

“सहमत अंतरााष्ट्रीय रूपरेखाओं के अनुसार, वषा 2020 तक अपने पूरे जीवन िक्र के दौरान रसायनों और सभी अपमशष्ट्टों के पयाावरणीय रूप से बेहतर प्रबंधन को प्राप्त कर मलया जाए और पयाावरण एवं मानव स् वास् ् य पर इसके प्रततकूल प्रभावों को कम करन ेके मलए हवा, पानी और ममट्टी में उनके तनष्ट् कासन को कम करना है।”

• यह अनुमातनत ककया गया है कक वषा 2030 तक रसायनों की वैजववक बबक्री के लगभग 50 प्रततशत दहस्से के मलए िीन जजम् मेदार होगा।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3- अंतरााष् ट्रीि सम् मेिि

स्रोत- डाउि टू अिा 7. लसरसी सुपारी को जी.आई. टैग प्रदाि ककिा गिा

िै। • मसरसी सुपारी, कनााटक के उत्तर कन्नड जजले के

मसरसी, मसदृपौर और येल् लापुर तालुकों में उगाए जाने वाली एक सुपारी हैं।

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13

• मसरसी सुपारी, एक मध्यम आकार की और गोल सुपारी है, इसमें कुछ हद तक राख के रंग का कठोर बीज होता है।

• मसरसी सुपारी, देश के अन्य भागों में उगाई जाने वाले सुपारी के स् वाद की तुलना में अद्ववतीय है क् यों कक ववमभन् न सुपाररयों का रासायतनक संयोजन मभन् न होता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 1 – किा एवं संस् कृनत

स्रोत- टी.ओ.आई. 8. सी.ई.आर.सी., दक्षक्षण एलशिा के लिए क्षेिीि

त्रबजिी बाजार के सदंभा में पवचार कर रिा िै। • सी.ई.आर.सी., दक्षक्षण एमशयाई देशों में बबजली

व्यापार के मलए एक क्षते्रीय बाजार स्थावपत करना िाहता है।

• यह सीमा पार बबजली व्यापार की सुववधा के मलए प्रस्तावों का ववस्तार होगा।

• बांललादेश, भारतीय बबजली का सबसे बडा खरीददार है।

• भारत ने बबम्सटेक के सदस्यों के मध् य चग्रड इंटरकनेक्शन स्थावपत करने के मलए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर ककए हैं।

कें द्रीि पवद्िुत नििामक आिोग (सी.ई.आर.सी.)

• यह ववद्युत अचधतनयम 2003 की धारा-76 के अंतगात एक सांववचधक तनकाय है।

कािा: • उत्पादक कंपतनयों के टैररफ को ववतनयममत

करना • टैररफ का तनधाारण करना और बबजली के अंतर-

राज्यीय संिरण को ववतनयममत करना • व्यजक्तयों को अंतर-राज् यीय संिालन के संबंध

में हस् तांतरण लाइसेंसधारी और बबजली व्यापारी के रूप में काया करन े के मलए लाइसेंस जारी करना।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – भारतीि अिाव् िवस् िा के क्षेि

स्रोत- द हिदं ूत्रबजिेस िाइि

14.03.2019

1. वैजश्वक पिाावरण आउटिुक (जी.ई.ओ.) का छठवां संस्करण

• यह ररपोटा संयुक्त राष्ट्र पयाावरण कायाक्रम द्वारा तैयार की गई है।

ररपोटा की मुख्ि पवशेषताएं

• संयुक्त राष्ट्र के वैजववक पयाावरण आउटलुक (जी.ई.ओ.) की 6 वषों की ररपोटा से यह ज्ञात हुआ है कक पूरे ववव व में असामतयक होने वाली सभी मतृ् युओं और बीमाररयों का एक िौथाई भाग प्रदषूण और पयाावरणीय क्षतत के कारण होता है।

• भारत स् वास् ् य देखभाल के क्षते्र में खरबों रूपए बिा सकता है, यदद भारत यह सुतनजवित करने के साथ नीततगत पहल लागू करे कक इस सदी के अंत तक ववव व का तापमान 1.5 डडग्री सेजल्सयस से अचधक नहीं बढे़गा।

• भारत की घोवषत प्रततबद्धता है कक

1. वषा 2030 तक वषा 2005 की तुलना में अपनी जी.डी.पी. की उत्सजान तीव्रता को 33-35%

कम करना है; 2. वषा 2030 तक जीवाव म मुक् त ऊजाा स्रोतो से

कुल संियी बबजली उत्पादन को 40% तक बढ़ाना है

3. अततररक्त वन और वकृ्ष के्षत्र के माध्यम से 2.5 स े3 बबमलयन टन का अततररक्त काबान मसकं बनाना है

• भारत इन लक्ष्यों में से दो- उत्सजान तीव्रता और बबजली उत्पादन को प्राप्त करन े के पथ पर अग्रसर है।

• हालांकक तापमान वदृ्चध को 2 डडग्री सेजल् सयस तक सीममत करन ेके मलए केवल ये काया पयााप्त हैं और अन्य देशों को भी अपनी प्रततबद्धताओं पर खरा उतरने का अवसर प्रदान करता है।

संबंधित जािकारी पेररस जिवािु समझौता

• यह वषा 2020 में शुरू होने वाले संयुक् त राष्ट् र जलवायु पररवतान ढांिा सम् मेलन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के अंतगात एक समझौता है जजसमें ग्रीनहाउस गैस उत् सजान का शमन,

अनुकूलन और ववत् तपोषण करना शाममल है।

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• इस समझौत े को 12 ददसंबर, 2015 को सवासम्मतत से अपनाया गया था।

• वैजववक लक्ष्य को प्राप्त करने के क्रम में प्रत्येक देश द्वारा व् यजक्तगत रूप से योगदान ददया जाता है और सभी देशों द्वारा व्यजक्तगत रूप से तनधााररत ककया जाता है और इसे "राष्ट्रीय स्तर पर तनधााररत योगदान" (एन.डी.सी.) कहा जाता है।

• भारत इसका अनुसमथान करन ेवाला 62 वाुँ देश था।

समझौत ेके उद्देश्ि: • इस शताब्ल दी वैजववक तापमान वदृ्चध को पूवा-

औद्योचगक स्तर से अचधक 2 डडग्री सेजल्सयस से कम रखना है।

• तापमान वदृ्चध को 1.5 डडग्री सेजल्सयस तक सीममत करन ेका प्रयास करना।

टॉपपक-जी.एस. पेपर 3– पिाावरण

स्रोत-द हिदं ू

2. पजश्चमी िीि बुखार • हाल ही में मलप्पुरम जजले में पजविमी नील

बुखार से पीड डत एक सात वषीय लडके का इलाज ककया जा रहा है, यह एक अपेक्षाकृत अज्ञात वायरल संक्रमण है।

संबंधित जािकारी पजश्चमी िीि बुखार

• पजविमी नील बुखार, क्यूलेक्स मच्छरों द्वारा फैलता है।

पजश्चमी िीि पवषाणु

• यह एकल-संरचित आर.एन.ए. ववषाणु होता है, जजससे पजविमी नील बुखार फैलता है।

• यह ववशेष रूप से फ्लैवी ववषाणु वंश के फ्लैववववररडा पररवार का सदस् य है, इसमें जीका ववषाणु, डेंग ूववषाणु और पीला बुखार ववषाणु भी शाममल होता है।

• पजविमी नील ववषाणु, मुख्य रूप से मच्छरों द्वारा, ववशेषकर क् यूलेक् स प्रजातत द्वारा फैलता है, लेककन इस ववषाणु के संक्रमण के दटक भी जजम् मेदार होत ेहैं।

• डब्लल्यू.एन.वी. के प्राथममक मेजबान पक्षी हैं, क् यों कक यह ववषाणु "पक्षी-मच्छर-पक्षी" संिरण िक्र के भीतर होता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2– स् वास् ् ि मुद्दा स्रोत- द हिदं ू

3. भारत को अफगानिस्ताि से चाबिार बंदरगाि के माध्िम से पििा टी.आई.आर. लशपमेंट प्राप्त िुआ िै।

• संयुक्त राष्ट्र टी.आई.आर. सम्मेलन के अंतगात अफगातनस् तान से िाबहार बंदरगाह के माध् यम से पहला मशपमेंट भारत आया है।

संबंधित जािकारी पररविि अंतरााष् ट्रीि रूहटिसा (टी.आई.आर.)

• टी.आई.आर. समझौता, एक देश में प्रस्थान के सीमा शुल्क कायाालय और दसूरे देश में गंतव्य के सीमा शुल् क कायाालय के मध् य माल के पररवहन पर लाग ूहोता है।

• टी.आई.आर. कानेट, 1975 (टी.आई.आर. सम् मेलन) के अंतगात अंतरााष्ट्रीय माल पररवहन सीमा शुल्क सम् मेलन, संयुक्त राष्ट्र यूरोप आचथाक आयोग (यू.एन.ई.सी.ई.) के तत्वावधान में व् यापक भौगोमलक क्षेत्र के साथ एक अंतरराष्ट्रीय सीमाशुल् क पारगमन प्रणाली है।

• टी.आई.आर., अंतरााष्ट्रीय सडक पररवहन संघ (आई.आर.यू.) द्वारा प्रबंचधत और ववकमसत ककया जाता है जो कक वववव सडक पररवहन संगठन है।

• टी.आई.आर. प्रकक्रया, शुल् क और करों के भुगतान के बबना अंतरााष्ट्रीय सीमाओं के पार सीमा शुल्क तनयंत्रण के अंतगात माल के पररवहन की सुववधा प्रदान करती है।

• भारत 15 जून, 2017 को टी.आई.आर. सम् मेलन (टी.आई.आर. कानेट के अंतगात संयुक् त राष्ट् र अंतरााष्ट्रीय माल पररवहन सीमा शुल्क सम् मेलन) में शाममल हुआ था।

• यह सम्मेलन भारत के तनयाात को बढ़ावा देने में मदद करेगा और वैजववक मूल्य श्ृंखलाओं में अचधक से अचधक भागीदारी को सक्षम करेगा।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – मित् वपूणा सम् मेिि

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स्रोत- द हिदं ू

4. मंत्रिमंडि िे िाइस समझौत,े पवििा समझौत ेऔर िोकािो समझौत े के लिए भारत के पररग्रिण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदाि की िै।

• नाइस समझौता, प्रतीकों के पंजीकरण के प्रयोजनों के मलए माल और सेवाओं के अंतरााष्ट्रीय वगीकरण से संबंचधत है।

• ववयना समझौत ेने प्रतीकों के औपिाररक तत्वों का एक अंतरााष्ट्रीय वगीकरण स्थावपत ककया है।

• लोकानो समझौत े न ेऔद्योचगक डडजाइनों के मलए एक अंतरााष्ट्रीय वगीकरण की स्थापना की है।

िाभ

• नाइस, ववयना और लोकानो समझौतों के मलए पररग्रहण, भारत में बौद्चधक संपदा कायाालय की रेडमाका और डडजाइन अनुप्रयोगों की जांि करने के मलए वगीकरण प्रणामलयों के सामंजस्य में मदद करेगा, जो कक वववव स्तर पर प्रयोग की जा रही वगीकरण प्रणाली के अनुरूप है।

• यह भारतीय डडजाइनों, औपिाररक तत्वों और वस्तुओं को अंतरााष्ट्रीय वगीकरण प्रणामलयों में शाममल करन ेका अवसर देगा।

• इस पररग्रहण से भारत में आई.पी. की सुरक्षा के संबंध में ववदेशी तनवेशकों में ववववास जगन ेकी उम्मीद है।

• इस समझौत े के अंतगात इस पररग्रहण से वगीकरण की समीक्षा और संशोधन के संदभा में तनणाय लेने की प्रकक्रया में अचधकारों का प्रयोग करन ेमें भी सुववधा होगी।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – बौद्धिक संपदा अधिकार स्रोत-पी.आई.बी.

5. मंत्रिमंडि िे कें द्रशालसत प्रदेशों में संविाि को मंजूरी प्रदाि की िै।

• कें द्रीय मंबत्रमंडल ने दमन और दीव मसववल न्यायालयों (संशोधन) ववतनयमन, 2019 और दादरा और नगर हवेली (मसववल न्यायालय और ववववध प्रावधान) संशोधन ववतनयमन, 2019 के संवधान को मंजूरी प्रदान की है।

• यह संववधान के अनुच्छेद 240 के अंतगात ककया जाएगा।

िाभ: • यह कदम न्यातयक सेवा में एकरूपता लाने में

सहायक होगा। • यह मौजूदा सीममत ववत् तीय क्षेत्राचधकार के कारण

अपील दायर करन े के मलए मुम्बई जाने में वाददयों के सामने आने वाली कदठनाइयों को दरू करन ेमें भी मदद करेगा।

• संवचधात ववत् तीय क्षेत्राचधकार, न्यातयक ववतरण प्रणाली को गतत प्रदान करेगा, इसके अततररक् त वाददयों के मलए कें द्रशामसत प्रदेश के बाहर यात्रा ककए बबना आसान पहुुँि भी प्रदान करेगा।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2 – गविैंस

स्रोत-पी.आई.बी. 6. शिद, प्रदषूण के लिए बािोमाका र के रूप में

प्रिोग ककिा जा सकता िै। • शहरी क्षेत्रों में शहद का उपयोग बायोमाका र के

रूप में प्रदवूषत इलाकों की पहिान करन ेके मलए ककया जा सकता है।

• पररणामों से ज्ञात हुआ है कक अचधक पररवहन िमलत क्षेत्रों और औद्योचगक गततववचधयों ने शहद मे लेड की सांद्रता को बढ़ा ददया है।

संबंधित जािकारी • समान प्रकार से, जलकंुभी या इिोरतनया कै्रमसप् स

नामक जलीय पौधे के एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कक इनका उपयोग बायोमाका र के रूप में ककया जा सकता है।

• यह पौधा सामान् यत: उष्ट्णकदटबंधीय देशों में पाया जाता है और पानी से पोषक तत्वों और अन्य तत्वों को अवशोवषत करन े की अपनी क्षमता के मलए जाना जाता है।

बािोमाका र • इसे "जैववक प्रततकक्रयाओं में आजण् वक से लेकर

कोमशकीय, शारीररक प्रततकक्रयाओं से लेकर व् यवहाररक पररवतानों तक के पररवतान, जो पयाावरणीय रसायनों के ववषाक्त प्रभावों और अनावरण से संबंचधत हो सकत ेहै।" के रूप में पररभावषत ककया जाता है।

टॉपपक- जी.एस.-3- पिाावरण

स्रोत- डाउि टू अिा

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7. स् टारी बौिा मेंढक

• एक स् टारी बौने मेंढक में हल् के नीले रंग के धब्ल बे और िमकीले नारंगी रंग की जांघ होती है, यह मेंढक केरल के वायनाड जजले में पाया जाता है।

• इस मेंढक की ववमशष्ट् ट शारीररक ववशेषताएं होती हैं, जैसे: बत्रकोणीय उंगली और पैर की अंगुली का अग्रछोर हैं, इन अंगो के आकार दक्षक्षण अमेररका और अफ्रीका में पाए जाने वाले मेंढक के समान हैं।

• मेंढक की प्रजातत को केरल के कुररचिया आददवासी समुदाय के सम्मान में एस्रोबत्रािुस कूररचियाना के रूप में नाममत ककया गया है।

• मेंढक न केवल एक नई प्रजातत का है बजल्क एक नया 'उप-पररवार' ददए जाने हेतु को पयााप् त रूप से मभन् न है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – जैवपवपविता स्रोत- द हिदं ू

8. लसिम के पािी में ब्ि ूिोि

• ब्लल ू होल सामान् यत: गोलाकार, खडी-दीवार पर गढ्ढे होत ेहैं।

• इसका नाम ब्ल ल ूहोल, गाढे़ नीले, इनकी गहराइयों के गहरे पानी और उनके िारों ओर के तछछले पानी के आसमानी रंग के मध् य नाटकीय ववरोधाभास के कारण रखा गया था।

• यह काबोनेट आधार (िूना पत्थर या प्रवाल मभवत्त) से बन ेएक ककनारे या द्वीप में ववकमसत होत ेहैं।

• गहरा नीला रंग, पानी की उच्ि पारदमशाता और िमकीले सफेद काबोनेट रेत के कारण होता है।

• उनका जल संिलन खराब है और सामान् यत: एक तनजवित गहराई से नीिे उनमें आक् सीजन की कमी होती हैं, यह वातावरण अचधकांशत: समुद्री जीवन के मलए प्रततकूल है लेककन कफर भी बडी संख्या में जीवाणुओं का समथान कर सकत ेहैं।

• ब्लल ूहोल को सेनोट्स से पहिाना जाता है जजसमें बाद वाली आंतररक ररजक्तयां होती हैं जजनमें सामान् यत: समुद्री जल की अपेक्षा ताजा भूजल होता है।

कुछ मित्वपूणा ब्िू िोि िैं: • ड्रगैन होल- दक्षक्षण िीन सागर • गे्रट ब्ललू होल- बेलीज

• डीन का ब्लल ूहोल– बहामास

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3 – पिाावरण

स्रोत- इंडडिि एक् सपे्रस

15.03.2019

1. मािव-पोटेबि टैंक रोिी निदेलशत लमसाइि (एम.पी.ए.टी.जी.एम.)

• डी.आर.डी.ओ. ने राजस्थान के रेचगस्तान क्षेत्रों में स्वदेशी रूप से ववकमसत, कम वजनी, फायर एंड फॉगेट मानव पोटेबल टैंक रोधी तनदेमशत ममसाइल (एम.पी.ए.टी.जी.एम.) का दसूरी बार सफलतापूवाक परीक्षण ककया है।

• एम.पी.ए.टीजी.एम. में समाकमलत हवाई ज हाज के साथ अत् याधुतनक इमेजजंग अवरक् त रडार (आई.आई.आर.) अन् वेषक सदहत उन् नत ववशेषताएं शाममल की गई हैं।

• एक उच्ि-ववस्फोटक एंटी-टैंक (हीट) वारहेड से ससुजज्जत एम.पी.ए.टी.जी.एम. कचथत तौर पर शीषा हमले की क्षमता रखता है और यह 2.5 कक.मी. तक की अचधकतम व् यवस् थापन सीमा रखता है।

• यह हल् के वजन वाला एम.पी.ए.टी.जी.एम., इजरायल से खरीदी जाने वाली स्पाइक टैंकरोधी तनदेमशत ममसाइल को पूरा करेगा।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3- रक्षा स्रोत-पी.आई.बी.

2. भारत ऊजाा मॉडलिगं मंच (आई.ई.एम.एफ.)

• नीतत आयोग और संयुक् त राष्ट् र अंतरााष्ट् रीय ववकास संस् था (यू.एस.ए.आई.डी.) ने आई.ई.एम.एफ. के ववकास पर पहली कायाशाला का आयोजन ककया है।

• वविारों, पररदृवय-योजना और भारत के ऊजाा भववष्ट्य पर ििाा करने के मलए एक पैन-दहतधारक मंि के रूप में इसकी पररकल्पना की गई है।

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• आई.ई.एम.एफ. महत्वपूणा ऊजाा और पयाावरणीय मुद्दों का अध्ययन करने और एक सूचित तनणाय तनमााण प्रकक्रया में मॉडमलगं और वववलेषण के समावेश को सुतनजवित करन े के मलए प्रमुख ववशेषज्ञों और नीतत तनमााताओं को मंि प्रदान करना िाहता है।

• इसका उद्देवय मॉडमलगं टीमों, भारत सरकार, ज्ञान भागीदारों और प्रबुद्ध मंडलों के मध् य सहयोग और समन् वय में सुधार करना और भारतीय संस्थानों की क्षमता का तनमााण करना और संयुक्त मॉडमलगं गततववचधयों और अनुसंधान के भववष्ट्य के क्षेत्रों के मलए मुद्दों की पहिान करना है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3- ऊजाा क्षेि

स्रोत- द हिदं ू

3. भारत िेतु "क्िाइमेट वलु्िेराजब्िटी इंडके्स" (जिवािु भेद्िता सूचकांक)

• ववज्ञान एवं प्रौद्योचगकी ववभाग के भारतीय वैज्ञातनकों ने दहमालयी क्षेत्र के सभी 12 राज्यों में जलवायु पररवतान भेद्यता के मूल् यांकन हेतु एक सामान्य ढांिा ववकमसत ककया है।

• ये राज्य असम, मणणपुर, मेघालय, ममजोरम,

नागालैंड, बत्रपुरा, अरुणािल प्रदेश, मसजक्कम,

दहमािल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कवमीर और पजविम बंगाल के पहाडी जजले हैं।

• जलवायु भेद्यता सूिकांक को सामाजजक-आचथाक कारकों, जनसांजख्यकीय और स्वास््य की जस्थतत, कृवष उत्पादन की सवंेदनशीलता, वन-आधाररत आजीववका और सूिना, सेवाओं और ढांिा सुववधाओं तक पहंुि के आधार पर ववकमसत ककया गया है।

सूचकांक की मुख्ि पवशेषताएं

• यह सूिकांक 0-1 के मध् य पैमाने पर आधाररत है। • 1, भेद्यता के उच्ितम संभव स्तर को दशााता

है और 0, भेद्यता के न् यूनतम संभव स् तर को दशााता है।

• असम (0.72) और ममजोरम (0.71) के मलए भेद्यता सूिकांक अचधकतम है और मसजक्कम,

0.42 सूिकांक मान के साथ न् यूनतम भेद्य राज् य है।

• एक राज्य के भीतर जजले भौगोमलक, जलवायु,

सामाजजक-आचथाक और जनसांजख्यकीय जस्थततयों में अंतर के आधार पर भेद्यता की ववमभन्न कोदटयों का सामना करत ेहैं।

संबंधित जािकारी • वषा 2018 में, पोलैंड में अमेररकी जलवायु

पररवतान सम्मेलन में ज्ञात हुआ था कक 12

दहमालयी राज्य जैसे असम, अरुणािल प्रदेश और उत्तराखंड आदद जलवायु पररवतान के प्रतत संवेदनशील हैं।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3- मित्वपूणा सूचकांक

स्रोत- द हिदं ू

4. अिुपजस्ित मतदाि

• यह ककसी ऐसे व्यजक्त द्वारा डाले गए मत को संदमभात करता है जो मतदाताओं की उपजस्थतत को बढ़ाने में मदद करने हेतु मतदान कें द्र तक जा सकन ेमें सक्षम नहीं है।

• कुछ देशों में, मतदाता को अनुपजस्थत मतदान में भाग लेने के मलए मतदान कें द्र तक न जा सकन ेका कारण बतान ेकी आवव यक् ता होती है।

• भारत में, केवल कुछ मतदाताओं के मलए डाक मतपत्र उपलब्ल ध हैं।

• जनप्रतततनचधत्व अचधतनयम, 1950 राज्यों के प्रमुखों और सशस्त्र बलों में सेवा देने वाले लोगो को डाक माध्यमों से मतदान करन ेकी अनुमतत प्रदान करता है।

• लोकसभा ने हाल ही में एन.आर.आई. के मलए प्रतततनचध मतदान की अनुमतत प्रदान करन ेहेतु एक ववधेयक पाररत ककया है।

• हालांकक, भारत में स् वदेशी प्रवासी और अनुपजस्थत मतदाता, डाक मत नही ंडाल सकते हैं।

िोट: • प्रतततनचध मतदान, मतदान का एक रूप है

जजसके अंतगात तनणाय तनमााण तनकाय का एक सदस्य ककसी प्रतततनचध को अपनी मतदान की शजक्त प्रदान कर सकता है, जजससे कक वह अनुपजस्थतत में भी मतदान कर सके।

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• प्रतततनचध, समान तनकाय अथवा बाहरी तनकाय का अन् य सदस्य हो सकता है। एक नाममत व्यजक्त को "प्रतततनचध" कहा जाता है और उसे नाममत करन ेवाले व्यजक्त को "प्रमुख" कहा जाता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 2- गविैंस

स्रोत- द हिदं ू

5. भारत में पपकं बॉिवॉमा नििंिण से बािर िो गिा िै।

• वपकं बॉलवॉमा पूरे भारत में ववशेषकर पजविम,

मध्य और दक्षक्षणी भागों में रेशा फसलों को नष्ट् ट कर रहा है।

• वपकं बॉलवॉमा ने क्राइ1ए.सी. और क्राइ2ए.बी. के प्रतत प्रततरोध ववकमसत ककया है, ये वतामान में भारत में वपकं बॉलवॉमा से तनपटने हेतु उपलब्लध दो जैव प्रौद्योचगक समाधान हैं।

• शोधकतााओं ने वपकं बॉलीवॉमा से तनपटने के मलए कपास के मौसम को छोटा करन,े फसल के अवशेषों को नष्ट्ट करन,े गमी की जुताई को गहन करन,े फसल के घूणान, संभोग ववघटन,

कीटनाशकों का प्रयोग करने का सुझाव ददया है। संबंधित जािकारी पपकं बॉिवॉमा

• यह एक कीट है जजसे कपास की खेती में एक बीमारी के रूप में जाना जाता है।

• वपकं बॉलवॉमा, एमशया से मलू संबंध रखता है लेककन अब यह दतुनया के अचधकांश कपास उगाने वाले क्षते्रों में एक आक्रामक प्रजातत बन गई है।

• मादा पतंगा, एक कपास की गेंदो में अंड ेदेता है और जब अंड ेसे लावाा तनकलता है तो ये उन् हें खाकर नुकसान पहंुिात ेहैं।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3– पवज्ञाि एवं तकिीकक

स्रोत- द हिदं ूत्रबजिेस िाइि

6. अफ्रीका-भारत संिुक्त क्षेि प्रलशक्षण िुद्िाभ्िास (एकफंडके् स-19)

• यह भारतीय सेना और 16 अफ्रीकी देशों के मध् य आयोजजत ककया जाता है।

• एकफंडके् स-19 का उद्देवय संयुक्त राष्ट्र ववशेषाचधकार के अंतगात व्यावहाररक और व्यापक ििाा और सामररक अभ्यास के माध्यम से मानवीय सुरंग सहायता (एि.एम.ए.) और शांततपूणा संिालन (पी.के.ओ.) में भाग लेने वाले प्रततयोचगयों को प्रमशक्षक्षत करना है।

• यह संयुक्त युद्धाभ्यास अंतकाायाकाररता को प्राप् त करन े और समजन्वत पररिालन स्तर योजना एवं सामररक स्तर के प्रमशक्षण के माध्यम से एक-दसूरे की कायाप्रणामलयां और रणनीततयों को सीखने पर ध् यान कें दद्रत करेगा।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3– रक्षा स्रोत- इंडडिि एक् सपे्रस

7. आर.बी.आई द्वारा पवदेशी मुद्रा स्वैप के माध्िम से ताजा तरिता समावेशि घोषणा की गई िै।

• आर.बी.आई. ने पहली बार प्रणाली में तरलता को बढ़ाने के मलए एक नए उपकरण का उपयोग करन ेका तनणाय मलया है, जजसका उपयोग करके वह बैंकों से 5 बबमलयन डॉलर का स्वैप सौदा खरीदेगा जो प्रणाली में लगभग 35,000 करोड रूपए का प्रवाह बनाने में सक्षम है।

संबंधित जािकारी पवदेशी पवनिमि स् वैप

• ववत्त में, एक ववदेशी ववतनमय स्वैप या एफ.एक्स. स्वैप दो अलग-अलग मूल्य ततचथयों के साथ एक मुद्रा की समान रामश की एक साथ खरीद और बबक्री है (सामान्य रूप से पे्रवषत करन ेहेतु) और ववदेशी मुद्रा व् युतपन् नों का उपयोग कर सकत ेहैं।

• एक एफ.एक्स. स्वपै, एक तनजवित मुद्रा की रकम को ववदेशी मुद्रा जोणखम को प्राप्त ककए बबना ककसी अन्य मुद्रा में तनददाष्ट्ट शुल्कों को तनचध के मलए उपयोग करने की अनुमतत देता है।

• यह उन कंपतनयों को अनुमतत देता है जजनके पास कुशलतापूवाक प्रबंधन करने के मलए ववमभन्न मुद्राओं में धन है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3– अिाशास् ि

स्रोत- इकोिॉलमक टाइम् स

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8. पूरे अमेररका में किर बरसािे वािा बम चिवात क्िा िै?

• एक शजक्तशाली तूफान प्रणाली के "बम िक्रवात" में बदलने की उम्मीद है, यह भववष्ट् यवाणी की गई है कक कें द्रीय अमेररका को तूफानी हवाओं और भारी बाररश का सामना करना पड सकता है।

संबंधित जािकारी "बम चिवात" क्िा िै?

• एक तूफान को 'बम िक्रवात' माना जाता है जब दाब तजेी से कम होता है और 24 घंटों में कम से कम 24 ममलीबार तक कम हो जाता है।

• बम िक्रवात कमजोर पडने के बाद धु्रवीय क्षेत्रों से भी हवाएं खींित ेहैं। यह अमेररका के वायु जमाव भागों की व् याख् या करता है।

• बम िक्रवात मूल रूप से गमा हवा और ठंडी हवा की टक्कर से उत्पन्न होने वाला एक तूफान है, जो घूणान तूफान जैसे प्रारूप में ववकमसत होता है और दाब को एक ववस्फोटक गहनता की ओर ले जाता है।

टॉपपक- जी.एस. पेपर 3– पिाावरण

स्रोत- डाउि टू अिा

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