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Claas-V Hindi Specimen copy Year- 2020-21 Semester-...

Date post: 22-Oct-2020
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Claas-V Hindi Specimen copy Year- 2020-21 Semester- 2
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  • Claas-V

    Hindi

    Specimen copy

    Year- 2020-21

    Semester- 2

  • वह वाक्य या वाक्याांश जो अपना साधारण अर्थ छोड़कर ककसी ववशेष अर्थ को प्रकट करता है, उस ेमुहावरा कहत ेहैं। • अांक भरना – स्नेह से लिपटा िेना • अांग टूटना – थकान से ददद होना • अांगार बनना – िाि होना या कु्रद्ध होना • अांगारों पर पैर रखना – जानबूझकर हाननकारक काम करना • अांगारों पर लोटना – दुुःख सहना • अांगूठा दिखाना – वक्त पर घोखा देना • अांचरा पसारना – याचना करना या मााँगना • अण्टी मारना – चाि चिना • अण्ड-वण्ड कहना – भिा बुरा कहना • अांधाधुांध लुटाना – बबना ववचारे खचद करना • अँधा बनना – आगे पीछे कुछ न देखना • अँधा बनाना – धोखा देना • अँधा होना – वववेक भ्रष्ट हो जाना • अांधे की लकड़ी – एक ही सहारा होना • अांधेर खाता – अन्याय • अांधेरनगरी – ऐसी जगह जहााँ धाांधिी का बोिबािा हो • अक्ल पर पत्र्र पड़ना – बुद्धध भ्रष्ट होना • अक्ल की िमु – अपने को बड़ा होलियार समझने वािा • अगले ज़माने का आिमी – सीधा सादा या ईमानदार • अड़ड़यल टट्टू – अटक अटक कर या मुाँह जोहकर काम करने वािा • अढ़ाई दिन की हुकूमत – कुछ ददनों की िानोिौकत • अन्न जल उठना – रहने का सांयोग न होना या मर जाना • अन्न लगना – स्वस््य रहना • अपना उल्लू सीधा करना – अपना काम ननकािना • अपना ककया पाना – कमद भोगना • अपना सा मुँह लेकर रह जाना – िलमिंदा होना • अपनी खखचड़ी अलग पकाना – अिग रहना या स्वाथी होना

  • • अपने पाँव आप कुल्हाड़ी मारना – सांकट मोि िेना • अपने पैरों खड़ा होना – स्वाविम्बी होना • अपने मुँह ममया ममट्ठू होना – अपनी तारीफ खुद करना • अब-तब करना – बहाना करना • अब-तब होना – परेिाां करना या मरने के करीब होना • आँच न आने िेना – जरा भी कष्ट न होने देना • आठ-आठ आँसू रोना – बुरी तरह पछताना • आसान डोलना – ववचलित या िुब्ध होना • आस्तीन का साँप – कपटी लमत्र • आसमान टूट पड़ना – बहुत बड़ा सांकट पड़ना • आँखें खुलना – होि आना या सावधान होना • आँखें चार होना – आमने सामने होना

    दिनाांक

    पुज्यनीयप्राचायथ

    सांत केव्सस्कूल मुम्बई

    आिर ननयप्राचायथमहोिय

    मैंने यह पत्र आपको ये सूचचत करने हेतु मलखा है कक हमारे ववद्यालय में पानी की बहुत बड़ी समस्या उत्पन हो गयी है और ये समस्या पहली बार नहीां हर गमीके मौसम में उत्पन होती है हमारे स्कूल में नल और मसर्थ चापाकल है और ववद्याचर्थयों की सांख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है जजसके वजह से गमी के मौसम में हमें पानी पीने के मलए लांबी लाइन में लगना पड़ता है और आज कल हमारे स्कूल की पानी भी अच्छी नहीां रही है कभी कभी पानी में से गांध आने लगती है । इसमलए में आपसे ननवेिन करता हँू की कृपया आप इस समस्याका ननवारण करे।

    आपका आज्ञाकारी छा

    आदित्यमसांह।

  • जजन शब्िों से ककसी कायथ का करना या होना व्सयक्त हो उन्हें किया कहते हैं।

    जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा आदि। उिाहरणस्वरूप अगर एक वाक्य 'मैंने खाना खाया' िेखा जाये तो इसमें किया 'खाया' शब्ि है।

    'इसका नाम मोहन है' में किया 'है' शब्ि है।

    1 अकमथक किया : जजस क्रक्रया का फि कताद पर ही पड़ता है वह क्रक्रया अकमदक क्रक्रया कहिाती हैं। इस क्रक्रया में कमद का अभाव होता है।

    जजन कियाओां का र्ल और व्सयापर कताथ को ममलता है उस ेअकमथक किया कहत ेहैं।

    जैसे : श्याम पढता है।

    • राजेश िौड़ता है। • साांप रेंगता है। • पूजा हांसती है। • मेघनार् चचल्लाता है। • रावण लजाता है। • राम बचाता है।

    2 सकमथक किया: जजस किया में कमथ का होना ज़रूरी होता है वह किया सकमथक किया कहलाती है।

    इन कियाओां का असर कताथ पर न पड़कर कमथ पर पड़ता है। सकमथक अर्ाथत कमथ के सार्।

    जैसे : ववकास पानी पीता है। इसमें पीता है (किया) का र्ल कताथ पर ना पडके कमथ पानी पर पड़ रहा है।

  • अतः यह सकमथक किया है।

    • रमेि फि खाता है। • सुदिदन गाडी चिाता है। • मैं बाइक चिाता हूाँ। • रमा सब्जी बनाती है। • सुरेि सामान िाता है।

    किकेटभारत में किकेट का खेल कई वषों से खेला जा रहा है, यह एक कार्ी प्रमसद्ध तर्ा रोमाांचक खेल है। इसे खेल को बच्चों द्वारा कार्ी पसांि ककया जाता है सामान्यतः छोटे मैिान, सड़क जैसे आदि जैसे ककसी भी छोटे खुले स्र्ानों पर उनकी किकेट खेलन ेकी आित होती है। बच्चे किकेट और उसके ननयम-कानूनों के बारे में जानकारी के शौकीन होत ेहै। भारत में राष्ट्रीय और अांतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जान ेवाले में खेलों में किकेट सबसे अचधक प्रमसद्ध है। लोगों में किकेट की लोकवप्रयता इतनी अचधक है कक इस खेल को िेखने के मलए िशथकों की जजतनी भीड़ स्टेड़डयम में जाती है उतनी शायि ही ककसी िसूरे खेल में जाती हो। किकेट राष्ट्रीय और अांतरराष्ट्रीय स्तर पर कई िेशों द्वारा पर खेला जाने वाला एक पेशेवर स्तर का आउटडोर खेल है। इस बाहर खेले जान ेवाले खेल में 11 खखलाड़ड़यों की िो टीमें होती है। किकेट तब तक खेला जाता है जब तक 50 ओवर पूरे न हो जाए। इससे जुड़ ेननयम-कानून का सांचालन तर्ा ननयमन अांतरराष्ट्रीय किकेट पररषि और मेलथबोनथ किकेट क्लब द्वारा ककया जाता है। यह खेल टेस्ट मैचों और एक दिवसीय तर्ा टी 20 अांतरराष्ट्रीय मैचों के रुप में खेला जाता है। सवथप्रर्म यह खेल 16वीां शताब्िी के िक्षिणी इांग्लैंड में खेला जाता र्ा। हालाँकक 18वीां शताब्िी के िौरान इसका ववकास इांग्लैंड के राष्ट्रीय खेल के रुप में हुआ। भारत में छोटे बच्चे इस खेल के दिवान ेहै और वह इसे छोटी सी खुली जगहों में खेलते है, खासतौर से सड़क और पाकथ में। अगर इसे रोज खेला और अभ्यास ककया जाये तो ये बहुत ही आसान खेल है। किकेट खखलाड़ड़यों को अपने खले में सुधार लान ेके मलये रोज अभ्यास की

  • जरूरत पड़ती है जजससे वो छोटी-छोटी गलनतयों को िरू कर सकें और पूरे प्रवाह के सार् इसे खेल सकें ।

  • काल का अर्थ होता है – समय। किया के जजस रूप से कायथ के होने के समय का पता चले उस ेकाल कहत ेहैं। अर्ातथ कायथ – व्सयापार के समय और उसकी पूणथ और अपूणथ अवस्र्ा के ज्ञान के रूपाांतरण को काल कहत ेहैं।

  • (1) भूतकाल: भूतकाल का अर्थ होता है बबता हुआ। किया के जजस रूप स ेबीते हुए समय का पता चले उस ेभूतकाल कहत ेहैं। अर्ातथ जजस किया स ेकायथ के समाप्त होन ेका पता चले उसे भूतकाल कहत ेहैं। इसकी पहचान वाक्यों के अांत में र्ा , र् े, र्ी आदि स ेहोती है। o वह जा चुका र्ा| o मैं रेन में बैठा र्ा| o बल्ब जल रहा र्ा| o मीना उसे मार रही र्ी| o वह परीिा के मलए जा रहा र्ा| o राम जा रहा र्ा| o श्याम जा रहा र्ा| o रेन ने रफ्तार पकड़ ली र्ी| o गाड़ी चल रही र्ी|

    वततमान काल : किया के जजस रूप से यह पता चले की काम अभी हो रहा है उसे वतथमान काल कहत ेहैं। अर्ातथ किया के जजस रूप से समय का पता चले और किया व्सयापर का वतथमान समय में पता चले उसे वतथमान काल कहत ेहैं।

    जजन वाक्यों के अांत में ता , ती , ते , है , हैं आते हैं वो वतथमान काल कहलाता है। कियाओां के होने की ननरन्तरता को वतथमान काल कहत ेहैं।

    o राम जा रहा है| o श्याम खा रहा है| o मीना उसे मार रही है| o वह परीिा के मलए जा रहा है| o गाड़ी चल रही है| o मैं रेन में बैठा हँू| o रेन रफ्तार पकड़ रही है| o घड़ी चल रही है|

  • o श्याम मलख रहा है| o बल्ब जल रहा है|

    3:भववष्य काल: किया के जजस रूप से किया के आने वाले समय में पूरा होन ेका पता चले उस ेभववष्ट्य काल कहत ेहैं। इसस ेआगे आने वाले समय का पता चलता है। जजन वाक्यों के अांत में गा , ग े, गी आदि आत ेहैं व ेभववष्ट्य काल होते हैं।

    o वह चला जाएगा| o मैं परीिा जरूर िूँगा| o राम जाएगा| o श्याम खाएगा| o वह रेन में बैठ जाएगा| o रेन रफ्तार पकड़ लेगी| o बल्ब जल जाएगा| o नहर सुख जाएगी| o तुम चले जाओगे|

    एक साि पहिे एक गाांव में एक क्रकसान रहा करता था। वह क्रकसी तरह क्रकसानी से अपना जीवन गुजार रहा था। उसकी पत्नी और बच्चे भी उसी की कमाई पर ननभदर थे। क्रकसान मांडी में कभी – कभी थोड़ा अनाज बेच आता था। एक ददन एक गरीब आदमी क्रकसान के यहाां आया और बोिा – ‘मरेे घर के िोग बहुत भखेू हैं। मैं तुमसे चावि का एक बोरा चाहता हूाँ परन्तु बदिे में देने के लिए मरेे पास पसैे नहीां हैं। हाां, अगर तुम मेरी इस मुगी के बदिे चावि दे सको तो बड़ी मेहरबानी होगी?”

    क्रकसान गरीब तो था, पर दयाि ुभी था। वह भखू और गरीबी के ममद को समझता था, इसलिए उसने मुगी के बदिे चावि का सौदा कर लिया। इधर वह आदमी चावि का बोरा िादे उसे

  • दआुएां देता चिा गया, पर उधर क्रकसान की पत्नी ने अपने पनत को इस सौदे के लिए खूब खरी – खोटी सुना डािी। कुछ समय बीतने के बाद क्रकसान की पत्नी ने उस मगुी को एक ददन ‘सोने का अांडा’ देत ेदेखा, तो उसकी आांखें फटी रह गई। ऐसा तो कभी होते नहीां सनुा। उसने झट से सोने का अांडा उठाकर रख लिया और दौड़कर क्रकसान को इस चमत्कार के बारे में बताया। यह जानकर क्रकसान भी खुि हुआ। उसने वह अांडा िहर जाकर बेचा तो खूब धन लमिा। अब मगुी रोज सोने का एक अांडा देती और क्रकसान उसे िहर जाकर बेच आता। उनके ददन क्रफरने िगे। कभी व ेअन्न बचेकर कां गाि थ,े पर अब सोने का अांडा उन्हें मािामाि कर रहा था। क्रकसान जल्दी ही धनपनत हो गया। एक ददन क्रकसान की पत्नी बौखिाई – ‘यह मुगी बहुत ही आिसी है। यह रोज एक ही अांडा देती है, जबक्रक इसके पटे में तो कई अांडे हो सकत ेहैं? क्या तुम इससे और अांडे नहीां ननकिवा सकते?’ ‘नहीां’ क्रकसान ने कहा – ‘यह नाममुक्रकन है। हमें ज्यादा िािच नहीां करना चादहए। भगवान की कृपा से जो लमि रहा है उसमें खुि रहना चादहए।’ क्रकसान की पत्नी का स्वभाव कुछ अिग था। वह बड़ी जजद्दी थी। एक ददन जब क्रकसान घर पर नहीां था, तभी उसने छुरी उठाकर मगुी का पेट चीर ददया। मुगी खून से िथपथ होकर तड़प रही थी। क्रकसान की पत्नी को उसके पटे में जब एक भी अांडा नहीां ददखा, तो वह अपना लसर पकड़ कर बठै गई। थोड़ी देर में मुगी िाांत हो गई, अब उन्हें कभी भी सोने के अांडे नहीां लमि सकत ेथे। आखखर िािच का फि बुरा जो होता है।

    http://www.webmd.com/eye-health/picture-of-the-eyeshttp://www.webmd.com/eye-health/picture-of-the-eyes

  • • दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहतेहैं।

    उदाहरण: श्याम पढ़ाई करता है।

    सीता खाना खाती है।

    दिन ढल गया और अन्धेरा बढ़न ेलगा।

  • वप्रय बोलो पर असत्य नहीां।

    मैंन ेबहुत पररश्रम ककया इसमलए सर्ल हो गया।

    मैं बहुत तज़े िौड़ा कर्र भी रेन नहीां पकड़ सका।

    िशहरा या ववजयिशमी का त्योहार बड़ी धमूधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय सांस्कृनत के वीरता का पजूक, शौयथ का उपासक है। आजश्वन शुक्ल िशमी को मनाया जाने वाला िशहरा यानी आयधु-पूजा दहन्िओुां का एक प्रमुख त्योहार है।

    व्सयजक्त और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसमलए िशहरे का उत्सव रखा गया है। असत्य पर सत्य की ववजय - भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध ककया र्ा। इसे असत्य पर सत्य की ववजय के रूप में मनाया जाता है। इसीमलए इस िशमी को ववजयािशमी के नाम से जाना जाता है। िशहरा वषथ की तीन अत्यांत शुभ नतचर्यों में से एक है, अन्य िो हैं चैत्र शुक्ल की एवां कानतथक शुक्ल की प्रनतपिा। इसी दिन लोग नया कायथ प्रारांभ करत ेहैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।

    राम और रावण का युद्ध- रावण भगवान राम की पत्नी िेवी सीता का अपहरण कर लांका ले गया र्ा। भगवान राम युद्ध की िेवी माां िगुाथ के भक्त र्,े उन्होंने यदु्ध के िौरान पहले नौ

  • दिनों तक माां िगुाथ की पजूा की और िसवें दिन िषु्ट्ट रावण का वध ककया। इसमलए ववजयािशमी एक बहुत ही महत्वपूणथ दिन है। राम की ववजय के प्रतीक स्वरूप इस पवथ को 'ववजयािशमी' कहा जाता है। िशहरा पवथ पर मेले- िशहरा पवथ को मनाने के मलए जगह-जगह बड़े मलेों का आयोजन ककया जाता है।

  • एक ही शब्ि के एक से ज्यािा अर्थ ननकले उसे पयाथयवाची शब्ि कहत ेहै. अर्ाथत ककसी शब्ि-ववशेष के मलए प्रयुक्त समानार्थक शब्िों को पयाथयवाची शब्ि कहत ेहैं| 1. अमतृ – सोम, पीयूष, सुधा, अममय, मधु। 2. अजग्न – आग, हुताशन, अनल, पावक। 3. हवा – पवन, वायु, समीर, अननल, बयार।

  • 4. बािल – घटा, मेघ, अांबुि, घन। 5. आांख – नेत्र, लोचन, नयन। 6. रू्ल – पुष्ट्प, सुमन, कुसुम, प्रसून। 7. अांहकार – घमांड, िांभ, अमभमान, गवथ, मि। 8. सूयथ – सूरज, रवव, भास्कर, दिनकर, भानु। 9. चांद्रमा – चाांि, सोम, चन्द्र, शमश। 10. घोड़ा – अश्व, तुरांग, घोटक, वाजज। 11. कुत्ता – श्वान, शुनक, कुक्कुर, सारमेव। 12. पिी – खग, पांछी, ववहांग, ववगह। 13. गांगा – भागीरर्ी, सुरसरी, िेवनिी। 14. अांग – दहस्सा, भाग, अवयव, अांश। 15. अांधकार – अांधेरा, राबत्र, तमस, नतममर, तम। 16. जांगल – वन, अरण्य, कानन, वववपन। 17. आकाश – अांबर, आसमान, गगन, र्लक, व्सयोम।

    आपके ववद्यालय के वावषतक उत्सव में नाटक मंचन हेत ुइच्छुक छात्रों को जानकारी देने हेत ुएक सूचना तैयार कीजजए।

    डी.ए.वी. पजललक स्कूल सूचना

    नाटक मंचन का आयोजन ददनाकं :24/08/2017 इस ववद्यालय के सभी छात्रों को सूचचत ककया जाता है कक ववद्यालय के

    वावषतक उत्सव में नाटक मंचन ककया जाएगा। जो भी छात्र नाटक में अभभनय करन े

    के इच्छुक हों, व े 03 भसतंबर 2017 को अंततम दो कालांश (Period) में स्रीन

    टेस्ट हेत ुकरया-कलाप कक्ष में उपजस्ित रहें।

  • राकेश कुमार छात्र सचचव


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