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sanskritisarita.files.wordpress.com · Web view|| श र मह लक ष म सहस रन...

Date post: 19-Jun-2021
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|| शशशश शशशशशशशशशश शशशशशशशश शशशशशशशशश || शशशशश शशशशश शशशशशशशश शशशशशशश शशशशशश शशशशशशशशशशशशशशश | शशशशश शशशशशशश शशशशशश शशशशशशशश शशशशशशशशशशशश || || शशशशशशशशशशशशशशशशश शशश शशशशशशशशशशशशशशश | शशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशशशशशश || || शशशशशशश शशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशश | शशशशशशशशशशश शशशशशशशशशशश शशशशशशशशशश शशशशशशशशश || || शशशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशश शशशशशशश | शशशशशशशशशश शशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशशशश || || शशशशशश शशशशशशश शशशशशशश शशशशशशशशशशश शशशशशशशश | शशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशशश || || शशशशशशश शशशशशश शशशशशश शशशशशशशशशश शशशशशशश | शशशशशशशशशशश शशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशशशशशश || || शशशशशशशशशशशशशशशशशशशश शशशशशशशशशशशशशश शशशशशशशशश | शशशशशशश शशशशशश शशशश शशशशशशश शशशशशशशशशशशश || || शशशशशशश शशशशशशशश शशशशशशशशशश शशशशशशशशश | शशशशशशशशश शशशशशशशश श शशशशशशश शशशशशश शशशशशश || || शशशशशशशश शशशशशशशशशशश शशशशशशशशश शशशशशशशशशशशश | शशशशशशश शशशशशश शशशशशश शशशशश शशशशश शशश || ||
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|| श्री महालक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम् ||

श्रीः पद्मा प्रकृति�ः सत्त्वा शान्�ा चि�च्छचि�रव्यया | केवला ति�ष्कला शुद्धा व्यातिप�ी व्योमतिवग्रहा || १|| व्योमपद्मकृ�ाधारा परा व्योमामृ�ोद्भवा | ति�व्य&मा व्योममध्यस्था पञ्�व्योमपदाश्रिश्र�ा || २||अच्यु�ा व्योमति�लया परमा�न्दरूतिपणी | ति�त्यशुद्धा ति�त्य�ृप्�ा ति�र्विव4कारा ति�रीक्षणा || ३||

ज्ञा�शचि�ः क�ृ8शचि�र्भो&�ृशचि�ः चिशखावहा | स्�ेहार्भोासा ति�रा�न्दा तिवरू्भोति�र्विव4मला�ला || ४||अ�न्�ा वैष्णवी व्य�ा तिवश्वा�न्दा तिवकाचिस�ी | शचि�र्विव4श्रिर्भोन्नसवा8र्वि�4ः समुद्रपरिर�ोतिCणी || ५||

मूर्वि�4ः स�ा��ी हादE ति�स्�रङ्गा ति�रामया | ज्ञा�जे्ञया ज्ञा�गम्या ज्ञा�ज्ञेयतिवकाचिस�ी || ६|| स्वच्छन्दशचि�ग8ह�ा ति�ष्कम्पार्चि�4ः सुति�म8ला | स्वरूपा सव8गा पारा बृंतिहणी सुगुणोर्जिO4�ा || ७||

अकलङ्का ति�राधारा ति�ःसंकल्पा ति�राश्रया | असंकीणा8 सुशान्�ा � शाश्व�ी र्भोासुरी स्थिस्थरा || ८||अ�ौपम्या ति�र्विव4कल्पा ति�यन्त्री यन्त्रवातिह�ी | अरे्भोद्या र्भोेदिद�ी श्रिर्भोन्ना र्भोार�ी वैखरी खगा || ९||अग्राह्या ग्रातिहका गूढा गम्भीरा तिवश्वगोतिप�ी | अति�द_श्या प्रति�ह�ा ति�बaOा पाव�ी परा || १०|| अप्र�र्क्याया8 परिरमिम�ा र्भोवभ्रान्तिन्�तिव�ाचिश�ी | एका तिhरूपा तित्रतिवधा असंख्या�ा सुरेश्वरी || ११|| सुप्रति�ष्ठा महाधात्री स्थिस्थति�वृ8द्धिद्धर्ध्रुु8वा गति�ः | ईश्वरी मतिहमा ऋद्धिद्धः प्रमोदा उज्ज्वलोद्यमा || १२|| अक्षया वद्ध8मा�ा � सुप्रकाशा तिवहङ्गमा | �ीरOा O��ी ति�त्या Oया रोचि�ष्म�ी शुर्भोा || १३|| �पो�ुदा � ज्वाला � सुदीन्तिप्�श्चांशुमाचिल�ी | अप्रमेया तित्रधा सूक्ष्मा परा ति�वा8णदामिय�ी || १४||

अवदा�ा सुशुद्धा � अमोघाख्या परम्परा | संधा�की शुद्धतिवद्या सव8रू्भो�महेश्वरी || १५|| लक्ष्मीस्�ुमिuम8हाधीरा शान्तिन्�रापूरणा�वा | अ�ुग्रहा शचि�राद्या Oगज्ज्येष्ठा Oगतिhमिधः || १६||

सत्या प्रह्वा तिwया योग्या अपणा8 ह्लादिद�ी चिशवा | सम्पूणा8ह्लादिद�ी शुद्धा ज्योति�ष्मत्यमृ�ावहा || १७|| रOोवत्यक8 प्रति�र्भोाऽऽकर्विC4णी कर्विC4णी रसा | परा वसुम�ी देवी कान्तिन्�ः शान्तिन्�म8ति�ः कला || १८||

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कला कलङ्करतिह�ा तिवशालोद्दीप�ी रति�ः | सम्बोमिध�ी हारिरणी � प्रर्भोावा र्भोवरू्भोति�दा || १९|| अमृ�स्यद्धिन्द�ी Oीवा O��ी खस्थि|}का स्थिस्थरा | धूमा कलाव�ी पूणा8 र्भोासुरा सुम�ीरसा || २०|| शुद्धा ध्वति�ः सृति�ः सृमिuर्विव4कृति�ः कृमिuरेव � | प्रापणी प्राणदा प्रह्वा तिवश्वा पा|}ुरवाचिस�ी || २१||

अवति�व8ज्र�चिलका चि�त्रा ब्रह्मा|}वाचिस�ी | अ�न्�रूपा�न्�ात्मा�न्�स्था�न्�सम्भवा || २२|| महाशचि�ः प्राणशचि�ः प्राणदात्री ऋ�म्भरा | महासमूहा ति�खिखला इच्छाधारा सुखावहा || २३||

प्रत्यक्षलक्ष्मीर्वि�4ष्कम्पा प्ररोहाबुद्धिद्धगो�रा | �ा�ादेहा महाव�ा8 बहुदेहतिवकाचिस�ी || २४|| सहस्राणी प्रधा�ा � न्यायवस्�ुप्रकाचिशका | सवा8श्रिर्भोलाCपूण_च्छा सवा8 सवा8र्थ8र्भोातिCणी || २५|| �ा�ास्वरूपचि�द्धात्री शब्दपूवा8 पुरा��ी | व्य�ाव्य�ा Oीवकेशा सव_च्छापरिरपूरिर�ा || २६||

संकल्पचिसद्धा सांख्येया �त्त्वगर्भोा8 धरावहा | रू्भो�रूपा चि�त्स्वरूपा तित्रगुणा गुणगर्विव4�ा || २७|| प्रOाप�ीश्वरी रौद्री सवा8धारा सुखावहा | कल्याणवातिहका कल्या कचिलकल्मC�ाचिश�ी || २८||

�ीरूपोद्धिद्भन्नसं�ा�ा सुयन्त्रा तित्रगुणालया | महामाया योगमाया महायोगेश्वरी तिप्रया || २९|| महास्त्री तिवमला कीर्वि�4O8या लक्ष्मीर्वि�4रञ्ज�ा | प्रकृति�र्भो8गवन्माया शचि�र्वि�4द्रा यशस्करी || ३०||

चि�न्�ा बुद्धिद्धय8शः प्रज्ञा शान्तिन्�ः सुप्रीति�वर्जिद्ध4�ी | प्रद्युम्�मा�ा साध्वी � सुखसौर्भोाग्यचिसद्धिद्धदा || ३१|| काष्ठा ति�ष्ठा प्रति�ष्ठा � ज्येष्ठा श्रेष्ठा Oयावहा | सवा8ति�शामिय�ी प्रीति�र्विव4श्वशचि�म8हाबला || ३२||

वरिरष्ठा तिवOया वीरा Oयन्�ी तिवOयप्रदा | हृद्गहृा गोतिप�ी गुह्या गणगन्धव8सेतिव�ा || ३३|| योगीश्वरी योगमाया योतिग�ी योगचिसद्धिद्धदा | महायोगेश्वरवृ�ा योगा योगेश्वरतिप्रया || ३४||

ब्रह्मेन्द्ररुद्र�मिम�ा सुरासुरवरप्रदा | तित्रवत्म8गा तित्रलोकस्था तित्रतिवwमपदोद्भवा || ३५|| सु�ारा �ारिरणी �ारा दुगा8 सं�ारिरणी परा | सु�ारिरणी �ारयन्�ी रू्भोरिर�ारेश्वरप्रर्भोा || ३६||

गुह्यतिवद्या यज्ञतिवद्या महातिवद्या सुशोश्रिर्भो�ा | अध्यात्मतिवद्या तिवघ्�ेशी पद्मस्था परमेमिष्ठ�ी || ३७|| आन्वीश्रिक्षकी त्रयी वा�ा8 द|}�ीति��8यात्मित्मका | गौरी वागीश्वरी गोप्त्री गायत्री कमलोद्भवा || ३८||

तिवश्वम्भरा तिवश्वरूपा तिवश्वमा�ा वसुप्रदा | चिसद्धिद्धः स्वाहा स्वधा स्वस्तिस्�ः सुधा सवा8र्थ8सामिध�ी || ३९|| इच्छा सृमिuदु्य8ति�रू्भो8ति�ः कीर्वि�4ः श्रद्धा दयामति�ः | श्रुति�म_धा धृति�र्ह्रीaः श्रीर्विव4द्या तिवबुधवद्धिन्द�ा || ४०||

अ�सूया घृणा �ीति�र्वि�4वृ8ति�ः कामधुर्क्याकरा | प्रति�ज्ञा सं�ति�रू्भो8ति�द्य�ः प्रज्ञा तिवश्वमाति��ी || ४१|| स्मृति�वा8खिग्वश्वO��ी पश्यन्�ी मध्यमा समा | संध्या मेधा प्रर्भोा र्भोीमा सवा8कारा सरस्व�ी || ४२||

काङ्क्षा माया महामाया मोतिह�ी माधवतिप्रया | सौम्यार्भोोगा महार्भोोगा र्भोोतिग�ी र्भोोगदामिय�ी || ४३|| सुधौ�क�कप्रख्या सुवण8कमलास�ा | तिहर|यगर्भोा8 सुश्रोणी हारिरणी रमणी रमा || ४४||

�न्द्रा तिहर|मयी ज्योत्स्�ा रम्या शोर्भोा शुर्भोावहा | त्रैलोर्क्यायम|}�ा �ारी �रेश्वरवरार्चि�4�ा || ४५|| त्रैलोर्क्यायसुन्दरी रामा महातिवर्भोववातिह�ी | पद्मस्था पद्मति�लया पद्ममालातिवर्भोूतिC�ा || ४६|| पद्मयुग्मधरा कान्�ा दिदव्यार्भोरणरू्भोतिC�ा | तिवचि�त्ररत्�मुकुटा तिवचि�त्राम्बररू्भोCणा || ४७||

तिवचि�त्रमाल्यगन्धाढ्या तिवचि�त्रायुधवाह�ा | महा�ारायणी देवी वैष्णवी वीरवद्धिन्द�ा || ४८|| कालसंकर्विC4णी घोरा �त्त्वसंकर्विC4णीकला | Oगत्समू्परणी तिवश्वा महातिवर्भोवर्भोूCणा || ४९||

वारुणी वरदा व्याख्या घ|टाकण8तिवराद्धिO�ा | �ृसिस4ही र्भोैरवी ब्राह्मी र्भोास्करी व्योम�ारिरणी || ५०|| ऐन्द्री कामधे�ुः सृमिuः कामयोति�म8हाप्रर्भोा | दृuा काम्या तिवश्वशचि�बaOगत्यात्मदश8�ा || ५१||

गरु}ारूढहृदया �ान्द्री श्रीम8धुरा��ा | महोग्ररूपा वाराही �ारसिस4ही ह�ासुरा || ५२|| युगान्�हु�रु्भोग्ज्वाला कराला तिपङ्गलाकला | त्रैलोर्क्यायरू्भोCणा र्भोीमा श्यामा तै्रलोर्क्यायमोतिह�ी || ५३|| महोत्कटा महार�ा महा�|}ा महास�ा | शङ्खिख�ी लेखिख�ी स्वस्था चिलखिख�ा खे�रेश्वरी || ५४|| र्भोद्रकाली �ैकवीरा कौमारी र्भोवमाचिल�ी | कल्याणी कामधुग्ज्वालामुखी �ोत्पलमाचिलका || ५५||

बाचिलका ध�दा सूया8 हृदयोत्पलमाचिलका | अद्धिO�ा वर्विC4णी रीति�र्भो8रु|}ा गरु}ास�ा || ५६|| वैश्वा�री महामाया महाकाली तिवर्भोीCणा | महामन्दारतिवर्भोवा चिशवा�न्दा रति�तिप्रया || ५७||

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उद्रीति�ः पद्ममाला � धम8वेगा तिवर्भोाव�ी | सखित्wया देवसे�ा � तिहर|यरO�ाश्रया || ५८|| सहसाव�8मा�ा � हस्तिस्��ादप्रबोमिध�ी | तिहर|यपद्मवणा8 � हरिरर्भोद्रा सुदुद्ध8रा || ५९|| सूया8 तिहर|यप्रकटसदृशी हेममाचिल�ी | पद्मा��ा ति�त्यपुuा देवमा�ा मृ�ोद्भवा || ६०||

महाध�ा � या शृङ्गी कद्द8मी कम्बुकन्धरा | आदिदत्यवणा8 �न्द्रार्भोा गन्धhारा दुरासदा || ६१|| वराचि��ा वरारोहा वरे|या तिवष्णुवल्लर्भोा | कल्याणी वरदा वामा वामेशी तिवन्ध्यवाचिस�ी || ६२|| योगति�द्रा योगर�ा देवकी कामरूतिपणी | कंसतिवद्रातिवणी दुगा8 कौमारी कौचिशकी क्षमा || ६३|| कात्याय�ी कालरातित्रर्वि�4चिश�ृप्�ा सुदुO8या | तिवरूपाक्षी तिवशालाक्षी र्भो�ा�ांपरिररश्रिक्षणी || ६४||

बहुरूपा स्वरूपा � तिवरूपा रूपवर्जिO4�ा | घ|टाति��ादबहुला Oीमू�ध्वति�ति�ःस्व�ा || ६५|| महादेवेन्द्रमचिर्थ�ी भु्रकुटीकुदिटला��ा | सत्योपयाचि��ा �ैका कौबेरी ब्रह्म�ारिरणी || ६६|| आया8 यशोदा सु�दा धम8कामार्थ8मोक्षदा | दारिरद्रय्दुःखशम�ी घोरदुगा8र्वि�4�ाचिश�ी || ६७|| र्भो�ार्वि�4शम�ी र्भोव्या र्भोवर्भोगा8पहारिरणी | क्षीरास्ति���या पद्मा कमला धरणीधरा || ६८||

रुस्थिर्क्यामणी रोतिहणी सी�ा सत्यर्भोामा यशस्तिस्व�ी | प्रज्ञाधारामिम�प्रज्ञा वेदमा�ा यशोव�ी || ६९|| समामिधर्भोा8व�ा मैत्री करुणा र्भो�वत्सला | अन्�व_दी दश्रिक्षणा � ब्रह्म�य8परागति�ः || ७०||

दीक्षा वीक्षा परीक्षा � समीक्षा वीरवत्सला | अत्मिम्बका सुरश्रिर्भोः चिसद्धा चिसद्धतिवद्याधरार्चि�4�ा || ७१|| सुदीक्षा लेचिलहा�ा � कराला तिवश्वपूरका | तिवश्वसंधारिरणी दीन्तिप्�स्�ाप�ी �ा|}वतिप्रया || ७२|| उद्भवा तिवरOा राज्ञी �ाप�ी तिबन्दुमाचिल�ी | क्षीरधारासुप्रर्भोावा लोकमा�ा सुव�8सा || ७३|| हव्यगर्भोा8 �ाज्यगर्भोा8 Oुह्व�ोयज्ञसम्भवा | आप्याय�ी पाव�ी � दह�ी दह�ाश्रया || ७४||

मा�ृका माधवी मुख्या मोक्षलक्ष्मीम8हर्जिद्ध4दा | सव8कामप्रदा र्भोद्रा सुर्भोद्रा सव8मङ्गला || ७५|| शे्व�ा सुशुर्क्यालवस�ा शुर्क्यालमाल्या�ुलेप�ा | हंसा ही�करी हंसी हृद्या हृत्कमलालया || ७६|| चिस�ा�पत्रा सुश्रोणी पद्मपत्राय�ेक्षणा | सातिवत्री सत्यसंकल्पा कामदा कामकामिम�ी || ७७||

दश8�ीया दृशा दृश्या स्पृश्या सेव्या वराङ्ग�ा | र्भोोगतिप्रया र्भोोगव�ी र्भोोगीन्द्रशय�ास�ा || ७८|| आद्रा8 पुष्करिरणी पु|या पाव�ी पापसूद�ी | श्रीम�ी � शुर्भोाकारा परमैश्वय8रू्भोति�दा || ७९|| अचि�न्त्या�न्�तिवर्भोवा र्भोवर्भोावतिवर्भोाव�ी | ति�श्रेश्रिणः सव8देहस्था सव8रू्भो��मस्कृ�ा || ८०||

बला बलामिधका देवी गौ�मी गोकुलालया | �ोतिCणी पूण8�न्द्रार्भोा एका�न्दा श�ा��ा || ८१|| उद्या��गरhारहम्य&पव�वाचिस�ी | कूष्मा|}ा दारुणा �|}ा तिकरा�ी �न्द�ालया || ८२||

कालाय�ा कालगम्या र्भोयदा र्भोय�ाचिश�ी | सौदाम�ी मेघरवा दैत्यदा�वमर्दिद4�ी || ८३|| Oगन्मा�ा र्भोयकरी र्भोू�धात्री सुदुल8र्भोा | काश्यपी शुर्भोदा�ा � व�माला शुर्भोावरा || ८४|| धन्या धन्येश्वरी धन्या रत्�दा वसुवर्जिद्ध4�ी | गान्धवa रेव�ी गङ्गा शकु�ी तिवमला��ा || ८५||

इ}ा शान्तिन्�करी �ैव �ामसी कमलालया | आज्यपा वज्रकौमारी सोमपा कुसुमाश्रया || ८६|| Oगन्तित्प्रया � सरर्था दुO8या खगवाह�ा | म�ोर्भोवा काम�ारा चिसद्ध�ारणसेतिव�ा || ८७||

व्योमलक्ष्मीम8हालक्ष्मीस्�ेOोलक्ष्मीः सुOाज्वला | रसलक्ष्मीO8गद्योति�ग8न्धलक्ष्मीव8�ाश्रया || ८८|| श्रवणा श्रावणी �ेत्री रस�ाप्राण�ारिरणी | तिवरिरस्थिञ्�मा�ा तिवर्भोवा वरवारिरOवाह�ा || ८९||

वीया8 वीरेश्वरी वन्द्या तिवशोका वसुवर्जिद्ध4�ी | अ�ाह�ा कु|}चिल�ी �चिल�ी व�वाचिस�ी || ९०|| गान्धारिरणीन्द्र�मिम�ा सुरेन्द्र�मिम�ा स�ी | सव8मङ्गल्यमाङ्गल्या सव8कामसमृद्धिद्धदा || ९१||

सवा8�न्दा महा�न्दा सत्कीर्वि�4ः चिसद्धसेतिव�ा | चिस�ीवाली कुहू राका अमा �ा�ुमति�दु्य8ति�ः || ९२|| अरुन्ध�ी वसुम�ी र्भोाग8वी वास्�ुदेव�ा | मायूरी वज्रवे�ाली वज्रहस्�ा वरा��ा || ९३||

अ�घा धरश्रिणधaरा धम�ी मश्रिणर्भोूCणा | राOश्री रूपसतिह�ा ब्रह्मश्रीब्र8ह्मवद्धिन्द�ा || ९४|| Oयश्रीO8यदा ज्ञेया सग8श्रीः स्वग8ति�ः स�ाम् | सुपुष्पा पुष्पति�लया फलश्रीर्वि�4ष्कलतिप्रया || ९५||

ध�ुल8क्ष्मीस्त्वमिमचिल�ा परwोधति�वारिरणी | कद्रूद्ध8�ायुः कतिपला सुरसा सुरमोतिह�ी || ९६||

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महाश्वे�ा महा�ीला महामूर्वि�4र्विव4Cापहा | सुप्रर्भोा ज्वाचिल�ी दीन्तिप्�स्�ृन्तिप्�व्या8न्तिप्�ः प्रर्भोाकरी || ९७|| �ेOोव�ी पद्मबोधा मदलेखारुणाव�ी | रत्�ा रत्�ावली रू्भो�ा श�धामा श�ापहा || ९८||

तित्रगुणा घोतिCणी रक्ष्या �र्दिद्द4�ी घोCवर्जिO4�ा | साध्या दिदति�र्दिद4ति�देवी मृगवाहा मृगाङ्कगा || ९९|| चि�त्र�ीलोत्पलग�ा वृCरत्�कराश्रया | तिहर|यरO�hन्hा शङ्खर्भोद्रास�ास्थिस्थ�ा || १००||

गोमूत्रगोमयक्षीरदमिधसर्विप4O8लाश्रया | मरीचि�श्चीरवस�ा पूणा8 �न्द्राक8 तिवuरा || १०१|| सुसूक्ष्मा ति�वृ8ति�ः स्थूला ति�वृत्ताराति�रेव � | मरीचि�ज्वाचिल�ी धूम्रा हव्यवाहा तिहर|यदा || १०२||

दामिय�ी काचिल�ी चिसद्धिद्धः शोतिCणी सम्प्रबोमिध�ी | र्भोास्वरा संहति�स्�ीक्ष्णा प्र�|}ज्वल�ोज्ज्वला || १०३|| साङ्गा प्र�|}ा दीप्�ा � वैदु्यति�ः सुमहादु्यति�ः | कतिपला �ीलर�ा � सुCुम्णा तिवसु्फचिलतिङ्ग�ी || १०४||

अर्चि�4ष्म�ी रिरपुहरा दीघा8 धूमावली Oरा | सम्पूण8म|}ला पूCा सं्रचिस�ी सुम�ोहरा || १०५|| Oया पुमिuकरीच्छाया मा�सा हृदयोज्ज्वला | सुवण8करणी श्रेष्ठा मृ�संOीतिव�ीरणे || १०६|| तिवशल्यकरणी शुभ्रा संमिध�ी परमौCमिधः | ब्रखिह्मष्ठा ब्रह्मसतिह�ा ऐन्दवी रत्�सम्भवा || १०७||

तिवद्युत्प्रर्भोा तिबन्दुम�ी तित्रस्वर्भोावगुणात्मिम्बका | ति�त्योदिद�ा ति�त्यहृuा ति�त्यकामकरीतिCणी || १०८|| पद्माङ्का वज्रचि�ह्ना � वwद|}तिवर्भोाचिस�ी | तिवदेहपूद्धिO�ा कन्या माया तिवOयवातिह�ी || १०९|| माति��ी मङ्गला मान्या माचिल�ी मा�दामिय�ी | तिवश्वेश्वरी गणव�ी म|}ला म|}लेश्वरी || ११०|| हरिरतिप्रया र्भोौमसु�ा म�ोज्ञा मति�दामिय�ी | प्रत्यतिङ्गरा सोमगुप्�ा म�ोऽश्रिर्भोज्ञा वदन्मति�ः || १११||

यशोधरा रत्�माला कृष्णा त्रैलोर्क्यायबन्ध�ी | अमृ�ा धारिरणी हCा8 तिव��ा वल्लकी श�ी || ११२|| संकल्पा र्भोामिम�ी मिमश्रा कादम्बय8मृ�प्रर्भोा | अग�ा ति�ग8�ा वज्रा सुतिह�ा संतिह�ाक्ष�ा || ११३||

सवा8र्थ8साध�करी धा�ुधा8रश्रिणकामला | करुणाधारसमू्भ�ा कमलाक्षी शचिशतिप्रया || ११४|| सौम्यरूपा महादीप्�ा महाज्वाला तिवकाचिश�ी | माला काञ्��माला � सhज्रा क�कप्रर्भोा || ११५||

प्रतिwया परमा योर्क्यात्री क्षोश्रिर्भोका � सुखोदया | तिवOृम्भणा � वज्राख्या शृङ्खला कमलेक्षणा || ११६|| Oयंकरी मधुम�ी हरिर�ा शचिश�ी चिशवा | मूलप्रकृति�रीशा�ी योगमा�ा म�ोOवा || ११७||

धम&दया र्भोा�ुम�ी सवा8र्भोासा सुखावहा | धुरन्धरा � बाला � धम8सेव्या �र्थाग�ा || ११८|| सुकुमारा सौम्यमुखी सौम्यसम्बोध�ोत्तमा | सुमुखी सव8�ोर्भोद्रा गुह्यशचि�गु8हालया || ११९|| हलायुधा �ैकवीरा सव8शस्त्रसुधारिरणी | व्योमशचि�म8हादेहा व्योमगा मधुमन्मयी || १२०||

गङ्गा तिव�स्�ा यमु�ा �न्द्रर्भोागा सरस्व�ी | ति�लोत्तमोव8शी रम्भा स्वामिम�ी सुरसुन्दरी || १२१|| बाणप्रहरणावाला तिबम्बोष्ठी �ारुहाचिस�ी | ककुश्रिद्म�ी �ारुपृष्ठा दृuादृuफलप्रदा || १२२||

काम्या�री � काम्या � कामा�ारतिवहारिरणी | तिहमशैलेन्द्रसंकाशा गOेन्द्रवरवाह�ा || १२३|| अशेCसुखसौर्भोाग्यसम्पदा योति�रुत्तमा | सव&त्कृuा सव8मयी सवा8 सव_श्वरतिप्रया || १२४|| सवा8ङ्गयोति�ः साव्य�ा संप्रधा�ेश्वरेश्वरी | तिवष्णुवक्षःस्थलग�ा तिकम�ः परमुच्य�े || १२५||

परा ति�म8तिहमा देवी हरिरवक्षःस्थलाश्रया | सा देवी पापहन्त्री � सामिन्नध्यं कुरु�ान्मम || १२६|| इति� �ाम्�ां सहस्रं �ु लक्ष्म्याः प्रो�ं शुर्भोावहम् | परावरेण रे्भोदे� मुख्यगौणे� र्भोाग�ः || १२७||

यशै्च��् की�8येमिन्नत्यं शृणुयाद ्वातिप पद्मO | शुचि�ः समातिह�ो रू्भोत्वा र्भोचि�श्रद्धासमन्तिन्व�ः || १२८|| श्रीति�वासं समभ्यच्य8 पुष्पधूपा�ुलेप�ैः | र्भोोगैश्च मधुपका8दै्यय8र्थाशचि� Oगद्गरुुम् || १२९||

�त्पाश्व8स्थां श्रिश्रयं देवीं सम्पूज्य श्रीधरतिप्रयाम् | ��ो �ामसहस्रोण �ोCये�् परमेश्वरीम् || १३०|| �ामरत्�ावलीस्�ोत्रमिमदं यः स��ं पठे�् | प्रसादाश्रिर्भोमुखीलक्ष्मीः सव© �स्मै प्रयच्छति� || १३१||

यस्या लक्ष्म्याश्च समू्भ�ाः श�यो तिवश्वगाः सदा | कारणत्वे � ति�ष्ठन्तिन्� Oगत्यस्मिस्म4श्चरा�रे || १३२|| �स्मा�् प्री�ा Oगन्मा�ा श्रीय8स्याच्यु�वल्लर्भोा | सुप्री�ाः श�यस्�स्य चिसद्धिद्धमिमuां दिदशन्तिन्� तिह || १३३||

एक एव Oगत्स्वामी शचि�मा�च्यु�ः प्ररु्भोः | �दंशशचि�मन्�ोऽन्ये ब्रह्मेशा�ादयो यर्था || १३४|| �र्थैवैका परा शचि�ः श्रीस्�स्य करुणाश्रया | ज्ञा�ादिदCाङु्ग|यमयी या प्रो�ा प्रकृति�ः परा || १३५||

Page 5: sanskritisarita.files.wordpress.com · Web view|| श र मह लक ष म सहस रन म स त त रम || श र पद म प रक त सत त व श न

एकैव शचि�ः श्रीस्�स्या तिh�ीयात्मति� व�8�े | परा परेशी सव_शी सवा8कारा स�ा��ी || १३६|| अ�न्��ामधेया � शचि��wस्य �ामियका | Oगच्चरा�रमिमदं सव© व्याप्य व्यवस्थिस्थ�ा || १३७||

�स्मादेकैव परमा श्रीज्ञ_या तिवश्वरूतिपणी | सौम्या सौम्ये� रूपेण संस्थिस्थ�ा �टOीवव�् || १३८|| यो यो Oगति� पुम्भावः स तिवष्णुरिरति� ति�श्चयः | या या �ु �ारीर्भोावस्था �त्र लक्ष्मीव्य8वस्थिस्थ�ा || १३९||

प्रकृ�ेः पुरुCाच्चान्यस्�ृ�ीयो �ैव तिवद्य�े | अर्थ किक4 बहु�ो�े� �र�ारीमयो हरिरः || १४०|| अ�ेकरे्भोदश्रिर्भोन्नस्�ु तिwय�े परमेश्वरः | महातिवरू्भोकि�4 दमिय�ां ये स्�ुवन्त्यच्यु�तिप्रयाम् || १४१||

�े प्राप्नुवन्तिन्� परमां लक्ष्मीं संशुद्ध�े�सः | पद्मयोति�रिरदं प्राप्य पठ�् स्�ोत्रमिमदं wमा�् || १४२|| दिदव्यमuगुणैश्वय© �त्प्रसादाच्च ल�वा�् | सकामा�ां � फलदामकामा�ां � मोक्षदाम् || १४३||

पुस्�काख्यां र्भोयत्रात्रीं चिस�वस्त्रां तित्रलो��ाम् | महापद्मति�C|णां �ां लक्ष्मीमOर�ां �मः || १४४|| करयुगलगृही�ं पूण8कुमं्भ दधा�ा र्क्यावचि�दमलग�स्था शङ्खपद्माक्षपाश्रिणः |

र्क्यावचि�दतिप दमिय�ाङे्ग �ामरव्यग्रहस्�ा र्क्यावचि�दतिप सृश्रिणपाशं तिबभ्र�ी हेमकान्तिन्�ः || १४५|| || इत्यादि�ब्रह्मपुराणे काश्मीरवण ने हिहरण्यगर्भ हृ�ये सव कामप्र�ायकं पुरुषोत्तमप्रोकं्त श्रीलक्ष्मीसहस्रनामस्तोतं्र समाप्तम् ||


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