+ All Categories
Home > Documents > विभिन्न धर्मो में योग की अवधारणा

विभिन्न धर्मो में योग की अवधारणा

Date post: 30-Nov-2023
Category:
Upload: independent
View: 0 times
Download: 0 times
Share this document with a friend
12
जनकृति तिमश कतिि ऄ िररारीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725 पी-एच.डी. विकास एि शा वि अययन ,2015 [email protected] महामा गाधी अ िररारीय वह िविविारय,िधाा,महाराहिद धमम योग गीिा म ीकृण ने कहा है योग: कमशष कौलम् ’. छ तिऩान का मि है तक जीिामा और परमामा के तमल जाने को योग कहिे ह. पि जतल ने योगदशन म पररभाषा दी है योगति िृततनरोध:, ति की िृतय के तनरोध णशिया रक जाने का नाम योग है. आि िाय के दो ऄश हो िकिे ह तििृतय के तनरोध की ऄिा का नाम योग है या आि ऄिा को लाने के ईपाय को योग कहिे ह. बौध ही नह, तलम ि फी और इिाइ भी तकिी न तकिी कार ऄपने ि दाय की मायिाओ और दाशतनक तिधा ि के िा ईिका िाम जय ातपि कर लेिे ह योग का जम ािीन भारिीय धमश ै ि-ा ऩारा हुअ है। तजिे ना िदाय की िाधना ैली भी कह िकिे है ि ि के महिप णश तिान भैरि ि ि ियोग का अरभ होिा है तजिम दे िी ति को ऄतिि पर करिी है तजिके ईर म ति िीधे ईर न देकर िय के ऄतिि को जानने के तलए तितध बिािे है आि तितध के योग िे मेरे बारे जानकारी तमल जायेगी तितध ईपय
Transcript

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

पी-एच.डी. विकास एिं शांवि अध्ययन ,2015

[email protected]

महात्मा गााँधी अंिरराष्ट्रीय वहिंी वििद्विलय,ारय,िधाा,महाराष्ट्र

हिन्दू धमम में योग

गीिा में श्रीकृष्ट्ण ने कहा ह ै‘योग: कमशष ुकौर्लम’्. कुछ तिद्रानों का मि ह ैतक जीिात्मा और परमात्मा के तमल जाने को योग कहिे हैं.

पिंजतल ने योगदर्शन में पररभाषा दी ह ै‘योगतित्त ितृत्ततनरोध:, तित्त की ितृत्तयों के तनरोध – पणूशिया रुक जाने का नाम योग ह.ै आि िाक्य

के दो ऄर्श हो िकिे हैं – तित्तितृत्तयों के तनरोध की ऄिस्र्ा का नाम योग ह ैया आि ऄिस्र्ा को लाने के ईपाय को योग कहिे हैं. बौद्ध ही

नहीं, मतुस्लम िफूी और इिाइ भी तकिी न तकिी प्रकार ऄपने िंप्रदाय की मान्यिाओ ंऔर दार्शतनक तिद्धांिों के िार् ईिका िामंजस्य

स्र्ातपि कर लेिे हैं योग का जन्म प्रािीन भारिीय धमश र्िै-र्ाक्त द्रारा हुअ ह।ै तजिे नार् िम्प्प्रदाय की िाधना रै्ली भी कह िकिे ह ैिंि

के महत्िपणूश गं्रर् तिज्ञान भैरि िंि िे योग का अरम्प्भ होिा ह ैतजिमें दिेी तर्ि को ऄतस्ित्ि पर प्रश्न करिी ह ैतजिके ईत्तर में तर्ि िीध े

ईत्तर न दकेर स्ियं के ऄतस्ित्ि को जानने के तलए तितध बिािे ह ै आि तितध के प्रयोग िे मेरे बारे जानकारी तमल जायेगी तितध ईपयकु्त न

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

लगने पर दतेि पनुः प्रश्न करिी ह ैतफर तर्ि दिुरी तितध बिािे ह ै,आि प्रतिया मे 108 तितधयााँ तनकल कर अिी ह ै यहााँ योग के तलए स्त्री

ितजशि नही ह ैयहााँ स्त्री-परुुष के परम ्बोध की तितध ही योग ह।ै योग र्ब्द भी यहााँ िार्शक लगिा ह ैक्योतक यहााँ जडुाि ह ै,जोड ही योग ह ै

पर जैि-ेजैिे योग ि अध्यातत्मक होिा गया,स्त्री बाहर होिी गयी,योग परुुष के अत्मकेन्दण् ि र्तक्त ऄजशन का िाधन बनिा गया तिज्ञान

भैरि के माध्यम िे तर्ि की बिायी गयी 108 तितधयों मे तिश्व की िभी िंस्कृतियों की तितधयााँ अ जािी ह ैपतंजलि ने आि ेिमबद्ध

स्िरूप प्रदान तकया तजिमे पहले श्लोक में योग को पररभातषि करिे हुए कह तदया तक –लित्तःवलृत्त लनरोधः योगः।। पिंजतल ने आिे

िाधना के िार् ही र्रीर को स्िास््य िे जोड कर तितकत्िा का रुप प्रदान तकया जो तर्ियोग का प्रर्म भाग ह।ै भगवद्गीता प्रलतलित गं्रर्

माना जािा ह ै ईिमें योग र्ब्द का कइ बार प्रयोग हुअ ह,ै कभी ऄकेले और कभी ितिर्ेषण, जैिे बतुद्धयोग, िंन्याियोग, कमशयोग

िेदोत्तर काल में भतक्तयोग और हठयोग नाम भी प्रितलि हो गए हैं महात्मा गााँधी ने ऄनाितक्त योग का व्यिहार तकया ह।ै पािंजल

योगदर्शन में तियायोग र्ब्द दखेने में अिा ह।ै पार्पुि योग और माहशे्वर योग जैिे र्ब्दों की भी ििाश तमलिा ह ै आन िब स्र्लों में योग

र्ब्द के जो ऄर्श हैं िह एक दिूरे के तिरोधी हैं परंि ुआिने तितभन्न प्रयोगों को दखेने िे यह िो स्पष्ट हो जािा ह ैतक योग की पररभाषा करना

कतठन काम ह ैपररभाषा ऐिी होनी िातहए जो ऄव्याति और ऄतिव्याति दोषों िे मकु्त हो, योग र्ब्द के िाच्यार्श का ऐिा ल्षणण बिला

िके जो प्रत्येक प्रिंग के तलये ईपयकु्त हो और योग के तििाय तकिी ऄन्य िस्ि ु के तलये ईपयकु्त न िैतदक िंतहिाओ ंके

ऄंिगशि िपतस्ियों के बारे में प्रािीन काल िे िेदों में (९०० िे ५०० बी िी इ) ईल्लेख तमलिा ह,ै जब तक िापतिक िाधनाओ ं का

िमािेर् प्रािीन िैतदक तिप्पतणयों में प्राि ह ै कइ मतूिशयााँ जो िामान्य योग या िमातध मिुा को प्रदतर्शि करिी ह,ै तिंध ुघािी िभ्यिा

(िी.3300-1700 बी.िी. आ.) के स्र्ान पर प्राि हुइ ंह।ै गे्रगरी पोस्सेि अनुसार," ये मतूिशयााँ योग के धातमशक िंस्कार" के योग िे िम्प्बन्ध

को िंकेि करिी ह ैयद्यतप आि बाि का तनणशयात्मक िबिू नहीं ह ैतफर भी ऄनेक पंतििों की राय में तिंध ुघािी िभ्यिा और योग-ध्यान में

िम्प्बन्ध ह ैध्यान में ईच्ि िैिन्य को प्राि करने तक रीतियों का तिकाि श्र्मातनक परम्प्पराओ ंद्रारा एिं ईपतनषद ्की परंपरा द्रारा तिकतिि

हुअ र्ा बदु्ध के पिूश एिं प्रािीन ब्रतितनक गं्रर्ों मे ध्यान के बारे मे कोइ ठोि िबिू नहीं तमलिा ह,ै बदु्ध के दो तर््षणकों के ध्यान के लक्ष्यों

के प्रति कह ेिाक्यों के अधार पर िय्नन्न यह िकश करिे ह ैकी तनगुशण ध्यान की पद्धति ब्रतिन परंपरा िे तनकली आितलए ईपतनषद ्की ितृष्ट

के प्रति कह ेकर्नों में एिं ध्यान के लक्ष्यों के तलए कह ेकर्नों में िमानिा यह िंभातिि हो भी िकिा ह,ै नहीं भी ईपतनषदों में ब्रिाण्ि

िंबंधी बयानॉ के िैतश्वक कर्नों में तकिी ध्यान की रीति की िम्प्भािना के प्रति िकश दिेे हुए कहिे ह ैकी नासदीय सूक्त तकिी ध्यान की

पद्धति की ओर ऋग िेद िे पिूश भी आर्ारा करिे ह ैबौद्ध र्ायद िबिे प्रािीन गं्रर् ह ैतजन में ध्यान िकनीकों का िणशन प्राि होिा ह ैिे ध्यान

की प्रर्ाओ ंऔर ऄिस्र्ाओ ंका िणशन करिे ह ैजो बदु्ध िे पहले ऄतस्ित्ि में र्ीं और िार् ही ईन प्रर्ाओ ंका िणशन करिे ह ैजो पहले

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

बौद्ध धमश के भीिर तिकतिि हुइ ं तहदं ुिांग्मय में,"योग" र्ब्द पहले ईपतनषद में प्रस्ििु हुअ जहााँ ज्ञानेतन्ियों का तनयंिण और मानतिक

गतितितध के तनिारण के ऄर्श में प्रयकु्त हुअ ह ैजो ईच्ििम तस्ितर् प्रदान करने िाला बन गया ह ै

पतंजहि के योग सतू्र

योग ििू और पिंजतल योग ििू भारिीय दर्शन में, षि् दर्शनों में िे एक का नाम योग ह ैयोग दार्शतनक प्रणाली, िांख्य स्कूल के िार्

तनकििा िे िंबतन्धि ह।ै ऋतष पिंजतल द्रारा व्याख्यातयि योग प्रदाय िांख्य मनोतिज्ञान और ित्िमीमांिा को स्िीकार करिा ह,ै लेतकन

िांख्य घराने की िलुना में ऄतधक अतस्िक ह,ै यह प्रमाण ह ैक्योंतक िांख्य िास्ितिकिा के पच्िीि ित्िों में इश्वरीय ित्ता भी जोडी गइ

ह।ै योग और िांख्य एक दिुरे िे आिने तमलिे जलुिे ह ैतक मैक्स म्युिर कहिे ह,ै"यह दो दर्शन आिने प्रतिद्ध रे् तक एक दिुरे का ऄंिर

िमझने के तलए एक को प्रभ ु के िार् और दिुरे को प्रभ ु के तबना माना जािा ह।ै िांख्य और योग के बीि घतनष्ठ िंबंध हेंरीि

लिम्मर िमझािे ह ैपिांजतल, व्यापक रूप िे औपिाररक योग दर्शन के िंस्र्ापक मने जािे ह।ै पिांजतल के योग, बतुद्ध का तनयंिण के

तलए एक प्रणाली ह,ै राज योग के रूप में जाना जािा ह।ै पिांजतल ईनके दिूरे ििू मे "योग" र्ब्द का पररभातषि करिे ह,ै जो ईनके परेू

काम के तलए व्याख्या ििू माना जािा ह ैयोग: हित्त-वहृत्त लनरोध योग ििू िीन िंस्कृि र्ब्दों के ऄर्श पर यह िंस्कृि पररभाषा तिका

ह।ै ऐ के तामलि आिकी ऄनिुाद करिे ह ै की,"योग बतुद्ध के िंर्ोधनों का तनषेध ह"ै ( योग का प्रारंतभक पररभाषा मे आि

र्ब्द nirodhaḥ का ईपयोग एक ईदाहरण ह ैतक बौतधक िकनीकी र्ब्दािली और ऄिधारणाओ,ं योग ििू मे एक महत्िपणूश भतूमका

तनभािे ह;ै आििे यह िंकेि होिा ह ैतक बौद्ध तििारों के बारे में पिांजतल को जानकारी र्ी और ऄपने प्रणाली मे ईन्हें बनुाइ स्वामी

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

लववेकानद आि ििू को ऄनिुाद करिे हुए कहिे ह,ै"योग बतुद्ध (तित्त) को तितभन्न रूपों (ितृत्त) लेने िे ऄिरुद्ध करिा ह।ै पिांजतल का

लेखन 'ऄष्टांग योग एक प्रणाली के तलए अधार बन गया।

अठ ऄंग हैं

यम (पांि "पररिार"): ऄतहिंा, झठू नहीं बोलना, गैर लोभ, गैर तिषयाितक्त और गैर स्िातमगि.

हनयम (पांि "धाहममक हिया"): पतिििा, िंितुष्ट, िपस्या, ऄध्ययन और भगिान को अत्मिमपशण.

आसन :मलूार्शक ऄर्श "बैठने का अिन" और पिांजतल ििू में ध्यान प्राणायाम ("िांि को स्र्तगि रखना"): प्राणा, िांि, "ऄयामा

", को तनयंतिि करना या बंद करना. िार् ही जीिन र्तक्त को तनयंिण करने की व्याख्या की गयी ह।ै

प्रत्यिार ("अमूतम"):बाहरी िस्िओु ंिे भािना ऄंगों के प्रत्याहार.

धारणा ("एकाग्रता"): एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना.

ध्यान ("ध्यान"):ध्यान की िस्ि ुकी प्रकृति गहन तििंन.

समाधी .ध्यान के िस्ि ुको ििैन्य के िार् तिलय करना। आिके दो प्रकार ह ै- ितिकल्प और ऄतिकल्प। ऄतिकल्प िमातध में

िंिार में िापि अने का कोइ मागश या व्यिस्र्ा नहीं होिी। यह योग पद्धति की िरम ऄिस्र्ा ह ैआि िंप्रदाय के तििार मे, ईच्ििम

प्राति तिश्व के ऄनभुिी तितिधिा भ्रम के रूप मे प्रकि नहीं करिा. यह दतुनया िास्िि ह ै आिके ऄलािा, ईच्ििम प्राति ऐिा घिना

ह ैजहााँ ऄनेक में िे एक तक्तत्ि स्ियं, अत्म को अतिष्ट्कार करिा ह,ै कोइ एक िािशभौतमक अत्म नहीं ह ैजो िभी व्यतक्तयों द्रारा

िाझा जािा ह ै

भगवद गीता बडे पैमाने पर तितभन्न िरीकों िे योग र्ब्द का ईपयोग करिा ह।ै एक परूा ऄध्याय (छठा ऄध्याय) ितहि पारंपररक योग

का ऄभ्याि को िमतपशि, ध्यान के ितहि, करने के ऄलािा कमश योग कारशिाइ का योग आिमें व्यतक्त ऄपने तस्र्ति के ईतिि और किशव्यों

के ऄनिुार कमों का श्रद्धापिूशक तनिाशह करिा ह ैभतक्त योग: भतक्त का योगभगिि कीिशन आिे भािनात्मक अिरण िाले लोगों को

िझुाया जािा ह ै ज्ञान का योग - ज्ञानाजशन करना

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

मधुसूदना सरस्वती ने गीिा को िीन िगों में तिभातजि तकया ह,ै जहााँ प्रर्म छह ऄध्यायों मे कमश योग के बारे मे, बीि के छह म ेभतक्त

योग और तपछले छह ऄध्यायों मे ज्ञाना (ज्ञान) योग के बारे मे गया ह ै

बौद्ध-धमम

प्रािीन बौतद्धक धमश ने ध्यानापरणीय ऄिर्ोषण ऄिस्र्ा को तनगतमि तकया बदु्ध के प्रारंतभक ईपदरे्ों में योग तििारों का िबिे प्रािीन

तनरंिर ऄतभव्यतक्त पाया जािा ह ैबदु्ध के एक प्रमखु निीन तर््षणण यह र्ा की ध्यानापरणीय ऄिर्ोषण को पररपणूश ऄभ्याि िे िंयकु्त

करे. बदु्ध के ईपदरे् और प्रािीन ब्रितनक गं्रर्ों में प्रस्ििु ऄंिर तितिि ह ैबदु्ध के ऄनिुार, ध्यानापरणीय ऄिस्र्ा एकमाि ऄंि नहीं ह,ै

ईच्ििम ध्यानापरणीय तस्र्िी में भी मो्षण प्राि नहीं होिा.ऄपने तििार के पणूश तिराम प्राि करने के बजाय, तकिी प्रकार का मानतिक

ितियिा होना िातहए:एक मतुक्त ऄनभुतूि, ध्यान जागरूकिा के ऄभ्याि पर अधाररि होना िातहए. बदु्ध ने मौि िे मतुक्त पाने की

प्रािीन ब्रितनक ऄतभप्राय को ठुकराया. ब्रतितनक योतगन को एक गैर ध्यान तस्र्ति जहााँ मतृ्य ुमे ऄनभुतूि प्राि होिा ह,ै ईि तस्र्ति को

िे मतुक्त मानिे ह ैबदु्ध ने योग के तनपणु की मौि पर मतुक्त पाने की परुाने ब्रतितनक ऄन्योक्त ("ईत्तेजनाहीन होना, ्षणणस्र्ायी होना") को

एक नया ऄर्श तदया; ईन्हें, ऋतष जो जीिन में मकु्त ह ैके नाम िे ईल्लेख तकया गया र्ा

योगकारा बौहद्धक धमम

योगकारा (िंस्कृि:"योग का ऄभ्याि"र्ब्द तिन्याि योगािारा, दर्शन और मनोतिज्ञान का एक िंप्रदाय ह,ै जो भारि में 4 िीं िे 5 िीं

र्िाब्दी मे तिकतिि तकया गया र्ायोगकारा को यह नाम प्राि हुअ क्योंतक ईिने एक योग प्रदान तकया, एक रूपरेखा

तजििे बोतधित्त्ि िक पहुाँिने का एक मागश तदखाया ह।ै ज्ञान िक पहुाँिने के तलए यह योगकारा िंप्रदाय योग तिखािा ह ैजेन (तजिका

नाम िंस्कृि र्ब्द "ध्याना िे" ईत्पन्न तकया गया िीनी "छ'ऄन" के माध्यम िे महायान बौद्ध धमश का एक रूप ह ै बौद्ध धमश की महायान

िंप्रदाय योग के िार् ऄपनी तनकििा के कारण तिख्याि तकया जािा ह ै पतिम में, जने को ऄक्िर योग के िार् व्यितस्र्ि तकया जािा

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

ह;ैध्यान प्रदर्शन के दो िंप्रदायों स्पष्ट पररिाररक ईपमान प्रदर्शन करिे ह ैयह घिना को तिरे्ष ध्यान योग्य ह ैक्योंतक कुछ योग प्रर्ाओ ंपर

ध्यान की जेन बौतद्धक स्कूल अधाररि ह ैयोग की कुछ अिश्यक ित्िों िामान्य रूप िे बौद्ध धमश और तिरे्ष रूप िे जेन धमश को

महत्िपणूश हैं

बौद्ध योग

प्रािीन बौतद्धक धमश ने ध्यानापरणीय ऄिर्ोषण ऄिस्र्ा को तनगतमि तकया । बदु्ध के प्रारंतभक ईपदरे्ों में योग तििारों का िबिे प्रािीन

तनरंिर ऄतभव्यतक्त पाया जािा ह ैबदु्ध के एक प्रमखु निीन तर््षणण यह र्ा की ध्यानापरणीय ऄिर्ोषण को पररपणूश ऄभ्याि िे िंयकु्त

करें बदु्ध के ऄनिुार, ध्यानापरणीय ऄिस्र्ा एकमाि ऄंि नहीं ह,ै ईच्ििम ध्यानापरणीय तस्र्ति में भी मो्षण प्राि नहीं होिा.ऄपने तििार

के पणूश तिराम प्राि करने के बजाय, तकिी प्रकार का मानतिक ितियिा होना िातहए, एक मतुक्त ऄनभुतूि, ध्यान जागरूकिा के ऄभ्याि

पर अधाररि होना िातहए बदु्ध ने मौि िे मतुक्त पाने की प्रािीन ब्रितनक ऄतभप्राय को ठुकराया ब्रतितनक योतगन को एक गैरतद्रिंक्य

िषृ्टगि तस्र्ति जहााँ मतृ्य ुमें ऄनभुतूि प्राि होिा ह,ै ईि तस्र्ति को िे मतुक्त मानिे ह ैबदु्ध ने योग के तनपणु की मौि पर मतुक्त पाने की परुाने

ब्रतितनक ऄन्योक्त (‚ईत्तेजनाहीन होना, ्षणणस्र्ायी होना‚) को एक नया ऄर्श तदया

जैन धमम

दिूरी र्िाब्दी के जैन पाठ ित्त्िार्शििू , के ऄनिुार मन, िाणी और र्रीर िभी गतितितधयों का योग ह ैउमावालस्त के

ऄनिुार ऄस्रािा या कातमशक प्रिाह का कारण योग ह ै िार् ही- िम्प्यक िररि - मतुक्त के मागश मे यह बेहद अिश्यक

ह।ै ऄपनी तनयामिरा में, अिायय कुन्दकुन्दने योग भतक्त का िणशन- भतक्त िे मतुक्त का मागश - भतक्त के ििोच्ि रूप के रूप म ेतकया

ह।ै अिायय हररभद्र और अिायय हेमिंद्र के ऄनिुार पााँि प्रमखु ईल्लेख िंन्यातियों और 12 िमातजक लघ ु प्रतिज्ञाओ ं योग के

ऄंिगशि र्ातमल ह ै डॉ हेंरीि लिम्मर ने िंिषु्ट तकया तक योग प्रणाली को पिूश अयशन का मलू र्ा, तजिने िेदों की ित्ता को स्िीकार नहीं

तकया और आितलए जैन धमश के िमान ईिे एक तिधतमशक तिद्धांिों के रूप में माना गया र्ा जैन र्ास्त्र, जैन िीरं्करों को ध्यान

मे पद्मािना या कयोत्िगाश योग मिुा में दर्ाशया ह ै ऐिा कहा गया ह ै तक महािीर को मलुाबधािना तस्र्ति में बैठे केिला

ज्ञान "अत्मज्ञान" प्राि हुअ जो ऄिरंगाििु मे और बाद में कल्पििू मे पहली िातहतत्यक ईल्लेख के रूप मे पाया गया है पिांजतल

योगििू के पांि यामा या बाधाओ ंऔर जनै धमश के पााँि प्रमखु प्रतिज्ञाओ ंमें ऄलौतकक िादृश्य ह,ै तजििे जैन धमश का एक मजबिू

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

प्रभाि का िंकेि करिा ह ैलेखक लवलवयन वोलथिंगटन ने यह स्िीकार तकया तक योग दर्शन और जैन धमश के बीि पारस्पररक प्रभाि ह ै

और िे तलखिे ह:ै"योग परूी िरह िे जैन धमश को ऄपना ऋण मानिा ह ैऔर तितनमय मे जैन धमश ने योग के िाधनाओ ंको ऄपने जीिन

का एक तहस्िा बना तलया". तिंध ुघािी महुरों और आकोनोग्रफी भी एक यर्ोतिि िाक्ष्य प्रदान करिे ह ैतक योग परंपरा और जैन धमश के

बीि िंप्रदातयक िदृर् ऄतस्ित्ि ह ै तिर्ेष रूप ि,े तिद्रानों और परुाित्ितिदों ने तितभन्न तिर्शन्करों की महुरों में दर्ाशइ गइ योग और

ध्यान मिुाओ ंके बीि िमानिाओ ंपर तिप्पणी की ह:ै रुषभ की "कयोत्िगाश"मिुा और महािीर के मलुबन्धािन महुरों के िार् ध्यान मिुा

में प्षणों में िपों की खदुाइ पाश्वशनार् की खदुाइ िे तमलिी जलुिी ह ैयह िभी न केिल तिंध ुघािी िभ्यिा और जैन धमश के बीि कतडयों

का िंकेि कर रह ेहैं, बतल्क तितभन्न योग प्रर्ाओ ंको जैन धमश का योगदान प्रदर्शन करिे ह ैप्रािीनिम के जैन धमशिैधातनक िातहत्य जैिे

ऄिरंगाििु और तनयमािरा, ित्त्िार्शििू अतद जैिे गं्रर्ों ने िाधारण व्यतक्त और िपस्िीयों के तलए जीिन का एक मागश के रूप में योग

पर कइ िन्दभश तदए ह ैबाद के गं्रर्, तजिमे योग के जैन ऄिधारणा ितिस्िार ह,ै िह तनम्प्नानिुार हैं:

पजु्यपदा (5 िीं र्िाब्दी िी आ)

आष्टोपदरे्

अिायश हररभि िरूी (8 िीं र्िाब्दी िी आ)

योगतबंद ु

योगतितस्ििमचु्काया

योगििाका

योगतितमतिका

अिायश जोंद ु(8 िीं र्िाब्दी िी आ)

योगिारा

अिायश हमेाकान्ि (11 िीं िदी िी आ)

योगिस्त्र

अिायश ऄतमिागति (11 िीं िदी िी आ)

योगिराप्रभ्र्िा

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

इस्िाम में योगा

िफूी िंगीि के तिकाि में भारिीय योग ऄभ्याि का काफी प्रभाि ह,ै जहााँ िे दोनों र्ारीररक मिुाओ ंऔर श्वाि तनयंिण को ऄनकूुतलि

तकया ह ै11 िीं र्िाब्दी के प्रािीन िमय में प्रािीन भारिीय योग पाठ, ऄमिृकंुि, ("ऄमिृ का कंुि") का ऄरबी और फारिी भाषाओ ं

में ऄनिुाद तकया गया र्ा। मिलमानों को आिके बारे में ग्यारहिीं िदी में पिा िला जब ऄबरुरहाने ऄलबेरूनी नाम के एक मतुस्लम

पयशिक भारि में 16 िाल िक रहने और यहां के िाधओु को ििेरे एक तिर्ेष प्रकार के व्यायाम करिे दखेा िो ईिके बारे में और

ऄतधक जानकारी प्राि करने की कोतर्र् की ऄलबेरूनी ने पिंजली पसु्िक योग ििू का ऄनिुाद भी तकया तजििे पिा िला तक योग

एक व्यायाम का िरीका नहीं ह,ै लेतकन एक धातमशक दर्शन भी ह ैआिके ऄलािा रिलू िल्लल्लाहु ऄलैतह ि िल्लम के कुछ िषों बाद

जब भारि में िणूी िंिों तकराम और प्रिारकों आस्लाम की अिाजाही बढी और ईन्होंने यहां ऄपने प्रिाि के दौरान योग करने िाले

योतगयों तलंक ऄनरु्ािन बढाया िो ईन्होंने भी योग को तिकल्प ह,ै लेतकन केिल योग के व्यायाम तहस्िा कुछ ऐतिहातिक िंदभों में

तमलिा ह ैतक मगुल बादर्ाह ऄकबर ने योग की तर््षणा के िंर्षणण और आिमें काफी गहरी रुति तदखाइ, लेतकन यह भी िि ह ैतक अम

मिुलमानों ने योग को ऄतधकृि नहीं तकया, र्ायद आिकी िजह यह र्ी तक पांि बार की जो प्रार्शना ईन पर किशव्य की गइ र्ी और जो

नमाजें िे ऄदा करिे रे् ईनके दौरान ही आिनी व्यायाम हो जािा र्ा और तकिी भी व्यायाम की जरूरि नहीं र्ी पर मेरे एक दिूरे जो

दहेरादनू के तकिी योग अश्रम में योग की तर््षणा भी दिेे हैं। कइ मतुस्लम घरों में योग अज व्यायाम का एक महत्िपणूश स्रोि बन गया ह।ै

ईसाई योगा

ऐिा प्रिीि होिा ह ैतक ऄमेररका और दतुनया के ऄन्य भागों में योग का ‚पनुजशन्म‛ हुअ ह।ै बहुि िारी िंस्र्ाए ंयोग िक इिाइ पहुिं

का दािा करिे हुए ‚इिाइ योग‛ का प्रिार कर रही हैं। कुछ िीिीिी भी हैं जैिे, ‚तिस्िोगा: योगा तणल्ि बॉिी – िाआस्ि तणल्ि िोल‛

(योग के 60 तमनि तजिमें जैनी द्रारा बाइबल का पाठ होगा और तजिमें इिामिीह को तिंिन का कें ि बिाया गया ह)ै। आिी िरह

‚तितियन योगा मैगजीन‛ ह।ै कुछ तकिाबे हैं जैिे, ‚योगा णॉर तितियन: ऄ िाआस्ि-िेंििश ऄप्रोि िू तफतजकल एिं तस्प्रिऄुल हले्र् ् ू

योगा‛, ‚होली योगा: एक्िरिाआज णॉर तद तितियन बॉिी एिं िोल,‛ अतद।योग में बडे पैमाने पर रूति का स्िागि करिे हुए, एक तहदं ू

राजनीतिज्ञ राजन जेद ने नेििा (ऄमेररका) में जारी एक बयान में कहा तक तहदं ूधमश द्रारा पररिय में अने और ईिके द्रारा पोतषि होने के

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

बािजदू, योग िभी के द्रारा फायदा ईठाने के तलए एक िैतश्वक धरोहर ह।ै व्यतक्त ऄपने तकिी भी धमश का पालन करिे हुए भी योग कर

िकिा ह।ै व्यतक्त तजि भी धमश का पालन करिा होगा, योग ईिे ईिके धमश के अध्यातत्मक लक्ष्यों को प्राि करने में िहायिा करेगा।

ऄमेजन पर आि िमय ‚योगा िीिीिी‛ तलखने पर 4,828 पररणाम िामने अिे हैं। तर्कागो का ‘होली नेम कैरे्ड्रल’ ‚कैर्तलक योगा‛

पढा रहा ह,ै तजिकी घोषणा कहिी ह ैतक: ‚स्पष्ट रूप िे प्रार्शना के िमय और हमारे कैर्तलक तिश्वाि के अध्यातत्मक तिषयों के दौरान,

योग ऄभ्याि के कइ अध्यातत्मक और भौतिक लाभों का लाभ ईठाए।ं‛‘फस्िश तप्रस्िीिेररऄन ििश ऑफ बेलेव्य’ू (िॉतरं्गिन) में,

‚परंपरागि योग अिनों और बाइबल के तिंिन के िार् इिाइ िंगीि बजाया जािा ह।ै‛ न्य ूजिी का ‘मॉररस्िॉईन यनूाआिेि मेर्तिस्ि

ििश’, ‚इिाइ योग‛ की क्षणाए ंिंिातलि करिा ह।ै ‚योग और तििंन‛ के बारे में बाि करिे हुए, ‚तद लरेू्रन ििश तमिौरी तिनोद‛ कहिे

हैं: ‚हमारे धातमशक पररपे्रक्ष्य िे छूि और या व्यायाम की िकनीक (मानतिक और र्ारीररक) ईनके ऄंि िक ईनके तलए िमस्याप्रद नहीं

होिी। लेतकन यह ऄभ्याि का धातमशक पररप्रके्ष्य जैि ेतक योग ह,ै जो इिाआयों के तलए तिन्िाए ंबढािा ह।ैएक ‘जेंिल जइुर् योगा’ होिा

ह,ै जबतक ‘िोराह योगा’ पारंपररक और रहस्यमय यहूदी गं्रर्ों के ऄध्ययन के िार् अयंगर योग के माध्यम िे यहूदी ज्ञान का ऄनभुि

ईपलब्ध करिािा ह।ै‛ ‚योग बौद्ध एक ऄंिःतिषय दृतष्टकोण का ऄनकुरण करिा ह ैजो ऄंदर तिलीन हो जािी ह ैऔर बौद्ध िेिनिा और

तिंिन के िार् योग का ऄभ्याि करिी ह।ै‛ ‚यंि योगा: तद तिब्बिन योगा ऑफ मिूमेंि‛ पर पेपरबैक तकिाब ईपलब्ध ह।ै और तफर

‚तरं्िो योगा‛ ह,ै तजिमें ‚हठ योग‛ ऄभ्याि के िार् ही िार् जापानी तरं्िो के कइ व्यायाम र्ातमल हैं, आिके ऄलािा ‚तरं्िो बतुद्धज़्म

योगा‛ पर पेपरबैक तकिाब भी ईपलब्ध ह।ैतनस्िंदहे, ‚जेन योगा‛ भी यहां र्ातमल ह।ै न्ययूॉकश में ‚िाओ योगा‛ िाओआस्ि योगा तिखािा

ह।ै योगी भजन ‘कंुिलीनी योगा’ तिखािे हैं और ईनके द्रारा स्र्ातपि िंस्र्ा ‚3एि ओ फाईंिेर्न‛ को ‚ऄ ग्लोबल कम्प्यतूनिी ऑण

तलतिंग योगा‛ कहा जािा ह।ै माज़्दा धमश रहस्यिाद िे िंबंतधि एक ब्लॉग पारिी योग पर बाि करिा ह ैऔर कहिा ह:ै ‚पारिी योग का

िार एपी का र्दु्धीकरण ही ह।ै‛ यतूनििशल िोिायिी ऑण तहदंआुज़्म के ऄध्य्षण राजन जेद कहिे हैं तक ऑस्रेतलया में ‚एजलेि योगा‛

होिा ह,ै िह योग ‚एक जीतिि जीिाश्म‛ के रूप में जाना जािा ह ैतजिके तनर्ान 2,000 इिा पिूश तिंध ुघािी िभ्यिा में हैं। िह योग एक

मानतिक और र्ारीररक ऄनरु्ािन र्ा जो एक गरुु िे दिूरे गरुु को िौंपा जािा रहा, िातक हर कोइ आिका लाभ ईठा िके।योग ििू में

िंतहिाबद्ध पंिजतल के ऄनिुार, योग र्ारीररक और मानतिक मानि प्रकृति के तितभन्न ित्िों के तनयंिण के माध्यम िे, पणूशिा प्राि करने

के तलए एक व्यितस्र्ि प्रयाि र्ा। योग बाहरी दतुनया की जागरूकिा िे ऄपने भीिर ध्यान दनेे के तलए िाधक को तनदरे् दनेे हिे ुऄष्टांग

मागश पर अधाररि र्ा। जेद िकश प्रस्ििु करिे हैं तक योग तजिकी कभी कोइ औपिाररक िंस्र्ा नहीं र्ी, िह मानि की अत्मा और

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

मानि में तकिी बतुनयादी िीज का भंिार ह।ै यएूि नेर्नल आिंीि्यिू ऑण हले्र् के ऄनिुार, योग तकिी व्यतक्त को अराम महििू

कराने, ऄतधक लोिर्ील होन,े मिुा में िधुार लाने, गहरी िांि लेने और िनाि िे छुिका

योग से धाहममक स्वतंत्रता का उल्िंघन निीं : अमेररकी सैन हिएगो (अमेररका) : कैतलफोतनशया की एक ऄपीलीय ऄदालि ने

कहा ह ैतक िैन तिएगो काईंिी के स्कूलों में तिखाए जा रह ेयोग िे धातमशक स्ििंििा का ईल्लंघन नहीं हो रहा ह।ैफोर्श तितस्रक्ि कोिश

ऑफ ऄपील ने एक तनिली ऄदालि का फैिला बरकरार रखिे हुए ऐिा कहा। तनिली ऄदालि ने ऄतभभािकों द्रारा दायर एक

मकुदमा खाररज कर तदया र्ा तजन्होंने स्कूलों के योग की तर््षणा दनेे पर रोक लगिाने की कोतर्र् की र्ी।ऄदालि ने कहा तक योग कुछ

िंदभरें में धातमशक हो िकिा ह ै लेतकन ऐिा कोइ िबिू नहीं ह ै तजििे िातबि हो तक आतन्कतनिाि यतूनयन स्कूल तितस्रक्ि के योग

कायशिम में धातमशक और अध्यातत्मक िीजें हों। दो छािों के ऄतभभािकों ने मकुदमा दायर करिे हुए दािा तकया र्ा तक योग कायशिम

िे तहन्द ूधमश को बढािा तमल रहा ह ैऔर इिाइ धमश के तलए ऄिरु्षणा पैदा हो रही ह।ैआतन्कतनिाि यतूनयन स्कूल तितस्रक्ि का कहना ह ै

तक योग मजबिूी, िसु्िी और िंिलुन को बढािा दनेे के तलए एक धमशतनरपे्षण िरीके िे तिखाया जािा ह।ै योग आि िमय परेू दरे् में

ऄनेक स्कूलों में तिखाया जा रहा ह ैहालांतक ऄकिर यह स्कूल के बाद तिखाया जािा ह।ैइिाइ योगा इिाआयों के पिूी और पतिमी दरे्ों

में िबिे अम के एक अध्यातत्मक ऄभ्याि ह।ै यह एक ऄनरु्ािन ह ै तक एक प्रर्ाओ ंके भगिान के ज्यादा करीब होने के तलए ह।ै

इिाइ योगा का पर् लेने को मन और र्रीर का ईपिार करने के तलए नेितृ्ि कर िकिे हैं। लेतकन र्ायद और भी ऄतधक महत्िपणूश ह ै

तक, यह ्षणण में क्या केिल एक अप के भीिर िंभातिि ह ैकी खोज करने के तलए नेितृ्ि कर िकिे हैं. ऄमेररका में िगों के कइ योग,

अिन, या अिन पर कें तिि भौतिक ऄनरु्ािन का ऄभ्याि तिखाने और कोइ धातमशक तर््षणण पर िभी को रोजगार। ऄन्य योग तर््षणक

प्रतर््षणण योग स्कूलों में ह.ै तितकत्िकों का कहना ह ैतक इिाइ योगा तिश्वातियों जो योग के स्िास््य लाभ िाहिे हैं, लेतकन ऄभ्याि के

प्रािीन तहदं ूजडों द्रारा िाल रह ेहैं के तलए एक की जरूरि भर जािा। आि के िार्, यह एक िार् ईनके अध्यातत्मक तिश्वािों के भीिर

योग का ऄदु्भि भौतिक लाभ लािा. तिद्धांिों और व्यिहारों के योग ईपतनषद की ऄितध िे िारीख। र्ब्द योग, तहदंओु ंिे ईत्पन्न हुअ

यह तक एक मांि, ऄर्ों के भ्रम को और नकुिान की की िीमाओ ंिे मतुक्त प्राि कर िकिे हैं कुछ तिषयों के ऄभ्याि के माध्यम िे

िोिा र्ा और आि प्रकार प्राि ज्ञान रहा िंघ तहदं ूधमश का एक धातमशक प्रर्ा ह.ै इिाइ योगा के अंदोलनों आिनी ह ैतक िे करने के तलए

ऄनकूुतलि कर िकिे हैं या तकिी भी िंस्कृति या अध्यातत्मक पर् द्रारा ऄपनाया जा िािशभौतमक हैं, हालांतक प्रािीन तहदं ूपरंपरा में

कतिि तकया,. योग कइ िषों के तलए ज्ञाि तकया गया ह,ै और कुछ प्रारंतभक इिाइ द्रारा ईत्पीडन के दौरान ऄभ्याि तकया र्ा। अत्मा

और प्यार ह ै तक प्रारंतभक इिाइ को छुअ गया ह ैपरुुषों और मतहलाओ ंिे तनतहि अज। इिाइ योगा के बारे में खलुािा आन ऄदु्भि

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725

प्रत्येक िंभािनाओ ंके कुछ ऄव्यक्त पकड ह।ै यह तक कइ जल्दी इिाआयों के िमर्शन में एक द्रार ईन्हें दािा करने के तलए ऄन्य लोगों के

तलए खलुा रखिे हुए मरने को िैयार रे् आिने ऄदु्भि िंभािनाओ ंके बारे में ह।ै आिे में जाओ और इिाइ मागश, तितियन योगा का पालन

करके में िब्दील हो रह ेहैं. पिूी तिश्वाि में, तितियन योगा एक पिूी। या श्वाि िकनीक, बतल्क ईद्दशे्य तक पररणि िंगा ह ैऔर कर िकिे

हैं एक को प्रभातिि करने के तलए खोलने के तलए ह ैनहीं ह।ै पिूी योग ऄहकंार ड्रॉप करने का प्रयाि करिा ह,ै इिाइ पर् का ईद्दशे्य ह ै

व्यतक्तत्ि को बदलने पर। इिाइ योगा तबल्कुल एक रूपक के रूप में यीर् ुने जीिन की कहानी में नए करार में ितणशि ह।ै यह एक कदम दर

कदम तजि िरह िे पररििशन और एक नए जीिन की खोज की ह।ै के रूप में यीर् ुने िादा तकया र्ा, आि 'स्िगश', ऄपने जीिन की आि नइ

जागरूकिा बहुि दरू नहीं ह।ै यतद अप आिे खोजने के तलए पिा ह ै तक यह पहले िे ही िमु्प्हारा ह.ै तिमी में, आिकी बहुि र्रुुअि

मतहलाओ ंिे इिाइ योग आिका ऄभ्याि और तर््षणाओ ंमें एक महत्िपणूश भतूमका तनभाइ। यह जीिन, मन और रृदय की िािशभौतमक

प्रतियाओ ंके बारे में ह.ै इिाइ योगा अलोिना, के बािजदू आिकी व्यापकिा की हुइ हैं. कइ इिाइ कहिे हैं तक इिाइ योगा इिाइ धमश,

और यह ह ैतक यह ऄपने अप में एक धमश नहीं पर बल के िार् ऄिंगि ह।ै दिूरे का कहना ह ैतक िहााँ कोइ इिाइ योगा जैिे क्योंतक यह

दो ऄलग ऄलग धारणा िंरिना तमश्रणों। मेतक्िको तििी में कैर्ोतलक पादररयों तनदरे् तदए क्योंतक आि ऄभ्याि करने के तलए ऄन्य

भगिान का नेितृ्ि करेंगे योग क्षणाओ ं में भाग लेने नहीं करने के तलए ऄपने parishioners और पिूी धमश तिश्वािों. हालांतक

अलोिकों का अरोप ह ैतक योग के प्रािीन तहदं ूमलू इिाइ धमश के िार् ऄिंगि हैं, तितकत्िकों कहिे हैं तक व्यायाम अध्यातत्मक

प्रतितबंब के तलए एक अदर्श िाहन ह.ै

योग का मित्व

ििशमान िमय में ऄपनी व्यस्ि जीिन र्ैली कारण लोग ििोष पाने के तलए योग करिे हैं । योग िे न तिफश व्यतक्त का िनाि दरू होिा ह ै

बतल्क मन और मतस्िष्ट्क को भी र्ांति तमलिी ह ै। योग बहुि ही लाभकारी ह ै। योग न केिल हमारे तदमाग, मतस्िष्ट्क को ही िाकि

पहुिंािा ह ैबतल्क हमारी अत्मा को भी र्दु्ध करिा ह ै। अज बहुि िे लोग मोिापे िे परेर्ान हैं, ईनके तलए योगा बहुि ही फायदमंेद

ह ै।

जनकृति तिमर्श कें तिि ऄिंरराष्ट्रीय मातिक इ पतिका ISSN 2454-2725


Recommended