Khamoshi Ki Udaan Book Spreads

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खामोशी की उडाननीलमणि कमार दारा चितरित कहाननया

भारतीय पोदोगिकी ससान पथम ससकरि : २०१५

औदोगिक अभभकलप क दर भारतीय पोदोगिकी ससान, मबईपवई-४०००७६वबसाइट : www.idc.iitb.ac.inई-मल : neilsarjal@gmail.com

दशय सिार, औदोगिक अभभकलप क दर दारा मददरत

मलय : चिरिराकन : नीलमणि कमार

“रौशनी का छोटा सा अश ह यह तो,जो िीर क ननकली ह उस अमावसा क िादर को,न जान ककतन सददयो स ढक रखा ह इस जमान न उन िमिमात परिमा क िाद को”

- नीलमणि कमार

निवदि

इस पसतक म तीन कहाननया ह जो की परिा क शोत क ललए ललख िए ह कहानी क पारि सच ह णसवाय मानसी ताई क और एक लखक होन क नात मन अपन आप को भी पसतक म सलगन ककया ह तीनो कहाननयो क मखय पारि किण और मख बभिर ह यह पारिो क जीवन िाथा को उनकी सफलता और कठिनायो को एक साथ िाि म बनन की िजाइश ह जीवन क रासत म न जान कस कस िटानो को तोडा और अपनी मकाम को हाणसल ककया उनक नजरो स दननया कसी ददखती ह। समाज को पोताकहत करना ताकक वो नवकलराि लोिो को सीकार कर ऐसा कदाठप नही ह की इनक भनवषय अिकार म ही होत ह यह एक छोटा सा पयास ह।

करम

तारानाथ शनॉय की कहानी

शरणा मनोहर की कहानी

पीती मकदम की कहानी

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‘‘समदर की िहराई यही बताय हसरत ह तर अदर तो ददल न घबराएखामोशी की हवाओ म फली ह महकती दफजाय वकत की नीली िादर ओढनबना बोल सन अपना परिम लहराय िारो और िपी तोडी ताललयो की िडिडाहट स िजी हवायतराक नवजता तारानाथ शनॉय’’

तारािाथ शिॉय

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ह वो आज कल कहा ह अिर वह सिमि लापता हो ियी ह। तो कही उनकी अदत कहाननया लापता न हो जाए इस ललए पश करता ह। उनक कहाननयो की अची बात यह ह की वो अपन कहाननयो म सच पारि और घटनाओ का णजकर करती थी। णशणषिका होन क नात अपना करणवय परा करक हर शाम हमारा इतजार ककया करती थी। उनका छोटा सा कमरा नील रि सी पती दीवार और आशचयण की बात यह ह ताई जो खद कहाननयो की शौकीन थी उनक कमर म ककताबो क अलावा कई अजीब िीज थी। जस काल रि क घोड का नाल और बरसो पराना रखा कॉनसटण का ठटकट न जान कई ऐसी अजीब िीज इस कहानी का शीरणक “सबह” ह। दोसतो अिर शीरणक न पसद आय तो इसका णजमवार म नही ह। इस कहानी क मखय पारि तारानाथ शनॉय ह। ताई न कहानी को आि बढान स पहल एक परान अखबार स आरटकल का टकडा हम ददखाया णजसम ललखा था। पदमशी अतरराषटीय तराक नवजता तारानाथ शनॉय और आखो की रौशनी का भी अिरा सहारा था। हा लककन उनकी जीवन िाथा थी बडी रोमरािक, जब वह १ साल क थ तब उनक मा को एहसास हो िया था की वह बोल सन नही सकत। यह पता होन पर उनकी मा को काफी चिता हई। की तारानाथ क भनवषय का का होिा यह जजदिी क पकहय को कस रफतार द सकिा।

२३ सितमबर २०००पीती अपन कलाकतत को दीवार पर लिा रही ह। चिब ततब स बनी आकततया कछ वयाखयान करन का पतीत कर रही ह। आखरी तसीर को दीवार पर लिान क पशचात अपन कदम पीछ करत हए एक टक तसीर को दखती ह और अतमणन की असमजस म खो सी ियी। वह आखरी तसीर अपन जीवन िाथा सनान को वयाकल हो रही थी। चिरि म एक कॉनसटण का ठटकट, घोड क काल रि का नाल, एक छोटा सा कमरा, कससी और उसक ऊपर कछ पसतक रखी हई। चिरि म सरज की रौशनी का रि नबखरा हआ था। कससी म रखी हई पसतक को एक टक दखत हए पीती अपन आप को बस क अदर पाती ह। १० अकटबर १९९० हर शाम की तरह इस शाम भी पीती अपन दकान को बद करक जा रही होती ह। पीती डोमबिवली क एक छोट स अपाटणमट म अपन बढी मा क साथ रहती ह। और कछ ही दरी पर उसन शरबत की दकान लिायी हई ह। हर शाम वो कछ समय क ललए मानसी ताई स तमलन जाती ह। दोसतो इसस पहल की म आपक सामन कहानी का अिला िािा पीरो द यह अचा होिा की आप जान ल मानसी ताई कौन थी। मानसी ताई एक णशणषिका थी उन कहाननयो म काफी ददलिसी थी। उनका बस िल तो ककसी भी नवरय वसत को कदर बबद बनाकर कहानी म तबदील कर द दोसतो म मानसी ताई क ललए थी का पयोि इस ललए कर रहा ह को की मझ यह पता नही

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सपनो की िती सलझान क ललए छोर का पता होना अननवायण होता ह। तारानाथ को जब ककसी सकल म दाखखला नही तमल रहा था। तो वह ककसी जजदिी की िहरी िाि स काम नही था। यह िाि उनकी जदिी क पहल म आज भी उसकी ननशा ददखाई दती ह उनक और उनकी मा क ियण और साहस का फल ही था। णजसक वजह स उन दाखखला तमला, यह ककसी समदर क छोर को पता लिान स कम नही था।

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१९८३ की पततयोगिता क दौरान तारानाथ अपनी जजदिी क हरक िाि को सलझत हए दख रह थ। तारानाथ काफी महनती थ। इसीललए उनोन इस पततयोगिता क ललए भी काफी महनत कर रखी थी।

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पततयोगिता शर होन पर जस ही सभी न छलराि लिायी सभी पततभािी मछललयो की तरह पतीत होन लि। उस वकत तारानाथ को एहसास हआ इसी पानी क अदर ही मरी दननया ह मरा सरास ह जो मरी िडकनो को ित अवसा म रखता ह।

लककन उस पततयोगिता स पहल कभी अतरराषटीय पततयोगिता स मलाकात नही हए थी। उन पहली दफा ननषाणशत कर ददया िया था को की उनकी वजन पततयोगिता क माप दड क अनसार नही था और उनका बी.ठप. भी जादा था। यह इसान क िरररि का मल रप ह णजसम हम अपन को अपना और औरो को पराया करत ह। उन दसर किण और मख बभिर पततभागियो को दखकर अपना ससार ददखता था।

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हमशा हौसला और बलदी स हर पततयोगिता को पार ककया ह, इसकी वजह यह ह की कभी भी अपन अदर नवकलरािता को महसस होन नही ददया। णजस वजह उन सरकार क दारा १९९० म पदम शी का भी अवाडण पापत हआ उनक ललए पानी म तराकी करन का अथण कछ और ही था।

आम जजदिी और दननक ददनियरा म भल ही लोिो क सामन अपना भाव पकट करन म नववशता हई हो। परन यह नववशता नीली पानी म िोता लिानी स दर हो जाता था। इन सभी परसकार क पीछ उनका पानी क साथ िहर ररशत का पररिाम था।

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बाहर बाररश हो रही थी और िाडडयो की रौशनी घर क अदर आ रही थी। बरी भी िल हो ियी थी, ताई न मोमबरी जलायी और कहानी को आि बढाया। कभी कभी तारानाथ को खयाल आता था िलो अची ही बात ह की म सन नही सकता कम स कम बाहर क शोर शराबो स दर रहता ह ।

िाडडयो की चिलाहट, बसो क हॉनण का तमतमयाना अचा ही ह इन आवाजो स दर ह वरना इन आवाजो क उलझन म उलझ कर रह जाता।

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शोर शराबो की बात की जाय तो इसका तातपयण यह नही ह की म खणशयो की आवाज को महसस नही कर सकता ििश ितथसी क धवनन पवाह को महशस करक लथरक भी लता ह यह पवाह मझ मरी आजकल तराकी सीखन म मदद करता ह। बचो को कोचिि दन क ललए यह पवाह अननवायण होता ह। वजह यह ह की वह एक सकारातमक तरिो को जजदिी क रिो म घोल दता ह।

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सबह की पहली ककरि जब तरत वकत मर शरीर पर पडती ह तो सार िषि खल जात ह। मरी कहानी का दासतान म पररवतणन होना उसी वकत लाजमी हआ जब पररवार का सहारा था। मरी महनत थी और मझ वासतनवकता की पहिान थी सपन क साथ िहरा ररशता दननया जहा मककमल करा दता ह। महाराषट सरकार दारा अजणन अवाडण, नवदशो म कामयाबी स जहा मककमल इसी ररशत क बननषपद हआ ह। सफलता क ललए पिण नवशास, पररवार क सहार और िहर ररशत की आवशयकता होती ह।

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‘‘आसमान म उडात उडात जा बिी एक चिडडया पखो को हवा म फलाती, नािती दर पहाडो की उिाईयो न णसखाया।खल आसमान की कलाबाजी लथरकत-लथरकत छलराि लिाया।जब पर ना खल थ उसक हसान क बजाय जमान न रलाया।जमान कहा नवकलराि को भटक रही ह औन मह गिरिीबिा खिा ियण और साहस जटाया।मा न ददया हौसला दफर सफलता का परिम लहराया भरतनाटयम क माधयम स अपना भाव समझाया’’

शरणा मिोहर

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घर आन क पशचात म यही सोिता रहा की ककतन मडशकलो क बाद यह सफलता हराणसल होती ह। ताई स दसरी कहानी सिन क ललए काफी उतक था। रोजमररा क भाि दौड स छटकारा पान क बाद शाम क वकत हमारी मलाकात दफर हई। ताई खखडकी क सामन बि एक ठटकट को अपन हाथ म रखी हई थी। मन दखकर पछा ताई यह कौन स कॉनसटण का ठटकट ह। ताई न ठटकट को अपन अिललयो स हलक मसलत हए जवाब ददया। यह शरणा की भारत नाटयम कॉनसटण का ठटकट ह।

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लककन एक दफा जब शरणा की तनबयत काफी खराब हई और उस तज बखार हआ उस वकत वो महज एक वरण की थी यह ईशर का खल ही ह। णजस बटी का इतजार मन इतनी वयाकलता स ककया था आज डॉकटरो दारा किण और मख बभिर करार ददया िया।

जब हमन शरणा क बार म पछा तो उनका जवाब था। खामोश दननया की आवाज स लथरकन वाली कलाकार ह शरणा। एक साल की थी जब उसकी मा सररता मनोहर न सकल म लाया था। उनकी मा क बातो स पतीत हो रहा था की वह शरणा क इस दनविा स असमजस म थी। उनकी मा क अनसार जब वह पदा हई थई थी तो बोल सन सकती थी, एक दम सस थी।

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सकल म शरणा का पहला ददन था । शरणा की मा की तकलीफ कानो म िज रही थी। मा और ठपता स जादा बचो की पीडा को और कोई नही बयान कर सकता। उनकी मा न हमशा उसकी पढाई म साथ ददया ह, सकल की पढाई हई िीजो घर प दहराना नए- नए तरीक खोजना ताकक शरणा का धयान नबलकल बोलन म हो। और ललप रीडडि कर सक, उनकी मा की महनत ही थी। णजसन समदर की िहराई स मोततयो को इकठा कर ललया। ईशर की कपा स जस ही उनक मा को कोचलअर इमपराट क ललए मदद तमली, उनोन दखभाल और बढा दी (कोचलअर इमपराट एक पकार की मशीनी तकनीक ह णजसम कान क परद पर जो झनझनाहट बद हो जाती ह उसको दबारा उपयोि म लान का काम करती ह)

समय की बडडयरा परो म स खली नही थी की जबान न अलि ही ताल कस ददए। मझ समझ नए आया का ककया जाए मन डॉकटरो स सलाह ली उनोन न कहा कोचलअर इमपराट अिर करा ललया जाए तो यह बोल सन सकिी। उस वकत मबई म ऐस कम ही डॉकटर थ जो कोचलअर इमपराट ककया करत थ। इसक ललए बहोत सार पस भी िाकहए थ। कहा स इतन पसो की जररत को परा कर ददया जाए, कोई फरटलाइजर आता पस उिान क ललए तो लिा ददया होता। यहा तो सही तरीक स जजदिी की आहतत परी नए हो रही थी। परन हमन साहस बािा और ननकल पड। मा और बटी क एहसास का िािा कमजोर न हो जाए। वकत ननकलन स पहल यह मालम हो िया की सीि थरपी क ललए अिर इस नवशर पकार क बचो क सकल म दाल ददया जाय तो उमद की ककरि आवाज क अिर को उजाला कर सकती ह। उसक पशचात मन सकल की खोज िाल की। उन ददनो दी सटरल सोसाइटी फॉर दी एजकशन ऑफ दी डफ क काफी ििच थ।

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सिीत स स अटट ररशता यह िवाह दता ह की कस शरणा न अपनी कमजोरी को अपना ताकत बनाया। कानो म मशीन लिाए नबना ही पानो को बजा लना। ककसी भी वयकति को नत मसतक करन क ललए मजबर कर दता ह। वह णसफण उिललयो की िततनवभियो को समझ कर बजा लती ह। शरणा क मा की तमरि जो की भरतनाटयम की णशणषिका ह उनोन सलाह दी की शरणा क ललए भरतनाटयम का दरवाजा अचा होिा उसक पि कभी थमि नही।

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शरणा म कानबललयत क साथ साथ एक दढ इषिा भी ह। जो की उसको लथरकत कदम म अदशय रि नबखरती ह, जजदिी की शरवात लथरकत कदमो स हो रही थी जब कदम को पख तमल िए तो दफर का था बस उडान भरन की दरी थी। आसमान का रि अपन आप रिनबरिा हो जाता ह शरणा को लिन लि िया था की यही माधयम ह णजसक जररय म अपनी भाव पकट कर सकती ह। जब सािर की िहराई नाप ली तो दफर मोततयो को िनना ही बि जाता ह। अिललयो क ननरण क तरीक एक अलि ही भारा कहत ह। यह इसाननयत क रप को बदल पणषियो क िोल ओढन जसा था।

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िीमी िीमी उडान न हवा और मौसम का रख की बदल ददया था। जब पहली दफा शरणा न मबई सटरल क एक ननरण सभा म अपना पदशणन ददखाया तो लोकल टरन की भीड की आवाज ताललयो की िडिडाहट म तबदील हो ियी। िारो ओर शरणा क ही ििच थ, इसी दौरान कई सारी आरटकल और अखबार म भी नाम आया। इतन कम उमर म शरणा क सपन भी बड मजबती स बात करत ह, वो किण और मख बभिर बचो की मदद करना िाहती ह।

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ताकक भावी समय म जो उसन कठिनाइयो का सामना करना पडा ककसी और को न करना पड। न जान ककतन सार नामणल सकल म दाखखल नही तमला था। बडी मससकल स कही जाकर ियण और साहस बािा तो ककसी नामणल सकल म दाखखला तमला। वरना लकषय की सीडढयो को तकती ननिाहो का सपना परा नही हो सकता। यह हमार जजदिी म एक िहरा उदाहरि छोडती ह कभी भी वकत क ननिाहो प पदरा डालनको कोणशश नही करनी िाकहय, वरना आन कल कल अिरा हो जाता ह। इस अिरपन को उजाल म तबदील करन का कायण पररवार करती ह णजसका बहोत महतवपिण हाथ होता ह।

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“बडी ही िहरी होती ह यह रि की िती बनाय अरमानो क रि क कलाकतत सकल न डाली काल िब की आकतत कॉलज न खडी की अिर की शकति जाती भी कहा लक अपन अरमानो की जोतत डटी रही कहमत को जटाए भाती भाती रि डाली आखखर कार अपन सपन की आकतत रिो की दननया म जीती पीती”

परीतरी मकदम

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रात हो िकी थी हमन णजद कर दी ताई को एक और कहानी सनन क ललए। ताई न कहा अब तमम स कोई ऐसी कहानी म तबदील होिा मर पास अब और कहाननया नही ह कहन को।

वकत िजर िया २३ सितमबर २००० को जब म जहरािीर आटण िलरी म कला पदशणन दख रहा म पडटि दख रहा था की मरी नजर पीती पर पडी ।वो धयान पवणक एक चिरि को दख रही थी म उसक पास िया तो दखा पडटि म ताई क कमर की तसीर थी। वो कला पदशणन पीती क थ, मन पीती स बात करनी शर की उसन दफर अपनी दासता बतायी। एक साथ सकल म पढत वकत मझ कभी नए लिा था। इसकी कहानी एकददन दासता म पवरतत हो जाएिी। पीती की मा को जब पता िला की पीती बोल और सन नही सकती, तो उनोन पहल डॉकटरो स सलाह लन क बजाय मददर और झाड फक सब करवाया। यही वजह थी की ताई क कमर क ऊपर काल रि क घोड का नाल था। बाद म डॉकटर स सलाह क बाद उन सकल क बार म पता िला सकल को ढढन क दौरान उनकी मलाकात एक बच स हई ।जो उनकी बातो को ललप रीडडि क जररय समझ ल रहा था। उस वकत उन एहसास हआ की यहा कछ मदद हो सकता ह। पीती क दाखखल क ललए णशणषिका स बात की पीती की भनवषय स काफी चिततत थी। उन महसस हो रहा था की यह जहा का समझ रहा होिा कस बच को जनम ददया ह। पीती का उसकी मा क साथ म नविार पकट करन म असमथणता उसकी मा प िहरा असर करता था।

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यह सोिकर उनकी मा न उसक ललए सीि थरपी का कोसण ल ललया। ताकक वो पीती को घर म कछ सीखा सक। हरक शाम पीती और उसकी मा लि जात एक दसर को समझन म, पीती हमशा जवाब कछ बनाकर या रिो का उपयोि कर ददया करती थी। उन आभास हआ की इसका रझान कला की और ह। उनोन दाखखल क ललए नामणल सकल म कोणशश की वहरा क डपणसपल न साफ मना कर ददया। डपणसपल न कहा यह कोई िि बहर की सकल नही ह। पीती की मा का साहस टट िया काफी लोिो स मदद मरािी लककन कछ नही हआ।

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अतत: दफर उनोन एम.एल.ए. का दरवाजा खटखटाया तब जाकर कही उस उस सकल म दाखखला तमला। पीती को अपनी कलाकतत को मजबत करन क ललए जिह तमल ियी थी। अपनी कलातमक वयथाओ को परी तरह स पकट करन क ललए तआकब थी। हर शाम मा की पढाई म मदद और वकत तमलन पर दीवारो पर पताई। वह जब दसवी कषिा म थी तब एक महाराषट पडटि कमटशन म उसको परसकार तमला, तब जाक णशषिको न पीती की मा को सर ज. ज. सकल ऑफ एपाइड आरसण क दाखखल क ललए आगरह ककया।

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जब मा और बटी दाखखल क ललए ियी तो वहरा क डायरकटर क बातो न पर तल जमीन खखसका दी। उनोन कहा हम पीती को दाखखल नही कर सकत आप ककसी और कॉलज म दखखय और अिर सि म यही पढाना ह तो एक कससी ल आय और पढा ल। मिर हम ठडगरी नही दि कॉलज क इस बयान को सन कर पीती ककम न णशषिा मरिी को एक खत ललख डाली इस दफा भी ईशर की मजरी थी और उस दाखखला तमल िया।

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पढाई परी करन क बाद कछ महीन क ललए कही पर काम ककया को की उसक ललए ककसी जिह नौकरी करन ककसी टढी खीर स कम न था। तो उन सरकार क दारा जो नवकलराि लोिो को जो साल तमलता ह उसम टलीफोन बथ िलन का अादश तमला था। भला एक किण और मख बभिर लडकी टलीफोन बथ कस िलाएिी, तो उनोन एक कपड णसलन की मशीन लिा कर णसलाई का काम शर ककया। सरकार को यह रास नही आया। उसन उनका दकान तोड डाला पीतत की मा न इसक ललए काफी महनत की। ताकक सरकार मदद कर सक लककन वो कायण बद ही हो िया। अततः एक शरबत क साल क ललए मजरी तमली, पीती आजकल शरबत क दकान िलान क साथ पडटि भी करती ह और वकत तमलन प उसका पदशणन भी।

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जीवन की कठिनायो स हार न मानो तम अपन लकषय को पहिानो तम काटो भर होत ह सफर फलो की राह न िनना तम, सघरण क समदर की िोताखोर बनना िहराई स मोततया िनना तम कभी भी अपन को औरो स कम न समझना तम का होिा एक दफा हारोि भी तम सफलता की िाहत बना क रखना दखना एक ददन दननया प फतह मारोि तम। -नीलमणि कमार