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1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर...

Date post: 13-Jun-2020
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43
1 थम अ᭟याय : दिलत िवमशᭅ ऐितहािसक सामािजक पᳯरᮧेय 1.1 दिलत िवमशᭅ या है ? 1.2 दिलत िवमशᭅ : ऐितहािसक सामािजक पᳯरᮧेय ) बौ धमᭅ ) भिᲦ आंदोलन ) आधुिनक ᳲचतक ) उᱫर आधुिनक चतन और दिलत िवमशᭅ
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Page 1: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

1

थम अ याय दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

11 दिलत िवमश या ह

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

ख) भि आदोलन

ग) आधिनक चतक

घ) उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

2

11 दिलत िवमश या ह

हदी म आजकल lsquoिवमशrsquo श द का चलन ब त होन लगा ह पि का

प तक सिमनार बौि क सवाद आ द म यह श द सहज प म आज चिलत हो

चका ह इस श द क योग क सदभ क बात कर तो यह सा कितक अ ययन स

जड़ा आ श द ह जो स ा और ान क िनमाण क ज टल या को प रभािषत

करता ह सधीश पचौरी क श द म lsquolsquoसमकालीन सा कितक अ ययन म

ितिनधान परपरा भाषा योग क वहार क ज रए सा कितक और

ऐितहािसक प स ि थत अथ को िचि नत करन क िलए िवमश का उपयोग होता

ह यह सा कितक अ ययन क म एक अिनवाय पा रभािषक पद ह जो अपन

गत विव य क कारण कसी श दकोश क प रभाषा स बधा न रहकर

िवमशा मक या म ही अथ हण करता ह और इसिलए इसक उपयोग

सामा यीकरण क तरह दखत ए भी िविश होत हrsquorsquo1

िवमश का योग ह दी म आज उसी ऐितहािसक सा कितक मा यता क

पन ा या क म म हो रहा ह िजसम दिलत ी आ दवासी एव इस कार क

तमाम लोग क आवाज आज इसक व प स जड़ी ई ह इस प म आज दिलत

िवमश भी एक जीवत और वलत मदद क प म हमार सामन अपनी मखर

अिभ ि कर रहा ह आज यह भारतीय सािह य का अिनवाय िह सा ह िपछल

20 वष स lsquolsquoदिलत िवमश क क म व सार सवाल ह िजसका सबध भदभाव स ह

3

चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर

हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2

सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह

पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय

का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही

का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक

रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह

तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत

दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त

दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध

ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था

िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क

दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन

समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का

यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत

िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत

धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह

इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था

और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था

4

इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न

िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी

कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक

िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत

वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो

दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव

था

अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम

सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म

कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर

मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स

किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह

उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क

अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो

दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक

और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय

वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म

आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस

धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4

5

इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए

िलख

इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को

िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म

दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह

पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म

जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही

आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य

म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी

ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म

इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक

गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन

इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक

मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म

स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो

वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह

िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह

इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक

समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 2: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

2

11 दिलत िवमश या ह

हदी म आजकल lsquoिवमशrsquo श द का चलन ब त होन लगा ह पि का

प तक सिमनार बौि क सवाद आ द म यह श द सहज प म आज चिलत हो

चका ह इस श द क योग क सदभ क बात कर तो यह सा कितक अ ययन स

जड़ा आ श द ह जो स ा और ान क िनमाण क ज टल या को प रभािषत

करता ह सधीश पचौरी क श द म lsquolsquoसमकालीन सा कितक अ ययन म

ितिनधान परपरा भाषा योग क वहार क ज रए सा कितक और

ऐितहािसक प स ि थत अथ को िचि नत करन क िलए िवमश का उपयोग होता

ह यह सा कितक अ ययन क म एक अिनवाय पा रभािषक पद ह जो अपन

गत विव य क कारण कसी श दकोश क प रभाषा स बधा न रहकर

िवमशा मक या म ही अथ हण करता ह और इसिलए इसक उपयोग

सामा यीकरण क तरह दखत ए भी िविश होत हrsquorsquo1

िवमश का योग ह दी म आज उसी ऐितहािसक सा कितक मा यता क

पन ा या क म म हो रहा ह िजसम दिलत ी आ दवासी एव इस कार क

तमाम लोग क आवाज आज इसक व प स जड़ी ई ह इस प म आज दिलत

िवमश भी एक जीवत और वलत मदद क प म हमार सामन अपनी मखर

अिभ ि कर रहा ह आज यह भारतीय सािह य का अिनवाय िह सा ह िपछल

20 वष स lsquolsquoदिलत िवमश क क म व सार सवाल ह िजसका सबध भदभाव स ह

3

चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर

हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2

सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह

पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय

का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही

का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक

रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह

तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत

दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त

दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध

ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था

िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क

दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन

समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का

यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत

िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत

धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह

इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था

और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था

4

इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न

िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी

कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक

िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत

वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो

दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव

था

अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम

सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म

कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर

मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स

किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह

उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क

अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो

दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक

और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय

वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म

आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस

धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4

5

इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए

िलख

इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को

िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म

दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह

पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म

जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही

आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य

म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी

ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म

इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक

गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन

इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक

मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म

स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो

वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह

िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह

इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक

समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 3: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

3

चाह य भदभाव जाित क आधार पर हो रग क आधार पर हो न ल क आधार पर

हो लग क आधार पर हो या फर धम क आधार पर ही य न ह rsquorsquo2

सािह य म दिलत िवमश क तीन धाराए म यतौर पर दखाई दती ह

पहली धारा वय दिलत जाितय म ज म लखक क ह िजनक पास वानभितय

का िवशाल भड़ार ह और इसी आधार पर व मानत ह क वा तिवक अथ म उ ही

का सजन ही दिलत सािह य ह इसक दसरी धारा हद लखक क ह िजनक

रचना ससार म दिलत का िच ण स दय सख क िवषय-व त क प म होता ह

तीसरी धारा गितशील लखक क ह जो दिलत को सवहारा क ि थित म दखत

दिलत चतक क अनसार अतीत का लोकायत वण व थ स पीिड़त

दिलत जनता का धम था इसिलए दिलत िवमश क परपरा का उसस गहरा सबध

ह उसन एक ऐसी िवचार परपरा को ज म दया जो वद और वण व था

िवरोधी थी यह परपरा बाद म बौ िस और नाथ स होती ई म यकाल क

दिलत सत तक प ची कबीर न इस दिलत धारा का प दया और अपन

समकालीन हद-मि लम समाज को उ िलत कर दया दिलत सत किवय का

यग 14व - 15व शता दी का यग था आग क दो शताि दय म हम इस दिलत

िवमश का िवकास दखाई नह दता ल कन 19व शता दी म सािह य क दिलत

धारा भारत क लगभग सभी का धारा म पनः उभरती दखाई दती ह

इसका कारण यह था क lsquolsquoइस समय तक भारत म अ जी राज कायम हो चका था

और इसाई िमशन रय क भाव स अछत म िश ा का काश प चन लगा था

4

इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न

िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी

कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक

िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत

वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो

दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव

था

अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम

सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म

कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर

मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स

किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह

उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क

अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो

दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक

और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय

वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म

आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस

धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4

5

इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए

िलख

इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को

िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म

दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह

पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म

जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही

आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य

म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी

ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म

इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक

गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन

इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक

मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म

स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो

वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह

िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह

इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक

समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 4: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

4

इस नवजागरण न ायः सभी भाषा म दिलत रचनाकार पदा कए िज ह न न

िसफ अपना इितहास िलखा बि क अपन समय क सािह य को भािवत भी

कयाrsquorsquo3 इनम सबस पहला नाम मराठी क योितबा फल का आता ह िजनक

िस रचना गलामिगरी तथा उनक नाटक पवाड़ा का म पहली बार दिलत

वग का दद यथाथ प म अिभ आ ह अतः सातव दशक म मराठी म जो

दिलत सािह य काश म आया उस पर योितबा फल क सािह य का गहरा भाव

था

अ बडकर यग स पव क जो दिलत लखक ह उनम हीरा डोम का नाम

सबस यादा िस ह िजनक किवता अछत क िशकायत 1914 म सर वती म

कािशत ई थी इस दिलत चतना क ितिनिध किवता माना जाता ह दसर

मह वपण रचनाकार क प म अछतानद को माना जाता ह जो ह रहर उपनाम स

किवता करत थ उ ह उ र भारत म आ द हद का वतक माना जाता ह

उ ह न अपनी किवता एव का नाटक क मा यम स यह सािबत कया क

अछत आ द हद ह और शष लोग भारत म बाहर स आए ह 20व शता दी म जो

दिलत चतना क हद धारा दखाई दती ह उसक पीछ उस समय क राजनितक

और सामािजक आदोलन क भिमका मह वपण ह lsquolsquoयह धारा आमतौर स रा ीय

वत ता आदोलन म दिलत क राजनितक सघष क प रणाम व प अि त व म

आई इस धरा म महा मा गाधी दिलत क मसीहा क प म मान जात ह इस

धरा क सािह यकार का मकसद ह दिलत क ित सवण मन को उदार बनानाrsquorsquo4

5

इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए

िलख

इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को

िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म

दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह

पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म

जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही

आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य

म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी

ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म

इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक

गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन

इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक

मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म

स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो

वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह

िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह

इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक

समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 5: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

5

इस समय िनराला स लकर आचाय श ल तक न भी इस तरह क ही किवताए

िलख

इस समय मचद भी अपनी रचना क मा यम स दिलत सम या को

िचि त कर रह थ मचद क रचना म ए दिलत क िच ण क िवषय म

दिलत चतक का मानना ह क उनक रचना म दिलत दयनीय ि थित म तो ह

पर उनम िव ोह और उसक सघन भावना िब कल नह ह य पा धम क जाल म

जकड़ ए ह जो अपनी अधी और अटट आ था क पीछ क सच स बखबर ह क यही

आ थाए उनक िपछड़पन क म य वजह ह ल कन lsquolsquoवा तव म मचद क सािह य

म यही दिलत िवमश दिलत क कट सामािजक यथाथ का दपण ह जो ाितकारी

ह य क यह प रवतन क समझ िवकिसत करता हrsquorsquo5 व अपन दिलत िवमश म

इस बात स बखबर नह थ क दिलत िश ा ही दिलत मि का आधार ह उनक

गितशीलता अ बडकरवादी नह होत ए भी उसक िनकट ज र थी ल कन

इसक बाद का जो गितशील सािह य ह उसम lsquolsquoदिलत वग क उपि थित एक

मजदर वग क प म ह िजसका पजीपित शासक वग शोषण करता ह िजसक म

स वह अपन सख क दिनया बनाता हrsquorsquo6 इस तरह गितशील सािह य म जो

वग िवमश दखाई दता ह वह अमीर गरीब तथा शोषक और शोिषत का िवमश ह

िजसक प भिम म मा सवादी दशन ह

इसस इतर जो सािह य क जनवादी धारा ह उसन दिलत क सामािजक

समानता क को वीकार करत ए उनक आ थक सवाल को उठाया

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 6: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

6

इसक बाद साठ एव स र क दशक म दिलत सािह य क नामकरण क साथ

जो सािह य अि त व म आया उसका भारतीय सािह य समाज और राजनीित पर

गहरा असर आ इसन आज सपण भारतीय सािह य वाङमय म एक िवशाल

लखक वग तयार कर िलया ह जो लगातर इन सवाल स जझ रहा ह इन लखक

वग म मतभद और टकराव भी दखाई दता ह उदाहरण क तौर पर हम दख

सकत ह क जब दिलत क एक सघ न मचद क जयती पर 31 जलई 2004 को

उनक िस उप यास रगभिम क ितया जलाकर अपना िवरोध जताया तो अ य

चतक न इसक ापक आलोचना भी क इस तरह स आज दिलत िवमश अपन

िवमशगत व प म वाद-िववाद सवाद क गहन एव ापक या स गजर रहा

12 दिलत िवमश ऐितहािसक सामािजक प र य

क) बौ धम

इस धम का उदय ईप 6व सदी म माना जाता ह इस दशन क उ पि

कमकाड क ब लता पश बिल क अिनवायता ा ण क सव ता तथा आय

स कित क बीच श क हीन दशा स धा मक सामािजक म शोषण क कारण

ई यह lsquolsquoिव ोह का नया दशन अपन व प म सामािजक तथा अपनी कित म

जाित व था िवरोधी था इसन िवश ि वा दता तथा अ या म क िश ा

दी इसम सामािजक ढ़य असमानता तथा अ याय क िलए जगह नह थी

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 7: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

7

मानवीय िववक तथा मानव मि ही इस िव ोह क दशन का ितपा थाrsquorsquo7 इस

धम क वतक गौतम ब न वद को चनौती दी व दक पिडत-पजा रय को

नकारा बिल था को घिणत बताकर िन दा क ई र क अि त व को भी एक

तरह स इ ह न मानन स इनकार कर दया स यक आचार ारा कम और स कार

क बधन स मि िमल सकती ह ऐसा इ ह न माना इस स यक आचारण म अ य

बात क अलावा अ हसा अथात जीिवत क िलए क णा अिनवाय समझी गई

इस धम म ब क ध मवाचक पव न स म चार आय स य तथा िनवाण

क िलए अ ािगक माग बतलाया गया ह य चार आय स य-

1ससार सख स भरा ह सवमदखम

2दख का कारण ह- (दख समदाय)

3दख का अत ह- (दख िनरोध)

4दख िनरोध का माग ह

िनवाण का अ ािगक माग - दखिनरोध अथात िनवाण ाि क माग को

अ ािगक माग कहत ह -

1 स यक वाणी स य वचन तथा मधर वचन

2 स यक कम शाितपण तथा ईमानदार कम

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 8: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

8

3 स यक अजीव िबना कसी ाणी को क प चाए जीिवकोपाजन

4 आ मिनय ण क स यक आचार

5 स यक मित

6 जीवन क उ य पर स यक यान

7 मधावी और मन वी ि क प म स यक िवचार

8 अधिव ास स पर स यक सझrsquorsquo8

इस दशन क खबी यह ह क यह इस ज म स लकर अगल ज म तक क कम

िनयम म िव ास करता ह महा मा ब न माना क lsquo यक काय का कारण होता

ह तथा हर कारण का कोई न कोई ितफल होता ह उ ह न lsquolsquoकारण िनयम क

बारह किड़य क खोज क - अ ानता या अिव ा पवकम क भाव या स कार

चतना या िव ान नाम प अथवा शरी रक-मानिसक आकार मन और ानि या

(षड़ायतन) ानि य का व त स सबध अथवा पश सवदना या वदना इि य

क सख क लालसा (उपादान) ज म क इ छा ज म या पनज म अथवा जाित

तथा वाध य और म य या जरामरणrsquorsquo9

बौ प रषद - महा मा ब क म य क बाद चार बौ प रषद का आयोजन

आ इन बौ सगितय म ब क िश ा को िवनयिपटक स िपटक तथा

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 9: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

9

अिभध म िपटक क प म सकिलत कया गया िपटक को समिहक प स

ि िपटक कहत ह तथा य पाली भाषा म ह

थम बौ प रषद - इसका आयोजन राजगीर म ईप483 म ब क महािनवाण

क तर त बाद राजा अजातश क सर ण म आ महाक यप न इसक अ य ता

क उ पल न िवनयिपटक का पाठ कया आनद न स िपटक का पाठ कया

जहा िवनयिपटक म आदश त का िवधान ह वह स िपटक िस ात और नीित-

िनयम पर आधा रत ब क वचन का स ह ह

दसरी बौ सगित - इसका आयोजन वशाली म ईप चौथी सदी म

िशशनागवशीय कालाशोक क सर ण म आ वाि क प क कहलान वाल

वशाली और आवित दश क बौ तथा कौशा बी पाथ प दश क पि मी बौ

क बीच धा मक िनयम को लकर िववाद उ प आ इस िववाद क वजह स

lsquoि थिवरवा दनrsquo स दाय उ प आ पाली भाषा म lsquoथरवादrsquo का अथ होता ह

पव क आचाय क िश ा म िव ास lsquoि थिवरव दनrsquo एक परातन पथी पि मी

स दाय था इसी िववाद स महासिधक स दाय क उ पि ई यह पौवा य

बौ का स दाय था ित बती परपरा क अनसार महाक यायन न थरीवादी

स दाय क थापना क तथा महाक यप न महासिधक स दाय क दोन ही

स दाय हीनयान स जड़ थ

तीसरी बौ सगित - ईप चौथी सदी म अशोक न पाटिलप म बौ क

तीसरी सगित बलायी मोगिल कत ित सा न इसक अ य ता क िवध मय या

िवरोिधय को िन कािसत कर दया गया तथा थरवाद को एक मािणक स दाय

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 10: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

10

क मा यता िमली पाली थ अिभध मिपटक क अितम भाग िजसम

मनोिव ान तथा त वशा क चचा ह थरवाद म शािमल कया गया ह

चौथी बौ सगित - चीनी परपरा क अनसार पहली सदी म किन क न क मीर म

बौ क चौथी सगित बलायी वसिम को अ य चना गया सव त वादी

स दाय क िस ात को महािवभाष क प म कटब कया गया हीनयान और

महायान स दाय का िनमाण आ महायान स दाय का चलन भारत म तथा

हीनयान स दाय का चनल ीलका म आ

बौ धम क िविभ स दाय ndash

हीनयान - इस स दाय क अनयायी महा मा ब को मानव समझत ह तथा उनक

उपदश क नितक म य को वीकार करत ह उनक थरवाद-िस ा त म ि गत

मो ाि पर बल दया गया ह

महायान - इस स दाय क अनयायी बोिधस व पर जोर दत ह तथा सभी

आ मा क मि क बात वीकार करत ह इ ह न शा त ब क प रक पना

क जो ई रवादी स दाय क ई र क तरह माना गया

व यान - इस ताि क बौ धम भी कहा जाता ह इसक उ पि बौ दशन

तथा ा णवादी िवचार क तालमल स ई ह lsquolsquoजो भी हो आज इन सभी

स दाय न एक सीमा तक अपन भदभाव भला दए ह व lsquoध मrsquo स सचािलत होत

ह तथा बि क सावभौम िश ा म िव ास करत हrsquorsquo10

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 11: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

11

इस धम न दशन धम सािह य तथा कला क म मह वपण तथा

भावकारी योगदान दया राजनीितक म बौ धम क भारत को सबस बड़ी

दन रा ीयता क भावना ह इसन न िसफ जाित व था का ही िव वस कया

बि क रा ीय एकता क एक बड़ी बाधा को भी न करक ा णवादी वच व को

चनौती दी बौ धम का सवािधक बल अ हसा पर ह इसस लोग क वहार म

बड़ा प रवतन आया यह सविव दत त य ह क बौ धम क भाव स अशोक य

स िवरत हो गया था

बौ धम क कारण िव क अनक दश स सबध बन इसस इन दश क

साथ राजनीितक और ापा रक सबध का िवकास आ बौ धम का महान

योगदान यह ह क उसन एक सरल धम क थापना क इस जनसामा य आसानी

स समझ लता था तथा उसका अनपालन करना सहज था इसन मन य क नितक

उ थान म मह वपण भिमका िनभाई ऐसा माना जाता ह क बौ धम क साथ

म तपजा का भी ारभ आ इितहासकार क अनसार िह द धम क ारभ म

दवी-दवता क म तय क पजा नह होती थी

लोक चिलत भाषा म िविवध और िवशाल मा ा म सािहि यक थ क

रचना ई बौ क सबस मह वपण ि िपटक और lsquoजातकrsquo को काफ लोकि यता

िमली मलतः य थ पाली भाषा म िलख गए ह जो जनसामा य क भाषा थी

बौ क सघ तथा िवहार िश ा क महान क बन महान िश ा क क प म

िस नाल दा त िशला तथा िव मिशला व ततः बौ िवहार थ बौ धम क

अनयाियय न अपन सत क स मान म अनक तप तथा गफाए बनवाय

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 12: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

12

ख) भि आदोलन -

एक सम रा क प म भारत वष क खरी तथा सही पहचान करान

वाली अब तक दो ही ऐसी घटनाए ई ह िज ह ायः सभी न महान तथा

यगातकारी घटना क प म रखा कत कया ह इनम स एक घटना का सबध

म यकाल स ह तथा दसरी का आधिनक काल स प ह क म यकाल क यह

यगातकारी महान घटना भि क आदोलन का उ व तथा सार ह

जब भारत म सामतवाद क पतन क साथ हद धम म भी गितरोध और

आ याि मक अधःपतन क ल ण दखाई दन लग परानी व था क पािड यपण

ितिनिधय न मितय और शा क नई ा याए तत करक परानी ढहती

ई सामािजक व था को कसी तरह बचाए रखन का भरसक यास कया

दशन क म कतन ही आदशवादी भा य कािशत कए गए और सा य

वशिषक तथा अ य तकना परक णािलय क आदशवाद क आधार पर पनः

ा या करन क च ाए क ग मठ और म दर क स या म वि ई और

इ ह न दशन धम और पजा-पाठ को सि मिलत करन म मह वपण भिमका अदा

क सामती राजा और सरदार न अपन दान और सर ण क ारा इन य

को ो सािहत कया

इस तरह स अतीत को पन ीिवत करक पतनो मख धम को नया जीवन

दान करन क तापण यास कए गए िववाह स कार तथा अ य शभ

अवसर पर व दक म का पाठ फर स जारी कया गया य क था भी

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 13: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

13

जीिवत क गई इसक साथ ही कतन ही लोग न त क शरण ली ताि क

पथ को पन ीिवत करन क नाम पर समाज क ढ़वादी त व न कतन ही

आचार को अपनाया कत नई सामािजक आ थक शि या भी नए िवचार और

नई धा मक अवधारणाए लकर मदान म उतर रही थ मिसलम आ मण क पीछ-

पीछ भारत म वश करन वाल सामािजक और धा मक िवचार स इस या को

और भी गित िमलीrsquorsquo11

एक तरह स दखा जाए तो भारत म जो भि आदोलन चला उसक ब त

सी बात वाइि लफ लथर और थामस मजर क नत व म चलन वाल सधार

आदोलन स िमलती थ इस आदोलन क प भिम lsquolsquoभगवान िव ण अथवा उनक

अवतार और क ण क भि थी कत यह श तः एक धा मक आदोलन नह था

व णव क िस ात मलतः उस समय ा सामािजक आ थक यथाथ क

आदशवादी अिभ ि थ सा कितक म उ ह न रा ीय नवजागरण का प

धारण कया सामािजक िवषय-व त म व जाित था क आिधप य और अ याय क

िव अ य त मह वपण िव ोह क ोतक थ इस आदोलन न भारत म िविभ

रा ीय इकाइय क उदय को नया बल दान कया साथ ही रा ीय भाषा और

इनक सािह य क अिभवि का माग भी श त कयाrsquorsquo12 इस आदोलन स

ाप रय द तकार को सामती शोषण का मकाबला करन क िलए रणा ा

ई इस आदोलन का क बद क ई र क सामन सभी मन य चाह व ऊची जाित

क ह अथवा नीची जाित क समान ह न परोिहत वग और जाित था क आतक क

िव सघष करन वाली आम जनता क ापक िह स को अपन चार ओर एकजट

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 14: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

14

कया इस कार स म ययग क इस महान आदोलन क मा यम स न कवल

िविभ भाषा और िविभ धम वाल जन समदाय न एक ससब भारतीय

स कित क िवकास म मदद क बि क सामती दमन और उ पीड़न क िव सय

सघष चलान का माग भी श त कया

इस सधार आदोलन क मल रणा ोत रामानज और उनक िश य रामानद

क वदाती िस ात थ रामानज का यह दावा क सभी मन य क िलए ई र स

अपन व थािपत करना और भि क मा यम स शा त सख का अनभव करना

सभव ह वह स ाितक आधार था िजसन याशीलता क नई लहर को बल दान

कया रामानद न दश म दर-दर तक मण कया और ाहमण क परमािधकार

और जाित था का खडन कया उनका सरल म था जात-पात पछ नह कोई

ह र का भज सो ह र का होई उनक बारह िश य थ इनम रदास चमार थ

धमदास अछत जाित क स त थ सना एक नाई थ और कबीर नीची जाित क

जलाहा थ अ य धा मक सधारक क मामल म भी यही बात थी lsquolsquoकभी-कभी

ा ण और उ वग क लोग भी भि आदोलन म शािमल ए कत उ ह न ऐसा

अपनी जाित क सिवधा और उ वण क दि कोण को यागन क बाद ही कया

स प म भि आदोलन का नत व कह भी ा ण परोिहत अथवा उ वण वाल

अिभजात वग य लोग न नह कयाrsquorsquo13

भि आदोलन उस समय श आ था जब हद और मसलमान परोिहत

और उनक ारा सम थत और सम कए गए िनिहत वाथ क िखलाफ सघष एक

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 15: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

15

ऐितहािसक आव यकता क प म महसस कया जान लगा जनता को जो अब

तक ीय और थानीय िनपाठ स आब थी और यग परान अधिव ास और

दमन शोषण क बावजद हतो सािहत नह ई थी जगाया जाना और अपन िहत

तथा आ मस मान क भावना क िलए उस एक कया जाना आव यक था

थानीय बोिलय और ीय भाषा को एकता थािपत करन वाली रा भाषा

क तर पर उठाना था भि आदोलन क नता को य ही कछ काम करन थ

य िप भि आदोलन कसी हद तक सफ पथ तथा इ लाम क अ य

िवधम िस ात स भािवत था तो भी वह सारतः भारत म उस समय म मौजद

सामािजक और आ थक प रि थितय क उपज था कतन ही हद भ क

मसलमान िवध मय स ि गत सबध थ इसम भी सदह नह क रामानद क

िश य कबीर हद और मसलमान दोन ही ग क पास जात थ और उनक

वचन को सनत थ इसम कोई आ य क बात नह ह य क हद और

मसलमान क िवधम िवचार एक ही जसी सामािजक-आ थक प रि थितय क

उपज थ और जनता क समान वग क आका ा और अिभलाषा को

प रलि त करत थ

इस आदोलन क नता न तो िनरथक समय गवान वाल दाशिनक थ और न

कस -पसद आरामतलब समाज-सधारक थ व जनता क बीच स य प स काय

करत थ और क ठन प र म क ारा अपनी जीिवका अ जत करत थ उदाहरण क

तौर पर कबीर को दखा जा सकता था कबीर कपड़ा बनत थ और बाजार म उस

बचकर गजारा करत थ कबीर यह मानत थ क धा मक जीवन का अथ आलस म

समय गवाना नह ह हर भ को प र म करक वय अपनी रोटी कमानी चािहए

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 16: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

16

और दसर क सहायता करनी चािहए वह इस बात पर भी जोर दत थ क मन य

को सरल जीवन तीत करना चािहए जसा वह वय तीत करत थ और यह क

धम सपदा करन क मोह म नह पड़ना चािहए इस दि स lsquolsquoभि आदोलन क य

नता अपन िश य स वयि क जीवन म सादगी और सरलता तथा सामािजक

आचारण म सदाचार दया और म क माग करत थ य गण न कवल मानव

ि व को सप करन वाल होत ह बि क य सामतवादी ऐशोआराम और दसर

क ित िनदयता क सदभ म िवशष प स मह वपण थ और उनक अपनी िविश

साथकता थीrsquorsquo14

िजस तरह यरोप म सधार आदोलन सव थम ापा रय और द तकार क

बीच श आ य िप बाद म यह तजी स कसान क बीच फल गया उसी तरह

भारत म भी भि आदोलन पहल शहर म बसन वाल लोग खासकर छोट

ापा रय जलाह टोकरी बनान वाल और िमि य जस लोग क बीच स श

आ था कत lsquolsquoस हव शता दी तक वह कसान म ा हो गया इसन एक जन

आदोलन का प धारण कर िलया और मगल शासन तथा सामती सरदार क

िव कभी-कभी सश िव ोह क प म भी कट आ इस तरह स स हव

शता दी म द ली म िस ख का जो आदोलन चला और मथरा म कसान का जो

सश िव ोह आ उसम कछ सामा य किड़या तथा रणा ोत थ पजाब म

मसलमान सामत क िखलाफ कसान क सघष म भि आदोलन न स य

भिमका अदा क माहारा म एक वगपण तफान क प म िशवाजी क नत व म

चलन वाल मि आदोलन म मराठी किव तकाराम क भिमका कोई मामली

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

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व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 17: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

17

भिमका नह थी एक और मह वपण त य यह ह क इस आदोलन क नता अपनी

किवताए और अपन गीत फारसी और स कत जसी द ह और ि ल भाषा म

नह वरन जनता क भाषा म रचत थ इसस रा ीय इकाइय तथ रा ीय

भाषा क िवकास को ो साहन िमला जो भारतीय रा क िवकास क एक

ऐितहािसक या थीrsquorsquo15

भि आदोलन न दश क िभ -िभ भाग म िभ -िभ मा ा म

ती ता और वग हण कया यह आदोलन िविभ प म कट आ कत कछ

मलभत िस ात ऐस थ जो सम प स पर आदोलन पर लाग होत थ पहल

धा मक िवचार क बावजद जनता क एकता को वीकार करना दसर ई र क

सामन सबक समानता तीसर जाित था का िवरोध चौथ यह िव ास क मन य

और ई र क बीच तादा य यक मन य क सदगण पर िनभर करता ह न क

उसक ऊची जाित अ वा धन-सपि पर पाचव इस िवचार पर जोर क भि क

आराधना उ तम व प ह और अत म कमकाड़ म तपजा तीथाटन और अपन

को दी जान वाली य णा क नदा भि आदोलन मन य क स ा को सव

मानता था और सभी वगगत एव जाितगत भदभाव तथा धम क नाम पर कए

जान वाल सामािजक उ पीड़न का िवरोध करता था

व तिन दि स दखा जाए तो सम त जनता क एकता पर जोर दया

जाना ऐितहािसक आव यकता क अन प था समय क माग थी क जाित-पाित

और धम क भदभाव पर आधा रत त छ सामािजक िवभाजन का जो घरल

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 18: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

18

बाजार क िवकास और उसक प रणाम व प आ थक सबध म होनवाल प रवतन

क कारण अब एकदम िनरथक हो गए थ अत कया जाए ई र क स मख सभी

ािणय क समानता का िस ात उस नई सामािजक चतना का ोतक था जो

सामती शोषण क िव जझनवाल कसान और कारीगार म फल रही थी

ि क गण और यो यता पर जोर जो ऊची जाित अथवा कसी िविश वश

म ज म लन क फल व प ा सिवधा क िवपरीत था ि गत वत ता क

ऐितहािसक आका ा क अिभ ि था ि गत वात ता एक नए पजीपित

वग िजसका क उदय हो ही रहा था का यह नारा था य िवचार धा मक अथ म

भी िन सदह म ययग क उन प रि थितय को दखत ए िजनम जाित-पाित क

पधा और अधिव ास क फल व प समाज का आग गित करना असभव हो

गया था गितशील थ

इस आदोलन न कवल अधिव ास और जाित था क िखलाफ आवाज

उठान और ई र क दि म सबक समानता घोिषत करन तक ही अपन को

सीिमत नह रखा बि क इस आदोलन क कछ नता न तो मगल आिधप य और

कशासन तथा सामती शोषण-उ पीड़न क िव ापा रय कारीगर और गरीब

कसान क सघष का नत व भी कया

कत भि आदोलन क अपनी सीमाए थ यह सच ह क सामिहक

ाथना न य और सक तन स सत का ि व जनता क सजना मक मता

को रणा दान कर रहा था उनक ि व न जनता म एक नई चतना जगाई

और याशीलता क िलए िवशाल जनसमदाय म नई फ त पदा क उसन

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सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

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ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

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पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

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ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

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तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

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जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

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दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

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इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 19: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

19

सामतवाद क अतगत फल जाितवादी और धा मक अलगाव को भी ख म कया और

सामतवाद िवरोधी सघष म नई जान फक इन सब स ाइय क बावजद lsquolsquoधम क

िलए रणा मलतः सवदना मक अिधक होती ह तक करन और यि पवक सोचन

का अवसर कम िमलता ह अतः धा मक भावना न तो सामािजक सम या क

तक सगत िव षण क िलए स म ह न ही इन सम या का यि य समाधान

ढढ िनकालन म वह अिधक सफल होती ह भि आदोलन न आम जनता म

जागित तो पदा क कत वह सामािजक और आ थक व था म मौजद

असगितय क वा तिवक कारण को समझन और मानव क दख और पीड़ा क

नतन समाधान तत करन म सफल नह आ यह एक म य कारण ह क इस

आदोलन क प रणित िजसन सामती उ पीड़न और परोिहती ढ़वाद क िव

जनता को सय कया था अततः घोर सक णतावाद म ई िस ख धम क

िवकास या इसका एक प उदाहरण हrsquorsquo16

इस कार स भि आदोलन िजसन दो शताि दय स अिधक समय तक

समच दश को आदोिलत कया था जनता क रा ीय नवजागरण म िजसम हद

और मसलमान दोन ही शािमल थ मह वपण योगदान दया य द यह आदोलन

सदा क िलए सामािजक असमानता और जाित था स उ प अ याय को ख म

नह कर सका तो सभवतः इसका कारण यह था क कारीगर ापारी और

द तकार जो इस आदोलन क म य आधार थ अब भी कमजोर और असग ठत थ

और इसस पहल क उदीयमान पजीपित वग एक वग क प म अपना पण िवकास

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 20: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

20

ा कर ि टश पजीपितय न दश को जीतकर अपन क ज म कर िलया और उस

ि टश सा ा य का एक अग बना िलया

ग आधिनक चतक गाधी अ बडकर लोिहया योितबा फल

I गाधी का चतन - महा मा गाधी िव क एकमा ऐस ाितकारी ए ह

िज होन दश क आजादी क िलए अ हसक ाित का माग चना और एक लब सघष

क बाद अपन दश को आजाद करान म सफल रह महा मा गाधी का मानना था

क lsquoभारत क मि हसा क माग स न होगी वरा य आवगा एकमा स या ह

क मा यम स आ मा क शि स स य और म क शि स य ही भारत क वभाव

क अन प अ ह व यह भली-भाित जानत थ क अ हसा हसा क अप ा कई

गनी अ छी ह व यह भी मानत थ क दड क अप ा मा अिधक शि शली

होती ह ल कन मा तभी साथक ह जब शि होत ए भी दड नह दया जाता

जो कमजोर ह उसक मा बमानी ह महा मा गाधी भारत को कमजोर नह

मानत थ व यह मानत थ क तीस करोड़ भारतीय एक लाख अ ज क डर स

कभी िह मत नह हार सकत इसक अलावा वा तिवक शि शरीर बल म नह

होती ह वह अद य मन म होती ह

इसी तरह स गाधी न धम पर िवचार कया ह हाल क गाधी जी क पव

धम पर ब त अिधक िवचार हो चका था कत त कालीन इितहास और समाज म

धम क िवकत प का दशन करन क कारण और सघष शोषण अनितकता

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 21: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

21

पाख ड अधिव ास आ द दोष स धम को आ छा दत दखन क कारण उ ह इसी

सम या पर पनःिवचार करना पड़ा गाधी न िव क िविभ मख धम का स म

अ ययन कया और उ ह यह बोध आ क सवसाधरण म धम क जो अवधारणा

चिलत ह वह िनतात ामक ह इसिलए उ ह न अपन योग और िन कष क

आधार पर धम क पनः ापक ा या तत क उ ह न धम को जीवन और

समाज का अधारभत त व वीकार कया िजस िनकाल दन स ि और समाज

दोन िन ाण और श य हो जात ह व ि क दिहक मानिसक और

आचरणा मक प को धम स सय मानत ह च क उ ह न धम और स कित को

सय प म दखा इसिलए व धम प रवतन को नापस द करत थ उनको वधम

अथात हद धम म गहन आ था थी य क उनका मानना था क हद धम अ य

धम क साथ शाितपवक रहता ह और यह दावा नह करता ह क स य एकमा

उसी म ह च क गाधी क आ था वधम यानी हद धम म गहन थी इसिलए

उ ह न आदश समाज क प रक पना वण व था क आधार पर क थी इसीिलए

व हद धम को वणा म धम मानत थ उनका कहना था क lsquolsquo हद धम का स ा

नाम वणा म धम ह हद नाम परदशी मसा फर का रखा आ जान पड़ता ह

और उसका सबध भगोल क साथ ह हमन जो धम पाला ह उस अगर कोई खास

और मतलब भरा नाम दया जा सकता हो तो ज र वह नाम वणा म धम ह यह

कहन स क हद का धम आय ह धम क बार म कोई सचना नह िमलती

इसका मतलब तो इतना ही आ क िह द यानी िस ध क पव म रहन वाल लोग

अपन को आय मानत ह और दसर को अनाय या वद का धम मानन वाल खद को

आय और दसर को अनाय समझत ह ऐस नाम म मझ तो दोष भी दखाई दता

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 22: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

22

ह वणा म धम स धम क िवल णता जािहर होती ह यह िवचार ठीक हो या

ना हो इतना तो सब मानग क वणा म को िह द-धम म बड़ी जगह दी गई हrsquorsquo17

व वण पर आधा रत वश परपरा को कम क अनसार तो वीकार करत ह

ल कन उनक दि म वण क ि य को सामािजक राजनितक और आ थक

म समान अिधकार ा ह ग और कसी कार क ऊच-नीच क भावना नह

होगी इसीिलए व भारतीय समाज म अ प यता को सही नह मानत उनक

आदश समाज म अ प यता क िलए कोई थान नह था इसक चलत ही व रगभद

को वीकार नह करत उनक अनसार lsquolsquoमन य अपन को कोई िवशषण लगा ल

तो उसी स वह उसक लायक नह बन जाता काल रग का आदमी अपना रग लाल

कह तो लाल नह हो सकता िजस तरह अपन को ा ण बताकर कोई ा ण

बन या रह नह सकता ा ण होन क आिखरी कासटी पर तो वह तब खरा

उतर सकता ह जब ा ण क गण अपन म म तमान कर ल इस तरह सोचन पर

हम दखग क वणधम भी िमट गाया ह वहार म हम lsquoवणrsquo नाम रख सकत ह

तो यह समझा जा सकता ह क हम सब श ह ल कन असल म तो हम श भी

नह मान जा सकत य क धमशा म तो वण को धम माना ह इसिलए श

वण भी धम ह और धम तो अपनी मज स मजर कया जाता ह उसक पालन

करन म शम क गजाइश ही नह हrsquorsquo18 अथात उनक िलए वण धम ह अिधकार

नह इस कार स गाधी न जो वणा म क जगह समाज म वणधम क

अवधारणा तत क उसम वण का धम मन य क वाभािवक यो यता क आधार

पर तय होता ह उनका मानना था क य द यह व था समाज म लाग हो जाए

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 23: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

23

तो सामािजक एव आ थक िवषमता तथा इसस उ प होन वाल भीषण वग सघष

समा हो जाएग

II अ बडकर का चतन -

डॉभीमराव अ बडकर आधिनक भारत क मख िवचारक म स एक ह

उनक िवचार न अपन समय म और आज क राजनीित सामाजनीित म एक

तफान उठाकर दम िलया ह सामािजक िवषमता अ याय िव पता

भदभाव पर आधा रत समाज व था क िखलाफ बगावत करन वाल िच तको म

डॉ अ बडकर को भला पाना क ठन ह व तक स िवचार का पाठ उठात ह और

ामािणक पाठ स िवचार या तक को प करत ह उनक ान-चतना क िन मित

आधार समाज एव इितहास क भीतरी अनभव सघष तनाव स ई ह

एक बल सामािजक िव ोही ानी राजनीित प रप सिवधान िनमाता क प

म व हमशा याद कए जाएग भारतीय समाज िवशषकर हद समाज क भीतरी

मनोभिम का स म गहन अ ययन सहज काम नह ह ल कन डॉअ बडकर ारा

इस समाज- व था म झल गए कट अनभव अपमान अभाव न उ ह इस धम क

सबस बड़ आलोचक म थान दलाया व इस दश को lsquoअसमानता का उ म

लrsquo मानत थ उनका कहना था क lsquolsquoयहा भौितक चीज क उपय ता

ब तायत और उनस सबिधत िवशाल जन समह म गरीबी इतनी भयकर ह क

उसक ओर यान जात ही तरत इस बात क ओर भी यान आक षत होता ह क

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 24: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

24

जो भयकर असमानता इस दश म रहन वाल मानव समाज म ा ह वह अपनी

छोटी बहन गरीबी को भी लि त करती हrsquorsquo19

डॉ अ बडकर वाधीनता आदोलन क भीतर स िनकल उन िवचारक म स

ह शायद अकल िवचारक िज ह न अपनी मल िच ता क सरोकार को दिलत वग

और जाित- था पर क त कया ह उनक दि म हद धम म lsquoधम व क भावना

क बजाय िविभ जातीयता क भावना िव मान हrsquo उनक श द म जाितय म

यह जो ऊच-नीच क भावना ह उसक पदाइश गण -दगण क बिनयाद पर नह

ह ऊची जाित म पदा आ आदमी कतना भी बरा य न हो ल कन वह अपन-

आपको ऊचा ही समझा ह इसी कार नीच जाित म पदा आ आदमी कतना भी

च र वान य न हो ल कन वह नीच ही समझा जाता ह दसरी बात यह ह क

िजन जाितय म आपस म रोटी-बटी का वहार नह होता ऐसी हर जाित एक-

दसर क ित आ मीय सब ध स रिहत ह मतलब जाितया समाज क टटी ई

किड़या ह नजदीक सब ध क बात को य द कछ दर क िलए अलग रखा जाए

तब भी आपस क लोक वहार ऐस िनयि त ह क कछ लोग का वहार दरवाज

तक ह तो कछ जाितया परी तरह अछत हrsquorsquo20 उनक नजर म इस तरह क

वहा रक दि कोण न छआछत क भावना को इतना बढ़ावा दया ह क य

जाितया हद समाज म होकर भी समाज स बाहर लगती ह

डॉ अ बडकर क अ दर भारतीयता क एक अटट लय थी िजस खिडत नह

कया जा सका उनक दल म अपन दश और दिलत को लकर प िवचार थ व

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 25: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

25

दश और दिलत म स दिलत क साथ खड़ थ वह दश िहत और अपन िहत म व दश

िहत को वरीयता दत थ ऐसा व इसिलए सोचत एव कहत थ क व समझ गए थ

क दिलत क ि थित म प रवतन समतामलक समाज क थापना क िलए ज री

ह जाित था न कवल मानव ग रमा क िव ह बि क समतामलक समाज क

व क भी िव ह यही कारण ह क अथशा क अ ययन क साथ-साथ व

जाित- था क उ म िवकास भाव क समाजशा पर िनर तर काय करत रह व

दिलत का िपछड़ापन उनको न िमलन वाली राजनितक और शि क िह ससदारी

को मानत ह उनका कहना था क lsquolsquoस ा और ान न होन क वजह स अ ा ण

समाज क लोग िपछड़ रह और उनका उ थान नह हो सका यह बात सही ह

ल कन उनक दख म गरीबी कभी शरीक नह ई य क उनको खती ापार

उ ोग या नौकरी करक अपना पट पालना मि कल नह ह इस दबलता गरीबी

और अ ान क ि कटी म यह िवशाल अछत समाज दफनाया गया होगा इसम

कोई स दह नह हrsquorsquo21 व ा ण ारा ान सचय करन एव उसक सार करन क

हक को ा णी स ा क वच वादी व प क प म दखत ह इस ि थित स

िनपटन क िलए व ान को अ जत कर उ ह उनक ारा ान क प म फलाई गई

अनाव यक अफवाह को समा करन पर बल दत ह च क दिलत को ान ा

करन का समान अवसर न दकर ा ण ारा उ ह अ ानी कहना और यह कहना

क अ ानी लोग कछ भी कर सकत ह इसीिलए ान को हण करन और उसका

िव तार करना व अपना परपरागत हक समझत ह

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 26: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

26

इस तरह स डॉ अ बडकर न भारतीय राजनीित एव सामािजक सरचना

पर बड़ मौिलक ढग स िवचार कया उ ह न अपनी बात क ारा जाित- था क

उ मलन क अनक ता कक समाधान सझाए व मानत थ क इस दश म जाित-

था क ारा जो र क श ता क जड़-भावना फली ई ह वह िनतात अता कक

ह य क इस भारतीय समाज म आय - िवड़ -मगोल -शक - ण -आभीर -नाग -

य आ द न जान कतन का सिम ण ह इस तरह स ही पर पर सतत सपक

और सब ध क कारण एक समि वत स कित का स पात आ व भरतीय समाज

को जाितय का सकलन नह मानत थ इसका कारण यह ह क सकलन स

सजातीयता उ प नह होती इसम अलगाव क भावना रहती ह एकता दखाई

दती ह पर एकता होती नह ह इस दश क जाित- व था क ा या भी व

इसीिलए क ठन काय मानत ह इस बात क पीछ उनका तक यह था क खद

सजातीय समाज म भी जाित- था क घसपठ ह इसी क चलत व भारतीय जाित-

था को समाज को कि म िह स म िवभािजत करन वाली था मानत थ इस

प म उनक चतन का सवािधक खर प जाितवाद क िखलाफ एक सश

आदोलन म दखाई दता ह जो क हािशय क मन य को मि क दशा-दि दता

III राममनोहर लोिहया का चतन -

राममनोहर लोिहया को भारतीय सामािजक चतन म समाजवादी चतक

क प म जाना जाता ह यह एक आम त य ह ल कन उनक िवचार को

िवचारधारा क चिलत को टय क बरअ स दख तो लगभग सभी चिलत

िवचाराधारा क चिलत को टया उनक िवचार म समि वत ह अथात व सभी

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आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

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स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

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चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

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करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

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और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

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घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 27: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

27

आकर अत लियत हो गई ह इस तरह लोिहया न अनक िवचारधारा क

बिनयादी बात को हण कर एक नवीन समि वत समाजवादी िवचारधारा का

िनमाण कया उ ह न अपन समाजवादी चतन क आधार पर सात ाितय का

आ वान कया यह आ वान ह-

lsquolsquo1नर-नारी म समानता क िलए

2 रग क आधार पर आ थक राजनीितक आ याि मक िवषमता क िखलाफ

3 िवकिसत वग और िपछड़ वग म गर-बराबरी क िखलाफ

4 िवदशी गलामी क िव लोकत क आधार पर िव सरकार क थापना क

िलए

5 िनजी सपि क िव

6 िनजी जीवन म ह त प क िखलाफ

7 हिथयार क िव rsquorsquo22

व भारतीय राजनीित और अपनी समि वत समाजवादी िवचारधारा दोन

को एक-दसर क पयाय क प म फलीभत होता दखना चाहत थ य क lsquolsquoव एक

ऐसा समाज बनाना चाहत थ िजसम सभी लोग खश रह सक सभी को िवकास क

अवसर ा ह तथा लोकताि क म य क ित एक-एक सजगता का भाव और

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 28: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

28

स मान होrsquorsquo23 यह तभी सभव ह जब पजीवादी ि वाद क िखलाफ समानता

मानव एकता नितकता तकवाद मि वाद को थािपत करन क साथ-साथ

गरीब उ पीिड़त और अिधकार स विचत लोग क ित समानता क भाव का

वातावरण बन एव उनक अ दर बौि क िच तन क समावशी प भिम िन मत हो

भारतीय लोकत को शासन क ित उ रदायी िज मदार और वध शासन

मानन क बावजद व वत ता क श आती दौर म ही बढ़ सामािजक िवभाजन को

इस लोकत क कमजोरी क प म दख रह थ च क यह सामािजक िवभाजन

ज म पर आधा रत ह इसिलए भारतीय समाज म ऊच-नीच जाित था अपन

भयावह प म मौजद ह जो क लोकताि क समाज क सबस बड़ी िवफलता ह

इसीिलए व जाितवाद को भारतीय सामािजक िवकास का सबस बड़ा द मन मानत

थ जाित सबधी चतन म उ ह न िसफ सामािजक व था क हर तर पर िपछड़ी

जाितय क िहत को ही नह बि क अ य जाितय क भी लोकताि क िहत का

यान रखा इसीिलए गाधी और अबडकर जस मह वपण चतक क भी जाित

सबधी वचा रक अवधारणा को उ ह न गित दी उ ह न सी िव ान ख व का

हवाला दत ए जाित क िनमाण क कारण पर काश डालत ए कहा क

lsquolsquoशारी रक और बौि क काम क बीच यह अ तर करना और एक को नीचा और

दसर को ऊचा काम समझना और इस तरह क बढ़त ए पच और थािय व जाित

को पदा करत हrsquorsquo24

इसी बात को अगर आधार माना जाए तो हद तान म व जाित क सरचना

और उसक समाजितहािसक कारण का जो उनका िववचन ह वह जाितय क

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 29: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

29

चिलत व प को परी तरह इनकार करता ह उनका यह मानना ह क

lsquolsquoभारतीय समाज क य द हजार म नह तो सकड़ जाितय म िवभाजन स िजनका

िजतना राजनीितक उतना ही सामािजक मह व ह साफ हो जाता ह क हद तान

बार-बार िवदशी फौज क सामन य घटन टक दता ह इितहास सा ी ह क

िजस काल म जाित क बधन ढील थ उसन लगभग हमशा उसी काल म घटन नह

टक हrsquorsquo25

हद तान को इस व था स कस मि िमल सकती ह इस पर लोिहया का

यह मानना ह क lsquolsquoइस धारणा पर क स ाितक आिधप य क लबी परपरा न

छोटी जाितय को िन ल बना दया ह उनका राजनीितक आचरण कछ कम

समझ म आता लगता ह यह धारणा िब कल सही ह जो ह उसक िवनीत

वीकित प रवतन क िलए अनमनापन अ छ दन म वस बर दन भी जाित क

साथ िचपक रहना पजा ारा अ छ जीवन क कामना करना रसम- रवाज और

सामा य न ता उनम स दय स कट-कट कर भरी गयी ह यह बदल सकता ह

वा तव म इस बदलना चािहए जाित स िव ोह म िह द तान क मि ह या कह

सकत ह ऐसा अभतपव और अब तक अनपल ध अवसर आया ह जब िह द तान

सचमच और परी तौर पर जीव त होगा या ऐसा िव ोह स भव ह िव ान

सािधकार इस भल ही नकार कमशील ि इसको मानत चल जाएग आज

सफलता क कछ आशा दखाई दती ह वह याहीन िचखन-िच लान पर समा

नह हो जाता वा तव म वह उतना ही राजनीितक भी ह िजतना क सामािजक

जाित पर राजनीितक हमला करन पर यानी रा का नत व करन का मौका दश

30

क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 30: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

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क सभी जाितय क लोग को दन पर वह ाि त क जा सकती ह िजसस जाित क

छोट समदाय को ही जब जो सम यता और पनआ ासन िमलता ह वह पर

िह द तानी समाज को िमलrsquorsquo26

इन चतन या क प र य पर यान दया जाए तो लोिहया को हम

विचत समदाय म दिलत क ि थित पर ापक गहराई क साथ िवचार करन

वाल चतक क प म दख सकत ह उ ह न इसीिलए विचत िवशाल ब मत को

नय-जीवन और आ मिव ास स य करन क िलए िवशष अवसर क िस ात का

िनमाण कया व दिलत क अलावा मिहला श अनसिचत जाितय और

अ प-स यक जस विचत समह को सौ म साठ ितशत का आर ण महया कराना

चाहत थ उनका यह तक िसफ सामािजक अिधक स दाशिनक आधार पर गढ़ा

गया था य क व एक व थ समाज म सपण मता क बजाय अिधकतम मता

का होना ज री एव बहतर ि थित समझत थ

IV योितबा फल का चतन -

योितबा फल को भारत क उन समाज सधारक म िगना जाता ह िज ह न

स य योजना क तहत भारत स जाितवाद क खा म का माग सझाया उनका

कहना था क lsquolsquoहम गहराई स सोच तो हमारी समझ म आयगा क हर मन य को

आजादी होनी चािहए यही इसक बिनयादी ज रत ह जब ि आजाद होता

ह तब उस अपन मन क भाव और िवचार को प प स दसर क सामन कट

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 31: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

31

करन का मौका िमलता ह ल कन जब उस आजादी नह होती तब वह वही

मह वपण िवचार जनिहत क होन क बावजद दसर क सामन कट नह कर

सकता और समय गजर जान क बाद व सभी िवचार ल हो जात ह उसी कार

मन य आजाद होन स वह अपन सभी मानवी अिधकार ा कर लता ह और

असीम आन द का अनभव करता हrsquorsquo27 इसी आधार पर व दिलत क िहत क र ा

एव चिलत अमानवीय मा यता स मि क बात करत ह जो ा णवाद क

सोची-समझी दन ह

व ा ण को श जाितय को गलाम बनाकर रखन और अपना वाथ िस

करक जीन वाली जाित क प म दखत ह व यह भी मानत ह क गलाम बनान क

िलए और अपन िहत को यान म रखकर ही इस जाित न ा ण थ क रचना

क उनका कहना ह क lsquolsquo ा ण न सोचा हमारा भाव और वच व इन लोग

क दलो- दमाग पर रह और िजसस हमारा वाथ फलता-फलता रह इसिलए

उ ह न कई हथकड अपनाय और व सभी इसम कामयाब भी होत रह च क उस

समय य लोग स ा क दि स पहल ही पराधीन ए थ और बाद म ा ण

परोिहत न उ ह ानहीन बि हीन बना दया था िजसका प रणाम यह आ क

ा ण-प डा-परोिहत क दाव-पच इनम स कसी क यान म नह आ सक

ा ण-परोिहत न इन पर अपना वच व कायम करक इ ह हमशा-हमशा क िलए

गलाम बनाकर रखन क िलए कवल अपन िनजी िहत को ही म नजर रखकर कई

बनावटी थ क रचना करक कामयाबी हािसल क उन नकली थ म उ ह न

यह दखान क परी कोिशश क क उ ह जो िवशष अिधकार ा ह व सब ई र

ारा ा ह इस तरह का झठा चार उस समय क अनपढ़ लोग म कया गया

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 32: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

32

और उस समय क श अितश म मानिसक गलामी क बीज बोय गयrsquorsquo28 इन

गलामी क बीज न जब अपन अि त व व अि मता का ल बा समाजितहािसक

सफर तय कया तो वह धीर-धीर आ था क प म श क मि त क म घर कर

गए

इस बात क मल म जो बात िछपी ह वह यह ह क lsquolsquoइन लोग को उ ह न

( ा ण न) इनक मन म ई र क ित जो भावना ह वही भावना अपन को

( ा ण न) सम पत करन क िलए मजबर कयाrsquorsquo29 इस साधारण या मामली

क म क अ याय क प म नह दखा जा सकता य क उनक उपदश का भाव

वच व क प म श क सम ि व पर जड़ जमाए ए ह इसस श क मन म

जो बचकाना वभाव िन मत आ ह वह यह ह क lsquolsquoअम रका क काल गलाम क

तरह िजन द लोग न हम गलाम बनाकर रखा ह उनस लड़कर म (आजाद)

होन क बजाय जो हम आजादी द रह ह उन लोग क िव द फजल म कमर

कसकर लड़न क िलए तयार ए ह यह भी एक बड़ी बात ह क हम लोग पर जो

भी कोई उपकार कर उनको कहना क हम उपकार क ज रत नह ह फलहाल

हम िजस ि थित म ह वही ि थित ठीक ह यह कहकर हम शा त नह होत बि क

उनस झगड़न क िलए भी तयार रहत हrsquorsquo30 ल कन श का यान उस तरफ भी

जाना चािहए क इनक काय स उपकार करन वाल का ब त बड़ा िहत होता हो

शायद यह ब त बार मम कन नह ह बिन पत क उनको हर यास म अपन

जीवन को जोिखम म डालकर बड़-बड़ खतर का सामना करना पड़ता ह

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 33: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

33

इन बात क अलावा अगर स या क आधार पर दखा जाए तो आज भी

सवण क तलना म शद -अितश क स या ब त यादा ह फर भी सवण

जाितय न इ ह गलाम बना रखा ह इसका कारण यह ह क lsquolsquoएक बि मान चतर

आदमी दस अ ानी लोग क दलो- दमाग को अपन पास िगरवी रख सकता ह

और दसरी बात यह ह क व दस अनपढ़ लोग य द एक ही मत क होत तो उ ह न

उस बि मान चतर क दाल न गलन दी होती एक न चलन दी होती क त य

दस लोग दस अलग-अलग मत क होन क बजह स ा ण -परोिहत जस धत-

पाख डी लोग क जाल म फस गय उन धत-पाखिणडय को इन दस िभ -िभ

मतवादी लोग को अपन जाल म फसान म कछ क ठनाई न ईrsquorsquo31 इसी आधार

को ा ण न जाित क अलग-अलग दीवार म त दील कर दया और इनक

माण व प एव जातीय वाथ िसि क दि स कई थ िलख डाल

योितराव फल क इन िवचार पर यान दया जाए तो एक बात साफ हो

जाती ह क भारतीय समाज म जाित-भद क भावना का िनमाणकता- ा णवाद

ह िजसन अपनी वाथिसि ितशोध एव वच वकारी भाव क भावना क तहत

इस िविश अमानवीय काय को अजाम दया िजसस मि उ एव ग व ापण

िश ा हण करक ही पाया जा सकता ह य क सामािजक सरचना क हर तर को

सघन अनभित स य बौि कता ब त दर तक भािवत करती ह

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

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41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 34: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

34

घ उ र आधिनक चतन और दिलत िवमश

िजस समाज म शरीरी-अशरीरी अ प यता कायम हो उस तो आधिनक भी

नह कहा जा सकता उ र आधिनक होना तो अगला और उ त टज ह

सिवधान क दबाव और दिलत सािह य स उपज रही दिलत म आ मस मान क

चतना क कारण उ िशि त सवण लोग अब स य होना चाहत ह व अब दिलत

क साथ खान-पान रहन-सहन और य द दिलत ब ा होनहार हो तो उसक साथ

शादी सबध भी अपवाद क प म थािपत कर रह ह परत अशरीरी अ प यता

बढ़ती जा रही ह यह दिलत क हरण कए गए मानवािधकार क मामल म प

दखा जा सकता ह lsquolsquoजो अ प यता दिलत क िवचार स दिलत क अिधकार स और

दिलत क उ थान स कटती जाती ह उसका भौितक शरीर नह होता भौितक

ससार म उसक अहिमयत होती ह यह म क प य हद ज मना समथ

होनहार और ब होता ह और अ प य बनाया गया भारत का मल िनवासी मख

होता ह यह कलमकार क षड़य क कारण आ ह इसिलए क बईमान

बि जीवी राजनता क अप ा अिधक खतरनाक होता हrsquorsquo32

आज क समय को दखकर िसफ अपनी जाित िवशष को एकल करन क साथ

जाित का आ ह छोड़ कर सभी शोिषत-पीिड़त लोग को एकजट होना ज री ह

आज दश म कई तरह क दिलत ह और कई क म क दिलत आदोलन ह उन

आदोलन म कई तरह क िवचारधराए ह और अनक कार क वचा रक म उन

म म दिलत अि मता को प रमा जत करन क सम या कम चनौती भरी नह ह

lsquolsquoआज क दिलत अि मता क साथ इितहास और भगोल राजनीित और समाज-

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 35: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

35

व था वण वग जाित धम आ द क कई भवरदार जड़ ए ह िव ान

शहरीकरण औ ोिगक करण क को आधिनकता उ र-आधिनकता क सदभ

न एक नया चहरा द दया ह िजसम िह द-समाज क साथ दिलत कहा तक जड़ ह

जस जड़ ए ह इधर परानी दिलत-अि मता और नई दिलत-अि मता म

जमीन आसमान का फक आ गया ह प रवतनवाद क सामािजक च न जाित

था क व प को भी भीतर-बाहर स झकझोरा ह नया दिलत-िवमश

समतामलक शोषण-म आ मस मान पण छआछत रिहत समाज बनान क िलए

ितब दखाई दता ह स ा-राजनीित क शि ा करन क िलए दिलत कई

तर पर सघष कर रह ह उ ह न सवण सहानभित क ज रत ह न मा सवादी

मानवतावाद क rsquorsquo33 आज उनक िलए भारतीय समाज व था म ा

ब लतावाद ब लतावादी स कितवाद का अलग अथ स दभ ह

वह इस अथ स दभ को उसक बिनयाद स खगालन का अरमान रखत ह

इसिलए जाित था क पर पाठ या (ट ट-सबट ट) को नए पसपि टव म एक

खास ए ोच क साथ सोचन पर या िवमश पर अमादा ह

आज दिलत सािह य क रचना मकता और िवमश का जो िव तार आ ह

गर दिलत पाठक दिलत सािह य क ओर जो आक षत ए ह उस पर िवमश म

िह सा ल रह ह उसस सािह य क ापकता भािवत ई ह lsquolsquoल कन एक बात

जो लगातार चता का िवषय बनी ई ह क दिलत सािह य िवमश म भगीदारी

करन वाला गर-दिलत रचनाकार िव ान आलोचक पाठक दिलत समाज क ित

36

उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 36: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

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उदासीन ह यह एक बचन कर दन वाली ि थित हrsquorsquo34 आज बदलत प रद य म

ि थितया कछ िभ ह और ब त तजी स बदल रही ह भारतीय समाज व था

पर पा ा य भाव ब त ती ता स अपनी जड़ जमा रहा ह भारतीय मानस क

ाथिमकता मानिसकताए अिभ िच भाषा वहार भी बदल रहा ह एक ओर

आधिनकता क ित मोह म वि ई ह तो दसरी ओर सनातन स कित और

परपरा को बचाए रखन का काम भी य तर पर हो रहा ह दश म म दर क

स या म वि हो रही ह इन बदलती मानिसकता ि थितय को सािह य क

िलए पकड़ना ज री ह

वतमान प रद य म आ थक नीितया भम डलीकरण राजनीितक

समीकरण सामािजक और धा मक मा यताए आम मन य को ापक एव गहर

प म भािवत कर रही ह अब तो धा मक धारणा का वच ववादी व प

समकालीन समाज क िविभ सरचना म गहन प म गि पत होता जा रहा ह

इन अवधारणा न आज राजनीित को यादा भािवत कया ह अथात आज यह

कहना क धा मक कारक न राजनीितक कारक और अवधारणा क श ल हण

कर ली ह यादा ठोस तक ह राजनीितक आका ा क िवचारधारा म मौजद

खोखलापन भी कसी स िछपा नह ह य सब बात आज रचनाकार क चता का

िवषय होनी चािहए ल कन अगर वह इस दािय व बोध को जानबझकर अनदखा

करता ह तब lsquolsquoवह सािह य क िज मदारी और उसक प धारता को लकर

उहापोह क ि थित म या गोलमोल कछ तीका मक या शा ीय ढग क

अिभ ि क ारा अपनी बौि क छाप छोड़ भी दता ह तो सािह य क

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 37: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

37

अतःचतना क साथ िखलवाड़ ही करता हrsquorsquo35 उ र-आधिनक हदी बौि क जगत

क प रद य पर काश डाला जाए तो उपरो बात प हो जाती ह आज भी

अिधकाश हदी क िति त आलोचक हो या किव या कसी िवधा स जड़ा

रचनाकार भि सािह य म अत निहत सामती और ा णवादी त व को

अनदखा कर रह ह

आजकल दिलत रचना पर आमतौर पर अप रप ता का आरोप लगाया

जाता ह अथात कहा जाता ह क आलबन िवषय-व त भाषा-शली तकनीक

आ द क आधार पर दिलत िवमश पर आधा रत सािह य कह नह ठहरता ल कन

दिलत रचनाकार इस बात का िवरोध करत ह ओम काश वा मी क का इस

स दभ म कहना ह क lsquolsquoय द य सब ही सािह य क पहचान होत ह तो

समकालीनता या अनभव-ज य भािवकता और यथाथवादी मानिसकता का

सिह य म या थान ह या इसक बगर सािह य का ठीक-ठीक म याकन हो

पाएगा जब खड़ीबोली म किवता िलखना श आ या छायावाद क पदावली

िलखी गई तो उनका भी िवरोध आ था दरअसल यह िवरोध सामािजक जीवन

म आ रह बदलाव का िवरोध होता ह समय को न पहचान कर आन वाल

सामािजक प रवतन क ित आख मद कर बठ रहन और अतीत को मिहमा मिडत

करत रहन वाल िव ान क ि थित यही हrsquorsquo36

दिलत िवमश पर इस समय पौरािणक आ यान क ित अना था जािहर

करन का आरोप लगाया जा रहा ह ल कन आरोप लगान वाल यह भल जात ह क

lsquolsquoऐसी ही कड़ी नई कहानी थी और अब दिलत सािह य पौरािणक आ यान का ही

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

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41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 38: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

38

नह बि क पव रचनाकार क रचना क पनम याकन का सवाल उठा रहा ह तो

इस अनक लोग नकारा मक मान रह ह दिलत सािह य अतीत म होन वाल तमाम

या-कलाप क ित आलोचना मक िवचार को मह ा दता ह िबना कसी

पवा ह क जहा दिलत सािह य म अतीत मोह नह ह उसक ित िनममता ह वहा

वतमान और भिव य को बहतर बनान क ज ोजहद हrsquorsquo37

इस दश म सा कितक रा वाद का जो अिभयान आजकल चलाया जा रहा ह

इसम अभी भी वण- व था को सही ठहराया जा रहा ह इस ऐितहािसक त य

क परी तरह अनदखी क जा रही ह क हजार साल स दिलत का पीढ़ी-दर-

पीढ़ी िवकास अव कया गया ह िजसस समच रा को नकसान प चा ह इस

भावना स रा ीय िवकास स यादा जातीय ता क भावना मह वपण हो उठी

ह ओम काश वा मी क का मानना ह क lsquolsquoआज बदलत समाज म दिलत क

उ पाद और उनक काय को एक बड़ा बाजार उपल ध आ ह ल कन व था य

क य ह सािह य प का रता मीिडया सामािजक सरचना रीित- रवाज

शासन त और धम दिलत िवरोधी ह जो उ पादक ह सवा कम ह समाज को

व थ रखन क िलए व छता बनाए रखन का काम करत ह समाज उ ह त छ

और ितर कत मानता ह सािह य उनक ित उदासीन ह सािह य न ऐसी पहल

नह क rsquorsquo38

दिलत चतन क एक गभीर सम या यह ह क उस कस नाम स पकारा

जाए इसक बार म आज कछ भी िनि त प स तय नह आ ह उस कोई भी

नाम दया जाए उसी स यह परशान हो जाता ह उस कोई भी नाम दया जाए

39

उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

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सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

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15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 39: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

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उसी स यह परशान हो जाता ह यह अपन lsquoचमारrsquo नाम स घबराया आ ह और न

ही यह खद को भगी कहलवान दता ह दिलत को एक नाम गाधी जी न lsquoह रजनrsquo

दया था हद तान क दिलत न श द lsquoह रजनrsquo को अपन िलए अपश द और

अपमान जनक माना और कानन क भाषा म इस क योग पर पाब दी लगवा दी

ह ल कन उसन िवक प म अपना कोई श द नह दया ह खद आज योग हो

रह दिलत श द पर उस भारी आपि ह परानी श दावली क श अ प य

अ यज और चा डाल जस श द स वह खद को जोड़ना नह चाहता आज

सिवधान क िब कल नए श द lsquoएससीrsquo अनसितच जाित क योग स भी वह डरा

आ ह इस बात पर अपना सझाव करत ए डॉ धमवीर का कहना ह

lsquolsquoसमाधान यह ह क दिलत िच तक खराब स खराब कमजोर स कमजोर और

घिणत स घिणत श द अपन िलए पकड़ ल और उसी का अथ बदल द श द क

अथ थायी नह ह और िबना कछ कए कछ िमलता नह ह

असली सम या पहचान क ह दिलत चाहता रहा ह क िविभ

धमा तरण क ारा उसक पहचान िमट जाए ल कन िच तन क तर पर यह

बात उस क सबस यादा नकसान म ह उलट उस अपनी पथक और िविश

पहचान खद खोजनी चािहएrsquorsquo39

इस कार दिलत िवमश अिनवायतः सामािजक या मखवग य

समामािजक- सरचना और िवचारधारा मक िन मितय क मकाबल उभरता ह

आज उसक िलए वयि क दायर म यह अि मता िवमश भम डलीकरण पजी क

40

अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

------------------

41

सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

42

15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

43

28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

Page 40: 1.2 ऐितहािसक सामािजक प ïर §ेयshodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/31939/5/05_chapter 1.pdfदुख का कारण है- (दुख

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अबाध वत ता और बाजार क शि य ारा िन मत ितभािसक वा तिवकता

(virtual reality) को अनक तर पर चनौती द रहा ह इस तरह रा य और

समाज और उन सभी िवमश और व था को अिनवाय स दभ बनाकर इस

समय यह िवमश िवकिसत हो रहा ह च क दिलत अि त व ही उन सदभ पर

िनभर ह इसिलए उसक अि त वगत मानवीय और सामािजक मीमासा इन सदभ

और वचा रक िन मितय क वस और िवक प म सभव हो सकती ह

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सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

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15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

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28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

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सदभ- थ सची

1 वाक (जलाई-िसतबर 2007) अक 3 स सधीशपचौरी वाणी काशन

प227- 228

2 हदी आलोचना क पा रभािषक श दावली लखक डॉ अमरनाथ राजकमल

िल प 297

3 वही प 249

4 वही प 250

5 वही प 250

6 वही प 250

7 भारतीय स कित लख प प िव िस हा जवाहर पि लशस ए ड िड ी यटस स1999 प 13

8 वही प 13-14

9 वही प 14

10 वही प14

11 भि आदोलन क सामािजक आधार स गोप र सह लख(भि आदोलन)

ल कदामोदरन भारतीय काशन स थान स 2007 प 56

12 वही प57

13 वही प58

14 वही प59

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15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

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28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

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15 वही प59

16 वही प64

17वण- व था लखक महा मा गाधी रामनारायण चौधरी काशन-नवलीवन काशन म दर स 1948 प11

18 वही प13

19 और बाबासाहब अ बडकर न कहाल डॉभीमरामजी अ बडकर अद स एलजीम ाम िवमलक त काशन राधाक ण काशन नई द ली-02 स

2008 प11

20 वही प12

21 वही प13

22 यवा सवाद स एक अ ण माच 2011 पता 167ए जीएच-2 पि मी

िवहार नई द ली-110 063 प21

23 वही प21

24 लोिहया क िवचार स कार शरद लोकभारती काशन 6वा स2008

पहली मिजल दरबारी िब डग महा मा गाधी माग इलाहाबाद-1 प105

25 वही प104

26 वही प108 109

27 गलामगीरी योितराव फल गौतमबक सटर चदन सदन सी-263ए गली

न9 हरदवपरी शहादरा द ली-110 093 स2007 प 27

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28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208

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28 वही प25- 26

29 वही प27

30 वही प27

31 वही प34

32 मीिडया उ र आधितक अ प यता क दौर म ल डॉशयोराज सह बचन काशन सािह य स थान गािजयाबाद-201102 स 2010 प101

33 डा अ बडकर समाज व था और दिलत सािह य लक णदत पालीवाल काशन कताबघर नई द ली स2007 प152

34 म यधारा और दिलत सािह य ल ओम काश वा मी क काशन सामियक

काशन नई द ली-02 स2010 प166

35 वही प166

36 वही प168

37 वही प168

38 वही प170

39 दिलत चतन का िवकास अिभश चतन स इितहास चतन क ओर लडॉ

धमवीर काशन वाणी काशन नई द ली-02 स 2003 पस208


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