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तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श...

Date post: 08-Mar-2020
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तततततततत : ततततत Posted by: सससससस- ससससससस सससससस on: November 2, 2007 In: सससससससस Comment! तततत ततत सससस ससस सससससससस सस ससससससस-सससससस सस स सससस सससससस सससस सस सससस, ससससस ससससस ससससस सससससस सस ससस सस ससस ससससस सस सस ससस ससस सस सससस-ससस ससससससस सस सससससस ससस ससस ससस सससस सस ससससससस ससस-सससससससस सस सससस ससससससससस सससससस सससस ससस सससससस ससससस सससस सससससससससससस-सससस सस सससससस सस सससस सस सस सससससससस सससस ससससससस सस सससससससससस ससस ससस सससस सससससससस सस सससस सस “सससससससस’ - ससस सस १५५४ सस सस सससससस सससस ससससससस सससस ससस ससस सससससस-सससस सस सससससससससस ससससससससस सस ससससस सससससस सससस सससस सससससससस सस सससस सससस, ससससससस सस ससस, सससस सससससस सससससस, ससससस सससस सससस तततततततत तत तततततततत सससससससस सस सससससससस सससस सस सससस सससस सस ससस सस सस ससससससस (ससससस), ससससस (ससस), ससससससस (सससससससस सस सससस), ससस सससस सस सस सस सससससस ससस सस सससससस ससससस ससससस सस सससससससससससस, ससससससस सस ससससससससस सससससससससस सस ससससससस “ससससस’ ससस सससससससससससससस सस ससससससससससस (सससस) सस सससस सससससस, ससससस ससस सस सस ससस सस सससस ससस ससससस ससस सस ससस ससससस सस सससससस ससस सस ससससससस ससस सससससससससससससस ससस ससससस-ससससससस सस ससससस ससससससससस सस सससस सस सससससससस ससससस ससससससस सस ससससस सस सससससससस सससस सससससससस ससस ससससससससस सससससससस सस सससससससस सस सस सससससससस सस सससस ससससस ससससस सस ससससससस ससस सससससससस सस ससससस सस ससससस, सससससससस सस ससस सससससस सस सससससससससससस सससससस सस सस ससससस सस सससस सससस ससससससससससससससस सस सससससससससस सस सससससससस सस ससससस सस सस सस सस सससससससस सससस सससतततत ततत ततत
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Page 1: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

तलसीदास परिचयPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on November 2 2007

In तलसीदास Comment

जनम काल हान कविव तलसीदास की परवितभा-विकरणो स न कवल विहनद साज और भारत बलकिक ससत ससार आलोविकत हो रहा ह बड़ा अफसोस ह विक उसी कविव का जन-काल विववादो क अधकार पड़ा हआ ह अब तक परापत शोध-विनषकरष1 भी ह विनशचि3तता परदान करन अस1 दिदखाई दत ह लगोसाई-चरिरत क तथयो क आधार पर डा० पीतामबर दतत बड़थवाल और शयासदर दास ता विकसी जनशरवित क आधार पर ldquoानसयकrsquo - कार भी १५५४ का ही स1न करत ह इसक पकष ल गोसाई-चरिरत की विनमनाविकत पथिJयो का विवशरष उलख विकया जाता ह पदरह स चौवन विवरष कालिलदी क तीरसावन सकला सतती तलसी धरउ शरीर तलसीदास की जनमभमिमतलसीदास की जनभमि होन का गौरव पान क थिलए अब तक राजापर (बादा) सोरो (एटा) हाजीपर (थिचतरकट क विनकट) ता तारी की ओर स परयास विकए गए ह सत तलसी साविहब क आतोलखो राजापर क सरयपारीण बराहमणो को परापत ldquoआफीrsquo आदिद बविहसा1कषयो और अयोधयाकाड (ानस) क तायस परसग भगवान रा क वन गन क कर यना नदी स आग बढन पर वयJ कविव का भावावश आदिद अतसा1कषयो ता तलसी-साविहतय की भाविरषक वशचिततयो क आधार पर राबहोर शकल राजापर को तलसी की जनभमि होना पराशचिणत हआ ह रानरश वितरपाठी का विनषकरष1 ह विक तलसीदास का जन सथान सोरो ही ह सोरो तलसीदास क सथान का अवशरष तलसीदास क भाई नददास क उततरामिधकारी नरलिसह जी का दिदर और वहा उनक उततरामिधकारिरयो की विवदयानता स वितरपाठी और गपत जी क त को परिरपषट करत ह जातित एव वशजावित और वश क समबनध तलसीदास न कछ सपषट नही थिलखा ह कविवतावली एव विवनयपवितरका कछ पथिJया मिलती ह जिजनस परतीत होता ह विक व बराहमण कलोतपनन -दिदयो सकल जन सरीर सदर हत जो फल चारिर कोजो पाइ पविडत पर पद पावत परारिर रारिर को (विवनयपवितरका)भागीरी जलपान करौ अर ना दव रा क लत विनत हो ोको न लनो न दनो कछ कथिल भथिल न रावरी और थिचतहौ जाविन क जोर करौ परिरना तमह पथिछतहौ प न शचिभतहबाहमण जयो उविगयो उरगारिर हौ तयो ही वितहार विहए न विहत हौ

जावित-पावित का परशन उठन पर वह थिचढ गय ह कविवतावली की विनमनाविकत पथिJयो उनक अतर का आकरोश वयJ हआ ह -

ldquordquoधत कहौ अवधत कहौ रजपत कहौ जोलहा कहौ कोऊ काह की बटी सो बटा न वयाहब काह की जावित विबगारी न सोऊrdquo

ldquordquoर जावित-पावित न चहौ काह का जावित-पावितर कोऊ का को न काह क का को rdquoराजापर स परापत तथयो क अनसार भी व सरयपारीण तलसी साविहब क आतोलख एव मिशर बधओ क अनसार व कानयकबज बराहमण जबविक सोरो स परापत तथय उनह सना बराहमण पराशचिणत करत ह लविकन ldquoदिदयो सकल जन सरीर सदर हत जो फल चारिर कोrsquo क आधार पर उनह शकल बराहमण कहा जाता ह परत थिशवलिसह ldquoसरोजrsquo क अनसार सरबरिरया बराहमण बराहमण वश उतपनन होन क कारण कविव न अपन विवरषय ldquoजायो कल गनrsquo थिलखा ह तलसीदास का जन अ1हीन बराहमण परिरवार हआ ा जिजसक पास जीविवका का कोई ठोस आधार और साधन नही ा ाता-विपता की सनविहल छाया भी सर पर स उठ जान क बाद शचिभकषाटन क थिलए उनह विववश होना पड़ा माता-तिपता तलसीदास क ाता विपता क सबध कोई ठोस जानकारी नही ह परापत साविsयो और पराणो क अनसार उनक विपता का ना आतारा दब ा विकनत भविवषयपराण उनक विपता का ना शरीधर बताया गया ह रही क दोह क आधार पर ाता का ना हलसी बताया जाता हसरवितय नरवितय नागवितय सब चाहत अस होय गोद थिलए हलसी विफर तलसी सो सत होय गर

तलसीदास क गर क रप कई वयथिJयो क ना थिलए जात ह भविवषयपराण क अनसार राघवानद विवलसन क अनसार जगनना दास सोरो स परापत तथयो क अनसार नरलिसह चौधरी ता विsयस1न एव अतसा1कषय क अनसार नरहरिर तलसीदास क गर राघवनद क एव जगनना दास गर होन की असभवता थिसदध हो चकी ह वषणव सपरदाय की विकसी उपलबध सची क आधार पर विsयस1न दवारा दी गई सची जिजसका उलख राघवनद तलसीदास स आठ पीढी पहल ही पड़त ह ऐसी परिरसथिसथवित राघवानद को तलसीदास का गर नही ाना जा सकता

सोरो स परापत साविsयो क अनसार नरलिसह चौधरी तलसीदास क गर सोरो नरलिसह जी क दिदर ता उनक वशजो की विवदयानता स यह पकष सपषट ह लविकन हाता बनी ाधव दास क ldquoल गोसाई-चरिरतrsquo क अनसार हार कविव क गर का ना नरहरिर ह बालयकाल औ आरथिक सथि$तित

तलसीदास क जीवन पर परकाश डालन वाल बविहसा1कषयो स उनक ाता-विपता की सााजिजक और आरथिक

सथिसथवित पर परकाश नही पड़ता कवल ldquoल गोसाई-चरिरतrsquo की एक घटना स उनकी लिचतय आरथिक सथिसथवित पर कषीण परकाश पड़ता ह उनका यजञोपवीत कछ बराहमणो न सरय क तट पर कर दिदया ा उस उलख स यह परतीत होता ह विक विकसी सााजिजक और जातीय विववशता या कत1वय-बोध स पररिरत होकर बालक तलसी का उपनयन जावित वालो न कर दिदया ा

तलसीदास का बायकाल घोर अ1-दारिरदरय बीता शचिभकषोपजीवी परिरवार उतपनन होन क कारण बालक तलसीदास को भी वही साधन अगीकत करना पड़ा कदिठन अ1-सकट स गजरत हए परिरवार नय सदसयो का आगन हरष1जनक नही ाना गया -जायो कल गन बधावनो बजायो सविनभयो परिरताप पाय जननी जनक को बार त ललात विबललात दवार-दवार दीनजानत हौ चारिर फल चारिर ही चनक को (कविवतावली)ात विपता जग जाय तजयो विवमिध ह न थिलखी कछ भाल भलाई नीच विनरादर भाजन कादर ककर टकविन लाविग ललाई रा सभाउ सनयो तलसी परभ सो कहयो बारक पट खलाई सवार को परार को रघना सो साहब खोरिर न लाई होश सभालन क पव1 ही जिजसक सर पर स ाता - विपता क वातसय और सरकषण की छाया सदा -सव1दा क थिलए हट गयी होश सभालत ही जिजस एक टठी अनन क थिलए दवार-दवार विवललान को बाधय होना पड़ा सकट-काल उपसथिसथत दखकर जिजसक सवजन-परिरजन दर विकनार हो गए चार टठी चन भी जिजसक थिलए जीवन क चर परापय (अ1 ध1 का और ोकष) बन गए वह कस सझ विक विवधाता न उसक भाल भी भलाई क कछ शबद थिलख ह उJ पदो वयजिजत वदना का सही अनभव तो उस ही हो सकता ह जिजस उस दारण परिरसथिसथवित स गजरना पड़ा हो ऐसा ही एक पद विवनयपवितरका भी मिलता ह -दवार-दवार दीनता कही कादि~ रद परिरपा हह दयाल दनी दस दिदसा दख-दोस-दलन-छ विकयो सभारषन का ह तन जनयो कदिटल कोट जयो तजयो ात-विपता ह काह को रोरष-दोरष काविह धौ र ही अभाग ो सी सकचत छइ सब छाह (विवनयपवितरका २७५) तलसीदास क जीवन की कछ घटनाए एव वितथिया भी क हततवपण1 नही ह कविव क जीवन-वतत और विहाय वयथिJतव पर उनस परकाश पड़ता हयजञोपवीत ल गोसाई चरिरत क अनसार तलसीदास का यजञोपवीत ाघ शकला पची स० १५६१ हआ -पनदरह स इकसठ ाघसदी वितथि पचमि औ भगवार उदी सरज तट विवपरन जगय विकए विदवज बालक कह उपबीत विकए कविव क ाता - विपता की तय कविव क बायकाल ही हो गई ी तिववाह

जनशरवितयो एव राायशचिणयो क विवशवास क अनसार तलसीदास विवरJ होन क पव1 भी का-वाचन करत यवक कावाचक की विवलकषण परवितभा और दिदवय भगवदभथिJ स परभाविवत होकर रतनावली क विपता प० दीन बध पाठक न एक दिदन का क अनत शरोताओ क विवदा हो जान पर अपनी बारह वरषया कनया उसक चरणो सौप दी ल गोसाई चरिरत क अनसार रतनावली क सा यवक तलसी का यह ववाविहक सतर स० १५८३ की जयषठ शकला तरयोदशी दिदन गरवार को जड़ा ा -पदरह स पार वितरासी विवरष सभ जठ सदी गर तरथिस प अमिधरावित लग ज विफर भवरी दलहा दलही की परी पवरी आाधय-दश)न भJ थिशरोशचिण तलसीदास को अपन आराधय क दश1न भी हए उनक जीवन क व सवतत और हतत कषण रह होग लोक-शरवितयो क अनसार तलसीदास को आराधय क दश1न थिचतरकट हए आराधय यगल रा - लकषण को उनहोन वितलक भी लगाया ा -थिचतरकट क घाट प भई सतन क भीर तलसीदास चदन मिघस वितलक दत रघबीर ल गोसाई चरिरत क अनसार कविव क जीवन की वह पविवतरत वितथि ाघ अावसया (बधवार) स० १६०७ को बताया गया हसखद अावस ौविनया बध सोरह स सात जा बठ वितस घाट प विवरही होतविह परात गोसवाी तलसीदास क विहानविनवत वयथिJतव और गरिरानविनवत साधना को जयोवितत करन वाली एक और घटना का उलख ल गोसाई चरिरत विकया गया ह तलसीदास नददास स मिलन बदावन पहच नददास उनह कषण दिदर ल गए तलसीदास अपन आराधय क अननय भJ तलसीदास रा और कषण की तालकिततवक एकता सवीकार करत हए भी रा-रप शयाघन पर ोविहत होन वाल चातक अतः घनशया कषण क सकष नतसतक कस होत उनका भाव-विवभोर कविव का कणठ खर हो उठा -कहा कहौ छविव आज की भल बन हो ना तलसी सतक तब नव जब धनरष बान लो हा इवितहास साकषी द या नही द विकनत लोक-शरवित साकषी दती ह विक कषण की रतित रा की रतित बदल गई ी तनावली का महापर$ान रतनावली का बकठगन lsquoल गोसाई चरिरतrsquo क अनसार स० १५८९ हआ किकत राजापर की साविsयो स उसक दीघ1 जीवन का स1न होता ह मीाबाई का पतर हाता बनी ाधव दास न ल गोसाई चरिरत ीराबाई और तलसीदास क पतराचार का उलख विकया विकया ह अपन परिरवार वालो स तग आकर ीराबाई न तलसीदास को पतर थिलखा ीराबाई पतर क दवारा तलसीदास स दीकषा sहण करनी चाही ी ीरा क पतर क उततर विवनयपवितरका का विनमनाविकत पद की रचना की गईजाक विपरय न रा वदही

तजिजए ताविह कोदिट बरी स जदयविप पर सनही सो छोविड़यतजयो विपता परहलाद विवभीरषन बध भरत हतारी बथिलगर तजयो कत बरजबविनतनहिनह भय द गलकारी नात नह रा क विनयत सहद ससवय जहा लौ अजन कहा आनहिख जविह फट बहतक कहौ कहा लौ तलसी सो सब भावित परविहत पजय परान त पयारो जासो हाय सनह रा-पद एतोतो हारो तलसीदास न ीराबाई को भथिJ-प क बाधको क परिरतयाग का पराश1 दिदया ा कशवदास स सबदध घटना ल गोसाई चरिरत क अनसार कशवदास गोसवाी तलसीदास स मिलन काशी आए उथिचत समान न पा सकन क कारण व लौट गए अकब क दबा म बदी बनाया जाना तलसीदास की खयावित स अशचिभभत होकर अकबर न तलसीदास को अपन दरबार बलाया और कोई चतकार परदरथिशत करन को कहा यह परदश1न-विपरयता तलसीदास की परकवित और परवशचितत क परवितकल ी अतः ऐसा करन स उनहोन इनकार कर दिदया इस पर अकबर न उनह बदी बना थिलया तदपरात राजधानी और राजहल बदरो का अभतपव1 एव अदभत उपदरव शर हो गया अकबर को बताया गया विक यह हनान जी का करोध ह अकबर को विववश होकर तलसीदास को J कर दना पड़ा जहागी को तलसी-दश)न जिजस सय व अनक विवरोधो का साना कर सफलताओ और उपललकिबधयो क सवचच थिशखर का सपश1 कर रह उसी सय दश1ना1 जहागीर क आन का उलख विकया गया मिलता ह दापतय जीवन

सखद दापतय जीवन का आधार अ1 पराचय1 नही पवित -पतनितन का पारसपरिरक पर विवशवास और सहयोग होता ह तलसीदास का दापतय जीवन आरथिक विवपननता क बावजद सतषट और सखी ा भJाल क विपरयादास की टीका स पता चलता ह विक जीवन क वसत काल तलसी पतनी क पर सराबोर पतनी का विवयोग उनक थिलए असहय ा उनकी पतनी-विनषठा दिदवयता को उलमिघत कर वासना और आसथिJ की ओर उनख हो गई ी

रतनावली क ायक चल जान पर शव क सहार नदी को पार करना और सप क सहार दीवाल को लाघकर अपन पतनी क विनकट पहचना पतनी की फटकार न भोगी को जोगी आसJ को अनासJ गहसथ को सनयासी और भाग को भी तलसीदल बना दिदया वासना और आसथिJ क चर सीा पर आत ही उनह दसरा लोक दिदखाई पड़न लगा इसी लोक उनह ानस और विवनयपवितरका जसी उतकषटत रचनाओ की पररणा और थिससकषा मिली वागय की परणा तलसीदास क वरागय sहण करन क दो कारण हो सकत ह पर अवितशय आसथिJ और वासना की

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 2: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

जावित-पावित का परशन उठन पर वह थिचढ गय ह कविवतावली की विनमनाविकत पथिJयो उनक अतर का आकरोश वयJ हआ ह -

ldquordquoधत कहौ अवधत कहौ रजपत कहौ जोलहा कहौ कोऊ काह की बटी सो बटा न वयाहब काह की जावित विबगारी न सोऊrdquo

ldquordquoर जावित-पावित न चहौ काह का जावित-पावितर कोऊ का को न काह क का को rdquoराजापर स परापत तथयो क अनसार भी व सरयपारीण तलसी साविहब क आतोलख एव मिशर बधओ क अनसार व कानयकबज बराहमण जबविक सोरो स परापत तथय उनह सना बराहमण पराशचिणत करत ह लविकन ldquoदिदयो सकल जन सरीर सदर हत जो फल चारिर कोrsquo क आधार पर उनह शकल बराहमण कहा जाता ह परत थिशवलिसह ldquoसरोजrsquo क अनसार सरबरिरया बराहमण बराहमण वश उतपनन होन क कारण कविव न अपन विवरषय ldquoजायो कल गनrsquo थिलखा ह तलसीदास का जन अ1हीन बराहमण परिरवार हआ ा जिजसक पास जीविवका का कोई ठोस आधार और साधन नही ा ाता-विपता की सनविहल छाया भी सर पर स उठ जान क बाद शचिभकषाटन क थिलए उनह विववश होना पड़ा माता-तिपता तलसीदास क ाता विपता क सबध कोई ठोस जानकारी नही ह परापत साविsयो और पराणो क अनसार उनक विपता का ना आतारा दब ा विकनत भविवषयपराण उनक विपता का ना शरीधर बताया गया ह रही क दोह क आधार पर ाता का ना हलसी बताया जाता हसरवितय नरवितय नागवितय सब चाहत अस होय गोद थिलए हलसी विफर तलसी सो सत होय गर

तलसीदास क गर क रप कई वयथिJयो क ना थिलए जात ह भविवषयपराण क अनसार राघवानद विवलसन क अनसार जगनना दास सोरो स परापत तथयो क अनसार नरलिसह चौधरी ता विsयस1न एव अतसा1कषय क अनसार नरहरिर तलसीदास क गर राघवनद क एव जगनना दास गर होन की असभवता थिसदध हो चकी ह वषणव सपरदाय की विकसी उपलबध सची क आधार पर विsयस1न दवारा दी गई सची जिजसका उलख राघवनद तलसीदास स आठ पीढी पहल ही पड़त ह ऐसी परिरसथिसथवित राघवानद को तलसीदास का गर नही ाना जा सकता

सोरो स परापत साविsयो क अनसार नरलिसह चौधरी तलसीदास क गर सोरो नरलिसह जी क दिदर ता उनक वशजो की विवदयानता स यह पकष सपषट ह लविकन हाता बनी ाधव दास क ldquoल गोसाई-चरिरतrsquo क अनसार हार कविव क गर का ना नरहरिर ह बालयकाल औ आरथिक सथि$तित

तलसीदास क जीवन पर परकाश डालन वाल बविहसा1कषयो स उनक ाता-विपता की सााजिजक और आरथिक

सथिसथवित पर परकाश नही पड़ता कवल ldquoल गोसाई-चरिरतrsquo की एक घटना स उनकी लिचतय आरथिक सथिसथवित पर कषीण परकाश पड़ता ह उनका यजञोपवीत कछ बराहमणो न सरय क तट पर कर दिदया ा उस उलख स यह परतीत होता ह विक विकसी सााजिजक और जातीय विववशता या कत1वय-बोध स पररिरत होकर बालक तलसी का उपनयन जावित वालो न कर दिदया ा

तलसीदास का बायकाल घोर अ1-दारिरदरय बीता शचिभकषोपजीवी परिरवार उतपनन होन क कारण बालक तलसीदास को भी वही साधन अगीकत करना पड़ा कदिठन अ1-सकट स गजरत हए परिरवार नय सदसयो का आगन हरष1जनक नही ाना गया -जायो कल गन बधावनो बजायो सविनभयो परिरताप पाय जननी जनक को बार त ललात विबललात दवार-दवार दीनजानत हौ चारिर फल चारिर ही चनक को (कविवतावली)ात विपता जग जाय तजयो विवमिध ह न थिलखी कछ भाल भलाई नीच विनरादर भाजन कादर ककर टकविन लाविग ललाई रा सभाउ सनयो तलसी परभ सो कहयो बारक पट खलाई सवार को परार को रघना सो साहब खोरिर न लाई होश सभालन क पव1 ही जिजसक सर पर स ाता - विपता क वातसय और सरकषण की छाया सदा -सव1दा क थिलए हट गयी होश सभालत ही जिजस एक टठी अनन क थिलए दवार-दवार विवललान को बाधय होना पड़ा सकट-काल उपसथिसथत दखकर जिजसक सवजन-परिरजन दर विकनार हो गए चार टठी चन भी जिजसक थिलए जीवन क चर परापय (अ1 ध1 का और ोकष) बन गए वह कस सझ विक विवधाता न उसक भाल भी भलाई क कछ शबद थिलख ह उJ पदो वयजिजत वदना का सही अनभव तो उस ही हो सकता ह जिजस उस दारण परिरसथिसथवित स गजरना पड़ा हो ऐसा ही एक पद विवनयपवितरका भी मिलता ह -दवार-दवार दीनता कही कादि~ रद परिरपा हह दयाल दनी दस दिदसा दख-दोस-दलन-छ विकयो सभारषन का ह तन जनयो कदिटल कोट जयो तजयो ात-विपता ह काह को रोरष-दोरष काविह धौ र ही अभाग ो सी सकचत छइ सब छाह (विवनयपवितरका २७५) तलसीदास क जीवन की कछ घटनाए एव वितथिया भी क हततवपण1 नही ह कविव क जीवन-वतत और विहाय वयथिJतव पर उनस परकाश पड़ता हयजञोपवीत ल गोसाई चरिरत क अनसार तलसीदास का यजञोपवीत ाघ शकला पची स० १५६१ हआ -पनदरह स इकसठ ाघसदी वितथि पचमि औ भगवार उदी सरज तट विवपरन जगय विकए विदवज बालक कह उपबीत विकए कविव क ाता - विपता की तय कविव क बायकाल ही हो गई ी तिववाह

जनशरवितयो एव राायशचिणयो क विवशवास क अनसार तलसीदास विवरJ होन क पव1 भी का-वाचन करत यवक कावाचक की विवलकषण परवितभा और दिदवय भगवदभथिJ स परभाविवत होकर रतनावली क विपता प० दीन बध पाठक न एक दिदन का क अनत शरोताओ क विवदा हो जान पर अपनी बारह वरषया कनया उसक चरणो सौप दी ल गोसाई चरिरत क अनसार रतनावली क सा यवक तलसी का यह ववाविहक सतर स० १५८३ की जयषठ शकला तरयोदशी दिदन गरवार को जड़ा ा -पदरह स पार वितरासी विवरष सभ जठ सदी गर तरथिस प अमिधरावित लग ज विफर भवरी दलहा दलही की परी पवरी आाधय-दश)न भJ थिशरोशचिण तलसीदास को अपन आराधय क दश1न भी हए उनक जीवन क व सवतत और हतत कषण रह होग लोक-शरवितयो क अनसार तलसीदास को आराधय क दश1न थिचतरकट हए आराधय यगल रा - लकषण को उनहोन वितलक भी लगाया ा -थिचतरकट क घाट प भई सतन क भीर तलसीदास चदन मिघस वितलक दत रघबीर ल गोसाई चरिरत क अनसार कविव क जीवन की वह पविवतरत वितथि ाघ अावसया (बधवार) स० १६०७ को बताया गया हसखद अावस ौविनया बध सोरह स सात जा बठ वितस घाट प विवरही होतविह परात गोसवाी तलसीदास क विहानविनवत वयथिJतव और गरिरानविनवत साधना को जयोवितत करन वाली एक और घटना का उलख ल गोसाई चरिरत विकया गया ह तलसीदास नददास स मिलन बदावन पहच नददास उनह कषण दिदर ल गए तलसीदास अपन आराधय क अननय भJ तलसीदास रा और कषण की तालकिततवक एकता सवीकार करत हए भी रा-रप शयाघन पर ोविहत होन वाल चातक अतः घनशया कषण क सकष नतसतक कस होत उनका भाव-विवभोर कविव का कणठ खर हो उठा -कहा कहौ छविव आज की भल बन हो ना तलसी सतक तब नव जब धनरष बान लो हा इवितहास साकषी द या नही द विकनत लोक-शरवित साकषी दती ह विक कषण की रतित रा की रतित बदल गई ी तनावली का महापर$ान रतनावली का बकठगन lsquoल गोसाई चरिरतrsquo क अनसार स० १५८९ हआ किकत राजापर की साविsयो स उसक दीघ1 जीवन का स1न होता ह मीाबाई का पतर हाता बनी ाधव दास न ल गोसाई चरिरत ीराबाई और तलसीदास क पतराचार का उलख विकया विकया ह अपन परिरवार वालो स तग आकर ीराबाई न तलसीदास को पतर थिलखा ीराबाई पतर क दवारा तलसीदास स दीकषा sहण करनी चाही ी ीरा क पतर क उततर विवनयपवितरका का विनमनाविकत पद की रचना की गईजाक विपरय न रा वदही

तजिजए ताविह कोदिट बरी स जदयविप पर सनही सो छोविड़यतजयो विपता परहलाद विवभीरषन बध भरत हतारी बथिलगर तजयो कत बरजबविनतनहिनह भय द गलकारी नात नह रा क विनयत सहद ससवय जहा लौ अजन कहा आनहिख जविह फट बहतक कहौ कहा लौ तलसी सो सब भावित परविहत पजय परान त पयारो जासो हाय सनह रा-पद एतोतो हारो तलसीदास न ीराबाई को भथिJ-प क बाधको क परिरतयाग का पराश1 दिदया ा कशवदास स सबदध घटना ल गोसाई चरिरत क अनसार कशवदास गोसवाी तलसीदास स मिलन काशी आए उथिचत समान न पा सकन क कारण व लौट गए अकब क दबा म बदी बनाया जाना तलसीदास की खयावित स अशचिभभत होकर अकबर न तलसीदास को अपन दरबार बलाया और कोई चतकार परदरथिशत करन को कहा यह परदश1न-विपरयता तलसीदास की परकवित और परवशचितत क परवितकल ी अतः ऐसा करन स उनहोन इनकार कर दिदया इस पर अकबर न उनह बदी बना थिलया तदपरात राजधानी और राजहल बदरो का अभतपव1 एव अदभत उपदरव शर हो गया अकबर को बताया गया विक यह हनान जी का करोध ह अकबर को विववश होकर तलसीदास को J कर दना पड़ा जहागी को तलसी-दश)न जिजस सय व अनक विवरोधो का साना कर सफलताओ और उपललकिबधयो क सवचच थिशखर का सपश1 कर रह उसी सय दश1ना1 जहागीर क आन का उलख विकया गया मिलता ह दापतय जीवन

सखद दापतय जीवन का आधार अ1 पराचय1 नही पवित -पतनितन का पारसपरिरक पर विवशवास और सहयोग होता ह तलसीदास का दापतय जीवन आरथिक विवपननता क बावजद सतषट और सखी ा भJाल क विपरयादास की टीका स पता चलता ह विक जीवन क वसत काल तलसी पतनी क पर सराबोर पतनी का विवयोग उनक थिलए असहय ा उनकी पतनी-विनषठा दिदवयता को उलमिघत कर वासना और आसथिJ की ओर उनख हो गई ी

रतनावली क ायक चल जान पर शव क सहार नदी को पार करना और सप क सहार दीवाल को लाघकर अपन पतनी क विनकट पहचना पतनी की फटकार न भोगी को जोगी आसJ को अनासJ गहसथ को सनयासी और भाग को भी तलसीदल बना दिदया वासना और आसथिJ क चर सीा पर आत ही उनह दसरा लोक दिदखाई पड़न लगा इसी लोक उनह ानस और विवनयपवितरका जसी उतकषटत रचनाओ की पररणा और थिससकषा मिली वागय की परणा तलसीदास क वरागय sहण करन क दो कारण हो सकत ह पर अवितशय आसथिJ और वासना की

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 3: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

सथिसथवित पर परकाश नही पड़ता कवल ldquoल गोसाई-चरिरतrsquo की एक घटना स उनकी लिचतय आरथिक सथिसथवित पर कषीण परकाश पड़ता ह उनका यजञोपवीत कछ बराहमणो न सरय क तट पर कर दिदया ा उस उलख स यह परतीत होता ह विक विकसी सााजिजक और जातीय विववशता या कत1वय-बोध स पररिरत होकर बालक तलसी का उपनयन जावित वालो न कर दिदया ा

तलसीदास का बायकाल घोर अ1-दारिरदरय बीता शचिभकषोपजीवी परिरवार उतपनन होन क कारण बालक तलसीदास को भी वही साधन अगीकत करना पड़ा कदिठन अ1-सकट स गजरत हए परिरवार नय सदसयो का आगन हरष1जनक नही ाना गया -जायो कल गन बधावनो बजायो सविनभयो परिरताप पाय जननी जनक को बार त ललात विबललात दवार-दवार दीनजानत हौ चारिर फल चारिर ही चनक को (कविवतावली)ात विपता जग जाय तजयो विवमिध ह न थिलखी कछ भाल भलाई नीच विनरादर भाजन कादर ककर टकविन लाविग ललाई रा सभाउ सनयो तलसी परभ सो कहयो बारक पट खलाई सवार को परार को रघना सो साहब खोरिर न लाई होश सभालन क पव1 ही जिजसक सर पर स ाता - विपता क वातसय और सरकषण की छाया सदा -सव1दा क थिलए हट गयी होश सभालत ही जिजस एक टठी अनन क थिलए दवार-दवार विवललान को बाधय होना पड़ा सकट-काल उपसथिसथत दखकर जिजसक सवजन-परिरजन दर विकनार हो गए चार टठी चन भी जिजसक थिलए जीवन क चर परापय (अ1 ध1 का और ोकष) बन गए वह कस सझ विक विवधाता न उसक भाल भी भलाई क कछ शबद थिलख ह उJ पदो वयजिजत वदना का सही अनभव तो उस ही हो सकता ह जिजस उस दारण परिरसथिसथवित स गजरना पड़ा हो ऐसा ही एक पद विवनयपवितरका भी मिलता ह -दवार-दवार दीनता कही कादि~ रद परिरपा हह दयाल दनी दस दिदसा दख-दोस-दलन-छ विकयो सभारषन का ह तन जनयो कदिटल कोट जयो तजयो ात-विपता ह काह को रोरष-दोरष काविह धौ र ही अभाग ो सी सकचत छइ सब छाह (विवनयपवितरका २७५) तलसीदास क जीवन की कछ घटनाए एव वितथिया भी क हततवपण1 नही ह कविव क जीवन-वतत और विहाय वयथिJतव पर उनस परकाश पड़ता हयजञोपवीत ल गोसाई चरिरत क अनसार तलसीदास का यजञोपवीत ाघ शकला पची स० १५६१ हआ -पनदरह स इकसठ ाघसदी वितथि पचमि औ भगवार उदी सरज तट विवपरन जगय विकए विदवज बालक कह उपबीत विकए कविव क ाता - विपता की तय कविव क बायकाल ही हो गई ी तिववाह

जनशरवितयो एव राायशचिणयो क विवशवास क अनसार तलसीदास विवरJ होन क पव1 भी का-वाचन करत यवक कावाचक की विवलकषण परवितभा और दिदवय भगवदभथिJ स परभाविवत होकर रतनावली क विपता प० दीन बध पाठक न एक दिदन का क अनत शरोताओ क विवदा हो जान पर अपनी बारह वरषया कनया उसक चरणो सौप दी ल गोसाई चरिरत क अनसार रतनावली क सा यवक तलसी का यह ववाविहक सतर स० १५८३ की जयषठ शकला तरयोदशी दिदन गरवार को जड़ा ा -पदरह स पार वितरासी विवरष सभ जठ सदी गर तरथिस प अमिधरावित लग ज विफर भवरी दलहा दलही की परी पवरी आाधय-दश)न भJ थिशरोशचिण तलसीदास को अपन आराधय क दश1न भी हए उनक जीवन क व सवतत और हतत कषण रह होग लोक-शरवितयो क अनसार तलसीदास को आराधय क दश1न थिचतरकट हए आराधय यगल रा - लकषण को उनहोन वितलक भी लगाया ा -थिचतरकट क घाट प भई सतन क भीर तलसीदास चदन मिघस वितलक दत रघबीर ल गोसाई चरिरत क अनसार कविव क जीवन की वह पविवतरत वितथि ाघ अावसया (बधवार) स० १६०७ को बताया गया हसखद अावस ौविनया बध सोरह स सात जा बठ वितस घाट प विवरही होतविह परात गोसवाी तलसीदास क विहानविनवत वयथिJतव और गरिरानविनवत साधना को जयोवितत करन वाली एक और घटना का उलख ल गोसाई चरिरत विकया गया ह तलसीदास नददास स मिलन बदावन पहच नददास उनह कषण दिदर ल गए तलसीदास अपन आराधय क अननय भJ तलसीदास रा और कषण की तालकिततवक एकता सवीकार करत हए भी रा-रप शयाघन पर ोविहत होन वाल चातक अतः घनशया कषण क सकष नतसतक कस होत उनका भाव-विवभोर कविव का कणठ खर हो उठा -कहा कहौ छविव आज की भल बन हो ना तलसी सतक तब नव जब धनरष बान लो हा इवितहास साकषी द या नही द विकनत लोक-शरवित साकषी दती ह विक कषण की रतित रा की रतित बदल गई ी तनावली का महापर$ान रतनावली का बकठगन lsquoल गोसाई चरिरतrsquo क अनसार स० १५८९ हआ किकत राजापर की साविsयो स उसक दीघ1 जीवन का स1न होता ह मीाबाई का पतर हाता बनी ाधव दास न ल गोसाई चरिरत ीराबाई और तलसीदास क पतराचार का उलख विकया विकया ह अपन परिरवार वालो स तग आकर ीराबाई न तलसीदास को पतर थिलखा ीराबाई पतर क दवारा तलसीदास स दीकषा sहण करनी चाही ी ीरा क पतर क उततर विवनयपवितरका का विनमनाविकत पद की रचना की गईजाक विपरय न रा वदही

तजिजए ताविह कोदिट बरी स जदयविप पर सनही सो छोविड़यतजयो विपता परहलाद विवभीरषन बध भरत हतारी बथिलगर तजयो कत बरजबविनतनहिनह भय द गलकारी नात नह रा क विनयत सहद ससवय जहा लौ अजन कहा आनहिख जविह फट बहतक कहौ कहा लौ तलसी सो सब भावित परविहत पजय परान त पयारो जासो हाय सनह रा-पद एतोतो हारो तलसीदास न ीराबाई को भथिJ-प क बाधको क परिरतयाग का पराश1 दिदया ा कशवदास स सबदध घटना ल गोसाई चरिरत क अनसार कशवदास गोसवाी तलसीदास स मिलन काशी आए उथिचत समान न पा सकन क कारण व लौट गए अकब क दबा म बदी बनाया जाना तलसीदास की खयावित स अशचिभभत होकर अकबर न तलसीदास को अपन दरबार बलाया और कोई चतकार परदरथिशत करन को कहा यह परदश1न-विपरयता तलसीदास की परकवित और परवशचितत क परवितकल ी अतः ऐसा करन स उनहोन इनकार कर दिदया इस पर अकबर न उनह बदी बना थिलया तदपरात राजधानी और राजहल बदरो का अभतपव1 एव अदभत उपदरव शर हो गया अकबर को बताया गया विक यह हनान जी का करोध ह अकबर को विववश होकर तलसीदास को J कर दना पड़ा जहागी को तलसी-दश)न जिजस सय व अनक विवरोधो का साना कर सफलताओ और उपललकिबधयो क सवचच थिशखर का सपश1 कर रह उसी सय दश1ना1 जहागीर क आन का उलख विकया गया मिलता ह दापतय जीवन

सखद दापतय जीवन का आधार अ1 पराचय1 नही पवित -पतनितन का पारसपरिरक पर विवशवास और सहयोग होता ह तलसीदास का दापतय जीवन आरथिक विवपननता क बावजद सतषट और सखी ा भJाल क विपरयादास की टीका स पता चलता ह विक जीवन क वसत काल तलसी पतनी क पर सराबोर पतनी का विवयोग उनक थिलए असहय ा उनकी पतनी-विनषठा दिदवयता को उलमिघत कर वासना और आसथिJ की ओर उनख हो गई ी

रतनावली क ायक चल जान पर शव क सहार नदी को पार करना और सप क सहार दीवाल को लाघकर अपन पतनी क विनकट पहचना पतनी की फटकार न भोगी को जोगी आसJ को अनासJ गहसथ को सनयासी और भाग को भी तलसीदल बना दिदया वासना और आसथिJ क चर सीा पर आत ही उनह दसरा लोक दिदखाई पड़न लगा इसी लोक उनह ानस और विवनयपवितरका जसी उतकषटत रचनाओ की पररणा और थिससकषा मिली वागय की परणा तलसीदास क वरागय sहण करन क दो कारण हो सकत ह पर अवितशय आसथिJ और वासना की

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 4: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

जनशरवितयो एव राायशचिणयो क विवशवास क अनसार तलसीदास विवरJ होन क पव1 भी का-वाचन करत यवक कावाचक की विवलकषण परवितभा और दिदवय भगवदभथिJ स परभाविवत होकर रतनावली क विपता प० दीन बध पाठक न एक दिदन का क अनत शरोताओ क विवदा हो जान पर अपनी बारह वरषया कनया उसक चरणो सौप दी ल गोसाई चरिरत क अनसार रतनावली क सा यवक तलसी का यह ववाविहक सतर स० १५८३ की जयषठ शकला तरयोदशी दिदन गरवार को जड़ा ा -पदरह स पार वितरासी विवरष सभ जठ सदी गर तरथिस प अमिधरावित लग ज विफर भवरी दलहा दलही की परी पवरी आाधय-दश)न भJ थिशरोशचिण तलसीदास को अपन आराधय क दश1न भी हए उनक जीवन क व सवतत और हतत कषण रह होग लोक-शरवितयो क अनसार तलसीदास को आराधय क दश1न थिचतरकट हए आराधय यगल रा - लकषण को उनहोन वितलक भी लगाया ा -थिचतरकट क घाट प भई सतन क भीर तलसीदास चदन मिघस वितलक दत रघबीर ल गोसाई चरिरत क अनसार कविव क जीवन की वह पविवतरत वितथि ाघ अावसया (बधवार) स० १६०७ को बताया गया हसखद अावस ौविनया बध सोरह स सात जा बठ वितस घाट प विवरही होतविह परात गोसवाी तलसीदास क विहानविनवत वयथिJतव और गरिरानविनवत साधना को जयोवितत करन वाली एक और घटना का उलख ल गोसाई चरिरत विकया गया ह तलसीदास नददास स मिलन बदावन पहच नददास उनह कषण दिदर ल गए तलसीदास अपन आराधय क अननय भJ तलसीदास रा और कषण की तालकिततवक एकता सवीकार करत हए भी रा-रप शयाघन पर ोविहत होन वाल चातक अतः घनशया कषण क सकष नतसतक कस होत उनका भाव-विवभोर कविव का कणठ खर हो उठा -कहा कहौ छविव आज की भल बन हो ना तलसी सतक तब नव जब धनरष बान लो हा इवितहास साकषी द या नही द विकनत लोक-शरवित साकषी दती ह विक कषण की रतित रा की रतित बदल गई ी तनावली का महापर$ान रतनावली का बकठगन lsquoल गोसाई चरिरतrsquo क अनसार स० १५८९ हआ किकत राजापर की साविsयो स उसक दीघ1 जीवन का स1न होता ह मीाबाई का पतर हाता बनी ाधव दास न ल गोसाई चरिरत ीराबाई और तलसीदास क पतराचार का उलख विकया विकया ह अपन परिरवार वालो स तग आकर ीराबाई न तलसीदास को पतर थिलखा ीराबाई पतर क दवारा तलसीदास स दीकषा sहण करनी चाही ी ीरा क पतर क उततर विवनयपवितरका का विनमनाविकत पद की रचना की गईजाक विपरय न रा वदही

तजिजए ताविह कोदिट बरी स जदयविप पर सनही सो छोविड़यतजयो विपता परहलाद विवभीरषन बध भरत हतारी बथिलगर तजयो कत बरजबविनतनहिनह भय द गलकारी नात नह रा क विनयत सहद ससवय जहा लौ अजन कहा आनहिख जविह फट बहतक कहौ कहा लौ तलसी सो सब भावित परविहत पजय परान त पयारो जासो हाय सनह रा-पद एतोतो हारो तलसीदास न ीराबाई को भथिJ-प क बाधको क परिरतयाग का पराश1 दिदया ा कशवदास स सबदध घटना ल गोसाई चरिरत क अनसार कशवदास गोसवाी तलसीदास स मिलन काशी आए उथिचत समान न पा सकन क कारण व लौट गए अकब क दबा म बदी बनाया जाना तलसीदास की खयावित स अशचिभभत होकर अकबर न तलसीदास को अपन दरबार बलाया और कोई चतकार परदरथिशत करन को कहा यह परदश1न-विपरयता तलसीदास की परकवित और परवशचितत क परवितकल ी अतः ऐसा करन स उनहोन इनकार कर दिदया इस पर अकबर न उनह बदी बना थिलया तदपरात राजधानी और राजहल बदरो का अभतपव1 एव अदभत उपदरव शर हो गया अकबर को बताया गया विक यह हनान जी का करोध ह अकबर को विववश होकर तलसीदास को J कर दना पड़ा जहागी को तलसी-दश)न जिजस सय व अनक विवरोधो का साना कर सफलताओ और उपललकिबधयो क सवचच थिशखर का सपश1 कर रह उसी सय दश1ना1 जहागीर क आन का उलख विकया गया मिलता ह दापतय जीवन

सखद दापतय जीवन का आधार अ1 पराचय1 नही पवित -पतनितन का पारसपरिरक पर विवशवास और सहयोग होता ह तलसीदास का दापतय जीवन आरथिक विवपननता क बावजद सतषट और सखी ा भJाल क विपरयादास की टीका स पता चलता ह विक जीवन क वसत काल तलसी पतनी क पर सराबोर पतनी का विवयोग उनक थिलए असहय ा उनकी पतनी-विनषठा दिदवयता को उलमिघत कर वासना और आसथिJ की ओर उनख हो गई ी

रतनावली क ायक चल जान पर शव क सहार नदी को पार करना और सप क सहार दीवाल को लाघकर अपन पतनी क विनकट पहचना पतनी की फटकार न भोगी को जोगी आसJ को अनासJ गहसथ को सनयासी और भाग को भी तलसीदल बना दिदया वासना और आसथिJ क चर सीा पर आत ही उनह दसरा लोक दिदखाई पड़न लगा इसी लोक उनह ानस और विवनयपवितरका जसी उतकषटत रचनाओ की पररणा और थिससकषा मिली वागय की परणा तलसीदास क वरागय sहण करन क दो कारण हो सकत ह पर अवितशय आसथिJ और वासना की

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 5: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

तजिजए ताविह कोदिट बरी स जदयविप पर सनही सो छोविड़यतजयो विपता परहलाद विवभीरषन बध भरत हतारी बथिलगर तजयो कत बरजबविनतनहिनह भय द गलकारी नात नह रा क विनयत सहद ससवय जहा लौ अजन कहा आनहिख जविह फट बहतक कहौ कहा लौ तलसी सो सब भावित परविहत पजय परान त पयारो जासो हाय सनह रा-पद एतोतो हारो तलसीदास न ीराबाई को भथिJ-प क बाधको क परिरतयाग का पराश1 दिदया ा कशवदास स सबदध घटना ल गोसाई चरिरत क अनसार कशवदास गोसवाी तलसीदास स मिलन काशी आए उथिचत समान न पा सकन क कारण व लौट गए अकब क दबा म बदी बनाया जाना तलसीदास की खयावित स अशचिभभत होकर अकबर न तलसीदास को अपन दरबार बलाया और कोई चतकार परदरथिशत करन को कहा यह परदश1न-विपरयता तलसीदास की परकवित और परवशचितत क परवितकल ी अतः ऐसा करन स उनहोन इनकार कर दिदया इस पर अकबर न उनह बदी बना थिलया तदपरात राजधानी और राजहल बदरो का अभतपव1 एव अदभत उपदरव शर हो गया अकबर को बताया गया विक यह हनान जी का करोध ह अकबर को विववश होकर तलसीदास को J कर दना पड़ा जहागी को तलसी-दश)न जिजस सय व अनक विवरोधो का साना कर सफलताओ और उपललकिबधयो क सवचच थिशखर का सपश1 कर रह उसी सय दश1ना1 जहागीर क आन का उलख विकया गया मिलता ह दापतय जीवन

सखद दापतय जीवन का आधार अ1 पराचय1 नही पवित -पतनितन का पारसपरिरक पर विवशवास और सहयोग होता ह तलसीदास का दापतय जीवन आरथिक विवपननता क बावजद सतषट और सखी ा भJाल क विपरयादास की टीका स पता चलता ह विक जीवन क वसत काल तलसी पतनी क पर सराबोर पतनी का विवयोग उनक थिलए असहय ा उनकी पतनी-विनषठा दिदवयता को उलमिघत कर वासना और आसथिJ की ओर उनख हो गई ी

रतनावली क ायक चल जान पर शव क सहार नदी को पार करना और सप क सहार दीवाल को लाघकर अपन पतनी क विनकट पहचना पतनी की फटकार न भोगी को जोगी आसJ को अनासJ गहसथ को सनयासी और भाग को भी तलसीदल बना दिदया वासना और आसथिJ क चर सीा पर आत ही उनह दसरा लोक दिदखाई पड़न लगा इसी लोक उनह ानस और विवनयपवितरका जसी उतकषटत रचनाओ की पररणा और थिससकषा मिली वागय की परणा तलसीदास क वरागय sहण करन क दो कारण हो सकत ह पर अवितशय आसथिJ और वासना की

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 6: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

परवितविकरया ओर दसरा आरथिक विवपननता पतनी की फटकार न उनक न क ससत विवकारो को दर कर दिदया दसर कारण विवनयपवितरका क विनमनाविकत पदाशो स परतीत होता ह विक आरथिक सकटो स परशान तलसीदास को दखकर सनतो न भगवान रा की शरण जान का पराश1 दिदया -दनहिखत दनहिख सतन कहयो सोच जविन न ोहतो स पस पातकी परिरहर न सरन गए रघबर ओर विनबाह तलसी वितहारो भय भयो सखी परीवित-परतीवित विवनाह ना की विहा सीलना को रो भलो विबलोविक अबत रतनावली न भी कहा ा विक इस असथिसथ - च1य दह जसी परीवित ह ऐसी ही परीवित अगर भगवान रा होती तो भव-भीवित मिट जाती इसीथिलए वरागय की ल पररणा भगवदाराधन ही ह तलसी का तिनवास - $ान

विवरJ हो जान क उपरात तलसीदास न काशी को अपना ल विनवास-सथान बनाया वाराणसी क तलसीघाट घाट पर सथिसथत तलसीदास दवारा सथाविपत अखाड़ा ानस और विवनयपवितरका क परणयन-ककष तलसीदास दवारा परयJ होन वाली नाव क शरषाग ानस की १७०४ ई० की पाडथिलविप तलसीदास की चरण-पादकाए आदिद स पता चलता ह विक तलसीदास क जीवन का सवा1मिधक सय यही बीता काशी क बाद कदाथिचत सबस अमिधक दिदनो तक अपन आराधय की जनभमि अयोधया रह ानस क कछ अश का अयोधया रचा जाना इस तथय का पषकल पराण ह

तीा1टन क कर व परयाग थिचतरकट हरिरदवार आदिद भी गए बालकाड क ldquordquoदमिध थिचउरा उपहार अपारा भरिर-भरिर कावर चल कहाराrdquo ता ldquoसखत धान परा जन पानीrdquo स उनका मिथिला-परवास भी थिसदध होता ह धान की खती क थिलए भी मिथिला ही पराचीन काल स परथिसदध रही ह धान और पानी का सबध-जञान विबना मिथिला रह तलसीदास कदाथिचत वयJ नही करत इसस भी साविबत होता ह विक व मिथिला रह तिवोध औ सममान जनशरवितयो और अनक sो स पता चलता ह विक तलसीदास को काशी क कछ अनदार पविडतो क परबल विवरोध का साना करना पड़ा ा उन पविडतो न राचरिरतानस की पाडथिलविप को नषट करन और हार कविव क जीवन पर सकट ~ालन क भी परयास विकए जनशरवितयो स यह भी पता चलता ह विक राचरिरतानस की विवलता और उदाततता क थिलए विवशवना जी क जिनदर उसकी पाडथिलविप रखी गई ी और भगवान विवशवना का स1न ानस को मिला ा अनततः विवरोमिधयो को तलसी क सान नतसतक होना पड़ा ा विवरोधो का शन होत ही कविव का समान दिदवय-गध की तरह बढन और फलन लगा कविव क बढत हए समान का साकषय कविवतावली की विनमनाविकत पथिJया भी दती ह -जावित क सजावित क कजावित क पटाविगबसखाए टक सबक विवदिदत बात दनी सो ानस वचनकाय विकए पाप सवित भाय रा को कहाय दास दगाबाज पनी सो रा ना को परभाउ पाउ विहा परतापतलसी स जग ाविनयत हानी सो अवित ही अभागो अनरागत न रा पदढ एतो बढो अचरज दनहिख सनी सो (कविवतावली उततर ७२)

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 7: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

तलसी अपन जीवन-काल ही वाीविक क अवतार ान जान लग -तरता कावय विनबध करिरव सत कोदिट रायन इक अचछर उचचर बरहमहतयादिद परायन पविन भJन सख दन बहरिर लीला विवसतारी रा चरण रस तत रहत अहविनथिस वरतधारी ससार अपार क पार को सगन रप नौका थिलए कथिल कदिटल जीव विनसतार विहत बालीविक तलसी भए (भJाल छपपय १२९)प० रानरश वितरपाठी न काशी क सपरथिसदध विवदवान और दाश1विनक शरी धसदन सरसवती को तलसीदास का ससामियक बताया ह उनक सा उनक वादविववाद का उलख विकया ह और ानस ता तलसी की परशसा थिलखा उनका शलोक भी उदघत विकया ह उस शलोक स भी तलसीदास की परशलकिसत का पता ाल होता हआननदकाननहयलकिसन जगसतलसीतरकविवता जरी यसय रा-भरर भविरषता जीवन की साधय वला तलसीदास को जीवन की साधय वला अवितशय शारीरिरक कषट हआ ा तलसीदास बाह की पीड़ा स वयथित हो उठ तो असहाय बालक की भावित आराधय को पकारन लग घरिर थिलयो रोगविन कजोगविन कलोगविन जयौबासर जलद घन घटा धविक धाई ह बरसत बारिर पोर जारिरय जवास जसरोरष विबन दोरष ध-लथिलनाई ह करनाविनधान हनान हा बलबानहरिर हथिस हाविक फविक फौज त उड़ाई ह खाए हतो तलसी करोग राढ राकसविनकसरी विकसोर राख बीर बरिरआई ह (हनान बाहक ३५)विनमनाविकत पद स तीवर पीड़ारभवित और उसक कारण शरीर की दद1शा का पता चलता ह -पायपीर पटपीर बाहपीर हपीरजज1र सकल सरी पीर ई ह दव भत विपतर कर खल काल sहोविह पर दवरिर दानक सी दई ह हौ तो विबन ोल क विबकानो बथिल बार ही तओट रा ना की ललाट थिलनहिख लई ह कभज क विनकट विबकल बड़ गोखरविनहाय रा रा ऐरती हाल कह भई ह

दोहावली क तीन दोहो बाह-पीड़ा की अनभवित -

तलसी तन सर सखजलज भजरज गज बर जोर दलत दयाविनमिध दनहिखए कविपकसरी विकसोर भज तर कोटर रोग अविह बरबस विकयो परबस विबहगराज बाहन तरत कादि~अ मिट कलस

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 8: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

बाह विवटप सख विवहग ल लगी कपीर कआविग रा कपा जल सीथिचए बविग दीन विहत लाविग आजीवन काशी भगवान विवशवना का रा का का सधापान करात-करात असी गग क तीर पर स० १६८० की शरावण शकला सपती क दिदन तलसीदास पाच भौवितक शरीर का परिरतयाग कर शाशवत यशःशरीर परवश कर गए

तलसीदास की चनाएPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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अपन दीघ1 जीवन-काल तलसीदास न कालकरानसार विनमनथिलनहिखत काल जयी sनथो की रचनाए की - राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञापरशन जानकी-गल राचरिरतानस सतसई पाव1ती-गल गीतावली विवनय-पवितरका कषण-गीतावली बरव राायण दोहावली और कविवतावली (बाहक सविहत) इन स राचरिरतानस विवनयपवितरका कविवतावली गीतावली जसी कवितयो क विवरषय यह आरष1वाणी सही घदिटत होती ह - ldquordquoपशय दवसय कावय न ार न जीय1वितगोसवामी तलसीदास की परामाणिणक चनाएलगभग चार सौ वरष1 पव1 गोसवाी जी न अपन कावयो की रचना की आधविनक परकाशन-सविवधाओ स रविहत उस काल भी तलसीदास का कावय जन-जन तक पहच चका ा यह उनक कविव रप लोकविपरय होन का पराण ह ानस क सान दीघ1काय s को कठाs करक साानय पढ थिलख लोग भी अपनी शथिचता एव जञान क थिलए परथिसदध हो जान लग राचरिरतानस गोसवाी जी का सवा1वित लोकविपरय s रहा ह तलसीदास न अपनी रचनाओ क समबनध कही उलख नही विकया ह इसथिलए परााशचिणक रचनाओ क सबध अतससाकषय का अभाव दिदखाई दता ह नागरी परचारिरणी सभा दवारा परकाथिशत s इसपरकार ह १ राचरिरतानस२ राललानहछ३ वरागय-सदीपनी४ बरव राायण५ पाव1ती-गल६ जानकी-गल७ रााजञापरशन८ दोहावली९ कविवतावली१० गीतावली११ शरीकषण-गीतावली१२ विवनयपवितरका१३ सतसई१४ छदावली राायण

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 9: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

१५ कडथिलया राायण१६ रा शलाका१७ सकट ोचन१८ करखा राायण१९ रोला राायण२० झलना२१ छपपय राायण२२ कविवतत राायण२३ कथिलधा1ध1 विनरपणएनसाइकलोपीविडया आफ रिरलीजन एड एथिकस विsयसन होदय न भी उपरोJ पर बारह sो का उलख विकया ह

यग तिनमा)ता तलसीदासPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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गोसवाी तलसीदास न कवल विहनदी क वरन उततर भारत क सव1शरषठ कविव एव विवचारक ान जा सकत ह हाकविव अपन यग का जञापक एव विना1ता होता ह इस कन की पमिषट गोसवाी जी की रचनाओ स सवा सोलह आन होती ह जहा ससार क अनय कविवयो न साध-हाताओ क थिसदधातो पर आसीन होकर अपनी कठोर साधना या तीकषण अनभवित ता घोर धारमिक कटटरता या सापरदामियक असविहषणता स भर विबखर छद कह ह और अखड जयोवित की कौध कछ रहसयय धधली और असफट रखाए अविकत की ह अवा लोक-1जञ की हथिसयत स सासारिरक जीवन क तपत या शीतल एकात थिचतर खीच ह जो ध1 एव अधयात स सव1ा उदासीन दिदखाई दत ह वही गोसवाीजी ही ऐस कविव ह जिजनहोन इन सभी क नानाविवध भावो को एक सतर गविफत करक अपना अनपय साविहनवितयक उपहार परदान विकया हकावय परवितभा क विवकास-कर क आधार पर उनकी कवितयो का वगकरण इसपरकार हो सकता ह - पर शरणी विदवतीय शरणी और ततीय शरणी पर शरणी उनक कावय-जीवन क परभातकाल की व कवितया आती ह जिजन एक साधारण नवयवक की रथिसकता साानय कावयरीवित का परिरचय साानय सासारिरक अनभव साानय सहदयता ता गभीर आधयातनितक विवचारो का अभाव मिलता ह इन वणय1 विवरषय क सा अपना तादातमय करक सवानभवितय वण1न करन की परवशचितत अवशय वत1ान ह इसी स परारशचिभक रचनाए भी इनक हाकविव होन का आभास दती ह इस शरणी राललानहछ वरागयसदीपनी रााजञा-परशन और जानकी-गल परिरगणनीय हदसरी शरणी उन कवितयो को सझना चाविहए जिजन कविव की लोक-वयाविपनी बजिदध उसकी सदsाविहता उसकी कावय क सकष सवरप की पहचान वयापक सहदयता अननय भथिJ और उसक गढ आधयातनितक

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 10: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

विवचार विवदयान ह इस शरणी की कवितयो को ह तलसी क परौढ और परिरप कावय-काल की रचनाए ानत ह इसक अतग1त राचरिरतानस पाव1ती-गल गीतावली कषण-गीतावली का सावश होता ह

अवित शरणी उनकी उततरकालीन रचनाए आती ह इन कविव की परौढ परवितभा जयो की तयो बनी हई ह और कछ वह आधयातनितक विवचारो को पराधानय दता हआ दिदखाई पड़ता ह सा ही वह अपनी अवित जरावसथा का सकत भी करता ह ता अपन पतनोनख यग को चतावनी भी दता ह विवनयपवितरका बरव राायण कविवतावली हनान बाहक और दोहावली इसी शरणी की कवितया ानी जा सकती ह

उसकी दीनावसथा स दरवीभत होकर एक सत-हाता न उस रा की भथिJ का उपदश दिदया उस बालक नबायकाल ही उस हाता की कपा और गर-थिशकषा स विवदया ता राभथिJ का अकषय भडार परापत कर थिलया इसक प3ात साधओ की डली क सा उसन दशाटन करक परतयकष जञान परापत विकया

गोसवाी जी की साविहनवितयक जीवनी क आधार पर कहा जा सकता ह विक व आजन वही रागण -गायक बन रह जो व बायकाल इस रागण गान का सवतकषट रप अशचिभवयJ करन क थिलए उनह ससकत-साविहतय का अगाध पाविडतय परापत करना पड़ा राललानहछ वरागय-सदीपनी और रााजञा-परशन इतयादिद रचनाए उनकी परवितभा क परभातकाल की सचना दती ह इसक अनतर उनकी परवितभा राचरिरतानस क रचनाकाल तक पण1 उतकरष1 को परापत कर जयोविता1न हो उठी उनक जीवन का वह वयावहारिरक जञान उनका वह कला-परदश1न का पाविडतय जो ानस गीतावली कविवतावली दोहावली और विवनयपवितरका आदिद परिरलशचिकषत होता ह वह अविवकथिसत काल की रचनाओ नही ह

उनक चरिरतर की सव1परधान विवशरषता ह उनकी राोपासनाधर क सत जग गल क हत भमि भार हरिरबो को अवतार थिलयो नर को नीवित और परतीत-परीवित-पाल चाथिल परभ ानलोक-वद रानहिखब को पन रघबर को (कविवतावली उततर छद० ११२)काशी-वाथिसयो क तरह-तरह क उतपीड़न को सहत हए भी व अपन लकषय स भरषट नही हए उनहोन आतसमान की रकषा करत हए अपनी विनभकता एव सपषटवादिदता का सबल लकर व कालातर एक थिसदध साधक का सथान परापत विकयागोसवाी तलसीदास परकतया एक करातदश कविव उनह यग-दरषटा की उपामिध स भी विवभविरषत विकया जाना चाविहए ा उनहोन ततकालीन सासकवितक परिरवश को खली आखो दखा ा और अपनी रचनाओ सथान-सथान पर उसक सबध अपनी परवितविकरया भी वयJ की ह व सरदास ननददास आदिद कषणभJो की भावित जन-साानय स सबध-विवचछद करक एकातर आराधय ही लौलीन रहन वाल वयथिJ नही कह जा सकत बलकिक उनहोन दखा विक ततकालीन साज पराचीन सनातन परपराओ को भग करक पतन की ओर बढा जा रहा ह शासको दवारा सतत शोविरषत दरभिभकष की जवाला स दगध परजा की आरथिक और सााजिजक सथिसथवित किककतत1वयविवढता की सथिसथवित पहच गई ह -खती न विकसान कोशचिभखारी को न भीख बथिलवविनक को बविनज न चाकर को चाकरी जीविवका विवहीन लोग

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 11: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

सीदयान सोच बसकह एक एकन सोकहा जाई का करी साज क सभी वग1 अपन परपरागत वयवसाय को छोड़कर आजीविवका-विवहीन हो गए ह शासकीय शोरषण क अवितरिरJ भीरषण हाारी अकाल दरभिभकष आदिद का परकोप भी अतयत उपदरवकारी ह काशीवाथिसयो की ततकालीन ससया को लकर यह थिलखा -सकर-सहर-सर नारिर-नर बारिर बरविवकल सकल हाारी ाजाई ह उछरत उतरात हहरात रिर जातभभरिर भगात ल-जल ीचई ह उनहोन ततकालीन राजा को चोर और लटरा कहा -गोड़ गवार नपाल विहयन हा विहपाल सा न दा न भद कथिलकवल दड कराल साधओ का उतपीड़न और खलो का उतकरष1 बड़ा ही विवडबनालक ा -वद ध1 दरिर गयभमि चोर भप भयसाध सीदयानजान रीवित पाप पीन कीउस सय की सााजिजक असत-वयसतता का यदिद सशचिकषपतत थिचतर -परजा पवितत पाखड पाप रतअपन अपन रग रई ह साविहवित सतय सरीवित गई घदिटबढी करीवित कपट कलई हसीदवित साध साधता सोचवितखल विबलसत हलसत खलई ह उनहोन अपनी कवितयो क ाधय स लोकाराधन लोकरजन और लोकसधार का परयास विकया और रालीला का सतरपात करक इस दिदशा अपकषाकत और भी ठोस कद उठाया गोसवाी जी का समान उनक जीवन-काल इतना वयापक हआ विक अबदर1ही खानखाना एव टोडरल जस अकबरी दरबार क नवरतन धसदन सरसवती जस अsगणय शव साधक नाभादास जस भJ कविव आदिद अनक ससामियक विवभवितयो न उनकी Jकठ स परशसा की उनक दवारा परचारिरत रा और हनान की भथिJ भावना का भी वयापक परचार उनक जीवन-काल ही हो चका ाराचरिरतानस ऐसा हाकावय ह जिजस परबध-पटता की सवाbrvbarगीण कला का पण1 परिरपाक हआ ह उनहोन उपासना और साधना-परधान एक स एक बढकर विवनयपवितरका क पद रच और लीला-परधान गीतावली ता कषण-गीतावली क पद उपासना-परधान पदो की जसी वयापक रचना तलसी न की ह वसी इस पदधवित क कविव सरदास न भी नही की कावय-गगन क सय1 तलसीदास न अपन अर आलोक स विहनदी साविहतय-लोक को सव1भावन ददीपयान विकया उनहोन कावय क विवविवध सवरपो ता शथिलयो को विवशरष परोतसाहन दकर भारषा को खब सवारा और शबद-शथिJयो धवविनयो एव अलकारो क योथिचत परयोगो क दवारा अ1 कषतर का अपव1 विवसतार भी विकया

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 12: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

उनकी साविहनवितयक दन भवय कोदिट का कावय होत हए भी उचचकोदिट का ऐसा शासर ह जो विकसी भी साज को उननयन क थिलए आदश1 ानवता एव आधयातनितकता की वितरवणी अवगाहन करन का सअवसर दकर उस सतप पर चलन की उग भरता ह

तलसीदास की धारमिमक तिवचाधााPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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उनक विवचार स वही ध1 सवपरिर ह जो सs विवशव क सार पराशचिणयो क थिलए शभकर और गलकारी हो और जो सव1ा उनका पोरषक सरकषक और सवदध1क हो उनक नजदीक ध1 का अ1 पणय यजञ य सवभाव आवार वयवहार नीवित या नयाय आत-सय धारमिक ससकार ता आत-साकषातकार ह उनकी दमिषट ध1 विवशव क जीवन का पराण और तज हसतयतः ध1 उननत जीवन की एक हततवपण1 और शाशवत परविकरया और आचरण-सविहता ह जो समिषट-रप साज क वयमिषट-रप ानव क आचरण ता कcopy को सवयवसथिसथत कर रणीय बनाता ह ता ानव जीवन उततरोततर विवकास लाता हआ उस ानवीय अलकिसततव क चर लकषय तक पहचान योगय बनाता ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह इन तीनो धाो उनका नक परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

वह वितरक1रत भी ह ानव-परवशचिततयो सतय पर और शथिJ य तीन सवा1मिधक ऊधव1गामिनी वशचिततया ह ध1 ह आता स आता को दखना आता स आता को जानना और आता सथिसथत होना

उनहोन सनातन ध1 की सारी विवधाओ को भगवान की अननय सवा की परानविपत क साधन क रप ही सवीकार विकया ह उनक ससत साविहतय विवशरषतः भJ - सवभाव वण1न ध1-र वण1न सत-लकषण वण1न बराहमण-गर सवरप वण1न ता सजजन-ध1 विनरपण आदिद परसगो जञान विवजञान विवराग भथिJ ध1 सदाचार एव सवय भगवान स सबमिधत आत-बोध ता आतोतथान क सभी परकार क शरषठ साधनो का सजीव थिचतरण विकया गया ह उनक कावय-परवाह उलथिसत ध1-कस ातर कथय नही बलकिक अलभय चारिरतरय ह जो विवशचिभनन उदातत चरिरतरो क कोल वततो स जगतीतल पर आोद विबखरत ह

हाभारत यह वण1न ह विक बरहमा न सपण1 जगत की रकषा क थिलए वितररपातक ध1 का विवधान विकया ह -

१ वदोJ ध1 जो सवतकषट ध1 ह२ वदानकल सवित-शासरोJ सा ध1 ता३ थिशषट पररषो दवारा आचरिरत ध1 (थिशषटाचार)

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 13: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

य तीनो सनातन ध1 क ना स विवखयात ह सपण1 कcopy की थिसदध क थिलए शरवित-सवितरप शासर ता शरषठ पररषो का आचार य ही दो साधन ह

नसवित क अनसार ध1 क पाच उपादान ान गए ह -

१ अनहिखल वद२ वदजञो की सवितया३ वदजञो क शील४ साधओ क आचार ता५ नसतमिषट

याजञवकय-सवित भी लगभग इसी परकार क पाच उपादान उपलबध ह -

१ शरवित२ सवित३ सदाचार४ आतविपरयता५ समयक सकपज सदिदचछा

भJ-दाश1विनको न पराणो को भी सनातन ध1 का शाशवत पराण ाना ह ध1 क ल उपादान कवल तीन ही रह जात ह -

१ शरवित-सवित पराण२ सदाचार ता३ नसतमिषट या आतविपरयता

गोसवाी जी की दमिषट य ही तीन ध1 हत ह और ानव साज क धा1ध1 कतत1वयाकतत1वय और औथिचतयानौथिचतय क ल विनणा1यक भी ह

ध1 क परख तीन आधार ह -

१ नवितक२ भाविवक ता३ बौजिदधक

नीवित ध1 की परिरमिध और परिरबध ह इसक अभाव कोई भी धा1चरण सभव नही ह कयोविक इसक विबना साज-विवsह का अतस और बाहय दोनो ही सार-हीन हो जात ह यह सतकcopy का पराणसरोत ह अतः नीवित-तततव पर ध1 की सदढ सथापना होती ह ध1 का आधार भाविवक होता ह यह सच ह विक सवक अपन सवाी क परवित विनशछल सवा अरतिपत कर - यही नीवित ह किकत जब वह अननय भाव स अपन परभ क चरणो पर सव1 नयौछावर कर उनक शरप गण एव शील का याचक बन जाता ह तब उसक इस तयागय कतत1वय या

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

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सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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Page 14: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

ध1 का आधार भाविवक हो जाता ह

ध1 का बौजिदधक धरातल ानव को काय1-कशलता ता सफलता की ओर ल जाता ह वसततः जो ध1 उJ तीनो खयाधारो पर आधारिरत ह वह सवा1 परा1 ता लोका1 इन तीनो का सनवयकारी ह ध1 क य सव1ानय आधार-तततव ह

ध1 क खयतः दो सवरप ह -

१ अभयदय हतक ता२ विनरयस हतक

जो पावन कतय सख सपशचितत कीरतित और दीघा1य क थिलए अवा जागवित उननयन क थिलए विकया जाता ह वह अभयदय हतक ध1 की शरणी आता ह और जो कतय या अनषठान आतकयाण अवा ोकषादिद की परानविपत क थिलए विकया जाता ह वह विनशरयस हतक ध1 की शरणी आता ह

ध1 पनः दो परकार का ह

१ परवशचितत-ध1 ता२ विनवशचितत-ध1 या ोकष ध1

जिजसस लोक-परलोक सवा1मिधक सख परापत होता ह वह परवशचितत-ध1 ह ता जिजसस ोकष या पर शावित की परानविपत होती ह वह विनवशचितत-ध1 ह

कही - कही ध1 क तीन भद सवीकार विकए गए ह -

१ साानय ध1२ विवशरष ध1 ता३ आपदध1

भविवषयपराण क अनसार ध1 क पाच परकार ह -

१ वण1 - ध1२ आशर - ध1३ वणा1शर - ध1४ गण - ध1५ विनमितत - ध1

अततोगतवा हार सान ध1 की खय दो ही विवशाल विवधाए या शाखाए रह जाती ह -

१ साानय या साधारण ध1 ता

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

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सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
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  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 15: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

२ वणा1शर - ध1

जो सार ध1 दश काल परिरवश जावित अवसथा वग1 ता लिलग आदिद क भद-भाव क विबना सभी आशरो और वणाccedil क लोगो क थिलए सान रप स सवीकाय1 ह व साानय या साधारण ध1 कह जात ह सs ानव जावित क थिलए कयाणपरद एव अनकरणीय इस साानय ध1 की शतशः चचा1 अनक ध1-sो विवशरषतया शरवित-sनथो उपलबध ह

हाभारत न अपन अनक पवाccedil ता अधयायो जिजन साधारण धcopy का वण1न विकया ह उनक दया कषा शावित अकिहसा सतय सारय अदरोह अकरोध विनशचिभानता वितवितकषा इजिनदरय-विनsह यशदध बजिदध शील आदिद खय ह पदमपराण सतय तप य विनय शौच अकिहसा दया कषा शरदधा सवा परजञा ता तरी आदिद धा1नतग1त परिरगशचिणत ह ाक1 णडय पराण न सतय शौच अकिहसा अनसया कषा अकररता अकपणता ता सतोरष इन आठ गणो को वणा1शर का साानय ध1 सवीकार विकया ह

विवशव की परवितषठा ध1 स ह ता वह पर पररषा1 ह वह वितरविवध वितरपगाी ता वितरकर1त ह पराता न अपन को गदाता सकष जगत ता सथल जगत क रप परकट विकया ह इन तीनो धाो उनका नकटय परापत करन क परयतन को सनातन ध1 का वितरविवध भाव कहा गया ह वह वितराग1गाी इस रप ह विक वह जञान भथिJ और क1 इन तीनो स विकसी एक दवारा या इनक साजसय दवारा भगवान की परानविपत की काना करता ह उसकी वितरपगामिनी गवित ह

साानयतः गोसवाीजी क वण1 और आशर एक-दसर क सा परसपरावलविबत और सघोविरषत ह इसथिलए उनहोन दोनो का यगपत वण1न विकया ह यह सपषट ह विक भारतीय जीवन वण1-वयवसथा की पराचीनता वयापकता हतता और उपादयता सव1ानय ह यह सतय ह विक हारा विवकासोनख जीवन उततरोततर शरषठ वणाccedil की सीदि~यो पर चढकर शन-शन दल1भ पररषा1-फलो का आसवादन करता हआ भगवत तदाकार भाव विनसथिजजत हो जाता ह पर आवशयकता कवल इस बात की ह विक ह विनषठापव1क अपन वण1-ध1 पर अपनी दढ आसथा दिदखलाई ह और उस सखी और सवयवसथिसथत साज - पररष का र-दणड बतलाया ह

गोसवाी जी सनातनी ह और सनातन-ध1 की यह विनभरा1नत धारणा ह विक चारो वण1 नषय क उननयन क चार सोपान ह चतनोनखी पराणी परतः शदर योविन जन धारण करता ह जिजस उसक अतग1त सवा-वशचितत का उदभव और विवकास होता ह यह उसकी शशवावसथा ह ततप3ात वह वशय योविन जन धारण करता ह जहा उस सब परकार क भोग सख वभव और परय की परानविपत होती ह यह उसका पव1-यौवन काल ह

वण1 विवभाजन का जनना आधार न कवल हरतिरष वथिशषठ न आदिद न ही सवीकार विकया ह बलकिक सवय गीता भगवान न भी शरीख स चारो वणाccedil की गणक1-विवभगशः समिषट का विवधान विकया ह वणा1शर-ध1 की सथापना जन क1 आचरण ता सवभाव क अनकल हई ह

जो वीरोथिचत कcopy विनरत रहता ह और परजाओ की रकषा करता ह वह कषवितरय कहलाता ह शौय1 वीय1 धवित तज अजातशतरता दान दाशचिकषणय ता परोपकार कषवितरयो क नसरतिगक गण ह सवय भगवान शरीरा कषवितरय कल भरषण और उJ गणो क सदोह ह नयाय-नीवित विवहीन डरपोक और यदध-विवख कषवितरय

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

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सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 16: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

ध1चयत और पार ह विवश का अ1 जन या दल ह इसका एक अ1 दश भी ह अतः वशय का सबध जन-सह अवा दश क भरण-पोरषण स ह

सतयतः वशय साज क विवषण ान जात ह अवितथि-सवा ता विवपर-पजा उनका ध1 ह जो वशय कपण और अवितथि-सवा स विवख ह व हय और शोचनीय ह कल शील विवदया और जञान स हीन वण1 को शदर की सजञा मिली ह शदर असतय और यजञहीन ान जात शन-शन व विदवजावितयो क कपा-पातर और साज क अशचिभनन और सबल अग बन गए उचच वणाccedil क समख विवनमरतापव1क वयवहार करना सवाी की विनषकपट सवा करना पविवतरता रखना गौ ता विवपर की रकषा करना आदिद शदरो क विवशरषण ह

गोसवाी जी का यह विवशवास रहा ह विक वणा1नकल धा1चरण स सवगा1पवग1 की परानविपत होती ह और उसक उलघन करन और परध1-विपरय होन स घोर यातना ओर नरक की परानविपत होती ह दसर पराणी क शरषठ ध1 की अपकषा अपना साानय ध1 ही पजय और उपादय ह दसर क ध1 दीशचिकषत होन की अपकषा अपन ध1 की वदी पर पराणापण कर दना शरयसकर ह यही कारण ह विक उनहोन रा-राजय की सारी परजाओ को सव-ध1-वरतानरागी और दिदवय चारिरतरय-सपनन दिदखलाया ह

गोसवाी जी क इषटदव शरीरा सवय उJ राज-ध1 क आशरय और आदश1 राराजय क जनक ह यदयविप व सामराजय-ससथापक ह ताविप उनक सामराजय की शाशवत आधारथिशला सनह सतय अकिहसा दान तयाग शानविनत सवित विववक वरागय कषा नयाय औथिचतय ता विवजञान ह जिजनकी पररणा स राजा सामराजय क सार विवभागो का परिरपालन उसी ध1 बजिदध स करत ह जिजसस ख शरीर क सार अगो का याथिचत परिरपालन करता ह शरीरा की एकततरातक राज-वयवसथा राज-काय1 क परायः सभी हततवपण1 अवसरो पर राजा नीविरषयो वितरयो ता सभयो स सथिचत समवित परापत करन की विवनीत चषटा करत ह ओर उपलबध समवित को सहरष1 काया1नविनवत करत ह

राजा शरीरा उJ सार लकषण विवलकषण रप वत1ान ह व भप-गणागार ह उन सतय-विपरयता साहसातसाह गभीरता ता परजा-वतसलता आदिद ानव-दल1भ गण सहज ही सलभ ह एक सथल पर शरीरा न राज-ध1 क ल सवरप का परिरचय करात हए भाई भरत को यह उपदश दिदया ह विक पजय पररषो ाताओ और गरजनो क आजञानसार राजय परजा और राजधानी का नयाय और नीवितपव1क समयक परिरपालन करना ही राज-ध1 का लतर ह

ानव-जीवन पर काल सवभाव और परिरवश का गहरा परभाव पड़ता ह यह सपषट ह विक काल-परवाह क कारण साज क आचारो विवचारो ता नोभावो हरास-विवकास होत रहत ह यही कारण ह विक जब सतय की परधानता रहती ह तब सतय-यग जब रजोगण का सावश होता ह तब तरता जब रजोगण का विवसतार होता ह तब दवापर ता जब पाप का पराधानय होता ह तब कथिलयग का आगन होता ह

गोसवाी जी न नारी-ध1 की भी सफल सथापना की ह और साज क थिलए उस अवितशय उपादय ाना ह गहसथ-जीवन र क दो चकरो एक चकर सवय नारी ह यह जीवन-परगवित-विवधामियका ह इसी कारण हारी ससकवित नारी को अदधारविगनी ध1-पतनी जीवन-सविगनी दवी गह-लकषी ता सजीवनी-शथिJ क रप दखा ह

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 17: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

जिजस परकार समिषट-लीला-विवलास पररष परकवित परसपर सयJ होकर विवकास-रचना करत ह उसी परकार गह या साज नारी-पररष क परीवितपव1क सखय सयोग स ध1-क1 का पणयय परसार होता ह सतयतः रवित परीवित और ध1 की पाथिलका सरी या पतनी ही ह वह धन परजा काया लोक-यातरा ध1 दव और विपतर आदिद इन सबकी रकषा करती ह सरी या नारी ही पररष की शरषठ गवित ह - ldquoदारापरागवितrsquo सरी ही विपरयवादिदनी काता सखद तरणा दनवाली सविगनी विहतविरषणी और दख हा बटान वाली दवी ह अतः जीवन और साज की सखद परगवित और धर सतलन क थिलए ता सवय नारी की थिJ-थिJ क थिलए नारी-ध1 क समयक विवधान की अपकषा ह

ामचरितमानस की मनोवजञातिनकताPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on October 6 2008

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विहनदी साविहतय का सव1ानय एव सव1शरषठ हाकावय ldquoराचरिरतानसrdquo ानव ससार क साविहतय क सव1शरषठ sो एव हाकावयो स एक ह विवशव क सव1शरषठ हाकावय s क सा राचरिरत ानस को ही परवितमिषठत करना सीचीन ह | वह वद उपविनरषद पराण बाईबल इतयादिद क धय भी पर गौरव क सा खड़ा विकया जा सकता ह इसीथिलए यहा पर तलसीदास रथिचत हाकावय राचरिरत ानस परशसा परसादजी क शबदो इतना तो अवशय कह सकत ह विक -

रा छोड़कर और की जिजसन कभी न आस कीराचरिरतानस-कल जय हो तलसीदास की

अा1त यह एक विवराट ानवतावादी हाकावय ह जिजसका अधययन अब ह एक नोवजञाविनक ढग स करना चाहग जो इस परकार ह - जिजसक अनतग1त शरी हाकविव तलसीदासजी न शरीरा क वयथिJतव को इतना लोकवयापी और गलय रप दिदया ह विक उसक सरण स हदय पविवतर और उदातत भावनाए जाग उठती ह परिरवार और साज की या1दा सथिसथर रखत हए उनका चरिरतर हान ह विक उनह या1दा पररषोत क रप सरण विकया जाता ह वह पररषोतत होन क सा-सा दिदवय गणो स विवभविरषत भी ह वह बरहम रप ही ह वह साधओ क परिरतराण और दषटो क विवनाश क थिलए ही पथवी पर अवतरिरत हए ह नोवजञाविनक दमिषट स यदिद कहना चाह तो भी रा क चरिरतर इतन अमिधक गणो का एक सा सावश होन क कारण जनता उनह अपना आराधय ानती ह इसीथिलए हाकविव तलसीदासजी न अपन s राचरिरतानस रा का पावन चरिरतर अपनी कशल लखनी स थिलखकर दश क ध1 दश1न और साज को इतनी अमिधक पररणा दी ह विक शतानहिबदयो क बीत जान पर भी ानस ानव यो की अकषणण विनमिध क रप ानय ह अत जीवन की ससयालक वशचिततयो क साधान और उसक वयावहारिरक परयोगो की सवभाविवकता क कारण तो आज यह विवशव साविहतय का हान s घोविरषत हआ ह और इस का अनवाद भी आज ससार की पराय ससत परख भारषाओ होकर घर-घर बस गया हएक जगह डॉ राकार वा1 - सत तलसीदास s कहत ह विक lsquoरस न परथिसधद सीकषक वितखानोव स परशन विकया ा विक rdquoथिसयारा य सब जग जानीrdquo क आलकिसतक कविव तलसीदास का राचरिरतानस s आपक दश इतना लोकविपरय कयो ह तब उनहोन उततर दिदया ा विक आप भल ही रा

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 18: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

को अपना ईशवर ान लविकन हार सकष तो रा क चरिरतर की यह विवशरषता ह विक उसस हार वसतवादी जीवन की परतयक ससया का साधान मिल जाता ह इतना बड़ा चरिरतर ससत विवशव मिलना असभव ह lsquo ऐसा सत तलसीदासजी का राचरिरत ानस हrdquo

नोवजञाविनक ढग स अधययन विकया जाय तो राचरिरत ानस बड़ भाग ानस तन पावा क आधार पर अमिधमिषठत ह ानव क रप ईशवर का अवतार परसतत करन क कारण ानवता की सवचचता का एक उदगार ह वह कही भी सकीण1तावादी सथापनाओ स बधद नही ह वह वयथिJ स साज तक परसरिरत सs जीवन उदातत आदशcopy की परवितषठा भी करता ह अत तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस को नोबजञाविनक दमिषट स दखा जाय तो कछ विवशरष उलखनीय बात ह विनमथिलनहिखत रप दखन को मिलती ह -

तलसीदास एव समय सवदन म मनोवजञातिनकता

तलसीदासजी न अपन सय की धारमिक सथिसथवित की जो आलोचना की ह उस एक तो व सााजिजक अनशासन को लकर लिचवितत दिदखलाई दत ह दसर उस सय परचथिलत विवभतस साधनाओ स व नहिखनन रह ह वस ध1 की अनक भमिकाए होती ह जिजन स एक सााजिजक अनशासन की सथापना हराचरिरतानस उनहोन इस परकार की ध1 साधनाओ का उलख lsquoतास ध1rsquo क रप करत हए उनह जन-जीवन क थिलए अगलकारी बताया ह

तास ध1 करकिह नर जप तप वरत ख दानदव न बररषकिह धरती बए न जाविह धानrdquo3

इस परकार क तास ध1 को असवीकार करत हए वहा भी उनहोन भथिJ का विवकप परसतत विकया हअपन सय तलसीदासजी न या1दाहीनता दखी उस धारमिक सखलन क सा ही राजनीवितक अवयवसथा की चतना भी सतनिमथिलत ी राचरिरतानस क कथिलयग वण1न धारमिक या1दाए टट जान का वण1न ही खय रप स हआ ह ानस क कथिलयग वण1न विदवजो की आलोचना क सा शासको पर विकया विकया गया परहार विन3य ही अपन सय क नरशो क परवित उनक नोभावो का दयोतक ह इसथिलए उनहोन थिलखा ह -

विदवजा भवित बचक भप परजासन4

अनत साकषय क परकाश इतना कहा जा सकता ह विक इस असतोरष का कारण शासन दवारा जनता की उपकषा रहा ह राचरिरतानस तलसीदासजी न बार-बार अकाल पड़न का उलख भी विकया ह जिजसक कारण लोग भखो र रह -

कथिल बारकिह बार अकाल परविबन अनन दखी सब लोग र5

इस परकार राचरिरतानस लोगो की दखद सथिसथवित का वण1न भी तलसीदासजी का एक नोवजञाविनक सय सवदन पकष रहा ह

तलसीदास एव ानव अलकिसततव की यातना

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 19: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

यहा पर तलसीदासजी न अलकिसततव की वय1तता का अनभव भथिJ रविहत आचरण ही नही उस भाग दौड़ भी विकया ह जो सासारिरक लाभ लोभ क वशीभत लोग करत ह वसतत ईशवर विवखता और लाभ लोभ क फर की जानवाली दौड़ धप तलसीदास की दमिषट एक ही थिसकक क दो पहल ह धयान दन की बात तो यह ह विक तलसीदासजी न जहा भथिJ रविहत जीवन अलकिसततव की वय1ता दखी ह वही भाग दौड़ भर जीवन की उपललकिधध भी अन1कारी ानी ह या -

जानत अ1 अन1 रप-भव-कप परत एविह लाग6इस परकार इनहोन इसक सा सासारिरक सखो की खोज विनर1क हो जान वाल आयषय कर क परवित भी गलाविन वयJ की ह

तलसीदास की आतमदीपतित

तलसीदासजी न राचरिरतानस सपषट शबदो दासय भाव की भथिJ परवितपादिदत की ह -सवक सवय भाव विबन भव न तरिरय उरगारिर7

सा-सा राचरिरत ानस पराकतजन क गणगान की भतस1ना अनय क बड़पपन की असवीकवित ही ह यही यह कहना विक उनहोन राचरिरतानसrsquo की रचना lsquoसवानत सखायrsquo की ह अा1त तलसीदासजी क वयथिJतव की यह दीनविपत आज भी ह विवलकिसत करती ह

मानस क जीवन मलयो का मनोवजञातिनक पकष

इसक अनतग1त नोवजञाविनकता क सदभ1 राराजय को बतान का परयतन विकया गया हनोवजञाविनक अधययन स lsquoराराजयrsquo सपषटत तीन परकार ह मिलत ह (1) न परसाद (2) भौवितक सनहिधद और (3) वणा1शर वयवसथातलसीदासजी की दमिषट शासन का आदश1 भौवितक सनहिधद नही हन परसाद उसका हतवपण1 अग ह अत राराजय नषय ही नही पश भी बर भाव स J ह सहज शतर हाी और लिसह वहा एक सा रहत ह -

रहकिह एक सग गज पचानन

भौतितक समधदिधद

वसतत न सबधी य बहत कछ भौवितक परिरसथिसथवितया पर विनभ1र रहत ह भौवितक परिरसथिसथवितयो स विनरपकष सखी जन न की कपना नही की जा सकती दरिरदरता और अजञान की सथिसथवित न सयन की बात सोचना भी विनर1क ह

वणा)शरम वयव$ा

तलसीदासजी न साज वयवसथा-वणा1शर क परश क सदव नोवजञाविनक परिरणाो क परिरपाशव1 उठाया ह जिजस कारण स कथिलयग सतपत ह और राराजय तापJ ह - वह ह कथिलयग वणा1शर की अवानना और राराजय उसका परिरपालन

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 20: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

सा-सा तलसीदासजी न भथिJ और क1 की बात को भी विनदmiddotथिशत विकया हगोसवाी तलसीदासजी न भथिJ की विहा का उदधोरष करन क सा ही सा शभ क पर भी बल दिदया ह उनकी ानयता ह विक ससार क1 परधान ह यहा जो क1 करता ह वसा फल पाता ह -कर परधान विबरख करिर रखखाजो जस करिरए सो-तस फल चाखा8

आधतिनकता क सदभ) म ामाजय

राचरिरतानस उनहोन अपन सय शासक या शासन पर सीध कोई परहार नही विकया लविकन साानय रप स उनहोन शासको को कोसा ह जिजनक राजय परजा दखी रहती ह -जास राज विपरय परजा दखारीसो नप अवथिस नरक अमिधकारी9

अा1त यहा पर विवशरष रप स परजा को सरकषा परदान करन की कषता समपनन शासन की परशसा की ह अत रा ऐस ही स1 और सवचछ शासक ह और ऐसा राजय lsquoसराजrsquo का परतीक हराचरिरतानस वरभिणत राराजय क विवशचिभनन अग सsत ानवीय सख की कपना क आयोजन विवविनयJ ह राराजय का अ1 उन स विकसी एक अग स वयJ नही हो सकता विकसी एक को राराजय क कनदर ानकर शरष को परिरमिध का सथान दना भी अनथिचत होगा कयोविक ऐसा करन स उनकी पारसपरिरकता को सही सही नही सझा जा सकता इस परकार राराजय जिजस सथिसथवित का थिचतर अविकत हआ ह वह कल मिलाकर एक सखी और समपनन साज की सथिसथवित ह लविकन सख समपननता का अहसास तब तक विनर1क ह जब तक वह समिषट क सतर स आग आकर वयथिJश परसननता की पररक नही बन जाती इस परकार राराजय लोक गल की सथिसथवित क बीच वयथिJ क कवल कयाण का विवधान नही विकया गया ह इतना ही नही तलसीदासजी न राराजय अपवय तय क अभाव और शरीर क नीरोग रहन क सा ही पश पशचिकषयो क उनJ विवचरण और विनभक भाव स चहकन वयथिJगत सवततरता की उतसाहपण1 और उगभरी अशचिभवयJ को भी एक वाणी दी गई ह -

अभय चरकिह बन करकिह अनदासीतल सरशचिभ पवन वट दागजत अथिल ल चथिल-करदाrdquoइसस यह सपषट हो जाता ह विक राराजय एक ऐसी ानवीय सथिसथवित का दयोतक ह जिजस समिषट और वयमिषट दोनो सखी ह

सादशय विवधान एव नोवजञाविनकता तलसीदास क सादशय विवधान की विवशरषता यह नही ह विक वह मिघसा-विपटा ह बलकिक यह ह विक वह सहज ह वसतत राचरिरतानस क अत क विनकट राभथिJ क थिलए उनकी याचना परसतत विकय गय सादशय उनका लोकानभव झलक रहा ह -

कामिविह नारिर विपआरिर जिजमि लोशचिभविह विपरय जिजमि दावितमि रघना-विनरतर विपरय लागह ोविह राइस परकार परकवित वण1न भी वरषा1 का वण1न करत सय जब व पहाड़ो पर बद विगरन क दशय सतो दवारा खल-वचनो को सट जान की चचा1 सादशय क ही सहार ह मिलत ह

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 21: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

अत तलसीदासजी न अपन कावय की रचना कवल विवदगधजन क थिलए नही की ह विबना पढ थिलख लोगो की अपरथिशशचिकषत कावय रथिसकता की तनविपत की लिचता भी उनह ही ी जिजतनी विवजञजन कीइस परकार राचरिरतानस का नोवजञाविनक अधययन करन स यह ह जञात होता ह विक राचरिरत ानस कवल राकावय नही ह वह एक थिशव कावय भी ह हनान कावय भी ह वयापक ससकवित कावय भी ह थिशव विवराट भारत की एकता का परतीक भी ह तलसीदास क कावय की सय थिसधद लोकविपरयता इस बात का पराण ह विक उसी कावय रचना बहत बार आयाथिसत होन पर भी अनत सफरतित की विवरोधी नही उसकी एक परक रही ह विनससदह तलसीदास क कावय क लोकविपरयता का शरय बहत अशो उसकी अनतव1सत को ह अत सsतया तलसीदास रथिचत राचरिरत ानस एक सफल विवशववयापी हाकावय रहा ह

सनद काणड - ामचरितमानसPosted by सपादक- मिथिलश वानकर on January 16 2008

In तलसीदास Comment

सनद काणड - ामचरितमानस तलसीदास

शरीजानकीवलभो विवजयतशरीराचरिरतानस

पञच सोपानसनदरकाणडशलोक

शानत शाशवतपरयनघ विनवा1णशानविनतपरदबरहमाशमभफणीनदरसवयविनश वदानतवदय विवभ

रााखय जगदीशवर सरगर ायानषय हरिरवनदऽह करणाकर रघवर भपालचड़ाशचिण1

नानया सपहा रघपत हदयऽसदीयसतय वदामि च भवाननहिखलानतराता

भलिJ परयचछ रघपङगव विनभ1रा काादिददोरषरविहत कर ानस च2

अतथिलतबलधा हशलाभदहदनजवनकशान जञाविननाsगणयसकलगणविनधान वानराणाधीश

रघपवितविपरयभJ वातजात नामि3जावत क बचन सहाए सविन हनत हदय अवित भाए

तब लविग ोविह परिरखह तमह भाई सविह दख कद ल फल खाईजब लविग आवौ सीतविह दखी होइविह काज ोविह हररष विबसरषी

यह कविह नाइ सबनहिनह कह ाा चलउ हरविरष विहय धरिर रघनाा

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 22: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

लिसध तीर एक भधर सदर कौतक कदिद चढउ ता ऊपरबार बार रघबीर सभारी तरकउ पवनतनय बल भारी

जकिह विगरिर चरन दइ हनता चलउ सो गा पाताल तरताजिजमि अोघ रघपवित कर बाना एही भावित चलउ हनाना

जलविनमिध रघपवित दत विबचारी त नाक होविह शरहारीदो0- हनान तविह परसा कर पविन कीनह परना

रा काज कीनह विबन ोविह कहा विबशरा1जात पवनसत दवनह दखा जान कह बल बजिदध विबसरषासरसा ना अविहनह क ाता पठइनहिनह आइ कही तकिह बाता

आज सरनह ोविह दीनह अहारा सनत बचन कह पवनकारारा काज करिर विफरिर आवौ सीता कइ समिध परभविह सनावौ

तब तव बदन पदिठहउ आई सतय कहउ ोविह जान द ाईकबनह जतन दइ नकिह जाना sसथिस न ोविह कहउ हनानाजोजन भरिर तकिह बदन पसारा कविप तन कीनह दगन विबसतारासोरह जोजन ख तकिह ठयऊ तरत पवनसत बशचिततस भयऊजस जस सरसा बदन बढावा तास दन कविप रप दखावा

सत जोजन तकिह आनन कीनहा अवित लघ रप पवनसत लीनहाबदन पइदिठ पविन बाहर आवा ागा विबदा ताविह थिसर नावा

ोविह सरनह जविह लाविग पठावा बमिध बल र तोर पावादो0-रा काज सब करिरहह तमह बल बजिदध विनधान

आथिसरष दह गई सो हरविरष चलउ हनान2विनथिसचरिर एक लिसध ह रहई करिर ाया नभ क खग गहईजीव जत ज गगन उड़ाही जल विबलोविक वितनह क परिरछाहीगहइ छाह सक सो न उड़ाई एविह विबमिध सदा गगनचर खाई

सोइ छल हनान कह कीनहा तास कपट कविप तरतकिह चीनहाताविह ारिर ारतसत बीरा बारिरमिध पार गयउ वितधीरातहा जाइ दखी बन सोभा गजत चचरीक ध लोभा

नाना तर फल फल सहाए खग ग बद दनहिख न भाएसल विबसाल दनहिख एक आग ता पर धाइ च~उ भय तयाग

उा न कछ कविप क अमिधकाई परभ परताप जो कालविह खाईविगरिर पर चदि~ लका तकिह दखी कविह न जाइ अवित दग1 विबसरषीअवित उतग जलविनमिध चह पासा कनक कोट कर पर परकासा

छ=कनक कोट विबथिचतर विन कत सदरायतना घनाचउहटट हटट सबटट बीी चार पर बह विबमिध बना

गज बाजिज खचचर विनकर पदचर र बरथिनह को गनबहरप विनथिसचर ज अवितबल सन बरनत नकिह बन

बन बाग उपबन बादिटका सर कप बापी सोहहीनर नाग सर गधब1 कनया रप विन न ोहही

कह ाल दह विबसाल सल सान अवितबल गज1हीनाना अखारनह शचिभरकिह बह विबमिध एक एकनह तज1ही

करिर जतन भट कोदिटनह विबकट तन नगर चह दिदथिस रचछहीकह विहरष ानरष धन खर अज खल विनसाचर भचछही

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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Page 23: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

एविह लाविग तलसीदास इनह की का कछ एक ह कहीरघबीर सर तीर सरीरनहिनह तयाविग गवित पहकिह सही3

दो0-पर रखवार दनहिख बह कविप न कीनह विबचारअवित लघ रप धरौ विनथिस नगर करौ पइसार3सक सान रप कविप धरी लकविह चलउ समिरिर

नरहरीना लविकनी एक विनथिसचरी सो कह चलथिस ोविह किनदरीजानविह नही र सठ ोरा ोर अहार जहा लविग चोरादिठका एक हा कविप हनी रमिधर बत धरनी ~ननी

पविन सभारिर उदिठ सो लका जोरिर पाविन कर विबनय ससकाजब रावनविह बरहम बर दीनहा चलत विबरथिच कहा ोविह चीनहाविबकल होथिस त कविप क ार तब जानस विनथिसचर सघार

तात ोर अवित पनय बहता दखउ नयन रा कर दतादो0-तात सवग1 अपबग1 सख धरिरअ तला एक अग

तल न ताविह सकल मिथिल जो सख लव सतसग4

परविबथिस नगर कीज सब काजा हदय रानहिख कौसलपर राजागरल सधा रिरप करकिह मिताई गोपद लिसध अनल थिसतलाईगरड़ सर रन स ताही रा कपा करिर थिचतवा जाही

अवित लघ रप धरउ हनाना पठा नगर समिरिर भगवानादिदर दिदर परवित करिर सोधा दख जह तह अगविनत जोधा

गयउ दसानन दिदर ाही अवित विबथिचतर कविह जात सो नाहीसयन विकए दखा कविप तही दिदर ह न दीनहिख बदही

भवन एक पविन दीख सहावा हरिर दिदर तह शचिभनन बनावादो0-राायध अविकत गह सोभा बरविन न जाइ

नव तलथिसका बद तह दनहिख हरविरष कविपराइ5

लका विनथिसचर विनकर विनवासा इहा कहा सजजन कर बासान ह तरक कर कविप लागा तही सय विबभीरषन जागा

रा रा तकिह समिरन कीनहा हदय हररष कविप सजजन चीनहाएविह सन हदिठ करिरहउ पविहचानी साध त होइ न कारज हानीविबपर रप धरिर बचन सनाए सनत विबभीरषण उदिठ तह आएकरिर परना पछी कसलाई विबपर कहह विनज का बझाईकी तमह हरिर दासनह ह कोई ोर हदय परीवित अवित होईकी तमह रा दीन अनरागी आयह ोविह करन बड़भागी

दो0-तब हनत कही सब रा का विनज नासनत जगल तन पलक न गन समिरिर गन sा6

सनह पवनसत रहविन हारी जिजमि दसननहिनह ह जीभ विबचारीतात कबह ोविह जाविन अनाा करिरहकिह कपा भानकल नाा

तास तन कछ साधन नाही परीवित न पद सरोज न ाही

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 24: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

अब ोविह भा भरोस हनता विबन हरिरकपा मिलकिह नकिह सताजौ रघबीर अनsह कीनहा तौ तमह ोविह दरस हदिठ दीनहासनह विबभीरषन परभ क रीती करकिह सदा सवक पर परीती

कहह कवन पर कलीना कविप चचल सबही विबमिध हीनापरात लइ जो ना हारा तविह दिदन ताविह न मिल अहारा

दो0-अस अध सखा सन ोह पर रघबीरकीनही कपा समिरिर गन भर विबलोचन नीर7

जानतह अस सवामि विबसारी विफरकिह त काह न होकिह दखारीएविह विबमिध कहत रा गन sाा पावा अविनबा1चय विबशराा

पविन सब का विबभीरषन कही जविह विबमिध जनकसता तह रहीतब हनत कहा सन भराता दखी चहउ जानकी ाता

जगवित विबभीरषन सकल सनाई चलउ पवनसत विबदा कराईकरिर सोइ रप गयउ पविन तहवा बन असोक सीता रह जहवादनहिख नविह ह कीनह परनाा बठकिह बीवित जात विनथिस जााकस तन सीस जटा एक बनी जपवित हदय रघपवित गन शरनी

दो0-विनज पद नयन दिदए न रा पद कल लीनपर दखी भा पवनसत दनहिख जानकी दीन8

तर पलव ह रहा लकाई करइ विबचार करौ का भाईतविह अवसर रावन तह आवा सग नारिर बह विकए बनावा

बह विबमिध खल सीतविह सझावा सा दान भय भद दखावाकह रावन सन सनहिख सयानी दोदरी आदिद सब रानीतव अनचरी करउ पन ोरा एक बार विबलोक ओरा

तन धरिर ओट कहवित बदही समिरिर अवधपवित पर सनहीसन दसख खदयोत परकासा कबह विक नथिलनी करइ विबकासाअस न सझ कहवित जानकी खल समिध नकिह रघबीर बान की

सठ सन हरिर आनविह ोविह अध विनलजज लाज नकिह तोहीदो0- आपविह सविन खदयोत स राविह भान सान

पररष बचन सविन कादिढ अथिस बोला अवित नहिखथिसआन9

सीता त कत अपाना कदिटहउ तव थिसर कदिठन कपानानाकिह त सपदिद ान बानी सनहिख होवित न त जीवन हानीसया सरोज दा स सदर परभ भज करिर कर स दसकधरसो भज कठ विक तव अथिस घोरा सन सठ अस परवान पन ोरा

चदरहास हर परिरताप रघपवित विबरह अनल सजातसीतल विनथिसत बहथिस बर धारा कह सीता हर दख भारासनत बचन पविन ारन धावा यतनया कविह नीवित बझावा

कहथिस सकल विनथिसचरिरनह बोलाई सीतविह बह विबमिध तरासह जाई

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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Page 25: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

ास दिदवस ह कहा न ाना तौ ारविब कादिढ कपानादो0-भवन गयउ दसकधर इहा विपसाथिचविन बद

सीतविह तरास दखावविह धरकिह रप बह द10

वितरजटा ना राचछसी एका रा चरन रवित विनपन विबबकासबनहौ बोथिल सनाएथिस सपना सीतविह सइ करह विहत अपना

सपन बानर लका जारी जातधान सना सब ारीखर आरढ नगन दससीसा विडत थिसर खविडत भज बीसाएविह विबमिध सो दसथिचछन दिदथिस जाई लका नह विबभीरषन पाई

नगर विफरी रघबीर दोहाई तब परभ सीता बोथिल पठाईयह सपना कहउ पकारी होइविह सतय गए दिदन चारी

तास बचन सविन त सब डरी जनकसता क चरननहिनह परीदो0-जह तह गई सकल तब सीता कर न सोच

ास दिदवस बीत ोविह ारिरविह विनथिसचर पोच11

वितरजटा सन बोली कर जोरी ात विबपवित सविगविन त ोरीतजौ दह कर बविग उपाई दसह विबरह अब नकिह सविह जाईआविन काठ रच थिचता बनाई ात अनल पविन दविह लगाई

सतय करविह परीवित सयानी सन को शरवन सल स बानीसनत बचन पद गविह सझाएथिस परभ परताप बल सजस सनाएथिस

विनथिस न अनल मिल सन सकारी अस कविह सो विनज भवन थिसधारीकह सीता विबमिध भा परवितकला मिलविह न पावक मिदिटविह न सला

दनहिखअत परगट गगन अगारा अवविन न आवत एकउ तारापावकय सथिस सतरवत न आगी ानह ोविह जाविन हतभागी

सनविह विबनय विबटप असोका सतय ना कर हर सोकानतन विकसलय अनल साना दविह अविगविन जविन करविह विनदानादनहिख पर विबरहाकल सीता सो छन कविपविह कलप स बीता

सो0-कविप करिर हदय विबचार दीनहिनह दिदरका डारी तबजन असोक अगार दीनहिनह हरविरष उदिठ कर गहउ12

तब दखी दिदरका नोहर रा ना अविकत अवित सदरचविकत थिचतव दरी पविहचानी हररष विबरषाद हदय अकलानीजीवित को सकइ अजय रघराई ाया त अथिस रथिच नकिह जाई

सीता न विबचार कर नाना धर बचन बोलउ हनानाराचदर गन बरन लागा सनतकिह सीता कर दख भागालागी सन शरवन न लाई आदिदह त सब का सनाई

शरवनात जकिह का सहाई कविह सो परगट होवित विकन भाईतब हनत विनकट चथिल गयऊ विफरिर बठी न विबसय भयऊ

रा दत ात जानकी सतय सप करनाविनधान कीयह दिदरका ात आनी दीनहिनह रा तमह कह सविहदानी

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 26: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

नर बानरविह सग कह कस कविह का भइ सगवित जसदो0-कविप क बचन सपर सविन उपजा न विबसवास

जाना न कर बचन यह कपालिसध कर दास13हरिरजन जाविन परीवित अवित गाढी सजल नयन पलकावथिल बाढी

बड़त विबरह जलमिध हनाना भयउ तात ो कह जलजानाअब कह कसल जाउ बथिलहारी अनज सविहत सख भवन खरारी

कोलथिचत कपाल रघराई कविप कविह हत धरी विनठराईसहज बाविन सवक सख दायक कबहक सरवित करत रघनायककबह नयन सीतल ताता होइहविह विनरनहिख सया द गाता

बचन न आव नयन भर बारी अहह ना हौ विनपट विबसारीदनहिख पर विबरहाकल सीता बोला कविप द बचन विबनीता

ात कसल परभ अनज सता तव दख दखी सकपा विनकताजविन जननी ानह जिजय ऊना तमह त पर रा क दना

दो0-रघपवित कर सदस अब सन जननी धरिर धीरअस कविह कविप गद गद भयउ भर विबलोचन नीर14कहउ रा विबयोग तव सीता ो कह सकल भए

विबपरीतानव तर विकसलय नह कसान कालविनसा स विनथिस सथिस भानकबलय विबविपन कत बन सरिरसा बारिरद तपत तल जन बरिरसा

ज विहत रह करत तइ पीरा उरग सवास स वितरविबध सीराकहह त कछ दख घदिट होई काविह कहौ यह जान न कोईततव पर कर अर तोरा जानत विपरया एक न ोरा

सो न सदा रहत तोविह पाही जान परीवित रस एतनविह ाहीपरभ सदस सनत बदही गन पर तन समिध नकिह तही

कह कविप हदय धीर धर ाता समिर रा सवक सखदाताउर आनह रघपवित परभताई सविन बचन तजह कदराई

दो0-विनथिसचर विनकर पतग स रघपवित बान कसानजननी हदय धीर धर जर विनसाचर जान15जौ रघबीर होवित समिध पाई करत नकिह विबलब रघराई

राबान रविब उए जानकी त बर कह जातधान कीअबकिह ात जाउ लवाई परभ आयस नकिह रा दोहाई

कछक दिदवस जननी धर धीरा कविपनह सविहत अइहकिह रघबीराविनथिसचर ारिर तोविह ल जहकिह वितह पर नारदादिद जस गहकिह

ह सत कविप सब तमहविह साना जातधान अवित भट बलवानाोर हदय पर सदहा सविन कविप परगट कीनह विनज दहाकनक भधराकार सरीरा सर भयकर अवितबल बीरा

सीता न भरोस तब भयऊ पविन लघ रप पवनसत लयऊदो0-सन ाता साखाग नकिह बल बजिदध विबसाल

परभ परताप त गरड़विह खाइ पर लघ बयाल16

न सतोरष सनत कविप बानी भगवित परताप तज बल सानीआथिसरष दीनहिनह राविपरय जाना होह तात बल सील विनधाना

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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Page 27: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

अजर अर गनविनमिध सत होह करह बहत रघनायक छोहकरह कपा परभ अस सविन काना विनभ1र पर गन हनानाबार बार नाएथिस पद सीसा बोला बचन जोरिर कर कीसा

अब कतकतय भयउ ाता आथिसरष तव अोघ विबखयातासनह ात ोविह अवितसय भखा लाविग दनहिख सदर फल रखासन सत करकिह विबविपन रखवारी पर सभट रजनीचर भारी

वितनह कर भय ाता ोविह नाही जौ तमह सख ानह न ाहीदो0-दनहिख बजिदध बल विनपन कविप कहउ जानकी जाहरघपवित चरन हदय धरिर तात धर फल खाह17

चलउ नाइ थिसर पठउ बागा फल खाएथिस तर तोर लागारह तहा बह भट रखवार कछ ारथिस कछ जाइ पकार

ना एक आवा कविप भारी तकिह असोक बादिटका उजारीखाएथिस फल अर विबटप उपार रचछक रदिद रदिद विह डारसविन रावन पठए भट नाना वितनहविह दनहिख गजmiddotउ हनाना

सब रजनीचर कविप सघार गए पकारत कछ अधारपविन पठयउ तकिह अचछकारा चला सग ल सभट अपाराआवत दनहिख विबटप गविह तजा1 ताविह विनपावित हाधविन गजा1

दो0-कछ ारथिस कछ दmiddotथिस कछ मिलएथिस धरिर धरिरकछ पविन जाइ पकार परभ क1 ट बल भरिर18

सविन सत बध लकस रिरसाना पठएथिस घनाद बलवानाारथिस जविन सत बाधस ताही दनहिखअ कविपविह कहा कर आहीचला इदरजिजत अतथिलत जोधा बध विनधन सविन उपजा करोधा

कविप दखा दारन भट आवा कटकटाइ गजा1 अर धावाअवित विबसाल तर एक उपारा विबर कीनह लकस कारारह हाभट ताक सगा गविह गविह कविप द1इ विनज अगा

वितनहविह विनपावित ताविह सन बाजा शचिभर जगल ानह गजराजादिठका ारिर चढा तर जाई ताविह एक छन रछा आई

उदिठ बहोरिर कीनहिनहथिस बह ाया जीवित न जाइ परभजन जायादो0-बरहम असतर तकिह साधा कविप न कीनह विबचारजौ न बरहमसर ानउ विहा मिटइ अपार19

बरहमबान कविप कह तविह ारा परवितह बार कटक सघारातविह दखा कविप रथिछत भयऊ नागपास बाधथिस ल गयऊजास ना जविप सनह भवानी भव बधन काटकिह नर गयानी

तास दत विक बध तर आवा परभ कारज लविग कविपकिह बधावाकविप बधन सविन विनथिसचर धाए कौतक लाविग सभा सब आए

दसख सभा दीनहिख कविप जाई कविह न जाइ कछ अवित परभताई

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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  • तलसीदास की रचनाए
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Page 28: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

कर जोर सर दिदथिसप विबनीता भकदिट विबलोकत सकल सभीतादनहिख परताप न कविप न सका जिजमि अविहगन ह गरड़ असका

दो0-कविपविह विबलोविक दसानन विबहसा कविह दबा1दसत बध सरवित कीनहिनह पविन उपजा हदय विबरषाद20

कह लकस कवन त कीसा ककिह क बल घालविह बन खीसाकी धौ शरवन सनविह नकिह ोही दखउ अवित असक सठ तोहीार विनथिसचर ककिह अपराधा कह सठ तोविह न परान कइ बाधा

सन रावन बरहमाड विनकाया पाइ जास बल विबरथिचत ायाजाक बल विबरथिच हरिर ईसा पालत सजत हरत दससीसा

जा बल सीस धरत सहसानन अडकोस सत विगरिर काननधरइ जो विबविबध दह सरतराता तमह त सठनह थिसखावन दाताहर कोदड कदिठन जविह भजा तविह सत नप दल द गजाखर दरषन वितरथिसरा अर बाली बध सकल अतथिलत बलसाली

दो0-जाक बल लवलस त जिजतह चराचर झारिरतास दत जा करिर हरिर आनह विपरय नारिर21

जानउ तमहारिर परभताई सहसबाह सन परी लराईसर बाथिल सन करिर जस पावा सविन कविप बचन विबहथिस विबहरावा

खायउ फल परभ लागी भखा कविप सभाव त तोरउ रखासब क दह पर विपरय सवाी ारकिह ोविह कारग गाीजिजनह ोविह ारा त ार तविह पर बाधउ तनय तमहार

ोविह न कछ बाध कइ लाजा कीनह चहउ विनज परभ कर काजाविबनती करउ जोरिर कर रावन सनह ान तजिज ोर थिसखावन

दखह तमह विनज कलविह विबचारी भर तजिज भजह भगत भय हारीजाक डर अवित काल डराई जो सर असर चराचर खाईतासो बयर कबह नकिह कीज ोर कह जानकी दीज

दो0-परनतपाल रघनायक करना लिसध खरारिरगए सरन परभ रानहिखह तव अपराध विबसारिर22

रा चरन पकज उर धरह लका अचल राज तमह करहरिरविरष पथिलसत जस विबल यका तविह सथिस ह जविन होह कलका

रा ना विबन विगरा न सोहा दख विबचारिर तयाविग द ोहाबसन हीन नकिह सोह सरारी सब भरषण भविरषत बर नारी

रा विबख सपवित परभताई जाइ रही पाई विबन पाईसजल ल जिजनह सरिरतनह नाही बरविरष गए पविन तबकिह सखाही

सन दसकठ कहउ पन रोपी विबख रा तराता नकिह कोपीसकर सहस विबषन अज तोही सककिह न रानहिख रा कर दरोही

दो0-ोहल बह सल परद तयागह त अशचिभान

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
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Page 29: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

भजह रा रघनायक कपा लिसध भगवान23

जदविप कविह कविप अवित विहत बानी भगवित विबबक विबरवित नय सानीबोला विबहथिस हा अशचिभानी मिला हविह कविप गर बड़ गयानी

तय विनकट आई खल तोही लागथिस अध थिसखावन ोहीउलटा होइविह कह हनाना वितभर तोर परगट जाना

सविन कविप बचन बहत नहिखथिसआना बविग न हरह ढ कर परानासनत विनसाचर ारन धाए सथिचवनह सविहत विबभीरषन आएनाइ सीस करिर विबनय बहता नीवित विबरोध न ारिरअ दताआन दड कछ करिरअ गोसाई सबही कहा तर भल भाईसनत विबहथिस बोला दसकधर अग भग करिर पठइअ बदर

दो-कविप क ता पछ पर सबविह कहउ सझाइतल बोरिर पट बामिध पविन पावक दह लगाइ24

पछहीन बानर तह जाइविह तब सठ विनज नाविह लइ आइविहजिजनह क कीनहथिस बहत बड़ाई दखउucirc वितनह क परभताईबचन सनत कविप न सकाना भइ सहाय सारद जाना

जातधान सविन रावन बचना लाग रच ढ सोइ रचनारहा न नगर बसन घत तला बाढी पछ कीनह कविप खलाकौतक कह आए परबासी ारकिह चरन करकिह बह हासीबाजकिह ~ोल दकिह सब तारी नगर फरिर पविन पछ परजारीपावक जरत दनहिख हनता भयउ पर लघ रप तरता

विनबविक चढउ कविप कनक अटारी भई सभीत विनसाचर नारीदो0-हरिर पररिरत तविह अवसर चल रत उनचास

अटटहास करिर गज1 eacuteाा कविप बदिढ लाग अकास25दह विबसाल पर हरआई दिदर त दिदर चढ धाईजरइ नगर भा लोग विबहाला झपट लपट बह कोदिट करालातात ात हा सविनअ पकारा एविह अवसर को हविह उबाराह जो कहा यह कविप नकिह होई बानर रप धर सर कोईसाध अवगया कर फल ऐसा जरइ नगर अना कर जसाजारा नगर विनमिरष एक ाही एक विबभीरषन कर गह नाही

ता कर दत अनल जकिह थिसरिरजा जरा न सो तविह कारन विगरिरजाउलदिट पलदिट लका सब जारी कदिद परा पविन लिसध झारी

दो0-पछ बझाइ खोइ शर धरिर लघ रप बहोरिरजनकसता क आग ठाढ भयउ कर जोरिर26ात ोविह दीज कछ चीनहा जस रघनायक ोविह दीनहा

चड़ाविन उतारिर तब दयऊ हररष सत पवनसत लयऊकहह तात अस ोर परनाा सब परकार परभ परनकाादीन दयाल विबरिरद सभारी हरह ना सकट भारी

तात सकरसत का सनाएह बान परताप परभविह सझाएहास दिदवस ह ना न आवा तौ पविन ोविह जिजअत नकिह पावाकह कविप कविह विबमिध राखौ पराना तमहह तात कहत अब जाना

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
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Page 30: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

तोविह दनहिख सीतथिल भइ छाती पविन ो कह सोइ दिदन सो रातीदो0-जनकसतविह सझाइ करिर बह विबमिध धीरज दीनह

चरन कल थिसर नाइ कविप गवन रा पकिह कीनह27चलत हाधविन गजmiddotथिस भारी गभ1 सतरवकिह सविन विनथिसचर नारी

नामिघ लिसध एविह पारविह आवा सबद विकलविकला कविपनह सनावाहररष सब विबलोविक हनाना नतन जन कविपनह तब जानाख परसनन तन तज विबराजा कीनहथिस राचनदर कर काजा

मिल सकल अवित भए सखारी तलफत ीन पाव जिजमि बारीचल हरविरष रघनायक पासा पछत कहत नवल इवितहासातब धबन भीतर सब आए अगद सत ध फल खाए

रखवार जब बरजन लाग मिषट परहार हनत सब भागदो0-जाइ पकार त सब बन उजार जबराज

सविन सsीव हररष कविप करिर आए परभ काज28

जौ न होवित सीता समिध पाई धबन क फल सककिह विक खाईएविह विबमिध न विबचार कर राजा आइ गए कविप सविहत साजाआइ सबनहिनह नावा पद सीसा मिलउ सबनहिनह अवित पर कपीसा

पछी कसल कसल पद दखी रा कपा भा काज विबसरषीना काज कीनहउ हनाना राख सकल कविपनह क पराना

सविन सsीव बहरिर तविह मिलऊ कविपनह सविहत रघपवित पकिह चलऊरा कविपनह जब आवत दखा विकए काज न हररष विबसरषाफदिटक थिसला बठ दवौ भाई पर सकल कविप चरननहिनह जाई

दो0-परीवित सविहत सब भट रघपवित करना पजपछी कसल ना अब कसल दनहिख पद कज29

जावत कह सन रघराया जा पर ना करह तमह दायाताविह सदा सभ कसल विनरतर सर नर विन परसनन ता ऊपरसोइ विबजई विबनई गन सागर तास सजस तरलोक उजागर

परभ की कपा भयउ सब काज जन हार सफल भा आजना पवनसत कीनहिनह जो करनी सहसह ख न जाइ सो बरनी

पवनतनय क चरिरत सहाए जावत रघपवितविह सनाएसनत कपाविनमिध न अवित भाए पविन हनान हरविरष विहय लाएकहह तात कविह भावित जानकी रहवित करवित रचछा सवपरान की

दो0-ना पाहर दिदवस विनथिस धयान तमहार कपाटलोचन विनज पद जवितरत जाकिह परान ककिह बाट30

चलत ोविह चड़ाविन दीनही रघपवित हदय लाइ सोइ लीनहीना जगल लोचन भरिर बारी बचन कह कछ जनककारी

अनज सत गहह परभ चरना दीन बध परनतारवित हरनान कर बचन चरन अनरागी कविह अपराध ना हौ तयागी

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 31: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

अवगन एक ोर ाना विबछरत परान न कीनह पयानाना सो नयननहिनह को अपराधा विनसरत परान करिरकिह हदिठ बाधाविबरह अविगविन तन तल सीरा सवास जरइ छन ाकिह सरीरानयन सतरवविह जल विनज विहत लागी जर न पाव दह विबरहागी

सीता क अवित विबपवित विबसाला विबनकिह कह भथिल दीनदयालादो0-विनमिरष विनमिरष करनाविनमिध जाकिह कलप स बीवित

बविग चथिलय परभ आविनअ भज बल खल दल जीवित31

सविन सीता दख परभ सख अयना भरिर आए जल राजिजव नयनाबचन काय न गवित जाही सपनह बजिझअ विबपवित विक ताही

कह हनत विबपवित परभ सोई जब तव समिरन भजन न होईकवितक बात परभ जातधान की रिरपविह जीवित आविनबी जानकी

सन कविप तोविह सान उपकारी नकिह कोउ सर नर विन तनधारीपरवित उपकार करौ का तोरा सनख होइ न सकत न ोरा

सन सत उरिरन नाही दखउ करिर विबचार न ाहीपविन पविन कविपविह थिचतव सरतराता लोचन नीर पलक अवित गाता

दो0-सविन परभ बचन विबलोविक ख गात हरविरष हनतचरन परउ पराकल तराविह तराविह भगवत32

बार बार परभ चहइ उठावा पर गन तविह उठब न भावापरभ कर पकज कविप क सीसा समिरिर सो दसा गन गौरीसासावधान न करिर पविन सकर लाग कहन का अवित सदरकविप उठाइ परभ हदय लगावा कर गविह पर विनकट बठावा

कह कविप रावन पाथिलत लका कविह विबमिध दहउ दग1 अवित बकापरभ परसनन जाना हनाना बोला बचन विबगत अशचिभाना

साखाग क बविड़ नसाई साखा त साखा पर जाईनामिघ लिसध हाटकपर जारा विनथिसचर गन विबमिध विबविपन उजारा

सो सब तव परताप रघराई ना न कछ ोरिर परभताईदो0- ता कह परभ कछ अग नकिह जा पर तमह अनकल

तब परभाव बड़वानलकिह जारिर सकइ खल तल33

ना भगवित अवित सखदायनी दह कपा करिर अनपायनीसविन परभ पर सरल कविप बानी एवसत तब कहउ भवानीउा रा सभाउ जकिह जाना ताविह भजन तजिज भाव न आनायह सवाद जास उर आवा रघपवित चरन भगवित सोइ पावा

सविन परभ बचन कहकिह कविपबदा जय जय जय कपाल सखकदातब रघपवित कविपपवितविह बोलावा कहा चल कर करह बनावाअब विबलब कविह कारन कीज तरत कविपनह कह आयस दीजकौतक दनहिख सन बह बररषी नभ त भवन चल सर हररषी

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 32: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

दो0-कविपपवित बविग बोलाए आए जप जनाना बरन अतल बल बानर भाल बर34

परभ पद पकज नावकिह सीसा गरजकिह भाल हाबल कीसादखी रा सकल कविप सना थिचतइ कपा करिर राजिजव ननारा कपा बल पाइ ककिपदा भए पचछजत नह विगरिरदाहरविरष रा तब कीनह पयाना सगन भए सदर सभ नानाजास सकल गलय कीती तास पयान सगन यह नीतीपरभ पयान जाना बदही फरविक बा अग जन कविह दही

जोइ जोइ सगन जानविकविह होई असगन भयउ रावनविह सोईचला कटक को बरन पारा गज1विह बानर भाल अपारा

नख आयध विगरिर पादपधारी चल गगन विह इचछाचारीकहरिरनाद भाल कविप करही डगगाकिह दिदगगज थिचककरहीछ0-थिचककरकिह दिदगगज डोल विह विगरिर लोल सागर खरभर

न हररष सभ गधब1 सर विन नाग विकननर दख टरकटकटकिह क1 ट विबकट भट बह कोदिट कोदिटनह धावहीजय रा परबल परताप कोसलना गन गन गावही1

सविह सक न भार उदार अविहपवित बार बारकिह ोहईगह दसन पविन पविन कठ पषट कठोर सो विकमि सोहई

रघबीर रथिचर परयान परसथिसथवित जाविन पर सहावनीजन कठ खप1र सप1राज सो थिलखत अविबचल पावनी2

दो0-एविह विबमिध जाइ कपाविनमिध उतर सागर तीरजह तह लाग खान फल भाल विबपल कविप बीर35

उहा विनसाचर रहकिह ससका जब त जारिर गयउ कविप लकाविनज विनज गह सब करकिह विबचारा नकिह विनथिसचर कल कर उबारा

जास दत बल बरविन न जाई तविह आए पर कवन भलाईदतनहिनह सन सविन परजन बानी दोदरी अमिधक अकलानी

रहथिस जोरिर कर पवित पग लागी बोली बचन नीवित रस पागीकत कररष हरिर सन परिरहरह ोर कहा अवित विहत विहय धरहसझत जास दत कइ करनी सतरवही गभ1 रजनीचर धरनी

तास नारिर विनज सथिचव बोलाई पठवह कत जो चहह भलाईतब कल कल विबविपन दखदाई सीता सीत विनसा स आईसनह ना सीता विबन दीनह विहत न तमहार सभ अज कीनह

दो0-रा बान अविह गन सरिरस विनकर विनसाचर भकजब लविग sसत न तब लविग जतन करह तजिज टक36

शरवन सनी सठ ता करिर बानी विबहसा जगत विबदिदत अशचिभानीसभय सभाउ नारिर कर साचा गल ह भय न अवित काचा

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 33: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

जौ आवइ क1 ट कटकाई जिजअकिह विबचार विनथिसचर खाईकपकिह लोकप जाकी तरासा तास नारिर सभीत बविड़ हासा

अस कविह विबहथिस ताविह उर लाई चलउ सभा ता अमिधकाईदोदरी हदय कर लिचता भयउ कत पर विबमिध विबपरीताबठउ सभा खबरिर अथिस पाई लिसध पार सना सब आई

बझथिस सथिचव उथिचत त कहह त सब हस षट करिर रहहजिजतह सरासर तब शर नाही नर बानर कविह लख ाही

दो0-सथिचव बद गर तीविन जौ विपरय बोलकिह भय आसराज ध1 तन तीविन कर होइ बविगही नास37

सोइ रावन कह बविन सहाई असतवित करकिह सनाइ सनाईअवसर जाविन विबभीरषन आवा भराता चरन सीस तकिह नावा

पविन थिसर नाइ बठ विनज आसन बोला बचन पाइ अनसासनजौ कपाल पथिछह ोविह बाता वित अनरप कहउ विहत ताताजो आपन चाह कयाना सजस सवित सभ गवित सख नाना

सो परनारिर थिललार गोसाई तजउ चउथि क चद विक नाईचौदह भवन एक पवित होई भतदरोह वितषटइ नकिह सोई

गन सागर नागर नर जोऊ अलप लोभ भल कहइ न कोऊदो0- का करोध द लोभ सब ना नरक क प

सब परिरहरिर रघबीरविह भजह भजकिह जविह सत38

तात रा नकिह नर भपाला भवनसवर कालह कर कालाबरहम अनाय अज भगवता बयापक अजिजत अनादिद अनता

गो विदवज धन दव विहतकारी कपालिसध ानरष तनधारीजन रजन भजन खल बराता बद ध1 रचछक सन भराताताविह बयर तजिज नाइअ ाा परनतारवित भजन रघनाा

दह ना परभ कह बदही भजह रा विबन हत सनहीसरन गए परभ ताह न तयागा विबसव दरोह कत अघ जविह लागा

जास ना तरय ताप नसावन सोइ परभ परगट सझ जिजय रावनदो0-बार बार पद लागउ विबनय करउ दससीस

परिरहरिर ान ोह द भजह कोसलाधीस39(क)विन पललकिसत विनज थिसषय सन कविह पठई यह बात

तरत सो परभ सन कही पाइ सअवसर तात39(ख)

ायवत अवित सथिचव सयाना तास बचन सविन अवित सख ानातात अनज तव नीवित विबभरषन सो उर धरह जो कहत विबभीरषन

रिरप उतकररष कहत सठ दोऊ दरिर न करह इहा हइ कोऊायवत गह गयउ बहोरी कहइ विबभीरषन पविन कर जोरी

सवित कवित सब क उर रहही ना परान विनग अस कहही

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

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Page 34: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

जहा सवित तह सपवित नाना जहा कवित तह विबपवित विनदानातव उर कवित बसी विबपरीता विहत अनविहत ानह रिरप परीता

कालरावित विनथिसचर कल करी तविह सीता पर परीवित घनरीदो0-तात चरन गविह ागउ राखह ोर दलारसीत दह रा कह अविहत न होइ तमहार40

बध परान शरवित सत बानी कही विबभीरषन नीवित बखानीसनत दसानन उठा रिरसाई खल तोविह विनकट तय अब आई

जिजअथिस सदा सठ ोर जिजआवा रिरप कर पचछ ढ तोविह भावाकहथिस न खल अस को जग ाही भज बल जाविह जिजता नाही पर बथिस तपथिसनह पर परीती सठ मिल जाइ वितनहविह कह नीती

अस कविह कीनहथिस चरन परहारा अनज गह पद बारकिह बाराउा सत कइ इहइ बड़ाई द करत जो करइ भलाई

तमह विपत सरिरस भलकिह ोविह ारा रा भज विहत ना तमहारासथिचव सग ल नभ प गयऊ सबविह सनाइ कहत अस भयऊ

दो0=रा सतयसकप परभ सभा कालबस तोरिर रघबीर सरन अब जाउ दह जविन खोरिर41

अस कविह चला विबभीरषन जबही आयहीन भए सब तबहीसाध अवगया तरत भवानी कर कयान अनहिखल क हानी

रावन जबकिह विबभीरषन तयागा भयउ विबभव विबन तबकिह अभागाचलउ हरविरष रघनायक पाही करत नोर बह न ाही

दनहिखहउ जाइ चरन जलजाता अरन दल सवक सखदाताज पद परथिस तरी रिरविरषनारी दडक कानन पावनकारीज पद जनकसता उर लाए कपट करग सग धर धाएहर उर सर सरोज पद जई अहोभागय दनहिखहउ तईदो0= जिजनह पायनह क पादकनहिनह भरत रह न लाइ

त पद आज विबलोविकहउ इनह नयननहिनह अब जाइ42

एविह विबमिध करत सपर विबचारा आयउ सपदिद लिसध एकिह पाराकविपनह विबभीरषन आवत दखा जाना कोउ रिरप दत विबसरषाताविह रानहिख कपीस पकिह आए साचार सब ताविह सनाए

कह सsीव सनह रघराई आवा मिलन दसानन भाईकह परभ सखा बजिझऐ काहा कहइ कपीस सनह नरनाहाजाविन न जाइ विनसाचर ाया कारप कविह कारन आयाभद हार लन सठ आवा रानहिखअ बामिध ोविह अस भावासखा नीवित तमह नीविक विबचारी पन सरनागत भयहारीसविन परभ बचन हररष हनाना सरनागत बचछल भगवाना

दो0=सरनागत कह ज तजकिह विनज अनविहत अनाविन

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 35: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

त नर पावर पापय वितनहविह विबलोकत हाविन43

कोदिट विबपर बध लागकिह जाह आए सरन तजउ नकिह ताहसनख होइ जीव ोविह जबही जन कोदिट अघ नासकिह तबही

पापवत कर सहज सभाऊ भजन ोर तविह भाव न काऊजौ प दषटहदय सोइ होई ोर सनख आव विक सोई

विन1ल न जन सो ोविह पावा ोविह कपट छल थिछदर न भावाभद लन पठवा दससीसा तबह न कछ भय हाविन कपीसा

जग ह सखा विनसाचर जत लथिछन हनइ विनमिरष ह ततजौ सभीत आवा सरनाई रनहिखहउ ताविह परान की नाई

दो0=उभय भावित तविह आनह हथिस कह कपाविनकतजय कपाल कविह चल अगद हन सत44

सादर तविह आग करिर बानर चल जहा रघपवित करनाकरदरिरविह त दख दवौ भराता नयनानद दान क दाता

बहरिर रा छविबधा विबलोकी रहउ ठटविक एकटक पल रोकीभज परलब कजारन लोचन सयाल गात परनत भय ोचनलिसघ कध आयत उर सोहा आनन अमित दन न ोहा

नयन नीर पलविकत अवित गाता न धरिर धीर कही द बाताना दसानन कर भराता विनथिसचर बस जन सरतरातासहज पापविपरय तास दहा जा उलकविह त पर नहा

दो0-शरवन सजस सविन आयउ परभ भजन भव भीरतराविह तराविह आरवित हरन सरन सखद रघबीर45

अस कविह करत दडवत दखा तरत उठ परभ हररष विबसरषादीन बचन सविन परभ न भावा भज विबसाल गविह हदय लगावा

अनज सविहत मिथिल दि~ग बठारी बोल बचन भगत भयहारीकह लकस सविहत परिरवारा कसल कठाहर बास तमहारा

खल डली बसह दिदन राती सखा धर विनबहइ कविह भाती जानउ तमहारिर सब रीती अवित नय विनपन न भाव अनीतीबर भल बास नरक कर ताता दषट सग जविन दइ विबधाता

अब पद दनहिख कसल रघराया जौ तमह कीनह जाविन जन दायादो0-तब लविग कसल न जीव कह सपनह न विबशरा

जब लविग भजत न रा कह सोक धा तजिज का46

तब लविग हदय बसत खल नाना लोभ ोह चछर द ानाजब लविग उर न बसत रघनाा धर चाप सायक कदिट भाा

ता तरन ती अमिधआरी राग दवरष उलक सखकारीतब लविग बसवित जीव न ाही जब लविग परभ परताप रविब नाही

अब कसल मिट भय भार दनहिख रा पद कल तमहार

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
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  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
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  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 36: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

तमह कपाल जा पर अनकला ताविह न बयाप वितरविबध भव सला विनथिसचर अवित अध सभाऊ सभ आचरन कीनह नकिह काऊजास रप विन धयान न आवा तकिह परभ हरविरष हदय ोविह लावा

दो0-अहोभागय अमित अवित रा कपा सख पजदखउ नयन विबरथिच थिसब सबय जगल पद कज47

सनह सखा विनज कहउ सभाऊ जान भसविड सभ विगरिरजाऊजौ नर होइ चराचर दरोही आव सभय सरन तविक ोही

तजिज द ोह कपट छल नाना करउ सदय तविह साध सानाजननी जनक बध सत दारा तन धन भवन सहरद परिरवारासब क ता ताग बटोरी पद नविह बाध बरिर डोरी

सदरसी इचछा कछ नाही हररष सोक भय नकिह न ाहीअस सजजन उर बस कस लोभी हदय बसइ धन जस

तमह सारिरख सत विपरय ोर धरउ दह नकिह आन विनहोरदो0- सगन उपासक परविहत विनरत नीवित दढ न

त नर परान सान जिजनह क विदवज पद पर48

सन लकस सकल गन तोर तात तमह अवितसय विपरय ोररा बचन सविन बानर जा सकल कहकिह जय कपा बरासनत विबभीरषन परभ क बानी नकिह अघात शरवनात जानीपद अबज गविह बारकिह बारा हदय सात न पर अपारासनह दव सचराचर सवाी परनतपाल उर अतरजाी

उर कछ पर बासना रही परभ पद परीवित सरिरत सो बहीअब कपाल विनज भगवित पावनी दह सदा थिसव न भावनी

एवसत कविह परभ रनधीरा ागा तरत लिसध कर नीराजदविप सखा तव इचछा नाही ोर दरस अोघ जग ाही

अस कविह रा वितलक तविह सारा सन बमिषट नभ भई अपारादो0-रावन करोध अनल विनज सवास सीर परचड

जरत विबभीरषन राखउ दीनहह राज अखड49(क)जो सपवित थिसव रावनविह दीनहिनह दिदए दस ा

सोइ सपदा विबभीरषनविह सकथिच दीनह रघना49(ख)

अस परभ छाविड़ भजकिह ज आना त नर पस विबन पछ विबरषानाविनज जन जाविन ताविह अपनावा परभ सभाव कविप कल न भावा

पविन सब1गय सब1 उर बासी सब1रप सब रविहत उदासीबोल बचन नीवित परवितपालक कारन नज दनज कल घालकसन कपीस लकापवित बीरा कविह विबमिध तरिरअ जलमिध गभीरासकल कर उरग झरष जाती अवित अगाध दसतर सब भातीकह लकस सनह रघनायक कोदिट लिसध सोरषक तव सायक

जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
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जदयविप तदविप नीवित अथिस गाई विबनय करिरअ सागर सन जाईदो0-परभ तमहार कलगर जलमिध कविहविह उपाय विबचारिरविबन परयास सागर तरिरविह सकल भाल कविप धारिर50

सखा कही तमह नीविक उपाई करिरअ दव जौ होइ सहाईतर न यह लथिछन न भावा रा बचन सविन अवित दख पावा

ना दव कर कवन भरोसा सोविरषअ लिसध करिरअ न रोसाकादर न कह एक अधारा दव दव आलसी पकारा

सनत विबहथिस बोल रघबीरा ऐसकिह करब धरह न धीराअस कविह परभ अनजविह सझाई लिसध सीप गए रघराई

पर परना कीनह थिसर नाई बठ पविन तट दभ1 डसाईजबकिह विबभीरषन परभ पकिह आए पाछ रावन दत पठाए

दो0-सकल चरिरत वितनह दख धर कपट कविप दहपरभ गन हदय सराहकिह सरनागत पर नह51

परगट बखानकिह रा सभाऊ अवित सपर गा विबसरिर दराऊरिरप क दत कविपनह तब जान सकल बामिध कपीस पकिह आनकह सsीव सनह सब बानर अग भग करिर पठवह विनथिसचरसविन सsीव बचन कविप धाए बामिध कटक चह पास विफराएबह परकार ारन कविप लाग दीन पकारत तदविप न तयागजो हार हर नासा काना तविह कोसलाधीस क आना

सविन लथिछन सब विनकट बोलाए दया लाविग हथिस तरत छोडाएरावन कर दीजह यह पाती लथिछन बचन बाच कलघाती

दो0-कहह खागर ढ सन सदस उदारसीता दइ मिलह न त आवा काल तमहार52

तरत नाइ लथिछन पद ाा चल दत बरनत गन गााकहत रा जस लका आए रावन चरन सीस वितनह नाए

विबहथिस दसानन पछी बाता कहथिस न सक आपविन कसलातापविन कह खबरिर विबभीरषन करी जाविह तय आई अवित नरीकरत राज लका सठ तयागी होइविह जब कर कीट अभागी

पविन कह भाल कीस कटकाई कदिठन काल पररिरत चथिल आईजिजनह क जीवन कर रखवारा भयउ दल थिचत लिसध विबचाराकह तपथिसनह क बात बहोरी जिजनह क हदय तरास अवित ोरी

दो0-की भइ भट विक विफरिर गए शरवन सजस सविन ोरकहथिस न रिरप दल तज बल बहत चविकत थिचत तोर53

ना कपा करिर पछह जस ानह कहा करोध तजिज तसमिला जाइ जब अनज तमहारा जातकिह रा वितलक तविह सारा

रावन दत हविह सविन काना कविपनह बामिध दीनह दख नाना

शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
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शरवन नाथिसका काट लाग रा सप दीनह ह तयागपथिछह ना रा कटकाई बदन कोदिट सत बरविन न जाईनाना बरन भाल कविप धारी विबकटानन विबसाल भयकारी

जकिह पर दहउ हतउ सत तोरा सकल कविपनह ह तविह बल ोराअमित ना भट कदिठन कराला अमित नाग बल विबपल विबसाला

दो0-विदवविबद यद नील नल अगद गद विबकटाथिसदमिधख कहरिर विनसठ सठ जावत बलराथिस54

ए कविप सब सsीव साना इनह स कोदिटनह गनइ को नानारा कपा अतथिलत बल वितनहही तन सान तरलोकविह गनही

अस सना शरवन दसकधर पद अठारह जप बदरना कटक ह सो कविप नाही जो न तमहविह जीत रन ाही

पर करोध ीजकिह सब हाा आयस प न दकिह रघनाासोरषकिह लिसध सविहत झरष बयाला परही न त भरिर कधर विबसाला

रदिद गद1 मिलवकिह दससीसा ऐसइ बचन कहकिह सब कीसागज1किह तज1किह सहज असका ानह sसन चहत हकिह लका

दो0-सहज सर कविप भाल सब पविन थिसर पर परभ रारावन काल कोदिट कह जीवित सककिह सsा55

रा तज बल बमिध विबपलाई तब भरातविह पछउ नय नागरतास बचन सविन सागर पाही ागत प कपा न ाही

सनत बचन विबहसा दससीसा जौ अथिस वित सहाय कत कीसासहज भीर कर बचन दढाई सागर सन ठानी चलाईढ रषा का करथिस बड़ाई रिरप बल बजिदध ाह पाई

सथिचव सभीत विबभीरषन जाक विबजय विबभवित कहा जग ताक सविन खल बचन दत रिरस बाढी सय विबचारिर पवितरका काढी

राानज दीनही यह पाती ना बचाइ जड़ावह छातीविबहथिस बा कर लीनही रावन सथिचव बोथिल सठ लाग बचावन

दो0-बातनह नविह रिरझाइ सठ जविन घालथिस कल खीसरा विबरोध न उबरथिस सरन विबषन अज ईस56(क)

की तजिज ान अनज इव परभ पद पकज भगहोविह विक रा सरानल खल कल सविहत पतग56(ख)

सनत सभय न ख सकाई कहत दसानन सबविह सनाईभमि परा कर गहत अकासा लघ तापस कर बाग विबलासा

कह सक ना सतय सब बानी सझह छाविड़ परकवित अशचिभानीसनह बचन परिरहरिर करोधा ना रा सन तजह विबरोधाअवित कोल रघबीर सभाऊ जदयविप अनहिखल लोक कर राऊ

मिलत कपा तमह पर परभ करिरही उर अपराध न एकउ धरिरही

जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
  • तलसीदास की रचनाए
  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
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जनकसता रघनाविह दीज एतना कहा ोर परभ कीजजब तकिह कहा दन बदही चरन परहार कीनह सठ तही

नाइ चरन थिसर चला सो तहा कपालिसध रघनायक जहाकरिर परना विनज का सनाई रा कपा आपविन गवित पाई

रिरविरष अगलकिसत की साप भवानी राछस भयउ रहा विन गयानीबदिद रा पद बारकिह बारा विन विनज आशर कह पग धारा

दो0-विबनय न ानत जलमिध जड़ गए तीन दिदन बीवितबोल रा सकोप तब भय विबन होइ न परीवित57

लथिछन बान सरासन आन सोरषौ बारिरमिध विबथिसख कसानसठ सन विबनय कदिटल सन परीती सहज कपन सन सदर नीतीता रत सन गयान कहानी अवित लोभी सन विबरवित बखानीकरोमिधविह स कामिविह हरिर का ऊसर बीज बए फल जा

अस कविह रघपवित चाप चढावा यह त लथिछन क न भावासघानउ परभ विबथिसख कराला उठी उदमिध उर अतर जवाला

कर उरग झरष गन अकलान जरत जत जलविनमिध जब जानकनक ार भरिर विन गन नाना विबपर रप आयउ तजिज ाना

दो0-काटकिह पइ कदरी फरइ कोदिट जतन कोउ सीचविबनय न ान खगस सन डाटकिह पइ नव नीच58

सभय लिसध गविह पद परभ कर छह ना सब अवगन रगगन सीर अनल जल धरनी इनह कइ ना सहज जड़ करनी

तव पररिरत ाया उपजाए समिषट हत सब sविन गाएपरभ आयस जविह कह जस अहई सो तविह भावित रह सख लहईपरभ भल कीनही ोविह थिसख दीनही रजादा पविन तमहरी कीनही

~ोल गवार सदर पस नारी सकल ताड़ना क अमिधकारीपरभ परताप जाब सखाई उतरिरविह कटक न ोरिर बड़ाई

परभ अगया अपल शरवित गाई करौ सो बविग जौ तमहविह सोहाईदो0-सनत विबनीत बचन अवित कह कपाल सकाइ

जविह विबमिध उतर कविप कटक तात सो कहह उपाइ59

ना नील नल कविप दवौ भाई लरिरकाई रिरविरष आथिसरष पाईवितनह क परस विकए विगरिर भार तरिरहकिह जलमिध परताप तमहार

पविन उर धरिर परभताई करिरहउ बल अनान सहाईएविह विबमिध ना पयोमिध बधाइअ जकिह यह सजस लोक वितह गाइअ

एविह सर उततर तट बासी हतह ना खल नर अघ रासीसविन कपाल सागर न पीरा तरतकिह हरी रा रनधीरा

दनहिख रा बल पौररष भारी हरविरष पयोविनमिध भयउ सखारीसकल चरिरत कविह परभविह सनावा चरन बदिद पाोमिध थिसधावा

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

(सनदकाणड समात)

  • तलसीदास परिचय
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  • यग निरमाता तलसीदास
  • तलसीदास की धारमिक विचारधारा
  • रामचरितमानस की मनोवजञानिकता
  • सनदर काणड - रामचरितमानस
Page 40: तुलसीदास : परिचय · Web viewPosted by: स प दक- म थ ल श व मनकर on: November 2, 2007 In: त लस द स Comment! जन म क

छ0-विनज भवन गवनउ लिसध शरीरघपवितविह यह त भायऊयह चरिरत कथिल लहर जावित दास तलसी गायऊसख भवन ससय सन दवन विबरषाद रघपवित गन गनातजिज सकल आस भरोस गावविह सनविह सतत सठ ना

दो0-सकल सगल दायक रघनायक गन गानसादर सनकिह त तरकिह भव लिसध विबना जलजान60

ासपारायण चौबीसवा विवशराइवित शरीदराचरिरतानस सकलकथिलकलरषविवधवसनपञचः सोपानः सापतः

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