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pdf - Copy (Hindi).pdf · माअरेफत ‐ 1 HAJINAJI.com माअरेफत - :...

Date post: 30-Oct-2020
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माअरेफत 1 HAJINAJI.com माअरेफत - : Ĥकाशक : - हाजी नाजी मेमोǐरयल Ěèट मालȣ टेकरा, आंबाचोक, भावनगर. फोन नंबर : (0278) 2510056 / 2423746 Kitab Downloaded from www.hajinaji.com Lik_ us on F[]_\ook www.facebook.com/HajiNajiTrust
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  • माअरेफत  ‐ 1  HAJINAJI.com 

    माअरेफत - : काशक : - 

    हाजी नाजी मेमो रयल ट माल टेकरा, आंबाचोक, भावनगर. 

    फोन नंबर : (0278) 2510056 / 2423746 … Kitab Downloaded from …

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  • माअरेफत  ‐ 2  HAJINAJI.com 

    न ध.....  दसूर कताबे डाउनलोड करने के

    लए www.hajinaji.com पर

    लोग ओन करे.  इस कताबम कोई गलती नजर आए तो पेज नंबर के साथ हमे जानकार द िजए. [email protected] 

     

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  • माअरेफत  ‐ 3  HAJINAJI.com 

    माअरेफत * अनु म णका *

    म वषय पेज ०१ एके वरवाद 9 ०२ हद से मुफ ज़ल 28 ०३ मनु य क पैदाइश म

    हकमत 60 ०४ बालक नादान और नासमझ

    पैदा होने म हकमत 72 ०५ ब चे के रोने म समाई

    हकमत 82 ०६ बालक के मँुह से बहने वाल 85

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  • माअरेफत  ‐ 4  HAJINAJI.com 

    लार म समाई हकमत ०७ ी तथा पु ष के अगं का

    वजातीय आकषण 88 ०८ शर र के सभी अवयव के

    बनाने का उ े य तथा योजन 92

    ०९ मनु य का शर र एक वशषे अवधी तक ह य बढ़ता है? 107

    १० पंचेि य क रचना म रह य 110 ११ कुछ लोग के शर र म कुछ

    अवयव य नह ं होते ? 122 १२ मनु य को सर य होना 135

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  • माअरेफत  ‐ 5  HAJINAJI.com 

    चा हए ? १३ दो हाथ बनाने वषयक 137 १४ मनु य क आवाज़ और

    वरयं वषयक 138 १५ मनु य क जबान, दांत और

    होठ के वषय म 141 १६ मि त क, सर तथा आखँ

    क पलक के बारेम 144 १७ दय, फेफड़,े तथा अमाशय

    के वषय म 146 १८ ह डय क ना लय म गदूा,

    र त शराओ ं म र त, उँग लय के सर पर नाखनू 151

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  • माअरेफत  ‐ 6  HAJINAJI.com 

    आ द। १९ नर नार और उ ह दान

    कये गए वशषे अवयव क आव यकता 156

    २० मनु य को बु तथा समझ दान करने का कारण 161

    २१ दय क हकमत 167 २२ इंसान क कुदरती हाजत,

    दांत और नाख़नू वषयक, मनु य के थंूक और पेट के संबंध म 173

    २३ खाने, पीने, सोने और ऊंघने के संबंध म 188

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  • माअरेफत  ‐ 7  HAJINAJI.com 

    २४ शर र क चार शि तय के संबंध म 191

    २५ शम, हया और वाणी के स दभ म 204

    २६ ान और समझ शि त 213 २७ व न के वषय म 226 २८ कोई भी व तु बेकार न होने

    के वषय म 228 २९ खाने पीने के संबंध म 235 ३० सारे मनु य एक समान चेहरे

    वाले य नह ं होत े? 238 ३१ दसूर बैठक म इमाम

    (अ.स.) क फरमाई हु बात 248

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  • माअरेफत  ‐ 8  HAJINAJI.com 

    ३२ ा णय के वषय म 254 ३३ क ड़ ेमकोड़ के वषय म 296 ३४ प य का ववरण 304 ३५ तीसर बैठक 340 ३६ आग के लाभ 391 ३७ वषा के लाभ 395 ३८ पहाड़ का वणन 407 ३९ झाड़ कृ ष आ द का वणन 414 ४० फल, बीज और गठुल का

    वणन 423 ४१ जड़ी बू टय आ द का वणन 435 ४२ चौथी बैठक 442 ४३ हरड ेसे ई वर को समझो 530

     

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  • माअरेफत  ‐ 9  HAJINAJI.com 

    करण - १ एके वरवाद

    संसार के सम त लोग इस बात पर एकमत है क हम नाशवंत ह। गने चुने हठध मय को छोड़ कर हर यि त यह मानता है क मरणोपरांत हम हमारे कम का बदला ज र मलेगा। हम पैदा करने वाला हमसे अ धक बु मान तथा द ध ि टवाला है। कुछ तथाक थत आधु नक लोग सदेंह म है क हमारा बनाने वाला कोई है या नह ं? क त ुजो भी ज़रा सा बु का उपयोग कर के

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  • माअरेफत  ‐ 10  HAJINAJI.com 

    वचार करे तो वह तुरंत इस न कष पर पहँुच जाता है क इस सिृ ट को बनाने वाला तथा सभी का सजन करने वाला कोई महान बु मान, सव ानी, सवशि तमान, सव े ठ तथा महान है।

    संसार म िजतने भी धमाचाय हो गए ह चाहे वे कसी भी धम या सं दाय के ह , सभी का यह प ट मत है क इस संसार का नमाता कोई है। वह नमाता कौन है इस म मतभेद थे और है, क तु यह सभी मानत ेह क इस संसार का कोई न कोई नमाता है।

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  • माअरेफत  ‐ 11  HAJINAJI.com 

    पुरातन धम म मजूसी (पारसी) धम का यह मत है क इस संसार के नमाता दो है। एक काश और दसूरा अंधकार। वे मानते ह क अ छाई को काश ने और बुराई को अंधकार ने पैदा कया है। उ ह ने काश का नाम यजदान और अंधकार का नाम अहरमन रखा क त ु वे काश को अ धक शि तशाल मानते ह इस लए अि न क पूजा करते है।

    हदं ूलोग यह वीकार करत ेह क सबका सजनहार एक ह है क तु वे इस

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  • माअरेफत  ‐ 12  HAJINAJI.com 

    के अनुसार नह ं चलत ेबि क वे प थर, लकड़ी क मू तय को खुद अपने हाथ से बनात ेह फर उ ह ं क पूजा करते ह।

    ईसाई धम के धमगु बहुत ह स यवान, बहुत प व , बहुत आ रफ, बहुत इबादत गुज़ार और ई वर के सम मानवंत थे। उ ह ने एके वरवाद को बहुत अ छ तरह लोग को समझाया क त ु उनके अनुयायी उनका सह ता पय समझने म असमथ रहे। उ ह ने, जनाबे ईसा के ेम म अ तरेक कया। यहाँ तक क उ ह ने जनाबे ईसा

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  • माअरेफत  ‐ 13  HAJINAJI.com 

    और हुल कु स को इस संसार के सजन म साथीदार मान लया।

    यहूद लोग तो ई वर को समझ ह नह ं पाए और हज़रत उजैर पैग बर को ई वर का पु मान लया। अब उनक मा यता म कोई बदलाव हुआ या नह ं इसक हम जानकार नह ं है। क त ुउनका मत हदं,ू ईसाई, मजूसी और मुसलमान से बलकुल ह अलग है।

    इ लाम को माननेवाले िज ह मुसलमान कहा जाता है ई वर को एक मानने का दावा करते ह। इ लाम का

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  • माअरेफत  ‐ 14  HAJINAJI.com 

    प व ंथ एके वरवाद क श ा देता है। इसका एक अ याय - सरूह ( करण) “कुल हो व लाह” इसी क श ा के लए अवत रत हुआ है। मुसलमान म ई वर के आकार को ले कर मतभेद है। कुछ मुसलमान उसे साकार मानत े ह, कुछ का मानना है उसके अगं ह, कुछ का मानना है वह कसी मकान म है, कुछ का मानना है उसम प रवतन होता है। क त ु शया इसना-अशर मुसलमान क मा यता यह है क वह नराकार है, उसका न कोई शर र है और न कोई

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  • माअरेफत  ‐ 15  HAJINAJI.com 

    अगं। न वह कसी थान म है, न उसम कोई प रवतन संभव है। न उसे देखा जा सकता है।

    जो व त ु देखी जा सकती है उसके लए रंग, प, ल बाई, चौड़ाई, थान आ द सार चीज़ सा बत हो जाती है। कसी भी चीज़ को देखने के लए कुछ बात आव यक है। 1. िजस व तु को देखा जाना है उसे हमार ि ट सीमा के अदंर होना चा हए।

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  • माअरेफत  ‐ 16  HAJINAJI.com 

    2. वह व त ुअ यंत सू म न हो ता क काश क करण उससे टकरा कर लौट। 3. वह व तु हमार आँख के अ यंत नकट न हो। 4. उस व तु का कोई रंग होना चा हए। 5. वह व तु भौ तक होनी चा हए, ल बाई, चौड़ाई, ऊंचाई, आ द तीन आयाम ह । 6. उस व तु क कोई सीमा होनी चा हए।

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  • माअरेफत  ‐ 17  HAJINAJI.com 

    7. वह व तु अ य धक का शत न हो वरना हमार आँख च धया जायगी और हम देख नह ं पाएँगे।

    उपरो त सारे गुण जो ई वर क रचनाओं म है यह सारे गुण य द ई वर म ह तो वह दखाई दे सके क त ुवह सजनहार तो इन बात से प व है। ई वर क पैदा क हुई अन गनत व तएँु इतनी सू म (लतीफ़) है क उ ह देखा नह ं जा सकता। जैसे हवा, या आ मा आ द। उनका न कोई आकार है न कोई प रंग। तो या उनका पैदा करने

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  • माअरेफत  ‐ 18  HAJINAJI.com 

    वाला सू मता म या लताफत म उनसे कम होगा जो दखाई दे सके। उसक तो तुलना भी वायु या आ मा से नह ं क जा सकती य क ये व तएँु तो पैदा क हुई है और वह तो सजनहार है। अना द, अनंत।

    हमारा तो व वास है क अ लाह-- “वाहेदनु, अहदनु, लैसका म लेह शैआ” है। अथात अ लाह एक, मा एक, अतु य, है। दसुरे श द म उसके समान कोई व त ु नह ं िजससे उसक तुलना क जा सके।

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  • माअरेफत  ‐ 19  HAJINAJI.com 

    इसी लए उसके लए कहा गया है क “ला यूसफो बे जौह रन, वला िजि मन, वला सरू तन, वला अिजन, वला खि तन, वला सि हन, वला सि लन, वला ख फ तन, वला लवनीन, वला कवनीन, वला हरक तन, वला सुकू नन, वला मका नन, वला ज़मा नन .....आ द आ द।

    उसे ऊजा नह ं कहा जा सकता, न उसका शर र है, न उसक कोई सरूत है, न आकार है, (अथात ल बाई,

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  • माअरेफत  ‐ 20  HAJINAJI.com 

    चौड़ाई, ऊंचाई या गहराई आ द,) न वह बदं ु है, न वशाल है, उसी कार उसका कोई वज़न भी नह ं है, न वह ह का है न भार है, न उसका कोई रंग है, न यह कहा जासकता है क वह ग तशील है, न उसे ि थर कहा जा सकता है, न उसके लए कोई समय या काल है, न थान है। य द उसके लए कोई थान माना जायगा तो वह थान का मोहताज ठहरेगा। अथात वह अपनी रचना के अपूण गुण से प व है।

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  • माअरेफत  ‐ 21  HAJINAJI.com 

    संसार म अन गनत धम है। उन धम ने ई वर के लए यो य तथा अयो य गुण को वीकार कया है। कोई अि न को पूजता है कोई सूय या च को। कई तो ई वर के सफ़ाते सबुू तया (वो गुण जो उसक शान के यो य है) को वीकार करत ेह फर भी वे प थर या मनु य क पूजा करत ेह। इ तहास ने कई सं कृ तय का स व तर वणन कया है िजसक हम उपयु त थान पर चचा करगे।

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  • माअरेफत  ‐ 22  HAJINAJI.com 

    यहाँ पु तक तौह दलु अइ मा का हदं अनुवाद दया जा रहा है पाठक को चा हए क इसपर गहन वचार कर के समझने का यास कर।

    इस संसार म सवा धक मह वपूण तथा आव यक व तु केवल धम है। हर ब चे को जब समझ आती है तो सबसे पहला वचार उसके मन म यह आता है क म कौन हँू और य पैदा कया गया हँू? यह वचार आत े ह उसे यह समझना चा हए मुझ े मेरे वा त वक सजनहार क मारेफत (सं ान) ा त

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  • माअरेफत  ‐ 23  HAJINAJI.com 

    करना चा हए। यह भी जानना चा हए क उसने मुझ े य पैदा कया है और मुझे पैदा करने के पीछे उसक इ छा या है।

    जब इतनी बात समझ म आजाय तो इस पर वचार करना चा हए क उस सम मांड के सजनहारने, िजसने कसी भी व त ु को बेकार नह ं पैदा कया, कंत ुउसे कसी वशषे योजन के लए पैदा कया है। वह उससे कुछ काय चाहता है। वे काय ऐसे होने चा हए

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  • माअरेफत  ‐ 24  HAJINAJI.com 

    िजसके करने से वह सजनहार स न हो और न करने से वह नाराज़ हो।

    वचार के इस तर तक पहँुचने के प चात मनु य यह तय करे क वह सजनहार क इ छानुसार काय करेगा। अब सजनहार क इ छा जानने के लए कसी एक धम का अनुसरण आव यक है। संसार म व भ न धम अि त व रखत ेह। सभी धम म मतभेद ह। हर धम सह नह ं हो सकता। कोई धम कहता है ई वर अना द, अन त व नराकार है, कोई उसक संतान मानता

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  • माअरेफत  ‐ 25  HAJINAJI.com 

    है; कोई उसे साकार मानता है; कोई ई वर क रचना जैसे आग, वृ , सूय, च , आ द क उपासना को सह समझता है। कोई ई वर को दखाई देनेवाला समझता है; कोई कहता है उसे देखा नह ं जा सकता आ द आ द।

    इतने मतभेद म कौनसा धम स य है कौनसा अस य यह एक संशोधन का वषय है। स य और अस य म अंतर करने के लए मनु य के पास एक अ तम तुला दान क गई है वह है बु । बु के वारा जब हम इन धम

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  • माअरेफत  ‐ 26  HAJINAJI.com 

    क आपस म तुलना करते ह तो पात ेह क स य धम म ऐसी प व ता होनी चा हए क अंश मा भी अस य या खोट उसम न हो। उसी कार िजस शि त को हम अपना सजनहार मानत ेह उसम भी कसी कार के दगुुण या अवगुण नह ं होने चा हए। उसके सदगुण ऐसे होने चा हए जो उसे अपनी रचना से अलग करे।

    उपरो त सभी बात पर वचार कर तो हम आसानी से समझ सकते ह क स य धम कौनसा है ? जो धम ई वर

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  • माअरेफत  ‐ 27  HAJINAJI.com 

    को अना द और अनंत माने, सवशि तमान, संपूण साम यवान, सव , नराकार व नरंतर माने; एक और मा एक माने वह स य धम है।

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  • माअरेफत  ‐ 28  HAJINAJI.com 

    करण - २ हद से मुफ ज़ल

    हद से मुफ ज़ल एक मशहूर हद स है िजसम ऐसी बात न हत है क िजसके अ ययन से ई वर वारा न मत हर व त ुका ववरण उसका उ े य तथा उसक बार कयां तथा उसक वशषेताएं कट होती है तथा प ट हो जाता है क ऐसी बु कार गर , अदभुत कला मकता तथा अदभुत रचना सवसाम यवान, सव , परमबु मान

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  • माअरेफत  ‐ 29  HAJINAJI.com 

    ई वर के अ त र त कसी के बस क बात नह ं।

    मोह मद बन सनान कहते ह क मेरे पास मुफ ज़ल बन उमर ने बयान कया एक दन म अ क नमाज़ के बाद मि जदे नबवी म रसूल स.अ.व. क क और रसूल स.अ.व. के म बर के बीच बैठा वचार कर रहा था क उस पूरे संसार के सजनहार ने हमारे सरदार हज़रत मुह मद मु तफा स.अ.व. को कैसी उ तमता व े ठता दान क है परंत ु उ मत के सामा य जन जानते

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  • माअरेफत  ‐ 30  HAJINAJI.com 

    नह ं है। उनके स चे फज़ाईल, कमाल मतबा और उ चता से अवगत नह ं है। अभी म ै इसी वचार म म न था क एक यि त “इ ने अ बल अवजा” जो नाि तक और नेचर था, आया और मुझसे इतनी दरू बैठा क म उसक बात सुन सकता था। फर उसके सा थय म से एक यि त आया और उसक ओर यान कर के उसके सामने बैठ गया। इ ने अ बल अवजा ने उससे कहा इस क म लेटे महानुभाव ने उ च क ा का आदर व मान मतबा पाया है। शरफ व

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  • माअरेफत  ‐ 31  HAJINAJI.com 

    बुज़ुग का सपंूण अशं उ ह ने पाया तथा बहुत ऊंचे दज पर पहंुचे ह।

    यह सुनकर उस दसुरे यि त ने कहा सच है वे (हज़रत महु मद स.अ.व.) एक दाश नक थे उ ह ने उ च मतबा का दावा कया और उस सबंंध म ऐसे मोअिजज़े दखाए क िजसको देख कर लोग अ भभूत रह गए। बु जीवी लोग ने उ ह पहचानने के लए वचार सागर म गोत े लगाए क त ु सफल न हो सके। जब उनके दावे को बु जीवी तथा व वान लोग ने वीकार कर

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  • माअरेफत  ‐ 32  HAJINAJI.com 

    लया तो सामा य लोग समहू के समहू उनके धम म आने लगे। िजन िजन शहर तक उनक नबु वत का नम ण पंहंुचा वहाँ वहाँ इबादतगाहो और मि जद म अ लाह के नाम के साथ साथ उनका नाम भी सि म लत कर लया गया तथा ऊंची आवाज म पुकारा जाने लगा। इसके लए कोई थान नि चत नह ं कया गया बि क ऊंची आवाज़ म नाम लेना कोई एक समय नह ं बि क रात और दन म पांच बार अज़ान म और पांच बार अकामत म

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  • माअरेफत  ‐ 33  HAJINAJI.com 

    पुकारा जाने लगा। उ ह ने अपना नाम ई वर के नाम के साथ इस लए जोड़ दया ता क उनका नाम हमशा जी वत रह सके और उनके काम म कोई कावट न पड़।े

    यह सुनकर इ न अ बल अवजा ने कहा क महु मद (स.अ.व.) क बात तो जाने दे। य क उनके वषय म मेर बु आ चय च कत है। म उसपर िजतना भी वचार कया, कसी न कष पर नह ं पहँुचता बि क मेर अक ्कल चक ्कर खा जाती है। अब इस बात पर

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  • माअरेफत  ‐ 34  HAJINAJI.com 

    चचा करे िजसके कारण लोग महु मद (स.अ.व.) के धम म वेश करते जा रहे ह। अथात अ लाह क चचा कर क उसका अि त व ह या नह ं। फर खुद ह कहने लगा क ये सभी चीज़ जो हम देखते ह कसी क पैदा क हुई नह ं है। इसका कोई बनाने वाला नह ं है। कोई इन चीज़ को यो य र त से बनाने वाला नह ं कोई इनक रचना करने वाला नह ं बि क ये तो खुद ब खुद पैदा हो जाती है। यह संसार इसी तरह चलता आया है और इसी तरह चलता रहेगा।

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  • माअरेफत  ‐ 35  HAJINAJI.com 

    मुफ ज़ल कहत ेह क उनक ऐसी फालत ू बात सुनकर मुझ े बहुत गु सा आगया और मेरा धैय जवाब दे गया। मने उनसे कहा: ऐ ई वर के श ु !! त ूसजनहार के धम का इ कार करता है। तूने तो अपने सजनहार का ह इनकार कर दया िजसने तुझे इतनी सुंदर श ल म पैदा कया और तरेे शर र के अगं बनाए ह। त ूतो खुद शू य था। उसीम से उसने तुझ े ऐसी हकमत और कार गर से बनाया क एक बूँद से भ न भ न ि थ तय म बदलते हुए

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  • माअरेफत  ‐ 36  HAJINAJI.com 

    आज तू जवान हो कर इस अव था को पहँुचा है। य द तू तट थ हो कर याय यता से बु का उपयोग करे तो अपने सजनहार क प ट दल ल त ूखुद अपनी आ मा म और इसका प ट माण तू अपने शर र के अवयव म देख लेगा।

    यह सुनकर उसने कहा “ओ महाशय य द आपम इस वषय म बात करने क शि त हो तो हम आप के साथ बात कर। य द आपके पास कोई प ट और आधारभूत माण हो तो हम

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  • माअरेफत  ‐ 37  HAJINAJI.com 

    मान लगे। य द आपके पास बातचीत का ान न हो तो आपको बोलने का कोई

    अ धकार नह ं है। हम नह ं लगता क आप इमाम जाफर सा दक (अ.स.) के श य म से ह गे; य क उनक बातचीत करने क शैल बहुत सौ य होती है। आप उन जैसी बातचीत नह ं कर रहे हो। वे लोग आप जैसी दल ल के वारा हम से चचा नह ं करते। उ ह ने हमार बात इससे बहुत यादा सुनी है परंत ुवे बातचीत म स ती नह ं बरतत;े न उ तर देने म एक सीमा से

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  • माअरेफत  ‐ 38  HAJINAJI.com 

    आगे बढते ह। वे बहुत सहनशील, शांत वभाव के, बु मान लोग होते ह। इतना ह नह ं वे प रपक ्व बु वाले, अ छे वभाव वाले गंभीर लोग होते ह। वे ोध नह ं करत,े स ती भी नह ं करते। वे हमार बात बहुत यान से सुनत ेह। हमसे हमार दल ल पूछत ेह। यहाँ तक क जब हम अपनी सम त दल ल तुत कर चूके होते तब वे सबूत और दल ल से हमारे ि टकोण को गलत सा बत करके हम पर हु जत तमाम कर देत ेह। वे ऐसा उ तर देत ेहै

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  • माअरेफत  ‐ 39  HAJINAJI.com 

    क हम फर कोई बहाना तलाश नह ं कर पात ेऔर उ ह उ तर देने क शि त हम म नह ं होती। आप उनके श य म से हो तो वैसी ह चचा का ारंभ करे।

    मुफ ज़ल कहत े ह क म वहाँ से दखुी और भार मन से नकल आया। म ैवचार म म न था क इन अधम लोग के कारण इ लाम को कतना नु सान पंहंुचा है। ये लोग कस बला म गर तार ह? ये लोग ई वर को तो बलकुल मानत े ह नह ं। संसार को अपने आप पैदा हुआ और अपने आप

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  • माअरेफत  ‐ 40  HAJINAJI.com 

    चल रहा मानत े ह। इ ह वचार म म न म अपने वामी इमाम जाफर सा दक अ.स. क सेवा म पहँुच गया।

    उ ह ने मेरा उदास चेहरा देख कर पूछा तु ह या होगया है? तो मने जो नाि तक क बात सुनी थी और िजन दल ल से मने उनक बात सुनी थी, बयान क । आपने फरमाया: या म तु ह उस महान ई वर क वे बु म ता क बात जो सम त संसार म पशु प य म, जीव जंतुओं म है, उसी कार येक वन प त तथा फूल म

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  • माअरेफत  ‐ 41  HAJINAJI.com 

    खा य व अखा य आ द म समाई हुई है उसका योजन और उससे होने वाले लाभ आ द बताऊँ िजससे श ा हण करने वाले श ा हण कर; आि तक के दय फुि लत ह और नाि तक आ चय च कत रह जाएँ? इसके लए तुम कल मेरे पास आना।

    यह सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई। हज़रत क सेवा से घर लौटा। हज़रत ने जो वादा कया था उसके इंतज़ार म रात मुझे बहुत लबंी महसूस हुई। मुझे िज ासा थी क कब सबुह हो और म

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  • माअरेफत  ‐ 42  HAJINAJI.com 

    हज़रत क सेवा म पहँुच कर वे सारे ववरण सुनू ं िजससे मेरे ान म वृ हो।

    सबुह हुई तो म हज़रत क सेवा म पहँुचा। अनुम त ले कर अंदर वेश कया और न ता के साथ खड़ा हो गया। आपने मुझे बैठने का आदेश दया तो म बैठ गया। इसके बाद आप उठकर एक कमरे क ओर बढे िजसम अ सर आप एकांत के लए जात े थे। म भी उनके पीछे पीछे उस कमरे म पहँुच गया। अदंर पहँुच कर वे अपने बैठने के

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  • माअरेफत  ‐ 43  HAJINAJI.com 

    थान पर बैठ गए; म ैभी उनके सम बैठ गया। आपने फरमाया ऐ मुफ ज़ल, मुझे लगता है क आज सबुह के इंतज़ार म पछल रात तु ह बहुत लबंी महसूस हुई। मने जवाब दया हाँ मौला सह है।

    फर आपने फरमाया केवल ई वर का अि त व था कोई व त ुउससे पूव न थी। वह हमेशा रहेगा उसका अंत नह ं है। उसी के लए सम त तु त है क उसने हम अंत ान (इलहाम) दया। उसी के लए शु (ध यवाद) है क उसने सव े ठ ान हम दान कया। व श ट

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  • माअरेफत  ‐ 44  HAJINAJI.com 

    कार का उ च क ा का गौरव हम दान कया। सम त सिृ ट से वशषे ान हम दान कया। अपनी हकमत

    हम द और हम उसका अमानतदार बनाया।

    मने नवेदन कया: मौला या आप मुझे अनुम त दान करत े हो क आप जो कुछ कह रहे हो वह म लख लू?ं आप ने फरमाया हाँ लखलो। म लखने के साधन अपने साथ ले गया था।

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  • माअरेफत  ‐ 45  HAJINAJI.com 

    आपने फरमाया शक व सदेंह वाले लोग सिृ ट क सरंचना के मा यम तथा साधन और उनक बार कय को समझ नह ं पाए। उनक समझशि त इन चीज़ के रह य को समझ नह ं सकती। उस सजनहार मा लक ने जंगल और समु म व भ न कार क रचनाएँ (सिृ ट) पैदा क है। उनम अन गनत हकमत भर है। पर ये शंकाशील लोग अपनी अ ानता के कारण इनकार करते ह। और अपनी बु क सु ती के कारण झठुलात ेह। इतना ह नह ं ये तो श ुता

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  • माअरेफत  ‐ 46  HAJINAJI.com 

    पर उतर आए ह। तथा संसार क सम त चीज़ कसी क बनाई हुई है इसका इनकार करते ह और कहत ेह क ये चीज़ अपने आप पैदा हो गई इनम कसी क कोई कला मकता नह ं है। इसी तरह कसी महा हकमतवाले तथा बु मान ने कोई हकमत नह ं रखी और हर चीज़ िजस ि थ त म है रंग, प, वाद, ल ज़त, लबंी, छोट आ द सोच समझ कर बनाई गई हो ऐसा नह ं है बि क ये तो खुद ब खुद बन गई है। ये लोग जो कहते ह वह महान

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  • माअरेफत  ‐ 47  HAJINAJI.com 

    परमा मा इससे बहुत े ठ है। ई वर इन लोग को क़ ल करे!! कैसे भटक रहे ह। वे अपनी गुमराह म अंधे हो गए है। इनक मसाल उन अंधो जैसी है जो एक आ लशान महल म वेश कर िजसे बहुत मजबूत और अ यंत सुंदर बनाया गया हो और उसम व भ न कार क सजावट क गई हो, तरह तरह के क मती गाल चे बछाए गए ह । यहाँ तक क हर ज़ रत क चीज़ यथा थान यवि थत प से सजाई गई हो। ऐसे सुसि जत महल म वे अंधे यहाँ वहाँ

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  • माअरेफत  ‐ 48  HAJINAJI.com 

    भटकत ेऔर टकरात े फर, कभी आगे बढ़, कभी पीछे हट मगर उस सजावट को देख न पाएं और कभी कोई ज़ रत क चीज़ जो अपने थान पर कसी वशषे योजन के अंतगत रखी हो उनसे टकरा जाय तो अपनी अ ानता के कारण खुश होने क बजाय नाराज़ ह । और अपने अंधेपन और मूखता को दोष देने क बजाय उस मकान के बनाने वाले और सजाने वाले को बुरा भला कह।

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  • माअरेफत  ‐ 49  HAJINAJI.com 

    बलकुल यह हाल नाि तक का है जो अपनी आँख खोल कर देखत े नह ं और ा त बु से न प वचार करत ेनह ं बि क दसूर को गलत माग पर चलने क सलाह देते है। वे व तुओं क बार कय और उसके पीछे के रह य को जानते नह ं इस लए संसार म गुमराह रहत े ह। सव े ठ कला मकता से बनी व तुओं क वशषेता को समझ नह ं पात।े कभी ऐसा होता है क व तुओं क कला मकता को तो जानत े ह क तु उसक रचना के योजन को समझ नह ं

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  • माअरेफत  ‐ 50  HAJINAJI.com 

    पात े और अपनी नासमझी के कारण उसक आलोचना करने लग जाते ह, क ये ठोस नह ं है, ये गलत है आ द।

    ऐसा एक सं दाय मजूसी लोग म ‘मान वया’ है। मानी नामक एक यि त ने इस सं दाय को ज म दया है इस कारण उस सं दाय के लोग मानवीया कहलाते है। यह यि त शापुर इ न उ शीषा के काल म एक धम क थापना करने चला था। उसका यह मानना था क जनाबे ईसा (अ.स.) तो नबी थे क तु जनाबे मूसा (अ.स.) नबी

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  • माअरेफत  ‐ 51  HAJINAJI.com 

    नह ं थे। यह संसार दो चीज़ से बना है अ छ चीज़ को नूर ( काश) ने पैदा कया है और बुर चीज़ तथा काटने फाड़ने वाले जानवर को अंधकार ने पैदा कया है। काश और अंधकार दोन खुदा ह और ये दोन लाभ तथा हा न क चीज़ को पैदा करने वाले ह।

    उसी कार मिु हद (नाि तक) लोग ई वर के अि त व ह से इनकार करते ह; उनका देखा देखी दसुरे पथ ट लोग ने यह कहना शु कर दया क यह कैसे हो सकता है, यह तो संभव

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  • माअरेफत  ‐ 52  HAJINAJI.com 

    नह ं है आ द और वे ई वर से दरू हो गए।

    िजस यि त को उस महान ई वर ने इन चीज़ क मारेफत दान क हो और अपने धम क ओर उसका मागदशन कया हो; इस सिृ ट क कला मकता तथा उसक संरचना के पीछे उसके उ े य पर वचार करने क , उनक बार कय को समझ पाने क शि त दान क हो; और उसक वशषेताओं का वणन करने क सदबु दान क हो तो उस यि त के लए

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  • माअरेफत  ‐ 53  HAJINAJI.com 

    आव यक है क वह ई वर के इस अनु ह के लए उसक बहुत तु त करे और ाथना करे क वह इस मारेफत तथा वणन करने क शि त को बाक रखे और अ धक मारेफत दान करे।

    अ लाह कुरआन म फरमाता है क “ल इन शकरतुम ल अिजद न कुम”

    अथात: य द तुम शु करोगे तो म तु ह अ धक दान क ँ गा।

    और यह भी फरमाता है क “व लइन कफरतुम इ न अज़ा बल शद द”

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  • माअरेफत  ‐ 54  HAJINAJI.com 

    अथात: य द तुम इन अनु ह का शु अदा करने क बजाय कु (इनकार) करोगे तो जानलो मेर यातना बहुत स त है।

    फर आपने फरमाया ऐ मफु ज़ल!! अ लाह ज ले जलालहु के अि त व का पहला माण यह है क यह संसार कस तरह बनाया गया है। कस तरह से गठन कया है कतनी सुदंरता से इस इसका यवहार चलाने का इंतज़ाम कया गया है। य द तुम इस संसार क रचना पर गहन वचार करो, बु म ता से हर

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  • माअरेफत  ‐ 55  HAJINAJI.com 

    व तु को पथृक कर के समझने का यास करो तो तु ह पता चलेगा क यह संसार एक ऐसे मकान के समान है िजसम सभी आव यक व तुएँ मौजूद ह । उसके ब द को िजस चीज़ क आव यकता हो वे सार चीज़ यहाँ एक त कर द गई है।

    आकाश को देखो क यह छत के समान है। धरती को देखो वह फश के समान है। सतारे चार ओर इस तरह सजाए गए ह जैसे काश के लए द पक सजाए जात े ह, जो अपने थान पर

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  • माअरेफत  ‐ 56  HAJINAJI.com 

    काशमान ह। ह रे खानो म इस तरह छपा कर रखे गए ह जैसे खजाने छपाए जात े ह। इसके अ त र त सार व तएँु यथा थान हािज़र और मौजूद ह।

    मनु य इस संसार म ऐसा है जैसे इस मकान का मा लक या वामी, िजसके अ धकार म मकान के अदंर क सार व तुएँ ह । हर कार क वन प त तरह तरह क आव यकताओं के लए तैयार है। उनम से कतनी ह वन प त चौपाय के लए खुराक है, कतनी ह मानव जा त के लए दवा के लए है,

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  • माअरेफत  ‐ 57  HAJINAJI.com 

    कतनी ह मनु य को खुश करने के लए सुगंध के लए है, कतनी ह मनोरंजन और मौजम ती के लए है, कतनी ह मनु य क खुराक के लए है, कतनी ह वशेष कार के प य के लए है। इसी कार व भ न कार के पशु प ी अनेक कार के लाभ तथा उ े य के अंतगत पैदा कये गए है।

    ऐसा सुदंर और रौनक वाला संसार िजसे बहुत ह सुदंरता तथा कला मकता से एक त कया गया है इसम कोई चीज़ बेकार या गलत तर के से बनाई

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  • माअरेफत  ‐ 58  HAJINAJI.com 

    नह गई है यह प ट माण है क कसी बु मान शि त ने इसे सपंूण बु म ता से कसी वशषे योजन के लए बनाया है। इसक यव था तथा इसका संचालन ऐसे कया गया है क येक का संबंध येक के साथ जुड़

    गया है। ये सार बात सा बत करती है क इस संसार का बनाने वाला एक ह है। िजसने इतनी सुंदरता से इन चीज़ को एक त कया क हर एक का सबंंध दसुरे से जुड़ा हुआ है। वह एक ई वर है; अ लाह है; खुदा है। वह जल ल

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  • माअरेफत  ‐ 59  HAJINAJI.com 

    है, वह कु ूस है। वह अ यंत उ च मतबा रखने वाला है। वह कर म है। उसके सवा कोई उपासना के यो य नह ं। उस अ लाह का इनकार करने वाले और नाि तक लोग उसके वषय म जो कहते ह, वह उससे अ धक बुलदं और ग रमामय है।

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  • माअरेफत  ‐ 60  HAJINAJI.com 

    करण - ३ मनु य क पैदाइश म हकमत इसके प चात आपने फरमाया- ऐ

    मुफ ज़ल अब हम तु हारे सामने मनु य के ज म का वणन करत ेह। इसे सुनो और इससे श ा हण करो। देखो मनु य ज म का पहला पड़ाव यह है क मनु य को गभ थान म बनाया जाता है। बावजूद इसके क वह तीन पद और तीन अंधकार म कैद होता है। पहला पदा पेट का, दसूरा ब चेदानी का, और तीसरा ब चेदानी के अंदर क झ ल

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  • माअरेफत  ‐ 61  HAJINAJI.com 

    का। उस समय ब चे क ि थ त ऐसी होती है क वह अपने भोजन के लए कसी भी कार का य न करने क ि थ त म नह ं होता। कसी भी कार क तकल फ अपने से दरू करने क शि त उसम नह ं होती। कसी भी कार का लाभ ा त करने या हा न से बचने क शि त उसम नह ं होती।

    ऐसी ि थ त म अ लाह, ने िजस कार वृ वन प त आ द को पानी वारा भोजन पहँुचाने का बंध कया है उसी कार उस ब चे को मा सक धम के

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  • माअरेफत  ‐ 62  HAJINAJI.com 

    र त के वारा (उसे भोजन म प रव तत कर के), भोजन पहँुचाता है। अथात माता का र त मा सक धम क आदत के अनुसार हर माह बाहर आने क बजाय गभ म पँहुचाया जाता है क वह ब चे का भोजन बने। इसी कार उसके अगं आपस म बंधकर बढत ेजात ेहै और उसपर वचा मोट होती जाती है यहाँ तक क उसके सम त अवयव सपंूण हो जाते ह तथा उसक वचा हवा को सहन करने लायक हो जाती है; उसक आँख काश को सहन करने लायक हो जाती

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  • माअरेफत  ‐ 63  HAJINAJI.com 

    है, तब अ लाह उसे सू त वारा बाहर लाता है। जब बालक के बाहर आने का समय आता है तब उसक माता को सू त क पीड़ा होती है, उसे बहुत बेचैनी और घबराहट होती है; तब बालक शि त से गभ थान से बाहर आता है। उस समय वह र त जो गभ थान म उसके भोजन म प रव तत होने के लए पहँुच रहा था उसका रा ता बदल कर उसे माता के व क ओर पलटा दया जाता है। उस समय उसके वाद और रंग म प रवतन कर के उसे

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  • माअरेफत  ‐ 64  HAJINAJI.com 

    सफ़ेद दधू बना दया जाता है जो ब चे के लए सव तम भोजन माना जाता है। उसम जो कला मकता रखी गई है उसे तो सब जानत ेह क उसे समय समय पर पहँुचाया जाता है। जब ब चा अपने ह ठ पर जबान फेरता है और दोन ह ठ को हलाता है उस समय उसको दधू पलाया जाता है। उसके लए दधू के दोन झरने हमशा तैयार रहते है।

    इसी कार हमशा उसे वह भोजन मलता रहता है। जब तक उसका शर र नाज़ुक और कमज़ोर रहता है तब तक

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  • माअरेफत  ‐ 65  HAJINAJI.com 

    उसका भोजन वह दधू रखा गया है; फर जब वह चलने लगता है तब उसे स त भोजन (चबा कर खाए जाने यो य) क आव यकता पड़ती है; िजससे उसके शर र के अगं अ धक शि तशाल बने; तब उसे दांत और दाढ़ नकलती है ता क वह स त भोजन को चबा कर खा सके। चबाने से भोजन आसानी से पच जाता है। धीरे धीरे बढते हुए वह जवानी तक पहँुच जाता है; फर उसम खुदा क कुदरत देखो क य द वह ब चा लड़का है तो उसके चेहरे

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  • माअरेफत  ‐ 66  HAJINAJI.com 

    पर मदानगी क नशा नयाँ अथात दाढ़ मूंछ आ द उगना शु हो जाती है ता क औरत और मद म फ़क ज़ा हर हो जाय। दाढ़ तथा मूंछ मद क इ ज़त भी है। ब चा य द लड़क है तो उसके दाढ़ या मूंछ बलकुल नह ं उगती िजससे मद और औरत म फ़क दखाई देने के अ त र त उसका चेहरा एकदम साफ़ सुथरा होने से सुदंर दखाई दे और मद उसक ओर आक षत ह तथा मानव वंश म वृ होने का कारण बने।

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  • माअरेफत  ‐ 67  HAJINAJI.com 

    फर आपने फरमाया ऐ मफु ज़ल!! इन सभी ि थ तय म िजस सुदंरता से, िजस बु म ता से इंसान को बनाया जाता है, बढ़ाया जाता है, बाहर लाया जाता है, तो या तुम यह कह सकते हो क कसी बु मान शि त ने इस काय को नह ं कया बि क यह तो खुद ब खुद बन गया है। य द मा सक धम का र त बाहर बहने क बजाय बालक के पोषण के लए अंदर नह ं पहँुचाया जाता तो िजस कार बगीचे के झाड़ बना पानी के सखू जाया करत ेह उसी

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  • माअरेफत  ‐ 68  HAJINAJI.com 

    कार यह भी सूख जाता। जब वह बाहर आने लायक हुआ तब य द उसे बाहर आने क शि त न दान क जाती तो वह वह मुदा दफन न हो जाता ? उसके पैदा होने के प चात उसके शर र के अनुसार बहुत नाज़ुक भोजन दधू न दया जाता तो वह मर न जाता? यथा समय उसके दांत न नकलते तो खाने चबाने म मुसीबत का सामना न करना पड़ता? य द वह स त भोजन खाने यो य न होता तो उसम शि त भी नह ं आती और हमशा माँ के दधू पर नभर

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  • माअरेफत  ‐ 69  HAJINAJI.com 

    रहता और उसक माँ उसके लालन पोषण म ह य त रहती और दसुरे ब च क परव रश न हो पाती। उसी कार यथा समय दाढ़ और मूंछ के बाल य द न उगत ेतो औरत और मद म फ़क न दखाई देता और बन मूंछ दाढ़ मद का न रौब पड़ता न भाव। जैसे हजड़ ेलोग बन दाढ़ मूछ कतने बदसूरत दखाई देत ेह।

    जब मनु य का कोई अि त व ह नह ं था उसे अि त व म ला कर समय समय पर उसक आव यकता क व तएँु

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  • माअरेफत  ‐ 70  HAJINAJI.com 

    पहँुचा कर िजसने उसे बड़ा कया वह कौन है? नःसंदेह वह रच यता अ लाह है।

    इससे स हुआ क मनु य को पैदा करने वाला कोई है। कसी के बनाए बगैर मनु य का खुद ब खुद बन जाना बु म आने वाल बात नह ं है। मनु य खुद ब खुद बन जाय, उसम आ चयच कत कर देने वाल का रग रयाँ भी पैदा हो जाएँ और फर उसे बनाने वाला कोई नह है यह कहना केवल मूखता है।

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  • माअरेफत  ‐ 71  HAJINAJI.com 

    फर कुछ लोग कहते ह क मनु य पैदा तो खुद ब खुद होता है परंत ुउसका अपूण होना या ु टपूण होना िजसके अंतगत होता है वह तकद र बनाने वाला वधाता कोई है ! यह कहना बड़ी मूखता है; य क बगैर बनाने वाले के कोई चीज़ बनती ह नह ं; फर यह कहना क बनाने वाला नह ं है क तु बगाड़ने वाला है; यह भी असंभव है।

    नाि तक लोग जो कहत े ह वह महान ई वर उससे अ धक महान है।

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  • माअरेफत  ‐ 72  HAJINAJI.com 

    करण - ४ बालक नादान और नासमझ पैदा

    होने म हकमत पहल हकमत :

    आपने फरमाया बालक के नादान और नासमझ होने का रह य यह है क य द बालक समझदार और बु मान पैदा होता तो पेट से बाहर आते ह वह ऐसी व तुओं और ा णय को देखता जो उसने कभी देखी न होती जैसे इंसान, मकान, पशु प ी आ द तो वह अचं भत होता, याकुल हो जाता और

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  • माअरेफत  ‐ 73  HAJINAJI.com 

    कसी को पहचान नह ं पाता जैसे कसी यि त को पराये देश म ले जा कर कैद कर दया जाय तो वहाँ के र त रवाज और वहाँ क भाषा न समझने के कारण याकुल हो जाता है घबरा जाता है य क वह उनक भाषा एकदम तो नह ं

    सीख पाता। क त ुय द कसी नासमझ बालक

    को कसी भी देश म ले जाया जाय तो उसे कसी भी कार क परेशानी नह ं होती उलटे वह उस देश क भाषा और सं कृ त को बहुत ज द सीख लेता है।

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  • माअरेफत  ‐ 74  HAJINAJI.com 

    इसी कार अपनी इसी नासमझी के कारण बालक पैदा होने पर डरता या घबराता नह ं बि क धीरे धीरे बोलना, चलना, र त रवाज आ द आसानी से सीख जाता है। य द वह समझदार पैदा होता तो एकदम आ चय म पड़ जाता और एक लबंी अवधी तक इसी वचार म पड़ा रहता क म कहाँ था? अब कहाँ आ गया हँू? ये जो देख रहा हँू वह या होगा? आ द।

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  • माअरेफत  ‐ 75  HAJINAJI.com 

    दसूर हकमत : य द वह समझदार होता तो उसका

    पालन पोषण करने वाल म हला उसे दधू पलाती, उसे गोद म लेती, सुलाती, उसके कपड ेबदलती, झूले म डालती, तो उस समझदार ब चे को बड़ी असु वधा होती, शम महसूस होती, वह अपनी बे इ ज़ती समझता। इसके उलट उसके नासमझ और मासूम होने से दसूरे लोग के दल म उसके त वा स य, ेम और महु बत उमड़ती है िजससे वे लोग उसे खलाते है कुदात े है। नासमझ

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  • माअरेफत  ‐ 76  HAJINAJI.com 

    होने के कारण लोग के दय उसक ओर आक षत होत ेह जो समझदार होने क ि थ त म न होते।

    तीसर हकमत : उसे नादान और नासझ पैदा करने

    से वह संसार क कसी चीज को पहले से पहचानता नह ं इस लए व भ न चीज़ को देख कर परेशान नह ं होता फर धीरे धीरे उसे समझ आती रहती है और मारेफत बढ़ती जाती है वैसे वैसे एक एक व त ु का उसे प रचय होता

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  • माअरेफत  ‐ 77  HAJINAJI.com 

    जाता है और वह उसे पहचानता जाता है इसी कारण समझदार और बु मान होता जाता है। यह कारण है क वह कसी नई चीज़ से डरता या घबराता नह ं और अपना गुज़ारा चलाने के साधन आसानी से ा त कर लेता है। उसी कार आ ापालन, गल तय पर मा माँगना, व ोह न करना आ द

    सं कार ा त करता जाता है।

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  • माअरेफत  ‐ 78  HAJINAJI.com 

    चौथी हकमत : य द बालक समझदार और

    बु मान पैदा होता तो अपने काय का हेत ु समझ लेता, इसकारण ब चे क परव रश का जो आनदं है वह चला जाता। माता पता जो अपने ब चे क परव रश म य त रहत ेह वे न रहते, इस कारण ब च पर माता पता क जो महेरबानी और जो एहसान ह वे न रहत।े ब च के लए माता पता जो तकल फ बदा त करत े ह और उनक परव रश करत े ह इससे ब च के दल

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  • माअरेफत  ‐ 79  HAJINAJI.com 

    म माता पता का जो आदर और ेम घर कर जाता है वह न होता। सं ेप म यह क पर पर ेम और महु बत न होती।

    पाँचवी हकमत : य द बालक अ लमंद पैदा होता तो

    वह माता पता क परव रश का मोहताज न रहता तो ज म पात े ह माता पता से दरू हो जाता। कसी को कसी पर ेम न उमड़ता। इतना ह नह ं बि क एक दसुरे को पहचानना भी दरू

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  • माअरेफत  ‐ 80  HAJINAJI.com 

    क बात हो जाती। इससे बुराई इतनी बढ़ जाती क एक लबंी अवधी के बाद अपनी माता, पता, भाई, बहन को न पहचान पाता तो अपने र त स बि धय से शाद कर बैठता। वाभा वक बात है य क जब र त स बि धय को

    पहचान ह नह ं पाए तो परहेज़ कैसे करे?

    छठ हकमत : बालक य द समझदार और

    बु मान पैदा होता तो उन अंग

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  • माअरेफत  ‐ 81  HAJINAJI.com 

    (गु तांग आ द) आ द को देखता िजसे देखना उसके लए जायज़ और यो य नह ं, और उसके लए यह अ न छा क बात होती।

    ऐ मुफ ज़ल !! या तुम नह ं देखते क मनु य के नमाण म हर व तु कतनी यो य प त से था पत क गई है, इसम कोई भी व त ु ऐसी नह ं क िजसम नु स नकाला जा सके।

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  • माअरेफत  ‐ 82  HAJINAJI.com 

    करण - ५ ब चे के रोने म समाई हकमत उसके बाद इमाम जाफर सा दक

    अ.स. ने फरमाया ऐ मुफ ज़ल, देखो बालक के रोने म कतने लाभ समाए ह। बालक के मि त क म एक कार का ाव होता है। वह य य द वहाँ रहे

    तो उ ह कई कार क बीमा रयाँ घेर ल, और वे बड़ी मुसीबत म पड़ जाएँ। जैसे आँख खराब हो जाएँ, आ द। जब ब चा रोता है तो उसके मि त क से वह य नकल जाता है और उसके अंग

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  • माअरेफत  ‐ 83  HAJINAJI.com 

    तदंु त रहत े ह, आँख को कोई नु सान नह ं होता।

    ब च के रोने म जो फायदे छपे ह उनसे अनजान होने के कारण ब चे के माता पता उसे चपु करने क को शश करते ह, और ब चे क इ छानुसार करत े ह ता क ब चे रोएँ नह ं। इसी कार संभव है अनेक चीज़ म अन गनत लाभ छपे ह जो ये नाि तक लोग जानत ेनह ं। य द वे इस बात को समझ पाते तो हर गज़ ये न कहते क फलां बात म फायदा नह ं। िजन बात

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  • माअरेफत  ‐ 84  HAJINAJI.com 

    को नाि तक लोग समझते नह ं उ ह मारेफत वाले लोग जानते ह। अ सर लोग ई वर क रचना के भेद को जानते नह ं क त ु अ लाह सपंूण प से हर कार का ान रखता है।

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  • माअरेफत  ‐ 85  HAJINAJI.com 

    करण - ६ बालक के मुँह से बहने वाल लार म समाई हकमत

    बालक के मुहं से बहने वाल लार म यह हकमत छपी है क इस कारण मनु य पागल या अधपागल होने से बचता है। इसके अ त र त लकवा, अपा हज होना आ द बीमी रय से भी बचाव होता है। य द लार बचपन म बह न जाय तो एक लबंी अवधी के बाद उपरो त बीमा रयाँ हो सकती है। इस लए अ लाह तआला ने यह बध

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  • माअरेफत  ‐ 86  HAJINAJI.com 

    कर दया है क बचपन म ह वे हा नकारक व मुहं से बह जाएँ ता क आगे चलकर उनम बीमा रय का खतरा न रहे।

    ऐसी हकमत को ये नादान लोग समझते नह ं। उ ह अभी तक मोहलत द गई है शायद वे मारेफत हा सल कर और अ लाह को पहचान। य द ये सार नेअमत को जानते तो इतनी अवधी अ ानता के अँधेरे म न भटकते।

    सचमुच सम त तु त और प व ता उसी संसार के वामी के यो य

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  • माअरेफत  ‐ 87  HAJINAJI.com 

    है िजसने अपनी रचना म सभी को अनदुान दान कया है चाहे वह उसका अ धकार हो या न हो। ये गुमराह लोग उसके वषय म जो अयो य बात करत ेह अ लाह सब से उ च तथा प व है।

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  • माअरेफत  ‐ 88  HAJINAJI.com 

    करण - ७ ी तथा पु ष के अंग का वजातीय आकषण

    हाजी गुलाम अल नाजी साहब ने इस पु तक का गुजराती अनवुाद करते समय (सन १९१२) मे लखा है क इमाम अलै ह सलाम ने इन दोन के अवयव (गु तांग) क बार कयां तथा व भ न बनावट के पीछे का रह य तथा उ े य िजस तरह व तार से बयान कया है, म उसका यथावत अनवुाद करने म अश त हँू। य क कुछ

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  • माअरेफत  ‐ 89  HAJINAJI.com 

    बु ह न लोग बना समझे बूझे तल का ताड़ बना कर हंगामा खड़ा कर देत ेह, जैसे वगत “आदाबे मुजामेअत” पु तक के काशन के समय कया था इस लए हम यथावत अनवुाद के थान पर सं त वणन सुत कर रहे ह।

    नर को ऐसी शि त तथा अवयव दान कये क वह गभाशय म वीय को पहँुचा सके (उसके नयत थान पर) और नार को वीय सं चत रखने के हेतु गभाशय दान कया। उसम भी ऐसी सु वधा दान क क जैसे जैसे ब चा

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  • माअरेफत  ‐ 90  HAJINAJI.com 

    बड़ा होता जाय गभाशय भी उसी माण म व ततृ होता जाय। आ द।

    फर उसके बाद इमाम ने फरमाया क या इतनी बार कय को यान म रखते हुए चीज़ को बनाना और उसके इस तरह उ े य और योजन नयत करना कसी महान बु मान तथा उ च क ा क हकमत वाले क तदबीर से बना हुआ नह ं है? ऐसी व मयकार तथा आ चयजनक चीज़ वय ंबन ग ? ी और पु ष म वजातीय आकषण या खुद ब खुद आ गया? नह ं। ऐसा

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  • माअरेफत  ‐ 91  HAJINAJI.com 

    नह ं है। बि क इसे महान हकमत वाले ई वर ने नमाण कया है। जो लोग अ लाह क जात म शक करत े ह अ लाह उन सभी दोष से प व तथा उ च है।

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  • माअरेफत  ‐ 92  HAJINAJI.com 

    करण - ८ शर र के सभी अवयव के बनाने का

    उ े य तथा योजन फर इमाम ने फरमाया ऐ

    मुफ ज़ल !! मनु य के अवयव के वषय म तथा उन अवयव के उ े य तथा योजन के वषय म वचार करो।

    देखो दोन हाथ काय करने के लए है। दोन पैर चलने के लए है। दोन आँख देखने के लए है। मुँह खाने के लए, ज़बान बोलने के लए और वाद चखने के लए बनाई गई है। अमाशय

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  • माअरेफत  ‐ 93  HAJINAJI.com 

    खूराक हज़म करने के लए, िजगर खूराक म से जीवनदायी त व नकाल कर र त म मलाकर शर र के सम त भाग म पहँुचाने के लए है। उसम छ इस लए बनाए गए ह क अनाव यक त व दरू कये जाएँ। अंत डयां उसे उठाने के लए बनाई गई ह। य द इन बात पर वचार करोगे तो समझ जाओगे क कोई भी अवयव बेकार नह ं बनाया गया। बि क तु ह पता चलेगा क हर अवयव एक वशषे योजनाथ बहुत ह बार क और अ यंत कला मकता से यथा

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  • माअरेफत  ‐ 94  HAJINAJI.com 

    थान बड़ी सुदंरता से आयोिजत व एक त कया गया है।

    मुफ ज़ल ने नवेदन कया -- मेरे वामी ! कुछ लोग का कहना है क ये सार बात मनु य क कृ त से पैदा हुई है और वा तव मे कृ त ह इस कार बनाती है। अथात जैसी उसक कृ त होती है वैसे उसके अवयव अपने आप बन जात ेहै।

    इमाम ने फरमाया ऐसा कहने वाल से पूछो क जो कृ त ऐसी चीज़ हकमत और योजन से बनाती है वह

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  • माअरेफत  ‐ 95  HAJINAJI.com 

    कृ त ान और साम य भी रखती है या नादान और नासमझ है?

    य द वे कह क कृ त ऐसी चीज़ है िजसके पास ान और हर काय करने का साम य है तो उ ह ने कृ त को ानी और स म माना और उसे हर

    व तु का रच यता माना और वह तो अ लाह है। फर अ लाह को मानने म उ ह या आपि त है ? य क िजसम इतना ान है, िजसम हर काय करने का साम य है वह तो सबका मा लक

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  • माअरेफत  ‐ 96  HAJINAJI.com 

    है। जब वे कहत ेह क अ लाह नह ं है तो य वीकार करत ेह?

    य द वे कहते ह क कृ त कोई ऐसी व तु नह ं क िजसम ान और हर काय करने क मता हो। वह तो बना ान और बना साम य के ऐसी चीज़ अपने आप पैदा कर देती है। तो इससे सा बत होता है क कृ त जो करती है वह नह ं जानती क वह या और य कर रह है? उसी तरह उसम कोई काय करने क मता भी नह ं है। एक समझशि त से र हत कृ त इतनी

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  • माअरेफत  ‐ 97  HAJINAJI.com 

    उ च क ा क हकमत और म लेहत से प रपूण व तुओं का नमाण करे यह असंभव है। और उसे रच यता मानना एक बहुत बड़ी भूल है। भला इस बात को कौन वीकार करेगा क िजसे कसी भी कार क समझ न हो तथा शि त भी न हो वह या बना रह है और य बना रह है इसका भी उसे पता न हो इसके बावजूद ये माना जाय क वह बनाती है।

    सारांश यह क लोग िजसे कृ त, नेचर या नैस गक कहत ेह इससे उनका

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  • माअरेफत  ‐ 98  HAJINAJI.com 

    आशय वह नयम है िजससे चीज़ बनती है। ये नयम अ लाह ने अपनी रचना म अपनी हकमत से कायरत कया है। दसुरे श द म उसने हर व तु के पैदा करने क एक वशषे प त तय कर द है। जैसे ज़मीन पर बा रश होने से दाना उगता है। य द वषा न हो तो दाना न उगे। नर और नार के समागम से ब चा पैदा होता है। य द वे एक त न ह तो गभाधान संभव न हो। भाप से बादल बनत ेह हवा उसे हलाती है और बा रश होती है। य द ऐसा न हो तो बा रश न

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  • माअरेफत  ‐ 99  HAJINAJI.com 

    हो। ये नयम अ लाह ने तय कर दए है। ये नाि तक समझत ेह क नयम ह चीज़ को बनाने वाला और पैदा करने वाला है। इसके सवा कोई चीज़ व तुओं को बनाने वाल और पैदा करने वाल नह ं है। ये उनक गलती और मूखता है। य द पानी म कसी कार क शि त नह ं है तो वह अनाज कैसे पैदा कर सकता है? क त ु कसी महाशि तशाल ने पानी म वह भावशीलता दान क है िजससे अनाज उगता है। उसी कार वीय म ऐसी शि त नह ं क वह मनु य

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  • माअरेफत  ‐ 100  HAJINAJI.com 

    को पैदा कर सके क तु कसी महानतम बु शाल ने उसम वशषेता दान क है क वीय के कस ह से से सर बनेगा कस ह से से हाथ पाँव आ द कस ह से से दल बनेगा कस ह से से कलेजा आ द।

    (अनवुादक हाजी नाजी कहते ह क हम आधु नक काल का एक उदाहरण ल- िजतनी मशीन जैसे रेल, ट मर, कपड़ा बुनने के सांचे मोटर गा डयां उनके आ व कार कता इंिजनीयर ने बहुत मेहनत कर के बु क प रसीमा

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  • माअरेफत  ‐ 101  HAJINAJI.com 

    तक पंहुच कर उसके एक एक पाट जैसे बे रगं, ह ल, ले स, पाईप आ द को बनाया फर इस सारे पा स को एक त कर के दसुरे देश म भेज दया। वहाँ कम जानने वाले कार गर ने उन व भ न पा स को असे बल कर के मशीन त यार कर द । य द हम उ ह ं असे बल करने वाल को मशीन का आ व कार करने वाला समझ तो यह मूखता होगी। य क वे उन पा स क हक कत को नह ं जानते वे तो सखाए अनुसार उ ह असे बल कर सकत ेहै।)

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  • माअरेफत  ‐ 102  HAJINAJI.com 

    उसी कार ई वर ने हर चीज़ के होने के लए साधन तय कर दए ह क भू म म दाना डाल कर उसपर पानी दया जाय तो पेड़ उगता है। सारांश यह क हर एक व त ु के उ प न होने के लए साधन और णाल एक नयम के अंतगत ई वर ने तय कर दया है क तु वह नयम बनाने वाला मा ई वर है।

    फर आपने फरमाया के मुफ ज़ल मनु य के शर र म भोजन कस कार पहँुचता है उसपर ज़रा वचार करो, और उसम कैसी तदबीर और हकमत रखी

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  • माअरेफत  ‐ 103  HAJINAJI.com 

    गई है उसे समझने का य न करो। देखो जब भोजन अमाशय म जाता है तो वह उसे बहुत पकड़ सकता है उसम से वां छत त व जो बहुत मह वपूण है बार क नस वारा जो जाल के समान बनी है कलेजे म जात े है। अमाशय भोजन को पचाने और साफ़ करने के लए है। वह नुकसानदेह त व को दरू कर के बार क़ त व को कलेजे तक पहोचाते है ता क वह सरु त रहे। फर कलेजा भोजन को र त म बदल देता है। फर र त बार क बार क नस वारा

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  • माअरेफत  ‐ 104  HAJINAJI.com 

    सपंूण शर र म पहँुच जाता है। िजस कार बगीचे म चार ओर पानी पहँुचाने के लए ना लयां बनाई जाती है उसी कार इसक बनावट है। भोजन म से अवां छत त व नकलत े है उ ह एक त करने �


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