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Sample Copy. Not For Distribution.स नक ज _ स इश क क उम ] द [ ध गई...

Date post: 30-Dec-2019
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Sample Copy. Not For Distribution.
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  • Sample Copy. Not For Distribution.

  • i

    इश्क़ के धागे

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • ii

    Publishing-in-support-of,

    EDUCREATION PUBLISHING

    RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001

    Website: www.educreation.in __________________________________________________

    © Copyright, 2018 Rashid Damohi

    All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer.

    ISBN: 978-1-5457-2941-0

    Price: ` 290.00

    The opinions/ contents expressed in this book are solely of the author and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Educreation.

    Printed in India

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • iii

    इश्क़ के धागे

    jkf”kn neksgh

    EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)

    www.educreation.in

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • iv

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • v

    इन्तिसाब

    किताब...

    शरीिे-सफ़र...रफ़ीिे-हयात िे नाम

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • vi

    साांस िी डोर है बहुत िच्ची

    और पके्क हैं इश्क़ िे धागे

    किल िे चरखे पे टूट जाते हैं

    कजनिे िचे्च हैं इश्क़ िे धागे

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • jkf”kn neksgh

    1

    जब बार बार भेज े गये रुख़सती के पान तंग आके मझुको खाने पड़े रुख़सती के पान

    दीदारे-यार करने से पहल े ही साज़िशन महज़िल में मरेे सामने थे रुख़सती के पान

    मेंहदी का रंग जैसे चढे उनके हाथ पर होठों प े मेरे ऐसे रचे रुख़सती के पान

    अंदािे बेरुख़ी में भी तहिीबे-इश्क़ ह ैउसने बड़े अदब से ज़दये रुख़सती के पान

    कुछ ख़ास दोस्तों प े ज़गरेंगी ये ज़बजज़लयााँ

    महफ़िल में कब हैं सबके ज़लय े रुख़सती के पान

    ये सनुके ज़िर से इश्क़ की उम्मीद बंध गई थे ज़सिफ़ ज़दललगी के ज़लये रुख़सती के पान

    उल्ित की ख्वाज़हशों को ज़कया ज़जसने बे-मिा

    खाने में बे-मिा से लगे रुख़सती के पान

    राज़शद हमें भी पासे-अदब था ज़नकल पड़े हम बेज़दली से खाते रुख़सती के पान

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • इश्क़ के धागे

    2

    हमारे तुम्हारे यहााँ भी वहााँ भी

    ज़दलो-जााँ से प्यारे यहााँ भी वहााँ भी

    ये परचम ये नारे यहााँ भी वहााँ भी ज़सयासी ख़सारे यहााँ भी वहााँ भी

    ज़सयासत न े बांटा ह ै दोनों वतन को ज़सयासत के मारे यहााँ भी वहााँ भी

    ज़कस े हम पराया कहें तुम बताओ हैं अपने ही सारे यहााँ भी वहााँ भी

    यहााँ कोई आया वहााँ कोई पह चंा ह ए बेसहारे यहााँ भी वहााँ भी

    हैं अच्छे बरेु लोग दोनों ही घर में ये मीठे ये खारे यहााँ भी वहााँ भी

    Sample Copy. Not For Distribution.

  • jkf”kn neksgh

    3

    पड़ौसी न हरज़गि बदल पाओगे तमु ये समझो इशारे यहााँ भी वहााँ भी

    यहााँ िलु्मों-निरत वहााँ क़त्लो-ग़ारत हैं यकसााँ निारे यहााँ भी वहााँ भी

    यहााँ भी वहााँ भी ह ै बेरोिगारी तलाशें सहारे यहााँ भी वहााँ भी

    सभी अपना अपना मकुद्दर बनान े लगे हैं बेचारे यहााँ भी वहााँ भी

    सजाते हैं जो इश्क़ के आसमााँ को

    वही माह-पारे यहााँ भी वहााँ भी

    वही रात ज़दन ह ै वही दोपहर ह ै वही चााँद तारे यहााँ भी वहााँ भी

    Sample Copy. Not For Distribution.

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