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w §न्द्र वि Òाल स e y j द...

Date post: 24-Apr-2020
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108
1 केरीय विधालय संगठन नइ ᳰदली ऄययन सामी बारहि का वहदी (क ᳰरक) 2015-16 विा एिं व िण अंचवलक संथान , मैसूर जी.अइ.टी.बी .ेस कैपस, राघिर नग, वसाथथ नगर पी. .मैसूर कनाथटक -570011 दूरभाष : 0821 2470345 फ़ै स : 08212478578 इ मेल [email protected] िब साइट : www.zietmysore.org
Transcript
  • 1

    केन्द्रीय विद्यालय संगठन

    नइ ददल्ली

    ऄध्ययन सामग्री

    बारहिीं कक्षा

    वहन्द्दी (कें दरक) 2015-16

    विक्षा एिं प्रविक्षण अंचवलक संस्थान , मैसूर

    जी.अइ.टी.बी.प्रेस कैम्पस, राघिेंर नगर,

    वसद्धाथथ नगर – पी. ओ .मैसूर

    कनाथटक -570011 दरूभाष : 0821 2470345 फ़ैक्स : 08212478578

    इ मेल – [email protected]

    िेब साइट : www.zietmysore.org

    mailto:[email protected]

  • 2

    केन्द्रीय विद्यालय संगठन

    विक्षा एिं प्रविक्षण अंचवलक संस्थान , मैसूर

    ऄध्ययन सामग्री

    बारहिीं कक्षा

    वहन्द्दी (कें दरक) 2015-16

    श्री हरर िंकर स्नातकोत्तर ऄध्यापक (वहन्द्दी )

    संकाय,विक्षा एिं प्रविक्षण अंचवलक संस्थान , मैसूर

  • 3

    श्री संतोष कुमार मल्ऱ ,आईएएस आयुक्त

    Shri.ShriSantosh Kumar Mall, IAS Commissioner, KVS

    श्री जी. के. श्रीवास्तव, आईएएस अऩर आयकु्त (प्रशासन)

    G.K. Srivastava, IAS Additional Commissioner (Administration)

    श्रीयू एनखवारे अऩर आयकु्त (शैक्षऺक)

    Mr. U N Khaware Additional Commissioner (Academics)

    डॉ. शचीकाॊत सॊयकु्त आयकु्त (प्रशशऺण)

    Dr. Shachi Kant Joint Commissioner (Training)

    श्री ए. अरूमुगम सॊयकु्त आयकु्त (ववत्त)

    Shri M Arumugam Joint Commissioner (Finance)

    डा वी. ववजयऱक्ष्मी संयकु्त आयकु्त (शिऺा)

    Dr. V. Vijayalakshmi Joint Commissioner (Academics)

    डॉ. ई. प्रभाकर सॊयकु्त आयकु्त (काशमिक)

    Dr. E. Prabhakar Joint Commissioner (Personnel)

    श्री.एस.ववजयकुमार सॊयुक्तआयुक्त(प्रशासन) Shri S Vijayakumar

    Joint Commissioner (Admn)

    हमारे संरऺक

  • 4

    प्रस्तािना

    केन्द्रीय विद्यालय संगठन , विक्षा एिं प्रविक्षण अंचवलक संस्थान , मैसूर के सात संकाय सदस्य —

    श्री के अरुमुगम (भौवतकी ) ,श्री कल्लू वििललगम(गवणत ) ,श्री एम.रेढ़ेन्ना (भूगोल ) , श्री मुरूगन

    ( आवतहास), श्री हरर िंकर (वहन्द्दी), श्री जोसफ पॉल (ऄथथिास्त्र) और श्री यू पी वबनोय (ऄंग्रेजी) ने

    कक्षा बारह के वलए िषथ 2015-16 का ऄध्ययन सामग्री तैयार दकया ह ै|

    सभी विषयों के ऄध्ययन सामवग्रयों में कुछ वििेष पहलुओं पर ध्यान केवन्द्रत दकया गया ह ैजैसे –

    पाठ का सार

    ऄंकन योजना (सी बी एस इ )

    मुख्य प्रश्न

    अदिथ प्रश्न पत्र हल सवहत

    ऄच्छे ऄंक पाने के ईपाय

    ईपयुथक्त संकाय सदस्यों ने आस ऄध्ययन सामग्री के वनमाथण में काफी प्रयास दकया ह ैऔर दो महीने

    में आस कायथ को सम्पन्न दकया ह ै|िे सभी प्रिंसा के पात्र हैं |

    आन विषयों के ऄध्यापक गण आस ऄध्ययन सामग्री का प्रयोग िषथ 2016 , जनिरी और फरिरी

    महीने के प्रीबोडथ परीक्षाओं के पुनरािृवत्त कायों के वलए कर सकते हैं | अिा ह ैदक आस ऄध्ययन

    सामग्री की सहायता से छात्र अने िाली बोडथ परीक्षाओं में ईत्तम ऄंक प्राप्त कर सकें गे |

    ऄध्यापकों से वनिेदन ह ैदक िे आस ऄध्ययन सामग्री को पढे और आसके सुधार हतुे ऄपने विचार

    और सुझाि आस संस्थान के इ-मेल [email protected] पर ऄिश्य भेजे |

    डॉ इ टी ऄरसु

    ईपायुक्त एिं वनदेिक

    के िी एस , ज़ेड अइ इ टी

    मैसूर

  • 5

    ऄध्ययन सामग्री का ईपयोग कैसे करें

    परीक्षा में पूणथता हावसल करने का एकमात्र तरीका ऄभ्यास मात्र ह ै | ईवचत योजना और ऄभ्यास से व्यवक्त

    ऄपने त्रुरटयों को कम कर पाता ह ै| ऄभ्यास के वलए सही मागथदिथन भी ज़रूरी होता ह ै|

    यह एक तकथ संगत प्रश्न ह ैदक आस तरह के ऄध्ययन सामग्री की ज़रूरत क्यों ह ै ? आस पुस्तक का वनमाथण ईन

    छात्रों को ध्यान में रखकर दकया गया ह ैजो परीक्षा में ऄवधक से ऄवधक ऄंक प्राप्त करना चाहते हैं। आसमें

    परीक्षा की तैयारी के वलए अिश्यक संकेत ददए गए हैं | छात्रों को आसी ददिा में ऄभ्यास करना ह ै| संकवलत

    प्रश्न पत्र निीनतम सी बी एस इ के पाठ्यक्रम एिं रूपरेखा पर अधाररत हैं | यह परीक्षा की विषय िस्तु

    एिं संरचना से भली – भााँवत पररवचत कराने में यह अपकी सहायता करेगा |

    कमजोर छात्र भी आसके ऄध्ययन से लाभावन्द्ित होंगे | ईन्द्हें पाठ को समझने और प्रश्नों के प्रारूप को याद

    करने में मदद वमलेगी | ईत्तर वलखने का ऄभ्यास िे ऄध्यापकों की मदद से कर पाएंगे |

    ऄध्यापकों से वनिेदन ह ैदक िे पाठ्यक्रम पूर्तत के बाद ऄभ्यास के रूप में आस पुस्तक की मदद ले सकते हैं |

    ददए गए प्रश्नों के प्रकार से िे ऄन्द्य प्रश्नों का वनमाथण कर छात्रों से ऄवधकावधक ऄभ्यास करिा सकें गे |

    पाठ का सार ददया गया ह ैवजसे रोज़ पढ़कर छात्र असानी से पाठों को स्मरण कर सकें गे | आन्द्हें पढ़कर छात्र

    परीक्षा में पाठ संबंधी पूछे गए प्रश्नों को ऄपने तरीके से ईत्तर भी दे सकें गे |

    ऄंत में अदिथ प्रश्न पत्र और ईसका ईत्तर भी ददया गया ह ैजो सी बी एस इ के िेबसाआट से वलया गया ह ै |

    आसका ईद्देश्य छात्रों को ईत्तर वलखते समय ध्यान देने िाले मूल्य वबन्द्दओुं की ओर अकर्तषत करना ह ै | छात्रों

    को परीक्षा में ऄवधक ऄंक प्राप्त करने के ईद्देश्य से आन वबन्द्दओुं को ध्यान में रखकर पढ़ना होगा |

    अिा ह ैदक यह पुस्तक अपके ऄध्ययन योजना को विकवसत करने में एक मागथदिथक की भााँवत काम करेगा |

  • 6

    ऄनुक्रमवणका

    कं्र संख्या विषय पृष्ठ संख्या

    1 वहन्द्दी कें दरक पाठयक्रम 7-8

    2 प्रश्न पत्र का प्रश्नानुसार विश्लेषण एिं प्रारूप 9

    3 परीक्षा में ऄच्छे ऄंक प्राप्त करने हतेु वनदेि 10-12

    4 ऄवभव्यवक्त और माध्यम 13-19

    5 अलेख लेखन प्रमुख वनदेि 19-20

    6 फीचर लेखन प्रमुख वनदेि 21-22

    7 पुस्तक समीक्षा 22-28

    8 अरोह गद्य भाग 29-44

    9 अरोह पद्य भाग 44-62

    10 वितान 62-70

    11 अदिथ प्रश्न पत्र 71-81

    12 अरोह – पाठ का सार 82-94

    13 वितान – पाठ का सार 94-96

    14 अदिथ प्रश्न पत्र –ईत्तर सवहत 97-108

  • 7

    वहन्द्दी (केवन्द्रक)- पाठ्यक्रम

    कोड सं. 302

    कक्षा XII (बारहिीं )

    ऄपरठत --गद्यांि –बोध (गदयांि पर अधाररत बोध,प्रयोग,रचनान्द्तरण , िीषथक अदद पर

    लघूत्तरात्मक प्रश्न ) ( िीषथक पर प्रश्न (1 ऄंक ) + 7 लघूत्तरात्मक प्रश्न 2x7 )

    ऄपरठत काव्यांि –बोध( पदयांि पर अधाररत 5 लघूत्तरात्मक प्रश्न )

    15+5=20

    कायाथलयी वहन्द्दी और रचनात्मक-लेखन

    वनबंध 5

    कायाथलयी पत्र 5

    लप्रट माध्यम , संपादकीय, ररपोटथ , अलेख अदद पर 5 ऄवतलघूत्तरात्मक प्रश्न ) 5

    दकसी एक विषय पर अलेख ऄथिा हाल ही में पढ़ी पुस्तक की समीक्षा 5

    जीिन संदभों से जुड़ी घटनाओं और वस्थवतयों पर फीचर लेखन 5

    पाठ्यपुस्तक – अरोह भाग-२ (काव्यांि-20 गद्यांि-20) 40

    पूरक-पुस्तक वितान भाग-२ 15

    कुल ऄंक 100

    (क) ऄपरठत बोध 20

    प्रश्न 1-काव्यांि बोध पर अधाररत पााँच लघूत्तरात्मक प्रश्न 1*5= 5

    प्रश्न 2-गद्यांि बोध पर अधाररत बोध, प्रयोग, रचनान्द्तरण, िीषथक अदद पर

    लघूत्तरात्मक प्रश्न 15

    (ख) कायाथलयी वहन्द्दी और रचनात्मक-लेखन 25

    प्रश्न 3- वनबंध (दकसी एक विषय पर) 5

    प्रश्न 4- कायाथलयी पत्र 5

    प्रश्न 5- लप्रट माध्यम, सम्पादकीय, ररपोटथ, अलेख अदद पर पााँच ऄवत लघूत्तरात्मक प्रश्न 5

    प्रश्न 6- अलेख (दकसी एक विषय पर) ऄथिा हाल ही में पढ़ी पुस्तक की समीक्षा 5

    प्रश्न 7- फीचर लेखन (जीिन-सन्द्दभों से जुडी घटनाओं और वस्थवतयों पर ) 5

  • 8

    (ग) 1) अरोह भाग-२ (काव्य भाग और गद्य भाग) (20+20)=40

    प्रश्न8- दो काव्यांिों में से दकसी एक पर ऄथथ ग्रहण के 4 प्रश्न (2x4) 8

    प्रश्न 9- काव्यांि के सौंदयथ-बोध पर एक काव्यांि पर तीन प्रश्न (2x3) 6

    प्रश्न10- कविताओं की विषयिस्तु से संबंवधत दो लघूत्तरात्मक प्रश्न (3+3) 6

    प्रश्न 11-एक गद्यांि पर अधाररत ऄथथ-ग्रहण के चार प्रश्न(2+2+2+2) 8

    प्रश्न 12- पाठों की विषयिस्तु पर अधाररत चार बोधात्मक प्रश्न (3+3+3+3) 12

    2) पूरक पुस्तक वितान भाग -२ 15

    प्रश्न 13-पाठों की विषयिस्तु पर अधाररत एक मूल्यपरक प्रश्न 1x 5 5

    प्रश्न 14-विषयिस्तु पर अधाररत दो वनबंधात्मक प्रश्न 5+5 10

    वनधाथररत पुस्तकें

    (i) अरोह भाग-२ (एन.सी.इ.अर.टी. द्वारा प्रकावित)

    (ii) वितान भाग-२ (एन.सी.इ.अर.टी. द्वारा प्रकावित)

    (ii) ऄवभव्यवक्त और माध्यम (एन.सी.इ.अर.टी. द्वारा प्रकावित)

  • 9

    प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार विशे्लषण एिं प्रारूप

    कं्र

    सं

    प्रश्नों का

    प्रारूप

    दक्षता परीक्षण / ऄवधगम

    पररणाम

    1 ऄंक 2 ऄंक 3 ऄंक 5 ऄंक कुल

    ऄंक

    प्रवतित

    1 ऄपरठत बोध

    (पठन कौिल)

    ऄिधारणात्मक बोध , ऄथथग्रहण,

    ऄनुमान लगाना,विश्लेषण करना ,

    िब्द ज्ञान ि भावषक प्रयोग,

    सृजनात्मक , मौवलकता |

    6 7 - - 20 20%

    2 कायाथलयी वहन्द्दी

    और रचनात्मक-

    लेखन

    (लेखन-कौिल)

    संकेत लिदओुं का विस्तार, ऄपने

    मत की ऄवभव्यवक्त , सोदाहरण

    समझना,औवचत्य वनधाथरन, भाषा

    मेम प्रिाहमयता, सटीक

    िैली,ईवचत प्रारूप का प्रयोग,

    ऄवभव्यवक्त की मौवलकता,

    सृजनात्मकता एिं तर्कककता

    5 - - 4 25 25%

    3 पाठ्यपुस्तकें प्रत्यासमरण, विषयिस्तु का बोध

    एिं व्याख्या, ऄथथग्रहण

    (भािग्रहण), लेखक के मनोभािों

    को समझना, िब्दों का

    प्रसंगानुकूल ऄथथ समझना,

    अलोचनात्मक लचतन, तार्कककता,

    सराहना, सावहवत्यक परम्पराओं

    के पररप्रेक्ष्य में मूल्यांकन,

    विश्लेषण, सृजनात्मकता,

    कल्पनािीलता, कायथकारण संबंध

    स्थावपत करना, साम्यता एिं

    ऄंतरों की पहचान, ऄवभव्यवक्त में

    मौवलकता एिं जीिन मूल्यों की

    पहचान |

    - 11 6 3 55 55%

    कुल 1x11=11 2x18=36 3x6=18 5x7=35 100 100%

  • 10

    ऄध्ययन सामग्री

    वहन्द्दी (कें दरक) 2015-16

    परीक्षा में ऄच्छे ऄंक प्राप्त करन ेके वलए ध्यान देन ेयोग्य बातें--

    1. लेख एि ंितथनी की िुद्दता तथा िाक्य-गठन पर ध्यान दें |

    2. पाठ का सारांि याद कर लें |

    3. प्रश्नों को ध्यान से पढ़े तदनुसार ऄपेवक्षत ईत्तर वलखें |

    4 ईत्तर में मुख्य वबन्द्दओुं का ईल्लेख करें और ऄंक के ऄनुसार स्पष्ट करें |

    5 ऄंक योजना के ऄनुसार िब्द सीमा का ध्यान रखें |

    6 भाषा सरल होनी चावहए | ईत्तर सटीक होने चावहए | ईत्तर मे ईदाहरण ददए जाने चावहए |

    7 गद्य पाठ में से दकतने प्रकार के प्रश्न परीक्षा में अ रहे हैं यह स्मरण रहे ---- दो प्रकार

    ऄ) ऄथथ ग्रहण के प्रश्न ( परठत गदयांि पर 2 ऄंक के चार प्रश्न )

    अ) पाठ के विषय िस्तु पर प्रश्न ( पाठ के अधार पर 3 ऄंक के चार प्रश्न )

    8 पदयांि पाठ से दकतने प्रकार के प्रश्न परीक्षा में अ रहे हैं यह स्मरण रहे ---- तीन प्रकार

    ऄ) ऄथथ ग्रहण के प्रश्न ( परठत पदयांि पर 2 ऄंक के चार प्रश्न )

    अ) काव्य सौंदयथ पर प्रश्न (परठत पदयांि पर 3 ऄंक के दो प्रश्न )

    आ) पाठ के विषय िस्तु पर प्रश्न (परठत कविता के अधार पर 3 ऄंक के दो प्रश्न )

    9 वितान पुस्तक में से दो तरह के प्रश्न –

    ऄ) एक मूल्यपरक प्रश्न (5 ऄंक)

    अ) दो वनबंधात्मक प्रश्न ( 5 ऄंक के दो प्रश्न )

    10 ऄपरठत काव्यांि से संबवन्द्धत प्रश्न करने से पहले अप वनम्नवलवखत बातों का ध्यान रखें

    ऄ) काव्यांि की मूल भािना को समझने का प्रयास करें |

    अ) काव्यांि के संबंध में पूछे गए प्रश्नों को पहल ेध्यान से पढे और ईसे समझने का प्रयास करें | दफर ददए

    गए काव्यांि को दो तीन बार मौन िाचन करे और सोचे की कवि क्या कहना चाहता ह ै |

  • 11

    आ) प्रश्नों के ईत्तर यथासंभि ऄपनी भाषा और िैली में वलखने चावहए |

    आ) परीक्षा पूिथ ददये जाने िाले 15 वमनट पठन समय का पूरा ईपयोग करें |

    ऄपरठत गदयांि

    ऄ) पहल ेपूछे गए प्रश्न ध्यान से पढे और ईन प्रश्नों का ऄथथ समझने का प्रयास करें |

    अ) ददए गए गदयांि को ध्यान से दो तीन बार पढ़े |

    आ) प्रश्नों के ईत्तर वलखते समय ध्यान रखें दक यह गदयांि में दी गइ सामाग्री के अधार पर हो | भाषा िैली

    और प्रस्तुती छात्रों के ऄपने िब्दों में हो |

    इ) सरल भाषा में सीधे और सटीक ईत्तर वलखे |

    ए) ऄपरठत गदयांि का िीषथक संवक्षप्त , अकषथक और सटीक होना चावहए , गदयांि के मूल भाि को व्यक्त

    करने िाला होना चावहए |

    वनबंध लेखन :

    ददए गए विषय की एक रूपरेखा बना लें |

    पाराग्राफ में वलखना सीखें |

    लेखन के समय पूिाथपर संबंध के वनयम का वनिाथह दकया जाए ऄथाथत उपर की बात ईसके

    ठीक नीचे की बात से जुड़ी होनी चावहए, वजससे विषय का क्रम बना रह े|

    पुनरािृवत्त दोष न अए |

    भाषा सरल, सहज और बोधगम्य हो |

    वनबंध का प्रारम्भ दकसी कहाित, ईवक्त, सूवक्त अदद से दकया जाए |

    भूवमका/प्रस्तािना में विषय का सामान्द्य पररचय तथा ईपसंहार में विषय का वनष्कषथ

    होना चावहए |

    ऄभ्यास हेतु प्रश्न :

    प्राकृवतक अपदाएाँ : कारण और वनिारण

    प्रगवत के पथ पर भारत

    महाँगाइ की मार

    स्िच्छ भारत ,स्िस्थ भारत

    भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान

    राष्ट्र वनमाथण में युिा पीढ़ी का योगदान

    नारी तुम केिल श्रद्धा हो

    बढ़ती जनसंख्या : संसाधनों पर बोझ

    अधुवनक जनसंचार माध्यम

  • 12

    पत्र-लेखन-

    पत्र ऄनेक प्रकार के हो सकते हैं, पर प्राय: परीक्षाओं में विकायती-पत्र, अिेदन-पत्र तथा संपादक के

    नाम पत्र पूछे जाते हैं। आन पत्रों को वलखते समय वनम्न बातों का ध्यान रखा जाना चावहए:

    पत्र-लेखन के ऄंग:-

    पता और ददनांक- पत्र के उपर बाईं ओर पे्रषक का पता ि ददनांक वलखा जाता ह ै(छात्र पते के

    वलए परीक्षा-भिन ही वलखें)

    संबोधन और पता– वजसको पत्र वलखा जा रहा ह ैईसको यथानुरूप संबोवधत दकया जाता ह,ै

    औपचाररक पत्रों में पद-नाम और कायाथलयी पता रहता ह ै|

    “दकसको” “दकसके नाम” प्रश्न का ईत्तर अपको बताएगा दक अप दकसे वलखेंगे | ईत्तर में अपको

    ऐसे वमलेगा --- संपादक को , ऄध्यक्ष को , वनदेिक को , संपादक के नाम , ऄध्यक्ष के नाम ,

    वनदेिक के नाम |

    विषय – केिल औपचाररक पत्रों में प्रयोग करें (पत्र के कथ्य का संवक्षप्त रूप, वजसे पढ़ कर पत्र

    की सामग्री का संकेत वमल जाता ह ै)

    पत्र की सामग्री – यह पत्र का मूल विषय ह,ै आसे संके्षप में सारगर्तभत और विषय के स्पष्टीकरण

    के साथ वलखा जाए |

    पत्र की समावप्त – आसमें धन्द्यिाद, अभार सवहत ऄथिा साभार जैसे िब्द वलख कर लेखक

    ऄपने हस्ताक्षर और नाम वलखता ह ै|

    ध्यान दें, छात्र पत्र में कहीं ऄपना ऄवभज्ञान (नाम-पता) न दें | औपचाररक पत्रों में विषयानुरूप

    ही ऄपनी बात कहें | बोवझल िब्दािली से बचें |

    भाषा िुद्ध, सरल, स्पष्ट, विषयानुरूप तथा प्रभािकारी होनी चावहए।

    कुछ प्रश्नों के ईदाहरण

    वबजली की समुवचत अपूर्तत न होने से ईत्पन्न समस्याओं का िणथन करते हुए विद्युत विभाग

    के प्रबन्द्धक को एक पत्र वलखे |

    दकसी दैवनक समाचार-पत्र के संपादक के नाम पत्र वलवखए वजसमें िृक्षों की कटाइ को

    रोकने के वलए सरकार का ध्यान अकर्तषत दकया गया हो।

    लहसा-प्रधान दफ़ल्मों को देख कर बालिगथ पर पड़ने िाले दषु्प्रभाि का िणथन करते हुए

    दकसी दैवनक पत्र के संपादक के नाम पत्र वलवखए।

    ऄवनयवमत डाक-वितरण की विकायत करते हुए पोस्टमास्टर को पत्र वलवखए।

    वलवपक पद हतुे विद्यालय के प्राचायथ को अिेदन-पत्र वलवखए।

  • 13

    ऄवभव्यवक्त और माध्यम

    o ऄवभव्यवक्त और माध्यम से संबंवधत प्रश्न वििेष रूप से तथ्यपरक होते हैं ऄत: ईत्तर

    वलखते समय सही तथ्यों को ध्यान में रखें।

    o िुद्ध ितथनी का ध्यान रखें ।

    o ईत्तर में ऄनािश्यक बातें न वलखें ।

    संचार दकसे कहते हैं ?

    ‘संचार’ िब्द चर् धातु के साथ सम् ईपसगथ जोड़ने से बना ह-ै आसका ऄथथ ह ैचलना या एक स्थान से

    दसूरे स्थान तक पहुाँचना |संचार संदेिों का अदान-प्रदान ह ै|

    सूचनाओं, विचारों और भािनाओं का वलवखत, मौवखक या दशृ्य-श्रव्य माध्यमों के जररये सफ़लता

    पूिथक अदान-प्रदान करना या एक जगह से दसूरी जगह पहुाँचाना संचार है।

    संचार माध्यम से अप क्या समझते हैं ?

    संचार-प्रदक्रया को संपन्न करने में सहयोगी तरीके तथा ईपकरण संचार के माध्यम कहलाते हैं।

    1 संचार के मूल तत्त्ि वलवखए |

    संचारक या स्रोत

    एन्द्कोलडग (कूटीकरण )

    संदेि ( वजसे संचारक प्राप्तकताथ तक पहुाँचाना चाहता ह)ै

    माध्यम (संदेि को प्राप्तकताथ तक पहुाँचाने िाला माध्यम होता ह ैजैसे- ध्िवन-तरंगें, िायु-

    तरंगें, टेलीफोन, समाचारपत्र, रेवडयो, टी िी अदद)

    प्राप्तकत्ताथ (डीकोलडग कर संदेि को प्राप्त करने िाला)

    फीडबैक (संचार प्रदक्रया में प्राप्तकत्ताथ की प्रवतदक्रया)

    िोर (संचार प्रदक्रया में अने िाली बाधा)

    2 संचारकेप्रमुखप्रकारोंकाईल्लेखकीवजए ?

    सांकेवतक संचार

    मौवखक संचार

    ऄमौवखक संचार

    ऄंत:िैयवक्तक संचार

    ऄंतरिैयवक्तक संचार

    समूह संचार

    जनसंचार

    3 जनसंचार से अप क्या समझते हैं ?

    प्रत्यक्ष संिाद के बजाय दकसी तकनीकी या यांवत्रक माध्यम के द्वारा समाज के एकवििाल िगथसे

    संिाद कायम करना जनसंचार कहलाता ह।ै

    4 जनसंचार के प्रमुख माध्यमों का ईल्लेख कीवजए |

    ऄखबार , रेवडयो, टीिी, आंटरनेट, वसनेमा अदद.

  • 14

    5 जनसंचार की प्रमुखवििेषताएाँ वलवखए |

    आसमें फ़ीडबैक तुरंत प्राप्त नहीं होता।

    आसके संदेिों की प्रकृवत सािथजवनक होती ह।ै

    संचारक और प्राप्तकताथ के बीच कोइ सीधा संबंध नहीं होता।

    जनसंचार के वलए एक औपचाररक संगठन की अिश्यकता होती ह।ै

    आसमें ढेर सारे द्वारपाल काम करते हैं।

    6 जनसंचार के प्रमुख कायथ कौन-कौन से हैं ?

    सूचना देना

    विवक्षत करना

    मनोरंजन करना

    वनगरानी करना

    एजेंडा तय करना

    विचार-विमिथ के वलए मंच ईपलब्ध कराना

    7 लाआि से क्या ऄवभप्राय है ?

    दकसी घटना का घटना-स्थल से सीधा प्रसारण लाआि कहलाता ह ै|

    8 लप्रट मीवडया के प्रमुख तीन पहलू कौन-कौन से हैं ?

    समाचारों को संकवलत करना

    संपादन करना

    मुरण तथा प्रसारण

    9 समाचारों को संकवलत करने का कायथ कौन करता है ?

    संिाददाता

    10 भारत में पत्रकाररता की िुरुअत कब और दकससे हुइ ?

    भारत में पत्रकाररता की िुरुअत सन 1780 में जेम्स अगस्ट वहकी के बंगाल गजट से

    हुइ जो कलकत्ता से वनकला था |

    11 लहदी का पहला साप्तावहक पत्र दकसे माना जाता है ?

    लहदी का पहला साप्तावहक पत्र ‘ईदंत मातंड’ को माना जाता ह ैजो कलकत्ता से पंवडत जुगल

    दकिोर िुक्ल के संपादन में वनकला था |

    12 अजादी से पूिथ कौन-कौन प्रमुख पत्रकार हुए?

    महात्मा गांधी , लोकमान्द्य वतलक, मदन मोहन मालिीय, गणेि िंकर विद्याथी , माखनलाल

    चतुिेदी, महािीर प्रसाद वद्विेदी , प्रताप नारायण वमश्र, बाल मुकंुद गुप्त अदद हुए |

    13 अजादी से पूिथ के प्रमुख समाचार-पत्रों और पवत्रकाओं के नाम वलवखए |

    केसरी, वहन्द्दसु्तान, सरस्िती, हसं, कमथिीर, अज, प्रताप, प्रदीप, वििाल भारत अदद |

    14 अजादी के बाद की प्रमुख पत्र-पवत्रकाओं तथा पत्रकारों के नाम वलखए |

    प्रमुख पत्र ---- नि भारत टाआम्स, जनसत्ता, नइ दवुनया, वहन्द्दसु्तान, ऄमर ईजाला, दैवनक

    भास्कर, दैवनक जागरण अदद |

  • 15

    प्रमुख पवत्रकाएाँ – धमथयुग, साप्तावहक वहन्द्दसु्तान, ददनमान , रवििार , आंवडया टुडे, अईट लुक

    अदद |

    प्रमुख पत्रकार- ऄज्ञेय, रघुिीर सहाय, धमथिीर भारती, मनोहरश्याम जोिी, राजेन्द्र माथुर

    अदद ।

    15 पत्रकाररता क्या है ?

    ऐसी सूचनाओं का संकलन एिं संपादन कर अम पाठकों तक पहुाँचाना, वजनमें ऄवधक से ऄवधक

    लोगों की रुवच हो तथा जो ऄवधक से ऄवधक लोगों को प्रभावित करती हों, पत्रकाररता कहलाता

    ह।ै(देि-विदेि में घटने िाली घटनाओं की सूचनाओं को संकवलत एिं संपाददत कर समाचार के रूप

    में पाठकों तक पहुाँचाने की दक्रया/विधा को पत्रकाररता कहते हैं)

    16 समाचार दकसे कहते हैं ?

    समाचार दकसी भी ऐसी ताजा घटना, विचार या समस्या की ररपोटथ है,वजसमें ऄवधक से ऄवधक

    लोगों की रुवच हो और वजसका ऄवधक से ऄवधक लोगों पर प्रभाि पड़ता हो ।

    17 डेडलाआन स ेअप क्या समझत ेहैं ?

    समाचार माध्यमों के वलए समाचारों को किर करने के वलए वनधाथररत समय-सीमा को डेडलाआन

    कहते हैं।

    18 संपादन से क्या ऄवभप्राय है ?

    प्रकािन के वलए प्राप्त समाचार-सामग्री से ईसकी ऄिुवद्धयों को दरू करके पठनीय तथा प्रकािन

    योग्य बनाना संपादन कहलाता ह।ै

    19 संपादकीय क्या है ?

    संपादक द्वारा दकसी प्रमुख घटना या समस्या पर वलखे गए विचारात्मक लेख को, वजसे संबंवधत

    समाचारपत्र की राय भी कहा जाता है, संपादकीय कहते हैं। संपादकीय दकसी एक व्यवक्त का

    विचार या राय न होकर समग्र पत्र-समूह की राय होता है, आसवलए संपादकीय में संपादक ऄथिा

    लेखक का नाम नहीं वलखा जाता ।

    20 पत्रकाररता के प्रमुख प्रकार वलवखए |

    खोजी पत्रकाररता

    वििेषीकृत पत्रकाररता

    िॉचडॉग पत्रकाररता

    एडिोकेसी पत्रकाररता-

    पीत पत्रकाररता

    पेज थ्री पत्रकाररता

    21 खोजी पत्रकाररता क्या है ?

    वजसमेंअम तौर पर सािथजवनक महत्त्ि के मामलों,जैसे-भ्रष्टाचार, ऄवनयवमतताओं और गड़बवड़यों

    की गहराइ से छानबीन कर सामने लाने की कोविि की जाती ह।ै लस्टग ऑपरेिन खोजी

    पत्रकाररता का ही एक नया रूप ह।ै

    22 िॉचडॉग पत्रकाररता से अप क्या समझते हैं ?

    लोकतंत्र में पत्रकाररता और समाचार मीवडया का मुख्य ईत्तरदावयत्ि सरकार के कामकाज पर

  • 16

    वनगाह रखना ह ैऔर कोइ गड़बड़ी होने पर ईसका परदाफ़ाि करना होता है, परंपरागत रूप से

    आसे िॉचडॉग पत्रकाररता कहते हैं।

    23 एडिोकेसी पत्रकाररता दकसे कहते हैं ?

    आसे पक्षधर पत्रकाररता भी कहते हैं। दकसी खास मुद्दे या विचारधारा के पक्ष में जनमत बनाने

    केवलए लगातार ऄवभयान चलाने िाली पत्रकाररता को एडिोकेसी पत्रकाररता कहते हैं।

    24 पीत पत्रकाररता से अप क्या समझते हैं ?

    पाठकों को लुभाने के वलए झूठी ऄफ़िाहों, अरोपों-प्रत्यारोपों, पे्रमसंबंधों अदद से संबंवधत

    सनसनीखेज समाचारों से संबंवधत पत्रकाररता को पीत पत्रकाररता कहते हैं।

    25 पेज थ्री पत्रकाररता दकसे कहते हैं ?

    ऐसी पत्रकाररता वजसमें फ़ैिन, ऄमीरों की पार्टटयों , महदफ़लों और जानेमाने लोगों के वनजी जीिन

    के बारे में बताया जाता ह।ै

    26 वििेषीकृत पत्रकाररता क्या है ?

    दकसी वििेष के्षत्र की वििेष जानकारी देते हुए ईसका विशे्लषण करना वििेषीकृत पत्रकाररता है|

    27 वििेषीकृत पत्रकाररता के प्रमुख क्षेत्रों का ईल्लेख कीवजए |

    संसदीय पत्रकाररता

    न्द्यायालय पत्रकाररता

    अर्तथक पत्रकाररता

    खेल पत्रकाररता

    विज्ञान और विकास पत्रकाररता

    ऄपराध पत्रकाररता

    फैिन और दफल्म पत्रकाररता

    28 लप्रट मीवडया से क्या अिय है ?

    छपाइ िाले संचार माध्यम को लप्रट मीवडया कहते हैं | आसे मुरण-माध्यम भी कहा जाता ह ै|

    समाचार-पत्र ,पवत्रकाएाँ, पुस्तकें अदद आसके प्रमुख रूप हैं |

    29 जनसंचार के मुदरत माध्यम कौन-कौन से हैं ?

    मुदरत माध्यमों के ऄन्द्तगथत ऄखबार , पवत्रकाएाँ, पुस्तकें अदद अती हैं ।

    30 मुदरत माध्यम की वििेषताएाँ वलवखए |

    छपे हुए िब्दों में स्थावयत्ि होता ह,ै आन्द्हें सुविधानुसार दकसी भी प्रकार से पढाऺ जा

    सकता ह।ै

    यह माध्यम वलवखत भाषा का विस्तार ह।ै

    यह लचतन, विचार- विशे्लषण का माध्यम ह।ै

    31 मुदरत माध्यम की सीमाएाँ (दोष) वलवखए |

    वनरक्षरों के वलए मुदरत माध्यम दकसी काम के नहीं होते।

    ये तुरंत घटी घटनाओं को संचावलत नहीं कर सकते।

    आसमें स्पेस तथा िब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ता ह।ै

    आसमें एक बार समाचार छप जाने के बाद ऄिुवद्ध-सुधार नहीं दकया जा सकता।

    32 मुदरत माध्यमों के लेखन के वलए वलखते समय दकन-दकन बातों का ध्यान रखा जाना

    चावहए |

    भाषागत िुद्धता का ध्यान रखा जाना चावहए।

  • 17

    प्रचवलत भाषा का प्रयोग दकया जाए।

    समय, िब्द ि स्थान की सीमा का ध्यान रखा जाना चावहए।

    लेखन में तारतम्यता एिं सहज प्रिाह होना चावहए।

    33 आलैक्रावनक माध्यम से क्या तात्पयथ है ?

    वजस जन संचार में आलैक्रावनक ईपकरणों का सहारा वलया जाता ह ैआलैक्रावनक माध्यम कहते हैं।

    रेवडयो, दरूदिथन , आंटरनेट प्रमुख आलैक्रावनक माध्यम हैं।

    34 ईल्टा वपरावमड िैली क्या है? यह दकतने भागों में बाँटी होती है ?

    वजसमें तथ्यों को महत्त्ि के क्रम से प्रस्तुत दकया जाता है, सिथप्रथम सबसे ज्यादा महत्त्िपूणथ तथ्य को

    तथा ईसके ईपरांत महत्त्ि की दवृष्ट से घटते क्रम में तथ्यों को रखा जाता ह ैईसे ईल्टा वपरावमड

    िैली कहते हैं । ईल्टावपरावमड िैली में समाचार को तीन भागों में बााँटा जाता है-- आंरो, बॉडी और

    समापन।

    35 रेवडयो समाचार-लेखन के वलए दकन-दकन बुवनयादी बातों पर ध्यान ददया जाना चावहए?

    समाचार िाचन के वलए तैयार की गइ कापी साफ़-सुथरी ओ टाआप्ड कॉपी हो।

    कॉपी को ररपल स्पेस में टाआप दकया जाना चावहए।

    पयाथप्त हाविया छोडाऺ जाना चावहए।

    ऄंकों को वलखने में सािधानी रखनी चावहए।

    संवक्षप्ताक्षरों के प्रयोग से बचा जाना चावहए।

    36 दरूदिथन जन संचार का दकस प्रकार का माध्यम है ?

    दरूदिथन जनसंचार का सबसे लोकवप्रय ि सिक्त माध्यम ह।ै आसमें ध्िवनयों के साथ-साथ दशृ्यों का

    भी समािेि होता है। आसके वलए समाचार वलखते समय आस बात का ध्यान रखा जाता ह ैदक

    िब्द ि पदे पर ददखने िाले दशृ्य में समानता हो।

    37 टी०िी० खबरों के विवभन्न चरणों को वलवखए ।

    दरूदिथन मे कोइ भी सूचना वनम्न चरणों या सोपानों को पार कर दिथकों तक पहुाँचती ह।ै

    फ़्लैि या ब्रेककग न्द्यूज (समाचार को कम-से-कम िब्दों में दिथकों तक तत्काल पहुाँचाना)

    ड्राइ एंकर (एंकर द्वारा िब्दों में खबर के विषय में बताया जाता है)

    फ़ोन आन (एंकर ररपोटथर से फ़ोन पर बात कर दिथकों तक सूचनाएाँ पहुाँचाता ह ै)

    एंकर-विजुऄल(समाचार के साथ-साथ संबंवधत दशृ्यों को ददखाया जाना)

    एंकर-बाआट(एंकर का प्रत्यक्षदिी या संबंवधत व्यवक्त के कथन या बातचीत

    द्वारा प्रामावणक खबर प्रस्तुत करना)

    लाआि(घटनास्थल से खबर का सीधा प्रसारण)

    38 आंटर नेट क्या है ?

    आंटरनेट विश्वव्यापी ऄंतजाथल ह,ै यह जनसंचार का सबसे निीन ि लोकवप्रय माध्यम ह।ै आसमें

    जनसंचार के सभी माध्यमों के गुण समावहत हैं।

    39 आंटरनेट पत्रकाररता क्या है ?

    आंटरनेट(विश्व्व्व्यापी ऄंतजाथल) पर समाचारों का प्रकािन या अदान-प्रदान आंटरनेट पत्रकाररता

    कहलाता ह।ै

  • 18

    40 भारत में आंटरनेट पत्रकाररता का प्रारम्भ कब से हुअ ?

    पहला चरण 1993 से तथा दसूरा चरण 2003 से िुरू माना जाता ह।ै भारत में सचे्च ऄथों में िेब

    पत्रकाररता करने िाली साआटें ’रीवडफ़ डॉट कॉम’, आंवडयाआंफ़ोलाआन’ि’सीफ़ी’हैं । रीवडफ़ को भारत

    की पहली साआट कहा जाता ह ै।

    41 िेब साआट पर वििुद्ध पत्रकाररता िुरू करने का श्रेय दकसको जाता है?

    तहलका डॉट्कॉम’

    42 लहदी िेब जगत में कौन-कौनसी सावहवत्यक पवत्रकाएाँ चल रही हैं ?

    लहदी िेब जगत में ’ऄनुभूवत’, ऄवभव्यवक्त, लहदी नेस्ट, सराय अदद सावहवत्यक पवत्रकाएाँ चल रही

    हैं।

    43 पत्रकारीय लेखन के ऄंतगथत क्या-क्या अता है ?

    पत्रकररता या पत्रकारीय लेखन के ऄन्द्तगथत सम्पादकीय, समाचार, अलेख, ररपोटथ, फ़ीचर, स्तम्भ

    तथा काटूथन अदद अते हैं

    44 समाचार दकस िैली में वलखे जाते हैं ?

    समाचार ईलटा वपरावमड िैली में वलखे जाते हैं, यह समाचार लेखन की सबसे ईपयोगी और

    लोकवप्रय िैली ह।ै

    45 समाचार के छह ककार कौन-कौन से हैं ?

    समाचार वलखते समय मुख्य रूप से छह प्रश्नों- क्या, कौन, कहााँ, कब, क्यों और कैस े का ईत्तर देने

    की कोविि की जाती ह।ै

    46 फ़ीचर क्या है ?

    फ़ीचर एक प्रकार का सुव्यिवस्थत, सृजनात्मक और अत्मवनष्ठ लेखन ह ै।

    47 फ़ीचर और समचार में क्या ऄंतर है ?

    समाचार में ररपोटथर को ऄपने विचारों को डालने की स्ितंत्रता नहीं होती, जबदक फ़ीचर में लेखक

    को ऄपनी राय , दवृष्टकोण और भािनाओं को जावहर करने का ऄिसर होता ह ै। समाचार ईल्टा

    वपरावमड िैली में वलखे जाते हैं, जबदक फ़ीचर लेखन की कोइ सुवनवित िैली नहीं होती । फ़ीचर

    में समाचारों की तरह िब्दों की सीमा नहीं होती। अमतौर पर फ़ीचर, समाचार ररपोटथ से बड़े होते

    हैं । पत्र-पवत्रकाओं में प्राय: 250 से 2000 िब्दों तक के फ़ीचर छपते हैं ।

    48 वििेष ररपोटथ से अप क्या समझते हैं ?

    सामान्द्य समाचारों से ऄलग िे वििेष समाचार जो गहरी छान-बीन, विशे्लषण और व्याख्या के

    अधार पर प्रकावित दकए जाते हैं, वििेष ररपोटथ कहलाते हैं ।

    49 फ्रीलान्द्सर पत्रकार दकसे कहते हैं ?

    ऐसा पत्रकार जो दकसी एक पत्र से संबद्ध नहीं होता | िह दकसी भी पत्र के वलए समाचार एकवत्रत

    करता और वलखता ह ैऔर पाररश्रवमक प्राप्त करता ह ै |

    50 पूणथकावलक पत्रकार कौन होता है ?

    ऐसा पत्रकार जो दकसी समाचार संगठन में काम करता ह ैऔर वनयवमत िेतन पाता ह ै|

  • 19

    51 ऄंिकावलक पत्रकार से अप क्या समझते हैं ?

    सीवमत या कम समय के वलए काम करने िाले पत्रकार को ऄंिकावलक पत्रकार कहते हैं | आन्द्हें

    प्रकावित सामाग्री की अधार पर पाररश्रवमक ददया जाता ह ै|

    52 साक्षात्कार/आंटरव्यू से क्या ऄवभप्राय है ?

    दकसी पत्रकार के द्वारा ऄपने समाचारपत्र में प्रकावित करने के वलए , दकसी व्यवक्त वििेष से ईसके

    विषय में ऄथिा दकसी विषय या मुद्दे पर दकया गया प्रश्नोत्तरात्मक संिाद साक्षात्कार कहलाता ह ै।

    53 स्तंभलेखन से क्या तात्पयथ है ?

    यह एक प्रकार का विचारात्मक लेखन ह।ै कुछ महत्त्िपूणथ लेखक ऄपने खास िैचाररक रुझान एिं

    लेखन िैली के वलए जाने जाते हैं। ऐसे लेखकों की लोकवप्रयता को देखकर समाचरपत्र ईन्द्हें ऄपने

    पत्र में वनयवमत स्तंभ-लेखन की वजम्मेदारी प्रदान करते हैं। आस प्रकार दकसी समाचार-पत्र में दकसी

    ऐसे लेखक द्वारा दकया गया विविष्ट एिं वनयवमत लेखन जो ऄपनी विविष्ट िैली एिं िैचाररक

    रुझान के कारण समाज में ख्यावत-प्राप्त हो, स्तंभ लेखन कहा जाता है ।

    54 संपादक के नाम पत्र से अप क्या समझते हैं ?

    समाचार पत्रों में संपादकीय पृष्ठ पर तथा पवत्रकाओं की िुरुअत में संपादक के नाम अए पत्र

    प्रकावित दकए जाते हैं । यह प्रत्येक समाचारपत्र का वनयवमत स्तंभ होता है। आसके माध्यम से

    समाचार-पत्र ऄपने पाठकों को जनसमस्याओं तथा मुद्दों पर ऄपने विचार एिमराय व्यक्त करने का

    ऄिसर प्रदान करता ह ै।

    अलेख–

    अलेख-लेखन हतुे महत्त्िपूणथ बातें:

    समसामवयक घटनाओं पर अधाररत पत्र-पवत्रकाओं में प्रकावित लेख, अलेख कहलाते ह ै|

    विषय निीनता एिं ताज़गी से पररपूणथ हो |

    आसमें विचारों और तथ्यों की स्पष्टता रहती ह,ै ये विचार क्रमबद्ध रूप में होने चावहए|

    विचार या तथ्य की पुनरािृवत्त न हो |

    अलेख में लेखक के विचारों को प्रमुखता दी जाती ह ै|

    अलेख की िैली वििेचन ,विशे्लषण ऄथिा विचार-प्रधान हो सकती ह ै|

    ज्िलंत मुद्दों, समस्याओं , ऄिसरों, चररत्र पर अलेख वलखे जा सकते हैं |

    अलेख गंभीर ऄध्ययन पर अधाररत प्रामावणक रचना होती ह ै|

  • 20

    नमूना अलेख :

    मन के हारे हार है मन के जीते जीत

    समय कभी दकसी के वलए रुकता नहीं ह ै | जब से मानि ने जन्द्म वलया ह ैईसे अगे बढ़ने के वलए संघषथ

    करना पड़ा ह ै | जीिन एक ऄनिरत संघषथ का नाम ह ै | समय के साथ साथ अगे बढ़ते रहने की प्रबल

    मानिीय लालसा ही जीिन ह ैऔर यही जीिन ईपलवब्ध एिं सीमा के दोनों वबन्द्दओुं को अपस में संयुक्त

    करता ह ै| जीिन की वनबाथध गवत के मागथ में समस्या रूपी ऄनेक ऄिरोध भी ईत्पन्न होते हैं, जो जीिन रूपी

    मागथ को और सुदढ़ृ बनाते ह ैएिं लक्ष्यों को प्राप्त करने के वलए पे्रररत भी करते हैं | जीिन कमथ का पाठ ह ै

    एिं ऄपने लक्ष्यों की प्रावप्त हतुे लंबी साधना की अिश्यकता होती ह ै |ऐसे में मानि कइ बार पररवस्थवतयों

    के सामने खुद को मजबूर सा पाता ह ै | िह टूटने वबखरने लगता ह ै | ईसके ऄंदर एक भय पैदा होने लगता

    ह|ै

    आन्द्हीं पररवस्थवतयों में ईसे स्ियं को स्ियं से ही संबल लेने की अिश्यकता पड़ती ह ै | जीिन में व्याप्त संघषथ

    से कोइ भी व्यवक्त बच नही सकता | ईससे पलायन करना कोइ समाधान नहीं हैं | संघषथ की प्रदक्रया में

    व्यवक्त का सही ददिा में दकया जाने िाला कमथ ही साथथक प्रयास ह ै | जीिन संघषथ का नाम ह ैऔर आसका

    सामना वसफथ दढ़ृ संकल्प के अधार पर ही दकया जा सकता ह ै | व्यवक्त को ऄपनी क्षमताओं मे पूणथ विश्वास

    रखना चावहए |

    दीिार पर चढ़ती और वगरती मकड़ी की कहानी हमें एक महत्त्िपूणथ पे्ररणा देती ह ै | जीिन में मन को कभी

    भी कमजोर नहीं होने दीवजए | मन की िवक्त ऄत्यंत व्यापक एिं ऄक्षय ह ैईस िवक्त की संभािना को

    पहचानना चावहए | बही िवक्त हमारे कारी को सफलता एिं ऄसफलता में पररिर्ततत कर सकती ह ै | जीिन

    में यदद संघषथ है , तो ईस संघषथ की प्रदक्रया में ऄनेक ऄिसर ऐसे अते हैं , जब पररणाम हमारी अिानुकूल

    नहीं वमलते | कइ बार हमें ऄसफलताएाँ प्राप्त होती हैं, लेदकन ईन ऄसफलताओं से घबराकर हमें वनराि नहीं

    होना चावहए | ऄपने मन को छोटा नहीं करना चावहए | जब एक बार हम मन से हार मान लेते हैं तो

    कहानी िहीं पर समाप्त हो जाती ह ै | जीिन ईत्साहविहीन एिं बोवझल हो जाता ह ै | ईसके बाद सफलता

    प्रपट करने के वलए अिश्यक ईत्साह , ईमंग , आच्छािवक्त अदद जैसी िवक्तयों का स्िमेि ऄभाि हो जाता

    ह|ै

    वनम्नवलवखत विषयों पर अलेख वलवखए-

    दकसानों की बढ़ती अत्महत्या की प्रिृवत्त

    सांप्रदावयक सद्भािना

    गााँि से पलायन करते लोग

    अतंकिाद की समस्या

    डॉक्टर हड़ताल पर, मरीज परेिान

    ितथमान परीक्षा-प्रणाली

  • 21

    त्योहारों के नाम पर ऄपव्यय

    दक्रकेट का बादिाह : सवचन

    फीचर लेखन

    अलेख-लेखन हेतु महत्त्िपूणथ बातें:

    फ़ीचर एक प्रकार का सुव्यिवस्थत, सृजनात्मक और अत्मवनष्ठ लेखन ह ै।

    फीचर का ईद्देश्य पाठकों को सूचना देना , विवक्षत करना और मनोरंजन करना होता ह ै |

    फीचर लेखन का कोइ ढााँचा या फामूथला नहीं होता |

    आसकी िैली काफी सीमा तक कथ्यात्मक होती ह ै|

    फीचर की भाषा सरल, रूपात्मक , अकषथक और मन को छूने िाली होती ह ै|

    एक ऄच्छे फीचर के फ़ोटो, रेखांकन, ग्रादफक्स अदद का होना अिश्यक होता ह ै|

    फीचर दकसी भी विषय पर वलखा जा सकता ह ै

    प्रत्येक फीचर के तीन भाग होते हैं – प्रारम्भ , मध्य, और ऄंत |

    प्रारम्भ अकषथक और ईत्सुकता ईत्पन्न करने िाला होना चावहए | जैसे कोइ घटना वजसने जीिन

    की ददिा ही बदल दी हो |

    मध्य भाग में लोगों के , वििेषज्ञों के विचार ईद्धृत दकए जा सकते हैं |

    फीचर का ऄंवतम भाग भविष्य की योजनाओं पर केवन्द्रत करना चावहए |

    नमूना फीचर :

    अधुवनक लाआफ़ स्टाआल (जीिन िैली )

    विगत दिक से हमारी लाआफ़ स्टाआल (जीिन िैली ) में काफी पररितथन अया ह ै | वििेषकर मध्यिगथ

    के लोगों में यह पररितथन ऄवधक अया ह ै | ऐसा लगता ह ैजैसे नए मूल्यों , नइ परम्पराओं , रीवत –

    ररिाजों के सम्मुख पुराने जीिन- मूल्यों और परम्पराओं का ऄवस्तत्ि ही खतरे में पड़ गया ह ै | लोग

    ऄवधक से ऄवधक धन कमाने , समाज में ऄपना स्टेटस बनाए रखने के वलए भागते दौड़ते ददखाइ

    देते हैं | सबको जल्दी ह ै, कहीं कोइ हमसे अगे न वनकल जाए |

    ऐसा प्रतीत होता ह ैदक अधुवनक जीिन िैली ऄपनाने के पीछे , काध्य अयिगथ के लोग बौखला से

    गए हैं | ईच्च जीिन िैली पर केिल धनिानों का ही हक नहीं ह ै | मध्य अयिगथ िालों के वलए भी

    महाँगी से महाँगी ईपभोक्ता िस्तुएाँ खरीदना ऄब असान हो गया ह ै | के्रवडट काडथ ने तो ऄब

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    ख़रीदारी को ऄत्यंत असान बना ददया ह ै | के्रवडट काडथ पास हो तो ददल और जेब दोनों गरम हो

    जाते हैं | ऄपनी आच्छाओं को , अिश्यकताओं को पूरा करने में कोइ वहचदकचाहट महसूस नहीं

    होती | सभी “ईधार ले अओ और घी वपओ” की कहाित चररताथथ करते प्रतीत होते हैं |

    यथाथथ में देखा जाए तो अधुवनक जीिन िैली ने ऄवनयंवत्रत और ऄसंतुवलत भोग और ईपभोग की

    अदत को जन्द्म दे ददया ह ै | एक दसूरे की होड़ा-होड़ी के कारण लोगों को वजन चीजों की

    अिश्यकता नहीं भी होती , ईन्द्हें भी िे खरीद लाते हैं और दफर ऄपने धनाढ्य होने का कढढोरा

    पीटते हैं |

    अज की युिा पीढ़ी तो आससे भी दो कदम अगे ह ै | आस पीढ़ी के बच्चों ने ऄपने माता-वपता का संघषथ

    , गरीबी , देि का विभाजन नहीं देखा , आसल्ली िे ऄमीरों तथा पािात्य देिों की जीिन िैली

    ‘खाओ-वपओ और मौज करो’ को ऄपनाने में तवनक भी नहीं वहचकते | ईन्द्हें हर समय नइ नइ मॉडल

    की घवड़यााँ , मोबाआल फ़ोनों , टी िी , फ़ैिन के कपड़ों की चाहत होती ह ै|

    सत्य तो यह ह ैदक अधुवनक जीिन िैली को दकसी एक पररवध तक सीवमत नहीं दकया जा सकता |

    अज हमारी जीिन िैली इष्याथ से प्रेररत होने के साथ- साथ नइ विचारधारा , नए फैिन , नइ-नइ

    िस्तुओं के संग्रह तथा ऄपने ऄहम को उंचा दिाथने के आच्छा से भी प्रभावित ह ै | अिश्यकता आस

    बात की ह ैदक अधुवनक जीिन िैली को ऄपनाने के साथ- साथ ऄपने संस्कार ,संस्कृवत, सभ्यता, नइ

    तकनीक, नए फैिन, नए विचारों को संतुवलत रखकर ऄपनाएं | यही ईवचत होगा |

    पुस्तक समीक्षा

    अप ऄपनी पढ़ी हुइ पुस्तक की समीक्षा ऄिश्य तैयार करें | ईसे ऄच्छे से याद कर ले और बार -

    बार वलख कर ऄभ्यास करे |

    कृतत- ऄंधेर नगरी

    लेखक- भारतेन्द्द ुहररिंर

    प्रकाशक- िाणी प्रकािक , नइ ददल्ली

    मूल्य- 95/-

    ऄंधेर नगरी तत्कालीन सामावजक राजनीवतक पररिेि का जीिंत दस्तािेज़ ह ै | भारतेन्द्द ुको ऄपने देि ,

    समाज तथा देििावसयों से सच्चा प्रेम था , ऄटूट लगाि था ऄतः ईन्द्होने ऄपने सावहत्य में ईन सभी िवक्तयों

    पर प्रहार दकया, ईन तत्त्िों पर चोट की,जो समाज को विकृत कर रह ेथे, पतन के गतथ में धकेल रह ेथे |

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    भारतेन्द्द ुने ऄंधेर नगरी में देि की राजनीवतक , अर्तथक, सामावजक और धार्तमक विकृवतयों एिं सांस्कृवतक

    संकीणथता का सजीि वचत्रण कर ईनसे मुक्त होने का अह्िान दकया ह ै | छ: दशृ्यों िाले लगभग 20 पृष्ठों के

    छोटे अकार का प्रहसन ‘ऄंधेर नगरी ’ में ऄपने युग की सामावजक कुरीवतयों एिं विकृवतयों , सांस्कृवतक

    विघटन , अर्तथक ददुथिा , धार्तमक पाखंड एिं बाह्याडंबर का संकेत मात्र ह ै | लेदकन यह पाठकों एिं दिथकों

    को चेतना के स्तर पर झकझोर देता ह ै | आसका ईद्देश्य भारतीयों को अत्म-गौरि का बोध कराना तथा

    तरकालीन कुरीवतयों से मुक्त होने का ईद्बोधन देना था | एक पात्र को छोड़कर िेष सब व्यािहाररक जीिन

    से ही वलए गए हैं | आसमे संिादों की भाषा पात्रानुरूप , सहज एिं सरल है , जो पात्रों को जीिंत बनाने में

    सहायता करती ह ै|

    आस तरह कहा जा सकता ह ैकी ‘ऄंधेर नगरी ’ भारतेन्द्द ुकी ऄवद्वतीय प्रवतभा का पररणाम ह ै , वजसे

    तत्कालीन समाज, तत्कालीनवहन्द्दी सावहत्य एिं तत्कालीन सावहत्यकारों की दवृष्ट को जानने में रुवच रखने

    िालों को ऄिश्य पढ़ना चावहए |

    कृतत- गोदान

    लेखक- प्रेमचंद

    प्रकाशक- प्रकािन संस्थान

    मूल्य- 175/-

    पे्रमचंद के ईपन्द्यासों में एक तरफ तो दकसान जीिन का वििद वचत्रण वमलता है , िहीं दसूरी ओर ईनमें

    पतनिील और ईदीयमान सामावजक िवक्तयों की ऄसाधारण पहचान ददखाइ देती ह।ै दकसान जीिन के

    साथ आन िवक्तयों के द्वदं्व को भी प्रेमचंद ने सफलता से वचवत्रत दकया ह।ै ईनके ईपन्द्यासों में ‘गोदान’ ऄनेक

    ऄथों में सिथथा ऄनूठी रचना ह।ै आसमें मुनाफे और मेहनत की दवुनया के बीच गहराती खाईं को ईन्द्होंने बड़ी

    बारीकी से वचवत्रत दकया ह।ै िैसे तो ईनके दसूरे ईपन्द्यासों में भी आसका वचत्रण ददखाइ देता ह ैलेदकन

    ‘गोदान’ में अकर आसका रूप काफी सूक्ष्म और संकेतात्मक हो गया ह।ै

    गोदान भारतीय गााँि की कहानी ह ै |‘गोदान’ में ऄनेक दकसान पात्रों को ईभार कर रखने के बदले ईनका

    ध्यान होरी पर कें दरत रहा ह।ै ईसके चररत्र में ईन तमाम दकसानों की वििेषताएं मौजूद हैं जो जमींदारों

    और महाजनों को धीमे-धीमे ककतु वबना रुके चलने िाली चक्की में वपसने के वलए ऄवभिप्त हैं। गोदान का

    होरी भीरु है , लेदकन अिश्यकता पड़ने पर वम .खान को चारों खाने वचत्त कर देता ह ै | बह झूठ बोलकर

    ऄपने भाइ के पैसे दबाना चाहता ह ै , लेदकन समय अने पर ऄपने भाइ की ‘मरजाद’ की रक्षा के वलए पैसा

    भी ईधार लेता ह ै | ईसका भाइ होरी की ऄदब भी करता ह ैऔर दसूरी ओर ईसकी गाय को जहर भी देता

    ह|ै

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    आस रचना में दकसानों का िोषण काफी चालाकी भरा ह ैवजसमें सामंतिाद और पंूजीिाद के बीच समझौता

    ह।ै आस समझौते को समझने में भोला-भाला दकसान ऄसमथथ ह।ै आस ईपन्द्यास में जमींदारी सत्याग्राही

    कांग्रेसी का चोला ओढ़े हुए ह।ै

    आन सबके बािजूद होरी ऄंत में परावजत होता ह ै | ऄपनी छोटी सी आच्छा ( गोदान करने की ) भी पूरी न

    कर सका | घर- द्वार , जमीन- जायदाद के साथ िह स्ियं भी चल बसा | बीस अने का गोदान देकर मरा

    हुअ होरी ऄपनी सम्पूणथ बेबसी , गरीबी में जीवित रह जाता ह ै|

    सरल, सहज एिं प्रभािोत्पादक भाषा में वलखे गए आस ईपन्द्यास को प्रत्येक पाठक को एक बार ऄिश्य

    पढ़ना चावहए | बार-बार पढ़ने के बाद भी आस रचना की ताज़गी खत्म नहीं होती। यह आसकी महानता ह।ै

    कृतत- बोनन ऄगेन

    लेखक- डॉ वाल्टर सेमककव

    ऄनुवादक- राजेन्द्र ऄग्रवाल एवं डॉ संध्या गगन

    प्रकाशक- ररटाना बुक्स

    मूल्य- 195/-

    मृत्यु मनुष्य के तलय ेहमेशा ही एक ऄनबूझ पहलेी रही ह।ै मृत्य ुके बाद अत्मा का क्या होता ह,ै क्या मरने

    के बाद अत्मा दोबारा जन्द्म लेती है, क्या मनुष्य ऄपने कमों का फल भोगन ेके तलये बार-बार जन्द्म लेता है

    और क्या ककसी मनुष्य को ऄपना तपछला जन्द्म याद रह सकता ह-ै ऐसे ही न जाने ककतन ेप्रश्न हमारे मानस्

    में कुलबुलात ेरहत ेहैं।

    ऐस ेही तमाम प्रश्नों का हल खोजती एक पुस्तक ह ैबोनन ऄगेन। ऄमरीकी तिककत्सक डॉ वॉल्टर सेमककव ने

    तवश्व के तमाम दशेों के ऐसे मामलों पर शोध ककया ह,ै तजनमें ककसी को ईसके तपछले जन्द्म की स्मृततयााँ

    याद हों। भारत की प्रतसद्ध राजनैततक, तसन ेऔर ऄन्द्य हतस्तयों के पूवनजन्द्मों की भी लेखक न ेखोज की ह।ै

    मूलतः ऄंगे्रजी भाषा में तलखी गयी आस पुस्तक का हहदी ऄनुवाद राजेन्द्र ऄग्रवाल और डॉ संध्या गगन ने

    ककया ह।ै

    आस पुस्तक में हहदी पाठकों को पुनजनन्द्म के तसद्धांत और ईसके प्रमाणों की जानकारी तो तमलेगी ही, साथ ही

    साथ भारत और पाककस्तान में जन्द्मीं जानी-मानी हतस्तयों के पूवनजन्द्मों के तवषय में भी रोिक और

    ऄश्चयनजनक तथ्य जानन े को तमलेंगे।

    एपीजे ऄबुल कलाम, ऄतमताभ बच्चन, जवाहर लाल नेहरू, आंकदरा गांधी, शाहरुख़ ख़ान और बेनजीर भुट्टो

    समेत कइ हतस्तयों के पूवन जीवन की प्रामातणक कहानी आस पुस्तक में अप पढ़ सकें गे। तजन लोगों पर लेखक

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    न ेशोध ककया ह ैईनके तित्रों, अदतों, सोि और जीवनशै�


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