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ाचीन भारत - Haryana Job Alertharyanajobalert.com/Admin/Upload/ancient...

Date post: 01-Sep-2019
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ाचीन भारत परचय अतीत काल घटनाओ िथत जानकार देने वाले शा को हम 'इतहास' कहते है ाचीन भारतीय इतहास वशद सामी को सावजनक एंव समझने योय बनाने के इतहासकार ने इसे तीन भाग मे बाँटा है - ागैतहासक काल आघ- ऐतहासक ऐतहासक काल ागैतहासक काल (ाक्+इतहास) अथात इस काल का इतहास पूणतः पुरातािवक साधन पर नभर है इस काल का कोई लखत साधन उपलध नह है ,योक मानव का जीवन अपेाक असय एंव बबर था मानव सयता के इस ारिभक काल को सुवधानुसार तीन भाग मे बाँटा गया है- 1. पुरा पाषाण काल 2. मय पाषाण काल 3. नव पाषाण काल या उतर पाषाण काल 1.पुरापाषाण काल हैड-ऐस, लवर और ै पर आद वशट उपकरण पर आधारत पुरापाषाण कालन संक के अवशेष सोहन नद घाट, बेलन नद घाट तथा नमदा नद घाट एंव भोपाल के पास भीमबेटका नामक चत शैलाय से ात है 2.मय पाषाण काल मय पाषाण काल युत होने वाले उपकरण बह छोटे होते थे इसलए इह ‘माइोलथ’ कहते है | मय देश आदमगढ़ और राजथान बागोर पशुपालन का ाचीनतम ् साय इस काल तुत करते है | इस काल मानव के अिथपंजर का सबसे पहला अवशेष तापगढ़ के सराय नाहर तथा महदहा नामक थान से ात है | 3.नव पाषाण काल नव पाषाण युग के थम उपकरण उ॰॰ के टस नद घाट सवथम 1860 म लेमेसुरयर ने ात | नव पाषाण युगीन ाचीनतम बती पाकतान िथत बलूचतान ांत मेहरगढ़ है | मेहरगढ़ के ाचीनतम ् साय मले है | नव पाषाण कालन थल- बुजहोम एंव गुफकराल से अनेक गतावास और अनेक कार के दभाड एंव तर तथा हडी के अनेक औजार ात है | बुजहोम से ात से पालतू को मालक के साथ दफनाया जाता था | यह था भारत के कसी भी अय नव पाषाण कालन थल से नहं ात होती है | चराँद नामक नव पाषाण कालन पुराथल एक मा ऐसा पुराथल है जहाँ से चुर माा हडी के उपकरण पाये गये है | जो मुय से हरन के सींग के है | ये उपकरण तापाणक अवथा के तीत होते है |
Transcript

ाचीन भारत परचय

अतीत काल क घटनाओ क िथत क जानकार दन वाल शा

को ह हम इतहास कहत ह

ाचीन भारतीय इतहास क वशद सामी को सावजनक एव

समझन योय बनान क इतहासकार न इस तीन भाग म बाटा ह -

ागतहासक काल

आघ- ऐतहासक

ऐतहासक काल

ागतहासक काल

(ाक+इतहास) अथात इस काल का इतहास पणतः परातािवक

साधन पर नभर ह इस काल का कोई लखत साधन उपलध नह

ह योक मानव का जीवन अपाकत असय एव बबर था

मानव सयता क इस ारिभक काल को सवधानसार तीन भाग

म बाटा गया ह-

1 परा पाषाण काल

2 मय पाषाण काल

3 नव पाषाण काल या उतर पाषाण काल

1परापाषाण काल

हड-ऐस लवर और पर आद वशट उपकरण पर

आधारत परापाषाण कालन सकत क अवशष सोहन नद घाट

बलन नद घाट तथा नमदा नद घाट एव भोपाल क पास

भीमबटका नामक चत शलाय स ात हआ ह

2मय पाषाण काल

मय पाषाण काल म यत होन वाल उपकरण बहत छोट होत थ

इसलए इह lsquoमाइोलथrsquo कहत ह |

मय दश म आदमगढ़ और राजथान म बागोर पशपालन का

ाचीनतम साय इस काल म तत करत ह |

इस काल म मानव क अिथपजर का सबस पहला अवशष तापगढ़

क सराय नाहर तथा महदहा नामक थान स ात हआ ह |

3नव पाषाण काल

नव पाषाण यग क थम उपकरण उ क टस नद घाट म

सवथम 1860 म लमसरयर न ात हआ |

नव पाषाण यगीन ाचीनतम बती पाकतान म िथत

बलचतान ात म महरगढ़ म ह | महरगढ़ म कष क ाचीनतम

साय मल ह |

नव पाषाण कालन थल- बजहोम एव गफकराल स अनक

गतावास और अनक कार क मदभाड एव तर तथा हडी क

अनक औजार ात हए ह |

बजहोम स ात क स पालत कत को मालक क साथ दफनाया

जाता था | यह था भारत क कसी भी अय नव पाषाण कालन

थल स नह ात होती ह |

चराद नामक नव पाषाण कालन पराथल एक मा ऐसा पराथल

ह जहा स चर माा म हडी क उपकरण पाय गय ह | जो मय

प स हरन क सीग क ह | य उपकरण तापाणक अवथा क

तीत होत ह |

इलाहाबाद म िथत कोिडहवा एक मा ऐसा नव पाषाणक

पराथल ह जहा स चावल का ाचीनतम साय ात हआ ह |

नव पाषाण यग क नवासी सबस परान कषक समदाय क थ मी

और सरकड क बन गोलकार या आयताकार घर म रहत थ |

महरगढ़ म बसन वाल नव पाषाण यग क लोग अधक उनत थ |

व गहजौ और ई उपजात थ और कची ट क घर म रहत थ |

दण भारत म नव पाषाण कालन सयता का मय थल बलोर

ह |

ककार सवथम इसी काल म िटगोचर होती ह |

नव पाषाण तर क मख उपलिध खाय उपादन का आवकार

पशओ क उपयोग क जानकार और िथर ाय जीवन का वकास

ह |

आय-ऐतहासक काल

यह काल साहियक एव परातािवक दोन कार क साधन पर

नभर ह | हड़पा क सकत तथा वदक सकत क गणना

आया इतहास म क जाती ह | परत आय ऐतहासक काल क

लपय को पढ़न म सफलता नह मलती ह |

गरक एव कण लोहत मदभाड सकत इस काल स सबिधत

ह |

ऐतहासक काल

इस काल को इतहासकार उस काल क सा दत ह िजसक लए

लखत साधन उपलध ह और िजसम मानव सय बन गया था |

यह काल परातािवक साहियक तथा वोहय क वणन पर

नभर ह |

परताितक साय

इसक अतगत मदभाडअभलखसकचकला एव मतकला

आत ह इतहास जानन क लए परताितक सायो का वशष

महव ह |

मदभाड

वभन काल एव लोग वारायोग म लाए गए मदभाड

खदाई म पाए गए ह जो इस कार ह

सध सयता क लोग एक वशष लाल मदभाड का योग

करत थ |

काल एव लाल मदभाड 2400 BC स 100 तक यत

कए जात थ|

चत घसर मदभाड(PGW)ndash इस मदभाड का योग वदक

लोग करत थ |

अभलख

अभलख क अययन को परालखशा कहा जाता ह |

अभलख मयत तभशलाओ

तापमाओमत यएव गफाओ म खद हए मल ह |

सवाधक ाचीन अभलख हड़पा काल क ह ईरान क

बोगजकाई अभलख 1400BCक ह भारत अशोक थम राजा

ह िजसन जनता को अभलख क मायम स सबोधत करन

क परपरा श क | अशोक क अभलखको पढन काय

1837 म जस सय को जाता ह |

अशोक क मरठ एव टोपरा क तभ लख को फरोज शाह

तगलक़ वारा दल लाया गया तो अकबर न कौशबी क

अभलख को उठाकर इलाहाबाद क कल म रखवाया |

कछ महवपण अभलख और राजाओ क नाम इस कार ह |

जनागढ़

अभलख

ददामन

हाथी

गफा

अभलख

खारबल

नसक

शत

गौतमीप

शातकण

याग

शित

समगत

महरौल

लौह

तभ

चगत

वतीय

भीतर

अभलख

कद गत

एहोल

अभलख

पलकशन

वतीय

मधवन

एव

बासखडा

अभलख

हषवन

सक

सकक क अययन को माशा कहत ह | भारत क

ाचीनतम सक आहत सक या पचमाक सक ह जो

मयत 500BCक ह जो चाद क बन होत थ |

सवथम सककपर लख उकण करवान का य यवनो को

ह| सवथम वण सका जार करन का य भी यवनो को

ह ह |

सबस अधक सक मौततर काल क मल ह गत काल

मसोन क सबस अधक सक जार कए गए| जबक सबस

श सोन क सक कषाण शासको वारा जार कए गए |

चकला एव मत कला

हड़पा क खदाई स अनको मत मल ह िजसस मत कला

क वकास क साय ात होत ह परत बाद म मत

नमाण का य मथरा कला को जाता ह जो थम सद स

ब क मत क नमाण स श होती ह|

गफाओ म चो वारा भी कला का दशनकया गया | इसक

सबस महवपण साय महारा राय क औरगाबाद िजल क

अजता एव एलोरा क गफा च स ात होत ह मयदश

क धार िजल मबाघ क गफा मल ह |

साहियक ोत

साहियक ोत को दो भाग म बाटा जा सकता ह वदक

साहय एववदकतोतर साहय|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वदाहाणअरयकएव

उपनष थ आत ह |

मतय क रचना 200BC स 400 ई क बीच कया गया ह

| इसम मनय क सपण जीवन क याकलापो का वणन

कया गया ह | इसम महवपण मत गथ मनमत ह|

स सहय क रचना अधक स अधक तय का कम स

कम शद या स म कया गया |

वद क अथ को भल भात समझान क लए वदाग क रचना

क गई| वदाग छः कार क ह -

शाकपयाकरणनरतछद| कप स क तीन भाग

होत ह ndash1 ोत स 2गहा स 3धम स

हाकाय

रामायण एव महाभारत क दो मख महाकाय ह | इनका

अतम प स सकलन 400 ई क आस पास हआ |महाभारत

क रचना वदयास न क इसका ाचीन नाम जय-सहता था

| महाभारत का य900 BC क आस पास हआ था रामायण क

रचना बािमक न क|

पराण

पराण का अथ ाचीन होता ह पराणो क कल सया लगभग

18 ह इसम मय पराण पराणम सबस ाचीन माना जाता

ह|

बौ सहय

बौ सहय जातक का मख थान ह| इसमब क

पवजम क गाथाए ह इसक अलावाबौ सहय मपटक

का वशष महव ह यक इसका सकलन ब क मय क

बाद बौ सगीत म कया गया पटक तीन कार क ह-

1 सतपटक-ब क धामक वचार और वचनकासह

2 वनय पटक-नयम एव कानन क याया

3 अभधम पटक बौ मतो क दाशनक याया |

इसक अलावा अयबौ थ इस कार ह-अगतर नकाय -

16 महाजनपदो का वणन ह

दपवश और महावश ीलका क थ ह | इसस मौय-कालन

इतहास क जानकार मलती ह|

जन साहय

जन साहय को अग कहा जाता ह | इनमस12 अग ह |

भगवती स महावीर क जीवन पर काश डालता ह |

भबाह चर - चगत मौय क समय पर काश डालता

अय साहय रचनाकार

अथशा कौटय

या

चाणय

कमारसभवमालवकािनम कालदास

हषचरत वाणभ

वमाक दव चर वहण

राजतरगणी कहण

मछकटकम शक

कताबल हद अलबनी

वदशी याी

मगाथनीज

यह चगत मौय क दरबार म सयकस का दत था| उसन

lsquoइिडकाrsquo नामक थ क रचना क|

फाहयान

यह मख चीनी याी था जो बौ मतावलबी था| यह

गत साट चगत वतीयक दरबार म भारत आया था

|स

वनसाग

सचीनी हष क दरबार 629 ई भारत आया वनसाग

क भारत का वतात हम चीनी वतात lsquoसी य क lsquo स मलता

पाषाण काल

पाषाण क उपकरण क योग क आधार पर इस काल को

तीन भाग म बाटा गया ह |

परा पाषाण काल

यह काल 36 हजार BC तक आता ह | इसम पाषाण पथर क

औजार का उपयोग कया गया जो आकार क वभन होत

थ इस काल मनय घमत कत का था |

शकारवाराखाय क पत करता था|

इस काल कसाय पाकतान क सोहन नदउतर दश क

बलन नद घाट स मलत ह| इसी काल म इलादाबाद क

बलनघाटम िथत लोहदा नाल ममातदवी क मत मल ह|

मय पाषाण काल

यह परा पाषाण काल एव नव पाषाण काल का समण काल

ह | इस काल क उपकरण सम एव सगठत औजार ह | इस

काल क बितयाउतर दश क सरायनाहररायमय दश क

भीमबटका पाई गई ह|

नव पाषाण काल

नव पाषाण कालक मख वशषता रोगन कए हए पथर क

औजार ह | इस काल म मनय न धीर-धीर थायी जीवन

यतीत करना श कर दया था |महरगढ़ स नवपाषाण

कालन आवास क अवशष क साथ-साथ गहजौ क खती क

माण मल ह|

नव पाषाण कालक बाद ता पाषाणक सकत का उदय

होता ह िजसम मनय थायी ामीण जीवन यतीत करन

क साथ-साथ सबस पहल ताबा नामक धात का उपयोग भी

करना श कर दया िजसस उपकरण बनान सहायता मल|

सध(हड़पा) सयता

1 सध (हड़पा) सयता

इस सयता क लए साधारण तीन नाम का योग होता ह ndash

lsquoसध सयताrsquo lsquoसध घाट क सयताrsquo और lsquoहड़पा

सयताrsquo | इनम स यक शद क एक पठभम ह |

ारभ म पिचमी क हड़पा एव तपचात मोहनजोदड़ो क

खोज हई तब यह सोचा गया क यह सयता अनवायत

सध घाट तक सीमत थी | अत इस सध घाट क

सयता का नाम दया गया |

हड़पा या सध सकत का उदय ता पाषाणक पठभम

पर भारतीय उपमहावीप क पिचमोतर भाग म हआ |

इसका नाम हड़पा सकत पड़ा यक इसका पता सबस

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

इलाहाबाद म िथत कोिडहवा एक मा ऐसा नव पाषाणक

पराथल ह जहा स चावल का ाचीनतम साय ात हआ ह |

नव पाषाण यग क नवासी सबस परान कषक समदाय क थ मी

और सरकड क बन गोलकार या आयताकार घर म रहत थ |

महरगढ़ म बसन वाल नव पाषाण यग क लोग अधक उनत थ |

व गहजौ और ई उपजात थ और कची ट क घर म रहत थ |

दण भारत म नव पाषाण कालन सयता का मय थल बलोर

ह |

ककार सवथम इसी काल म िटगोचर होती ह |

नव पाषाण तर क मख उपलिध खाय उपादन का आवकार

पशओ क उपयोग क जानकार और िथर ाय जीवन का वकास

ह |

आय-ऐतहासक काल

यह काल साहियक एव परातािवक दोन कार क साधन पर

नभर ह | हड़पा क सकत तथा वदक सकत क गणना

आया इतहास म क जाती ह | परत आय ऐतहासक काल क

लपय को पढ़न म सफलता नह मलती ह |

गरक एव कण लोहत मदभाड सकत इस काल स सबिधत

ह |

ऐतहासक काल

इस काल को इतहासकार उस काल क सा दत ह िजसक लए

लखत साधन उपलध ह और िजसम मानव सय बन गया था |

यह काल परातािवक साहियक तथा वोहय क वणन पर

नभर ह |

परताितक साय

इसक अतगत मदभाडअभलखसकचकला एव मतकला

आत ह इतहास जानन क लए परताितक सायो का वशष

महव ह |

मदभाड

वभन काल एव लोग वारायोग म लाए गए मदभाड

खदाई म पाए गए ह जो इस कार ह

सध सयता क लोग एक वशष लाल मदभाड का योग

करत थ |

काल एव लाल मदभाड 2400 BC स 100 तक यत

कए जात थ|

चत घसर मदभाड(PGW)ndash इस मदभाड का योग वदक

लोग करत थ |

अभलख

अभलख क अययन को परालखशा कहा जाता ह |

अभलख मयत तभशलाओ

तापमाओमत यएव गफाओ म खद हए मल ह |

सवाधक ाचीन अभलख हड़पा काल क ह ईरान क

बोगजकाई अभलख 1400BCक ह भारत अशोक थम राजा

ह िजसन जनता को अभलख क मायम स सबोधत करन

क परपरा श क | अशोक क अभलखको पढन काय

1837 म जस सय को जाता ह |

अशोक क मरठ एव टोपरा क तभ लख को फरोज शाह

तगलक़ वारा दल लाया गया तो अकबर न कौशबी क

अभलख को उठाकर इलाहाबाद क कल म रखवाया |

कछ महवपण अभलख और राजाओ क नाम इस कार ह |

जनागढ़

अभलख

ददामन

हाथी

गफा

अभलख

खारबल

नसक

शत

गौतमीप

शातकण

याग

शित

समगत

महरौल

लौह

तभ

चगत

वतीय

भीतर

अभलख

कद गत

एहोल

अभलख

पलकशन

वतीय

मधवन

एव

बासखडा

अभलख

हषवन

सक

सकक क अययन को माशा कहत ह | भारत क

ाचीनतम सक आहत सक या पचमाक सक ह जो

मयत 500BCक ह जो चाद क बन होत थ |

सवथम सककपर लख उकण करवान का य यवनो को

ह| सवथम वण सका जार करन का य भी यवनो को

ह ह |

सबस अधक सक मौततर काल क मल ह गत काल

मसोन क सबस अधक सक जार कए गए| जबक सबस

श सोन क सक कषाण शासको वारा जार कए गए |

चकला एव मत कला

हड़पा क खदाई स अनको मत मल ह िजसस मत कला

क वकास क साय ात होत ह परत बाद म मत

नमाण का य मथरा कला को जाता ह जो थम सद स

ब क मत क नमाण स श होती ह|

गफाओ म चो वारा भी कला का दशनकया गया | इसक

सबस महवपण साय महारा राय क औरगाबाद िजल क

अजता एव एलोरा क गफा च स ात होत ह मयदश

क धार िजल मबाघ क गफा मल ह |

साहियक ोत

साहियक ोत को दो भाग म बाटा जा सकता ह वदक

साहय एववदकतोतर साहय|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वदाहाणअरयकएव

उपनष थ आत ह |

मतय क रचना 200BC स 400 ई क बीच कया गया ह

| इसम मनय क सपण जीवन क याकलापो का वणन

कया गया ह | इसम महवपण मत गथ मनमत ह|

स सहय क रचना अधक स अधक तय का कम स

कम शद या स म कया गया |

वद क अथ को भल भात समझान क लए वदाग क रचना

क गई| वदाग छः कार क ह -

शाकपयाकरणनरतछद| कप स क तीन भाग

होत ह ndash1 ोत स 2गहा स 3धम स

हाकाय

रामायण एव महाभारत क दो मख महाकाय ह | इनका

अतम प स सकलन 400 ई क आस पास हआ |महाभारत

क रचना वदयास न क इसका ाचीन नाम जय-सहता था

| महाभारत का य900 BC क आस पास हआ था रामायण क

रचना बािमक न क|

पराण

पराण का अथ ाचीन होता ह पराणो क कल सया लगभग

18 ह इसम मय पराण पराणम सबस ाचीन माना जाता

ह|

बौ सहय

बौ सहय जातक का मख थान ह| इसमब क

पवजम क गाथाए ह इसक अलावाबौ सहय मपटक

का वशष महव ह यक इसका सकलन ब क मय क

बाद बौ सगीत म कया गया पटक तीन कार क ह-

1 सतपटक-ब क धामक वचार और वचनकासह

2 वनय पटक-नयम एव कानन क याया

3 अभधम पटक बौ मतो क दाशनक याया |

इसक अलावा अयबौ थ इस कार ह-अगतर नकाय -

16 महाजनपदो का वणन ह

दपवश और महावश ीलका क थ ह | इसस मौय-कालन

इतहास क जानकार मलती ह|

जन साहय

जन साहय को अग कहा जाता ह | इनमस12 अग ह |

भगवती स महावीर क जीवन पर काश डालता ह |

भबाह चर - चगत मौय क समय पर काश डालता

अय साहय रचनाकार

अथशा कौटय

या

चाणय

कमारसभवमालवकािनम कालदास

हषचरत वाणभ

वमाक दव चर वहण

राजतरगणी कहण

मछकटकम शक

कताबल हद अलबनी

वदशी याी

मगाथनीज

यह चगत मौय क दरबार म सयकस का दत था| उसन

lsquoइिडकाrsquo नामक थ क रचना क|

फाहयान

यह मख चीनी याी था जो बौ मतावलबी था| यह

गत साट चगत वतीयक दरबार म भारत आया था

|स

वनसाग

सचीनी हष क दरबार 629 ई भारत आया वनसाग

क भारत का वतात हम चीनी वतात lsquoसी य क lsquo स मलता

पाषाण काल

पाषाण क उपकरण क योग क आधार पर इस काल को

तीन भाग म बाटा गया ह |

परा पाषाण काल

यह काल 36 हजार BC तक आता ह | इसम पाषाण पथर क

औजार का उपयोग कया गया जो आकार क वभन होत

थ इस काल मनय घमत कत का था |

शकारवाराखाय क पत करता था|

इस काल कसाय पाकतान क सोहन नदउतर दश क

बलन नद घाट स मलत ह| इसी काल म इलादाबाद क

बलनघाटम िथत लोहदा नाल ममातदवी क मत मल ह|

मय पाषाण काल

यह परा पाषाण काल एव नव पाषाण काल का समण काल

ह | इस काल क उपकरण सम एव सगठत औजार ह | इस

काल क बितयाउतर दश क सरायनाहररायमय दश क

भीमबटका पाई गई ह|

नव पाषाण काल

नव पाषाण कालक मख वशषता रोगन कए हए पथर क

औजार ह | इस काल म मनय न धीर-धीर थायी जीवन

यतीत करना श कर दया था |महरगढ़ स नवपाषाण

कालन आवास क अवशष क साथ-साथ गहजौ क खती क

माण मल ह|

नव पाषाण कालक बाद ता पाषाणक सकत का उदय

होता ह िजसम मनय थायी ामीण जीवन यतीत करन

क साथ-साथ सबस पहल ताबा नामक धात का उपयोग भी

करना श कर दया िजसस उपकरण बनान सहायता मल|

सध(हड़पा) सयता

1 सध (हड़पा) सयता

इस सयता क लए साधारण तीन नाम का योग होता ह ndash

lsquoसध सयताrsquo lsquoसध घाट क सयताrsquo और lsquoहड़पा

सयताrsquo | इनम स यक शद क एक पठभम ह |

ारभ म पिचमी क हड़पा एव तपचात मोहनजोदड़ो क

खोज हई तब यह सोचा गया क यह सयता अनवायत

सध घाट तक सीमत थी | अत इस सध घाट क

सयता का नाम दया गया |

हड़पा या सध सकत का उदय ता पाषाणक पठभम

पर भारतीय उपमहावीप क पिचमोतर भाग म हआ |

इसका नाम हड़पा सकत पड़ा यक इसका पता सबस

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

अशोक क मरठ एव टोपरा क तभ लख को फरोज शाह

तगलक़ वारा दल लाया गया तो अकबर न कौशबी क

अभलख को उठाकर इलाहाबाद क कल म रखवाया |

कछ महवपण अभलख और राजाओ क नाम इस कार ह |

जनागढ़

अभलख

ददामन

हाथी

गफा

अभलख

खारबल

नसक

शत

गौतमीप

शातकण

याग

शित

समगत

महरौल

लौह

तभ

चगत

वतीय

भीतर

अभलख

कद गत

एहोल

अभलख

पलकशन

वतीय

मधवन

एव

बासखडा

अभलख

हषवन

सक

सकक क अययन को माशा कहत ह | भारत क

ाचीनतम सक आहत सक या पचमाक सक ह जो

मयत 500BCक ह जो चाद क बन होत थ |

सवथम सककपर लख उकण करवान का य यवनो को

ह| सवथम वण सका जार करन का य भी यवनो को

ह ह |

सबस अधक सक मौततर काल क मल ह गत काल

मसोन क सबस अधक सक जार कए गए| जबक सबस

श सोन क सक कषाण शासको वारा जार कए गए |

चकला एव मत कला

हड़पा क खदाई स अनको मत मल ह िजसस मत कला

क वकास क साय ात होत ह परत बाद म मत

नमाण का य मथरा कला को जाता ह जो थम सद स

ब क मत क नमाण स श होती ह|

गफाओ म चो वारा भी कला का दशनकया गया | इसक

सबस महवपण साय महारा राय क औरगाबाद िजल क

अजता एव एलोरा क गफा च स ात होत ह मयदश

क धार िजल मबाघ क गफा मल ह |

साहियक ोत

साहियक ोत को दो भाग म बाटा जा सकता ह वदक

साहय एववदकतोतर साहय|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वदाहाणअरयकएव

उपनष थ आत ह |

मतय क रचना 200BC स 400 ई क बीच कया गया ह

| इसम मनय क सपण जीवन क याकलापो का वणन

कया गया ह | इसम महवपण मत गथ मनमत ह|

स सहय क रचना अधक स अधक तय का कम स

कम शद या स म कया गया |

वद क अथ को भल भात समझान क लए वदाग क रचना

क गई| वदाग छः कार क ह -

शाकपयाकरणनरतछद| कप स क तीन भाग

होत ह ndash1 ोत स 2गहा स 3धम स

हाकाय

रामायण एव महाभारत क दो मख महाकाय ह | इनका

अतम प स सकलन 400 ई क आस पास हआ |महाभारत

क रचना वदयास न क इसका ाचीन नाम जय-सहता था

| महाभारत का य900 BC क आस पास हआ था रामायण क

रचना बािमक न क|

पराण

पराण का अथ ाचीन होता ह पराणो क कल सया लगभग

18 ह इसम मय पराण पराणम सबस ाचीन माना जाता

ह|

बौ सहय

बौ सहय जातक का मख थान ह| इसमब क

पवजम क गाथाए ह इसक अलावाबौ सहय मपटक

का वशष महव ह यक इसका सकलन ब क मय क

बाद बौ सगीत म कया गया पटक तीन कार क ह-

1 सतपटक-ब क धामक वचार और वचनकासह

2 वनय पटक-नयम एव कानन क याया

3 अभधम पटक बौ मतो क दाशनक याया |

इसक अलावा अयबौ थ इस कार ह-अगतर नकाय -

16 महाजनपदो का वणन ह

दपवश और महावश ीलका क थ ह | इसस मौय-कालन

इतहास क जानकार मलती ह|

जन साहय

जन साहय को अग कहा जाता ह | इनमस12 अग ह |

भगवती स महावीर क जीवन पर काश डालता ह |

भबाह चर - चगत मौय क समय पर काश डालता

अय साहय रचनाकार

अथशा कौटय

या

चाणय

कमारसभवमालवकािनम कालदास

हषचरत वाणभ

वमाक दव चर वहण

राजतरगणी कहण

मछकटकम शक

कताबल हद अलबनी

वदशी याी

मगाथनीज

यह चगत मौय क दरबार म सयकस का दत था| उसन

lsquoइिडकाrsquo नामक थ क रचना क|

फाहयान

यह मख चीनी याी था जो बौ मतावलबी था| यह

गत साट चगत वतीयक दरबार म भारत आया था

|स

वनसाग

सचीनी हष क दरबार 629 ई भारत आया वनसाग

क भारत का वतात हम चीनी वतात lsquoसी य क lsquo स मलता

पाषाण काल

पाषाण क उपकरण क योग क आधार पर इस काल को

तीन भाग म बाटा गया ह |

परा पाषाण काल

यह काल 36 हजार BC तक आता ह | इसम पाषाण पथर क

औजार का उपयोग कया गया जो आकार क वभन होत

थ इस काल मनय घमत कत का था |

शकारवाराखाय क पत करता था|

इस काल कसाय पाकतान क सोहन नदउतर दश क

बलन नद घाट स मलत ह| इसी काल म इलादाबाद क

बलनघाटम िथत लोहदा नाल ममातदवी क मत मल ह|

मय पाषाण काल

यह परा पाषाण काल एव नव पाषाण काल का समण काल

ह | इस काल क उपकरण सम एव सगठत औजार ह | इस

काल क बितयाउतर दश क सरायनाहररायमय दश क

भीमबटका पाई गई ह|

नव पाषाण काल

नव पाषाण कालक मख वशषता रोगन कए हए पथर क

औजार ह | इस काल म मनय न धीर-धीर थायी जीवन

यतीत करना श कर दया था |महरगढ़ स नवपाषाण

कालन आवास क अवशष क साथ-साथ गहजौ क खती क

माण मल ह|

नव पाषाण कालक बाद ता पाषाणक सकत का उदय

होता ह िजसम मनय थायी ामीण जीवन यतीत करन

क साथ-साथ सबस पहल ताबा नामक धात का उपयोग भी

करना श कर दया िजसस उपकरण बनान सहायता मल|

सध(हड़पा) सयता

1 सध (हड़पा) सयता

इस सयता क लए साधारण तीन नाम का योग होता ह ndash

lsquoसध सयताrsquo lsquoसध घाट क सयताrsquo और lsquoहड़पा

सयताrsquo | इनम स यक शद क एक पठभम ह |

ारभ म पिचमी क हड़पा एव तपचात मोहनजोदड़ो क

खोज हई तब यह सोचा गया क यह सयता अनवायत

सध घाट तक सीमत थी | अत इस सध घाट क

सयता का नाम दया गया |

हड़पा या सध सकत का उदय ता पाषाणक पठभम

पर भारतीय उपमहावीप क पिचमोतर भाग म हआ |

इसका नाम हड़पा सकत पड़ा यक इसका पता सबस

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

मतय क रचना 200BC स 400 ई क बीच कया गया ह

| इसम मनय क सपण जीवन क याकलापो का वणन

कया गया ह | इसम महवपण मत गथ मनमत ह|

स सहय क रचना अधक स अधक तय का कम स

कम शद या स म कया गया |

वद क अथ को भल भात समझान क लए वदाग क रचना

क गई| वदाग छः कार क ह -

शाकपयाकरणनरतछद| कप स क तीन भाग

होत ह ndash1 ोत स 2गहा स 3धम स

हाकाय

रामायण एव महाभारत क दो मख महाकाय ह | इनका

अतम प स सकलन 400 ई क आस पास हआ |महाभारत

क रचना वदयास न क इसका ाचीन नाम जय-सहता था

| महाभारत का य900 BC क आस पास हआ था रामायण क

रचना बािमक न क|

पराण

पराण का अथ ाचीन होता ह पराणो क कल सया लगभग

18 ह इसम मय पराण पराणम सबस ाचीन माना जाता

ह|

बौ सहय

बौ सहय जातक का मख थान ह| इसमब क

पवजम क गाथाए ह इसक अलावाबौ सहय मपटक

का वशष महव ह यक इसका सकलन ब क मय क

बाद बौ सगीत म कया गया पटक तीन कार क ह-

1 सतपटक-ब क धामक वचार और वचनकासह

2 वनय पटक-नयम एव कानन क याया

3 अभधम पटक बौ मतो क दाशनक याया |

इसक अलावा अयबौ थ इस कार ह-अगतर नकाय -

16 महाजनपदो का वणन ह

दपवश और महावश ीलका क थ ह | इसस मौय-कालन

इतहास क जानकार मलती ह|

जन साहय

जन साहय को अग कहा जाता ह | इनमस12 अग ह |

भगवती स महावीर क जीवन पर काश डालता ह |

भबाह चर - चगत मौय क समय पर काश डालता

अय साहय रचनाकार

अथशा कौटय

या

चाणय

कमारसभवमालवकािनम कालदास

हषचरत वाणभ

वमाक दव चर वहण

राजतरगणी कहण

मछकटकम शक

कताबल हद अलबनी

वदशी याी

मगाथनीज

यह चगत मौय क दरबार म सयकस का दत था| उसन

lsquoइिडकाrsquo नामक थ क रचना क|

फाहयान

यह मख चीनी याी था जो बौ मतावलबी था| यह

गत साट चगत वतीयक दरबार म भारत आया था

|स

वनसाग

सचीनी हष क दरबार 629 ई भारत आया वनसाग

क भारत का वतात हम चीनी वतात lsquoसी य क lsquo स मलता

पाषाण काल

पाषाण क उपकरण क योग क आधार पर इस काल को

तीन भाग म बाटा गया ह |

परा पाषाण काल

यह काल 36 हजार BC तक आता ह | इसम पाषाण पथर क

औजार का उपयोग कया गया जो आकार क वभन होत

थ इस काल मनय घमत कत का था |

शकारवाराखाय क पत करता था|

इस काल कसाय पाकतान क सोहन नदउतर दश क

बलन नद घाट स मलत ह| इसी काल म इलादाबाद क

बलनघाटम िथत लोहदा नाल ममातदवी क मत मल ह|

मय पाषाण काल

यह परा पाषाण काल एव नव पाषाण काल का समण काल

ह | इस काल क उपकरण सम एव सगठत औजार ह | इस

काल क बितयाउतर दश क सरायनाहररायमय दश क

भीमबटका पाई गई ह|

नव पाषाण काल

नव पाषाण कालक मख वशषता रोगन कए हए पथर क

औजार ह | इस काल म मनय न धीर-धीर थायी जीवन

यतीत करना श कर दया था |महरगढ़ स नवपाषाण

कालन आवास क अवशष क साथ-साथ गहजौ क खती क

माण मल ह|

नव पाषाण कालक बाद ता पाषाणक सकत का उदय

होता ह िजसम मनय थायी ामीण जीवन यतीत करन

क साथ-साथ सबस पहल ताबा नामक धात का उपयोग भी

करना श कर दया िजसस उपकरण बनान सहायता मल|

सध(हड़पा) सयता

1 सध (हड़पा) सयता

इस सयता क लए साधारण तीन नाम का योग होता ह ndash

lsquoसध सयताrsquo lsquoसध घाट क सयताrsquo और lsquoहड़पा

सयताrsquo | इनम स यक शद क एक पठभम ह |

ारभ म पिचमी क हड़पा एव तपचात मोहनजोदड़ो क

खोज हई तब यह सोचा गया क यह सयता अनवायत

सध घाट तक सीमत थी | अत इस सध घाट क

सयता का नाम दया गया |

हड़पा या सध सकत का उदय ता पाषाणक पठभम

पर भारतीय उपमहावीप क पिचमोतर भाग म हआ |

इसका नाम हड़पा सकत पड़ा यक इसका पता सबस

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

फाहयान

यह मख चीनी याी था जो बौ मतावलबी था| यह

गत साट चगत वतीयक दरबार म भारत आया था

|स

वनसाग

सचीनी हष क दरबार 629 ई भारत आया वनसाग

क भारत का वतात हम चीनी वतात lsquoसी य क lsquo स मलता

पाषाण काल

पाषाण क उपकरण क योग क आधार पर इस काल को

तीन भाग म बाटा गया ह |

परा पाषाण काल

यह काल 36 हजार BC तक आता ह | इसम पाषाण पथर क

औजार का उपयोग कया गया जो आकार क वभन होत

थ इस काल मनय घमत कत का था |

शकारवाराखाय क पत करता था|

इस काल कसाय पाकतान क सोहन नदउतर दश क

बलन नद घाट स मलत ह| इसी काल म इलादाबाद क

बलनघाटम िथत लोहदा नाल ममातदवी क मत मल ह|

मय पाषाण काल

यह परा पाषाण काल एव नव पाषाण काल का समण काल

ह | इस काल क उपकरण सम एव सगठत औजार ह | इस

काल क बितयाउतर दश क सरायनाहररायमय दश क

भीमबटका पाई गई ह|

नव पाषाण काल

नव पाषाण कालक मख वशषता रोगन कए हए पथर क

औजार ह | इस काल म मनय न धीर-धीर थायी जीवन

यतीत करना श कर दया था |महरगढ़ स नवपाषाण

कालन आवास क अवशष क साथ-साथ गहजौ क खती क

माण मल ह|

नव पाषाण कालक बाद ता पाषाणक सकत का उदय

होता ह िजसम मनय थायी ामीण जीवन यतीत करन

क साथ-साथ सबस पहल ताबा नामक धात का उपयोग भी

करना श कर दया िजसस उपकरण बनान सहायता मल|

सध(हड़पा) सयता

1 सध (हड़पा) सयता

इस सयता क लए साधारण तीन नाम का योग होता ह ndash

lsquoसध सयताrsquo lsquoसध घाट क सयताrsquo और lsquoहड़पा

सयताrsquo | इनम स यक शद क एक पठभम ह |

ारभ म पिचमी क हड़पा एव तपचात मोहनजोदड़ो क

खोज हई तब यह सोचा गया क यह सयता अनवायत

सध घाट तक सीमत थी | अत इस सध घाट क

सयता का नाम दया गया |

हड़पा या सध सकत का उदय ता पाषाणक पठभम

पर भारतीय उपमहावीप क पिचमोतर भाग म हआ |

इसका नाम हड़पा सकत पड़ा यक इसका पता सबस

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

पहल 1921 म पाकतान क पिचमी पजाब ात म

अविथत हड़पा क आधनक थल म चला |

इस परपव हड़पा सकत का क -थल पजाब और सध

म मयत सध म पड़ता ह |

दजला-फरात और नील घाट सयताओ क समकालन यह

सयता अपन वशट नगर नयोजन और जल नकासी

यवथा क लए स ह |

सन 1921 म भारतीय परातव सवण वभाग क

महानदशक सर जान माशल क नदशन म राय बहादर

दयाराम साहनी न पजाब क माटगोमर िजल म रावी क तट

पर िथत हड़पा का अवषण कया |

जान माशल न सवथम इस सध सयता का नाम दया |

इस सयता क अब तक 350 स अधक थल काश म आ

चक ह | इसका अधकाश थल गजरात म ह |

वभाजन क पव उखनत अधकाश थल वभाजन क

उपरात पाकतान म चल गय | अपवाद वप दो थल

कोटला नहग खा सतलज नद पर तथा रगपर मदर नद तट

पर भारतीय सीमा म शष बच ह |

काल नधारण

सधव सयता क तथ को नधारत करना भारतीय परातव

का ववादत वषय ह | यह सयता आरभ स ह वकसत प

म दखाई पड़ती ह तथा इसका पतन भी आकिमक तीत होता ह

ऐसी िथत म कछ भी निचत तौर पर नह जा सकता |

इस म सवथम यास जान माशल का रहा ह | उहन 1931

म इस सयता क तथ लगभग 3250 ई० प० स 2750 ई०

नधारत कया |

रडय काबन-14 जसी नवीन वलषण पत क वारा हड़पा

सयता क तथ 2500 ई० प० स 1750 ई० प० माना गया ह |

जो सवाधक माय ह |

नवीनतम आकड़ क अनसार यह सयता 400-500 वष तक

वयमान रह तथा 2200 ई० प० स 2000 ई०प० क मय यह

अपन परपव अवथा म थी |

वतार

अब तक इस सयता क अवशष पाकतान और भारत म पजाब

सध बलचतान गजरात राजथान हरयाणा पिचमी

उ० ० जम-कमीर पिचमी महारा क भाग म पाय जा

चक ह |

इस सयता का फलाव म जम स लकर दण म नमदा क

महान तक और पिचम म मकरान सम तट स लकर

पिचमी उ० ० म मरठ तक ह |

इस सयता का सवाधक पिचमी पराथल सकागडोर पव

पराथल आलमगीर उतर पराथल माडा तथा दणी

पराथल दमाबाद ह |

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

इस भजाकार का फल वतमान म लगभग 13 लाख

वग क०मी० ह |

इस सयता क वतार क आधार पर ह टअट पगट न

हड़पा एव मोहनजोदड़ो को एक वतत सााय क जड़वा

राजधानया बताया ह |

सध सयता क नमाता

सध घाट सयता क वतक या मल सथापक क

सबध म हमार उपलध जानकार कवल समकालन

खडहर स ात मानव ककाल और कपाल ह |

ात साय स पता चलता ह क मोहनजोदड़ो क जनसया

एक मत जात क थी िजसम कम स कम चार जातया

थी |

1 ोटो-आलाइड

2 भमय सागरय

3 अपाइन

4 मगोलायड

आमतौर पर यह धारण ह क मोहनजोदड़ो क लोग मयत

भमयसागरय जात क थ |

कसी जात वशष वारा सध सयता क वतन या

सथापन करन क लए सबध म इतहास एव परातववद क

मय काफ मतभद ह |

सध सयता क वतक को वड़ाहयी समरयन पण

असर वय बाहक दास नाग आय जातय स

सबधत बताया जाता ह |

परत अधकाश ववान इस मत स सहमत ह क वड़ ह

सधव सयता क नमाता थ |

मय थल

सध घाट क िजन नगर क खदाई क गई ह उह

ननलखत वग म वगकत कया जा सकता ह ndash

1 कय नगर

2 तटय नगर और पतन

3 अय नगर एव कब

कय नगर-

सध सयता क तीन कय नगर-हड़पा मोहनजोदड़ो

और धौलावीरा समकालन बड़ी बितया थी |

1 हड़पा

पाकतान क पजाब ात म िथत माटगोमर िजल म रावी

नद क बाय तट पर यह पराथल िथत ह |

हड़पा क टल या वशावशष क वषय म सवथम जानकार

1826 म चालस मसन न द |

1921 म दयाराम साहनी न इसका सवण कया और 1923

स इसका नयमत उखन आरभ हआ | 1926 म

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

माधोवप वस न तथा 1946 म माटमर वीलर न

यापक तर पर उखन कराया |

हड़पा स ात दो टल को नगर टला तथा पिचमी टल को

दग टला क नाम स सबोधत कया गया ह |

यहा पर 6-6क दो पितय म नमत कल बाहर क वाल

एक अना का अवशष ात ह | िजसका कल 2475

वग मी स अधक ह |

हड़पा क सामाय आवास क दण म एक ऐसा

कतान िथत ह िजस समाध आर-37 नाम दया गया ह

|

हड़पा क कल क बाहर कछ ऐस भवन ह िजनक पहचान

कमचारय क आवास दतकार क मच और 275 वग मी

म फल अनागार स क गई ह |

सध सयता म अभलख यत महर सवाधक हड़पा स

मल ह |

हड़पा म दो कमर वाल बरक भी ह जो शायद मजदर क

रहन क लए थ |

नगर क रा क लए पिचम क ओर िथत दग टल को

वीलरन माउडए-बी क सा दान क ह |

इसक अतरत यहा स ात कछ महवपण अवशष एक

बतन पर बना मछआर का च शख का बना बल ी क गभ

स नकला हआ पौध ( िजस उवरता क दवी माना गया ह )

पीतल का बना इका ट क वताकार चबतर गह तथा जौ

क दान क अवशष आद मल ह |

2मोहनजोदड़ो

सधी म इसका शािदक अथ ldquoमतक का टलाrdquo यह सध क

लरकाना िजल म सध नद तट पर िथत इसक सवथम

खोज राखालदास बनज न 1922 म क थी |

मोहनजोदड़ो का शायद सबस महवपण सावजनक थल ह

वशाल नानागार िजसका जलाशय दग टल म ह | यह

1188 मी लबा 701 मी चौड़ा और 243 मी गहरा

ह |

यह वशाल नानागार धमानठान सबधी नान क लए

था | माशल न इस तकालन वव का एक आचयजनक

नमाण कहा |

वशाल अनागार ndashमोहनजोदड़ो क सबस बड़ी इमारत ह | जो

4571 मी लबा और 1523 मी चौड़ा ह |

मोहनजोदड़ो म नगर योजना क अतगत उतर-दण एव

पव-पिचम क ओर जान वाल समातर सडक का जाल

बछा था िजहन नगर को लगभग समान आकार वाल खड

म वभािजत कर दया था |

मोहनजोदड़ो क शासन यवथा राजतामक न होकर

जनतामक थी |

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

यहा क कल क रा णाल हड़पा क कल क समान थी |

इसम एक सनयोिजत नगर क सभी तव दखाई दत ह |

मोहनजोदड़ो क पिचमी भाग म िथत दग टल को

lsquoतपटलाrsquo भी कहा जाता ह यक यहा पर कषाण शासक

न एक तप का नमाण करवाया था |

मोहनजोदड़ो स ात अय अवशष म lsquoमहावयालय भवनrsquo

कास क नयरत नार क मत पजार (योगी) क मत

मा पर अकत पशपत नाथ (शव) क मत कभकार क

छः भ सती कपड़ा हाथी का कपाल खड गल हए ताब क

ढर सीपी क बनी हई पी अतम तर पर बखर हए एव

कए स ात नर ककाल घोड़ क दात एव गील मी पर

कपड़ क साय मल ह |

3कालबगा

राजथान क गगानगर िजल म िथत इस ाक हड़पा

पराथल क खोज सवथम ए० घोष न 1953 म क |

कालबगा म ाक सधव सकत क सबस महवपण

उपलिध एक जत हए खत का साय ह |

कालबगा म कलबद पिचमी टल क दो पथक-पथक परपर

सब खड ह ndash एक सभवत जनसया क वशट वग कर

नवास क लए और दसर अनक ऊच-ऊच चबतर क लए

िजसक शखर पर हवन कड क अितव का साय मलता

ह | इस थल क पिचम म कतान ह |

कालबगा क पव टल क योजना स मलती-जलती ह परत

इन दोन म अतर यह ह क कालबगा क घर कची ईट क

बन थ इसक वपरत मोहनजोदड़ो क घर अधकाशत पक

ईट क थ |

कालबगा म कोई पट घरल या शहर जल नकासी णाल

भी नह थी |

यहा पर ाक हड़पा एव हड़पा कालन सकतय क अवशष

मल ह यहा स ात कछ मदभाड परवत हड़पा साकतक

यग म भी यत कए जात रह | यहा कए गय उखन स

हड़पा कालन साकतक यग क पाच तर का पता चला ह |

सलखड़ी क महर एव मी क छोट मोगर महवपण

अभलखत वतए थी िजनक वण हड़पा कालन लप क

समान ह |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash बनकर महर हल क

नशान ईट स नमत चबतर हवन कड या अिनकड

अनागार अलकत ईट का योग घर क नमण म कची

ईट का योग यगल तथा तीकामक समाधया आद |

कालबगाम शव क अयिट सकार हत तीन वधय- पण

समाधकरण आशक समाधकरण एव दाह सकार क

माण मल ह |

4लोथल

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

अहमदाबाद िजल क सरगवाला ाम स 80 क०मी० दण

म भोगवा नद क तट कनार िथत इस थल क सवथम

खोज डा० एस० आर० राव न 1957 म क थी |

सागर तट पर िथत यह थल पिचमी एशया स यापार का

मख बदरगाह था |

लोथल स मल एक मकान का दरवाजा गल क ओर न खल

कर सड़क क ओर खला था |

उखनन स लोथल क जो नगर योजना और अय भौतक

वतए काश म आई ह उनस लोथल एक lsquoलघ हड़पाrsquo या

lsquoमोहनजोदड़ोrsquo नगर तीत होता ह |

फारस क मा या सील और पक रग म रग हए पा क

उपलिध स पट ह क लोथल सध सयता काल म

सामक यापारक गतवधय का क था |

लोथल म गढ़ और नगर दोन रा ाचीर स घर ह | यहा

नगर क उतर म एक बाजार और दण म औयोगक

था | यहा क बाजार म शख का काय करन वाल दतकार और

ता कमय क कारखान थ |

लोथल क सबस मख उपलिध जहाज क गोद ह | यह

लोथल क पव खड म पक ईट का एक तालाब जसा घरा था

|

यहा स ात अवशष म मख ह- बदरगाह धान और बाजर

का साय फारस क महर घोड़ क लघ ममत तीन गल

समाधया आद |

यहा क सवाधक स उपलिध हड़पा कालन बदरगाह

क अतरत मदभाड उपकरण महर वाट एव माप तथा

पाषाण उपकरण ह |

5धौलावीरा

गजरात क कछ िजल क भचाऊतालक म िथत धौलावीरा

आज एक साधारण गाव हइस क खोज (1990-91) म

आर०एस०वट न क

धौलावीरा वतमान भारत म खोज गय हड़पाकालन दो

वशालतनगर म स एक ह इस णी म दसरा

वशालतनगरहरयाणा म िथत राखीगढ़ ह

धौलावीरा भारतीय उपमहावीप का चौथा

वशालतहड़पाकालन नगरहइस आकार क तीन अय नगर

ह - मोहनजोदड़ो हड़पा एव बहावल पर म गनड़ीवाल

धौलावीरा म अभी कछ ह समय पव क गई खदाई स एक

अय वशाल एव भय हड़पाकालन नगर क अवशष मल ह

इस नगर क वशाल ताकापता यापक दगबद या सरा

यवथा स यत भावशाल नगरयोजना सदर जल णाल

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

तथा 1000 वष अधक समय तक थायी रहन वाल मक

बितय क एक लब चरण स लगा ह

धौलावीरा क अनक अवतीय वशषताए ह जो कसी भी

अय हड़पाकालन थल स नह पाई गई ह

अय हड़पाकालन नगर दो भाग (1) कला या नगर दग

और (2) नचल नगर म वभािजत थकत इन स भन

धौलावीरा तीन भाग म वभािजत तथा िजन म स दो भाग

आयताकार दगबद या ाचीर वारा पर तरह सरत थ

ऐसी नगर योजना अय हड़पाकालन नगर म दखन को

नह मलती ह

आर०एस०वट क अनसार धौलावीरा क जनसया लगभग

20000 थी

कसी भी सध सयता कालन नगर म कह भी अय

परकोटदार अथवा पर कोट रहत भाग को जोड़त हए एक

समान परधीय क यवथा नह मलती

धौलावीरा क मय या क म िथत ाचीर यत िजस

मयमा आवास क लए यत कया जाता होगा

मयनगर या मयमा कवल धौलावीरा म ह पाया गयाह

6बनवाल

हरयाणा क हसार िजल म िथत इस पराथल क खोज

आर० एस० वट न 1973 म क थी बी | यहा कालबगा क

तरह दो साकतक अवथाओ - ाक हड़पा एव हड़पा

कालन क दशन होत ह |

बनवाल म जल नकासी णाल जो सध सयता क सबस

महवपण वशषता थी का अभाव ह |

बनवाल स ात भौतक अवशष काफ सम ह यहा स

सध -कालन म ट क उकट बतन सलखड़ी क अनक

मोहर और सध सयता कालन वशट लप क यत

मी क पकाई गई कछ महर मल ह |

यहा स ात कछ अवशष मख ह - हल क आकत तल

सरस का ढर अछ कम क जौ सड़क नालय क अवशष

मनक मातदवी क लघममत या ताब क बाणा मनय एव

पशओ क मत या चट क फलक सलखड़ी एव पकाई मी क

महर आद |

7चहदड़ो

मोहनजोदड़ो स 80 मील दण िथत इस थल क

सवथम खोज 1931 ई म एम जी मजमदार न क थी |

1935 म इसका उखन मक न कया |

यहा सधव सकत क अतरत ाक हड़पा सकत िजस

झकर सकत और झागर सकत कहत ह क अवशष मल

ह |

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

यहा क नवासी कशल कारगर थ | इसक पिट इस बात स

क जाती ह क यह मनक सीप अिथ तथा मा बनान का

मख क था |

यहा स ात अवशष म मख ह ndash अलकत हाथी खलौना

एव कत क बल का पीछा करत पद-चह सौदय

साधन म यत लपिटक आद |

चहदड़ो एक मा पराथल ह जहा स वाकार ट मल ह

|

चहदड़ो म कसी दग का अितवनह मला ह | यहा स

lsquoझकर-झागरrsquo साकतक अवशष मल ह

8सरकोटदा

गजरात क कछ िजल म िथत इस थल क सवथम खोज

जगपत जोशी न 1964 म क यह थल सधव सकत क पतन

काल क िटगत करता ह |

सरकोटदा एक महवपण ाचीर यत सध कालन महवपण

बती ह |

इस थल क अतम तर पर घोड़ क अिथया मल ह जो कसी

भी अय हड़पा कालन थल स ात नह हई ह |

यहा क अवशष म मख ह-घोड़ क अिथया एव एक वशष

कार का कगाह |

9अय महवपण तय-

मडीगाक नाम कह हड़पाकालन पराथल अफग नतान म

िथत ह

माडा-पीर पजाल पवत माला क तराई म चनाव नद क दाय

तट पर िथत इस थल म क गई खदाई स हड़पा और

ऐतहासक यग स सबिधत सकत का -तरय म

ात हआ ह

ागतहासक काल म माडा एक छोट हड़पाकालन बती

थीयहा स वशष कार क मदभाड टरकोटा क आद ात

हई ह

रोपड़-पजाब क सतलज नद क तट पर िथत इस थल क

खोज (1955-56) मय शमा न क

यहा पर क गई खदाइय स सकत क पाचतरय म

(हड़पा पटड बअर-चत धसर मदभाड

नादनलकपालश-उतर काल पालश वाल कषाण गत

और मयकालन मदभाड ) ात हए ह

मानवीय शवाधान या क क नीच एक कत का शवाधान

बड़ा रोचक ह ऐसा टात कसी भी हड़पाकालन थल स

म ात नह हआ ह परतइस कार क था पाषाण यग

म बजाहोम म चलतथी

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

आलगीरपर उ०० क मरठ िजल म िथत आलगीरपर

सहायक हडन नद क बाय तट पर िथत ह यह हड़पा

सयता का सवाधक पव पराथलह

इस परा थल क खोज म भारत सवकसमाज सथा का

वशष योगदान रहा

1नगर नयोजन

हड़पा सयता क सबस भावशाल वशषता उसक नगर

नयोजन एव जल नकास णाल ह यह नगर योजना जाल

पत पर आधारत ह

ात नगर क अवशष स पव एव पिचम दशा म दो टल

हपवदशा म िथत टल पर नगर या फर आवास क

साय मलत हपिचम कटल पर गढ़ अथवा दग क साय

मल ह

लोथल एव सरकोटता क दग और नगर दोन एक ह

रा चीर स घरह

हड़पा मोहनजोदड़ो तथा कालबगा क नगरयोजना एक

समान थी कत कालबगा म सयविथत जल नकास

णाल न होन एव कची ट क मकान बन होन क कारण

यहदन बती तीत होती ह

हड़पा सयता क कसी भी पराथल स कसी भी मिदर क

अवशष नह मल क मोहनजोदड़ो ह एक मा ऐसा थान ह

जहा स एक तप का अवशष मला ह ययप स

कषाणकालन माना गयाह

हड़पाकालननगर क चार ओर ाचीर बनाकर कलबदकर

न का उय नगर क शओ क बल आमण सरा

करनानहथा अपतलटर माग उतर स दण दशा क ओर

जात ह तथासड़क एक दसर को समकोण पर काटती हई

जालसी तीतहोती थी

कालबगा म नमत सड़क एव गलय को एक समानपातक

ढग स बनाया गयाथा

नगर क मख सड़क को थम सड़क कहा गयाहआमतौर

पर नगर म वश पव सड़क स होता था और जहा यह

थम सड़क स मलती थी उस आसफोड सक स कहा गया

हसड़क मी क बनी होतीह

नालया- जल नकास णाल सध सयता क अवतीय

वशषता थी जो हम अय कसी भी समकालन सयता म नह

ात होती |

नालया ट या पथर स ढक होती थी | इनक नमाण म मयत

ट और मोटार का योग कया जाता था पर कभी-कभी चन और

िजसम का योग भी कया जाता था |

घर स जल नकासी मोरय वारा होता था जो मय नालय म

गरती थी |

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

मोहनजोदड़ो क जल नकास णाल अत थी तथा हडपा क

नकास णाल तो और भी वलण थी

कालबगा क अनक घर म अपन-अपन कए थ |

ट- हडपा मोहनजोदड़ो और अय मख नगर पकाई गई ट

स पणत बन थ जबक कालबगा व रगपर नगर कची ट क

बन थ |

सभी कार क ट क एक वशषता थी | व एक निचत अनपात

म बन थ और अधकाशत आयताकार थ िजनक लबाई उनक

चौड़ाई क दनी तथा ऊचाई या मोटाई चौड़ाई क आधी थी | अथात

लबाई चौड़ाई तथा मोटाई का अनपात 421 था |

सामायत एक ईट का आकर 1025times 50 times 225 इच था | बड़

ट का योग नालय को ढकन म कया जाता था |

मोहनजोदड़ो स मल हडपा सयता क सबस बड़ी ट

51cmtimes2627cmtimes635 क आकर क थी |

दवार क फश क कोन या कनार बनान क लए एल(L) आकर क

ट का तथा नानागार क फश बनान क लए जलरोधी छोट ट

का योग कया जाता था |

भवन- हड़पा कालन नगर क भवन तीन णय म वभािजत

कय जा सकत ह ndash (1) आवासीय भवन(2) वशाल भवन और

(3) सावजनक नानगह और अनागार आद |

मकान का नमाण सादगीपण कया गया था | उनम एकपता थी

| कालबगा क कछ मकान क फश म ट का योग कया गया ह |

यक मकान म एक आगन एक रसोईघर तथा एक नानगार बना

होता था | घर क दरवाज मय सड़क क ओर न खलकर पछवाड़

क ओर खलत थ

सामायत मकान छोट होत थ न िजनम चार-पाच कमर होत थ |

कछ बड़ आकर क भवन भी मल ह िजनम 30 कमर तक बन होत

थ तथा दो मिजल भवन का भी नमाण हआ था |

यक मकान स ढक हई नालया भी होती थी |

2आथक जीवन

हड़पा कालन अथयवथा सचत कष अधशष पशपालन

वभन दतकारय म दता और सम आतरक और

वदश यापार पर आधारत थी

कष - सध घाट कष क लोग बाढ़ उतर जान पर नवबर

क महन म बाढ़ वाल मदान म बीज बो दत थ और अल

महन म गह और जौ क फसल काट लत थ

सधव सयता म कोई फावड़ा या फाल नह मला ह परत

कालबगा म हड़पा-पव अवथा म कड़ो स (हल रखा)गायन

होता ह क हड़पा काल म राजथान क खत म हल जोत

जात थ

हड़पाई लोग शायद लकड़ी क हल का योग करत थ

फसल काटन क लए पथर क हसय का योग होता था

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

नौ कार क फसल क पहचान क गई ह - चावल(गजरात

एव राजथान) गह (तीन कम) जौ (दो कम) खजर

तरबज़ मटर राई तल आद कत सधव सयता क मख

खायान गह और जौ थ

मोहनजोदड़ो हड़पा एव कालबगा म अनाज बड़-बड़ कोठारो

म जमा कया जाता था

सभवतः कसान स राजव क प म अनाज लया जाता था

लोथल क लोग 1800 ई० प० म भी चावल का योग

करत थ (यहा चावल क अवशष ात हए ह)

सवथम कपास उपन करन का य सध सयता क

लोग को था इसीलए यनानय न इस सडोन िजसक

उपित सध स हई ह नाम दया ह

पशपालन- हड़पाई लोग बल भड़ बकर सअर आद थ

ऐसी कोई मत नह मल ह िजस पर गाय क आकत खद

हो कबड़ वाला साड़ इस सकत म वशष महव रखता ह

घोड़ क अितव का सकत मोहनजोदड़ो क ऊपर सतह स

तथा लोथल म एक सिदध मत का स मला ह

गजरात क सरकोटदा नामक स घोड़ क अिथपजर क जो

अवशष मल ह व 2000 ई० प० क आसपास क ह जो भी

हो इतना तो पट ह क हड़पा काल म इस पश क योग

का आम चलन नह था

गजरात क नवासी हाथी पालत थ

शप एव तकनीक - सधव लोग पथर क अनक कार क

औजार योग करत थ ताब क साथ औजार बहतायत स

नह मलत ह

हड़पा समाज क शिपय म कसर क समदाय का

महवपण थान था

ताबा राजथान क खतड़ी स टन अफगानतान स सोना

चाद भी सभवत अफगानतान स ताबा रन दण भारत

स मगाय जात थ

इस काल म कहार क चाक का खब चलन था और

हड़पाई लोग क मदभाड क अपनी खास वशषताए थी

य भाड को चकन और चमकल बनात थ

मोहनजोदड़ो क कसी बतन पर लख नह मलता परत

हड़पा क बतन पर मानव आकतय भी दखाई दती ह

3राजनीतक यवथा

हड़पा सकत क यापकता एव वकास को दखन स ऐसा लगता

ह क यह सयता कसी कय शित स सचालत होती थी |

हड़पाकालन राजनीतक यवथा क वातवक वप क बार म

हम कोई पट जानकार नह ह चक हड़पावासी वाणय क

ओर अधक आकषत थ इसलए ऐसा माना जाता ह क सभवतः

हड़पा सयता का शासन वणक वग क हाथ म ह था |

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

वीलर न सध दश क लोग शासन को मायम वगय

जनतामक शासन खा और उसम धम क महता को वीकार

कया |

4सामािजक यवथा

समाज क इकाई परपरागत तौर पर परवार थी | मातदवी क

पजा तथा महर पर अकत च स यह परलत होता ह | हड़पा

समाज सयता मातसतामक था |

नगर नयोजन दग मकान ल आकर व परखा तथा शव क

दफनान क ढग को दखकर ऐसा तीत होता ह क सधव समाज

अनक वग जस परोहत यापार अधकार शपी जलाह

एव मक म वभािजत रहा होगा |

सधव सयता क लोग य य कम शातय अधक थ |

सध सयता क नवासी शाकाहार एव मासहार दोन थ |

भोय पदाथ म गह जौ तल सरस खजर तरबज गाय

सअर बकर का मास मछल घड़याल कछआ आद का मास

मख प स खाए जात थ |

वत सती एव ऊनी दोन कार क पहन जात थ आभषण का

योग पष एव महलाए दोन करत थ |

मनोरजन क लए पास का खल नय शकार पशओ क लड़ाई

आद मख साधन थ | धामक उसव एव समारोह भी समय-

समय पर धमधाम स मनाय जात थ |

शव क अयिट सकार म तीन कार क शावोसग क माण

मल ह-

1 पण समाधकरण म सपण शव को भम म दफना दया

जाता था |

2 आशक समाधकरण म पश पय क खान क बाद बच शष

भाग को भम म दफना दया जाता था |

3 दाह सकार

5धामक जीवन

पराथल स ात मी क मत य पथर क छोट मत य

महर पथर नमत लग एव योनय मदभाड पर चत

चह स यह परलत होता ह क धामक वचार धारा

मातदवी पषदवता लग योनी व तीकपश जल आद

क पजा क जाती थी |

मोहनजोदड़ो स ात एक सील पर तीन मख वाला पष

यान क मा म बठा हआ ह | उसक सर पर तीन सग ह

उसक बायी ओर एक गौडा और भसा तथा दायी ओर एक हाथी

एक याघ एव हरण ह | इस पशपत शव का प माना जाता

ह माशल न इह lsquoआयशवrsquo बताया |

हड़पा म पक मी क ी-मत काए भार सया म मल

ह | एक मत का म ी क गभ स नकलता एक पौधा दखाया

गया यह सभवतः पवी दवी क तमा ह हड़पा सयता क

लोग धरती क उवरता क दवी मानकर इसक पजा करत ह |

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

हड़पा सयता स वाितक च और ास क भी साय

मलत ह वाितक और च सय पजा का तीक था |

धामक िटकोण का आधार इहलौकक तथा यावहारक

अधक था | मत पजा का आरभ सभवत सधव स होता

ह |

6यापार

सध सयता क लोग क जीवन म यापार का बड़ा महव

था | इनक पिट हड़पा मोहनजोदड़ो तथा लोथल म अनाज

क बड़-बड़ कोठार तथा ढर सार सील एक प लप और

मानककत माप-तौल क अितव स होती ह |

हड़पाई लोग यापर म धात क सक का योग नह करत

थ सभी आदान-दान वत वनयम वारा करत थ |

थलय यापर म अफगानतान तथा ईरान तथा जलय

यापर म मकरान क नगर क भमका महवपण होती थी

| भर वीप क यापार दोन दश क बच बचौलय का

काम कया करत थ |

मोहनजोदड़ो क एक महर पर एक ठकर क ऊपर समरयन

ढग क नाव क च अकत ह |

समरयन लख स ात होता ह क उन नगर क यापार

lsquoमलहाrsquo क यापारय क साथ वत वनयम करत थ |

lsquoमलहाrsquo का समीकरण सध दश स कया गया ह |

लोथल स फारस क महर तथा कालबगा स बलनाकार महर

भी सध सयता क यापर क साय तत करत ह |

सध तथा मसोपोटामया दोन सयताओ म मात शित क

उपासना होती थी तथा दोन क नवासी बल बतख पाषाण

तभ को पव मानत थ |

सधव सयता क सम का मख कारण उसका वदशी

यापर था |

सध दश एव ईरान क बच वनयम क कड़ी यापारक

मडी फारस क खाड़ी म बहरन वीप म थी |

सध लप म लगभग 64 मल चह एव 250 स 400 तक अर

ह जो सलखड़ी क आयताकार महर ताब क गरकाओ आद पर

मलत ह लखन णाल साधारणत अर सचक मानी गई ह

हड़पा लप का सबस पराना नमना 1853 म मला था और 1923

तक पर लप काश म आ गई कत अभी तक पढ़ नह जा

सक ह

हड़पा लप भावचामक ह और उनक लखावट मशः दायी

ओर स बायी क जाती थी

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

अधकाश अभलख ममाओ(सलो) पर ह इन सील का योग

धनाय लोग अपनी नजी सपित को चिहत करन और

पहचानन क लए करत हग

सधव लप मल प स दशी ह और उसका पिचम एशया

क लपय स कोई सबध नह ह

बाट-माप - तौल क इकाई सभवत 16 क अनपात म थी

उदाहरण 16 64 160 320 640 आद

य बाट घनाकार बतलाकार बलनाकार एव शवाकार आकत

क थ

मोहनजोदड़ो स सीप का बना हआ तथा लोथल स हाथी दात

का बना हआ एक-एक पमाना मला ह इसका योग

सभवत लबाई मापन म कया जाता रहा होगा

मदभाड- हड़पा भाड पर आमतौर स वत या व क

आकतया मलती ह कछ ठकर पर मनय क आकतया

भी दखाई दती ह

महर - हड़पा सकत क सवतम कलाकतया ह उसक

महर अब तक लगभग 2000 महर ात हई ह | इनम स

अधकाश महर लगभग 500 मोहनजोदड़ो स मल ह

अधकाश महर लघ लख क साथ- साथ एक सगी साड़

भस बाघ बकर और हाथी क आकतया खोद गई ह

महर क बनान म सवाधक उपयोग सलखड़ी का कया गया

लोथल और दसलपर स ताब क बनी महर ात हई ह

सधव महर वलनाकार वगाकार आयताकार एव वताकार

कछ महर पर दवी-दवताओ क आकतय क चत होन स

यह अनमान लगाया ह क सभवत इनका धामक महव

भी रहा होगा

वगाकार माए सवाधक चलत थी

मोहनजोदड़ो लोथल तथा कालबगा स राजमाक भी मल ह

इसस यापारक याकलाप का ान होता ह

लघ ममत या- सध दश म भार सया म आग म पक

मी( जो टराकोटा कहलाती ह ) क बनी मत काए (फगरन)

मल ह इनका योग या तो खलौन क प म या पय

तमाओ क प म होता था इनम कत भड़ गाय बदर क

तकतया मलत ह

ययप नर और नार दोन क ममत या मल ह तथाप

नार ममत या सया म अधक ह |

तर शप म हड़पा सकत पछड़ी हई थी |

अय महवपण तय

हड़पा सकत का अितव मोट तोर पर 2500 ई०प० स

1800 ई०प० क बीच रहा |

हड़पा पव बितय क अवशष पाकतान क नचल सध

और बलचतान ात म तथा राजथान क कालबगा म

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

मल ह | हड़पा पव कसान उतर गजरात क नागवाडा म भी

रहत थ |

सध सयता क मकान आयताकार थ |

हड़पा सकत क नगरकोतर अवथा को उपसध

सकत भी कहत ह | इसका उतर हड़पा सकत नाम और

भी अधक चलत ह |(काल 1800 ई०प० स 1200

ई०प०)

उतर हड़पा सकतया मलतः ामीण सयता एव ता

पाषाणक थी |

पकाई हई ट हरयाणा क भगवानपरा म उतर हड़पाई

अवथा म मल ह पर इसक सवा और कह नह पाई गई ह

|

वात घट को उतर हड़पा सकत का उतर छोर माना

जाता ह |

हडपातोतर काल क लोग काला धसर ओपदार मदभाड का

योग करत थ |

रागी भारत क कसी भी हड़पा थल म अभी तक नह दखा

गया ह | आलमगीरपर म उतर हड़पाई लोग कपास भी

उपजात थ |

आमतौर स सभी उतर हड़पाई थल म मानव मत काओ

और वशय सचक चाकतय का आभाव ह |

पतन

हड़पा सयता क उव क भात ह उसक वघटन का न

भी एक जटल समया ह |

इसक परवत चरण म 2000 स 1700 ई०प० क बीच कसी

समय हड़पा कालन सयता का वत अितव धीर-धीर

वलत हो गया |

इस सयता क पतनोमख ओर अतत वलत हो जान क

अनक कारण ह जो ननलखत ह ndash

1 बाय आमण

2 भतािवक परवतन

3 जलवाय परवतन

4 वदशी यापर म गतरोध

5 साधन का तीता स उपभोग

6 बाढ़ एव अय ाकतक आपदा

7 शासनक शथलता

वदक सयता

आय क नवास थान

बाल गगाधर तलक आय का नवास थान उतर व

मानत ह तो दयानद सरवती अपनी पतको सयाथ काश

म आय का नवास थान तबत कहत ह|

राजवल पाडय मय दश को डॉ अवनाश दास सत

सधव को गाडन चाइड दणी स को आय का नवास

थान मानत ह|

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

सामाय मत ह क आय मय एशया एव यरशया क

क नवासी ह|

वदक साहय

वदक साहय क अतगत चारो वद ामण अरयक और

उपनषद को रखा गया ह|

ऋवद ndash इस 1028 सत ह जो 10 मडल म वभत ह 2

स 7 तक परान मडल ह दसरा और सातवा मडल सवाधक

पराना ह| थम और दसवा मडल बाद म जोड़ा गया ह| नौवा

मडल सो क त समपत ह| यक मडल क रचना

अलग-अलाग ऋष वारा क गयी ह|

ऋवद स सबिधत परोहत को होत कहा जाता था|

यजवद

यजवदम य कमकाड और इसको सपादत करन क वध

क चचा ह| इसक परोहत अवय कहलात ह|

सामवद

यह थ गान धान ह इस कल 1810 म ह िजसम 75

नय लोक ह बाक ऋवद म पाए गय ह

इसको गायन करन वाल परोहत को उगाी कहा जाता था|

अथववद

इस कल 731 सत ह| 5849 म तथा 20 काड ह| इस

लोकक जीवन जादटोना भतत गह शख जड़ी बट

इयाद का वणन कया गया ह |

अथववद स जड़ परोहत को म कहा जाता था|

ामण थ

वद क सह याया करन क लए ामण थ क रचना

क गयी| यक वड क अलग-अलग ामण थ ह|

आरयक थ

इसका अथ वन या जगल होता ह आरयक थ क रचना

जगल म हई |इसम कमकाड स माग क ओर सकण क

ववचना क गई यक वद क अलग अलग आरयक थ

ह | सफ अथववद क कोई आरयक थ नह ह

उपनषद

इसम दाशनक वचारो का सह ह इसलए इस वद का सार

कहा जाता ह सयमव जयत शद मडकोपनषद स लया ह

आयो क भोगोलक वतार

ऋवद म सवाधक उलखत नद सनध ह जबक सबस

अधक महव सरवती नद का था | ऋवद ममगा का एक

बार यमना का तीन बार वणन आया ह |

ऋवद आय

राजनीतक यवथा

ऋवद म दसराज य का वणन ह जो भरत जन क राजा

सदास और दस राजाओ क सघ क बीच हआ था यह य

रावी नद क तट पर हआ था इसम सदास वजयी रहा|

ऋवद म जन का 275 बार और वश का 170 बार का

उलख आया ह |

राजा क सहायता करन क लए सभा समत एव वदथ

नामक सथा थी |

ऋवदक काल म कर क प म बल लया जाता था

लकन उस जनता अपनी इछानसार दती थी |

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

सामािजक यवथा

ऋवदक समाज कबीलाई वत का था | िजसका मय पशा

पशपालन था | कष इनका दसरा पशा था

ऋवदक समाज दो वण म वभािजत था एक वत और

दसरा अवत ऋवद क 10 व मडल क पष सत म वण

क प म श क चचा क गई ह

ऋवदक समाज का मल आधार परवार था जो

पतसतामक था समाज म िय क िथत अछ थी

लोषा धोषा अपालावशवारा जसी वद क ऋचाओ क

रचयता ह|

आय शाकाहार एव मासाहार दोन तरह क भोजन करत थ

लकन ऋगवद आय मछल एव नमक स परचत नह थ |

आथक यवथा

ऋवद आय का मख पशा पशपालन था ऋवद मगाय का

176 बार उलख आया ह आय क जीवन म इसका वशष

महव था |

ऋवदक आय का कष वतीय पशा था ऋवद म मा

24 बार कष का उलख ह ऋवद म एक ह अनाज यव का

उलख ह |

ऋवद म वभन कार क दतकारो क चचा ह जस

बनकर कमकारबढ़ई रथकार इयाद

ऋवद काल म यापार होता था जो जलय एव थलय दोन

माग स होता था|

धामक यवथा

ऋवदक दवताओ म तीन भागो म बाटा गया ह

1पवी क दवता ndash सोमअिनवहपत

2अतर क दवता ndash इवाय

3आकाश क दवता ndashसयमवण

ऋवद म इ पर 250 सकत ह यह अयत परामी और

शितशाल दवता थ |

ऋवद म अिन क लए 200 BC सकत ह यह पजारय क

दवता थ जो य क अनठान करत ह |

उतर वदक काल

उतर वदक कालका समय 1000 BC स 600 BC ह | इसी

काल मसमहाभारत य हआ था | इसी काल म सवथम

लौह क योग क साय भी मल ह

राजनीतक यवथा

उतरवदक काल म जन क थान पर बड-बड जनपद का

उव होन लगा | राजा को राजकाज म सहायता दन क लए

सभा समत का अितव रहा लकन वदथ समात हो गया

प एव भरत मलकर क जनपद और तवस एव व

मलकर पचाल जनपद बन गए

राजा बड-बड य राजसय यअवमधय एववाजपय य

का आयोजन करन लग |

उतर वदक काल म बल एक अनवाय कर क प म लया

जान लगा जो उपज का 16 वा भाग होता था |

राजा क राजकाज म सहायता क लए कछ अधकार होत थ

िजस रिनन कहा जाता था इसक सया यारह थी |

आथक यवथा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

उतर वदक काल म आय का मख पशा कष था और

पशपालन उनका दसरा पशा था |लोह क योग क कारण

कष म अभतवण उनत हई अतरजीखडा स 750 BC क

योग क मल ह उतर वदक कालन दतकार म बढईगर

चमकारबनकर स थ लकन रथकार क सामािजक

िथत इन सबो स अछ थी |

उतर वदक कालम यापार होता ह जो जलय एव थलय

माग क साथ-साथ सम माग वारा भी होत थ |

सामािजक यवथा

उतर वदक कालन समाज का आधार परवार था जो

पतसतामक होता था | इस काल म वणयवथा पणतः

थापत हो चक थी | इस ाहमण को सवच थान ात

था जबक शद क िथत दयनीय थी |

उस वदक काल मियाक िथत म गरावट क लण

िटगोचर होत थ | इह पष क अधीन माना गया ह |

उतर वदक काल म ववाह क आठ कार का उलख पाया

गया ह | दव ववाहअष ववाहरास ववाहजापय

ववाहवहा ववाह गधव ववाहअसर ववाहपशाच ववाह |

उतर वदक काल म आम यवथा का चलन श हो

गया था| माचयगहथ वानथ और सयास|

धामक यवथा

उतर वदक काल क धामक यवथा म परवतन स

अथयवथा पर यापक भाव पड़ा | उतर वदक काल म

जापत को सवच थान ात हो गया|

उतर वदक कालम यीय कमकाड क थान पर दाशनक

वचार का भी अवलोकन कया जान लगा|

बौधम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार वधानक

पठभम क आधार पर परातन वदक ामण धम क अनक

दोष पर हार कया इसीलए इनको सधार वाल आदोलन भी

कहा गया ह

बौ धम

छठ शताद ई० प० म मय गगा क घाट म अनक

धामक सदाय का उदय हआ िजनम लगभग 62

सदाय क बार म हम जानकार मलती ह

इन धामक सदाय न उपनपषद वारा तयार

वधानक पठभम क आधार पर परातन वदक ामण

धम क अनक दोष पर हार कया इसीलए इनको

सधार वाल आदोलन भी कहा गया ह

गौतम-ब एक परचय

बौ धम क सथापक गौतम ब का जम 563 BC म

कपलवत क शायकल म लिबनी (नपाल ) म हआ था

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

इनक माता का नाम महामाया तथा पता का नाम शोधन

था | जम क सातव दन माता दहात हो जान स साथ का

पालन पोषण उनक मौसी महाजापत गौतमी न कया |

16 वष क आय म साथ का ववाह शाय कल क कया

यशोधरा स हआ िजनका बौ थ म अय बबा गोपा

भकछना मलता ह |

साथ स यशोधरा को एक प उपन हआ िजनका नाम

राहल रखा गया |

सासारक समयाओ स यथत होकर न 29व वष क

अवथा म गह याग कया | इस याग को बौ धम म

महाभ-नमण कहा गया ह |

गह याग क उपरात साथ अनोमा नद क तट पर अपन

सर को मड़वा कर भओ का काषाय व धारण कया |

सात वष तक क ान क खोज म इधर-इधर भटकत रह |

सवथम वशाल क समीप अलार कलाम नामक सयासी क

आम म आय | इसक उपरात व उवला क लए थान

कय जहा उह कौडय आद पाच साधक मल |

छ वष तक अथक परम एव घोर तपया क बाद 35 वष

क आय म वशाख पणमा क एक रात पीपल व क नच

नरजना नद क तट पर साथ को ान ात हआ | इसी

दन स व तथागत हो गय |

ान ाित क बाद गौतम ब क नाम स स हए |

उवला स ब सारनाथ आय यहा पर उहन पाच ाहमण

सयासय को अपना थम उपदश दया िजस बौ थो म

lsquoधम च-वतनrsquo नाम स जाना जाता ह बौ सघ म वश

सवथम यह स ारभ हआ |

महामा ब न तपस एव कािलक नामक दो श को बौ

धम का सवथम अनयायी बनाया |

ब न अपन जीवन का सवाधक उपदश कोशल दश क

राजधानी ावती म दए | उहन मगध को अपना चार

क बनाया |rsquo

ब क स अनयायी शासक म बिबसार सनिजत तथा

उदयन थ

ब क धान शय उपाल व आनद थ सारनाथ म ह

बौसघ क थापना हई

महामा ब अपन जीवन क अतम पड़ाव म हरयवती नद

तट पर िथत कशीनारा पहच जहा पर 483 ई० प० म 80 वष

क अवथा म इनक मय हो गई इस बौ परपरा म

महापरनवाण क नाम स जाना जाता ह

मय स पव कशीनारा क पराजक सभछ को उहन अपना

अतम उपदश दया महापरनवाण क बाद ब क अवशष

को आठ भाग म वभािजत कया गया

बौ धम क शाए एव सात

बौ धम क रन ह - ब धम तथा सघ

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

बौ धम क मलाधार चार आय सय ह य ह -(1) दख (2)

दख समदाय (3) दख नरोध (4) दख नरोध गामनी

तपदा (दख नवारक माग ) अथात अटागक माग

दख को हरन वाल तथा तणा का नाश करन वाल अटागक

माग क आठ अग ह िजह मिझम तपदा अथात मयम

माग भी कहत ह

अटागक माग क तीन मय भाग ह - (1) ा ान (2)

शील तथा (3) समाध

इन तीन भाग क अतगत िजन आठ उपाय क तावना

क गयी ह व नन ह -

1 सयक िट

2 सयक वाणी

3सयक आजीव

4सयक मत

5 सयक सकप

6 सयक कमात

7 सयक यायाम

8 सयक समाध

अटागक माग को भओ का कयाण म कहा गया

बौ धम क अनसार मनय क जीवन का परम लय ह -

नवाण ाित नवाण का अथ ह दपक का बझ जाना

अथात जीवन मरण च स मत हो जाना यह नवाण इसी

जम स ात हो सकता ह कत महापरनवाण मय क

बाद ह सभव ह

ब न दस शील क अनशीलन को नतक जीवन का आधार

बनाया ह

िजस कार दख समदाय का कारण जम ह उसी तरह जम

का कारण अानता का च ह इस अान पी च को

तीत समपाद कहा जाता ह

तीय समपाद ह ब क उपदश का सार एव उनक सपण

शाओ का आधार तभ ह तीय समपाद कका

शािदक अथ ह - तीत( कसी वत क होन पर) समपाद

(कसी अय वत को उपित)

बौ धम मलतः अनीवरवाद ह वातव म ब न ईवर क

थान पर मानव तठा पर बल दया

बौ धम अनामवाद ह इसम आमा क परकपना नह क

गई ह यह पनजम म ववास करता ह अनामवाद को

नरामवाद भी कहा जाता ह

बौ धम न वण यवथा एव जात था का वरोध कया

बौ सघ का दरवाजा हर जातय क लए खला था िय को

भी सघ म वश का अधकार ात था इस कार वह िय

क अधकार का हमायती था

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

सघ क सभा म ताव का पाठ होता था ताव पाठ को

अनसावन कहत थ सभा क वध कायवाह क लए यनतम

सया 20 थी

सघ म वट होन को उपसपदा कहा जाता ह

बौ सघ का सगठन गणत णाल पर आधारत था सघ म

चोर हयार ॠणी यितय राजा क सवक दास तथा रोगी

यितय का वश विजत था

बौ क लए महन क 4 दन अमावया पणमा और दो

चतथ दवस उपवास क दन होत थ

अमावया पणमा तथा दो चतथ दवस को बौ धम म

उपोसथ ीलका म क नाम स जाना जाता ह

बौ का सबस पव एव महवपण यौहार वशाख पणमा ह

िजस ब पणमा क नाम स जाना जाता ह

बौ धम म ब पणमा क दन का इस लए महव ह यक

इसी दन ब का जमान का ाित एव महापरनवाण क

ाित हई

महामा ब स जड़ आठ थान लिबनी गया सारनाथ

कशीनगर ावती सकाय राजगह तथा वशाल को बौ

थ म अटमहाथान नाम स जाना गया

बौ सगीतया

1 थमmdash

थान-राजगह

समय-483ई०प०

अय-महासप

शासनकाल-अजातश

उय-ब क उपदश को दो पटक वनय पटक तथा सत

पटक म सकलत कया गया |

2वतीयmdash

थानmdashवशाल

समय -383ई०प०

अयmdashसबकमीर

शासनकालmdashकालाशोक

उयmdashअनशासन को लकर मतभद क समाधान क लए

बौ धम थावर एव महासघक दो भाग म बट गया |

3ततीयmdash

थान-पाटलप

समयmdash251ई०प०

अयmdashमोगलपितस

शासनकालmdash अशोक

उयmdashसघ भद क व कठोर नयम का तपादन करक

बौ धम को थायव दान करन का यन कया गया |

धम थो का अतम प स सपादन कया गया तथा तीसरा

पटक अभधमपटक जोड़ा गया |

4चतथmdash

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

थानmdashकमीर क कडलवन

समयmdashलगभग ईसा क थम शताद

अयmdashवसम एव अवघोष

शासनकालmdashकनक

उयmdashबौ धम का दो सदाय हनयान तथा महायान म

वभाजन |

बोरोबदर का बौ तप जो वव का सबस बड़ा वशाल तथा

अपन कार का एक मा तप का नमाण शल राजाओ न

मय जावा इडोनशया म कराया

ब क पचशील सात का वणन छादोय उपनषद म

मलता ह

बौधम का योगदान

भारतीय दशन म तक शा क गत बौ धम क भाव स

हई बौ दशन म शयवाद तथा वानवाद क िजन

दाशनक पतय का उदय हआ उसका भाव शकराचाय क

दशन पर पड़ा यह कारण ह क शकराचाय को कभी-कभी

छन बौ भी कहा जाता ह

बौ धम क सवाधक महवपण दन भारतीय कला एव

थापय क वकास म रह साची भरहत अमरावती क

तप तथा अशोक क शला तभ काल क बौ गफाए

अजता ऐलोरो बाघ तथा बराबर क गफाए बाघ तथा बराबर

क गफाए बौ कालन थापय कला एव चकला ठतम

आदश ह

ब क अिथ अवशष पर भ म नमत ाचीनतम तप को

महातप क सा द गई ह

गाधार शल क अतगत ह सवाधक ब मत य का

नमाण कया गया सभवत थम ब मत मथराकला क

अतगत बनी

जन धम

जन परपरा क अनसार इस धम म 24 तीथकर हए इनम

थम ॠषभदव ह कत 23 व तीथकर पाशवनाथ को

छोड़कर पववत तीथकर क ऐतहासक सदध ह

पाशवनाथ का काल महावीर स 250 ई० प० माना जाता ह

इनक अनयायय को नथ कहा जाता था

जन अनतय क अनसार पाशवनाथ को 100 वष क आय म

समद पवत पर नवाण ात हआ

पाशवनाथ वारा तपादत चार महात इस कार ह -

सय अहसा अपरह तथा अतय

महावीर वामी - जनय क 24व तीथकर एव जन धम क

वातवक सथापक मान जात ह

महावीर का जम वशाल कक नकट कडाम क ातक

कल क धान साथ क यहा 540 ई० प० म हआ इनक

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

माता का नाम शला था जो लछव राजकमार थी तथा

इनक पनी का नाम यशोदा था

यशोदा स जम लन वाल महावीर क पी यदशना का

ववाह जामाल नामक य स हआ वह महावीर का थम

शय था

30 वष क अवथा म महावीर न गहयाग कया

12 वष तक लगातार कठोर तपया एव साधना क बाद 42 वष

क अवथा म महावीर को िजिभकाम क समीप

ॠजपालका नद क कनार एक साल क व नीच

कवय(सवच ान ) ात हआ

कवय ात हो जान क बाद वामी को कवलन िजन अह

एव नथ जसी उपाधया मल उनक मय पावा म 72

वष क उ म 468ई० प० म हई

बौ साहय म महावीर को नगठ- नाथनपत कहा गया

जन दशन - जन थ आचाराग स म महावीर क तपचया

तथा कायालश का बड़ा ह रोचक वणन मलता ह

जन धमानसार यह ससार 6 य - जीव पगल धम अधम

आकाश और काल स नमत ह

अपन पवगामी पावनाथवारा तपदत चार महात म

महावीर न पाचवा महात जोड़ा

जनधम क रन ह- (1)सयक ा(2)सयक ान तथा

(3)सयक आचरण

जन धम म नवाण जीव का अतम लय ह कम फल का

नाश तथा आमा स भौतक तव हटान स नवाण सभव ह

जन धम स ननलखत ह mdash

आवmdashकम का जीवन क ओर वाह आव कहलाता ह

सवरmdashजब कम का वाह जीव क ओर क जाय |

नजराmdashअवशट कम का जल जाना या पहल स वयमान

कम का य हो जाना नजरा कहलाता ह |

बधनmdash कम का जीव क साथ सयत हो जाना बधन कहलाता

ह |

भओ क लए पच महात तथा गहथ क लए पच

अणत क यवथा ह

जन धम म अनक कार क ान को परभाषत कया गया ह

mdash

मतmdashइय-जनत ान

तmdashवण ान

अवधmdashदय ान

मन पयायmdash एनी यितय क मन मितक का ान |

कवयmdashपण ान

जन धम ान क तीन ोत ह-

(1) य

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

(2) अनमान तथा

(3) तीथकर क वचन

मो क पचात जीवन आवागमन क च स छटकारा पा

जाता ह तथा वह अनत ान अनत दशन अनत वीय

तथा अनत सख क ाित कर लता ह इह जन शा म

अनत चतटय क सा दान क गई ह

यादवाद(अनकातवाद) अथवा सतभगीनय को ान क

सापता का सात कहा जाता ह

महावीर न अपन जीवन काल म ह एक सघ क थापना क

िजसम 11 मख अनयायी सिमलत थ य गणधर कहलाए

महावीर क जीवन काल म ह 10 गणधर क मय हो गई

महावीर क बाद कवल सधमण जीवत था

मख वशषताए

जन धम म दवाताओ क अितव को वीकार कया गया ह

कत उनका थान िजन स नीच रखा गया ह

जन धम ससार क वातवकता को वीकार करता ह पर

सिटकता क प म ईवर को नह वीकारता ह

बौ धम क तरह जन धम म वण यवथा क नदा नह क

गई ह

महावीर क अनसार पव जम म अिजत पय एव पाप क

अनसार ह कसी का जम उच अथवा नन कल म होता

जन धम पनजम एव कमवाद म ववास करता ह उनक

अनसार कमफल ह जम तथा मय का कारण ह

जन धम म मयतः सासारक बधन स मत ात करन

क उपाय बताए गय ह

जन धम म अहसा पर वशष बल दया गया ह इसम कष

एव य म भाग लन पर तबध लगाया जाता ह

जन धम म सलखना स तापय ह उपवास वारा शरर का

याग

कालातर म जन धम दो समदाय म वभािजत हो गया

(1) तरापथी

(2) समया

भबाह एव उनक अनयायय को दगबर कहा गया य

दणी जनी कह जात थ

थलबाह एव उनक अनयायय को वताबर कहा गया

वताबर सदाय क लोग न ह सवथम महावीर एव

अय तीथकर क पजा आरभ क य सफ़द व धारण

करत थ

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

राटकट राजाओ क शासन काल म दणी भारत म जन धम

का काफ चार हठ गजरात ततथा राजथान म जन धम

11वी तथा12वी शतािदय म अधक लोकय रहा

जन क उतर भारत म दो मख क उजन एव मथरा थ

दलवाड़ा म कई जन तीथकर जस - आदनाथ नमनाथ

आद क मिदर तथा खजराह म पाशवनाथ आदनाथ आद

क मिदर ह

जन सगीत(सभा)

थम सभा- चगत मौय क शासन काल म लगभग 300

ई०प० म पाटलप म सपन हई थी इसम जन धम क

धान भाग 12 अग का सपादन हआ यह सभा थलभ

एव सभत वजय नामक थवर नरण म हई

जन धम दगबर एव वताबर दो भाग म बट गया

वतीय सभा- यह सभा दवध मामण क नतव म

गजरात म वलभी नामक थान पर लगभग 513 ई० म

सपन हई इसम धम थ का अतम सकलन कर इह

लपब कया गया

भागवत धम

भागवत धम का उव मौयतर काल म हआ | एस धम क

वषय म ारभक जानकार उपनषद म मलती ह |

इस धम क सथापक वासदव कण थ जो विण वशीय यादव

कल क नता थ |

वासदव क पजा का सवथम उलख भित क प म

पाणनी क समय ई०प० पाचवी शती म मलता ह |

छादोय उपनषद म ी कणा का उल सवथम मलता ह

उसम कणा को दवक प व ऋष घोर अगरसका शय

बताया गया ह |

ाहमण धम क जटल कमकाड एव यीय यवथा क

व तया वप उदय होन वाला भागवत सदाय था

|

वासदव कणा क भत या उपक भागवत कहलात थ |

एक मानवीय नायक क प म वासदव क दवीकरण का सबस

ाचीन उलख पाणनी क अटयायी स ात होता ह |

वासदव कणा को वदक दव कणा का अवतार माना गया |

बाद म इनका समीकरण नारायण स कया गया | नारायण क

उपासक पाचराक कहलाए |

भागवत धम सभवत धम सय पजा स सबिधत ह |

भागवत धम का सात भगवगीता म नहत ह |

वासदव कणा सदाय साय योग स सबिधत था |

इसम वदात साय और योग क वचारधार क दाशनक

तव को मलाया गया ह |

जन धम थ उतराययन स म वासदव िजह कशब नाम

स भी पकारा गया ह को 22व तीथकर अरटनम का

समकालन बताया गया ह |

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

भागवत दय क मय तव ह भित और अहसा ह |

भगवतगीता म तपादत lsquoअवतार सातrsquo भागवत धम क

महवपण वशषता थी |

भगवान वण को अपना इटदव मानन वाल भत वणव

कहलाए तथा तसबधी धम वणव कहलाया | भागवत स

वण धम क थापना वकास कम क धारा ह | वणव धम

नाम का चलन 5वी शती ई० क मय म हआ |

वस वण क अधकतम अवतार क सया 24 ह पर

मयपराण म दस अवतार का उलख मलता ह | इन

अवतार म कणा का नाम नह ह योक कणा वय

भगवान क साात वप ह | मख दस अवतार नन ह mdash

मय कम वाराह नसह वामन परशराम

रामबलराम ब और किक |

वण क अवतार म lsquoवराह-अवतार सवाधक लोकय थाrsquo

वराह का थम उलख ऋवद म ह |

नारायण नसह एव वामन दवीय अवतार मान जात ह और

शष सात मानवीय अवतार |

अवतारवाद का सवथम पट उसख भगवगीता म

मलता ह |

परपरानसार शरसन जनपद क अधक विण सघ म

कणा का जम हआ था और व अधक विण सघ क मख

भी थ | कालातर म पाच विण नायक सकषण वासदव

कणा यन साब अन क पजा क जात थी |

वासदव कणा सहत चार विण वीर क पजा क चतयह क

प म कपना क गई ह |

चतयह पजा का सवथम उलख वण सहता म मलता ह

|

पाचजयmdash यह वणव धम का धान मत था | इस मत का

वकास लगभग तीसर शती ई०प० म हआ |

नारद क अनसर पाचजय म परमतव मित यित

योग और वषय जस पाच पदाथ ह इसलए यह

पाचजयकहा गया |

पाचजय क मय उपासक नारायण वण थ |

दण भारत म भागवत धम क उपासक अलावर कह जात थ

| अलावर अनयायय क वण अथवा नारायण क त

अपव नठा और आथा थी |

वणव धम का गढ़ दण म तमल पदश म था 9वी और

10वी शताद का अतम चरण आलवार क धामक

पनथान का उकष काल था | इन भित आदोलन म

तमगाई परय अलवार ी सत अडाल तथा नामावार

क नाम वशष उलखनीय ह |

lsquoनारायणrsquo का थम उलख lsquoशतपथ ाहमणrsquo म मलता ह |

मगथनीज न कणा को lsquoहरािलजrsquo न कहा |

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

तहार क शासक महर भोज न वण को नगण और सगण

दोन प म वीकार करत हए lsquoहषीकशrsquo कहा |

करल का सत राजा कलशखर वण का भत था |

शव धम

शव भित क वषय म ारिभक जानकार सध घाट स

ात होती ह | ऋवद म शव स साय रखन वाल दवता

ह |

महाभारत म शव का उलख एक ठ दवता क प म हआ |

मगथनीज न ई०प० चौथी शताद म शवमत का उलख

कया ह |

वततः शव धम का ारभ शग-सातवाहन काल स हआ |

जो गत काल म चरम परणत पर पहचा |

अनारवर तथा मत क पजा गतकाल म आरभ हई |

समवय क यह उदार भावना गत काल क वशषता ह |

अनारवर क मत शव एव पावती क परपर तादाय पर

आधारत थी | ऐसी पहल मत का नमाण गतकाल म हआ

|

लग पजा का थम पट उलख मय पराण म मलता ह

| महाभारत क अनशासन पव म भी लगोपासना का उलख

ह |

हरहर क प म शव क वण क सवथम मत य गतकाल

म बनायी गई |

शव क ाचीनतम मत lsquoगडीमलम लग रनगटाrsquo स मल

ह |

कौषतक एव शतपथ ामण म शव क आठ प का

उलख ह mdash चार सहारक क प म तथा चार सौय प म |

शव सदाय का थम उलख पतजल क lsquoमहाभायrsquo म

शव भागवत नाम स हआ |

वामन पराण म शव सदाय क सया चार बताई गई ह य ह

mdash

1 शव

2 पाशपत

3 कापालक और

4 कालमख |

1शवmdash एस सदाय क अनसार कता शव ह कारण शित और

उपादान बद ह |

इस मत क चार पाद या पाश ह mdash वया या योग चया

|

2पाशपतmdashयह शव मत का सबस पराना सदाय क सथापक

लकलश या नकलश थ | िजह भगवान शव क 18 अवतार म

स एक माना जाता ह |

इस सदाय क अनयायय को पचाथककहा गया ह इस

मत क मख सातक थ पाशपत ह |

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

पाशपत सदाय का गतकाल म अयधक वकास हआ |

इसक सात क तीन अग ह mdash lsquoपतrsquo lsquoपशrsquo lsquoपाशrsquo पशपत

क प म शव क उपासना क जाती थी |

3कापालकmdash कापालक क इटदव भरव थ | जो शकर का

अवतार मान जात थ |

यह सदाय अयत भयकर और आसर ावत का था |

इसम भरव को सरा और नरबल का नवय चढ़ाया जाता था |

इस सदाय का मय क lsquoी शलrsquo नामक थान था

िजसका माण भवभत क मालतीमाधव म मलता ह |

4कालामखmdash एस सदाय क अनयायी कापालक वग क ह

थ कत व उनस भी अतवाद और कत क थ |

शव पराण म उह महातधर कहा गया ह | एस सदाय क

अनयायी नर-कपाल म भोजन जल तथा सरापान करत थ तथा

शरर म म लगात थ |

लगानपात सदाय mdash दण भारत म भी शव धम का

वतार हआ | इस धम क उपासक दण म लगानपात या

जगम कह जात थ |

दण भारत म शव धम का चार नयनार या आडयार सत

वारा कया गया य सथा म 63 थ | इनक लोक क सह

को lsquoतमडrsquo कहा जाता ह िजसका सकलन lsquoनीब-अडला-

निबrsquo न कया |

शत धम

वस मातदवी क उपासना का स पव वदक काल म भी खोजा

जा सकता ह परत दवी या शत क उपासना का सदाय

वदक काल िजतना ह ाचीन ह |

शित सदाय का शव मत क साथ घनठ सबध ह |

इस आद शित या दवी क पजा का पट उलख महाभारत

म ात होता ह |

पराण क अनसार शित क उपासना मयता कल और दगा

क उपासना तक ह समत ह |

वदक साहय म उमा पावती अिबका हमवती ाणी

और भवानी जस नाम मलत ह |

ऋवद क lsquoदशम मडलrsquo म एक परा सत ह शित क

उपासना म ववत ह िजस lsquoताक दवी सतrsquo कहत ह |

चौसठ योगनी का मिदर शत धम क वकास और गत

को माणत करन का साय उपलध ह |

उपासना पत mdash शत क दो वग ह ndash कौलमाग और

समयाचार |

पण प स अवतवाद साधक कौल कह जात ह जो कदम

और चदन म श और प म मशान और भवन म तथा

काचन और तण म कोई भद नह समझत |

आजीवक या नयतवाद सदाय ndash ससार म सब बात पहल

स ह नयत ह ldquoजो नह होना ह वः नह होगा जो होना ह वः

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

कोशश क बना हो जायगा | अगर भाय न हो तो आई हई

चीज थी नट हो जाती ह |rdquo

आजीवक लोग पौष कम और उथान क अपा भाय या

नयत को अधक बलवान मानत थ |

छठ शताद ई प म महाजनपद

उतर वदक काल म जनपद का उदय हो चका था 600 BC

म इनका और अधक वकास हआ और य महाजनपद म

बदल गय | अगतर नकाय नामक बौ थ म 16

महाजनपद क वणन ह |

कबोज

ाचीन भारत क पिचम सीमा पर उतरापथ पर िथत था |

यह घोड़ क लए वयात था | इसक राजधानी हाटन

राजपर थी | चवधन यहा का रजा था |

गधार

यह आधनक पशावर एव रावलपडी िजल म िथत था |

इसक राजधानी तशला थी | यहा पकर सरन नामक

शासक था |

मतय

आधनक जयपर क आसपास क म यह महाजनपद

िथत था | इसक राजधानी वराटनगर थी |

पचाल

आधनक यग म हलखड फखाबाद बरल बदाय का

िजला शामल था | इसक दो भाग थ | उतर पचाल क

राजधानी अह एव दण पचाल क राजधानी कािपय

थी | पाव क पनी ोपद यहा क राजकमार थी |

आधनक मरठ िजला एव दणी पव हरयाणा म िथत था

| इसक राजधानी इथ थी|

शरसन

इसक राजधानी मथरा थी | ब क समय यहा क शासक

अवितप था जो ब का अनयायी था |

चद

यमना नद क कनार आधनक बदलखड क म िथत

था | इसक राजधानी सोथीवती थी | महाभारत काल म

शशपाल यहा का राजा था अवती

आधनक मय दश क मालवा म िथत था | इसक दो

भाग थ उतर अवती क राजधानी उजन एव दणी

अवती क राजधानी महमती थी | ब क समय चदघोत

यहा का शासक था |

अमक

सभी महाजनपद म सफ अमक ह दण भारत म िथत

था यह गोदावर नद क कनार वसा था | इसक राजधानी

पोतन थी | बाद म इस अवित न अपन सााय म मला

लया |

कोसल

पव उतर दश म िथत इस महाजनपद को सरय नद दो

भागम बाटती थी उतर भाग क राजधानी ावती एव

दणी भाग क राजधानी अयोया थी ब क समय

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

सनिजत यहा का शासक था कोसल न बाद म कपलवत

क शाय को अपन सााय म मला लया

वस

आधनक इलाहाबाद क म िथत था िजसक राजधानी

कौशाबी थी ब क समकालन यहा का शासक उदयन था

यह यमना नद क कनार बसा था

काशी

काशी नगर को शव क नगर क नाम स जाना जाता ह

इसक राजधानी वाराणसी थी इस कोसल न अपन राय म

मला लया था

मल

आधनक पव उतर दश एव बहार क कछ हसस म

िथत था इसक राजधानी कशीनारा थी यहा पर गणतामक

शासन यवथा चलत थी

विज

आधनक बहार राय क गगाक उतर तरहत मडल म

िथत था | यह गगारायो का सघ था िजसम कल 8 राय

शामल थ यथा वदह विज लछवी इयाद

अग

यह आधनक बहार राय क भागलपर एव मगर िजल

म िथत था इसक राजधानी चपा थी ब क समययहा

काशासक हादत था िजस बिबसार न परािजत कर अग को

मगध सााय म मला लया था|

मगध

वतमान म बहार राय क आधनक पटना एव गया िजल म

िथत था | इसक राजधानी राजगह या गरज थी |

महावश क अनसार 15 वष क आय म बिबसार मगध का

राजा बना और हयकवश क थापना क | बिबसार का

शासनकाल 544 BC स 492 BC तक रहा इसम उसन

सनिजत क बहन कोसलदवी लछवी राजकमार चहना

एव पजाब क भ कल क धान क पी मा स ववाह

कर राय को सढ बनाया और अग वजय दवारा सााय

वतार भी कया |

बिबसार क बाद उसका अजात श मगध का राजा बना |

इसका शासनकाल 492 BC स 460 BC रहा इसन अपन मामा

सनिजत स काशी ात कया तो लछवी पर वजयी

अभयान भी कया |

अजातश क बाद उदयन शासक बना िजसका शासनकाल

460 BC स 444 BC रहा इसन पाटलप को नई राजधानी

बनाया |

हयक वश का अतमशासक नागदसक एक अयोय शासक था

| इस जनता न पदयत कर शशनाग को मगध का साट

बनाया | इसन शशनाग वश क थापना क यह पहला

नवाचत शासक माना जाता ह | इसन अवित को मगध

सााय म मला लया

शशनाग का उतराधकार कालाशोक हआ जो कछ समय क

पाटलपराजधानी स वशाल ल गया इसी क शासनकाल

मवतीय बौधद समत का आयोजन कया गया |

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

शशनाग वश क बाद मगध पर नद वश का शासन थापत

हआ िजसका सथापक महानदन था महानदन क

पमहापदमनद को श प माना जाता ह जो महानदन क

हया कर वय शासक बन बठा|

नद वश का अतमशासक धनायद था िजस चगत मौय न

परािजत कर मगध सााय पर मौय पर वश क थापना

क |

इसक अलावा छठ शताद ई प म कपल वत क शाय

नामक मख गणराय थ

वदशी आमण

पिचमोतर भारत म गधार कबोज एव म जनपद आपस

म लडत रहत थ | इसका लाभ ईरान क अखमनी शासको न

उठाया इस वश क दारा थम म सध पर आमण कर

इस अपन सााय का 20 वा पी घोषत कया यह

आमण 500 BC क आस पास हआ था |

यनान क फलप क प सकदर महान न 326 BC म

भारत अभयान कया इसमतशा क शासक आभी न

सकदर क सहायता क | इस लए आभी थम गार

बना | िजसन भारत भम पर वदशयो को सहायता पहचान

का काय कया |

भारत अभयान क तहत सकदर का सबस महवपण य

झलम या वतता का य था जो पोरस क साथ हआ इसम

पोरस परािजत हआ परत उसक वीरता स भावत

होकरसकदर न उसका राय लौटा दया |

सकदर यास नद स वापस लौट गया योक उसक सना

न आग बढ़न स इकार कर दया | यास नद क तट पर 12

वदकाए बनाई |

सकदर न दो नगर नकया एव वकफला बसाया सकदर

19 महन भारत रहा लौटन क दौरान मलरया रोग क

कारण उसक मय हो गई

मौय सााय

तशलाक नवासी हामण वणगत िजस इतहास म

चाणय एव कौटय क नाम स जाना जाता ह नद वश क

अतमशासक धनानद को मगध क सहासन स पदयत कर

चगत मौय को गी पर सहासनसीन करन म सहायता

क चाणय क नदो स घणा क कारण नदो स इस

अपमानत कया था

चगत मौय 332 BC म मगध क गी पर बठा और

298 BC तक शासन कया | यनानी लखक न चगत

मौय को सडोकोटस एडोकोसक नाम स पकारा ह चगत

क समय क मख घटनाओ म बिटया क शासक सयकस

क साथ 305 BC मय ह िजसम बाद मसध हो गयी थी

और सयकस न अपनी का पी का ववाह चगत मौय स

कर दया और अपन ातो का कछ भाग दहज क प म

दया और मगाथनीज नामक दत को भारत भजा

चगत न 500 हाथी का उपहार सयकस को दया|

सयकस-सकदर का सनापत था िजसपिचमोतर भारत का

अधपत बनाया गया था

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

दामन क जनागढ अभलख स पता चलता ह क चगत

मौय न गरनार म सदशन झील का नमाण करवाया और

उस दश म अपना एक गवनर पपगत को नयकत

करवाया |

मगध म12 वष क अकाल पड़न पर चगत अपन सााय

का भार अपन प बदसार को सपकर जन साध भबाह क

साथ कनाटक राय क मसर वणबलगोला चला गया जहा

कायालश दवारा 298 BC म शरर याग दया |

बदसार

बदसार का शासन काल 298 BC स 273 BC तक रहा ह

बदसार को राजकाज म सहायता दन क लए दरबार म

500 सदयो क परषद थी और इसका पहला धान चाणय

था इसक बाद सबध खलाटक राधागतमीपरषद क

धान बन

बदसार क शासन काल म अशोक अवित का गवनर था

बदसार क दरबार म यनान क डायमकस और म क

डायोनसयस दत आए थ बदसार न सीरयाई नरश स

मीठा शराब सखा अजीर एव दाशनक खरद कर भजन

काआहकया | सीरयाई नरश न दो चीज को भज दया

और दाशनक क लए मना कर दया |

अशोक

273 BC म बदसार क मय क बाद एव 269 BC म

अशोक क सहासनासीन क बीच 4 वष सता सघष क रह

कछ साहय स पता चलता ह| क अशोक अपन 99 भाइयो

क हया कर गी पर बठा सामाय वचाराधारा यह ह

क अशोक अपन बड भाई सशीम क हया कर गी पर

बठा अशोक का शासन काल 269 BC स 232BCरहा

अशोक क मख वजयो म कलग वजय महवपण ह जो

अपन रायभषक क 9 व वष म क 260 BC म कलग

वजय क बाद साायवाद नीत का परयाग कर दया

और धम याा क म म सबस पहल बोधगया गया

अशोक न नपाल म पाटनदवपाटन एव ललतपाटन नामक

नगर बसाय तो कामीर म ीनगर नामक नगर बसाया |

अशोक न आजीवको क वषकालन आवास क लए बराबर

क पहाडय म गफाओ का नमाण करवाया |

मौय वश काअतमअयोय शासक था वहथ क इसक एक

हामण सनापत पयम शग न 185 BC म हया कर द

| इसस मौय वश का अत हो गया और मगघ पर शग वश

क थापना क |

मौय शासन

मौय काल मराजा सवपर होता था | सार

शितयाइसमनहत होता ह राजा क सहायता क लए

मपरषद नामक सथा थी िजस 3-4 सदय होत थ |

इसका चयन आमय वग म स कया जाता था |

कौटय क अथशा म राजकाल चलान क लए

अधकारय का वणन ह िजस तीथ कहा जाता था इनक

सया 18 ह तीथ म यवराज भी होत थ | अधकारय को

60पण स 48000 पण तक वतन दया जाता था |

तीथ क अधीन काय करन को अय कहा जाता था

अथशा म अयक सया 27 मलती ह |

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

मौय काल म शासन यवथा को सढ़ता दान करन क

लए इस ातम बाटा गया था | मौय सााय को 5 भाग

म वभािजत कया जाता था |

1उतरापथ िजसक राजधानी तशला थी

2दणापथ िजसक राजधानी सवणगर थी

3कलग िजसक राजधानी तोसाल थी

4अवती िजसक राजधानी उजन थी

5ाची या मयदश िजसक राजधानी पाटलप थी |

ातो क शासन चलान क लए ातपत क नयत क

वारा क जाती थी | कभी-कभी ातो क लोग को भी इस

पद पर नयित कर दया जाता था |

ातो का वभाजन िजला म होता था |िजस अहार या वषय

कहा जाता था | इस धान वषयपत होता था शासन क

सबस छोट इकाई गाव थी |

शात यवथा बनाए रखन क लए अथशा म रन और

पलस क चचा ह गतचर भी होत थ | य दो कार क थ ndash

1सथा-य थायी जासस होत थ |

2सचरा-एक जगह स दसर जगह घमन वाल गतचर थ |

नगर शासन क दखरख क लए नागरक नामक अधकार

होत थ |मगाथनीज न इन अधकारय को

एगोनोमोईएरटोमाई कहा ह नगर बधन क लए 6

समतया थी िजसम 5-5 सदय होत थ |

याय यवथा क लए दो तरह क अदालत होती थी ndash

1धमथीय - यह दवानी अदालत होत थी |

2कटक शोधन -यह फौजदार अदालत थी |

मौय क पास मवशाल सना थी इनक सया 6 लाख थी

मौय काल म कर क प म 16 भाग लया जाता ह

मौयतर काल

इस काल म दो तरह क राजवश को उदभव होता ह

दशी

इसम शग वश कव वश वाकाटक वश सात ndashवाहन मख

ह |

वदशी

इसम इडोीकपाथयाईशककषाण मख ह |

शग वश

मौय वश क अतम शासक बहथ क हया उसक ह

ामण सनापत पपम शग न कर द और शग वश क

थापना क | इस वश का कायकाल 185 BC स 73 BC

रहा |

शग शासको न अपनी राजधानी पाटलप स वदशा

(बसनगर ) थानातरत कर ल | अय मख नगर म

अयोया तथा जालधर मख थ |

पप म क समय सबस महव पण घटना भारत पर यवन

का आमण था | इस आमण का नता डम य स था |

इस आमण को पप म का पो वसम न वफल कर

दया | दसरा यवन आमण मनादर क नतव म हआ िजस

शग शासको न वफल कर दया |

पतजल पप म क परोहत थ िजसन महा भाय क

रचना क |

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

पयम शग का नवा शासक भगवत अथवा भागभ था

िजसक काल क 14व वष म यवन नरश एट याल कड़ीसका

दत हलयोड़ोरस भारत सग शासक क वदशा िथत दरबार

म आया और भागवत धम हण कर लया |वदशा या

वसनगर मगड तभ क थापना कर भगवान वण क

पजा अचना क |

इस वश का दसवा या अतम शासक दवभत था | वासदव न

इसक हया कर कव वश क थापना क |

शग शासक भागवत धम को मानत थ लकन बौ धम क

त आदर करत थ | भोपाल क पास साची म तीन तप

का नमाण करवाया |

कव वश

इसक थापना वसम क वाराकया गया | इस वश का

शासन काल 73-28 BC रहा | इस वश का अतम शासक

सशमा था | इस वश क समय मगध सााय बहार एव

पव उतर दश क कछ छोट भागम समट गया |

सातवाहन राजवश

वय पवत क दणी उतर दकन क सात वाहन मख

थ |यह कसी न कसी प म चार सौ वष तक राय कया

|

नानाघट अभलख क अनसार इस वश का सथापक समक

था | सातवाहनो न अपना क दकन म तठान या पठन

को बनाया |

इस वश का इतहास जानन क लए महारा क पना िजला

म िथत नागनका क नानाघाट अभलख वाशठ प

पलमावी क नासक एव काल गहालख मख ह |

इस वश का सबस पहला महवपण शासक ी शातकण था |

यह शातकण थम क नाम स जाना जाता ह | इस वश क

शातकण क उपाध धारण करन वाला थम रजा था |

शातकण थम न दो असवमघ य कय | राजसय य कर

उसन राजा क उपाध धारण क |

शातकण थम शासक था िजसन सातवाहन राजवश को

सावभौम िथत म ला दया |

सातवाहन वश क एक शासक हाल न गाथा सतशती नामक

थ क रचना क जो ाकत भाषा म थी |

इस वश का 23 वा शासक गौतमीप शातकण था िजसन

सातवाहन वश क खोयी हई तठा को फर स हासल

कया | इसन वण कटक नामक नगर बसाया |

वाशठ प पलमावी क शासन काल म सातवाहन सााय

अमरावती तक फ़ल गया | यह अकला राजा था | िजसका

लख अमरावती स मलाता ह | इसन अवनगर नामक नगर

क थापना क |

इस काल क कला थापय म अमरावती क उतरम िथत

नागाजन पहाड़ी स तीसर सद म तप नमाण हआ िजस

नागाजन कड़ तप कहा जाता ह | पवत को काटकर चय

एव बहारो क नमाण हआ | अजता का चय कण क समय

बना था |

कलग का चद राजवश

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

कलग क चद राजवश का सथापक महामघ वाहन था |

इस वश का इतहास उदयगर पवत पर िथत हाथीगफा

अभलख स पता चलता ह जो भवनवर स 5 मील दर

िथत ह |

इस वश का सबस महवपण शासक खारबल था | खारबल न

अपन शासन क 5व वष राजधानी म नहर का नमाण

करवाया खारबल न पयम को परािजत कर वहा स िजन

क मत को उठा लया िजस नद शासक उठा ल गय थ |

खारबल वारा नमत हाथी गफा अभलख स ह |

वाकाटक राजवश

सातवाहन क बाद वकाटको का आगमन हआ | इसका काल

तीसर शताद क अत स छठ शताद क मय तक माना

जाता ह | वाकातक वण व गो क ामण थ |

वाकाटक राय का सथापक वय शित को माना जाता

ह | इसन इस वश क थापना 255 ई म क | यह

सातवाहनो क सामत थ | इस वश कत कहा जाता ह |

वर सन थम इस वश का पहला राजा था | िजसन साट

क उपाध धारण क | अपन सनक सफलता स भावत

होकर इसन चार अव मघ य कय |

इसक बाद वका टक दो शाखाओ म वभत हो गया |

नागपर शाखा तथा बरार शाखा | नागपर शाखा गौतमीप क

नतवम और बरार शाखा सवसन म नतव आग बढ़ा |

नागपर शाखा को ह धान शाखा क प म जाना जाता ह |

नागपर शाखा क सन वतीय क साथ गत साट

चगत वतीयन अपनी पी भावती गता क ववाह

कया था | इसस सन वतीय शव स वणव हो गया |

सन वतीय क मय क बाद भावती गता अपन

अवयक प क सरका बनी और वाकाटक सााय

अय प स गत शासक क अधीन आ गया |

वाकाटक शासक सन II न सतबध नामक काय क रचना

सकत म क |

वाकाटक क शासन काल म अजता क गफा न 910 म

भती च का नमाण कया गया |

हद यवन या इडो ीक

इसका क बिटया था िजसक थापना सकदर न क थी

|

बिटयाम वत यनानी सााय क थापना डोयोडोस न

क | इसी वश क डमयस न भारत वजय कया |

भारत म एक ह समय दो यनानी वश शासन कर रह थ |

पहल डमटयस का वश पव पजाब और सघ क पर

राय कया िजसक राजधानी तशला थी |

दसर यटाइसका वश जो बिटया स काबल घाट तक था

|इसक राजधानी तशला थी |

पहल वश डमटयसका सबस महवपण शासक मीनाडर था

इस नागसन नामक बौ भ न बौ धम क दा द |

हद यनानी शासको न सबस पहल वण क सक जार

कय |

हद यनानी शासको न सबस पहल लयत सक जार

कय |

हद पाथयाई या पहलव

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

पहलव वश पासया क नवासी थ | इस वश कावातवक

सथापक म डटस था |

भारत पर आमण करन वाल पहला पाथयाई शासक माउस

था िजसन 90 स 70 BC तक शासन कया |

पहलव नरशो म सवाधक शितशाल गोडो फनज था

िजसका शासन काल 20 स 41 ई था | इसी क शासन काल

म पहला ईसाई पादर भारत आया था |

इसक राजधानी तशला थी | इस राय क अपहरण कषाण

वारा कया गया |

शक शासक

यनानय क बाद शकका आगमन हआ था | पतजल मन

इयाद न भी शक क उलख कया ह | शक शासक वत

को पो कहत थ |

(i)अफगानतान

(ii)पजाब ( तशला )

(iii) मथरा

(iv) कमीर

(V) उतर दकन

शक मयतः सीरदरया क उतरम नवास करन वाल बबर

जात क थ |

तशला क सवथम शक शासको म मथरा क शक शासक

राजल का नाम मलता ह |

उतर दकन क इतहास म शक सबस महवपण थ |

नासक क प हरात कहलात थ | उजन क प का

मक कहलात थ | नासक क हरात वश का पहला शासक

भमक था | काक शासको म चाटन मख था |

कादमक शासकम सबस महवपण शासक दामन था |

इसका शासन काल 130 स 150 ई था | इसन 150 ई म

जनागढ़ अभलख लखवाया जो सकत भाषा म लका हआ

पहला अभलख माना जाता ह |

दामन न अपनी नजी आय स सदशन झील क मरमत

करवाई |

कषाण राजवश

कषाणका मल नवास थान चीन का सीमावत दश

नगसया था | हण स परािजत होकर सर डॉया आय फर

बटरया पर अधकार कर लया |

कषाणका आगमन शक क बाद हआ | कषाण यची कबील स

सबधत थ |

भारत म कषाण वश क सथापक कजल कडफ़सस था |

इसन भारत क पिचमोतर भाग पर अधकार कर लया |

इसन कोई राजकय उपाध धारण नह क |

कजल क बाव वम कडाफसस शासक बना |

78 ई म कषाण वश का महानतम शासक कनठ गी पर

बठा | इसक सहासनारोहण क वष 78 ई को शक सवत क

नाम स जानत ह |

इसक महवपण वजयो म पाटलप सबस महवपण था

राजा को परात कर हजान क प म बडी रकम मागी बदल

मअवघोष लखक बद क भापा और एक अत मग

पायी

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

कनक क राजधानी पषर थी इसी क शासन काल म

चौथी बौद सगत का आयोजन कमीर म वसम क

अयताम हई इसक उपाय थ |

कामीर म कनक न एक नगर कनकपर बसाया था

कनक म शाय मन क धम क महायान शाखा को य

दया

कनक क दरबार अवघोष वसम नागाजन चरक पाशव

आद वदवान रहत थ अवघोष न बदचरतम और

सौदरानद नामक महाकाय क रचना क |

कनक न अपनी राजधानी म 400 फट उचा एव 13 मिजल

का एक टावर बनवाया

गत काल

कषाण सााय क खडहर पर गत सााय का उदभव

हआ यह मौय सााय क बराबर तो नह फर उसन भारत

म 319 ई स 555 ईतक राजनीतक एकता थापत करन

म सफलता ात क इस वश का सथापक एव पहला

शासक गत था और दसरा शासक ी घटोकच था

इहोन सफ महाराज क उपाध धारण क

चगत

गत वशा का यह पहला राजा ह िजसन महाराजधराज का

उपाध धारण क इस गत वश का वातवक सथापक

भी माना जाताह इसका शासन काल 319 ई स 334 ईरहा

319 ई को गत सवत क नाम स जाना जाता ह इसन

लछवी राजकमार कमारदवी स ववाह कया |

समगत

चगत थम क बाद सद शासक बना इसका शासन

काल335- 380 ई तक रहा इस भारत का नपोलयन कहा

जाता ह सदगत क मी हरषण न याग क अशोक

अभलख पर ह सगगत क याग शित क रचना क ह

सगत क वजयो का उलख याग शाित म ह इस 5

भागो म बाटा जाता ह थम चरण म गगा यमना क दोआब

दसर चरण मपव हमालय और उसक सीमावतततीय

चरण म आटवक रायो को चतथ चरण म दण भारत क

12 शासको को परािजत कया 5व चरण ग कछ वदश रायो

शक एव कषाणो को परािजत कया

सगत क मय क बाद रामगत नामक एक अयोय

उतराध कार गी पर बठा यवनो क आमण स भयभीत

होकर रामगत न अपनी पनी वदवी को यवनो को सौपन

कोतयार हो गया लकन इसका छोटा भाई सगत वतीय

न यवनो स सााय करा ह नह क बिक यवन नरश

का वध कर दया

चगतदवतीय

अपन भाई रामगत क हया कर गी पर बठा इसका

शासन काल380 स 412 ई रहा | इसन वदवी स शाद कर

ल इसक दसर शाद नागवशी कया कबरनाग स हई थी

| िजसस भावती गत का जम हआ भावती क शाद

वाकाटक नरश सन दवतीयस हई

चगत दवतीयक मख वजय शक क वद थी

गजरात क शक वजय क बाद इसन चाद का सका जार

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

कया और उजन को दसर राजधानी बनाया इसन

वमादय क उपाध भी धारण क

चगतदवतीय न कतबमीनार क नजदक महरौल म लौह

तभ का नमाण करवाया

स चीनी याी फाहयान 399 ई म चगत

दवतीयक दरबार म आया और 414 ई तक रहा यह 14

वष तक भारत म रहा इसक दरबार म नवरन कालदास

अमर सह रहत थ

कमारगत

चगत दवतीयक बाद कमारगत शासक बना इसक समय

म गत सााय पर पयमो का आमण हआ िजस

इसन असफल कर दया था इसी क शासन काल म नालदा

म बौदवहार क नाम स स हआ

कदगत

कमारगत क बाद कदगत गत सााय का शासक बना

इसक समय म गत सााय पर हण का आमण हआ

िजस इसन असफल कर दया

जनागढ़ अभलख स पता चलता ह क इसनसदशन झील का

पनदार करवाया

अय शासक

कदगत क बाद गत सााय का पतन श हो गया

नरसह गत क समय गत सााय तीन भागो म बट गया

मगध क कय भाग पर नर सह गत का शासन रहा

मालवा पर भानगत तथा बगाल म वयगत न

शासन थापत कया नरसह गत क सबस बडी सफलता

हण शासक महरकल को परािजत करना था

थानवरक वदन वश

हरयाण राय क करनाल िजल म िथत थानवर क राय

क थापना पयभत नामक एक राजा न छठ शताद म

कया और वशवदन क थापना क

भाकर वदन न इस राय क वतता क घोषण क एव

परम भारक महाराजाधराज क उपाध क इसक पनी

यशोमत स दो प और एक पी का जम हआ

इसक बाद राय वदन गी पर बठा इसक शासन काल

महणो काआमण हआ|

हषवधन 606 ई म थानवर क गी पर बठा |इसन 647 ई

तक शासन कया बहन राजी क शाद कनौज क

मौखर वश क शासक गहवमा क साथ हई थी मालवा क

शासक दवगत न कनौज पर चढ़ाई कर गहवमा को मार

दया और रायी को बद बना लया लकन रायी

कारागार स भागकर जगल म सती होन चल गई उसी समय

हष न दवाकर म नामक बौदध भ क सहायता स

राय को खोज नकाला इसक बाद कनौजअय प

स थानवर क अधीन आ गया |

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा

हष न अपन भव स एक वशाल सााय क थापना क

लकन पलकशीन वतीय क साथ यम हष परािजत हो

गया था |

बगाल का शासक शशाक िजसन बोधगया क बोधव को

काटवाकर गगा म फकवा दया था स हष का सघष हआ

619 ई म शशाक क मय क बाद बगाल पर अधकार कर

लया |

हष न कमीर म राजा क लए एक रायोचत पोशाकका

चलन करवाया |

हष वय वदवान था और वदवान को सरण दान करता

था हष न वय यदशकारनावल एव नागनद क रचना

क बाणभ इसक दरबार कव थ िजसन हष चरतम एव

कादबर क रचना क

हष क पवज शव एव सय क अराधना करत थ हष न

महायान शाखा को रायय दान कया हष क समय

याग म त 5 वष बाद एक समारोह का आयोजन होता था

हवनसाग छठा समारोह म सिमलत हआ था

हष क दरबार म मयर तथा मातग दवाकर नामक कव रहत

हष क दरबार म चीनी याी हवनसाग 629 ई म आया था

इसन नालदा वशववघालय म15 वष रहकर योगशा क

शाहण क वनसाग 15 वष तक भारत म रहा


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