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GUTIKA NIRMAN RAHASYA-सवरररहसयम रस ततततर और ...SWARN...

Date post: 27-Feb-2021
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SWARN RAHASYAM-RAS TANTRA AUR MAHASIDDH GUTIKA NIRMAN RAHASYA- सवर रहसयम - रस तततर और महहससद गसटकह सनमहर रहसय रस तततर क उथन क लए लतन पलरशतरम नथ यलय न लकय ह,उतन लकस और न नह लकय,बललक य कह य क नथ यलय स ह इस लद क पतरदर क सथकत लम ह.इन नथ यलय न ह अपन अथक तपय स ससलष क उन पनय रहय क आमसत लकय और उन सततर क सहय स ललरन लकत रयओ ,पतरलकत रयओ ,,पदथर,नपलत क य परद क सथ लकय और उनक पतरर क ललपब लकय.उस क पलरणम प हम इस लजन स सबलत पतरचदर सलहय पतरत हदआ ह.रस रनकर, रसण आलद बहदत स तरथ आ र पत रय ह और बहदत स ऐस तरथ ह क य त अप तरय हह य लर लनक पस ह कदलप इह लकस क लदखन य दन पसद नह करत ह .मदझ जत हह क १९९४ म सद द न ‘पहरद कतकर’ नमक तरथ क रचन क थ और उहन उस छपन क लए ब पतरस म कयरत दरई क बदय और कह क इस लकतब क ५० प तरलतय छपन चहत ह और र क सदबह तक.य घन रलत तर क ११ ब क ह. परतद उन द रई न लनमत रत पसक सद द क बतय क सद द इस सइ क पपर उप नह ह और यलद द दसर सइ क क क उस नप म क र य त र रलत तर र म य नह छप पय. सद द न उस लकतब क हथ म कर ह ड द . अब न न कन स द दर जन हमर सम पतरकलशत हन थ ,परतद हमर दरय आड आ ह य. खहर पतरजनद न म दझ कर बतय थ क सद क लरषठ सयस लशषय न उनक लनदशन म ऐस बहदत स तरथ क रचन क थ लसम तत तर क लल पनय रहय क सकन हत थ . पर उहन उह कई बर पतरकलशत र नह करय.परतद ऐस कई डयलरय उनक लल लशषय क पस सदरलत रख हदय ह रहर क प म . उह म स एक ५०० प क डयर मदझ लदखई लस पर हतललखत अर म “रसदतर मसर पत रदप” लख हदआ थ,लसम परद क सहय स लल अचरकर दलकओ क लनमण करन बतय य थ .उस म एक पतरकरण लल मतर और नपलतय क सहय स सबर मत तर क दर खचर दलक,पश मलण,महलस सबर दलक आल५४ दलकओ क लनमण पर थ.लस उच नथ यलय क आहन कर पतरत लकय य थ .और
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SWARN RAHASYAM-RAS TANTRA AUR MAHASIDDH GUTIKA NIRMAN RAHASYA- सवरर रहसयम - रस ततततर और महहससद गगसटकह सनमहरर रहसय

रस ततंततर कके उत्थथान कके ललिए लजितनथा पलरशतरम नथाथ ययोलगिययोतं नके लकयथा हह,उतनथा लकससी और नके नहसी तं लकयथा,बललक यके कहथा जिथायके कसी नथाथ ययोलगिययोतं सके हसी इस लविदथा कके पतरथाद दरथार्भावि कयो सथाथर्भाकतथा लमलिसी हह.इन नथाथययोलगिययोतं नके हसी अपनसी अथक तपस्यथा सके ससलषष्टि कके उन गियोपनसीय रहस्ययोतं कयो आत्मसथात लकयथा और उन ससततरयोतं कके सहययोगि सके लविलरन्न लकत रयथाओतं,पतरलकत रयथाओतं ,तत्वियोतं,पदथाथर,विनस्पलत कथा ययोगि पथारद कके सथाथ लकयथा और उनकके पतररथावियोतं कयो ललिलपबद्ध लकयथा.उससी कके पलरणथाम स्विरुप हममें इस लविजथानतं सके सम्बतंलधित पतरचदर सथालहत्य पतरथाप्त हदआ हह.रस रत्नथाकर, रसथाणर्भावि आलद बहदत सके गितरन्थ आजि रसी पतरथाप्य हहैं और बहदत सके ऐसके गितरन्थ हहैं जियो कसी यथा तयो अपतरथाप्य हह यथा लफिर लजिनकके पथास हह वियो कदथालप इन्हमें लकससी कयो लदखथानथा यथा दकेनथा पसतंद नहसी तं करतके हहैं.मदझके जथात हह कसी १९९४ ममें सदगि दरुदकेवि नके ‘पहरद कत कर’ नथामक गितरन्थ कसी रचनथा कसी थसी और उन्हयोतंनके उसके छपविथानके कके ललिए जिब पतरकेस ममें कथायर्भारत गि दरुरथाई कयो ब दलिथायथा और कहथा कसी विकेइस लकतथाब कसी ५० पतरलतयथातं छपविथानथा चथाहतके हहैं और वियो रसी कलि स दबह तक.यके घष्टिनथा रथालततर कके ११ बजिके कसी हह. परन्त द उन गि दरु रथाई नके लविनमतरतथा पसविर्भाक सदगि दरुदकेवि कयो बतथायथा कसी सदगि दरुदकेवि इस सथाइजि कके पकेपर उपलिब्धि नहसी तं हहैं और यलद द दसरके सथाइजि कके कथागिजियो कयो उस नथाप ममें कथाष्टिथा रसी गियथा तयो रसी रथालततर रर ममें यके नहसी तं छप पथायकेगिसी. सदगिदरुदकेवि नके उस लकतथाब कयो हथाथ ममें लिकेकर विहसी फिथाड दसी. अब नथा जिथानके ककौन सथा द दलिर्भारजथान हमथारके समक्ष पतरकथालशत हयोनके विथालिथा थथा,परन्त द हमथारथा द दरथार्भाग्य आडके आ हसी गियथा. खहर पतरजथानतंद जिसी नके म दझके करसी बतथायथा थथा कसी सदगि दरुदकेवि कके विलरषठ सन्यथाससी लशषययोतं नके उनकके लनदर्देशन ममें ऐसके बहदत सके गितरतंथयोतं कसी रचनथा कसी थसी लजिसमके ततंततर कके लविलविधि गियोपनसीय रहस्ययोतं कथा सतंकलिन हयोतथा थथा. पर उन्हयोतंनके उन्हमें कई बथार पतरकथालशत रसी नहसी तं करविथायथा.परन्त द ऐससी कई डथायलरयथायाँ उनकके लविलविधि लशषययोतं कके पथास सदरलक्षत रखसी हदयसी हहैं धिरयोहर कके रूप ममें. उन्हसी ममें सके एक ५०० पकेजि कसी डथायरसी म दझके लदखथाई लजिस पर हस्तललिलखत अक्षरयोतं ममें “रससेदतर मसर पतरददीप” ललिखथा हदआ थथा,लजिसमके पथारद कके सहययोगि सके लविलविधि अचरजिकथारसी गि दलष्टिकथाओतं कथा लनमथार्भाण करनथा बतथायथा गियथा थथा.उससी ममें एक पतरकरण लविलविधि मन्ततरयोतं और विनस्पलतययोतं कके सहययोगि सके सथाबर मन्ततरयोतं कके दथारथा खकेचरसी गि दलष्टिकथा,स्पशर्भा मलण,महथालसद्ध सथाबर गि दलष्टिकथा आलद ५४ गि दलष्टिकथाओतं कके लनमथार्भाण पर थथा.लजिसके उच्च नथाथ ययोलगिययोतं कके आविथाहन कर पतरथाप्त लकयथा गियथा थथा.और

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आश्चयर्भा यके थथा कसी यके सब लनमथार्भाण कथायर्भा सथाबर मन्ततरयोतं कके सहययोगि सके हयोतथा हह, अद दत पद्धलतययोतं कथा समथाविकेश ललिए हदए यके लकत रयथाएयाँ थसी.सविर्भापतरथम लजिस गि दलष्टिकथा कसी लनमथार्भाण लविलधि इस पतरकरण ममें अतंलकत थसी वियो इससी महहससद सहबर गगसटकह कसी लविलधि थसी...... लजिसकके पतरययोगि सके उन महथालसद्धयोतं कथा न लसफिर्भा आविथाहनहयोतथा थथा अलपतद लविलविधि मनयोकथामनथाओतं कसी पसतर्ती हकेत द लजिन रसी सथाबर मन्ततरयोतं कयो लसद्ध करनथा हयोतथा थथा,विके सरसी सहजितथा सके लसद्ध हयो जिथातके हहैं.इस गि दलष्टिकथा कके लनमथार्भाण कके ललिए लजिस अष्ट सतसकहसरत पहरद कथा पतरययोगि लकयथा जिथातथा हह उसकके सरसी सतंस्कथार रसहतकग श भभैरव और भभैरवदी कके मन्ततरयोतं सके हयोतथा हह परन्त द यके मतंततर जिपदसीपनसी कत रम य दक्त हयोनथा चथालहए,तरसी इस पथारद ममें वियो पतररथावि आएगिथा जियो इस मलण कके लनमथार्भाण कके ललिए अपकेलक्षत हह.तत्पश्चथात इसके सवरर गतरहस लदयथा जिथायके और इसके मगक्तह सपष्टदी कके सथाथ खरलि लकयथा जिथायके,जिब पथारद कके सथाथ उस लपषष्टिसी कथा पसणर्भा ययोगि हयो जिथायके तब उसके,कहलसे सवष, सवशगद तहमतर भसम,बभै तगनदी धततरसे,ससतसहकह,मतसयहकदी,श्वसेतहकर और तहम्बतल कसे सवरस कके सथाथ १२० घतंष्टियोतं तक खरलि लकयथा जिथायके,और खरलि करतके समय-ॐ सहरह पहरह,भसेद उजहरह, दसेत ज्ञहन उजहरह ,दतर अअँसधयहरह,सशव कदी शसक्त उरतदी आयसे,भदीतर समहयसे,करसे दतर अअँसधयहरह जज नह करसे तज शतकर कज सततरशतल तहडसे,शसक्त कज खडग सगरसे,छत .उपरयोक्त मतंततर कथा जिप करतके जिथायके,जिब रसी रस ससखनके लिगिके तयो नयथा रस डथालितके जिथायके ,जिब समयथाविलधि पसणर्भाहयो जिथायके तयो उस लपषष्टिसी कयो स दखथाकर शरथावि सम्प दष्टि कर २ प दष्टि दके दके,और स्विथातंगि शसीतलि हयोनके कके बथाद उस लपषष्टिसी कके सथाथ प दनन मनमहसलनदी मतततर कथा जिप करतके हदए उस लपषष्टिसी कथा १० विथा रथागि पथारद डथालिकर खरलि करके और मसष ममें रख कर गिरम करके और धिसीरके धिसीरके लविलविरस कथा चयोयथा दकेतके जिथायके,लिगिरगि १० गि दनथा रस धिसीरके धिसीरके चयोयथा दकेतके हदए शदषक कर लिके.अब आप इसके लपघलिथाकर गि दलष्टिकथा कथा आकथार दके दके,इस लकत रयथा ममेंपथारद अलग्नस्थथायसी हयो जिथातथा हह और गि दलष्टिकथा हलिकके रलक्तम विणर्भा कसी बनतसी हह जियो पसणर्भा दहदसीप्य मथान हयोतसी हह.यलद पथारद अलग्नसह्य नहसी तं हदआ तयो लकत रयथा असफिलि समझयो.इस गि दलष्टिकथा कयो सथामनके रख प दनन ३ घतंष्टियोतं तक रसहतकग श मन्ततरजत कथा ददीपनदी सकत रयह कके सथाथ जिप करयो और गजरख मन मगदतरह कथा पतरदशर्भान करयो.तथथा इसकके बथाद पतरहर पतरसतष्ठह मन्ततरजत सके इसके पतरलतलषठत कर इसममें ६४ रस ससदजत कथा स्थथापन कर दयो,लफिर षयोडशयोपचथार पसजिन कर उस पर आप मनयोविथातंलछत पतरययोगि कर सकतके हहैं.इसके कनकधहरह मतततर सके यलद २१ मथालिथा मतंततर कर लसद्ध कर ललियथा जिथायके और पसजिन स्थलि पर स्थथालपत कर लदयथा जिथायके तयो यके गि दलष्टिकथा लिक्ष्मसी कयो बथायाँधि दकेतसी हह लजिससके व्यलक्त कयो पतरचदर ऐश्वियर्भा कसी पतरथालप्त हयोतसी हसी हह.========================================अष्ट सतसकहसरत पहरद कज यसद सवररगतरहस दसेकर कहतच कदी बजतल मसेत गधसे कसे तहजसे मतततर कसे सहथ डहलकर जमदीन मसेत गडह सदयह जहयसे तज ६ महस कसे बहद पहरद कदी सवततः भसम बन जहतदी हभै और यसे भसम तहम्बसे कज सवरर मसेत पसरवसतरत करतदी हभै. ======================================= For the development of Rass Tantra the hard work and devotion performed by yogis nobody else could do the same that’s why we can say that this science is presented in its present full fledge

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form just because of them. It was the same yogis who with their strong reverence explored the hidden aspect of nature and then successfully co-joined those natural powers with different elements, particles and flora and further joined these things with parad (mercury) and successfully recorded its results on the paperas well. And due to their written records we have great grand literature about this science. Rass Ratnaker, Rasarnav granths belongs to this category and there are many other granths too which are either not available or the people who has don’t want togive them to anybody. I still remember in 1994 Sadgurudev compose and compile a granth named PARAD KANKAN and in order to get it printed he called a gurubhai who was working in a press but as soon as he said that to get this granth printed desired pages were not available and also there is no chance to create that type of pages through the cutting and re-setting of normal pages. As Sadgurudev heard it he immediately torn that hand written manuscript and we lost valuable knowledge without knowing its basics due to our bad luck.While leaving it behind I remembered once Pragyanand ji told me that under the supervision of Sadgurudev many of his pupils had written precious literature on the secrets and mysterious of tantrathough they did not get them printed yet keep them carefully in the form of diaries. Out of those he showed me one diary having 500 pages with the title RASENDRA MANI PRADEEP, in which there were countless procedures were written through which amazing gutikas can be made with the help of parad. Out of thesepractices one was based on the fact that how with the trio combination of different mantras, flora and sabar mantras Khechrigutikas, Sparsh Mani, Mahasidhi Sabar gutika and 54 another gutikas like this can be made. The first procedure recorded in thatwas about the making process of this Mahasidhi Sabar gutika……with the help of not only Mahasidhs can be enchanted and called but also fulfilled every desire and also was helpful to sidh the tough sabar sadhnas.For the making of this gutika Ashht Sanskarit Parad is used that too should be sanskarit with the mantra of RASANKUSH BHAIRAV and BHAIRAVI but these mantra should be systematicallyorganized as per JAPP DEEPNI system so that parad can get desired effect which is must for the creation of this Mani. Than

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one should offer Swarn grass and get it mixed with MUKTA PISHHTI. When it make proper good mixture then again this mixture should be blended with Black Venom ( kala vish), Pure Tamrr Bhasam, Purple tutia ( dhatura),Sinhika, Mastyakshi,Shwetarak and Tambool for 120 hours and at thetime of mixing them one should enchant the mantra-OM SARA PARAA,BHED UTARA,DET GYAN UJAARA,DOOR ANDHIYARA,SHIV KI SHAKTI URTI AAYE,BHEETAR SAMAAY,KARE DOOR ANDHIYAARAA JO NA KARE TO SHANKAR KO TRISHOOL TAADE,SHAKTI KO KHADAG GIRE,CHHOOWhen it seems that mixture is getting dried then again put some more mixture in it and when 120 hours get passed then get that Pishti dried and make it shrav sambut by Putting it fire for decidedtime period. After that when this whole mixture cools down then again with that Pishti blend 1/10 part of parad by keep on enchanting Mammalini Mantra then slowly-slowly make it hot and offer VILVRAS’s liquid to it. By offering near about 1/10 liquid make it complete dry. Now firstly melt it and then convert in the form of gutika. In this whole process parad make itself fire proof due to that gutika took light blood color which is fully authentic. But if parad remain fails to get the quality of fire proof then it is decided that whole procedure is failed. By putting this gutika in front of you continuously for 3 hours enchant RASANKUSH mantra withDEEPNI KRIYA while doing this one should display Gorakh Mann Mudra. Now with the help of pran pratishthitmantras get it pratishthit and then sthapan (make presented) 64 RASS SIDHS in it. And then by makingSHHODASH UPCHAR on it you can do desired practical. If this gutika can be get sidh by moving the beads of rosary for 21 times of KANAK DHARAmantra then this gutika can settle down Maa Laxmi in your desired place forever and ever which will bless your life with comforts and luxuries.By offering Swarn grass to Ashht Sanskarit parad and then put it in glass bottle with the fresh urine of donkey and further then putting this bottle under the earth for 6 months then this parad converts itselfin BHASAM which has the capacity to change copper into gold.Posted by Nikhil at 10:59 AM 2 comments: Labels: PAARAD, SWARNA RAHASYAM

WEDNESDAY, MAY 23, 2012

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Swarna Rahasyam - rare but satik experniment form gold making - सवरर रहसयम - दगलरभ परन्तग अचतक सवरर सनमहरर पतरयजग

ततंततर शथास्ततर कके रस ततंततर शथाखथा ममें सवरर लक्ष्मदी कसी सथाधिनथा कथा अत्यतंत महत्विपसणर्भा स्थथान हह और यलद इसमतंततर कथा पसणर्भा लविधिथान सके लनलमर्भात सवशगद सतसकहसरत पहरद सशवसलतग कके सथामनके २१ लदनयोतं ममें ५४ हजिथार मन्ततर जिप कर ललियथा जिथायके तयो स्विणर्भा लनमथार्भाण कसी लकत रयथा ममें शसीघतर सफिलितथा लमलि जिथातसी हह, ऐसथा म दझके सदगि दरुदकेवि कके सन्यथाससी लशषय रथाघवि दथास बथाबथा जिसी नके बतथायथा थथा.समसद्ध हयोनथा हमथारथा अलधिकथार हह और रस शथास्ततर कके मथाध्यम सके ऐश्वियर्भा पतरथाप्त लकयथा जिथा सकतथा हह.इसममें मन्ततर ययोगि तथथा लकत रयथा लविशकेष कथा ययोगि करनथा पडतथा हह. पतरत्यकेक लकत रयथा कसी सफिलितथा कके पसीछके मन्ततर लविशकेष कसी शलक्त कथायर्भा करतसी हह. ऐसथा नहसी तंहह कसी लकससी रसी रसथायन लसलद्ध मन्ततर सके कयोई रसी रस कथायर्भा कयो सफिलि कर लदयथा जिथायके, हथायाँ यके अलिगि बथात हह कसी सद्गि दरु पतरसन्न हयोकर मथास्ष्टिर चथाबसी हसी आपकयो दके दके, परन्त द वियो उनकसी पतरसन्नतथा कथा लविषय हह. नसीचके जियो २ पतरययोगि लदए गिए हहैं विके स्विणर्भा लिक्ष्मसी मन्ततर सके सम्बतंलधित हसी हहैं, यलद इन कसीलमयथा कके पतरययोगियोतं कयो नकरके तब रसी लनत्य पतरलत इस मन्ततर कसी एक मथालिथा आलथर्भाक अनदकस लितथा और धिन कसी पतरथालप्त सथाधिक कयो करविथातसी हसी हह.मन्ततर कमलिगिट्ष्टिके कसी मथालिथा यथा पथारद मथालिथा सके जिप हयोनथा चथालहए.मन्ततर-ॐ हतरदी त महहलक्ष्मदी आबद आबद मम गगहसे सथहपय सथहपय सवरर ससदतसधमत दसेसह दसेसह नमतः IIमन्ततर जिप कके बथाद सथाधिक यथा रस शथास्ततर कके लजिजथासदओतं कयो लनम्न पतरययोगि करकके अविश्य दकेखनथा चथालहए, इन पतरययोगियोतं कयो महैंनके रथाघविदथास बथाबथा जिसी कयो सफिलितथा पसविर्भाक करतके दकेखथा हह, और एक बथात महैंनके ध्यथान दसी थसी कसी विके ,पदथाथर्भा कथा रूपथातंतरण करतके समय इस मतंततर कथा स्फिद ष्टि स्विर ममें उच्चथारण लकयथा करतके थके और स्विच्छ विस्ततर धिथारण करकके हसी यके पतरययोगि ,सथाफ़ जिगिह पर लकयके जिथातके हहैं.

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१. २५ गतरहम शगद नदीलसे थजथसे कज श्वसेत आक कसे आधह पहअँव दतध ससे खरल करकसे उस कज्जलदी मसेत शगद सदीसह १० गतरहम समलह कर सम्पगट बनहकर २० सकलज कत डजत कदी असगन दसेनसे ससे भसम तभैयहर हज जहतदी हभै. १० गतरहम रजत कज गलहकर उसमसे १ रतदी भसम डहलनसे पर सवरर कदी पतरहसपत हजतदी हभै. सवरर लक्ष्मदी मन्ततर कसे महध्यम ससे भसम सवरर बदीज ससे ययौसगत हज कर चहअँददी मसेत सवरर कदी उत्पसत करदसेतदी हभै.

२. शगद जसतह कह बगरहदह और शगद पहरद १-१ तजलसे कज लसेकर मतततर जप करतसे हगए जतगलदी गजभदी कसे रस मसेत २४ घतटसे तक घजतटसे,उसकसे बहद उससे सम्पगट बनहकर ८ तजलसे सतत ससे लपसेटकर ३ सकलज बकरदी कदी मसेतगनदी मसेत रखकर आग लगह दसे .आग बतद वहयग मसेत लगहनह हभै, नह कदी खगलसे सथहन पर, सवहतग शदीतल हजनसे पर जज भसम समलसेगदी , वज चहतददी और शगद तहम्बह , दजनजत कह रूपहततरर सवरर मसेतकर दसेतदी हभै.---------------------------------------------------------------------------------------------------- In Tantra Shastra, in the branch of Ras Shastra the Swarna Lakshmi Sadhna keeps unique significance in it. and if this mantra is done with whole procedure of before Vishudhh Sanskarit Paaradh Shivling in 21 days completes the 54 thousands mantra jap then you get success in gold making process very soon. As this was being told me by Sadgurudevji's sanyasi disciple Shree Raghav Das babaji. Becoming wealthy is our birth right.And by Ras Shastra we can achieve it. See, in this the balance of mantra yog and kriga yog is needed. At success of each level, a specific mantra works. It is not like that by any rasayan siddhi mantra u can accomplish any level. Oh yaa that totally different part if sadgurudev get happy and give u the main key. But thats the subject of his happiness. Isnt it!!.... well below give two experiments are related with swarna lakshmi mantra. If you do not perform the whole procedure but only do the one malaon daily basis of the below mantra, you will get positivty in Financial matters and generates wealth for you. Mantra should be done by Kamalgatta mala or Parad mala.

Mantra - Om hreem mahalakshmi Aabaddhh Aabaddhh mam gruhe sthapay sthapay swarna siddhim dehi dehi namah

After doing mantra jap sadhak or seeker of ras shastra should do this experiment necessarily. I have seen all these experiments performing raghav Das Babji successfully. And one thing which i

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noticed was while converting substance he chanted the mantra inbursting sound with clean cloths at clean place. 1. 25 gms blue copper sulphat should be mixed in 250ml White AAK milk and in that kajjali mix the pure lead 10gmsand mixed it properly. after giving flames to 20 kg cow dung cakes converts into ashes. Now melt 10 gm silver and mix 1 ratti ash.you will get gold in result. Via Swarna Laksmi mantra and getting together with ashes the silver gets converts into gold. 2. take pure zink powder and pure mercury in 1-1 tola, while mantra chanting just grind it in wild califlower juice for 24 hours. then make a round ball of it and rapp up in 8 tala sut , 3 kg goat's mengni and then fire it. fire it closed air not it open space, after getting cold whatever ash will find would be pure silver or copper and coverts both into gold.

****NPRU****

Posted by Nikhil at 1:28 PM 4 comments: Labels: LAKSHMI SADHNA, PAARAD, SWARNA RAHASYAM

SUNDAY, APRIL 22, 2012

सनसश्चत यसकरदी सहयगज्य गगसटकह सनमहरर (NISHCHIT YAKSHINI SAYUJYA GUTIKA NIRMAAN)

पथारद पतरथाणशलक्त कयो तसीवितरतथा कके सथाथ आकलषर्भात कर लिकेतथा हह ,और इसकसी चतंचलि पतरकस लत कयो जिब मतंततरयो,विनस्पलतययोतं और रत्नयोतं तथथा धिथात दओतं कके ययोगि सके बढ लकयथा जिथातथा हह तब यके बढ स्विरुप ममें आपकके लकससी रसी अरसीषष्टि कयो पसणर्भा करनके कसी क्षमतथा रखतथा हह. यलक्षणसी सथाधिनथा कके ललिए लनलश्चत यलक्षणसी सथाय दज्य

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गिदलष्टिकथा एक अलनविथायर्भा सथामगितरसी हह .यके गि दलष्टिकथा लजिस लकससी कके रसी पथास हयोतसी हह,यक्ष लियोक सके उसकथा सतंपकर्भा सरलि हयो जिथातथा हह.यलद सथाधिक इसकयो सथामनके रख कर सथाधिनथा करतथा हह तयो लनश्चय हसी उसके सफिलितथा पतरथाप्त हयोतसी हसी हह.अरसी तक इस गि दलष्टिकथा कसी लनमथार्भाण लविलधि कयो अत्यतंत हसी गि दप्त रखथा गियथा थथा परन्त द सदगि दरुदकेवि नके अपनके लशषययोतं कयो हमकेशथा हसी जथान रुपसी मशथालि हथाथ ममें थमथाई हह,अजथान कके ,रतरम कके अन्धिकथार कयो दसर करनके कके ललिए. आजि इन पन्नयोतं पर महैं आपकयो विहसी कलिकेजिके कथा ष्टिदकडथा लनकथालि कर दके रहथा हस याँ तथालक मकेरके गि दरु रथाई बहन उस सफिलितथा कयो पतरथाप्त कर सकके जियो कसी उनकथा सथाधिनथा कके क्षकेततर ममें स्विप्न रहसी हह.१५ गितरथाम अषष्टि सतंस्कथालरत पथारद लिकेकर उसमके १ रतसी हसीरक रस्म,२ गितरथाम स्विणर्भा कथा चसणर्भा,३ गितरथाम रजित चसणर्भा दथालि कर लशविललितंगिसी और पथान कके रस सके खरलि करके ,यके खरलि कसी लकत रयथा अपनके आसन पर बहठ कर कसी जिथानसी चथालहए,खरलि करनके कके सथाथ सथाथ रसथायन लसलद्ध मतंततर कथा रसी जिप लकयथा जिथानथा हह.ओम नमज नमज हसरहरहय रसहयन ससदतसधत कग रु कग रु सवहहहऐसथा ८ घतंष्टिके तक करनके कके बथाद उस खरलि पथाततर ममें समेंधिथा नमक और गिरम पथानसी डथालिकर खरलि करके लजिससके पथानसी कथालिथा हयोतथा जिथायकेगिथा.तब उस पथानसी कयो बहथार फिके क दके ,ध्यथान रखनथा कहसी पथारद बथाहर न लगिर जिथायके और यके नमक लमलशतरत पथानसी डथालिकर तब तक खरलि करके जिब तक पथानसी कथालिथा आतथा रहके जिब,पथानसी सथाफ़ आनके लिगि जिथायके तब उस पथारद कयो, जियो कसी लपषष्टिसी रूप ममें हयो गियथा हयोगिथा कयो लनकथालि कर ससतसी कपडके सके छथान लिके,कपडके ममें ठयोस पथारद बचथा हयोगिथा लजिसके लनकथालि कर गियोलिसी बनथा लिके और ३ लदन कके ललिए लशविललितंगिसी कके रस ममें रख दके ,लजिससके वियो कठयोर हयो जिथायके. तत्पश्चथात इस गि दलष्टिकथा कयो शदकत रविथार कके लदन पतरथातनकथालि ममेंश्विकेत विस्ततर पर स्थथालपत कर लिके और स्वियतं रसी श्विकेत विस्ततर धिथारण कर पहलिके गि दरु पसजिन ,गिणपलत पसजिन और दसीपक पसजिन करके, तथथा गि दरु मतंततर कसी २१ मथालिथा जिप करके ,उस गि दलष्टिकथा कके सथामनके घसत कथा दसीपक स्थथालपत हयोनथा चथालहए.सबसके पहलिके गि दलष्टिकथा कथा पतंचयोपचथार सके पसजिन करके तत्पश्चथात यलक्षणसी कथा आविथाहन लनम्न मतंततर और म ददतरथा सकेउस गि दलष्टिकथा ममें करके,यथाद रलखयके कसी लजिस यलक्षणसी कथा आप आविथाहन कर रहके हयो अम दक कसी जिगिह उससी कथा नथाम लिकेनथा हह –ओम आत कत रयौत हतरदी त नमतः असतग भगवसत अमगकत यसकरदी एसह एसह सतवजषट इसकके बथाद यलक्षणसी कयो उस गि दलष्टिकथा ममें आसन पतरदथान करके,यके लकत रयथा अनथालमकथा कके दथारथा गि दलष्टिकथा कयो स्पशर्भा करतके हदए करके ,इस मतंततर कथा ११ बथार उच्चथारण करनथा हह. ओम आत कत रयौत हतरदी त नमतः असतग भगवसत अमगकत यसकरदी सतष्ट ठ: ठ:इसकके बथाद लनम्न मतंततर कथा २१ बथार उच्चथारण करतके हदए अक्षत कयो उस गि दलष्टिकथा पर डथालिके.ओम आत कत रयौत हतरदी त नमतः असतग भगवसत अमगकत यसकरदी मम ससन्नसहतह भव भव वषटतलफिर लनम्न मतंततर कथा उचथाचरण करतके हदए पतंचयोपचथार सके उस गि दलष्टिकथा कथा पसजिन करके.ओम आत कत रयौत हतरदी त नमतः असतग भगवसत अमगकत यसकरदी जल अकत पगष्पहसदकहनत गगण्ह गगण्ह नमतः इसकके बथाद लनम्न मन्ततर कसी २१ मथालिथा मतंततर जिप यलक्षणसी मथालिथा सके करमें, यके सम्पसणर्भा लकत रयथा ३ लदनयोतं तक करनसी हह. ओम हतरदी त शतरदी त क्लदी त ब्लतमत ऐ त शतरदी त पदतमहवतदी दसेव्यभै अततर अवतर अवतर सतष्ठ सतष्ठ सवर जदीवहनहत रकरक हत त फटत सवहहहइसकके बथाद लविसजिर्भानसी म ददतरथा सके लनम्न मतंततर कथा उच्चथारण करतके हदए यलक्षणसी कथा लविसजिर्भान करके.ओम आत कत रयौत हतरदी त नमतः असतग भगवसत अमगकत यसकरदी सवसथहनत गच्छ गच्छ ज:ज:

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इस कत रम कयो पसणर्भा करनके पर एक तकेजिलस्वितथा ससी उस गि दलष्टिकथा ममें दसलषष्टिगियोचर हयोतसी हह और वियो थयोडसी गिमर्भा रसी लिगितसी हह.इसकथा अथर्भा यके हह कसी अब उसमके यलक्षणसी कसी पतरनथाश्चकेतनथा कथा सय दज्ज्यसी करण हयो गियथा हह. इस गि दलष्टिकथा पर इससी पद्धलत सके लकससी रसी यलक्षणसी कसी सथाधिनथा कसी जिथा सकतसी हह और यलद मथाततर यके घर ममें रसी रहके और लनत्य इसकके सथामनके पसजिन हयो तब रसी यके आलथर्भाक अनदकस लितथा दकेतसी हह और रलविषय कसी द दघर्भाष्टिनथाओतं सके बचथातसी हह.

रजत कल्प –दयो तयोलिथा श्विकेत सयोमलि लिकेकर उस पर लततरविणथार्भात्मक मतंततर कथा जिप १००८ बथार करके और ठसीक इससी पतरकथार कथालिसी गिथाय कके दसधि पर रसी इतनसी बथार हसी मतंततर कथा जिप करके,बथाद ममें दकौलिथा यन्ततर सके इस सयोमलि कयो उस दसधि ममें पलचत करके.जिब दसधि समथाप्त हयो जिथायके तयो,सयोमलि कयो लनक्कलि कर गितंगिथा जिलि सके धिकर उसकके सथामनके ११००० बथार मतंततर जिप करमें. लफिर १० गितरथाम तथाम्बके कयो अलग्न ममें गिलिथा कर उसमके इस सयोमलि कसी २ रतसी मथाततर कयो मयोम ममें लिपकेष्टि कर दथालि दके और चखर्भा दके.सथारथा तथाम्बथा चथातंदसी ममें पलरविलतर्भात हयो जिथायकेगिथा.यके लकत रयथा शतरसी कथालिसीदत शमथार्भा जिसी कसी हह,जियो अनदरसत कसी हदयसी हह.

Mercury attracts the Pranashakti very soon and when its trembling nature is controlled via Mantra, Herbs and Stones and metals all togetherly when empower mercury then this parad becomes the ultimate source for u to accomplish ur wishes. For Yakshini sadhna the Nishchit Yakshini Sayujya Gutika is cumpulsory. Whomsoever will possess this gutika would definitely achieve the success. Till now the procedure of making this gutika has been kept very secretful. But Sadgurudev always given a torch in form of knowledge in their hands to remove the darkness and illusions from our lives. Today on these pages I m giving that beloved part of my heart so that my co guru brothers and sisters can achieve those steps of success which just a dream of them. Take 15 gms Ashta Sanskarit Parad, 1 ratti HIrak bhasma, 2 gms gold powder, 3 gms silver powder on shivlingi and grind it in pan juice, now take this grinded mixture(hey hey it should be done on asan only) and while grinding just chant the Rasayan Siddhi Mantra also.OM NAMO NAMO HARIHARAAYA RASAAYANAY SIDDHIM KURU KURU SWAAHAA.Do it continuously for 8 hours..after that put some white rock salt and warm water and again grind it so that the color becomes black. Then take out that black water and throw it.Be careful the mercury should not go away while throwing water.now now put this roch salt water and grind it again till the moment th balck water comes out. When the clean water comes out and becomes fine then take cotton thin cloth and filter it. The remaining

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alchemy in the cloth is solid mercury. And make a tablet of it. And then keep it in shivlingi juice for 3 days. So that it will become more solid and dense. Then after on Friday morning take this gutika establish it on white cloth in worship area. U also wear a white clothes.Then start Guru pujan, Ganapati Pujan, Lamp Pujan then Guru mantra 21 malas, then enlight the lamp infront of that gutika. First of all the panchopchar pujan must be done. Then call Yakshini via following mantra and mudra on this gutika. Be carefulwhichever yakshini u are calling should pronounce her name instead of ‘amuk’…okkk-

OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI AMUKAMYAKSHINI EHI EHI SANVOSHATThen after offer the asan in gutika to tha yakshini, this should be done by ring finger via touching the gutika, and chant mantra for 11 times.OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI AMUKAMYAKSHINI TISHTH THAH THAH.Then after chant above mantra for 21 times and offer akshat(rice)on gutika.OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI AMIKAM YAKSHINI MAM SANNIHITAA BHAV BHAV VASHATThen after while chanting this above mantra do the panchopchar on gutika and do the worship.OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI AMUKAMYAKSHINI JAL AKSHAT PUSHPADIKAAN GRUNH GRUNH NAMAHThen after from above mantra chant for 21 malas by yakshini mala, this whole procedure should be done for 3 consecutive days.OM HREEM SHREEM KLEEM BLUM EM SHREEM PADMAVATI DEVYE ATRA AVATAR AVATAR TISHTH TISHTH SARVA JEEVANAM RAKSHA RAKSHA HUM FAT SWAAHAA.Then after in Visarjani Mudra chant this mantra and devote the yakshini.OM AAM KROUM HREEM NAMAH ASTU BHAGWATI AMUKAMYAKSHINI SWASTHANAM GACH GACH JAH JAH.

Now after completing the series the gutika becomes glowy and it is reflects. And some what hot also.it also means that the

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pranashchetna of yakshini is established. Well on this gutik with same procedure many more yakshini sadhna can be performed. And if at all she just stay at home and daily worship rituals happenes then also financial condition would be always remain favourable and protects u from future accidents aslo.

Rajat kalpaTake 2 tola or 10 gms swet somal and on it chant Trivarnatmak mantra for 1008 times and exactly in same was on black cow milkalso. Then by Daula Yantra make somal drink such black cow milk.when milk gets over then take out somal from it and wash it from Ganga Jal.Then chant for 11000 times the mantra. Then melt the 10 gms copper in fire and take 2 ratti of somal and wrap up it in wax and rotate it with ful speed. The whole copper would be converted into silver. This process is given by Shree Kalidutt Sharmaji which have experienced personally..

****NPRU****Posted by Nikhil at 11:30 PM No comments: Labels: PAARAD, SWARNA RAHASYAM, YAKSHINI SADHNA

पहरद सवरर अरग ससदतसध गजलक -A Very Rare and Miraculous Parad swarn anu siddhi Golak

धमहरथर मगपभजगहनहम नष्ट रहज्य सववहधहरयसे | आयगयजरवतलहभहथर मगक्तयसेथर च मगमगकगरहम ||

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यह सवदह (.******”पहरद ततततर सवज्ञहनत “*** ) जनतह कज धमर , अथर, कहम कदी पतरहसपतकरहतदी , रहजहओत कज नष्ट रहज्य कदी पतरहपतदी और रहज्यवगदतसध मसेत सहहयक और गगहसथज कज ददीघहरयग , ययौवन पतरदहन करनसे वहलदी और मगमगकगओत कजमगसक्त पतरदहन करतदी हभै त पहरद ततततर कसे जहनकहर आज बहगत हदी कम हभै त और जज हभै त भदी तज उन दतर दरहजपहहडज पर हभै त जहहअँ कदी जन सहमहन्य पहगअँच पहनह सबलकग ल असतभव हभै त . और जज हमहरसे बदीच हभै तउनकसे बहरसे मसेत तज समझ पहनह शहयद और भदी कसठन हभै त .पर जज आज हमहरसे मध्य हभै तवसे यह तथ्य उदतघहसटत करतसे हभै त कदी ....रस गतरन्थ लगभग 60 ,000 गगसटकह यह गजलक कसे बहरसे मसेत बतहतसे हभै त और इन सभदी कसे सनमहररकदी पतरसकत रयह और लहभ पर सभदी मयौन हदी हभै त . एक ससे एक अदतभगत रहसय ससे भरह यह कसेततर हभै त . रजगपतकहसब्धमगनहनह..पहरदहनहच्च पहरदतः ||रजग रूपदी सहगर मसेत डत बसे हगए महनव कज पहर यह मगक्त कर दसे .यह पहरद ततततर सवज्ञहनत ससे हदीसतभव हभै त सकस रजग कदी बहत यहहअँ कदी गयदी हभै त ??? वसतगततः यहहअँ पर आध्यहसत्मक , दसेसहक, महनससक , भयौसतक सभदी रजग कज शहसमल सकयह गयह . “सकल पदहरथ हभै त जग महहदी ,भहगयहदीन नर कछग पहवत नहहदी “आसखर कब तक टतटसे हगए .भहगय यह अजगर कसे सहमहन सजयसे भहगय कह रजनह रजतसे रहह जहए..आसखर कहदी त तज ...अतत हज ..........कम ससे कमततततर कसेततर कसे सहधकज और सदगगरुदसेव कसे सशष्य हजनसे कसे बहद तज यह हहथ परहहथ धरसे ...... शजभह हदी नहदी दसेतह हभै त ...तज कभै ससे सभव हज .जदीवन कदी हर पतरसतकत लतह मसेत सवजय शतरदी कह वरर करनह ...क्यह यहसतभव हभै त .?? क्यजत नहदी ...और यहदी बहत आतदी हभै त रस शहसततर कदी ...उसकदी उपयजसगतह कदी ...रस शहसततर अपनसे आप मसे अत्यतत हदी उच्च कजसट कसे ज्ञहन और सवज्ञहनत ससे आपतसरत हभै त .परसवगत कग छ कहलजत मसेत इसकज महनज भगलह हदी सदयह गयह .पर अब एक नयदीपतरकहश सकररसे पगनतः अपनदी उज्ज्वलतह और अपनसे तसेज ससे इस अत्यतत उच्च कजसटसथ ततततर सवज्ञहनत ससे हमहरह पसरचय करह रहदी हभै त .कजई भदी सवज्ञहनत सकतनह उच्च कजसट कह क्यजत न हज अगर वह हमहरसे सदन पतरसत सदन कसे जदीवनमसेत उपयजगदी अगर नह हज सकसे तज उसकह क्यह अथर हभै त .पहरद ततततर सवज्ञहनत कसे सहथ ऐसह नहदी हभै त . यह तज ....“भजगसथ मजकसथ करसथ एव च “.कदी धहररह कज सहमनसे पतरत्यक रूप ससे रखतह हभै त .इसदी शतरतखलह मसेत ..

जब जदीवन पर सतकट आन पडह हज तब सकस गगसटकह कह सहहरह लसे .?? जब अत्यसधक शतरमसहध्य और सक्लष्ट सहधनहओ कज कर पहनसे कह मन नहदी हज पह रहह

हज तब ...?? जब पसरवहर मसेत सदन रहत कलह और दसरदतरतह कह सहमतरहज्य छहतह हदी जह रहह हज तब

..??

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क्यह हर छजटदी छजटदी सदी समसयह कसे सलए सदगगरुदसेव कह आवहहन सकयह जहए यह उनकसे ऊपरसब छजड कर ......क्यह यह मयहरदह कदी दगष्टदी ससे उसचत हजगह ...??

क्यह हर समसयह कसे सलए परम महहमतततर गगरु मतततर कह हदी सदीधसे उपयजग सकयह जहए..क्यह यह उसचत हजगह .??

षटतकमर कदी सकत रयहयसे जभैससे वशदीकरर ,उच्चहटन,..जभैससे कह उपयजग न करकसे ससफर भयससे इस ओर ....क्यह यह उसचत हभै त..??क्यजत न सदगगरुदसेव दहरह हमहरसे सहमनसे लहए गए ज्ञहन कज आधहर बनह कर .सव सनभरर बनसे...शतरसेष्ठ सहधक बनसे ..और सशष्यतह कसे रहजमहगर पर कग छ ओर कदम बढहयसे ..

वभैतहल सहधनह , भगवहन दतहततरसेय पतरत्यक सहधनह , धन आगमन सहधनह..जभैसदी लगभग १००८ सहधनहए सजस पर सतभव कदी जह सकतदी हज ......उस गगसटकह कसे बहरसेमसे त जहनकहरदी ..

सतयर सवज्ञहनत ...., पहरद सवज्ञहनत.... ,कहल सवज्ञहनत.... , औरसथहन सवज्ञहनत.... ,वहयग सवज्ञहनत.... , और अन्य सवज्ञहनत सदीखनसे मसेत एकअत्यतत आवश्यक गगसटकह ...सजसकदी महत्वतह सगनहई हदी नहदी जह सकतदी हभै त ..

शमशहन सहधनह मसेत न कसे बल सव रकह हसेतग वरन हर शमशहन सथ सहधनह पतरर सफलतह हसेतगभदी ....... .

जदीवन कज पतरर सनरजगदी बनहयसे रखनसे हसेतग .. जज हर सहधनहओ मसेत सफलतह दसे सकनसे मसेत समथर हभै त . जज जदीवन कदी असफलतह कज सफलतह मसेत बदल दसेनसे मसेत समथर हभै त ... जज जदीवन कज उच्चतह ,शतरसेष्ठतह , लक्ष्य तक तदीवतरतह ससे आपकज अगतरसर कर सकतदी हभै त

....

जभैसह कदी नहम हदी बतह रहह हभै त सक “पहरद सवरर अरग ससदतसध गजलक” तज यह नहम हदीक्यजत सदयह गयह ..????ततततर सवज्ञहनत मसेत हर नहम यह शब्द कह एक सवसशष्ट अथर हभै त हदी ..... आसखर अरग ससेक्यह तहत्पयर हभै त.? पदहथर कदी सबससे छजटदी इकहई सजसकसे महध्यम ससे पदहथर पसरवतरन सकयह जहसकतह हभै त पर यह पदहथर पसरवतरन कभै ससे सतभव हज ? तज इसकसे सलए महसषर करहद नसे एकपतरह सवसशष्ट गतरन्थ हदी रच सदयह हभै त .जज “ करहदजपसनषद “ कसे नहम ससे सवख्यहत रहह हभै त ... इसअरग सवज्ञहनत कसे सलए एक हदी नहम सबससे पहलसे सहमनसे आतह हभै त वह हभै त **सतयर सवज्ञहनत ** औरइस सवज्ञहनत मसेत ” ससदहशतरम सतयर लसेतस “ .......इसकदी पतरहसपत तज सभदी कह सवपन रहह हभै त..इसकह सतयर सवज्ञहनत मसेत एक महत्वपतरर सथहन हभै त आसखर यह हभै त क्यह ..?? एकअसत सवसशष्टतम लसेतस सजसमसे . सवसभन्न कजरजत ससे महध्यम ससे अरगओ कह सतलयनयह सवखतडन करकसे पदहथजर कह रूपहततरर सकयह जहतह हभै त . क्यह ससफर इतनह हदी .. बसल्क बसल्क नवजदीवन और पगनजदीरवन तक दसेनसे मसेत समथर हभै त यह सतयर सवज्ञहनत ..पर यह ससदहशतरम सतयरलसेतस पतरहपत करनह तज बहगत हदी दगष्कर हभै त .पहरद मसेत एक सवशगद धहतग “ सवरर” कह सतयजग ..!!!! वहभदी शहसततरदीय मयहरदहनगसहर ....यह तजसजनसे मसेत सगहहगह भदी नहदी कहह जह सकतह क्यजतसक वहहत तज ससफर धहतग हभै त ..और यहहअँ पर

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..समसत सतसहर कज पगनर जदीवन दसेनसे मसेत समथर तत्व कदी बहत ...यह सतयजग करपहनह तज इस महगर कसे ससदहसत लजगजत कसे सलए भदी सपनह सह हभै त ..और सफर “अरग ससदतसध “..यह तज सवपन रहह हभै त महह यजसगयजत कह भदी..क्यजतसक सहरह सवश्व हभै तक्यह ???..ससफर अरगओ कह सवसभन्न सतयजजन .. और जब इसकदी ससदतसधतह पतरहपत हजजहए तज .. क्यह अब शसेष रहह .......!!! इस गजलक कसे सहमनसे एक सवसशष्ट मतततर कह जप करनसे पर यह पहरदशदीर हजजहतह हभै त .. पहरद और पहरदशदीर .. !!!!! यह तज सतभव हदी नहदी हभै त ??.पर यह सच हभै त. सदगगरुदसेव नसे यह बहगत पहलसे सपसट सकयह थह . और अनसेकजबहर यह कहह कदी पहरद कसे गगरजत कदी तज कजई सदीमह हदी नहदी हभै त . और जजइसकह सहहरह नहदी लसेतह वह व्यथर हदी अपनह समय और शसक्त नष्ट करतह हभै त हम इसकज सवयत करकसे दसेख सकतसे हभै त .अगर हम मसेत सशष्यतह कह गगर हज तज .सदगगरुदसेव कसे शब्दजत परअगर सवश्वहस हज तज ......

शमशहन सहधनह :::: तज व्यसक्त कसे जदीवन कह सयौभहगय हभै त,पर यह क्यह इतनदी सरल हभै त??. यहहअँ पर पतरसकत रयह..सरल ससे दगष्कर दजनजत हभै त ,पर एक भदी महमतलदी सदी गलतदी कम्य नहदीहभै त . थजडदी सदी गलतदी ..कहफदी महगदी हज सकतदी हभै त . पर एक सवसशष्ट मतततर कहजप इस गगसटकह पर सकयसे जहनसे ससे न कसे बल .यह समसत शमशहसनक कहयजर्यों मसेत न कसे बलपतरर सगरकह दसेतदी हभै त बसल्क ..इन सकत रयहयज मसेत और उच्चतर सहधनहओ मसेत सफलतह भदी पतरदहनकरहतदी हभै त .

सबतदग शजधन पतरसकत रयह ::पहरद तज सशव सबतदग हभै त ओर हमहरह वदीयर हमहरह सबतदग हभै त , अब हमनसे सशव वदीयर तज शगद करसलयह पर जब हमहरह सवयत कह हदी सबतदग अशगद हभै ततब क्यह कहसे, उच्चतर सहधनहओ कसे अमगत कजकभै ससे??? , कभै ससे कजई अशगद पहततर मसेत शगद वसतग डहलनसे तभैयहर हजगह , कभै ससेमहनसेगह कजई ..... कदी उसकसे सबतदग कह अभदी तक शजधन नहदी त हगआ,पर जब तक आपकह सबतदग शगद न हज जहयसे उच्चतर सकत रयहओ कसे सलए कभै ससे व्यसक्त कज यजगय महनह जहय .पर सबतदग शजधन कदीअदतभगत सवसध तज शहसततरजत मसेत भदी वसररत नहदी त हभै त .......पर यह भदी सतभव हज जहतह हभै तइस पहरद गगसटकह /गजलक कसे महध्यम ससे एक सवशसेष पतरयजग कसे दहरह. यह पतरसकत रयह इतनदीसरल हभै त कदी सहधक सवश्वहस हदी नहदी कर सकतह .....पर जब सबतदग शजसधत हजतह हभै त तज व्यसक्त कसेचसेहरसे पर एक आभह ... एक पतरकहश ...एक ओज .....सदखहई दसेतह हभै त.

और जब सबतदग शगद हजनसे लगह ..तज सशवतत्व कदी ओर ...जज कदी वहसतव मसेत सदगगरुदसेव तत्व हभै त.....एक कदम और बढ गयह ...और जज भदी कदम ..जज भदी सहधनह ..सदगगरुदसेव कसे शतरदी चररकमलजत मसेत लसे जहए ..क्यह वह एक उच्च कजसट सथ गगरु सहधनह न हजगदी ..???

षटतकमर सहधनह मसेत :: आज हर छजटदी छजटदी सदी बहत कसे सलए सदगगरुदसेव पर आसशतरत हजनह.उनपर सहरह भहर डहल दसेनह ..यह एक सशष्य कज शजभह नहदी दसेतह हभै त यह मयहरदहनगकत ल भदी नहदी हभै त..अगर यहदी सब हजनह थह .यह सदगगरुदसेव ऐसह चहहतसे तज एक लहख ससे ज्यदह सहधनहए

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.मतततर उन्हजतनसे क्यजत ददी .धतमहवतदी सहधनह मसेत तज सदगगरुदसेव नसे सपसट कह हदी सदयह कदीआसखर गगरु कसे पहस भदी क्यजत जहनह ..जब कदी सवयम गगरु नसे तगम्हसे सवसध ददी हभै त गगरु भदीआसखर उसदी दसेव शसक्त कसे पहस जहकर वह कहयर करसेगह ..तज तगम सदीधसे क्यजत नहदी उसदी दसेवशसक्त कसे पहस जहतसे हज ...अब और क्यह शसेष रह गयह ..

पसत /पत्नदी बहत नहदी महनतसे ...समहज /ऑसफस मसेत सम्महन नहदी..बच्चज कज ससकहर सबहदीन हजतसे बसेबसदी मसेत दसेखनह .........यजगय हज सकनसे वहलसे जदीवनसहथदी कज दसेख कर भदी ..अपनसे भहगय कज कजसनह ..यहहअँ वहहत कसे तहसन्ततरकज कसे पदीछसे भहगतसे रहसेकदी वह कर दसे ......सवसभन्न मसेत रजग कज सलए रहनह ..हर पल जदीवन ससे ..शततरुओत ससे समझयौतह...हर जगह जदीवन मसेत हहरनह ...यजगय हजकर भदी सतल सतल करकसे हहथ मलतसे रहनह ...

क्यजत नहदी इन षटतकमर कसे महध्यम ससे ..इन इतनदी सरल पतरसकत रयह जज इस गजलक कसे महध्यमससे सतभव हभै त हम अपनसे जदीवन कदी सदशह जज अधजमगखदी हभै त .उससे उध्वरमगखदी बनह दसे हम सवयत ..

सदगगरुदसेव नसे व्यथर कसे अहतकहर कज गलत महनह हभै त पर सवहसभमहन कदी वसे सदभैव पतरशतशह करतसेरहसे .

हम डरतसे हभै त ..अपनसे हदी सपतह कसे दहरह सदए गए ज्ञहन कज उपयजग करनसे मसेत ...

तज सभखहरदी वत ..सनरदीह ..असहहय .. उन्हजतनसे नहदी बनहयह ..बसल्क हमनसे चगनह हभै त .

उन्हजतनसे ऐश्वयर कह रहसतह सदखहयह .हमनसे समझयौतह चगनह ..

उन्हजतनसे कहहअँ कदी पसरससथतयजत ससे समझयौतह नहदी बसल्क तगममसे मसेरह लहत वह रहह हभै तउससे तजध्यहनमसे रखज ..आगसे बढज ...सवजय शतरदी समलसेगदी हदी तगमकज ..

पर हम यह सजच कर अपनसे सहधनह रूपदी अश्ततरज कज एक तरफ रख कर..अब सयौप सदयह इसजदीवन कह भहर ..गहनसे लगसे ...

कभै ससे यह दगलरभ गगसटकह कह सनमहरर हजतह हभै त ??आप सभदी कग छ पतरयजग इस गगसटकह यह गजलक ससे भलदी भहततदी पसरसचत हभै त . और यह गगसटकह/गजलक भदी अष्ट सतसकहर ससे आगसे कसे अनसेक सतसकहर ससे यगक्त रहतदी हभै त .परहर बहर सतसकहर हदी क्यजत ??..क्यजतसक रस ततततर शहसततर कहतसे हभै त “सतसकहरज हदी गगरहन्तरहधहनहम” सतसकहरज कसे महध्यम ससे हदी पहरद मसेत अनतत गगरजत कह पतरवधरन सकयह जह तह हभै त .पर क्यह शहसततरदीय सनयम कह पहलन इतनह आवश्यक हभै त .??.इस हसेतग ..गजरक सतसहतह सपसट करतदी हभै त और सनदरसशत भदी करतदी हभै त

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“ न शहसततर रसहतत सकत सचत कमर चहससतसत कग ततर सचत || शहसततरदीय महगर कसे पहलन कसे सबनह कभै ससे सफलतह समलसेगदी .सफर भदी यह गजलक पहरद कसे सदव्य सतसकहरज ससे यगक्त हदी अपनसे आप मसेत हदी सदव्यतम हभै त सफर यसद इससे इससे सवरर गतरहस , रजत गतरहस कसे सहथ सकतनदी हदी सदव्य जडदी बतसटयजत ससे सहयजग ससे इसकहसनमहरर सकयह गयह , अब क्यह शसेष रह जहतह हभै त

, लगभग १६ सदन इस कहयर मसेत पतरसत सदन कसे ६ घतटसे कसे सहसहब ससे लगतसे हभै त हदी . ४ घतटसे सदन मसेततज दज घतटसे रहत मसेत शहसततरदीय इस गजलक कसे सनमहरर मसेत ऐसह हदी शहसततरदीय सनयम हभै त . सफर सजसकसे सलए भदी इस दसेव दगलरभ गजलक कह सनमहरर सकयह जहए ..उस सहधक कसे नहमससे व्यसक्तगत रूप ससे इस कदी चभैतन्य करर , असभससतसचसतकरर , ओर सवसशष्ट सकत रयहओत कजकर कसे इसकह पतरहथसमक चरर पतरह सकयह जहतह हभै त , पर अब आगसे सहधक कज सवयतइसमसेत सदगगरुदसेव कसे पतरर पतजन , सवरहरकषरर भभैरव सथहपन जज कदी पहरद सहधनह कसे पतरर आधहर हभै त, नहथ हदी नहदी त नव नहथ और भगवहनत दतहततरसेय कह सथहपन पतरयजग इस गगसटकह परकरनह हजगह ..क्यजतसक नहथ सतपतरदहय कसे आसद गगरु नसे हदी हदी तज इस पहरद सतसकहर कजपतरसहसरत सकयह सफर नव नहथ तज सशव पगततर हभै त पहरद जज सशव वदीयर हभै त तज सशव तत्व कज कभै ससेभगलह सकतसे हभै त . जदीवन मसेत नव गतरहजत सथहपन कसे महत्त्व कज कभै ससे टहल सकतसे हभै त पर इनकसेसहथ नवगतरहजत कदी महतह मगन्थह कह सथहपन कज कभै ससे भतल सकतसे हभै त , इन नव गतरहजत कदी कदी कग पहसहधक कज समलसे हदी पहरद कसे महध्यम ससे.यह भदी एक असनवहयर अतग हभै त .

न कसे बल अष्ट लक्ष्मदी बसल्क इनमसेत ससे पतरत्यसेक लक्ष्मदी कसे १०८ सवरूपजत कह भदी सथहपन इस गजलकमसेत सकयह जहनह चहसहयसे सजस ससे यह पहरद गजलक वहसतव मसेत हदी सहधक कसे सलए सयौभहगय कसे रहसतसेखजल दसे. वहरहहदी दसेवदी सथहपन कह तज यह गजलक सतम्भन कसे सलए भदी सहधक कसेसलय उपयजसगत हज सकसे पर सतम्भन कह क्यजत कदी सहधक सकसदी भदी पतरकहर कसे ततततर वहधह ससेमगक्त रह सकसे तब इसदी महह शसक्त कदीसथहपन असनवहयर हभै त हदी .जब पहरद व्यसक्त कज कहलहतदीतकर सकनसे कदी कमतह दसेतह हभै त तब भगवहनत महहकहल कह सथहपन तज इस गजलक मभै त हदी हजनह हदी हभै तअन्यथह कभै ससे कग छ भदी उपलसब्धयह सथहयदी रह पहयसेगदी. महहकहल कह सथहपन तज करसलयह पर कहल कदी असधसठहथदीर महअँ महहकहलदी, कसे सदव्यतम सवरुप महअँ दसकर कहलदी , महअँकहम कलहकहलदी , गगह्य कहलदी , ससदतसधपतरदह कहलदी कसे सवरुप कज तज भतलह कभै ससे जह सकतह हभै त इनसभदी महअँ जगदम्बह कसे सवरुप कदी सथहपन अगर ऐससे महह शसक्त पदीठ जज सहकहतत महअँ परहम्बह कहसथहन हभै त ,

पर यह सहरदी सकत रयहए तज महह शसक्त पदीठ कहमहख्यह पदीठ पर हदी हज सकतदी हभै त . अब यहसहरदी सकत रयहए सहधक कज ***** सवयत ****** हदी करनदी पडसेगदी . पर यह कभै ससे सतभव हभै त .??क्यजतसक इस कह ज्ञहन तज सहधक कज हजगह कभै ससे ..??? सफर वहहत ससथत हर पदीठ परजहकर सवयत *** एक दस तत्व यगक्त दशमहहसवदह मतततर कह जप .**** अब यह तजलगभग असम्भहव्य सदी ससथतदी बन गयदी हभै त .

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सदगगरुदसेव जदी कसे आत्म सवरुप सन्यहशदी सशष्य और सशष्यहओ नसे हमहरदी इस दगसवधह कजदतर कर अब सवयत यह पतरसकत रयह हमहरसे सलए करकसे यह सदव्य गगसटकह हमसेत उपलब्ध करहनसेतभैयहर हज गए हभै त .... कदी कजई भदी सजनकसे मन मसेत थह पर वह उस सवसशष्ट पहरदकहमहख्यह कहयरशहलह मसेत भहग नहदी लसे पहए . पर अब सजसकसे भदी मन मसेत हज यह पतरहपत करसकतह हभै त ... अब इसससे बडह सयौभहगय और क्यह .... और वह भदी घर बभैठसे ...

जब सबतदग उदतभव रसेतस गगसटकह हभै त तज अब हमसेत इस पहरद अरग ससदतसध गजलक कदी आवश्यकतह हदीक्यजत ??

हर गगसटकह कह अपनह एक अथर हभै त . सबतदग रसेतस गगसटकह ........एकसम्पतरर जदीवन पसरवतरन कसे सलए हभै त ....सम्पतरर चकत र जहगरर कसे सलए हभै त ........अन्ततः ससथत.बतरम्हहतड ततततर ससे सदीधसे सहधक कसे बहह्य बतरम्हहतड ततततर ससे सतपकर कसे सलए हभै त...........अपनसे सव तत्व कज जहननसे कसे सलए .......आत्मसहत करनसे कसे सलए हभै त ..हरसहधनह मसेत पतररसफलतह और ठजस सफलतह पतरहपत हज उसकसे सलए एक ठजस आधहर बनहनसे कसे सलए हभै त...और यह कजई चमत्कहर वहलदी गगसटकह नहदी हभै त , यह पतरसे जदीवन भर चलनसे वहलदी.... सबतदगसहधनह कसे सलए हभै त ..क्यजतसक जज समगतर पसरवतरन कर दसे ......वह एक सदन कदी पतरसकत रयह तजहजगदी हदी नहदी .

.सबतदग गगसटकह ससे सहधक षटतकमर पतरयजग नहदी कर सकतह हभै त .सबतदग गगसटकह शमशहन सहधनह मसेतकहम नहदी आ सकतदी हभै त . वभैतहल सहधनह ,भगवहन दतहततरसे यपतरत्यकदीकरर सहधनह, लक्ष्मदी कसे अनसेकज रूपजत कज अपनसे यहहअँ सथहपन करनसे मसेत कहम नहदी आसकतदी हभै त . सतयर सवज्ञहनत .कर सवज्ञहनत ..कहल सवज्ञहनत ..और .अन्यसवज्ञहनजत मसेत इसकह सदीधह कजई हसतकसेप नहदी हभै त ..पर सफर अथर क्यह हगआ ...??

सकतनदी भदी बडदी उपलसब्ध पतरहपत हज .पर उसकसे सलए एक पहततरतह .....एक यजगयतह ..एकठजस आधहर .. समसत अन्ततः शरदीर कह शगदतसधकरर ..शरदीरसथ समसत चकत रजत कह जहगरर ...समसत महनससक..आध्यहसत्मक शसक्तयजत कह हममसे उदय हजनह जरुरदी हभै त ..अन्यथह .इनउपलसब्धयजत कज पहनह नह कसे बल कसठन बसल्क बहगत हदी शतरम सहध्य हभै त ..

पर सजन्हसेत जदीवन हर पल अपनदी हदी शतजर्यों पर जदीनह हज ....उच्चतह कदी ओर अगतरसर करनह हज.. पतरसतकत ल पसरसथसतयजत कज भदी अपनसे अनगकत ल बनह दसेनह हज ...समहज और और रहज्यमसेत सम्महन पहनह हज ..

और सबससे महत्वपतरर तथ्य ..अगर हम ततततर सहधक हभै त तज न कसे बल हम सगडसगडहयसे ..बसल्क जहहअँ भदी कजई भदी असहहय हज .. सनबरल हज ..असमथर हज . दगखदी हज....भगन हतरदय हज ..उससे अपनसे सहधनह बल ससे पगनतः .जदीवन यगक्तकर दसे ..

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यहदी तज सदगगरुदसेव कह सपनह रहह हभै त . जज वभैसदक ऋसषयजत कह उदतघजष रहह हभै तकदी “वसगधभैव कग टग म्बकम “ कसे आधहर पर हम ठजस आधहर बनसे अपनसे समहज कह..दसेश कह और पगनतः सतसकग सत कज ऊपर लसे जहए ....

और अब अतत मसेत इस पहरद गगसटकह कसे बहरसे मसेत ..

कदी ..” हसर अनतत ..और हसर कथह अनततह ..”

और सजसकसे भहगय हज जज यह गगसटकह पतरहपत करसे ..

उसकसे सलए ..

“सहधज यहदी घडदी यहदी बसेलह .......”

******NPRU*******

************************************************************************************************************************************************************** A Very Rare and Miraculous Parad Golak धमहरथर मगपभजगहनहम नष्ट रहज्य सववहधहरयसे | आयगयजरवतलहभहथर मगक्तयसेथर च मगमगकगरहम || Dharmarth Mupbhoganam Nasht Rajya Vivadharye | Aayuyaryovamlabharthe Muktyerth Ch Mumukshunaam ||This Vidya ( *****Parad Tantra Vigyanam****) helps public toattain Dharma, Arth and Kaam , kings to attain lost statesand helps state to prosper, provides long life and youngnessto householders and provides salvation to saints.Those who know Parad Tantra are very few in number and if thereare, they are in far off mountains where it is really impossible forcommon public to approach them and those who are among us, it iseven more cumbersome to understand them .However, those whoare among us , they always reveal the facts that……Ras Scriptures mentions about nearly 60000 gutikas and golaks butthey are silent on the process of making them and the benefits ofthem. This field is full of amazing secrets…. रजगपतकहसब्धमगनहनह..पहरदहनहच्च पहरदतः ||

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RogPankabdhimgraana….paaradanaachh paradah ||What can free human beings from sea of diseases; this is onlypossible by Parad Tantra Science. Which disease we are talkingabout? Actually, here all the diseases whether spiritual, physical,mental or materialistic are included. सकल पदहरथ हभै त जग महहदी भहगयहदीन नर कछग पहवत नहहदी “ Sakal Padarthhain Jag Maahi ,Bhagyaheen Nar Kuchu Paavat NaahiUp till what time, we can afford crying over our misfortuneor the fate which has slept like python( a type of snake) .It has to end somewhere. Atleast after being Tantrasadhaks and disciples of Sadgurudev; it does not suit ussitting idle.So how is it possible, to win over all the unfavourablecircumstances in life………..is it possible?Why not? And this is precisely where Ras Shastra comesinto picture and also it’s utility.Ras Shastra is very higher order knowledge and science initself .However, it was forgotten for quite some time in thepast. But new rays of light and hope have emerged withfull intensity and brightness and is introducing us to thishigh level Tantra Science.Any science ,how higher-order it may be of , if it does nothave any utility in our daily life then what is the meaningof it?It does not apply to Parad Tantra Science.Instead, it puts the idea conveyed by following sloka infront of us …. “भजगसथ मजकसथ करसथ एव च “. “BhogasthMokshasthKarasthevch “In this series:

When problems are troubling us in our life, which gutika we shouldtake help of?

When we are unable to make up mind to start highly effort-consuming and difficult sadhnas then?

When our family is facing the problem of poverty and conflicts eachand every day?

Should we do Aavahan of Sadgurudev for every minute problem andleave everything on him? ...Is it fair on our part to do so?

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Should we use directly the highly Divine Mahamantra GuruMantrafor each and every problem? Will it be right?

Rather than using Shatkarmas(6 procedures of tantra) likeVashikaran, Ucchatan, we develop a feeling of apprehensiontowards them…..is it correct?

Why should not we make knowledge of Sadgurudev as our base andbecome self-dependent and great sadhaks and put some stridesforward on Rajmarg of Shishyta.

Vaital Sadhna, Bhagwan Daitetrya Pratyaksh Sadhna,Dhan AagmanSadhna …..and similar 1008 sadhnas can be done onit……….information about that gutika

The Gutika which is highly essential for learning SuryaVigyanam….,Parad Vigyanam….,Kaal Vigyanam …….., SthanVigyanam………,Vayu Vigyanam……….,and other science. It isvirtually impossible to highlight the Importance of such divinegutika.

Not only for self-defence in Shamshaan sadhnas, but also forcomplete success in every shamshaan sadhna.

To make our whole life disease-free Which is capable of providing success in every sadhna. Which is capable of transforming our failure into success This takes our life to higher pedestal, towards perfection and

guides us to our aim very quickly.

As the name says “Parad Swarn Anu Siddh Golak”, why only thisname was given……

Every name or word carries a special meaning in TantraScience…………. What does word Anu (Atom) signifies? The smallestunit of the material by which material transformation can be donebut how material transformation is possible? For this,MaharishiKanaad has created a special scripture which is famous bythe name “Kanadopnashid”……………..For this atomic science, onename that comes into our mind,that is **Surya Vigyanam**and inthis science “Siddhashram Surya Lens”…………and getting this lenshas been the dream of everyone……it has got an important place inSurya Vigyan. What is this lens all about? It is a very special lenswhereby using various angles, atoms can be combined or splitedand as a result, material transformation takes place. Onlythis……………..this Surya Vigyan is capable of giving a new life………However, it is very cumbersome to get this Siddhashram Surya Lens.

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Adding pure metal Gold in Parad….!!! That too using Shastraprinciples……. This is not a big task because there , we are talkingabout only metal but here we are talking about element which iscapable of giving rebirth to the whole world…….It is dream even forsiddhs of this path to make this possible.

And then “Anu Siddhi”……..this has remained a dream even forMahayogis because what is this entire world?.....Only the differentcombination of atoms….if one gets accomplishment in it……..thenwhat is left…..!!!

Chanting special mantras in front of this Golak makes ittransparent….Parad and transparent…!!!! This is not possible atall??..but this is true. Sadgurudev has explained this fact muchearlier and has said multiple times that quality of Parad have nolimits and the one who does not takes it’s assistance, he /she iswasting both his/her time and power. We can see the results bydoing it ourselves if we have the qualities of shishya and if we havetrust in the words of Sadgurudev…………

Shamshaan Sadhna:::: is the the boon for a person’s life, but is itthat much easy???. Here the procedures are both easy and difficultbut even any slightest of mistake is not forgiven. Even a minutemistake can prove to be disastrous. However Chanting one specialmantra on this gutika not only provides complete security inshamshaan procedures but also provides success in theseprocedures and higher-order sadhnas.

Bindu Sodhan Procedure::Parad is Shiva’s bindu and our sperm is our bindu. Now we havepurified the sperm of lord Shiva but when our sperm isimpurethenhow can we do higher order sadhnas??It will be likepouring pure things in an impure container. Who will accept this factthat his bindu has not been purified yet. However, as long as one’sbindu is not pure then how can he/she be considered competentenough for higher level procedures? But the amazing procedure forBindu Sodhan (purifying the sperm) is not even mentioned inshastras……..But this is possible with the help of special processdone on Parad Gutika/Golak. This process is so simple that Sadhakwill find it hard to believe it……However when bindu is purified thenface of that person glows, he develops an aura.

And when Bindu starts purifying…..then we move towards ShivaElement…….which is in reality Sadgurudev element …………….we areone more step closer….. And any step…any sadhna which takes us

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towards lotus feet of Sadgurudev……..will it not be higher orderGuru Sadhna…???

In Shatkarma Sadhna::depending on Sadgurudev even for minutethings…putting full burden on him……………this is not fair for anyShishya , nor it is in accordance with the moral principles. IfSadgurudev had wished like this, then why would he havegivenmore than 1 lakh sadhnas and mantras? Sadgurudev hasclearly said in Dhoomavati sadhna that Why to go to Guru…whenGuru has given you the procedure. Guru will accomplish theworkonly by going to particular deva then why don’t you go to thatdeva directly……………..then what is left for us to say….

Husband/Wife does not listen to each other…….no respect insociety/office………seeing with helplessness getting child deprived ofmoral values……..cursing your fate even after seeing a capable lifepartner………..running after the tantriks for your tasks…………livingwith diseases……compromising with enemies and lifeat everymoment… losing in life at every place……suffering despite of beingcapable….

Why not by help of shatkarmas…….a simple procedure which ispossible through this golak can transform the direction of our life inhigher direction.

Sadgurudev has always considered the unnecessary ego to bewrong but he has always praised the self-pride.

Why are we scared to utilize knowledge given by our father …

So beggar-like……powerless….helpless…..he has not made us like it….we have chosen this path.

He has shown the path of prosperity .But we chose compromise…

He said that do not make compromise with circumstance. My bloodis running in your veins, you should keep this thing in mind…….Move forward……You will be successful…

But we kept aside the weapon of sadhna and started singing absoup diya is jeevan ka Bhaar…..

How this Rare Gutika is Created??

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You all are aware of some process which can be done on this gutikaor Golak and this Gutika/Golak is made from Parad of more than 8sanskars.But why this sanskarsevery time??

Because Ras Tantra Shastra says “सतसकहरज हदी गगरहन्तरहधहनहम” “Sanskaroo hi Gunantaradhanam” Only with the help of sanskars, infinite qualities of Parad can beamplified.But is it necessary to follow the rules of Shastras?For this “GorakshSanhita” clarifies and directs also“ न शहसततर रसहतत सकत सचत कमर चहससतसत कग ततर सचत ||“Na Shastra Rahitam Kinchit Karm Chastiti Kutra Chit ||How can we get success without following the rules given inShastrasThis Golak, combined with divine sanskars of Parad is divine initself. If it is prepared after giving swarna graas and rajat graas andcombining it with divine herbs then what really is left?It takes 6 hours per day for 16 days for this process…..4 hours in theday and 2 hours in night for preparing this Golak, these are therules of shastras. Then the person by whose name this rare golak ismade ……energising it personally by name of that sadhak, it’sabhisinchitikaran and doing special procedures on it finallycompletes the preliminary step. But after this, sadhak has todo Sadgurudev’s complete poojan, Swarnakarshan BhairavSthapan (which is base for parad sadhna), not only the nath butNavNath and lord Daitetrya sthapan process on its own on thisgutika……Because Adi Guru of Nath School only popularised theparad sanskars. Then Nav nath are sons of lord Shiva and parad isthe sperm of Lord Shiva so how we can forget Shivaelement. Howcan we ignore the importance of Nav Grah Sthapan? To add to thathow we can forget the sthapan of mother of nine planetsMuntha.Getting the blessing of these nine planets with the help ofparad, is also an essential element.Not only Ashta Lakshmi ( 8 forms of Lakshmi) but sthapan of 1o8forms of each Lakshmi should be done on this golak whereby thisparad golak can open the doors of bright fortune for thesadhak.Vaarahi Devi Sthapan in golak is necessary so that sadhakcan utilize it for stambhan purpose. But why stambhan only?Because to get rid of tantra badha,sthapan of this Maha Shakti isnecessary. When parad can give person the ability to trespass timethen sthapan of Lord Mahakaal is bound to happen in this golakotherwise how our achievements will remain stable. So we havedone the sthapan of Lord Mahakaal, but how we can forget the

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divine form of supreme deity of time Maa Mahakaali, Maa KaamkalaKali, Guhakali, and Siddhipradakali. Sthapan of all these forms ofMaa Jagdamba should be done on Maha Shakti Peeth which is theplace of Maa Paramba.But all these procedures can be done only on Mahashakti peethKamakhya Peeth. Now all these procedures have to be done bysadhak himself. How is it possible.?? How sadhak will haveknowledge about this…??? Then chanting *****ten elementscombined Ten Mahvidya mantra**** on every peeth establishedthere, now it has virtually become impossible.Sanyasi disciples of Sadgurudevji have agreed to make us availablethis divine gutika by doing these processes for us and have put anend to our doubts. Those who were not able to participate in specialparad Kamakhya workshop, but those who are willing to get it , theycan get it………….what good fortune it can be……….that too whilesitting at home.When there is Bindu UddhavRetas Gutika, then why do we needParad Anu siddhi Golak at all?Every gutika has its own meaning. Bindu Retas Gutika…………….it isfor complete life transformation………for complete chakrajagran………………for connecting inner universe of sadhak with theouter one……………for knowing self-element………..completelyimbibing it…………for making the concrete base for getting successin each sadhna……and this is not a miracle-providing gutika…Ratherit is gutika for life-long Bindu Sadhna….. Because the process whichtransforms as a whole…………….will not be a one day process.By this Bindu Gutika, Sadhak can’t do Shatkarma process. It can’tbe used in Shamshaan sadhna. Vaital Sadhna, Lord DaitetryaPratyakshikaran sadhna, Sthapan of various forms of Lakshmi can’tbe done by it.It does not have any direct intervention in SuryaVigyanam, Kaal Vigyanam, Kshan Vigyanam and other sciences……….Then what does it mean?How much higher might be the accomplishment, but for itsuitability…..ability ….strong base…..purifying of entire innerbody…….Jagran of entire chakras in body……awakening of entiremental and spiritual power is essential. Otherwise getting theseaccomplishments is not only difficult but also very effort-consuming…..But those we want to live life on their own terms and conditions…..Who want to move towards higher plane……who want to makeunfavourable situations favourable……..who wants to earn respectin society and state.And the most important fact is that If we are tantra sadhak, thenwhy should we bow down? Infact we should impart new life to thosewho are helpless…..powerless….incapable by our sadhna power.

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This has only been the dream of Sadgurudev, which has been thevoice of our Vedic saints that based on the feeling of “VasudevKatumbakam” we become concrete base for our society, our countryand bring our culture up again.And in the last about this Parad GutikaKi “Hari anant aur Hari Katha Ananta”And who are lucky, get this gutika…For them…This is the time…………


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