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समसामयिकी - WordPress.com6 MARCH/2017/0003 ©Vision IAS न वत अयोग...

Date post: 26-Apr-2020
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1 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS VISIONIAS www.visionias.in समसामयिकी माच 2017 Copyright © by Vision IAS All rights are reserved. No part of this document may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without prior permission of Vision IAS.
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  • 1 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    VISIONIAS www.visionias.in

    समसामयिकी मार्च – 2017

    Copyright © by Vision IAS

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  • 2 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    विषय सूची

    1. राजव्यिस्था और संविधान .............................................. 5

    1.1. ऄंतरााज्यीय नदी जल वििाद (संशोधन) विधेयक, 2017 .. 5

    1.2. वसविल सोसाआटी संगठनों के साथ नीवत अयोग की

    भागीदारी .................................................................... 5

    1.3. मृत्युदडं में ‘वमटटगेटटग सका म्सस्टैन्सज़’ ............................ 6

    1.4. कमाचारी मुअिजा संशोधन विधेयक ............................ 6

    1.5. न्यायलावलका ......................................................... 7

    1.5.1. न्यावयक लारदर्शशता .......................................... 7

    1.5.2. टिब्यूनल्स द्वारा न्यावयक ऄवतक्रमण (जूवडवशयल

    ओिररीच) ................................................................ 7

    1.5.3. न्यावयक विलंब ................................................ 8

    1.6. संलवि कर की समावि .............................................. 8

    1.7. चुनाि सुधार .......................................................... 9

    1.7.1. दोषवसद्ध विवध वनमााताओं (विधावयका सदस्यों) लर

    अजीिन प्रवतबन्ध ...................................................... 9

    1.7.2. बहु चरणीय चुनाि ......................................... 10

    1.7.3 ज्योवतष लर चनुाि अयोग................................ 11

    1.8 अधार ................................................................. 11

    2. ऄंतरााष्ट्रीय/भारत एिं विश्व ............................................ 14

    2.1 भारत-चीन ........................................................... 14

    2.1.1. दलाइ लामा का ऄरुणाचल प्रदशे दौरा ................. 14

    2.1.2. भारत-चीन सीमा वििाद ................................. 14

    2.2. भारत-ऄफगावनस्तान ............................................. 16

    2.3 भारत-श्रीलंका ....................................................... 16

    2.4. भारत-ऄमरीका .................................................... 17

    2.4.1. उजाा सहयोग................................................. 17

    2.4.2. जेनेटरक दिाओं का मदु्दा ................................... 18

    2.5. भारत- म्सयांमार .................................................... 18

    2.6 वद्वलक्षीय सैन्य ऄभ्यास ............................................ 18

    2.7 आंवडयन ओशन टरम एसोवसएशन ............................... 19

    2.8. वबम्ससटेक ............................................................ 20

    2.9 िल्डा िेड ऑगेनाआजेशन ........................................... 21

    2.10. स्थायी ससधु अयोग ............................................. 21

    2.11. दवक्षण एवशयाइ के्षत्रीय सहयोग संगठन (साका ) ........... 22

    2.12. ITI-DKD-Y कॉटरडोर ......................................... 22

    2.13. विश्व खाद्य कायाक्रम (WFP) ................................. 23

    2.14. साईथ एवशया सब रीजनल आकॉनोवमक कोऑलरेशन ... 23

    2.15. ऄंतरााष्ट्रीय उजाा एजेंसी ........................................ 23

    2.16. TIR कन्िेंशन ..................................................... 24

    2.17. कमीशन ऑन द वलवमट्स ऑफ़ द कॉवन्टनेंटल शेल्फ़

    (CLCS) ................................................................... 25

    3. ऄथाव्यस्था ................................................................. 27

    3.1 इ-िॉलेट फमों के वलए सुरक्षा वनयमों का मसौदा............ 27

    3.2 स्कूल के वलए बीमा साक्षरता कायाक्रम ......................... 27

    3.3 लोक सभा ने विि विधेयक 2017 लाटरत ककया ............ 28

    3.4 अठ ऄवधकरणों की समावि ...................................... 29

    3.5 ग्लोबल एनजी अर्ककटेक्चर लरफॉरमेंस आंडके्स टरलोटा ..... 30

    3.6 अधार ल े............................................................. 30

    3.7. फ्री के्रवडट टरलोटा ................................................... 31

    3.8. भारत में श्रम शवि में मवहलाओं की भागीदारी वस्थर .... 32

    3.9. ककसान ईत्लादक संगठन (FPOs) ............................. 32

    3.10. भारत के हाआड्रोकाबान ईद्योग में बाधाएं: .................. 34

    3.11. नीली क्रांवत ....................................................... 35

    3.12. कृवष ईत्लादों में व्यालार- िेयरहाईस टरसीट्स ........... 36

    3.13. जल विकास मागा लटरयोजना ................................. 37

    4. सुरक्षा ....................................................................... 38

    4.1. वनगरानी लोत ...................................................... 38

    4.2. रक्षा क्षेत्र अिंटन: एक ईलेवक्षत क्षेत्र ........................... 38

    4.2.1. रक्षा बजट 2017-18 लर रक्षा संबंधी स्थायी

    संसदीय सवमवत की टरलोटा .......................................... 38

  • 3 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    4.3. कलिरी श्रेणी की लनडुब्बी ...................................... 39

    4.4. स्िावत - िेलन लोकेटटग रडार .................................. 40

    4.5. एडवमरैवलटी विधेयक ............................................. 40

    5. लयाािरण ................................................................... 41

    5.1 लयाािरण सबंंधी मजंूरी (EC) का ईल्लंघन .................. 41

    5.2 टू वलट सोल्यूशन .................................................... 41

    5.3 गंगा और यमुना को जीवित व्यवि का दजाा .................. 42

    5.4 न्युिीनो प्रोजके्ट को प्राि ग्रीन NOD स्थवगत ................ 43

    5.5. दारोजी स्लॉथ बीयर ऄभ्यारण्य ............................... 44

    5.6 बारहससगा का संरक्षण ........................................... 44

    5.7 विश्व का सिाावधक लिणीय प्राकृवतक तालाब ................ 44

    5.8.कदव्य नयन ........................................................... 45

    5.9. भूजल दोहन ........................................................ 45

    5.10. एक्ससे एंड बेवनकफट शेयटरग एप्लीकेशन्स की ऑनलाआन

    फाआसलग ....................................................................... 46

    5.11. गैर-प्रदषूणकारी औद्योवगक लटरयोजनाओं की मजंूरी के

    वलए वनयमों को सरल बनाना ......................................... 46

    5.12. शैिाल प्रस्फुटन ................................................... 47

    5.13. ध्िवन प्रदषूण लर WHO टरलोटा .............................. 47

    5.14. गौरैया सरंक्षण ................................................... 48

    5.15 जल प्रशासन में सुधार ........................................... 49

    5.16 WWF द्वारा की जाएगी गगंा डॉवल्फन की गणना ........ 51

    5.17 ऄथा ऑिर/ प्रकाश प्रदषूण ...................................... 52

    5.18. नेशनल लाजा सोलर टेवलस्कोल ............................... 53

    5.19. बायो-डीजल वनकाय द्वारा बायो-डीजल लर कर की दर

    को कम करने की मांग ................................................... 54

    5.20 गंगा की सफाइ .................................................... 54

    5.21. रोलड़ में ऄलेक्षाकृत कम प्रिासी जल लक्षी दखेे गए ...... 57

    5.22. तटीय विवनयमन क्षेत्र में मंजरूी प्राि करने हतेु िेबसाआट58

    5.23. लविमी घाट का सरंक्षण ....................................... 58

    5.24. भारत ईत्सजान मानक .......................................... 59

    6. विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी ................................................. 62

    6.1. स्लेस-X ने ऄलना लहला लनुचाक्रीय रॉकेट प्रक्षेवलत ककया 62

    6.2. वसवलकॉन बेस्ड लॉवलमर स ेवनर्शमत नमनीय दसूरी त्िचा

    (Elastic Second Skin)............................................. 62

    6.3. लाइ-फाइ (Light Fidelity) .................................... 62

    6.4. VPM1002 / टीबी िैक्सीन .................................... 63

    6.5. इ-िेस्ट (E-Waste) के टरसाआकसलग के वलए IISc

    शोधकतााओं का इको-फ्रें डली तरीका: ................................. 63

    6.6.हाइ नाआिोजन स्टील .............................................. 64

    6.7 टेलीस्कोल ग्रेप्स-3 को सोलर स्टॉमा का लता लगाने हतेु

    ऄलग्रेड ककया गया ........................................................ 64

    6.8 लाचं नए सब-एटोवमक कण ...................................... 65

    6.9. फसल संरक्षण: फायटरग से िृवि की रोकथाम ............... 66

    6.10 FOVEA ........................................................... 66

    6.11 कोल्ड एटम लैबोरेटरी ........................................... 67

    6.12. प्रीकसार मोवलक्युल्स ............................................ 67

    6.13. िेड माका वनयम .................................................. 68

    6.14 हाआलरलूल प्रौद्योवगकी........................................... 69

    6.15 आसरो प्रोजेक्ट्स का िावणज्यीकरण ........................... 69

    6.16. यूरोला क्लीलर वमशन .......................................... 70

    6.17. ग्रेबॉल .............................................................. 70

    6.18. लेटेंट ड्रग के सामान्य संस्करणों का वनयाात ................. 71

    6.19. डले्टारेिोिायरस ................................................. 71

    7. सामावजक ................................................................. 72

    7.1. मातृत्ि लाभ संशोधन विधेयक, 2016 ....................... 72

    7.2. मानवसक स्िास् ् य दखेभाल विधेयक .......................... 72

    7.3. भारतीय वचककत्सा और होम्सयोलैथी फामेसी केन्रीय

    लटरषद विधेयक, 2016 मसौदा ....................................... 73

    7.4. मेवडकल टर्शमनेशन ऑफ प्रगे्नेंसी (संशोधन) विधेयक,

    2014 ....................................................................... 74

  • 4 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    7.5. सामुदावयक रेवडयो ................................................ 75

    7.6. भारत में िृद्धजन - ईभरती चनुौवतया ं........................ 76

    7.7. ‘भारत में रोजगार’ लर OECD की टरलोटा .................. 77

    7.8. विजन जीरो काफं्रें स: व्यािसावयक, सुरक्षा और स्िास््य .. 78

    7.9. मानि विकास टरलोटा 2016 .................................... 78

    7.10. मादक लदाथों की लत .......................................... 80

    7.11. तलेकदक ईन्मूलन के वलए राष्ट्रीय रणनीवतक योजना

    2017-2025 .............................................................. 82

    7.12. प्रिास लर लाथा मुखोलाध्याय की ऄध्यक्षता में काया

    समूह ......................................................................... 84

    8. संस् कृवत ..................................................................... 85

    8.1. वसदी लरम्सलरा ...................................................... 85

    8.2. ऄसम की प्राचीन स् याही (माही) ............................... 85

    8.3. संकरम को UNESCO के विश्व विरासत स् थल में

    सवम्समवलत ककया गया .................................................... 85

    8.4. UNESCO एवशया-प्रशांत विरासत लुरस्कार 2016 ..... 86

    8.5. विमेंस आंवडयन एसोवसएशन..................................... 86

    8.6. रूसी क्रांवत .......................................................... 87

    9. नैवतकता ................................................................... 89

    9.1. कृवत्रम बुवद्ध (अर्टटकफवशयल आंटेवलजेंस) के नैवतक मदु्द े.... 89

    10. सुर्शियों में ............................................................... 91

    10.1. िल्डा हपै्लीनसे टरलोटा 2017 .................................. 91

    10.2. भारत की सबसे लबंी सड़क सुरंग ............................ 91

    10.3. नेशनल फाईंडशेन फॉर कॉलोरेट गिनेन्स .................. 91

    10.4. FRA के तहत ऄवधकार ........................................ 92

    10.5. नइ Wi-Fi व्यिस्था से तीव्र कनेवक्टविटी .................. 92

    10.6. अदशा स्टेशन योजना ........................................... 92

    10.7. शाहलरु कंडी बांध ............................................... 93

    10.8. ICEGOV 2017 ............................................... 93

    10.9. IRENA ........................................................... 93

    10.10. जलयुि वशविर योजना ...................................... 93

    10.11. नये ड्रोन से होगी बाघों की वनगरानी ..................... 94

    10.12. भारतीय कोयला खदानों का श्रेणीकरण .................. 94

  • 5 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    1. राजव्यिस्था और संविधान

    (POLITY AND CONSTITUTION)

    1.1. ऄतंरााज्यीय नदी जल वििाद (सशंोधन) विधयेक, 2017

    (Inter-State River Water Disputes (Amendment) Bill, 2017)

    सरु्शियों में क्यों?

    कें रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री ने ऄंतरााज्यीय नदी जल वििाद (संशोधन) विधेयक, 2017 को लोक सभा में

    प्रस्तुत ककया।

    आस विधेयक में ऄंतरााज्यीय नदी जल वििादों के ऄवधवनणायन को सुव्यिवस्थत करने और ितामान कानूनी एिं संस्थागत ढांचे को मजबूत

    बनाने का प्रस्ताि ककया गया ह।ै

    अिश्यकता: ितामान में ऐसे वििादों को हल करने के वलए कानूनी ढांचे के रूल में ऄंतरााज्यीय जल वििाद ऄवधवनयम, 1956 का प्रािधान ह।ै

    यद्यवल आस ऄवधवनयम में ऄनेक कवमयााँ हैं:

    आस ऄवधवनयम के तहत प्रत्येक ऄंतरााज्यीय नदी जल वििाद के वलए ऄलग टिब्यनूल स्थावलत ककया जाता ह।ै

    ऄब तक गटठत अठ में स ेकेिल तीन टिब्यनूल ने ऐसे फैसले कदए हैं जो राज्यों को स्िीकाया हैं। कािेरी और रािी-ब्यास जैसे टिब्यूनल वबना

    कोइ फैसला कदए क्रमशः 26 एिं 30 िषों से ऄवस्तत्ि में हैं।

    टिब्यूनल द्वारा वनणाय लेने के वलए कोइ समय सीमा वनधााटरत नहीं होने तथा ऄध्यक्ष या सदस्यों के वलए कोइ उलरी अयु सीमा वनधााटरत

    नहीं होने के कारण विलम्सब होता हैI साथ ही ककसी टरवि की वस्थवत में तथा टिब्यूनल की टरलोटा के प्रकाशन के वलए कोइ समय सीमा

    वनधााटरत न होने के कारण भी ऄवधवनणायन में विलम्सब होता ह।ै

    विधयेक में ककए गए प्रािधान

    वििाद समाधान सवमवत (Dispute Resolution Committee: DRC)

    यह विधेयक आस तरह के वििाद को टिब्यूनल के समक्ष भेजे जाने से लहले कें र सरकार द्वारा सम्सबंवधत विशेषज्ञों से गटठत DRC के माध्यम

    से सौहादालूणा समझौते द्वारा सुलझाने का प्रस्ताि करता है।

    यह सवमवत एक िषा की ऄिवध के भीतर वििाद को सुलझाने का प्रयास करेगी, आस समय सीमा को 6 महीने की ऄिवध तक बढाया जा

    सकता ह।ै

    ऐसे समझौतों की विफलता के मामले में, वििाद को टिब्यूनल के लास भेजा जाएगा।

    ससगल टिब्यनूल (Single Tribunal)

    विधेयक मौजूदा कइ टिब्यूनल के स्थान लर एकल स्थायी टिब्यूनल (कइ बेंच के साथ) का प्रस्ताि करता ह।ै

    टिब्यूनल में एक ऄध्यक्ष, एक ईलाध्यक्ष और छह से ऄनवधक ऄन्य सदस्य सवम्समवलत होंगे।

    ऄध्यक्ष लद का कायाकाल लांच िषा या 70 िषा, जो भी लहले हो, जबकक ईलाध्यक्ष और टिब्यूनल के ऄन्य सदस्यों का कायाकाल जल वििाद

    के वनणाय के साथ समाि होगा।

    समयसीमा : टिब्यूनल को साढे चार िषा में वििाद का ऄवधवनणायन करना होगा।

    टिब्यूनल का वनणाय ऄंवतम और बाध्यकारी होगा।

    डेटा सगं्रहण:

    विधेयक प्रत्येक नदी बेवसन के वलए राष्ट्रीय स्तर लर एक लारदशी डेटा संग्रहण प्रणाली का प्रािधान करता ह।ै

    आस ईद्देश्य के वलए, डेटा बैंक और सूचना प्रणाली को बनाए रखने हतेु कें र सरकार द्वारा एक एजेंसी को गटठत या प्रावधकृत ककया जायेगा।

    तकनीकी सहायता: विधेयक टिब्यूनल को तकनीकी सहायता प्रदान करने के वलए मूल्यांकनकतााओं (Assessors) की वनयुवि का प्रािधान

    करता है। ये सेंिल िाटर आंजीवनयटरग सर्शिस में सेिारत विशेषज्ञों के बीच से वनयुि ककए जाएंगे।

    1.2. वसविल सोसाआटी सगंठनों के साथ नीवत अयोग की भागीदारी

    (Niti Ayog To Partner With Civil Society Organisations)

    सरु्शियों में क्यों?

    सामावजक क्षेत्र की लहलों को लागू करने में वसविल सोसाआटी अगेनाइजेशन (CIVIL SOCIETY ORGANISATIONS: CSOs) की भूवमका

    के अलोक में नीवत अयोग ने CSOs और कइ मंत्रालयों के बीच भागीदारी को लेकर एक कायाक्रम का अयोजन ककया।

  • 6 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    नीवत अयोग के दवृिकोण से यह कदम महत्िलूणा ह ैक्योंकक राज्य सरकारें सामावजक क्षेत्र में विवभन्न केन्र प्रायोवजत योजनाओं को लागू

    करने के वलए लयााि कदम नहीं ईठा रही हैं।

    CSOs की भागीदारी का प्रभाि

    सामावजक क्षेत्र में सरकारी संसाधनों का कुशल ईलयोग।

    विवभन्न समस्याओं जैसे कक गरीबी, भूख और िंचना के ऄन्य सभी प्रकारों को दरू करने के वलए ऐसे ऄवभनि समाधान खोजना संभि होगा

    जो सभी नागटरकों के जीिन लर स्थायी प्रभाि डाल सकते हैं।

    सरकार के सभी स्तरों (राष्ट्रीय, राज्य/वजला और जमीनी स्तर) के साथ CSOs की साझेदारी के माध्यम से बड़ी सरकारी योजनाओं के सिेा

    वितरण में सुधार होगा।

    ऄंवतम सबद ुतक समािशेी सिंवृद्ध और विकास सुवनवित होगा।

    1.3. मतृ्यदुडं में ‘वमटटगटेटग सका म्सस्टैन्सज़’

    (‘Mitigating Circumstances’ In Death Penalty)

    सरु्शियों में क्यों?

    सुप्रीम कोटा ने 16 कदसंबर, 2012 के सामूवहक बलात्कार मामले में यह कहते हुए संबंवधत सबूत मांगे कक ऄवभयुिों को मौत की सजा दनेे से

    लहले िायल कोटा एिं हाइकोटा द्वारा ईनकी वमटटगटेटग सका म्सस्टैन्सज़ (सजा को कम कर सकने िाली लटरवस्थवतयों) और सबूतों लर सही ढंग से

    विचार नहीं ककया गया है।

    मतृ्यदुंड स ेजुड़े विवभन्न मामले

    जगमोहन मामला - वजसमें न्यायाधीशों के लास विद्यमान मनमानी शवि के बारे में सचता जताइ गइ थी।

    बचन ससह मामला - सिोच्च न्यायालय ने 'रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर' का वसद्धांत कदया और 'वमटटगटेटग सका म्सस्टैन्सज़' को ऄत्यवधक महत्ि कदया।

    भलु्लर मामला- अतंकिादी गवतविवधयों में वलि व्यवि को मृत्यु दंड से संबंवधत मामलों के वलए ऄलिाद बनाया।

    शत्रघु्न ससह चौहान मामला- लटरिार से मुलाक़ात, दया यावचका की ऄस्िीकृवत को चुनौती दनेे के ऄिसर तथा मौत की सजा देन े

    (एक्सक्यूशन) से लहले मानवसक स्िास््य के लरीक्षण हतेु कदशावनदशे जारी ककए। आस फैसले ने भुल्लर मामले के फैसले को ललट कदया।

    आस फैसले के लटरणाम

    लहले लॉयर-क्लाआंट मीटटग के वलए जेल ऄवधकाटरयों द्वारा लयााि वनजी माहौल एिं समय प्रदान नहीं ककया गया था। आसके विलरीत, ऄब

    िकील ऄवभयुि के साथ वनयवमत बैठकें करके ऄवभयुिों के बचाि में सबूतों की सही ढंग से खोज कर सकेगा।

    न्यायालय ने बचन ससह मामले में वमटटगेटटग फैक्टसा सबंधी कदए गये ऄलने फैसले को और ऄवधक ईदार बनाते हुए एिं विस्तार दतेे

    हुए 'साक्ष्यों की प्रकृवत' लर कोइ सीमा नहीं लगाइ तथा ऄवभयुिों को एक शलथ लत्र के साथ ऄलने सबूत लेश करने की ऄनुमवत प्रदान की।

    बहस के वलए ऄलग वतवथ वनधााटरत करने से िकील को एक प्रभािी बहस के वलए अिश्यक वमटटगेटटग एविडेंस एकवत्रत करने एि ंतयैारी

    करन ेका लयााि समय वमलेगा। लहले जहााँ ऄवभयोजन लक्ष लर फांसी की सजा कदलाने का भार था, ऄब ऄवभयुि लक्ष लर फांसी की सजा

    को टालने का भार होगा।

    यह प्रकक्रयात्मक सुरक्षा ईलायों का लालन करन े हते ु एक ऄच्छा ईदाहरण बन सकता है वजसमें अरोली, लटरिार, सावथयों, मानवसक

    स्िास््य और ऄन्य विशेषज्ञों से एकवत्रत सभी प्रासंवगक जानकारी के अधार लर सजा दी जाती है, न कक युिा अयु एिं अवश्रतों की संख्या

    अकद का ईलयोग करके बेतुकी गवणतीय गणना के अधार लर।

    1.4. कमाचारी मअुिजा सशंोधन विधयेक

    (Employees Compensation Amendment Bill)

    सरु्शियों में क्यों?

    संसद ने कमाचारी मुअिजा (संशोधन) विधेयक, 2016 को मंजूरी द ेदी हैI

    लृष्ठभवूम

    यह विधेयक कमाचारी मुअिजा ऄवधवनयम, 1923 में संशोधन करता ह।ै यह ऄवधवनयम, कमाचाटरयों और ईनके अवश्रतों को औद्योवगक

    दघुाटनाओं के कारण लगने िाली चोटों के मामले में मुअिजे के भुगतान की व्यिस्था करता हैI आसमें व्यिसायों से होने िाली बीमाटरयााँ

    (अक्यलेशनल वडजीज) भी सवम्समवलत हैं।

    ककसी कमाचारी के मुअिजे से संबंवधत वििाद की सुनिाइ एक अयुि द्वारा की जाती है। अयुि को एक वसविल कोटा की शवियां प्रदान

    की गइ हैं वजसके अदशे के वखलाफ ईच्च न्यायालय के समक्ष ऄलील की जा सकती ह।ै

    ऄवधवनयम में ककए गए सशंोधन

    कमाचाटरयों को मअुिज ेके ऄवधकार के बारे में सवूचत करन ेसबंधंी कताव्य- कमाचाटरयों को वनयुवि के समय वलवखत रूल में और साथ ही

    साथ आलेक्िॉवनक मीवडया के माध्यम से ऄंग्रेजी, सहदी या ऄन्य संबंवधत अवधकाटरक भाषा में सूवचत करना।

  • 7 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    सवूचत नहीं करन ेलर जमुााना - जुमााने की रावश को 5000 से बढाकर 50,000 से 100,000 के बीच कर कदया गया ह।ै

    ऄभी तक कम से कम 300 रूलये के मामलों की ऄलील ईच्च न्यायलय में की जा सकती थी वजसे बढाकर ऄब 10,000 कर कदया गया ह।ै

    विधेयक द्वारा सके्शन 30A को हटा कदया गया ह।ै यह वनयोिा द्वारा अयुि के अदशे के वखलाफ ऄलील की वस्थवत में कमाचारी को

    मुअिजे के भुगतान लर रोक लगाता ह।ै

    अग ेकी राह

    यह विधेयक कमाचाटरयों के ऄनुकूल ह ै लेककन औद्योवगक स्थलों लर सुरक्षा ईलायों से संबंवधत मजबूत प्रितान तंत्र लर भी ध्यान दनेा

    चावहए।

    ऄसंगटठत क्षेत्र के कमाचाटरयों को भी आसके दायरे में लाने के वलए कदम ईठाया जाना चावहए।

    1.5. न्यायलावलका

    (Judiciary)

    1.5.1. न्यावयक लारदर्शशता

    (JUDICIAL TRANSPARENCY)

    सिोच्च न्यायालय ने तीन महीनों के भीतर सभी राज्यों और कें र शावसत प्रदशेों के कम से कम दो वजलों के कोटारूम और ईसके लटरसर में

    ऑवडयो टरकॉर्डडग रवहत CCTV कैमरे लगाने का अदशे कदया ह।ै

    ऄदालत की कायािाही टरकॉडा करने के वलए कें र सरकार और सिोच्च न्यायालय के बीच कइ दौर के विचार-विमशा के बाद यह कदम ईठाया

    गया। विवध अयोग ने ऄदालती कायािाही की ऑवडयो-विज़़ुऄल टरकॉर्डडग की वसफाटरश की ह।ै

    आसके लूिा 20िें विवध अयोग के ऄध्यक्ष ऄजीत प्रकाश शाह ने ऄदालती कायािाही की ऑवडयो-विज़़ुऄल टरकॉर्डडग की वसफाटरश की थी।

    हालांकक, सिोच्च न्यायालय ने यह स्लि ककया कक CCTV कैमरों का फुटेज सचूना का ऄवधकार ऄवधवनयम (RTI) के तहत ईललब्ध नहीं

    होगा और जो भी ऄदालत की िीवडयो फुटेज चाहता है ईसे संबंवधत ईच्च न्यायालय की ऄनुमवत प्राि करनी होगी।

    1.5.2. टिब्यूनल्स द्वारा न्यावयक ऄवतक्रमण (जूवडवशयल ओिररीच)

    (Judicial Overreach by Tribunals)

    सरु्शियों में क्यों?

    अम्सडा फोसेज टिब्यूनल ने सशस्त्र बलों को नॉन-फंक्शनल ऄलग्रेड (Non-functional Upgrade: NFU) प्रदान ककया।

    नॉन-फंक्शनल ऄलग्रेड (NFU)

    गैर-लदोन्नवत के कारण सेिा में अयी वस्थरता कम करने के वलए NFU कदया जाता ह।ै

    यह एक ऄवधकारी को ऄलने बैच के सिोच्च लदोन्नत ऄवधकारी के िेतनमान को प्राि करने का ऄवधकार दतेा है, भले ही िह एक वनवित

    ऄिवध के बाद ईस रैंक में लदोन्नत न हुअ हो।

    टिब्यनूल ऑडार को लेकर अलवियां

    सैद्धांवतक रूल से सरकार सशस्त्र बलों के वलए NFU स्िीकार करती ह।ै

    सशस्त्र बल टिब्यूनल के लास आस तरह के अदशे को लाटरत करने की शवि नहीं ह।ै

    आस ईद्देश्य के वलए स्थावलत ऄसंगवत सवमवत (Anomalies Committee) लहले से ही आस मुद्दे लर विचार कर रही ह।ै

    एडवमवनस्िेटटि टिब्यनूल (प्रशासवनक न्यायावधकरण) के बारे में

    संघीय या ककसी भी राज्य या स्थानीय या ऄन्य प्रावधकरण के कमाचाटरयों के सेिा मामलों से संबंवधत िादों को सुनने के वलए संसद द्वारा

    वनर्शमत काननू (ऄनुच्छेद 323A) के तहत एडवमवनस्िेटटि टिब्यूनल स्थावलत ककए गए हैं।

    एडवमवनस्िेटटि टिब्यूनल एक्ट, 1985 के तहत स्थावलत कें रीय प्रशासवनक ऄवधकरण (CAT) के ऄध्यक्ष ईच्च न्यायालय के एक कायारत या

    एक सेिावनिृि न्यायाधीश होंगे।

    ऄनुच्छेद 323(B) ईलयुि विधान द्वारा कराधान; विदशेी मुरा, अयात और वनयाात; औद्योवगक और श्रम संबंधी मामले; भूवम सुधार; नगर

    संलवि की ऄवधकतम सीमा (ऄबान सीसलग); संसद और राज्य विधानसभा चुनाि; भोजन सामग्री और ककराया एिं ककरायेदारी ऄवधकार

    जैसे ऄन्य मामलों के ऄवधवनणायन हतेु ऄवधकरण की स्थालना करने का प्रािधान करता ह ैI

  • 8 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    संसद या संबंवधत विधावयका कानून द्वारा आन टिब्यूनल द्वारा सुने जाने िाले मामलों को सुप्रीम कोटा के ऄवतटरि ऄन्य सभी न्यायालयों के

    ऄवधकार क्षेत्र से बाहर भी कर सकती हैं।

    1.5.3. न्यावयक विलंब

    (Judicial Delays)

    सरु्शियों में क्यों?

    सुप्रीम कोटा ने अलरावधक मामलों की वनयत समय में सुनिाइ और वनलटान के वलए कदशा-वनदशे जारी ककए हैं।

    हाल ही में, सुप्रीम कोटा के कम स ेकम 15 न्यायाधीशों ने फैसला ककया ह ैकक िे संिैधावनक महत्ि के तीन मामलों को वनलटाने के वलए

    अगामी ग्रीष्मकालीन ऄिकाश में भी काया करेंगे।

    समयबद्ध न्याय का महत्ि

    सुप्रीम कोटा ने कहा है कक संविधान के ऄनुच्छेद 21 में कैकदयों को जीिन एिं स्ितंत्रता के ऄलने मौवलक ऄवधकार के तहत वनष्लक्ष और

    त्िटरत सनुिाइ का ऄवधकार ह।ै

    यह ऄनुमान लगाया गया ह ैकक ऄगर ऄदालत के फैसले तेजी से तथा वबना दरेी के होते तो अर्शथक विकास में GDP के 1-2% तक की िृवद्ध

    हो सकती थी।

    न्यावयक प्रकक्रया में तेजी से गरीबों और िवंचत सामावजक समहूों को भी मदद वमलेगी।

    न्यावयक विलबं के कारण

    वनम्न न्यायाधीश-जनसखं्या ऄनलुात: भारत में प्रवत वमवलयन जनसंख्या लर केिल 17 न्यायाधीश हैं और ऄधीनस्थ ऄदालतों में लगभग

    5000 लद टरि हैं। 1987 में विवध अयोग ने प्रवत वमवलयन जनसंख्या लर 50 न्यायाधीशों का प्रस्ताि कदया था। आसके विलरीत, प्रवत

    वमवलयन जनसंख्या लर ऄमेटरका में 151 और चीन में 170 न्यायाधीश हैं।

    न्यायाधीशों की वनयवुियों के मामले में गवतरोध: सुप्रीम कोटा द्वारा NJAC को ऄसंिैधावनक घोवषत करने के बाद न्यायाधीशों की वनयुवि

    के वलए मेमोरेंडम ऑफ़ प्रोसीजर को ऄंवतम रूल दनेे में 1 िषा से ऄवधक का समय लगा, जबकक विवभन्न ईच्च न्यायालयों में टरि लदों की

    संख्या स्िीकृत लदों के लगभग 50% तक लहुंच गइ है।

    ऄकुशल और धीमी प्रकक्रया: मामलों के बार-बार स्थगन को समाि करना चावहए और एक बार प्रस्तुत साक्ष्यों की अगे अने िाली लगातार

    वतवथयों में जांच की जानी चावहए।

    मामलों का प्रबधंन न्यायलावलका लर नहीं बवल्क िकीलों की ईललब्धता लर वनभार करता है।

    लुवलस के लास साक्ष्यों के िैज्ञावनक संग्रहण हतेु प्रवशक्षण का ऄभाि है तथा लुवलस एिं जेल ऄवधकारी प्रायः ऄलने कताव्यों को लूरा करने में

    नाकाम रहते हैं, वजससे सुनिाइ में दरेी होती ह।ै

    ईलाय

    सचूना और सचंार प्रौद्योवगकी (ICT) साधन और मॉडना केस मनैजेमेंट वसस्टम का ईलयोग लारदर्शशता और सूचना के प्रिाह को बेहतर

    बनाने के वलए ककया जाना चावहए।

    िैकवल्लक वििाद समाधान ततं्र (ADR) को मजबूत ककया जाना चावहए और लोगों को आसके बारे में जागरूक ककया जाना चावहए।

    मामलों का न्यावयक प्रबंधन, ऄलराध दडं सौदा (plea bargaining), िायल रेडीनेस, सेटलमेंट कांफ्रें स, िकीलों द्वारा केस से संबंवधत

    ऄवनिाया फाआसलग के वलए वनयत समय-सीमा का वनधाारण, प्रारंवभक लूछताछों के ईन्मूलन अकद जैसे सिोिम ऄतंरराष्ट्रीय तरीके

    विकवसत ककए गए हैं, जो दरेी को समाि करने और बैकलॉग को कम करने में प्रभािी वसद्ध हुए हैं।

    लवुलस सधुार: लुवलस प्रशासन को प्रभािी कामकाज और जांच प्रणाली में सुधार के वलए ऄवधक वििीय और मानि संसाधन प्रदान करने

    की अिश्यकता है।

    भौवतक बवुनयादी ढाचंे में विस्तार करने की अिश्यकता ह ैऔर वसस्टम लर दबाि को कम करने के वलए अिश्यक सहायक कमाचाटरयों को

    ईललब्ध कराया जाए।

    ग्राम न्यायालयों की स्थालना का कायाान्ियन यह सुवनवित करने के वलए ककया गया ह ैकक "सामावजक, अर्शथक या ऄन्य ऄिरोधों के कारण

    ककसी भी नागटरक को न्याय के ऄिसरों से िंवचत नहीं ककया जायेगाI"

    1.6. सलंवि कर की समावि

    (Removal of Property tax)

    सरु्शखयों में क्यों?

    अम अदमी लाटी ने िादा ककया था कक ऄगर िह नगर लावलका चुनािों में सिा में अइ तो अिासीय सलंवि लर संलवि कर (प्रॉलटी टैक्स) माफ

    कर दगेी।

  • 9 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    लृष्ठभवूम

    राजधानी कदल्ली में कुल संलवि धारकों में से केिल 30-35% संलविधारक ही संलवि करों का भुगतान करते हैं।

    NGO जनाग्रह के द्वारा ककए गए िार्शषक सिेक्षण- ‘आंवडयन वसटी वसस्टम - 2015’ के ऄनुसार लूरे देश में नगर वनगम को प्राि होने िाला

    राजस्ि बहुत कम है। दिृव्य ह ै कक शहरी आलाकों में 31% जनसंख्या के वनिास करने के बािजूद भी नगर वनगमों को प्राि होने िाला

    राजस्ि दशे की कुल GDP का मात्र 0.75% ह।ै

    नगरलावलका का राजस्ि स्रोत

    कर राजस्ि - संलवि कर, चुंगी, विज्ञालन कर अकद।

    गैर-कर राजस्ि- नगरलावलका शुल्क, लटे्ट की रावश।

    ऄन्य प्राविया-ं विवभन्न प्रावियां (sundry receipts), व्यलगत (lapsed) जमा, जुमााना

    साझा राजस्ि- मनोरंजन कर, स्टाम्सल डू्यटी लर ऄवधभार, व्यिसाय कर

    सहायता ऄनुदान

    ऊण

    अिासीय, िावणवज्यक और औद्योवगक आकाआयों के साथ-साथ भूवम के वमवश्रत ईलयोग लर लगाए जाने िाले कर के माध्यम से सम्सलवि कर

    एकत्र ककया जाता ह।ै

    कदम की अलोचना

    आसके वलए कदल्ली नगर वनगम ऄवधवनयम, 1957 में संशोधन की अिश्यकता होगी, वजसके वलए संसद के ऄनुमोदन की अिश्यकता है।

    यही कारण है की सम्सलवि कर संबंधी संशोधन नगर लावलकाओं की शवि के ऄधीन नहीं अता ह।ै

    लहले ही कदल्ली नगर वनगम ऄलने कमाचाटरयों को िेतन नहीं द ेला रहा ह ैजबकक आस कदम से नगरलावलकाओं के राजस्ि में और ऄवधक

    कटौती हो जाएगी।

    यह ऄन्य नगरवनगम या शहरी वनकायों के चुनािों में लोकलुभािन मांग के रूल में राष्ट्रव्याली समस्या बन सकता ह।ै आस कदम स े

    नगरलावलकाओं के राजस्ि में ऄत्यवधक कमी अएगी।

    यह प्रवतगामी कदम माना जाता ह ैक्योंकक आससे विशेष रूल से ईच्च िगा के लोगों को लाभ होगा।

    राजस्ि स्रोत घटने की वस्थवत में नगर वनगमों के द्वारा बाडं जारी करना एक चुनौती होगी।

    सभंािनाओं को व्यथा गिाना- अर्शथक सिेक्षण 2016-17 में शहरी स्थानीय वनकायों के राजस्ि अधार को बढाने के वलए संलवि कर को

    एक ऐसे स्रोत के रूल में रेखांककत ककया गया ह ैवजसका ऄभी तक लूणा लाभ नहीं ईठाया गया ह।ै

    1.7. चनुाि सधुार

    (Electoral Reforms)

    1.7.1. दोषवसद्ध विवध वनमााताओं (विधावयका सदस्यों) लर अजीिन प्रवतबन्ध

    (Life Time Ban of Convicted Lawmakers)

    सरु्शखयों में क्यों?

    चनुाि अयोग (EC) ने सुप्रीम कोटा में दायर की गइ एक जनवहत यावचका का समथान ककया है वजसमें दोषी राजनेताओं लर चुनाि लड़ने

    और विधावयका में प्रिेश करने लर अजीिन प्रवतबंध लगाने की मांग की गइ ह।ै

    EC का मानना ह ैकक आस तरह के प्रवतबंध संविधान के मलू ऄवधकारों की भािना तथा ऄिसर की समानता के वसद्धांत के ऄनुरूल हैं।

    दोषी सासंदों लर प्रवतबंध लगान ेके वलए मौजदूा प्रािधान

    जन प्रवतवनवधत्ि ऄवधवनयम (RPA), 1951 की धारा 8 में सांसदों तथा विधायकों की ऄयोग्यता के वलए कुछ वनयम कदए गए हैं, जैसे:

    कानून की धारा 8 (1), (2) के ऄंतगात यकद कोइ विवध वनमााता बलात्कार, हत्या, ऄस्लशृ्यता या सती प्रथा का ऄनुलालन; विदशेी मरुा

    विवनयमन ऄवधवनयम का ईल्लंघन; धमा, भाषा या क्षते्र के अधार लर शत्रुता लैदा करना, भारतीय सवंिधान का ऄलमान करना, चुनािी

    कानूनों का ईल्लंघन, प्रवतबवंधत िस्तओुं का अयात और वनयाात, अतकंिादी गवतविवधयों में शावमल होने जैसे ऄलराध में वलि होता ह ैतो

    आस धारा के ऄंतगात ऄयोग्य माना जाएगा। आन कृत्यों या गवतविवधयों में शावमल होने की वस्थवत में ककसी व्यवि को न्यूनतम छह िषा की

    ऄिवध के वलए ऄयोग्य घोवषत कर कदया जाएगा। आस सन्दभा में यह विचारणीय नहीं ह ैकक आन लटरवस्थवतयों में जुमााना ककया गया ह ैया

    कारािास की सजा दी गइ है।

    धारा 8 (1) और 8 (2) के ऄंतगात अने िाले ऄलराधों का संबंध भारतीय दडं संवहता के विवभन्न ऄवधवनयमों से ह।ै आन ऄवधवनयमों के

    ऄंतगात नागटरक ऄवधकार संरक्षण ऄवधवनयम 1955; भ्रिाचार वनिारण ऄवधवनयम 1988; अतंकिाद वनरोधक ऄवधवनयम 2002,

    गैरकानूनी गवतविवधयां (रोकथाम) ऄवधवनयम 1967 जैसे ऄवधवनयम शावमल हैं।

  • 10 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    आसके ऄलािा धारा 8 (3) के ऄंतगात ईलयुाि ऄलराधों के ऄवतटरि ककसी भी ऄन्य ऄलराध के वलए दोषी ठहराए जाने िाले ककसी भी

    विवध वनमााता को दो िषा से ऄवधक की कारािास की सजा सुनाए जाने की वस्थवत में ईसे दोषी ठहराए जाने की वतवथ से ऄयोग्य माना

    जाएगा। ऐसे व्यवि को सजा लूरी ककए जाने की वतवथ से छह िषा तक चुनाि लड़ने के वलए ऄयोग्य माना जायेगा।

    RPA, 1951 की धारा 8 (4) के ऄंतगात दोषी विवध वनमााता ऄलनी सीट लर बने रह सकते हैं, बशते कक ईन्होंने वनचली ऄदालत के अदेश

    के वखलाफ तीन माह के भीतर ईच्च न्यायालय में ऄलील दायर की हो। हालांकक, 2013 में वलली थॉमस बनाम यवूनयन ऑफ आंवडया मामले

    में, सिोच्च न्यायालय ने RPA-1951 की धारा 8 (4) को ऄसंिैधावनक ठहराया था।

    ऄतः, धारा 8 (1), 8 (2) और 8 (3) के तहत दोषी ठहराए जाने के लिात विवध वनमााता स्ितः ऄयोग्य हो जाएगा ऄथाात् ईसकी सीट

    स्ितः टरि मानी जाएगी।

    लक्ष में तका

    यह राजनीवत के वनरलराधीकरण में सहायता करेगा। एसोवसएशन फॉर डेमोके्रटटक टरफॉम्ससा के ऄनुसार 16िीं लोकसभा (2014) में चुने

    गए 34% नए सांसदों के वखलाफ अलरावधक मामले दजा हैं। 2009 में यह अंकड़ा 30% था।

    यह भविष्य में चुनाि लड़ने के आच्छुक ईम्समीदिारों के वलए एक वनिारक कारक (deterrent factor) के रूल में काया करेगा। आससे िे ककसी

    भी अलरावधक गवतविवधयों में शावमल होने से बचने का प्रयास करेंगे।

    विधानमंडल में स्िच्छ लृष्ठभूवम िाले ईम्समीदिारों का प्रिेश होगा। अम जनता का राजनीवतक व्यिस्था में विश्वास मजबूत होगा। ऄंततः

    लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी।

    विलक्ष में तका

    अजीिन प्रवतबन्ध की सज़ा अनुलावतक रूल से ऄवधक प्रतीत हो सकती ह ैक्योंकक संभि ह ैकक ईम्समीदिार बलात्कार, हत्या, अतंकिाद जैसे

    जघन्य ऄलराधों के बजाय यातायात वनयमों को तोड़ने जैसी मामलूी गलती के वलए दोषी हो। आस वस्थवत में भी िह चुनाि लड़ने स े

    अजीिन प्रवतबंवधत ककया जा सकता ह।ै

    सिारूढ लाटी के नेताओं के द्वारा ऄलने प्रवतद्वदं्वी नेताओं का सफाया करने के वलए ऄथिा सच्चे राजनीवतक कायाकतााओं तथा वनदोष लोगों के

    विरुद्ध आस प्रािधान का दरुुलयोग ककया जा सकता है।

    अग ेकी राह

    भारत की राजनीवतक व्यिस्था को स्िच्छ बनाने की कदशा में दोषी विवध वनमााताओं के वखलाफ आस प्रकार का अजीिन प्रवतबंध एक दरूगामी

    कदम होगा। साथ ही यह विश्वास वनमााण करने िाले ईलाय के रूल में भी काया करेगा। हालांकक यह ध्यान रखना चावहए कक ऐसा प्रवतबंध केिल

    जघन्य ऄलराधों के वलए ही लगाया जाए।

    1.7.2. बहु चरणीय चुनाि

    (Multi Phase Polls)

    सरु्शखयों में क्यों?

    5 राज्यों में मतदान के बाद, भारत के मुख्य चुनाि अयुि (CEC) ने कहा ह ैकक बहु-चरणीय चुनािों का अयोजन वनकट भविष्य में भी

    जारी रहेगा।

    अिश्यकता

    संविधान हमें स्ितंत्र और वनष्लक्ष चुनाि कराने का ऄवधकार प्रदान करता ह।ै एक चरण में होने िाले चुनाि को मॉवनटर करना मुवश्कल हो

    सकता ह ैतथा यह ऄनुवचत गवतविवधयों को जन्म द ेसकता है।

    जनप्रवतवनवधत्ि ऄवधवनयम 1951 (RPA ,1951)

    धारा 126 - मतदान के शुरू होने से 48 घंटे लहले सप्रट या टेलीविज़न के माध्यम से चुनाि संबंधी सामग्री का प्रदशान प्रवतबंवधत

    करता है।

    यह केिल ईस वनिााचन क्षेत्र के वलए िैध ह ैवजसमें मतदान प्रारंभ हो चुका हो। बहु-चरणीय चुनािों में ऄन्य क्षेत्रों के मतदाताओं के

    संबंध में ये प्रािधान लागू नहीं होंगे।

    महत्ि

    मतदान कर्शमयों, मतदान कें रों और मतदान सामग्री की सुरक्षा सवहत चुनािों के संचालन में विस्तृत सुरक्षा प्रबंधन शावमल ह।ै

    बहु-चरणीय चुनाि, सुरक्षा से संबंवधत जनबल की कमी की ककसी भी चुनौती का सामना करने में सहायक हैं।

    यह व्यिस्था चुनाि कराने िाली एजेंवसयों के बीच समन्िय तथा वनगरानी व्यिस्था के सुधार में सहायक ह।ै

    बहु-चरणीय चुनाि में चुनाि कराने की लागत कइ भागों में बट जाती ह ैआस प्रकार एक बार में ही समूचे खचा को ककए जाने की बाध्यता से

    ईत्लन्न समस्या का सामना नहीं करना लड़ता।

    बहु-चरणीय चुनाि में सहसा की घटनाओं तथा वनष्लक्ष चुनाि के वलए हावनकारक गवतविवधयों को रोकना असान होता ह।ै आस प्रकार

    मतदाताओं की ऄवधकतम भागीदारी संभि हो लाती ह।ै

  • 11 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    अलोचना

    चूाँकक कानून और व्यिस्था राज्य लुवलस के क्षेत्रावधकार का विषय ह ैतथा विवभन्न चरणों में अयोवजत चुनािों में कें रीय लुवलस बलों को

    प्राथवमकता कदए जाने के कारण राज्य लुवलस का प्रावधकार कमजोर हो जाता ह।ै आस अधार लर बहुत लोगों द्वारा बहु-चरणीय चुनािों का

    विरोध ककया जाता ह।ै

    बहु-चरणीय चुनािों को स्ितंत्र और वनष्लक्ष मतदान के वलए एक बाधा माना जाता ह ैक्योंकक-

    RPA 1951 की धारा 126 के कारण एक क्षेत्र में चुनाि प्रचार बंद होने के बाद भी प्रचार कायाक्रम दसूरे क्षेत्र में जारी रहता ह।ै

    यह लरोक्ष रूल से ऄन्य वनिााचन क्षेत्रों के मतदाताओं को प्रभावित करता है, आस प्रकार कानून की भािना (वस्प्रट ऑफ़ द लॉ) का ईल्लंघन

    होता ह।ै

    बहु-चरणीय चुनािों के कारण लम्सबे समय तक अचार संवहता प्रभािी रहती ह।ै आससे चुनािी राज्यों में नइ विकास लटरयोजनाओं के

    प्रारम्सभ होने में बाधा लहुंचती ह।ै

    अग ेकी राह

    यद्यवल बहु-चरणीय चुनािों की सीमाएं हैं, कफर भी, सीवमत वििीय और मानि संसाधनों के ितामान लटरदशृ्य में, बहु-चरणीय चुनाि

    स्ितंत्र और वनष्लक्ष चुनाि के संचालन की प्रकक्रया में ईत्लन्न होने िाली चुनौवतयों को दरू करने का एक मागा ह।ै

    1.7.3 ज्योवतष लर चुनाि अयोग

    (Election Commission on Astrology)

    चुनाि अयोग (EC) ने कहा कक चुनाि लटरणामों के संबंध में ज्योवतवषयों, टैरो रीडसा तथा राजनीवतक विश्लेषकों की भविष्यिावणया ं

    मीवडया द्वारा प्रकावशत या प्रसाटरत नहीं की जा सकतीं।

    EC के ऄनुसार आस तरह के विश्लेषण एवग्जट लोल सिेक्षणों के समान ही हैं।

    ितामान में, RPA, 1951 के तहत एवक्ज़ट लोल लर प्रवतबंध लगा कदया गया है। ऐसे प्रवतबंध िषा 2010 में RPA, 1951 में धारा 126

    (A) के शावमल ककए जाने के बाद से ऄवस्तत्ि में हैं।

    भारतीय चनुाि अयोग (ECI) के बारे में

    संविधान के ऄनुच्छेद 324 के प्रािधानों के ऄनुसार चुनाि अयोग स्ितंत्र, संिैधावनक संस्था है।

    ितामान में ECI में एक मुख्य चुनाि अयुि (CEC) तथा दो ऄन्य चुनाि अयुि शावमल हैं। सभी चुनाि अयुिों को समान

    शवियां, बराबर िेतन, भिे तथा ऄन्य लाभ प्राि हैं।

    CEC को केिल सावबत कदाचार या ऄक्षमता के अधार लर संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा लाटरत प्रस्ताि के अधार

    लर राष्ट्रलवत के द्वारा ही हटाया जा सकता ह।ै ऄन्य EC को CEC की वसफाटरश के ऄवतटरि लद से नहीं हटाया जा सकता।

    ECI के कुछ प्रमुख कायों के ऄंतगात राष्ट्रलवत, ईलराष्ट्रलवत, संसद, राज्य विधानसभाओं के स्ितंत्र और वनष्लक्ष चुनाि करिाना,

    मतदाता सचूी तयैार करना तथा समय-समय लर आसमें संशोधन करना शावमल ह।ै आसके ऄवतटरि राजनीवतक दलों को मान्यता

    दनेा, ईन्हें प्रतीकों का अिंटन करना, अचार संवहता तैयार करना, चुनाि में गड़बड़ी के मामले में चुनाि रद्द करना; ईल-चुनाि

    अयोवजत करना; संसद या राज्य विधावयकाओं के सदस्यों की ऄयोग्यताओं के संबंध में राष्ट्रलवत और राज्यलाल को सलाह दनेा;

    राजनीवतक दलों के बीच वििादों का वनलटारा करने के वलए ऄदालत के रूल में काया करने जैसे काया भी ECI के द्वारा संलाकदत ककए

    जाते हैं।

    1.8 अधार

    (Aadhaar)

    सरु्शखयों में क्यों?

    सरकार ने अयकर टरटना दावखल करने के वलए अधार ऄवनिाया कर कदया ह।ै आसके ऄवतटरि लैन (PAN) प्राि करने के वलए, वमड-डे मील

    के तहत लाभ प्राि करने के वलए तथा मोबाआल फोन कनेक्शन के सत्यालन के वलए भी अधार संख्या को ऄवनिाया बनाया गया ह।ै

    अधार क्या ह?ै

    अधार भारत के वनिावसयों के वलए UIDAI द्वारा जारी एक 12-ऄंकीय संख्या ह।ै हालांकक, यह अधार संख्या धारक को नागटरकता या

    वनिास का कोइ ऄवधकार नहीं प्रदान करता ह।ै

    भारत में वनिास करने िाला ककसी भी ईम्र और सलग का व्यवि अधार प्राि करने के वलए स्िेच्छा से वन:शुल्क नामांकन करा सकता है।

    अधार लहचान तथा वनिास का प्रमाणलत्र ह।ै ऄब आसका प्रयोग वनिावसयों के वििीय लते के रूल में भी ककया जा सकता ह।ै

    एकवत्रत डेटा में शावमल हैं:

    अिश्यक जनसावंख्यकीय सचूना: नाम, जन्म वतवथ, सलग, लता, माता-वलता / ऄवभभािक वििरण (बच्चों के वलए अिश्यक, ियस्कों के

    वलए िैकवल्लक), फोन और इमेल (िैकवल्लक) जैसे संलका वििरणI

  • 12 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    अिश्यक बॉयोमीटिक जानकारी: फोटो, हाथ की दसों ईाँगवलयों का फफगर सप्रट, अइटरस स्कैन।

    अधार की विशेषताएं और लाभ

    अधार के प्रयोग ने सवब्सडी में व्यय होने िाली 49,000 करोड़ रुलय ेसे ऄवधक की रावश को बचाने में सरकार की मदद की ह।ै ऄब तक

    106 करोड़ से ऄवधक लोगों को अधार प्रदान ककया जा चुका ह।ै

    एक अधार- चूंकक अधार बॉयोमीटिक अधाटरत विवशि लहचान प्रणाली ह ैऄतः यह सरकारी योजनाओं में नकली और छद्म (ghost)

    लाभार्शथयों की लहचान करने में मदद करता है। वजससे लक्ष्यों को प्राि करने में असानी होती ह ैतथा लीकेज को रोकने में मदद वमलती है।

    लहचान सिेायें: एजेंवसयां व्यवि की लूिा सहमवत प्राि करने के बाद UIDAI से ऄनुरोध कर भारत में कहीं से भी ऑनलाआन प्रमाणन कर

    सकती हैं। आससे बैंक खाते खोलने के वलए अिश्यक विवभन्न लहचान प्रमाण लत्रों की अिश्यकता समाि हो गइ ह।ै

    बॉयोमीटिक्स को ऄिरुद्ध करना (Blocking Biometrics): जब भी अधार काडा धारक की लहचान को प्रमावणत करने की प्रकक्रया संलन्न

    की जाती ह ै तब आस संबंध में अधार काडा धारक एक सन्दशे प्राि करता है। ककसी भी संशय की वस्थवत में िह ऄलनी बॉयोमेटिक्स

    जानकाटरयों को ब्लॉक भी कर सकता ह।ै आस प्रकार िह ककसी भी व्यवि या संस्था को स्ियं से संबंवधत लहचान के वििरणों तक लहुाँच प्राि

    करने से रोक सकता है।

    लहचान या लते के प्रमाण के वलए वजनके लास लयााि दस्तािेज नहीं होते हैं ईनके वलए "लटरचयकताा (introducer)" प्रणाली के अधार लर

    अधार संख्या जारी की जा सकती ह।ै

    आलेक्िॉवनक लाभ ऄतंरण (Electronic benefit transfers): अधार वििीय लते के रूल में काया करता ह ैआस प्रकार आवच्छत लाभार्शथयों

    को सीधे लाभ प्रेवषत करने के वलए एक सुरवक्षत और कम लागत िाला मंच प्रदान करता है।

    दक्षता और प्रभािोत्लादकता में सधुार (Improving Efficiency and Efficacy): स्लि ईिरदावयत्ि और लारदशी वनगरानी व्यिस्था

    लाभार्शथयों की अिश्यक िस्तुओं और सेिाओं तक लहुाँच (accessibility) तथा ईनकी गुणििा सुवनवित करने में सहायक वसद्ध होगी।

    स्ि-सेिा के माध्यम स ेसेिाओं लर वनयतं्रण वनिावसयों को प्राि होना (Self-service puts residents in control) : अधार को सत्यालन

    प्रणाली के रूल में प्रयोग करके, वनिासी सीध ेऄलने मोबाआल फोन, ककयोस्क या ऄन्य तरीकों से ऄलने एंटाआटलमेंट के विषय में निीनतम

    सूचना तक लहुाँच प्राि कर सकते हैं एिं सेिाओं की मांग और ऄलनी वशकायतों का वनलटान कर सकते हैं।

    अधार स ेसबंद्ध मदु्दे

    गोलनीयता का मदु्दा: गोलनीयता के ऄवधकार को सुवनवित ककए वबना स्ितंत्रता के ऄवधकार तथा ऄवभव्यवि की स्ितंत्रता के ऄवधकार को

    सुरवक्षत नहीं ककया जा सकता। भारत में एक व्यालक गोलनीयता कानून की ऄनुलवस्थवत में, अधार ऄवनिाया बनाने से राज्य द्वारा व्यविगत

    जानकारी और वनगरानी का दरुुलयोग हो सकता है। आस प्रकार गोलनीयता का ऄवधकार संकट में लड़ सकता ह।ै

    सचूना जारी करना: ककसी व्यवि की जानकारी केिल दो मामलों में प्रकट की जा सकती ह:ै

    वजला न्यायालय के अदशे लर

    राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में "संयुि सवचि" के कदशा वनदशेों के अधार लर (धारा 33 (2))

    दिृव्य ह ैकक राष्ट्रीय सुरक्षा एक ऄस्लि शब्द ह ैतथा अधार के संबंध में गोलनीयता सुवनवित करने के वलए ककये गए प्रािधान तुलनात्मक

    रूल से टेलीग्राफ ऄवधवनयम, 1885 में टेलीफोन संिादों की सुरक्षा के वलए ककये गए सुरक्षा ईलायों से भी कमजोर हैं। टेलीग्राफ ऄवधवनयम,

    1885 के ऄनुसार सािाजवनक अलात या सािाजवनक सुरक्षा के वलए टेलीफोन संिादों संबंधी डेटा साझा करने की ऄनुमवत ह ैककन्तु ऐसा

    केिल गृह सवचि द्वारा जारी अदेश के द्वारा ही ककया जा सकता ह।ै

    व्यवियों की प्रोफाआल तयैार करन ेकी सभंािना: आस ऄवधवनयम में वबग डेटा एनावलवसस के ईलयोग द्वारा व्यवि की व्यिहार लद्धवत और

    प्रोफाआल के वनधाारण के वखलाफ सुरक्षा के प्रािधान नहीं हैं।

    यह कानून प्रितान एजेंवसयों को अधार के ईलयोग के माध्यम से टेलीफोन टरकॉडा या हिाइ यात्रा के टरकॉडा जैसे विवभन्न डेटासेट के बीच

    सलक स्थावलत करने से प्रवतबंवधत नहीं करता है।

    यह ईस ऄवधकतम ऄिवध को वनधााटरत नहीं करता ह ैवजसके वलए ककसी व्यवि का प्रमाणीकरण टरकॉडा बनाए रखा जा सकता है।

    िास्ति में सरकार धारा 57 के ऄनुसार विधेयक में ईवल्लवखत संदभो के ऄवतटरि ककसी ऄन्य सन्दभा में भी अधार अधाटरत लहचान

    प्रमाणीकरण लागू कर सकती है।

  • 13 MARCH/2017/0003 www.visionias.in ©Vision IAS

    ऄलराध का सजं्ञान: डेटा के दरुुलयोग संबंधी ककसी भी वशकायत का ककसी ऄदालत में केिल UIDAI द्वारा की गइ वशकायत के अधार लर

    ही संज्ञान वलया जाएगा। आस प्रकार डेटा के दरुुलयोग से लीवड़त ककसी व्यवि की वशकायत के वनलटान का कोइ ईलाय नहीं ह।ै

    UIDAI की वििकेाधीन शवियां: ऄवधवनयम, UIDAI को संसद से लूिा ऄनुमोदन के वबना ऄन्य जानकाटरयों को एकवत्रत करने संबंधी

    वनदशे दनेे की शवि प्रदान �


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